बच्चों को सिखाएं सेविंग गुर, ताकि भविष्य बनें बेहतर

बच्चे भविष्य में बड़े हो कर अपनी आय का अच्छे ढंग से प्रबंधन करें एवं सुखी जीवन जिएं, इस के लिए जरूरी है कि वे धन प्रबंधन बचपन से सीखें.

बच्चों के अंदर धन प्रबंधन के प्रति संवेदना विकसित करने के लिए निम्न बिंदुओं के ऊपर उन से चर्चा की जा सकती है, जैसे धन की बचत से भविष्य में होने वाले लाभ, धन की बचत के तरीके आदि. इतना अवश्य ध्यान रखें कि अलगअलग उम्र के बच्चों की सोच और आवश्यकताएं अलगअलग होती हैं और उन्हीं के अनुसार उन के अंदर धन प्रबंधन की आदत विकसित की जा सकती है. बच्चों को उन की उम्र के आधार पर 3 वर्गों में विभाजित कर के उन में धन प्रबंधन की आदत विकसित की जा सकती है.

5 से 10 साल के बच्चे

इस उम्र के बच्चों में धन प्रबंधन की प्रवृत्ति पैदा करने हेतु इन के साथ ऐसे गेम्स खेलें, जिन में पैसे का प्रयोग प्रतीकात्मक रूप में हो. बच्चों का गेम्स में अच्छा करने का आधार यह हो कि वे अधिक से अधिक पैसे अर्जन करें और कम खर्च कर के अत्यधिक सामान खरीदें.

आप बाजार से खरीदारी कर के आएं तो बच्चों को रेजगारी गिनने के लिए दे दें. इस से बच्चों को मुद्रा की इकाइयों की जानकारी प्राप्त होगी.

यदि बच्चे कोई अच्छा काम करें तो उन्हें पैसे से भी पुरस्कृत करें. लेकिन उन से यह भी कहें कि उन्हें पुरस्कार स्वरूप जितने पैसे मिलें उन्हें वे गिन कर गुल्लक में डालें तथा अपने बचाए गए पैसों का हिसाब एक नोटबुक में अवश्य रखें.

इस उम्र के बच्चों के लिए एलआईसी जैसी बीमा कंपनियों के पास बचत की कुछ पौलिसियां भी हैं, जिन में कम से कम 5,000 प्रतिवर्ष का प्रीमियम दे कर बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है. इस की जानकारी बच्चों को जरूर कराएं ताकि उन्हें बचत से होने वाले फायदे का एहसास हो और बड़े हो कर बचत के महत्त्व को वे समझें.

10 से 15 साल के बच्चे

इस उम्र के बच्चे इस योग्य हो जाते हैं कि रुपएपैसे का लेखाजोखा रख सकें. संभव हो तो परिवार के सदस्य बाजार जाते हुए बच्चों को साथ ले जाएं. सामान की खरीदारी करते हुए वस्तुओं के ऊपर अंकित कीमत तथा दुकानदार द्वारा ली गई कीमत की जानकारी के लिए इन की सहायता अवश्य लें. साथ ही किस ब्रांड का सामान सब से सस्ता है, इस की जानकारी के लिए भी बच्चों से मदद लें. इस कार्य में बच्चों को मजा भी आएगा और उन के अंदर आत्मविश्वास की भावना भी पैदा होगी. साथ ही धन के समुचित उपयोग की क्षमता भी विकसित होगी.

घर में आय कितनी आ रही है तथा उस का उपयोग कहांकहां हो रहा है, यह बात बच्चों को जरूर बताएं. इस के जरिए उन्हें यह शिक्षा अवश्य दें कि कैसे बड़े हो कर जब वे नौकरीपेशा हो जाएंगे अपनी आमदनी का उपयोग और बचत कैसे करेंगे.

संभव हो तो बच्चों के नाम पास के बैंक में आवर्ती जमा खाता खोल दें और उन्हें भेज कर या साथ ले जा कर उन्हीं से फौर्म भरवाएं और धन जमा करवाएं. इस से उन के अंदर बचत की सही भावना पैदा होगी तथा बैंक के क्रियाकलापों की जानकारी भी होगी.

15 से 20 साल के बच्चे

घर के संपूर्ण धन प्रबंधन की जिम्मेदारी इस उम्र के बच्चों को दे दी जाए. इस से उन के अंदर न केवल एक जिम्मेदार पारिवारिक सदस्य होने का एहसास होगा, बल्कि धन प्रबंधन का समुचित कौशल भी पैदा होगा.

बच्चों में अर्थव्यवस्था, वाणिज्य और वित्त से संबंधित समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं को नियमित पढ़ने की आदत डलवाएं. जहां तक शौपिंग करने की बात है, आप बच्चों से ही जानकारी प्राप्त करें कि किस जगह पर सामान खरीदने से कुछ छूट मिलेगी. इस से उन के अंदर धन के उचित तरीके से उपयोग करने की आदत पड़ेगी, जो उन में जीवनपर्यंत बनी रहेगी. बच्चों को यह जरूर बताएं कि उन के द्वारा की गई बचत का उपयोग उन की बड़ी या अकस्मात आई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है. उन्हें यह भी बताएं कि उन के द्वारा खरीदी गई वस्तुओं की गुणवत्ता ज्यादा महत्त्वपूर्ण है न कि ब्रांड.

धन प्रबंधन की जिम्मेदारी देते हुए यह अवश्य ध्यान रखें कि इस से उन की पढ़ाई में कोई बाधा न पड़े. इन बातों को व्यवहार में लाएं तो भविष्य में न केवल इन से बच्चों का ही फायदा होगा, बल्कि आप भी अपने बच्चों के आर्थिक मसलों को ले कर निश्चिंत रहेंगे.

निवेश की बजटिंग

आजकल प्रत्येक व्यक्ति इस बात पर चिंताग्रस्त रहता है कि अपनी आमदनी का बजट कैसे बनाए, जिस से घर की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथसाथ भविष्य में आने वाले बड़े खर्च की व्यवस्था आसानी से हो जाए.

बच्चे की उच्च शिक्षा और परिवार के किसी को अचानक होने वाली बीमारी पर होने वाला खर्च हर परिवार में खास है.

बच्चों की शिक्षा के ऊपर भविष्य में आने वाले खर्चों को ध्यान में रख कर प्रतिमाह क्व1000 बच्चों के भविष्य से जुड़ी किसी पौलिसी में निवेश करना ठीक रहता है. आजकल वित्तीय बाजार में बीमा कंपनियों की कई पौलिसी उपलब्ध हैं. किसी पौलिसी में निवेश न करना चाहें तो बैंक या पोस्ट औफिस में आवर्ती जमा के रूप में भी निवेश कर के बच्चों के उच्च शिक्षा हेतु आवश्यक खर्च की व्यवस्था की जा सकती है.

स्वास्थ्य के ऊपर बड़े खर्च के लिए सब से अच्छा रहेगा ऐसी कोई मैडिक्लेम पौलिसी लेना, जिस से परिवार के किसी सदस्य को अचानक अस्पताल में भरती होना पड़े तो उस वक्त आने वाले खर्च को बिना ऋण लिए पूरा किया जा सके.

इन के अलावा आमदनी के बचे हुए भाग को उचित विकल्पों में निवेश करना चाहिए, लेकिन निवेश करते वक्त कुछ सावधानी बरतनी चाहिए.

सोने और चांदी में थोड़े समय के लिए निवेश कभीकभी काफी फायदा तो कभीकभी भारी नुकसान भी पहुंचा सकता है. लेकिन यदि लंबे समय के लिए इन धातुओं में निवेश किया जाए तो लाभ ही होगा.

इस वक्त म्यूचुअल फंड्स और कंपनियों के शेयर में निवेश काफी जोखिम भरा है, इसलिए इस तरह के विकल्पों के बारे में जब तक आप की पकड़ शेयर बाजार के उतारचढ़ाव की बारीकियों पर न हो तो न सोचें.

टैक्स बचाना प्रत्येक लोवर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के परिवारों की प्रमुख आवश्यकता बन गई है. इसलिए निवेश करते वक्त इस का अवश्य ध्यान रखें कि आप का टैक्स बचाने का उद्देश्य पूरा हो. ध्यान रहे कि आप 1 लाख 20 हजार तक के निवेश पर टैक्स बचत की सुविधा का लाभ उठा सकती हैं, जिस में क्व1 लाख से ऊपर के 20 हजार का निवेश सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त कंपनियों के इन्फ्रास्ट्राक्चर बौंड्स में हो. टैक्स की बचत से जुड़े निवेश बैंकों में 5 साल की अवधि की सावधि जमा योजनाओं में और पोस्ट औफिस में उपलब्ध पीपीएफ में भी किए जा सकते हैं.

प्रौपर्टी बाजार में निवेश लंबी अवधि में अच्छा लाभ कमाने के लिए किया जा सकता है. लेकिन इस के लिए प्रौपर्टी की बारीकियों की समझ बहुत जरूरी है. नहीं तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

अंत में आप यह बात अच्छी तरह समझें कि आमतौर पर हर घर में आमदनी कड़ी मेहनत करने से आती है, इसलिए इस का खर्च और निवेश इस तरीके से करना चाहिए कि वह परिवार की सुखसुविधा और संपन्नता में इजाफा करे. संभव हो तो इन बारीकियों को अपने घर के समझदार बच्चों को भी बताएं. इस से आने वाली पीढ़ी के अंदर आमदनी को स्मार्टली बजट और निवेश करने की कला विकसित होगी.

ये 5 आदतें आपको अमीर नहीं बनने देती

फाइनेंशियल प्लैन के हिसाब से काम करना आसान नहीं है. हम सफलता के लिए हमेशा शाटकर्ट की तलाश में ही लगे रहते हैं. टैक्स, निवेश, कर्ज, बजट ये सब एक साथ मैनेज करना मुश्किल है, पर कुछ फाइनेंशियल गलतियों से आपको हमेशा बचना चाहिए.

1. फिजूलखर्ची

आकर्षक डिस्काउंट आफर और सेल से बाजार आपको अपनी ओर आकर्षित करता है. अगर आपके पास कोई फाइनेंशियस प्लैन नहीं है तो आप बिना सोचे समझे खर्च करेंगी. ज्यादा खर्च करने से आपका बजट बिगड़ जाएगा. अगर आपने अपनी यह आदत नहीं सुधारी तो आप किसी भी वित्तीय परेशानी में पड़ सकती हैं. आपका खर्च आपकी कमाई के आधार पर ही होना चाहिए.

2. निवेश में देरी

जितनी जल्दी आप निवेश की आदत डालेंगी आपको उतना ही फायदा होगा. आपने कुछ फाइनेंशियल गोल बनाए होंगे, निवेश में देरी से आपको अपने गोल हासिल करने में भी देर लगेगी. अपने शाट, मीडियम और लांग टर्म के गोल्स को ध्यान में रखकर निवेश करें.

3. क्रेडिट का सही इस्तेमाल न करना

क्रेडिट इंस्ट्रुमेंट का इस्तेमाल फाइनेंशियल गोल हासिल करने के लिए करना चाहिए. क्रेडिट का बिना सोचे समझे इस्तेमाल आपके क्रेडिट स्कोर को बिगाड़ सकता है. असुरक्षित कर्ज जैसे क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करना चाहिए.

4. इमरजेंसी फंड न बनाना 

आमतौर पर लोग सोचते हैं कि कोई भी आपदा आने पर सब मैनेज हो जाएगा. पर ऐसा होता नहीं. मुसीबत के वक्त दिमाग काम करना बंद कर देता है, और ऐसे मौके पर हम गलतियां कर बैठते हैं. इसलिए एक इमरजेंसी फंड बनाना बहुत जरूरी है. ताकि मुसीबत के वक्त आपको अपने एसेट्स गिरवी न रखने पड़े. इमरजेंसी फंड इस हिसाब से बनायें कि नौकरी चली जाने पर 6-12 महीनों तक आप आराम से रह सकें.

5. इंश्योरेंस न लेना

इंश्योरेंस लेने में बहुत से लोगों को हिचक महसूस होती है. पर अपनी सेहत और जिन्दगी से समझौता करना अच्छी बात नहीं है. आपको या आपके परिवार को कब, क्या हो जाए ये तो बस वक्त को ही पता है और अगर उस वक्त पर्याप्त पैसे न हुए तो आप मुश्किल में पड़ सकती हैं. इसलिए देर होने से पहले इंश्योरेंस ले लें.

बड़े काम आती है छिपा कर की गई बचत

पटना के कदमकुआं मोहल्ले की रागिनी पटेल बताती हैं कि एक रात अचानक उन की सास की तबीयत खराब हो गई, तो उन के इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए. उसी दौरान उन के बेटे की स्कूल की फीस भी जमा करनी थी. उन के पति परेशान हो उठे. अस्पताल और दवा के खर्चे के साथसाथ 12 हजार स्कूल फीस जमा करना मुमकिन नहीं था. रागिनी बताती हैं कि पति को परेशान देख कर वे भी परेशान हो उठीं. उन के पति ने कहा कि इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए हैं. अब स्कूल फीस कहां से जमा होगी? अगर स्कूल फीस जमा नहीं की गई तो बेटे को इम्तिहान में बैठने नहीं दिया जाएगा. अत: किसी दोस्त से कर्ज लेना पड़ेगा. जब पति ने कर्ज लेने की बात कही तो रागिनी ने अपनी अलमारी खोली और 12 हजार पति के हाथों पर रख दिए. पति ने जब हैरत से पूछा कि इतने रुपए कहां से आए तो रागिनी ने बताया कि घर के खर्च से थोडे़थोड़े रुपए बचा कर जमा किए थे. यह सुन पति ने उन की ओर गर्व से देखा. रागिनी कहती हैं कि पति से छिपा कर की गई बचत इमरजैंसी में काम आती है.

इसी तरह रांची की पूनम दयाल बताती हैं कि उन की बेटी रोशनी की तबीयत अचानक खराब हो गई. उस समय घर में दो-ढाई हजार रुपए ही थे. उन के पति भी शहर से बाहर थे. पूनम के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. वे पड़ोसियों से कुछ रुपए उधार लेने की सोचने लगीं. तभी अचानक उन्हें अपने गुल्लक की याद आई, जिस में वे पति से छिपा कर थोड़ेथोड़े रुपए डालती रहती थीं. उन्होंने गुल्लक तोड़ा तो उस में करीब क्व6 हजार निकले. पूनम ने अपनी बेटी का अच्छी तरह इलाज कराया. जब पति लौटे तो उन्होंने हैरानी से पूछा कि तुम्हारे पास पैसे कहां से आए? हर महीने जितने रुपए देता हूं वे तो खर्च ही हो जाते होंगे. तब पूनम ने बताया कि हर महीने के खर्च के दिए पैसे से वे कुछ बचा लेती थीं. यह सुन पति ने उन्हें गले से लगा लिया.

कैसे डालें बचत की आदत

फाइनैंस कंपनी चलाने वाले अशोक मोदी कहते हैं कि छोटी बचत से बड़ी परेशानी से निबटा जा सकता है. हमारे आसपास इस की कई मिसालें मिल जाती हैं. पुराने जमाने में गुल्लक का इस्तेमाल इसी के लिए किया जाता था. हमें अपने बच्चों में भी बचत करने की आदत डालनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें जो भी जेबखर्च मिलता है उस का 5 से 10% गुल्लक में डालने की आदत डालें. भारतीय समाज में मिडल और लोअर मिडल महिलाएं अपने पति से छिपा कर अच्छीखासी रकम जमा कर लेती हैं. वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जो पारिवारिक खर्चों के बढ़ते बोझ का हवाला देते रोती रहती हैं कि आज महंगाई के जमाने में बचत करना मुमकिन ही नहीं है. जब घर का खर्च ही ठीक से नहीं चलता है तो ऐसे में बचत की बात सोचना ही बेकार है. किराने का सामान, दूध, गैस, बच्चों की स्कूल की फीस, मकान का किराया आदि के बाद हाथ में कुछ बचता ही नहीं है. बचत कहां से करें? ऐसी सोच वाली महिलाओं के लिए एक बड़ी कंपनी के फाइनैंस मैनेजर रजनीश सिन्हा कहते हैं कि बचत करने की आदत और सोच से ही बचत की जा सकती है. हर महीने के तयशुदा खर्चे के बाद एक मिडल क्लास फैमिली के हाथ में सच में कुछ नहीं बचता, पर रोज 10-20 या हर महीने क्व500 से क्व5,000 रुपए तक की बचत की ही जा सकती है.

वक्त पर सहारा

कई महिलाएं परिवार के तमाम खर्चों के बाद भी कुछ न कुछ बचत कर ही लेती हैं. खर्च का कोई अंत नहीं है. हर महीने कोई न कोई नया खर्च आ जाता है. इस के बाद भी बचत करने की सोच हो तो कुछ न कुछ बचत की ही जा सकती है, जो मौकेबेमौके काम दे जाती है. जिन महिलाओं को बचत करने की आदत है वे किसी न किसी तरह पति से छिपा कर कुछ बचत कर ही लेती हैं. हर औरत को कुछ न कुछ बचत करने की आदत डालनी ही चाहिए. औरत ही क्यों मर्द और बच्चों को भी बचत करने की आदत डाल लेनी चाहिए. मिडल और लोअर मिडल क्लास के लोगों के लिए यह बहुत ही जरूरी है. छोटीछोटी बचत कर के बड़ी रकम जमा कर अचानक आई किसी परेशानी के समय किसी के आगे हाथ फैलाने से बचा जा सकता है. इस के अलावा अपने किसी शौक या फिर जरूरत का कोई सामान आसानी से खरीदा जा सकता है.

ऐसे रोकें बच्चों की फुजूलखर्ची

आप ने उस प्यासे कौए की कहानी जरूर सुनी होगी, जिस ने घड़े की तली में थोड़ा सा पानी देखा. उस ने छोटेछोटे कंकड़ ला कर घड़े में डाले और इस तरह जब पानी ऊपर आ गया तो उस ने अपनी प्यास बुझई. कुछ यही कहानी है बचत की. पैसा बनाना कठिन है, पर बचत के महत्त्व को समझने के बाद सही दिशा में चल कर यह काम आसानी से किया जा सकता है. आप की ओर से उठाया गया छोटा कदम आगे चल कर बड़ी उपलब्धि बन सकता है.

अगर आप का बच्चा बचपन में ही बचत के महत्त्व को समझ ले तो अपने जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या का सामना वह आसानी से कर लेगा. जो मातापिता अपने बच्चों में बचत की आदत बचपन में ही डाल देते हैं वे अपने बच्चे का भविष्य सुरक्षित बना देते हैं. बचत का महत्त्व समझने के बाद उन्हें पैसे का मोल मालूम पड़ता और उन के खर्च करने के तरीके में भी भारी बदलाव आता है.

अगर आप का बच्चा बचत के महत्त्व को नहीं जानता तो आज ही उसे इस बारे में शिक्षित करना शुरू कर दें. हाल की महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि  न जाने कब मोटी नकदी की जरूरत पड़ जाए और उस समय न तो पैसे मांगने की फुरसत होती है न होश. इसलिए एक बड़ी नकद बचत हर समय अपने पास रखना जरूरी है.

पैसे का मोल समझएं

महंगाई के इस दौर में जरूरी है कि बच्चे पैसों का मोल जानें. आप उन्हें यह समझएं कि आप पैसा कमाने के लिए दिनभर कितनी मेहनत करते हैं. उन्हें यह समझने की कोशिश करें कि वे जो भी मांग करते हैं उस के लिए पैसा इकट्ठा करने में आप दिन में कितने घंटे खटते हैं. उन्हें यह भी समझएं कि फुजूखर्ची की आदत उन्हें कर्ज के जाल में फंसा सकती है.

हर मांग पूरी न करें

हर मांबाप अपने बच्चे से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं और उन की हर ख्वाहिश को पूरा करना चाहते हैं. लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आप का बच्चा अनुशासन में रहे और मेहनत से कमाए पैसे की कीमत समझे तो उस की हर छोटीबड़ी मांग तुरंत पूरी करना उस के भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा.

अगर आप ऐसे पेरैंट्स हैं, जो अपने बच्चों की हर छोटीबड़ी मांग तुरंत पूरी करते हैं, तो आप को अपनी आदत बदलने की जरूरत है क्योंकि बाद में आप का यह रवैया आप के ही बच्चे के लिए मुसीबत बन सकता है. वह जिद्दी बन सकता है, अनुशासनहीन बन सकता है, अपनी जरूरतों पर काबू न रखने के कारण अपराधिक गतिविधियों में फंस सकता है. आप बचपन से ही अपने बच्चों को जरूरत और लग्जरी में फर्क करना सिखाएं यानी क्या खरीदना है या क्या खाना जरूरी है और किस खरीदारी को टाला जा सकता है, बच्चों को ये बातें समझना बहुत जरूरी है. यह बच्चों को एकदम से नहीं बल्कि धीरेधीरे समझएं.

बच्चों को गुल्लक दें

आप के घर आने वाले मेहमान जाते वक्त आप के बच्चों के हाथ में पैसा जरूर देते होंगे. नानी, चाचा, मामा से भी आए दिन बच्चों को कुछ न कुछ पैसे मिलते ही रहते हैं. आप भी उन्हें जेब खर्च के पैसे देते हैं. आप का बच्चा इन पैसों को बचा कर रखता है या सारे के सारे खर्च कर देता है? अगर वह बचा कर रखता है तो निश्चिंत रहें, उस का भविष्य सुरक्षित है, लेकिन यदि वह सारे पैसे मौजमस्ती या मनपसंद चीजों  की खरीदारी में उड़ा रहा है तो यह आदत आगे जा कर खतरनाक साबित हो सकती है.

अगर आप चाहते हैं कि आप का बच्चा बचत करना सीखे तो उसे बचपन से ही पैसों का सही इस्तेमाल सिखाएं. उसे बताएं कि कुछ पैसा खर्च करो और कुछ बचा कर रखो. बचत के प्रति आकर्षित करने के लिए आप उसे कार्टून कैरेक्टर वाली गुल्लक खरीद कर दें. गुल्लक में पैसे डालने से बचत की आदत आसानी से विकसित की जा सकती है. गुल्लक की खनखन हमेशा उसे उस में कुछ न कुछ पैसे डालने के लिए प्रेरित करेगी.

बचत खाता खुलवाएं

आप अपने बच्चों को बचत की आदत के फायदे बताएं. आप उन्हें बता सकते हैं कि किस तरह उन के ही महीने के बचाए गए पैसों का निवेश किया जा सकता है. उसे अपने साथ बैंक ले जाएं और बाकायदा अकाउंट खुलवाएं. आजकल बैंकों में बच्चों के नाम से बैंक खाते खोलने की सुविधा है. अपने खाते में उन्हें पैसे जमा करना सिखाएं. उन की आज की छोटीछोटी बचत उनकी कल की बड़ी जरूरत पूरा कर सकती है.

बरबादी के नुकसान समझएं

बहुत से बच्चे पैंसिल, पेपर, रबड़ या अन्य चीजें बरबाद करते हैं. पैंसिल थोड़ी से छोटी हुई नहीं कि गई डस्टबिन में या कापी में एकएक लाइन लिख कर बाकी पेज खाली छोड़ देते हैं. आप उन्हें यह समझने की कोशिश करें कि कागज पेड़ों को काटने से बनता है और अगर बच्चा कागज बरबाद कर रहा है तो वह एक नए पेड़ को काटने की तैयारी कर रहा है. पेड़ों से जीने के लिए आक्सीजन मिलती है, इसलिए उन का रहना जरूरी है. इस तरह कहानी के जरीए आप अपने बच्चे की चीजें बरबाद करने की आदतें ठीक करें.

फुजूलखर्ची के नुकसान बताएं

अपने बच्चों की बिस्कुट, चौकलेट, कोल्ड ड्रिंक, पिज्जाबर्गर, मोमोज या खिलौने की जिद पूरी करतेकरते आप का घर का बजट बिगड़ जाता है. फास्टफूड की आदतों से बच्चे का स्वास्थ्य भी बिगड़ता है. वे जिद्दी, थुलथुल शरीर वाले और आलसी हो जाते हैं. उन्हें लगने लगता है कि वे जो भी मांग करेंगे आप उसे पूरा करने के लिए सदैव सक्षम हैं. बच्चों को यह बताएं कि आप कितनी मेहनत से पैसे कमाते हैं.

उन्हें यह समझने में मदद करें कि पैसे नहीं होने की स्थिति में आप के कौन से जरूरी काम रुक जाएंगे. इन में बच्चों के स्कूल की फीस, दादादादी की दवा, पालतू जानवर का खानापीना, बिजलीपानी, ग्रौसरी का बिल आदि को शामिल करें. बच्चे अकसर अपने पैट्स या दादादादी से बहुत जड़े होते हैं, उन के खर्च रुकने की बात वे आसानी से समझ सकते हैं और खुद में बचत की आदत डैवलप कर सकते हैं.

बजट बनाने में बच्चों को भी शामिल करें

अगर आप अपने जीवनसाथी या मातापिता के साथ घर का मासिक बजट बनाते हैं तो इस प्रक्रिया में अब अपने बच्चों को भी शामिल करें. आप की चिंता, पैसे की दिक्कत या देनदारी की सही स्थिति समझने के बाद कुछ महीनों में संभव है कि आप का बच्चा फुजूलखर्ची की आदत छोड़ दे. वह अपनी पौकेटमनी बचा कर घर के खर्चों में हाथ बंटाने लगे. यह एक अच्छा साइन है.

बचत के पैसे से दिलाएं गिफ्ट

बच्चों के बचत के पैसों से उन्हीं की जरूरत की चीजें खरीदें. हो सकता है बहुत दिनों से आप के घर में टेबल लैंप के लिए बच्चा जिद कर रहा है या पढ़ाई के लिए अलग टेबल चेयर, स्टोरी बुक्स, वीडियो गेम्स आदि की मांग कर रहा है, तो उस की बचत के पैसे ही उसे ये चीजें दिलाएं. ऐसा करने से बच्चों में गर्व की भावना का उदय होगा और उन में बचत करने के लिए उत्साह बढ़ जाएगा. अपने पैसे से आई चीज की देखभाल भी वह जीजान से करेगा.

बच्चों को क्रिएटिव बनाएं

घर की पुरानी चीजों से कुछ न कुछ उपयोगी चीज बना कर बच्चों को दिखाएं और उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें. कोल्ड ड्रिंक्स की खाली बोतल से पैन स्टैंड बनाना, आइस्क्रीम स्टिक से लैंप बनाना या टूटे खिलौने से क्राफ्ट बनाने जैसे काम बच्चे मजे से करते हैं. बच्चों को उन की पुरानी चीजों का दोबारा उपयोग करना सिखाएं.

पैंसिल या रबड़ को पूरा खत्म करने के बाद ही नई पैंसिल या रबड़ का उपयोग करने को कहें. पैंसिल छोटी हो गई हो तो उसे किसी पुराने पेन के आगे जोड़ कर प्रयोग करने के लिए दें. उन्हें यह समझने की कोशिश करें कि कैसे रद्दी चीजों से नई और आर्कषक चीजें बनाई जा सकती हैं. इस से बच्चा क्रिएटिव भी बनेगा और इस के साथ ही उस में बचपन से ही चीजों को अहमियत देने का गुण विकसित होगा.

जेबखर्च कमाना

प्रति महीने अपने बच्चों को दिए जाने वाले जेबखर्च के अलावा, उन्हें स्वयं भी जेबखर्च कमाने के लिए उत्साहित कीजिए. यह किसी भी तरह संभव हो सकता है. घर के कुछ काम कर लेने के बाद उन्हें पुरस्कार के तौर पर कुछ रुपए दे सकते हैं. कमरे को साफ करने के बाद या भाईबहन का होमवर्क कराने के बाद भी आप उन्हें उपहारस्वरूप कुछ पैसे दे सकते हैं, जिन्हें वे अपनी गुल्लक में डालें. किस काम के लिए कितने रुपये तय करने हैं, यह काम की कठिनता पर निर्भर होना चाहिए. पैसे मिलने से बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं और उन्हें श्रम का महत्त्व और पैसे की कीमत भी पता चलती है.

बचत के लिए पुरस्कार

जब भी आप का बच्चा अपने आर्थिक लक्ष्य को प्राप्त कर ले, उसे पुरस्कार देने के बारे में जरूर सोचिए. चाहें तो इस उपलब्धि पर उसे कोई नई ड्रैस खरीद कर दें या केक अथवा आइसक्रीम खिलाने ले जाएं या फिर कंप्यूटर या टीवी देखने के लिए ज्यादा समय दें. जिस तरह कंपनी में पीएफ जुड़ता जाता है, ठीक उसी तरह आप भी बच्चे द्वारा बचत किए धन के बराबर का धन उस के खाते में डाल सकते हैं.

धर्म

धर्म के नाम पर आजकल सब से ज्यादा बरबादी हो रही है और परिवार सालों की बचत किसी धार्मिक कार्य पर  उड़ा देते हैं जिस का कोई लाभ नहीं होता. यही पैसा बचा लें तो घरपरिवार हर साल मोटी बचत कर लेगा, इसलिए हर समय चौकस रहें कि कहीं कोई आप को धर्म के नाम पर लूट तो नहीं रहा.

जानें मनी मैनेजमेंट की ये 4 टिप्स

महीने की आखिरी तारीख को जब सैलरी आपके अकाउंट में आ जाती है, आप उसका क्या करते हैं? हमारी कुछ प्राथमिकताएं पहले से तय होती हैं, जैसे- किराया, EMI, स्कूल फीस वगैरह. इसके अलावा हम कुछ पैसे उन प्लान्स के लिए बचाते हैं जिन्हें हम आने वाले दिनों में अंजाम देने वाले हैं. इसमें से कुछ पैसे हम फ्यूचर के बाकी जरूरी कामों के लिहाज से भी बचाते हैं.

1. स्पेडिंग मनी यानी खर्च किए जाने वाले पैसे

इन पैसों को हमें पहले से तय प्राथमिकताओं पर खर्च करना होता है. जैसे- किराया, घरेलू खर्च, EMI और स्कूल फीस वगैर. इसके अलावा लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के लिए किए जाने वाले पेमेंट्स भी इसी कैटिगरी में आते हैं. इनमें से कुछ चीजों पर हर महीने खर्च करना होता है तो कुछ पर सालाना. लेकिन रोजाना की जिंदगी में खर्च चलाने के लिए इन्हीं पैसों का इस्तेमाल करते हैं.

2. शॉर्ट टर्म मनी

1 से 5 साल के अंदर होने वाले खर्च के लिए आपको नियमित रूप से पैसे अलग से निकाल कर रखना चाहिए. जैसे, कार खरीदने के लिए या घर का डाउन पेमेंट करने के लिए. इसके लिए आरडी या एफडी यूज करें. आप कुछ सुरक्षित डेट फंड्स भी चुन सकते हैं क्योंकि इन पर टैक्स बहुत कम लगता है.

3. लॉन्ग टर्म मनी

रिटायरमेंट के लिहाज से सेव किए, बच्चों की हायर एजुकेशन और शादी के लिए इकट्ठा किए जाने वाले पैसे लॉन्ग टर्म मनी की कैटिगरी में आते हैं. लॉन्ग टर्म मनी इन्वेस्ट या सेव करते वक्त आपको मंहगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए. क्योंकि मंहगाई बढ़ने के साथ ही आपके पैसे की वैल्यू भी कम हो जाएगी.

लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न पाने का सबसे अच्छा जरिया शेयर मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करना. इन पर मंहगाई का असर भी कम होता है. इसलिए सोच समझकर स्टॉक्स का चुनाव करें और पैसे इन्वेस्ट करें.

4. टैक्स सेविंग मनी

लॉन्ग टर्म सेविंग्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार हमें टैक्स ब्रेक्स देती है. कुछ खास जगहों पर इन्वेस्ट करने पर आपकी इनकम से डेढ़ लाख रुपये तक काट लिए जाते हैं और इन्हें अलग से सेव किया जाता है. इसलिए इन्वेस्ट करते वक्त इन ऑप्शन्स पर गौर जरूर फरमाएं. यह भी एक तरह से लॉन्ग टर्म मनी ही है.

इन चारों को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना. इससे आप रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी पैसे निकाल सकते हैं क्योंकि अब म्यूचुअल फंड के साथ डेबिट कार्ड भी अवेलेबल है.

सेविंग में न करें ये 4 गलतियां

हर आदमी के जीवन में पैसे की अहम भूमिका होती है. अगर आप जीवन में पैसे की टेंशन से बचना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप कुछ गलतियों से बचें. इससे आप जीवन में किसी भी स्थिति का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे.

1. अपनी सेविंग से कर्ज चुकाना

पैसा निकालना, पैसा जमा करने की तुलना में आसान है. अक्‍सर लोग यह गलती  करते हैं कि अपनी सेविंग से कर्ज चुकाते हैं. शुरुआत में इस गलती का अहसास नहीं होता है लेकिन बाद में आपको इसका महत्‍व समझ में आता है. इससे बचने का तरीका यह है कि आप अपने कर्ज के पेमेंट को ऑटो मोड में डाल दें. इससे आपके कर्ज का भुगतान हर माह होता रहेगा और आप कर्ज के जाल में नहीं फंसेंगे.

2. इमरजेंसी फंड न मेनेटेन करना

ज्‍यादातर परिवार एक मासिक खर्च पर अपना जीवन गुजारते हैं. ऐसे में अगर खर्च थोड़ा भी बढ़ता है तो दिक्‍कत हो जाती है. ऐसे में अगर आपको मेडिकल इमरजेंसी का सामना कर पड़ जाए तो यह परिवार पर काफी भारी पड़ता है. इसके अलावा अगर शार्ट नोटिस पर आपकी नौकरी चली जाए तो महीने के जरूरी खर्च का इंतजाम करना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आप एक इमरजेंसी फंड जरूरी मेनेटेन करें.

3. बिना बजट के खर्च करना

वित्‍तीय तौर पर आपका फ्यूचर कैसा होगा यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप पैसा किस तरह से खर्च करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप खर्च करने से पहले बजट बनाएं. वरना आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपका पैसा कहां खर्च हो रहा है.

4. दोस्‍तों को कर्ज देना

आपको अपने रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों की जरूरत पड़ने पर पैसे से मदद करनी चाहिए लेकिन अपने मासिक बजट या सेविंग की कीमत पर नहीं. आम तौर पर रिश्‍तेदार या दोस्‍त वादा करके भी समय पर पैसा वापस नहीं करते हैं. ऐसे में आप उतना ही कर्ज दे जिसे देकर आप भूल जाएं. इससे ज्‍यादा कर्ज देना आपकी वित्‍तीय सेहत पर भारी पड़ सकता है.

बच्चे के कल को दें आर्थिक सुरक्षा

एक आकलन के मुताबिक देश में आधे बच्चे या तो स्कूल नहीं जा पाते या फिर कुछ ही सालों में पढ़ाई अधूरी छोड़ देते हैं. ऐसे में देश का भावी युवा कितना साक्षर होगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. देश में बढ़ती महंगाई के कारण अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा मुहैया कराना सब से मुश्किल काम है. अच्छी शिक्षा से मतलब उसे सिर्फ स्कूल भेजना मात्र नहीं है, बल्कि उस की प्राइमरी ऐजुकेशन से ले कर उच्च शिक्षा तक इस तरह से कराना है कि उस की पढ़ाई व कैरियर निर्माण के दौरान कभी आर्थिक अड़चन न आए और वह अपने मनमुताबिक कैरियर चुन सके.अमूमन हम बच्चों की शिक्षा के खर्च में स्कूल, कालेज और स्नातकोत्तर तक की शिक्षा पर होने वाले खर्च को ही शामिल करते हैं, जबकि आजकल बच्चे की स्कूली शिक्षा में स्कूल की फीस के साथसाथ ट्रांसपोर्टेशन, अन्य रचनात्मक गतिविधियां, दाखिला, ट्यूशन फीस, ड्रैस, स्कूल बैग, स्टेशनरी और उच्च शिक्षा हेतु विदेश जाने से ले कर और न जाने कितने खर्च शामिल होते हैं, जो जेब में पैसा न होने पर भविष्य में आप के बच्चों की शिक्षा और कैरियर में दीवार बन जाते हैं.

इन हालात में बच्चों की उच्च स्तरीय पढ़ाई का खर्च उठाना क्या इतना आसान है? बिलकुल नहीं. तो क्या आप बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त राशि जमा कर रहे हैं? अगर नहीं तो अभी से कमर कस लीजिए. बच्चों की बेहतर शिक्षा और भविष्य के लिए अभी से पैसा जमा करना शुरू कर दीजिए.

खर्च, बजट और प्लानिंग

भारत में शिक्षा 3 तरह की होती है- प्राथमिक, मध्य और उच्च शिक्षा. उच्च शिक्षा में अकादमिक और प्रोफैशनल यानी व्यावसायिक शिक्षा आती है. यही शिक्षा सब से ज्यादा खर्चीली होती है. लगभग सभी तरह की व्यावसायिक शिक्षा पर लाखों रुपए खर्च होते हैं. मसलन, डाक्टरी, इंजीनियरिंग, एमबीए आदि की पढ़ाई पर करीब क्व4 लाख से क्व10 लाख तक खर्च आता है. हम बच्चों की प्राथमिक शिक्षा का खर्च तो जैसेतैसे निकाल लेते हैं पर कालेज और व्यावसायिक शिक्षा पर खर्च होने वाले पैसों का इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है. तब आपातकाल में किसी को लोन लेना पड़ता है, तो किसी को अपने गहने आदि बेचने पड़ते हैं. इसलिए अगर बच्चों के बचपन से ही उन की पढ़ाईलिखाई के लिए पैसे जमा करना शुरू कर दिए जाएं तो बाद में आर्थिक परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है.

एक बीमा कंपनी से जुड़े फाइनैंशियल प्लानर अखिलेंद्र नाथ इस के लिए कुछ तरीके सुझाते हैं, जिन के आधार पर आप अपने बच्चे की ऐजुकेशन प्लान कर सकते हैं. सब से पहले टारगेट डेट तय कीजिए यानी उस तारीख और वर्ष की गणना कीजिए जब आप का बच्चा उच्च शिक्षा लेने लायक हो जाएगा. उस के बाद वर्तमान में होने वाले शिक्षण व्यय को कैलकुलेट कीजिए. फिर उसे बच्चे की शिक्षा के अनुरूप भविष्य की महंगाई दर के मुताबिक जोडि़ए. इस जोड़ के बाद आप को भविष्य में होने वाले खर्च की रकम का मोटा सा अंदाजा हो जाएगा. मान लीजिए आज उच्च शिक्षा में लगभग क्व10 लाख से क्व12 लाख का खर्च आता है, तो बढ़ती महंगाई के हिसाब से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 20-21 साल तक यह खर्च बढ़ कर क्व25 लाख से क्व30 लाख तक तो हो ही जाएगा. अब आप के पास एक टारगेट रकम का अनुमान आ चुका है. बस इसी रकम के इंतजाम के लिए आप को अपनी आय व हैसियत के हिसाब से पैसे जोड़ने या फिर निवेश करना होता है. अगर आप इस गणना के मुताबिक सही समय में इस राशि को जमा कर पाते हैं, तो आप के बच्चे की शिक्षा में किसी भी तरह की मुश्किल नहीं आ सकती. इस तरह से शिक्षा के लिए वित्तीय योजनाओं का खाका खींच कर आप अपने बच्चे का आज ही से बेहतर भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं.

निवेश कब, कहां और कैसे

अभिभावकों के मन में सब से पहला सवाल यही उठता है कि वे निवेश कब, कहां और कैसे करें. वैसे तो इस का सीधा जवाब यही है कि जब बात बच्चों के लिए निवेश करने की हो तो आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना ही बेहतर होगा. एक इंश्योरैंस कंपनी से जुड़े नितिन अरोड़ा बताते हैं कि जिस अनुपात से लोगों का वेतन बढ़ रहा है उस से कहीं ज्यादा तेजी से पढ़ाई में होने वाला खर्च बढ़ रहा है. ऐसे में बच्चों की ऐजुकेशन प्लानिंग हम कुछ चरणों यानी स्टैप्स में बांट लेते हैं. ये चरण अभिभावकों के वेतन और शिशु की अवस्था के आधार पर बांटते हैं. पहले चरण के तहत शिशु के पैदा होने से उस के लगभग 5 साल के होने तक आप ज्यादा से ज्यादा सेविंग करें, क्योंकि इस दौरान शिशु की पढ़ाई पर खर्च लगभग न के बराबर होता है. उस के बाद बच्चा स्कूल जाना शुरू कर देता है. इस चरण में सेविंग कम हो जाती है, क्योंकि उस की पढ़ाई का खर्च आ जाता है. 9 से 16 साल की उम्र के दौरान बहुत ही संतुलित राशि जमा करें. फिर 18 से 25 साल की उम्र में बच्चा युवा होने पर आप की जमा राशि का सही उपयोग करने लायक हो जाता है. इस तरह आप अपनी राशि को अलगअलग चरणों में घटातेबढ़ाते हुए जमा करेंगे तो आप की जेब पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा.

बच्चे के भविष्य को जेहन में रख कर निवेश कहां, कब और कैसे करना चाहिए, इस पर वित्तीय सलाहकारों की अलगअलग राय है. कुछ का मानना है कि बीमा कंपनियां बच्चों के लिए चाइल्ड ऐजुकेशन प्लान की कई योजनाएं चलाती हैं. इन में यह देख कर कि किस प्लान में जोखिम कम और रिटर्न ज्यादा है, निवेश करना उचित रहता है. बाजार में लगभग सभी बड़े बैंक और वित्तीय कंपनियां बच्चों के लिए लुभावने औफर देती हैं. इन के अलावा और भी कई तरह के निवेश के विकल्प हैं, जो अच्छा रिटर्न देते हैं. मसलन, म्यूचुअल फंड, बौंड्स, पब्लिक प्रौविडैंट फंड, राष्ट्रीय बचत खाता आदि. साथ ही डाकघर की निवेश योजनाओं का इस्तेमाल भी अपने बच्चों के लिए निवेश करने में कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड कंपनियों ने तो बच्चों की शिक्षा और शादी को ध्यान में रख कर 20 से भी ज्यादा ऐसी योजनाएं लौंच की हैं. बस, आप को अपनी आवश्यकता के अनुसार योजना का चयन करना है. अखिलेंद्र नाथ के मुताबिक किसी ऐसे विशेष प्रोडक्ट या बीमा कंपनी के प्लान के चक्कर में पड़ने के बजाय आप निवेश के नवीन तरीकों को अपनाएं तो बेहतर रहेगा. 18 साल की उम्र तक बच्चा आर्थिक तौर पर परिवार पर ही आश्रित होता है. उस दौरान अगर उस के मन की पढ़ाई न हो पाए तो वह भटक जाता है. इस उम्र में बेरोजगारी उसे अपराधी तक बना देती है. इसलिए निवेश के परंपरागत तरीकों को छोड़ कर कई और भी तरीके हैं.

मसलन, कुछ लोग अपने बच्चे के नाम पर प्रौपर्टी खरीद लेते हैं, जो बाद में बच्चे के काफी काम आती है. साथ ही सोनाचांदी और शेयरों में भी कुछ अभिभावक निवेश करते हैं. यहां समझने वाली बात यही है कि बच्चे की शिक्षा के लिए पैसा सिर्फ ऐजुकेशन प्लान या परंपरागत तरीकों से ही जोड़ा जाए, ऐसा जरूरी नहीं है. आप को तो बस पैसा जोड़ना है, जिसे भविष्य में उस की पढ़ाई पर खर्च कर सकें. इसी तरह जनरल इंश्योरैंस के साथ भी यह कंडीशन नहीं होती है कि उन में केवल बड़े ही निवेश कर सकते हैं. अभिभावक इन प्लांस में अपने बच्चे के लिए निवेश कर सकते हैं. हां, इस तरह के मसलों में फाइनैंशियल प्लानर या ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें. कुल मिला कर समझने वाली बात सिर्फ इतनी है कि अभी से पैसे जमा करना शुरू कीजिए. फिर चाहे चाइल्ड ऐजुकेशन प्लान के जरीए कीजिए या फिर अन्य किसी योजना के जरीए, लक्ष्य बस यह होना चाहिए कि जब बच्चा बड़ा हो कर अच्छी शिक्षा के लिए बाहर कदम रखे तो आप की जेब उस का पूरा साथ दे. ताकि बिना किसी रुकावट के वह बेहतरीन शिक्षा हासिल कर अच्छा जीवन बसर कर सके और समाज में एक अच्छे नागरिक के रूप में उचित योगदान दे सके.

महिलाओं के लिए अचूक हथियार आर्थिक आत्मनिर्भरता

आजादी के 75 साल हो गए हैं. बीते दशकों से भारत की महिलाओं ने सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक कई मोरचों पर बदलाव देखे हैं. कुछ मोरचों पर वे कमजोर हैं तो कुछ मोरचों पर धीरेधीरे पहले से भी ज्यादा सशक्त और मजबूत हो रही हैं जैसे कि आर्थिक मोरचे पर.

एक दौर था जब महिलाएं आर्थिक तौर पर पूरी तरह से पुरुषों पर निर्भर थी. लेकिन आजादी के 75 सालों बाद हालात बदले हैं. आज की औरत किचन भी संभालती है और मिसाइल भी लौंच करती है. बनिए से राशन का हिसाबकिताब भी देखती है और बैंक में भी कई पदों पर काम कर रही हैं.

आइए, चलिए विश्लेषण करते हैं मौजूदा दौर में महिलाओं की आर्थिक स्थिति के बारे में:

घूंघट से पावर तक तब और अब

पहले महिलाएं पूरी तरह से अपने परिवार पर आश्रित होती थीं. उन्हें जैसा परिवार ने कह दिया, वे चुपचाप उसे ही पत्थर की लकीर मान कर बैठ जाती थीं. पिता ने जहां शादी तय कर दी, वहां बिना अपने पति का मुंह देखे, जाने हां कह कर पूरी जिंदगी उस के साथ जीवनयापन करने के लिए तैयार हो जाती थीं. शादी के बाद भी अपने वजूद को त्याग कर सिर्फ और सिर्फ परिवार, पति की आवभगत में लग जाती थीं. पढ़ाईलिखाई के आभाव में जिस ने जैसा बोल दिया मान लेती थीं.

उन का काम तो बस लंबा घूंघट निकाल कर सुबह से शाम तक चूले के आगे बैठे रहना, पति की बिना बात की मार खाना, परिवार के ताने सुनना. इतना सब सहने के बाद भी उसी पति को भगवान मानती थीं और उस परिवार को जन्नत समझती थीं क्योंकि उन के मातापिता ने जो सीख दे कर भेजा था कि अब वही तुम्हारा घर है. इस घर पर आज से तुम्हारा कोई हक नहीं.

ऐसे में बेचारी बन लंबा घूंघट निकाल कर ससुराल को ही सब कुछ मान लेती थीं और उन के इसी बेचारेपन का सब लोग खूब फायदा उठाते थे क्योंकि उन्होंने खुद को सब पर आश्रित जो कर रखा था, खुद को बेचारा जो बना रखा था. ऐसे में दूसरे तो उन का फायदा उठाएंगे ही. लेकिन अब हालात बिलकुल उलट हैं. आज की नारी खुद को अबला नहीं समझती, बल्कि खूब पढ़लिख कर अपने दम पर आज ऐसा मुकाम हासिल कर रही है कि देशदुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना ली है. अब के पेरैंट्स भी लड़कियों को पढ़ाने में व उन की मरजी जानने में ज्यादा यकीन रखते हैं ताकि उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलने पड़ें. वे अपनी पढ़ाई व काबिलीयत के दम पर इतना नाम व शोहरत कमाए कि उन्हें लड़कों की नहीं बल्कि लड़कों को खुद उन की जरूरत महसूस हो.

ताजा उदाहरण

हाल का ताजा उदाहरण देखें तो आप देख कर हैरान रह जाएंगे. बता दें कि इस समय कानपुर देहात जिले में ज्यादातर महत्त्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभाल रही हैं. जैसे डीएम नेहा जैन, एसपी सुनीति, सीडीओ सोमन्या पांडेय. यहां तक कि कई एसडीएम, बीएसए और जिला पंचायती राज अधिकारी भी महिलाएं ही हैं, जिन्होंने इन पदों पर आसीन हो कर जता दिया कि अब हम घर की भागदौड़ से ले कर देशदुनिया की भागदौड़ संभाल सकते हैं.

इंदिरा गांधी हमारे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. सिर्फ वे नाम के लिए ही प्रधानमंत्री नहीं थीं बल्कि उन के कार्यकाल में हरित क्रांति, बैंकों का राष्ट्रीयकरण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया गया. प्रतिभा पाटिल भारत की आजादी के बाद हमारे देश की पहली महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास किए. किरण बेदी हमारे देश की पहली महिला आईपीएस रही हैं, जिन्होंने नवज्योति व इंडिया विजन जैसी संस्थाओं का गठन किया. इंदिरा नूई पेप्सिको कंपनी की अध्यक्ष व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुकी हैं. उन की लगन, मेहनत का ही परिणाम है कि उन्होंने दुनिया में 100 शक्तिशाली महिलाओं में अपनी जगह बनाई है. वे हम सब के लिए प्रेरणास्रोत्र हैं.

द्रौपदी मुर्मू सब से युवा राष्ट्रपति बनीं. उन का जीवन संघर्षों से भरा होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी. ये सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि आज की महिलाएं पढ़लिख कर अपने दम पर आगे बढ़ कर आर्थिक रूप से खुद को सशक्त बनाने पर जोर दे रही हैं, जो एकदम सही है.

मौजूदा आर्थिक स्थिति अब और तब

पहले की बात करें तो महिलाएं पढ़ीलिखी नहीं होने के कारण पूरी तरह से अपने परिवार पर निर्भर रहती थीं, जिस कारण उन पर शोषण भी ज्यादा होते थे. लेकिन अगर आजादी के इतने सालों बाद की बात करें तो अभी भी देखने में यही आया है  कि आर्थिक आजादी और विकास में महिलाओं की भूमिका उतनी ज्यादा नहीं है, जितनी ज्यादा होनी चाहिए.

ऐसा हम नहीं बल्कि ‘इन्वैस्ट इंडिया इनकम एंड सेविंग सर्वे’ के आंकड़े बताते हैं, जिस में बताया गया है कि शहरी आबादी की तुलना में गांवों की महिलाएं घर के बाहर जा कर यानी खेतों आदि में ज्यादा काम करती हैं. गांवों में 35% से ज्यादा महिलाएं खेतों में काम करती हैं और इन में से 45% महिलाएं सालभर में 50 हजार रुपए भी नहीं कमा पाती हैं. उन में सिर्फ 26% महिलाएं ही सिर्फ अपने पैसे को अपनी मरजी के अनुसार खर्च कर पाती हैं.

इस के अलावा यह भी देखने में आया है कि शहरी क्षेत्र में जिन परिवारों की वार्षिक आय 2 से 5 लाख रुपए है, उन में सिर्फ 13% महिलाएं ही सिर्फ बाहर नौकरी के लिए जाती हैं, जबकि 5 लाख से ऊपर की आय वाले परिवारों में यह प्रतिशत सिर्फ 9% है. वहीं अगर बात करें गांव की तो 50 हजार से 5 लाख की आय वाले परिवारों में यह प्रतिशत 16 से 19% है.

कैसे बनें मजबूत

किसी काम को छोटा न समझें. अकसर हम यह सोच कर कि क्यों करें रिसैप्शनिस्ट की जौब, क्यों करें सेल्स गर्ल की जोब, हम खाना बनाना आने के बावजूद यह सोच कर कुकिंग क्लासेज नहीं देती हैं या फिर टिफिन सेवा शुरू नहीं करती हैं कि ऐसे छोटे काम कर के हमारी शान में कमी आएगी. हम पेंटिंग बनाना तो जानती हैं, लेकिन बना कर बेचने में शर्म आती है. अरे शर्म कैसी, यह तो आप का हुनर है, जिसे सही तरीके से यूज कर के आप नाम व शोहरत कमा सकती हैं.

हाउसवाइफ खुद को समझे

अगर आप हाउसवाइफ हैं तो खुद को किसी भी माने में काम न आंकें और न ही यह समझें कि मैं तो सिर्फ घर व किचन का काम ही संभाल सकती हूं बल्कि अगर आप बाहर जा कर नौकरी नहीं कर पा रही हैं तो घर के छोटेमोटे काम सीख कर पैसों को बचा सकती हैं. जैसे खुद से बल्ब, ट्यूबलाइट लगाना. अगर घर का कोई स्विच खराब हो जाए तो उसे ठीक करना आता हो तो इस से एक तो आप इन कामों पर होने वाले पैसों को बचा सकती हैं, साथ ही आप का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

फ्रीलांस काम से बनें आत्मनिर्भर

आज आप घर बैठे भी अच्छाखासा पैसा कमा सकती हैं अगर आप में कुछ करने का टैलेंट हो. जैसे अगर आप कंटैंट का काम जानती हैं, या फिर आप को कुछ क्रिएटिव करने का शौक है तो आप औनलाइन फ्रीलांस साइट्स पर रजिस्टर कर के घर बैठे अपनी पसंद का काम कर के घंटों व महीनों के हिसाब से कमा सकती हैं. इस से आप की प्रतिभा भी बेकार नहीं जाएगी और आप धीरेधीरे अपने इस हुनर से घर बैठे अपने परिवार को देखने के साथसाथ खुद को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना पाएंगी.

डांस कला से कमाएं

अगर आप को प्रोफैशनल डांस आता है, तो आप उस हुनर का इस्तेमाल करें. इस के लिए आप औनलाइन क्लासेज ले सकती हैं. अब आप सोच रही होंगी कि इस की शुरुआत कहां से करें तो आप को बता दें कि आप अपने आसपास के बच्चों से इस की शुरुआत करें. भले ही शुरुआत में ज्यादा अच्छा रिस्पौंस न मिले, फिर भी आप हिम्मत न हारें क्योंकि आप का हुनर और मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी.

अपना बिजनैस शुरू करें

अगर आप को होममेड मसाले, अचार आदि बनाने का शौक है तो फिर अपने इस हुनर को अपने घर तक ही न समेट कर रखें बल्कि इन मसालों, आचार को अपनी एक औनलाइन साइट बना कर कम मेहनत में आप ज्यादा पैसा कमा सकती हैं.

सेविंग पर जोर दें

अगर आप आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं और आप को ज्यादा पैसा खर्च करने की आदत है तो इस बात का ध्यान रखें कि जो कमाया उसे उड़ा दिया वाली नीति को आप को छोड़ना होगा वरना आप अपने व अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित नहीं कर पाएंगी. ठीक इसी तरह अगर आप हाउसवाइफ हैं तो आप छोटीछोटी बचत करना सीखें.

बात करें अगर ‘वूमंस ऐंड मनी पावर 2022’ की रिपोर्ट की, तो भारत में 33 फीसदी महिलाएं बिलकुल निवेश नहीं करती हैं. ऐसे में जरूरी है उन में निवेश संबंधित जागरूकता बढ़ाने की. तो आइए जानते हैं कि महिलाएं कहां व कैसे निवेश कर सकती हैं:

पीपीएफ: पब्लिक प्रौबिडैंट फंड लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है, जिस में आप सालाना 500 रुपए से डेढ़ लाख रुपए तक जमा कर सकती हैं, जिस में 15 साल तक पैसे जमा करने पर आप को अंत में अच्छीखासी रकम मिलती है.

फिक्स्ड डिपौजिट: बैंकों में फिक्स्ड डिपौजिट एक भरोसेमंद निवेश का विकल्प है, जिस में आप अच्छीखासी ब्याज दर पर पैसा जमा कर के उस का लाभ उठा सकती हैं.

रेकरिंग डिपौजिट: यह निवेश का आसान सा विकल्प है, जिस में आप 500 रुपए से ले कर अपनी मरजी मुताबिक राशि का अकाउंट खोल सकती हैं, जिस से आप को सेविंग की भी आदत पड़ जाती है और साथ ही एक समयसीमा पर आप को फिक्स्ड अमाउंट भी मिल जाएगा. इस तरह आप रिसर्च व रिस्क फैक्टर्स को देख कर निवेश के विभिन्न विकल्पों को चुन कर सेविंग कर सकती हैं.

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए ऐसे करें Invest

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए इन्वेस्टमेंट करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आपकी कमाई बढ़ जाएगी. सेविंग करने से पहले अपना इन्वेस्टमेंट प्लान जरूर बनाएं, जिससे आपका मंथली बजट भी न बिगड़े और सेविंग करने से इनकम में भी बढ़ोत्तरी हो जाए. जानिए ऐसे ही कुछ इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जो आपकी कमाई को लॉन्ग टर्म में काफी बढ़ा देंगे.

बचत के साथ निवेश भी जरूरी

आपको सिर्फ बचत ही नहीं करना है बल्कि बचत को सही प्रकार और सही जगह निवेश करना भी जरूरी है. इसकी वजह है कि निवेश ही एक मात्र माध्यम है, जिसकी मदद से आप रुपए की गिरती कीमत से खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. साथ ही ऐसा निवेश आपको भविष्य में भी सुरक्षा प्रदान करता है.

साल की शुरुआत में ही लॉन्ग टर्म गोल तय कर लें. इसी तरह इन्वेस्टमेंट प्लानिंग करें ताकि आपको टैक्स में ज्यादा से ज्यादा छूट मिल सके. इसके लिए आप मेडिकल इन्श्योरेंस ले सकते हैं,एनपीएस या पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आपकी फैमिली में बेटी है तो उसके नाम से सुकन्या समृद्धि अकाउंट खोल सकते हैं जिस पर आप साल भर में अच्छी खासी सेविंग कर सकते हैं.

स्मॉल सेविंग से करें शुरुआत

इन्वेस्टमेंट प्लानिंग इस तरह से करें की हर महीने आपकी थोड़ी बहुत सेविंग हो सके. इसके लिए अगर आपने पहले से किसी तरह की कोई सेविंग प्लान दिमाग में तैयार नहीं किया है तो उसके बारे में पहले से पता करें और उसके बाद इन्वेस्‍टमेंट का खाका तैयार करें. शादी के बाद इस तरह का प्लानिंग करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे आपको इमरजेंसी के वक्त पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बैंक में खोल सकते हैं आरडी अकाउंट

आप अपने बैंक की मदद से एक आरडी अकाउंट खोल सकते हैं. आरडी अकाउंट आप उसी बैंक में खोलें जिसमें आपका पहले से सेविंग अकाउंट हो. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इससे आपको केवाईसी दुबारा से नहीं करवानी पड़ेगी. आप बैंक में अपने आरडी अकाउंट को सेविंग अकाउंट से लिंक करा सकते हैं. इससे आपके सेविंग अकाउंट से एक निश्चित रकम आरडी अकाउंट में ऑटोमैटिक तरीके से ट्रांसफर हो जाएगी, जिससे आपको बैंक में हर महीने चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. आप 100 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से इस तरह का अकाउंट खोल सकते हैं.

ईपीएफ में करें निवेश

इंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) बचत और निवेश का एक बेहतरीन जरिया है. यह आपकी सैलरी आपके हाथ आने से पहले ही काट लिया जाता है. यह दूसरे निवेश माध्यमों के मुकाबले लंबी अवधि के लिए होता है. इसके दो फायदे होते हैं, पहला टैक्स सेविंग और दूसरा बेहतर रिटर्न. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इसके लिए आपको कोई खास कोशिश भी नहीं करनी पड़ती.

टर्म लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी

खरीदें टर्म लाइफ प्लान वाली इन्श्योरेंस पॉलिसी खरीदना आपके लिए लॉन्ग टर्म में फायदेमंद होता है. हमसे से ज्यादातर लोग पॉलिसी लेने से बचते हैं, लेकिन इसको लेकर आप जीवन में आने वाले कई बड़े खर्चों को प्रीमियम अमाउंट से पूरा हो सकता. मकान खरीदना, बच्चों की हाई एजुकेशन, उनकी शादी,रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलने वाली इनकम और एक्सीडेंट व बड़े ऑपरेशन के दौरान होने वाले खर्चों को आप इस पॉलिसी के अमाउंट से कवर हो सकते हैं.

पोस्‍ट ऑफिस की एनएससी

पोस्‍ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट एक बेहतर ऑप्‍शन साबित हो सकता है. पोस्‍ट ऑफिस से आप 1000 रुपए से 10,000 रुपए तक की एनएससी अपने अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी खरीद सकते हैं. पोस्‍ट ऑफिस की यह स्‍कीम देश के किसी भी पोस्‍ट ऑफिस से खरीदी जा सकती है.

गोल्‍ड बांड

सरकार ने गोल्‍ड बांड स्कीम को लॉन्‍च किया हुआ है. इसमें 2 ग्राम गोल्ड से लेकर अधिकतम 500 ग्राम तक गोल्ड पर बांड लेने का ऑप्शन है. आप अपनी पत्‍नी को सोने का सिक्‍का, गहने न खरीद कर गोल्‍ड बांड दे सकते हैं. गोल्‍ड बांड पर आपको 2.75 फीसदी की दर से सालाना ब्‍याज ऑफर किया जाएगा. इस पर रिटर्न भी मिलेगा. हालांकि इसके रिटर्न पर आपको टैक्स चुकाना होगा.

कैसे करें स्मार्ट निवेश

भारतीय मध्यमवर्ग को अच्छे बचतकर्ता के रूप में जाना जाता है. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार वह अपनी आय का लगभग 25% बचाता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वर्ग अपनी बचत को स्मार्ट तरीके से निवेश कर रहा हैं? अधिकतर भारतीय लौकर या बैंकों में नकदी रखना पसंद करते हैं. तो सवाल यह उठता है कि उस नकदी को अपने लौकर में रखने से ज्यादा अच्छा विकल्प क्या है?

समय के साथ नकद कम मूल्यवान हो जाता है. उदाहरण के लिए 10 साल पहले के 100 रुपए का मूल्य आज के 100 रुपए से अधिक था. इसलिए नकदी अपने पास रखने के बजाय हमें नकदी का निवेश करना चाहिए ताकि हम मुद्रास्फीति को मात दे सकें. इस के बावजूद अधिकांश निवेशक मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखते हैं. मनोवैज्ञानिक इसे धन का मोह बताते हैं.

अगर मुद्रास्फीति में 7% की वृद्धि हुई है तो वेतन में 5% की वृद्धि प्रभावी रूप से हमारे पास उपलब्ध धन में एक ‘कटौती’ है. इस के बावजूद आम तौर पर लोग इस परिदृश्य में 1 वर्ष के दौरान 1% वेतन कटौती करना पसंद करते हैं जब मुद्रास्फीति शून्य होती है. इसलिए अपनी निवेश की सफलता को इस बात से मापें कि मुद्रास्फीति के बाद आप कितना अपने पास रख रहे हैं बजाय इस के कि आप अपने निवेश से कितना कमा रहे हैं.

निवेश करना कैसे शुरू करें

शेयर बाजार में कदम रखने से पहले बुनियादी बातों को जानना जरूरी है. इसलिए यूट्यूब वीडियो देख कर या किताबें पढ़ कर खुद को शिक्षित करें. शेयर बाजारों को सम झने से आप को बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलेगी. नए वित्तीय उत्पादों की जानकारी रखें और उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा निवेश पर लिखी पुस्तकें पढ़ें. वित्तीय समाचारों के बारे में सामान्य जागरूकता भी स्मार्ट तरीके से निवेश करने का एक अच्छा तरीका है.

अगला कदम यह है कि जल्दी निवेश शुरू करना, जो निश्चित रूप से बचत देता है और भले ही आप ने अपने जीवन के उस बिंदु को पार कर लिया हो परंतु कभी न करने से अच्छा देरी से निवेश करना भी है. शुरुआती निवेश यह सुनिश्चित कर सकता है कि आप के पैसे को पर्याप्त कौर्पस फंड में विकसित होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है जो आप को जरूरत के समय या जब आप रिटायर होने का फैसला करते हैं तो आप की अच्छी हैल्थ करेगा.

जीवन में किसी भी अन्य चीज की तरह निरंतरता माने रखती है और इसलिए स्मार्ट निवेश के लिए भी निरंतरता बनाए रखें. साल में सिर्फ एक बार या छिटपुट रूप से निवेश न करें क्योंकि यह काफी नहीं है. पैसे को अच्छी तरह से बढ़ाने और अनुशासित तरीके से निवेश करने के लिए हर महीने एक निर्धारित राशि को अलग रखें. इस अनुशासन का पालन करने के लिए व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) और औटोभुगतान विकल्प कुछ बेहतरीन विकल्प हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि बिना किसी असफलता के हर महीने एक निश्चित राशि निवेश के लिए रख ली जाए.

आगे क्या करना है

आप को एसआईपी के जरीए कहां निवेश करना चाहिए? इस का सामान्य नियम एक विविध पोर्टफोलियो बनाना है. एक कहावत है कि अपने सभी अंडे कभी भी एक टोकरी में न रखें. बस यही विविधता है. यह जोखिम के प्रबंधन में मदद करता है. केवल एक स्टौक में निवेश पर ध्यान केंद्रित नहीं करने और विविध पोर्टफोलियो रखने वाले निवेशकों के लिए कोविड एक आंख खोलने वाली स्थिति है.

इसलिए हमेशा सलाह दी जाती है कि आप अपने निवेश को अलगअलग एसेट क्लास में डायवर्सिफाई करें. एसआईपी के माध्यम से निवेश करना आप के निवेश दृष्टिकोण में अनुशासन लाता है. अच्छे निवेशक अकसर सलाह देते हैं कि आप की दिनप्रतिदिन की वित्तीय गतिविधियों को एक सरल फौर्मूले (कमाई+बचत=व्यय) के इर्दगिर्द तैयार किया जाना चाहिए.

मान लीजिए कि आप हर महीने क्व30 हजार कमाते हैं और यदि आप एक निश्चित बजट के भीतर अपने खर्च को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं, तो ऐसा हो सकता है कि महीने के अंत में आप के पास बचाने के लिए कुछ भी न बचे. लेकिन अगर आप एसआईपी में निवेश करते हैं, तो आप एक अनुशासित निवेश व्यवस्था का पालन करने के लिए मजबूर होंगे. अगर आप को पता है कि आप के खर्चे क्या हैं तो आप तय बजट के भीतर खर्च करने की आदत डाल लेंगे. उस में पहले आप बचत करेंगे और फिर खर्च करेंगे.

यदि आप अपनी वित्तीय गतिविधियों को इस के इर्दगिर्द बनाते हैं यानी पहले बचत करें और फिर खर्च करें, तो आप को कभी भी किसी भी वित्तीय कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि आप एक अनुशासित निवेश दृष्टिकोण का पालन कर रहे हैं. अपने निवेश दृष्टिकोण में नियमितता बनाए रखने से आप को अपने वित्तीय लक्ष्य या वित्तीय उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिलती है.

एसआईपी क्यों

यह सब गणित में है. चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति गणित द्वारा हमें दिए गए सर्वोत्तम उपकरणों में से एक है. समय एक निवेशक के पास उपलब्ध सब से बड़ी संपत्ति में से एक है और इसे वित्तीय लाभ के लिए उपयोग करना बुद्धिमानी है. एक उदाहरण के तौर पर, क्व5 हजार का निवेश प्रतिमाह लगातार 10 वर्षों तक 12% के निवेश रिटर्न पर करने से 11.50 लाख रुपए की राशि एकत्रित हो सकती है.

अनुरूपता और धैर्य कुंजी है. कम से कम समय में अधिकतम संभावित रिटर्न के पीछे न भागें. स्मार्ट निवेश कम जोखिम और स्थिर निवेश के बारे में है जो लंबी अवधि के लिए किए जाते हैं. ये सब से अच्छे होते हैं.

शेयर बाजार में निवेश करते समय जोखिम उठाने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता होती है: सभी निवेशों में जोखिम शामिल होता है. यह निवेश का एक अनिवार्य पहलू है, हालांकि कोई कितना जोखिम लेने को तैयार है, इसे मापा जा सकता है. अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करते समय जोखिम सहनशीलता को ध्यान में रखें. वित्तीय नुकसान की उस सीमा को जानना, जो आप सहन कर सकते हैं और अशांत बाजारों के लिए आप की सहनशीलता महत्त्वपूर्ण है, जो आप के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी. यदि जोखिम उठाने की क्षमता कम है, तो डिबैंचर और बौंड में निवेश करें.

 झुंड की मानसिकता से बचें

‘‘क्रिप्टोकरंसी अच्छी है. मेरे किसी परिचित ने बहुत पैसा कमाया है,’’ इस तरह की सलाह का पालन न करें. बैंजामिन ग्राहम ने अपनी पुस्तक ‘द इंटैलिजैंट इन्वैस्टर’ में कहा है, ‘‘यहां तक कि बुद्धिमान निवेशक को भी भीड़ का अनुशरण करने से बचने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है.’’

वित्तीय निवेश करते समय बाकी जो कर रहे हैं उस का पालन करना आसान है, लेकिन यह हमेशा आप के लिए सही रास्ता नहीं हो सकता है. वित्तीय लक्ष्य बेहद व्यक्तिपरक होते हैं. वे आप की जोखिम सहनशीलता, धन के प्रति आप के विचार और आप के परिवार की जरूरतों पर निर्भर करते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अलग है और सभी दृष्टिकोण के लिए कोई एक आ कर फिट नहीं होता है. इसलिए उस हौट टिप का अनुसरण करना जिस के पीछे बाकी सभी लोग जा रहे हैं, शायद सब से बुद्धिमान विकल्प न साबित हो.

‘सब्र का फल मीठा होता है’ इस कहावत को वित्तीय दुनिया पर भी लागू किया जा सकता है. अधिकांश निवेशक तत्काल लाभ की तलाश में रहते हैं. हालांकि इस तरह की जल्दबाजी से महत्त्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हो सकता है. इस के बजाय निवेश को लंबी अवधि की कवायद के रूप में देखना ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि अच्छा मुनाफा बनने में समय लगता है. धैर्य एक गुण है.

निवेश को नियमित रूप से ट्रैक करें

निवेश में बहुत अधिक पोषण शामिल होता है. यही कारण है कि अपने पैसे की निगरानी रखना महत्त्वपूर्ण है. उपलब्धि को ट्रैक करने और उस का विश्लेषण करने के लिए आप के पास स्प्रैडशीट्स बनाने के लिए नि:शुल्क टूल उपलब्ध हैं जिन में आप के सभी निवेश सूचीबद्ध हो जाते हैं. मासिक व्यय रिपोर्ट बनाने से बचत रणनीतियों को बढ़ाने और यह सम झने में मदद मिल सकती है कि कितनी तरलता की आवश्यकता है. इन सभी छोटे विषयों को जब एकसाथ मिलाया जाता है तो ये आप के एक अच्छे वित्तीय भविष्य के लिए एक मजबूत स्मार्ट निवेश और वित्तीय प्रणाली बना सकते हैं.

 -डाक्टर समीर कपूर

फाइनैंस ट्रेनर और कंसल्टैंट –

स्मार्ट निवेश क्या है

यह सही निवेश विकल्प है जो आप के भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आप की मदद करने के लिए आप की जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करता है. एक भीड़भाड़ वाले बाजार और आसपास निवेश के अवसरों के बहुत अधिक शोर के बीच अपने समय और धन की अच्छी तरह से योजना बनाने के लिए एक स्मार्ट निवेशक होना जरूरी है.

स्मार्ट निवेश निम्न में मदद करता है:

–  आय का एक अतिरिक्त स्रोत बनाने में.

–  वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में.

–  धन का निर्माण करने में.

आप कैसे निवेश करते हैं, यह चुनने से पहले आप को निम्नलिखित कारकों पर विचार करना चाहिए:

–  क्या आप अविवाहित हैं या विवाहित हैं? क्या आप का साथी काम करता है और वह कितना पैसा कमाती है?

–  क्या आप के बच्चे हैं? यदि नहीं तो क्या आप बच्चे चाहते हैं? उच्च लागत जैसेकि कालेज शिक्षा, कब शुरू होगी?

–  क्या आप को कभी  विरासत में धन मिलेगा या क्या आप को मातापिता को केयर होम में रखने के लिए पैसे खर्च करने होंगे?

–  क्या आप की नौकरी सुरक्षित है या यदि आप स्वनियोजित हैं तो समान कंपनियां आमतौर पर कितने समय तक चलती हैं?

–  क्या आप को अपने जीवनयापन के लिए अपनी नकद आय की पूर्ति करने के लिए अपने निवेश की आवश्यकता है? यदि हां तो आप के पास स्टौक के बजाय बौंड में अधिक पैसा होना चाहिए

–  आप निवेश में कितना पैसा गंवा सकते हैं?

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