बिगड़ी फिगर ऐसे सुधारें

फैट इकट्ठा करना हमारी बौडी की टैंडैंसी है और जैसेजैसे उम्र बढ़ती है यह टैंडैंसी बढ़ती जाती है क्योंकि बौडी का मैटाबोलिक रेट कम होने लगता है. लड़कियों में 16 साल की उम्र के बाद फैट तेजी बढ़ने लगता है और अगर खानपान रिच है और जिंदगी में बहुत भागदौड़ नहीं है तो 2 साल भी नहीं लगते कमर को कमरा बनने में. लड़कियों में फैट का पहला टारगेट हिप्स, कमर व गरदन होती है. स्लिमट्रिम लड़की को तकरीबन 6 किलोग्राम वेट बढ़ जाने के बाद पता चलता है कि उस का वेट बढ़ गया है, क्योंकि यह पूरी बौडी में फैला होता है. हम लोग फैट को सिर्फ अपनी कमर पर महसूस करते हैं, जबकि कमर की मोटाई दिखने से पहले फैट बौडी पर लेयर बना चुका होता है. अपनी बौडी को ले कर अगर आप गंभीर हैं तो लंबे समय तक अपनी फिगर को संभाल सकती हैं. अगर आप समय रहते खुद के लिए कुछ नियमकानून बना लेंगी, तो आगे चल कर पछतावा, कड़ी मेहनत व कड़ा परहेज जैसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. यह बात किसी से नहीं छिपी है कि फिजिकल ऐक्टिविटी और खानेपीने पर कंट्रोल ही आप को बेडौल होने से बचा सकता है. लेकिन फिर भी कुछ उपाय ऐसे हैं, जो मोटापे की दहलीज पर पहुंचे लोगों को वापस पीछे खींच सकते हैं और फिगर को बिगड़ने से बचा सकते हैं.

ये आदत डालें

सोने से पहले गरम पानी पीने की आदत डालें. यह आदत पड़ गई तो आप के बड़े काम आएगी. अगर पानी से बोरियत हो तो उस में थोड़ा नीबू निचोड़ लें व 1 कालीमिर्च पीस कर डाल लें.

हफ्ते में 1 दिन उपवास रखें. उपवास के दिन केवल फल खाएं.

सुबह फ्रैश होने के बाद व्यायाम जरूर करें.

गेहूं की रोटी के बजाय जौ, चने की रोटी खाएं. इस के लिए 10 किलोग्राम चने में 2 किलोग्राम जौ डलवा कर पिसवा लें.

खाने के तुरंत बाद पानी पीने की आदत बिलकुल छोड़ दें. अगर तेज प्यास लगे तो 1-2 घूंट पानी पीने में कोई बुराई नहीं. वैसे खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पीएं.

खाने से पहले 1 कटोरी सब्जियों का सूप पीने की आदत डालें.

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अगर पेट की चरबी बढ़ गई हो

पेट की बढ़ी चरबी बिना ऐक्सरसाइज किए नहीं जाती. उस में भी सिर्फ कमर की ऐक्सारसाइज करने से कमर पतली नहीं होती. कसरत तो आप को पूरी बौडी की करनी होगी. अगर आप ऐक्सरसाइज और डाइट पर ध्यान दे रही हैं, तो पेट की सेंक कुछ हद तक आप की मदद कर सकती है. इस के लिए पतीले में पानी भर कर गरम होने को रख दें. इस में 1 चम्मच नमक और 1 चम्मच अजवायन भी डालें. जब पानी खौलने लगे तो पतीले के ऊपर कोई जाली या आटा चालने वाली लोहे वाली चलनी रख दें. अब भिगो कर निचोड़े हुए 2 छोटे तौलिए उस जाली पर रख दें. फिर 1-1 कर के दोनों तौलियों से अपनी नाभि के ऊपर वाले हिस्से की 10 से 15 मिनट सेंकाई करें. आप रात को सोने से पहले या सुबह के वक्त यह काम कर रोज कर सकती हैं.

मम्मी के कहे का क्या करें

मांएं हमेशा यह कहती हैं कि घीमक्खन खाना चाहिए. यह बात तब तो बिलकुल वाजिब है जब आप बाहर तला हुआ नहीं खातीं. लेकिन बाहर भी सब चल रहा है तो घर में परहेज बरतना होगा. अगर मां जिद करें तो सुबह के वक्त थोड़ा घीमक्खन लेने में कोई बुराई नहीं. कुल मिला कर बात यह है कि आप को खुद तय करना होगा आप बौर्डर लाइन पर हैं, उस के आगे या उस से कई कदम पीछे. फिर उसी हिसाब से योजना बनानी होगी. अपना बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स जरूर चैक करें. इस से आप को आगे की योजना बनाने में मदद मिलेगी.

जरूरी बात

अगर आप तली हुई चीजों से परहेज नहीं कर रही हैं, तो इन में से कोई भी उपाय आप के काम नहीं आने वाला. यह बात तो स्वाभाविक रूप से समझनी चाहिए कि फास्ट फूड और तला खाना मोटापे की पहली वजह है. इन पर काबू किए बिना फिगर के बारे में सोचना बड़ा मुश्किल है.

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मेरी मंगेतर किसी के साथ रिलेशनशिप में तो नही?

सवाल-

मैं 27 साल का हूं. मेरी शादी होने वाली है. अगर मेरी मंगेतर किसी के साथ हमबिस्तरी करती होगी, तो इस का पता मुझे कैसे चलेगा?

जवाब-

शादी की बुनियाद यकीन पर टिकी है. आप शादी से पहले ही ऐसी बातें मत सोचिए. आम भारतीय लड़की शादी से पहले अमूमन अछूती होती है.

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जया और रमिका लंच कर रही थीं. 8 घंटे की औफिस ड्यूटी के बीच यही समय मिलता है दोनों को अपना सुखदुख बांटने का. दोनों की हाल ही में शादी हुई है. पिछले 5 सालों से दोनों एक ही कंपनी में काम कर रही हैं.

खाना खाने के बाद वे एकदूसरे से बैडरूम की बातें करने लगीं. बातें गरमागरम थीं इसलिए वे दोनों औफिस से नजदीक ही एक पार्क में चहलकदमी करने लगीं.

जया ने बताया कि उस की सैक्स लाइफ काफी रोचक है. पतिपत्नी सैक्स में कई तरह के प्रयोग करते हैं. कभी उभार चूमना और उंगलियां फेरना एकसाथ करते हैं, तो कभी कंडोम पहनने के बाद उभार को उठा कर उसे चूमते हैं. इस मस्ती भरी छुअन के बाद वे सैक्स का मजा लेते हैं.

जया की इस बात पर रमिका मुसकराई. जया के पूछने पर रमिका ने बताया कि उस के पति उसे संतुष्ट नहीं करते. यह सुन कर जया चौंक गई.

इस पर रमिका ने कहा, ‘‘मेरा वह मतलब नहीं था. मेरे पति के लिए सैक्स का मतलब है न्यूड हो कर मेरे ऊपर आओ. शादी के 1-2 महीने बाद तक मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब नहीं.

‘‘जया बताओ न, मैं क्या करूं? मुझे सैक्स को बोरिंग नहीं बनाना है.’’

जया ने रमिका को सैक्स बटन के बारे में बताया जिन को इस्तेमाल में ला कर आज रमिका खुश दिखती है.

क्या आप जानते हैं सैक्स बटन की एबीसी?

दरअसल, औरतों में सिर से ले कर पैर तक सारे अंग कामुक होते हैं. अगर आप जानते हैं कि उन्हें सही तरीके से कैसे छूना है तो उन के शरीर का हर अंग मजा दिला सकता है.

होंठ

होंठ चूमना किसी औरत के लिए एक बड़ा टर्निंग पौइंट होता है. जब रिलेशन बन रहे होते हैं तो चूमना ऐसी पहली चीज होती है जो पहले मना की जाती है, लेकिन इस में देरी न करें.

होंठ उत्तेजक नसों से लबालब भरे होते हैं. लिहाजा, इन्हें तुरंत जीभ में नहीं डुबाना चाहिए. सब से पहले औरत के निचले होंठ पर अपनी जीभ फेरें, फिर उसे अपने होंठों के बीच फंसा कर चूसें. साथ ही, उसे भी ऐसा करने दें.

जब आप उसे चूम रहे हों तो अपने हाथ उस की गरदन पर रखें या फिर उस की कमर या कूल्हों पर या फिर इस दौरान इन सभी जगहों पर हाथ फेर सकते हैं.

बैकबोन

इस हिस्से के बारे में बहुत से लोग अनजान हैं, लेकिन यह औरतों को सब से ज्यादा जोश में लाने वाली जगह होती है. आप उन की स्पाइन पर अपनी उंगलियों को आराम से फिराएं. इस से आप अपने पार्टनर को बहुत जल्द कामुक कर सकते हैं.

उंगली

जीभ के बाद उंगलियों को शरीर का सब से सैंसिटिव हिस्सा माना जाता है. आप अपने पार्टनर की उंगलियों के ऊपरी हिस्से को चूम सकते हैं या हलके से दांत भी चुभा सकते हैं. दबाने से औरतों में जोश बढ़ता है. साथ ही, जैसेजैसे जोश बढ़ता जाता है आप को उस की उंगलियों को अपने होंठों के बीच ले जाना चाहिए, फिर होंठों से सहलाते हुए धीरेधीरे चूसना चाहिए. इस से वह नशे की सी हालत में आ जाएगी.

गरदन

औरतों की गरदन को भी काफी सैंसिटिव माना जाता है. गरदन की स्किन काफी पतली होती है, इसलिए यहां छूने पर काफी अच्छा महसूस होता है.

अगर आप अपनी उंगलियां सही जगह रख कर कौलरबोन सहलाएं तो पार्टनर को बहुत अच्छा महसूस होगा.

कान

जोश में लाने वाले बौडी पार्ट्स में कान बहुत काम के होते हैं. अपने पार्टनर के कानों को अपने होंठों से छुएं, चूमें या हलका सा काट लें और फिर देखिए उन का मूड.

पैर

बिस्तर पर जाने से पहले आप अपने पार्टनर से पैर धोने की गुजारिश करें, क्योंकि पैर सैक्सी होते हैं और इन्हें भी प्यार की जरूरत है.

पार्टनर के तलवों को चूम कर आप उसे जोश में ला सकते हैं. शुरुआत छोटी उंगली से करें. पैरों को सहलाते हुए रगड़ना एक औरत के लिए यह जबरदस्त अनुभव होता है. इस से उस के शरीर के दूसरे अंग भी उत्तेजित होने लगते हैं. इस की वजह यह है कि पैरों को सहलाने पर दिमाग का एक बड़ा हिस्सा जोश का अनुभव करता है इसलिए सैक्स से इस काम को नजरअंदाज न करें.

स्तन

स्तन महिला के सैक्सुअल अंगों में खास जगह रखते हैं. पर इस के लिए सीधे छलांग न लगाएं. स्तनों को तब तक न छुएं जब तक कि आप को यह न पता चल जाए कि वह चाह रही है कि आप उस के स्तनों को छुएं.

इस के लिए शुरुआत किनारे से करें, फिर गोल घेरे में अपनी उंगलियां स्तनों के चारों ओर घुमाएं. ऐसा तब तक करें जब तक स्तनों के निप्पल के चारों ओर के गुलाबी या भूरे रंग के गोल घेरे तक न पहुंच जाएं. यहां कुछ देर तक उंगलियां फिराने के बाद निप्पल तक पहुंचना चाहिए.

अब आप निप्पल को सहलाते हुए थपथपाएं, खींचें, दबाएं, चूमें और चूसें. इस दौरान आप चाहें तो हलके से दांतों से काट सकते हैं.

जब आप का मुंह एक स्तन पर है तो इस दौरान आप का हाथ दूसरे स्तन पर होना चाहिए तभी वह सबकुछ सौंपने को तैयार होगी. इस के बाद स्तन बदल कर यही दोहराएं. फिर दोनों हाथों से स्तनों को जम कर दबाना चाहिए. साथ ही, बीच में अपने पार्टनर से पूछें कि उसे स्तनों में कौन सी छुअन मजा देती.

कभी भी पार्टनर की इच्छाओं को नजरअंदाज न करें. स्तनों के बीच का हिस्सा कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह भी कामुक जगह  है.

भग

भग क्षेत्र में छलांग लगाना काफी आसान होता है लेकिन उस के पहले उस गूदेदार क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो रोमों से घिरा होता है. इसे थपथपाना और रगड़ना पार्टनर को सिसकने पर मजबूर कर देगा.

योनि वह दूसरा क्षेत्र है जहां कई आदमी स्तनों को उत्तेजित करने के बाद सीधे पहुंच जाते हैं. जैसे ही औरतें उत्तेजित होती हैं उन का गर्भद्वार ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिस से योनि की गहराई बढ़ जाती है और आप को गहरे तक जाने का मजा मिलता है.

इसलिए यह आप की पसंद का मामला है कि आप उसे कितना गीला कर सकते हैं. जितना समय यहां दिया जाएगा उतना ही मजा आप को प्रवेश पर मिलेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Fitness Tips: प्रौफेशनल से जानें कैसे रखें फिटनेस का ख्याल

आज की इस तेज रफ्तार जिंदगी में एक महिला कई भूमिकाएं निभाती हैं, जैसे कि एक माता, एक पत्नी, एक देखभाल करने वाली महिला, एक बेटी, एक बहू या एक सहकर्मी की.  हाल ही में ऑमंड बोर्ड ऑफ कैलिफोर्निया ने नई दिल्ली में एक पैनल चर्चा का आयोजन किया जिस का विषय था ‘पारिवारिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में कामकाजी माताओं की दुविधा’. पैनल में प्रियंका चोपड़ा की मां, डॉ. मधु चोपड़ा, प्रबंधनिदेशक, स्टूडियोएस्थेटिक, फिटनेस एंड पिलेट्स एक्सपर्ट, माधुरी रुइया, जानीमानी आहार सलाहकार शीला कृष्णस्वामी ने भी भाग लिया. पेश है इस इवेंट के दौरान मधु चोपड़ा से की गई बातचीत के मुख्य अंश;

अपनी फिटनेस और खूबसूरती के लिए आप क्या करती हैं?

फिटनेस के लिए समय निकालना बहुत कठिन होता है. किसी खास जिम में जा कर वर्कआउट करना मेरे लिए संभव नहीं है. इसलिए मैं ने शुरू से ही ऐसा नियम रखा है कि सुबह उठते ही सब से पहले 5 मिनट के लिए ध्यान, उस के बाद अगले 10 मिनट वार्मअप और 2-4 सूर्य नमस्कार करती हूं. इस के बाद थोड़ी सी एरोबिक्स कर के तब बाहर निकलती हूं और काम में लग जाती हूँ. मुश्किल से 15 मिनट का समय लगता है जो मैं खुद हेल्थ पर इन्वेस्ट करती हूं. खुद के साथ बिठाये इस समय की बदौलत दिन भर बढ़िया से स्टिमुलेटेड रहती हूं. ब्रेन भी जाग जाता है. सो चाय पर निर्भर न रह कर मैं वर्कआउट पर ज्यादा ध्यान देती हूँ. यही नहीं रात में कुछ बादाम भिगा कर रखती हूँ. सुबह एक्ससाइज के बाद पहला काम होता है एक खजूर और 4- 5 बादाम खाना.

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बादाम खाने का सब से अच्छा समय और तरीका क्या है ?

बादाम सुबहसुबह ही ले लेना चाहिए. इस से पूरे दिन आप को एनर्जी मिलती है. आप पूरे दिन आराम से भागदौड़ कर सकती हैं. बेहतर है कि इसे आप ब्रेकफास्ट से पहले लें. यदि सुबह नहीं ले सके तो बैग में रखें और कभी भी खा ले. यह कंप्लीट पौष्टिक आहार है.

इसे यदि रात भर पानी में भिगो कर खाया जाए तो ज्यादा अच्छा है. भिगा कर खाने से इस में सॉफ्टनेस आ जाती है और छिलका भी आसानी से उतर जाता है. जिस से बच्चे और बूढ़े आसानी से इसे खा सकते हैं. इसे चबाना आसान हो जाता है और तासीर भी थोड़ी ठंडी हो जाती है. उम्रदराज शख्स हो या छोटा बच्चा, हर उम्र के लोग बादाम खा सकते हैं.

पिछले कुछ सालों में प्रियंका एक स्ट्रांग वुमन के रूप में उभरी हैं. आप इस का श्रेय किसे देंगी?

कहीं न कहीं बच्चे मां-बाप जैसे ही होते हैं. सो सब से पहले तो इस का श्रेय उस के जींस को जाता है. दूसरा स्ट्रांग पक्ष यह रहा कि मैं ने कभी उस की सेहत के साथ समझौता नहीं किया. हमेशा उस के खानपान और फिटनेस का ख़याल रखा.

रोज सुबह उसे भिगाये हुए बादाम खिलाती थी. यदि वह सुबह खाना भूल जाती तो भी उस के बैग में हमेशा बादाम रखा करती. बादाम और दुसरे सूखे मेवे एक ही तरह से खा कर वह बोर हो जाती तो कुछ नए एक्सपेरमेंट्स करती. कभी भून कर कभी खीर बना कर तो कभी मिल्क शेक के रूप में देती. फलसब्जी ,प्रोटीन ,विटामिन ,कैल्शियम  किसी चीज़ की कमी नहीं होने देती.

एक मां के रूप में आप की सब से बड़ी चिंता क्या रहती है ?

मेरी चिंता यही रहती है कि उस ने कुछ खाया या नहीं खाया. किसी ने खाना दिया या नहीं. जब भी हम फोन पर बात करते हैं तो हमारी बातचीत की शुरुआत भी इसी बात से होती है.

फिटनेस के लिए आप अपने मरीजों को क्या सलाह देती हैं ?

प्रौपर न्यूट्रिशन और वर्कआउट के साथसाथ साफ़ क्लीन सोच, क्लीन हैबिट्स और ईटिंग्स जरुरी है. इस के साथ प्लांट्स बेस्ड फूड भी सेहत के लिए जरूरी है. जिन्हें प्रोटीन की ज्यादा आवश्यकता है वे एनिमल फूड्स भी ले सकते हैं. मगर नॉनवेज हैवी हो जाए तो प्रौब्लम होती है. इसलिए आप बैलेंस बना कर रखे. साथ में हरीभरी सब्जियां भी खाएं वरना स्किन पोर्स खुल जाते हैं और एजिंग भी ज्यादा दिखने लगती है.

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एक कामकाजी मां को आप क्या सलाह देना चाहेंगी?

इन दिनों कामकाजी माताओं के कंधों पर बहुत सी जिम्मेदारियां हैं. पूरे भारत के अधिकांश परिवारों में माताएं ही प्राथमिक केयरगिवर होती हैं जिन्हें अपने परिवार के संपूर्ण स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना होता है. अपने पूरे परिवार की देखभाल करने के साथ ही वह दिन का लंबा समय काम में भी बिताती हैं. ऐसे में एक कामकाजी माता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अपने खुद के स्वास्थ्य, नींद एवं डाइट पर पूरा ध्यान दे और अपने लिए भी पर्याप्त समय निकाले.

एक्सरसाइज से ब्रेक भी है फायदेमंद

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग, जैसी गम्भीर बीमारियों के साथ साथ वजन घटाने और सेहतमंद रहने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ नियमित व्यायाम करने की सलाह देते हैं. योग, मॉर्निंग वॉक, जिमिंग तथा प्राणायाम आदि व्यायाम के ही प्रकार हैं जिन्हें हम अपनी सुविधा के अनुसार करने का प्रयास करते हैं. नियमित व्यायाम से होने वाले सकारात्मक सोच, मजबूत, लचीला, और स्वस्थ शरीर जैसे लाभों से हम सभी भली भांति परिचित हैं परन्तु हाल ही में अमेरिकी फिटनेस फर्म “एल आई टी मेथड” के द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक शरीर को सप्ताह में कम से कम एक दिन व्यायाम से ब्रेक अवश्य दिया जाना चाहिए. रिसर्च के अनुसार सप्ताह में एक दिन ब्रेक देकर हम व्यायाम से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. व्यायाम से एक दिन के ब्रेक की हमें इसलिए आवश्यकता होती है-

1. सेल्स रिपेयर होते हैं

मुख्य शोधकर्ता टेलर नॉरिस के अनुसार व्यायाम करने के दौरान हमारे शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों पर बहुत दबाब पड़ता है जिससे उनके टूटनेफटने की संभावना बढ़ जाती है परन्तु जब हम एक दिन का ब्रेक लेते हैं तो उन्हें आराम तो मिलता ही है साथ ही शरीर उनकी मरम्मत के लिए वक़्त भी निकाल पाता है. ब्रेक न मिल पाने की स्थिति में लगातार थकावट होने से हड्डियों और मांसपेशियों में क्षरण की शिकायत उत्पन्न हो सकती है.

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2. मांसपेशियां मजबूत होती हैं

नॉरिस के अनुसार बिना ब्रेक दिए व्यायाम करने से मांसपेशियों और हड्डियों में थकावट होती है जिससे इंसान मांसपेशियों में खिंचाव और जोड़ों में दर्द की समस्या से जूझता है और कई बार ध्यान न देने पर यह समस्या काफी गम्भीर रूप ले लेती है. वे कहते हैं एक या दो दिन के ब्रेक से मांसपेशियों को आराम मिलता है और वे पुनः मेहनत करने के लिए तैयार हो जातीं हैं.

3. मस्तिष्क को आराम मिलता है

रिसर्च के अनुसार एक्सरसाइज करते समय शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का स्राव तीव्र हो जाता है जिससे दिमाग को संदेश जाता है कि इस समय शरीर कठिन स्थिति से गुजर रहा है और दिमाग तुरन्त ग्लूकोज को भावी इस्तेमाल के लिए सहेजना प्रारम्भ कर देता है परिणामस्वरूप फैट और कार्बोहाइड्रेट के ऊर्जा में तब्दील होने की गति बहुत धीमी पड़ जाती है और दिमाग आराम की अवस्था में आ जाता है.

4. नवीन ऊर्जा संजय कर पाता है

शोधकर्ताओं के अनुसार एक्सरसाइज से ब्रेक मांसपेशियों का घनत्व बढ़ाने में असरदार है. इससे शरीर नवीन ऊर्जा के साथ कसरत करने के लिए तैयार होता है उनके अनुसार ब्रेक के दिन अच्छी नींद लेने के साथ साथ मनपसन्द फ़िल्म या कार्य करना चाहिए जिससे शरीर में फील गुड हार्मोन का स्राव तेजी से हो और शरीर तेजी से अपनी मरम्मत का कार्य कर सके.

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5. ऊबन दूर करने के लिए

लगातार एक जैसा कार्य करने से मन ऊब जाता है. एक दिन का ब्रेक आपको नया सोचने का समय देता है और अपनी इच्छानुसार व्यायाम को और अधिक रोचक बनाने का अवसर भी देता है जिससे आप अधिक मन लगाकर कार्य कर पाते हैं.

थेरेपी जो वजन कम करने में करेगी मदद

जितने जरूरी हमारे शरीर के लिए प्रोटीन, मिनरल व विटामिन होते हैं उतना ही आवश्यक हमारे शरीर के लिए पानी भी होता है. इसलिए ही डॉक्टर हमें रोजाना के 8-10 गिलास पानी पीना सुझाते हैं. ताकि हमारे शरीर से टॉक्सीन निकल सकें और हमारा शरीर सुचारू रूप से काम कर सके.

बहुत से लोग सुबह सुबह गर्म पानी में नींबू मिला कर पीते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इस पानी से हमारा मेटाबॉलिज्म बढ़ता है. लेकिन वहीं जापानी लोग इस पानी को बहुत डरावना मानते हैं. यहीं जापानी पानी की थेरेपी प्रयोग में आती है. इस थेरेपी से आपके पेट की सेहत भी अच्छी रहती है और आपका वजन भी घटता है.

क्या है जापानी पानी थेरेपी?

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह थेरेपी आपके पेट के स्वास्थ्य के लिए अधिक काम करेगी. ज्यादातर बीमारियां हमारे खराब पेट से ही शुरू होती है. इसलिए जापानी पानी थेरेपी हमारे पेट को साफ करने का काम करती है. यह आपके पाचन तंत्र को भी स्वस्थ बनाती है.

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इस थेरेपी के मुताबिक आपको सुबह उठते ही पानी पीना होगा क्योंकि यही वह समय होता है जब पानी सबसे ज्यादा प्रभावकारी होता है. यह न केवल आपका वजन कम करने के काम आता है बल्कि आपको बहुत सी बीमारियों से बचाने के भी काम आता है.

पर आपको इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि आपको रूम टेंपरेचर वाला पानी ही पीना होगा. यदि आप ज्यादा ठंडा पानी लेते हैं तो यह आपके शरीर के लिए हानिकारक होगा. यह आपके पाचन को भी डिस्टर्ब करता है और आपको बहुत सी बीमारियां भी देता है.

ऐसे पालन करें जापानी वॉटर थेरपी को

यदि आप भी जापानी वॉटर थेरेपी को एक बार ट्राई करना चाहते हैं तो निम्न स्टेप्स का पालन करें.

शुरू में आपको सुबह उठते ही 4-5 गिलास सामान्य तापमान वाला पानी पीना है. ध्यान रखें यह पानी आपको उठने के तुरन्त बाद व ब्रश करने से भी पहले पीना होगा.

अब ब्रेकफास्ट करने के 45 मिनट तक रुकें.

जब आप कोई भी मील खाते है तो उसे 15 मिनट से ज्यादा न चलने दें. इसके बाद कुछ भी पीने से पहले 2 घंटे का ब्रेक लें.

बूढ़े लोग या जिन लोगों ने यह थेरेपी लेने की अभी शुरुआत ही की है वह एक गिलास पानी से शुरू कर सकते हैं.

इसके बाद वह पानी के गिलास का नंबर बढ़ा सकते है.

यदि आप एक बार में ही 4-5 गिलास पानी नहीं पी पाते हैं तो आप हर गिलास पीने के बाद एक घंटे का ब्रेक भी ले सकते हैं.

इस थेरेपी में पानी पीने के साथ साथ लगभग 30 मिनट की रोजाना वॉकिंग भी सुझाई गई है.

इसके साथ ही आपको सोने से पहले हर रोज गुनगुने पानी में नमक मिला कर गरारे करने चाहिए.

आपको कुछ भी खड़े होकर नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन तंत्र में समस्या होती हैं.

क्या यह वजन कम करने में लाभदायक है?

दिन में बहुत गिलास पानी पीने से आपको संतुष्टि महसूस होती है. जिस कारण आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं. एक स्टडी के मुताबिक जो कुछ ज्यादा वजन वाले लोगों पर की गई थी, उसमें जिन लोगों ने अपनी मील खाने के आधे घंटे पहले 500 ml पानी पिया था वह बाकी लोगों के मुकाबले 13% कम खाना खाते थे.

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एक अन्य स्टडी के मुताबिक जब आप ज्यादा पानी पीते हैं तो आप रेस्ट करने की स्थिति में भी ज्यादा कैलोरीज़ बर्न करना शुरू कर देते हैं जो आपके वजन कम करने में लाभदायक होता है.

जब आप अपनी शुगर ड्रिंक्स के स्थान पर पानी पीते हैं तो इससे आप अपने अंदर कम कैलोरीज़ ले पाते है जिससे आपको वजन कम करने में मदद मिलती है.

बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए रोजाना करें ये 5 एक्सरसाइज

आजकल के व्यस्त दिनचर्या में खुद को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखना हर किसी के लिए एक बड़ा चैलेंज है. ऐसे में जरूरी है कि आप एक्सरसाइज करें. कई बार समय के अभाव में या ज्यादा खर्च के चलते हमारा जिम जाना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसे में आप खुद को ही घर पर बस 20 से 25 मिनट दें मिनट दें तो शरीर सारा दिन चुस्त बना रहेगा. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी एक्सरसाइज जिन्हें आप घर पर आसानी से कर सकती हैं. यह एक्सरसाइज आपको पूरी तरह से फिट रखने और तरोताजा महसूस कराने के साथ ही आपके बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में आपकी मदद करेगा.

1. सूर्य नमस्कार

यह एक कार्डियो-वस्कुलर व्यायाम है. इसमें 12 से ज्यादा आसन होते हैं. यदि आपके पास समय की कमी हो तो इससे बेहतर कोई व्यायाम हो ही नहीं सकता. इसे सुबह उठकर खाली पेट करें. इसे रोजाना 10-15 मिनट करें.

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2. सीढ़ियों पर चढ़े-उतरे

अगर आप मार्निग वाक पर नहीं जा सके हैं तो घर की सीढ़ियों पर ही 10 से 15 मिनट चढ़े-उतरे. ये 45 मिनट के वर्कआउट के बराबर होता है. सीढ़ियां चढ़ने से सबसे ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है. माना जाता है कि 30 सीढ़ियां चढ़ने से कम से कम 100 कैलोरी बर्न होती है.

3. प्रणाम मुद्रा

दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें. अपनी छाती फुलाएं और कंधे ढीले रखें. सांस लेते वक्त दोनों हाथ बगल से ऊपर से उठाएं और सांस छोड़ते वक्त हथेलियों को जोड़ते छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएं. यह एक्सरसाइज रोजाना करें. इससे आप कुछ ही हफ्ते में तरोताजा महसूस करने लगेंगी.

4. कूल डाडन जपिंग

इसमें पंजों के बल पर खड़े होकर जंप करना है. हाथ को मोड़कर ऊपर ले जाने हैं. इसके भी एक मिनट के तीन से चार सेट करने हैं. इससे पूरी बाडी वार्मअप होती. इससे स्टैमिना बनता है. ज्यादा देर तक करने से शरीर से वजन भी कम होता है.

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5. जंपिंग जैक

यह एक कार्डियो एक्सरसाइज है. इससे भी वजन में कंट्रोल में रहेगा और काफी एनर्जी खर्च होती है. शरीर को चुस्त व दुरुस्त बनाने के लिए जंपिंग जैक भी एक कारगर और बेहतरीन तरीका है. इसमें दोनों पैर को पंजों के पास से जोड़िए और उन्हें खोलते हुए दोनों हाथ को ऊपर लेकर जाएं. एक से डेढ़ मिनट के तीन से चार सेट करने से बौडी अच्छी खासी स्ट्रैच हो जाती है.

इन 7 वर्कआउट से आसानी से घटाएं वजन

जासमीन कश्यप (गुडवेज फिटनैस)

महिलाएं एक उम्र के बाद या फिर शादी के बाद अपने शरीर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. नतीजा यह होता है कि या तो वे बेडौल हो जाती हैं या फिर जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का शिकार बन जाती हैं.

यहां हम कुछ ऐसे वर्कआउट्स के बारे  में बता रहे हैं जिन्हें यदि ऐक्सपर्ट की देखरेख में किया जाए तो महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

कार्डिओ वर्कआउट:

कार्डिओ फायदेमंद है. यह वेट लौस करने में काफी मददगार है. इस से तनाव कम होता है. वर्कआउट से फेफड़ों तक औक्सीजन पहुंचने में मदद मिलती है, रक्तसंचार सही होता है, दिल मजबूत और ब्लड भी प्यूरिफाई होता है. कार्डियो वर्कआउट वजन को कम कर के बौडी में जमा अतिरिक्त फैट को कम करता है और बीमारियों से बचाता है.

अलगअलग तरह के कार्डिओ वर्कआउट से आप खुद को फिट रख सकती  हैं. मसलन:

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ऐरोबिक्स:

ऐरोबिक्स आप कभी भी कहीं भी एक छोटी सी जगह पर कर सकते हैं. इस में अपनी पसंद के म्यूजिक पर कुछ स्टैप्स किए जाते हैं. ग्रेपवाइन लेग कर्ल जंपिंग जैक्स जैसे मूव्स से पूरे शरीर का वजन घटता है. पसीने के जरीए बौडी से टौक्सिन निकलना ही फैट और बीमारियों को दूर करता है. सिर्फ पसीना निकलना ही जरूरी नहीं, कड़ी मेहनत भी जरूरी है. ऐरोबिक्स वर्कआउट में आप के हार्ट रेट को लो से हाई ले जा कर एक स्तर पर मैंटैन किया जाता है, जो वेट लौस में मदद करता है.

स्ट्रैंथ वर्कआउट:

महिलाओं के लिए स्टैं्रथ वर्कआउट बहुत जरूरी भी है और ट्रैंड में भी. इस से महिलाओं में औस्टियोपोरेसिस की समस्या बहुत कम होती है. बोन डैंसिटी भी बढ़ती है. इस में बाइसैप कर्ल, ट्राइसैप ऐक्सटैंशन, हैमर कर्ल, शोल्डर प्रैस, पुशअप्स, ट्राइसैप डिप्स इत्यादि महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं.

डांस फिटनैस:

फिटनैस डांस महिलाओं के लिए बहुत ही अच्छा है और आजकल तो यह ट्रैंड बनता जा रहा है. इस में आप भांगड़ा, बेली डांस इत्यादि पर अलगअलग तरीके से थिरक कर  30-50 मिनट तक वर्कआउट कर सकती हैं. मस्ती के साथसाथ वजन भी घट जाता है.

किकबौक्सिंग:

किकबौक्सिंग एक तरह का कार्डिओ वर्कआउट है. इस में बहुत सारी मसल्स एकसाथ इस्तेमाल होती हैं. महिलाओं में ज्यादातर अपनी आर्म्स और लैग्स को टोन करना ही मुख्य होता है. किकबौक्सिंग वैसे तो पूरे शरीर के लिए अच्छी है लेकिन यह उस पार्ट को जल्दी टोन करती है जिस से आप अपनी मनचाही कट स्लीव्स या वनपीस ड्रैस पहन सकती हैं. इस में शरीर के ऊपरी भाग के मूवमैंट्स जैब्स, क्रौस, हुक व अपरकट्स हैं तो शरीर के निचले भाग के मूवमैंट्स में नी स्ट्राइक, फ्रंट किक, राउंडहाउस किक, साइड किक, बैक किक इत्यादि शामिल हैं.

हाई इंटैंसिटी वर्कआउट:

कुछ महिलाएं अपने लिए समय नहीं निकाल पातीं जिस की वजह से वे जिम या पार्क में जा कर वर्कआउट नहीं कर पातीं. उन के लिए हाई इंटैंसिटी वर्कआउट बढि़या विकल्प है. यह बाकी वर्कआउट्स से थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इस से कम समय में ज्यादा वजन कम किया जा सकता है. यह मैटाबौलिज्म को तेजी से बढ़ाता है. इस वर्कआउट में कुछ हाई इंटैंसिटी ऐक्सरसाइज का चुनाव कर के उन्हें क्रम में लगा कर सैट्स में किया जाता है जैसे, जंप, स्विंग, ऐअर पुशअप्स, रौक क्लाइम्बिंग स्टार जंप, जंप हाईनीज को मिला कर 1 सैट करने के बाद इन सभी के 3 सैट या 5 सैट किए जाते हैं. हर ऐक्सरसाइज को मिनटों में या सैकंड्स के हिसाब से किया जाता है. वेट लौस और बौडी टोनिंग के लिहाज से कम समय में ज्यादा से ज्यादा वजन कम करने के लिए यह अच्छा वर्कआउट है.

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स्टैपर वर्कआउट:

यह भी एक अच्छा विकल्प है. एक बौक्स या सीढ़ी का इस्तेमाल कर इस वर्कआउट को कर सकती हैं. स्टैमिना बढ़ाने में यह काफी मददगार है.

ऐब्स वर्कआउट:

इस में आप लैग रेज, स्क्वाट्स, क्रंचेज इत्यादि कर सकती हैं. इस से पेट, कमर व टांगों की चरबी घटेगी. महिलाओं में ज्यादातर पेट, कमर और लैग्स की चरबी ज्यादा होती है.

महिलाओं के लिए प्लैंक, सूमो स्क्वाट्स, बैक लैग किकिंग, वुड चौपर, रशियन क्रंच, प्लैंक, लैग फ्लटर इत्यादि व्यायाम बढि़या  विकल्प हैं.

डंबल्स से बनाएं मसल्स

लेख-मृदुला भारद्वाज

हर युवा चाहता है कि देखने में उस की बौडी फिट लगे यानी उभरी हुई मसल्स हों. डंबल्स से आप अपनी यह इच्छा पूरी कर सकते हैं. कमर, थाइज और बांहें वजन बढ़ने की सूचना तब देती हैं जब आप का शरीर बेडौल हो चुका होता है. हैवी डाइट लेने और वर्कआउट न करने के कारण यह सब होता है. हर कोई चाहता है कि वह फिट ऐंड फाइन नजर आए, खासकर युवाओं में तो अपने मसल्स और कर्व्स को ले कर कुछ ज्यादा ही क्रेज होता है. हर युवा की तमन्ना होती है कि फिट बौडी के साथ उस के मसल्स भी उभरे हुए हों और उस की बौडी में कर्व्स भी दिखें.मसल्स बनाने का जनून आज लगभग हर युवा पर सवार है और अब तो युवतियां भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गई हैं.

युवतियां भी अपनी बौडी में अब मसल्स और कर्व्स चाहती हैं.मसल्स और कर्व्स बनाने के लिए वैसे तो जिम में बहुत से उपकरण हैं जो बेहद आधुनिक हैं, लेकिन आज भी एक ऐसा उपकरण है जो बहुत पुराने जमाने से चला आ रहा है. वह उपकरण है डंबल. डंबल आज भी फिट बौडी चाहने वालों के फिटनैस मंत्र का अहम हिस्सा है. जिम के अत्याधुनिक उपकरणों के बावजूद डंबल्स में आज भी इतनी क्षमता है कि वे आप के मसल्स भी बना सकते हैं और आप की बौडी को कर्व्स भी दे सकते हैं.वैसे तो डंबल्स को सिर्फ हाथों के व्यायाम करने का एक उपकरण माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. डंबल्स से आप अपने पूरे शरीर का व्यायाम भी कर सकते हैं और शरीर के किसी भी भाग की मसल्स को भी बिल्डअप कर सकते हैं.

आर एम टैस्ट

लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एजुकेशन ऐंड वैलफेयर सोसाइटी के डिप्टी डायरैक्टर (औपरेशंस) डा. दीपक डोगरा के अनुसार, डंबल्स व्यायाम करने के लिए एक टैस्ट किया जाना बहुत जरूरी है. यह टैस्ट ही बताता है कि कितने भार के डंबल्स के साथ व्यायाम करना आप के लिए सही है. इसे आर एम टैस्ट कहते हैं. यह रिपिटेशन टैस्ट होता है. इस में देखते हैं कि व्यक्ति एक बार में कितना भार अधिकतम उठा पाता है. यह प्रक्रिया लगभग 5 बार दोहराई जाती है. जो भार आप एक बार में उठाते हैं वह आप की 100 प्रतिशत इंटैनसिटी है. वजन बढ़ाने के लिए डंबल व्यायाम को 3 से 6 सैट में करना चाहिए.यदि आप अपना वजन कम करना और मसल्स को शेप और कर्व्स देना चाहते हैं, तो आप का रिपिटेशन एवरेज 61 से 70 फीसदी कम होना चाहिए और सैट 15 से ज्यादा नहीं होने चाहिए.अगर आप घर पर ही डंबल व्यायाम करते हैं तो 2 से 4 सैट हफ्ते में 4 बार एक दिन छोड़ कर करें, लेकिन इस के लिए आप पहले दिन अपर बौडी, दूसरे दिन लोअर बौडी का व्यायाम करें.

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डंबल्स व्यायाम से पहले

किसी भी वर्कआउट को करने के कुछ नियम होते हैं. चाहे आप घर में कसरत करें या जिम में, आप को नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए, तभी आप फिट बौडी और मसल्स बना पाएंगे. वर्कआउट के लिए पुश ऐंड पुल के सिद्धांत को अपनाया जाता है. कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले जरूरी होता है वौर्मआप. इस के बाद आप डंबल्स के साथ कोर असिस्टैंस करें.डा. दीपक डोगरा का कहना है कि डंबल्स का इस्तेमाल मुख्यतया संतुलन और सामंजस्य के लिए किया जाता है. हमारे शरीर का एक हाथ दूसरे हाथ से अधिक ताकतवर होता है. अगर आप दाहिने हाथ से काम करते हैं तो आप के दाहिने हाथ में बाएं हाथ से ज्यादा स्ट्रैंथ होती है. डंबल्स हमारी इस स्ट्रैंथ को दोनों हाथों में बराबर करता है, ताकि बाकी उपकरणों पर कसरत करने में हमें इस परेशानी का सामना न करना पड़े. इस के साथ ही डंबल्स हमारी कोर और असिस्टैंस मसल्स को डैवलप करता है.

विभिन्न डंबल्स व्यायाम

डा. दीपक डोगरा का कहना है कि डंबल्स के साथसाथ आप अपनी पूरी बौडी के मसल्स और कर्व्स बना सकते हैं. इस के लिए शरीर के हर भाग की डंबल्स के साथ एक अलग कसरत होती है.

छाती

छाती के व्यायाम में आप की छाती मुख्य मसल होती है, जबकि कंधे और ट्राइसैप्स मददगार मसल्स के रूप में काम करती हैं.

डीबी बेंचप्रैस : आप बैंच पर लेट कर डंबल्स को प्लैट, ऊपर की तरफ और नीचे की तरफ ले जाएं.

डीबी फ्लाइस : इस में आप बैंच पर लेट कर डंबल्स ले कर हाथों को छाती की सीध में लाएं, फिर दोनों हाथों को खोलें.कंधेकंधे का व्यायाम करते वक्त ध्यान रखें कि पहले कम वजन ही उठाएं. इस से चोट लगने का खतरा कम रहता है. यदि आप की किसी तरह की शोल्डर इंजरी हो तो आप यह व्यायाम न करें.

डीबी प्रैस : बैंच पर बैठ कर थाई की सहायता से एकएक कर के डंबल को कंधे के ऊपर उठाएं. अब एक हाथ को ऊपर की तरफ ले जाएं, उसे नीचे दोबारा कंधे के ऊपर रखें. अब दूसरे हाथ के साथ यही प्रक्रिया फिर से दोहराएं.

डीबी साइड लेटरल : दोनों हाथों में डंबल्स नीचे की तरफ पकड़ें. अब एकसाथ दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं. हाथों को कंधे की सीध में ले जाएं. इस में हाथों को शरीर के दोनों साइड्स की तरफ ले जाते हैं.

डोबी फ्रंट लेटरल : दोनों हाथों में डंबल्स नीचे की तरफ पकड़ें. अब एक हाथ को सामने की तरफ कंधे की सीध में उठाएं, फिर वापस नीचे की ओर ले जाएं. इसी तरह दूसरे हाथ की कसरत करें. इस प्रक्रिया को बारीबारी दोहराएं.ट्राइसैप्सकुहनी से ऊपर का भाग ट्राइसैप्स होता है.

टू आर्म्स ट्राइसैप्स एक्सटैंशन : दोनों हाथों में एक ही डंबल पकड़ें. अब हाथ को सिर के ऊपर ले जाएं. अब कुहनियों को मोड़ते हुए हाथों को सिर के पीछे की तरफ ले जाएं. कुछ देर रुकें, फिर दोबारा हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराएं.

वन आर्म ट्राइसैप्स एक्सटैंशन : टू आर्म्स ट्राइसैप्स एक्सटैंशन की प्रक्रिया को ही एक हाथ से करें.

ट्राइसैप्स किकबैक : अपने एक हाथ और एक घुटने को बैंच पर रखें. दूसरे हाथ में डंबल पकड़ें. डंबल वाले हाथ को पीछे की तरफ धकेलें. थोड़ी देर रुकने के बाद उसी पहले वाली अवस्था में आ जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.बेंट ओवर वन आर्म ट्राइसैप एक्सटैंशन: एक बैंच पर बैठें. पेट के बल मुड़ जाएं. एक हाथ में डंबल पकड़ें और हाथ को पीछे की तरफ 90 डिग्री तक ले जाएं. थोड़ी देर रुकें और दोबारा पोजिशन की अवस्था में आ जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराएं.

लेइंग ट्राइसेप एक्सटैंशन : पीठ के बल बैंच पर लेट जाएं. अब दोनों हाथों से एक डंबल पकड़ें. हाथों को सामने की ओर ले जाएं. अब डंबल को सिर के ऊपर की तरफ ले जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.

बाईसैप्सबाइसेप्स ऊपरी बांह की मसल्स को कहते हैं.

डेक्लाइन सिटिड बाइसैप कर्ल्स : बैंच 45 डिग्री के एंगल के अनुसार हो. दोनों तरफ हाथों में डंबल्स पकड़ें. कुहनियों को अपने शरीर के निकट लाएं. कुहनी को मोड़ते हुए वजन को ऊपर की तरफ उठाएं. इस प्रक्रिया को बारीबारी एकएक हाथ से दोहराएं.

हैमर कर्ल्स : डंबल्स को दोनों हाथों में अलगअलग पकड़ कर सीधे खड़े हो जाएं. कुहनी को मोड़ते हुए हाथों को मुंह के सामने लाएं. इस प्रक्रिया को एकएक हाथ से बारीबारी से करें.

प्रिएचर कर्ल्स : बैंच को 45 डिग्री के ऐंगल पर सैट करें. कमर को हलका सा कर्ल दें. एक  हाथ में डंबल पकड़ कर आराम से बैंच पर पीठ रखें. अब डंबल वाले हाथ को नीचे से चेहरे की तरफ ले जाएं. इसी तरह थोड़ा रुक कर प्रक्रिया को दोहराते रहें.

कंसंट्रेशन कर्ल्स : एक बैंच पर बैठ जाएं और पैरों को जमीन पर सीधा रखें. एक हाथ को थाई पर रखें, ठीक घुटने के ऊपर. अब नीचे की तरफ दूसरे हाथ में डंबल पकड़ें. अब डंबल वाले हाथ को ऊपर की तरफ चेहरे के सामने लाएं. अपनी कमर को वेट उठाते समय न घुमाएं. इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें.पीठ का व्यायाम

डेड लिफ्ट्स : सीधे खड़े हों. अब लोअर बैक और घुटनों को मोड़ कर वेट उठाएं. कमर को सीधा रखें. पूरी प्रक्रिया के दौरान आप का सिर ऊपर की ओर रहेगा. इसे दोहराएं.

सिंगल आर्म रा : बैंच पर एक घुटना और एक हाथ रखें. एक हाथ में डंबल पकड़ें. अब उस बाजू को ऊपर की तरफ खींचें. इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें. वन आर्म ऐक्सरसाइज में दूसरे हाथ से भी उतनी ही ऐक्सरसाइज करें.पैरपैर के व्यायाम में अपर थाई, लोअर थाई और इनर थाई शामिल होती हैं.

हाफ स्क्वैट : दोनों हाथों में एकाएक डंबल नीचे की तरफ पकड़ें. अब अपनी थाइज को मोड़ते हुए नीचे की तरफ बैठें. कमर को सीधा रखें. सिर को ऊपर रखें. जिस तरह उठकबैठक होती है, इसे बिलकुल उसी तरह करें.

डंबल लंज्स : दोनों तरफ हाथों में नीचे की ओर डंबल पकड़ें. एक पैर को आगे की तरफ 2 फुट बढ़ाएं और घुटने को 90 डिग्री के ऐंगल पर मोड़ें. जब आप अपने पैर को मोड़ें तो आप का घुटना फर्श को छूना चाहिए. आगे के पैर को धकेलते हुए पहली वाली अवस्था में वापस आ जाएं. अब ऐसा ही दूसरे पैर के साथ करें. इसी प्रक्रिया को बारीबारी से दोनों पैरों के साथ दोहराते रहें.काल्फइस में घुटने से नीचे का भाग होता है.

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सिंगल लैग काल्फ प्रैस : कमर को सीधा रखें. एक हाथ को बैंच के ऊपरी हिस्से पर सहारे के लिए रखें और दूसरे हाथ में डंबल को नीचे की तरफ पकड़ें. एक पैर को बैंच के फ्रेम में रखें. दूसरे पैर को नीचे लटकाएं. अब बिना हाथों का सहारा लिए पैर को जमीन पर रखें. फिर ऊपर की ओर खींचें. इस प्रक्रिया को बारीबारी दोहराते रहें. याद रहे, जिस तरफ के पैर को बैंच पर रखा है उसी तरफ के हाथ में डंबल भी पकड़ें.

सिटिड काल्प रेजेस : बैंच के किनारे पर पैरों को जमीन से 12 इंच ऊपर रख कर बैठें. डंबल्स को हाथों में पकड़े हुए ही थाइज पर रखें. पैरों की उंगलियों के सहारे से एडि़यों को ऊपर की तरफ उठाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.

डंबल्स के प्रकार

डंबल्स 3 प्रकार के होते हैं : प्लास्टिक डंबल्स, रबड़ डंबल्स और आयरन डंबल्स.प्लास्टिक और रबड़ के बने डंबल्स ज्यादा सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इन से किसी तरह की चोट लगने का खतरा नहीं होता है, जबकि आयरन डंबल्स ज्यादा प्रभावशाली होते हैं. आयरन डंबल्स में मैगनेटिक फील्ड होती है जो आप की मसल्स को बनाने में ज्यादा असरदार होती है.

पोषण

अच्छी बौडी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है. सभी युवा अपनी बौडी बनाना, मसल्स बनाना पसंद करते हैं. कुछ लोग मसल्स बनाने के लिए कसरत तो करते हैं, लेकिन पर्याप्त और सही खुराक नहीं लेते. नतीजतन, मसल्स तो बनतीं नहीं, उलटे, वे और दुबले हो जाते हैं.इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च, हैदराबाद के अनुसार, हर देश के लोगों का खानपान, बौडी स्ट्रक्चर अलगअलग होता है. इसलिए उन की क्षमताएं भी एकदूसरे से भिन्न होती हैं. अगर आप बौडी फिटनैस के लिए वर्कआउट करते हैं, तो आप की डाइट इस प्रकार होनी चाहिए.- अगर आप वर्कआउट के साथ अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आप को हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए.- अगर आप अपनी बौडी को मैंटेन रखना चाहते हैं तो आप को बैलेंस डाइट लेनी चाहिए. इस के लिए आप की डाइट में 50 से 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 10 से 15 फीसदी प्रोटीन और 25 से 30 फीसदी वसा होनी चाहिए.- अगर आप वर्कआउट से अपना वजन कम करना चाहते हैं, मसल्स और कर्व्स चाहते हैं, तो आप को लो कार्बोहाइड्रेट डाइट लेनी चाहिए.

4 टिप्स: ऐसे करें घर में एक्सरसाइज

बिजी लाइफस्टाइल के चलते हमारा वजन हमारे कंट्रोल में नही रहता अक्सर हम हेल्दी खाते हैं, लेकिन फिर भी हम अपना वजन कंट्रोल नही कर पाते. वहीं जिम जाने का टाइम भी हमारे पास नही रहता और अगर जिम चले भी जाएं तो खोखले दावे करते स्लिमिंग सेंटर हमारे पैसे बर्बाद कर देते हैं. आज हम आपको फिट व चुस्त रहने के कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं, जिन्हें आप घर में ही कर के आकर्षक दिखने का अपना सपना बिना इन सेंटरों में पैसे और समय गंवाए ही पूरा कर सकती हैं. ये एक्सरसाइज खासतौर पर उन अंगों के लिए बेहद असरदार हैं, जो या तो बढ़ती उम्र के कारण दुर्बल होने लगते हैं या फिर शरीर का भार बढ़ने के कारण फैलने लगते हैं जैसे – पेट, जांघें, बाजुओं का पिछला हिस्सा व कमर आदि. इन व्यायामों के जरिए आप को निश्चय ही बेहतरीन परिणाम मिलेंगे.

1. टखनों व पिंडलियों यानी घुटनों के लिए एक्सरसाइज

थोड़ी सी जौगिंग या स्किपिंग से वार्म होने के बाद सब से पहले टखनों व पिंडलियों के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए. इस के लिए एक कुरसी के किनारे बैठ जाएं. घुटने एकसाथ जोड़ लें. पैरों के बीच की दूरी डेढ़ फुट हो. ध्यान रहे, पंजे अंदर की ओर इशारा करते हुए हों. अब पंजों को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाएं, फिर नीचे लाएं. इसे 16 बार दोहराएं. अब पैरों को बाहर की ओर मोड़ते हुए घुटने मिला कर पैरों में फासला रखते हुए एक बार फिर 16 बार उठाएं. अंत में एडि़यों को जमीन पर जमाते हुए दोनों पैरों को जमीन के साथ रगड़ते हुए अंदर की ओर लाएं. अब पांवों को स्वीप करते हुए बाहर की ओर लाएं और दोबारा उठाएं. इसे 16 बार दोहराएं.

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2. सपाट पेट व कमर को सही आकार

पीठ के बल लेट जाएं व हाथों को सिर के पीछे ले जाएं. टांगें मोड़ते हुए पैरों के तलवों से जमीन पर दबाव डालें, ताकि दोनों टांगों के बीच कुछ फासला आ जाए. अब बाईं कुहनी को ऊपर की ओर उठाएं व दाएं घुटने की तरफ झुकें, फिर वापस जाएं. इसे 12 बार दोहराएं. अब दाएं पांव को जमीन से 2 इंच ऊपर उठाएं और बाईं कुहनी को दाएं घुटने की तरफ सामने 16 बार लाएं. अब इन व्यायामों को दूसरी तरफ से दोहराएं. पीठ के बल लेट जाएं. दोनों टांगों को ऊपर की ओर उठा कर घुटनों से ऊपर व नीचे के भाग को 90 डिग्री पर आपस में जोड़ लें. टखनों को क्रास कर लें तथा घुटनों के बीच करीब आधा इंच का फासला रखें. अब धीरेधीरे शरीर के निचले हिस्से को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाने का प्रयास करें. सर्वोत्तम परिणाम के लिए पेट को एक्सरसाइज के दौरान अंदर ही रखें.

3. जांघों की मजबूती के लिए एक्सरसाइज

सब से पहले बाईं तरफ करवट ले कर लेट जाएं, शरीर के ऊपरी हिस्से को कुहनी पर टिकाते हुए. अब दाईं टांग को इस तरह मोड़ें जिस से कि घुटना ऊपर की तरफ इशारा करता हुआ हो. अब पेट अंदर की तरफ रखते हुए दाएं पांव को हलके मुड़े घुटने के पीछे ले आएं. ध्यान रहे कि बायां पांव छत की तरफ इशारा करता हुआ हो. बाईं टांग को काफी ऊंचा उठाएं. इसे 24 बार दोहराएं. अब दूसरी तरफ से इसे करें.

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4. ऊपरी बाजू के लिए एक्सरसाइज

ऊपरी बाजू में पहले जैसा खिंचाव व सही शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है. कुरसी के किनारे बैठ जाएं व दोनों हाथों से कुरसी के किनारे थाम लें. कुरसी पर बैठेबैठे ही इस प्रकार आगे की तरफ तब तक बढ़ें, जब तक कि केवल आप के हाथ  ही कुरसी पर टिकें रहें जाएं. अब धीरेधीरे शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर व नीचे ले जाएं, बाजुओं को मोड़ते व सीधा करते हुए इसे 12 बार दोहराएं. आप इन एक्सरसाइज की मात्रा और समय धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं. घर पर नियमित रूप से इन्हें करने पर आप का नत, मन व धन तीनों स्वस्थ और सुडौल रेगे.

19 दिन 19 टिप्स: बस 5 मिनट का फेस वर्कआउट और हमेशा दिखें जवान

आपका चेहरा आपको ही खुश नहीं रखता  बल्कि सामने वाले को भी खुश रखता है क्युकी आपके चेहरे  की सकारात्मक ऊर्जा आपके आस पास के  लोगो को भी ऊर्जा प्रदान करता है .आज कल हर कोई चाहता है की वो 50 की उम्र में भी जवान दिखे. जिसके लिये महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल  करता है. लेकिन कभी उसका साइड इफेक्ट हो  जाता है, तो कभी उसकी किम्मत हमारी खूबसूरती के आड़े आ जाती है ऐसे मे फेस योगा सब से अच्छा है . फेस योगा गुरु मानसी गुलाटी का मानना है की फेस योगा  हमें सिर्फ 5 मिनट मे खूबसूरत बना सकता  है.  और बिना किसी कौस्मेटिक के वो प्राकृतिक रूप से सुन्दर दिख सकता है.

क्या है फेस योगा

फेस योगा एक तरह से  चहेरे  का व्यायाम है जिससे आप के अंदर खून का संचार अच्छा होता है और आपके खून बंनने के सेल्स को बढाता है.हमारे चेहरे पर 57 मस्सल्स होती  हैं . इससे चेहरे  की त्वचा को कसाव मिलता है और चेहरे  की मस्सल्स एक्टिव होती है . फेस योगा के लिये कोई बड़ी किम्मत नहीं चुकानी , न ही आपको भूखे रहकर योगा करना होगा और न ही समय की बंदिश  है. आप जब चाहे फेस योगा  5 -10 मिनट के लिये कर सकते है.

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 क्या हैं फायदे :

डायबिटीज, बीपी, थाइरोइड  जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है.

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की वजह से खून की कमी हो जाती है तो उनके लिये फेस योगा वरदान है क्युकी फेस योगा से खून बनने के सेल्स बढ़ते है .

पुरषों के पास समय का आभाव रहता है लेकिन अगर वो फेस योगा करते हैं तो खुद को हैंडसम  तो बना ही सकते हैं, साथ मे काम में भी एक्टिव दिख सकते है.

कई बार सुबह मे हमारा चेहरा सूज जाता है जोकि सैचुरेटेड फैट जमा होने की वजह से होता  है इसके लिए फेस योगा करे और हर आधे घंटे मे पानी का सेवन करे, पानी ज्यादा पीने से हमारा वजन भी कम होता है ओर 2 -3 दिन  मे सूजन से छुटकारा दिलाता है. फेस योगा से गुस्से को भी काबू किया जा सकता है  .

तो चलिये जानते है कैसे करें फेस योगा:

बैलून  पोज इस योगा को करने से हमारे  खून के  संचार मे सुधार होता है चेहरे पर पिम्पल्स की समस्या खत्म होती है इसके लिये अपने गालों मे हवा भरे और अपनी 2 उंगलियों को होठो पर रखें, 10 सेकंड के लिये इसी क्रिया में रहें और 5 बार इसी क्रिया  को दोहराए .

मछली की तरह फेस योगा : आपके गालों की मांसपेशियों को स्ट्रेच और टोन करने में मदद करता है साथ ही अपने गालों को उभरा हुआ और flabby बनाता है. इसके लिए गालों को मुंह के अंदर खींचे और अपने होंठों से टौफ़ी बनाएं. इस क्रिया को 3  बार दोहराएं .

चेहरे की  लाइन्स को करे कम : अपनी उंगलियों को  दोनों आईब्रो के बीच मे माथे पर रखे, हल्के हाथ से प्रेस करते हुए आंखों के कोनो तक लाये और फिर अपनी एक ऊंगली से बंद आंखों पर पुतलियों को घुमाये इस क्रिया को 3 बार करे इसे छुरियां भी खत्म  होती है और मइग्रेन की समस्या से भी छुटकारा मिलता है . और नींद भी अच्छी आती है.

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आंखों के पास की झुरियां और काले घेरे:  आंखों के पास की झुरियां और काले घेरे खत्म करने के लिये अपने हाथों की दो उंगलियों के बीच मे आंखों को रखे और अपनी गर्दन को ऊपर की और करते हुए आंखों को भी ऊपर की तरफ करे , फिर अपनी आंखों को निचे की तरफ करते हुए थोड़ी देर के लिये बंद रखें . इसे भी 3 बार करें. इससे आंखों के नीचे  के घेरे भी खत्म होंगे.

डबल चिन: होठों को अंदर की तरफ करते हुए ऊपर की ओर  देखे और गर्दन को पीछे की तरफ करे .

थायरौइड करे खत्म: होठों को अंदर की तरफ करते हुए गर्दन को ऊपर करे और गले के बीच मे थायरॉइड  ग्लैंड होता है उसे प्रेस करे, इस क्रिया को 3-4 बार करे तो थाइरोइड भी खत्म होगा और डबल चिन की समस्या से मुक्ति मिलेगी.

गुस्से पर करे  काबू: गहरी सांस भरते हुए अपने  माथे की लाइन्स को सुकोड़े 10 -15  सेकंड बाद मुंह से हवा छोड़ दे तो आपका गुस्सा फुर से उड़ जायेगा .

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