Monsoon special: बारिश में न खाएं ये चीजें, नहीं तो हो जाएंगे मुंहासे

बरसात का मौसम चल रहा है. मौनसून सीजन बहुत ही सुहाना होता है बरसात के होने से ठंड़ा मौसम हो जाता है. इसके साथ ही मौनसून में काफी उमस होती है. मौनसून सीजन में कई स्किन समास्याएं उत्पन्न हो जाती है. इन दिनो आसानी से स्किन रैशेज, पिंपल्स, एक्ने या मुहांसे की समास्याएं होती है. इसी वजह से बरसात के मौसम में मुंहासों को रोकने के लिए आपको कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए. हम आपको यहां उन्हीं आहार के बारे में बताने जा रहे हैं जो मुंहासों का कारण बनते हैं.

  1. दही

दही सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. गर्मियों में दही खाना अच्छा होता है. लेकिन बरसात के मौसम में दही खाना ठीक नहीं होता क्योंकि इससे एक्ने की समस्या हो सकती है. असल में दही के सेवन से पित्त-कफ में बढ़ोत्तरी हो सकती है, जो एक्ने का कारण हो सकते हैं.

2. चॉकलेट

मौनसून के समय चॉकलेट न खाएं क्योंकि चॉकलेट हमारी गो-टू स्वीट है! लेकिन यह आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि बहुत अधिक चॉकलेट खाने से मुंहासों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चॉकलेट कोको, दूध और चीनी से भरी हुई हैं, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप कर सकती हैं और इस वजह से, पिंपल्स का कारण बन सकती हैं.

3. फास्ट फूड

वैसे तो फास्ट फूड खाना हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है. लेकिन बरसात के समय फास्ट फूड नहीं खाना चाहिए इससे मुंहासों खतरा बढ़ जाता है. फास्ट फूड में फैट, रिफाइंड कार्ब्स और कैलोरी से भरे होते हैं. फास्ट फूड जैसे बर्गर, पिज्जा, नगेट्स, हॉट डॉग, मिल्कशेक, सोडा, आदि मुँहासे के विकास को बढ़ा सकते हैं. आंकड़ो के मुताबिक इन फास्ट फूड के सेवन से मुँहासे के विकास में 24% की वृद्धि हो सकती है.

4. कॉफी

कॉफी का सेवन ज्यादातर वर्किंग लोग करते हैं. कॉफी पीने से लोगों को लगता है कि वे एनर्जेटिक फील करते हैं और काम करने की क्षमता बेहतर होती है. वहीं, आयुर्वेद के अनुसार, ज्यादा मात्रा में कॉफी पीना सही नहीं होता है. इसमें हीटिंग प्रॉपर्टी होती है, जो कि पित्त को बढ़ाने का काम कर सकता है, जो एक्ने का कारण बन सकते हैं.

5. उड़द दाल

बरसात के समय में का उड़द दाल सेवन कम करना चाहिए. उड़द दाल के सेवन से पित्त कफ में बढ़ोत्तरी हो सकती है, जो कि एक्ने का मुख्य कारण हो सकता है. इसलिए, अगर आपको काफी ज्यादा एक्ने की प्रॉब्लम रहती है, तो बेहतर है कि इन दिनों उड़द की दाल का सेवन न करें.

Monsoon Skin care Tips: 10 ब्यूटी प्रोडक्ट जो आपकी किट में जरुर होने चाहिए

Monsoon सीजन अपने साथ खुशियां, सुहावना मौसम और ठंडी हवा लेकर आता है. चिलचिलाती गर्मी के बाद, मौनसून राहत तो देता है लेकिन इसके साथ नमी भी बढ़ जाती है जिससे त्वचा संबंधी कई समस्याएं हो जाती हैं. लेकिन, अपनी त्वचा की देखभाल और ब्यूटी रूटीन में कुछ सरल उपाय के साथ, आप बारिश के मौसम में भी अपनी त्वचा को स्वस्थ, चमकदार और पोषित रख सकते हैं.

जब मौनसून की बात आती है तो ऐसे मे ब्यूटी और स्किन केयर के लिए बेहतरीन प्रोडक्ट बहुत जरूरी है. आवश्यक है जो हमें इस मौसम में आने वाली कठिनाइयों, जैसे नमी, बारिश और संभावित स्किन प्रॉब्लम से निपटने में मदद करें. आज हम आपको इस लेख में बताएंगे 10 ब्यूटी प्रोडक्ट (10 Beauty Product) हैं जिन्हें आपको अपनी मानसून किट में शामिल करना चाहिए:

  1. स्पार्कलिंग फेस वॉश 

मौनसून के मौसम में चमकदार फेस वॉश का उपयोग करने से आपकी त्वचा को ताजगी और  सफाई मिल सकती है. स्पार्कलिंग फेस वॉश के इस्तेमाल से नमी की वजह से स्किन में जमा होने वाली अशुद्धियों, अतिरिक्त तेल और पसीने को हटाने में सहायता करती है. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी प्रकार की त्वचा को स्पार्कलिंग  फेस वॉश से लाभ नहीं होगा, खासकर यदि आपकी त्वचा संवेदनशील (Senstive) या ड्राई  (Dry) है, तो एक सौम्य क्लींजर चुनें जो आपकी त्वचा के प्रकार के लिए उपयुक्त हो.

2. क्लींजर का इस्तेमाल करें

फेस की गंदगी, पसीना और अतिरिक्त तेल हटाने के लिए एक सौम क्लींजर उपयोग करें. एक्सपर्ट के मुताबिक हमेशा, ऐसे क्लींजर की तलाश करें जो आपकी त्वचा के लिए कोमल हो और कठोर तत्वों से मुक्त हो.

3. वाटरप्रूफ मस्कारा

बारिश या उमस के कारण दाग-धब्बे से बचने के लिए वॉटरप्रूफ मस्कारा का इस्तेमाल करें. यहां तक ​​कि अगर आप अपने आप को भारी बारिश में भी पाते हैं, तो भी आपकी पलके घनी बनी रहेंगी.

4. हाइड्रेटिंग लिप बाम

एक हाइड्रेटिंग लिप बाम आपके होठों को नमीयुक्त रखेगा. चूंकि मौनसून का मौसम शुष्क हो सकता है, इसलिए होंठों की उचित देखभाल करना महत्वपूर्ण है. ऐसे लिप बाम की तलाश करें जिसमें शिया बटर या नारियल तेल जैसे पौष्टिक तत्व हों.

5. वाटर बेस्ड मॉइस्चराइज़र

मौनसून के मौसम में, जब नमी का स्तर अधिक होता है, वाटर बेस्ड मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है. वाटर बेस्ड मॉइस्चराइज़र की बनावट हल्की होती है और यह त्वचा को ऑयली या भारीपन छोड़े बिना हाइड्रेट करता है.

6. लूज कॉम्पैक्ट पाउडर

बरसात के मौसम में क्रीम-आधारित उत्पाद के बजाय लूज़ कॉम्पैक्ट पाउडर लगाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, खासकर यदि आप चमक को नियंत्रित करना चाहते हैं और साथ ही मैट फ़िनिश भी बनाए रखना चाहते हैं. तो लूज़ पाउडर तेल को सोखने और मेकअप को लंबे समय तक बनाए रखने की क्षमता के लिए जाना जाता है.

7. पेन आई लाइनर

मौनसून के मौसम के दौरान, लिक्विड आईलाइनर के बजाय पेन लाइनर का उपयोग करना एक बेस्ट विकल्प है क्योंकि उनके पास अधिक स्मज-प्रूफ और लंबे समय तक चलने वाला फॉर्मूला होता है. इसमें बोल्ड और लंबे समय तक टिकने वाले गुण होते है और ये बढ़िया ग्रिप देता है.

8. लाइटवेट मॉइस्चराइज़र

मौनसून के मौसम में भले ही उमस हो, फिर भी आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने की ज़रूरत होती है. एक नॉन-ऑयली, हल्का मॉइस्चराइज़र चुनें जो त्वचा पर भारीपन महसूस किए बिना पर्याप्त हाइड्रेशन प्रदान करता हो.

9. ऑयल फ्री सनस्क्रीन

मौसम चाहे जो भी हो, धूप से बचाव जरूरी है. अपनी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के लिए, ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एसपीएफ़ वाले नॉन-ऑयली सनस्क्रीन का उपयोग करें.

10. अपनी त्वचा को विटामिन सी प्रदान करें

एक्सफ़ोलीएटिंग चमकदार त्वचा पाने का एक शानदार तरीका है, आप हर दिन अपना चेहरा साफ़ नहीं कर सकते. इसलिए अपने फेस को चमक प्रदान करने के लिए,  सुबह और रात की त्वचा देखभाल  में विटामिन सी सीरम जोड़ें.  चेहरे पर विटामिन सी सीरम का उपयोग करने से आपका चेहरा चमकदार दिखेगा.

Monsoon Special: बारिश के लिए करें अपने आशियाने को तैयार

मानसून में घर की, खासकर लकड़ी के फर्नीचर और दरवाजे-खिड़कियों की देखभाल बहुत जरूरी होती है, वरना मानसून के बाद उनका आकार और रंग, दोनों खराब हो सकता है. अगर आप अपना घर बारिश के लिए तैयार नहीं रखती हैं तो यह मौसम भारी मुसीबत का कारण बन सकता है. बारिश का मतलब है नमी, बदबू मारते कपड़े, अलमारियों में फंगल इंफेक्शन और भी बहुत कुछ. इसलिए इस खूबसूरत मौसम का मजा आप ले सकें, इसके लिए आपको थोड़ी-सी तैयारी करनी होगी.

1. मानसून में हो फर्नीचर की देखभाल

मौसम की नमी लकड़ी की गुणवत्ता और आकार पर बहुत बुरा असर डालती है. इसमें फंगस जमा हो सकती है. इस मौसम में हल्के गीले कपड़े की बजाय साफ-नरम और सूखे कपड़े से फर्नीचर साफ करें. लेमिनेटेड फर्नीचर जैसे स्टडी डेस्क, अलमारी, शटर या डोर को साफ करने के लिए साबुन और पानी का इस्तेमाल करें. इस बात का खास खयाल रखें कि अलमारी में रखने से पहले कपड़े पूरी तरह से सूख चुके हों. अलमारी में थोड़ी-बहुत सूखी नीम की पत्तियां भी डाल दें.

2. कारपेट्स और रग्स का रखें ख्याल

मानसून कारपेट्स और रग्स पर बहुत ही बुरा असर डालता है. बारिश में खिड़कियां खुली न रखें, उनसे नमी अंदर आकर कारपेट्स में जमा हो जाएगी. नम कारपेट्स फंगस का बहुत बड़ा कारण होते हैं. इसी तरह से कारपेट पर गीले फुटवियर ले जाने से भी बचें. बेहतर होगा कि पंखा चलाए रखें. कारपेट्स को नियमित रूप से वैक्यूम क्लीन करती रहें. वैसे अच्छा यही होगा कि इस मौसम में भारी कारपेट्स उठा कर रख दें. आप ईकोफ्रेंडली कारपेट्स भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इनकी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती.

3. सीलन को रोकें

बारिश के दिनों में अक्सर दीवारों और छतों पर सीड़न आ जाती है. अगर दीवार या छत पर हल्की सी भी दरार है, खिड़कियां सही नहीं हैं तो घर की दीवारें बुरी तरह से प्रभावित होती हैं. इससे पेंट भी पपड़ी के रूप में उतर सकता है. इन दिनों जो पेंट्स लगाए जाते हैं, वे भी नमी को आसानी से पकड़ लेते हैं और फिर पपड़ी के रूप में उतर जाते हैं. आरसीसी की छत में भी पानी घुस सकता है. इसलिए बारिश आने से पहले ही पूरे घर की दीवारों को चेक करें और सारे पाइपों और नालियों की सफाई करवा लें.

4. सोफे की सफाई

बारिश के मौसम में सोफों को वैक्यूम क्लीन करना न भूलें. वैक्यूमिंग करते समय क्लीनर को गर्म हवा वाले मोड पर रखें. सोफे के कोनों में नेफ्थलीन की गोलियां डाल दें.

ये भी करें

रसोई के सारे केबिनेट्स को खाली करके अच्छी तरह साफ करें. खाना खुला न छोड़ें. फ्रिज को भी अच्छी तरह साफ करके देख लें, जो खाद्य सामग्री पुरानी हो गई है, उसे फेंक दें. पेड़-पौधों की कटाई करें. बारिश में पेड़-पौधे जल्दी बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें ट्रिम कर दें.

बारिश के मौसम में दीमक बहुत तेजी से बढ़ती है. इसलिए पूरे घर के खिड़की-दरवाजे चेक करें कि कहीं कोई दीमक तो नहीं लगी हुई. इस मौसम में घर में कोई तोड़-फोड़ या रिनोवेशन न करवाएं.

बारिश से पहले गद्दों को निकालकर धूप दिखा दें. इससे बारिश में कोई कीड़े बिस्तरों में नहीं लगेंगे.

नमी को पूरी तरह से नियंत्रित करने की कोशिश करें. इलेक्ट्रिकल गैजेट्स को लेकर विशेष सावधानी बरतें. उन्हें सिलिकॉन पाउच में रखें.

Monsoon Special: बारिश में पैरों की देखभाल है जरूरी

मानसून का मौसम आ गया और ये पानी वाले मौसम के आते ही आप में से कई महिलाएं इस बात को लेकर जरूर चिंतित होंगी कि पैरों को कैसे खूबसूरत बनाए रखा जाए, क्योंकि इस मौसम में बारिश के कारण पैरो में कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इसलिए पैरों की देखभाल इस मौसम में अधिक करनी पड़ती है.

आइये जानते है कि कैसे मानसून सीजन में पैरों को सुन्दर बनाएं रखा जा सकता है…

1. तलवों के दर्दरहित, चिकने और खूबसूरत होने से आपके सुंदर भी दिखते हैं और आपको आराम भी देते हैं. और इस वजह से आपके चेहरे की त्वचा पर भी स्वाभाविक आभा छलकती है. पैरों की देखभाल करने से शरीर भी स्वस्थ बना रहता है.

2. बहुत सी महिलाएं खासतौर पर घरेलू महिलाएं, अपने पैरों के तलवों को नजरअंदाज कर देती हैं. वे पूरा दिन घर पर नंगे पांव चलती रहती हैं तो उनके तलवे गंदे और फटे हुए ही रहेंगे. यदि पैरों के तलवे गंदे या कटे फटे होगें तो चेहरे की सुंदरता की चमक भी फीकी पड़ जाती है.

3. जब तलवे की नियमित रूप से सफाई व मालिश नहीं की जाती तो शरीर की त्वचा को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन और खून भी नहीं मिलता, जिससे आपके चेहरे पर लालिमा कम हो जाती है. यहां हम आपको बता देना चाहते हैं कि तलवों की सफाई से रक्त संचार बढ़ता है और ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में मिलती है, जिससे रंगत लालिमा युक्त होती है और आपकी मोहकता में वृद्धि करती है.

4. आप कोशिश करें की कम से कम नहाते समय तो तलवो को अच्छे से साफ करें. आप तलवों को किसी ब्रश या प्यूमिक स्टोन से भी साफ़ कर सकती हैं. नहाने के बाद तलवों की नारियल तेल या सरसों के तेल से मालिश करना न भूले, इससे आपके शरीर में रक्त संचार अच्छे से हो जाता है.

5. यहां हम कह सकते कि यदि आप अपने तलवों की अच्छे से देखभाल करती हैं, तो उनमे कोई समस्या नहीं आयेगी और साथ ही आपका पूरा शरीर भी स्वस्थ बना रहेगा.

Monsoon Special: हेयर मास्क, जो डैंड्रफ के इलाज में है कारगर

हर कोई अपने बालों का खास ख्याल रखता है. इसके लिए कई सारे उपाय भी अपनाते हैं लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में हम अपने बालों को और नुकसान पहुंचा लेते हैं जिससे डैंड्रफ जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं. इससे आपके बाल सूखे और बेजान दिखने लगते हैं. बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट है जो डैंड्रफ को कम करने का वादा करते हैं लेकिन अक्सर कैमिकल आपके बालों के लिए हानिकारक होते हैं इसीलिए हम यहां आप को प्राकृतिक और हर्बल सामग्री वाले हेयर मास्क अपनाने की सलाह देते हैं जो बालों की समस्या से निपटने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं. हेयर मास्क आपके बालों को पोषण और कंडीशनिंग देते हुए डैंड्रफ को खत्म करने में मदद कर सकते हैं. इनसे आपकी स्कैल्प में खुजली, डैंड्रफ जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है तो आइए जानते हैं इन हेयर मास्क के बारे में-

दही, शहद और नींबू का मास्क- नींबू के रस में साइट्रिक एसिड आपके बालों के पीएच को बैलेंस करने में मदद कर सकता है.  दही बालों के डैमेज में सुधार और कंडीशनिंग में मदद कर सकती है। शहद से डैंड्रफ जैसी समस्याओं में सुधार हो सकता है.

सामग्री-

  1. 1/2 कप दही
  2. 1 बड़ा चम्मच नींबू का रस
  3. 1 बड़ा चम्मच शहद

सभी सामग्रियों को एक कटोरे में मिलाकर पतला मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को अपने बालों की जड़ों से शुरू कर सिरे तक लगाएं. इसे 30 मिनट तक लगा रहने दें और बाद में हल्के सल्फेट फ्री शैंपू से बालों को धो लें. इसे आप अपने बालों में हफ्ते में एक से दो बार लगा सकते हैं.

केला, शहद, नींबू और जैतून का तेल- केला आपके बालों को मुलायम बनाने और डैंड्रफ को बैलेंस करने में मदद कर सकता है. जैतून का तेल आपके बालों को मुलायम और मजबूत बनाने में और नींबू के रस से आपके बालों का पीएच बैलेंस करने में मदद मिल सकती है. शहद डैंड्रफ को कम करने में मदद कर सकता है.

सामग्री

  1.  2 पके केले
  2.  1 बड़ा चम्मच शहद
  3.  1 बड़ा चम्मच जैतून का तेल
  4.  1 बड़ा चम्मच नींबू का रस

सबसे पहले बाउल में केले को अच्छी तरह मैश कर लें. अब इन केलों में जैतून का तेल, शहद और नींबू का रस मिलाएं और पेस्ट तैयार कर लें. इस हेयर मास्क को अपने स्कैल्प और बालों पर 30 मिनट के लिए लगाएं। इसके बाद बालों को सल्फेट फ्री शैंपू से धो लें.

अंडे और दही का हेयर मास्क- अंडा और दही आपकी स्कैल्प को पोषण और नमी देते हैं. इससे डैंड्रफ जैसी समस्या में राहत मिलती है.

सामग्री-

  1.  1 अंडा
  2.  2 बड़े चम्मच जैतून का तेल
  3.  1 कप दही
  4.  1 बड़ा चम्मच नींबू का रस

सबसे पहले एक बाउल में इन सामग्री को अच्छे से फेंटें. अब इस हेयर मास्क को अपने बालों पर अच्छी तरह लगाएं और 20 मिनट तक रहने दे। अब बालों को हल्के शैंपू से धो ले.

यह ध्यान रखें कि अपने बालों को धोने के लिए ठंडे पानी का उपयोग करें क्योंकि गर्म पानी अंडे को पका सकता है.

नारियल का तेल-  नारियल का तेल एटोपिक डर्मेटाइटिस से राहत दिलाने में मदद करता है.  इसलिए यह डैंड्रफ से छुटकारा दिलाने में भी मदद कर सकता है.

सामग्री

3 बड़े चम्मच नारियल तेल सबसे पहले नारियल के तेल को हल्का गर्म करें. इसके बाद गरम नारियल तेल की मालिश करना शुरू करें. लगभग 10-15 मिनट तक अपने स्कैल्प और बालों की अच्छे से मालिश करें. इसे 30 मिनट तक बालों पर रखा रहने दें और इसके बाद हल्के सल्फेट फ्री शैंपू से बालों को धो लें.

Monsoon special: स्किन के लिए नेचुरल सन स्क्रीन

सन स्क्रीन का प्रयोग करना हमारी स्किन के लिए कितना जरूरी होता है यह तो बताने की जरुरत नहीं है. सूर्य की यूवी किरणें हमारी स्किन को समय से पहले बूढ़ा कर सकती हैं और सन बर्न के कारण हमारी स्किन पर बहुत सारे दाग धब्बे और पिग्मेंटेशन भी हो सकती है. इस स्थिति से बचने के लिए आपको एसपीएफ 50 से ऊपर के ही किसी सन स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए. अगर आपके पास घर में सन स्क्रीन नहीं है तो आप कुछ प्राकृतिक विकल्पों को भी सन स्क्रीन की तरह प्रयोग कर सकते हैं और उनसे भी आपको सूर्य से सुरक्षा मिलेगी. आइए जानते हैं इन ऑप्शन के बारे में.

1. जिंक ऑक्साइड 

जिंक ऑक्साइड एक ऐसा प्राकृतिक मिनरल होता है जो सूर्य की दोनों प्रकार की यूवी किरणों यूवी ए और यूवी बी से आपकी स्किन की सुरक्षा करता है. ऐसे प्रोडक्ट्स को खरीदें जिनमें नॉन नैनो जिंक ऑक्साइड होता है. इसका मतलब है की इसके तत्व इतने बड़े होंगे की आपकी स्किन द्वारा आसानी से एब्जॉर्ब किए जा सकेंगे.

 2. रेड रास्पबेरी सीड ऑयल

इस ऑयल में प्राकृतिक 25 से 50 एसपीएफ होता है.  इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स होते है जो सूर्य से आपकी स्किन की सुरक्षा करने में मदद करते हैं. हालांकि ट्रेडिशनल सन स्क्रीन के मुकाबले इसमें कम मात्रा में एसपीएफ मौजूद होता है. आप इसे अन्य सन प्रोटेक्शन के तरीकों के साथ मिला कर प्रयोग कर सकते हैं.

3. कैरट सीड ऑयल

इसमें नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं और एसपीएफ 30 भी मौजूद होता है. यह सूर्य से आपकी स्किन को बचा सकता है और इसे अकेले प्रयोग करने की बजाए आप इसे अन्य सन प्रोटेक्शन के तरीकों के साथ अलग से प्रयोग कर सकते हैं.

4. नारियल का तेल 

नारियल के तेल में लगभग 4 से 6 का नेचुरल एसपीएफ होता है जो आपकी सूर्य से कुछ हद तक रक्षा कर सकता है. इस को आप पूरी तरह से एक सन स्क्रीन के जैसे प्रयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि इससे आपको पूरा लाभ नहीं मिलेगा बल्कि आप इसे एक मॉश्चराइजर के रूप में सन स्क्रीन लगाने से पहले प्रयोग कर सकते हैं.

 क्या यह सारे सन स्क्रीन स्किन को सूर्य से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं?

यह सारे सन स्क्रीन केमिकल से भरपूर सन स्क्रीन का एक प्राकृतिक विकल्प हैं. इनमें सन स्क्रीन के जितनी सूर्य से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता नहीं होती है इसलिए इनका प्रयोग सन स्क्रीन के रूप में केवल इमरजेंसी में ही किया जाना चाहिए जब कभी आपका सन स्क्रीन खत्म हो गया हो और आपको बाहर निकलना हो तो आप इनका प्रयोग कुछ समय के लिए कर सकते हैं.

इनका प्रयोग अकेले करना आपकी स्किन को पूरी तरह से सूर्य से सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाएगा क्योंकि इनमें इतना ज्यादा मात्रा में एसपीएफ मौजूद नहीं होता है इसलिए आपको इनका प्रयोग असली सन स्क्रीन के साथ मिला कर ही करना चाहिए या उसे प्रयोग करने से पहले आप एक मॉश्चराइजर की तरह इन इग्रेडिएंट्स का प्रयोग कर सकते हैं.

अगर आप स्विमिंग या अन्य किसी ऐसी गतिवधि करते समय इस तरह के सन स्क्रीन का प्रयोग करते हैं तो इन्हें बार बार प्रयोग करना अनिवार्य है क्योंकि इनका असर बहुत जल्दी ही खत्म हो जाता है.

अगर आप ऐसे प्राकृतिक सन स्क्रीन का प्रयोग करते हैं तो आपको इन्हें जल्दी जल्दी और बार बार प्रयोग करना होगा. इसके साथ ही आपको इसकी अच्छी खासी मात्रा का प्रयोग करना होगा तभी आपको लाभ मिल सकेगा.

Monsoon special: क्यों जरूरी है Menstrual हाइजीन

13  बरस की मासूम उम्र में मासिकधर्म का शुरू होना बच्चियों के जीवन की अनूठी घटना है. खेलनेकूदने और पढ़ने के बीच महीने के 5 दिन दर्द, तनाव, शर्म और कई बातों से अनभिज्ञता के बीच बिताने वाली बच्चियां अकसर मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता का पूरा ध्यान नहीं रख पाती हैं, जिस के कारण वे अनेक बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.

यद्यपि मासिकधर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन अभी भी भारतीय समाज में मासिकधर्म को अपवित्र या गंदा माना जाता है. इसे कई गलत धारणाओं और प्रथाओं से जोड़ दिया गया है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं.

दुनियाभर में लाखों महिलाओं और लड़कियों को पीरियड्स होने के कारण स्टिग्मा झेलना पड़ता है. मासिकधर्म के दौरान महिलाओं पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं. उन के साथ भेदभाव किया जाता है. उन्हें गंदे वातावरण और स्वच्छता का पालन नहीं करने के लिए मजबूर किया जाता है. कुछ घरों में उन के किचन में आने या खाना बनाने अथवा खाने को छूने पर रोक होती है. यह भ्रांति फैली हुई है कि पीरियड्स के दौरान अगर महिला अचारचटनी को हाथ लगा दे तो वह सड़ जाता है. पीरियड्स के दौरान लड़कियों को नहाने से रोका जाता है. महिला शादीशुदा है तो कई घरों में वह पति के साथ एक बिस्तर पर नहीं सो सकती. नीचे चटाई आदि बिछा कर सोती है.

सुरक्षा से खिलवाड़

गांवदेहातों में कई जगह आज भी पीरियड्स आने पर महिला को 5 दिन घर के बाहर छोटी सी कुटिया में रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जहां वह मासिकस्राव को सोखने के लिए पुराने कपड़े और सूखी घास के पैड बना कर इस्तेमाल करती है. 5 दिन वह किसी से मिल नहीं सकती है. जमीन पर सोती है. स्वयं अपना खाना बनाती है. उसे स्नान करने की मनाही होती है.

सोचिए यदि वह बीमार हो, उसे बुखार आ रहा हो, तो अकेले उस कुटिया में 5 दिन बिताना क्या उस की जान से खेलना नहीं होगा? उसे कुटिया में अकेला पा कर कोई भी उस की अस्मत से खेल सकता है. जमीन पर सोने की स्थिति में कोई जहरीला कीड़ा, सांप आदि उसे काट सकता है. यह उस की सुरक्षा से खुला खिलवाड़ है.

पिछड़े इलाकों में और शहरी इलाकों में भी गरीब तबके में लड़कियां मासिकधर्म आने पर फटेपुराने, गंदे कपड़े आदि ही पैड के तौर पर इस्तेमाल करती हैं. उन्हीं को धोती, सुखाती और फिर इस्तेमाल करती हैं. यह गंभीर बीमारियों को न्योता देने के सिवा कुछ नहीं.

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

शहरों में और महानगरों तक में अपने घर में काम करने वाली बाई से पूछ लीजिए कि पीरियड्स आने पर किस कंपनी का सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करती हो? जवाब मिलेगा इतना पैसा कहां जो हर महीने पैड खरीदें. हम तो कपड़ा आदि इस्तेमाल करते हैं.

अगर मां समझदार नहीं है, उसे स्वच्छता का ज्ञान नहीं है तो अमीर परिवारों की बेटियां भी पीरियड्स के दौरान गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. ये सभी बातें मैंस्ट्रुअल हाइजीन के हिसाब से स्वास्थ्य केलिए बहुत हानिकारक है. गरमी और बरसात के मौसम में तो स्वच्छता का खयाल रखना और अधिक जरूरी हो जाता है.

ऐसे समय में अगर सफाईस्वच्छता नहीं रखी गई तो जीवाणु, संक्रमण, खुजली, जलन आदि का खतरा अधिक हो सकता है. योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया निश्चित पीएच संतुलन बनाए रखते हैं. मगर गरमी, उमस के कारण होने वाले संक्रमण और हानिकारक बैक्टीरिया के विकास से यह बैलेंस बिगड़ जाता है और महिलाएं गंभीर यूरिनरी इन्फैक्शन का शिकार हो जाती हैं.

भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत

जब मौसम गरम और उमस भरा होता है, तो अधिकांश महिलाओं को मासिकधर्म में बदलाव का अनुभव हो सकता है. पीरियड्स मौसमी बदलाव से संबंधित होते हैं. गरमी के कारण पीरियड्स लंबे समय तक या अधिक बार हो सकते हैं. टीनऐज गर्ल और पेरी मेनोपौज वूमन को अधिक परेशानी हो सकती है क्योंकि इस दौरान हारमोन अस्थिर होते हैं.

मेनोपौज के करीब आ रही महिलाओं को अकसर फाइब्रौयड्स की शिकायत हो जाती है जिस की वजह से बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता है और दर्द भी बरदाश्त से बाहर होता है. ऐसे में उन्हें घर वालों की भावनात्मक सपोर्ट और इलाज की जरूरत होती है. लेकिन मासिकधर्म को अपवित्र दशा मानने वाले घरों में महिलाओं को सारा दर्द अकेले ही सहना पड़ता है.

मैंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए जरूरी टिप्स

  1. हाइड्रेटेड रहें

शरीर से विशैले पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है. ताजे जामुन खाएं और स्वादिष्ठ हर्बल पानी भी जरूर पीएं.

2. सूती अंडरगार्मैंट्स पहनें

गरमी के मौसम में कौटन अंडरगार्मैंट्स खासकर कौटन पैंटी पहनें. कौटन सूती कपड़े में हवा आसानी से आ और जा सकती है. यह स्किन को साफ और सूखा रखने में मदद करता है. इस दौरान आर्टिफिशियल धागों से तैयार कपड़े और अंडरगार्मैंट्स नहीं पहनने चाहिए जिन में अधिक पसीना आए. इस से गुप्तांगों में बैड बैक्टीरिया बढ़ता है. स्किन में खारिशखुजली और जलन हो सकती है.

3. साफ और कौटन तौलिए का इस्तेमाल

कौटन तौलिए का उपयोग करें. कभी भी दूसरे लोगों का इस्तेमाल किया हुआ तौलिया इस्तेमाल न करें. पतले तौलिए का उपयोग करें. इसे साफ करना और सुखाना आसान होता है. अपना यूज किया हुआ तौलिया किसी और के साथ सामन करें. बेहतर स्वच्छता के लिए अपने तौलिए को हर दिन साफ करें.

4. प्राइवेट पार्ट्स की सफाई

नहाते समय अपने प्राइवेट पार्ट्स को रोजाना साफ और ताजे पानी से धोएं. गरम पानी का प्रयोग न करें. किसी भी प्रकार के सुगंधित साबुन का प्रयोग न करें. योनि के पीएच बैलेंस को बनाए रखने के लिए रासायनिक मुक्त, साबुन मुक्त सफाई का चयन करें. जिम, तैराकी या कोई खेल खेलने के बाद हमेशा अपने इंटिमेट रीजन को धो लेना चाहिए. उसे थपथपा कर सुखा भी लेना चाहिए.

5. ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन

पीरियड के दौरान कंफर्टेबल ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करना चाहिए. पीरियड्स हाइजीन के लिए हर 3-4 घंटे पर पैड बदल लेना चाहिए. अच्छी क्वालिटी की पीरियड्स पैंटी का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बैक्टीरिया ग्रो न करे. इंटिमेट एरिया के बालों को भी शेव करें वरना यहां बैक्टीरिया पनप सकते हैं.  इस से यीस्ट इन्फैक्शन और यूटीआई से बचाव हो सकता है.

6. पीरियड्स में स्नान जरूर करें

यह सिर्फ एक भ्रांति है कि पीरियड्स के दौरान नहाना नहीं चाहिए. असल में पीरियड्स के दौरान स्नान करना पूरी तरह से सुरक्षित है. इस से थकान और दर्द के स्तर में बहुत कमी आती है. इस से मूड भी बेहतर होता है. कुनकुने पानी से स्नान पीरियड्स क्रैंप्स को कम करता है. पीरियड्स साइकिल के दौरान किसी भी दिन बालों को धोना भी पूरी तरह से सुरक्षित है.

मानसून में गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चे की सेहत का ध्यान रखें कुछ ऐसे

बारिश के मौसम में वायरल इंफेक्शन या फ्लू जैसी बीमारियों का कहर बढ़ जाता है. इस मौसम में हेल्दी रहने के लिए सभी लोगों को सावधानियां बरतनी पड़ती है. खासकर गर्भवती महिलाओं को मानसून में स्पेशल केयर की जरूरत होती है. अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ अहम बातों का खास ख्याल रखकर मानसून का आनंद उठा सकती हैं.

इस बारें में पुणे की मदरहुड अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी विजय कहती है कि अन्य मौसम की तुलना में मानसून के दौरान संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. इस मौसम में डेंगू और मलेरिया भी तेजी से फैलने लगता है, ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान बीमार पड़ने से गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर भी सीधा असर पड़ सकता है. इसलिए मानसून के दौरान गर्भवती महिलाएं या जिसने बच्चे को जन्म दिया हो, उन्हें खुद की और नवजात की सेहत का ध्यान रखना काफी जरूरी हैं. कुछ विशेष सुझाव निम्न है,

  1. डाइट पर रखे ध्यान
  • इस मौसम में बाकी मौसम की तरह सब्जियां नहीं मिलती, हरी साग-सब्जियां भले ही मिल जाय, लेकिन उसमे कई तरह के कीड़े या उनके अंडे हो सकते है,
  • अगर हरी पत्तेदार सब्जियां खाने का मन है, उन्हें ठीक तरीके से थोड़े गर्म पानी से धो लें,
  • गर्भवती महिलाओं को जंक फूड मानसून में अवॉयड करना चाहिए,
  • प्रेग्नेंसी में फल खाएं, लेकिन इसे अच्छी से धो लें,
  • बारिश में पानी फिल्टर या उबालकर ही पिएं, इसके अलावा घर में निकालकर फ्रेश फ्रूट्स के जूस पिएं, नींबू और नारियल पानी भी पी सकती है.

2. खतरा इन्फेक्शन का

  • मानसून में इंफेक्शन से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान जरूरी होता है, क्योंकि इस समय वातावरण में नमी बढ़ जाती है, ऐसे में जरा भी गंदगी स्किन इंफेक्शन बढ़ा सकती है.
  • थोड़ी सी भी नमी वाले कपडे न पहने,
  • इसके अलावा जिन महिलाओं को ऑपरेशन से बच्चे हुए हैं टांका ताजा है, वे उस स्थान को एकदम सूखा रखें, अन्यथा टांके टूट सकते हैं.
  • पानी में नीम की पत्तियां डालकर भी नहाना भी एक अच्छा विकल्प हैं, इससे जर्म्स पनपने का खतरा कम होता हैं.

3. नवजात का खास ख्याल रखना जरुरी

इसके आगे डॉक्टर शालिनी कहती है कि मानसून में डिलीवरी के बाद नवजात की सेहत का ध्यान रखना भी सबसे अधिक आवश्यक है, क्योंकि जन्म के बाद बच्चा एक अलग माहौल में रहता है और उससे बाहर के मौसम से सामंजस्य बिठाने में समय लगता है. इस मौसम में महिलाएं जब बच्चों को स्तनपान कराती हैं, तो उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि दूध के साथ पसीना बच्चे के मुंह में न चली जाए, क्योंकि मानसून चिपचिपी गर्मी का समय है, पसीना आना स्वाभाविक है. ऐसे में स्टरलाइज किये हुए कॉटन बॉल से निप्पल के चारों ओर साफ़ कर लें. नवजात के लिए भी हर तरह सावधानियां उसे सेहतमंद बनाती है, इसलिए पेरेंट्स को इसका खास ध्यान रखनी चाहिए,

  • मानसून के दौरान इन्फेक्शन वाली बिमारी बढने का खतरा अधिक होने की वजह से नवजात शिशु के बीमार होने की संभावना अधिक होती हैं. इस वजह से माता-पिता के रूप में, बच्चे को मानसून की इन्फेक्शन से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. कुछ सावधानियां निम्न है,
  • बरसात में बच्चे को बिमारी के संक्रमण से बचाने के लिए बीमार व्यक्ति के संपर्क से बच्चे को दूर रखें.
  • बारिश में छाता, रेनकोट और रेनबूट का इस्तेमाल करें.
  • इस मौसम में तापमान बदलता रखता हैं. इसलिए नमी को दूर रखने के लिए बच्चे को आरामदायक सूती कपड़े पहनाएं, लेकिन जब मौसम सर्द हो जाए, तो हमेशा बनियान या जैकेट साथ रखें, ताकि जरुरत के अनुसार उन्हें पहना सकें.
  • हमेशा सुनिश्चित करें कि शिशु के कपड़े पूरी तरह सूखे हों. बारिश में कपड़े नमी जल्दी सोख लेते हैं, जिससे फंगल इन्फेशन होने का खतरा रहता है.
  • इसके अलावा बच्चे को इस मौसम में एक मिनट के लिए भी गीला डायपर न पहनाए.
  • बरसात में, बच्चे अन्य मौसमों की तुलना में अधिक पेशाब करते हैं, जिससे त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं. यहां तक कि हल्का नम डायपर भी त्वचा पर चकत्ते पैदा कर सकता है साथ ही नवजात शिशुओं को ठंड का एहसास करा सकता है. इसलिए याद रखें कि जैसे ही आपको लगे कि शिशु की नैपी गीली या गंदी है, उसे तुरंत बदल दें.
  • बुखार, शारीरिक दर्द, छींक और अन्य लक्षण मानसून से संबंधित बीमारियों की विशेषता हैं और ये वायरल संक्रमण होने का लक्षण हैं. ऐसा होने पर बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें और बीमारी से लड़ने के लिए उचित सावधानी बरतें,
  • मच्छर के काटने से नवजात शिशु को गंभीर परेशानी हो सकती है. बच्चे के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, ताकि वह अच्छी नींद ले सके. शाम होने पर मच्छर से बचाने के लिए बच्चों को पूरे कपडे पहनाएं.
  • नवजात बच्चे को रोजाना नहाने की आवश्यकता नहीं होती हैं, क्योंकि वह ज्यादातर घर के अंदर ही रहते है. मानसून में शिशु को सप्ताह में दो से तीन बार नहलाना जरूरी होता है, अगर बच्चे को बाहर लेकर गए, तो घर पर वापस आने पर उसे गर्म पानी से नहलाना अच्छा होता है.

मानसून में इन 10 टिप्स की मदद से छोटे बच्चों को दें पूरी हाइजीन

भारी गर्मी के बाद बारिश का आनंद लेना सभी को पसंद आता है, लेकिन मानसून में बीमारियों का ख़तरा भी सबसे ज़्यादा होता है, क्योंकि इस समय आसपास जमा हुए पानी में मच्छर तेज़ी से पनपने लगते हैं, जो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को जन्म देते हैं. वहीं दूसरी ओर कपड़ों, दीवारों और हवा में मौजूद नमी के कारण बैक्टीरिया भी बढ़ने लगते है, ऐसे में इस मौसम में हाइजीन और मच्छरों से सुरक्षित रहना बहुत ज़रूरी होता है.

ख़ासकर छोटे बच्चों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उनके बीमार होने की संभावना अधिक होती है. इसलिए आसपास के माहौल को हमेशा साफ़ रखना आवश्यक होता है, ताकि बच्चा मच्छरों से सुरक्षित रहे. हालाँकि ये करना आसान नहीं होता, लेकिन निरंतर प्रयास से थोड़ा कम किया जा सकता है.

इस बारें में माइलो एक्सपर्ट श्वेता गुप्ता कहती है कि मच्छरों को भगाने में कॉइल और स्प्रे जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करना इफेक्टिव हो सकता है, लेकिन इससे बच्चे को हेल्थ संबंधित समस्याएं होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. इसलिए इस मानसून के मौसम में बच्चे का ध्यान रखने के लिए कुछ सुझाव निम्न है,

1. 2 माह से कम उम्र के बच्चे को मच्छरों और कीटों से सुरक्षा देने के लिए सिर्फ़ अच्छे कपड़ों और बेड नेट का ही इस्तेमाल करें.

2. हमेशा बच्चे को उठाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ़ कर लें. हाथों को कुछ समय के अंतराल में धोते रहें.बच्चों की इम्यूनिटी कमज़ोर होती है, जिस वजह सेवे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. साथ ही बच्चे के हाथों को भी साफ़ रखें. असल में बच्चे जिस भी चीज़ को देखते हैं, उसे मुँह में डालने की कोशिश करते है, ऐसे में बच्चों के हाथों की सफाई भी मेडिकेटिड साबुन से करनी चाहिए, क्योंकि उनकी त्वचा बहुत ही नाज़ुक होती है.

3. बच्चे को कॉटन के ऐसे ढीले कपड़े पहनाएं, जो बच्चे के हाथों और पैरों को अच्छे से कवर करते हो, ताकि मच्छर बच्चे की त्वचा तक न पहुंच सके और बच्चे की त्वचा को हवा भी लगती रहें. ध्यान रखें कि बच्चे को कपड़े पहनाने से पहले उसका शरीर पूरी तरह से सूख चुका हो, क्योंकि अक्सर गीली त्वचा पर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और त्वचा पर फंगल इंफेक्शन होने की संभावना होती है.

4. मच्छरों को दूर रखने में मॉस्किटो रेपलेंट बहुत ही इफेक्टिव तरीके़ से काम करता है. इसमें नैचुरल पदार्थ से बने रेपलेंटहोता है और ये आसानी से मच्छरों को दूर भगा सकता है, लेकिन इसका ज़्यादा उपयोग फफोले, मेमोरी लॉस और साँस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है. इसलिए बच्चे की सुरक्षा के लिए डीईईटी-फ्री और लेमनग्रास, सिट्रोनेला, नीलगिरी और लैवेंडर जैसी चीज़ों से बने रेपेलेंट का ही इस्तेमाल करें.

5. मॉस्किटो पैचेस मच्छरों को दूर रखने में इफेक्टिव तरीक़े से काम करता है. आप इसे बच्चे के कपड़ों, क्रिब, बेड और स्ट्रॉलर पर लगा सकते हैं.

6. अपने बच्चे के स्ट्रॉलर, कैरियर या क्रिब को मच्छरदानी से कवर कर दें, ताकि मच्छर आपके बच्चे तक न पहुंच सके. आप घर के अंदर और बाहर जाने पर भी मच्छरदानी का उपयोग कर सकते हैं. ऐसा करने से मच्छर आपके बच्चे की त्वचा तक नहीं पहुंच पाएंगे.

7. घर में साफ़-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें.एसी के पानी की ट्रे, प्लांट गमलों में पानी, आदि किसी जगह पर पानी जमा न होने दें. यहाँ तक कि वॉशरूम में बाल्टी में पानी भर कर न रखें. अगर कहीं से पानी लीक होता हो, तो उसका भी ध्यान रखें. दरअसल, जमे हुए पानी में मच्छर और कीड़ें तेज़ी से पनपते हैं.

8. भले ही आपका घर कितना ही साफ़ क्यों न हो, लेकिन आप अपने बच्चे को किसी भी चीज़ को मुँह में रखने से नहीं रोक सकते. इसलिए यह ज़रूरी है कि आपके बच्चे के संपर्क में आने वाली हर चीज़ साफ़ हो, ख़ासकर खिलौने. आप ठोस खिलौनों को साबुन की मदद से धो सकते हैं. वहीं, सॉफ्ट खिलौनों को वॉशिंग मशीन में धो सकते हैं.

9. बेबी वाइप्स के साथ उन साबुन का भी इस्तेमाल करें, जो आपके बच्चे की नाजु़क त्वचा के अनुकूल हो. न्यू बोर्न बेबी के लिए अल्कोहल-फ्री और पानी पर आधारित वाइप्स का ही उपयोग करें, क्योंकि इस तरह की वाइप्स बच्चे की त्वचा को ख़ासतौर पर पोषण देती है.

10. अगर आपके बच्चे को डेंगू हो जाता है, तो उसके लक्षणों पर नज़र रखें, ताकि उसे सही ट्रीटमेंट दिया जा सके. बुखार,उल्टी, सिरदर्द, मुँह का सूखापन, पेशाब में कमी, रैशेज और ग्रंथि में सूजन आना आदि कुछ आम लक्षण हैं. इन लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए. बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

इस छोटी उम्र में बच्चे अपना ख़्याल ख़ुद नहीं रख सकते हैं. बीमारियों से बचने के लिए उन्हें ख़ास केयर की ज़रूरत होती है. इसलिए इस मानसून में टिप्स को फॉलो कर, अपना और अपने परिवार का बेहतर तरीक़े से ख़्याल रख सकती है.

Monsoon special: किचिन को मानसून फ्रेंडली बनाने के 6 टिप्स

मानसून पूरे देश में अपनी दस्तक दे चुका है. बारिश जब होती है तो पूरी फिज़ा में ठंडक घुल जाती है और मौसम बहुत सुहावना हो जाता है. सुहावने मौसम में चाट पकौड़ी, समोसा कचौड़ी खाने का भी अपना अलग ही मजा होता है परन्तु जिस किचिन में इतने टेस्टी खाद्य पदार्थ बनते हैं उस किचिन की चीजों को  इस मौसम में बारिश की नमी से बचाना काफी चुनौती भरा होता है क्योंकि बारिश की नमी से खाने पीने की अनेकों वस्तुएं नमीयुक्त होकर ख़राब हो जातीं हैं और फिर अक्सर वे खाने योग्य भी नहीं रहतीं परन्तु यदि बारिश आने से पूर्व ही अपनी किचिन को बारिश के लिए तैयार कर लिया जाये तो काफी आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. आज हम आपको ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं जिससे आप किचिन को नमी के प्रभाव से बचा जा सकता है-

  1. दाल चावल

दाल और चावल ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें प्रत्येक घर में लगभग हर रोज बनाया जाता है. बारिश की नमी से ये ख़राब हो जाते हैं और कई बार तो फफूंद तक लग जाती है इसलिए इन्हें नमी से बचाना चाहिए. दालों को एयरटाइट जार में भरकर पारे की एक गोली को सूती कपड़े में बांधकर डाल दें इससे ये काफी लम्बे समय तक खराब नहीं होंगी. पारे की गोलियों को किसी भी केमिस्ट की दुकान से आसानी से खरीदी जा सकतीं हैं.

चावल को किसी बड़ी परात में फैलाएं और 5 किलो चावल में 2 टेबल स्पून बोरिक पाउडर हथेली से अच्छी तरह रगडकर मिला दें. फिर इसे भी एयरटाइट जार में भरकर रख दें. बनाते समय 2-3 बार धोकर प्रयोग करें.

2. शकर, गुड और नमक

बारिश में शकर और गुड में बहुत जल्दी चीटियां हो जातीं हैं इनसे बचने के लिए शकर और गुड के डिब्बे में कुछ लौंग डाल दें लौंग की खुशबू से चीटियां भाग जातीं हैं.

नमक में चीटियां तो नहीं होतीं परन्तु सीलन आ जाती हैं नमी से इसे बचाने के लिए नमक में 1/4 टीस्पून चावल के दाने मिला दें, चावल के दाने नमक की सारी नमी को सोख लेंगें.

3. बिस्किट और नमकीन

बारिश के दिनों में बिस्किट का पैकेट खोलते ही उनमें नमी आ जाती है.इसलिए इन्हें खोलते ही एयरटाइट जार में भर दें साथ ही उतने ही बिस्किट डिब्बे में निकालें जितने एक बार में समाप्त हो जायें. यदि प्लेट में बिस्किट बच ही गये हैं तो उन्हें वापस डिब्बे में रखने के स्थान पर फ्रिज में रखें इससे बिस्किट नरम नहीं पड़ेंगे.

इसी प्रकार नमकीन तथा अन्य सभी स्नैक्स को भी एयरटाईट जार में भरकर रखें और जितना एक बार में समाप्त हो जाये उतना ही निकालें.

4. आटे

आजकल प्रत्येक घर में भांति भांति के आटे होते हैं इन्हें कीड़ों से बचाने के लिए इनमे 2-3 तेजपात के पत्ते डाल दें तेजपात के पत्ते की तेज सुगंध से कीड़े नहीं लगते कीड़ों की उत्पत्ति तभी होती है जब आटे में नमी होती है इसलिए आटे को एयर टाईट डिब्बे में भरकर रखें और यदि डिब्बा एयरटाईट नहीं है तो डिब्बे में प्लास्टिक लगा दें.

5. कॉफ़ी

बारिश के दिनों में कॉफ़ी में यदि जरा भी नमी प्रवेश कर जाती है तो वह पूरी ही जम जाती है इसलिए इन दिनों में कॉफ़ी की शीशी में 8-10 दाने चावल के डाल दें..चावल के दाने कॉफ़ी की पूरी नमी को सोख लेंगें. आप कॉफ़ी की शीशी को फ्रिज में भी रख सकतीं हैं.

6. डस्टर और गूंजे

इन दिनों में किचिन में सूती और जल्दी सूखने वाले कपड़ों का प्रयोग करें. आप चाहें तो घर के पुराने कपड़ों को काटकर भी प्रयोग कर सकतीं हैं. इन्हें साफ करने के लिए सप्ताह में एक बार गर्म पानी में 1 टीस्पून वेनेगर, 1 टीस्पून बेकिंग सोडा और 1 टीस्पून सर्फ डालकर 4-5 घंटे रखकर ब्रश से रगडकर साफ कर लें.

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