9 टिप्स पति को बनाएं अपना दीवाना

दिव्या ने जब विवाह के बाद अपनी ससुराल में पहला कदम रखा तो अपनी मम्मी की हिदायतों के अनुसार उस ने संजीव पर कम और उस के घर वालों पर अधिक ध्यान दिया. इस का नतीजा यह निकला कि विवाह के कुछ दिनों बाद ही संजीव दिव्या से खिंचाखिंचा सा रहने लगा.

दिव्या की रातदिन की जीहुजूरी के कारण ससुराल वालों की उम्मीदें भी बढ़ती चली गईं और जब दिव्या उन की उम्मीदों को पूरी कर पाने में असमर्थ रहने लगी तो वे उस की संजीव से शिकायतें करने लगे. दिव्या को लगा, संजीव उस का साथ देगा मगर उस ने तो कभी संजीव के साथ ऐसा संवाद ही नहीं रखा था.रश्मि ने भी विवाह होते ही बहू नंबर वन बनने की सोची. वह अपनी ननद, देवर, सासससुर के साथ इतनी घुलमिल गई कि इस बीच उस का पति साकेत कहीं खो सा गया. जब भी घूमनेफिरने की बात होती तो रश्मि अपने साथ अपनी ननद और देवर को भी ले कर जाती. साकेत रश्मि की इन हरकतों से चिढ़ जाता. उसे हर आउटिंग रोमांटिक नहीं बल्कि फैमिली पिकनिक लगती और जल्द ही साकेत अपनी रोमांस की जरूरतों के लिए अपनी सहकर्मी पर निर्भर होने लगा.

विवाह बाद एक महिला अपने नए जीवनसाथी के साथ संयुक्त होती है. महिला के इस नए रूप में दुलहन का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय होता है कि उसे किन मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक मामलों पर ध्यान देना चाहिए. एक नई शादीशुदा महिला के लिए एक नए परिवार में आधारभूत सामाजिक, मानसिक और पारिवारिक स्थितियां उत्पन्न होती हैं. इस मामले में एक दुलहन का पति पर ध्यान परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक होना चाहिए.

ये कुछ कारण दुलहन को अपने पति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं:

  1. पारिवारिक नवजात

जब एक महिला विवाह के बंधन में बंधती है, तो वह नए परिवार की भावनाओं, संस्कृति और प्रथाओं के साथ भी बंधती है. उसे इस नए परिवार की संपूर्णता और विशेषता में सम्मिलित होना चाहिए.

2. साझा बनाए रखें रिश्ते

एक स्वस्थ विवाह में पतिपत्नी के बीच एक अच्छा और स्नेहपूर्ण संबंध होना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ एक नियमित और सजीला संबंध रखना चाहिए और पति के परिवार के सदस्यों के साथ भी नए और स्वीकार्य संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

3. स्वतंत्रता और स्वाधीनता

एक दुलहन को अपने व्यक्तिगत विकास और स्वतंत्रता की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जब एक महिला अपने पति के साथ संयुक्त होती है, तो वह मन में अपनी स्वाधीनता के खोने का डर रखती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह अपने स्वयं के विकास के लिए अपनी अधिकारिता बनाए रख सकती है.

4. विशेष अभिवावक नहीं

जब एक महिला दुलहन बनती है, तो उसे अपने पति के विशेष अभिवावक नहीं, बल्कि एक समान पार्टनर की भूमिका में अपनेआप को स्थापित करना चाहिए. दुलहन को अपने पति के साथ भागीदारी में रहना चाहिए और अपने बीच एक सामंजस्यपूर्ण और समान संबंध बनाना चाहिए.

5. पति के सपोर्ट में रहना

विवाहित जीवन में सफलता के लिए पत्नी को अपने पति की सपोर्ट में रहना जरूरी है. पति की प्राथमिकता को और उन की इच्छाओं को समझना आवश्यक है. आप को उन के सपनों को पूरा करने में उन की सहायता करनी चाहिए.

6.पति के संग वक्त बिताना

नई दुलहन का अपने पति के साथ समय बिताना बेहद महत्त्वपूर्ण है. विवाह के बाद नए परिवार के साथ रहने में वह नई है, लेकिन इस दौरान पति के साथ संवाद में रहने से संघर्षों को सम?ाने मे मदद मिलती है.

7. सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना

नई दुलहन को परिवार के साथ सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना चाहिए. ध्यान रखने योग्य बात है कि उसे अपने पति के साथ संबंधों को बनाए रखने के लिए समय देना चाहिए. इस से खुशहाल और समृद्ध जीवन जीने में मदद मिल सकती है.

8. परिवार के मामूली मुद्दों पर ध्यान न देना

नए दुलहन को पति के साथ विवाहित जीवन का आनंद उठाने के लिए परिवार के मामूली मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. वह अपने पति के साथ रिश्ते को स्थाई बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है.

9. संबंधों में संवाद

विवाहित जीवन में संवाद का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. जब आप अपने पति के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं और उन्हें अपने मन की बातें बताते हैं तो आप के बीच समझता हो सकता है और इस विवाहित जीवन को खुशनुमा बनाने में मदद मिल सकती है. संबंधों में समझदारी और संवाद समृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं

.एक दुलहन के जीवन का यह समय खास और यादगार होता है. इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर एक दुलहन को ध्यान देने की जरूरत है कि वह अपने पति पर ध्यान केंद्रित करे पति के परिवार पर नहीं. एक संतुष्ट और संयुक्त शादीशुदा जीवन के लिए दुलहन को पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ स्नेहपूर्ण संबंध बनाने का प्रयास करना चाहिए. इस से अपने नए जीवन को संतुष्ट, सफलतापूर्वक और खुशहाली से जीने में मदद मिल सकती है.

कम शब्दों में बोला जाए तो यह कि अगर आप बीवी नंबर वन बन जाती हैं तो बहू नंबर वन तो अपनेआप ही बन जाएंगी.

5 टिप्स से पहचानें सच्चा रिश्ता

पारिवारिक रिश्तों के साथसाथ कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम अपने लिए खुद चुनते हैं. लेकिन कई बार जिन रिश्तों पर हम आंख बंद कर के भरोसा करते हैं वे ही समय पर हमारे काम नहीं आते.

जानिए, सच्चे और झूठे रिश्ते की पहचान करने के कुछ सुझाव:

  1. आप को हमेशा उन के बचाव में आना होता है

यदि परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के आगे अकसर आप को उन के बचाव के लिए आगे आना पड़ता है और वादों की जमानत देनी पड़ती हो तो यह एक संकेत है कि सामने वाला आप का इस्तेमाल कर रहा है. कुछ लोग किसी रिश्ते में इसलिए बंधे होने का ढोंग करते हैं क्योंकि उन्हें अपनी गलतियों को छिपाने के लिए ढाल के रूप में आप का इस्तेमाल करना होता है. इस तरह ढाल बनने से इनकार कीजिए और फिर देखिए सामने वाले का रिएक्शन.

2. वे कभी धन्यवाद नहीं कहते

चाहे आप उन का काम निबटाएं, अच्छा खाना खिलाएं, उन के मातापिता की देखभाल करें, उन के दोस्तों के साथ अच्छा रिश्ता बनाएं, सरप्राइज गिफ्ट ले कर आएं. आप उन के लिए लगातार अच्छा करने का प्रयास करती रहें और बदले में सराहना की उम्मीद करें मगर उन की जबान से तारीफ का एक शब्द भी न निकले तो यह स्थिति स्पष्ट करती है कि आप का साथी कृतज्ञता व्यक्त नहीं करता. जाहिर है उस के मन में आप के प्रयासों की कोई इज्जत नहीं. वह केवल रिश्ता ढो रहा है ताकि आप का जितना हो सके इस्तेमाल कर सके.

3. वे हमेशा एहसान मांग रहे हैं

अगर कोई आप से लगातार एहसान मांगता रहता है और जब आप को उस की मदद की जरूरत होती है तो वह मदद करने को तैयार नहीं होता. यह एक स्पष्ट संकेत है कि सामने वाला आप का उपयोग कर रहा है. रिश्तों में एकदूसरे की सहायता करना बहुत स्वाभाविक होता है, मगर यह दोतरफा होना चाहिए. एक हाथ से कभी ताली बजती.

4. नाराजगी

ध्यान दें कि क्या सामने वाला बेवजह आप से मुंह फुला लेता है? डा. किम क्रोनिस्टर के मुताबिक नाराजगी एकतरफा रिश्तों के साथ आ सकती है. यदि आप दोनों समानरूप से रिश्ते के प्रति सीरियस हैं तो किसी एक व्यक्ति को दूसरे के प्रति बहुत अधिक या लंबे समय तक नाराजगी महसूस नहीं करनी चाहिए.

5. भावनात्मक सपोर्ट

एक ऐसे रिश्ते में जो संतुलित और स्वस्थ हो (और जिस में 2 इंसान वास्तव में एकदूसरे को पसंद करते हैं), दोनों की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है. यदि आप जिस रिश्ते में हैं उस में आप की भावनात्मक जरूरतें कभी पूरी नहीं की जातीं तो यह एक संकेत है कि वह व्यक्ति आप का महज इस्तेमाल कर रहा है, उस का आप से कोई जुड़ाव नहीं है.

8 लव मेकिंग मिस्टेक्स

क्या  औफिस से घर पहुंचने पर आप थक कर चूर हो जाते हैं और आप के पार्टनर का प्यार भरा स्पर्श भी आप में उत्तेजना पैदा नहीं करता? क्या उस के साथ प्यार करना आप को पहाड़ खोदने जैसा लगता है?

जी हां, शाम को थक कर चूर हुए कई कपल्स अकसर घर आ कर अपने पार्टनर से मुंह बिचकाते नजर आते हैं. अगर आप के साथ भी ऐसा होता है तो मुंह बिचकाने से पहले सोचें कि शादी का मतलब यह कतई नहीं है कि रोमांटिक फीलिंग्स ही हवा हो जाएं. प्यार का एहसास उस समय कंप्लीट होता है, जब 2 जिस्म 1 जान बन जाते हैं. तब उन के बीच लव की फीलिंग इतनी होती है कि उन की बौडी भी एकदूसरे को ऐक्सैप्ट कर लेती है और तब वे लव मेकिंग करने लगते हैं.

इस दौरान कपल्स ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं, जिस से वे सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय नहीं कर पाते. जानिए कैसे इन गलतियों से बचा जाए और लव मेकिंग से पहले किन बातों का ध्यान रखा जाए, ताकि जोड़ा दुनिया की सब से प्यारी फीलिंग को सम झ पाए और उसे दिल से अपना सके.

डिस्कस करने में हिचकिचाहट

कभीकभी एक पार्टनर अपनी लव मेकिंग को स्पाइसी तो बनाना चाहता है, लेकिन वह अपने पार्टनर से कुछ कहने में हिचकिचाता है. हो सकता है आप के साथ भी ऐसा होता हो. आप मानें या न मानें 90प्रतिशत केसेज में आप का पार्टनर भी नई चीजें करना पसंद करता है, लेकिन आप की ही तरह उसे भी बात करने में हिचकिचाहट या घबराहट होती है.

डिस्कस करने से घबराएं नहीं और यह कोई रूल नहीं है कि मेल पार्टनर ही पहल करे. दोनों में से कोई भी पहल कर सकता है और दर्जनों तरीकों में से किसी एक तरीके को चुन कर पूरे जोश से उसे ट्राई कर सकता है. सैक्स के बारे में डिस्कशन से जोड़े लव मेकिंग तो ऐंजौय करेंगे ही, अपने रिश्तों में मिठास भी लाएंगे.

कनविंस करना न आना

अगर एक पार्टनर थका हुआ है और सैक्स के मूड में नहीं है तो दूसरा कई बार उसे रेडी करने में असफल हो जाता है. एक सच यह भी है कि सैक्स के लिए जब कोई रेडी होता है, तो उस समय उस की बौडी से ऐड्रीनलीन कैमिकल रिलीज होता है, जो प्यार या सैक्स करने की भरपूर ऐनर्जी देता है.

पार्टनर को शाम को मूड में लाने के लिए सुबह 9 से 10 बजे के बीच उसे मैनुअली कई बार बेमतलब छुएं. दिन भर में इस समय टैस्टोस्टेरौन अपने हाई लैवल पर होता है. शाम को बैटर रिजल्ट के लिए आप सैक्सी गारमैंट्स पहनना भी न भूलें. यह उन्हें जरूर पसंद आएगा. ऐसा कर के आप अपनी लव मेकिंग को हमेशा के लिए स्ट्रौंग बना सकेंगे और पार्टनर में दिन भर के काम में थकान के बावजूद सैक्स की इच्छा बनी रहेगी.

जल्दबाजी का चक्कर

तुरंत मजे के चक्कर में कई पुरुष फोरप्ले अवौइड कर देते हैं. उन की कोशिश होती है कि वे जल्द से एक ही बाइट में पूरा सेब खा लें. लेकिन क्या आप को पता है कि फोरप्ले और्गेज्म की ओर बढ़ने में बहुत मदद करता है? अपने पार्टनर के साथ किसिंग, लव बाइट और टच करना आप की लव मेकिंग को ज्यादा मजेदार बनाता है, इसलिए स्पीड कम करिए, पूरा टाइम दीजिए और अपने पार्टनर को छेडि़ए. यह फौर्मूला शर्तिया ही काम करेगा और दोनों का मजा दोगुना हो जाएगा.

अगर आप को लगे कि किसी खास भूमिका में आप के पार्टनर को ज्यादा मजा आ रहा है, तो रुकें और उसे दोबारा करें. जितना ज्यादा आप उसे करेंगे, उतना ज्यादा मजा उसे आएगा और यह आप को भी अच्छा लगेगा. इस ढंग से आप यह गेम खेल कर पार्टनर को पूरे तौर पर सैटिस्फाई कर सकते हैं. इस से प्यार का मजा दोगुना भी हो जाएगा.

पोर्न मूवीज या टौय इस्तेमाल करना

सैक्स के दौरान कई लोगों को लगता है कि पोर्न मूवीज, वीडियो या फिर प्लास्टिक या रबर के टौय से मजा चरम पर पहुंचेगा. ऐसा सोचना या ऐसा करना गलत है. हालांकि टौयज का लव मेकिंग में खास महत्त्व है, लेकिन उन पर निर्भर होना खतरनाक हो सकता है. प्लेजर के लिए बाहरी सोर्स आप को कम मजा देंगे क्योंकि यह तो आप भी नहीं चाहेंगे कि आप के पार्टनर को आप के बजाय किसी सैक्स टौय से प्लेजर मिले.

कपल्स को अपने पार्टनर को सैटिस्फाई करने के लिए बाहरी चीजों के बजाय अपनी बौडी की मदद लेनी चाहिए. सैक्स टौयज को महज स्पाइस के तौर पर इस्तेमाल करें.

और्गेज्म के बारे में गलतफहमी

फीमेल पार्टनर को सैक्स से सैटिस्फाई न कर पाना, कई मेल पार्टनर्स को अपनी तौहीन लगती है, लेकिन उन को सम झने की जरूरत है कि ज्यादातर औरतें सिंपल या नौर्मल सैक्स से और्गेज्म हासिल नहीं कर पाती हैं. अगर पुरुष यह बात सम झ लें तो उन का यह प्रैशर जरूर कम हो जाएगा. अगर स्त्री और्गेज्म तक नहीं पहुंचती है, तो इस से परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस के बजाय पुरुष को बड़ी चतुराई के साथ स्त्री को डाउन पोस्चर में ला कर सैटिस्फाई करना चाहिए.

एकसाथ फिनिश करने की कोशिश

पार्टनर्स की एकसाथ फिनिश करने की कोशिश जैसी बातें हवाहवाई हैं. ऐसा होता नहीं है. इस के बजाय एक पार्टनर को पहले सैटिस्फाई करने की कोशिश होनी चहिए. इस में फीमेल पार्टनर पहले सैटिस्फाई हो तो बेहतर. ऐसे में दोनों को खूब मजा आएगा.

हर बार सैट रूटीन से चलना

अगर आप की सारी कसरत कपड़े उतारने और ‘प्लग’ को ‘सौकेट’ में फिट करने की कुछ मिनट की मेहनत तक है, तो यह काफी बासी और सैट रूटीन है. ऐसे में आप की लव मेकिंग चाहे कितनी भी फैंटास्टिक हो कुछ सालों के बाद बोरिंग हो ही जाती है, जिस का आप के रिश्ते पर भी असर पड़ सकता है. आप की लव लाइफ को बचाने का तरीका नए आइडियाज में छिपा है. अगर आप नए टिप्स और नई तकनीकें अपनाते हैं, तो इसे दोनों ऐंजौय करेंगे और आप हर बार प्यार में खो जाना चाहेंगे.

बेमतलब की बातें करना

अगर आप बिस्तर पर रोजाना लड़ाई झगड़े की या नैगेटिव बातें करेंगे, तो उस समय हो सकता है कि आप का मूड सैक्स से हट कर फ्यूचर प्लानिंग या लड़ाई झगड़े की बातें सुनने में रह जाए. अगर ऐसा कुछ करना हो तो बिस्तर

पर जाने के करीब 1 घंटा पहले कर लें. इस के लिए दोनों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए. दोनों पार्टनर्स की यही कोशिश हो कि वे एकदूसरे के मूड को स्पाइसअप करें और दोनों को चिल रखें, ताकि आप के बीच का प्यार बढ़ता

सुंदर बीवी से कैसे निभे

दिनेश वर्मा ने कभी नहीं चाहा था कि उस की पत्नी कृति नौकरी करे. वह तो हर वक्त कृति को अपनी नजरों के सामने रखना चाहता था. कृति उस के लिए वह अनमोल हीरा थी जिसे खो देने के डर से वह अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था. उस की निगरानी के चक्कर में अंतत: घर के आर्थिक हालात इतने बिगड़ गए कि कृति को ही नौकरी करने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा.

कृति 24 साल की पढ़ीलिखी, सुलझी हुई, सुंदर और सलीकेदार लड़की है. ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद उस ने नर्सिंग की ट्रेनिंग भी की थी. दिनेश से उस की शादी हुई तो उस ने नौकरी करने के बजाय गृहस्थी को प्राथमिकता दी. दिनेश भी यही चाहता था कि कृति घर पर ही रहे. वह सोचता था कि कहीं उस की सुंदर पत्नी को कोई दूसरा न पटा ले. वह तो कृति को घर के दरवाजे पर भी खड़ा होने पर टोक देता था.

कभी वह कहती कि वह थोड़ी देर छत पर टहल आए तो दिनेश भी उस के साथ जाता. कुल जमा यह कि दिनेश एक सुंदर स्त्री को ब्याह कर ले तो आया मगर उस की सुंदरता ने दिनेश के अंदर असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया.

2015 में जब दिनेश की शादी कृति से हुई थी, तब रिश्तेदारों, दोस्तों और महल्ले वालों के मुंह से अपनी पत्नी की खूबसूरती की तारीफ सुन कर उस की छाती फूल जाती थी. हाय कितनी सुंदर दुलहन लाया है. दिनेश तेरे तो आंगन में चांद उतर आया है. ऐसी बातें सुनसुन कर वह फूला नहीं समाता.

असुरक्षा की भावना

दिनेश एक प्राइवेट जौब में था. सैलरी अच्छी थी. काम के सिलसिले में उसे कभीकभी टूर पर भी जाना पड़ता था. घर में उस के और कृति के अलावा मां और छोटा भाई राघव थे. राघव दिनेश से 2 साल ही छोटा है और ग्रैजुएशन कर रहा है. अपनी भाभी के साथ राघव खूब हंसीठिठोली कर लेता है. कृति उम्र में राघव से छोटी है तो कभीकभी उस की बातों से लजा भी जाती है.

इन बातों को दिनेश ने कई बार नोट किया है. कृति के आने के बाद राघव के दोस्तों का भी घर में आनाजाना बढ़ गया था. कृति सब से हंस कर बात करती और एक अच्छी बहू की तरह सब की सेवासत्कार में लगी रहती. लेकिन बाहरी लड़कों का यों घर में जमघट लगना दिनेश को अच्छा नहीं लगता था.

कृति की सुंदरता ने दिनेश के अंदर शक और असुरक्षा की भावना भर दी थी. वह जितनी देर औफिस में होता था, उस की नजर फाइलों पर कम दीवार घड़ी पर ज्यादा रहती थी कि कब 6 बजें और वह घर भागे. दिनेश छुट्टियां भी बहुत लेने लगा था. आएदिन कोई न कोई बहाना बना कर मैनेजर के पास पहुंच जाता. औफिस के काम के संबंध में पहले वह हर महीने टूर पर जाता था, मगर शादी के बाद टूर पर भी नहीं जाना चाहता था. बहाने बना देता था.

मैनेजर जोरजबरदस्ती कर के भेज दे तो उलटापुलटा काम निबटा कर अगले दिन वापस आ जाता था. 6 महीने तो मैनेजर ने उसे औब्जर्व किया और फिर काम से निकाल बाहर किया. बीवी की रखवाली के चक्कर में दिनेश ने न सिर्फ अपना कैरियर बरबाद कर लिया बल्कि दोस्तों और घर वालों की नजर में उसे बीवी का पिछलग्गू भी समझ जाने लगा.

घर में कमाने वाला सिर्फ दिनेश ही था. उस की तनख्वाह से घर का खर्च और छोटे भाई की पढ़ाई ठीकठाक चल रही थी. जौब छूटने के बाद दिनेश ने कई जगह इंटरव्यू दिए, मगर नौकरी पाने में सफल नहीं हुआ. इधर बचत के पैसे खत्म होने लगे और उधर कृति की डिलिवरी की तारीख भी नजदीक आ गई. दिनेश की आर्थिक स्थिति इतनी जर्जर हो गई कि उस ने महल्ले वालों को घर में बच्चा होने की खुशी की मिठाई एक दोस्त से उधार पैसे ले कर खिलाई.

शक जब गहराने लगे

दिनेश के सिर पर कर्ज बढ़ रहा था. कृति को इस का एहसास था. खर्चा चलाने के लिए वह अपनी सोने की चेन दिनेश को दे चुकी थी. अम्मां ने भी अपनी चेन गिरवी रखवाई थी क्योंकि छोटे की फीस जमा होनी थी. कुछ दिन बाद कृति ने सोने की चूडि़यां भी दे दीं. दिनेश ने भारी मन से उन्हें बेचा.

धीरेधीरे डेढ़ साल गुजर गया. दिनेश को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. कभी ट्यूशन पढ़ा कर तो कभी किसी और तरीके से वह थोड़ाबहुत पैसा कमा रहा था, मगर इस थोड़ी सी पूंजी से घर का खर्च चलाना संभव नहीं हो रहा था.

एक दिन कृति ने दिनेश से कहा कि अगर उसे जौब नहीं मिल रही है तो क्यों न वह कहीं जौब कर ले. आखिर नर्सिंग ट्रेनिंग किस दिन काम आएगी. दिनेश को जब जौब मिल जाएगी तो कृति छोड़ देगी.

दिनेश राजी हो गया तो कृति ने 2-3 प्राइवेट अस्पतालों में अपना आवेदन भेज दिया. जल्द ही एक अस्पताल से इंटरव्यू की कौल आ गई. कृति दिनेश के साथ इंटरव्यू देने गई और पहले ही इंटरव्यू में उस का चयन हो गया. इंटरव्यू लेने वालों पर उस की डिगरियों से ज्यादा उस की सुंदरता और सलीके ने प्रभाव डाला. मां बनने के बाद कृति पहले से ज्यादा निखर गई थी.

कृति नौकरी पर जाने लगी तो दिनेश के मन में असुरक्षा की भावना और ज्यादा बढ़ गई. अस्पताल में तमाम जवान डाक्टर हैं. कहीं किसी के साथ कृति के संबंध न हो जाएं. सुबह जब कृति अस्पताल जाने के लिए तैयार हो कर निकलती तो दिनेश उस के दमकते शरीर को आंखें फाड़ कर देखता रह जाता. इस हीरे को कोई गपक न ले इस चिंता में वह घुला जाता था. कृति को अस्पताल छोड़ने और लेने वह खुद जाता था.

अब हाल यह हो गया कि अपने लिए नौकरी तलाशने के बजाय दिनेश दिन में कईकई चक्कर कृति के अस्पताल के लगाने लगा. 1-2 बार फोन भी कर लेता था. इस पर कृति को झंझलाहट भी होती थी. अगर किसी गंभीर केस की वजह से कृति को अंदर देर होती तो दिनेश की बेचैनी 7वें आसमान पर पहुंच जाती थी.

सुंदरता को ज्यादा महत्त्व

समाज चाहे जितना आधुनिक हो गया हो किंतु कुछ मामलों में सोच अभी भी पुरानी ही है. शादीविवाह के मामलों में आज भी स्त्री की पढ़ाई और योग्यता से ज्यादा उस की सुंदरता को तरजीह दी जाती है. सुंदर लड़कियों की शादी भी चटपट तय हो जाती है. लेकिन यह सुंदरता कभीकभी पति पर बहुत भारी पड़ती है. पति साधारण शक्लसूरत का हो और पत्नी हीरोइन जैसी दिखती हो तो पति चौकीदार बन कर रह जाता है.

आशंकित पति

पत्नी सुंदर हो तो पति उसे कहीं अकेले नहीं जाने देता बल्कि खुद साथ जाता है और कभीकभी तो ऐसा होता है कि जहां पत्नी को जाने की आवश्यकता भी नहीं होती, वहां भी वह यह सोच कर उसे साथ ले जाता है कि कहीं उस के घर में अकेले होने पर कोई अनहोनी न हो जाए, कहीं किसी पड़ोसी या छोटे या बड़े भाई से उस के संबंध न बन जाएं.

खूबसूरत और चिरजवां पत्नी पति के हाथ में एटम बम की तरह होती है जिस के प्रति वह हमेशा आशंकित रहता है कि पता नहीं कब दुर्घटना घट जाए.

सुंदरता और फरमाइशें

सुंदर पत्नी के कारण पति को पैसे भी ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. मसलन, खूबसूरत बीवी की सुंदरता कायम रखने के लिए अच्छे कपड़े, आधुनिक और महंगे कौस्मैटिक्स तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधनों इत्यादि पर खर्च करना पड़ता है. खूबसूरत बीवी की सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए त्योहारों या सालगिरह के मौके पर हीरे या सोने के आभूषण खरीदने पड़ते हैं. खासतौर पर दीवाली के मौके पर खूबसूरत पत्नी गहनों की डिमांड जरूर करती है.

खुद को फिट रखने की मजबूरी

सुंदर बीवी हो तो पति को अपने जीवन में भी कई बदलाव करने पड़ते हैं. अपनी फिटनैस की तरफ ध्यान देना पड़ता है. मनचाहे भोजन का त्याग कर के ऐसी डाइट लेनी पड़ती है जिस से उस की तोंद न निकले. कुछ पति तो खुद को स्लिमट्रिम रखने के चक्कर में केवल सलाद या बेस्वाद खाने से काम चलाने लगते हैं.

देखा गया है कि सुंदर पत्नी वाले पति के परिवार में शादीब्याह या कोई अन्य फंक्शन हो तो वह 1-2 महीने पहले से ही कसरत या गू्रमिं सैशन में जा कर अपने को फिट करने लगता है ताकि कोई उन की जोड़ी को बेमेल न कह दे.

सार्वजनिक जगह पर असुविधा

खूबसूरत बीवी साथ में होने पर सार्वजनिक जगह पर आप को असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है. कई नौजवान और तरसे हुए लोगों को अपनी बीवी की ओर ताकते पाएंगे जो आप को असुरक्षा और हीनता का बोध कराएगा. खूबसूरत बीवी साथ में होने से आप उन लोगों को अपने आसपास ‘भाभीजी’ कहते हुए मंडराते पाएंगे, जिन्हें आप फूटी आंख भी पसंद नहीं करते हैं. पत्नी खूबसूरत मिल जाए तो रिश्तेदार और दोस्त भी आप में हीनभावना भरने का काम करने लगते हैं फिर चाहे आप अपने कार्यक्षेत्र में कितना ही सफल क्यों न हों.

क्या पहनें

खूबसूरत बीवी के साथ आप अपनी शौपिंग करने में भी सहज नहीं होते हैं. कपड़ों की दुकानों में सेल्समैन आप को महंगे कपड़े यह कह कर बेचने की कोशिश करेगा कि सर आप इस में भाभीजी के साथ जंचेंगे. मानों इन के महंगे कपड़े आप ने न पहने तो इन की नजर में आप की जोड़ी ‘हूर के साथ लंगूर वाली’ होगी.

औफिस और अन्य जगहों पर असहजता

आप चाहे जितने भी अक्लमंद और खुद्दार क्यों न हों, आप की तमाम खूबियां आप की खूबसूरत बीवी के आगे फीकी पड़ जाएंगी. आप चाहे जितने सफल हों औफिस की सालाना पार्टी में जब अपनी बीवी के साथ जाएंगे तो कई मातहत और वरिष्ठजन अनावश्यक रूप से आप की पत्नी की ओर काफी ध्यान देंगे जो आप को और आप की पत्नी को असहज कर देगा.

धर्मस्थलों पर कई स्वयं घोषित साधुसंन्यासी अथवा ज्योतिषी भी आप की जोड़ी की ओर आकृष्ट होंगे और आप की पत्नी से कहेंगे कि बेटी हाथ दिखाओ हम भविष्य देख कर बताएंगे कि तुम कब मां बनोगी.

यही ज्योतिषी जब आप का हाथ या कुंडली देखेंगे तो कहेंगे कि आप पूर्व जन्म में दुराचारी, दुष्ट पापी रहे हों और इसीलिए आप जिंदगी में कुछ बन नहीं रहे. पिछले जन्म में किए गए केवल एक पुण्य के चलते आप को यह सुंदर व सुशील स्त्री पत्नी रूप में मिली है. इस तरह की बकवास कर के आप से रुपएपैसे ऐंठने की कोशिश करेंगे और आप के तनाव को बढ़ा देंगे.

बावजूद इन सब बातों के लगभग हर आदमी की यही इच्छा होती हैं कि जब भी उस की शादी हो तो किसी सुंदर कन्या से ही हो. सिर्फ शादी करने वाला लड़का ही नहीं, बल्कि उस की मां और पिता भी यही चाहते हैं कि उन के घर में बेहद खूबसूरत बहू कदम रखे.

आजकल के जमाने में घर में खूबसूरत बीवी या बहू रखना एक तरह का शोऔफ सा हो गया है. लोग लड़की की योग्यता, शिक्षा या कैरियर की बजाय उस की सुंदरता के पीछे भागते हैं, जबकि बाहरी खूबसूरती ही सबकुछ नहीं होती हैं, आंतरिक सुंदरता और अच्छा व्यवहार भी माने रखता है.

शादी के 3-4 साल बीत जाने के बाद बहू का अच्छा व्यवहार और समझ ही रिश्तों को दूर तक निभाने में सहायक होती है. अगर अति सुंदर बहू घर के काम न करे, सासससुर से अच्छा व्यवहार न करे, पति की परेशानियों को न समझ पाए तो ऐसी सुंदरता कुछ समय बाद जहर लगने लगती है. समझदार वही पुरुष है जो लड़की के रूप के साथसाथ उस के गुण भी देखे. रूप भले कुछ कम हो मगर गुण और व्यवहार ही शादी को लंबे समय तक चलाते हैं.

देवर है आशिक नहीं

अलकेश न केवल सगे भाई की पत्नी बल्कि चाचाताऊ के बड़े भाई की पत्नियों को भी फ्लाइंग किस और उन से फ्लर्टिंग करता रहता है. उस की इस आदत का बुरा मानना भी छोड़ दिया है. अपनी हमउम्र भाभी के साथ घंटों मोबाइल पर बात करता है. भाई को शक होता पर मुंह बंद कर लेता वरना जीवन दांव पर लग जाएगा.

मंटी भाभी को खूब उपहार दे कर उन का दिल जीत बैठा है. भाभी भी उस का बहुत ध्यान रखती है. अचानक एक दिन नव दंपती को अलग रहने का फरमान जारी कर दिया गया. जब दोनों ने बहुत पूछा तो मां को कहना पड़ा कि देवरभाभी में कभी भी खिचड़ी पक सकती है. इस की उम्र ही ऐसी है. वह अनजाने बहक सकता है. कामधाम करता नहीं कि उस की भी शादी कर दी जाए. अत: यही विकल्प है. तब दोनों ओर से रिश्तों को ताकीद किया गया तब वे सहज हुए. भाभी ने उचित दूरी बना कर गृहस्थी बना ली.

क्यों होता है ऐसा

हमउम्र या कम उम्र मेें सहज रूप से भी देवरभौजाई में आकर्षण की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में देवर आशिकमिजाज हो तो यह संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है. सदैव देवर जानबूझ कर ही भौजाइयों के प्रति आकर्षण का शिकार नहीं होते अनजाने भी होते हैं. ऐसे में उन्हें समय रहते समझना जरूरी है. भाभी हमारे घर आई ही इस काम के लिए है यह सोच देवर की हो ठीक नहीं है. भाभियों के खुलेपन को भी देवर आशिकमिजाजी उभारने का आधार बना लेते हैं.

पतिपत्नी की आपसी कलह भी आशिकमिजाज देवरों को अपने लिए स्कोप के रूप में दिखाई देती है. ऐसी स्थिति में उन की आशिकमिजाजी फूलतीफलती है.

भाभी द्वारा आशिकमिजाजी पहचान न पाना या उसे ही सहज व्यवहार सम?ा लेना आशिकमिजाजी देवर को स्वीकृति लगती है. हमारे लोकगीतों में देवरों की रोमांटिक छवि बखान की गई है जो जीवन की हकीकत से मेल नहीं खाती.

देवर दूसरा वर नहीं देवर भाभी दोनों ही कुछ खुलेपन को सहज मानते हैं. कई भाभियां इसी सोच में आशिकमिजाज देवरों की करतूतें पहचान नहीं पातीं. कभी आभास हो भी जाता है तो प्रतिरोध नहीं कर पातीं. उन्हीं ही दोषी माना जाएगा, इस डर से वे मुंह नहीं खोलतीं.

एक अनुभवी प्रिंसिपल शिवराम गौड कहते हैं कि ये स्थितियां वहां ज्यादा कौमन और सहज हैं जिस समाज में पति की मृत्यु के बाद देवर से शादी का रिवाज है. वहां स्थितियों को सहज स्वीकारने की ये स्थितियां बनी होंगी मगर अब वे बंदिशें कम होती जा रही हैं.

पति के अन्य रिश्तों जैसा ही ये रिश्ता भी पति के मांबाप, भाईबहन, बूआ, मामा आदि सभी रिश्ते वधू को उसी रूप में मानते हैं तो भाई का रिश्ता भी भाई ही माना जाना चाहिए.

शिप्रा के पति का निधन हो गया. उस के हमउम्र कुंआरे देवर से सब ने शादी के लिए कहा पर उन दोनों में भाईबहनों का सा नाता था. दोनों ने इस सच को उजागर किया. सम?ाने पर अपनी भावनाएं मुखर कीं. देवर कहता था कि

वह भाई के बच्चे पालेगा पर भाभी ने उस पर कहीं और शादी करने का दबाव बनाया. कई लड़कियां दिखाईं.

देवर इसी शर्त पर शादी के लिए माना जब भाभी भी शादी के लिए तैयार हुईं. दोनों ने एकदूसरे के जीवनसाथी देखे पसंद किए. आज उन का जीवन बेहद खुशहाल है. दोनों के जीवनसाथी भी इस रिश्ते को अटूट मानसम्मान देते हैं. शिप्रा के भाई कहते हैं कि सचमुच हम से भी आगे है यह रिश्ता.

गृहस्थी टूट सकती है

आशिकमिजाज देवर भले लुभाता हो पर यह आकर्षण गृहस्थी को चौपट कर सकता है, उस में दीमक लग सकती है. आशिकमिजाज देवर कुंआरा हो या शादीशुदा उसे शुरू से ही अपनी मर्यादा बता दें. रिजर्व रहें. एक सीमा तक ही संबंधों का विस्तार करें.

कैसे निबटें

आशिकमिजाजी कतई न सहें. तुरंत प्रतिरोध करें. पति व सास को बताएं. अपने पीहर के बजाय ससुराल वालों से कहें अन्यथा उन्हें लगेगा कि आप उन के घर की बदनामी कर रही हैं. बेहतर होगा कि ननदों को राजदार बनाएं. उन्हें आसपास रखें.

  •  प्रतिरोध करने पर भी देवर न माने तो उस से बोलना छोड़ देने में भी कोई बुराई नहीं है.
  •  हदों की हिदायत देने पर भी उस की आशिकमिजाजी पर कोई असर न हो तो मनोवैज्ञानिक तक पहुंचाने में पति की मदद ली जा सकती है. देवर का यह आचरण सहना या स्वीकारना अथवा उसे छिपाना किसी भी नजरिए से उपयुक्त नहीं है

कहीं आप बेटी की गृहस्थी तोड़ तो नहीं रहीं

मां बेटी का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है. हर मां की चाह होती है कि उस की बेटी ससुराल में खुश रहे. यदि बेटी इकलौती है तो वह उस के भविष्य के लिए कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद होती है. इसी वजह से मां अपनी बेटी को बचपन से ही अच्छे संस्कार देती है परंतु परिवर्तनशील समाज में अब मान्यताएं बदल रही हैं.

आजकल अधिकतर घरों के टूटने की वजह अभिभावकों का बेटी की गृहस्थी में अनावश्यक हस्तक्षेप और उन के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा है. नीना की शादी को 2 वर्ष बीत चुके हैं. उस के पति सोमेश बैंक में अधिकारी हैं, अच्छी तनख्वाह है. ससुर को भी पैंशन मिलती है. सोमेश की अविवाहित बहन है. बेटी के लिए चिंता करना हर मां का फर्ज है. नीना अपनी ननद के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती. उस की मां नीना को गलत व्यवहार के लिए उकसाती रहती है. यही वजह है कि घर में अशांति बनी रहती है. आपसी रिश्तों में तनाव रहने का मूल कारण नीना की अपनी मां ही है.

यदि बेटी अपनी ससुराल में खुश है, उसे अपने पति और ससुराल वालों से शिकायत नहीं है, तो मां का फर्ज यही होता है कि वह बेटी और  उस के ससुराल वालों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए.

भावनात्मक जुड़ाव

इकलौती बेटी जन्म से ही अपने घर की दुलारी और अपने पेरैंट्स की राजकुमारी होती है. इस कारण उस के पेरैंट्स अपनी बेटी के लिए ओवर प्रोटैक्टिव होते हैं. वे उस की हर इच्छा को यथासंभव पूरा करने का प्रयास करते हैं.

इकलौती बेटियां अपने पेरैंट्स से इतनी ज्यादा जुड़ी होती हैं कि वे ससुराल जा कर भी हर समय उन के लिए टेंशन महसूस करती रहती हैं. उन के लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना, शेयरिंग करना मुश्किल पड़ता है. अपने पेरैंट्स से उन्हें विशेष ध्यान मिलता था तो वे ससुराल में भी वही अपेक्षा करती हैं और नहीं मिलने पर अकसर अपने मन का दर्द अपनी मां को सुनाने लग जाती हैं.

वीडियोकौल या औडियोकौल के जरीए बेटी हर पल की खबर अपनी मां तक पहुंचाती है और मां की आक्रोशित प्रतिक्रिया उस के व्यवहार और जबान में घुल कर प्रकट हो कर आपसी कलह का कारण या आगे चल कर रिश्तों में कड़वाहट पैदा कर देती है.

इकलौती मीता की शादी उस की मां ने अपने ही शहर में करवाई थी. इस वजह से ज्यादातर रात में पति मेहुल औफिस से लौटते हुए लेता हुआ चला जाता था.

एक दिन माइके वालों के साथ पिकनिक का प्रोग्राम था. वह पिकनिक के लिए बहुत खुश और एक्साइटेड थी, लेकिन उसी दिन उस की सासूमां को बहुत तेज बुखार चढ़ गया तो उदास मन से उस ने अपनी मां को मना करने के लिए फोन किया पर उस की मां आशा उस पर बरस पड़ी और सासूमां को भलाबुरा बोलने लगी.

मीता को अच्छा नहीं लगा और उस ने अपनी मां को सम?ाने की कोशिश भी की. मगर पिकनिक पर न जा पाने की वजह से उस का मूड भी खराब था, ऊपर से मां की उलटीसीधी बातों ने उस के मन में अपनी सासूमां के साथ रिश्तों के धागों में एक महीन सी गांठ डालने का काम अवश्य कर दिया.

पैरों तले जमीन खिसक गई

सीमा अपनी तलाकशुदा मां आरती की इकलौती बेटी थी. चूंकि वह अपने ननिहाल में रहती थी, उस की मां को उस के नानानानी या मामा दुखियारी सम?ाते हुए हमेशा स्पैशल ट्रीटमैंट देते थे. प्यारदुलार के कारण उसे पूरी तरह मोम की गुडि़या बना दिया था. चूंकि सीमा काफी सुंदर और संपन्न परिवार से थी, इसलिए शहर के कईर् परिवार उसे बहू बनाने के लिए रिश्ता ले कर आए, लेकिन आईएएस के ख्वाब के कारण आरती ने किसी को भी पसंद नहीं किया.

जब उस की उम्र 30 के पार पहुंचने लगी, तो लोगों के दबाव में, अपनी इज्जत बचाने के लिए कहीं भी शादी तय करने को तैयार हो गई और जल्दबाजी में एक साधारण परिवार के लड़के के साथ रिश्ता तय कर दिया.

खूब सारा दहेज, गाड़ी और कैश दे कर धूमधाम से शादी की. अब जब सीमा ने ससुराल की पथरीली धरती पर अपने कदम रखे तो वहां के तौरतरीके देख कर उस के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई थी. चूंकि उस ने कभी घर का काम ही नहीं किया था सो उसे कोई अभ्यास नहीं था. वहां पर तो एक भी नौकर नहीं था. उस ने कभी किसी के साथ अपनी चीजें शेयर नहीं की थीं. यहां पर उस की मां की दी हुई गाड़ी की चाबी देवर के पास ही रहती.

आरती समयबेसमय पर बेटी को फोन खटकाती और वीडियोकौल में, जब बेटी सीमा को बरतन धोते देखती तो उस का खून खौल उठता. उसे लगता कि उस की तो सारी दुनिया ही लुट गई. बेटी के बिना उन्हें अपना जीवन अधूरा सा लगता.

बेटी सीमा भी अपने ससुराल वालों की शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ जाती. सीमा का देवर सुकेश अपनी भाभी के साथ हंसीमजाक और मीठीमीठी छेड़खानी करता. सीमा को यह सब अच्छा नहीं लगा, तो उस ने छोटी सी बात का बतंगड़ बना दिया. तमाम शिकायतों का दौर चला. मांबेटी दोनों को ही रिश्ता बचाने के लिए हाथ जोड़ कर माफी मांगनी पड़ी. सास से अलग रहने पर मामला सुलझा.

बेटी की परेशानियां

बेटी की परेशानियां सुनसुन आरती बिलख उठती. उस के घर वाले सम?ाते लेकिन अब उसे अपना दामाद ही विलेन लगता क्योंकि शादी कर के उस के सपने भी मिट्टी में मिल गए थे. उसे नाश्ते में आमलेट चाहिए उधर सीमा को प्याज से भी परहेज था. न समय पर सुकेश चाय मिलती और न ही खाना, क्योंकि मोम की गुडि़या घर का काम कर ही नहीं पाती थी. नाराज हो कर एक दिन सुकेश ने गुस्से में उस पर हाथ उठा दिया.

बस आरती को बहाने की तलाश थी. प्रैगनैंट बेटी को घर ले आई. रिश्तों में कड़वाहट तो शादी के दिन से ही शुरू हो गई थी, लेकिन अब ऐसी गांठ पड़ी जो कभी सुल?ा नहीं पाई. अब सीमा उस घड़ी को कोसती है जब वह मां का हाथ पकड़ कर मायके आई थी.

नोएडा की स्मिता की शादी को 2 साल हो चुके हैं, एक बेटा भी है. किसी छोटी सी बात पर पति के साथ ?झगड़ा हुआ तो उस ने तुरंत अपनी मां से बढ़ाचढ़ा कर शिकायत कर दी. छोटीछोटी बातों में कहासुनी भला किस पतिपत्नी में नहीं हुआ करती. लेकिन स्मिता की रोजरोज की कहासुनी और अनबन की बात सुन कर उस की मां ने उसे अपने पास बुला लिया. उस के बाद उत्पीड़न का केस कर दिया. दरअसल, स्मिता संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती थी. इसी वजह से घर में आए दिन क्लेश होता रहता था. वह बच्चे को ले कर मायके आ गई और दहेज उत्पीड़न का आरोप लगा कर अदालत में मुकदमा दायर कर दिया.

इस तरह से शादी के बाद बेटी का परिवार बिखरने के करीब 40 फीसदी मामलों में लड़की की मां का हस्तक्षेप प्रमुख कारण बनता है. पिछले 4 वर्षों में महिला परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचे हुए मामलों में यह हकीकत सामने आई है. 4 सालों में यहां 1647 मामले पहुंचे, इन में से करीब 600-700 मामलों में लड़की की मां के हस्तक्षेप के कारण बात बिगड़ी. काउंसलिंग के बाद कई परिवार बिखरने से बच गए तो कुछ परिवार मां के अनुचित हस्तक्षेप के कारण बिखर गए.

मातापिता का हस्तक्षेप

परिवारों में देखा जाता है कि इकलौती बेटी की हर इच्छा या जरूरत को पेरैंट्स पूरी करने की बहुत ज्यादा कोशिश करते हैं क्योंकि वह उन के जीवन की सब से कीमती चीज होती है. भाईबहनों के न होने से इकलौती बेटियां अपने कंधे पर बहुत बड़ा बोझ लिए होती हैं. पेरैंट्स और बेटियां दोनों एकदूसरे के लिए चिंतित और परेशान रहते हैं. इकलौती बेटियों को केवल अपनी खुद की जरूरतों पर ध्यान देने की आदत होती है. ऐसे में दूसरों के लिए सहानुभूति महसूस करने में उन्हें मुश्किल होती है.

चूंकि मातापिता लगातार उन की समस्याओं का हल करते रहे हैं, इसलिए किसी भी परेशानी के समय वे उन्हीं की सलाह मांगती हैं. चूंकि चीजें आसानी से मिलती रहीं, इसलिए किसी भी मुश्किल के आते ही घबरा जाती हैं. इकलौती बेटी का चूंकि घर में सब चीजों पर हक होता है, इसलिए उस के मन में यह प्रवृत्ति जन्म ले लेती है कि वह जो चाहती है, उसे पाना उस का अधिकार है. इकलौती बेटी अपने पेरैंट्स की उम्मीदों और महत्त्वाकांक्षाओं के लिए ही जीने की कोशिश में लगी रहती है.

तोहफे

तोहफे हर किसी को अच्छे लगते हैं. बहुत अधिक तोहफे दे कर आप अपनी बेटी की आदतों को बिगाड़ रही हैं. अगर ससुराल वाले आप की बेटी के शौकों को पूरा नहीं कर सकते तो आप आर्थिक सहायता देने का बिलकुल भी कष्ट न करें. इस तरह से आप उस के ससुराल वालों को नीचा दिखा रहे हैं और आपसी रिश्तों को खराब करने की शुरुआत कर रहे हैं.

आप बेटी के गृहस्थ जीवन में हस्तक्षेप न करें. अगर आप उस की ससुराल वालों और अपने दामाद से कुछ कहना भी चाहते हैं, तो इस तरह कहें कि उन्हें बुरा न लगे वरना इस वजह से आप और उन के संबंधों में खटास पड़ सकती है.

आज सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन बात शतप्रतिशत सही है कि मांबाप के छोटीछोटी बातों में दखल देने से ही परिवार बहुत तेजी से टूट रहे हैं. मामला मनमुटाव और कहासुनी शुरू हो कर नौबत तलाक तक पहुंच रही है. अधिकांश मामलों में संबंध टूटने का मुख्य कारण बेटी की शादीशुदा जिंदगी में मां का अनुचित हस्तक्षेप करना होता है. इस वजह से इकलौती बेटियां अपनी ससुराल की उपेक्षा और मायके के प्रति अधिक झुकाव रखती हैं. मायके के प्रति समर्पित इकलौती लाडली पति और रिश्तेदारों को सम्मान नहीं देना चाहती.

दानदहेज ले कर आई इकलौती बेटी के मन में यह बात घर कर जाती है कि पति से रिश्तेदारी न हो कर उस की खरीदारी हुई हो और पति पर सिर्फ और सिर्फ उस का मालिकाना हक है. उस के बाद तो ससुराल में मनमानी और दुर्व्यवहार भी करने से नहीं चूकती और बढ़तेबढ़ते 7 फेरों का पवित्र बंधन कोर्टकचहरी के चक्करों में उलझ जाता है.

पारिवारिक रिश्तों में हो रहे क्षय के प्रमुख कारणों में से एक पतिपत्नी के दांपत्य जीवन में मां का अनुचित हस्तक्षेप देखा जा रहा है.

आखिर क्या है सैकंड हैंड हसबैंड?

कुछ औरतें शादीशुदा पुरुषों के साथ डेट कर रही हैं और आने वाले समय में उन के विवाह बंधन में बंधने की संभावनाएं हैं. ऐसे  एक विवाह की चर्चा हर बार जोरों पर होती है उन के अपने सर्कल में. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?

2012 में सैफ ने करीना कपूर से शादी की थी. इस से पहले वे 13 साल तक अमृता से वैवाहित रिश्ते में बंधे रह चुके थे और उन के 2 बच्चे भी थे. बच्चों ने नए पिता को सहज अपना लिया.

मौडलिंग करती करिश्मा ने भी एक बैचलर से प्यार किया और सगाई भी. लेकिन शादी की एक व्यवसाई संजय से, जो तलाकशुदा था. संजय 7 साल तक शादीशुदा रहा फिर अपनी पत्नी से अनबन के कारण तलाकके लिए अदालत पहुंचा.

मान्यता एक पीआर कंपनी में काम करती है. पहले उस की 2 शांदियां हो चुकी थीं, जिन में से एक की कोविड की बीमारी से मौत हो गई थी. पहले पति से उन की एक बेटी है. अब मान्यता के और नए पति के जुड़वां बच्चे हैं.

श्रीदेवी को तो जानते ही होंगे जिन्होंने फिल्म निर्माता बोनी कपूर से जोकि पहले से ही मोना से विवाहित थे और उन के 2 बच्चे भी थे 1996 में विवाह कर लिया था. हालांकि इस से पहले श्रीदेवी और मिथुन चक्रवर्ती की गुपचुप शादी की चर्चा भी बौलीवुड में उड़ी थी. ‘इंग्लिशविंग्लिश’ की सफलता के बाद श्रीदेवी को नए कैरियर से बहुत उम्मीदें थीं पर वे दुबई में बाथटब में मरी पाई गईं.

यकीन के साथ कहा जा सकता है कि अब बढ़ते तलाकों और बेसब्री के कारण औरतों का शादीशुदा या तलाकशुदा मर्दों के साथ शादी करने का सिलसिला बढ़ता जाएगा.

1.क्या कहती हैं मैरिज काउंसलर

एक मैरिज काउंसलर के अनुसार बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो शादीशुदा पुरुषों से प्यार करने लग जाती हैं, उन के प्रेम में पड़ जाती हैं. फिल्मी दुनिया में तो ऐसे कई उदाहरण हैं जैसेकि हेमामालिनी, जयाप्रदा और श्रीदेवी ऐसे पुरुषों के न सिर्फ प्यार में गिरफ्तार हुईं बल्कि उन्हीं से शादी भी की. क्या अच्छे कुंआरे लड़कों की कमी होती है या फिर कोई और कारण है? ऐसे अफेयर्स महिलाओं को द अदर वूमन या होम ब्रेकर का टैग लगा देते हैं और लोग यहां तक भी कह देते हैं कि सैलिब्रिटीज सैकंड हैंड हसबैंड का दौर चलता है.

यहां कुछ ऐसी वजहें दी जा रही हैं जो बताएंगी कि प्यार, शादी और सैक्स के लिए महिलाएं शादीशुदा मर्द ही क्यों प्रैफर करती हैं?

2.वह एक चैलेंज होता है

एक शादीशुदा पुरुष के साथ विवाह करना एक महिला के लिए दूसरी महिला पर विजय पा लेने की तरह होता है. ऐसे पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित कर लेना उस के अनुभव, आत्मविश्वास और क्षमता को और भी बढ़ा देता है. ऐसे पुरुषों को अपना बना लेना इन महिलाओं के लिए एक ट्रौफी पा लेने की भांति होता है. उन्हें पाना असंभव को संभव बनाने जैसा होता है. बहुत सी महिलाएं ऐसी चीजें पाना चाहती हैं जो किसी और महिला से जुड़ी हों या उस के पास हों. शादीशुदा पुरुषों को पाने की एक वजह ऐसी महिलाओं में ईर्ष्या या बदला लेने की प्रवृत्ति के कारण आई हुई हो सकती है.

3.एक शादीशुदा पुरुष के पास हर जवाब होता है

बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि बैचलरों की तुलना में शादीशुदा पुरुष उन की भावनात्मक और भौतिक जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं. उन के पास सभी सवालों के जवाब मौजूद होते हैं और ऐसी समस्याओं से निबटने और उन से उबरने की कला में वे पहले से ही अनुभवी होते हैं.

4.अवैधानिक फल

समाज ऐसी महिलाओं को सपोर्ट नहीं करता, जो अन्य महिलाओं के पति को छीन लेती हैं. पहले से अनुभवी पुरुषों को पाने की लालसा सामाजिक लिहाज से गलत मानी जाती है, यही बात कुछ महिलाओं को खासतौर से इस ओर आकर्षित करती है. बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें अपनी प्लेट से कहीं ज्यादा दूसरों की प्लेट का खाना स्वादिष्ठ दिखता है. यह मनुष्य की सामान्य आदत है कि जो उस के पास नहीं होता, उसे वही अच्छा लगता और लुभाता है. शादीशुदा पुरुषों का साथ कुछ महिलाओं के आत्मविश्वास को और भी बढ़ा देता है.

5.कोई रिश्ता नहीं रखने की प्रवृत्ति:

कैरियर केंद्रित महिलाओं के लिए शादीशुदा पुरुष आदर्श महसूस होते हैं, जो उन के साथ सैक्स के लिए तो तैयार हो जाते हैं लेकिन शादी नहीं करना चाहते. जब वे किसी ऐसे को पसंद करती हैं, जो उन का नहीं हो सकता तो ऐसे पुरुषों को उन की पत्नियों के साथ या उस रिश्ते से संघर्ष भी नहीं करना पड़ता. इस तरह दोनों ही के लिए ऐसे रिश्ते से न तो कोई रिस्क रह जाता है और न ही ऐतराज.

6.शादीशुदा पुरुष बिस्तर पर अच्छे होते हैं

बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि शादीशुदा पुरुष, जिन्हें सैक्स का काफी अनुभव होता है, वे बैचलर लड़कों के मुकाबले काफी अच्छे होते हैं. ऐसे ही कुछ शादीशुदा पुरुष हैं जिन्हें वे सोच में अपने साथ पाती हैं और महसूस करती हैं कि उन के साथ वे बेहतरीन वक्त गुजार पाएंगी.

7.वाइल्ड अट्रैक्शन

कुछ शादीशुदा पुरुष आकर्षक और चार्मिंग होते हैं जिन्हें देर तक ऐंजौय करना पसंद होता है. बहुत सी महिलाओं के लिए ऐसे पुरुषों से निकलने वाली तरंगोंको रोक पाना परेशानी भरा सबब होता है.

8.योग्य सिंगल पुरुष नहीं चुन पातीं

योग्य सिंगल पुरुष कम ही मिल पाते हैं. इस प्रतियोगिता से पार पाने के लिए वे शादीशुदा पुरुषों का ही चुनाव कर लेती हैं.

9.यह प्यार भी हो सकता है

प्यार किसी से भी हो सकता है. जैसाकि प्यार के बारे में प्रसिद्ध है कि प्यार अंधा होता है और जब कोई प्यार में होता है तो यह माने नहीं रह जाता कि वह शादीशुदा है या सिंगल.

10.मैट कौपीइंग

बहुत सी महिलाएं यह मानती हैं कि यदि किसी पुरुष के साथ या पीछे कोई और महिला है तो वह पुरुष जरूर कुछ न कुछ खास की तलाश में होगा. बस, उन की इस तलाश को पूरा कर के वे खुद को खुशहाल मानने लगते हैं.

11. सैक्स ऐडिक्ट

कुछ महिलाएं सिर्फ सैक्स करना चाहती हैं, चाहे उन के साथ कोई भी क्यों न हो. उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति सैक्स ऐडिक्ट होगा जबकि वह उन के साथ समर्पित नहीं भी हो सकता है.

बहरहाल, वजह जो भी हो, इतना अवश्य है कि अब राजनीति, बिजनैस में सैकंड हैंड हसबैंड प्रेम दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और अब बड़े पैमाने पर नजर आने लगा है. अब अखबारों में, मैट्रीमोनियल साइटों, फेसबुक पर सैकड़ों औरतों के बायोडाटा दिख जाएंगे जिन्हें सैकंड हसबैंड से कोई आपत्ति नहीं है.

न्यू मैरिड कपल्स के लिए कुछ खास टिप्स, जिससे रिश्ते में बनी रहेगी मिठास

मीता ने अपने माता-पिता की बात नहीं मानी और अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली,लेकिन रिश्ता नहीं चला पाया और बाद में तलाक ले लिया. शुरुआत में तो दोनों के कुछ दिन आराम से बीते, पर फिर जिंदगी की जद्दोजहद में मीता का पति ध्रुव व्यस्त हो गया और समय के अभाव में दोनों के बीच में दूरियां आने लगीं. धीरे-धीरे दोनों के बीच में मतभेद बढ़े और वह बाद में मनभेद में बदल गए.

न्यू कपल्स को एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगता है. लेकिन आपसी सहमति और समझदारी से रिश्ते को बेहतर बनाया जा सकता है. न्यू मैरिड कपल्स के लिए यह समय काफी अहम होता है जिसमें थोड़ी भी परेशानियों के आने से रिश्ते को नुकसान पहुंच सकता है. असल में कोई भी शादी पर्फेक्ट नहीं होती हर किसी को रिश्ते में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. शादी करने के बाद कई जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं जिनको अच्छे से पूरा करने के लिए दोनों को ही समझदारी से काम लेना पड़ता है. वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव होते रहते हैं, अपनी शादी को सफल बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है.

अगर आप भी न्यू मैरिड कपल है या शादी को कुछ समय हुआ है और आप अपने रिश्ते को गहरा बनाना चाहते हैं तो यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे जो आपकी शादी के बाद आने वाली सारी परेशानियां से निपटने के लिए पर्याप्त है.  आइए जानते हैं इन टिप्स के बारे में-

  1. डेट पर जाएं

अपने बिजी शेड्यूल से थोड़ा समय निकालकर अपने पार्टनर के साथ डेट पर जाएं. इससे आप क्वालिटी टाइम स्पेंड कर पाएंगे और एक दूसरे की भावनाओं को अच्छे से समझ पाएंगे.

2. एक दूसरे को सरप्राइज दे

आप अपने पार्टनर को सरप्राइज दे सकते हैं जैसे कि सुबह का नाश्ता, लव लेटर या उनके पसंदीदा गिफ्ट. इन छोटी कोशिशों से आपके पार्टनर को अच्छा लगेगा जिससे यह समय आपके लिए यादगार रहेगा और आपका रिश्ता गहरा होगा.

3. ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें

कम्युनिकेशन से रिलेशन को स्ट्रांग बनाने में मदद मिलती है. इसलिए अपने पार्टनर के साथ खुलकर बातचीत करें. एक दूसरे की ज़रूरतें और परेशानियों को सुनें और उनका साथ दें.

4. फिजिकल अफेक्शन दिखाएं 

एक रोमांटिक रिलेशन के लिए फिजिकल अफेक्शन बेहद जरूरी होता है. अपने पार्टनर के साथ कडल्स करें और उन्हें इंपॉर्टेंट होने का एहसास दिलाएं. यह चीजें आपके रोमांस को अच्छा रखने में मदद करती है.

5. एक दूसरे की बातें सुने

एक दूसरे से कम्युनिकेशन करने के अलावा एक दूसरे की बातें भी ध्यान से सुने. अपने पार्टनर की बातें बिना विचलित हुए सुने. जिससे आपका पार्टनर आपको बिना हिचकिचाहट सारी बातें शेयर कर सके.

6. अपने प्यार को एक्सप्रेस करते रहें

अपने पार्टनर को एहसास दिलाते रहे कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं इसके लिए आप उन्हें बोलकर, लेटर लिखकर या गिफ्ट्स के माध्यम से बता सकते हैं.

7. छोटी-छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करते रहे

अपने रिश्ते में जुड़ाव और अपनेपन की भावना को पैदा करने के लिए खुशियों को सेलिब्रेट करें और अपने जीवन के पलों को यादगार बनाएं.

8. अपनी गलती को माने 

कोई भी कपल परफेक्ट नहीं होता है किसी ना किसी से गलतियां होती रहती हैं. अपने बीच शिकायत या नाराजगी को दूर करें. अगर आपकी गलती है तो अपनी गलती माने.  इससे आपके बीच प्यार और रिस्पेक्ट बढ़ती है.

9. एक दूसरे का ख्याल रखें 

एक दूसरे की फिजिकल और इमोशनल जरूरतों का ध्यान रखें. एक साथ एक्सरसाइज करें, खाना बनाने में एक दूसरे की मदद करें और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के साथ खड़े रहे.

10. एक दूसरे को स्पेस दें 

जहां आप एक दूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीत करते हैं, वही आपको यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि एक दूसरे को स्पेस देना भी बेहद जरूरी है. इससे आपके बीच ट्रस्ट बढ़ता है और यह आपको सफोकेटेड और रूड होने से भी रोकता है.

जब दोस्त इंप्रैशन जमाएं

प्रियंका और वाणी अपनी सहेली मुग्धा से काफी दिनों बाद मिली थीं. थोड़ी देर की औपचारिक बातचीत के बाद मुग्धा हमेशा की तरह अपनी चीजों की तारीफ करने लगी.

वह अपने बाल दिखाती हुई बोली, ‘‘यह देखो प्रियंका, मेरा नया हेयरस्टाइल. पिछले संडे ही पार्लर गई थी. साउथ दिल्ली का जो बैस्ट पार्लर है न, वहीं जाती हूं. वहां की स्टाफ तो मेरे बालों की तारीफ करती नहीं थकती. कहती है, ‘हीरोइनों से भी ज्यादा चमकदार और आकर्षक तेरे बाल हैं.’ मैं ने पूछा कि मु?ा पर कौन सा स्टाइल अच्छा लगेगा तो कहने लगी कि तुम्हारे ऊपर तो हर स्टाइल जमेगा. इन बालों को कैसे भी रख लो बेहतरीन ही लगेंगे. बाद में काफी सोचसम?ा कर मैं ने यह स्टाइल करवाया, बिलकुल लेटैस्ट और गौर्जियस.’’

सो, प्रियंका ने उस की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘वाकई तुम्हारे बाल बेहद खूबसूरत लग रहे हैं.’’

मुग्धा तब बोली, ‘‘और यह ड्रैस देखी तुम ने? बिलकुल लेटैस्ट स्टाइल की है. जानती हो, कनाडा से मेरे अंकल ले कर आए हैं. वे कह रहे थे कि हमारी बच्ची तो एकदम राजकुमारी लग रही है. जानती है ये अंकल जो हैं न मेरे, हमेशा यही कहते हैं कि तू मिस इंडिया कौन्टैस्ट में जाएगी तो जरूर जीत कर आएगी. एक्चुअली, मैं सुंदर हूं और इंटैलिजैंट भी. मगर क्या करूं समय ही नहीं मिलता किसी कंपीटिशन में पार्टिसिपेट करने का. पढ़ाई में भी तो अव्वल रहना है न.’’

प्रियंका ने उस की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘सच यार, तू जितनी खूबसूरत है उतनी ही स्मार्ट भी. तेरे जैसी लड़कियां कहां मिलती हैं. मु?ो प्राउड फील होता है यह सोच कर कि तू मेरी दोस्त है. आई एम ग्रेटफुल टू बी योर फ्रैंड. थैंक यू डियर, ओके बाय.’’ यह  कह कर प्रियंका वाणी के साथ आगे बढ़ गई.

वाणी आंखें तरेरती हुई बोली, ‘‘क्या यार प्रियंका, क्या जरूरत थी उस की तारीफ करने की? वह हर समय अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश में ही लगी रहती है. तू उस की इस आदत को और हवा देती है.’’

‘‘यार, मैं खुद उस की आदत से परेशान हूं. मगर मैं जानती हूं कि जब तक हम उसे एकनौलेज नहीं करेंगे वह इसी तरह अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश करती रहेगी. मैं तो यह जानती हूं कि जो लोग ज्यादा दिखावा करते हैं और अपने स्टेटस या पैसों का रोब ?ाड़ते हैं, असल में वे अपनी इनसिक्योरिटी छिपा रहे होते हैं. उन के अंदर कुछ खालीपन होता है जिसे छिपाने के लिए वे ऐसा करते हैं. हमें ऐसे लोगों से अलग तरह से पेश आना चाहिए. कभीकभी उन की तारीफ कर देनी चाहिए ताकि वे इस भावना से उबर सकें.’’

वाणी प्रियंका का चेहरा देखती रह गई. उसे अब बात सम?ा में आने लगी थी. प्रियंका के इस साइकोलौजिकल अप्रोच से वह भी इत्तफाक रखने लगी थी.

दरअसल कुछ लोगों की आदत होती है कि वे दूसरों के सामने अपनी ?ाठी तारीफ के पुल बांधने लगते हैं. सच हो या नहीं, उन्हें बस अपना इंप्रैशन जमाना होता है. कोई रुपयों का रोब ?ाड़ता है तो कोई अपनी जौब का. कोई अपने हुनर का तो कोई तेज दिमाग का. कुछ लोग नैगेटिव इंप्रैशन जमाते हैं तो कुछ पौजिटिव. कुछ ऐसे भी होते हैं जिन की बातों से अहंकार ?ालकता है. इस तरह के लोगों के साथ समय बिताना या बातें करना काफी अजीब लगता है. जब हमें पता होता है कि उन की बातों में जरा सी भी सचाई नहीं और वे केवल इंप्रैशन जमाने के लिए अपनी तारीफ किए जा रहे हैं तो बहुत कोफ्त होती है.

हमारी जिंदगी में ऐसे रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों की कमी नहीं होती. दोस्तों की यह आदत हमें खासतौर पर नागवार गुजरती है क्योंकि हम औलरेडी उन्हें बहुत करीब से जानते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोई दोस्त हमें प्यारा हो मगर उस की इंप्रैशन जमाने वाली बातों से इरिटेशन होने लगे तो क्या करें?

सब से पहला उपाय यह है कि ध्यान दें कि क्या आप का दोस्त पौजिटिव इंप्रैशन जमा रहा है या नैगेटिव बातें कह रहा है या फिर उस की बातों में अहंकार दिख रहा है. यदि वह अपनी खूबियों और अपनी चीजों के बारे में बढ़ाचढ़ा कर कह रहा है तो उस पर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं. उस की बातें एक कान से सुनें और दूसरे से निकाल दें.

इस के विपरीत यदि वह अपने नैगेटिव पहलू को आप के आगे उभारने की कोशिश कर रहा है ताकि आप उस से डर कर रहें तो ऐसे दोस्तों से दूरी बढ़ा लें. तीसरा यदि वह अहंकारपूर्ण शब्दों का प्रयोग कर रहा है और उस की बातों से उस का घमंड ?ालक रहा है तो भी आप को धैर्य रखने की जरूरत है.

समय के साथ ऐसे दोस्तों से दूरी बढ़ा लें जिन की बातों में सचाई कम, अहंकार ज्यादा हो. आप अपने लिए हम्बल, डाउन टु अर्थ और जैनुइन दोस्त चुनें जो आप के प्रति बिलकुल सच्चे हों. आप के दिमाग में यह बात क्लीयर होनी चाहिए कि आप को कैसा दोस्त चाहिए. अपनी पसंद के इंसान के साथ करीबी बढ़ाएं तो आप को एक तरह से संतुष्टि मिलेगी.

इनसिक्योरिटी का डर

वैसे लोग जो एरोगैंस या दिखावे में ज्यादा विश्वास करते हैं और अपने स्टेटस, पैसों या जौब का रोब ?ाड़ते हैं, दरअसल वे अपनी इनसिक्योरिटी छिपा रहे होते हैं. उन के अंदर कुछ ऐसा खालीपन होता है जिसे छिपाने के लिए वे रोब डालने की कोशिश करते हैं. हमें ऐसे लोगों पर दया करनी चाहिए. हमें यह सम?ाने का प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी किसी कमी, डर, असुरक्षा या बुरी यादों से बचने के लिए ऐसा कर सकते हैं.

हमें नहीं पता होता कि वह बंदा बचपन से अब तक क्याक्या डील कर रहा है और किन परेशानियों से गुजरा है. वह शो औफ करने की कोशिश क्यों कर रहा है? ऐसा क्या है जो उसे ऐसे इंप्रैशन जमाना पड़ रहा है या दिखावा करना पड़ रहा है? इसलिए जो वह दिखा रहा है उस के लिए उसे ऐप्रिशिएट करें और एकनौलेज करें. फिर देखें, कैसे वह आप का सब से अच्छा और प्यारा दोस्त बन जाता है.

एकनौलेज करें

इस संदर्भ में मानवीय संबंध विशेषज्ञ आश्मीन मुंजाल कहती हैं, ‘‘आप जितना ही किसी बात से चिढ़ते हों, वह बात उतनी ही आप का पीछा करती है. मोर यू रेसिस्ट, मोर इट विल परसिस्ट. द मोमैंट यू एक्सैप्ट, इट विल डिसऐपियर्ड.’’ यही बात इस केस में भी लागू होती है. आप जितना ही चाहेंगे कि आप का दोस्त आप के आगे फालतू की बातें कर के अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश न करे तो यकीन मानिए ऐसा ही होगा. आप उस से पीछा नहीं छुड़ा पाएंगे.

ऐसे में आप उसे अवौयड कर सकते हैं तो कर दें. दरअसल अपनी जिंदगी में कुछ लोगों को तो आप अवौयड कर ही सकते हैं, जैसे पड़ोसी, कलीग्स या सहपाठी. मगर कुछ, रिश्तेदार या करीबी दोस्त को आप अवौयड नहीं कर सकते. इसलिए इन के साथ आप को अलग तरह से पेश आना होगा.

आप कुछ समय तक बिना परेशान हुए उस की बातें सुनें. सिर्फ सुनें ही नहीं, बल्कि जो वह दिखाना या बताना चाह रहा है उस के लिए उसे ऐप्रिशिएट भी करें. उस की बातों को एकनौलेज करें. उसे एहसास दिलाएं कि आप उस से प्रभावित हैं.

खुले दिल से उस की तारीफ करें

अगर आप का दोस्त अपनी सैलरी और एक्स्ट्रा प्रिविलेजेज के बारे में बढ़ाचढ़ा कर बता रहा है तो आप उस की तारीफ करते हुए कहें, ‘‘वाओ, कितना बढि़या है. तुम कितने हार्ड वर्किंग हो. तुम ने बहुत मेहनत कर इतनी तरक्की हासिल की है. सच, कमाल ही कर दिया. हम बहुत थैंकफुल हैं कि तुम्हारे जैसा दोस्त मु?ो मिला.’’

उस से यह सब कहने के बाद उस का रिऐक्शन देखिए. वह आप के प्रति औब्लाइज और थैंकफुल नजर आएगा. उस के चेहरे की सारी हेकड़ी गायब हो जाएगी और वह आप को गले लगाने की कोशिश करेगा. अगर आप ऐसा दोचार बार करेंगे तो यकीन मानिए, वह आप का बहुत रियल और करीबी दोस्त बन जाएगा.

दिल से तारीफ करें

हर इंसान को तारीफ और रिकग्निशन चाहिए. आप के दोस्त को जो प्रशंसा चाहिए, वह उसे दे दीजिए. रैसिस्ट करने के बजाय उसे एक्सैप्ट करें. दिल से एैप्रिशिएट करें. इस से वह शांत हो जाएगा. आप के आगे उस की शोऔफ करने की आदत भी कम हो जाएगी. वह आप के साथ रियल हो जाएगा. उस का एरोगैंस गायब हो जाएगा. आप का उस से एक अलग सा रिश्ता बन जाएगा. वह दूसरों के साथ जैसा था वैसा ही रहेगा, मगर आप के लिए बदल जाएगा.

याद रखें, हर इंसान में कुछ न कुछ अच्छी बात या विशेषता जरूर होती है. आप के दोस्त में सच में जो अच्छाई है उस पर ध्यान दें. अच्छाइयां ढूंढ़नी पड़ती हैं जबकि बुराई तो तुरंत नजर आ जाती है. एकनौलेज करना एक क्रिएटेड एक्ट होता है. आप वैसी चीज को फोकस में ला सकते हैं जिस पर कभी ध्यान जाता ही नहीं है. यानी आप क्रिएट कर सकते हैं. इस के लिए आप को बहुत सी चीजें मिल जाएंगी.

किसी की आंखें सुंदर हैं, किसी की बिंदी, किसी की ड्रैस और किसी का स्टाइल अच्छा लग सकता है. दुनिया में हर इंसान इस बात के लिए तड़प रहा है कि कोई उस की तारीफ करे. इसी तरह आप का दोस्त भी अटैंशन चाहता है तो वह उसे दे दो. ऐक्चुअली, बैस्ट गिफ्ट जो आप किसी को दे सकते हैं वह है रियल और जैनुइन एैप्रिसिएशन. उसे यह एहसास दिलाना कि उस ने यह काम अच्छा किया. इस से उस की कुछ पाने, बनने या प्रूव करने की तड़प को शांति मिलेगी. सच्चे दिल से यदि आप ऐसा कुछ दिनों तक करेंगे तो उस का एरोगैंस गायब हो जाएगा और एक अलग सा मैजिक होगा.

जब बीवी कमाए, पति उड़ाए

आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी के बाहर होता है और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. लेकिन अब इस का उलटा भी हो रहा है. पत्नी नौकरी करती है और पति बेरोजगार हो कर घर के काम करता है. कुछ आलसी किस्म के पति आर्थिक दृष्टि से पत्नी की कमाई पर निर्भर रहते हैं ‘खुदा दे खाने को तो कौन जाए कमाने को’ के सिद्धांत पर चलने वाले पति ताउम्र निठल्ले पड़े रहते हैं. वे घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल तो कर सकते हैं, पर कोई कामधंधा नहीं.

ऐसे पतियों को और उन की पत्नियों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि घर पर रहने वाले पतियों को होती है दिल की बीमारियां, जो उन्हें असमय ही मौत के मुंह में धकेल देती हैं.

घर पर रह कर बच्चों की देखभाल करने वाले पतियों को दिल की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है. यह बात अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आई है. घर में रह कर बच्चों की जिम्मेदारी संभालने वाले पतियों को दिल की बीमारी होने और उन की जल्दी मौत होने की संभावना बढ़ जाती है.

यह बात कार्य से संबंधित तनाव और कोरोनरी बीमारी के बारे में किए गए एक अध्ययन के दौरान भी सामने आई थी. घर पर रहने वाले पतियों के स्वास्थ्य को इस तरह का खतरा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें अपने परिजनों, मित्रों और साथियों का समर्थन या सहयोग नहीं मिलता है, जबकि घर के लिए काम छोड़ने वाली अकेली कमाऊ महिलाओं को हर तरह से वाहवाही मिलती है.

हमेशा तनाव में रहना

फिर पुरुषों पर यह भी सिद्ध करना होता है कि वे महिला से बेहर काम कर सकते हैं, इसलिए भी वे सदैव तनाव में रहते हैं. एक अध्ययन लगातार 10 वर्ष तक 18 वर्ष से ले कर 77 साल तक के 2,682 पतियों पर किया गया. इस अध्ययन से यह भी पता चला कि घर पर ही रहने वाले पति अपने अन्य हमउम्र लोगों की अपेक्षा 10 वर्ष पहले मर जाते हैं. अध्ययनकर्ताओं ने इन पतियों की उम्र, रक्तचाप कोलैस्ट्रौल, वजन, मधुमेह और धूम्रपान करने की आदत को जब आधार बनाया, तब भी इस अध्ययन के परिणाम सही निकले.

कम आय प्राप्त करने वाले या पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर होने वाले पुरुषों को भी दिल की बीमारी होने और समय से पूर्व का ग्रास बन जाने की संभावना अधिक होती है. अच्छी आय प्राप्त करने वाले पुरुषों जैसे डाक्टरों, वकीलों, इंजीनियरों, आर्किटैक्ट और शिक्षकों को दिल की बीमारी होने का खतरा तो होता है, पर अधिक नहीं.

आसान नहीं तलाक लेना

पत्नियों को यह याद रखना चाहिए कि वे निठल्ले पति से तलाक नहीं ले सकती क्योंकि भारतीय अदालतें हिंदू औरतों को पति सेवक आज भी मानती हैं और उन के लिए पति तो जन्मों का साथी होता है चाहे कोढ़ी हो, वेश्यागासी हो. निठल्ले पति का आवरण भी पत्नी के लिए अच्छा रहता है क्योंकि न से तो वह है और दूसरे हाथ मारते हुए डरते हैं. यही सामाजिक परंपराएं कई निठल्ले पतियों को उग्र बना देती हैं. वे मारपीट का सहारा भी लेने लगते हैं.

निठल्ले पतियों की मौत जल्दी भी इसलिए होती है कि न पत्नी, न बच्चे ऐसे जने की देखभाल ढंग से करते हैं. जरूरत पड़ने पर उन्हें इग्नोर किया जाता है. हां एक बार मद्रास उच्च न्यायालय ने हिम्मत दिखा कर बेरोजगार पति को कमाऊ पत्नी से गुजाराभत्ता दिलाने से इनकार कर दिया था जो पत्नी से अलग रहता था. ऐसे पति छोटी बीमारी भी कई बार नहीं बता पाते.

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