बेबी की पोषण से जुुड़ी जरुरतों के लिए मां के दूध की मात्रा कैसे बढ़ाएं?

मां के लिए अपने बेबी को ब्रैस्टफीडिंग कराना दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है. जो मां तथा बेबी दोनों के लिए ही आपार स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के रूप में जाना गया है. आपके बेबी के लिए मां का दूध जीवन के पहले छह महीनों में आवश्यक माना जाता है क्यूंकि इसमें सभी महत्वपूर्ण पोषण होते हैं. साथ ही इसमें बीमारियों से लड़ने के लिए कई आवश्यक तत्व होते हैं जो आपके बेबी के स्वास्थ्य को समस्याओं से बचने में मदद करते हैं. इसके आलावा इसमें एंटीबाॅडिज भी होते हैं जो आपके बच्चे को वायरस तथा बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं.

बेबी स्वास्थ्य के लिए मां का दूध है सर्वोत्तम आहार-

बेबी के जीवन के पहले छह महीनों के लिए उसकी समस्त पोषण आवश्यकताओं के लिए मां का दूध सर्वोत्तम होता है. आपका बेबी ज्यादा से ज्यादा पोषण प्राप्त करें, इसके लिए यह आवश्यक है कि जन्म के तुरंत बाद से लेकर कम से कम छह महीने तक जबतक कि बेबी को अन्य आहार देना न शुरू कर दिया जाए, केवल मां का दूध ही दिया जाए.

डॉ अरुणा कालरा, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ बता रही हैं स्तन दूध की मात्रा बढ़ाने के खास उपाय.

बहुत सी महिलाओं को कई बार ऐसा लगता है की वे स्तन दूध का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पा रही हैं. एक नयी माँ के लिए ऐसा महसूस करना बहुत ही आम बात है. हालाँकि ऐसी बहुत ही काम महिलाएं होती हैं जो ज़्यादा स्तन दूध का उत्पादन नहीं कर पाती परन्तु यदि आपको लगता है की आप भी उनमे से एक हैं तो आप घबरायें नहीं. ऐसे कुछ बहुत ही आसान तरीकें हैं जिनसे आप अपने स्तन दूध की मात्रा बढ़ा सकती हैं.

आपके स्तन के दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जो आप अपना सकती हैं.

आपके दूध की आपूर्ति को बढ़ाने में कितना समय लगेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी आपूर्ति की शुरुआत कितनी कम है और आपके कम स्तन दूध के उत्पादन की क्या वजह है. यदि ये तरीके आपके लिए काम करते हैं तो आप स्तन दूध कुछ ही दिनों में बढ़ने लगेगा.

1. बेबी को एक दिन में थोड़ा अधिक बार ब्रैस्टफीडिंग कराएं-

जब आप अपने बेबी को ब्रैस्टफीडिंग कराती हैं तब आपके शरीर में स्तन दूध बढ़ाने वाले होर्मोनेस रिलीज़ होते हैं. आप जितना अधिक ब्रैस्टफीडिंग करवाएंगी उतने अधिक आपके शरीर में ये होर्मोनेस रिलीज़ होंगे और आपके स्तन दूध की मात्रा बढ़ाएंगे.

2. पंप का इस्तेमाल-

ब्रैस्टफीडिंग करने के बीच के समय में पंप का इस्तेमाल करके स्तन दूध निकाले. ऐसा जाना जाता है कि ब्रैस्ट पंप के इस्तेमाल से स्तन दूध निकालने से आपके स्तन दूध की मात्रा बढ़ती है. जब भी आपको लगे की ब्रैस्टफीडिंग करवाने के बाद भी आपके स्तन में दूध बचा है या बेबी किसी कारणवश ब्रैस्टफीडिंग नहीं कर पाया है तब आप पंप का इस्तेमाल करके स्तन दूध निकाल लें.

3. दोनों स्तन से बेबी को ब्रैस्टफीडिंग करवाएं-

बेबी को पहले एक स्तन से ब्रैस्टफीडिंग करवाएं और जब वह दूध पीना काम कर दे  या रुक जाये तो उसे दूसरे स्तन से ब्रैस्टफीडिंग करवाएं. दोनों स्तन से ब्रैस्टफीडिंग करवाने से आपके स्तन दूध की मात्रा बढ़ती है.

4. दूध की मात्रा बढ़ाने वाला खाना खाएं-

निम्नलिखित कुछ ऐसे खाने कि चीज़ें हैं जिससे आपके स्तन दूध की मात्रा बढ़ सकती है. जैसे की-

–  मेथी

– लहसुन

– अदरक

– सौंफ

– ओट्स

– जीरा

– धनिया

– छुआरा

– पपीता, आदि.

जब भी आपको लगे कि इन् सब तरीकों से आपका स्तन दूध नहीं बढ़ पा रहा है तो आप अपने चिकित्सक की सलाह लीजिये.

एक्सपर्ट एडवाइस से दूर करें पुरुष बांझपन से जुड़ा कलंक

आइए उन लोगों की मदद करें जो “पिता बनना चाह रहे हैं’’ और बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं. बांझपन की समस्या वर्षों से एक चिंता का विषय रही है. यह दुनिया भर में 8-12% जोड़ों को प्रभावित करती है. सभी बांझपन के मामलों में, लगभग 40-50% मामले पुरुष बांझपन के कारण होते हैं. संतान सुख के लिए मां और पिता दोनों की प्रजनन क्षमता (fertility)अच्छी होनी चाहिए अगर दोनों में से किसी एक की फर्टीलिटी कमजोर होती है, तो बच्चे को जन्म देने में परेशानी आ सकती है. इसलिए  मां के साथ-साथ पिता को भी अपनी फर्टिलिटी पर ध्यान दे कर तुरंत इलाज करवाने की आवश्यकता होती है ताकि समय रहते सही इलाज किया जा सके.

फर्टिलिटी कंसल्टेंट, दिल्ली एनसीआर, नोवा साउथएंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी  की डॉ अस्वती नैर, बता रही हैं पुरुष बांझपन से जुड़े कलंक को दूर करने के बेहतर उपाय.

पुरूष बांझपन

दशकों पहले, बांझपन (इनफर्टिलिटी) को हमेशा एक ऐसे रूप में देखा जाता था जो कभी भी पुरुषों से संबंधित नहीं थी. हालांकि, समय बीतने के साथ इंसानी शिक्षा ने अपने सबसे तेज समय में इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया कि बांझपन पुरुषों से भी संबंधित है. हमारी सांस्कृतिक समझ में हमेशा से यह धारणा रही है कि पुरुष की वीरता हमेशा उसकी उर्वरता से मापी जाती है. एक बार यह साबित हो जाए कि वह बांझपन से पीड़ित है, तो उसकी वीरता नगण्य हो जाती है. हालांकि, बहुत से पुरुष अपनी स्थिति के बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और अपनी समस्याओं के बारे में बात करने का साहस खो देते हैं, इस डर से कि समाज उन्हें “अपमान”, “कलंकित”, “कमजोर”, “अयोग्य” के प्रतीक के रूप में चिन्हित करेगा. यह अभी भी पुरुषों के लिए सार्वजनिक रूप से बात करने के लिए एक वर्जना बना हुआ है.

पुरुष आम तौर पर इस मामले में पीछे हट जाते हैं और इसे लेकर किए जाने वाले टेस्ट या जांच को लेकर हिचकिचाते हैं क्योंकि बांझपन विशेष रूप से पुरुषों का बांझपन अपने साथ कई सारे लांछनों को लेकर आता है. इसके अलावा इन मुद्दों को अक्सर यौन मुद्दों से जोड़कर भ्रम की स्थिति फैलाई जाती है. यह निदान और बांझपन का इलाज चाहने वाले पुरुषों को हतोत्साहित करता है. इसलिए पुरुष बांझपन की बात केवल तभी सामने आती है, जब दंपत्ति बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे होते हैं.

बांझपन का कारण-

बांझपन का मुख्य कारण खराब शुक्राणु गतिशीलता या शुक्राणुओं की कम संख्या है. एक शुक्राणु की कार्यशीलता कई समस्याओँ से प्रभावित होती है, जिसमें हार्मोन और पिट्यूटरी समस्याओं के साथ-साथ पर्यावरणीय स्तर पर कई अन्य कारक शामिल हैं, जिसमें हमारी रोजाना की पेशेवर जिंदगी और निजी जिंदगी है और हमारे आस-पास की परिस्थितियां हैं.

अनुवांशिक कारण

इसके अलावा, अनुवांशिक कारणों से भी बांझपन की समस्या हो सकती है. उम्र, मोटापा और नशीली दवाओं और शराब का सेवन, लैपटॉप और मोबाइल फोन से विकिरण और धूम्रपान कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जो बांझपन का कारण बनते हैं.

पुरुष बांझपन का इलाज-

पुरुष बांझपन के निदान में प्रजनन इतिहास और शुक्राणु विश्लेषण का प्रारंभिक मूल्यांकन महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं. पुरुषों के लिए यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि वे आगे आएं और अपनी प्रजनन क्षमता का परीक्षण करवाएं और डॉक्टरों से इसके बारे में बात करें. इनमें से अधिकांश समस्याओं का इलाज बिना सर्जिकल उपचार के किया जा सकता है. जबकि कुछ को सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है. पुरुषों में बांझपन के इलाज की कुछ तकनीकों में इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन, आईवीएफ और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन शामिल हैं.

डाइट में शामिल करें एंटीऑक्सीडेंट और कुशल विटामिन सप्लीमेंट-

एक सक्रिय, लाभकारी जीवन शैली को बनाए रखने के लिए संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिजों से युक्त भोजन का उचित सेवन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. भोजन में पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट और कुशल विटामिन सप्लीमेंट शामिल करना सुनिश्चित करने से प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है.

पुरुष बांझपन से जुड़े ‘लांछनों’ को कम करने के उपाय-

इस दुनिया में हर समस्या का एक समाधान होता है और उन सभी समस्याओं का समाधान केवल उसके पास आकर और उसके बारे में बात करने से ही होता है. सबसे पहले पुरुष बांझपन के बारे में चर्चा शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है. सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सरकार और आम जनता को शामिल करते हुए इस दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है. जानकारी साझा करने की प्रक्रिया इस मामले में बेहद मददगार हो सकती हैं. कई महिला सार्वजनिक हस्तियां, विशेष रूप से मशहूर हस्तियां, सामने आ रही हैं और खुले तौर पर अपने प्रजनन मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं, जिससे कई संघर्षरत लोगों को प्रेरणा मिली है. हालांकि, पुरुष बांझपन अभी भी एक वर्जित विषय है, जिसे बदलने की जरूरत है। यह तभी हो सकता है जब मुख्य धारा की मीडिया में प्रजनन या फर्टिलिटी चर्चा का विषय बने. लांछनों को उखाड़ फेंकना चाहिए और इसके बारे में बात और चर्चा करते हुए सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषयों में से एक को संबोधित करना चाहिए.

संस्कृति के कारण पैदा हुए इस संवेदनशील मुद्दे पर तथाकथित “शर्म” एक बेहद मजबूत बाधा है, जिसे दूर करने की आवश्यकता है। लेकिन सामूहिक प्रयासों और सकारात्मक रणनीति के साथ, हम एक समाज के रूप में इस विचार को  बदलने की शक्ति रखते है. जन्म देना और पिता बनना हर आदमी के जीवन की एक प्रमुख उपलब्धि होती है.

उज्ज्वल, बेहतर भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करना-

जब पुरुष बांझपन के मुद्दों के लिए चिकित्सकीय सलाह लेने का साहस जुटाते हैं, तो यह स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की जिम्मेदारी है कि वे सरल और आसानी से उपलब्ध देखभाल प्रदान करें. रोगियों के लिए एक स्वागत योग्य वातावरण तैयार करना और अधिक समझदार व पारदर्शी होना इस मामले में महत्वपूर्ण  हैं.

पुरुष बांझपन के कारणों और परिणामों के बारे में समझ की कमी के कारण, स्वास्थ्य पेशेवरों को समस्या की व्याख्या करनी चाहिए, संभावित उपचार विकल्प निर्धारित करना चाहिए, मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करनी चाहिए, और जीवनशैली में बदलाव, आहार और व्यायाम के माध्यम से गर्भधारण की संभावनाओं को बेहतर बनाने के तरीकों को साझा करना चाहिए. यह अन्य पुरुषों को मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उन्हें इस मामले में आगे बढ़ने से भयभीत होने से रोकेगा, जिससे बेहतर और उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा.

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Breast Cancer: स्थिति, लक्षण और उपचार जानकर इस तरह रहें सुरक्षित

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) हॉर्मोन, व्यवहार और पर्यावरण संबंधी अलग-अलग तरह के घटकों से जुड़ा रहा है. ब्रेस्ट कैंसर होने का सबसे संभावित कारण है व्यक्ति के जेनेटिक कोड और उनके आस-पास के परिवेश के बीच जटिल अंतःक्रिया. ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे प्रमुख कैंसर में से एक है. भारतीय महिलाओं को होने वाले सभी प्रकार के कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात 14% है. भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में से 60% कैंसर के बाद जीवित रहते हैं.

डॉ. मंजू गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट और प्रसूति विशेषज्ञ बता रहीं है ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और उपचार.

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

1. लिंग के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की आशंका अधिक रहती है.

2. हमारी आयु की अवस्था से हमारे शरीर में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम का काफी कुछ पता चलता है.

3. परिवार में ब्रेस्ट कैंसर होने का इतिहास या कोई वंशानुगत जीन जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है.

4. बहुत ज्यादा विकिरण (रेडिएशन) के संपर्क में रहने से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.

5. अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखना और मोटा होने से ब्रेस्ट कैंसर का आपका खतरा बढ़ जाता है.

6. अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) से ब्रेस्ट कैंसर का आपका जोखिम बढ़ जाता है.

7. रजोनिवृत्ति पश्चात हॉर्मोन थेरेपी. रजोनिवृत्ति के संकेतों और लक्षणों के उपचार के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के संयोजन के साथ हॉर्मोन थेरेपी चिकित्सा कराने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है.

ब्रेस्ट कैंसर के अनेक रूप होते हैं, लेकिन डक्टल कार्सिनोमा सबसे अधिक बार-बार होने वाला कैंसर है. ब्रेस्ट के निकट मिल्क डक्ट्स में उत्पन्न होने वाले ट्यूमर (गाँठ) को डक्टल कार्सिनोमा कहा जाता है. वे इनवेसिव या नॉन-इन्वासिव हो सकते हैं और उनमें शरीर के दूसरे हिस्सों में फ़ैल जाने की शक्ति होती है. कोई गाँठ, स्तन के आकार में बदलाव, या निप्पल के स्वरूप में बदलाव, ये सभी ब्रेस्ट कैंसर के प्रथम चरण के संकेत हैं, जो सबसे अधिक होता है. ट्यूमर निकालने की सर्जरी के बाद कैंसर की बची-खुची कोशिकाओं को मारने के लिए आम तौर पर रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) की जाती है.

दूसरे चरण में ब्रेस्ट कैंसर इतना बढ़ गया होता है कि यह शरीर के अन्य हिस्सों में फ़ैल जाता है. इस स्थिति में ट्यूमर को जितना संभव हो उतना काट कर निकालने के लिए सर्जरी, कैंसर के बची-खुची कोशिकाओं को मारने के लिए कीमोथेरेपी, और कैंसरग्रस्त उतकों को मारने के लिए रेडिएशन थेरेपी, ये सभी उपचार योजना के हिस्से हैं.

तीसरे चरण का ब्रेस्ट कैंसर प्राथमिक ट्यूमर के स्थान से बाहर जा चुका होता है और परम्परागत उपचार से इसके ठीक होने की संभावना कम होती है.

आस-पास के कुछ उतकों को निकालने के लिए सर्जरी, किसी बचे-खुचे कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करने के लिए रेडिएशन थेरेपी, और कोई अन्य विकल्प न होने पर कीमोथेरेपी, ये सभी संभावित उपचार हो सकते हैं.

उपचार

ब्रेस्ट कैंसर के हर मामले के लिए एक समान उपचार काम नहीं आता है, क्योंकि यह रोग की अवस्था, रोगी की उम्र, स्वास्थ्य का इतिहास, और अन्य घटकों के आधार पर अलग-अलग होता है. ब्रेस्ट कैंसर का पता चलने पर सम्बंधित रोगी के उपचार के लिए सर्जरी एक विकल्प है. उपचार के आधार पर अनेक प्रकार के ऑपरेशन उपलब्ध हैं. कुछ प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया में ब्रेस्ट को काट कर हटा दिया जाया है.

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) – ट्यूमर की कोशिकाओं को रेडिएशन से मार दिया जाता है.

कैंसर की कोशिकाओं के लिए कीमोथेरेपी एक औषधीय उपचार है जो उन्हें मार देता है. हालांकि, यह उपचार आम तौर पर अन्य उपचारों के साथ-साथ किया जाता है.

हॉर्मोन थेरेपी – हॉर्मोन थेरेपी की अनुशंसा उन लोगों के लिए की जाती है जिन्हें हॉर्मोन को लेकर संवेदनशील ब्रेस्ट कैंसर है. यह उपचार ख़ास हॉर्मोनों के संश्लेषण को रोक कर क्रिया करता है, जो कैंसर की वृद्धि को धीमा कर देता है.

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क्या महामारी ने बच्चों को सामाजिक रूप से असामान्य बना दिया है?

महामारी हमारी जिंदगी के सबसे मुश्किल वक्त में से एक रहा है. इसने सबकी जिंदगी को बहुत ही कठिन बना दिया और इस महामारी के दौरान जिन लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई, वो हैं हमारे बच्चे. इसकी वजह है उनके बेहद ही महत्वपूर्ण विकास में रुकावट आई. ना केवल वयस्कों को, बल्कि बच्चों को भी इसी मुश्किल दौर से होकर गुजरना पड़ रहा है. बच्चों के लिये बाहरी दुनिया से सामाजिक संपर्क बढ़ाने का यह शुरूआती दौर होता है, जिससे आगे चलकर उनमें बातचीत करने की कुशलता और समझदारी बढ़ती है. बच्चे अपने साथियों को देखकर व्यवहार करना सीखते हैं और उनसे बातचीत से हाव-भाव और तौर-तरीका सीखते हैं.

Dr Amit Gupta, Senior Consultant Paediatrician & Neonatologist, Motherhood Hospital, Noida  के अनुसार, एक बच्चे के विकास के शुरूआती चरणों में बहुत सारे सामाजिक संपर्क शामिल होने चाहिये, क्योंकि वे बच्चे के सकारात्मक विकास में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं. महामारी के दौरान, मुख्य रूप से बच्चों के बीच सामाजिक संपर्क नदारद था और उन्हें कई तौर-तरीकों और भावनाओं को सीखने और समझने में भी परेशानी हुई. अपने साथियों और बाहरी दुनिया से लगातार प्रतिक्रिया ना मिलना, जो उन्हें व्यवहार सिखाने में मदद करती हैं, ने बच्चों के लिये सही-गलत की पहचान करना मुश्किल कर दिया. उनका व्यवहार दूसरों पर क्या प्रभाव डालता है, इसने आगे उनकी समझ को जटिल बना दिया.

सामाजिक संपर्क की कमी-

बाहरी दुनिया से अचानक ही संपर्क कट जाने से बच्चे किसी भी तरह की गतिविधि में हिस्सा लेने से ज्यादा कतराने लगे. सामाजिक संपर्क की कमी और ज्यादातर वक्त डिजिटल स्क्रीन के सामने बिताने से बच्चे सामाजिक संपर्कों से दूर हो गये. इसका असर यह हुआ कि अपनों या औरों के साथ बातचीत की शुरूआत करने में काफी असहज महसूस करने लगे. सामाजिक भागीदारी से बचने से और भी रुकावटें पैदा होंगी और सामाजिक असहजता से बचने के लिए बातचीत का मार्ग बंद हो जाता है.

जो बच्चे पिछले दो सालों से घरों में बंद थे, उन्हें लंबे समय तक सामाजिक संपर्क की कमी की वजह से आमने-सामने बातचीत करने में असहजता महसूस हो रही है. कुछ समय एकांत में रहने की वजह से उनके लिये इस माहौल में ढलने में परेशानी महसूस हो रही है. यदि इस पर ध्यान ना दिया जाए तो कई बार यह सामाजिक असहजता, सोशल एंग्‍जाइटी में बदल सकती है हो सकता है कि बच्चे अपने उन अनुभवों से चूक गए हों जो सामाजिक रूप से उनके विकास में सहयोगी थे, लेकिन यह असहजता उन पर स्थायी प्रभाव नहीं डालेगी. एक बच्चे का मस्तिष्क अपने शुरूआती चरणों में अभ्यास और दोहराव के साथ विकसित होता है और अभी भी ठीक होने की हैरतअंगेज क्षमता पैदा कर सकता है.

लगातार बातचीत से बच्चे सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, जो उन्हें बिना किसी झिझक के फिर से जुड़ने के लिये प्रेरित करता है.

बच्चों पर असामान्य प्रभाव-

पेरेंट्स को इस असहजता को कम करने के लिये अपने बच्चे के साथ जरूर बात करनी चाहिये, क्योंकि इस बात के लिये वे अपने पेरेंट्स की ओर देखते हैं कि अलग-अलग परिस्थितियों में किस तरह की प्रतिक्रिया होनी चाहिये. भले ही महामारी के इस चरण ने बच्चों पर असामान्य प्रभाव डाला हो, लेकिन बच्चे बदलते परिवेश को अपना लेते हैं और वे सही और बेहतर हो जाएंगे. आखिरकार, मानवजाति चुनौतीपूर्ण स्थितियों से लड़ने में हमेशा ही मजबूत रही है.

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चिपचिपे मौसम में भी रखें अपनी स्किन को तरोताज़ा और खूबसूरत

मानसून चिलचिलाती गर्मी से राहत के साथ आता है, लेकिन साथ ही मौसम स्किन की समस्याओं के साथ-साथ चिपचिपी स्किन की समस्या भी लाता है. और जब स्किन सीधे रूप से सूर्य के संपर्क में आती है और गंदगी के संपर्क में आती है तो इससे स्किन की कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि इससे पहले कि स्किन को कोई नुकसान हो, इसकी रोकथाम के लिए पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए. आपको मानसून के मौसम में नियमित रूप से स्किन की देखभाल करने का रूटीन बनाना चाहिए और अपनी स्किन को यथासंभव साफ और गंदगी से मुक्त रखने की कोशिश करनी चाहिए.

ब्यूटी और मेकओवर एक्सपर्ट , ऋचा अग्रवाल शेयर कर रही हैं ऐसे टिप्स जो चिपचिपे या फिर मानसून के मौसम में भी आपकी स्किन को तरोताज़ा रखते हुए आपकी स्किन को पोषण देगा और लम्बे समय तक स्किन को यूथफुल रखेगा.

सबसे पहले, आपको नियमित अंतराल पर अपने चेहरे को धोने की आदत डालनी चाहिए. माइल्ड जेल बेस्ड फेस वॉश का इस्तेमाल करें जो स्किन की प्राकृतिक नमी को नहीं चुराता और स्किन को डीपर लेयर तक अच्छी तरह से साफ करता है, दिन में एक बार फेस वॉश का इस्तेमाल ज़रूर करें. आप अपनी स्किन के अनुकूल फलों से क्लींजर भी बना सकते हैं, पपीते का गूदा या खीरे का गूदा किसी भी प्रकार की स्किन के लिए उपयोग करने के लिए बहुत सुरक्षित है, ये प्राकृतिक चीजे स्किन के लिए क्लींजर हैं.

आप महीने में एक बार फेशियल के लिए भी जा सकते हैं और या फिर घर पर ही अपनी स्किन को पोषण दे सकते हैं. इसके लिए आप लौंग के तेल की कुछ बूंदें गर्म पानी में डालें और 10 मिनट के लिए भाप लें, इस प्रक्रिया से आप अपनी स्किन से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हुए आपनी स्किन की सफाई कर सकती हैं.

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इसके बाद आपको अपनी स्किन को टोन करना चाहिए, इससे स्किन का पीएच संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी. घर पर ही टोनिंग के लिए आप खीरे के रस में गुलाब जल की बूंदों को मिलाकर एक प्रभावी टोनर बना सकते हैं. इस मौसम में स्किन को हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है, यह आपकी स्किन के लिए भोजन है इसलिए आपकी स्किन को मॉइस्चराइज़ करना एक दैनिक आदत होनी चाहिए. यदि आप प्राकृतिक मॉइस्चराइजर लगाना चाहते हैं तो एलोवेरा और गुलाब जल के साथ मॉइस्चराइजिंग करें या फिर
क्रूएलिटी फ्री ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें , यह पैक लगाने के बाद आप 15 मिनट बाद चेहरा ठन्डे पानी से धो लें.

हाईड्रेशन के अलावा स्किन को एक्सफोलिएट करना बहुत महत्वपूर्ण है जो हाइड्रेशन के लिए भी अच्छा है, आप गुलाब जल, ओट्स फ्लेक्स और नींबू के रस के साथ एक पैक बना सकते हैं, अपनी स्किन पर 15 मिनट तक रखें धीरे से स्क्रब करते करते हुए फेस वाश करे.

अगर आपकी स्किन संवेदनशील है तो आप एलोवेरा के गूदे और चिया सीड्स के पैक का भी उपयोग कर सकते हैं, चिया सीड्स को रात भर भिगो दें और अगले दिन सुबह ओट्स फ्लेक्स के साथ बीजों को मिलाएं, स्किन पर धीरे से रगड़ें और स्किन को धो लें, पैक को ज्यादा देर तक न रखें. यह नेचुरल पैक स्किन के हाइड्रेशन और मॉइस्चराइजिंग का ख्याल रखेगा, पीएच संतुलन बनाए रखेगा और स्किन से मृत कोशिकाओं को भी हटा देगा. पैक यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी स्किन लंबे समय तक क्लीन और हाइड्रेट महसूस करे.

चिपचिपी स्किन से निपटने में मड पैक भी बहुत प्रभावी होते हैं, और चिपचिपे मौसम में में मिट्टी के फेस पैक का उपयोग करें, अगर आपकी स्किन रूखी है तो आप ठंडक के लिए दूध और चंदन पाउडर मिला सकते हैं. यह खुले रोमछिद्रों की देखभाल करते हुए स्किन को चिपचिपाहट से मुक्त रखेगा. 20 मिनट के लिए पैक को लगाएं और अगर आप अपनी स्किन को चमकाना चाहते हैं तो पैक में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाएं.

नमी वाले दिनों में आपकी स्किन के लिए टोनिंग बहुत महत्वपूर्ण रहती है, गुलाब जल के टुकड़े, खीरे के रस के क्यूब्स को फ्रिज में रख दें और सुबह और शाम लगाएं. मेकअप करने से पहले उन्हें अवश्य लगाएं और ठंडे पानी से धो लें, इससे खुले रोमछिद्रों का ध्यान रखा जाएगा और स्किन को अत्यधिक पसीना नहीं आने देगा जैसा कि इस दौरान होता है. यह आपकी स्किन को मेकअप मेल्टडाउन से भी बचाएगा.

इसके अतिरिक्त आप नीचे दिए हुए टिप्स भी लगातार इस्तेमाल कर सकते हैं, क्यूंकि ये किचन बेस्ड हैं और पूरी तरह से नेचुरल हैं तो आप इनका इस्तेमाल रेगुलर बेसिस पर कर सकते हैं.

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अपने चेहरे पर बर्फ के ठंडे पानी के छींटे मारें क्योंकि यह छिद्रों को कस देगा और तेल के स्राव को एक हद तक रोक देगा.

• तैलीय स्किन के लिए खीरे के रस और कच्चे दूध को प्राकृतिक टोनर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

अपनी स्किन और शरीर को लगातार हाइड्रेट रखने का ध्यान रखें. चिपचिपा मौसम बाहर रखने के लिए लोशन-आधारित एक के बजाय पानी आधारित मॉइस्चराइज़र के लिए जाएं.

• कम से कम 8-10 गिलास ताजा पानी पिएं. बीच-बीच में आप पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला सकते हैं. नींबू तेल के स्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है और यह एक बेहतरीन क्लींजर है.

• अपने चेहरे पर बर्फ के ठंडे पानी से छींटे मारें क्योंकि यह रोमछिद्रों को कस देगा और तेल के स्राव को कुछ हद तक रोक देगा. अपनी स्किन और शरीर को लगातार हाइड्रेट रखने के लिए ध्यान रखें.

चिपचिपा मौसम को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पिएं, भले ही इसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब आए. यह सिर्फ विषाक्त पदार्थ है जो शरीर से बाहर निकल रहा है.
अगर आपकी स्किन रूखी है तो अल्कोहल आधारित टोनर से दूर रहने का नियम बना लें, क्योंकि ये स्किन का रूखापन बढ़ाते हैं. पानी आधारित विकल्पों की तलाश करें और अपनी स्किन को बेहतर बनाएं.

Independence Day Special: बीमारियों से आज़ादी दिलवाने के लिए अपनाएं एक्सपर्ट के 5 टिप्स

इस वर्ष हमारा देश आज़ादी के 75 साल मना रहा है. इस सदी में आज़ादी का हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है – चाहे वो पुरुष हो या महिला, बच्चा हो या बुज़ुर्ग. एक इंसान के लिए सबसे कीमती होता है उसका स्वास्थ्य.  यदि स्वास्थ्य सही हो तो यह इंसान सब कुछ हासिल कर सकता है.  तो आईये इस स्वतंत्रता  दिवस पर हम अपने शरीर को बीमारियों से आज़ाद रखने के लिए कुछ टिप्स जानते हैं:

 ये टिप्स बता रहीं हैं न्यूट्रीशनिस्ट, डायटीशियन और फिटनेस एक्सपर्ट मनीशा चोपड़ा.

टिप्स 1: मौसमी सब्जियां और फलों का सेवन करें

वैसे तो कई सब्जियां और फल पूरे साल मौजूद रहे हैं, लेकिन सिर्फ उन्हीं को खाना जरूरी है जो चल रहे मौसम के लिहाज से उपयुक्त हों. स्वस्थ और ताजा भोजन हासिल करने की कोशिश करें. आप इस मौसम के लिहाज से अनुकूल टमाटर, बेरी, आम, तरबूज, खरबूज, आलू बुखारा, अजवायन, नारंगी आदि जैसे फलों और सब्जियों पर ध्यान दे सकते हैं.

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टिप्स 2: पूरे दिन पर्याप्त पानी पीएं

पानी पीना और इस मानसून के सीजन में शरीर में नमी बनाए रखना बेहद जरूरी है. सुनिष्चित करें कि स्वयं को ताजगी महसूस कराने के प्रयास में हर दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं. यदि संभव हो, तो कम ठंडा पानी पीएं, क्योंकि ज्यादा ठंडा पानी पीने से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

टिप्स 3: नियमित रूप से व्यायाम करें

व्यायाम हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी है.  एहूमे अनेक बीमारियों से बचाये रखता है इसलिए अपने शरीर को बीमारियों से आज़ाद करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत आवश्यक है.

टिप्स 4: कोल्ड ड्रिंक के बजाय ताजा फलों का जूस पीएं

बहुत से ऐसे लोग हैं जो ज्यादा प्यास का अनुभव महसूस करते हैं और अक्सर अपनी प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक पीना पसंद करते हैं. लेकिन ऐसे ठंडे पेय आपके शरीर को फायदे के बजाय नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए, अपनी प्यास बुझाने के प्रयास में कोल्ड ड्रिंक के बजाय ताजा फलों के रस का इस्तेमाल करें. ये कोल्ड ड्रिंक के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद हैं और इनसे आपका स्वस्थ और फिट रह सकता है.

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टिप्स 5: स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छता बनाए रखें

जैसा कि आप जानते हैं, स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छता जरूरी है. यह सुनिष्चित करें कि क्या आप जो भोजन या पेय पदार्थ ले रहे हैं, वह स्वच्छ और ताजा है. आपका शरीर घर या रेस्तरां में गंदे बर्तनों की वजह से बैक्टीरियल इन्फेक्षन का शिकार हो सकता है. इसलिए हमेशा यह सुनिष्चित करें कि खाने से पहले और बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं. इसके अलावा, अपने चेहरे को समय समय पर धोते रहें.

कोरोना के समय में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान कुछ इस तरह

दुनियाभर में कोरोनावायरस महामारी के समय में सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन और देश भर में स्कूलों के बंद रहने से बच्चे प्रभावित हुए हैं. कुछ बच्चे और युवा बेहद अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और उन्हें चिंता, उदासी और अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है. वे अपने परिवारों पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर भय और दुख महसूस कर सकते हैं. ऐसे भय, अनिश्चितत, और कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए घर पर ही रहने जैसी स्थिति उन्हें शांत बैठे रहना मुश्किल बना सकती है. लेकिन बच्चों को सुरक्षित महसूस कराना, उनके हेल्दी रुटीन को बरकरार रखना, उनकी भावनाओं को समझना बेहद महत्वपूर्ण है. इस बारे में बता रहे हैं Kunwar’s Educational Foundation के educationist(शिक्षाविद्) राजेश कुमार सिंह.

महामारी के बारे में समाचार देखने या इसे लेकर लोगों की बातें सुनने से बच्चे डर सकते हैं. कोविड-19 ने उनके स्कूल संबंधित, मित्रता, और सामान्य रुटीन को बदल दिया है, इसलिए आपके बच्चे के भय को दूर करना और उनके शारीरिक और भावनात्मक हितों का ध्यान रखा जाना मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए. यहां ऐसे कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जिनसे आपके बच्चे को महामारी के दबाव से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती हैः

• उम्र के स्तर पर बातचीत करें:

यदि आपका बच्चा छोटा है तो बहुत ज्यादा जानकारी उसके साथ साझा न करें, क्योंकि इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है. इसके बजाय, उसके द्वारा पूछे जाने वाले हरेक सवाल का जवाब देने की कोशिश करें.

• सवाल का जवाब आसानी से और ईमानदारी से दें:

यदि आपका बच्चा महामारी के बारे में कोई सवाल पूछना चाहता है तो इसके लिए ईमानदारी से जवाब देना हमेशा एक अच्छी नीति है. हालांकि आप अपने बच्चों को ज्यादा डराना नहीं चाहते हैं, लेकिन उनके साथ सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने जैसी सुरक्षा संबंधित आदतों के बारे में बात करना गलत नहीं है.

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• समझदार बनें:

आपका बच्चा दोस्तों से मिलने या अन्य पारिवारिक सदस्यों के पास जाने में सफल नहीं होने पर निराश हो सकता है. इसका ध्यान रखें. उसे यह समझाएं कि आप उनकी निराशा को समझते हैं, और आप भी अपने दोस्त और विशेष अवसरों को याद कर रहे हैं.

• वर्चुअल प्लेडेट्स की व्यवस्था करें:

अपने बच्चे को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग सेवा से जोड़ें, जिससे कि वे नजदीकी मित्रों और दादा-दादी के साथ संपर्क में बने रह सकें. इससे उनका ध्यान बंटाने में मदद मिलेगी.

• बच्चों को अतिरिक्त प्यार एवं स्नेह दें:

यह हम सभी के लिए तनावपूर्ण समय है और हमें अतिरिक्त देखभाल से सभी लाभ मिल सकते हैं. आपका बच्चा अतिरिक्त हग और किसेस को पसंद करेगा.

• स्पेशल वन-आन-वन टाइम को निर्धारित करें:

यदि हर कोई हर समय एक-दूसरे के साथ घर पर हो, तो हरेक सदस्य को प्रत्येक बच्चे के साथ समय बिताना संबंध मजबूत बनाने का अच्छा तरीका है.

वयस्कों का खयाल कैसे रखें?

जहां छोटे बच्चे महामारी को लेकर भयभीत हो सकते हैं, वहीं बड़े बच्चे और वयस्क इससे संबंधित प्रतिबंधों से असंतुष्ट हो सकते हैं. अपने मित्रों के साथ समय बिताना वयस्कों के लिए वाकई बेहद जरूरी है, जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर सकें. यहां ऐसे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं जिसके जरिये आप उन्हें अच्छी तरह से समझा-बुझा सकते हैंः

• यह समझाएं कि सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियम क्यों जरूरी हैं: वे यह सोच सकते हैं कि यदि वे अच्छा महसूस कर रहे हैं तो वे दूसरों से मुलाकात कर सकते हैं. उन्हें यह समझाएं कि भले ही वे अच्छा महसूस करें, लेकिन वे वायरस फैला सकते हैं और इससे उनके दादा-दादी या अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी खतरा हो सकता है.

• उनकी कुंठा या गुस्से को शांत रखने की कोशिश करें:

उन चीजों को लेकर सहानुभूति रखें जिनसे उन्हें महामारी की वजह से वंचित रहना पड़ रहा है. उनकी भावनाओं को समझें. यदि आपके एरिया में प्रतिबंधों की वजह से आपके बच्चे को अपने दोस्तों से मिलना मुश्किल हो रहा है तो उन्हें यह समझने के लिए प्रोत्साहित करें कि वे किस तरह से वर्चुअली तरीके से अपने दोस्तों से जुड़े रह सकते हैं.

हेल्दी रुटीन बनाए रखें

महामारी की वजह से आपको अपने सामान्य दैनिक रुटीन को अनदेखा करना पड़ सकता है. लेकिन निरंतरता बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. नियमित समय पर भोजन करने और सोने की आदत से आपके बच्चे को सुरक्षित महसूस करने में मदद मिल सकती है.

• नए हेल्दी रुटीन बनाएं:

जिस तरह से आप न्यू नाॅर्मल को समायोजित करते हैं, उसी तरह आपको अपने बच्चों के लिए नए दैनिक शेड्यूल (schedule) बनाने की जरूरत हो सकती है. भले ही बेडटाइम्स जैसी आदतें दैनिक स्कूल के बगैर बदल गई हों, लेकिन हर दिन समान शेड्यूल पर अमल करने की कोशिश करें. व्यायाम, परिवार के साथ डिनर, और घरेलू कार्य जैसी गतिविधियों के साथ साथ बच्चे को दोस्तों के साथ बातचीत करने के लिए भी समय निर्धारित करें, चाहे यह सुरक्षात्मक तरीके से व्यक्तिगत तौर पर हो या आनलाइन के माध्यम से हो.

• सुरक्षा सलाह पर अमल करें:

विभिन्न क्षेत्रों को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सीडीसी, डब्ल्यूएचओ, और अपने स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों की सलाह पर अमल करना जरूरी है. प्लेग्राउंड, स्कूलयार्ड, और पार्क ऐसे ज्यादा संपर्क वाले एरिया हैं जहां आपके बच्चे को स्वयं और दूसरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपके निर्देशों का पालन करना चाहिए. उन्हें मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, और नियमित तौर पर अपने हाथ धोने जैसी आदतों पर ध्यान देना चाहिए.

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• स्वच्छता और हाथ धोने की महत्ता को समझें:

बार बार हाथ धोना भले ही उबाऊ लग सकता है, लेकिन अब यह जीवन-रक्षक उपाय बन सकता है. अपने बच्चे को बाहर से आने या अन्य लोगों के संपर्क में आने के बाद हर बार हाथ धोने का आदत बनाने को कहें. छोटे बच्चों में आदत को प्रोत्साहित करने के लिए अपने बच्चे के पसंदीदा गाने में से किसी एक की धुन पर एक गीत बनाएं और हाथ धोते समय इसे एक साथ गाएं.

• सुरक्षा प्रोटोकाल पर स्वयं अमल करें :

सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा प्रोटोकाल पर स्वयं अमल करें, दूसरों के साथ भी इसे अपनाने की कोशिश करें. छोटे बच्चे प्रभावशाली होते हैं और वे आपके व्यवहार की ही नकल करेंगे, इसलिए सुनिष्चित करें कि आप उनके लिए एक सकारात्मक मिसाल स्थापित करेंगे.

10 Tips: हल्के बालों की वॉल्यूम बढ़ाएं

हर कोई घने बालों की इच्छा रखता है, घने बालों को अक्सरअच्छी अपीयरेंस और अच्छी हेल्थ के साथ जोड़ कर देखा जाता है. हालांकि, विभिन्न इंटरनल और एक्सटर्नल फैक्टर्स बालों के हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं. बालों की वॉल्यूम आपके बालों की संख्या को दर्शाता है. इससे यह निर्धारित किया जाता है कि आप के बाल की किस्में एक-दूसरे के कितने करीब हैं. यह बदले में, यह निर्धारित करता है कि आपके बाल कितने पतले या मोटे दिखाई देते हैं. बालों का झड़ना इसके वॉल्यूम को कम कर सकता है. कुछ ऑटोइम्यून डिजीज़ और अन्य मेडिकल कंडीशंस भी बालों के झड़ने और उसकी वॉल्यूम को कम करने में योगदान देती है. इससे आपके बाल पहले से कम घने दिखाई देते हैं.

*बालों की वॉल्यूम बढ़ाने के कुछ आसान से टिप्स बता रहे हैं. डॉ. अजय राणा, डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

1. अपने स्कैल्प को ऑयल करें –

बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए अपने बालों के स्कैल्प को हेयर ऑइलिंग की जरूरत होती है. गर्म तेल के साथ अपने बालों और स्कैल्प की मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है. आप नारियल या ओलिव ऑयल से ऑइलिंग कर सकते हैं जो बालों के लिए बहुत हेल्दी होते है. अपने बालों को अच्छी तरह से मालिश करने के बाद, स्कैल्प को शैम्पू कर सकते है .

2. बालों की वॉल्यूम बढ़ाने के लिए आप वैसे किसी भी प्रकार के हेयर केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना बंद कर दें, जिनमें स्ट्रोंग केमिकल्स होते है. ज़्यादा केमिकल्स की मात्रा आपके बालों के लिए हानिकारक है और उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा सकती है. हेल्दी और घने बालों के लिए, अपने बालों को ऐसी किसी भी प्रकार के हेयर ट्रीटमेंट्स से दूर रखें, जिनमें बालों को कलर या स्ट्रैट करने के लिए केमिकल्स का उपयोग हो. ये केमिकल्स आपके बालों को डल बनाते हैं और उन्हें जड़ों से कमजोर बनाते हैं. इससे बाल अधिक झड़ते हैं और बाल की वॉल्यूम कम हो जाती है.

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3. एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें – एलोवेरा जेल को हेयर ग्रोथ के लिए अच्छा माना जाता है, जो बालों की वॉल्यूम में भी सुधार करता है. एलोवेरा जेल में ऑर्गेनिक न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो आपके बालों को हेल्दी ग्रोथ के लिये मदद करते हैं. यह बालों को अच्छी मात्रा में मॉइस्चर भी प्रदान करता है.

4. हेल्दी डाइट- हमेशा हेल्दी डाइट लें, जिसमें विटामिन, मिनरल्स और आवश्यक नुट्रिएंट्स की भरपूर मात्रा हो. यह बालों की वॉल्यूम और टेक्सचर को बेहतर बनाने में मदद करते है. आप अपने डाइट में ऐसे खाने शामिल करें, जो बेहतर बालों के हेल्थ के लिए फायदेमंद हो, जिसमें विटामिन डी, विटामिन बी 3 और बी 6, आइरन, एंटीऑक्सिडेंट, फोलिक एसिड और ज़िंक भरपूर हो.

5. योग और एक्सरसाइज- बालों के झड़ने और इसके वॉल्यूम के कम होने की पीछे स्ट्रेस या तनाव की भी अहम भूमिका होती है. अतिरिक्त स्ट्रेस से बाल पतले और साथ ही साथ सफ़ेद हो सकते हैं. इसलिए स्ट्रेस को कम करने के लिए आप योग और एक्सरसाइज को अपनी डेली रूटीन में जरूर शामिल करें. यह न केवल आपको तनाव को कम करने में मदद करेगा, बल्कि स्कैल्प में ऑक्सीजन और ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ावा देगा, जो बालों की वॉल्यूम बढ़ाने में मदद करता है.

6. आंवला का सेवन – आंवला बालों के लिए हेल्दी इंग्रेडिएंट्स में से एक है. आंवला विटामिन सी के सबसे स्रोतों में से एक है. आंवला पोटेशियम, सोडियम, मैंगनीज, और आयरन से भी भरपूर होता है जो बालों के हेल्थ को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं. आंवला में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज
आपके बालों को सुंदर और मजबूत बनाते हैं. यह बालों को सफेद होने से भी रोकता है और आपके बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है.

7. शैम्पू करने की आदतों में सुधार –  हमेशा अपने बालों को साफ रखना आवश्यक है, रोज़ाना शैम्पू करने से बालों में मौजूद नेचुरल ऑयल कम हो जाते है, जिससे यह ड्राई और ब्रिटल हो जाते हैं. इसलिए,
सप्ताह में ज्यादा से ज्यादा केवल तीन बार अपने सिर को शैम्पू करें. इसके साथ – साथ अपने बालों को गर्म पानी से धोने से बचाना भी ज़रूरी है क्योंकि इससे स्ट्रैंड कमजोर हो सकते हैं. इसके अलावा, फ्लोराइड और क्लोराइड जैसे हाई कंसंट्रेशन वाले मिनरल्स वाले हार्ड पानी का उपयोग न करें, यह बालों की वॉल्यूम को कम करता है.

8. मोर्डन ट्रीटमेंट-आप बालों की वॉल्यूम को बढ़ाने के लिए मेसोथेरेपी, लो लेवल लेज़र लाइट और पी आर पी ट्रीटमेंट्स जैसे मॉडर्न ट्रीटमेंट्स का उपयोग कर सकते हैं. जिसमें आवश्यक नुट्रिएंट्स स्कैल्प के स्किन की लेअर में इन्फ़्यूज़ और इंजेक्ट किए जाते हैं, जिससे हेयर फॉलिकल द्वारा उच्च नुट्रिएंट्स एब्सॉर्प्शन को इनेबल किया जाता है, जिससे हेयर ग्रोथ बढ़ती है. इसमें हल्के, लो लेवल के लेज़र का उपयोग हेयर फॉलिकल्स को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है.

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9. बालों में कैफीन का उपयोग – कैफीन हेयर साईकल के ग्रोथ फेज को या एनाजेन को बढ़ाकर हेयर ग्रोथ को बढ़ाता है. इससे बालों की लंबाई और मोटाई बढ़ती है. बालों के वॉल्यूम को बढ़ाने के लिए ऐसे सीरम, हेयर मास्क और रिन्ज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनमे कैफीन इंग्रीडीयंट हो.

10. प्याज का रस- प्याज के रस का उपयोग हेयर ग्रोथ और इसकी वॉल्यूम को सुधारने में मदद कर सकता है .ताजा प्याज का रस निकालें और इसे अपने स्कैल्प पर लगाएं. इसके लिए आप ऐसे किसी भी प्रकार के सीरम, हेयर मास्क और लोशन का प्रयोग करें जिसमें प्याज के रस की मात्रा हो. पर इस तरीके से कभी कभी कुछ लोगों को एलर्जी की सम्भावना हो सकती है.

Summer Cracked स्किन को ठीक करने के लिए अपनाएं ये 10 आसान टिप्स

क्रैक्ड स्किन आमतौर पर तब दिखाई देती है जब किसी भी कारण किसी भी प्रकार के स्किन बैरियर से समझौता किया जाता है. यह ड्राई और इर्रिटेटेड स्किन का लक्षण है, लेकिन विशेष रूप से कई संभावित कारण जैसे गर्मियों में टेम्परेचर का बढ़ना क्रैक्ड स्किन के मुख्य कारण हैं. पैर, हाथ और होंठ अन्य भागों की तुलना में अधिक क्रैक्ड की संभावना होती है. फटी या क्रैक्ड स्किन पर कोई भी रैशेस, कट्स या निशान आमतौर पर तब होते हैं जब किसी व्यक्ति की स्किन ड्राई और इर्रिटेटेड होती है. ड्राई और फटी स्किन में इचिंग,फ्लैकी और खून की मात्रा ज्यादा होती है. क्रैक्ड स्किन के लिए किसी भी स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते समय आप अनप्लीजेंट सेंसेशन महसूस कर सकते हैं. इस स्थिति में स्किन भी पानी के टेम्परेचर और घरेलू क्लीनिंग प्रोडक्ट्स के प्रति अधिक सेंसिटिव महसूस करती है.

क्रैक्ड स्किन बॉडी के किसी भी हिस्से पर दिखाई दे सकती है, लेकिन वैसे हिस्से जो ज्यादा
एक्सपोज्ड होते है या सूरज की किरणों के संपर्क में ज्यादा आते है, वहाँ ज्यादा दिखाई देते है और उनपर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है. यह स्किन में होने वाली सबसे आम समस्या है जिसका सामना लोग गर्मियों के दौरान करते हैं. ज़रूरत से ज्यादा धोने से हाथ और कलाई का सूखना एक ऐसी स्थिति है जो क्रैक्ड स्किन के होने का मुख्य कारण होते है. इसकी उपस्थिति को रोकने के लिए, हर

बार हाथ धोने के बाद मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने की आवश्यकता होती है. कुछ मामलों में, क्रैक्ड स्किन एक अंडरलाइंग मेडिकल कंडीशन के सिम्पटम्स भी हो सकते है. कुछ लोगों में, स्किन की स्थिति के कारण क्रैक्ड स्किन की स्थिति हो सकती है, जैसे कि एक्जिमा या सोरायसिस, या क्योंकि स्किन एक इर्रिटेटिंग सब्सटांस के कांटेक्ट में आई थी. स्मूद और हाइड्रेटेड स्किन में, स्किन की लेयर में मौजूद नेचुरल ऑयल मॉइस्चर को बरकरार रखते हुए स्किन को सूखने से रोकते हैं.

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लेकिन अगर स्किन में पर्याप्त ऑयल नहीं है तो यह मॉइस्चर खो देता है. जो स्किन को ड्राई और सिकुड़ देता है जिससे क्रैक्ड स्किन की समस्या पैदा होती है जो खासकर गर्मियों में ज़्यादा होती है.

अगर आपकी हालत बहुत गंभीर है तो ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप घर पर ही अपनी क्रैक्ड स्किन का इलाज कर सकते हैं. क्रैक्ड स्किन से छुटकारा कैसे पाएं ये बता रहें हैं, डॉ. अजय राणा, डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

क्रैक्ड स्किन से छुटकारा पाने के लिए इन टिप्स का प्रयोग कर सकते है :

1. मॉइस्चराइजिंग मरहम या क्रीम – क्योंकि ड्राई स्किन क्रैक्ड स्किन का कारण बन सकती है और ज्यादातर मामलों में यह खराब हो सकती है , इसलिए आपकी स्किन को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखना महत्वपूर्ण है. क्रैक्ड स्किन वाले एरिया में आप हमेशा मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें.

2. ऐसे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का उपयोग करें जिनमें जोजोबा तेल, नारियल तेल, जैतून का तेल और शीया बटर जैसे इंग्रीडिएंट्स शामिल हो.

3. गर्म पानी से हाथ धोने से बचें. हॉट बाथ और शॉवर लेने से स्किन की स्थिति ड्राई या क्रैक्ड हो सकती है.

4. टॉपिकल हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम का उपयोग करें जो क्रैक्ड स्किन के लिए एक अच्छा उपाय है, जो क्रैक्ड स्किन के कारण होने वाले रेड पैचेज और इचिंग को कम करने में मदद करता है. इसमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स होते हैं, जो किसी भी तरह की जलन और सूजन को कम करते हैं.

5. अपनी स्किन को नियमित रूप से एक्सफोलिएट करें. जेंटल एक्सफोलिएशन स्किन की लेयर से डेड और ड्राई सेल्स को हटाने में मदद करता है. यह उपाय सबसे प्रभावी है जो फ़टे पैर और एड़ी के लिए कारगर साबित होता है.

6. गर्मियों में होने वाले क्रैक्ड स्किन से बचने के लिए आप ऐंटिफंगल दवा भी ले सकते हैं, यदि आपको लगता है कि आपके पास एथलीट फुट जैसे टेरीबिनाफिन (लैमिसिल) है, और इसे पैरों पर अफेक्टेड एरिया पर उपयोग करें.

7. क्रैक्ड स्किन को थोड़ी मात्रा में सौम्य खुशबू वाले क्लींजर से धोएं.

8. कुछ कपड़े ड्राई स्किन को परेशान कर सकते हैं. इसीलिए हमेशा स्मूद और ब्रिदेबल फैब्रिक्स जैसे कॉटन और सिल्क पहने और टेक्सचरड मैटेरियल्स के कपड़े पहनने से बचें. किसी भी तरह के हाइपोएलर्जेनिक डिटर्जेंट और फैब्रिक सॉफ्टनर का उपयोग करने से भी क्रैक्ड स्किन के कारण होने वाली जलन को कम करने में मदद मिल सकती है.

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9. गहरी क्रैक्ड स्किन का इलाज करने के लिए एक लिक्विड स्किन बैंडेज एक अच्छा ऑप्शन है. यह ओटीसी ट्रीटमेंट क्रैक्ड स्किन को एक साथ रखता है, जो स्किन की हीलिंग प्रोसेस को बढ़ाता है. इस उपलब्ध लिक्विड स्किन बैंडेज में एक छोटे ब्रश के साथ लिक्विड को स्किन में लगाए. लिक्विड सूख जाएगा और स्किन को सील कर देगा.

10. पेट्रोलियम जेली स्किन को सील और प्रोटेक्ट करके क्रैक्ड स्किन का इलाज करती है. यह स्किन को मॉइस्चर में लॉक करके, क्रैक्ड स्किन को ठीक करने में मदद करता है.

10 टिप्स: नाक के आसपास होने वाले पिगमेंटेशन से बचें ऐसे

नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन सबसे कॉमन प्रोब्लेम्स में से आते है जिसका सामना लगभग हर किसी को करना पड़ता है. इसके होने का सबसे मुख्य कारण है नाक का सूरज की किरणों की चपेट में ज्यादा आना. इनसे बचने के उपाय बता रही हैं दादू मेडिकल सेंटर की डर्मेटोलॉजिस्ट और संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ निवेदिता दादू

नाक हमारे शरीर का वो हिस्सा है जो सबसे ज्यादा सूरज की किरणों से प्रभावित होता है. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन के कई सारे कारण हो सकते है. जैसे हार्मोनल चेंज, हार्मोनल ट्रीटमेंट, अनेक तरह के स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना और मेलानिन जो स्किन के कलर में बदलाव के लिए कारक होता है.

1. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को रोकने के लिए आप अपने डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह पर अनेक तरह के क्रीम्स जैसे – हाइड्रोक्विनोन, ट्रेटीनोइन. इन्हे ट्रिपल क्रीम भी कहते है.

2. ऐसे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिसमें एजेलिक एसिड और कोजिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो. यह स्किन के डार्क एरिया को लाईट करने में मदद करते है.

3. अपने डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह पर आप अनेक तरह के मॉडर्न ट्रीटमेंट जैसे माइक्रोडर्माब्रेशन, केमिकल पील, लेज़र ट्रीटमेंट और लाईट थेरपी का इस्तेमाल कर सकते है. यह नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है.

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4. नाक के आस पास होने वाले डार्क पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप कम से कम सूरज की किरणों की चपेट में आए. और जब भी बाहर निकलें तो सनस्क्रीन लगा कर ही निकलें.

5. इसके लिए आप विटामिन ई और आलमंड ऑयल का भी इस्तेमाल कर सकते है. विटामिन ई में स्किन को लाईट करने की प्रॉपर्टीज होती है. जो डार्क स्पॉट्स और पिगमेंटेशन को कम करने के लिए सबसे कारगर है. इसके लिए एक स्पून आलमंड ऑयल में दो टेबल स्पून विटामिन ई मिक्स करें, और एक अच्छा सा सॉल्यूशन बना लें. इस सॉल्यूशन को नाक पर लगा कर रात भर के लिए छोड़ दें. फिर सुबह ठंडे पानी से इसे धो लें.

6. विटामिन ई में कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट होते है, जो स्किन में मौजुद फ्री रेडिकल्स और डार्क पैचेज को कम करने के लिए बहुत फायदे मंद है. यह स्किन के डैमेज्ड और डेड सेल्स को भी ठीक करने में मदद करता है.और स्किन को ग्लोइंग और क्लियर करता है. इसके लिए स्किन और खासकर नाक पर जहां पिगमेंटेशन की समस्या है वहां विटामिन ई को लगा कर रात भर के लिए छोड़ दें.और सुबह उठ कर ठंडे पानी से धो लें.

7. नाक के आस पास होने वाले पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप हल्दी और निम्बू के मास्क को भी लगा सकते है.इसके लिए हल्दी में नींबू के रस को डालें, और इन दोनो को अच्छे से मिक्स करके एक अच्छा सा पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को नाकों में लगाए. जब यह पेस्ट सुख जाए तो इसे ठंडे पानी से धोएं.

8. नाक के आस पास होने पिगमेंटेशन को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है, अपने स्किन को हाइड्रेट रखें.

9. पिगमेंटेशन को कम करने के लिए आप एक नियमित स्किनकेयर रूटीन अपनाए. नियमित रूप से स्किन को एक्सफोलिएट करें जिससे स्किन में मौजूद डेड सेल्स निकल जायेंगे. एक अच्छे से टोनर और क्लिंजर का इस्तेमाल करें.

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10. नाक के आस पास के स्किन पर पिगमेंटेशन हो जाते है. यह एक प्रकार से ड्राई स्किन होते है. इस पिगमेंटेशन को कम करने के लिए स्किन को दिन में कम से कम दो बार मॉइश्चराइज करें. यह स्कीन को हाइड्रेट करता है. मसाज के लिए आप आलमंड ऑयल का भी उपयोग कर सकते है.

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