मेरे ब्रौयफ्रैंड ने ऐसे समय में मुझसे रिश्ता तोड़ लिया जब मुझे उस की जरूरत थी. क्या करूं?

सवाल

मैं 27 वर्षीय युवती हूं. कुछ महीने पहले मेरा ऐक्सिडैंट हुआ. मैं स्कूटी से जा रही थीपीछे से कार ने मुझे हिट किया. मुझे काफी चोट आई. आगे के 4 दांत टूट गए. हाथ में फ्रैक्चर हो गया. चेहरे पर भी चोट आई. मैंने सब सहा लेकिन यह नहीं सहा जा रहा कि मेरे ब्रौयफ्रैंड ने ऐसे समय में मुझसे रिश्ता तोड़ लिया जब मुझे उस की सब से ज्यादा जरूरत थी. बसएक बार मुझे देखने अस्पताल आया था. अब फोन करती हूं तो मेरा फोन पिक नहीं करता. कहां तो मेरे साथ जीनेमरने की कसमें खाता था. मैं उसे बहुत प्यार करती हूं. उस की यह हरकत मुझे हर्ट कर रही है. मुझे उस का मैंटली सपोर्ट चाहिए था लेकिन उस ने तो मु?ा से मुंह ही फेर लिया. अब आप ही बताइएक्या मुझे भी उसे छोड़ देना चाहिए या उस का इंतजार करूं कि शायद वापस आ जाए?

जवाब

आप भी कमाल करती हैं. जिस वक्त आप को अपने ब्रौयफ्रैंड की सब से ज्यादा जरूरत थी, उस वक्त उस ने आप का साथ छोड़ दिया. उस बौयफ्रैंड का आप इंतजार करेंगी, हद है. यह तो आंखों पर पट्टी बांधना जैसा है. किसी के लिए इतना भी पागल मत बनिए कि उस का सहीगलत भी आप न समझे.

आप का ब्रौयफ्रैंड खुदगर्ज इंसान है. ऐक्सिडैंट तो कभी भी किसी के साथ हो सकता है. ऐसे वक्त में तो अपनों का साथ दिया जाता है, न कि साथ छोड़ना चाहिए. वह बिलकुल भी सर्पोटिव नहीं है. मुसीबत में पल्ला ?ाड़ कर भाग जाने वालों में से है. ऐसे इंसान को प्यार करना आप की भूल साबित होगा. अच्छा हुआ वक्त रहते आप को उस की नीयत के बारे में पता चल गया, वरना पछताना ही पड़ता.

आप अपनी सेहत की तरफ ध्यान दें. स्ट्रैस में सेहत को खराब न होने दें. आजकल बहुत अच्छेअच्छे मैडिकल ट्रीटमैंट आ गए हैं. डैंटल ट्रीटमैंट भी हो जाएगा. फ्रैक्चर तो डेढ़दो महीने में ठीक हो जाता है. चेहरे की चोटों के निशान फेशियल सर्जरी से दूर हो जाएंगे. हां, आप के दिल पर जो जख्म लगा है, वह गहरा है लेकिन कोई बात नहीं. ऐसे स्वार्थी ब्रौयफ्रैंड का न रहना ही अच्छा है, पूरी लाइफ आप के सामने है. आप सम?ादार लड़की लगती हैं, हर फैसला अपने हित में ले कर कीजिए. बौयफ्रैंड को बायबाय कीजिए और जिंदगी को हाय करते हुए उस से हाथ मिलाइए.

मेरा मंगेतर चाहता है मैं अपना वर्जिनिटी टैस्ट करवा लूं.क्या मैं यह रिश्ता तोड़ दूं या टैस्ट करवा लूं? आप ही मुझे सलाह दें ?

सवाल

मेरी अरेंज मैरिज होने वाली है. लड़का मुझे बहुत पसंद है. जैसी फैमिली मैं चाहती थी वैसी ही है. मेरा मंगेतर भी मुझे बहुत पसंद करता है. वह कानपुर का है. मैं दिल्ली की हूं. पता नहीं उस के किसी फ्रैंड ने उस के दिल में यह बात डाल दी है कि दिल्ली की लड़कियां सैक्स को ले कर बहुत एडवांस होती हैं. उन्होंने अपने बौयफ्रैंड से पहले ही सैक्स रिलेशन बनाए होते हैं.

मेरा मंगेतर चाहता है मैं अपना वर्जिनिटी टैस्ट करवा लूं. हालांकि, मैं यह कह रही हूं कि मेरा किसी के साथ कोई अफेयर नहीं रहा पर वह कह रहा है कि जब कोई सैक्स रिलेशन नहीं रहा तो टैस्ट करवाने से क्यों डर रही हो. मैं अपने मंगेतर को खोना नहीं चाहतीप्यार करने लगी हूं उस से लेकिनयह टैस्ट करवाना मुझे गंवारा नहीं. क्या मैं यह रिश्ता तोड़ दूं या टैस्ट करवा लूंआप ही मुझे इस दुविधा से निकालिए.

जवाब

आप के मंगेतर की यह बिलकुल नाजायज मांग है. रिश्ते में भरोसा भी कुछ चीज होती है. जब वह आप पर अभी से यकीन नहीं कर रहा तो आगे क्या करेगा. वह तो हर छोटीछोटी बात पर शक करने लगेगा. दूसरी बातक्या उस का खुद का दिमाग नहीं है जो फ्रैंड की बातों में आ गया है. वह आप से मिला है. आप दोनों ने बातें की होंगीएकदूसरे के बारे में जाना होगाक्या उन सब का कोई माने नहीं. वह आप को पहचान नहीं पाया कि आप कितनी सच्ची या कितनी झूठी हैं.

वैसे भी वह विवाह से पहले आप की वर्जिनिटी टैस्ट नहीं करवा सकता. यह कानूनन अपराध है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसारसिर्फ शादीशुदा दंपती को हीपति या पत्नीदोनों में से किसी पक्ष को मैडिकल जांच करवाने का अधिकार है. रिश्तों में दरार पड़ने परपति या पत्नी को एकदूसरे पर किसी भी तरह का शक होने परतलाक का केस करने परपति या पत्नी के मैडिकल टैस्ट के लिए कहने परअदालत के आदेश पर पति और पत्नी की मैडिकल जांच करवाई जा सकती है.

इसलिए आप का मंगेतर आप से जबरदस्ती यह टैस्ट नहीं करवा सकता और न ही आप को करवाना चाहिए. आप का आत्मसम्मान भी कोई चीज है. औरत ही क्यों इन परीक्षाओं से गुजरे. आप खुद सम?ादार हैं कि आप को ऐसे व्यक्ति से शादी करनी चाहिए या नहींजिसे आप पर भरोसा तक नहीं. फैसला सोचविचार कर लें और अपनी फैमिली को भी सारी स्थिति से अवगत करा दें और पूछें उन का क्या जवाब है. जो भी होलेकिन आखिरी फैसला आप का होना चाहिए. 

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड शादी करने जा रहे हैं,मैं अपनी मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनाना चाहता हूं, इसके लिए हमे क्या करना चाहिए?.

सवाल

मेरी उम्र 28 साल की है और फाइनली मैं और मेरी गर्लफ्रैंड शादी करने जा रहे हैं. हम दोनों ही बहुत खुश हैं. फ्यूचर प्लानिंग करते हैं. नएनए सपने देख रहे हैं. सबकुछ बहुत सुंदर लग रहा है. बसएक बात फिर भी दिल के कोने में बैठी हैवह यह है कि अकसर लोग कहते हैं कि शादी के बाद बहुतकुछ बदल जाता है. जो हमें बहुत खूबसूरत लग रही है हकीकत की दुनिया में आ कर सब धूमिल हो जाएगी. इसलिए थोड़ा सा डर भी लग रहा है. मैं अपनी मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनाना चाहता हूं. आप कुछ सलाह दीजिए ताकि मेरे अंदर का डर खत्म हो सके.

जवाब 

शादी के बाद हर कपल की लाइफ में ढेरों बदलाव आते हैं. जिन का सामना हर कपल को करना पड़ता है. इन बदलावों को स्वीकार कर के ही मैरिड लाइफ सक्सैसफुल बनती है. ये बदलाव कुछ ऐसे हैं जैसे भले ही दोस्त और औफिस आप की प्राथमिकता हुआ करते थे पर शादी के बाद पार्टनर सही माने में प्राथमिकता बन जाता है. कई बार दूर रह कर जो व्यक्ति आप को बहुत आकर्षित करता है कभीकभी शादी के बाद ऐसा कुछ नहीं रहता. आप ने जितनी खूबसूरत जिंदगी की कल्पना की होती हैवैसा कुछ नहीं होता. ऐसे में कुछ दिनों में ही सम?ा आ जाता है कि अब आप को अपने पार्टनर की कमियों को भी ऐक्सैप्ट करना पड़ेगा. अचानक से लाइफ बदल जाती है. कई जिम्मेदारियां सिर पड़ जाती हैं. जिस से पहले के रूटीन और अपनी आदतों में बदलाव करने पड़ जाते हैं. लेकिन ये जिम्मेदारियां आप को जिम्मेदार बना देती हैं. शादी के बाद कपल एकदूसरे के प्रति अधिक सहज हो जाते हैं. पहले जिन चीजों को ले कर शर्मिंदगी महसूस होती थी वे रोज की बातें हो जाती हैं. कई चीजों का जो क्रेज बना होता हैवह कम हो जाता है.इस सब का यह मतलब नहीं कि आप शादी के नाम से अब घबराने लगें. बदलाव ही तो जिंदगी का नाम हैउन्हें कैसेकिस तरह से बखूबी टैकल करना हैयह आप की सम?ादारी है. होप फौर द बैस्ट.

मै 5 साल से रिलेशनशिप में हूं, पर मै अब बोर हो गया हूं,क्या मुझे अब ब्रेकअप कर लेना चाहिए?

सवाल

मैं अपनी गर्लफ्रैंड के साथ 5 साल से रिलेशनशिप में हूं. वह बहुत अच्छी है. मेरी सारी बातें मान जाती है. मेरा खयाल भी बहुत रखती है लेकिन पता नहीं क्यों कुछ दिनों से मेरा दिमाग कुछ इधरउधर दौड़ रहा है. शायद मैं इस रिलेशनशिप से बोर हो गया हूं. क्या ऐसा सिर्फ मेरे साथ हो रहा है या रिलेशनशिप जो लंबे समय से चल रही हो उस में बोरियत होने लगती है. क्या मुझे ब्रेकअप कर लेना चाहिए या मैं गलत सोच रहा हूं और गलत दिशा में जा रहा हूं? मुझे सही रास्ता सुझाएं ताकि मैं कुछ गलत फैसला न ले लूं.
जवाब

आप कहीं बेवजह रिश्ता तोड़ने में तो नहीं लगे. आप को ऐसी गर्लफ्रैंड मिली जो आप का हर तरह से खयाल रखती है, आप की हर बात मानती है तो आप उसे टेकन फौर ग्राटेंड ले रहे हैं. गर्लफ्रैंड आप को नखरे दिखाती, आप की हर बात काटती, आप के प्रति बेपरवाह होती, क्या यह चाहते हैं आप?

अरे, आप को तो खुश होना चाहिए कि आप को इतनी अच्छी लड़की मिली है. खुश होना चाहिए आप को जो इतनी केयर करने वाली गर्लफ्रैंड आप के पास है वरना गर्लफ्रैंड क्याक्या नहीं नखरे उठवातीं अपने ब्रौयफ्रैंड से.

पता नहीं क्यों ब्रेकअप का खयाल आप के जेहन में आया. अपने मन की कुछ उल?ाने हैं तो उन पर विचार कीजिए. किसी भी रिश्ते में ताजगी बनाए रखने का एक ही तरीका है एकदूसरे को भरपूर समय देना. आप का समय आप के पार्टनर के लिए किसी कीमती तोहफे से भी ज्यादा होता है जो उसे सारे जहां की खुशियां दे सकता है. अगर आप का पार्टनर आप के साथ समय बिताने को बेताब रहता है तो फिर आप लकी हैं क्योंकि समय से कीमती कुछ नहीं. इतने प्यारे साथी को भूल से भी न जाने दें. ब्रेकअप करने की एक और महत्त्वपूर्ण वजह होती है आपस में एकदूसरे को सम्मान न देना. लेकिन आप के रिश्ते में आप का पार्टनर आप को हर तरह से सम्मान देता है तो फिर आप को ऐसे रिश्ते को खत्म करने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए.

इंसान की फितरत बड़ी खराब होती है. जिंदगी में सब अच्छा चल रहा होता है तो हमें कुछ खालीखाली सा लगने लगता है. ऐसे में कोई दूसरा विकल्प तलाशने लगते हैं लेकिन यह बिलकुल गलत है.

कई बार पार्टनर के साथ ट्यूनिंग मैच नहीं होना या फिर आदतें अलगअलग होना इस की वजह हो सकती है. पसंदनापसंद एक सी नहीं होती. लेकिन आप के केस में ऐसा कुछ भी नहीं है. आप का अपनी गर्लफ्रैंड से रिश्ता आप के लिए सब से अच्छा तोहफा है. इसे तोड़ें नहीं, बल्कि सहेज लें.

वैजाइनल इन्फैक्शन से बचाव है जरूरी

वैजाइनल इन्फैक्शन यानी योनि में संक्रमण छोटी बच्ची से ले कर उम्रदराज महिला तक किसी को भी हो सकता है. कुछ महिलाएं जीवन में कई बार इस की शिकार होती हैं. वैजाइनल इन्फैक्शन वैसे तो एक आम बीमारी है पर इस की अनदेखी करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. यहां तक कि बांझपन तक हो सकता है. प्रैगनैंसी के दौरान वैजाइनल इन्फैक्शन होने पर यौन रोग भी हो सकते हैं, जो होने वाले बच्चे को भी अपना शिकार बना सकते हैं.

वैजाइनल इन्फैक्शन के कारण ल्यूकोरिया जैसी परेशानी भी हो सकती है, जिस के कारण वैजाइना से सफेद बदबूदार डिस्चार्ज होता है. इस से पेट और कमर का दर्द हो सकता है. बुखार होने के साथसाथ महिलाओं में कमजोरी भी आ सकती है.

वैजाइनल इन्फैक्शन का मुख्य कारण पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना है. डाक्टर मधु गुप्ता कहती हैं कि योनि संक्रमण के कारण सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज भी हो सकते हैं. पर्सनल हाइजीन का रखें ध्यान कुछ इस तरह:

साफ पानी का करें प्रयोग:

वैजाइना बौडी को साफ रखने का काम खुद करती है. पर्सनल हाइजीन के लिए जरूरी है कि बाथरूम का प्रयोग करने से पहले टौयलेट फ्लश चला लें क्योंकि अगर आप से पहले किसी रोगी ने टौयलेट का प्रयोग किया है तो आप को भी इन्फैक्शन हो सकता है.

टौयलेट के बाद वैजाइना को साफ पानी से साफ करें और फिर इस एरिया को नर्म कपड़े से सुखा लें. ऐसा करने से इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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पीरियड्स में रखें खास खयाल:

पीरियड्स के दौरान इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इस दौरान साफसफाई का खास खयाल रखें. इन्फैक्शन से दूर रहने के लिए अच्छी किस्म के सैनिटरी पैड्स का ही प्रयोग करें. जरूरत के हिसाब से जल्दीजल्दी पैड्स बदलती रहें. टैंपून लगाने से पहले वैजाइना को पानी से वाश कराएं. इसे 5 घंटों से ज्यादा समय तक न लगाए रखें.

कौटन का प्रयोग है सही: पैंटी का प्रयोग करते समय यह जरूर देख लें कि वह कौटन की ही हो और बहुत टाइट फिटिंग वाली पैंटी का प्रयोग न करें. नायलोन और सिंथैटिक पैंटी का प्रयोग कम करें. यह पसीना पैदा करती है, जिस से वैजाइनल एरिया में स्किन इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. पैंटी को धोते समय ध्यान रखें कि उस में साबुन न रहे और इसे धोने के लिए खुशबूदार साबुन का प्रयोग न करें.

गंदे टौयलेट से रहें दूर:

इन्फैक्शन से बचने के लिए गंदे टौयलेट का भी प्रयोग न करें. जिस टौयलेट में बहुत सारे लोग जाते हों उस का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करें क्योंकि ऐसे टौयलेट का प्रयोग करने से यूरिनरी टै्रक्ट इन्फैक्शन यानी मूत्रमार्ग इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

न करें खुद इलाज: अगर वैजाइना या उस के आसपास खुजली हो रही हो तो उस जगह को रगड़ें नहीं और यदि खुजली बराबर बनी रहती है तो डाक्टर से संपर्क करें. अपने मन या फिर कैमिस्ट के कहने पर दवा न लें वरना परेशानी बढ़ सकती है.

डाक्टर की सलाह से करें डाउचिंग:

वैजाइना के अंदरूनी हिस्से की सफाई के लिए डाउचिंग की सलाह दी जाती है. इस में कुछ खास किस्म की दवा मिली होती है, पर इस का प्रयोग अपने मन से न करें.

वैजाइना में अच्छे और बुरे दोनों किस्म के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. कभीकभी डाउचिंग से खराब बैक्टीरिया के साथसाथ अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन होने लगता है.

प्यूबिक हेयर की सफाई:

प्यूबिक हेयर यानी जननांग के बाल वैजाइना की सुरक्षा के लिए होते हैं. ये यूरिन के अंश को वैजाइना में जाने से रोकने का काम भी करते हैं. समयसमय पर इन की सफाई बेहद जरूरी होती है. यहां की स्किन बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए यहां के बालों की सफाई के लिए हेयर रिमूवर और शेविंग क्रीम का इस्तेमाल कम करें. हेयर ट्रिमिंग सब से सुरक्षित उपाय माना जाता है.

Winter Special: स्पर्म काउंट पर भारी पड़ती स्क्रीन टाइमिंग

बहुत से लोग हर वक्त मोबाइल पे चिपके रहते हैं. उन की यह लत उन्हें बहुत भारी पड़ सकती है क्योंकि हाल ही में अमेरिकन जरनल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हफ्ते में 20 घंटे से ज्यादा टीवी या मोबाइल फोन देखने से पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन में 35% तक की कमी आ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक 1 दिन में 5 घंटे से ज्यादा टीवी देखने वाले लोगों के शरीर में स्पर्म काउंट में भारी कमी आती देखी गई.इस के ठीक उलट कंप्यूटर पर रोजमर्रा का औफिस का दिनभर काम करते रहने वालों के शरीर में ऐसी कोई कमी नहीं देखी गई.

ऐसे लोगों के न तो स्पर्म काउंट में कोई कमी देखी गई और न ही उन के शरीर में टेस्टोस्टेरौन के स्तर में कोई कमी आई. इस का एक कारण यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग, जो बहुत ज्यादा टीवी देखते हैं, ज्यादा ऐक्सरसाइज नहीं करते हों और न ही हैल्दी खाना खाते हों, तो ये आदतें सीधे तौर पर फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं.इनफर्टिलिटी का बड़ा कारणटीवी या मोबाइल पर फिल्में देखने वालों का दिमाग एक तरह से काम करना बंद कर देता है.

जंक फूड के अत्यधिक सेवन और आलस भरे लाइफस्टाइल के चलते आजकल काफी लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं और यह इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. मोटापे की वजह से पुरुषों और महिलाओं दोनों की कामेच्छा कम होती जाती है. मोटापा न केवल यौन संबंध बनाने की इच्छा में कमी लाता है, बल्कि इस के चलते सैक्स के दौरान जल्दी स्खलन होने की समस्या भी पेश आती है. इस के चलते सैक्सुअल परफौर्मैंस प्रभावित होती है क्योंकि लिंग में पर्याप्त उत्तेजना नहीं आ पाती, साथ ही अगर महिला मोटापे से पीडि़त है, तो उस स्थिति में सही तरीके से समागम भी नहीं हो पाता है.

कैन, पैकेट बंद फूड और हाई फैट युक्त चीजें बहुत तेजी से और बड़ी मात्रा में ऐसिडिटी पैदा करती हैं, जिस से शरीर के पीएच स्तर में बदलाव आता है. आलस भरे लाइफस्टाइल के साथ कैमिकल ऐडिटिव्स और ऐसिडिक नेचर वाला खानपान या तो स्पर्म सैल्स के आकार और उन की गतिशीलता को नुकसान पहुंचाता है या फिर इस की वजह से स्पर्म डैड हो जाते हैं.

शारीरिक अक्षमता‘ब्रिटिश जनरल औफ स्पोर्ट्स मैडिसन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के तहत लैब ऐनालिसिस के लिए 18 से 22 साल की उम्र के 200 स्टूडैंट्स के स्पर्म सैंपल कलैक्ट किए गए. उन के विश्लेषण से यह पता चला कि सुस्त लाइफस्टाइल और स्पर्म काउंट में कमी का एकदूसरे से सीधा संबंध है. ज्यादा टीवी देखने वालों का औसत स्पर्म काउंट 37 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जबकि उन स्टूडैंट्स का स्पर्म काउंट 52 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जो बहुत कम टीवी देखते हैं.सुस्त लाइफस्टाइल और टीवी देखने के आदी लोगों के स्पर्म काउंट में सामान्य के मुकाबले 38% तक कमी पाई गई.

इस रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ है कि अत्यधिक टीवी देखने वालों के हृदय में अत्यधिक आवेग के चलते फेफड़ों में खून का जानलेवा थक्का जमने और उस के चलते हार्ट अटैक से मौत होने की संभावना भी 45% तक बढ़ जाती है और टीवी या मोबाइल स्क्रीन के सामने हर 1 घंटा और बिताने के साथसाथ यह संभावना और भी बढ़ती जाती है.

हर चीज की एक सीमा हो कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हर हफ्ते औसतन 18 घंटे की ऐक्सरसाइज करने से स्पर्म क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने से भी स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है. देखने में आया है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले ऐसे लोग जो हफ्ते में 15 घंटे मौडरेट ऐक्सरसाइज करते हैं या कोई खेल खेलते हैं उन का स्पर्म काउंट शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में 3-4 गुना तक ज्यादा रहता है.

टीवी या मोबाइल के सामने घंटों एकटक निगाहें रखने का सीधा संबंध शरीर में गरमी बढ़ाने से होता है. स्पर्म सैल्स ठंडे वातारण में ज्यादा अच्छी तरह पनपते हैं, जबकि शरीर के ज्यादा गरम रहने से वे ज्यादा अच्छी तरह नहीं पनप पाते हैं.जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज करना और लगातार टीवी देखना, दोनों ही शरीर में फ्रीरैडिकल्स के उत्पादन और उत्सर्जन को बढ़ावा देते हैं, जिस के चलते स्पर्म सैल्स मर जाते हैं, जिस का प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है.

बच्चेदानी में बार-बार इन्फैक्शन से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय महिला हूं. 7 सालों से बच्चेदानी में बारबार इन्फैक्शन होने से परेशान हूं. दवा लेने पर कुछ समय तक आराम रहता है, पर कुछ दिनों बाद समस्या फिर शुरू हो जाती है. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

अच्छा होता आप हमें अपनी समस्या के बारे में अधिक खुल कर लिखतीं. पहली जरूरत यह है कि यह ठीक से जानाबूझा जाए कि यह ऐसा कौन सा इन्फैक्शन है, जो बारबार आप को परेशान कर रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपने पर्सनल हाइजीन के बारे में लापरवाही बरत रही हों या फिर ऐसे किसी इन्फैक्शन से आप के पति भी पीडि़त हों, इसलिए उन की दवा न होने से यह इन्फैक्शन बारबार उन से आप में लौट आता हो?

अच्छा होगा कि आप अपनी गाइनोकोलौजिस्ट से इस विषय पर खुल कर बात करें और अपने बचाव के लिए उपयुक्त कदम उठाएं. यदि पति को भी इलाज की जरूरत हो तो उन्हें भी दवा लेने के लिए प्रेरित करें. इस प्रकार बारबार इन्फैक्शन होना ठीक नहीं. लापरवाही बरतने से स्थिति कभी अचानक ज्यादा भी बिगड़ सकती है.

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गर्भाशय का कैंसर भारत में तेजी से पांव पसार रहा है. दुनिया में इस मामले में भारत का पहला नंबर है. औरतों के इसे ले कर लापरवाही बरतने की वजह से यह तेजी से फैल रहा है. दक्षिणपूर्व एशिया, भारत और इंडोनेशिशा में कुल कैंसर मरीजों का एकतिहाई हिस्सा गर्भाशय के कैंसर से पीडि़त है. 30 से 45 साल की उम्र की औरतों में इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है, इसलिए इस आयु की औरतों को लापरवाही छोड़ कर सचेत होने की जरूरत है.

महिलाओं में बढ़ते गर्भाशय कैंसर के बारे में दिल्ली के एम्स के डाक्टर नीरज भटला ने पिछले दिनों पटना में महिला डाक्टरों के सम्मेलन में साफतौर पर कहा कि कैंसर को पूरी तरह डैवलप होने में 10 साल का समय लगता है. अगर पेशाब में इन्फैक्शन हो या पेशाब के साथ खून आए तो उसे नजरअंदाज न करें. अगर औरतें हर 2-3 साल पर नियमित जांच कराती रहें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. गर्भाशय के कैंसर से बचाव के लिए हर 3 साल पर पैपस्मियर टैस्ट और स्तन कैंसर से बचाव के लिए हर 1 साल पर मैगोग्राफी करानी चाहिए. शुरुआती समय में इस का पता चलने पर आसानी से इलाज हो जाता है.

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दीवानगी जब हद से जाए गुजर

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्यार से सुंदर कुछ नहीं पर जिद या ग्रांटेड ले कर प्यार करना बेकार है. प्यार को प्यार की नजर से करना ही सही है. कई बार व्यक्ति प्यार समझ नहीं पाता. प्यार अचानक होता है और इस में ऐज फैक्टर, कास्ट, क्रीड आदि कोई माने नहीं रखते.

1. प्रेम बन सकता है तनाव का सबब

प्यार किसी के लिए दवा का काम करता है तो किसी के लिए तबाही और बदले का सबब भी बन जाता है. हर इंसान अपने व्यतित्त्व और परिस्थितियों के हिसाब से प्यार को देखता है. प्यार अंधा होता है पर कितना यह बाद में पता चलता है. इसीलिए फौल इन लव कहते हैं यानी आप प्यार में गिर जाते हैं. गिर जाना यानी अपनी आईडैंटिटी, अपना सबकुछ भूल जाते हैं. इस के अंदर आप खुद को भूल कर दूसरे को सिर पर चढ़ा लेते हैं. इसलिए प्यार में बहुत से लोग पागल हो जाते हैं, तो कुछ आत्महत्या तक कर लेते हैं.

प्यार किस तरह की पर्सनैलिटी वाले शख्स ने किया है इस पर काफी कुछ डिपैंड करता है. इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी के लिए प्यार हमेशा डिपैंडैंट फीचर रहता है. उस की सोच होती है कि दूसरा शख्स उस का ध्यान रखेगा, उसे प्यार करेगा, उसे संभालेगा. इस तरह के लोग काफी कमजोर होते हैं. वे बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं तो बहुत जल्दी डिप्रैशन में भी आ जाते हैं.

प्यार में 3 फैक्टर्स बहुत हाई लैवल पर रहते हैं- पहला त्याग, दूसरा कंपैटिबिलिटी और तीसरा दर्द. दूसरा बंदा आप को किस तरह से देख रहा है, आप को कितने अंकों पर आंक रहा है यह भी काफी महत्त्वपूर्ण है. वह आप से किस लैवल तक क्या चाहता है, यह देखना भी जरूरी होता है.

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2. हारमोंस का लोचा

प्यार में कई तरह के हारमोंस निकलते हैं जिन का असर हमारी पूरी पर्सनैलिटी पर पड़ता है. प्यार से व्यक्ति को एक तरह की किक मिलती है. कोई सामने वाला जब आप की मनपसंद, प्यारभरी बातें कर रहा होता है तो आप खुश हो जाते हैं. प्यार का कनैक्शन एक तरह के ऐंजाइम से रहता है, जो आप को खुश और दुखी दोनों रख सकता है. इस में जब खुशी मिलती है तो डोपामाइन हारमोंस सीक्रेट होते हैं. इस से कई बार आप बहुत ज्यादा वेट गेन कर लेते हैं और प्यार में आप फिट भी हो जाते हैं, क्योंकि आप को सामने वाले को खुश भी करना होता है. प्यार में कई तरह के पर्सनैलिटी चेंजेज होते रहते हैं.

3. असुरक्षा की भावना

प्यार में असुरक्षा की भावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. आप सामने वाले पर हमेशा नजर रखते हैं कि वह किसी और को तो नहीं देख रहा, किसी और से तो बातें नहीं कर रहा, किसी और के करीब तो नहीं हो रहा, दूसरा व्यक्ति कहीं मुझ से मेरे प्यार को तो छीन नहीं लेगा जैसी बातें आप के दिमाग में चलती रहती हैं. प्यार में हम डिपैंडैंट हो जाते हैं. अपना चोला बदल लेते हैं. अपना सबकुछ भूल जाते हैं, यहां तक कि अपना काम भी. हमारा पूरा ध्यान एक ही बंदे पर केंद्रित हो जाता है. इस से हमारा काम, हमारा शेड्यूल सबकुछ प्रभावित हो जाता है.

4. डिपैंडैंसी

आप किसी पर पूरी तरह डिपैंडैंट हो जाते हैं तो आप की अपनी पर्सनैलिटी खो जाती है. आप किसी और का चोला पहन लेते हैं. उसे खुश करने के लिए आप उस की पसंद की बात करते हैं, उस की पसंद के कपड़े पहनते हैं, दूसरों से भी उसी की बातें करते रहते हैं, उसी को समझने का प्रयास करते हैं. सारा दिन उसी के खयालों में खोए रहने लगते हैं. दिनभर उस से फोन पर बातें कर टच में रहने की कोशिश में रहते हैं. एक समय आता है जब वह कहीं न कहीं आप को यूज करने लगता है. आप उस के लिए फौर ग्रांटेड हो जाते हैं. साइकोलौजिकली आप ड्रैंड आउट हो जाते हैं. आप की जिंदगी में भारी परिवर्तन होने लगता है. कोई व्यक्ति आप के सिस्टम में घुस जाता है.

5. जब टूटता है नशा

प्यार का नशा जब टूटता है तो हम कहते हैं कि हमारी आंखों पर पट्टी बंधी थी. हम प्यार में अंधे हो गए थे. सचाई से अवगत होने पर इस चीज को बरदाश्त नहीं कर पाते कि हम कहीं न कहीं ऐसे आदमी से जुड़े थे जो डबल डेटिंग कर रहा था. आप के साथसाथ किसी और के भी क्लोज था. अकसर लड़कियां स्मार्टनैस या पैसे देख कर फंस जाती हैं. प्यार एक बहुत ही मिसअंडरस्टुड शब्द है. प्यार में कभी भी आप को 100% वापस नहीं मिलता. फिर आप को इस बात का डिपै्रशन होता है कि आप उसे जितना प्यार करती हैं वह उतना आप का खयाल क्यों नहीं रखता? आप को पूछता क्यों नहीं? आप उस के लिए अपने मांबाप, दोस्तों और यहां तक कि जिम्मेदारियों को भी भूल जाती हैं पर संभव है कि वह आप को ही छोड़ दे.

प्यार में धर्म की वजह से अकसर ओनर किलिंग्स के केसेज होते हैं. सुसाइड होते हैं, वैबसुसाइड होते है, व्हाट्सऐप पर ही इंसान दूसरे को दिखाते हुए आत्महत्या कर लेता है. प्यार में फ्रौड केसेज भी काफी होते हैं. कई बार जिस से आप प्यार कर रही होती हैं वही व्यक्ति एकसाथ कई लड़कियों के साथ डेट कर रहा होता है.

कई बार मुसलिम युवक हिंदू लड़की को मुसलिम बनाने के लिए प्यार का नाटक करते हैं. कई बार बदला लेने के लिए भी लोग किसी को अपने प्रेमजाल में फंसा कर आप की जिंदगी को खतरे में डाल सकते हैं. इसी तरह के मामलों में ऐसिड अटैक या मर्डर की घटनाएं होती हैं.

वन साइडेड लव है, तो साइको लवर्स पैदा हो जाते हैं. सामने वाले पर ऐसिड अटैक कर देने या मार डालने की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. अपने साथी के साथ मिल कर पुराने प्रेमी को खत्म करना जैसे क्राइम ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की वजह से जन्म लेते हैं.

6. कैसे बचें

– कभी भी किसी इंसान को अपना सबकुछ मान कर अपना पूरा वक्त न दें. हमेशा एक सीमा में रह कर ही किसी से प्यार करें.

– कभी भी किसी के लिए अपनी आईडैंटिटी खत्म न करें. अपनी आईडैंटिटी हमेशा बचा कर रखें, क्योंकि आप की पहचान आप से है किसी और से नहीं.

– अपनी पसंद का काम करते रहें ताकि आप जीवन से किसी के जाने पर बिलकुल खाली और बरबाद न हो जाएं.

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क्या कहता है कानून

रिस्ट्रिक्शन आर्डर: यदि कोई ऐसा शख्स आप से प्यार करने का दावा करता है, जिस के प्रति आप के मन में कोई सौफ्ट कौर्नर नहीं और वह जबरदस्ती पीछे पड़ा है व बेवजह परेशान करने लगा है तो आप उस पर रिस्ट्रिक्शन और्डर लगवा सकती हैं. इस के तहत वह व्यक्ति 100 मीटर की दूरी तक आप के आसपास भी नहीं दिख सकता. इस के अलावा आप दूसरे कई कानूनों का सहारा ले सकती हैं. मसलन, आईपीसी की धाराएं जैसे-

धारा 509: यदि कोई बातों और हावभाव से आप को परेशान कर रहा हो जबकि आप का रुझान उस की तरफ  नहीं है.

धारा 506: यदि कोई भी व्यक्ति धमकी देता है जैसेकि जान से मारने की धमकी, रेप करने की धमकी तो इस तरह की धमकियां देने पर आईपीसी की धारा 506 लगती है.

धारा 376: यदि रेप हुआ हो तो यह धारा लग सकती है.

धारा 354: सैक्सुअल हैरसमैंट और स्टौकिंग आदि के केसेज में धारा 354 लगती है.

धारा 302: कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है.

धारा 366: विवाह के लिए विवश करने के मकसद से किडनैप किए जाने पर धारा 366 लगाई जा सकती है.

धारा 326: यह धारा ऐसिड अटैक के केसेज में लगाई जाती है.

-क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट अनुजा कपूर

से गरिमा पंकज द्वारा की गई बातचीत पर आधारित

गुप्त रोग लाइलाज नहीं

सैक्स का जिक्र आते ही युवा मन में एक विशेष प्रकार की सरसराहट होने लगती है. मन हसीन सपनों में खो जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया है 2 जवां दिलों के आपसी मिलन की.

रमेश का विवाह नेहा से तय हो गया था. रमेश नेहा की खूबसूरती देख पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया था. नेहा को ले कर उस ने हसीन सपने बुन रखे थे. बस, इंतजार था शादी व मिलन की रात का.

रमेश ने पहले कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, इसलिए उस के लिए तो यह नया अनुभव था. मिलन की रात जब रमेश ने नेहा को अपने आगोश में लिया तो उस का धैर्य जवाब देने लगा. उस ने जल्दी से नेहा के कपड़े उतारे और सैक्स को तत्पर हो गया, पर अभी वे एकदूसरे में समा भी न पाए थे कि वह शांत हो गया.

नेहा अतृप्त रह गई. जिस आनंद के सपने उस ने संजो रखे थे सब धराशायी हो गए. रमेश अपने को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था.

रमेश जैसी स्थिति किसी भी युवा के साथ आ सकती है. अकसर युवा इसे अपनी शारीरिक कमजोरी या गुप्त रोग मान लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे कभी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाएंगे.

बहुत से युवा अपने मन की बात किसी से संकोचवश कर नहीं पाते और हताशा का शिकार हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ युवा नीमहकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो उन्हें पहले नामर्द ठहराते हैं और फिर शर्तिया इलाज की गारंटी दे कर लूटते हैं. युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी समस्या मानसिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.

प्रसिद्ध स्किन व वीडी स्पैशलिस्ट डा. ए के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘पहली रात में सैक्स न कर पाना एक आम समस्या है, क्योंकि युवाओं को सैक्स की जानकारी नहीं होती. वे सैक्स को भी अन्य कामों की तरह निबटाना चाहते हैं, जबकि सैक्स में धैर्य, संयम और आपसी मनुहार अत्यंत आवश्यक है.

डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि सैक्स से पहले फोरप्ले जरूरी है, इस से रक्त संचार तेज होता है और पुरुष के अंग में पर्याप्त कसाव आता है. कसाव आने पर ही सैक्स क्रिया का आनंद आता है और वह पूर्ण होती है. इसलिए युवाओं को सैक्स को गुप्त रोग नहीं समझना चाहिए. यदि फिर भी कोई समस्या है तो स्किन व वीडी विश्ेषज्ञ की राय लें.

आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास यौन रोगों पर :

शीघ्रपतन

अकसर युवाओं में शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि दिमागी विकारों की वजह से ऐसा होता है. इस समस्या में युवा अपने पार्टनर को पूरी तरह से संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं. यह बीमारी वैसे तो दिमागी नियंत्रण से ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या तब भी बनी रहे तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श ले कर इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

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नपुंसकता

नपुंसकता एक जन्मजात बीमारी है. इस रोग से ग्रसित लोग स्त्री को शारीरिक सुख देने में सक्षम नहीं होते और न ही संतान पैदा कर पाते हैं. कुछ युवाओं में क्रोमोसोम्स की कमी भी नपुंसकता का कारण होती है. युवाओं को शादी से पहले पता ही नहीं चलता कि उन के क्रोमोसोम्स या तो सक्रिय नहीं हैं या उन में दोष है. कुछ युवा शुरू में नपुंसक नहीं होते पर अन्य शारीरिक विकारों की वजह से वे सैक्स क्रिया सही तरीके से नहीं कर पाते. इसलिए उन को नपुंसक की श्रेणी में रखा जाता है. आजकल तो इंपोटैंसी टैस्ट भी उपलब्ध हैं. अगर ऐसी कोई समस्या है तो इस टैस्ट को अवश्य कराएं.

पुरुष हारमोंस की कमी

पुरुषों में टैस्टेटोरोन नाम का हारमोन बनता है. यही हारमोन पुरुष होने का प्रमाण है. कभीकभी किन्हीं वजहों से टैस्टेटोरोन स्रावित होना बंद हो जाता है तो वह व्यक्ति गुप्त रोग का शिकार हो जाता है. 50 से 55 वर्ष की आयु के बाद इस हारमोन के बनने की गति धीमी पड़ जाती है इसलिए ऐसे व्यक्ति सैक्स क्रिया में जोश से वंचित रह जाते हैं.

सिफलिस

यह वाकई एक गुप्त रोग है जो किसी अनजान के साथ यौन संबंध बनाने से होता है. अकसर यह रोग सफाई न रखने या ऐसे पार्टनर से सैक्स संबंध कायम करने से होता है जो अलगअलग लोगों से सैक्स संबंध बनाता है. इस रोग में यौनांग पर दाने निकल आते हैं. कभीकभी इन दानों से खून या मवाद का रिसाव तक होता रहता है. यदि आप के यौन अंग पर ऐसे दाने उभरते हैं तो तुरंत त्वचा व गुप्त रोग विशेषज्ञ से राय लें और इलाज कराएं. इस का इलाज संभव है.

जिस तरह पुरुषों में यौन या गुप्त रोग होते हैं, उसी तरह महिलाओं में भी गुप्त रोग हो सकते हैं. अकसर बहुत सी युवतियों की सैक्स में रुचि नहीं होती. सैक्स के नाम से वे घबरा जाती हैं ऐसी युवतियां या तो बचपन में किसी हादसे का शिकार हुई होती हैं या फिर किसी गुप्त रोग से पीडि़त होती हैं, यहां तक कि वे शादी करने तक से घबराती हैं.

महिलाओं के कुछ खास गुप्त रोग

बांझपन

युवतियों में 12-13 वर्ष की उम्र से माहवारी आनी शुरू हो जाती है. कभीकभी यह 1-2 साल आगेपीछे भी हो जाती है पर ऐसी भी युवतियां हैं जिन के माहवारी होती ही नहीं. ऐसी युवतियां बांझपन का शिकार हो जाती हैं. स्त्री बांझपन भी पुरुष नपुंसकता की तरह जन्मजात रोग है. बहुतों में अनेक शारीरिक व्याधियों के चलते भी हो जाती है लेकिन वह अस्थायी होती है और इलाज से ठीक भी हो जाता है. अगर किसी किशोरी को माहवारी की समस्या है तो उसे तुरंत किसी योग्य स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

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जननांगों में खुजली

जब से समाज में खुलापन आया है युवा मस्ती में कब हदें पार कर देते हैं पता ही नहीं चलता. चूंकि इन्हें जननांगों की साफसफाई कैसे रखी जाए, यह पता नहीं होता इसलिए ये खुजली जैसे यौन संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं. यदि बौयफ्रैंड को कोई यौन संक्रमण है तो गर्लफ्रैंड को इस यौन संक्रमण से बचाया नहीं जा सकता. अत: दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने यौनांगों की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिए.

एंड्रोजन हारमोन का अभाव

जिस तरह पुरुषों में पुरुष हारमोन टैस्टेटोरोन होता है, उसी तरह युवतियों में एंड्रोजन हारमोन होता है. जिन युवतियों में इस हारमोन की कमी होती है, उन में सैक्स के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि यही हारमोन सैक्स क्रिया को भड़काता है. यदि कोई युवती एंड्रोजन हारमोन की कमी का शिकार है तो उसे तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से राय लेनी चाहिए. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है.

लिकोरिया

लिकोरिया गंदगी की वजह से होने वाला एक महिला गुप्त रोग है. इस रोग में योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होता रहता है, जिस से शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी हो जाती है. इस रोग से बचने के लिए युवतियों को अपने गुप्तांगों की नियमित सफाई रखनी चाहिए और किसी दूसरी युवती के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. लिकोरिया की शिकार युवतियों को तुरंत लेडी डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, वरना यह रोग बढ़ कर बेकाबू हो सकता है.

सैक्स में भ्रांतियां न पालें

सैक्स की अज्ञानता की वजह से अकसर युवकयुवतियां सैक्स को ले कर तरहतरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं.

हस्तमैथुन

यह एक स्वाभाविक क्रिया है. अकसर युवकों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है. ज्यादा हस्तमैथुन करने वाले युवकों को लगता है कि उन का अंग छोटा या टेढ़ा हो गया है और वे विवाह के बाद अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने में कामयाब नहीं होंगे. कई नीमहकीम भी युवकों को डरा देते हैं कि हस्तमैथुन से अंग की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और वे अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकेंगे, पर वास्तव में ऐसा नहीं है. हस्तमैथुन शरीर की आवश्यकता है. शरीर में वीर्य बनने पर उस का बाहर आना भी जरूरी है. इस में किसी प्रकार की कोई बुराईर् नहीं है. युवक ही नहीं युवतियां भी हस्तमैथुन करती हैं. डाक्टरों का भी मत है कि हस्तमैथुन का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता.

ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक

अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बल्कि सैक्स से महरूम रहना सेहत पर असर डालता है. सैक्स से मानसिक थकावट कम होती है, चित्त प्रफुल्लित रहता है जो सेहत के लिए अत्यंत जरूरी है.

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बौयफ्रैंड के साथ सैक्सुअल रिलेशनशिप में प्रौब्लम सह रही हूं, मैं क्या करूं?

सवाल…

मैं 21 साल की युवती हूं. कुछ दिनों पहले अपने बौयफ्रैंड के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया. हालांकि इस दौरान बौयफ्रैंड ने कंडोम का प्रयोग कर सैक्स किया पर दूसरे दिन सुबह मेरे यूटरस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया. अत: बताएं कि सुरक्षित संबंध बनाने के बाद भी दर्द क्यों हुआ?

जवाब…

सैक्स संबंध हमेशा सुरक्षित ही बनाना चाहिए. सैक्स क्रिया में कंडोम एक सरल व सहज गर्भनिरोधक है, जिस से अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है. यूटरस में दर्द और बुखार होने का सुरक्षित सैक्स संबंध बनाने से कोई वास्ता नहीं है. संभव है कि आप के साथ कोई अंदरूनी वजह रही होगी. बेहतर होगा कि आप अपने डाक्टर से मिल कर सलाह लें.

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तो नहीं सताएगा उन से दूरी का एहसास…

रिया और वंश इंटरनैट के जरीए एकदूसरे से मिले और दोनों के बीच प्यार हो गया. फिर दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन इन की शादी के बीच आ रही थी इन की नौकरी. दरअसल, दोनों अलगअलग शहर में नौकरी करते थे और नौकरी चेंज करना दोनों के लिए मुश्किल था. फिर भी दोनों ने आपसी सहमति से शादी कर ली और अलगअलग शहर में रहने लगे.

रिया और वंश की तरह और भी न जाने कितने जोड़े नौकरी, बुजुर्ग मातापिता की देखरेख, पढ़ाई आदि कारणों से लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में रहते हैं. इन शादियों को कंप्यूटर मैरिज कहा जाता है यानी ऐसी शादियां जिन में पतिपत्नी अस्थायी रूप से अलग रहते हैं और कंप्यूटर के माध्यम से एकदूसरे से जुड़े रहते हैं.

लौंग डिस्टैंस रिलेशन निभाना काफी मुश्किल है. छोटीछोटी बातें भी रिश्ते में दूरी लाती हैं.

शादी के कुछ महीने बाद से ही लौंग डिस्टैंस में रहने वाली दिल्ली की 26 वर्षीय अमृता कहती हैं, ‘‘हमारी शादी को 10 महीने हो चुके हैं. मैं दिल्ली में रहती हूं और मेरे पति की पोस्टिंग चंडीगढ़ में है. शादी के बाद दूरदूर रहना काफी मुश्किल होता है. एकदूसरे की बहुत कमी खलती है. अकेलापन महसूस होता है. लेकिन फिर यह सोच कर खुद को संभाल लेती हूं कि यह कदम हम ने अपने अच्छे भविष्य के लिए उठाया है. कभीकभी तो छोटीछोटी बातों को ले कर हमारे बीच इतना बड़ा झगड़ा हो जाता है कि हम 2-2, 3-3 दिन तक बातचीत नहीं करते. कई बार तो ऐसा भी होता है कि मैं कुछ पूछती हूं तो उन्हें लगता है कि मैं उन की जासूसी कर रही हूं.’’

दरअसल, ऐसा होने की मुख्य वजह है कि हम लौंग डिस्टैंस रिलेशन में अपनी भावनाओं को जाहिर करने में विफल रहते हैं. पास रहने पर भावनाओं को आसानी से जाहिर कर लेते हैं.

इस बारे में दिल्ली के रोहिणी स्थित परफैक्ट हैल्थ इंस्टिट्यूट के मनोवैज्ञानिक डा. आर. पाराशर का कहना है, ‘‘पतिपत्नी के रिश्ते में दूरी का बहुत असर होता है, क्योंकि यह रिश्ता बेहद नाजुक और अन्य रिश्तों से अलग होता है. हम भाईबहनों, मातापिता से बड़ी आसानी से दूर रह सकते हैं, लेकिन पतिपत्नी न केवल भावनात्मक बल्कि शारीरिक रूप से भी एकदृसरे से जुड़े होते हैं और दूर रहने पर इस से वंचित रहते हैं. जिस की वजह से शरीर में पौजिटिव हारमोंस नहीं बन पाते. पौजिटिव हारमोंस की कमी होने की वजह से वे स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं. उन की क्रिएटिविटी खत्म होने लगती है. वे डिप्रैशन में जाने लगते हैं.’’

कुछ कपल तो ऐसे भी होते हैं, जो इस दूरी की वजह से इतना अकेलापन महसूस करते हैं कि अगर कोई भी उन्हें जरा सा प्यार देता है तो वे उस के प्रति आकर्षित हो जाते हैं.

एक केस को याद करते हुए डा. पारासर आगे कहते हैं, ‘‘मेरे पास एक केस आया था, जिस में पतिपत्नी एकदूसरे से दूर रहते थे. पत्नी शारीरिक सुख न मिलने की वजह से खुद को इतना अकेला महसूस करती थी कि उस ने इस अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने औफिस के ही एक साथी के साथ संबंध बना लिए.’’

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इस तरह के कई केसेज हैं, जिन में पतिपत्नी का साथ न रहने पर पार्टनर ने किसी और के साथ संबंध बना लिए. कुछ कपल्स ऐसे भी होते हैं, जो अपनी इस दूरी का गम मनाते रहते हैं और जिंदगी को जीना भूल जाते हैं. यह ठीक है कि दूर होने पर रिश्ते में गरमाहट बनाए रखना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन आज फोन, ईमेल, इंटरनैट आदि माध्यमों से जुड़ कर लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में प्यार को बढ़ाया जा सकता है.

निम्न टिप्स को फौलो करें, फिर देखें दूरी कैसे प्यार बढ़ाने का काम करती है:

सरप्राइज दें

सरप्राइज हर किसी को पसंद आता है. खासतौर पर तब जब इसे देने वाला आप से कोसों दूर हो. चौकलेट, फ्लौवर, ड्रैस, ई कार्ड्स या फिर साथी की पसंद का गिफ्ट भेज कर आप उसे सरप्राइज दे सकते हैं. गिफ्ट के साथ एक खास नोट भी लिख कर भेजें कि आप उन के लिए कितने स्पैशल हैं. कभी खुद उन्हें बिना बताए मिलने पहुंच जाएं, इस से रिश्ते की नीरसता खत्म होगी और ऊर्जा का संचार होगा.

रोचक पलों को शेयर करें: तकनीक ने आजकल कई चीजों को आसान बना दिया है, इसलिए कोशिश करें कि आप दिन के रोचकरोमांचक पलों को फोटो और वीडियो के जरीए कैप्चर करें, जो साथी के चेहरे पर खुशी ला सकें. यकीन मानिए यह छोटी सी चीज साथी के चेहरे पर लंबी मुसकान लाएगी.

बातचीत करते रहें: मोबाइल, इंटरनैट के जरीए एकदूसरे से जुड़े रहें. थोड़ेथोड़े समय के अंतराल पर मैसेज या फोन के द्वारा साथी की खबर पूछते रहें. स्काइप पर बातें करें. वीडियो चैट करें. वीडियो चैट करते समय कभीकभी वर्बल फोरप्ले भी करें. इस से रिश्ते में मिठास बनी रहती है.

फीलिंग्स ऐक्सप्रैस करें: जब भी आप का पार्टनर आप से दूर हो तो उसे बीचबीच में ‘आई लव यू’ कहते रहें. ये 3 शब्द आप के रिश्ते को मधुर बनाए रखेंगे. रात में सोने से पहले एक रोमांटिक मैसेज करें. जब भी वीडियो चैट करें तो अच्छी तरह तैयार हो कर करें. इसे हमेशा एक डेट के रूप में लें. आप को खुश देख कर पाटर्नर को भी अच्छा लगेगा.

ईमानदार रहें: ईमानदारी दूरी निभाने की पहली नीति है. इस का मतलब यह है कि न सिर्फ साथी, बल्कि स्वयं के प्रति भी ईमानदार रहें. अन्यत्र अफेयर्स के बजाय अपने वास्तविक प्यार के बारे में सोचें.

साथ छुट्टी लें: साथ छुट्टी ले कर कहीं घूमने जाएं. एकदूसरे को पूरा समय दें. इस से रोमांस बना रहता है. बर्थडे, मैरिज ऐनिवर्सरी जैसे खास पलों को यादगार बनाने के लिए कुछ स्पैशल प्लान करें.

क्या न करें

बात करें बहस नहीं: कपल हमेशा बात करतेकरते बहस करने लगते हैं और जब दूर होते हैं तो छोटीछोटी बातों का भी बुरामान जाते हैं. तुम ने मुझे फोन नहीं किया, तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम नहीं है, मैं तुम्हारे पास होती या होता तो तुम ऐसा नहीं करते जैसी छोटीछोटी बातों पर वे झगड़ पड़ते हैं और एकदूसरे से बात नहीं करते. ऐसा बिलकुल न करें. ऐसा करने से प्यार नहीं, बल्कि दूरी ही बढ़ती है. जब भी बात करें तो उन पलों को खास बनाएं.

शक न करें: पतिपत्नी हमेशा शक करते हैं कि कहीं पार्टनर किसी और के क्लोज तो नहीं है. वह झूठ तो नहीं बोल रहा, सचाई तो नहीं छिपा रहा. इस तरह का बरताव बिलकुल न करें. ये बातें एकदूसरे को पास नहीं लातीं, बल्कि एकदूसरे से दूर ही करती हैं.

कम्यूनिकेशन गैप न आने दें: जब लौंग डिस्टैंस में रह रहे हों तो बात कर के ही आप एकदूसरे से जुड़े रह सकते हैं. इसलिए झगड़ा कर के बात करना बंद न करें. इस से कम्यूनिकेशन गैप आता है. वक्त निकाल कर दिन में 4-5 बार एकदूसरे से बात जरूर करें. लेकिन ध्यान रखें कि यह सिर्फ औपचारिकता न हो, बल्कि बातों में प्यार और रोमांस का तड़का हो.

पार्टनर पर गुस्सा न उतारें: जब आप दूरदूर हों तो किसी भी बात का गुस्सा अपने पार्टनर पर न उतारें. किसी एक के साथ कुछ गलत होता है तो वह अपना सारा गुस्सा दूसरे पर उतारता है.

जासूस न बनें: बातबात पर जासूसी न करें. बारबार फोन कर के यह पता लगाने की कोशिश न करें कि साथी कहां है. किस केसाथ है और क्या कर रहा है. आपसी विश्वास बनाए रखें.

बातें न छिपाएं: कोई भी बात पार्टनर से न छिपाएं, क्योंकि बाते छिपाने पर पार्टनर के मन में तरहतरह के विचार आने लगते हैं और फिर दूरी बढ़ने लगती है.

जिद न करें: अपनी बातें मनवाने की जिद न करें. अगर आप का पार्टनर व्यस्त है और आप का फोन नहीं उठा रहा है, तो उसे बारबार फोन न करें और उस के फोन उठाते ही चिल्लाने न लगें और आप बेहतर रोमांटिक लाइफ जीना चाहते हैं, तो रिश्ते में औफिस की टैंशन कभी न लाएं.

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