Mother’s Day 2024: सैल्फी- आखिर क्या था बेटी के लिए निशि का डर?

निशि पत्रिका के पेज पलटे जा रही थी, परंतु कनखियों से बेटी कुहू को देखे जा रही थीं. आधे घंटे से कुहू अपने फोन पर कुछ कर रही थी. देखतेदेखते निशि अपना धैर्य खो बैठीं तो डांटते हुए बोलीं, ‘‘कुहू, क्यों अपना भविष्य अंधकारमय कर रही हो? हर समय फोन से खेलती रहती हो… आखिर तुम्हारी पढ़ाईलिखाई का क्या होगा? यदि नंबर अच्छे नहीं आए तो किसी अच्छे कालेज में दाखिला नहीं मिलेगा,’’ और उन्होंने उस के हाथ से फोन छीन लिया.

‘‘मम्मा, देखो भी मैं ने फेसबुक पर अपनी सैल्फी पोस्ट की थी. 100 लाइक्स थोड़ी सी देर में ही मिल गए और कौमैंट तो देखिए, मजा आ गया. कोई हौट, लिख रहा है, तो कोई सैक्सी… यह तो कमाल हो गया,’’ कह कुहू प्यार से मां से लिपट गई.

‘‘कुहू छोड़ो भी मुझे… तुम तो पागल कर के छोड़ोगी… फेसबुक पर अपना फोटो क्यों डाला?’’

‘‘तो क्या हुआ? मेरी सारी फ्रैंड्स डालती हैं, तो मेरा भी मन हो आया.’’

‘‘अच्छा, अब बहुत हो गया. उसे तुरंत डिलीट कर दो.’’

‘‘मम्मा, आप पहले कमैंट्स तो पढ़ो, मजा आ जाएगा.’’

‘‘उफ, तुम्हें कब अक्ल आएगी,’’ निशि सिर पर हाथ रख कर बैठ गईं.

तभी निधि की सास सुषमाजी कमरे में घुसती हुई बोलीं, ‘‘क्या हुआ निशि, क्यों बेटी को डांट रही हो? क्या किया इस ने?’’

‘‘मम्मीजी, आप इसे समझाती क्यों नहीं. इस ने फेसबुक पर अपना फोटो डाला है. 18 साल की हो चुकी है, लेकिन बातें हर समय बच्चों वाली करती है… आजकल समय बहुत खराब है.’’

‘‘निशि, मैं तुम्हें बारबार समझाती हूं… पर तुम कुछ ज्यादा ही इसे ले कर परेशान रहती हो.’’

‘‘क्या करूं मम्मीजी, टीवी, पत्रपत्रिकाएं सभी लड़कियों के साथ होने वाले अत्याचारों से भरे होते हैं. अब तो हद हो गई है… रास्ते में चलती लड़कियों को कार वाले खींच कर ले जाते हैं… अपनी दिल्ली अब लड़कियों के लिए कतई सुरक्षित नहीं रह गई है. जब से दामिनी वाला हादसा हुआ है मेरा तो दिल हर समय डर से कांपता रहता है.

‘‘कल शाम को मेरी सहेली पूजा आई थी. कह रही थी कि उस का मैनेजर उसे रोज शाम को काम के बहाने रोक लेता था और फिर कभी कौफी, तो कभी डिनर के लिए चलने को कहता. फिर एक दिन तो उस ने उस का हाथ भी पकड़ लिया. बस उसी दिन से इस्तीफा दे कर वह घर बैठ गई. अब दूसरी नौकरी ढूंढ़ रही है.

‘‘मम्मीजी, हम आगे बढ़ रहे हैं या पीछे होते जा रहे हैं… 2-3 दिन पहले मुंबई से ईशा का फोन आया था कि जूनियर लोगों की प्रोमोशन होती जा रही है, परंतु उस की प्रोमोशन रुकी हुई है, क्योंकि वह लड़की है… लड़के अपने बौस की विदेशी दारू से सेवा करते हैं… लड़की हो तो उन की डिमांड को समझो… मम्मीजी, मुझे अपनी कुहू को देख कर बहुत डर लगता है.’’

‘‘निशि, जो डरा सो मरा. इसलिए बहादुरी से जीवन जीओ… सब की लड़कियां बड़ी होती हैं और लड़के भी बड़े होते हैं. उसे अपने पास बैठा कर अच्छेबुरे की पहचान करना सिखाओ.

‘‘यदि उस ने फेसबुक पर फोटो पोस्ट कर दिया तो इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है. आजकल सभी बच्चे ये सब करते रहते हैं.’’

छोटे शहर और साधारण परिवार से संबंध रखने वाली निशि अपनी सुंदरता के कारण नेताजी के लड़के साथ ब्याह कर दिल्ली जैसे महानगर में आ गई थीं. नेताजी कपड़ों की तरह पार्टियां बदलते रहते और उन का बेटा रंगीनमिजाज नीरज सुरा और साकी दोनों ही बदलता रहता. इन सब कारणों से वह अपनी बेटी के भविष्य को ले कर बहुत चिंतित रहती थीं.

‘‘मम्मीजी, कुहू कुछ समझने को ही तैयार नहीं… अपने कमरे में शीशे के सामने मेकअप करेगी, म्यूजिक चैनल पर डांस देखदेख कर वैसे ही डांस करती है.’’

‘‘निशि, तुम समझदार बनो… यह तो उस की उम्र है. इस समय मस्ती नहीं करेगी तो कब करेगी? तुम अपना भूल गई… तुम भी अपनी हमउम्र सहेलियों के साथ फिल्मी पत्रिकाएं और फैशन की बातें छिपछिप कर करती रही होंगी.’’

‘‘मम्मीजी, आप सही कह रही हैं, मैं भी एक बार स्कूल कट कर पिक्चर देखने गई थी…’’

‘‘नीरज कह रहे हैं कि यह को-एड कालेज में ही पढ़ेगी. आप क्यों नहीं मना करती हैं? यह इतनी सुंदर है और साथ ही भोली और नाजुक भी है. कैसे लड़कों की निगाहों को झेल पाएगी?’’

‘‘माई डियर मम्मा, लो गरमगरम चाय पीओ. मैं ने बनाई है. आप खुश रहा करो… तब आप बहुत प्यारी लगती हो. आप की बेटी किसी भी लफड़े में नहीं पड़ेगी, इतना तो आप पक्का समझो.’’ कह कुहू अंदर चली गई.

‘‘निशि, मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकती हूं कि तुम नीरज के रोजरोज के नएनए स्कैंडल से परेशान रहती हो, परंतु बेटी सब से अच्छा उपाय है कि तुम अपनी बेटी पर विश्वास करो. मैं ने भी तुम्हारे पापाजी की राजनीति में रहने के कारण बड़ी विषम परिस्थितियों को झेला है.’’

तभी निशि की बचपन की सहेली स्नेहा आ गई. बोली, ‘‘क्या बात है, चाय पर सासबहू में क्या चर्चा हो रही है?’’

सुषमाजी उठती हुई बोलीं, ‘‘मेरी तो मीटिंग है, इसलिए मैं चलती हूं… अपनी सहेली को समझा कर जाना.’’

‘‘कुहू, स्नेहा के लिए 1 कप चाय बना दो.’’

‘‘नो मम्मा. मेरा आज का चाय बनाने का कोटा फिनिश हो गया… अब मैं स्नेहा आंटी से बातें करूंगी.’’

स्नेहा एक कंपनी में मार्केटिंग हैड है, इसलिए निशि हमेशा उसे अपना आदर्श मानती हैं और अपने दिल का बोझ उस के सामने हलका कर लिया करती हैं.

स्नेहा ने कुहू को प्यार से गले लगाते हुए कहा, ‘‘माई स्वीटी, लुकिंग वैरी नाइस.’’

‘‘थैंक्यू आंटी. मम्मा ने तो मुझे परेशान कर रखा है.’’

‘‘क्या हुआ? निशि बड़ी परेशान दिख रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं… यह बड़ी हो रही है… इसे वही समझाने की कोशिश करती रहती हूं, पर इस ने तो मानो न समझने का प्रण कर रखा है.’’

‘‘दिन भर टीवी पर रेप की खबरें देखदेख कर जी दहल जाता है. जराजरा सी बात पर मुंह पर ऐसिड फेंक देते हैं.’’

‘‘निशि, सड़क पर ऐक्सीडैंट हो जाते हैं, यह सोच कर न तो गाडि़यां चलनी बंद होती हैं और न ही इनसानों का चलना. हर समय परेशान रहने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता… कुहू को अपनी सुरक्षा के लिए जूडोकराटे क्लास जौइन कराओ.’’

‘‘आंटी, मम्मा तो चाहती हैं कि मैं रातदिन किताबों के सामने से न हटूं… बताइए क्या यह संभव है? बालकनी में खड़ी हो कर बाल सुलझाने लगूं तो लंबा लैक्चर दे डालेंगी. यदि किसी दिन ट्यूशन से आने में 5 मिनट की भी देरी हो जाए तो हंगामा कर देंगी… आंटी, मेरी सारी फ्रैंड्स के बौयफ्रैंड हैं. सब साथ मूवी देखने जाते हैं, कैफे जाते हैं… खूब मस्ती करते हैं. लेकिन मैं कहीं नहीं जा सकती… सब मेरा मजाक उड़ाते हैं कि मम्माज डौटर.’’

निशि किसी काम से अंदर गई हुई थीं.

‘‘आंटी, मुझे तो खुद ही लड़कों से दोस्ती ज्यादा पसंद नहीं है, लेकिन हर समय टोकाटाकी से मैं परेशान हो जाती हूं,’’ कुहू की आंखें भर आई थीं.

तभी निशि कमरे में आ गईं. वे कुहू को डांटते हुए बोलीं, ‘‘तुम्हारी शिकायतें पूरी हो गई हों तो जाओ… तुरंत पढ़ने बैठ जाओ.’’

‘‘मम्मा, प्लीज ठहरिए. मुझे आंटी से बात कर लेने दीजिए. मैं 15 मिनट बाद जा कर पढ़ने बैठ जाऊंगी.’’

स्नेहा प्यार से कुहू के सिर पर हाथ फेरती हुई बोलीं, ‘‘कुहू, अपने कालेज फ्रैंड़स के बारे में बताओ?’’

कुहू ने चुपके से निशि की ओर इशारा किया तो स्नेहा बोलीं, ‘‘निशि चाय पीने का मन है… चाय बना लाओ.’’

मजबूरन निशि को वहां से जाना पड़ा.

निशि के जाते ही कुहू बोली, ‘‘आंटी, मम्मा मुझ पर शक करती हैं… मेरे फोन के मैसेज छिपछिप कर चैक करती हैं… मेरा लैपटौप खंगालती रहती हैं.’’

‘‘यह तो गलत बात है. अपनी बेटी पर शक नहीं करना चाहिए.’’

‘‘आंटी, एक मजे की बात बताऊं? मैं ने अपना फोटो पोस्ट किया तो मुझे 50 फ्रैंड रिक्वैस्ट आईं… मैं ने भी मस्ती के लिए एक को क्लिक कर चैटिंग करने लगी… उस ने लिखा था कि तुम बहुत सुंदर हो… मुझ से दोस्ती करोगी? मैं ने जवाब में लिखा कि मैं तो बहुत भद्दीमोटी और काली हूं… आई एम टोटली अगली गर्ल… इसलिए मेरा कोई बौयफ्रैंड नहीं है. इस पर उस ने लिखा कि फिर भी मैं तुम से दोस्ती करूंगा, क्योंकि तुम लड़की तो हो ही… मस्ती के लिए लड़की चाहिए… गोरीकाली कोई भी चलेगी… बताओ कल शाम 5 बजे कहां मिलोगी?

‘‘आंटी, मुझे बहुत गुस्सा आया. अत: मैं ने लिख दिया कि मस्ती के लिए गंदे नाले में डूब मरो.

‘‘आंटी, मैं मम्मा से कहती हूं, पुरातनपंथी बातें छोड़ कर मेरी तरह मौडर्न बनो. मुझ से मेरी कालेज की बातें सुना करो, पर वे मुझे डांट देती हैं.’’

‘‘तुम्हारे पापा के स्कैंडल्स की वजह से वे परेशान रहती हैं.’’

‘‘हां, मैं समझती हूं… इसीलिए तो मैं उन्हें और भी हंसाना और खुश रखना चाहती हूं.’’

छोटी सी लड़की के दिमाग में इतना कुछ भरा हुआ है, सोच कर स्नेहा को बहुत अच्छा लग रहा था.

‘‘आंटी, परसों मेरा बर्थडे था… मम्मीपापा रात को डिनर के लिए बाहर ले जा रहे थे… मैं ने जींस के साथ शौर्ट टौप पहना… बस मम्मा ने डांटना शुरू कर दिया कि टौप बहुत छोटा है… तेरा पेट दिखाई दे रहा है. फिर पापा ही बोले कि ठीक है निशि, बच्ची है हर बात में टोका न करो.’’

निशि ने कुहू की बात सुन ली थी. आगे क्यों नहीं बताया कि मौल में किसी लड़के ने कुहनी मारी… फिर पापा से लड़ाई होने लगी… वह तो मौल के गार्ड के बीचबचाव से मामला शांत हो गया… मेरा तो मूड ही खराब हो गया था.

‘‘आप मम्मा को समझाइए कि अब मैं बड़ी हो गई हूं. चौकलेट मुझे पसंद है, इसलिए खाती हूं. जैसे ही मैं ड्रैसअप होती हूं, मुझे देखते ही डांटना शुरू कर देती हैं कि फिर तुम ने इस टौप को पहन लिया… कानों में ये क्या लटका लिए… किस के साथ जा रही हो? कहां जा रही हो? कब आओगी…? मेरी सारी फ्रैंड्स मेरा मजाक उड़ाती हैं.

‘‘भैया सारे घर में तौलिया पहन कर घूमता रहेगा… कोई कुछ नहीं बोलेगा. सारी बंदिशें मेरे लिए ही. स्लीवलैस टौप नहीं पहनोगी, शौर्ट्स नहीं पहनोगी, लिपस्टिक क्यों लगा ली? किस का फोन था? किस का मैसेज था? किस के संग बैठ कर पढ़ोगी… जैसे उन के हजार प्रश्नों से मैं तंग हो चुकी हूं. प्लीज आंटी मम्मा को समझाइए.’’

निशि के कमरे में घुसते ही कुहू पल भर में वहां से उड़नछू हो गई थी पर आंखोंआंखों से स्नेहा से रिक्वैस्ट कर गई थी.

‘‘निशि तुम ने चाय बहुत अच्छी बनाई है… क्या बात है, तुम्हारे चेहरे पर परेशानी और चिंता झलक रही है?’’

‘‘स्नेहा, मैं कुहू के भविष्य को ले कर बहुत चिंतित हूं. नीरज को तो जानती ही हो, उन की अपनी दुनिया है, इसलिए हर पल मैं किसी अनिष्ट की आशंका से डरती रहती हूं.’’

‘‘ऐसा भी क्या है? अच्छीभली है तुम्हारी बेटी… पढ़ने में होशियार है… समझदार है… सुंदर है. तुम्हारे पास पैसा भी है. फिर किस बात का डर तुम्हें सताता रहता है?’’

‘‘मेरे घर का माहौल तो तुम जानती ही हो. पापाजी नेता हैं. सैकड़ों लोग आतेजाते रहते हैं… उन के कुछ दोस्त अकसर आते हैं, जिन्हें कुहू दादू कहती है… यह उन के पास बैठ कर बातें करती है, ठहाके लगाती है तो मेरा खून खौल उठता है… घर में पीनेपिलाने वाली पार्टियां होती रहती हैं… बापबेटा दोनों साथ बैठ कर पीते हैं. मैं अपने मन का डर आखिर किस से कहूं? अगले साल इसे अच्छे कालेज में दाखिला मिल जाए, तो होस्टल भेज दूंगी… मगर होस्टल का नाम सुनते ही मुझ से चिपक कर सिसकने लगती है.

‘‘जब टीवी या पेपर में रेप या ऐसिड अटैक की घटना सुनती हूं तो डर से कांपने लगती हूं. ऐसा मन करता है इसे अपने पल्लू में छिपा लूं. लेकिन ऐसा संभव नहीं है… इसे पढ़नालिखना है, भविष्य में आगे बढ़ना है, अपने पैरों पर खड़े होना है…’’

‘‘निशि, जब तुम ये सब समझती हो तो क्यों परेशान रहती हो?’’

‘‘जैसे ही मैं इसे डांटती हूं तो तुरंत मुझे जवाब देती है कि मम्मा आप बैकवर्ड हो… आप से अच्छी तो दादी हैं… वे मौडर्न हैं… आप मुझ से न जाने क्या चाहती हैं? ऐसा मन करता है कि एक दिन इस की पिटाई कर दूं.’’

एक ओर मासूम कुहू की बातें तो दूसरी ओर निशि के दिल का डर, सब कुछ मन में गड्डमड्ड होने लगा था. दोनों अपनीअपनी जगह सही थीं. फिर स्नेहा निशि का हाथ अपने हाथ में ले कर बोलीं, ‘‘निशि, मैं तुम्हारे डर को महसूस कर रही हूं… हर मां इस दौर से गुजरती है. मेरी भी बेटी बड़ी हो रही है. जब वह ड्राइवर के साथ गाड़ी में स्कूल जाती है, तो मुझे भी मन में बुरेबुरे खयाल आते हैं, लेकिन स्कूल भेजना बंद तो नहीं हो जाएगा? कुहू उम्र के ऐसे दौर में है जब सब कुछ इंद्रधनुष की तरह आकर्षक और सतरंगा दिखाई पड़ता है.

‘‘आजकल के बच्चे हम लोगों से ज्यादा होशियार और समझदार हैं… सब से पहली बात यह कि अपनी बेटी पर विश्वास करो. अपने मन से शक का कीड़ा निकाल फेंको.

‘‘तुम दिन भर घर में रहती हो. नीरज की अपनी दुनिया है. इन सब कारणों से तुम्हारे मन में नकारात्मक विचारों ने अपना घर बना लिया है… तुम्हें इस से उबरना पड़ेगा… तुम घर से बाहर निकलो. अनेक हौबी क्लासेज है… अपनी रुचि की क्लास जौइन कर लो… तुम्हें पहले घर सजाने का बड़ा शौक था… तुम इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स जौइन करो. इस समय तुम खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत को चरितार्थ कर रही हो.

‘‘जब तुम रोज घर से निकलोगी. 10-20 लोगों से मिलोगी, उन की समस्याओं और बातों को सुनोगी तो तुम्हें समझ में आएगा कि दुनिया उतनी बुरी भी नहीं है. अपने को व्यस्त रखोगी तो दिन भर कुहू के लिए होने वाली चिंता अपनेआप कम हो जाएगी.

‘‘तुम कुहू की सहेली बनने का प्रयास करो. वह 21वीं शताब्दी की लड़की है. वह अपने भविष्य के लिए पूरी तरह जागरूक है.

‘‘मेरी वह निशि कहां खो गई है, जो बड़ीबड़ी बहसों में सब को हरा कर प्रथम आती थी? यदि मेरी बात कुछ समझ में आई हो तो दोनों मांबेटी मिल कर फेसबुक के कौमैंट्स पर ठहाके लगा कर देखो, कितना मजा आता है. अच्छा निशि, बातों में समय का पता ही नहीं लगा… चलती हूं… किसी दिन मेरे घर आना.’’

पीछेपीछे कुहू भागती हुई आई… शायद वह हम दोनों की बातें सुन रही थी. उस की आंखों की मासूम चमक देख अच्छा लग रहा था. वह मेरा हाथ पकड़ कर मेरे कान में फुसफुसाई, ‘‘थैंक्स आंटी.’’

Mother’s Day 2024: रिश्तों की बदलती परिभाषा

‘‘कविता क्या हुआ, परेशान क्यों है?’’

‘‘क्या बताऊं पूजा, मेरी सास आजकल न तो कुछ ठीक से खातीपीती हैं और न ही पहले की तरह खुश रहती हैं. उन का स्वास्थ्य दिनबदिन गिरता जा रहा है. वे कभीकभी छोटीछोटी बातों पर या तो गुस्सा करने या फिर रोने लगती हैं, जिस से घर का माहौल खराब हो जाता है. अब तुम्हीं बताओ, मैं क्या करूं?’’

‘‘तू ने इस बारे में अपने पति सुरेश और ननद रीतू से बात की?’’

‘‘हां, उन दोनों से बात की. उन का कहना है कि तुम बेकार में परेशान हो रही हो, बुढ़ापे में ये सब बातें आम होती हैं. लेकिन मैं जानती हूं पूजा, मेरी सास को कोई न कोई गम अंदर ही अंदर खाए जा रहा है, क्योंकि पहले उन का हंसमुख स्वभाव घर की रौनक होता था. उन के उस व्यवहार ने हमें सासबहू के रिश्ते में नहीं, बल्कि मांबेटी के रिश्ते में बांध रखा था, लेकिन अब उन का बातबात पर भड़क उठना मुझे परेशान कर जाता है.’’

अकेलेपन की टीस

कविता की यह समस्या भले छोटी नजर आती हो, लेकिन हकीकत में यह उस मकड़जाल की तरह है, जो समाज में व्याप्त होते हुए भी यदाकदा ही नजर आता है. दरअसल, हम आज भी पुरानी सोच की बेडि़यों में जकड़े हुए हैं, जहां अपने और पराए में हमेशा से ही भेदभाव रहा है. आज भी हम असहाय बुजुर्गों को देख कर यही सोचते हैं कि जरूर इन की दुर्गति में बहू की ही गलती रही होगी. लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि एक पराई (बहू) है तो बाकी तो अपने हैं. लेकिन जब ये अपने ही स्वार्थ की वेदी पर संस्कारों, प्यार और रिश्तों की तिलांजलि देते हुए पराए हो जाते हैं, तब ही बुजुर्ग सही माने में असहाय नजर आते हैं. यह विडंबना ही तो है कि जिस औलाद को मां अपना दूध पिला कर बड़ा करती है, बड़ा होने पर वही औलाद उसे अकेलेपन और तिरस्कार की अंधेरी खोह में धकेल देती है.

बदलता दौर और हकीकत

बदलाव जीवन का एक विशेष पहलू है. जिस तरह मौसम बदलते हैं, इंसान बदलते हैं, उसी तरह आज रिश्तों की परिभाषाएं भी बदलने लगी हैं. सासबहू का जो रिश्ता हमेशा वैमनस्य का प्रतीक माना जाता रहा है, वह अब बदलते दौर में प्रेम का प्रतीक बनता नजर आने लगा है. आज की पढ़ीलिखी, समझदार और जागरूक बहुओं ने सास और मां के बीच के फर्क को मिटाया है, तो अपनों के व्यवहार से दुखी बुजुर्गों ने भी उन्हें सहर्ष अपनाया है.

समय की ऊष्मा से पनपते रिश्ते

तिनकातिनका जोड़ कर बनाई हुई गृहस्थी को जब सास एक पल में खुशीखुशी बहू के हवाले कर देती है, तो यह बहू का कर्तव्य बनता है कि वह सास को हर हाल में खुश रखे. माना कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब पतिपत्नी दोनों ही नौकरीपेशा हैं, तो समय का अभाव होगा ही, लेकिन 24 घंटों में से अगर कुछ क्षण भी आप अपनी सास के साथ व्यतीत करती हैं, तो यह आप के और उन के रिश्ते को ऊष्मा प्रदान करने के साथसाथ आप के भविष्य को भी मजबूत करेगा, क्योंकि आज जो आप बोएंगी वह कल आप के बच्चों के रूप में सामने आएगा. इसलिए ध्यान रखें कि जिस तरह बीता समय और मुंह से निकले शब्द वापस नहीं आते, उसी प्रकार समयचक्र की गति में विलुप्त हुए रिश्ते भी अपना वजूद खो देते हैं. जरा सी समझदारी से समय के अभाव का समाधान ढूंढ़ा जा सकता है, जैसे दैनिक कार्य करते हुए अगर सास को भी साथी बना लें, तो उन की मदद से न सिर्फ किचन का कार्य जल्दी निबट जाएगा, उन के अनुभवी हाथों से बनाए गए व्यंजनों का स्वाद भी मिल जाएगा. लेकिन इस के बाद उन की तारीफ करना न भूलें और साथ ही उन से पाककला सीख कर उस में पारंगत होने का मौका भी न खोएं ताकि उन्हें भी घर में अपनी विशेष उपस्थिति का आभास होता रहे.

राय का उपयोग

सास को खुश रखने के लिए आप समयसमय पर उन की राय जरूर लें ताकि उन्हें एहसास हो कि उन की राय आप की जिंदगी में कितनी अहमियत रखती है. इस से आप के और उन के रिश्ते को मजबूत आधार मिलने के साथसाथ उन के जीवन के अनुभवों से आप का ज्ञान भी बढ़ेगा. शौपिंग करने जाते समय कभीकभी सास को भी अपने साथ ले जाएं और खरीदारी करते समय उन की राय को अहमियत दें. कोई नया काम शुरू करने जा रही हैं या घर की साजसज्जा में कोई परिवर्तन लाना चाहती हैं, तो उन की सलाह जरूर लें. यकीन मानिए, आप की यह छोटी सी पहल उन्हें खुशी से सराबोर कर देगी.

सरप्राइज वैकेशन प्लान

हर साल आप छुट्टियों में अपने पति और बच्चों की पसंद के अनुसार घूमने जाने का प्रोग्राम बनाती हैं. लेकिन इस बार आप अपनी सास की पसंद की जगह, चाहे वह उन का पुराना शहर हो या फिर कोई नई जगह, जहां वे जाना तो चाहती हैं, लेकि न पारिवारिक व्यस्तता के चलते नहीं जा पा रही हैं, जाने का प्रोग्राम बना कर उन्हें सरप्राइज दें और उन की नीरस जिंदगी में ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करें.

जिम्मेदारी का अनुभव

अगर आप कामकाजी महिला हैं, तो सारी जिम्मेदारियां सास पर छोड़ कर खुद निश्चिंत न रहें, बल्कि औफिस के दिनों में न सही, लेकिन छुट्टी वाले दिन अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उन्हें घर के कामों से मुक्त कर के खुद गृहस्थी को संभालें. इस से आप को अपने घर की हर चीज का ज्ञान होने के साथसाथ आप की सास को भी उन के प्रति आप की आत्मीयता का एहसास होगा.

खास मौकों पर खास पहल

सासससुर के जन्मदिन, शादी की सालगिरह और मदर्स डे पर उन्हें मुबारकबाद और गिफ्ट जरूर दें. हमउम्र सहेलियों को बुला कर छोटा सा गैटटुगैदर करें और उन की पार्टी का हिस्सा भी बनें. उस दिन आप को उन की जो बातें पसंद हैं उन्हें सब के सामने शेयर करें तथा पार्टी में अपने पति व बच्चों को भी जरूर शामिल करें. याद रखें, गिफ्ट के मूल्य से ज्यादा उन के लिए आप की भावनाएं माने रखती हैं.

स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें

बुजुर्ग खाने की चीजों को देख कर खुद को रोक नहीं पाते. परिणामस्वरूप उन का स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है. अगर आप की सास भी कुछ इसी तरह की हैं, तो उन की इच्छा को मान देते हुए उन्हें उन की पसंद का मीठा या नमकीन खाने तो दें, लेकिन एक सीमा तक. बाद में उन्हें प्यार से उन के स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना न भूलें. भूल से भी कटु वचनों का प्रयोग न करें. समयसमय पर उन का डाक्टर से चैकअप जरूर करवाती रहें. स्वस्थ तन और मन ही खुशहाल परिवार की निशानी हैं.

संपर्कसूत्र स्थापित करें

सास को कभी भी अकेले घर में छोड़ कर न जाएं. नौकरों के साथ तो कभी भी नहीं. अगर कभी जरूरी कार्य से जाना भी पड़ जाए तो अपनी ननद, बच्चों या देवर से उन का खयाल रखने को जरूर कहें. फोन के जरिए निरंतर उन का हालचाल पूछती रहें.

संस्कारों की नींव

बच्चों को अच्छे संस्कार दें. ध्यान रहे कि वे दादादादी, नानानानी सभी को पूरा सम्मान दें. उन की बातों की अवहेलना न करें. इस के लिए जरूरी है कि आप भी सासससुर की डांटडपट को सहजता से लें. गृहिणी रेखा गुप्ता कहती हैं, ‘‘सास हमारी मार्गदर्शिका हैं. उन की डांटडपट में भी हमारा हित छिपा होता है. मेरी सास मुझे बहुत प्यार करती हैं, लेकिन समयसमय पर मेरी गलतियों पर मुझे डांटने से परहेज भी नहीं करतीं ताकि अपनी गलतियों से सीख कर मैं परिवार में वह स्थान प्राप्त कर सकूं जोकि मेरी सास को बड़ी मुश्किलों से प्राप्त हुआ है. लेकिन इस मर्म को समझने के लिए हमें सास और मां के बीच के फर्क को मिटाना होगा.’’

समाधान

सास के एकाकीपन को दूर करने के कई आसान तरीके हैं, जैसे दोनों साथ सिनेमा देखने जाएं या फिर घर पर ही साथ बैठ कर टीवी देखते हुए सीरियलों पर हलकाफुलका हंसीमजाक या फिर चर्चा करें. विश्वास मानिए, यह चर्चा, हंसीमजाक उन के साथसाथ आप को भी खुश कर देगा और आप दोनों के रिश्ते को और पास लाएगा.          

आप अच्छी बहू हैं?

कुछ प्रश्नों के उत्तर देने से पता चल जाएगा कि आप कैसी बहू हैं… कहते हैं कि वर्तमान की नींव पर ही भविष्य की इमारत बुलंद होती है. कल आप का भविष्य कैसा होगा, यह बहुत कुछ आप के आज पर निर्भर करता है. तो आइए, देखें कि आप ने अपने वर्तमान में कैसे जी कर भविष्य के लिए क्या कुछ संजोया है:

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: मानसिक तनाव से जूझने के लिए बच्चों को दें ब्रेन डायट

1. क्या अपनों की अवहेलना से आहत सास को आप ने:

क. स्नेह और सम्मान से जीवन जीने को प्रेरित किया है.

ख. कोशिश तो की पर कामयाबी नहीं मिली.

ग. यह उन के बेटेबेटियों का मामला है,मुझे क्या?

2. क्या आप अपनी सास को उपहार देती रहती हैं:

क. सास नहीं, वे मेरी मां हैं. उपहार पा कर जब वे खुश होती हैं, तो अच्छा लगता है.

ख. कोई खास मौका हो तो उपहार देती हूं.

ग. सास कोई बच्ची तो नहीं.

3. घर की साजसज्जा में बदलाव लाते समय आप:

क. सास की सलाह अवश्य लेती हैं.

ख. उन्हें बताना ही काफी है.

ग. यह मेरा घर है मैं जो चाहे करूं.

4. आप सास का जन्मदिन और शादी की सालगिरह याद रखती हैं:

क. उन्हें सब से पहले मुबारकबाद दे कर चरणस्पर्श करती हूं.

ख. कभीकभी याद रहता है, तो मुबारकबाद दे देती हूं.

ग. सच कहूं तो इग्नोर ही करती हूं.

5. क्या आप अपनी हर खुशी में सास को शामिल करती हैं:

क. जरूर, उन के बिना हर खुशी अधूरी है.

ख. सास ही नहीं, सब को खुशी में शामिल करती हूं. सब बराबर हैं.

ग. सास को शामिल करना जरूरी नहीं समझती.

6. क्या आप सास के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहती हैं:

क. समयसमय पर उन की दवा और खानपान का पूरा ध्यान रखती हूं.

ख. कभीकभी उन से दवा लेने और खानेपीने को कह देती हूं.

ग. मुझे और भी काम हैं. कम से कम अपनी तबीयत का खयाल तो वे खुद रख ही सकती हैं.

7. क्या आप अपनी सास को समय देती हैं:

क. हां, हम रोज एकदूसरे के साथ कुछ समय बिताना पसंद करते हैं.

ख. कभीकभी शाम को बात कर लेती हूं.

ग. समय ही नहीं मिल पाता. हां, तबीयत के बारे में पूछ लेती हूं.

8. आप के बच्चे दादी को सम्मान देते हैं:

क. बिलकुल. दादी उन की बैस्ट फ्रैंड हैं.

ख. थोड़ाबहुत.

ग. दादी उन्हें ओल्डटाइप लगती हैं. भई, जेनरेशनगैप है.

9. मायके वालों के आने पर:

क. सास और मायके वालों के साथ बैठ कर हंसीखुशी बातचीत करती हूं.

ख. मायके वालों को अपने कमरे में ले जा कर खुशीखुशी बातें करती हूं.

ग. मायके वालों को अलग ले जा कर सास की बुराई करती हूं.

10. औफिस से पति के आने पर:

क. उन्हें सास के साथ समय बिताने को कहती हूं.

ख. पति के साथ खुद समय बिताना पसंद करती हूं.

ग. पति से सास की चुगली करती हूं.

11. आप की सास आप के लिए क्या हैं:

क. मां से बढ़ कर, जिन की छत्रछाया में जिंदगी खुशहाल है.

ख. घर की जिम्मेदारियों से कुछ हद तक छुटकारा पाने का जरिया.

ग. सिर्फ पुरातन सोच ओर बोझ की बेडि़यां.

12. क्या आप खुशीखुशी घर के उत्सवों और त्योहारों में शामिल होती हैं:

क. हां, बिलकुल. त्योहार और उत्सव घर में खुशियां लाते हैं.

ख. हां. समाज में रहते हुए यह सब करना पड़ता है.

ग. अपने हिसाब से त्योहार मानती हूं.

यदि आप के अधिकतम उत्तर ‘क’ हैं तो:

आप एक आदर्श और कुशल बहू हैं. आप और आप की सास का रिश्ता वाकई में एक मिसाल है. आप मानती हैं कि रिश्तों की गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें आदर और स्नेह से सींचना जरूरी है और आप की इसी सेवा और त्याग का परिणाम भविष्य में आप के बच्चों के रूप में सामने आएगा. वे भी आप के गुणों को अपने जीवन में उतारने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे, क्योंकि आप ही उन की प्रथम गुरु हैं.

यदि आप के अधिकांश उत्तर ‘ख’ हैं तो:

आप अपनी सास को मान तो देती हैं, लेकिन दिल से नहीं और यह कहीं न कहीं आप के व्यवहार से जाहिर भी होता है. इसलिए कोशिश कर के कभी सास की निरीह आंखों में झांक कर देखें, जहां कितने ही आंसू मौन रूप से बाहर निकलने से पहले ही उन के मन पर गिर कर जज्ब हो रहे हैं. इन आंसुओं को आप नहीं देख पा रही हैं. इस का प्रभाव आगे चल कर आप के बच्चों में दिखेगा, जब वे भी आप को उचित सम्मान नहीं देंगे. इसलिए समय रहते संभल जाएं.

यदि आप के अधिकतर उत्तर ‘ग’ हैं तो:

बुरा न मानें. कहीं से भी आप एक अच्छी बहू साबित नहीं हो पा रही हैं. यह आप भी जानती हैं. इस से रिश्ते मजबूत होने के बजाय बिखरेंगे ही. माना कि आप रिश्तों में स्पेस पसंद करती हैं, लेकिन स्वतंत्रता और बहिष्कार में अंतर होता है यह जानना जरूरी है वरना इस उक्ति के आप पर चरितार्थ होते समय नहीं लगेगा कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय.

Mother’s Day Special: डिनर में परोसें गरमागरम गट्टे का पुलाव

पुलाव तो आपने कई तरह के बनाए होंगे, लेकिन क्या आपने कभी गट्टे के पुलाव के बारे में सुना है. गट्टे की सब्जी अक्सर लोगों के घर में बनती होगी पर आज हम आपको गट्टे के पुलाव की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और दोस्तों को खिला सकते हैं. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी होता है.

हमें चाहिए

–  2 कप बेसन

–  थोड़ा सा दही

–  1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

–  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च

–  1 बड़ा चम्मच प्याज चौकोर कटा

– 2 प्याज पिसे

–  4-5 कलियां लहसुन पिसा

–  1 इंच टुकड़ा अदरक का कसा हुआ

–  4-5 बड़ी इलायची

–  4-5 छोटी इलायची

–  2 छोटे टुकड़े दालचीनी

–  4-5 लौंग

–  5-6 साबूत कालीमिर्च

–  चुटकीभर हींग

–  2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

–  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– थोड़ी सी हरीमिर्च कटी हुई

–  2-3 तेजपत्ते

–  घी या तेल आवश्यकतानुसार

–  1/4 कप घी

–  1 कप चावल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

बेसन को छान कर उस में नमक, लालमिर्च, अजवाइन और इच्छानुसार चौकोर कटा प्याज डाल कर पानी की मदद से बेसन का रोल बना कर भाप में पकाएं.

पानी से निकाल कर अलग रखें व ठंडा होने पर गोलगोल कतले काटें. घी गरम करें व सुनहरा लाल होने तक तल कर अलग रखें. घी गरम करें व लालमिर्च व साबूत खड़ा गरममसाला डाल कर चटकाएं.

दही में सारा पाउडर मसाला व नमक डालें. पिसा प्याज, लहसुन व अदरक डाल कर अच्छी तरह भूनें. दही में मिला मसाला डाल कर अच्छी तरह भूनें.

गट्टों वाला उबला पानी लगभग 21/2 प्याले डाल कर उबालें व गट्टे गलाएं. 1 बड़ा चम्मच तेल या घी गरम करें. तेजपत्ते डाल कर करारे करें फिर चावल और गट्टे डाल कर ढक कर पुलाव तैयार करें. हरीमिर्चों व धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

Mother’s Day 2024: एक्सपायर हुए कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को करें रिजेक्ट

जैसे ही किसी प्रोडक्‍ट की एक्‍सपॉयरी डेट आती है, उसे तुंरत फेंक देना चाहिए. लेकिन कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो ढ़ेर सारे कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को खरीद लाती हैं और फिर उन्‍हें नियमित रूप से इस्‍तेमाल नहीं करती हैं जिसके कारण वो रखे-रखे ही खराब हो जाते हैं. फाउंडेशन, मस्‍कारा, आईलाइनर आदि को कोई भी डेली नहीं लगाता है, अगर वो वर्किंग नहीं है. मेकअप प्रोडक्‍ट को रखने के लिए उनकी गाइडलाइन को अवश्‍य फॉलो करें और उनकी एक्‍सपायरी डेट भी जरूर देख लें. साथ ही आपको यह जानकारी भी रखनी चाहिए कि कौन से प्रोडक्‍ट को कितने समय तक अधिकतम, अपने मेकअप किट में रखा जा सकता है. सालों तक प्रोडक्‍ट को किट में रखने से वो सही नहीं बने रहते हैं और न ही उनके इस्‍तेमाल से त्‍वचा स्‍वस्‍थ रहेगी. बल्कि ऐसे उत्‍पाद, त्‍वचा पर बुरा असर छोड़ देते हैं.

1. मस्‍कारा : तीन महीने तक ही एक मस्‍कारा को इस्‍तेमाल करें. उसके बाद इसके इस्‍तेमाल करने से पलकें झड़ सकती हैं और आंखों में लालामी आ सकती है. साथ ही संक्रमण होने का डर भी बना रहता है.

2. फाउंडेशन: फाउंडेशन को एक साल से ज्‍यादा इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे हाथों से भी नहीं लगाना चाहिए वरना इंफेक्‍शन होने का डर बना रहता है. साथ ही इसे कूल और ड्राई स्‍थान पर रखना चाहिए.

3. आईलाइनर: लिक्विड आईलाइनर हो या पेंसिल आईलाइनर; दोनों को ही अधिकतम 8 महीने तक इस्‍तेमाल करना चाहिए. जब यह हल्‍का सा ड्राई हो जाता है तो इसका यूज करना बंद कर दें, वरना आंखों में भारीपन लगता है.

4. कंसीलर: कंसीलर को कोई भी नियमित इस्‍तेमाल करना नहीं चाहता है. इसे खरीदने के बाद अधिकतम 12 से 18 महीने तक ही मेकअप में रखें. बाद में इसे हटा दें, वरना आपकी त्‍वचा पर पैचेस भी पड़ सकते हैं.

5. ब्‍लश और ब्रोंजर: ब्‍लश और ब्रोंजर को आप 2 साल तक मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इसे ड्राई एंड कूल प्‍लेस पर रखना चाहिए. अगर यह सूख जाता है तो इसे तुरंत हटा दें. इसके ब्रशों को गंदा न होने दें, गंदे पर उन्‍हें तुरंत बदल दें.

6. लिपस्टिक: लिपस्टिक को एक साल तक रख सकते हैं लेकिन अगर आप इसे सीधे होंठो पर न लगाकर कॉटन बॉल से लगाती हैं तो इसे काफी लम्‍बे समय तक स्‍टोर किया जा सकता है.

7. आईशैडो: अगर पाउडर आईशैडो है तो दो साल तक स्‍टोर कर सकते हैं और क्रीम शैडो को एक साल तक स्‍टोर कर सकते हैं. इनके ब्रशों को बिल्‍कुल क्‍लीन रखें, ताकि आपको बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन न होने पाएं.

8. लिप ग्‍लॉस: लिप ग्‍लॉस को 6 महीने में ही बदल दें. वरना होंठ काले पड़ सकते हैं या उनमें कोई और समस्‍या आ सकती है.

 

Mother’s Day 2024- अधूरी मां: क्या खुश थी संविधा

story in hindi

Mother’s Day 2024: बिट्टू: नौकरीपेशा मां का दर्द

‘‘आज बिट्टू ने बहुत परेशान किया,’’ शिशुसदन की आया ने कहा. ‘‘क्यों बिट्टू, क्या बात है? क्यों इन्हें परेशान किया?’’ अनिता ने बच्चे को गोद में उठा कर चूम लिया और गोद में लिएलिए ही आगे बढ़ गई.

बिट्टू खामोश और उदास था. चुपचाप मां की गोद में चढ़ा इधरउधर देखता रहा. अनिता ने बच्चे की खामोशी महसूस की. उस का बदन छू कर देखा. फिर स्नेहपूर्वक बोली, ‘‘बेटे, आज आप ने मां को प्यार नहीं किया?’’ ‘‘नहीं करूंगा,’’ बिट्टू ने गुस्से में गरदन हिला कर कहा.

‘‘क्यों बेटे, आप हम से नाराज हैं?’’ ‘‘हां.’’

‘‘लेकिन क्यों?’’ अनिता ने पूछा और फिर बिट्टू को नीचे उतार कर सब्जी वाले से आलू का भाव पूछा और 1 किलो आलू थैले में डलवाए. कुछ और सब्जी खरीद कर वह बिट्टू की उंगली थामे धीरेधीरे घर की ओर चल दी. ‘‘मां, मैं टाफी लूंगा,’’ बिट्टू ने मचल कर कहा.

‘‘नहीं बेटे, टाफी से दांत खराब हो जाते हैं और खांसी आने लगती है.’’ ‘‘फिर बिस्कुट दिला दो.’’

‘‘हां, बिस्कुट ले लो,’’ अनिता ने काजू वाले नमकीन बिस्कुट का पैकेट ले कर 2 बिट्टू को पकड़ा दिए और शेष थैले में डाल लिए. अनिता बेहद थकी हुई थी. उस की इच्छा हो रही थी कि वह जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर बिस्तर पर ढेर हो जाए. पंखे की ठंडी हवा में आंखें मूंदे लेटी रहे और अपने दिलोदिमाग की थकान उतारती रहे. फिर कोई उसे एक प्याला चाय पकड़ा दे और चाय पी कर वह फिर लेट जाए.

लेकिन ऐसा संभव नहीं था. घर जाते ही उसे काम में जुट जाना था. महरी भी 2-3 दिन की छुट्टी पर थी. यही सब सोचते हुए अनिता घर पहुंची. साड़ी उतार कर एक ओर रख दी और पंखा पूरी गति पर कर के ठंडे फर्श पर लेट गई. बिट्टू ने अपने मोजे और जूते उतारे और उस के ऊपर आ कर बैठ गया.

‘‘मां…’’ ‘‘हूं.’’

‘‘कल से मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘कहां?’’

‘‘वहीं, जहां रोज तुम मुझे छोड़ देती हो. मैं सारा दिन तुम्हारे पास रहूंगा,’’ कहते हुए बिट्टू अपना चेहरा अनिता के गाल से सटा कर लेट गया. ‘‘फिर मैं दफ्तर कैसे जाऊंगी?’’ अनिता ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मत जाइए,’’ बिट्टू ने मुंह फुला लिया. ‘‘फिर मेरी नौकरी नहीं छूट जाएगी?’’

‘‘छूट जाने दीजिए…लेकिन कल मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘मत जाना,’’ अनिता ने झुंझलाते हुए कह दिया.

‘‘वादा,’’ बिट्टू ने बात की पुष्टि करनी चाही. ‘‘हां…देखूंगी,’’ कह कर अनिता अतीत में खो गई.

नौकरी करने की अनिता की बिलकुल इच्छा नहीं थी. वह तो घर में ही रहना चाहती थी. और घर में रह कर वह ऐसा काम जरूर करना चाहती थी, जिस से कुछ आर्थिक लाभ होता रहे. शुरू में उस ने अपनी यह इच्छा अजय पर जाहिर की थी. सुन कर वे बेहद खुश हुए थे और वादा कर लिया था कि वे कोशिश करेंगे कि उसे जल्दी ही कोई काम मिल जाए.

बिट्टू डेढ़ साल का ही था, जब एक दिन अजय खुशी से झूमते हुए आए और बोले, ‘आज मैं बहुत खुश हूं.’

‘क्या हुआ?’ अनिता ने आश्चर्य से पूछा. ‘तुम्हें नौकरी मिल गई है.’

‘क्या?’ उस का मुंह खुला रह गया, ‘लेकिन अभी इतनी जल्दी क्या थी.’ ‘क्या कहती हो. नौकरी कहीं पेड़ों पर लगती है कि जब चाहो, तोड़ लो. मिलती हुई नौकरी छोड़ना बेवकूफी है,’ अजय अपनी ही खुशी में डूबे, बोले जा रहे थे. उन्होंने अनिता के उतरे हुए चेहरे की तरफ नहीं देखा था.

‘लेकिन अजय, मैं अभी नौकरी नहीं करना चाहती. बिट्टू अभी बहुत छोटा है. जरा सोचो, भला मैं उसे घर में अकेले किस के पास छोड़ कर जाऊंगी.’ ‘तुम इस की चिंता मत करो,’ अजय ने अपनी ही रौ में कहा.

‘क्यों न करूं. जब तक बिट्टू बड़ा नहीं हो जाता, मैं घर से बाहर जा कर नौकरी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती.’ ‘कैसी पागलों जैसी बातें करती हो.’

‘नहीं, अजय, तुम कुछ भी कहो, मैं बिट्टू को अकेले…’ ‘मेरी बात तो सुनो, आजकल कितने ही शिशुसदन खुल गए हैं. वहां नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह छोड़ जाती हैं और शाम को वापस ले जाती हैं,’ अजय ने मुसकराते हुए कहा.

‘नहीं, मैं अपने बच्चे को अजनबी हाथों में नहीं सौपूंगी,’ अनिता ने परेशान से स्वर में कहा. ‘बिट्टू वहां अकेला थोड़े ही होगा. सुनो, वहां तो 3-4 महीने तक के बच्चे महिलाएं छोड़ जाती हैं. क्या उन्हें अपने बच्चों से प्यार नहीं होता?’ अनिता के सामने कुरसी पर बैठा अजय उसे समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘लेकिन…’ ‘लेकिन क्या?’ अजय ने झुंझला कर कहा.

अनिता अभी भी असमंजस में पड़ी थी. भला डेढ़ साल का बिट्टू उस के बिना सारा दिन अकेला कैसे रहेगा. यही सोचसोच कर वह परेशान हुई जा रही थी. ‘तुम देखना, 4-5 दिन में ही बिट्टू वहां के बच्चों के साथ ऐसा हिलमिल जाएगा कि फिर घर आने को उस का मन ही नहीं करेगा,’ अजय ने कहा.

लेकिन अनिता का मन ऊहापोह में ही डूबा रहा. वह अपने मन को व्यवस्थित नहीं कर पा रही थी. बिट्टू को अपने से सारे दिन के लिए अलग कर देना उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था. जब पहले दिन अनिता बिट्टू को शिशुसदन छोड़ने गई थी तो वह इस तरह बिलखबिलख कर रोया था कि अनिता की आंखें भर आई थीं. अजय उस का हाथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से ले गए थे.

दफ्तर में भी सारा दिन उस का मन नहीं लगा था. उस की इच्छा हो रही थी कि वह सब काम छोड़ कर अपने बच्चे के पास दौड़ी जाए और उसे गोद में उठा कर सीने से लगा ले. कितना वक्त लगा था अनिता को अपनेआप को समझाने में. शुरूशुरू में वह यह देख कर संतुष्ट थी कि बिट्टू जल्दी ही और बच्चों के साथ हिलमिल गया था. लेकिन इधर कई दिनों से वह देख रही थी कि बिट्टू जैसेजैसे बड़ा होता जा रहा था, कुछ गंभीर दिखने लगा था.

वह जब भी दफ्तर से लौटती तो देखती कि बिट्टू सड़क की ओर निगाहें बिछाए उस का इंतजार कर रहा होता. अपने बेटे की आंखों में उदासी और सूनापन देख कर कभीकभी वह सहम सी जाती.

दरवाजे की घंटी बजी तो अनिता की तंद्रा टूटी. बिट्टू उस के चेहरे पर ही अपना चेहरा टिकाए सो गया था. उसे धीरे से उस ने बिस्तर पर लिटाया और जल्दी से गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो अजय ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी थकीथकी सी लग रही हो?’’ ‘‘नहीं, ऐसे ही कुछ…तुम बैठो मैं चाय लाती हूं,’’ अनिता ने कहा और रसोई में आ गई. लेकिन रसोई में घुसते ही वह सिर पकड़ कर बैठ गई. वह भूल ही गई थी कि महरी छुट्टी पर है. सारे बरतन जूठे पड़े थे. उस ने जल्दी से कुछ बरतन धोए और चाय का पानी चढ़ा दिया.

‘‘बिट्टू क्या कर रहा है?’’ चाय का घूंट भरते हुए अजय ने पूछा. ‘‘सो रहा है.’’

‘‘इस समय सो रहा है?’’ सुन कर अजय को आश्चर्य हुआ. ‘‘हां, शायद दोपहर में सोया नहीं होगा,’’ अनिता ने कहा और फिर दो क्षण रुक कर बोली, ‘‘सुनो, आज बिट्टू बहुत परेशान था. उस ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. बहुत गुमसुम और गंभीर दिखाई दे रहा था.’’

‘‘क्यों?’’ अजय ने हैरानी से पूछा. ‘‘कह रहा था कि मुझे वहां अच्छा नहीं लगता. मैं घर पर ही रहूंगा. दरअसल, वह चाहता है कि मैं सारा दिन उस के पास रहूं,’’ अनिता ने झिझकते हुए कहा.

अजय थोड़ी देर सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘तुम खुद ही उस से चिपकी रहना चाहती हो.’’ ‘‘क्या कहा तुम ने?’’ अनिता के अंदर जैसे भक्क से आग जल उठी, ‘‘मैं उस की मां हूं, दुश्मन नहीं. फिर तुम्हारी तरह निर्दयी भी नहीं हूं, समझे.’’

‘‘शांत…शांत…गुस्सा मत करो. जरा ठंडे दिमाग से सोचो. इस के अलावा और कोई हल है इस समस्या का?’’ ‘‘खैर, छोड़ो इस बात को. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. साहब के लड़के के जन्मदिन पर देने के लिए कोई तोहफा खरीदना है.’’

‘‘तुम चले जाओ, आज मैं नहीं जा पाऊंगी,’’ अनिता उठते हुए बोली. ‘‘तुम्हारी बस यही आदत मुझे अच्छी नहीं लगती. जराजरा सी बात पर मुंह फुला लेती हो. उठो, जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

‘‘नहीं, अजय, मुंह फुलाने की बात नहीं है. काम बहुत है. महरी भी छुट्टी पर है. अभी कपड़े भी धोने हैं.’’ ‘‘अच्छा फिर रहने दो. मैं ही चला जाता हूं.’’

अनिता चाय के बरतन समेट कर जाने लगी तो अजय ने फिर पुकारा, ‘‘अरे, सुनो.’’ ‘‘अब क्या है?’’ उस ने मुड़ कर पूछा.

‘‘जरा देखना, कोई ढंग की कमीज है, पहनने के लिए.’’ ‘‘तुम उस की चिंता मत करो,’’ अनिता ने कहा और अंदर चली गई. अजय ने चप्पलें पैरों में डालीं और फिर बिना हाथमुंह धोए ही बाहर निकल गया. अनिता ने बिट्टू को उठा कर नाश्ता कराया और फिर उसे खिलौनों के बीच में बैठा दिया.

घर भर के काम से निबट कर अनिता खड़ी हुई तो देखा, घड़ी 12 बजा रही थी. कमरे में आई तो देखा कि अजय और बिट्टू दोनों फर्श पर गहरी नींद में डूबे हुए हैं. वह भी बत्ती बुझा कर बिट्टू के बगल में लेट गई. शीघ्र ही गहरी नींद ने उसे आ घेरा. सुबह शिशुसदन जाने के लिए तैयार होते वक्त बिट्टू फिर बिगड़ने लगा, ‘‘मैं वहां नहीं जाऊंगा. मैं घर में ही रहूंगा. बगल वाली चाची को देखो, सारा दिन घर में रहती हैं बबली को वह हमेशा अपने पास रखती हैं. और तुम मुझे हमेशा दूसरों के पास छोड़ देती हो. तुम गंदी मां हो, अच्छी नहीं हो. मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’

‘‘हम आप के लिए बहुत सारी चीजें लाएंगे. जिद नहीं करते बिट्टू. फिर तुम अकेले तो वहां नहीं होते. वहां कितने सारे तुम्हारे दोस्त होते हैं. सब के साथ खेलते हो. कितना अच्छा लगता होगा,’’ अनिता ने समझाने के लहजे में कहा. ‘‘नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगता. मैं वहां नहीं जाऊंगा. आया डांटती रहती है. कल मेरी निकर खराब हो गई थी. मैं ने जानबूझ कर थोड़े ही खराब की थी.’’

‘‘हम आया को डांट देंगे. चलो, जल्दी उठो. देर हो रही है. जूतेमोजे पहनो.’’ ‘‘मैं यहीं लेटा रहूंगा?’’ बिट्टू जमीन पर फैल गया.

अनिता को अब खीझ सी होती जा रही थी, ‘‘बिट्टू, जल्दी से उठ जा, वरना पिताजी बहुत गुस्सा होंगे. दफ्तर को भी देर हो रही है.’’ ‘‘होने दो,’’ बिट्टू ने चीख कर कहा और दूसरी तरफ पलट गया. अनिता बारबार घड़ी देख रही थी. उसे गुस्सा आ रहा था, पर वह गुस्से को दबा कर बिट्टू को समझाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘अरे भई, क्या बात है, कितनी देर लगाओगी?’’ बाहर से अजय ने पुकारा. ‘‘बस, 2 मिनट में आ रही हूं,’’ अनिता ने चीख कर अंदर से जवाब दिया और बिट्टू से बोली, ‘‘देख, अब जल्दी से उठ जा, नहीं तो मैं तुझे थप्पड़ मार दूंगी.’’

‘‘नहीं उठूंगा,’’ बिट्टू चिल्लाया. ‘‘नहीं उठेगा?’’

‘‘नहीं…नहीं…नहीं जाऊंगा…तुम जाओ…मैं यहीं रहूंगा.’’ ‘तड़ाक.’ अनिता ने गुस्से से एक जोरदार तमाचा उस के गाल पर दे मारा, ‘‘अब उठता है कि नहीं, या लगाऊं दोचार और…’’

अनिता का गुस्से से भरा चेहरा देख कर और थप्पड़ खा कर बिट्टू सहम गया. वह धीरे से उठ कर बैठ गया और डबडबाई आंखों से अनिता की ओर देखने लगा. फिर चुपचाप उठ कर जूतेमोजे पहनने लगा. अनिता उस का हाथ पकड़ कर करीबकरीब घसीटते हुए बाहर आई. दरवाजे पर ताला लगाया और स्कूटर पर पीछे बैठ गई. हमेशा की तरह बिट्टू आगे खड़ा हो गया.

शिशुसदन में छोड़ते वक्त अनिता ने बिट्टू को प्यार किया और अपना गाल उस की तरफ बढ़ा दिया पर बिट्टू ने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया और आगे बढ़ गया. ‘‘अच्छा बिट्टू,’’ अनिता ने हाथ हिलाया पर बिट्टू ने मुड़ कर भी नहीं देखा.

अनिता को आघात लगा, ‘‘बिट्टू,’’ उस ने फिर पुकारा.

‘‘अब चलो भी. पहले ही इतनी देर हो गई है,’’ अजय ने अनिता का हाथ पकड़ कर लगभग घसीटते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा कोई भी काम समय से नहीं होता,’’ स्कूटर स्टार्ट करते हुए उस ने अनिता की ओर देखा. वह अभी भी बिट्टू को जाते हुए देख रही थी.

‘‘अब बैठो न, खड़ीखड़ी क्या देख रही हो. तुम औरतों में तो बस यही खराबी होती है. जराजरा सी बात पर परेशान हो जाती हो,’’ अजय ने झल्लाते हुए कहा. पर अनिता अब भी वैसे ही खड़ी थी, मानो उस ने अजय की आवाज को सुना ही न हो.

‘‘तुम चलती हो या मैं अकेला चला जाऊं?’’ अजय दांत पीसते हुए बोला. लेकिन अनिता जैसे वहां हो कर भी नहीं थी. उस की आंखों में बिट्टू का सहमा हुआ चेहरा और उस की निरीह खामोशी तैर रही थी. वह सोच रही थी, बिट्टू छोटा है, हमारे वश में है. क्या इसी लिए हमें यह अधिकार मिल जाता है कि हम उस के जायज हक को भी इस तरह ठुकरा दें.

‘‘सुना नहीं…मैं ने क्या कहा?’’ अजय ने चिल्लाते हुए कहा तो अनिता चौंक गई. ‘‘नहीं…मैं कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अनिता ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए कहा.

‘‘क्या? तुम्हारा दिमाग तो सही है.’’ ‘‘हां, बिलकुल सही है,’’ अनिता ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘सुनो, हम ने उसे पैदा कर के उस पर कोई एहसान नहीं किया है. अपने सुख और अपनी खुशियों के लिए उसे जन्म दिया है. क्या हमारा यह फर्ज नहीं बनता कि हम भी उस की खुशियों और उस के सुख का ध्यान रखें?

‘‘अजय, मैं घर पर ही रहूंगी. मैं नहीं चाहती कि अभी से उस के दिल में मांबाप के प्रति नफरत की चिंगारी पैदा हो जाए और फिर मांबाप का प्यार पाना उस का हक है. मैं नहीं चाहती कि उस के कोमल मनमस्तिष्क पर कोई गांठ पड़े. मैं उतने पैसे में ही काम चला लूंगी जितना तुम्हें मिलता है पर बिट्टू को उस के अधिकार मिलने ही चाहिए.’’ ‘‘तो तुम्हें नहीं जाना?’’

‘‘नहीं,’’ अनिता ने दृढ़ स्वर में कहा. अजय ने स्कूटर स्टार्ट किया और तेजी के साथ दूर निकल गया. अनिता धीमे कदमों से वापस लौट गई. उस का मन अब बेहद शांत था. उसे अपने निर्णय पर कोई दुख नहीं था.

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाएं स्वादिष्ट पनीर और आम के रोल्स

अगर आप भी बच्चों के लिए कोई नई हेल्दी और टेस्टी रेसिपी की तलाश कर रही हैं तो पनीर आम रोल्स की रेसिपी आप के लिए परफेक्ट है. पनीर आम रोल्स आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जो आपको प्रोटीन का अच्छा सोर्स साबित होगा.

हमें चाहिए

– 1 दशहरी आम पका

– 50 ग्राम पनीर

– 1 बड़ा चम्मच बादाम फ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

– 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– थोड़ी सी स्ट्राबेरी लंबे पतले कटे टुकड़े

– थोड़ा सा बारीक कटा पिस्ता.

बनाने का तरीका

आम को छील कर लंबाई में स्लाइस कर लें. 7 स्लाइस बनेंगे. पनीर को हाथ से मसल कर इस में चीनी पाउडर, इलायची चूर्ण व बादाम के फ्लैक्स मिला दें. प्रत्येक स्लाइस पर थोड़ा सा पनीर वाला मिश्रण रख कर रोल कर दें. पिस्ता व स्ट्राबेरी से सजा कर सर्व करें.

इकलौती संतान की पेरेंट्स ऐसे करें देखभाल

आजकल लोगों की औसत आयु बढ़ गई है. लोग ज्यादा जीने लगे हैं. देश में बुजुर्गों की संख्या 1961 से लगातार बढ़ रही है और 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13.8 करोड़ पार हो गई है. 2031 में उन की कुल आबादी 19.38 करोड़ होने का अनुमान है. ‘नैशनल स्टैटिक्स औफिस’ की एक स्टडी में यह बात सामने आई. वैसे तो यह सुकून की बात है. लेकिन इन की आबादी बढ़ने से एक नई समस्या भी खड़ी हो गई है.

दरअसल, आज के समय में अकसर घरों में एक ही संतान होती है. बच्चों की जिम्मेदारी उठाना और उन की पढ़ाई का खर्च इतना महंगा हो गया है कि लोग एक से ज्यादा बच्चे अफोर्ड नहीं कर पाते. यही नहीं कामकाजी महिलाएं और सिंगल परिवार होने की वजह से भी बहुत से लोग एक से ज्यादा बच्चों के बारे में सोच नहीं पाते. ऐसे में समस्या तब आती है जब बच्चे बड़े होते हैं और मांबाप बूढ़े हो जाते हैं.

उम्र के इस दौर में पेरैंट्स को बच्चों के सहारे की जरूरत पढ़ती है. मगर उन की देखभाल करने के लिए घर में कोई नहीं रह जाता क्योंकि अकसर पढ़ाई या नौकरी के लिए लड़के मैट्रो सिटीज में चले जाते हैं या फिर अगर बेटी है तो उसे ससुराल जाना पड़ता है. अगर बेटा उसी शहर में नौकरी करता है या अपना बिजनैस है तो मांबाप के साथ रहता है, वरना दूर चला जाता है. मुसीबत तब आती है जब पेरैंट्स में से एक यानी माता या पिता की मौत हो जाती है. तब दूसरा शख्स घर में बिलकुल अकेला रह जाता है.

बड़ी जिम्मेदारी

जब कोई लड़का या लड़की अपने मां-बाप की इकलौती संतान होती है तो उस पर अपना कैरियर बनाने के साथसाथ पेरैंट्स की देखभाल की भी जिम्मेदारी होती है. उसे कई बार इस वजह से समझौता भी करना पड़ता है क्योंकि उस के अलावा पेरैंट्स का कोई और सहारा नहीं होता. पेरैंट्स अपनी जिंदगी में कमाई हुई सारी दौलत और अपना पूरा प्यार अपने इकलौते बच्चे के नाम करते हैं.

ऐसे में बच्चे का भी दायित्व बनता है कि वह अपने पेरैंट्स के लिए कुछ करे. ज्यादातर बच्चे अपने पेरैंट्स की देखभाल करना भी चाहते हैं, मगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं होतीं.

आइए, जानते हैं किस परिस्थिति में आप किस तरह अपने पेरैंट्स की देखभाल कर सकते हैं:

जब बेटी इकलौती संतान है

29 साल की दिव्या अपने मांबाप की इकलौती संतान है. उसे एक बेटा और एक बेटी है. वह एक स्कूल में टीचर है. वैसे उस का पति विशाल उस से बहुत प्यार करता है और उस का खयाल भी रखता है, घर में किसी चीज की कमी नहीं है, मगर दिव्या अपने मम्मीपापा को ले कर परेशान रहती है क्योंकि विशाल अपने ससुराल से ज्यादा संबंध नहीं रखता.

दिव्या के पापा को 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है. मां से उन की देखभाल ठीक से नहीं होती. उन की आमदनी का पैंशन के अलावा कोई और साधन नहीं. जो रुपए जमा थे वे बेटी की पढ़ाई और शादी में खर्च हो गए. ऐसे में आर्थिक समस्याएं भी पैदा हो जाती थीं. कभीकभार दिव्या उन को पैसे दे देती तो विशाल को अच्छा नहीं लगता क्योंकि दिव्या के घर वालों से उसे बिलकुल लगाव नहीं था.

कभी दिव्या के मांबाप आते तो भी उन के साथ विशाल नौर्मल बातचीत नहीं करता. इस बात से वह बहुत दुखी रहती. दिव्या को इस बात की टैंशन रहती है कि अपने बूढ़े हो चुके मांबाप का खयाल कैसे रखे. उन का खयाल रखने के लिए और कोई नहीं है. इकलौती संतान होने के नाते वह उन के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझती है, मगर कुछ कर नहीं पाती क्योंकि वह अपने पति से भी झगड़ा लेना मोल नहीं चाहती है.

उसका पति सास-ससुर की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. वह कभीकभी तलाक लेने की बात सोचती है, मगर बच्चों की तरफ देख कर चुप रह जाती है. उस के मांबाप भी उसे ऐसा करने से साफ मना करते हैं.

ऐसे हालात में आखिर एक दिन दिव्या ने अपने पति विशाल से सवाल किया, ‘‘यदि मेरे मातापिता के स्थान पर तुम्हारे मातापिता होते तो भी क्या तुम ऐसा ही करते? जिस तरह से तुम्हारे बूढ़े मातापिता की जिम्मेदारी हम दोनों मिल कर उठाते हैं वैसे ही मेरे मातापिता का खयाल भी तो दोनों को ही रखना चाहिए. उन की मेरे सिवा कोई औलाद नहीं. मेरी पढ़ाई और शादी में उन्होंने सारे रुपए लगा दिए. ऐसे में उन्हें कभी डाक्टर को दिखाना हो या आर्थिक मदद करनी हो तब तुम पीछे क्यों हट जाते हो?’’

इस सवाल पर विशाल कोई जवाब नहीं दे सका. उस रात दिव्या ने देखा कि उस के सासससुर विशाल को कुछ समझ रहे हैं. अगली बार जब दिव्या मां को डाक्टर को दिखाने जा रही थी तब विशाल खुद आगे आया और कहने लगा कि चलो साथ चलते हैं. यह सुन दिव्या को अपने पति पर बहुत प्यार आया.

कोई सहारा नहीं

दरअसल, शादी के बाद पतिपत्नी जीवनसाथी बन जाते हैं. जीवन की राह में आने वाले हर सुखदुख में उन्हें एकदूसरे का साथ देना चाहिए. इस काम में केवल स्त्री के पति को ही नहीं बल्कि उस के सासससुर को भी खयाल रखना चाहिए कि यदि बहू की मां या बाप को कोई परेशानी है तो वे अपनी बहू की सहायता करें और उस का साथ दें, उस के पति यानी अपने बेटे को समझएं.

मगर हमारी सोसाइटी में स्थिति बहुत अलग रहती है. हमारे देश में लड़की की शादी करने के बाद लड़की के घर जाना या उस के घर खाना और रहना भी परंपराओं के अनुसार वर्जित माना गया है. घर में बेटा बहू हो तो यह रिवाज चल सकता है. लेकिन अगर वह पुत्री इकलौती संतान है और मांबाप का उस के सिवा कोई और सहारा नहीं है तो ऐसे में क्या पुत्री के दिल में यह सवाल नहीं उठेगा कि वह अपने बूढ़े मांबाप का सहारा क्यों नहीं बन सकती? खासकर जब मां या पिताजी में से कोई अकेला रह जाता है तब बेटी उन्हें अपने घर रखना चाहती है. पर अकसर ऐसे में उसे ससुराल वालों और खुद अपने पति की भी नाराजगी सहनी पड़ती है.

पेरैंट्स का सम्मान अपेक्षित

मुश्किल घड़ी में मांबाप का पुत्री के घर जा कर रहने में कोई हरज नहीं होना चाहिए. महत्त्वपूर्ण बात यह है कि के दामाद और उन के रिश्तेदार पेरैंट्स के साथ सम्मान से पेश आएं. सामान्यतया यह देखा जाता है कि माता या पिता का बेटी के घर जा कर रहने पर कुछ दिन तो बेटी के घर वाले उन का सम्मान करते हैं, लेकिन बाद में धीरेधीरे उन के व्यवहार में परिवर्तन आता जाता है. ऐसे में लड़की के मातापिता में हीनभावना उत्पन्न होने लग जाती है.

जब बेटा दूसरे शहर या विदेश में रहता हो

अकसर बच्चों को अच्छी पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए अपना शहर छोड़ना पड़ता है. बाद में कई बार बच्चे विदेश या मैट्रो सिटीज में नौकरी मिलने पर शादी कर के वहीं सैटल भी हो जाते हैं. ऐसे में पुराने घर में मांबाप अकेले रह जाते हैं. अपने कैरियर के लिए बच्चे वापस लौटने का जोखिम नहीं उठाना चाहते, मगर वे ओल्ड पेरैंट्स के प्रति अपने दायित्व से भी मुंह नहीं मोड़ सकते. कई बार मां या बाप अकेले रह जाते हैं तब स्थिति ज्यादा खराब होती है. ऐसी स्थिति में बेटा अपने मांबाप की देखभाल के लिए कुछ इस तरह के तरीके अपना सकता है:

–  अपने पेरैंट्स के घर के पास रहने वाले किसी दोस्त को यह जिम्मेदारी दे सकता है कि रोज शाम में एक बार औफिस से लौटते हुए वह आप के पेरैंट्स से मिलता जाए ताकि किसी तरह की सेहत से जुड़ी परेशानी की जानकारी आप को समय रहते मिल जाए और अर्जेन्सी होने पर आप का दोस्त उन्हें अस्पताल पहुंचा सके. इस के बदले में आप अपने दोस्त की किसी और तरह से हैल्प कर सकते हैं.

–  अपने पेरैंट्स के साथ एक विश्वसनीय नौकरानी को पूरे दिन के लिए रख दें. वह खाना बनाने और साफसफाई के अलावा बुजुर्ग पेरैंट्स की देखभाल भी कर ले जैसे दवा देना, मालिश करना, टहलाना, बाल धोना, फल काटना जैसे छोटेमोटे कामों में भी मदद कर दे.

–  समय रहते उन का मैडिक्लेम जरूर करा लें.

मदर्स डे पर खाने में बनाए कुछ स्पेशल, ट्राई करें ये रेसिपी

मदर्स डे आने वाला है और इस दिन आप अपनी मां को स्पेशल फील कराने के लिए उनके लिए कुछ खास बना सकती हैं. मां के इस दिन को और स्पेशल बनाने के लिए आपके साथ हम शेयर कर रहे हैं कुछ स्पेशल रेसिपी.

दाल के कबाब


सामग्री
काली मसूर की दाल- ½ किलो
देसी घी- 2 बड़े चम्मच
नमक- स्वादानुसार
हरी मिर्च- 2से4 बारीक कटी हुई
प्याज सादा गोल कटा हुआ

बनाने की विधि

सबसे पहले एक बर्तन में काली मसूर की दाल ले लीजिए. इसके बाद गैस पर कुकर गर्म होने के लिए रख दें. अब इसमें देसी घी डाले और उसमें ज़रा से जीरे के साथ भीगी हुई दाल में पानी और नमक मिलाकर उसमें 2-4 सीटी आने दें और फिर कुकर बंद कर दें.

थोड़ी देर के बाद कुकर खोले और मिश्रण को अच्छे से मैश कर लें. मैश करने के बाद इसकी छोटी-छोटी टिकिया बना लें फिर तवे पर या नॉन स्टिक पैन में इन टिक्कियों को हल्की आंच पर चपटा करके सेक लें. जब टिक्कियां तैयार हो जाएं तो उसे कटे प्याज के साथ नींबू डालकर परोसे. गार्निश के लिए आप उस पर धनिया रख भी रख सकते हैं.

चीज बौल्स

ग्रेटिड चीज 1/2 किलो
आलू-10 से 12
प्याज- 2 से 3 कटे हुए
हरी मिर्च – 2 से 3 बारीक कटी हुईं
लाल मिर्च- 2 छोटे चम्मच
ब्रेड का चूरा – 250 ग्राम
खट्टाई- 250 ग्राम
नमक- स्वादानुसार

बनाने की विधि

सबसे पहले आलू को उबाल लें. फिर इसके छिलके निकाल दें और इसे मैश कर लें फिर इसमें कटी हुई प्याज, हरी मिर्च, लाल मिर्च, खट्टाई और नमक मिला लें. अब आलू के बॉल्स बनाना शुरू करें. बॉल्स के बीच में थोड़ा सा चीज भरें और इसके बाद ब्रेड के चूरे में रोल करें डीप फ्राई कर लें। अब इन गरम गरम बॉल्स को टमैटो केचअप या फिर धनिये की चटनी के साथ परोसें.

चावल के लड्डू

सामग्री
चावल का पिसा हुआ आटा 1 किलो

पिसी हुई चीनी- 1 किलो

देसी घी-1/2 किलो

बनाने की विधि 
सबसे पहले एक साफ बर्तन ले लें. उसके बाद फिर उसमें पिसी हुई चीनी मिलाएं और लडडू बनाना शुरू कर दें. यह सबसे आसान रेसिपी है क्योंकि इसमें हमें सिर्फ तीन चीजों को अच्छे से मिलाकर लड्डू बनाने हैं.

Mother’s Day 2024: मां को दें कौनसा स्पेशल गिफ्ट

हर साल आप मदर्स डे पर सोचते होंगे कि अपनी मां को ऐसा क्या गिफ्ट दें जो उनके काम भी आए और उनके लिए लाइफ में एक यादगार मोमेंट बन कर रह जाए. हम जानते हैं कि आप अपनी मां को एक सुंदर गिफ्ट देना चाहते हैं, लेकिन एक अच्छा गिफ्ट ढूंढना आपके लिए भारी काम हो सकता है. इसीलिए, आपकी मदद करने के लिए, हम लेकर आए हैं कुछ गिफ्ट् टिप्स, जिसे आप अपनी मां को देकर अपने इमोशन को जाहिर कर सकते हैं…

1 साड़ी है बेस्ट औप्शन

अगर आपकी मम्मी को भी साड़ियों से प्यार है और आप उन्हें अच्छी और क्लासी साड़ी गिफ्ट देना चाहते हैं तो इन दिनों कई साड़िया ट्रैंड में है जैसे रफ्फल साड़ी, सिल्क साड़ी, प्लाजो साड़ी, धोती साड़ी, स्कर्ट साड़ी आदि. इनमें से कोई भी आप अपनी मां को दे सकती हैं.

2 मां को दे सकते है मेकअप का तोहफा

हर कोई चाहता है कि जिस तरफ हर लड़की या औरत अपनी स्किन का ख्याल रखती है. उसी तरह आपकी मां जो दिन भर आपके लिए काम करती है वह भी किसी खास ओकेशन पर आपके साथ सज कर या मेकअप करके जाए. तो इस बार अपनी मम्मी को गिफ्ट करें मेकअप किट.

3 हर लेडीज को होता है ज्वैलरी का क्रेज

शादी हो या फंक्शन, आपकी मम्मी ज्वैलरी पहने बिना नहीं निकलती. इसीलिए आप चाहें तो अपनी मां को ट्रैंडी ज्वैलरी गिफ्ट कर सकती हैं, जिसे वह शादी या फंक्शन में फ्लौंट कर सकती हैं.

4 मां को परफ्यूम देकर बनाएं नया ट्रैंड

कौन कहता है कि मां परफ्यूम नही लगातीं या परफ्यूम लगाना पसंद नही करती. इस मदर्स दे आप अपनी मां को परफ्यूम देकर एक नया ट्रैंड शुरू कर सकतें हैं.

5 हेयर और बौडी स्पा का वाउचर

आपकी मां हर दिन आपके दिए भागदौड़ करती हैं, चाहे वह खाना हो या आपके कपड़ों को संभालना. हर चीज में आप मां को याद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी अपनी मां को आराम करते देखा. नहीं न, तो इस बार आप अपनी मां को हेयर और बौडी स्पा का तोहफा दे सकते हैं. मदर्स डे पर काफी सारे औफर चलते हैं, जिसमें आप चाहे तो हेयर और बौडी स्पा का तोहफा देकर अपनी मां को खुश कर सकते हैं.

 

Mother’s Day 2024: मां को दें ये 5 ट्रैंडी गिफ्ट्स

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें