लेख-मृदुला भारद्वाज
हर युवा चाहता है कि देखने में उस की बौडी फिट लगे यानी उभरी हुई मसल्स हों. डंबल्स से आप अपनी यह इच्छा पूरी कर सकते हैं. कमर, थाइज और बांहें वजन बढ़ने की सूचना तब देती हैं जब आप का शरीर बेडौल हो चुका होता है. हैवी डाइट लेने और वर्कआउट न करने के कारण यह सब होता है. हर कोई चाहता है कि वह फिट ऐंड फाइन नजर आए, खासकर युवाओं में तो अपने मसल्स और कर्व्स को ले कर कुछ ज्यादा ही क्रेज होता है. हर युवा की तमन्ना होती है कि फिट बौडी के साथ उस के मसल्स भी उभरे हुए हों और उस की बौडी में कर्व्स भी दिखें.मसल्स बनाने का जनून आज लगभग हर युवा पर सवार है और अब तो युवतियां भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गई हैं.
युवतियां भी अपनी बौडी में अब मसल्स और कर्व्स चाहती हैं.मसल्स और कर्व्स बनाने के लिए वैसे तो जिम में बहुत से उपकरण हैं जो बेहद आधुनिक हैं, लेकिन आज भी एक ऐसा उपकरण है जो बहुत पुराने जमाने से चला आ रहा है. वह उपकरण है डंबल. डंबल आज भी फिट बौडी चाहने वालों के फिटनैस मंत्र का अहम हिस्सा है. जिम के अत्याधुनिक उपकरणों के बावजूद डंबल्स में आज भी इतनी क्षमता है कि वे आप के मसल्स भी बना सकते हैं और आप की बौडी को कर्व्स भी दे सकते हैं.वैसे तो डंबल्स को सिर्फ हाथों के व्यायाम करने का एक उपकरण माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. डंबल्स से आप अपने पूरे शरीर का व्यायाम भी कर सकते हैं और शरीर के किसी भी भाग की मसल्स को भी बिल्डअप कर सकते हैं.
आर एम टैस्ट
लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एजुकेशन ऐंड वैलफेयर सोसाइटी के डिप्टी डायरैक्टर (औपरेशंस) डा. दीपक डोगरा के अनुसार, डंबल्स व्यायाम करने के लिए एक टैस्ट किया जाना बहुत जरूरी है. यह टैस्ट ही बताता है कि कितने भार के डंबल्स के साथ व्यायाम करना आप के लिए सही है. इसे आर एम टैस्ट कहते हैं. यह रिपिटेशन टैस्ट होता है. इस में देखते हैं कि व्यक्ति एक बार में कितना भार अधिकतम उठा पाता है. यह प्रक्रिया लगभग 5 बार दोहराई जाती है. जो भार आप एक बार में उठाते हैं वह आप की 100 प्रतिशत इंटैनसिटी है. वजन बढ़ाने के लिए डंबल व्यायाम को 3 से 6 सैट में करना चाहिए.यदि आप अपना वजन कम करना और मसल्स को शेप और कर्व्स देना चाहते हैं, तो आप का रिपिटेशन एवरेज 61 से 70 फीसदी कम होना चाहिए और सैट 15 से ज्यादा नहीं होने चाहिए.अगर आप घर पर ही डंबल व्यायाम करते हैं तो 2 से 4 सैट हफ्ते में 4 बार एक दिन छोड़ कर करें, लेकिन इस के लिए आप पहले दिन अपर बौडी, दूसरे दिन लोअर बौडी का व्यायाम करें.
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डंबल्स व्यायाम से पहले
किसी भी वर्कआउट को करने के कुछ नियम होते हैं. चाहे आप घर में कसरत करें या जिम में, आप को नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए, तभी आप फिट बौडी और मसल्स बना पाएंगे. वर्कआउट के लिए पुश ऐंड पुल के सिद्धांत को अपनाया जाता है. कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले जरूरी होता है वौर्मआप. इस के बाद आप डंबल्स के साथ कोर असिस्टैंस करें.डा. दीपक डोगरा का कहना है कि डंबल्स का इस्तेमाल मुख्यतया संतुलन और सामंजस्य के लिए किया जाता है. हमारे शरीर का एक हाथ दूसरे हाथ से अधिक ताकतवर होता है. अगर आप दाहिने हाथ से काम करते हैं तो आप के दाहिने हाथ में बाएं हाथ से ज्यादा स्ट्रैंथ होती है. डंबल्स हमारी इस स्ट्रैंथ को दोनों हाथों में बराबर करता है, ताकि बाकी उपकरणों पर कसरत करने में हमें इस परेशानी का सामना न करना पड़े. इस के साथ ही डंबल्स हमारी कोर और असिस्टैंस मसल्स को डैवलप करता है.
विभिन्न डंबल्स व्यायाम
डा. दीपक डोगरा का कहना है कि डंबल्स के साथसाथ आप अपनी पूरी बौडी के मसल्स और कर्व्स बना सकते हैं. इस के लिए शरीर के हर भाग की डंबल्स के साथ एक अलग कसरत होती है.
छाती
छाती के व्यायाम में आप की छाती मुख्य मसल होती है, जबकि कंधे और ट्राइसैप्स मददगार मसल्स के रूप में काम करती हैं.
डीबी बेंचप्रैस : आप बैंच पर लेट कर डंबल्स को प्लैट, ऊपर की तरफ और नीचे की तरफ ले जाएं.
डीबी फ्लाइस : इस में आप बैंच पर लेट कर डंबल्स ले कर हाथों को छाती की सीध में लाएं, फिर दोनों हाथों को खोलें.कंधेकंधे का व्यायाम करते वक्त ध्यान रखें कि पहले कम वजन ही उठाएं. इस से चोट लगने का खतरा कम रहता है. यदि आप की किसी तरह की शोल्डर इंजरी हो तो आप यह व्यायाम न करें.
डीबी प्रैस : बैंच पर बैठ कर थाई की सहायता से एकएक कर के डंबल को कंधे के ऊपर उठाएं. अब एक हाथ को ऊपर की तरफ ले जाएं, उसे नीचे दोबारा कंधे के ऊपर रखें. अब दूसरे हाथ के साथ यही प्रक्रिया फिर से दोहराएं.
डीबी साइड लेटरल : दोनों हाथों में डंबल्स नीचे की तरफ पकड़ें. अब एकसाथ दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं. हाथों को कंधे की सीध में ले जाएं. इस में हाथों को शरीर के दोनों साइड्स की तरफ ले जाते हैं.
डोबी फ्रंट लेटरल : दोनों हाथों में डंबल्स नीचे की तरफ पकड़ें. अब एक हाथ को सामने की तरफ कंधे की सीध में उठाएं, फिर वापस नीचे की ओर ले जाएं. इसी तरह दूसरे हाथ की कसरत करें. इस प्रक्रिया को बारीबारी दोहराएं.ट्राइसैप्सकुहनी से ऊपर का भाग ट्राइसैप्स होता है.
टू आर्म्स ट्राइसैप्स एक्सटैंशन : दोनों हाथों में एक ही डंबल पकड़ें. अब हाथ को सिर के ऊपर ले जाएं. अब कुहनियों को मोड़ते हुए हाथों को सिर के पीछे की तरफ ले जाएं. कुछ देर रुकें, फिर दोबारा हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराएं.
वन आर्म ट्राइसैप्स एक्सटैंशन : टू आर्म्स ट्राइसैप्स एक्सटैंशन की प्रक्रिया को ही एक हाथ से करें.
ट्राइसैप्स किकबैक : अपने एक हाथ और एक घुटने को बैंच पर रखें. दूसरे हाथ में डंबल पकड़ें. डंबल वाले हाथ को पीछे की तरफ धकेलें. थोड़ी देर रुकने के बाद उसी पहले वाली अवस्था में आ जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.बेंट ओवर वन आर्म ट्राइसैप एक्सटैंशन: एक बैंच पर बैठें. पेट के बल मुड़ जाएं. एक हाथ में डंबल पकड़ें और हाथ को पीछे की तरफ 90 डिग्री तक ले जाएं. थोड़ी देर रुकें और दोबारा पोजिशन की अवस्था में आ जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराएं.
लेइंग ट्राइसेप एक्सटैंशन : पीठ के बल बैंच पर लेट जाएं. अब दोनों हाथों से एक डंबल पकड़ें. हाथों को सामने की ओर ले जाएं. अब डंबल को सिर के ऊपर की तरफ ले जाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.
बाईसैप्सबाइसेप्स ऊपरी बांह की मसल्स को कहते हैं.
डेक्लाइन सिटिड बाइसैप कर्ल्स : बैंच 45 डिग्री के एंगल के अनुसार हो. दोनों तरफ हाथों में डंबल्स पकड़ें. कुहनियों को अपने शरीर के निकट लाएं. कुहनी को मोड़ते हुए वजन को ऊपर की तरफ उठाएं. इस प्रक्रिया को बारीबारी एकएक हाथ से दोहराएं.
हैमर कर्ल्स : डंबल्स को दोनों हाथों में अलगअलग पकड़ कर सीधे खड़े हो जाएं. कुहनी को मोड़ते हुए हाथों को मुंह के सामने लाएं. इस प्रक्रिया को एकएक हाथ से बारीबारी से करें.
प्रिएचर कर्ल्स : बैंच को 45 डिग्री के ऐंगल पर सैट करें. कमर को हलका सा कर्ल दें. एक हाथ में डंबल पकड़ कर आराम से बैंच पर पीठ रखें. अब डंबल वाले हाथ को नीचे से चेहरे की तरफ ले जाएं. इसी तरह थोड़ा रुक कर प्रक्रिया को दोहराते रहें.
कंसंट्रेशन कर्ल्स : एक बैंच पर बैठ जाएं और पैरों को जमीन पर सीधा रखें. एक हाथ को थाई पर रखें, ठीक घुटने के ऊपर. अब नीचे की तरफ दूसरे हाथ में डंबल पकड़ें. अब डंबल वाले हाथ को ऊपर की तरफ चेहरे के सामने लाएं. अपनी कमर को वेट उठाते समय न घुमाएं. इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें.पीठ का व्यायाम
डेड लिफ्ट्स : सीधे खड़े हों. अब लोअर बैक और घुटनों को मोड़ कर वेट उठाएं. कमर को सीधा रखें. पूरी प्रक्रिया के दौरान आप का सिर ऊपर की ओर रहेगा. इसे दोहराएं.
सिंगल आर्म रा : बैंच पर एक घुटना और एक हाथ रखें. एक हाथ में डंबल पकड़ें. अब उस बाजू को ऊपर की तरफ खींचें. इसी प्रक्रिया को दोहराते रहें. वन आर्म ऐक्सरसाइज में दूसरे हाथ से भी उतनी ही ऐक्सरसाइज करें.पैरपैर के व्यायाम में अपर थाई, लोअर थाई और इनर थाई शामिल होती हैं.
हाफ स्क्वैट : दोनों हाथों में एकाएक डंबल नीचे की तरफ पकड़ें. अब अपनी थाइज को मोड़ते हुए नीचे की तरफ बैठें. कमर को सीधा रखें. सिर को ऊपर रखें. जिस तरह उठकबैठक होती है, इसे बिलकुल उसी तरह करें.
डंबल लंज्स : दोनों तरफ हाथों में नीचे की ओर डंबल पकड़ें. एक पैर को आगे की तरफ 2 फुट बढ़ाएं और घुटने को 90 डिग्री के ऐंगल पर मोड़ें. जब आप अपने पैर को मोड़ें तो आप का घुटना फर्श को छूना चाहिए. आगे के पैर को धकेलते हुए पहली वाली अवस्था में वापस आ जाएं. अब ऐसा ही दूसरे पैर के साथ करें. इसी प्रक्रिया को बारीबारी से दोनों पैरों के साथ दोहराते रहें.काल्फइस में घुटने से नीचे का भाग होता है.
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सिंगल लैग काल्फ प्रैस : कमर को सीधा रखें. एक हाथ को बैंच के ऊपरी हिस्से पर सहारे के लिए रखें और दूसरे हाथ में डंबल को नीचे की तरफ पकड़ें. एक पैर को बैंच के फ्रेम में रखें. दूसरे पैर को नीचे लटकाएं. अब बिना हाथों का सहारा लिए पैर को जमीन पर रखें. फिर ऊपर की ओर खींचें. इस प्रक्रिया को बारीबारी दोहराते रहें. याद रहे, जिस तरफ के पैर को बैंच पर रखा है उसी तरफ के हाथ में डंबल भी पकड़ें.
सिटिड काल्प रेजेस : बैंच के किनारे पर पैरों को जमीन से 12 इंच ऊपर रख कर बैठें. डंबल्स को हाथों में पकड़े हुए ही थाइज पर रखें. पैरों की उंगलियों के सहारे से एडि़यों को ऊपर की तरफ उठाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते रहें.
डंबल्स के प्रकार
डंबल्स 3 प्रकार के होते हैं : प्लास्टिक डंबल्स, रबड़ डंबल्स और आयरन डंबल्स.प्लास्टिक और रबड़ के बने डंबल्स ज्यादा सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इन से किसी तरह की चोट लगने का खतरा नहीं होता है, जबकि आयरन डंबल्स ज्यादा प्रभावशाली होते हैं. आयरन डंबल्स में मैगनेटिक फील्ड होती है जो आप की मसल्स को बनाने में ज्यादा असरदार होती है.
पोषण
अच्छी बौडी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है. सभी युवा अपनी बौडी बनाना, मसल्स बनाना पसंद करते हैं. कुछ लोग मसल्स बनाने के लिए कसरत तो करते हैं, लेकिन पर्याप्त और सही खुराक नहीं लेते. नतीजतन, मसल्स तो बनतीं नहीं, उलटे, वे और दुबले हो जाते हैं.इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च, हैदराबाद के अनुसार, हर देश के लोगों का खानपान, बौडी स्ट्रक्चर अलगअलग होता है. इसलिए उन की क्षमताएं भी एकदूसरे से भिन्न होती हैं. अगर आप बौडी फिटनैस के लिए वर्कआउट करते हैं, तो आप की डाइट इस प्रकार होनी चाहिए.- अगर आप वर्कआउट के साथ अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आप को हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए.- अगर आप अपनी बौडी को मैंटेन रखना चाहते हैं तो आप को बैलेंस डाइट लेनी चाहिए. इस के लिए आप की डाइट में 50 से 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 10 से 15 फीसदी प्रोटीन और 25 से 30 फीसदी वसा होनी चाहिए.- अगर आप वर्कआउट से अपना वजन कम करना चाहते हैं, मसल्स और कर्व्स चाहते हैं, तो आप को लो कार्बोहाइड्रेट डाइट लेनी चाहिए.