अपनी यात्रा को बनाना है यादगार तो रखें इन बातों का ख्याल

शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसे घूमना पसंद ना हो. यूं तो ग्रुप में घूमना सबसे अच्छा होता है लेकिन अकेले घूमने का मजा ही कुछ और है. लेकिन यात्रा करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ती है. यात्रा के दौरान आपकी एक गलती भी आपको बड़ी परेशानी में डाल सकती है. जानें कि यात्रा के दौरान आप को किन-किन सावधानियों और प्लानिंग की जरूरत होती है, जिससे आपकी हर यात्रा आपके लिए सुखद और यादगार यात्रा बन जाए.

गाड़ी का रखें ध्यान

आप अकेले किसी भी निजी गाड़ी में यात्रा करने से बचें, क्योंकि रास्ते में यदि गाड़ी खराब हो गई, तो ऐसे में आपको परेशानी हो सकती है. अगर आप अपने ही वाहन से कहीं लंबे टूर में जाना चाहती है, तो आप दिन में सफर करें. जिससे आप रात होने तक अपनी मंजिल तक पहुंच जाएं.

कम से कम सामान लेकर चलें

अगर आप अकेली यात्रा कर रही हैं, तो अपने साथ कम से कम सामान लेकर चलें. एक भारी सूटकेस की बजाए दो हल्के बैग आपको ज्यादा आराम देते है. आपने साथ उतना ही सामान रखें जिसे आप खुद उठा सकें.

सेफ्टी चेन

अपने सामान को सुरक्षित रखने के लिए पहले से ही अपने सूटकेस, बैग आदि के ताले ठीक करा लें. रेल में यात्रा करते समय अपने पास सेफ्टी चेन रखना ना भूलें और इस चेन के द्वारा अपने सामान को अच्छे से लॉक करके सुरक्षित कर दें.

टॉर्च

यात्रा करते समय ये ध्यान रखें कि अपने साथ टॉर्च जरूर हो.

पास में ज्यादा पैसे ना रखें

अपने साथ अधिक नगद राशि या कीमती सामान लेकर ना चलें. इसके अलावा अपने पास डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड रखें.

ज्यादा रात तक बाहर ना घूमें

ज्यादा देर रात तक बाहर ना घूमें, ऐसा इसलिए क्योंकि आपको नई जगह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है, इस कारण नए स्थान पर आप सावधान रहें.

बच्चों का रखें खास ख्याल

यदि आप अपने बच्चों के साथ यात्रा कर रही हैं तो जरुरी दवाएं, खाने-पीने का कुछ सामान, फर्स्ट ऐड की सामग्री अपने साथ जरूर रखें. यात्रा के वक्त अपने बच्चों को इधर-उधर ना छोड़े और बस या ट्रेन से उन्हें उतरने ना दें.

फैशन बनते पालतू कुत्ते

राजधानी दिल्ली की किसी भी मार्केट में चले जाएं. आप को चमचम करते पार्लरों में दिख जाएंगे जहां सजनेसंवरने युवतियां नहीं बल्कि शानदार एक से एक पालतू कुत्ता लाया जाता है. दिल्ली के धनाढ्य लोग अपनी बड़ीबड़ी गाडि़यों में इन कुत्तों को ले कर आते हैं. इन पार्लरों की परिचारिकाएं बड़े जतन से इन के बाल काटती हैं. स्पा देती हैं यानी नाखून काटने, सजानेसंवारने से ले कर कुत्तों को यहां तरहतरह के व्यायाम भी करवाए जाते हैं. होम सर्विस भी उपलब्ध है जिस के लिए विशेष वैनें बनवाई गई हैं जिन में कुत्तों से संबंधित हर सुविधा उपलब्ध है.

कुत्ता पालना सालों से स्टेटस सिंबल रहा है. सोसाइटी के नामीगिरामी लोगों में पालतुओं का चलन शुरू से रहा है. पिछले कुछेक सालों से मध्यवर्गीय परिवारों में भी इन्हें पालने का चलन बढ़ा है. ‘इंडिया इंटरनैशनल पेट ट्रेड फेयर’ के आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश के सिर्फ 6 मैट्रो शहरों में ही पालतू कुत्तों की संख्या लगभग 40 लाख है. यह संख्या हर साल 10% की दर से बढ़ रही है.

मगर इन पालतू कुत्तों में से छोड़े गए कुत्ते स्ट्रीट डौग बन रहे हैं और लोगों को काट रहे हैं. दिल्ली ही नहीं सारे देश की म्यूनिसिपल कमेटियों के लिए ये सिरदर्द हैं क्योंकि इन्हें मारना संभव नहीं है. उस पर मेनका गांधी जैसे ऐनिमल लवर्स हल्ला मचाने लगते हैं.

ठीक से देखरेख नहीं

जो पाल रहे हैं उन में 10 से 15% संख्या उन लोगों की भी है, जो कुत्ते शुरू में पाल तो लेते हैं पर फिर उन की ठीक से देखरेख नहीं कर पाते और उन्हें सड़क पर छोड़ आते हैं. सड़कों पर सड़क छाप और पालतू कुत्तों के बीच फर्क एकदम साफ नजर आता है. पालतू कुत्ते आमतौर पर प्रशिक्षित होते हैं. उन्हें प्यार और पुचकार की आदत होती है. भूख लगने पर वे खाने पर ?ापटते नहीं, बल्कि हाथ बढ़ा कर मांगते हैं या फिर आवाज निकालते हैं.

सड़क छाप कुत्तों की तरह वे खूंख्वार नहीं होते. इसलिए जैसे ही किसी पालतू कुत्ते को घर से बाहर निकाल दिया जाता है, वह सड़क पर जीने लायक नहीं रह पाता. उसे सड़क के कुत्ते नोचनोच कर खा जाते हैं पर खूंख्वार पालतू कुत्ते बच जाते हैं और यही आक्रमण करते हैं.

राजधानी दिल्ली के पालतू जानवरों की एक डाक्टर कहती हैं कि ऐसे परिवारों को कुत्ते नहीं पालने चाहिए, जिन के पास जगह की कमी हो या वे जो जानवरों के प्रति संवेदनशील न हों. आमतौर पर बच्चों को कुत्ता पालने का क्रेज होता है और उन के जन्मदिन पर अभिभावक या जानपहचान के लोग उपहार स्परूप उन्हें पप्पी देते हैं. पप्पी की भी परवरिश आसान नहीं होती.

लगभग 6 सप्ताह के पपीज गोद देने लायक होते हैं, लेकिन इस उम्र में उन की अच्छी तरह देखभाल करनी पड़ती है. 6 महीने तक पप्पी बिलकुल एक छोटे बच्चे की तरह व्यवहार करते हैं, जो मुंह में मिल जाए, काटे लेंगे, कहीं भी सूसूपौटी कर देंगे, लेकिन इस उम्र में गोद लेने पर कुत्तों को अपनी तरह से प्रशिक्षित किया जा सकता है और वे परिवार के सदस्यों के साथ जल्दी घुलमिल जाते हैं.

छोटी उम्र में घर आने वाले पपीज खुद को घर का एक सदस्य मानने लगते हैं. इन को समय पर टीके लगवाना, वक्त पर पौष्टिक खाना देना और साफसफाई रखना घर वालों की जिम्मेदारी है. जो परिवार यह जिम्मेदारी नहीं उठा पाते उन्हें पालतू जानवर सिरदर्द लगने लगते हैं. ऐसे व्यक्तियों या परिवारों को कुत्ता नहीं पालना चाहिए क्योंकि एक बार घर में पलने के बाद कुत्ते बाहर की दुनिया में जीने लायक नहीं रह जाते.

फायदे भी हैं

कुत्ते पालने के बड़े फायदे भी हैं. सुरक्षा की दृष्टि से कुत्ते बेहद वफादार होते हैं. दिल्ली के मल्टी स्टोरी अपार्टमैंट में रहने वाली उमा अपने 5 साल के बच्चे और पालतू कुत्ते को अकेला घर में छोड़ कर आराम से बाहर का काम कर आती है.

वे कहती हैं, ‘‘मेरा कुत्ता स्नूपी किसी अजनबी को घर के अंदर आने ही नहीं देता. वह हर समय मेरे बेटे के साथ साए की तरह चलता है. मैं खुद अगर बच्चे को जोर से डांटती हूं, तो स्नूपी मुझ पर भी भूंकता है. मेरा बेटा स्नूपी से इतना हिलामिला है कि उसे खुद ही नहलाता है, उस के खानेपीने का खयाल रखता है, उसे शाम को बाहर घुमाने ले जाता है.’’

पालतू कुत्ते घर में सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से ही नहीं रखे जाते. जानवरों के डाक्टर जोशी कहते हैं, ‘‘कुत्ते वफादार होते हैं, यह तो सब को पता है. इस के अलावा उन के घर पर रहने से तनाव छूमंतर हो जाता है. कुत्ते बहुत अच्छे स्ट्रैस बस्टर होते हैं. उन के साथ रहने पर बच्चों की इम्यूनिटी भी बढ़ जाती है और बच्चों को एक अच्छा साथी भी मिल जाता है. अकेलापून दूर भगाने में कुत्ते सब से अच्छे मित्र साबित होते हैं.’’

शहरों में एकल परिवारों के चलन की वजह से भी कुत्ते पालने वालों की संख्या बढ़ी है. जिस तरह आज अमेरिका और कनाडा में लगभग 90% नागरिक कोई न कोई पालतू जानवर घर में रखते हैं उस के पीछे अकेलापन सब से बड़ी वजह है. बाहर के देशों में तो कुत्तों के लिए अलग पार्क, सड़कें और मौल हैं और कैनल भी हैं जहां कुछ दिनों के लिए अपने पालतू को छोड़ कर छुट्टी पर जा सकते हैं.

कुत्ते पालने का चलन

कुत्ते घर के सदस्य की तरह होते हैं. विदेशों में बच्चों को शुरू से ही पालतुओं के प्रति संवेदनशील बनाया जाता है. जानवरों के साथ अपनत्व भरा बरताव, सहृदयता जरूरी है. कुत्ते के मालिकों को उन की पौटी उठाने और सड़क साफ करने में जरा हिचक नहीं होती. वहां ज्यादातर लोग अपने पालतुओं के पीछे हाथों में ग्लब्ज पहने एक पौलिथीन या पेपर बैग उठा कर चलते हैं ताकि उन के पालतू सड़क या शहर गंदा न करें. कुत्ते उन के लिए सिर्फ  स्टेटस सिंबल या प्रहरी नहीं होते.

भारत में मध्यवर्ग में कुत्ते पालने का चलन तो बढ़ गया, पर लोग अब तक सैंसिटिव नहीं हो पाए हैं. उन्हें यह काम नौकरों पर छोड़ना होता है जिन्हें जानवरों से जरा भी लगाव नहीं होता.

राजधानी में आवारा और परित्यक्त कुत्तों के लिए बने संस्थानों में ऐसे कुत्ते आते हैं, जो कभी पालतू थे. अच्छी नस्ल और प्रशिक्षित कुत्ते दूसरे कुत्तों की भीड़ में न ठीक से खा पाते हैं और न ही अपनी आवाज उठा पाते हैं. अकसर उन की आंखें नम रहती हैं और किसी की पुचकार के लिए उन के कान तरसते रहते हैं. बिस्कुट देने पर वे ?ापटते नहीं, बल्कि हाथ चाट कर खाते हैं. ऐसे कुत्तों को अगर दोबारा अडौप्ट कर भी लिया जाए, तो उन्हें नए परिवार में घुलनेमिलने में बहुत समय लगता है.

पेट शोच का आयोजन

इस समय देश में विभिन्न शहरों में डेढ़ सौ से अधिक पेट शोज आयोजित होते हैं, जिन में कुत्ते, बिल्ली, विभिन्न पक्षियों के अलावा खरगोश और सफेद चूहों की नस्लें बिक्री के लिए रखी जाती हैं. पालतुओं को खिलाया जाने वाला खास आहार, उन को सजानेसंवारने में ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होती. उन्हें तो बस प्यार की जरूरत होती है. वैसे भी ज्यादा पैंपर करने पर कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं. उन्हें समयसमय पर दूसरे कुत्तों से मिलने देना चाहिए. आरामतलब कुत्ते कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. अच्छी नस्ल के कुत्तों के लिए रोज 3 से 5 किलोमीटर चलना या दौड़ना जरूरी है. बिना व्यायाम के उन का खाना नहीं पचता और वे पेट की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं.

यह बात बेहद अफसोस की है कि बहुत लोग अपने पालतुओं को साल 2 साल रखने के बाद किसी को दे देना चाहते हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने पालतुओं से बहुत बुरा बरताव करते हैं. कुत्तों को समय पर खाना न देना, मारनापीटना, सर्दी या गरमी में घर से बाहर रखना यह अमानवीय लगता है. अगर आप अपने पालतू को रखने लायक नहीं है, तो मत पालिए.

अगर पैट पाला तो उस के खमियाजे के लिए भी तैयार रहना चाहिए. अगर वह किसी को काट ले तो उसे आर्थिक मुआवजा देने में हिचकिचाएं नहीं.

 दिखावा क्यों

मधुरा जब शहर में चल रहे डौग शो को देखने पहुंची तो वहां पर मौजूद डौग जो अपने मालिकों के साथ वहां आए थे, देख कर चकित रह गई. एक से बढ़ कर स्टाइलिश ढंग से सजे, कीमती कपड़ों से लैस, परफ्यूम से महकते और जूते, कौलर, नैकटाई, रिंग जैसी ऐक्सैसरीज से सज्जित उन पेट्स को देखना किसी स्वप्नलोक से कम न था. उन के नेम टैग भी बहुत ही आकर्षक थे. वे इस तरह से अपने मालिक के साथ खड़े थे जैसे मानो किसी फिल्म की शूटिंग में आए हों और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हों.

पग, अमेरिकन, पिट, लेबराडोर, बौक्सर, डेशुंड, अफगान हाउंड, आइरिश वुल्फहाउंड, जरमन शेपर्ड, डाबरमैन, डायमेशियंस जैसे महंगे पेट्स वहां मौजूद थे, जो शानदार गाडि़यों में बैठ कर आए थे. डौग शो में आ कर उन्हें सर्वप्रथम बनने के लिए किसी तरह की ट्रिक नहीं दिखानी थी, बल्कि उन का चयन उन के कोट साइज, आदत और पसंद के  हिसाब से होना था.

तभी वहां से गुजरती एक महिला को मधुरा ने कहते सुना, ‘‘कितने मजे हैं इन पेट्स के. आलीशान गाडि़यों में घूमते हैं, बड़ीबड़ी कोठियों में रहते हैं और हम से भी महंगा खाना खाते हैं. कितना कठिन है आज के जमाने में एक बच्चे को पालना और लोग पेट्स पालते हैं.’’

उस महिला के कहने के अंदाज से झलक रहा था कि पेट्स पर इतना पैसा खर्चने की बात उसे अखर रही थी.

बन गए हैं स्टेटस सिंबल

चीन में एक तिब्बती मस्टिफ 1 करोड़ पाउंड में बिका था. यह बहुत ही आक्रामक गार्ड डौग है. जाहिर सी बात है कि जिस ने इसे खरीदा होगा. वह कोई मामूली आदमी तो होगा नहीं, बल्कि महंगे पेट पालने की हैसियत रखता होगा. कोई भी पैट जितना कीमती होता है या बेहतरीन नस्ल को पालने, उस के रखरखाव में 50 हजार रुपए महीना खर्च हो सकते हैं.

समाजशास्त्रियों का मानना है मर्सिडीज और सोलिटेयर्स को पीछे छोड़ते हुए पेट्स लेटैस्ट स्टेटस सिंबल बनते जा रहे हैं और उन के मालिकों को उन के लिए महंगे से महंगे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज लेने में कोई परेशानी महसूस नहीं होती है. शायद यही वजह है कि इस समय भारत मं यह बाजार 500 करोड़ तक पहुंच चुका है और उन के लिए ब्रैंडेड फूड से ले कर इस समय यहां पपकेक, बैड तो उपलब्ध हैं ही साथ ही उन के बर्थडे की पार्टी किसी लग्जरी रिजोर्ट में करवाने का इंतजाम भी किया जाता है.

उन के लिए है हर चीज ब्रैंडेड

जीवनशैली का अनिवार्य अंग व अधिक से अधिक भारतीय परिवारों के पेट्स को रखने के चलन के कारण वे अब केवल कोई खेलने या मन बहलाने की चीज अथवा मात्र सुरक्षागार्ड ही नहीं रह गए हैं, बल्कि वे परिवार का एक अहम हिस्सा भी बन गए हैं. यदि एकल परिवार हो जिस में एक ही बच्चा हो या ऐसे परिवार जहां बच्चे भी न हों, पेट्स उन के लिए एक कीमती चीज बन गए हैं. ब्रैंडेड कपड़ों से ले कर फर्नीचर, खिलौने और फूड तो उपलब्ध हैं ही, साथ ही वीकैंड किसी स्पा में गुजरना ताकि मसाज हो सके, के लिए उन के मालिक कहीं भी जाने व मुंह मांगे दाम चुकाने को तत्पर रहते हैं तो इस की वजह है कि वे चाहते है कि  उन का पेट स्पैशल अनुभव करे.

जगहजगह खुल रही पेट्स शौप पर जा कर उन के लिए टीशर्ट से ले कर कैनल, किताबें, फीडिंग बाउल्स, चेन आदि खरीदी जा सकती है. उन के लिए बाजार में इतने विकल्प व वैराइटीज मौजूद हैं कि उन के मालिक उन्हें स्पैशल ट्रीटमैंट दे सकते हैं. टीवी पर दिखाए जाने वाले पेडीग्री फूड के विज्ञापन से यह तो साबित हो ही जाता है कि पेट्स को ले कर कौशंस हो चुके हैं कि उन के पेट्स का अधिकार रखते हैं और उन के मालिक इस बात को ले कर कौशंस हो चुके हैं कि उन के पेट्स को बढि़या से बढि़या चीजें व सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए. पेडीग्री फूड का 500 ग्राम का पैकेट 65 रुपए का आता है और 1000 रुपए तक उस की कीमत है. इस के अतिरिक्त डौग च्यू जिन का आ कर हड्डी, जूतों आदि जैसा होता है, वे भी मिलते हैं. वे भी 25 से 600 रुपए के बीच आते हैं. उन के लिए हेयर ब्रश, टूथब्रश, टूथपेस्ट, नेलकटर, शैंपू, हेयर टोनिक, परफ्यूम सब मिलते हैं.

पेट्स की हैल्थ की नियमित जांच और समयसमय पर लगने वाले वैक्सीन बहुत ही महंगे होते हैं. यहां तक कि उन्हें कैल्सियम भी खिलाया जाता है. किसी भी डौग क्लीनिक में चले जाएं तो पाएंगे कि कुछ डौग अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में बैठे होते हैं. मंथली चैकअप, रेबीज के टीकों, ग्लूकोस ड्रौप उन्हें समयसमय पर दी जाती हैं.

Wedding Special: कम खर्च में यादगार शादी

शादी किसी की भी जिंदगी का सब से खूबसूरत समय होता है जब इंसान अपने सपनों को सच होता देखता है. वह अपनी शादी में वह सब करना चाहता है जिस की कल्पना उस ने लंबे समय से की होती है. शादी सिर्फ 2 व्यक्तियों का ही नहीं अपितु 2 परिवारों का भी मिलन होता है. दूल्हा और दुलहन दोनों के ही घर वाले इस शादी को यादगार और शानदार बनाना चाहते हैं. वे इन लमहों बारबार याद कर खुश होना चाहते हैं. इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप बहुत रईस हों या फिर एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हों. जरूरी है तो दिल का उत्साह और सही अरेंजमैंट. कुछ यूनीक आइडियाज और कूल एवं क्रिएटिव माइंड ताकि शादी का हर पल यादगार हो.

आइए, जानते हैं अपने घर में होने वाली शादी को खूबसूरत, यादगार और शानदार इवेंट का रूप कैसे दें:

वैडिंग प्लान करें कुछ ऐसे

विवाह लग्जरी वैडिंग्स के फाउंडर मोहसिन खान बताते हैं कि वैडिंग प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  •  सब से पहले जरूरी है कि आप कुछ बातें पहले से क्लीयर करें जैसे आप को लोकल मैरिज  करनी है या डैस्टिनेशन वैडिंग. अपने बजट के हिसाब से लोकेशन और गैस्ट लिस्ट तैयार करें. अब फंक्शंस डिसाइड करें कि कौनकौन से फंक्शन होने हैं जैसे सगाई, हलदी, संगीत, मेहंदी, शादी आदि. अगर समय या बजट का इशू है तो आप 2-3 फंक्शन को एक में भी मिला सकते हैं. अब हर फंक्शन की गैदरिंग डिसाइड करें. इस के बाद आप एक वैंडर लिस्ट तैयार करें जैसे डैकोरेटर, ऐंटरटेनमैंट, मेकअप आर्टिस्ट, बैंडबाजा वाला, पगड़ी वाला, कैटरिंग वाला. अब या तो सारे प्लान और इंतजाम के लिए वैडिंग प्लानर हायर करें या फिर घर के 2 मैंबर को सारे इंतजाम की जिम्मेदारी सौंपें.
  •  शादी के दौरान वेन्यू डिसाइड करना भी एक महत्त्वपूर्ण फैसला है. ध्यान रखें कि जो प्रौपर्टी आप ने ली है उस में मल्टीपल औप्शन हों जैसे लौन, पूल साइड, बैंक्वेट आदि सब हों. उस का अप्रोच अच्छा हो, खाना अच्छा हो, रिव्यूज भी अच्छे हों और यह वैडिंग फ्रैंडली हो. ज्यादा ट्रैफिक जाम वाला एरिया न हो ताकि आप के गेस्ट्स को वहां तक पहुंचने में दिक्कत न हो. मैट्रो के पास हो. कई ऐसी प्रौपर्टी होती हैं मार्केट में जो कौरपोरेट फंक्शन ज्यादा करती हैं उन्हें वैडिंग का ज्यादा ऐक्सपीरियंस नहीं होता.
  •  कोशिश करें कि आप की शादी के सारे फंक्शन अलगअलग वेन्यू में हों. वेन्यू रिपीट करेंगे तो फोटोग्राफी में सारे फंक्शन एक जैसे लगेंगे और फोटोग्राफी में मजा नहीं आएगा.
  • यह मौका जश्न का होता है. जाहिर है लजीज व्यंजनों के बिना कोई भी जश्न अधूरा लगता है. ऐसे में शादी में अच्छे खाने की व्यवस्था की जाती है, जिस के लिए पहले से तैयारी करनी होती है और शादी का मेन्यू तैयार किया जाता है.

डैस्टिनेशन वैडिंग के मेजर औप्शंस

राजस्थान में पुष्कर, जयपुर, रणथंबोर, उदयपुर, जोधपुर आदि हैं. यहां के पैलेस और फोर्ट्स में शादी शानदार नजर आती है मगर ये महंगे औप्शन हैं. खर्च काफी आता है. सस्ते औप्शंस में जिम कार्बेट, आगरा, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल आदि आते हैं जहां रीजनेबल शादी हो सकती है. वैसे कुल मिला कर दूसरे शहर जा कर यानी डैस्टिनेशन वैडिंग महंगी होती है. लोगों की फीस ज्यादा होती है और आनाजाना भी महंगा हो जाता है.

  •  शादी यादगार हो इस के लिए ऐसे ऐलिमैंट्स ऐसे रखने होंगे- डैकोरेशन क्रिएटिव हो, कोई खास थीम पर सजावट करें जैसे मोरक्कन थीम, विलेज थीम, दुबई थीम आदि ट्रैंड में हैं. ब्राइड ऐंट्री यनीक हो जैसे लो फौग ऐंट्री जबरदस्त और सपनों सी लगती है जैसे बादलों पर चल रहे हैं. जयमाला में इफैक्ट डाले जा सकते हैं.  फ्लौवर रेन करवा सकते हैं जो महंगा नहीं होता मगर सुंदर लगता है. इसी तरह कोल्ड फायर करा सकते हैं. आजकल लोग फेरों के वक्त भी कुछ डिफरैंट करते हैं जैसे मैजिकल फेरे ट्रैंड में हैं. दूल्हा जलती हुई मशाल आदि के साथ ऐंट्री कर सकता है. लाइव बैंड के द्वारा धूम मचा सकते हैं. डीजे और ढोल की जुगलबंदी भी शानदार लगती है.

शादी को ऐसे बनाएं मजेदार और यादगार

  •  आप अपनी शादी में डांस या गाने का कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस के लिए आप मेहमानों की टीम बना कर भी कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस तरह की फन ऐक्टिविटीज आप के मेहमानों के लिए यादगार बन जाएंगी और सभी को पसंद भी आएंगी. आप अपने मेहमानों को इन फन ऐक्टिविटीज के बाद कुछ खास गिफ्ट भी दे सकती हैं.
  •  आप अपनी शादी में फ्लौवर फ्रेम लगा सकती हैं. इस से डैकोरेशन भी सुंदर दिखेगा, साथ ही साथ फोटोज लेने के लिए भी एक अच्छा फ्रेम मिल जाएगा. यह आप के यादगार पलों को और खास बनाएगा. इस फ्रेम को आप अलगअलग फूलों से सजा सकती हैं या फिर एक ही रंग के फूल भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

आज की जैनरेशन सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती है वहीं इस फ्रेम में फोटो खिंचवाने के बाद आप इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकती हैं.

  •  फोटो डैकोरेशन मेहंदी या हलदी के फंक्शन के लिए परफैक्ट डैकोरेशन है. इस डेकोरेशन को आप लाइट और फोटोज से कवर कर सकती हैं. इन फोटोज में आप अपनी पुरानी यादों को ताजा कर सकती हैं और इसे सीरीज के बीच में सजा सकती हैं. इस डैकोरेशन से आप की आज की यादें तो यादगार बनेंगी ही साथ ही साथ आप की कुछ खास पुरानी यादें भी ताजा होंगी. फोटो डैकोरेशन के साथसाथ आप फूलों का बंच बना कर बीचबीच में टांग सकते हैं.

आप अपने पलों को और यादगार बनाने के लिए इमोजी फ्रेम्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इन फ्रेम्स की खासीयत यह है कि यह आप के आज के पलों को फोटो में संजो कर रखेगा जिसे आप भविष्य में याद कर अपने पलों को ताजा कर सकते हैं. इन फ्रेम्स में आप कई तरह की इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप कुछ प्यारेप्यारे संदेश भी लिख सकते हैं.

  •  इंडियन वैडिंग्स में अपने परिवार से ज्यादा रिश्तेदारों का खयाल और उन की जरूरतों का खयाल रखा जाता है. रिश्तेदारों को स्पैशल फील करवाने के लिए आप थैंक्यू पैकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस की खास बात यह है कि यह आप को ज्यादा महंगा भी नहीं पड़ेगा और देने में बेहद खूबसूरत भी लगेगा.

इस के अंदर आप कुछ स्पैशल गिफ्ट रख सकते हैं और बाहर एक थैंक्यू मैसेज भी दे सकते हैं. आप ऐसी पैकिंग का इस्तेमाल शादी के अलावा भी किसी छोटेमोटे फंक्शन में कर सकते हैं. पैकेट्स के अंदर कुछ ड्राई फ्रूट्स या फिर बच्चों को देने के लिए चौकलेट रख सकते हैं.

प्री वैडिंग फोटोशूट हो यादगार

  •  आप अपने प्री वैडिंग शूट को किसी खास जगह ??पर करवा सकते हैं जिस से फोटोज का बैकग्राउंड जबरदस्त लगेगा. आप इस के लिए किसी ऐतिहासिक बिल्डिंग, बीच या पहाड़ी जगह को चुन सकते हैं.
  • आप चाहें तो अपने प्री वैडिंग शूट का फिल्मी थीम रख सकते हैं जैसे आप खेतों में दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे के थीम पर फोटोशूट करवा सकते हैं. इसी तरह अगर आप को कोई और फिल्म पसंद है तो आप उस के थीम पर शूट करवा सकते हैं.
  • अपने प्री वैडिंग शूट में आप थोड़ा ड्रामैटिक एंगल दे सकते हैं जैसे यहां हवा में उड़ता हुआ दुपट्टा, ग्रीन बैकग्राउंड के साथ रैड आउटफिट, सरप्राइज प्रपोजल पोज आप के फोटोज को ड्रामैटिक टच देंगे, साथ ही आप कुछ फनी भी ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के पास कोई लोकेशन नहीं है तो आप कुछ अलग तरह से शूट करवा सकते हैं जैसे ऊपर से गिरती हुई गुलाब की पत्तियां एक अलग ही इफैक्ट देंगी.

धर्म के नाम पर पैसे बरबाद न करें

प्राचीनकाल से ही हमारे यहां शादी के दौरान धार्मिक रीतिरिवाजों पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है. धर्मग्रंथों में भी बेकार के रिवाजों पर जोर दिया जाता है. कौन सा कदम पहले उठाना है, कौन से रंग के कपड़े पहनने हैं, कौन से मुहूर्त में शादी होगी, कौन सी पूजा सामग्री के होने पर ही पूजा संपन्न होगी, कौन से मंत्र जरूरी हैं, कौन सी चीजें बनानी जरूरी हैं, कौन से पकवानों का भोग लगाना जरूरी है जैसे नाना प्रकार के रिवाज हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी माना जाता है वरना यह कह कर डराया जाता है कि शादी टूट सकती है. बारबार रस्मों का उल्लेख किया जाता है और लोग नाहक परेशान हो उठते हैं. पुराणों में शादियों का जिक्र है पर उन में भव्यता का जिक्र है जिस का इस्तेमाल पंडेपुजारी अपने फायदे के लिए करते हैं. इस में न फंसें.

रामायणकाल में जनक और दशरथ के बच्चों की शादी का विस्तृत विवरण वाल्मीकी रामायण में है जिसे आज न तो दोहराया जा सकता है न दोहराने लायक है जैसे वाल्मीकि रामायण के बालकांड में भी इस बात का उल्लेख है.

विवाह वेदी को चारों ओर से गंध पुष्प तथा यवांकुर आदि से अलंकृत किया. उस के पास यवांकुर युक्त तथा विचित्र वर्ण के कलश रखे. उन कलशों पर यवांकुर युक्त परई और धूप युक्त धूपपात्र रखे. तदनंतर अर्घ्य आदि से युक्त शंखपात्र, सुवा सुक् आदि जुटाए गए. इन के अतिरिक्त लावा से भरे पात्र, हलदी आदि से रंगे अक्षत भरे पात्र आदि यथास्थान रखे गए. तब मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत् कुश बिछा कर वेदी पर अग्नि का आधान किया और मुनिपुंगव तथा महातेजस्वी वसिष्ठ अग्नि में हवन करने लगे.

ये सब करने के बाद क्या शादी करने वाला जोड़ा सुख पाया. उन की शादी को सफल शादी तो कतई नहीं कहा जा सकता. जानकी को शादी के बाद कितने कष्ट सहने पड़े. दोनों को सालों पहले जंगलों में रहना पड़ा फिर 2 बार विरह पीड़ा सहनी पड़ी और अंत में एक ने प्राण ही त्याग दिए. रामायण के अनुसार तो आखिर हंसीखुशी से दोनों ने गिनेचुने दिन ही गुजारे. फिर क्या फर्क पड़ा शादी की विधियां निभाने से?

दरअसल, ये रीतिरिवाज और पूजापाठ तो धर्म के ठेकेदारों की खोली गई दुकानें हैं और वे इन के जरीए दानपुण्य करा कर अपनी जेबें भरने का कारोबार करते हैं. इसलिए बेकार के रिवाजों के पीछे समय और पैसा जाया करने के बजाय शादी के जश्न के दौरान खुशियां बटोरें और रिश्तों को सहेजें. पौराणिक ग्रंथों की कहानियां इस खुशी के अवसर को पंडोंपुजारियों के हवाले कर देती हैं. अत: ऐसा न करने दें.

दहेज न दें और न लें

हमारे यहां दहेज की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है. यही वजह है कि लड़कियों के पैदा होने पर लोग दिल खोल कर खुशियां नहीं मना पाते जैसाकि बेटे के जन्म के बाद होता है. बेटी के आते ही लोगों को एक बो?ा सा महसूस होता है और वे उस बच्ची के लिए दहेज जुटाने की तैयारियों में लग जाते हैं. वहीं लड़कों के परिजन सोचते हैं कि उन्होंने एक फैक्टरी डाल ली है.

अब लड़का बड़ा होगा तो उस की शादी में ढेर सारा दहेज ले कर अपनी शान दिखाएंगे. मगर क्या आप को नहीं लगता कि शादी के शानदार होने के लिए दहेज का शोऔफ करने की जरूरत नहीं. यह तो एक तरह से खरीदबिक्री की रस्म हो गई. यह रस्म आज की नहीं है. रामायण और महाभारत काल से भी पहले से चली आ रही है. वाल्मीकि रामायण में सीता की शादी के दौरान जनक द्वारा दी गई दहेज सामग्री का बखूबी बखान किया गया है.

बालकाण्डे दशरथपुत्रोद्वाहो नाम त्रिसप्ततितम: सर्ग:॥ 73॥

(जामदग्न्याभियोग:)॥ अथ रार्त्यां व्यतीतायां विश्वामित्रो महामुनि:॥ आपृच्छय तौ च राजानौ जगामोत्तरपर्वतम्॥ 1॥ आशीभि: पूरयित्वा च कुमाराश्च सराघवान्॥ विश्वामित्रे गते राजा वैदेहं मिथिलाधिपम्॥ 2॥ आपृच्छपाथ जगामाशु राजा दशरथ: पुरीम्॥ गच्छन्त तं तु राजानमन्वगच्छन्नराधिप:॥ 3॥ अथ राजा विदेहानां ददौ कन्याधनं बहु ॥ गवां शतसहस्राणि बहूनि मिथिलेश्वर:॥ 4॥ कम्वलानां च मुख्यानां क्षौमकोट्यम्बराणि च॥ हस्त्यश्वरथपादातं दिव्यरूपं स्वलंकृतम्॥ 5॥ ददौ कन्याशतं तासां दासीदासमनुत्तमम्॥ हिरण्यस्य सुवर्णस्य मुक्तानां विद्रुमस्य च॥ 6॥ ददौ परमसंहृष्ट: कन्याधनमनुत्तमम्॥ दत्त्वा बहुधनं राजा समनुज्ञाप्य पाथिवम्॥ 7॥ प्रविवेश स्वनिलयं मिथिलां मिथिलेश्वर:॥ राजाप्ययोध्याधिपति: सह पुत्रैर्महात्मभि:॥ 8॥

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणम्॥ सर्ग 73॥

‘‘(जनकपुर से महाराज दशरथ की विदाई और मार्ग में परशुराम से भेंट) रात बीतने पर सवेरे महाराज दशरथ तथा विदेहराज जनक से अनुमति ले कर विश्वामित्र उत्तर पर्वत पर चले गए. उन के जाते ही अवधेश दशरथ ने भी जनकजी से पूछ कर अयोध्या जाने की तैयारी

कर ली॥ 1-3॥ उस समय विदेह राज ने बहुत

सा धन दहेज में दिया. उस के अतिरिक्त कई लाख गाऐं, अच्छेअच्छे कंबल, करोड़ों कपड़े, सुंदर और अलंकृत हाथीथोड़े, रथ तथा पैदल सेना, सौ सुंदरी कन्याएं, सुंदर दासदासी, सोनाचांदी और मूंगे आदि भी बड़े प्रसन्न मन से दिए. इस प्रकार बहुत तरह की वस्तुएं दे कर जनकजी बहुत दूर तक पहुंचाने गए. फिर राजा दशरथ से अनुमति ले कर के मिथिला को लौट आए.’’

जनक अमीर थे राजा थे. सो उन्होंने सहजता से सब जुटाया और दहेज दिया. मगर इसे रिवाज बना कर जब आगे की पीढि़यों द्वारा निभाया गया तो बहुत से सामान्य लोगों के लिए यह गले का फंदा बन गया. रिवाज की दुहाई दे कर ऐसे लोगों से भी दहेज निकलवाया गया जो इस के चक्कर में खुद को गिरवी रखने को मजबूर हो गए. लोग विवाह को संस्कारों से जोड़ते हैं. उन के लिए रामायण का यह प्रसंग आंख खोलने वाला है कि हर संस्कार तार्किक हो जरूरी नहीं. आज लड़के और लड़कियां मिल कर घर चलाते और कमाते हैं. ऐसे में दहेज की शान दिखाना महज बेवकूफी है और कुछ नहीं.

तनाव हावी न होने दें

यह बहुत जरूरी है कि आप शादी के दौरान तनाव हावी न होने दें. सगाई और शादी के बीच का समय सपनों का होता है. व्यक्ति अपने भावी जीवनसाथी के साथ प्यारमनुहार भरे लमहों का आनंद लेना चाहता है. उसे ले कर कुछ अपेक्षाएं होती हैं. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यह समय एक तरह के डर और अजनबीपन का भी होता है. किसी को महसूस हो सकता है कि शादी के बाद उस की जिंदगी बदल जाएगी और इस बात को ले कर उसे कुछ भय या तनाव हो सकता है. उस के मन में कुछ शंकाएं हो सकती हैं कि क्या उस ने सही जीवनसाथी चुना है?

मन में उठ रहे ये सवाल तब गहरे होने लगते हैं जब आप का जीवनसाथी आप की सोच या अपेक्षा से अलग व्यवहार करने लगे. जैसाकि फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में दिखाया गया है. इस में कल्कि अपने होने वाले पति अभय को ले कर ज्यादा ही पजैसिव हो जाती है. इस की वजह से अभय को घुटन महसूस होने लगती है. कल्कि भी तनाव में रहने लगती है. उस के अंदर का तनाव और बेचैनी उस के व्यवहार में ?ालकने लगती है. इस से हालात बिगड़ते हैं और दोनों के बीच कहासुनी होने लगती है.

जल्द ही अभय को समझ आ जाता है कि कल्कि के साथ शादी कर वह खुश नहीं रह पाएगा. वह शादी से इनकार कर देता है. इस तरह एक खूबसूरत रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता है. ऐसा ही कुछ ‘विवाह’ फिल्म में हुआ जब अमृता की चाची बड़े घर में हो रही उस की शादी के दौरान खुश नहीं थी और घर में तनाव था. इसी तनाव की वजह से घर में हादसा होता है और अमृता काफी जल जाती है.

ऐसा कुछ न हो और शादी खुशीखुशी

निबट जाए इस के लिए जरूरी है कि शादी से पहले का समय कूल हो कर और एकदूसरे को सम?ाने की कोशिश कर के बिताया जाए. तनाव हावी न होने दें.

क्रिसमस पार्टी में दिखना है अट्रैक्टिव तो अपनाए ये टिप्स

पार्टी में जाना हर किसी को पसंद होता है और उस पार्टी की तो बात ही अलग है जो या तो थीम के अनुसार हो या फेस्टिवल के. क्रिसमस आने में अब कुछ ही दिन बाकि हैं. ऐसे में यदि आप पार्टी ऑर्गनिज़ करने जा रहे है या आपको बाहर पार्टी के लिए जाना है तो खुद को स्टाइलिश लुक देना न भूलें. तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जो आपको सभी की नजरों में खास बना देंगे.

  1. सही ऑउटफिट के साथ स्टाइलिश जूते 

अगर आपकी पार्टी की कोई थीम है तो उसी के अनुसार अपनी ड्रेस का चयन करें वरना आप क्रिसमस को ही अपनी थीम मानते हुए लाल व सफेद रंग का ऑउटफिट पहन सकती है. यदि आप वन पीस पहनना चाहती हैं तो साथ में बूट्स पहने और लॉन्ग ड्रेस के साथ हाई हिल्स बेहद अच्छा लुक देंगी.

2. एक्सेससरीज़

आउटफिट के साथ में एक्सेससरीज आपके ड्रेसअप को चार चाँद लगा देते हैं. रेड एंड वाइट हैडबैंड्स या फिर एंब्रॉएड्री वाले हैडबैंड्स का प्रयोग करें साथ ही हल्के से नेकलेस भी पहन सकती हैं.

3. परफेक्ट हेयर स्टाइल 

हाफ-अप, हाफ-डाउन बोहेमियन यानि बोहो हेयरस्टाइल क्रिसमस पार्टी के लिए एकदम परफेक्ट है. इसके आलावा हाफ बन ,स्ट्रैट ,कर्ल हेयर स्टाइल  भी करा सकती हैं.

4. आई मेकअप हो खास 

हमारी ऑंखें बीन बोले ही बहुत कुछ बोल जाती है इसीलिए  इनका मेकअप भी ऐसा हो की सभी की नजरे आप पर टीकी रहें. क्रिसमस पार्टी अधिकतर रात में होती है तो स्मोकी आईज बहुत खूबसूरत लगेंगी और इस के साथ में स्टोन लगाकर फन मेकअप भी अपना सकती हैं.

5. ब्राइट शेड लिपस्टिक 

होठों पर लिपस्टिक ऐसी लगाएं जो लम्बे टाइम तक चले. ब्राइट फ्यूशिया लाल, मेरून ,वाइन रंग की लिपस्टिक लगाएं. शाइन के लिए अपनी ड्रेस से मिलता हुआ हल्का सा हाइलाइटर लगा ले ये आपकी लिस्टिक शेड को नया लुक देगा

Wedding Special: शादी के बाद तीर्थ नहीं यहां जाएं

दोपहर का रसोई का काम निबटा कर मैं अपने बैडरूम में बैड पर लेटी ही थी कि तभी मोबाइल बजने पर जाग गई. फोन की स्क्रीन पर अपनी बैस्टी निर्वीका का नाम देख मैं खुशी से उछल पड़ी.

‘‘इतने दिन लगा दिए यार अपने हनीमून में, एक बार फोन तक नहीं किया मुझे कि मेरी खैरखबर ले लेती. अब विहान जो तुझे मिल गया है. अब मैं कहां की बैस्टी, कैसी बैस्टी?’’ मैं ने निर्वी से कहा.

‘‘अरे मिनी गुस्सा मत कर यार. पिछले कुछ दिन इतने हैक्टिक बीते कि पूछ मत. फिर जो मैं ने पुष्कर जैसे तीर्थस्थल को अपने हनीमून स्पौट के तौर पर चुना, उस में भी बहुत जबरदस्त पंगा  हो गया. विहान को हनीमून के लिए पुष्कर बिलकुल रास नहीं आया. इस के चलते वह दोनों दिन मेरी जान खाता रहा कि तुम हनीमून के लिए आई हो या तीर्थ यात्रा के लिए? सच में हनीमून के लिए मेरा पुष्कर का चुनाव बहुत गलत रहा. कदमकदम पर मंदिर, पंडित, पुजारी, घंटियों, मंत्रों, पूजा की आवाज.

विहान तो कहने लगा, ‘‘हनीमून के लिए तुम्हें चप्पेचप्पे पर मंदिरों वाला यही शहर सू?ा? जहां मूड थोड़ा रोमांटिक होता वहीं कोई मंदिर दिख जाता और रोमांस का सारा मूड चौपट हो जाता.’’

निर्वी की ये बातें सुन मैं बेतहाशा ठठा कर हंस पड़ी, ‘‘मूर्ख लड़की, आखिर पुष्कर जैसे एक धार्मिक शहर को तू ने हनीमून डैस्टिनेशन के तौर पर चुना ही क्यों? पूरे राजस्थान में और भी तो बढि़या जगहें हैं. चित्तौड़, उदयपुर कहीं भी चली जाती. यह तेरी सूई आखिर पुष्कर पर ही क्यों अटक गई, आखिर मैं भी तो सुनूं जरा?’’

‘‘अरे मिनी, तुझे तो पता है झाल, दरिया, नदी मुझे बेहद फैसीनेट करते हैं. मैं ठहरी एक प्रकृति प्रेमी. इस की ब्यूटी मुझे सदा से लुभाती आई है. कुछ वर्षों पहले मैं पुष्कर गई थी. तब वहां गुलाबों के बड़ेबड़े खूबसूरत बगीचे और खूबसूरत झीलें देख मन में खयाल आया था कि अपने हनीमून के लिए पुष्कर जरूर जाऊंगी. मगर शादी की व्यस्तता में गूगल करना भूल ही गई कि ये 2-3 महीने वहां गुलाब खिलते भी हैं या नहीं? विहान से डांट अलग खाई कि तुम जैसा डफर आज तक नहीं देखा जो यह पता लगाए बिना कि वहां इस सीजन में गुलाब खिलते हैं या नहीं तुम ने वहां हनीमून का प्रोग्राम बना लिया,’’ निर्वी रोंआसे स्वर में बोली.

‘‘तुम ने एक बार भी यह नहीं सोचा

पुष्कर जैसी धार्मिक जगह पर मंदिरों की भरमार होगी और मंदिर और रोमांस का दूरदूर तक कोई रिश्ता नहीं.’’

‘‘यार, मेरी सासूमां और दादी सासूमां ने भी इस जगह को फाइनल करने में इंपौर्टैंट भूमिका निभाई. दोनों ने ही कहा, ‘‘जिंदगी की शुरुआत अगर किसी पवित्र जगह पर ईश्वर के आशीर्वाद के साथ हो तो इस से बेहतर कुछ नहीं. तो यह फैक्टर भी हनीमून के लिए पुष्कर के चुनाव में बेहद इंपौर्टैंट रहा.’’

‘‘तेरा कुछ नहीं हो सकता निर्वी, तू झल्ली की झल्ली ही रहेगी,’’ इस बार मैं ने मुसकराते हुए उसे छेड़ा.

‘‘हां यार, छुट्टियों के 2 महत्त्वपूर्ण दिन पुष्कर में जाया हो गए, साथ ही विहान की चिड़चिड़ाहट झली वह अलग. पुष्कर की तुलना में उदयपुर में हर दूसरे कदम पर रोमांटिक मूड

का कबाड़ा करने के लिए कोई मंदिर, घंटेघडि़याल नहीं थे. सो वहां हम ने अपना हनीमून बेहद ऐंजौय किया.’’

‘‘तू तो अब अनुभवी है. तू क्या सोचती है कि क्या हर विवाहित जोड़े को नईनई शादी के बाद हनीमून ट्रिप अवश्य प्लान करना चाहिए? क्या वाकई में हनीमून विवाहित दंपती के सुखद भविष्य की आधारशिला रखता है?’’ मैं ने निर्वी से पूछा.

इस पर निर्वी का कहना है-

परस्पर अंडरस्टैंडिंग का विकास

‘‘हनीमून जिंदगी की व्यस्तता से चुराया गया वह अनमोल समय होता है जब सर्वथा नए परिवेश में पलेबढ़े, बहुत हद तक एकदूसरे से अजनबी 2 इंसानों को एकदूसरे को अच्छी तरह से समझबूझ कर एकदूसरे के स्वभाव, आदत, जीवनमूल्य, जीवनशैली, जीवन के प्रति रवैए के अनुरूप अपनेआप को ढाल कर एक सर्वथा नूतन ढंग से जिंदगी को जीने की तैयारी की शुरुआत करनी पड़ती है.

‘‘मैं ने और विहान ने इस ट्रिप में और एकदूसरे के सामने अपने जीवन मूल्यों और सिद्धांतों का खुलासा किया. हनीमून ट्रिप के इस एकांत में हमें एकदूसरे की मानसिकता और शख्सीयत के बारे में गहराई से जानने का मौका मिला, जो हमारे बीच अंडरस्टैंडिंग विकसित कर भविष्य की साझा जिंदगी को पौजिटिव दिशा देने में निश्चित ही मददगार सिद्ध होगा.

एकदूसरे से अपेक्षाओं और उम्मीदों का जायजा

‘‘इस पीरियड में हमें एकदूसरे की एकदूसरे से अपेक्षाओं और उम्मीदों का जायजा लेने का मौका मिला. विहान एक पत्नी के तौर पर मुझ से किस तरह की मानसिक, भावनात्मक सपोर्ट की अपेक्षा रखता है उस ने मुझे से खुलासा किया. मैं एक पति के रूप में उस से क्या तमन्ना करती हूं, मैं ने उस से चर्चा की.

मानसिक तनाव से मुक्ति

‘‘शादी के 2-3 माह पहले से इस की तैयारियों में और इस के लिए बड़ी रकम का जुगाड़ करने में हम दोनों ही काफी मानसिक तनाव में आ गए थे, साथ ही विहान और उस के मातापिता व भाईबहन के साथ एक ही घर में एक जिम्मेदार बहू, भाभी और ननद के रूप में सफलतापूर्वक एडजस्टमैंट करने का तनाव भी कुछ हद तक मेरे दिमाग में था.

‘‘विहान को टैंशन थी कि वह एक पति के तौर पर हर पैमाने पर मेरी अपेक्षाओं पर खरा उतर पाएगा या नहीं. घरपरिवार से दूर उदयपुर जैसे शांत रमणीक स्थान पर हम दोनों को एकदूसरे के साथ बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के क्वालिटी टाइम बिता कर इस तनाव से बहुत हद तक मुक्ति मिली.

जीवन में आए खुशनुमा बदलाव पर फोकस

‘‘इस हनीमून के दौरान हम दोनों का ध्यान एकदूसरे पर पूरी तरह केंद्रित था जिस से हमें अपने नए रिश्ते से जीवन में आए सुखद बदलाव पर फोकस करने का मौका मिला और इस का अनुभव हम दोनों ने ही किया.

परस्पर अंतरंगता को नया आयाम

‘‘फिजिकल इंटिमेसी एक सफल विवाह की महत्त्वपूर्ण शर्त होती है. हनीमून के दौरान हम ने अपने बीच के कनैक्शन को खंगाला, अंतरंगता बनाई और परस्पर प्यार और इंटिमेसी के समीकरण का आकलन किया.

‘‘हमें एकांत में बिना किसी गतिरोध के एकदूसरे की कंपनी ऐंजौय करने का अवसर मिला. वक्त बीतने के साथ अमूमन घरगृहस्थी की सौ उल?ानें, दफ्तर और इन की जिम्मेदारियों के बो?ा तले नएनए कपल के लिए ये सब प्राथमिकता बनने लगते हैं और रोमांस बैक

सीट पर आ जाता है. हम दोनों ने अपने विवाहित जीवन के हर दौर में हर हाल में अपने मध्य रोमांस की चिनगारी को जिंदा रखने का प्रण लिया.

भावनात्मक बौंडिंग में मजबूती

‘‘घर, परिवार, मातापिता, भाईबहनों की अनुपस्थिति में एकदूसरे में डूब कर हम दोनों को एकदूसरे के प्रति अपनी चाहत का अंदाजा लगा, जिस से हमारे बीच की भावनात्मक बौंडिंग मजबूत हुई. मेरा मानना है कि यह भावनात्मक नजदीकी हमारे मध्य भरोसे और खुशी का भाव लाएगी जिस से हमारे रिश्ते में लौंगटर्म संतुष्टि पैदा होगी.

‘‘इस ट्रिप में हम ने एक सुखद साथ भविष्य के ख्वाब बुने और उन्हें पूरा करने की दिशा में आवश्यक ठोस प्लान की रूपरेखा बनाई.

‘‘एकांत में एकदूसरे के सान्निध्य में बिताए गए दिन और परस्पर संवाद से मुझे अपनी और विहान की जरूरतों जैसे एकदूसरे की कंपनी, अंतरंगता, रोमांच, साथ पौजिटिव अनुभव, पैशन एवं फन व रोमांस की आवश्यकताओं का एहसास हुआ और हम दोनों उन्हें पूरा करने की जरूरत के प्रति सचेत हुए तथा इस प्रकार हमारी परस्पर प्रतिबद्धता को एक नया आयाम मिला.

‘‘तो मेरी जान, समझ तुम? मैं अब दावे से कह सकती हूं कि विवाहित जीवन के सफर में हनीमून निश्चित तौर पर एक यादगार माइलस्टोन होता है, जो यकीनन नए शादीशुदा दंपती के सुनहरे साथ भविष्य की सशक्त फाउंडेशन साबित होता है.

गोल्ड डिगर पार्टनर से दूरी ही भली

हाल ही में कानपुर में एक महिला ने अपने दूसरे पति की करोड़ों की संपत्ति हथियाने के लिए साजिश रची. रिहा गुप्ता का पहले पति से तलाक हो चुका था जिस से उस का एक बेटा है. इसके बाद 2014 में वैवाहिक वेबसाइट के जरिये रिहा की मुलाकात गोरखपुर के बिजनेसमैन अमित से हुई. अमित का भी 2013 में अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था. इन का भी एक बेटा है. रिहा और अमित की मुलाकात दोस्ती में बदली और दोनों ने 2014 में शादी का फैसला लिया. फरवरी 2021 तक तो सब कुछ ठीक रहा पर मार्च में रिहा पति को बिना बताए ढाई करोड़ रुपये कैश ले कर मायके आ गई.

इसके बाद पति से प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये और मंगा लिए. साथ ही करोड़ों के जेवर भी बहाने से पति से मंगवा लिए. इसके बाद भी वह वापस ससुराल यानी तमिलनाडु नहीं आई तो उसे डराने के लिए पति ने कोर्ट से नोटिस भेज दिया.

डरने के बजाय रिहा ने उल्टा पति व सास के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस की जांच में आरोप गलत साबित हुए. इसके बाद रिहा ने अपने पहले पति से हुए बच्चे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया और कोर्ट में लाख रुपये प्रतिमाह भरण पोषण का दावा ठोक दिया. कोर्ट की नोटिस पर अमित ने अपने स्तर पर जन्म प्रमाण पत्र की स्वास्थ्य विभाग से जांच कराई तो वह फर्जी निकल गया. इस पर उस ने जांच रिपोर्ट दायर कर दी. कोर्ट ने रिहा का यह केस भी खारिज कर दिया. साथ ही पुलिस को फर्जी प्रमाणपत्र की जांच के आदेश दे दिए.

सीधे तौर पर देखें तो रिहा जैसी महिलाओं को हम गोल्ड डिगर का नाम दे सकते हैं. एक ऐसी महिला जो अमीर पुरुषों के साथ रोमानी रिश्तों में आती हैं और उन की संपत्ति पर नजर रखती हैं. पैसों के लिए ही वे रिश्ते बनाती हैं. इस से उन्हें समाज में मनमाफिक स्थान मिलता है. वे जीवन की तमाम सुख सुविधाओं का उपयोग कर पाती हैं. ऐसी महिलाएं अमीर लोगों की तलाश में रहती हैं.

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार “गोल्ड डिगर” शब्द का इस्तेमाल उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो समाज में अपना एक स्तर बनाए रखने के लिए किसी अमीर शख्स से शादी करती हैं.

गोल्ड डिगर शब्द पहली बार 1911 में इस्तेमाल में आया. अमेरिकी उपन्यासकार रेक्स बीच ने पहली बार अपनी किताब ‘द नेवर डू वेल’ में गोल्ड डिगर शब्द का इस्तेमाल किया था. बीसवीं सदी की शुरुआत में यह शब्द ऐसी महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा जो किसी के साथ रिलेशनशिप में आने से पहले सामने वाले की धन सम्पत्ति पर ज्यादा फोकस रखती थीं. 1920 के दशक में अमेरिका में पेगी हॉपकिंस जॉयस नाम की एक्ट्रेस हुईं. इन्होंने छह शादियां की थीं. पेगी के लिए गोल्ड डिगर शब्द का इस्तेमाल किया गया.

भारत में भी गोल्ड डिगर शब्द बड़ा पॉपुलर हुआ है. एक समय में रिया चक्रवर्ती और सुष्मिता सेन को भी गोल्ड डिगर कहा गया. बहुत से लोगों ने माना कि रिया ने सुशांत के साथ पैसों के लिए रिश्ता बनाया था. बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन आईपीएल के फाउंडर ललित मोदी के साथ रिलेशनशिप को लेकर चर्चा में रहीं. इन के रिलेशनशिप को लेकर भी तरह तरह की बातें हुईं. वैसे सुष्मिता के मामले में सच्चाई नजर नहीं आती. सुष्मिता की नेट वर्थ 100 करोड़ के आसपास है. मुंबई के वर्सोवा में एक आलीशान अपार्टमेंट में उनका घर है. उनके पास  बीएमडब्ल्यू और ऑडी कार  है. वह अपनी एक्टिंग से करोड़ों कमाती हैं. इसलिए हर महिला को इस नजर से देखना उचित नहीं.

ओनाती इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द सोशियोलॉजी ऑफ लॉ ने एक आर्टिकल छापा. नाम था ‘इन डिफेन्स ऑफ द गोल्ड डिगर’. लिखने वाली थीं शैरन थॉम्प्सन. उन्होंने लिखा था, ‘ गोल्ड-डिगर शब्द की लोकप्रियता ये सुबूत नहीं देती कि कई महिलाएं पुरुषों के साथ सिर्फ आर्थिक वजहों से रिश्ते बना रही थीं. लेकिन महिलाओं और पुरुषों के बीच की आर्थिक और ढांचागत गैर-बराबरी ये ज़रूर बताती है कि इस शब्द को स्त्रियों से क्यों जोड़कर देखा गया. क्योंकि अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए महिलाओं का अमीर पुरुषों से शादी करना ज्यादा सम्भाव्य था जबकि इसके उलटे मामले बेहद कम थे. यानी एक पुरुष का अमीर महिला से पैसों के लिए शादी करना.’

वैसे इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बहुत से पुरुष गोल्ड डिगर महिलाओं का शिकार बन कर अपना सुख चैन और दौलत सब कुछ लुटा बैठते हैं. इसलिए किसी के साथ रिलेशनशिप में आने से पहले इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएं कि वाकई वह आप से प्यार करती हैं या यह रिश्ता आर्थिक वजह से वजूद में आया है. अगर आप यह पता लगाना चाहते हैं कि आप का पार्टनर गोल्ड डिगर है या नहीं तो कुछ बातों पर ध्यान दें;

  •  जब आप किसी को डेट करते हैं तो अपने बजट को देखते हुए अच्छी जगह ढूंढते हैं जहां आप एक दूसरे से आराम से मिल सकें और कुछ खूबसूरत लम्हे गुजार सकें. लेकिन जब आप किसी गोल्ड डिगर को डेट कर रहे होते हैं तो वह हमेशा फैंसी और महंगी जगहों पर जाने की सलाह देगी और महंगी चीजें ऑर्डर करेगी.
  •  वह हमेशा आपको पेमेंट करने देगी और धीरे धीरे वह अपने अन्य खर्चों के लिए भी आप पर डिपेंडेंट हो जाएगी.
  • गोल्ड डिगर पार्टनर अक्सर इस बात पर अधिक ध्यान देते हैं कि आप क्या काम करते हैं और कितना कमाते हैं. आप को समझना होगा कि जिस व्यक्ति में आप इंटरेस्ट दिखा रहे हैं क्या वह आप से प्यार करता है या आपके पैसों से.
  • गोल्ड डिगर पार्टनर के पास अपना कोई लक्ष्य या फिर करियर गोल नहीं होता है.  इस के अलावा वह अक्सर घुमा-फिरा कर बातें करना पसंद करते हैं. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस महिला को आप डेट कर रहे हैं वो गोल्ड डिगर है या नहीं.
  • ऐसी महिलाएं हमेशा अपने पुरुष पार्टनर से महंगे गिफ्ट्स की फरमाइश करती हैं. उन के बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी की जानकारी लेने को उत्सुक रहती हैं. पैसा देख कर ही किसी को भाव देती हैं.
  • इस तरह अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो यह पता लगा सकते हैं कि आप की पार्टनर का मकसद क्या है. जिन का मकसद पैसा महसूस हो उन से शुरुआत में ही दूर हो जाना बेहतर है.

महिलाओं के लिए ड्राइविंग सीखना क्यों जरूरी

ऐसा समय भी था जब केवल पुरुष ही कार या बाइक चलाते थे. महिलाएं कार या बाइक नहीं चलाती थीं, लेकिन बदलते समय के साथसाथ अब केवल पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी ड्राइविंग सीट पर हैं. आंखें पुरुषों से अधिक सेफ ड्राइविंग करती हैं.

आज की महिलाएं शिक्षा के साथसाथ ड्राइविंग को भी महत्त्व देने लगी हैं क्योंकि यह उन की स्टाइल स्टेटमैंट बन चुकी है. आज महिलाएं आत्मनिर्भर हैं, उन्हें कहीं जानेआने, रिश्तेदारों, दोस्तों से मिलने या शौक से भी ड्राइविंग करती हैं. इतना ही नहीं अब महिला ड्राइवर्स टैक्सी और बसें चला कर पैसे भी कमा रही हैं. महिला ड्राइवर के साथ कहीं आनेजाने में बुजुर्ग या लड़कियां खुद को सुरक्षित भी मानती हैं क्योंकि दिन हो या रात किसी इमरजैंसी में महिला ड्राइवर के साथ किसी को भी कही जाने में परहेज नहीं होता.

मुंबई के एक पौश एरिया में रहने वाली सुधा के पति की आधी रात को अचानक तबीयत बिगड़ गई. उस ने औनलाइन कार खोजने की कोशिश की, लेकिन कहीं कार नहीं मिली, फिर वह खुद उन्हें ड्राइव कर हौस्पिटल ले गई जहां उन्हें तुरंत इलाज मिला. इस के अलावा कभी बच्चों की स्कूल बस मिस होने या अन्य किसी इमरजैंसी में हमेशा ही महिलाएं कार, स्कूटी ड्राइव कर उस काम को समय से कर सकती हैं.

महिलाएं करती हैं सेफ ड्राइविंग

एक रिपोर्ट के अनुसार भीषण हादसों का शिकार होने वाले ड्राइवरों में महिलाएं सिर्फ 3त्न ही हैं. सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 56,334 (97.3त्न) पुरुष व 1551 (2.7त्न) महिला चालकों की हादसों में मौत हुई, जबकि देश के कुल 20.58 करोड़ ड्राइवरों में से 1.39 करोड़ महिलाएं (6.76त्न) हैं. शोध यह भी कहता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं स्पीड लिमिट का उल्लंघन 12त्न कम करती हैं.

इस प्रकार महिला ड्राइवर को हर लिहाज से सुरक्षित माना जाता है. यही वजह है कि दिल्ली की सरकार और कई कार ड्राइविंग संस्थाएं ऐसी हैं, जो महिलाओं को मुफ्त ड्राइविंग सीखने में मदद करती हैं.

ड्राइविंग के फायदे

द्य यह महिला को अधिक स्वतंत्र बनाती है, उन्हें कहीं जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहता. वे अपनी सुविधानुसार कभी भी कहीं भी किसी काम को कर सकती हैं.

द्य ड्राइविंग महिला के कौन्फिडैंस को बढ़ाती है क्योंकि ड्राइविंग करते वक्त गाड़ी का पूरा कंट्रोल व्यक्ति के हाथ में होता है, जिस में स्पीड, ब्रेक, क्लच आदि होता है. शुरू में कई बार ड्राइविंग करना कठिन लगता है, लेकिन समय के साथ इस में परिपक्वता आ जाती है.

द्य ड्राइविंग सीखने से समय की बचत अधिक होती है क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जानेआने में समय अधिक लगता है. इस के अलावा अगर कोई ड्राइव कर जा रहा हो, तो उस के समय के अनुसार चलना पड़ता है, जो कई बार सूट

नहीं करता. ड्राइविंग जानने पर महिला अपने समय के अनुसार आते हुए कई काम निबटा सकती है.

बरतें सावधानी

इस बारे में मुंबई ट्रैफिक पुलिस इंस्पैक्टर मुकुंद वैंकटेश यादव कहते हैं कि मुंबई जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में महिलाओं के लिए ड्राइविंग करना आसान नहीं होता. उन्हें घंटों जाम में फंसना पड़ता है. ऐसे में ड्राइविंग आनी चाहिए ताकि किसी इमरजैंसी में वे परिवार या आसपास के लोगों के काम आ सकें. कई बार वे गाड़ी चला कर रोजगार भी कर सकती हैं, लेकिन कार या बाइक ड्राइविंग करते हुए उन्हें इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:

  •  ड्राइविंग सीट पर बैठने के बाद सब से पहले सीट बैल्ट पहनें और फिर अपने कंफर्ट के अनुसार सीट की हाइट एडजस्ट करें. इस से गाड़ी चलाने में आसानी होती है. मोबाइल फोन को साइलैंट मोड पर रखें.
  •  एबीसी की सही जानकारी यानी ए का अर्थ है ऐक्सलेरेटर, ब्रेक, सी क्लच से है. इन सभी 3 चीजों का मानदंड प्रशिक्षण लेते वक्त सैट कर लें ताकि सड़क पर गाड़ी चलते वक्त किसी प्रकार की समस्या न हो.
  •  ट्रैफिक नियमों को पूरी तरह सम?ा लें, किस जगह कार रोकनी है, कार किस लेन में चलानी है, कार को ट्रैफिक जंप या अन्य प्रकार के चालान से कैसे बचाना है आदि. कार चलाते समय साथ लाइसैंस जरूर रखें वरना काफी जुरमाना हो सकता है. बाइक चलाते हुए हैलमेट अवश्य पहनें.
  •  जिस कार या बाइक को चलाना है उस की सभी खूबियों को अच्छी तरह जान लें. मसलन, कार में एसी, पावर विंडो, कंट्रोल्स, वायरलैस चार्जिंग, स्मार्टफोन कनैक्टिविटी के साथ ही लाइट्स और साउंड सिस्टम से जुड़े बटन्स होते हैं, जिन की सही जानकारी जरूरी है.
  •  यंग जैनरेशन को ओवरस्पीड या ओवरटेक पसंद आता है, जिसे वे ड्राइविंग फन समझते हैं, लेकिन ऐसा कोई फन उन्हें हादसे के करीब ले जा सकता है. अत: जितना संभव हो स्पीड लिमिट और आगे की गाड़ी से दूरी का खयाल रखें.
  •  कार चलाने वाली महिला सिगनल इंडिकेटर्स का ध्यान रखें, जिस में लैफ्टराइट इंडिकेटर्स, हजार्ड लाइट्स, स्टौप, हैडलैंप और टेललैंप, डीमडीपर या अन्य कुछ जरूरी बातों को अच्छी तरह सम?ा लेना चाहिए. इस से दिन या रात के समय ड्राइविंग में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी.
  •  आप अगर गाड़ी चला रही हैं, तो ड्राइविंग के समय दोनों हाथ स्टीयरिंग व्हील पर रखें, एक हाथ की स्टीयरिंग छोड़ कर इधरउधर की बातें न करें. मैनुअल कार हो या औटोमैटिक सभी में आप का फोकस गाड़ी की स्टीयरिंग व्हील पर होना चाहिए.
  •  गाड़ी चलाते समय महिला की नजरें बराबर लैफ्ट और राइट व्यू मिरर के साथ ही कैबिन के अंदर रियर व्यू मिरर पर भी बनी रहनी चाहिए ताकि बाएंदाएं और पीछे से आ रही कारों या अन्य गाडि़यों के साथ ही सभी जरूरी चीजें देख सकें और कार आदि से टकराने से टक्कर से बचाया जा सके.

ड्राइविंग करते वक्त खुद पर विश्वास रखें कि आप एक अच्छी चालक हैं. खुद पर विश्वास और धैर्य रखें. किसी प्रकार की हड़बड़ी न करें. ऐसा करने पर बिना किसी परेशानी के कार या बाइक को अच्छी तरह चला सकती हैं.

 

क्या है स्लीप टूरिज्म

कोविड अब ओवर हो चुका है, इस के बाद से लोगों ने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. इस में सब से जरूरी सुकून भरी नींद लेने को माना जाने लगा है और इस में विकसित हुआ है स्लीप टूरिज्म, जिस में व्यक्ति रात के 8 बजे सोने चला जाता है. वहां उसे शहर की भागदौड़ और शोरशराबे से दूर शांत जगह मिलती है. इतना ही नहीं इस पर्यटन में काम से थोड़े दिन की छुट्टी ले कर अकेले कहीं घूमने का शौक पूरा होने के साथसाथ तरोताजा होने का भी अवसर मिल जाता है.

दरअसल, यह स्लीप टूरिज्म रिलैक्स होने की एक तकनीक है, जो विदेशों में अधिक पौपुलर है. इस में शांत वातावरण होने की वजह से स्ट्रैस को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही स्लीप क्वालिटी को बूस्ट करने का भी अवसर मिलता है क्योंकि ऐसा माना गया है कि अगर व्यक्ति की नीद पूरी होती है, तो उस का स्ट्रैस लैवल भी कम हो जाता है.

इस का क्रेज अधिकतर बड़े शहरों में रहने वालों में बड़ा है, जहां काम के प्रैशर के साथसाथ ट्रैवलिंग भी अधिक होती है. इसलिए स्लीप टूरिज्म का विकास भी तेजी से होने लगा है. अधिकतर होटल्स और रिजोर्ट्स स्लीप टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तरहतरह के लुभावने औफर आजकल टूरिस्ट को देने लगे हैं.

महाराष्ट्र के तपोला के ओंकार रिजोर्ट के गणेश उतंकर कहते हैं कि टूरिज्म के लिए लोग हर जगह से आते हैं, लेकिन वही भीड़, वही आवाज, शोर सब होता है. वे घूमने तो जाते हैं, लेकिन उन्हें शांति नहीं मिलती है. ऐसे में आजकल लोग केवल सोने के लिए भी मेरे पास आते हैं, जिस में दिन में 2 वक्त का खाना खाने के बाद खुद को रिलैक्स करना होता है. वे अधिकतर अकेले आते हैं. इस में मूड को अच्छा बनाने के लिए वे वैली व्यू, रिवर व्यू, घने जंगल आदि को अधिक महत्त्व देते हैं क्योंकि वहां केवल एक चिडि़या की आवाज से ही उन की नींद खुलती है. वहां उन्हें पूरी शांति मिलती है.

ऐसी जगह नियमित आने वाली पुणे की लीना कहती है, ‘‘मैं हर साल यहां रिलैक्स के लिए आती हूं. यहां बहुत शांति है. व्यस्त जीवनशैली से यहां आ कर खाना खा कर मैं सिर्फ 2 घंटे सोने के बाद खुद को तरोताजा महसूस कर रही हूं. मेरी नींद इतनी गहरी थी कि मेरी सारी थकान दूर हो चुकी है.’’

40 वर्षीय विजय धूमा कहते हैं, ‘‘मुझे तपोला बहुत पसंद आता है, मुझे जब भी समय मिलता है, मैं कही शांत जगह जाता हूं.’’

आईटी सैक्टर में काम करने वाली 26 वर्षीय रोमा भी हर साल स्लीप टूरिज्म के लिए शांत जगह जाती है, जिस में उसे हिल स्टेशन पर जाना अधिक पसंद है जहां वह हर दिन 8-9 घंटे सोती है.

पुराने समय में लोग एक पेड़ के नीचे सो कर सुकून भरी नींद लेते थे. आजकल वैसा ही टूरिज्म हो चुका है क्योंकि आज किसी भी क्षेत्र में काम में मानसिक तनाव अधिक होता है और उन्हें नीद की कमी की शिकायत रहती है.

स्लीप टूरिज्म के फायदे

  •  ग्लोबलाइजेशन की वजह से रातभर जाग कर काम करने वालों के लिए स्लीप टूरिज्म फायदे का होता है.
  • अधिक तनाव लेने वालों के लिए यह एक बेहतर औप्शन है, व्यक्ति मानसिक रूप से बना मजबूत होता है.
  • सही नींद लेने से बारबार बीमार पड़ने में कमी आती है.
  • वजन बढ़ने का खतरा कम रहता है.

जाएं कहां

स्लीप टूरिज्म पर जाने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है जैसे स्लीप टूरिज्म के लिए प्रौपर हिल स्टेशन पर सही रिजोर्ट में जाएं. वहां आसपास 200 से 300 मीटर्स में कोई रिजोर्ट, होटल या किसी भी प्रकार की ऐक्टिविटीज नहीं होनी चाहिए.

रिजोर्ट के आसपास पेड़पौधे होने की जरूरत है ताकि व्यक्ति को रिलैक्स महसूस हो. महाराष्ट्र में ऐसे बहुत सारे रिजोर्ट्स हैं, जो वैली और रिवर साइड में उपस्थित हैं. वहां का वातावरण स्लीप टूरिज्म के लिए बहुत पौपुलर है. इन में महाबलेश्वर, पंचगनी, तापोला आदि ऐग्रोबेस्ड टूरिज्म हैं, जहां अधिकतर शांत वातावरण मिलता है.

अवौइड करें

  •   खुद को मोबाइल से दूर रखें या फिर साइलैंट मोड पर रखें.
  • आप की सवारी रखने की जगह थोड़ी दूर हो.
  • कम से कम तकनीकी सुविधाओं वाले स्थान पर जाएं. इस से रिलैक्सेशन अधिक होता है.
  • डाइट में पारंपरिक भोजन अधिक लें क्योकि लग्जरी फूड से नीद में कमी आती है.

औनलाइन गेम्स कैरियर भी फेम भी

दुनियाभर में गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से उभर रही है. यह ऐसी फील्ड है जहां युवा, खासकर, टीनऐजर अपने कैरियर के मौके तलाश रहे हैं.

ग्लोबल गेम्स मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, औनलाइन गेम्स से ग्लोबल मार्केट में साल खत्म होतेहोते गेमिंग इंडस्ट्री में इनकम 200 बिलियन डौलर हो जाएगी. यानी यह कितना बड़ा सैक्टर है, इस का अंदाजा लगाना कइयों को चौंका सकता है.

यूट्यूब इस समय गूगल के बाद सब से बड़ा सर्च इंजन है. यहां हर दिन लगभग 2 बिलियन यूजर्स आते हैं और इस प्लेटफौर्म पर एक बिलियन घंटे समय बिताया जाता है. गेमर्स यूट्यूब पर लाइव आ कर रिकौर्ड करते हैं और अपनी स्किल्स दिखाते हैं. यह प्लेटफौर्म गेमर्स के लिए खुद की रीच बढ़ाने का बड़ा माध्यम बन चुका है.

अजय जो ‘अज्जू भाई’ के नाम से फेमस है, वह गेमिंग इंडस्ट्री में जानामाना नाम है. अहमदाबाद के रहने वाले अज्जू ने गेमिंग की शुरुआत छोटे से मोबाइल से की थी. अज्जू ने अपना कैरियर फ्रीलांसर रह कर सौफ्टवेयर डैवलपर के रूप में शुरू किया.

अजय कई पीएचपी और जावा स्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जानता है. वर्ष 2015 में अजय ने क्लैश औफ क्लैन्स जैसे स्मार्टफोन गेम्स खेलना शुरू किया. इस के बाद गेमिंग में उन्हें पछाड़ना गेमर्स के लिए मुश्किल होता गया.

औनलाइन गेमिंग में कैरियर

देखा जाए तो औनलाइन गेमिंग में काफी कैरियर स्कोप है. कई युवा इसे, बस, एंटरटेनमैंट से ही जोड़ कर देखते हैं, लेकिन यह सिर्फ एंटरटेनमैंट ही नहीं, कैरियर के दरवाजे भी खोलता है. 10वीं या 12वीं के बाद मल्टीमीडिया या एनीमेशन कोर्स कराने वाले इंस्टिट्यूट्स में गेम डैवलपर या गेमिंग डिजाइनिंग के कोर्स हैं. इस में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री तीनों कोर्स उपलब्ध हैं.

गेमिंग डैवलपर्स अपनी क्रिएटिव सोच के हिसाब से गेम्स बनाता है, इसलिए इस फील्ड में क्रिएटिविटी जरूरी होती है. गेमिंग सौफ्टवेयर और गेमिंग थ्योरी की सम?ा होना भी जरूरी है. इस के अलावा गेमिंग के लिए स्केचिंग, इमेजिनेशन और लाइटिंग इफैक्ट्स की जानकारी भी जरूरी होती है.

उज्ज्वल चौरसिया, जिसे टैक्नो गेमर्स के नाम से भी जाना जाता है, दिल्ली का यूट्यूबर है. वह गेमिंग वर्ल्ड में काफी पौपुलर है. उज्ज्वल ने अपना गेमिंग कैरियर छोटी उम्र से शुरू कर दिया था. बचपन से ही उसे वीडियो गेम को ले कर जिज्ञासा थी.

गेमिंग में कैरियर सिर्फ खेलना नहीं. गेम प्रोड्यूसर भी कैरियर के लिए अच्छा औप्शन है. इस में डिजाइनिंग की जानकारी के अलावा 3डी मौड्यूलिंग और 2डी सौफ्टवेयर की नौलेज होनी जरूरी है. वहीं, औडियो इंजीनियर के लिए एल प्लूसप्लशस व साउंड इंजीनियरिंग के कंप्यूटर लैंग्वेज की जानकारी भी जरूरी है. वीडियो गेम प्रोड्यूसर का काम पूरे प्रोडक्शन के काम पर नजर रखना होता है.

लोकेश राज की पहचान गेमिंग वर्ल्ड में लोकेश गेमर के नाम से है. वह जेनेरा फ्री फायर गेम का मास्टर और यूट्यूबर व कंटैंट डैवलपर है. उस के दोस्त उसे डायमंड किंग के नाम से बुलाते हैं.

लोकेश भारत के सदर्न स्टेट तेलंगाना से है. छोटी उम्र में ही उस ने कामयाबी हासिल की है. लोकेश ने 2017 में यूट्यूब चैनल की शुरुआत की थी, लेकिन पहली वीडियो उस ने 2019 में अपलोड की.

गेम की दुनिया का बादशाह बनने के लिए गेम डिजाइनर अच्छा कैरियर विकल्प है. इस के लिए लेटैस्ट टैक्नोलौजी में महारत हासिल करनी होती है. गेमिंग वर्ल्ड में चीजें बहुत तेजी से बदलती हैं तो बदलती चीजों के साथ खुद को अपडेट रखना बेहद जरूरी होता है. साथ ही, दुनिया में कब क्या नया हो रहा है, यह आप को पता होना चाहिए.

इस में समय की चिंता किए बगैर काम करते रहना होता है. गेम डिजाइनिंग के साथ गेम को फनी बनाना, गेम राइटिंग और डायग्राम तैयार करना होता है. एक तरह से इन के ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं.

अमित शर्मा, जिसे अमित भाई के नाम से लोग पहचानते हैं, वैस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी से है. उस ने अपने चैनल का नाम ‘देसी गेमर्स’ और ‘देसी आमी’ रखा है. दोनों चैनलों में मिलियनों में फौलोअर्स हैं.

अपने शुरुआती समय में वह एनिमेटेड वीडियो बनाता था. उस के बाद वह गेमिंग फील्ड में आया और इंडिया के फेमस गेमर्स में शुमार हो गया.

अगर आप कल्पनाशील हैं और अपनी कल्पनाओं को उड़ान देना चाहते हैं व अपनी चीजों को सीरियसली लेते हैं तो एनिमेशन की दुनिया में कैरियर बनाना अच्छा औप्शन है. इस के लिए 2डी कौन्सैप्ट आर्ट के माध्यम से 3डी मौडल्स और 2डी टैक्स्चर मैप तैयार करना आना चाहिए. एक एनिमेटर आमतौर पर प्रोग्रामर और सीनियर आर्टिस्ट के साथ गेम के कैरेक्टर के हर पहलू पर काम करता है.

‘कैरी मिनाटी’ को कौन नहीं जानता. यूट्यूब में भारत के अगर टौप इन्फलुएन्सर की बात की जाए तो कैरी का नाम शुरुआती 5 में आएगा. कैरी का असली नाम अजय नागर है. वह फरीदाबाद का रहने वाला है. उसे रोस्ट के रूप में पहचान मिली है. करोड़ों बार उस की वीडियोज को देखा जाता है. हालांकि उस की वीडियो में गालियां होती हैं और देखने वाले अधिकतर युवा होते हैं तो एक खराब मैसेज युवाओं को पहुंचता है.

अजय का नाम गेमर के तौर पर भी खूब चर्चित रहता है. वह यूट्यूब पर लाइव गेम अपलोड करता है. हजारों की संख्या में युवा उस की वीडियो देखते हैं.

औडियो प्रोग्रामर की डिमांड गेमिंग वर्ल्ड में बहुत ज्यादा है. दमदार आवाज से अपनी अलग पहचान बनाने वालों के लिए यह क्षेत्र बेहतरीन है. अलगअलग गेम कैरेक्टर्स की तरह आवाजें जनरेट करने की कला इस फील्ड में कैरियर को आगे बढ़ा सकती है. और, आवाज मौड्यूलेशन का काम सिर्फ गेमिंग वर्ल्ड में ही नहीं, बल्कि इस जैसी कई इंडस्ट्रीज को यह कवर करता है, खासकर सिनेमा में इस का खूब यूज होता है.

वैसे, यह फील्ड कंप्यूटर इंजीनियर के लिए बेहतरीन मानी जाती है. औडियो प्रोग्रामर को गेम में स्पैशल इफैक्ट के इस्तेमाल के लिए साउंड के बारे में अच्छी नौलेज रखना जरूरी है. इस तरह के प्रोग्रामर गेम के लिए औडियो तैयार करने के अलावा साउंड इंजीनियरिंग का भी काम करते हैं.

सोलो ट्रैवलिंग के लिए हो जाएं तैयार, घूमें दुनिया के ये खूबसूरत देश

कोई अगर आपसे पूछे कि आपको रात में अकेले घूमने से डर क्यों लगता है? तो शायद आपको जवाब सुरक्षा के इंतजाम को लेकर होगा. लेकिन दुनिया में ऐसी कई जगह हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से काफी बेहतर मानी जाती हैं. महिलाओं के लिए सोलो ट्रैवलिंग के लिए ये डेस्टिनेशन काफी खूबसूरत और सुरक्षित मानी जाती हैं.

आइसलैंड

एक खबर के अनुसार आइसलैंड खूबसूरती के साथ सुरक्षित भी है. इसी वजह से यहां सोलो ट्रैवलिंग करने वाली महिलाओं की तादाद सालभर ज्यादा रहती है. यहां जोकुलसरलौंग, पिंगवैलीर, सीक्रेट लगून जैसी जगहें आपको जरूर पसंद आएगी.

औस्ट्रेलिया

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आप औस्ट्रेलिया में अपना लंबा वींकेड बिता सकती हैं. औस्ट्रेलिया में दुनिया के कई देशों से महिलाएं अकेले घूमने आती हैं. आप यहां सिडनी, मेलबर्न, गोल्ड कोस्ट, ब्रिसबेन जैसी खूबसूरत जगह हैं.

मैक्सिको

यहां घूमने वाले ज्यादातर लोगों को यहां का कल्चर बहुत पसंद आता है. मैक्सिको सिटी, ककून, ओसाका, टूलूम जैसी खूबसूरत जगह देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं.

न्यूयौर्क

कला प्रेमी महिलाओं के लिए आर्ट म्यूजियम, प्राकृतिक इतिहास का म्यूजियम घूमने के लिेए शानदार जगह हैं. जहां आपको काफी मजा आएगा. नाइटलाइफ की शौकीन लड़कियों के लिए न्यूयौर्क एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है.

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टोरंटो, कनाडा

कनाडा को ‘मिनी पंजाब’ भी कहा जाता है क्योंकि यहां पंजाबी और सिख समुदाय के लोग सबसे ज्यादा मिलते हैं. यहां निगेरिया झरना, बर्नफ नेशनल पार्क, टोरंटो टावर जैसी दिलचस्प जगह हैं.

जापान

यहां महिलाओं की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है. आप यहां नाइटलाइफ का मजा ले सकती हैं. आपको यहां टोक्यो, ओसाका, क्योटो जैसी खूबसूरत जगहों को देख सकती हैं.

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कोलंबिया

सालसा राजधानी के तौर पर पहचाना जाने वाला कोलंबिया का कैली अपनी पार्टियों और जश्न के लिए भी मशहूर है. सालसा एक तरफ जहां यहां की खासियत है वहीं कैली पयर्टकों के हिसाब से ज्यादा भीड़-भाड़ से मुक्तक शहर है. सालसा के जश्न में रातभर डूबने के बाद अगर आपने कोलंबियन कौफी का मजा उठा सकती हैं. यहां कार्टागेना, बोगोटा, मेडेलिन, टायरोना नेशनल पार्क जैसी खूबसूरत जगह यहां मशहूर है.

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