सांस औऱ दिल से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं बैंगलुरु की एक एमएनसी में कार्यरत 42 वर्षीय पुरुष हूं. पिछले कुछ समय से मुझे अनियमित रूप से दिल धड़कने का एहसास हो रहा है. मुझे कई बार सांस लेने में तकलीफ तथा चक्कर आने का भी अनुभव होता है. क्या ये सब हार्ट अटैक के लक्षण हैं?

जवाब

दिल के अनियमित रूप से धड़कने या दिल की हर बीमारी का ताल्लुक हार्ट अटैक से नहीं होता. सांस लेने में तकलीफ या चक्कर आने जैसे लक्षण, खासकर अनियमित रूप से दिल का धड़कना एस्थिमिया के संकेत हैं. एस्थिमिया के मरीजों में दिल धड़कने की दर असामान्य रूप से अनियमित हो जाती है.

सवाल

मेरे 65 वर्षीय पिता का इंजैक्शन फ्रैक्शन गिर कर 40% हो गया है. क्या इस उम्र में सर्जरी कराना उचित रहेगा?

जवाब

सामान्य स्थिति में इंजैक्शन फ्रैक्शन दर 60 से 70% रहती है. आप के पिता को किसी कार्डियोलौजिस्ट से संपर्क करना चाहिए, जो उन्हें इंप्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) प्रत्यारोपित कराने या रेडियोफ्रिक्वैंसी एब्लेशन कराने की सलाह दे सकते हैं. स्थिति बिगड़ने से

पहले तत्काल उपाय करना जरूरी है, क्योंकि आगे यह और घातक हो सकती है.

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सवाल-

मेरी बहन कई बार बहुत ज्यादा थक जाती है और बेहोशी की स्थिति में पहुंच जाती है. अकसर वह सही तरीके से सांस भी नहीं ले पाती. वह सिर्फ 16 साल की है. क्या इस उम्र का व्यक्ति एस्थिमिया से पीडि़त हो सकता है?

जवाब

एस्थिमिया का उम्र से कोई लेनादेना नहीं है और यह किसी को भी हो सकता है. चक्कर आना, अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, व्यायाम करने में असमर्थता, सीने में दर्द और बेहोशी की स्थिति एस्थिमिया के लक्षण हो सकते हैं और ऐसे हालात में दिल की धड़कनें भी अनियमित हो सकती हैं. कुछ प्रकार के एस्थिमिया नुकसानरहित होते हैं लेकिन बाद में ये जानलेवा भी हो सकते हैं. किसी को भी दिल की असामान्य धड़कनों की शिकायत को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से दिल की धड़कनें पूरी तरह से रुक जाने का भी खतरा रहता है.

सवाल

दिल की अनियमित धड़कनों की समस्या से नजात पाने में इंप्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) कितना मददगार है? क्या इस तरह के डिवाइस पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है?

जवाब

आईसीडी दिल की धड़कन दर पर निरंतर निगरानी रखते हुए स्वत: काम करता है और वैंट्रिकुलर टेकीकार्डियो तथा वैंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन घटनाएं शुरू होते ही इन का पता लगा लेता है. वैंट्रिकुलर टेकीकार्डियो तथा वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन घटनाओं का पता लगाने के तत्काल बाद ही आईसीडी कम ऊर्जा की इलैक्ट्रिकल नब्ज या इलैक्ट्रिक शौक के रूप में उपचार शुरू कर देता है ताकि मरीज को नुकसान पहुंचाने से पहले एस्थिमिया से बचाया जा सके. कई प्रकार के आईसीडी उपलब्ध हैं, मसलन सिंगल चैंबर तथा डबल चैंबर आदि.

खराब लाइफस्टाइल के कारण दिल संबंधी बीमारियां एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. आजकल तो 20 वर्ष की उम्र वाले युवाओं में भी दिल की बीमारियां होने लगी हैं. मेरी उम्र 26 साल है. दिल की बीमारियों से बचने के लिए मुझे किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए?

कुछ खास प्रकार के लाइफस्टाइल आप के उच्च रक्तचाप और कोलैस्ट्रौल स्तर को कम कर सकते हैं तथा दिल की बीमारियों की चपेट में आने की आशंका को कम कर सकते हैं. आप को धूम्रपान तथा अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए. कई युवा नियमित व्यायाम को अहमियत नहीं देते. कुछ युवा तो किसी तरह का शारीरिक श्रम भी नहीं करना चाहते. व्यायाम न करने की इस आदत को बदलना चाहिए. आप को नियमित रूप से व्यायाम या प्रतिदिन 45 मिनट तक तेज कदमों से चलने की आदत डालनी होगी. इस के अलावा तनाव दूर करने के लिए कोई शौक पालना दिल के लिए अच्छा होता है.

सवाल-

किसी व्यक्ति के एस्थिमिया से पीडि़त होने के क्या लक्षण हो सकते हैं? क्या समय पर इस का इलाज नहीं कराना घातक साबित हो सकता है?

जवाब

चक्कर आना, अत्यधिक थकान, सांस का फूलना, व्यायाम करने की असमर्थता, सीने में दर्द तथा बेहोश होने के लक्षण एस्थिमिया के संकेत हो सकते हैं. कुछ प्रकार के एस्थिमिया नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन कुछ प्रकार के एस्थिमिया घातक हो सकते हैं. आप को दिल की अनियमित धड़कनों की कमी अनदेखी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस वजह से दिल की धड़कन पूरी तरह से थम भी सकती है.

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सवाल-

मुझे 10 साल पहले 19 साल की उम्र में ही धूम्रपान की लत लग गई थी और अब चेन स्मोकर हो गया हूं. धूम्रपान से दिल की समस्याओं का खतरा कितना बढ़ सकता है?

जवाब

धूम्रपान से दिल की समस्याएं बढ़ जाती हैं. तंबाकू के इस्तेमाल से रक्त थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है और रक्त द्वारा औक्सीजन संचारित करने की दर कम हो जाती है. दिल की आर्टरीज में कहीं भी रक्त थक्का जमने से कई तरह की दिल की बीमारियां बढ़ सकती हैं और स्ट्रोक भी हो सकता है. चेन स्मोकिंग की लत और ज्यादा खतरनाक है, लिहाजा, अच्छी सेहत रखने के लिए आप को धूम्रपान कम कर देना चाहिए.

-डा. वनीता अरोड़ा

मैक्स हौस्पिटल, साकेत में कार्डियक इलैक्ट्रोफिजियोलौजी लैब ऐंड एस्थिमिया सर्विसेज की प्रमुख और ऐसोसिएट डायरैक्टर.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Top 10 Best Heart Disease Tips: दिल की बीमारी की 10 अहम खबरें हिंदी में

Heart Disease Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Heart Disease Tips Stories in Hindi 2021. हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है. वहीं इसका कारण दिल का दौरा बताया जा रहा है. इसी के चलते आज हम आपको Heart से जुड़ी बीमारियों की Stories के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी हेल्थ पर फर्क पड़ सकता है. तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Heart Disease Tips Stories in Hindi.

1. सावधान : हार्ट अटैक का बड़ा कारण है ज्यादा तनाव

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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2. क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

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पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

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3. बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें दिल का ख्याल

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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4. अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत

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हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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5. हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

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मेरी उम्र 32 साल है. कुछ साल पहले मेरे पापा को दिल का दोरा पड़ा था और कुछ दिनों पहले ही पता चला कि मेरा दिल लगभग फेल हो चुका है. समस्या गंभीर होने के कारण डाक्टर ने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. मैं जानना चाहता हूं कि हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

जवाब-

किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की तरफ बहने वाले रक्त में बाधा पैदा हो. अमूमन ऐसा धमनियों में प्लाक जमा होने के कारण होता है. हृदय तक खून नहीं पहुंच पाने की ऐसी गंभीर समस्या के चलते हृदय की मांसपेशियों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो जाती है. दूसरी तरफ, हार्ट फेल्योर एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को धीरेधीरे शिकार बनाती है. इस में हृदय की मांसपेशियां कमजोर और कड़ी पड़ जाती हैं और ऐसे में उन्हें रक्त को पंप करने में मुश्किल आती है, जोकि रक्तप्रवाह के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है.

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6. सर्दियों में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्यों

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ठंड का मौसम खुशियों का मौसम होता है, इस खुशनुमा मौसम का मतबल है ढेर सारे त्‍यौहार, छुट्टियां और कई और चीजें. सर्दियों का यह मौसम बच्‍चों और बुजुर्गों की सेहत के लिये परेशानी खड़ी कर कर सकता है, ठंड का यह मौसम अपने साथ हमेशा ही कुछ चुनौतियां और सेहत से जुड़े खतरे लेकर आता है, खासकर बुजुर्गों के लिये. वातावरण में काफी बदलाव होने की वजह से बुजुर्गों के लिये एक सामान्‍य जीवनशैली का पालन कर पाना मुश्किल हो जाता है.

बुजुर्ग जब युवा होते हैं तो उसकी तुलना में इस उम्र में बौडी हीट जल्‍दी खो देते हैं. शरीर में होने वाला बदलाव उम्र बढ़ने के साथ आता है, जिससे आपके लिये ठंड महसूस होना ज्‍यादा मुश्किल हो सकता है. इससे पहले कि बुजुर्ग व्‍यक्ति को कुछ पता चले कि आखिर क्‍या हो रहा है, बहुत ज्‍यादा ठंड खतरनाक समस्‍याओं में बदल सकता है.

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7. जानिए किन ब्लड ग्रुप के लोगों में है हार्ट अटैक की ज्यादा संभावना

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क्या आपको पता है कि आपका ब्लड ग्रुप इस बात की जानकारी देता है कि आपको दिल से संबंधित बीमारियां होंगी या नहीं? जी हां, आपका ब्लड ग्रुप ऐसी कई बातें बताता है. एक शोध के अनुसार जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ है, उन्हें दिल संबंधित बीमारी होने की संभावना अन्य से 9 फीसदी ज्यादा होती है. वहीं ‘O’ ब्लड ग्रुप के लोगों में ये खतरा तुलनात्मक रूप से कम होता है. शोध परिणामों से पता चला है कि ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में ये परेशानी विलेब्रांड के कारण है. विलेब्रांड एक तरह का प्रोटीन है, जो रक्त को जमा देता है.

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8. ..तो आने वाला है हार्ट अटैक

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हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

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9. सेक्स के दौरान हार्टअटैक, जानें क्या है सच्चाई

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सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

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10. पेन किलर दवाइयों से बढ़ता है हार्टअटैक का खतरा

सामान्य दर्द निवारक दवाई डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल दिल का दौरा और आघात जैसी हृदय संबंधी प्रमुख बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. एक नए अध्ययन में इस बात को लेकर आगाह किया गया है. एक अध्ययन में डाइक्लोफेनेक के उपयोग की तुलना कोई भी दवा का प्रयोग नहीं करने, पैरासिटामोल तथा अन्य पारंपरिक दवा निवारक दवाओं से करने के साथ की गई है.

पेन किलर के पैकेट पर हो जोखिम का उल्लेख

डेनमार्क स्थित आरहुस विश्वविद्यालय अस्पताल के शोधकर्ताओं ने बताया कि डाइक्लोफेनेक सामान्य बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होनी चाहिए और अगर यह बिकती है, तो उसके पैकेट के आगे के भाग पर इसके संभावित जोखिम का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया जाना चाहिए. डाइक्लोफेनेक एक पारंपरिक नौन-स्टेरोयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) होता है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में बड़े पैमाने पर दर्द और सूजन के निवारण के लिए किया जाता है.

इस शोध में डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल शुरू करने वाले लोगों में हृदय रोग संबंधी जोखिम की तुलना अन्य एनएसएआईडी दवाइयों और पैरासिटामोल के इस्तेमाल करने वालों से की गई है.

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क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है.

पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

खान पान-

आजकल के युवाओं का खान पान सही नहीं है. अधिकतर उनके पास समय की कमी होने से जंक फूड उनकी पहली पसंद है जिसके कारण शरीर मे बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे जाकर हार्ट अटैक में बदल सकता है.इसी कारण लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि एक बहुत बड़ी समस्या है.

नशा

आजकल बढ़ते तनाव के चलते युवाओं में नशा करने की लत लग जाती है जो कि हार्ट के लिए सही नहीं है.जो भी दिन में 10 सिगरेट या उस से ज्यादा पीता है उसमें हार्ट अटैक होने की सम्भावना सामान्य से ज्यादा होती है.तम्बाकू का सेवन सेहत के लिए सही नहीं है ये रक्त शिराओं में जाने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह काट देता है जिस से हार्ट तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.कुछ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं जिस से धमनियाँ जल्दी सिकुड़ने लगती हैं और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है.

बचाव के तरीके-

यदि आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन मे थोड़ा अनुशासन लाना होगा . सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करना चाहिए.खान पान में बदलाव करना चाहिए  बहुत अधिक तेल वाला खाना और जंक फूड पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. समय पर सोना और समय पर जागना चाहिए 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है.मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए.इस तरह हम अपने हृदय का खयाल रकह सकते हैं.

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जब अपने होते है, अचानक दूर

40 साल के हंसमुख और विनम्र अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक सिवियर हार्ट अटैक से मौत पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए एक सदमा है और हो भी न क्यों? फिटनेस फ्रीक सिद्धार्थ ने कभी वर्कआउट को मिस नहीं किया, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर बॉडी फिट है तो माइंड भी फिट है.ये बात सही है, लेकिन कई बार अधिक वर्कआउट भी शरीर के लिए घातक होता है, क्योंकि सिद्धार्थ स्ट्रेस में कभी नहीं दिखे, उनका काम इंडस्ट्री में कुछ न कुछ नियमित चलता था. फिर चाहे वह टीवी शो, फिल्म,रियलिटी शो या ओटीटी हर जगह वे अच्छे काम और हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे और सबसे अच्छी बात वे अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते थे और माँ के बहुत करीब थे. खाली समय में वे अपने परिवार के साथ रहना अधिक पसंद करते थे, ऐसे होनहार, स्पोर्ट्स पर्सन, जिन्दादिली इंसान का अचानक गुजर जाना सबके लिए एक हादसे के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता.

ऐसे जिंदादिल 40 वर्षीय बिग बॉस 13 विनर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक हार्ट एटैक से गुजर जाने की वजह पूछे जाने पर मुंबई के चेंबूर की जेन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. नारायण गडकर कहते है कि आज के यूथ 20, 30 और 40 की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हो जाते है और इसकी वजह उनका स्ट्रेसफुल लाइफ का होना है, जिसमें कम वेतन, नौकरी न रहना, वित्तीय कमी का होना, पर्सनल प्रॉब्लम आदि कई है, लेकिन अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का सीवियर हार्ट एटैक की वजह पता नहीं है, लेकिन कुछ वजह निम्न हो सकते है,

• अचानक हार्ट एटैक की वजह स्ट्रेस, कोमॉर्बिडीटीस जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, आर्टरीज का हेल्दी न होना, जिसमें अनजाने में आर्टरीज में प्लाक का जमा हो जाना, धूम्रपान की वजह से खून की धमनियों का पतला हो जाना आदि कई है. हाई कोलेस्ट्रोल के होने पर भी हार्ट की समस्या हो जाती है. खासकर फिट युवा पीढ़ी कुछ लक्षण होने पर भी उसे इग्नोर करती है और समय पर उसका इलाज नहीं करवाती.

• कई बार यूथ व्यायाम भी अपनी शरीर की अवस्था को न समझते हुए करते है, जिसका प्रभाव शरीर पर अधिक पड़ जाता है. किसी भी फिटनेस रूटीन को अपनाने से पहले सम्बंधित डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है. उस एक्सरसाइज को अवॉयड करें, जिससे हार्ट पर अधिक दबाव महसूस होता हो.

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• 6 पैक और टोंड बॉडी के लिए यूथ सप्लीमेंट का सहारा भी लेते है, जो कई बार उनके लिए समस्या बन जाती है. डॉक्टर नारायण आगे कहते है कि कुछ सप्लीमेंट्स हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के अलावा कुछ हार्ट रिलेटेड लक्षण मसलन अचानक घबराहट का होना और लीवर की समस्या होना आदि है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रकार की सप्लीमेंट्स न लें.

• हार्ट एटैक की समस्या को पता लगाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि फिट इंसान डॉक्टर के चक्कर लगाना नहीं चाहते और सीने की दर्द को एसिडिटी समझ कर उसकी दवाई लेते है, जिससे उन्हें बचाना मुश्किल होता है. इस बारें में डॉ. नारायण का कहना है कि चेस्ट में हेवीनेस का होना,चेस्ट पेन, सांस लेने में तकलीफ, अचानक बहुत अधिक पसीना आना,हल्का सिरदर्द, चक्कर आना आदि है, ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ, ताकि इलाज में देर न हो.

ये सही है कि हार्ट एटैक की समस्या यूथ में आजकल अधिक है, डॉक्टर्स मानते है कि अधिकतर पेशेंट तब उनके पास आते है, जब बहुत देर हो जाती है और वे उन्हें बचाने के लिए कुछ कर नहीं पाते. डॉ. गडकर कहते है कि आज के हालात को देखते हुए धूम्रपान और शराब सबसे पहले छोड़ने की जरुरत है.अगर आपको इन सब चीजों की लत है तो उसे छुड़ाने वाली संस्थाओं से संपर्क करें और उनकी सेशन को ज्वाइन करें. संतुलित भोजन जिसमें कई प्रकार के नट्स, बैरिज, सीड्स, फ्रेश फ्रूट्स, सब्जियां, दालें आदि होना आवश्यक है. कम तेल, नमक और शुगर का प्रयोग अपने भोजन में करें. जंक, ऑयली, स्पाइसी और डिब्बे बंद फ़ूड को हमेशा अवॉयड करें. अधिक मात्र में पानी पियें, कार्बोनेटेड ड्रिंक को एक बड़ा NO कहना सीखें,व्यायाम नियमित करें, पर सघन एक्सरसाइज करने से बचें. अपना वजन उम्र और सेहत के हिसाब से संतुलित रखे. समय-समय पर कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर को चेक करवाएं, तनाव से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इससे भी हार्ट एटैक की संभावना बढती है. खुद को हमेशा शांत रखें या मैडिटेशन करें.

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इन छोटे संकेतों से पहचाने दिल की बीमारी का खतरा

 आम तौर पर ह्रदय रोग के लिए कोरोनरी आर्टर बीमारी प्रमुख कारण होता है. हृदय की अन्य बीमारियों में पेरिकार्डियल रोग, हृदय की मांसपेशियों से संबंधित समस्या, महाधमनी की समस्या हार्ट फेल होना, दिल की धड़कन का अनियमित होना हार्ट के वौल्व से संबंधित बीमारी जैसी कई बीमारियां हैं. इन परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप इनके लक्षणों के बारे में जान लें. और जब भी आपको इनका आभास हो आप तुरंत डाक्टर से मशवरा लें.

ह्रदयघात के लक्षणों में छाती में भारीपन, भुजाओं या कंधों में, गले, जबड़े, पीठ या गर्दन में दर्द होना इसके प्रमुख लक्षण हैं. इसके अलावा धड़कन का बढ़ना, सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना, पसीना आना जैसे अन्य लक्षण भी अहम हैं.

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यदि आपको आपकी छाती पर भार महसूस हो रहा है या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस हो रहा है इसका मतलब है कि आपका ह्रदय स्वस्थ नहीं है. वो अच्छे से काम नहीं कर रहा है.

वहीं आप कसरत करने के बाद छाती में दर्द महसूस करते हैं या आपको कुछ ज्यादा थकान महसूस होती हो तो इसका अर्थ है कि आपके हृदय के रक्त प्रवाह में कुछ गड़बड़ी है.

यदि आपको हल्का फुल्का काम करने के बाद भी सांस लेने में परेशानी हो रही है, या जब आप लेटें तब आपको सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तो समझ जाइए कि आपके ह्रदय में कुछ परेशानी है.

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इसके अलावा थोड़ा काम करने के बाद भी आपको थकान या चंचलता महसूस होती है तो ये ह्रदय ब्लाकेज के लक्षण हो सकते हैं.

यदि आप ज्यादातर वक्त थका हुआ महसूस करते हैं, इसके अलावा आपको अच्छे से नींद भी ना आती हो, अचानक से आपको थकान हो जाए, उल्टी का मन हो तो समझ जाइए कि आपको ह्रदय संबंधित परेशानी है.

देखें वीडियो-

हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

सवाल

मेरी उम्र 32 साल है. कुछ साल पहले मेरे पापा को दिल का दोरा पड़ा था और कुछ दिनों पहले ही पता चला कि मेरा दिल लगभग फेल हो चुका है. समस्या गंभीर होने के कारण डाक्टर ने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. मैं जानना चाहता हूं कि हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

जवाब-

किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की तरफ बहने वाले रक्त में बाधा पैदा हो. अमूमन ऐसा धमनियों में प्लाक जमा होने के कारण होता है. हृदय तक खून नहीं पहुंच पाने की ऐसी गंभीर समस्या के चलते हृदय की मांसपेशियों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो जाती है. दूसरी तरफ, हार्ट फेल्योर एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को धीरेधीरे शिकार बनाती है. इस में हृदय की मांसपेशियां कमजोर और कड़ी पड़ जाती हैं और ऐसे में उन्हें रक्त को पंप करने में मुश्किल आती है, जोकि रक्तप्रवाह के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है.

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कार्डियक अरेस्‍ट होना आज के इस व्यस्त समय में एक आम बात हो गई है. आए दिन कार्डियक अरेस्‍ट से होने वाली मौत इस बात का सबूत है. पर क्या आप जानते है की कार्डियक अरेस्‍ट क्यूं और इसके लक्षण क्या होते है तो चलिए हम आपको बताते है.

 कार्डियक अरेस्‍ट

कार्डियक अरेस्‍ट का मतलब है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है.

दिल के दौरे से क्यूं अलग है कार्डियक अरेस्‍ट  

कार्डियक अरेस्‍ट को अक्सर लोग दिल का दौरा समझते हैं, मगर ये उससे अलग है. जानकार बताते हें कि कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल शरीर के चारों ओर खून पंप करना बंद कर देता है. मेडिकल टर्म में कहें तो हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है जबकि कार्डियक अटैक, इलेक्ट्रिक कंडक्शन की गड़बड़ी की वजह से होता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जाने क्यूं हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट

सेक्स के दौरान हार्टअटैक, जानें क्या है सच्चाई

सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

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सेक्स से संबंधित खतरा बहुत कम…

सीडार्स-सिनाई हार्ट इंस्टीट्यूट, लॉस एंजिलिस के एक कार्डियोलाजिस्ट और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमित चुघ का कहना है कि हृदय रोग से पीड़ित लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि सेक्स खतरनाक हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि इससे संबंधित खतरा बहुत कम है.

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इन लोगों को ज्यादा खतरा…

एकाएक हृदयगति रुक जाने का कारण एक इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है जिसके चलते दिल धड़कना बंद हो जाता है. इसके ज्यादातर शिकार मारे जाते हैं लेकिन यह हृदयाघात से अलग स्थिति है क्योंकि इसके अंतर्गत हृदय को रक्त प्रवाह का बहाव रुक जाता है. लेकिन जिन लोगों को पहले भी हृदयाघात हो चुका है या फिर उनको हृदय संबंधी तकलीफें होती हैं, उनको हृदय गति रुकने का खतरा ज्यादा होता है.

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