Holi 2024: फैमिली के लिए बनाएं भांग रबड़ी

रबड़ी हर किसी को पसंद होती है और अगर होली के मौके पर बनाया जाए तो इसका स्वाद दोगुना बढ़ जाएगा. आज हम आपको भांग रबड़ी की खास रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के लिए होली के मौके पर बना सकते हैं.

हमें चाहिए

– 2 कप साधारण दूध (नियमित दूध का उपयोग करें)

– 2 कप गाढ़ा क्रीम वाला दूध (व्होल मिल्क)

– 1 बड़ा चम्मच गुलाब जल

– 1/4 कप भांग के बीज

– 1/4 कप चीनी

– 3/4 कप पानी (आवश्यकता के अनुसार समायोजित)

– 1 बड़ा चम्मच काजू

– 1 बड़ा चम्मच खरबूजे के बीज (चार मगज)

– 1/2 छोटा चम्मच केसर स्ट्रैस

– 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर

– 1/2 चम्मच जायफल पाउडर

– 1-2 चम्मच गुलाब की पंखुडिय़ां (गुलकंद)

– 1.5 चम्मच सौंफ पाउडर

– 1.5 चम्मच इलायची पाउडर

– 1/2 चम्मच पोस्ता बीज

– 12 बादाम

– 15 पिस्ता

– 3 काली मिर्च

बनाने का तरीका

– किसी बर्तन में दूध उबालें और उसमें केसर के स्ट्रैंड्स और भांग के बीज डाल दें.

– इसे 15 – 20 मिनट तक रहने दें.

– गर्म दूध में भिगोने से केसर का रंग और स्वाद बाहर आ जाता है.

– इसे चम्मच से हिलाते रहें, दूध में एक सुंदर पीला-केसरी रंग उतरता रहेगा.

– तब तक इसे ऐसे ही हिलाते रहें जब तक कि दूध अपनी कुल मात्रा से 20 फीसदी तक न हो जाए.

– सभी नट्स और मसालों को ग्राइंडर में पीसकर अलग रख लें.

– एक भारी तले वाले पैन में दूध उबालें.

– जब यह पूरी तरह से उबल जाए, तो मेवों और मसालों को इसमें डाल कर तब तक फेंट लें जब तक कोई     गांठ न रह जाएं.

– चीनी डालें और हिलाते रहें.

– अच्छी तरह उबाल कर आंच से उतार लें.

– पूरी तरह से ठंडा होने दें.

– ठंडा-ठंडा परोसे क्योंकि भांग रबड़ी का सबसे अच्छा स्वाद उसे खूब ठंडी करके खाने में आता है.

Holi 2024: अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का

‘‘वाह मां, ये झुमके तो बहुत सुंदर हैं, कब खरीदे?’’ रंजो ने अपनी मां प्रभा के कानों में झूलते झुमकों को देख कर कहा.

‘‘पिछले महीने हमारी शादी की सालगिरह थी न, तभी अपर्णा बहू ने मुझे ये झुमके और तुम्हारे पापा को घड़ी दी थी. पता नहीं कब वह यह सब खरीद लाई,’’ प्रभा ने कहा.

अपनी आंखें बड़ी कर रंजो बोली, ‘‘भाभी ने, क्या बात है.’’ फिर आह भरते हुए कहने लगी, ‘‘मुझे तो कभी इस तरह से कुछ नहीं दिया उन्होंने. हां भई, सासससुर को मक्खन लगाया जा रहा है, लगाओ,’ लगाओ, खूब मक्खन लगाओ.’’ उस का ध्यान उन झुमकों पर ही अटका हुआ था, कहने लगी, ‘‘जिस ने भी दिए हों मां, पर मेरा दिल तो इन झुमकों पर आ गया.’’

‘‘हां, तो ले लो न, बेटा. इस में क्या है,’’ कह कर प्रभा ने वे झुमके उतार कर तुरंत अपनी बेटी रंजो को दे दिए. उस ने एक बार यह नहीं सोचा कि अपर्णा को कैसा लगेगा जब वह जानेगी कि उस के दिए उपहारस्वरूप झुमके उस की सास ने अपनी बेटी को दे दिए.

प्रभा के देने भर की देरी थी कि रंजो ने झट से वे झुमके अपने कानों में डाल लिए, फिर बनावटी मुंह बना कर कहने लगी, ‘‘मन नहीं है तो ले लो मां, नहीं तो फिर मेरे पीठपीछे घर वाले, खासकर पापा, कहेंगे कि जब आती है रंजो, कुछ न कुछ ले कर ही जाती है.’’

‘‘कैसी बातें करती हो बेटा, कोई क्यों कुछ कहेगा. और क्या तुम्हारा हक नहीं है इस घर में? तुम्हें पसंद है तो रख लो न, इस में क्या है. तुम पहनो या मैं पहनूं, बात बराबर है.’’

‘‘सच में मां? ओह मां, आप कितनी अच्छी हो,’’ कह कर रंजो अपनी मां के गले लग गई. हमेशा से तो वह यही करती आई है, जो पसंद आया उसे रख लिया, यह कभी न सोचा कि वह चीज किसी के लिए कितना माने रखती है. कितने प्यार से और किस तरह से पैसे जोड़ कर अपर्णा ने अपनी सास के लिए वे झुमके खरीदे थे, पर प्रभा ने बिना सोचेसमझे उठा कर झुमके अपनी बेटी को दे दिए.

अरे, वह यह तो कह सकती थी कि ये झुमके तुम्हारी भाभी ने बड़े शौक से मुझे खरीद कर दिए हैं, इसलिए मैं तुम्हें दूसरे बनवा कर दे दूंगी. पर नहीं, कभी उस ने बेटी के आगे बहू की भावना को समझा है, जो अब समझेगी?

‘‘मां, देखो तो मेरे ऊपर ये झुमके कैसे लग रहे हैं, अच्छे लग रहे हैं न, बोलो न मां?’’ आईने में खुद को निहारते हुए रंजो कहने लगी, ‘‘वैसे मां, आप से एक शिकायत है.’’

‘‘अब किस बात की शिकायत है?’’ प्रभा ने पूछा.‘‘मुझे नहीं, बल्कि आप के जमाई को, कह रहे थे आप ने वादा किया था उन से ब्रेसलेट देने का, जो अब तक नहीं दिया.’’

‘‘ओ, हां, याद आया, पर अभी पैसे की थोड़ी तंगी है, बेटा. तुझे तो पता ही है कि तेरे पापा को कितनी कम पैंशन मिलती है. घर तो अपर्णा बहू और मानव की कमाई से ही चलता है,’’ अपनी मजबूरी बताते हुए प्रभा ने कहा.‘‘वह सब मुझे नहीं पता है मां, वह आप जानो और आप के जमाई. बीच में मुझे मत घसीटो,’’ झुमके अपने पर्स में सहेजते हुए रंजो ने कहा और चलती बनी.

‘‘बहू के दिए झुमके तुम ने रंजो को दे दिए?’’ हैरत से भरत ने अपनी पत्नी प्रभा से पूछा‘‘हां, उसे पसंद आ गए तो दे दिए,’’ बस इतना ही कहा प्रभा ने और वहां से जाने लगी, जानती थी वह कि अब भरत चुप नहीं रहने वाले.

‘‘क्या कहा तुम ने, उसे पसंद आ गए? हमारे घर की ऐसी कौन सी चीज है जो उसे पसंद नहीं आती है, बोलो? जब भी आती है कुछ न कुछ उठा कर ले ही जाती है. जरा भी शर्म नहीं है उसे. उस दिन आई तो बहू का पर्स, जो उस की दोस्त ने उसे दिया था, उठा कर ले गई. कोई कुछ नहीं कहता तो इस का मतलब यह नहीं कि वह अपनी मनमरजी करेगी,’’ गुस्से से आगबबूला होते हुए भरत ने कहा.

तिलमिला उठी प्रभा. अपने पति की बातों पर बोली, ‘‘ऐसा कौन सी जायदाद उठा कर ले गई वह, जो तुम इतना सुना रहे हो? अरे एक जोड़ी झुमके ही तो ले गई है. जाने क्यों रंजो, हमेशा तुम्हारी आंखों में खटकती रहती है?’’

भरत भी चुप नहीं रहे. कहने लगे, ‘‘किस ने मना किया तुम्हें जायदाद देने से, दे दो न जो देना है, पर किसी का प्यार से दिया हुआ उपहार यों ही किसी और को देना, क्या यह सही है? अगर बहू ऐसा करती तो तुम्हें कैसा लगता? कितने अरमानों से वह तुम्हारे लिए झुमके खरीद कर लाई थी और तुम ने एक मिनट भी नहीं लगाया उसे रंजो को देने में.’’‘‘किसी को नहीं, बेटी को दिए हैं, समझे, बड़े आए बहू के चमचे, हूं…’’

‘‘अरे, तुम्हारी बेटी तुम्हारी ममता का फायदा उठा रही है और कुछ नहीं. किस बात की कमी है उसे? हमारे बेटेबहू से ज्यादा कमाते हैं वे दोनों पतिपत्नी, फिर भी कभी हुआ उसे कि अपने मांबाप के लिए

2 रुपए का भी उपहार ले कर आए? और हमारी छोड़ो, क्या कभी उस ने अपनी भतीजी को एक खिलौना भी खरीद कर दिया है? नहीं, बस लेना जानती है. क्या मेरी आंखें नहीं हैं? देखता हूं मैं, तुम बहूबेटी में कितना फर्क करती हो. बहू का प्यार तुम्हें ढकोसला लगता है और बेटी का ढकोसला प्यार. ऐसे घूरो मत मुझे, पता चल जाएगा तुम्हें भी एक दिन.’’

‘‘कैसे बाप हो तुम, जो बेटी के सुख पर भी नजर लगाते रहते हो. पता नहीं क्या बिगाड़ा है रंजो ने आप का, जो हमेशा वह तुम्हारी आंखों की किरकिरी बनी रहती है?’’ अपनी आंखें लाल करते हुए प्रभा बोली.

‘‘ओ, कमअक्ल औरत, रंजो मेरी आंखों की किरकिरी नहीं बनी है बल्कि अपर्णा बहू तुम्हें फूटी आंख नहीं सुहाती है. पूरे दिन घर में बैठी आराम फरमाती रहती हो, हुक्म चलाती रहती हो. कभी यह नहीं होता कि बहू के कामों में थोड़ा हाथ बंटा दो और तुम्हारी बेटी, वह तो यहां आ कर अपना हाथपैर हिलाना भी भूल जाती है. क्या नहीं करती है बहू इस घर के लिए. बाहर जा कर कमाती भी है और अच्छे से घर भी संभाल रही है. फिर भी तुम्हें उस से कोई न कोई शिकायत रहती ही है. जाने क्यों तुम बेटीबहू में इतना भेदभाव करती हो?’’

‘‘कमा कर लाती है और घर संभालती है, तो कौन सा एहसान कर रही है हम पर. घर उस का है, तो संभालेगा कौन?’’ ‘‘अच्छा, सिर्फ उस का घर है, तुम्हारा नहीं? बेटी जब भी आती है उस की खातिरदारी में जुट जाती हो, पर कभी यह नहीं होता कि औफिस से थकीहारी आई बहू को एक गिलास पानी दे दो. बस, तानें मारना आता है तुम्हें. अरे, बहू तो बहू, उस की दोस्त को भी तुम देखना नहीं चाहती हो. जब भी आती है, कुछ न कुछ सुना ही देती हो. तुम्हें लगता है कहीं वह अपर्णा के कान न भर दे तुम्हारे खिलाफ. उफ्फ, मैं भी किस पत्थर से अपना सिर फोड़ रहा हूं, तुम से तो बात करना ही बेकार है,’’ कह कर भरत वहां से चले गए.

सही तो कह रहे थे भरत. अपर्णा क्या कुछ नहीं करती है इस घर के लिए. पर फिर भी प्रभा को उस से शिकायत ही रहती थी. नातेरिश्तेदार हों या पड़ोसी, हर किसी से वह यही कहती फिरती थी, ‘भाई, अब बहू के राज में जी रहे हैं, तो मुंह बंद कर के ही जीना पड़ेगा न, वरना जाने कब बहूबेटे हम बूढ़ेबूढ़ी को वृद्धाश्रम भेज दें.’ यह सुन कर अपर्णा अपना चेहरा नीचे कर लेती थी पर अपने मुंह से एक शब्द भी नहीं बोलती थी. पर उस की आंखों के बहते आंसू उस के मन के दर्द को जरूर बयां कर देते थे.

अपर्णा ने तो आते ही प्रभा को अपनी मां मान लिया था, पर प्रभा तो आज तक उसे पराई घर की लड़की ही समझती रही. अपर्णा जो भी करती, प्रभा को वह बनावटी लगता था और रंजो का एक बार सिर्फ यह पूछ लेना, ‘मां आप की तबीयत तो ठीक है न?’ सुन कर कर प्रभा खुशी से कुप्पा हो जाती और अगर जमाई ने हालचाल पूछ लिया, तो फिर प्रभा के पैर ही जमीन पर नहीं पड़ते थे.

उस दिन सिर्फ इतना ही कहा था अपर्णा ने, ‘मां, ज्यादा चाय आप की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है और वैसे भी, डाक्टर ने आप को चाय पीने से मना किया है. वुमन हौर्लिक्स लाई हूं, यह पी लीजिए.’ यह कह कर उस ने गिलास प्रभा की ओर बढ़ाया ही था कि प्रभा ने गिलास उस के हाथों से झटक लिया और टेबल पर रखते हुए तमक कर बोली, ‘तुम मुझे ज्यादा डाक्टरी का पाठ मत पढ़ाओ बहू, जो मांगा है वही ला कर दो,’ फिर बुदबुदाते हुए अपने मन में ही कहने लगी, ‘बड़ी आई मुझे सिखाने वाली, अच्छे बनने का नाटक तो कोई इस से सीखे.’ अपर्णा की हर बात उसे नाटक सरीखी लगती थी.

मानव औफिस के काम से शहर से बाहर गया हुआ था और अपर्णा भी अपने कजिन भाई की शादी में गई हुई थी. मन ही मन अपर्णा यह सोच कर डर रही थी कि अकेले सासससुर को छोड़ कर जा रही हूं, कहीं पीछे कुछ… यह सोच कर जाने से पहले उस ने रंजो को दोनों का खयाल रखने और दिन में कम से कम एक बार उन्हें देख आने को कहा. जिस पर रंजो ने आग उगलते हुए कहा, ‘‘आप नहीं भी कहतीं न, तो भी मैं अपने मांपापा का खयाल रखती. आप को क्या लगता हैख् एक आप ही हैं इन का खयाल रखने वाली?’’

पर अपर्णा के जाने के बाद वह एक बार भी अपने मायके नहीं आई वह इसलिए कि उसे वहां काम करना पड़ जाता. हां, फोन पर हालचाल जरूर पूछ लेती और साथ में यह बहाना भी बना देती कि वक्त नहीं मिलने के कारण वह उन से मिलने नहीं आ पा रही, पर वक्त मिलते ही आएगी.

एक रात अचानक भरत की तबीयत बहुत बिगड़ गई. प्रभा इतनी घबरा गई कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे. उस ने मानव को फोन लगाया पर उस का फोन विस्तार क्षेत्र से बाहर बता रहा था. फिर उस ने अपनी बेटी रंजो को फोन लगाया. घंटी तो बज रही थी पर कोई उठा नहीं रहा था. जमाई को भी फोन लगाया, उस का भी वही हाल था. जितनी बार भी प्रभा ने रंजो और उस के पति को फोन लगाया, उन्होंने नहीं उठाया. ‘शायद सो गए होंगे’ प्रभा के मन में यह खयाल आया. फिर हार कर उस ने अपर्णा को फोन लगाया. इतनी रात गए प्रभा का फोन आया देख कर अपर्णा घबरा गई. प्रभा कुछ बोलती, उस से पहले ही वह बोल पड़ी.

‘‘मां, क्या हुआ, पापा ठीक हैं न?’’ लेकिन जब उसे प्रभा की सिसकियों की आवाज आई तो वह समझ गई कि कुछ बात जरूर है. घबरा कर वह बोली, ‘‘मां, मां, आप रो क्यों रही हैं, कहिए न क्या हुआ?’’ अपने ससुर के बारे में सब जान कर कहने लगी, ‘‘मां, आ…आ…आप घबराइए मत, कुछ नहीं होगा पापा को. मैं कुछ करती हूं.’’ उस ने तुरंत अपनी दोस्त शोना को फोन लगाया और सारी बातों से उसे अवगत कराते हुए कहा कि तुरंत वह पापा को अस्पताल ले कर जाए, जैसे भी हो.

अपर्णा की जिस दोस्त को प्रभा देखना तक नहीं चाहती थी और उसे बंगालनबंगालन कह कर बुलाती थी, आज उसी की बदौलत भरत की जान बच पाई, वरना पता नहीं क्या हो जाता. डाक्टर का कहना था कि मेजर अटैक था. अगर थोड़ी और देर हो जाती मरीज को लाने में, तो वे इन्हें नहीं बचा पाते.तब तक अपर्णा और मानव आ चुके थे. फिर कुछ देर बाद रंजो भी आ गई. बेटेबहू को देख कर बिलखबिलख कर रो पड़ी प्रभा और कहने लगी, आज अगर शोना न होती, तो शायद तुम्हारे पापा जिंदा न होते.’’

अपर्णा के भी आंसू रुक नहीं रहे थे. उस ने अपनी सास को ढांढ़स बंधाया और अपनी दोस्त को तहेदिल से धन्यवाद दिया कि उस की वजह से उस के ससुर की जान बच पाई. अपनी भाभी को मां के करीब देख कर रंजो भी मगरमच्छ के आंसू बहाते हुए कहने लगी, ‘‘मां, मैं तो मर ही जाती अगर पापा को कुछ हो जाता. कितनी खराब हूं मैं जो आप की कौल नहीं देख पाई. वह तो सुबह आप की मिस्डकौल देख कर वापस आप को फोन लगाया तो पता चला, वरना यहां तो कोई कुछ बताता भी नहीं है.’’ यह कह कर अपर्णा की तरफ घूरने लगी रंजो.

तभी उस का 7 साल का बेटा बोल पड़ा, ‘‘मम्मी, आप झूठ क्यों बोल रही हो? नानी, मम्मी झूठ बोल रही हैं. जब आप का फोन आया था, हम टीवी पर ‘बाहुबली’ फिल्म देख रहे थे. मम्मी यह कह कर फोन नहीं उठा रही थीं कि पता नहीं कौन मर गया जो मां इतनी रात को हमें परेशान कर रही हैं. पापा ने कहा भी उठा लो, पर मां ने फोन नहीं उठाया और फिल्म देखती रहीं.’’ यह सुन कर तो सब हैरान हो गए.

?सचाई खुलने से रंजो की तो सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. उसे लगा, जैसे उसे करंट लग गया हो. अपने बेटे को एक थप्पड़ लगाते हुए बोली, ‘‘पागल कहीं का, कुछ भी बकवास करता रहता है.’’ फिर हकलाते हुए कहने लगी, ‘‘अरे, वह तो कि…सी और का फोन आ रहा था, मैं ने उस के लिए कहा था,’’ दांत निपोरते हुए आगे बोली, ‘‘देखो न मां, कुछ भी बोलता है, बच्चा है न इसलिए.’’

प्रभा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था. कहने लगी, ‘‘इस का मतलब तुम उस वक्त जागी हुई थी और तुम्हारा फोन भी तुम्हारे आसपास ही था? तुम ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इतनी रात को तुम्हारी मां किसी कारणवश ही तुम्हें फोन कर रही होगी? अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार और विश्वास का, बेटा. आज मेरा सुहाग उजड़ गया होता, अगर यह शोना न होती. जिस बहू के प्यार को मैं ढकोसला और बनावटी समझती रही, आज पता चल गया कि वह, असल में, प्यार ही था. मैं तो आज भी इस भ्रम में ही जीती रहती अगर तुम्हारा बेटा सचाई न बताता तो.’’अपने हाथों से सोने का अंडा देने वाली मुरगी निकलते देख कहने लगी रंजो, ‘‘ना, नहीं मां, आप गलत समझ रही हैं.’’

‘‘समझ रही थी, पर अब मेरी आंखों पर से परदा हट चुका है. सही कहते थे तुम्हारे पापा कि तुम मेरी ममता का सिर्फ फायदा उठा रही हो, कोई मोह नहीं है तुम्हारे दिल में मेरे लिए,’’ कह कर प्रभा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया और अपर्णा से बोली, ‘‘चलो बहू, देखें तुम्हारे पापा को कुछ चाहिए तो नहीं?’’ रंजो, ‘‘मां, मां’’ कहती रही. पर पलट कर एक बार भी नहीं देखा प्रभा ने, मोह टूट चुका था उस का.

मेरी एक परिचिता के बेटे का विवाह होने वाला था. शादी का जो कार्ड पसंद किया गया, वह काफी महंगा था. उन्होंने ज्यादा कार्ड न छपवा कर एक तरकीब आजमाई, जिस में उन्हें पूरी सफलता मिली. पति व बेटे के बौस और कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण लोगों को तो कार्ड दे दिए, बाकी जिस के घर भी गईं, कार्ड पर उन्हीं के सामने नाम लिखने से पहले बोलतीं, ‘‘बस, क्या बताऊं, कैसे गलती हो गई, कार्ड्स कम हो गए.’’

सुनने वाला फौरन बोलता, ‘‘अरे, हमें कार्ड की जरूरत नहीं, हम आ जाएंगे.’’परिचिता पूछतीं, ‘‘सच, आप आ जाओगे? फिर आप को कार्ड रहने दूं?’’सामने वाला कहता है, ‘‘हां, हां, हम ऐसे ही आ जाएंगे.’’

सामने वाला भी अपने को उन का खास समझता कि वे ऐसी बात शेयर कर रही हैं. परिचिता ने सब को एक खाली कार्ड दिखाते हुए निबटा दिया.मैं उन के साथ 2 घरों में कार्ड देने गई थी, इसलिए इस कलाकारी की प्रत्यक्षदर्शी हूं. खैर, कार्ड मुझे भी नहीं मिला. मैं ने बाद में उन्हें छेड़ा, ‘‘जब सब को दिखा देना, तो आखिर में कार्ड मुझे चाहिए.’’  इस पर

वे खुल कर हंसीं, बोलीं, ‘‘नहीं मिलेगा, बहुत खर्चे हैं शादी के. चलो, कार्ड के तो

पैसे बचाए.’’मेरी मौसी ने एक दिलचस्प किस्सा बताया. वे रोडवेज की बस से बनारस जा रही थीं. उन की दूसरी तरफ की सीट पर एक बूढ़ी अम्मा आ कर बैठ गईं. कंडक्टर भला आदमी था, उस ने बूढ़ी अम्मा से टिकट के लिए पैसे भी नहीं लिए.बस चल पड़ी. थोड़ी देर में कंडक्टर ने देखा कि अम्मा कुछ परेशान सी हैं. उस ने पूछा तो वे बोलीं, ‘‘बेटा, इलाहाबाद आ जाए तो बता देना.’’

कंडक्टर ने हां बोला और चला गया. लेकिन बाद में वह भी भूल गया, तब तक बस इलाहाबाद से आगे निकल गई थी.कंडक्टर को अच्छा न लगा, उस ने बस वापस मुड़वाई. इलाहाबाद आया तो सोती हुई को जगाते हुए वह बोला, ‘‘अम्मा, इलाहाबाद आ गया.’’

‘‘अच्छा बेटा, चलो, अपनी दवाई खा लेती हूं.’’‘‘अरे अम्मा, यहां उतरना नहीं है क्या,’’ कंडक्टर बोला.‘‘मुझे तो बनारस जाना है. बेटी ने कहा था कि इलाहाबाद आने पर दवाई खा लेना,’’ अम्मा बोलींसवारियों का हंसहंस कर बुरा हाल हो गया और कंडक्टर की शक्ल देखने लायक थी.

Holi 2024: इस होली अपने बालों को दें स्टाइलिश लुक

माना कि मेकअप से खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं, लेकिन मेकअप के साथ बालों को स्टाइलिश बनाना भी जरूरी है. इस होली आप यहां बताए गए कुछ हेयर स्टाइल टिप्स अपना सकती हैं और इस होली अपने बालों को स्टाइलिश लुक दें सकती हैं.

पोनी पर्मिंग

पर्मिंग का क्रेज युवतियों में खासा देखने को मिलता है. लेकिन क्या कभी आप ने अपने बालों में पोनी पर्मिंग ट्राई किया है? इस से आप के बालों को 100% डिफरैंट लुक मिलेगा.

कैसे करें पोनी पर्मिंग

सब से पहले बालों को अच्छी तरह धो लें. उस के बाद उन्हें 70% सुखाने के बाद स्प्रे प्रयोग करें और फिर दोबारा 90% ड्राई करें. इस के बाद एक बाउल में पर्मिंग लोशन लें. फिर बालों पर लोशन अप्लाई करने के लिए कौटन का प्रयोग करें. उस के बाद बटर पेपर को छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. फिर पोनी बना कर उस में से पतलेपतले सैक्शन लें. हर सैक्शन पर अच्छी तरह कंघी करते हुए पर्मिंग लोशन अप्लाई करें. फिर बालों के ऐंड्स में अच्छी तरह बटर पेपर लपेटें ताकि किनारे अच्छी तरह कवर होते जाएं. आप जितनी अच्छी तरह बटर पेपर को बालों में लपेटेंगी कर्ल्स उतने ही अच्छे बनेंगे. सभी भागों के साथ यह प्रक्रिया दोहराएं. इस के बाद रोलर्स प्रयोग करें. फिर 40-45 मिनट बाद एक रोलर खोल कर देखें कि कर्ल्स आए या नहीं. अगर कर्ल्स दिख रहे हैं, तो रोलर्स के साथ ही बालों को सादे पानी से धोएं ताकि लोशन बालों से अच्छी तरह निकल जाए. उस के बाद 80 या 90% बालों को ड्राई करें.

ड्राई करने के बाद बालों पर न्यूट्रलाइजर लगाएं. ध्यान रखें कि न्यूट्रलाइजर हर रोलर पर अच्छी तरह लगना चाहिए. फिर 20-25 मिनट बाद सादे पानी से बालों को धो लें (सादे पानी का मतलब इस दौरान बालों में शैंपू प्रयोग नहीं करना है). अब बालों में कंडीशनर अप्लाई करें और उसे 5 मिनट के लिए छोड़ दें. उस के बाद बालों को तौलिए से 50% ड्राई करने के बाद रोलर्स खोलें और कर्ल्स पर कर्व कर्ल कंडीशनिंग क्रीम यूज करें. इस से कर्ल्स सौफ्ट रहेंगे.

पर्मिंग करते समय

  1. कलर किए बालों पर पर्मिंग करने की भूल न करें.
  2. बालों पर लोशन अप्लाई करते समय दस्ताने जरूर पहनें.
  3. कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें, क्योंकि इस से कर्ल्स सौफ्ट रहते हैं.

रिबौंडिंग

रिबौंडिंग का मतलब होता है बालों को स्ट्रेट लुक देना. रिबौंडिंग करने के लिए सब से पहले बालों में नौर्मल शैंपू करें. नौर्मल शैंपू का मतलब कि उस में कंडीशनर न मिला हो. फिर बालों को 70% ड्राई करें. उस के बाद उन में स्प्रे प्रयोग कर के 90 या 100% ड्राई करें. अब बालों पर स्ट्रेट हेयर रिबौंडिंग क्रीम प्रयोग कर 40-45 मिनट के लिए छोड़ दें. यह बालों के टैक्स्चर पर निर्भर करेगा कि कितनी देर रिबौंडिंग क्रीम प्रयोग करनी है. उस के बाद चैक करें कि बाल बाउंस हुए हैं या नहीं. चैक करने के लिए आप एक बाल ले कर फिंगर पर लपेटें या फिर खींचें और देखें कि उस में स्प्रिंग टाइप का कर्ल शो हो रहा है या नहीं. अगर कर्ल दिखने लगे तो बालों को धो लें. फिर उन पर मास्क लगा कर 5 मिनट बाद फिर धो लें. जब बाल 50% सूख जाएं तो उन पर हीट प्रोटैक्शन स्प्रे करें और फिर दोबारा 100% सुखाएं. इस प्रक्रिया के बाद पतलेपतले सैक्शन ले कर स्ट्रेटनिंग मशीन से प्रैसिंग शुरू करें. पहले प्रैसिंग जड़ों के पास और फिर पूरी लंबाई में करें. प्रैसिंग कंप्लीट होने के बाद बालों पर न्यूट्रालाइजर क्रीम अप्लाई करें और फिर 10-15 मिनट बाद बालों को पीछे रख कर ही धो लें. अब उन में मास्क प्रयोग करें और 5-10 मिनट बाद धो कर 50% तक सुखा लें. हलके हाथों से कंघी करने के बाद 2-3 बूंदें हेयर कोट की हाथों में ले कर बालों में अप्लाई करें. फिर बड़ेबड़े सैक्शन ले कर स्ट्रेटनिंग मशीन से रिबौंडिंग को फाइनल टच दें.

ध्यान दें

  1. बालों का टैक्स्चर देख कर ही रिबौंडिंग करें.
  2. अगर स्कैल्प पर इन्फैक्शन हो तो रिबौंडिंग न करें.
  3. रिबौंडिंग करते समय एसी के सामने न बैठें.
  4. रिबौंडिंग के बाद 3 दिनों तक बालों में पानी न लगाएं और उन्हें खुला ही रखें.
  5. बाल ज्यादा रूखे हों तो रिबौंडिंग से पहले स्प्रा जरूर दें. स्प्रा का मतलब है बालों के अंदर की ड्राईनैस को रिलैक्स करना.
  6. हेयर कोट का मतलब बालों की सनस्क्रीन से है.

हाईलाइटिंग

हाईलाइटिंग का मतलब बालों की किसी लेयर में कलर हाईलाइट करना. हाईलाइटिंग करने के लिए सब से पहले बालों को नौर्मल शैंपू से धोएं. उस के बाद बालों के वे सैक्शन लें, जिन में आप को हाईलाइटिंग करना है. इस के बाद ब्लीच पाउडर लें औरउस में 9 या 12% डैवलपर मिला कर पेस्ट तैयार करें. ऊपर के बालों को अच्छी तरह बांध लें और जिस लेयर को चूज किया है उस पर तैयार पेस्ट अप्लाई करें और 10 मिनट बाद पैक करें. यह शुरुआत में ब्लौंड कलर शो करेगा. उस के बाद लेयर पर जो कलर करना है उसे अप्लाई करें. उस के बाद बालों को 30 मिनट तक यों ही छोड़ दें और फिर धो लें. फिर कंडीशनर प्रयोग कर बालों को दोबारा अच्छी तरह धो कर सुखा लें. लेयर पर हाईलाइटिंग शो होगी.

Holi 2024: होली में कलरफुल हो फैशन

होली आने से कुछ दिनों पहले से ही होली की खरीदारी होने लगती है. सब से बड़ी परेशानी यह है कि होली पर ऐसा क्या पहना जाए जो स्टाइलिश हो पर कम कीमत का हो. एक दौर वह था जब लोग अपने पुराने, खराब हुए कपड़े इसलिए संभाल कर रखते थे कि इन का प्रयोग होली के दिन रंग खेलने में करेंगे. आज के समय में होली खेलने के लिए सभी स्टाइलिश ड्रैस की तलाश करने लगे हैं.

होली के दिन अब सिर्फ होली ही नहीं खेली जाती बल्कि प्रौपर फोटोशूट भी होता है. लड़केलड़कियों में इस बात की होड़ लगी होती है कि कौन किस तरह के और कितने फैशनेबल कपड़े पहन कर आएगा और सभी फोटोज में छा जाएगा. फिर ये तसवीरें इत्मीनान से बैठ कर देखी जाती हैं, पोस्ट की जाती हैं और होली के यादगार कैप्शंस लिखे जाते हैं. वैसे आजकल तो होली खेलने से ज्यादा होली खेलने का दिखावा कर फोटोशूट और वीडियोशूट करवाने वाले युवा ज्यादा दिखाई पड़ते हैं.

लखनऊ में नजीराबाद बाजार है. यहां चिकनकारी कपड़ों की सब से ज्यादा दुकानें हैं. हर रेंज में यहां कपड़े मिल जाते हैं. फैशन डिजाइनर नेहा सिंह भी यहां पर एक दुकान से दूसरी दुकान में सस्ते मगर स्टाइलिश कपड़े देख रही थी.

नजीराबाद बाजार कैसरबाग से अमीनाबाद जाने वाली सड़क के दोनों किनारे बना हुआ है. सड़क के दोनों तरफ दुकानों में चिकनकारी के कुरतेपाजामे से ले कर साड़ी और दूसरे परिधान टंगे दिखने लगते हैं. करीब 300 मीटर लंबी इस सड़क पर चिकनकारी के साथ ही साथ स्टाइलिश फुटवियर भी मिल जाते हैं. लखनऊ का चिकन पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां सब से अधिक चिकनकारी का काम चौक बाजार में होता है. वहां थोक का काम ज्यादा है. नजीराबाद में रिटेल की दुकानें हैं. ऐसे में यहां लोगों को सब से अधिक वैराइटियों की चीजें मिल जाती हैं. यहां ऐसी नौवल्टी शौप है जहां पर ऐसी चीजें मिल जाती हैं जिन से चिकनकारी के कपड़ों को फैशन के अलग रंग दिए जा सकते हैं.

नेहा भी इसी कारण यहां होली के लिए कपड़े देखने आई थी. नेहा अपना एक बुटीक चलाती है. उस का फोकस है कि इस होली पर वह ज्यादा से ज्यादा स्टाइलिश कपड़े तैयार करेगी जिसे लोग होली में पहन सकें. इस के लिए चिकनकारी वाले कुछ ऐसे कपड़े भी वह देख रही थी जो आउट औफ सेल हों, वे सस्ते मिल जाएंगे. अपने बुटीक में ले जा कर वह इन को और भी सुंदर और स्टाइलिश बना लेगी. वह कहती है कि इस तरह वह बजट में लोगों की होली को और भी कलरफुल बना देगी.

इलाहाबाद की रहने वाली फैशन डिजाइनर प्रतिभा यादव कहती है, ‘‘होली के फैशन में लोग अच्छे और सस्ते कपड़े चाहते हैं जिस से वे रंग पड़ने से बेकार हो जाएं तो भी कोई ज्यादा फर्क न पड़े. यूथ इस में सब से पहले अपने लिए स्टाइलिश और फैशनेबल कपड़े तलाशने लगता है. आज ज्यादातर युवावर्ग औनलाइन शौपिंग करने लगा है. ऐसे में वे होली से बहुत पहले इस तरह के कपड़े तलाश करने लगे हैं जो पुराने भी न हों और ज्यादा कीमती भी न हों. होली का क्रेज रंगों की वजह से होता है. सोशल मीडिया के दौर में रंग खेलने से पहले रंग को दिखाना जरूरी होता है. लड़के तो सफेद कुरतापाजामा या पैंटटीशर्ट के साथ खुश हो जाते हैं लेकिन लड़कियां हैं जो होली के रंगों में भी फैशन के ट्रैंड को तलाश करती रहती हैं.

सब से आगे हैं लड़कियां

अनारकली का क्रेज होली पर सब से ज्यादा है और इस की डिमांड भी खूब है. लखनवी प्रिंट और लखनवी वर्क के कुरतों की डिमांड होली में सब से ज्यादा होती है. लखनवी प्रिंट वाले अनारकली सूट को पहन कर सभी लड़कियां होली में नए लुक के साथ दिखना चाहती हैं. होली के खास मौके पर सफेद व पीले रंग का अनारकली कुरता सब से ज्यादा पसंद किया जा रहा है. अनारकली कुरते की खास बात यह भी होती है कि इस को वनपीस के रूप में भी पहना जा सकता है. अनारकली कुरते के साथ ट्रेडिशनल झुमके होली में फैशन का अलग ही रंग घोल देते हैं.

कुछ लड़कियों को लगता है कि अनारकली कुरता उन की फिगर को सूट नहीं करता. वे इस होली पर लैगिंग के साथ सामान्य सा शौर्ट लखनवी कुरता या टौप पहन सकती हैं. इस के साथ कलरफुल फुल स्लीव्स वाला जैकेट पहनें. होली पर पारंपरिक सफेद कुरते के साथ जींस पहनी जा सकती है. इस की वजह यह है कि सफेद कुरते पर होली के सारे रंग नजर आ जाते हैं. आजकल लेडीज ही नहीं, टीनएज लड़कियां भी होली पार्टी में साड़ी पहन सकती हैं.

साड़ी होली पर पहनने वाला सब से बेहतरीन परिधान है. साड़ी से ट्रेडिशनल लुक भी आता है. फिल्मी होली में साड़ी सब से ज्यादा प्रयोग की जाती है. इस को पहन कर हीरोइन वाले लुक की फीलिंग आती है. साड़ी पहनने से पहले इस को सलीके के साथ पहनना सीखना जरूरी होता है. खासकर होली में क्योंकि एक बार भीगने के बाद यह शरीर से चिपकने लगती है, होली में इनरवियर कपड़े ऐसे हों जो शरीर को पूरी तरह से ढक सकें.

कालेज में होली के लिए युवाओं में एक अलग ही उत्साह होता है क्योंकि कालेज की होली ही असल फैशन रैंप वाली होली होती है. लड़कियां शौर्ट्स, ट्राउजर्स और स्टाइलिश टीशर्ट्स पहन कालेज पहुंचती हैं. कुछ कालेजों में होली के दिन रेन डांस थीम भी रखा जाता है जिस का मजा लेने से युवा नहीं चूकते. वे फैशन का पूरापूरा ध्यान रखते हैं ताकि कुछ हो न हो, इंस्टाग्राम के लिए तसवीरें तो आ ही जाएं.

डिजाइनर नेहा सिंह कहती है कि होली में 2 तरह के कपड़े प्रयोग करने होते हैं, एक जिन को पहन कर होली खेल सकें और दूसरे जिन को पहन कर होली मिलन कर सकें. दोनों ही तरह के कपड़े स्टाइलिश और फैशनेबल होने चाहिए. रंग खेलने वाले कपड़े सस्ते होने चाहिए. ऐसे में होली के रंगों पर भी अब फैशन का रंग चढ़ गया है. होली केवल रंगों से भरा त्योहार नहीं रह गया अब यह बाजार बन गया है.

Holi 2024: इन बातों का रखें ख्याल, होली होगी और भी मजेदार

होली उमंग, उल्लास, उधम-कूद, भाग दौड़ का त्योहार है. मस्ती के इस मौके पर हमारी एक छोटी सी लापरवाही से किसी का बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐसे में हम आपको कुछ खास बाते बताने वाले हैं, जिनको ध्यान में रख कर आप बेहतर ढंग से होली का लुत्फ उठा सकती हैं.

शुगर पर रखें काबू

इस बात का ख्याल रखना खासा जरूरी है. खास कर के जो लोग शुगर के मरीज हैं. त्योहारों में तेल और शक्कर से बने हुए पकवानो की भरमार होती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए तेल और चीनी, दोनों ही नुकसानदायक होते हैं. मौज मस्ती में इन पकवानो का अधिक सेवन बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. इस लिए जरूरी है कि आप अपने खानपान पर अत्धिक ध्यान रखें और संयामित हो कर कुछ भी खाएं.

आंखों का रखें ख्याल

होली में खेले जाने वाले रंग रसायन से मिल कर बने होते हैं. अगर ये आंख में चले जाएं तो तेज जलन और कौर्निया को नुकसान पहुंचा सकते हैं. जो लोग लेंस लगात हैं, वो रंग खेलते वक्त अपने लेंस उतार लें. ऐसा ना करना उनकी आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है.

दिल का रखें ध्यान

दिल की बीमारी झेल रहे लोगों को मिठाइयों, तेल के पकवानो से दूरी बनानी चाहिए. होली पर बनने वाले पकवान उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. भारी खानपान से बेहतर कुछ हल्का फुल्का खाएं. त्योहार के उत्साह में कुछ भी ऐसा ना करें जिससे दिल पर जोर पड़े या धड़कन तेज हो जाए. अपनी दवाइयों को लेना ना भूलें.

किसी के नाक में ना जाए रंग

होली खेलते हुए हमें इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि रंग किसी की नाक में ना जाए. ये रंग आर्टिफीशियल होते हैं और तरह तरह के रसायनो से बने होते हैं. ऐसे में अगर रंग नाक में जाएगा तो गंभीर परेशानियां हो सकती हैं.

Holi 2024: रेस्टोरेंट स्टाइल में बनाएं पनीर टिक्का मसाला करी

Holi 2024: होली पर परिवारी और मित्रों के लिए क्या स्पेशल बनाया जाए यह बहुत बड़ी समस्या होती है क्योंकि गुझिया, अनरसा जैसे पारम्परिक व्यंजन और मिठाई खाकर पहले ही हर कोई बोर हो चुका होता है दूसरे आजकल अधिकांश लोग हैल्थ कॉन्शस होते हैं और वे पहले से बने नाश्ते की अपेक्षा ताजे भोजन को ही प्राथमिकता देते हैं. कोई भी मेहमान आये पनीर तो हम बनाते ही हैं, आज हम आपको पनीर से एकदम रेस्टोरेंट जैसा पनीर टिक्का मसाला करी बनाना बता रहे हैं जिसे बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही बेहद स्वादिष्ट होने के कारण यह मेहमानों को भी बहुत पसंद आएगा. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए         4

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री(टिक्का के लिए)

पनीर                             300 ग्राम

शिमला मिर्च                  1

प्याज                            1

ताजा दही                       500 ग्राम

हल्दी पाउडर                   1/2 टीस्पून

बेसन                              1 टीस्पून

नमक                            1/2 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च         1 टीस्पून

अदरक, लहसुन हरी मिर्च पेस्ट  1 टीस्पून

तेल                                 1 टेबलस्पून

सामग्री(करी के लिए)

टमाटर                           4(मध्यम)

प्याज                             2

साबुत लाल मिर्च               3

तेजपात पत्ता                   2

तेल                            1 टेबलस्पून

हल्दी                        1/4 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च       1/2 टीस्पून

नमक                          1/4 टीस्पून

गर्म मसाला                  1/4 टीस्पून

काजू                           6

अदरक                          1 छोटी गांठ

लहसुन                           4 कली

सामग्री(टिक्का करी के लिए)

प्याज बारीक कटा            1

टमाटर बारीक कटा          2

हल्दी पाउडर                   1/4 टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च           1/2 टीस्पून

नमक                              1/4 टीस्पून

धनिया पाउडर                 1 टीस्पून

कसूरी मैथी                    1 टीस्पून

तेल                                 1टेबलस्पून

ताजी मलाई                    1 टेबलस्पून

विधि

दही को एक छलनी में डालकर  4-5 घण्टे के लिए रख दें ताकि हंग कर्ड तैयार हो जाये. पनीर, प्याज और शिमला मिर्च को चौकोर टुकड़ों में काट लें. अब छलनी से दही को निकालकर एक बाउल में डालें तथा सभी मसाले व बेसन डालकर अच्छी तरह चलाएं. पनीर, प्याज और शिमला मिर्च के चौकोर टुकड़े डालकर अच्छी तरह चलाएं और 30 मिनट के लिए ढककर रख दें. आधे घण्टे बाद एक नॉनस्टिक पैन में तेल लगाकर मध्यम आंच पर इन्हें अलग अलग सुनहरा होने तक दोनों तरफ से सेंक लें.

ग्रेवी बनाने के लिए प्याज और टमाटर को चार टुकड़ों में काट लें. गर्म तेल में तेजपात डालकर प्याज को सॉते करके, साबुत लाल मिर्च, अदरक, लहसुन को हल्का सा भूनकर टमाटर डाल दें. 3-4 मिनट टमाटर को भूनकर सभी मसाले व काजू डालकर अच्छी तरह चलाएं. 1 कप पानी डालकर 5मिनट तक ढककर पकाकर गैस बंद कर दें. ठंडा होने पर मिक्सी में महीन पीसकर छलनी से छान लें.

टिक्का करी बनाने के लिए गर्म तेल में प्याज सौते करके हल्दी पाउडर, कसूरी मैथी व  मसाले डालकर अच्छी तरह चलाकर कटे टमाटर डाल दें. जब टमाटर पूरी तरह गल जाएं तो छनी हुई ग्रेवी डाल कर चलाएं. 1 कप पानी डालें. जब 2-3 उबाल आ जाएं तो सिके हुए टिक्का डालकर धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं. ताजी मलाई को फेंटकर डालें और गर्मागर्म टिक्का करी परांठा या रोटी के साथ सर्व करें.

Holi 2024: होली में अपने घर को सजाएं ऐसे

दोस्तों बहुत सारी जगहें ऐसी होती है जैसे कि होटल है या कोई भी स्टोर या स्पा वगैरह जहां पर हम भले ही एक ही बार जाते हैं पर हमेशा के लिए हमारे माइंड में उसकी मेमोरी रजिस्टर हो जाती है. जैसे कि हम किसी होटल में गए तो हमें लगा की वाह क्या होटल था, क्या रूम था, क्या आर्गेनाईजेशन था.

इसका क्या कारण है? दोस्तों इसका कारण है वहां का वातावरण, वहां का औरा या ऑर्गेनाइजेशन या फिर स्टाइलिंग जिसकी वजह से वो जगह हमें हमेशा के लिए याद रह जाती है. तो हम अपने घर में ऐसा क्या करें कि हमारा घर भी इन्ही जगहों की तरह स्टाइलिश और मेन्टेन रहे.

दोस्तों हम अपने घर को हर त्यौहार के हिसाब से सजा सकते हैं. जरूरी नहीं है कि जब त्यौहार हो तभी हम घर सजाएं लेकिन हां कुछ स्पेशल करना है तो ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं है .

होली रंगों का त्योहार है और शायद प्यार और दोस्ती के बंधन को मजबूत करने का सबसे अच्छा समय है. यह आपके घर को सजाने का सबसे अच्छा समय है.

दोस्तों होली का त्यौहार बस आने ही वाला है  इसलिए आपने होली पार्टी के लिए सबसे अच्छा मेजबान बनने की तैयारी शुरू कर दी होगी, चाहे वह स्वादिष्ट भोजन हो या आकर्षक और रंगीन आउटडोर सजावट. आप कुछ अनूठा करके पार्टी को यादगार बनाने के इच्छुक होंगे. होली और दिवाली जैसे त्योहारों के लिए, अपने घर को सजाना एक बहुत ही दिलचस्प काम है. आपको केवल त्योहार को ध्यान में रखते हुए सजावट की वस्तुओं का चयन करना होगा. उदाहरण के लिए, दिवाली रोशनी का त्यौहार  है इसलिए हम अपने घर को सजाने के लिए मोमबत्तियां, दीये, रोशनी आदि खरीदते हैं .वैसे ही होली  रंगों का त्यौहार  है, इसलिए जब आप अपने घर को सजाने जा रहे हैं, तो अपने घर की सजावट के लिए रंगों के चयन पर विशेष ध्यान दें.

दोस्तों आइये जानते है की होली के इस रंगीन त्यौहार को और भी आकर्षक और रचनात्मक सजावट के साथ ज्यादा रंगीन और विशेष बनाने के लिए हम अपने घर को कैसे सजाएं-

अपने मास्टर बेडरूम की सजावट

एक थकान भरे दिन के बाद जिंदगी की भागदौड़ से राहत हमें अपने बेडरूम में ही मिलती है यह वह जगह है जहां हम सपनों में डूब जाते हैं और हर दिन एक नई शुरुआत करते है. अपने बेडरूम को एक नया बदलाव देने के बिना घर की सजावट अधूरी मानी जाती है .

आप अपने रूम के हिसाब से किसी प्रिंट फैमिली का एक बेडशीट का  सेट खरीद सकते हैं, आप चाहे तो आप कलरफुल बेडशीट भी यूज कर सकते हैं कलरफुल पिलो कवर के साथ . इससे आपके लिए डेकोरेशन काफी आसान हो जाएगा. आप जितने चाहे उतने पिलोज और cushion  यूज़ करके अपने लिए एक आरामदायक जगह बना सकते हैं .

अब बात करें आपके रूम के wall की तो आप अपनी वॉल के कलर के हिसाब से पिक्चर फ्रेम यूज कर सकते हैं. हर बार वॉल पेंट यूज़ करना जरूरी नहीं है आप चाहे तो सर्कुलर मिरर भी यूज करके एक नया लुक क्रिएट कर सकते हैं. मिरर से डेकोरेट करना ट्रेंड में भी है. इससे आपकी वॉल को सही हाईलाइट मिलेगी. अब इस पूरे लुक को कंप्लीट करने के लिए हम बेड साइड टेबल को छोटे प्लांट्स और बुक से डेकोरेट करेंगे. आप चाहे तो अपने बोरिंग कर्टन हटा करके कलरफुल कर्टन भी यूज कर सकते हैं. ये होली में आपके रूम को vibrant लुक देगा.

बाथरूम

अपने बाथरूम में रखे बोरिंग तौलिये को रंगीन तौलिये में  बदल दें. खुशबूदार साबुन की छोटी छोटी बॉल्स कई रंगों  में आती हैं उन्हें बाथरूम के काउंटरटॉप पर आकर्षक रूप से सजा दें . होली सजावट के साथ मैच करने के लिए बाथरूम की खिड़की में रंगीन ताजे फूलों की फूलदान भी रखें.

लिविंग रूम

अपने लिविंग रूम को एक vibrant  मेकओवर देने से आपको होली के त्योहार के लिए सही माहौल बनाने में मदद मिल सकती है. यदि आप कोई स्थायी परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं, तो आप अपने घर को आकर्षक  लुक देने के लिए लिविंग एरिया में रंगीन curtain का इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही साथ आप अपने लिविंग एरिया के लिए मिरर वर्क कुशन खरीद सकते हैं क्योंकि यह फेस्टिव लुक देगा .अपनी सेंटर टेबल ताजे फूलों के गुलदस्ते से सजाना न भूलें.

अपनी सेंटर टेबल को सजाने के लिए

आप फूलों की पंखुड़ियों के साथ कुछ नए और रंगीन क्रिस्टल बाउल भी use  कर सकते  हैं. आप अपने लिविंग रूम की दीवार को आधुनिक रंग के फुल हैंड पेंटिंग और आर्ट वर्क से भी सजा  सकते हैं.

एक चीज़ याद रहिये की फर्श  घर का मुख्य हिस्सा है. यह रंगों का त्यौहार है इसलिए आप अपने घर के लिए एक विशेष रंग की हस्तनिर्मित आधुनिक कालीन खरीद सकते हैं. ये कालीन  खास तौर पर होली की थीम पर तैयार किए जाते हैं .

और एक चीज़ त्योहारों में रंगोली का बहुत महत्व होता है . इसलिए अपने सामने के दरवाजे में रंगों से सुंदर रंगोली बनाकर अपने प्रवेश द्वार को सजाएं. आप अपने घर में उत्सव के आकर्षण को जोड़ने के लिए एक फूलों की रंगोली जोड़ सकते हैं.

किचन

अपने पूरे घर को डेकोरेट करते समय अपने किचन को मिस न करें. ये घर का सबसे प्रमुख हिस्सा होता है. आप अपने किचन के प्रवेश द्वार पर एक आकर्षक रंगोली बना सकते हैं . आप होली सजावट को पूरा करने के लिए रसोई की छत के केंद्र में एक कलरफुल लालटेन  भी लटका सकते हैं.और आप चाहे तो फूलों की छोटी छोटी झालरें भी किचन के प्रवेशद्वार पर लटका सकते है.

सुनिश्चित करें कि आप घर के अंदर होली न खेलें. घर के अंदर होली खेलने से आपके सामान, जैसे फर्नीचर, सोफा और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को नुकसान हो सकता है.तो अपने मेहमान को आमंत्रित करने के लिए अपने घर को सजाएँ जरूर पर हो सके तो अपनी छत या लॉन में होली खेलें.

जाहिर है कि कोई घर के अंदर होली नहीं खेलेगा, इसलिए यहां बाहरी व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-

लॉन और छत

होली एक बाहरी त्यौहार है जिसे आमतौर पर लॉन, आँगन, बालकनियों और छतों में मनाया जाता है. होली खेलने के लिए इन स्थानों को तैयार करें. फूल इन स्थानों को सजाने का सबसे अच्छा तरीका है. अपनी रेलिंग को रंगीन  फूलों की माला से सजाएं. त्योहार के आनंद को बढाने  के लिए एक फूलों की रंगोली के साथ अपने छत या लॉन को सजाएं. हैं.

पानी से भरे रंगीन गुब्बारे होली खेलने के लिए लगभग सभी को पसंद होते हैं. तो क्यों न इन्हें अपने पार्टी स्पेस को सजाने में इस्तेमाल किया जाए. गुब्बारों के गुलदस्ते बनाकर  उन्हें विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से बांध दे चाहे वो छत का प्रवेश द्वार हो या लॉन का .

Holi 2024: संबंध- क्या शादी नहीं कर सकती विधवा

‘‘इस औरत को देख रही हो… जिस की गोद में बच्चा है?’’

‘‘हांहां, देख रही हूं… कौन है यह?’’

‘‘अरे, इस को नहीं जानती तू?’’ पहली वाली औरत बोली.

‘‘हांहां, नहीं जानती,’’ दूसरी वाली औरत इनकार करते हुए बोली.

‘‘यह पवन सेठ की दूसरी औरत है. पहली औरत गुजर गई, तब उस ने इस औरत से शादी कर ली.’’

‘‘हाय, कहां पवन सेठ और कहां यह औरत…’’ हैरानी से दूसरी औरत बोली, ‘‘इस की गोद में जो लड़का है, वह पवन सेठ का नहीं है.’’

‘‘तब, फिर किस का है?’’

‘‘पवन सेठ के नौकर रामलाल का,’’ पहली वाली औरत ने जवाब दिया.

‘‘अरे, पवन सेठ की उम्र देखो, मुंह में दांत नहीं और पेट में आंत नहीं…’’ दूसरी वाली औरत ने ताना मारते हुए कहा, ‘‘दोनों में उम्र का कितना फर्क है. इस औरत ने कैसे कर ली शादी?’’

‘‘सुना है, यह औरत विधवा थी,’’ पहली वाली औरत ने कहा.

‘‘विधवा थी तो क्या हुआ? अरे, उम्र देख कर तो शादी करती.’’

‘‘अरे, इस ने पवन सेठ को देख कर शादी नहीं की.’’

‘‘फिर क्या देख कर शादी की?’’ उस औरत ने पूछा.

‘‘उस की ढेर सारी दौलत देख कर.’’

आगे की बात निर्मला न सुन सकी. जिस दुकान पर जाने के लिए वह सीढि़यां चढ़ रही थी, तभी ये दोनों औरतें सीढि़यां उतर रही थीं. उसे देख कर यह बात कही, तब वह रुक गई. उन दोनों औरतों की बातें सुनने के बाद दुकान के भीतर न जाते हुए वह उलटे पैर लौट कर फिर कार में बैठ गई.

ड्राइवर ने हैरान हो कर पूछा, ‘‘मेम साहब, आप दुकान के भीतर क्यों नहीं गईं?’’

‘‘जल्दी चलो बंगले पर,’’ निर्मला ने अनसुना करते हुए आदेश दिया.

आगे ड्राइवर कुछ न बोल सका. उस ने चुपचाप गाड़ी स्टार्ट कर दी.

निर्मला की गोद में एक साल का बच्चा नींद में बेसुध था. मगर कार में बैठने के बाद भी उस का मन उन दोनों औरतों के तानों पर लगा रहा. उन औरतों ने जोकुछ कहा था, सच ही कहा था. निर्मला उदास हो गई.

निर्मला पवन सेठ की दूसरी ब्याहता है. पहली पत्नी आज से 3 साल पहले गुजर गई थी. यह भी सही है कि उस की गोद में जो लड़का है, वह रामलाल का है. रामलाल जवान और खूबसूरत है.

जब निर्मला ब्याह कर के पवन सेठ के घर में आई थी, तब पहली बार उस की नजर रामलाल पर पड़ी थी. तभी से उस का आकर्षण रामलाल के प्रति हो गया था. मगर वह तो पवन सेठ की ब्याहता थी, इसलिए उस के खूंटे से बंध गई थी.

यह भी सही है कि निर्मला विधवा है. अभी उस की उम्र का 34वां पड़ाव चल रहा है. जब वह 20 साल की थी, तब उस की शादी राजेश से कर दी गई थी. वह बेरोजगार था. नौकरी की तलाश जारी थी. मगर वह इधरउधर ट्यूशन कर के अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहा था.

निर्मला की सास झगड़ालू थी. हरदम वह उस पर अपना सासपना जताने की कोशिश करती, छोटीछोटी गलतियों पर बेवजह चिल्लाना उस का स्वभाव बना हुआ था. मगर वह दिन काल बन कर उस पर टूट पड़ा, जब एक कार वाला राजेश को रौंद कर चला गया. अभी उन की शादी हुए 7 महीने भी नहीं बीते थे और वह विधवा हो गई. समाज की जरूरी रस्मों के बाद निर्मला की सास ने उसे डायन बता दिया. यह कह कर उसे घर से निकाल दिया कि आते ही मेरे बेटे को खा गई.

ससुराल से जब विधवा निकाली जाती है, तब वह अपने मायके में आती है. निर्मला भी अपने मायके में चली आई और मांबाबूजी और भाई के लिए बो झ बन गई. बाद में एक प्राइवेट स्कूल में टीचर बन गई. तब उसे विधवा जिंदगी जीते हुए 14 साल से ऊपर हो गए.

समाज के पोंगापंथ के मुताबिक, विधवा की दोबारा शादी भी नहीं हो सकती है. उसे तो अब जिंदगीभर विधवा की जिंदगी जीनी है. ऐसे में वह कई बार सोचती है कि अभी मांबाप जिंदा हैं लेकिन कल वे नहीं रहेंगे, तब भाई कैसे रख पाएगा? यही दर्द उसे हरदम कचोटता रहता था.

निर्मला कई बार यह सोचती थी कि वह मांबाप से अलग रहे, मगर एक विधवा का अकेले रहना बड़ा मुश्किल होगा. मर्दों के दबदबे वाले समाज में कई भेडि़ए उसे नोचने को तैयार बैठे हैं. कई वहशी मर्दों की निगाहें अब भी उस पर गड़ी रहती हैं. मां और बाबूजी भी उसे देख कर चिंतित हैं. ऐसी कोई बात नहीं है कि सिर्फ  वही अपने बारे में सोचती है.

मां और बाबूजी भी सोचते हैं कि निर्मला की जिंदगी कैसे कटेगी? वे खुद भी चाहते थे कि निर्मला की दोबारा शादी हो जाए, मगर समाज की बेडि़यों से वे भी बंधे हुए थे.

इसी कशमकश में समाज के कुछ ठेकेदार पवन सेठ का रिश्ता ले कर निर्मला के बाबूजी के पास आ गए.

बाबूजी को मालूम था कि पवन सेठ बहुत पैसे वाला है. उस का बड़ा भाई मनोहर सेठ के नाम से मशहूर है. मगर दोनों भाइयों के बीच 30 साल पहले ही घर की जायदाद को ले कर रिश्ता खत्म हो गया था. आज तक दोनों के बीच बोलचाल बंद है.

बाबूजी यह भी जानते थे कि पवन सेठ 64 साल के ऊपर है. यह बेमेल गठबंधन कैसे होगा? तब समाज के ठेकेदारों ने एक ही बात बाबूजी को सम झाने की कोशिश की थी कि यह निर्मला की जिंदगी का सवाल है. पवन सेठ के साथ वह खुश रहेगी.

तब बाबूजी ने सवाल उठाया था कि पवन सेठ नदी किनारे खड़ा वह ठूंठ है कि कब बहाव में बह जाए. फिर निर्मला विधवा की विधवा रह जाएगी. तब समाज के ठेकेदारों ने बाबूजी को सम झाया कि देखो, वह विधवा जरूर हो जाएगी, मगर सेठ की जायदाद की मालकिन बन कर रहेगी.

तब बाबूजी ने निर्मला से पूछा था, ‘निर्मला तुम्हारे लिए रिश्ता आया है.’

वह सम झते हुए भी अनजान बनते हुए बोली, ‘रिश्ता और मेरे लिए?’

‘हां निर्मला, तुम्हारे लिए रिश्ता.’

‘मगर बाबूजी, मैं एक विधवा हूं और विधवा की दोबारा शादी नहीं हो सकती,’ अपने पिता को सम झाते हुए निर्मला बोली थी.

‘हां, नहीं हो सकती है, मैं जानता हूं. मगर जब सोचता हूं कि तुम यह लंबी उम्र कैसे काटोगी, तो डर जाता हूं.’

‘जैसे, कोई दूसरी विधवा काटती है, वैसे ही काटूंगी बाबूजी,’ निर्मला ने जब यह बात कही, तब बाबूजी सोचविचार में पड़ गए थे.

तब निर्मला खुद ही बोली थी, ‘मगर बाबूजी, मैं आप की भावनाओं को भी अच्छी तरह सम झती हूं. आप बूढ़े पवन सेठ के साथ मेरा ब्याह करना चाहते हैं.’

‘हां बेटी, वहां तेरी जिंदगी अच्छी तरह कट जाएगी और विधवा की जिंदगी से छुटकारा भी मिल जाएगा,’ बोल कर बाबूजी ने अपने मन की सारी बात कह डाली थी. तब वह भी सहमति देते हुए बोली थी, ‘बाबूजी, आप किसी तरह की चिंता मत करें. मैं यह शादी करने के लिए तैयार हूं.’

यह सुन कर बाबूजी का चेहरा खिल गया था. फिर पवन सेठ के साथ निर्मला की बेमेल शादी हो गई.

निर्मला पवन सेठ के बंगले में आ गई थी. दुकान के नौकर अलग, घर के नौकर अलग थे. घर का नौकर रामलाल 20 साल का गबरू जवान था. बाकी तो वहां अधेड़ औरतें थीं.

जब पवन सेठ के साथ निर्मला हमबिस्तर होती थी, वह बहुत जल्दी ठंडा पड़ जाता था. राजेश के साथ जो रातें गुजारी थीं, पवन सेठ के साथ वैसा मजा नहीं मिलता था.

पवन सेठ ने कई बार उस से कहा था, ‘निर्मला, तुम मेरी दूसरी पत्नी हो. उम्र में बेटी के बराबर हो. अगर मेरी पहली पत्नी से कोई औलाद होती, तब वह तुम्हारी उम्र के बराबर होती. मैं तु झ से औलाद की आस रखता हूं. तुम मु झे एक औलाद दे दो.’

‘औलाद देना मेरे अकेले के हाथ में नहीं है,’ निर्मला अपनी बात रखते हुए बोली, ‘मगर, मैं देख रही हूं…’

‘क्या देख रही हो?’ उसे रुकते देख पवन सेठ ने पूछा.

‘हमारी शादी के 6 महीने हो गए हैं, मगर जितना जोश पैदा होता, वह पलभर में खत्म हो जाता है.’

‘अब मैं उम्र की ढलान पर हूं, फिर भी औलाद चाहता हूं,’ पवन सेठ की आंखों का इशारा वह सम झ गई. तब उस ने नौकर रामलाल से बातचीत करना शुरू किया.

निर्मला उसे बारबार किसी बहाने अपने कमरे में बुलाती, आंखों में हवस लाती. कभी वह अपना आंचल गिराती, कभी ब्लाउज का ऊपरी बटन खोल देती, तो कभी पेटीकोट जांघों तक चढ़ा लेती. मर्द कैसा भी पत्थरदिल हो, आखिर एक दिन पिघल ही जाता है.

रामलाल ने कहा, ‘मेम साहब, आप का मु झे देख कर बारबार आंचल गिराना मु झे अच्छा नहीं लगता. आप क्यों ऐसा करती हैं?’

‘अरे बुद्धू, इतना भी नहीं सम झता है,’ निर्मला मुसकरा कर बोली और उस के गाल को चूम लिया.

‘सम झता तो मैं सबकुछ हूं, मगर मालिक…’

‘मालिक कुछ भी नहीं कहेंगे,’ बीच में ही उस की बात काट कर निर्मला बोली, ‘मालिक से क्यों घबराता है?’

यह सुन कर रामलाल पहले तो हैरान हुआ, फिर धीरे से मुसकरा दिया. उस ने आव न देखा न ताव निर्मला को दबोच लिया और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

निर्मला ने कुछ नहीं कहा. फिर क्या था, निर्मला की शह पा कर जब भी मौका मिलता, वे दोनों हमबिस्तर हो जाते. इस का फायदा यह हुआ कि निर्मला का जोश शांत होने लगा था और एक दिन वह पेट से हो गई.

पवन सेठ बहुत खुश हुआ और जब पहला ही लड़का पैदा हुआ, तब पवन सेठ की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा.

निर्मला और बच्चे की देखरेख के लिए एक आया रख ली गई. जब भी बाजार या कहीं दूसरी जगह जाना होता, निर्मला अपने बच्चे को आया के पास छोड़ जाती है. मगर आज उस की ममता जाग गई थी, इसलिए साथ ले गई थी.

‘‘मेम साहब, बंगला आ गया,’’ जब ड्राइवर ने यह कहा, तब निर्मला पुरानी यादों से लौटी. जब वह कार से उतरने लगी, तब ड्राइवर ने पूछा, ‘‘मेम साहब, जिस दुकान पर आप खरीदारी करने पहुंची थीं, वहां से बिना खरीदारी किए क्यों लौट आईं?’’

‘‘मेरा मूड बदल गया,’’ निर्मला ने जवाब दिया.

‘‘मूड तो नहीं बदला मेम साहब, मगर मैं सब समझ गया,’’ कह कर ड्राइवर मुसकराया.

‘‘क्या सम झे मानमल?’’ गुस्से से निर्मला बोली.

‘‘इस बच्चे को ले कर उन औरतों ने…’’

‘‘देखो मानमल, तुम अपनी औकात में रहो,’’ बीच में ही बात काट कर निर्मला बोली.

‘‘हां मेम साहब, मैं भूल गया था कि मैं आप का ड्राइवर हूं,’’ माफी मांगते हुए मानमल बोला, ‘‘मगर, सच बात तो होंठों पर आ ही जाती है.’’

‘‘क्या सच बात होंठों पर आ जाती है?’’ निर्मला ने पूछा.

‘‘यही मेम साहब कि उन दोनों औरतों ने बच्चे को देख कर कहा होगा कि यह बच्चा सेठजी का खून नहीं है, बल्कि उन के नौकर रामलाल का है,’’ मानमल ने साफसाफ कह दिया.

तब निर्मला गुस्से से बोली, ‘‘देखो मानमल, तुम हमारे नौकर हो और अपनी हद में रहो. औरों की तरह हमारे संबंधों को ले कर बात करने की जरूरत नहीं है,’’ कह कर निर्मला कार से उतर गई.

अभी निर्मला दालान पार कर रही थी कि आया ने आ कर बच्चे को उस से ले लिया. मानमल फिर मुसकरा दिया.

Holi 2024: मीठी परी- सिम्मी और ऐनी में से किसे पवन ने अपनाया

romantic story in hindi

Holi 2024: शुगर के हैं मरीज, तो त्योहार में इन तरीकों से रखें अपना ख्याल

डायबिटीज़/ मधुमेह क्या है……?

डायबिटीज़ मेलिटस टाईप 1 या टाईप 2 प्रकार का होता है. इस बीमारी में शरीर में ब्लड ग्लुकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसा इंसुलिन का उत्पादन कम होने या शरीर में इसका सही उपयोग न होने के कारण होता है. अगर डायबिटीज़ का ठीक से नियन्त्रण न किया जाए इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं. यह जानलेवा दिल की बीमारियों, किडनी रोगों, आंखों की समस्याओं और तंत्रिकाओं की समस्याओं का कारण तक बन सकता है. लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि आप त्योहार का आनंद न लें आप डायबिटीज़ के साथ भी त्योहारों का पूरा आनंद ले सकते हैं. इसके लिए आपको सिर्फ अपने डायबिटीज़ पर नियन्त्रण रखना है.

डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए होली के दौरान सुझावः

यहां हम कुछ सुझाव लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप होली का पूरा आनंद ले सकते हैं.

1. खूब पानी पीएं/ हाइड्रेटेड रहें

त्योहार के दौरान खूब सारा पानी पीएं, इससे न केवल आपका पेट साफ रहता है बल्कि आप हमेशा फुल महसूस करते हैं और आपको ऐसा खाना खाने की इच्छा नहीं करती, जो आपके लिए सेहतमंद नहीं है. जहां तक हो सके, चाय, काॅफी, शराब या कार्बोनेटेड पेय के बजाए नींबू पानी, नारियल पानी, लस्सी का सेवन करें.

2. अपनी प्लेट पर नियंत्रण रखें

त्योहारों में सब जगह मीठा ही मीठा दिखाई देता है, एक बीकाजी गुजिया में 174 कैलोरी और एक पूरन पोली में 291 कैलोरी होती हैं. इसलिए अच्छा होगा आप अपने खाने पर ध्यान दें. आजकल कई ब्राण्डस चीनी रहित भारतीय मिठाईयां भी बनाते हैं. आप इन मिठाईयों का सेवन कर सकते हैं. मीठा खाते समय इसकी मात्रा पर खास ध्यान दें, कम से कम मात्रा में ही मिठाई खाएं. ध्यान रखें कि आप क्या और कितनी मात्रा में खा रहे हैं.

3. सेहतमंद स्नैक्स खाएं

खाने के बीच स्नैक्स खाने का मन करे तो मूंगफली क बजाए बादाम, अखरोट, पिस्ता खाएं. तले हुए समोसे- कचोरी से बचें. प्रोटीन युक्त आहार जैसे दाल, पनीर तथा फाइबर युक्त आहार जैसे सलाद, फलों का सेवन करें. इससे आपको मिठाई खाने की इच्छा कम होगी.

4. व्यायाम करना न भूलें

सैर, जौगिंग, सूर्य नमस्कार जैसे व्यायाम करें, इनसे ब्लड शुगर नियन्त्रित बनी रहती है. आउटडोर गतिविधियां करें और त्योहार का भरपूर आनंद लें. डांस करना भी बहुत अच्छा व्यायाम है.

5. ब्लड ग्लुकोज़ को मौनिटर करें

नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर जांचते रहें, साथ ही अपनी दवा लेना भी न भूलें. होली के दौरान आप रोज़मर्रा से अलग खाना खाते हैं, इसलिए ब्लड शुगर पर निगरानी रखना ज़रूरी है. हाई एवं लो ब्लड शुगर के लक्षणों को पहचानों. अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो अपने कार्बोहाइड्रेट सेवन के आधार पर इंसुलिन की खुराक एडजस्ट करें.

6. धीरे-धीरे खाएं

धीरे धीरे खाने से आपका पेट जल्दी भरता है और आप ज़्यादा कैलोरीज़ से अपने आप को बचा पाते हैं.

हम त्योहार मनाते हैं उन्हें यादगार बनाने के लिए. इसलिए अपनी सीमाओं को पहचानें, अपनी सहत का ख्याल रखें और त्योहारों का भरपूर लुत्फ़ उठाएं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें