मेनोपोज और ब्रेस्ट कैंसर क्या अनुवांशिक है?

सवाल-

मेरे पिताजी को लिवर और मां को ब्रैस्ट कैंसर हो गया है. मैं ने सुना है कि यह आगे भी परिवार में हो सकता है. मेरी उम्र 32 वर्ष है. मुझे इस से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब-

यह सही है कि आनुवंशिक कारण कैंसर का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर माना जाता है. अगर आप की मां को ब्रैस्ट कैंसर है तो आप के लिए खतरा 12 से 14% तक अधिक है. इसी तरह लिवर कैंसर में भी आनुवंशिक कारण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस से बचने के लिए आप कुछ जरूरी कदम उठा सकती हैं जैसे शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, अपना वजन न बढ़ने दें, शराब का सेवन न करें, बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन न करें विशेषकर 35 साल के बाद, मेनोपौज के बाद हारमोन थेरैपी न लें.

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सवाल-

मेरे परिवार में अर्ली मेनोपौज की समस्या रही है. मेरी नानी और मां को मेनोपौज 40 साल की उम्र से पहले हो गया था. मैं कैरियर के चलते अभी फैमिली प्लानिंग नहीं करना चाहती. मैं क्या करूं?

जवाब-

अर्ली मेनोपौज में आनुवंशिक कारक भी अहम भूमिका निभा सकता है. मेनोपौज की स्थिति में पहुंचने पर महिलाएं अंडोत्सर्ग नहीं कर पातीं. इस से गर्भधारण करना असंभव हो जाता है. ऐसे में आप असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक (एआरटी) का सहारा ले सकती हैं या फिर आप अपने अंडे फ्रीज करा सकती हैं, जिन्हें आईवीएफ के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है अथवा आप डोनर एग का इस्तेमाल कर के भी आईवीएफ करवा सकती हैं.

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45 साल की रश्मि पिछले कुछ दिनों से अपने स्वास्थ्य में असहजता महसूस कर रही थी. इस वजह से उसे नींद अच्छी तरह से नहीं आ रही थी. ठण्ड में भी उसे गर्मी महसूस हो रही थी. पसीने छूट रहे थे. उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. बात-बात में चिडचिडापन आ रहा था. डौक्टर से सलाह लेने के बाद पता चला कि वह प्री मेनोपौज के दौर से गुजर रही है. जो समय के साथ-साथ ठीक हो जायेगा.

दरअसल मेनोपौज यानी रजोनिवृत्ति एक नैचुरल बायोलौजिकल प्रक्रिया है,जो महिलाओं की 40 से 50 वर्ष के बीच में होता है. महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव इस दौरान आते है और मासिक धर्म रुक जाता है.  इस बारें में ‘कूकून फर्टिलिटी’ के डायरेक्टर, गायनेकोलोजिस्ट और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ.अनघा कारखानिस कहती है कि अगर कोई महिला पूरे 12 महीने बिना किसी माहवारी के गुजारती है तो उसे मेनोपौज ही कही जाती है, ऐसे में कुछ महिलाओं को लगता है कि मेनोपौज से उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त होने की वजह से वे ओल्ड हो चुकी है, जबकि कुछ महिलाओं को हर महीने की झंझट से दूर होना भी अच्छा लगता है. इतना ही नहीं इसके बाद किसी भी महिला को बिना चाहे माँ बनने की समस्या भी चली जाती है.

इसके आगे डौ.अनघा बताती है कि मेनोपौज एक सामान्य प्रक्रिया होने के बावजूद उसे लेकर कई भ्रांतियां महिलाओं में है, जबकि कुछ महिलाओं में मूड स्विंग और बेचैनी रहती भी नहीं है, लेकिन वे मेनोपौज के बारें में सोचकर ही परेशान रहने लगती है,जिससे न चाहकर भी उनका मनोबल गिरता है और वे डिप्रेशन की शिकार होती है. जबकि ये सब मिथ है और इसका मुकाबला आसानी से किया जा सकता है, जो निम्न है,

जल्दी मेनोपौज होने के कारण मुझे पेट पर बहुत ब्लोटिंग हो रही है?

सवाल-

मैं 40 वर्षीय हूं और मुझे मेनोपौज हो रहा है. जल्दी मेनोपौज होने के कारण मुझे पेट पर बहुत ब्लोटिंग हो रही है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

मेनोपौज में सूजन व ब्लोटिंग बहुत आम बात है और ऐसा कई कारणों से हो सकता है. एस्ट्रोजन का गिरता स्तर पाचन को प्रभावित कर सकता है, जिस के परिणामस्वरूप सूजन हो जाती है. ऐस्ट्रोजन का गिरता स्तर कार्बोहाइड्रेट के पाचन पर भी प्रभाव डाल सकता है, जिस से स्टार्च और शुगर पचाने में और अधिक मुश्किल हो जाती है. इस से अकसर सूजन हो जाती है और साथ ही आप थकान भी महसूस कर सकती हैं. रोज सैर करना आप के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इस से आप का पाचनतंत्र मजबूत होगा. सैर करने के अलावा गहरीगहरी सांसें लें और शरीर को टोन करें. पास्ता, केक, बिस्कुट और सफेद चावल से परहेज करें. अगर लंबे समय तक दर्द ठीक न हो तो किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें.

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45 साल की रश्मि पिछले कुछ दिनों से अपने स्वास्थ्य में असहजता महसूस कर रही थी. इस वजह से उसे नींद अच्छी तरह से नहीं आ रही थी. ठण्ड में भी उसे गर्मी महसूस हो रही थी. पसीने छूट रहे थे. उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. बात-बात में चिडचिडापन आ रहा था. डौक्टर से सलाह लेने के बाद पता चला कि वह प्री मेनोपौज के दौर से गुजर रही है. जो समय के साथ-साथ ठीक हो जायेगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मेनोपौज की मिथ से लड़े कुछ ऐसे

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मेनोपॉज के दौरान बढते वजन से जंग: इस पीरियड में कैसे घटाएं वजन

मेनोपॉज एक सामान्य प्रक्रिया है जिसका अनुभव महिलाओं को उम्र बढने के साथ होता है. जब महिलाओं की माहवारी बंद होती है तब उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं जिसका असर उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति दोनों पर पडता है. इस दौरान महिलाओं का वजन भी बढ सकता है. उम्र बढने के साथ महिलाओं के लिए वजन पर नियंत्रण रखना कठिन हो सकता है. ऐसा देखा जाता है कि बहुत सारी महिलाओं का वजन मेनोपॉज होने की प्रक्रिया में बहुत अधिक बढ जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेनोपॉज के दौरान वजन बढने से रोकना मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप स्वश्य जीवनशैली और खान-पान की अच्छी आदतों का पालन करते हैं इस अतिरिक्त वजन को बढने से रोका जा सकता है.

मेनोपॉज के दौरान वजन बढने के कारण

मेनोपॉज के दौरान, हार्मोनल बदलावों की वजह से महिलाओं के पेट, कूल्हो और जांघोँ के आस-पास अधिक फैट जमा होने की आशंका बढ जाती है. हालांकि मेनोपॉज के दौरान अतिरिक्त वजन बढने के लिए अकेले हार्मोनल बदलाव जिम्मेदार नहीं होते हैं. वजन बढने का सम्बंध बढती उम्र के साथ-साथ जीवनशैली और जेनेटिक कारणों के साथ भी होता है. वजन बढने के साथ मांसपेशियों का घनत्व कम होने लगता है, जबकि फैट का अनुपात शरीर में बढने लगता है. मसल मास कम होने के कारण  शरीर कैलोरी का इस्तेमाल कम करता है (बीएमआर-बेसल मेटाबोलिक रेट). ऐसे में वजन को स्वस्थ्य सीमा में रखना कठिन हो जाता है. अगर एक महिला अपना खाना-पीना उतना ही रखती है, जितना पहले और साथ में शारीरिक सक्रियता नहीं बढा पाती है तो वह मोटी हो जाती है.

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इसके साथ-साथ, मेनोपॉज सम्बंधी वजन बढने में जेनेटिक कारक भी जिम्मेदार होते हैं. अगर आपकी माँ अथवा अन्य करीबी सम्बंधियोँ का वजन अधिक है तो आपको भी पेट के आस-पास अतिरिक्त फैट जमा होने का खतरा अधिक रहता है. इतना ही नहीं, व्यायाम की कमी, अस्वस्थ्य खान-पान, नींद की कमी आदि कारणोँ से भी वजन बढता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी को नींद कम आती है तो वह अतिरिक्त कैलोरी लेकर वजन में बढोत्तरी को न्योता दे देती हैं.

एस्ट्रोजन के स्तर से मेनोपॉज के दौरान पडता है वजन पर असर

एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने का सबसे आम कारण है मेनोपॉज. ऐसा तब होता है जब महिला के प्रजनन सम्बंधी हार्मोंस कम होने लगते हैं और उनकी माहवारी बंद हो जाती है. ऐसे में महिलाओँ का वजन बढ सकता है. जैसा कि पहले बताया जा चुका है मेनोपॉज के दौरान वजन बढने का एक कारण हार्मोंस के स्तर का घटना-बढना होता है. एस्ट्रोजन हार्मोन दिल को सुरक्षा देता है और इसकी कमी होने पर डायबीटीज और हार्ट डिजीज जैसी समस्याओँ का खतरा तेजी से बढता है. हार्मोनल बदलाव की वजह से अक्सर लोगोँ की सक्रियता कम हो जाती है और उनकी मांसपेशियोँ का घनत्व कम हो जाता है. इसका मतलब है कि ये महिलाएं दिन भर में पहले की तुलना में कम कैलोरी बर्न कर पाती हैं.

मेनोपॉज के बाद वजन बढने से होने वाली समस्याओँ के बारे में जानेँ:

मेनोपॉज के बाद बढने वाले वजन की वजह से तमाम तरह की समस्याओँ का खतरा बढ जाता है:

  • अत्यधिक वजन, खासकर शरीर के बीच के हिस्से में.
  • टाइप 2 डायबीटीज, दिल की बीमारियोँ और तमाम प्रकार के कैंसर का खतरा बढना, इनमेँ ब्रेस्ट, कोलोन और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा सबसे अधिक बढ जाता है.

मेनोपॉज के बाद वजन बढने से रोकने के तरीके

  1. शारीरिक रूप से सक्रिय रहेँ: एरोबिक एक्सरसाइज अथवा स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करेँ इससे आपको वजन घटाने में सहायता मिलेगी. एरोबिक एक्टिविटी जैसे कि तेज कदमोँ से चलना, जॉगिंग जैसे व्यायाम कम से कम हफ्ते में 150 मिनट तक करेँ. इसी प्रकार से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज हफ्ते में कम से कम दो बार करेँ.
  2. खान-पान की अच्छी आदतेँ अपनाएँ: अपने वजन को स्वस्थ्य सीमा में रखने के लिए संतुलित आहार लेँ और कैलोरी का ध्यान रखें. पोषण के साथ समझौता किए बिना कैलोरी कम रखने के लिए यह ध्यान रखेँ कि आप क्या खा-पी रहेँ.

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  1. आपके आहार में भरपूर दूध और दूध से बने अन्य उत्पाद भरपूर मात्रा में होने चाहिए ताकि जीवन के इस चरण में आपके लिए जरूरी मात्रा में कैल्शियम मिले.
  2. फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज भरपूर मात्रा में खाएँ खासकर ऐसी चीजेँ जिन्हेँ कम प्रॉसेस किया गया हो और फाइबर से भरपूर होँ.
  3. प्लांट-बेस्ड आहार अन्य सभी चीजोँ से बेहतर विकल्प होता है.
  4. फलियाँ, नट्स, सोया, फिश और कम फैट वाले डेयरी उत्पाद इस्तेमाल करेँ.
  5. रेड मीट कम खाएँ इसकी जगह चिकन खाना बेहतर विकल्प हो सकता है.
  6. अतिरिक्त शुगर वाले पेय पदार्थ जैसे कि सॉफ्ट ड्रिंक, जूस, एनर्जी ड्रिंक, फ्लेवर्ड पानी और चाय या कॉफी आदि कम मात्रा में लेँ.
  7. इसके अलावा अन्य चीजेँ जैसे कि कुकीज, पाई, केक, डोनट्स, आइस क्रीम और कैंडी जैसी चीजेँ भी वजन बढने का कारण बनती हैं.

डॉ. संचिता दूबे, कंसल्टेंट, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकॉलजी, मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा से बातचीत पर आधारित..

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