सफर में अगर कुछ दोस्त, संगीसाथी मिल जाएं तो रास्ता गुजरते समय नहीं लगता. वहीं अगर कुछ देर भी अकेला चलना पड़ जाए तो मन बोझिल हो जाता है. इसलिए आज के दौर में अपना सामाजिक दायरा बढ़ाना बहुत जरूरी है. लोगों से मिलेंजुलें और हर वक्त अकेले रहने के बजाय थोड़ा सोशल बनें. इस से आप खुद भी खुश रहेंगी और परिवार को भी खुश रख पाएंगी.
कितना हो सामाजिक दायरा
1. सोशल नैटवर्किंग में एक्टिव हों
सामाजिक दायरा बढ़ाने के लिए सोशल नैटवर्किंग एक अच्छा तरीका है. यह आप के लिए आसान भी होगा और इस से आप एकसाथ बहुत लोगों से ग्रुप में जुड़ कर बातचीत कर सकती हैं. यह एकदूसरे के बर्थडे आदि पर विश करने या फिर अन्य उत्सवों पर बधाई संदेश देने का अच्छा तरीका है, साथ ही अगर कहीं घूमने जाएं तो फोटो आदि अपलोड करने पर भी पता चलता है कि किस की लाइफ में क्या हो रहा है और बिना मिले ही सब एकदूसरे से टच में रहते हैं.
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2. लोगों के साथ बातचीत है जरूरी
वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, अगर आप रोज 10 मिनट किसी के साथ बात करते हैं, तो इस से आप संवाद की कला में माहिर हो जाते हैं साथ ही याद्दाश्त तेज होती है और बुद्धिमत्ता भी बढ़ने लगती है. इसलिए याद्दाश्त और बुद्धिमत्ता को सक्रिय बनाए रखने के लिए लोगों के साथ बातचीत जरूरी है.
3. बनाएं दोस्त
अगर पुराने फ्रैंड्स से आप टच में नहीं हैं, तो एक बार उन से संपर्क अवश्य करें और उन से मिलने और उन के साथ घूमने का प्रोग्राम बनाएं. उन्हें अपने घर बुलाएं. इस से दोबारा आनाजाना शुरू होगा. इस के अलावा आप चाहें तो कुछ नए दोस्त भी बनाएं अपनी ही सोसाइटी में. अपने बच्चे के दोस्तों की मम्मियों से भी दोस्ती की जा सकती है. इस से कोई प्रौब्लम होने पर मिल कर समाधान निकाला जा सकता है.
4. नए लोगों से मिलें
अगर आप के फ्रैंड्स या रिश्तेदार कम हैं तो उन्हें अपने रिश्तेदारों को लाने के लिए कहें जैसेकि अपनी ननद की ननद को बुलाएं. इस से एक तो आप की ननद खुश होगी दूसरे आप को एक और नई सहेली भी मिल जाएगी. इसी तरह अपने फ्रैंड्स के फ्रैंड्स से मिलना भी नए लोगों से मिलने का अच्छा तरीका है. आप जिस भी नए इंसान से मिलें उसे अपने इस सामाजिक दायरे की एक शुरुआती कड़ी समझने की कोशिश करें.
अगर फ्रैंड के यहां मेहमान आएं हैं तो अपनी पार्टी में उन्हें भी लाने के लिए कहें या फिर अपने फ्रैंड्स के फ्रैंड्स को भी आने के लिए कहें. इन में से कुछ को तो आप जानती ही होंगी. इस तरह आप भी अपने फ्रैंड्स के साथ उन के फ्रैंड्स से मिल सकती हैं. ऐसा करने पर आप को कितने ही अच्छे लोगों से मिलने का अवसर मिल सकता है और कौन जानें इन्हीं में कुछ आप की बैस्टीज बन जाएं.
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5. एंटीसोशल नहीं बनें सोशल
अपने औफिस के कामकाज को अपनी सोशल लाइफ से अलग न रखें और सिर्फ वीकैंड पर परिवार के साथ ऐंजौय करने को सोशल होना नहीं कहते, बल्कि अपने औफिस में भी सब से अच्छी तरह मुसकरा कर मिलें. अगर आप एक दिन औफिस न आएं तो लोग आप को मिस करें, आप का हालचाल पूछें, आप का व्यवहार ऐसा होना चाहिए.
एक मिलनसार महिला के रूप में अपनी पहचान बनाएं. काम के समय काम और लंच ब्रेक या फिर जब भी मौका मिले बातचीत करने से न हिचकिचाएं. किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में जाने से बचें नहीं वरना लोग आप पर ऐंटीसोशल होने का तमगा लगा देंगे. अपने औफिस के कार्यक्रमों आदि में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें और उन्हें पूरी तरह ऐंजौय करें.
6. रिश्तों को दें समय
माना कि आज के दौर में सभी के पास समय की कमी होती है, लेकिन जो लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए समय नहीं निकालते, एक वक्त के बाद वे खुद बहुत अकेले हो जाते हैं. इसलिए रिश्तेदारों से मिलने का समय निकालिए. उन का वक्तवक्त पर हालचाल पूछते रहें. इस से उन्हें भी लगेगा कि वे आप के लिए कितने खास हैं.
7. तनाव पर विजय पाने के लिए
अगर आप सामाजिक रूप से सक्रिय रहते हैं, तो मानसिक रूप से भी स्वस्थ और सक्रिय रहते हैं. हालिया शोधों में साबित हो चुका है कि सामाजिक संबंध आप को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु देता है. लोगों के साथ मिलतेजुलते रहने, उन के साथ अपने सुखदुख बांटने से मानसिक स्वास्थ्य बढि़या रहता है. दरअसल, संवाद की कला आप को लोगों से जोड़ने का काम करती है. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते लोगों का सामाजिक दायरा सिकुड़ता जा रहा है. अपनों से बात करने का वक्त नहीं होता. अपनी परेशानियां किसी के साथ बांटना नहीं चाहते, जिस के चलते अवसाद, ब्लड प्रैशर, तनाव और सिरदर्द जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है.
कैसा हो सामाजिक दायरा
1. शिकायतों के लिए जगह न हो: अगर आप चाहती हैं कि आप का सामाजिक दायरा बड़ा और अच्छा हो तो आप शिकायतें ही न करती रहें. दोस्त गम बांटने में मदद करते हैं पर इस का मतलब यह नहीं होता कि आप पूरा समय रोती ही रहें. अगर आप शिकायतें ही करती रहेंगी तो लोग आप से बचना शुरू कर देंगे.
2. निमंत्रण को स्वीकार करें: यदि लोग आप को मिलने के लिए बुलाते हैं तो आप को उन के बुलावे को यों ही छोड़ने के बजाय उसे स्वीकार करना चाहिए. ऐसा बिलकुल भी न सोचें कि आप उन के साथ सिर्फ इसलिए वक्त नहीं बिताना चाह रही हैं, क्योंकि आप की उन में कोई रुचि नहीं है. एक बार आप उन्हें जौइन कर के तो देखिए. आप का मन भी उन में लगने लगेगा.
वैसे भी अगर आप ऐसे निमंत्रण स्वीकार कर कार्यक्रमों में जाएंगी तो आप को कितने ही अच्छे और नए लोग भी वहां मिल जाएंगे. किसी के निमंत्रण को यों अस्वीकार करना अच्छी बात नहीं है. इस से लोगों के मन में आप के लिए नैगेटिव थौट बन जाएगा. इसलिए हमेशा मना न करें. कभी जाएं कभी मना कर सकती हैं.
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अपने जैसे विचार रखने वालों के क्लब में शामिल हों. यदि आप की कोई हौबी या फिर कोई विशेष दिलचस्पी है तो अपने आसपास मौजूद एक ऐसे क्लब में शामिल हो जाएं जो इन्हीं तरह की रुचियों के लिए बना है. अपने आसपास मौजूद किसी स्पोर्ट्स लीग, बुक क्लब, लाइब्रेरी, हाइकिंग गु्रप या फिर साइक्लिंग टीम से जुड़ने के बारे में सोचें. यदि आप की ऐसी कोई हौबी नहीं है, तो फिर एक नई हौबी तलाशें, लेकिन ऐसी हौबी ही चुनें, जिसे आप लोगों के साथ ग्रुप में रह कर पूरी कर पाएं.
3. सोशल वर्क को भी प्रमुखता दें
आप किसी एनजीओ से जुड़ सकती हैं जहां आप चाहें तो हफ्ते में 1 दिन भी जा सकती हैं. अगर एनजीओ से जुड़ने का समय नहीं है तो गरीब बच्चों को घर बुला कर पढ़ा सकती हैं या फिर अगर आप घर से कोई काम करती हैं जैसे सिलाई, ट्यूशन पढ़ाना आदि तो कुछ बच्चों को फ्री में सिखा और पढ़ा सकती हैं. इस से आप के मन को जो संतोष मिलेगा वह पैसे ले कर नहीं मिलेगा. जब भी जरूरत हो किसी के काम आएं. इस से लोग आप को जानेंगे और वे भी आप की मदद के लिए हमेशा तैयार मिलेंगे.
4. सामाजिक दायरे की लिमिट
सम्माननीय महिलाएं गु्रप से जुड़ी हों: जिस भी ग्रुप को जौइन करें पहले देख लें कि उस में जो महिलाएं जुड़ी हैं वे सब ठीक होनी चाहिए यानी सम्माननीय महिलाएं उस में शामिल हों, क्योंकि अब उस गु्रप से आप भी जुड़ रही हैं तो आप का नाम भी उन के साथ अपनेआप जुड़ जाएगा.
बच्चों की अनदेखी न करें: अपना सोशल सर्कल बनाएं अवश्य, लेकिन इस की भी एक लिमिट होनी चाहिए. यह नहीं कि बच्चे घर में भूखे बैठे हैं और आप अपने सर्कल के साथ बिजी हैं, उन्हें पढ़ानेलिखाने का टाइम भी आप किसी और को दे दें. इसलिए पहले अपने घर की देखभाल करें और फिर अन्य किसी चीज में समय लगाएं.
5. परेशानी में साथ दें
किसी भी एक्टिविटी से जुड़ना मात्र टाइम पास करने का तरीका नहीं होना चाहिए, बल्कि इस में सभी के सुखदुख भी जुड़ जाते हैं. इसलिए किसी की परेशानी में साथ देने की जब बात आए तो पीछे न रहें.
6. जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाएं
वहां जुड़ी महिलाओं से अपनी तुलना कर कुछ न करें. यह न सोचें कि आप उन के जैसे ब्रैंडेड कपड़े क्यों नहीं पहनतीं या फिर आप का स्टेटस उन के जैसा क्यों नहीं है. सब का रहनसहन अलगअलग होता है, इसलिए जितनी चादर हो आप की उतने ही पैर फैलाएं.
7. गलत आदतें न पालें
अगर आप का मिलनाजुलना हाई सोसाइटी के उन लोगों से हो रहा हो जो हाई स्टेटस के नाम पर सिगरेट, शराब आदि को प्रमुखता देते हों तो आप जान लें कि आप गलत ट्रैक पर हैं. आप कितना भी इस सब से बचने का प्रयास करें, लेकिन आप को पता भी नहीं चलेगा कि कब आप इस में फंस गईं. इसलिए ऐसे लोगों का साथ छोड़ देने में ही समझदारी है. ऐसा सामाजिक दायरा किसी काम का नहीं है, जिस में आप गलत रास्ते पर चल पड़ें.
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सभी को एक सूत्र में पिरोएं. अपने सोशल वर्क और सोशल सर्कल में इतना भी न उलझ जाएं कि घरपरिवार और सगे नातेरिश्तेदारों के लिए समय ही न बचे. अगर आप उन की उपेक्षा करेंगी तो दूसरे लोगों से संबंध बनाने का कोई फायदा नहीं है. इसलिए सभी को एक सूत्र में पिरो कर समानता से चलें ताकि परिवार भी खुश रहे और आप भी.
अगर आप आज सिंगल हैं, तो यह आप का अपना फैसला और अपनी मजबूरी थी. इस से बाकी लोगों को कोई मतलब नहीं है. इसलिए लोगों को बारबार यह कह कर कि मैं तो अकेली हूं, ब्लैकमेल न करें, क्योंकि ऐसा करना ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा. लोग आप को समझ जाएंगे और आप से दूरी बना लेंगे. कभीकभार दुख शेयर करना ठीक रहता है, लेकिन हर वक्त यह अच्छा नहीं लगता. इस से न आप खुद ऐंजौय कर पाएंगी और न ही दूसरों को करने देंगी.