सेहत बिगाड़ देगा पैक्ड फ्रूट जूस

आजकल कई घरों में देखा गया है कि नाश्ते के वक्त वहां जूस के तौर पर बाजार वाला पैक्ड जूस ही पीना पसंद किया जाता है. कभीकभार मुंह का स्वाद बदलने के लिए इसे पीना बुरा नहीं है, लेकिन इन्हें प्राकृतिक फलों की जगह देना बिलकुल भी सही नहीं है. पैक्ड उत्पादों में 100 फीसदी फलों का जूस नहीं होता. इस के अलावा पैक्ड जूस में जरूरी पौष्टिक गुण गायब होते हैं. आइए, जानते हैं इन के बारे में :

नहीं होता फाइबर

पैक्ड जूस बनाते वक्त बहुत से फलों के जूस को उबाला जाता है, ताकि उन में पाए जाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो सकें. इसी के साथ इस में जरूरी विटामिन और प्राकृतिक तत्त्व भी खत्म हो जाते हैं. पैक्ड जूस में फाइबर या गूदा नहीं होता, क्योंकि उसे निकाल दिया जाता है.

मोटापा बढ़ता है

पैक्ड फ्रूट जूस में चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है जोकि कैलोरी ज्यादा बनाती है. ऐसे में वजन कम करने की सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि प्राकृतिक फल और सब्जियों की तुलना में पैक्ड जूस को लेने से ज्यादा वजन बढ़ता है.

आर्टिफीशियल कलर

प्राकृतिक फलों में आर्टिफिशियल कलर नहीं मिला होता, लेकिन पैक्ड फू्रट जूस में आर्टिफिशियल कलर का प्रयोग किया जाता है. जिस से वह देखने में फल के रंग के जूस का लगे. यह बाजारू रंग शरीर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है क्योंकि जब आप इन का सेवन करेंगे तो आप की जीभ पर भी  रंग दिखेगा.

पेट संबंधी समस्याएं

कुछ फलों में सौर्बिटौल जैसी शुगर मौजूद होती है, जो आसानी से पचती नहीं है. ऐसे में पैक्ड जूस के कारण पेट संबंधी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं. नाशपाती, स्वीट चेरी और सेब सरीखे कुछ फलों में ऐसी ही शुगर मौजूद होती है. ऐसे में इन फलों के पैक्ड जूस पीने से गैस, पेट में उथलपुथल और डायरिया की समस्या भी देखने में आती है. ऐसे जूस को पचाने में बच्चों को ज्यादा समस्या आती है.

डायबिटीज में नुकसानदेह

डायबिटीज के मरीजों को पैक्ड जूस बिलकुल भी नहीं पीना चाहिए. दरअसल, यह जूस रिफाइंड शुगर से बना होता है, जो डायबिटिक लोगों के लिए ठीक नहीं है. यदि इन के लैबल पर शुगरफ्री लिखा भी हो, तब भी इन के सेवन से बचना चाहिए. मीठे फल, गाजर या चुकंदर जैसे हाईशुगर वैजिटेबल्स जूस के रूप में ब्लडशुगर के स्तर को बढ़ा देते हैं.

अनियमित ब्लडशुगर

पैक्ड जूस में फलों के छिलके का सत्त नहीं होता, इसलिए शरीर को प्राकृतिक फाइबर नहीं मिल पाता. साबुत फल और सब्जियों को पचाने में शरीर में जितना समय मिलता है, उस से कहीं कम समय में शरीर जूस को जज्ब कर लेता है. इस की वजह से ब्लडशुगर का स्तर भी तुरंत बढ़ जाता है.

मेनोपौज का रिस्क कम करता है टमाटर, ऐसे करें प्रयोग

मेनोपौज आज अधिकतर महिलाओं के लिए एक बड़ी परेशानी बनी हुई है. एक उम्र में आ कर देखा जाता है कि एक बड़ी संख्या में महिलाओं को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक हाल की स्टडी में ये बात सामने आई है कि टमाटर का प्रयोग मेनोपौज के लक्षणों को कम करने में काफी मदद करता है.

शोध में पाया गया है कि आठ हफ्तों तक दिन में दो बार 200 मिलिलीटर टमाटर का जूस मेनोपौज के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार होता है. इसके अलावा स्ट्रेस और कौलेस्ट्रौल की परेशानी में भी ये बेहद लाभकारी है.

टोक्यो मंडिकल यूनिवर्सिटी में 93 महिलाओं पर इस शोध को किया गया. इसमें महिलाओं के हृदय की गति जैसी कुछ चीजों की जांच की गई. नतीजों में ये बात सामने आई कि स्ट्रेस, उलझन, हौट फ्लैश जैसी परेशानियां काफी कम हुई हैं. इसके अलावा आराम करने के दौरान महिलाओं की अधिक कैलोरी बर्न होती है.

एक अन्य शोध में ये बात सामने आई कि मेनोपौज के बाद महिलाओं के लिए टमाटर का अधिक सेवन ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को भी कम करता है. टमाटर में विटामिन सी, लाइकोपीन, विटामिन और पोटैशियम जैसे जरूरी तत्व पाए जाते हैं. टमाटर में कौलेस्ट्रोल घटाने की क्षमता होती है. वजन घटाने में भी टमाटर का अहम योगदान होता है.

प्रेग्नेंसी के बाद कम करना है वजन तो अपनाएं ये आसान तरीके

प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाना एक बड़ी चुनौती होती है. आमतौर पर प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी वो अपना वजन कम नहीं कर पाती. इस खबर में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप प्रेग्नेंसी के बाद भी अपना वजन कम कर सकेंगी.

 खूब पीएं पानी

पानी पीना वजन कम करने का सबसे आसान तरीका है. अगर आप सच में अपना वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से रोजाना 10 से 12 ग्लास पानी पीना शुरू कर दें.

टहला करें

प्रेग्नेंसी के बाद वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वौक शुरू करें. कई रिपोर्टों में भी ये बाते सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाने के लिए जरूरी है टहलना.

खाना और नींद रखें अच्छी

आपको बता दें कि तनाव और नींद पूरी ना होने से कई तरह के रोग हो जाते हैं. इसके अलावा आप बाहर का खाना बंद कर दें. घर का बना खाना खाएं और पर्याप्त नींद लें. स्ट्रेस ना लें. खुद को कूल रखें.

बच्चे को कराएं ब्रेस्टफीड

आपको ये जान कर हैरानी होगी पर ये सच है कि ब्रेस्टफीड कराने से महिलाओं के वजन में तेजी से गिरावट आती है. और इस बात का खुसाला कई शोधों में भी हो चुका है. ब्रेस्टफीड कराने से शरीर की 300 से 500 कैलोरी खर्च होती है. कई जानकारों का मानना है कि स्तमपान कराने से महिलाओं का अतिरिक्त वजन कम होता है.

60 सेकेंड के इस एक्सरसाइज से कम करिए पेट की चर्बी

पेट पर आई चर्बी को कम करना बेहद मुश्किल काम होता है. ज्यादातर लोगों के पेट से ही मोटापे की शुरुआत होती है. पर लाख कोशिशों के बाद भी ये चर्बी कम नहीं होती. इस खबर में हम आपको एक ऐसी एक्सर्साइज बताएंगे जिससे आप आसानी से पेट की चर्बी कम कर सकेंगी. इसका नाम है प्लैंक.

कैलोरी बर्न करने के लिए एक कामगर एक्सरसाइज है प्लैंक. आपको बता दें कि इसे करने में शरीर की बहुत सी मांसपेशियां एक साथ एक्टिव हो जाती हैं, इसका असर पुरे शरीर पर होता है. देखने में बेहद आसान सा दिखने वाला ये एक्सरसाइज करने में काफी मुश्किल होता है. इसे करने के लिए सबसे अधिक जरूरी होता है कि आप संतुलन ना छोड़ें. जितना ज्यादा समय आप खुद को प्लैंक के पोजिशन में रख सकेंगी आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप 60 सेकेंड तक प्लैंक 3 बार करते हैं तो इससे बेली फैट कम करने में मदद मिलती है.

एक्सपर्ट्स की माने तो 60 सेकेंड तक प्लैंक होल्ड करना सेहत के लिए काफी असरदार होता है. शुरुआत में आपके लिए 60 सेकेंड तक प्लैंक करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास के साथ आप इस एक्सरसाइज को कर सकेंगे.

प्लैंक को करते वक्त ये ध्यान दें कि आपकी पोजिशन सही रहे. आपका शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए. अगर आपके पोजिशन में अंतर है तो इसका असर नहीं होगा.

डाइबिटीज को हराना चाहती हैं तो आज ही अपनाएं ये डाइट

आज लोगों के बीच तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है डायबिटीज. समय के साथ इसका रूप भयावह होता जा रहा है, ये एक जानलेवा बीमारी के तौर पर सामने आई है. ये बीमारी शरीर में इंसुलिन का अच्छे से प्रोड्कशन ना होने के कारण होती है. जानकारों की माने तो अगर डायबिटीज को नियंत्रण में न रखा जाए तो इससे किडनी और दिल की बीमारी होने के साथ व्यक्ति का वजन भी बढ़ने लगता है.

इस खबर में हम आपको कुछ घरेरू चीजों के बारे में बताएंगे जिसके नियमित प्रयोग से आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं.

तांबे के बर्तन में पिएं पानी

जानकारों की माने तो डाइबिटिक मरीजों को तांबे के बर्तन में पानी पीना पेट के लिए काफी असरदार होता है. इसके लिए तांबे के बर्तन में पानी भरकर रातभर रख दें, सुबह उठकर उस पानी को पीलें. इससे तांबे के एंटीऔक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण पानी में आ जाते हैं, जो डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं.

मेथी का दाना

कई स्टडीज में ये बात स्पष्ट हुई है कि डाइबिटीज को कंट्रोल करने में मेथी का दाना काफी लाभकारी है. इस पर हुए शोधों के मुताबिक , रोजाना गर्म पानी में भीगी हुई 10 ग्राम मेथी दाने का सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल में रहती है. मेथी दाने में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे ही ब्लडस्ट्रीम में शुगर को रिलीज करता है.

डाइबिटीज मरीजों को केवल मीठी चीजों को छोड़ना ही काफी नहीं होता, बल्कि उन्हें अपनी डाइट में बहुत सी चीजें जोड़नी होती हैं. इस रोग के मरीजों को करेला, आंवला और एलोवेरा जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट से जोड़ना चाहिए. डाइबिटीज में ये तत्व काफी असरदार होते हैं. आंवला में मौजूद फाइबर डायबिटीज के मरीजों को बहुत फायदा पहुंचाता है.

ज्यादा प्रदूषण के कारण बढ़ रही है बच्चों में मोटापे की परेशानी

हाल ही में हुई एक शोध की माने तो अधिक वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले बच्चे दूसरे बच्चों की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं. कारण है कि वो अधिक जंक फूड खाते हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चे अधिक जंक फूड का सेवन करते हैं. वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चों में हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन 34 फीसदी तक बढ़ जाता है. स्टडी में ये भी पाया गया कि ऐसे वातावरण में बच्चे घर का खाना खाने से ज्यादा बाहर का खाना पसंद करते हैं.

हालांकि बच्चों की आदत में इस बदलाव के पीछे के कारण का ठीक ठीक पता नहीं लगाया जा सका है. पर जानकारों की माने तो इसका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है. जानकारों का मानना है कि प्रदूषण से शरीर को खाने से मिलने वाली एनर्जी और ब्लड शुगर पर प्रभाव पड़ता है और भूख भी कम लगती है.

शोधकर्ताओं की माने को वायु प्रदूषण के स्तर में कमी कर के मोटापे के इस परेशानी को कम किया जा सकता है. अमेरिका में हुए इस शोध में करीब 3100 बच्चों को शामिल किया गया था. इन सभी बच्चों में वायु प्रदूषण से उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम पर होने वाले प्रभाव की जांच की गई.

स्टडी में शामिल बच्चों से उनकी खान पान की आदतों के बारे में जानकारी ली गई. वो कब और क्या खाते हैं इस आधार पर इस स्टडी के निष्कर्ष पर पहुंचा गया है. आपको बता दें कि इस शोध में स्टडी में शामिल सभी लोगों के घर के आसपास में मौजूद बिजली संयंत्रों में और गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण की मात्रा की जांच की गई थी.

इस जांच में पाया गया कि प्रदूषण के  अधिक स्तर वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों ने हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं. स्टडी के नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले बच्चे 34 फीसदी ज्यादा ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं.

पिएं ये तीन जूस, तेजी से कम होगा आपका वजन

जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन गई है वजन का बढ़ना लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. वजन कम करने के लिए लोग वर्क आउट, एक्सरसाइज, जिम, डाइटिंग जैसी ना जाने कौन कौन सी चीजें करते हैं. पर उससे उन्हें मनमुताबिक फायदा नहीं होता. वजन कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि आप किसी भी खाद्य पदार्थ से परहेज ना करें. इस खबर में हम आपको कुछ जूसों के बारे में बताएंगे जिसे अपनी डाइट में शामिल कर आप अपने वजन को कम कर सकती हैं.

गाजर का जूस

गाजर में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर के पाचन में काफी वक्त लगता है और इसे खाने से ज्यादा भूख भी नहीं लगती. अगर आप जल्दी अपना वजन कम करना चाहती हैं तो आज ही अपनी टेली डाइट में गाजर को शामिल करें. 100 ग्राम गाजर में करीब 41 कैलोरी और 3 ग्राम फाइबर होता है. गाजर और चुकंदर के जूस में आंवला का रस भी मिला सकते हैं.

टमाटर का जूस

वजन कम करने के में टमाटर काफी लाभकारी होता है. आपको बता दें कि टमाटर में बहुत कम कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है. 100 ग्राम टमाटर में करीब 18 कैलोरी और 3.86 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है. अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से टमाटर के जूस का सेवन शुरू कर दें. इसमें पानी की खूब मात्रा होती है. टमाटर के साथ चुकंदर का रस मिलकार भी पी सकते हैं.

सेब का जूस

सेब सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. ये एक लो कौलोरी वाला फल है. आपको बता दें कि 100 ग्राम सेब में 50 कैलोरी होती है. वजन कम करने के लिए इसे अपनी डाइट में शामिल करना एक अच्छा आइडिया है.

इन महिलाओं को होती है डाइबिटीज की परेशानी

पुरुष हो या महिलाएं सबके लिए डाइबिटीज किसी चुनौती से कम नहीं है. इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप शांत रहें, कूल रहें किसी भी तरह की परेशानी में अपना पौजिटिव अप्रोच रखें. आपके स्वभाव में कई तरह की गंभीर बीमारियों का राज झुपा है.

हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं पौजिटिव अप्रोच के साथ अपना जीवन गुजारती हैं, उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बहुत कम होता है. यह दावा मेनोपौज के बाद महिलाओं पर की गई स्टडी में किया गया है.

इस स्टडी में वूमेन हेल्थ इनिशिएटिव के आंकड़ो का इस्तेमाल भी किया गया है. इस शोध में करीब एक लाख तीस हजार महिलाओं को शामिल किया गया था. इन महिलाओं को शुरू में डाइबिटीज की परेशानी नहीं थी. लेकिन बाद में इनमें से कइयों को डाइबिटीज की परेशानी हुई.

स्टडी में सकारात्मक और नकारात्मक स्वभाव की महिलाओं की तुलना की गई. शोध में शामिल एक एक्सपर्ट की माने तो किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व जीवनभर एक समान ही रहता है. यही कारण है कि नेगेटिव स्वभाव वाली महिलाओं को पॉजिटिव स्वभाओं वाली माहिलाओं के मुकाबले डायबिटीज का खतरा अधिक होता है.

उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं के व्यक्तित्व से हमें ये जानने में मदद मिलेगी कि उन्होंने डायबिटीज होने की कितनी संभावना है. स्टडी के नतीजों में यह भी सामने आया कि मेनोपौज के बाद नेगेटिव स्वाभाव और डायबिटीज होने का गहरा संबंध है.

इन चीजों को भूल कर भी ना खाएं खाली पेट

आपके खानपान में ही आपकी सेहत का राज छिपा है. कितने स्वस्थ हैं आप, आप क्या खाते हैं इसपर निर्भर करता है. इसके अलावा आपके खाने का वक्त भी काफी अहम होता है. किस समय पर क्या चीज खाई जा रही है, आपके सेहत को प्रभावित करती है.

कोई भी खाना तभी आपके शरीर को तब लगता है जब सही समय पर उसे खाया जाए. गलत समय पर उसे खाने से आपकी सेहत पर नकारात्मक असर हो सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जिन्हें खाली पेट नहीं खाना चाहिए.

कार्बोहाइड्रेटेड ड्रिंक

कार्बोहाइड्रेटेड ड्रिंक्स सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है. खाली पेट इनका सेवन और भी खतरनाक होता है. सुबह में, खाली पेट इसका सेवन बहुत हानिकारक होता है. इसके प्रयोग से कैंसर और दिल की बीमारी जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं.

कौफी या चाय

बहुत से लोगों की सुबह में चाय या कौफी की आदत होती है. इसका सेहत पर बहुत बुरा असर होता है. खाली पेट कौफी पीने से शरीर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. इसके अलावा कब्ज की परेशानी भी होने लगती है. पाचन क्रिया पर इसका बुरा असर होता है.

पेस्ट्रीड

पेस्ट्री नाश्ते के लिहाज से अच्छा औप्शन है. चूंकि इसमें यीस्ट अधिक होती है, खाली पेट खाने  से आपको परेशानी हो सकती है.

टमाटर

जी हां, अपनी तमाम खूबियों के बाद भी टमाटर को खाली पेट खाना हानिकारक है. इसमें एसिड की मात्रा अधिक होती है. अपने एसिडिक नेचर के कारण इसका खाली पेट सेवन करना हानिकारक हो सकता है. ये पेट पर जरूरत से ज्यादा दवाब डालते हैं और इससे पेट में दर्द हो सकता है. अल्सर से पीड़ित लोगों के लिए ये खतरनाक स्थिति हो सकती है.

खट्टे फलों से रहें दूर

खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, अंगूर को भूल कर भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए. इन फलों में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है. खाली पेट इनके सेवन से पेट की बीमारी का खतरा अधिक रहता है.

 

आधुनिक महिलाओं में बांझपन की बीमारी का कारण और निदान

महिलाओं के जीवन में मां बनना सबसे बड़ा सुख माना जाता है लेकिन आजकल की आधुनिक जीवनशैली और अन्‍य कारणों की वजह से अब महिलाओं में बांझपन यानि इनफर्टिलिटी की समस्‍या बढ़ रही है. अगर आप भी बांझपन का शिकार हैं या इससे बचना चाहती हैं तो आइए जानते हैं औनलाइन हेल्थकेयर कंपनी myUpchar से इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में.

क्‍या होता है बांझपन

बांझपन वह स्थिति है जिसमें महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. अगर कोई महिला प्रयास करने के बाद भी 12 महीने से अधिक समय तक गर्भधारण नहीं कर पाती है तो इसका मतलब है कि वो महिला बांझपन का शिकार है. गौरतलब है कि गर्भधारण न हो पाने का कारण पुरुष बांझपन भी हो सकता है.

कुछ महिलाएं शादी के बाद कभी कंसीव नहीं कर पाती हैं तो कुछ स्त्रियों को एक शिशु को जन्‍म देने के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं. इस तरह बांझपन दो प्रकार का होता है.

क्‍या है बांझपन का कारण

  • फैलोपियन ट्यूब अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक पहुंचाती है, जहां भ्रूण का विकास होता है. पेल्विक में संक्रमण या सर्जरी के कारण फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है जिससे शुक्राणुओं को अंडों तक पहुंचने में दिक्‍कत आती है और इसी वजह से महिलाओं में बांझपन उत्‍पन्‍न होता है.
  • महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने के कारण भी इनफर्टिलिटी हो सकती है. शरीर में सामान्‍य हार्मोनल परिवर्तन ना हो पाने की स्थिति में अंडाशय से अंडे नहीं निकल पाते हैं.
  • गर्भाशय की असामान्य संरचना, पौलिप्स या फाइब्रौएड के कारणबांझपन हो सकता है.
  • तनाव भी महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण है.
  • महिलाओं की ओवरी 40 वर्ष की आयु के बाद काम करना बंद कर देती है. अगर इस उम्र से पहले किसी महिला की ओवरी काम करना बंद कर देती है तो इसकी वजह कोई बीमारी, सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन हो सकती है.
  • पीसीओएस की बीमारी के कारण भी आज अधिकतर महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं. इस बीमारी में फैलोपियन ट्यूब में सिस्‍ट बन जाते हैं जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं.

बांझपन के लक्षण

  • myUpchar की गायनेकोलौजिस्ट डा. अर्चना नरूला के अनुसार लम्बे समय तक गर्भधारण में असमर्थता ही बांझपन का सबसे मुख्‍य लक्षण है.
  • अगर किसी महिला का मासिक धर्म 35 दिन या इससे ज्‍यादा दिन का हो तो ये बांझपन का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा बहुत कम दिनों की माहवारी या 21 दिन से पहले माहवारी का आना अनियमित माहवारी कहलाता है जोकि बांझपन बन सकता है.
  • चेहरे पर अनचाहे बाल आना या सिर के बालों का झड़ना भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह से हो सकता है.

बांझपन से कैसे बचें

बांझपन से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार करना सबसे जरूरी है. यहां कुछ ऐसे सरल सुझाव दिए गए हैं जिन्हें अपनाकर इनफर्टिलिटी से बच सकते हैं.

संतुलित आहार खाएं

  • बांझपन को दूर करने के लिए उचित भोजन करना बहुत जरूरी है. अपने आहार में जस्ता, नाइट्रिक औक्साइड और विटामिन सी और विटामिनई जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें.
  • ताजी फल-सब्जियां खाएं. शतावरी और ब्रोकली से फर्टिलिटी बढ़ती है. इसके अलावा बादाम, खजूर, अंजीर जैसे सूखे-मेवे खाएं.
  • आपको रोज़ कम से कम 5-6 खजूर या किशमिश खानी चाहिए. डेयरी उत्पाद, लहसुन, दालचीनी, इलायची को अपने आहार में शामिल करें.
  • सूरजमुखी के बीज खाएं. चकोतरा और संतरे का ताजा रस पीएं. फुल फैट योगर्ट और आइस्‍क्रमी से भी फर्टिलिटी पावर बढ़ती है.
  • जो महिलाएं अपनी फर्टिलिटी पावर को बढ़ाना चाहती हैं उन्‍हें अपने आहार में टमाटर, दालें, बींस और एवोकैडो को शामिल करना चाहिए.
  • अनार में फोलिक एसिड और विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होता है. फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए महिलाओं को अनार का सेवन जरूर करना चाहिए.
  • विटामिन डी के लिए अंडे खाएं और ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें. कंसीव करने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए रोज़ एक केला खाएं.
  • अश्‍वगंधा शरीर में हार्मोंस के संतुलन को बनाए रखता है और प्रजनन अंगों की समुचित कार्यक्षमता को बढ़ावा देती है. बार-बार गर्भपात होने के कारण शिथिल गर्भाशय को समुचित आकार देकर उसे बनाने में अश्‍वगंधा मदद करता है. महिलाओं को अपने आहार में दालचीनी को भी जरूर शामिल करना चाहिए.

इन खाद्य पदार्थों से रहें दूर

  • धूम्रपान और शराब बांझपन का प्रमुख कारण हैं इसलिए इनसे दूर रहें.
  • तैलीय भोजन और सफेद ब्रैड जैसे परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से बचें.
  • प्रिजर्वेटिव्स फूड, कैफीन और मांस का सेवन कम करें. फ्रेंच फ्राइज, तली हुई और मीठी चीजों का बहुत कम सेवन करें.
  • इसके अलावा कोल्‍ड ड्रिंक आदि भी ना पीएं. कौफी और चाय भी कम पीएं क्‍योंकि इनमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है जिसका फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है.

ये आदतें छोड़ दें

  • मासिक धर्म के दिनों में तैलीय और मसालेदार भोजन ना लें.
  • मारिजुआना या कोकीन का सेवन ना करें.
  • धूम्रपान करने से ओवरी की उम्र और अंडों की आपूर्ति कम हो जाती है. धूम्रपान फैलोपियन ट्यूब और सर्विक्‍स को भी नुकसान पहुंचाता है जिससे एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी या गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए सिगरेट बिलकुल ना पीएं.
  • शराब का सेवन ना करें. गर्भधारण से पूर्व शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में औव्‍यूलेशन विकार हो सकता है इसलिए शराब से दूर रहें.
  • अगर आपका वजन बहुत ज्‍यादा या कम है तो उसे भी संतुलित करें. इनफर्टिलिटी से जूझ रही महिलाओं को अपना वजन संतुलित रखना चाहिए.
  • आधुनिक युग में बांझपन का प्रमुख कारण तनाव है. तनाव से दूर रहकर बांझपन की समस्‍या से बचा जा सकता है. मानसिक शांति पाने के लिए रोज़ सुबह प्राणायाम करें.

बांझपन की जांच

अगर कोई महिला लंबे समय से गर्भधारण नहीं कर पा रही है तो उसे डौक्टर के निर्देश पर निम्‍न जांच करवानी चाहिए:

  • ओव्यूलेशनटेस्ट: इसमें किट से घर पर ही ओव्यूलेशन परीक्षण कर सकती हैं.
  • हार्मोनल टेस्‍ट: ल्‍युटनाइलिंग हार्मोन और प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन की जांच से भी बांझपन का पता लग सकता है. ल्युटनाइज़िंगहार्मोन का स्तर ओव्यूलेशन से पहले बढ़ता है जबकि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन ओव्यूलेशन के बाद उत्पादित हार्मोन होता है. इन दोनों हार्मोंस के टेस्‍ट से ये पता चलता है कि ओव्यूलेशन हो रहा है या नहीं.  इसके अलावा प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर की भी जांच की जाती है.
  • हिस्टेरोसल पिंगोग्राफी: ये एक एक्स-रे परीक्षण है. इससे गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और उनके आस-पास का हिस्‍सा देखा जा सकता है. एक्‍स-रे रिपोर्ट मेंगर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब को लगी कोई चोट या असामान्‍यता को देखा जा सकता है. इसमें अंडे की फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक जाने की रूकावट भी देख सकते हैं.
  • ओवेरियन रिज़र्वटेस्ट: ओव्यूलेशन के लिए उपलब्ध अंडे की गुणवत्ता और मात्रा को जांचने में मदद करता है. जिन महिलाओं में अंडे कम होने का जोखिम होता है, जैसे कि 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, उनके लिए रक्त और इमेजिंग टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • थायरौयड और पिट्यूटरी हार्मोन की जांच: इसके अलावा प्रजनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले ओव्यूलेटरीहार्मोन्स के स्तर के साथ-साथ थायरौयड और पिट्यूटरी हार्मोन  की जांच भी की जाती है.
  • इमेजिंग टेस्ट: इसमें पेल्विक अल्ट्रासाउंड होता है जोकि गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में हुए किसी रोग की जांच करने के लिए किया जा सकता है.

बांझपन का इलाज

चूंकि बांझपन एक जटिल विकार है इसलिए डा. नरूला कहती हैं कि, “इनफर्टिलिटी का इलाज इसके होने के कारण, आयु, यह समस्या कितने समय से है और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है. बांझपन के इलाज में वित्तीय, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति महत्‍व रखती है.”

आइए जानें आपके पास क्या विकल्प हैं इनफर्टिलिटी को दूर करने के लिए:

  • दवाएं: ओव्यूलेशन विकार के कारण गर्भधारण ना हो पाने की स्थिति में दवाओं से इलाज किया जाता है. ये दवाएं प्राकृतिक हार्मोन फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) की तरह काम करती हैं.इन दवाओं से ओव्यूलेशन को ट्रिगर किया जाता है.
  • आधुनिक तकनीक: प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए गए तरीकों में शामिल हैं –
    • इन्ट्रायूट्राइन गर्भाधान (आईयूआई) – आईयूआई के दौरान, लाखों स्वस्थ शुक्राणुओं को गर्भाशय के अंदर ओव्यूलेशन के समय रखा जाता है.
    • आईवीएफ – इस प्रक्रिया में अंडे की कोशिकाओं को महिला के गर्भ से बाहर निकालकर उसे पुरुष के स्‍पर्म के साथ निषेचित किया जाता है. ये पूरी प्रक्रिया इनक्‍यूबेटर के अंदर होती है और इस पूरी प्रक्रिया में लगभग तीन दिन का समय लगता है. भ्रूण के पर्याप्‍त विकास के बाद इसे वापिस महिला के गर्भ में पहुंचा दिया जाता है. इस प्रक्रिया के 12 से 15 दिनों तक महिला को आराम करने की सलाह दी जाती है.
  • सर्जरी: कई सर्जिकल प्रक्रियाएं बांझपन को ठीक यामहिला प्रजनन क्षमता में सुधार ला सकती हैं. हालांकि, बांझपन के इलाज में अब ऊपर बताई गयी नई पद्धतियां आ चुकी हैं जिनके कारण सर्जरी बहुत ही कम की जाती है. गर्भधारण की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए लैप्रोस्कोपिक या हिस्ट्रोस्कोपी सर्जरी की जा सकती है. इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध होने पर ट्यूबल सर्जरी भी की जा सकती है.

मां बनना इस दुनिया का सबसे बड़ा सुख है. अगर आप भी मातृत्‍व सुख पाना चाहती हैं तो स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं.

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