Hug Day पर अपने पार्टनर को भेजें ये स्पेशल मैसेज और जानें इस दिन का महत्व

Happy Hug Day 2024 Wishes: लग जा गले के फिर ये हसीन रात हो ना हो…. शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो ना हो….ये गाना शायद ही कोई हो, जिसे पसंद न हो, प्यार जाहिर करने के लिए किसी को गले लगाना ही काफी है, आप कुछ कहें या न कहें, पर जब आप किसी को गले लगाते हैं, तो यह प्यार दर्शाने का सबसे अच्छा तरीका होता है.

हग डे का महत्व

वैलेंटाइन वीक चल रहा है और इस हफ्ते के छठे दिन यानी 12 फरवरी को हग डे मनाया जाता है. इस दिन लोग पार्टनर को गले लगाकर अपने दिल का हाल बयां करते हैं. हालांकि यह दिन सिर्फ प्रेमी जोड़ों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए है. यह दिन कोई भी मना सकता है. प्यार जाहिर करने के साथ गले लगाने के ढेरों सारे फायदे भी हैं.

माना जाता है कि कुछ देर तक किसी को गले लगाने से मस्तिष्क से खुशी के रूप में ऑक्सीटोसिन निकलता है, जो व्यक्ति को खुश कर सकता है. हग डे किसी भी कपल के लिए खास दिन होता है. आप इस दिन अपने साथी को गले लगाकर हाल-ए-दिल जरूर बयां करें. आप अपने फैमिली या दोस्तों के साथ भी यह दिन सेलिब्रेट कर सकते हैं, जिनसे आप बहुत प्यार करते हैं.

ऐसे में हम आपके लिए इस हग डे पर कुछ खास मैसेज और कोट्स लेकर आए है, जिनके जरिए आप अपने फैमिली, फ्रेंड्स, पार्टनर और करीबियों को हग डे की शुभकामनाएं दे सकते हैं. जिससे आपका उनके साथ रिश्ता और भी मजबूत होगा.

हग डे विशेस (Hug Day Wishes)

दिल की एक ही ख्वाहिश है , धड़कनों की एक ही इच्छा है  कि तुम मुझे अपनी बाहों में पनाह दे  दो  और मैं बस खो जाऊं.

Happy Hug Day 2024  

मुझे बांहों में बिखर जाने दो अपनी खुशनुमा सांसों से महक जाने दो, दिल मचलता है और सांस रूकती है अब तो सीने में आज मुझे उतर आने दो.

Happy Hug Day 2024  

मुझको फिर वही सुहाना नजारा मिल गया, नज़रों को जो दीदार हरा मिल गया, और किसी चीज की तमन्ना क्यों करूं, जब मुझे तेरी बांहों में सहारा मिल गया.

Happy Hug Day 2024

एक ही तमन्ना, एक ही आरजू, बांहों की पनाह में तेरे, सारी जिंदगी गुजर जाए.

हैप्पी हग डे 2024  

कोई कहे इसे जादू की झप्पी, कोई कहे इसे प्यार. मौका खूबसूरत है, आ गले लग जा मेरे यार.

हैप्पी हग डे 2024  

Valentine’s Day 2024: घर-मुनिया की अंबर से हुई मुलाकात

समाज में बौद्धिक स्तर पर कुछ वर्षों से लगातार यह प्रश्न उठ रहा है कि पतिपत्नी में अलगाव, घरों का टूटना, समाज में इतना क्यों बढ़ता जा रहा है? इस के लिए कौन जिम्मेदार है स्त्री या पुरुष? जो भी हो, टूटे हुए परिवार और तलाकशुदा स्त्रीपुरुष  न तो समाज के लिए हितकारी हैं, न ही सम्मानजनक. साथ ही आने वाली पीढ़ी पर? भी इस का कुप्रभाव पड़ता है. मातापिता के दिए संस्कार ही बच्चों को जीवन भर सदाचार से बांधे रखते हैं पर ऐसे टूटे घरों में उन को कौन से संस्कार मिलेंगे और कौन सी अच्छी शिक्षा?

उस दिन एक गोष्ठी हुई, जिस में महिलाओं की संख्या अधिक थी. इसलिए यह मान लिया गया कि दोष पुरुषों का ही है. हर स्त्री घर को जोड़े रखना चाहती है परंतु पुरुष दौड़ता है बाहरी दुनिया के पीछे. उस की नजरों में अपनी पत्नी को छोड़ कर दुनिया में सब कुछ अच्छा होता है. ऐसे में अत्याचार सहतेसहते पत्नी जब सिर उठाती है तो घर टूट जाता है. लेकिन हर जगह क्या ऐसा ही होता है?

कुछ दिनों बाद मुझे किसी काम से आगरा जाना पड़ा. मैं ने वहीं जन्म लिया है और पलीबढ़ी हूं, इसलिए वहां की दुकानों का मोह अभी तक मन में रचाबसा है. मैं जब भी वहां जाती हूं खरीदारी जरूर करती हूं. इस बार लौटने की जल्दी थी फिर भी एक पुरानी दुकान में गई. दुकान की कायापलट होने के साथसाथ अब मालिक के बच्चे बड़े हो कर दुकान संभाल रहे हैं. वे मुझे पहचानते नहीं फिर भी एक ने मुझे देखते ही अभिवादन किया. दुकान पर एक सज्जन और थे. वह उन से बड़ी घनिष्ठता से बात करता हुआ सामान दिखा रहा था.

मैं ने अपनी लिस्ट पकड़ाई और कहा, ‘‘जरा जल्दी करना.’’

लड़का स्मार्ट था. उन सज्जन से बात करतेकरते ही दोनों का सामान पैक कर रहा था. वे सज्जन जो मेरे हमउम्र ही थे, बारबार मुझे देखे जा रहे थे. मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ. यह ताकझांक की उम्र तो 20-25 वर्ष पीछे छोड़ आए हैं हम. खैर जो भी हो…

मैं ने अपना सामान उठा कर पूछा,

‘‘कितना हुआ?’’

‘‘आप का पेमैंट तो हो गया.’’

मैं अवाक, लड़का पागल तो नहीं.

‘‘अरे कैसे हुआ? मैं ने तो नहीं दिया.’’

‘‘अंकल ने दे दिया.’’

क्या? मैं मानो आकाश से गिरी. ढाईतीन सौ का तो होगा सामान. इतना पैसा जान न पहचान इन्होंने दे दिया. पागल हैं या फालतू पैसा रखने की जगह नहीं है? फिर उन को सिर से पैर तक देखा. सुदर्शन व्यक्तित्व और उच्च व अभिजात वर्ग के होने की छाप है चेहरे पर. लेकिन मेरे एकदम अपरिचित.

कभी कहीं देखा है, ऐसा भी नहीं लगता और मेरा इतना सारा बिल इन्होंने चुकाया, यह चक्कर क्या है? मैं ने देखा वे मुसकरा रहे हैं. मैं घबरा गई. भरी दोपहर का समय, मैं भी कोई जवान नहीं, कुछ गलत सोचने को भीमन नहीं मानता पर कुछ तो है… क्या हो सकता है?

वे पास आए, ‘‘चल कहीं बैठें.’’

मैं सुन कर चौंकी. लगा यह है तो कोई बहुत ही अंतरंग पर है कौन?

मैं ने साहस बटोरा, ‘‘जी आप बिल के पैसे ले लीजिए.’’

‘‘अरे, तू मुझे पहचान नहीं पाई क्या?’’

मैं लड़खड़ा गई. यह तो वास्तव में ही कोई अति घनिष्ठ है, जिसे बिल चुकाने और रेस्तरां में ले चलने का अधिकार है. मैं क्यों नहीं पहचान पा रही? यह कैसी विडंबना है? वे शायद मेरी उलझन समझ गए. आहत स्वर में बोले, ‘‘अभी तक नहीं पहचान पाईं मुनिया.’’

मुनिया, यह नाम तो मैं स्वयं भी कब की भूल चुकी. बचपन में घर में और बहुत घनिष्ठ लोग ही मुझे इस नाम से बुलाते थे. मैं ने असहायता से नकारात्मक सिर हिलाया.

वे खुल कर हंसे, ‘‘अभी पहचान जाएगी. चल ‘नेस्ट’ में बैठते हैं.’’

‘नेस्ट…’ मैं तुरंत पहचान गई, ‘‘अंबर तू…’’

‘‘चलो अच्छा है, मैं तो सोच रहा था तू पुलिस बुलाएगी और मैं इस उम्र में छेड़छाड़ के आरोप में जेल की चक्की पीसूंगा.’’

‘‘तू इतना मोटा हो गया है तो पहचानती कैसे?’’

‘‘मोटी तो तू भी हो गई है पर ज्यादा बदली नहीं.’’

‘‘तू यहां कैसे? सुना था बैंगलुरु में सैटल कर गया है. वहां घरवर बना लिया है.’’

‘‘चल पहले बैठें तो…’’

‘नेस्ट’ पास ही था. वहां पहुंचने पर बैठ कर अंबर बोला, ‘‘कुछ दिनों से तेरी बहुत याद आ रही थी. उस याद में मन की तड़प थी तभी तो तू मिल गई.’’

‘‘कभीकभी अतीत बहुत याद आता है.

पर तू मुझे इतना क्यों याद कर रहा था? कोई विशेष बात?’’

वह अचानक गंभीर और उदास हो गया, ‘‘मैं बहुत थक गया हूं, मुनिया और अकेला

भी हूं.’’

‘‘पर क्यों? तेरे साथ तो तेरा परिवार है. और इतने बडे़ और जिम्मेदारी के पद पर काम कर रहा है तू. फिर अकेलापन कैसा?’’

‘‘तुझे मेरी स्टूडैंट लाइफ का संघर्ष तो याद होगा?’’

‘‘याद है, पर उसे भूल जाना ही अच्छा है.’’

अब अंबर मुझे वाकई थका और दुखी लगा. बात बदलने के लिए मैं ने कहा, ‘‘यहां आते ही सारे पुराने साथी याद आ रहे हैं न?’’

‘‘हां, हम सब एक ही डाली के फूल थे, लेकिन जीवनप्रवाह में बह कर इधरउधर ऐसे छिटक गए कि मिल ही नहीं पाते. पर मैं तेरे उपकार को कभी नहीं भूला.’’

‘‘यह गलत है अंबर, दूसरों के प्रति न्याय नहीं है. क्लास के सभी लोग तुम्हारे लिए सोचते थे. तुम्हारा ध्यान रखते थे. तुम्हारी जरूरतों को पूरा करते थे. हम सब ने साथ में लड़ कर तुम्हारी फीस माफ करवाई. हम सभी चंदा इकट्ठा कर के तुम्हारे दूसरे खर्चों को पूरा करते थे. तो तुम बस मेरा नाम क्यों ले रहे हो?’’

‘‘मैं सभी के प्रति कृतज्ञ हूं पर तेरी बात और है. तू मुझे देखते ही समझ जाती थी कि मैं भूखा हूं. तब तू मुझे भरपेट खाना खिला देती थी. यहां ला कर या अपने घर ले जा कर, जो दूसरे कभी नहीं करते थे.’’

‘‘जाने दे. तू तो बैंगलुरु में सैटल कर गया है न?’’

‘‘हां, पर अब यहां चला आया हूं.’’

‘‘यहां कहां?’’

‘‘यूनिवर्सिटी में. वह पैसा दोगुना दे रही है.’’

‘‘तो वहां का घर…?’’

‘‘जैसा था है, रहेगा. बच्चों की ट्यूशन क्लासेज चल रही हैं और पत्नी का बुटीक. महीने में 70-80 हजार रुपए की आमदनी मजाक है क्या?’’

‘‘तू यहां अकेला रहेगा?’’

‘‘सरकारी कोठी, गाड़ी, नौकर हैं.

परेशानी क्या?’’

‘‘परेशानी यही कि इस उम्र में अकेला कैसे रहेगा?’’

‘‘बड़ी शांति से हूं. तू भी तो अकेली रह रही है.’’

‘‘अंबर, तू गलती कर रहा है. मेरी बात एकदम अलग है. पति रहे नहीं. उन के बाद

मैं अकेली रही तो वह मेरी मजबूरी थी. ससुराल या मायका जहां भी जा कर रहती,

बेटे की पढ़ाई डिस्टर्ब होती. तब वह 10वीं कक्षा में था और मैं जहां थी वहां पढ़ाई की अच्छी सुविधा थी. इसलिए मुझे अकेले ही रहना पड़ा यानी मेरे सामने एक मकसद था. पर तू तो ऐसा लगता है घर से भागने के लिए…’’

‘‘तू ठीक कह रही है. मुझे पत्नी, बच्चों के साथ रहना अब कष्टदायी लगने लगा है. वहां मुझे मेरे आत्मविश्वास को ध्वस्त करने के लिए हर समय मजबूर किया जाता है.’’

मैं अवाक, ‘‘कौन करता है ऐसा?’’

‘‘मेरी पत्नी और बड़े होते बच्चे.’’

‘‘बच्चे? पर…’’

‘‘हां बच्चे, क्योंकि जन्म से उन को समझाया गया है कि उन के पिता की औकात एक कूड़ा बीनने वाले से ज्यादा नहीं है. और जो कुछ भी आज मैं हूं वह उन की मां की बदौलत हूं.’’

‘‘क्या कह रहा है तू? तू ने तो संघर्ष कर के ही सब कुछ पाया है. तब तो तेरी पत्नी का कोई अस्तित्व ही नहीं था तेरे जीवन में. कई वर्ष नौकरी के बाद ही तो शादी की है तू ने.’’

‘‘यह तू कह रही है पर मेरे बच्चे उलटा समझते हैं. वे समझते हैं मैं नाकारा था, पत्नी ने ही योग्य बनाया है. वह भी पूरा योग्य कहां हूं मैं, बस कामचलाऊ भर हो गया हूं.’’

मुझे एक और घर टूटने की झनझनाहट सुनाई दी. पर मेरी धारणा के विपरीत यहां तो पत्नी उत्तरदायी है. अंबर को जानती हूं मैं, अति सज्जन है वह. लड़ाई क्या, कहासुनी से भी घबराता है. बैरा बहुत सारी प्लेटें रख गया. मैं हैरान.

‘‘यह क्या किया तू ने? इतना कौन खाएगा?’’

‘‘आज मत रोक मुनिया. तू ने बहुत खिलाया है. मैं तो मूंगफली खिलाने योग्य भी नहीं था. तुझे जो पसंद था वही मंगाया है प्लीज…’’

मेरी आंखों में आंसू आ गए. कितने जतन से इस ने याद रखा है आज भी कि मुझे क्या पसंद था.

‘‘अंबर, उम्र के साथ खाना कम हो जाता है.’’

‘‘अभी इतने बूढ़े भी नहीं हुए हैं हम, चल शुरू कर.’’

‘‘अंबर, मुझे तेरे लिए चिंता हो रही है. तू क्या वास्तव में यहां स्थायी रूप से रहने आ गया है?’’

‘‘नौकरी जौइन की है यहां. तू क्या मजाक समझ रही है.’’

‘‘बात यह नहीं पर अकेले रहना उम्र भी तो…’’

‘‘मैं बहुत शांति से हूं. कैंपस में कोठी मिली है. हमारी लैब का चौकीदार मोतीलाल था न उस का नाती पूरा काम करता है. बहुत खयाल रखता है मेरा. मैं ने उसे स्कूल में दाखिल भी करा दिया है. आठवीं कक्षा में है. वह मेरे घर में ही रहता है. उस की मां आ कर झाड़ू, बरतन, कपड़े और खाना बनाने का काम कर जाती है. बड़े चैन से हूं.’’

‘‘पर बसाबसाया घर, इतने वर्षों में उस घर की आदत भी पड़ गई होगी. वहां से यहां आ कर नई आदतें डालना कष्टदायी नहीं लग रहा?’’

‘‘हां कष्ट तो हुआ पर फिर से सब आदतें बदल ली हैं. अब सब ठीक है.’’

‘‘अंबर, मुझे लगता है. तू भावनाओं में बह कर…’’

उस ने हाथ उठाया, ‘‘न मुनिया न. यह भावनाओं की बात नहीं. प्यार, लगाव, अपनापन इन सब का नाम तो मैं कब का भूल चुका, क्योंकि संसार में जो मेरे सब से अपने माने जाते हैं, उन सब से तो मैं ने इन बातों की आशा कभी की ही नहीं. पर घर का मुखिया होने के नाते थोड़ा मानसम्मान पाने का अधिकार है या नहीं? मेरे घर में मुझे वह भी कभी नहीं मिला.’’

‘‘ऐसा क्यों?’’

‘‘तू तो जानती है मैं ने कालेज में टौप किया था. तू तो परीक्षा देते ही ससुराल चली गई. सहपाठियों की खोजखबर भी नहीं ली.’’

‘‘क्या करती? इन की नौकरी ही ऐसी थी. आज कश्मीर तो कल कन्याकुमारी.’’

‘‘जो भी हो. परीक्षा पास करते ही मुझे बहुत अच्छी नौकरी केवल लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर मिल गई. न सिफारिश करनी पड़ी, न पैसा खिलाना पड़ा. आकर्षक सैलरी, बंगला, गाड़ी सब कंपनी का. फिर क्या था, बड़ेबड़े घरों से रिश्ते आने लगे. मेरा तो कोई था नहीं, बस गांव में दादी थीं. वे बेचारी पढ़ेलिखे धनवान लोगों को क्या जानतींसमझतीं. उन लोगों ने अपनेआप मुझे पसंद किया और अपनी बेटी की शादी मुझ से करा दी. पर हां, अति ईमानदार लोग थे वे. मुझे अकेला पा कर भी ठगा नहीं उन्होंने. कोई नुक्स वाली, काली या अनपढ़ बेटी को मेरे सिर पर नहीं थोपा. अति सुंदर, एम.ए. पास, हाई सोसाइटी में उठनेबैठने वाली मौडर्न लेडी है मेरी पत्नी.’’

‘‘यह तो खुशी की बात है.’’

‘‘बहुत खुशी की बात है. दादी ही मूर्ख थीं, जो इतनी खुशी बरदाश्त नहीं कर पाईं. दूसरे महीने ही वे हमें छोड़ कर चल बसीं. पर मुझे कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि दहेज भले न मांगा हो, उन्होंने मनपसंद दामाद के घर का कोनाकोना सजा दिया.

‘‘उन की बेटी घर को सलीके से सजा कर रखती. आनेजाने वालों की कमी नहीं थी. उस के रिश्तेदारों और सहेलियों को अचानक घूमने के लिए बैंगलुरु ही पसंद आने लगा और वे सब हमारे यहां ही रुकने लगे.

‘‘शुरूशुरू में मुझे भी अच्छा लगता था. कभी रिश्तेदारी देखी नहीं, संघर्ष कर के बड़ा हुआ. दादी को छोड़ अपना कोई था नहीं, तो यह सोचते हुए अच्छा लगता कि मेरे इतने सारे अपने हैं. मूर्ख तो बचपन का हूं इसलिए ऊंचे लोगों के मधुर शब्दों में पगे अपमान का तरीका नहीं समझ पाया. जब पत्नी उन लोगों को मेरे घरपरिवार, चालचलन, पसंदनापसंद और बुद्धिहीनता के किस्से हंसहंस कर सुनाती, वे हंसते और मैं भी हंसता.’’

उस ने 2 घूंट चाय पी. शायद उस का गला सूख गया था. फिर बोला, ‘‘उस के बाद अपने मानसम्मान का बोध जब हुआ तब तक तो कई वर्ष बीत गए थे. दोनों बच्चे भी बड़े हो गए थे. मां के साथ उन्होंने भी बाप पर जाहिल, मूर्ख, असभ्य होने की मुहर लगा दी थी. वे भी लोगों के सामने व्यंग्य, परिहास, अपमान करते नहीं चूकते थे. मैं ने विरोध करने की कोशिश भी की थी पर बेकार, क्योंकि वे लोग तुरंत मेरे बैकग्राउंड को खींच मेरे सामने ला कर खड़ा कर देते थे.’’

मैं स्तब्ध. मेरे सारे तर्क, सारे विरोध धरे के धरे रह गए. मन में कई चेहरे उभर आए, जो इसी प्रकार पत्नी पीडि़त हो कर अपमान का जीवन जी रहे हैं. उन में से कुछ तो मेरे बहुत प्रिय, घनिष्ठ हैं पर उन में संभव है अंबर जैसा मनोबल न हो, जिस से वे अपने जीवन को अपने ढंग से जीने के लिए कदम उठा सकें.

‘‘पर उन का खर्चा…’’

‘‘पत्नी की कमाई कम नहीं. फिर घर अपना है.’’

‘‘पर तू…’’

‘‘1 वर्ष पूरा होते ही म्यूचुअल डिवोर्स लूंगा.’’

‘‘उस ने नहीं माना तो?’’

‘‘मजबूरन कीचड़ उछलेगा.’’

‘‘अंबर, इतने वर्षों का विवाहित जीवन…’’

‘‘मैं ने ही जोड़ रखा था पर सीमा पार हो गई है मेरे सहने की. अब घर को जोड़ कर रखना हो तो मेरी शर्तों पर ही जुड़ेगा. नहीं तो मैं अकेला खुश हूं बहुत खुश.’’

मेरे सारे तर्क धरे के धरे रह गए. मैं कहूं तो क्या कहूं? अंबर के तर्क में तो मुझ से

सौ गुना ज्यादा दम है.

– बेला मुखर्जी

Valentine’s Day 2024: साथी- कौन था प्रिया का साथी?

प्रिया मोबाइल पर कुछ देख रही थी. उस की नजरें झुकी हुई थीं और मैं एकटक उसे निहार रहा था. कॉटन की साधारण सलवार कुर्ती और ढीली बंधी चोटी में भी प्रिया बेहद खूबसूरत लग रही थी. गले में पतली सी चेन, माथे पर छोटी काली बिंदी और हाथों में पतलेपतले 2 कंगन. बस इतना ही श्रृंगार किया था उस ने. मगर उस की वास्तविक खूबसूरती उस के होठों की मुस्कान और चेहरे पर झलक रहे आत्मविश्वास की चमक में थी. वैसे लग रहा था कि वह विवाहिता है. उस की मांग में सिंदूर की हल्की सी लाली नजर आ रही थी.

मैं ने गौर से देखा. प्रिया 20-21 साल से अधिक की नहीं थी. मैं भी पिछले साल ही 30 का हुआ हूं. मुझे प्रिया से मिले अभी अधिक समय नहीं हुआ है. कुल 5-6 घंटे ही बीते हैं जब मैं ने मुंबई से रांची की ट्रेन पकड़ी थी.

स्टेशन पर हमारे जैसे मजदूरों की भीड़ थी. सब के चेहरे पर मास्क और माथे पर पसीना छलक रहा था. सब अपनेअपने बीवीबच्चों के साथ सामान कंधों पर लादे अपने घर जाने की राह देख रहे थे. ट्रेन के आते ही सब उस की तरफ लपके. मेरा रिज़र्वेशन था. मैं अपनी सीट खोजता हुआ जैसे ही आगे बढ़ा कि एक लड़की से टकरा गया. वह किसी को ढूंढ रही थी इसलिए हड़बड़ी में थी.

अपनी सीट के नीचे सामान रख कर मैं बर्थ पर पसर गया. तभी वह लड़की यानी प्रिया मेरे सामने वाले बर्थ पर आ कर बैठ गई. उस ने अपने सामान में से बोतल निकाली, मास्क हटाया और गटागट आधी बोतल पानी पी गई. मैं उसी की तरफ देख रहा था. तभी उस की नजर मुझ से मिली. उस ने मुस्कुराते हुए बोतल बंद कर के रख ली.

“आप को कहां जाना है?” मैं ने सीधा सवाल पूछा जिस का उस ने सपाट सा जवाब दिया,” वहीं जहां ट्रेन जा रही है.”
कह कर वह फिर मुस्कुरा दी.

“आप अकेली हैं?”

“नहीं तो. भैयाभाभी हैं साथ में. वे बगल के डिब्बे में है. मेरी सीट अलग इस डिब्बे में थी सो इधर आ गई. वैसे अकेले तो आप भी दिख रहे हैं.” उस ने मेरा ही सवाल मेरी तरफ उछाल दिया.

“हां मैं तो अकेला ही हूं अब अपने घर रांची जा रहा हूं. मुंबई में अपनी छोटी सी दुकान है. मुझे लिखनेपढ़ने का शौक है. इसलिए दुकान में बैठ कर पढ़ाई भी करता हूं. लौकडाउन के कारण कामधंधा नहीं चल रहा था. सो सोचा कि दूर देश से अकेले रहने से अच्छा अपने गांव जा कर अपनों के बीच रहूं.”

“यही हाल इस ट्रेन में बैठे हुए सभी मजदूरों का है. नेताओं ने सांत्वना तो बहुत दिए मगर वास्तव में मदद कहीं नजर ही नहीं आती. भैयाभाभी मजदूरी करते थे जो अब बंद है. मेरा एक छोटामोटा बुटीक था. घर से ही काम करती थी. पर आजकल कोई काम नहीं मिल रहा. तभी हम ने भी गांव जाने का फैसला किया. हम 2 दिन ट्रेन की राह देखदेख कर वापस लौट चुके हैं. कल तो ट्रेन ही कैंसिल हो गई थी. मगर मैं ने हिम्मत नहीं हारी और देखो आज ट्रेन मिल गई है तो घर भी पहुंच ही जाएंगे.”

हमारे कोच के ऊपर के दोनों बर्थ पर दो बुजुर्ग अंकलआंटी थे. उस के नीचे दो अधेड़ थे. चारों आपस में ही बातचीत में मगन थे. इधर मैं और प्रिया भी लगातार बातें करने लगे.

“तुम्हारे घर में और कौनकौन हैं प्रिया?”

“मेरे पति, सासससुर, काका ससुर और एक छोटा देवर. मांबापू, भैयाभाभी और छोटी बहन भी पास में ही रहते हैं.”

“अच्छा पति क्या करते हैं ? ”

“उन का बिजनेस है. कंप्यूटर सिखाते हैं बच्चों को और मुझे भी.”

“बहुत अच्छे”

“अच्छा यह बताओ तुम्हारे पति गांव में हैं और तुम शहर में. वह शहर क्यों नहीं आता?”

“उसे गांव ही भाता है. मुझ से मिलने आता रहता है न. कोई दिक्कत नहीं हमें. हम एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं. वह मेरे बचपन का साथी है . हम ने एक साथ ही बोर्ड की परीक्षा दी थी. मेरे कहने पर मांबापू ने उसी से मेरी शादी करा दी और अब वह मेरा जीवनसाथी है. जब तक जीऊंगी हमारा साथ बना रहेगा. आज भी मैं उसे साथी कहती हूं. ऐसा साथी जो कभी साथ न छोड़े. वह रोज सपने में भी आता है और मुझे बहुत हंसाता भी है . तभी तो मैं इतनी खुश रहती हूं.”

” क्या बात है! पति रोज सपनों में आता है.” कह कर मैं मुस्कुरा पड़ा और बोला,”मैं तो मानता हूं सच्चा प्यार गांवों में ही देखने को मिलता है. शहरों की भीड़ में तो लोग खो जाते हैं.”

“सही कह रहे हो आप.”

“खाली समय में क्या करती हो?”

“मैं फिल्में बहुत देखती हूं.”

“अच्छा कैसी फिल्में पसंद हैं तुम्हें?”

“डरावनी फिल्में तो बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं. रोनेधोने वाली फिल्में भी नहीं देखती. ऐसी फिल्में देखती हूं जिस में न टूटने वाला प्यार हो. एकदूसरे के लिए पूरी जिंदगी इंतजार करने का दर्द हो. आप कैसी फिल्में देखते हो?”

“मैं तो हंसीमजाक वाली और मारधाड़ वाली फिल्में देखता हूं. पॉलिटिक्स पर बनी फिल्में भी देख लेता हूं.”

पॉलिटिक्स और नेताओं से तो मैं दूर रहती हूं. नेताओं ने आज तक किया ही क्या है? भोलीभाली जनता का खून चूसचूस कर अपने बंगले और बैंकबैलेंस ही तो खड़े किए हैं.”

“बात तो तुम ने सोलह आने सही कही है.

प्रिया की हर बात में खुद पर भरोसा और हंस कर जीने की लगन साफ दिख रही थी. मुझे उस की बातें अच्छी लग रही थीं. हम ने स्कूल के किस्सों से ले कर सीरियल और फिल्मों तक की सारी बातें कर लीं. यहां तक कि सरकार और राजनेताओं के ढकोसलों पर भी लंबी चर्चा हुई. इस बीच प्रिया ने घर की बनी मट्ठी खिलाई. खिलाने से पहले उस ने सैनिटाइजर की डिब्बी निकाली और कुछ बूंदे मेरे हाथों पर डालीं. मैं मुस्कुरा उठा. इस के बाद मैं ने भी उसे अपने हाथ के बने बेसन के लड्डू खिलाए. हम दोनों के बीच आपस में अच्छी ट्यूनिंग हो गई थी.

आधा से ज्यादा सफर बीत चुका था. अचानक ट्रेन की गति धीमी हुई और ट्रेन डाल्टनगंज स्टेशन पर आ कर रुक गई. डाल्टनगंज झारखंड का एक छोटा सा स्टेशन है. मैं ट्रेन से उतर कर इधरउधर देखने लगा. जल्द ही मुझे पता चला कि हमें ट्रेन बदलनी पड़ेगी. किसी तकनीकी खराबी के कारण यह ट्रेन आगे नहीं जा सकती. मैं ने प्रिया को सारी जानकारी दे दी. वह भी अपने भैयाभाभी के साथ उतर कर प्लेटफार्म पर बैठ गई. अगली ट्रेन दूसरे प्लेटफार्म से मिलनी थी और वह भी दो-तीन घंटे बाद.

हम नियत प्लेटफार्म पर पहुंच कर अपनी अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगे. धूप बहुत तेज थी. हमारा गला सूख रहा था. अब तक साथ लाया हुआ पानी भी खत्म हो चुका था. हम ने सुना था कि ट्रेन में पानी मिलेगा मगर मिला कुछ नहीं.

करीब 4 घंटे बाद दूसरी ट्रेन आई जो बिल्कुल भरी हुई थी. प्लेटफार्म पर बैठे सभी मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग भूल कर ट्रेन पकड़ने को लपके. सब को पता था कि यह ट्रेन छूटी तो रात प्लेटफार्म पर गुजारनी पड़ेगी.

भैयाभाभी के साथ प्रिया भी चढ़ने की कोशिश करने लगी. इधर मैं भी बगल वाले डब्बे में चढ़ चुका था. तभी मैं ने देखा कि भैयाभाभी के बाद जैसे ही प्रिया चढ़ने को हुई कि कोई बदतमीज व्यक्ति उस को गलत तरीके से छूते हुए आगे बढ़ा और प्रिया को धक्का दे कर खुद चढ़ गया. प्रिया एकदम से छिटक गई. उस मजदूर की हरकत पर मुझे बहुत गुस्सा आया था.

जिस तरह गंदे ढंग से उस ने प्रिया को छुआ था, मेरा वश चलता तो वहीं पर उस का सिर फोड़ देता.

ट्रेन ने चलने के लिए सीटी दे दी थी. मगर प्रिया चढ़ नहीं पाई. वह प्लेटफार्म पर दूर खड़ी रह गई जब कि उस के भैयाभाभी धक्के के साथ बोगी के अंदर की तरफ चले गए थे. मैं गेट पर खड़ा था. उसे अकेला देख कर मैं ने एक पल को सोचा और तुरंत ट्रेन से उतर गया. प्रिया मेरी हरकत देख कर चौंक गई फिर दौड़ कर आई और मेरे गले लग गई. उस की आंखों में आंसू थे. मैं ने उसे दिलासा दिया,” रोते नहीं प्रिया. मैं हूं न. मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक सुरक्षित पहुंचा दूंगा तभी अपने घर जाऊंगा. तुम जरा सा भी मत घबराओ.”

प्रिया एकटक मेरी तरफ देखती हुई बोली,” एक अजनबी हो कर इतना बड़ा अहसान?”

“पागल हो क्या? यह अहसान नहीं. हमारे बीच इन कुछ घंटों में इतना रिश्ता तो बन ही गया है कि मैं तुम्हारी केयर करूं.”

“कुछ घंटों में तुम ने ऐसा गहरा रिश्ता बना लिया?”

“ज्यादा सोचो नहीं. चलो अब तुम आराम से बैठ जाओ. मैं पानी का इंतजाम कर के आता हूं.”

प्रिया को बेंच पर बैठा कर मैं पानी लेने चला गया. किसी तरह कहीं से पानी की बोतल मिली. वह ले कर लौटा तो देखा कि प्रिया बेंच पर बैठी हुई थी. वह हर बात से बेखबर अपने में खोई जमीन की तरफ एकटक देख रही थी. उस के पास एक गुंडा सा लड़का खड़ा था जो घूरघूर कर उस की तरफ देख रहा था

मैं जा कर प्रिया के सामने खड़ा हो गया और बातें करने लगा. फिर मैं ने खा जाने वाली नजरों से उस लड़के की तरफ देखा. वह लड़का तुरंत मुंह फेर कर दूसरी तरफ चला गया. अब मैं प्रिया के बगल में थोड़ी दूरी बना कर बैठ गया.

“लो प्रिया, पानी पी लो. मैं 2 बोतल पानी ले आया हूं .”

“थैंक्यू.”

उस ने मुस्कुरा कर बोतल ली मगर आंखों में घर पहुंचने की चिंता भी झलक रही थी. भूख और थकान से उस का चेहरा सूख रहा था.
उस का मन बदलने के लिए मैं उस के गांव और घरवालों के बारे में पूछने लगा. वह मुझे विस्तार से अपनी जिंदगी और घरपरिवार के बारे में बताती रही. दो-तीन घंटे ऐसे ही बीत गए. शाम का धुंधलका अब रात की कालिमा में तब्दील हो चुका था. प्रिया को जम्हाई लेता देख मैं बैंच से उठ गया और प्रिया से बोला,” बैंच पर आराम से सो जाओ. मैं जागा हुआ हूं. तुम्हारा और सामान का ध्यान रखूंगा. ”

“अरे ऐसे कैसे? नींद तो तुम्हें भी आ रही होगी न.”

“नहीं मेरी तो आदत है देर रात तक जागने की. मैं देर तक जाग कर पढ़ता हूं. चलो तुम सो जाओ.”

मेरी बात मान कर प्रिया सो गई. मैं बगल की बेंच पर बैठ गया. दो-तीन घंटे बाद मैं भी ऊंघने लगा. बैठेबैठे कब हल्की सी नींद लग गई पता ही नहीं चला. अचानक झटका सा लगा और मेरी आंखे खुल गई. देखा कि प्रिया के बेंच पर एक और मजदूर बैठ गया है और गंदी व ललचाई नजरों से प्रिया की तरफ देख रहा है. उस के हाथ प्रिया पैरों को छू रहे थे. प्रिया नींद में थी. मैं एकदम से उठ बैठा और उस मजदूर पर चिल्ला पड़ा,” देखते नहीं वह सो रही है. जबरदस्ती आ कर बैठना है तुम्हें. निकलो यहां से.”

मेरा गुस्सा देख कर वह एकदम से वहां से भाग गया. मुझे महसूस हो गया कि इस दुनिया में अकेली सुंदर लड़की को देख कर लोगों की लार टपकने लगती है. इसलिए मुझे ज्यादा सावधान रहना होगा.

मैं एकदम से सामान ले कर उसी बैंच पर आ कर बैठ गया जिस पर प्रिया सोई हुई थी. अब तक मेरी आवाज सुन कर वह भी उठ कर बैठ गई थी.

फिर रात भर हम बैठ कर बातें करते रहे. भूख भी लग रही थी मगर प्लैटफार्म पर खानेपीने का इंतजाम नहीं था.

सुबह के समय प्रिया फिर सो गई. इस बीच चोरीछिपे एक कचौड़ी बेचने वाला प्लैटफार्म पर आया तो मैं ने जल्दी से आठ-दस का कचौड़ियां ख़रीदीं और प्रिया को उठा लिया. दोनों ने बैठ कर नाश्ता खाया. फिर दोपहर तक हमें खाने को कुछ भी नहीं मिला. तब तक रांची जाने वाली एक ट्रेन आई. हम उस में चढ़ गए. भीड़ काफी थी. मौका देख कर 1- 2 आवारा टाइप के लड़कों ने प्रिया के साथ बदतमीजी की कोशिश भी की. मगर मैं हर वक्त उस के आगे ढाल बन कर खड़ा रहा.

किसी तरह हम रांची जंक्शन पर उतर गए. प्रिया का घर वहां से 2 घंटे की दूरी पर था. जाने के लिए कोई साधन भी नजर नहीं आ रहा था. हम करीब आधे- एक घंटे परेशान रहे. तभी हमें एक जीप दिखाई दी. उस में दो लोग और बैठे थे. मेरे द्वारा विनती किए जाने पर उन लोगों ने हमें पीछे बैठा लिया और हमें हमारे गंतव्य से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर उतार दिया. ₹2 हजार भी लिए. प्रिया के मना करने के बावजूद मैं ने अपने पास से रुपए दे दिए. अब हमें अंधेरे में दो -ढाई घंटे पैदल चलना था और वह भी कच्चीपक्की सड़कों पर.

किसी तरह हम ने वह रास्ता भी तय कर लिया और प्रिया के घर पहुंच गए. सब बहुत खुश थे. प्रिया की मां ने मुझे बैठने को कुर्सी दी और अंदर से पानी ले आई. तब तक प्रिया ने ट्रेन से उतरने से ले कर अब तक की सारी कहानी सुना दी. फिर घरवालों ने उसे अंदर नहाने भेज दिया और मुझे चाय नाश्ता ला कर दिया.

चाय पीतेपीते मैं ने पूछा,” प्रिया के पति कहां हैं? पास में ही रहते हैं न. प्रिया ने बताया था कि ससुराल और मायका आसपास है. वे दिख नहीं रहे.”

प्रिया की मां और भाई ने एकदूसरे की तरफ देखा तब तक भाभी कहने लगी, “प्रिया के पति जिंदा कहां हैं? शादी के सप्ताह भर बाद ही गुजर गए थे.”

मैं चौक पड़ा,” पर अभी रास्ते में तो उस ने मुझे बताया कि उस के पति उस से बहुत प्यार करते हैं. उस से मिलने शहर भी आते रहते हैं.”

“ये सारी कहानियां प्रिया के मन ने बनाई हैं. वह पति को खुद से अलग करने को तैयार ही नहीं. प्रिया अब भी 2 साल पहले की दुनिया में ही रह रही है. उसे लगता है जैसे उस का साथी आसपास ही है. सपनों के साथसाथ सच में भी मिलने आता है. पर भैया आप ही सोचो, जो चला गया वह भला लौट कर आता है कभी? उस का मन बदलने के लिए हम उसे शहर ले गए थे. हम ने उस से दूसरी शादी करने को भी कहा. पर वह अपनी कल्पना की दुनिया में ही खुश हैं. वह कहती है कि जैसे भी हो सारी उम्र अपने साथी के साथ ही रहेगी.”

प्रिया की मां कहने लगीं,” ऐसा नहीं है बेटा कि वह रोती रहती है. उल्टा वह तो पति की यादों के साथ खुश रहती है. अपना काम भी पूरी मेहनत से करती है. इसलिए हम लोगों ने भी उसे इसी तरह जी लेने की छूट दे दी है.”

उन की बात सुन कर मैं भी सिर हिलाने लगा,” यह तो बिल्कुल सच है कि वह खुश रहती है क्योंकि उस ने अपने साथी से बहुत गहरा प्रेम किया है. बस वह हमेशा खुश रहे इतना ही चाहता हूं. अच्छा मांजी मैं चलूं”

“बेटा इतनी रात में कहां जाओगे? तुम आज यहीं रुक जाओ. कल चले जाना.”

“जी ”

मैं रुक तो गया पर सारी रात प्रिया का चेहरा ही मेरी आंखों के आगे नाचता रहा. मेरे लिए प्रिया की जिंदगी दिल को छू लेने वाली एक ऐसी कहानी थी जिसे मैं कभी भी भूल नहीं सकता था.

अब मुझे वापस लौटना था पर प्रिया से दूर जाने का दिल नहीं कर रहा था.

सुबहसुबह मैं निकलने लगा तो प्रिया मेरे पास आ गई और बोली,” एक अनजान जो न मेरा पति था, न भाई और न प्रेमी फिर भी हर पल उस ने मेरी रक्षा की. उस को मैं आज रुकने को भी नहीं कह सकती. उस से दोबारा कब मिलूंगी यह भी नहीं जानती. पर सिर्फ इतना चाहती हूं कि वह उम्र भर खुश रहे और ऐसे ही सच्चे दिल से दूसरों का सहारा बन सके.”

कह कर प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मेरी नजरें प्रिया से बहुत कुछ कह रही थीं. मगर जुबान से मैं सिर्फ इतना ही कह सका, “अपना ख्याल रखना प्रिया क्योंकि मेरी जिंदगी में तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता…और हां जिंदगी में कभी किसी भी पल मेरी याद आए तो मेरे पास आ जाना. मैं इंतजार करूंगा.”

प्रिया एकटक मुझे देखती रह गई. मैं मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया.

घर लौटते समय मेरे दिल में बस एक प्रिया ही थी और मैं जानता हूं मुझे उस का इंतजार हमेशा रहेगा. मैं नहीं जानता कि वह अपने साथी को छोड़ कर मेरे पास आएगी या नहीं लेकिन मैं हमेशा उस का साथी बनने को तैयार रहूंगा.

Valentines’s Day 2024: लव है या प्यार

Valentines’s Day 2024: आजकल के नौजवानों को प्यार बहुत जोर से आता है. रोज डे, प्रोपोज़ डे, किस डे, हग डे से होता हुआ आधुनिक लव कुछ ही दिनों में ओयो रूम तक जा पहुंचता है. हालांकि कार्बाइड डालकर पकाया हुआ यह लव अमूमन 11 महीने से अधिक नहीं टिकता है. कई बार तो ग्यारह दिन में ही ‘माई बॉडी, माई चॉइस’ कहते हुए “टाटा,बाय-बाय और फिर सब कुछ खत्म” हो जाता है. अगले ही दिन से नए ‘लव’ की तलाश भी शुरू हो जाती है.

‘लव’ तो नहीं लेकिन ‘प्यार’ मनु-सतरूपा के समय से लोगों को होते आया है. हमारे जमाने मे भी लोगों को होता ही था. कामदेव के बाण से सभी लोग कभी न कभी बिंधे ही है. लेकिन तब प्यार का फल बड़े हौले -हौले पकाया करते थे लोग. तब के प्रेमी बड़े स्लो होते थे. समझो कि आज सूरज और चंदा में नजरें टकराई. दिलों में कुछ सिहरन, गुदगुदी सी हुई. मन को कुछ अच्छा सा लगा , मौसम कुछ बसंती सा हुआ. प्यार की कोमल कोंपलें उगी, रेगिस्तानी धरती पर मानो बारिश की बूंद सी गिरी.

अब एक आध महीना सूरज आसमान वाले ‘चंदा’ में अपनी ‘चंदा’ की सूरत बनाता बिगाड़ता रहेगा. एक दो महीने बाद जब चंदा का सचमुच का नाम और पता मालूम हो जाएगा तो दो चार दिन उस गली में ऐसे ही घुर- फिर करेगा. कभी सायकिल का चेन उसके घर के सामने उतारेगा और इस उम्मीद से चढ़ाएगा कि उस के चेन चढ़ाते -चढ़ाते, चंदा छत पर आ आएगी, उसे दिख जाएगी. उसके ख्वाबों को हकीकत में बदल जाएगी.

फिर किसी दिन सचमुच ऐसा हो जाएगा. चंदा, सूरज को देखकर हौले से मुस्करा भर देगी. ग्रीन सिग्नल मिलते ही प्यार की गाड़ी फर्राटे भरने लगेगी. अब सूरज दो चार महीने धरती पर पांव न रखेगा. उड़ता सा फिरेगा, मनमौजी सा झूमेगा. उसका मन मयूर यूँ नाचता रहेगा मानो तपती जेठ में मनभावन सावन बरस पड़ा हो. मानो शुष्क पतझड़ में एकदम से चारों तरफ फूल ही फूल खिल गए हों.

इसके कुछ महीने बाद बड़ी हिम्मत करके सूरज , चंदा की किसी सहेली रोशनी के माध्यम से “दुनिया मांगे अपनी मुरादें, मैं तो मांगू चंदा” लिखकर और गुलाबी दिल को लाल रंग के तीर से चीरकर प्रेम पत्र भेज देगा. उस समय बहादुर प्रेमी अपने खुद के खून से और नाजुक प्रेमी खून से मिलते रंग से अपनी प्रेमिका को खत लिखा करते थे. चंदा को गुलाबी दिल की सुर्खियत बूझने और खून से लिखी शायरी का अर्थ समझने में अमूमन एक आध-महीना लग ही जाता था. फिर चंदा भी हिम्मत करके रोशनी के ही द्वारा-

” लिखती हूँ मैं भी खून से , स्याही न समझना, मरती तुम्हारी याद में, जिंदा न समझना”टाइप का रूमानी जवाब भेजती थी.

अब गांव के किसी शादी-ब्याह में एक दूसरे को देखकर वे मुस्कराते. किसी मेला, बाजार में एक दूसरे को देखकर खुश हो लेते. थोड़ा हिम्मत करके चंदा और सूरज किसी नदी-पोखर किनारे, किसी बाग में मिलने का कार्यक्रम बना ही रहे होते कि चंदा की शादी किसी राहु (ल) से तय हो जाती थी और जब तक सूरज इस ग्रहण से बाहर निकलता तब तक चंदा के दो छोटे छोटे उपग्रह सूरज को मामा बोलने आ जाते.

जा रे जबाना!!

Valentine’s Day 2024: मुंहासों के लिए वरदान है Aloe vera, जानिए कैसे करें इसका इस्तेमाल

बेदाग त्वचा कौन नहीं पाना चाहता. लेकिन त्वचा से जुड़ी समस्याओं के कारण चेहरे की रौनक चली जाती है. बात अगर स्किन प्रॉब्लम्स की करें, तो मुंहासे इन सबमें आम हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, मुंहासों की असल वजह प्रदूषण और धूल, मिट्टी है. जिससे चेहरे पर गंदगी जमा हो जाती है और कील मुंहासे पैदा हो जाते हैं. आपको जानकर हैरत होगी, कि दुनिया की 9.4 प्रतिशत आबादी मुंहासों से प्रभावित है. इसके चलते एक्ने यानि मुंहासे दुनिया की आठवी त्वचा संबंधी बड़ी समस्या बन गई है. मुंहासों से राहत पाने के लिए बेशक आप क्रीम या घरेलू उपाय करते हों, लेकिन एलोवेरा एक ऐसा प्राकृतिक नुस्खा है, जो मुंहासों से बिना किसी दुष्प्रभाव के छुटकारा दिलाता है. देखा जाए, तो मुंहासों के लिए ऐलोवरा का इस्तेमाल आज से नहीं, बल्कि सदियों से औषधि के रूप में किया जाता रहा है.  ऐसे में अगर आप बेवजह के खर्च से बचना चाहते हैं, तो मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए एलोवेरा का घरेलू उपाय करके देखिए. इसका उपयोग त्वचा को निखारने के लिए किया जाता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि एलोवेरा मुंहासों के लिए क्यों अच्छा है, इसके फायदे और आप इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं.

एलोवेरा मुंहासों के लिए क्यों अच्छा है, इसके फायदे- 

एलोवेरा मुंहासों के लिए बेहतरीन घरेलू उपचार है. दरअसल, इसमें मौजूद फैटी एसिड और शुगर के कारण इसमें एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो मुंहासों से त्वचा पर आने वाली सूजन को रोकने में मदद करते हैं. आपको बता दें कि शुद्ध एलोवेरा जेल में 75 सक्रिय तत्व होते हैं, जिसमें अमीनो एसिड, सैलिसिलिक एसिड, लिग्रिन, विटामिन, मिनरल, सैपोनिन और एंजाइम शामिल हैं. जानिए इसके फायदों के बारे में भी.

– एलोवेरा कोलेजन संश्लेषण को भी बढ़ावा देता है और इससे होने वाले घावों का उपचार करने में मददगार है.

– यह यूवी जोखिम के कारण त्वचा पर आने वाली सूजन और स्किन सेंसिटिविटी को भी दूर करने में मदद करता है.

– यह आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ इलास्टिन और कोलेजन को बढ़ावा देता है.

मुंहासों के लिए एलोवेरा का उपयोग कैसे करें-

मुंहासों के लिए प्योर एलोवेरा जेल-

चेहरे पर मुंहासों को कुछ ही दिनों में गायब करने के लिए एलोवेरा जेल बहुत अच्छा उपाय है. इसके लिए आप एलोवेरा की पत्ती से जेल निकालें. प्रभावित क्षेत्र पर जेल को रातभर लगा छोड़ दें. सुबह उठकर पानी से धो लें. इस प्रक्रिया को तब तक करें, जब तक की मुंहासे ठीक न हो जाएं.

एलोवेरा जेल, खीरा और गुलाबजल-

कम समय में मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए आप एलोवेरा के साथ खीरा और गुलाबजल का भी उपयोग कर सकते हैं. गुलाबजल जहां आपकी स्किन को टोन करता है, वहीं खीरा मुंहासों की वजह से आने वाली सूजन को दूर करने में कारगार है. इसका इस्तेमाल करने के लिए एक चम्मच खीरे के रस, गुलाबजल और एलोवेरा जेल मिलाएं. प्रभावित क्षेत्र पर कॉटन बॉल की मदद से इस मिश्रण को लगाएं और सूखने के बाद इसे धो लें.

एलोवेरा और बादाम का तेल-

एलोवेरा और बादाम का तेल भी आप मुंहासों को दूर करने के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए एक चम्मच एलोवेरा जेल में 3 से 4 बूंद बादाम के तेल की मिलाएं और इसे अपने चेहरे पर लगाएं. कुछ मिनटों में इसे धो लें. लगातार ऐसा करते रहने से मुंहासों धीरे-धीरे गायब होने लगेंगे. साथ ही इससे होने वाले निशानों से भी आपको छुटकारा मिलेगा.

एलोवेरा स्प्रे-

पतले एलोवेरा घोल से त्वचा पर स्प्रे करने से त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद मिलती है. स्प्रे बनाने के लिए एक भाग एलोवेरा में दो भाग पानी मिलाएं. अब इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में रखें और प्रभावित क्षेत्र पर स्प्रे करें.

दालचीनी, शहद और एलोवेरा-

शहद , दालचीनी और एलोवेरा से फेस मास्क बनाना अच्छा विकल्प है. यह मुंहासों को दूर करने में मदद करता है. दरअसल, दालचीनी और शहद में एलोवेरा की तरह एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं. फेस मास्क बनाने के लिए एक छोटी कटोरी में दो बड़े चम्मच शहद, एक बड़ा चम्मच एलोवेरा और एक बड़ा चम्मच दालचीनी मिलाएं. अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगा लें और 10 मिनट के लिए छोड़ दें. 10 मिनट इस मास्क को 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें.

अपने स्किनकेयर रूटीन में एलोवेरा को जगह देना बहुत अच्छा विकल्प है. हां, लेकिन मुंहासों को दूर करने के लिए अकेले एलोवेरा पर निर्भर न रहें. दर्द और उपचार में सहायता के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं, लेकिन समस्या के मूल कारण का पता लगाने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

Valentine’s Day 2024: कायर- क्यों श्रेया ने श्रवण को छोड़ राजीव से विवाह कर लिया?

श्रेया के आगे खड़ी महिला जैसे ही अपना बोर्डिंग पास ले कर मुड़ी श्रेया चौंक पड़ी. बोली, ‘‘अरे तन्वी तू…तो तू भी दिल्ली जा रही है… मैं अभी बोर्डिंग पास ले कर आती हूं.’’

उन की बातें सुन कर काउंटर पर खड़ी लड़की मुसकराई, ‘‘आप दोनों को साथ की सीटें दे दी हैं. हैव ए नाइस टाइम.’’ धन्यवाद कह श्रेया इंतजार करती तन्वी के पास आई.

‘‘चल आराम से बैठ कर बातें करते हैं,’’ तन्वी ने कहा. हौल में बहुत भीड़ थी. कहींकहीं एक कुरसी खाली थी. उन दोनों को असहाय से एकसाथ 2 खाली कुरसियां ढूंढ़ते देख कर खाली कुरसी के बराबर बैठा एक भद्र पुरुष उठ खड़ा हुआ. बोला, ‘‘बैठिए.’’

‘‘हाऊ शिवैलरस,’’ तन्वी बैठते हुए बोली, ‘‘लगता है शिवैलरी अभी लुप्त नहीं हुई है.’’

‘‘यह तो तुझे ही मालूम होगा श्रेया…तू ही हमेशा शिवैलरी के कसीदे पढ़ा करती थी,’’ तन्वी हंसी, ‘‘खैर, छोड़ ये सब, यह बता तू यहां कैसे?’’

‘‘क्योंकि मेरा घर यानी आशियाना यहीं है, दिल्ली तो एक शादी में जा रही हूं.’’

‘‘अजब इत्तफाक है. मैं एक शादी में यहां आई थी और अब अपने आशियाने में वापस दिल्ली जा रही हूं.’’

‘‘मगर जीजू तो सिंगापुर में सैटल्ड थे?’’

‘‘हां, सर्विस कौंट्रैक्ट खत्म होने पर वापस दिल्ली आ गए. नौकरी के लिए भले ही कहीं भी चले जाएं, दिल्ली वाले सैटल कहीं और नहीं हो सकते.’’

‘‘वैसे हूं तो मैं भी दिल्ली की, मगर अब भोपाल छेड़ कर कहीं और नहीं रह सकती.’’

‘‘लेकिन मेरी शादी के समय तो तेरा भी दिल्ली में सैटल होना पक्का ही था,’’ श्रेया ने उसांस भरी.

‘‘हां, था तो पक्का ही, मगर मैं ने ही पूरा नहीं होने दिया और उस का मुझे कोई अफसोस भी नहीं है. अफसोस है तो बस इतना कि मैं ने दिल्ली में सैटल होने का मूर्खतापूर्ण फैसला कैसे कर लिया था.’’

‘‘माना कि कई खामियां हैं दिल्ली में, लेकिन भई इतनी बुरी भी नहीं है हमारी दिल्ली कि वहां रहने की सोचने तक को बेवकूफी माना जाए,’’ तन्वी आहत स्वर में बोली.

‘‘मुझे दिल्ली से कोई शिकायत नहीं है तन्वी,’’ श्रेया खिसिया कर बोली, ‘‘दिल्ली तो मेरी भी उतनी ही है जितनी तेरी. मेरा मायका है. अत: अकसर जाती रहती हूं वहां. अफसोस है तो अपनी उस पसंद पर जिस के साथ दिल्ली में बसने जा रही थी.’’

तन्वी ने चौंक कर उस की ओर देखा. फिर कुछ हिचकते हुए बोली, ‘‘तू कहीं श्रवण की बात तो नहीं कर रही?’’

श्रेया ने उस की ओर उदास नजरों से देखा. फिर पूछा, ‘‘तुझे याद है उस का नाम?’’

‘‘नाम ही नहीं उस से जुड़े सब अफसाने भी जो तू सुनाया करती थी. उन से तो यह पक्का था कि श्रवण वाज ए जैंटलमैन, ए थौरो जैंटलमैन टु बी ऐग्जैक्ट. फिर उस ने ऐसा क्या कर दिया कि तुझे उस से प्यार करने का अफसोस हो रहा है? वैसे जितना मैं श्रवण को जानती हूं उस से मुझे यकीन है कि श्रवण ने कोई गलत काम नहीं किया होगा जैसे किसी और से प्यार या तेरे से जोरजबरदस्ती?’’

श्रेया ने मुंह बिचकाया, ‘‘अरे नहीं, ऐसा सोचने की तो उस में हिम्मत ही नहीं थी.’’

‘‘तो फिर क्या दहेज की मांग करी थी उस ने?’’

‘‘वहां तक तो बात ही नहीं पहुंची. उस से पहले ही उस का असली चेहरा दिख गया और मैं ने उस से किनारा कर लिया,’’ श्रेया ने फिर गहरी सांस खींची, ‘‘कुछ और उलटीसीधी अटकल लगाने से पहले पूरी बात सुनना चाहेगी?’’

‘‘जरूर, बशर्ते कोई ऐसी व्यक्तिगत बात न हो जिसे बताने में तुझे कोई संकोच हो.’’

‘‘संकोच वाली तो खैर कोई बात ही नहीं है, समझने की बात है जो तू ही समझ सकती है, क्योंकि तूने अभीअभी कहा कि मैं शिवैलरी के कसीदे पढ़ा करती थी…’’

इसी बीच फ्लाइट के आधा घंटा लेट होने की घोषणा हुई.

‘‘अब टुकड़ों में बात करने के बजाय श्रेया पूरी कहानी ही सुना दे.’’

‘‘मेरा श्रवण की तरफ झुकाव उस के शालीन व्यवहार से प्रभावित हो कर हुआ था. अकसर लाइबेरी में वह ऊंची शैल्फ से मेरी किताबें निकालने और रखने में बगैर कहे मदद करता था. प्यार कब और कैसे हो गया पता ही नहीं चला. चूंकि हम एक ही बिरादरी और स्तर के थे, इसलिए श्रवण का कहना था कि सही समय पर सही तरीके से घर वालों को बताएंगे तो शादी में कोई रुकावट नहीं आएगी. मगर किसी और ने चुगली कर दी तो मुश्किल होगी. हम संभल कर रहेंगे.

प्यार के जज्बे को दिल में समेटे रखना तो आसान नहीं होता. अत: मैं तुझे सब बताया करती थी. फाइनल परीक्षा के बाद श्रवण के कहने पर मैं ने उस के साथ फर्नीचर डिजाइनिंग का कोर्स जौइन किया था. साउथ इंस्टिट्यूट मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था.

श्रवण पहले मुझे पैदल मेरे घर छोड़ने आता था. फिर वापस जा कर अपनी बाइक ले कर अपने घर जाता था. मुझे छोड़ने घर से गाड़ी आती थी. लेने भी आ सकती थी लेकिन वन वे की वजह से उसे लंबा चक्कर लगाना पड़ता. अत: मैं ने कह दिया  था कि नजदीक रहने वाले सहपाठी के साथ पैदल आ जाती हूं. यह तो बस मुझे ही पता था कि बेचारा सहपाठी मेरी वजह से डबल पैदल चलता था. मगर बाइक पर वह मुझे मेरी बदनामी के डर से नहीं बैठाता था. मैं उस की इन्हीं बातों पर मुग्ध थी.

वैसे और सब भी अनुकूल ही था. हम दोनों ने ही इंटीरियर डैकोरेशन का कोर्स किया. श्रवण के पिता फरनिशिंग का बड़ा शोरूम खोलने वाले थे, जिसे हम दोनों को संभालना था. श्रवण का कहना था कि रिजल्ट निकलने के तुरंत बाद वह अपनी भाभी से मुझे मिलवाएगा और फिर भाभी मेरे घर वालों से मिल कर कैसे क्या करना है तय कर लेंगी.

लेकिन उस से पहले ही मेरी मामी मेरे लिए अपने भानजे राजीव का रिश्ता ले कर आ गईं. राजीव आर्किटैक्ट था और ऐसी लड़की चाहता था, जो उस के व्यवसाय में हाथ बंटा सके. मामी द्वारा दिया गया मेरा विवरण राजीव को बहुत पसंद आया और उस ने मामी से तुरंत रिश्ता करवाने को कहा.

‘‘मामी का कहना था कि नवाबों के शहर भोपाल में श्रेया को अपनी कला के पारखी मिलेंगे और वह खूब तरक्की करेगी. मामी के जाने के बाद मैं ने मां से कहा कि दिल्ली जितने कलापारखी और दिलवाले कहीं और नहीं मिलेंगे. अत: मेरे लिए तो दिल्ली में रहना ही ठीक होगा. मां बोलीं कि वह स्वयं भी मुझे दिल्ली में ही ब्याहना चाहेंगी, लेकिन दिल्ली में राजीव जैसा उपयुक्त वर भी तो मिलना चाहिए. तब मैं ने उन्हें श्रवण के बारे में सब बताया. मां ने कहा कि मैं श्रवण को उन से मिलवा दूं. अगर उन्हें लड़का जंचा तो वे पापा से बात करेंगी.

‘‘दोपहर में पड़ोस में एक फंक्शन था. वहां जाने से पहले मां ने मेरे गले में सोने की चेन पहना दी थी. मुझे भी पहननी अच्छी लगी और इंस्टिट्यूट जाते हुए मैं ने चेन उतारी नहीं. शाम को जब श्रवण रोज की तरह मुझे छोड़ने आ रहा था तो मैं ने उसे सारी बात बताई और अगले दिन अपने घर आने को कहा.

‘‘कल क्यों, अभी क्यों नहीं? अगर तुम्हारी मम्मी कहेंगी तो तुम्हारे पापा से मिलने के लिए भी रुक जाऊंगा,’’ श्रवण ने उतावली से कहा.

‘‘तुम्हारी बाइक तो डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट में खड़ी है.’’

‘‘खड़ी रहने दो, तुम्हारे घर वालों से मिलने के बाद जा कर उठा लूंगा.’’

‘‘तब तक अगर कोई और ले गया तो? अभी जा कर ले आओ न.’’

‘‘ले जाने दो, अभी तो मेरे लिए तुम्हारे मम्मीपापा से मिलना ज्यादा जरूरी है.’’

सुन कर मैं भावविभोर हो गई और मैं ने देखा नहीं कि बिलकुल करीब 2 गुंडे चल रहे थे, जिन्होंने मौका लगते ही मेरे गले से चेन खींच ली. इस छीनाझपटी में मैं चिल्लाई और नीचे गिर गई. लेकिन मेरे साथ चलते श्रवण ने मुझे बचाने की कोई कोशिश नहीं करी. मेरा चिल्लाना सुन कर जब लोग इकट्ठे हुए और किसी ने मुझे सहारा दे कर उठाया तब भी वह मूकदर्शक बना देखता रहा और जब लोगों ने पूछा कि क्या मैं अकेली हूं तो मैं ने बड़ी आस से श्रवण की ओर देखा, लेकिन उस के चेहरे पर पहचान का कोई भाव नहीं था.

एक प्रौढ दंपती के कहने पर कि चलो हम तुम्हें तुम्हारे घर पहुंचा दें, श्रवण तुरंत वहां से चलता बना. अब तू ही बता, एक कायर को शिवैलरस हीरो समझ कर उस की शिवैलरी के कसीदे पढ़ने के लिए मैं भला खुद को कैसे माफ कर सकती हूं? राजीव के साथ मैं बहुत खुश हूं. पूर्णतया संतुष्ट पर जबतब खासकर जब राजीव मेरी दूरदर्शिता और बुद्धिमता की तारीफ करते हैं, तो मुझे बहुत ग्लानि होती है और यह मूर्खता मुझे बुरी तरह कचोटती है.’’

‘‘इस हादसे के बाद श्रवण ने तुझ से संपर्क नहीं किया?’’

‘‘कैसे करता क्योंकि अगले दिन से मैं ने डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट जाना ही छोड़ दिया. उस जमाने में मोबाइल तो थे नहीं और घर का नंबर उस ने कभी लिया ही नहीं था. मां के पूछने पर कि मैं अपनी पसंद के लड़के से उन्हें कब मिलवाऊंगी, मैं ने कहा कि मैं तो मजाक कर रही थी. मां ने आश्वस्त हो कर पापा को राजीव से रिश्ता पक्का करने को कह दिया. राजीव के घर वालों को शादी की बहुत जल्दी थी. अत: रिजल्ट आने से पहले ही हमारी शादी भी हो गई. आज तुझ से बात कर के दिल से एक बोझ सा हट गया तन्वी. लगता है अब आगे की जिंदगी इतमीनान से जी सकूंगी वरना सब कुछ होते हुए भी, अपनी मूर्खता की फांस हमेशा कचोटती रहती थी.’’

तभी यात्रियों को सुरक्षा जांच के लिए बुला लिया गया. प्लेन में बैठ कर श्रेया ने कहा, ‘‘मेरा तो पूरा कच्चा चिट्ठा सुन लिया पर अपने बारे में तो तूने कुछ बताया ही नहीं.’’

‘‘दिल्ली से एक अखबार निकलता है दैनिक सुप्रभात…’’

‘‘दैनिक सुप्रभात तो दशकों से हमारे घर में आता है,’’ श्रेया बीच में ही बोली, ‘‘अभी भी दिल्ली जाने पर बड़े शौक से पढ़ती हूं खासकर ‘हस्तियां’ वाला पन्ना.’’

‘‘अच्छा. सुप्रभात मेरे दादा ससुर ने आरंभ किया था. अब मैं अपने पति के साथ उसे चलाती हूं. ‘हस्तियां’ स्तंभ मेरा ही विभाग है.’’

‘‘हस्तियों की तसवीर क्यों नहीं छापते आप लोग?’’

‘‘यह तो पापा को ही मालूम होगा जिन्होंने यह स्तंभ शुरू किया था. यह बता मेरे घर कब आएगी, तुझे हस्तियों के पुराने संकलन भी दे दूंगी.’’

‘‘शादी के बाद अगर फुरसत मिली तो जरूर आऊंगी वरना अगली बार तो पक्का… मेरा भोपाल का पता ले ले. संकलन वहां भेज देना.’’

‘‘मुझे तेरा यहां का घर मालूम है, तेरे जाने से पहले वहीं भिजवा दूंगी.’’

दिल्ली आ कर श्रेया बड़ी बहन के बेटे की शादी में व्यस्त हो गई. जिस शाम को उसे वापस जाना था, उस रोज सुबह उसे तन्वी का भेजा पैकेट मिला. तभी उस का छोटा भाई भी आ गया और बोला, ‘‘हम सभी दिल्ली में हैं, आप ही भोपाल जा बसी हैं. कितना अच्छा होता दीदी अगर पापा आप के लिए भी कोई दिल्ली वाला लड़का ही देखते या आप ने ही कोई पसंद कर लिया होता. आप तो सहशिक्षा में पढ़ी थीं.’’

सुनते ही श्रेया का मुंह कसैला सा हो गया. तन्वी से बात करने के बाद दूर हुआ अवसाद जैसे फिर लौट आया. उस ने ध्यान बंटाने के लिए तन्वी का भेजा लिफाफा खोला ‘हस्तियां’ वाले पहले पृष्ठ पर ही उस की नजर अटक गई, ‘श्रवण कुमार अपने शहर के जानेमाने सफल व्यवसायी और समाजसेवी हैं. जरूरतमंदों की सहायता करना इन का कर्तव्य है. अपनी आयु और जान की परवाह किए बगैर इन्होंने जवान मनचलों से एक युवती की रक्षा की जिस में गंभीर रूप से घायल होने पर अस्पताल में भी रहना पड़ा. लेकिन अहं और अभिमान से यह सर्वथा अछूते हैं.’

हमारे प्रतिनिधि के पूछने पर कि उन्होंने अपनी जान जोखिम में क्यों डाली, उन की एक आवाज पर मंदिर के पुजारी व अन्य लोग लड़नेमरने को तैयार हो जाते तो उन्होंने बड़ी सादगी से कहा, ‘‘इतना सोचने का समय ही कहां था और सच बताऊं तो यह करने के बाद मुझे बहुत शांति मिली है. कई दशक पहले एक ऐसा हादसा मेरी मित्र और सहपाठिन के साथ हुआ था. चाहते हुए भी मैं उस की मदद नहीं कर सका था. एक अनजान मूकदर्शक की तरह सब देखता रहा था. मैं नहीं चाहता था कि किसी को पता चले कि वह मेरे साथ थी और उस का नाम मेरे से जुडे़ और बेकार में उस की बदनामी हो.

‘‘मुझे चुपचाप वहां से खिसकते देख कर उस ने जिस तरह से होंठ सिकोड़े थे मैं समझ गया था कि वह कह रही थी कायर. तब मैं खुद की नजरों में ही गिर गया और सोचने लगा कि क्या मैं उसे बदनामी से बचाने के लिए चुप रहा या सच में ही मैं कायर हूं? जाहिर है उस के बाद उस ने मुझ से कभी संपर्क नहीं किया. मैं यह जानता हूं कि वह जीवन में बहुत सुखी और सफल है. सफल और संपन्न तो मैं भी हूं बस अपनी कायरता के बारे में सोच कर ही दुखी रहता था पर आज इस अनजान युवती को बचाने के बाद लग रहा है कि मैं कायर नहीं हूं…’’

श्रेया और नहीं पढ़ सकी. एक अजीब सी संतुष्टि की अनुभूति में वह यह भी भूल गई कि उसे सुकून देने को ही तन्वी ने ‘हस्तियां’ कालम के संकलन भेजे थे और एक मनगढ़ंत कहानी छापना तन्वी के लिए मुश्किल नहीं था.

Valentine’s Day 2024: एकतरफा प्यार में क्या करें

सौरभ अपने रिश्तेदार के यहां शादी में गया था. वहां बरात में आई लड़की उसे पसंद आ गई. उसे देखते ही उस के मन में प्यार की कोंपलें फूटने लगीं, हृदय हिलोरें मारने लगा और वह उस का दीवाना हो गया.

बरात के विदा होने के साथ वह लड़की भी वापस चली गई. लेकिन, सौरभ एकतरफा प्यार में पागल हो चुका था. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था. उसे गुमसुम देख एक दिन मां ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बेटे, आजकल तुम्हारा मन किसी काम में नहीं लग रहा है? न ठीक से खातेपीते हो और न पढ़तेलिखते हो, गुमसुम बने रहते हो?’’

‘‘नहीं मौम, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ सौरभ ने कहा था.

बेटे के उत्तर से मां निश्चिंत हो गईं. लेकिन सौरभ उस लड़की के लिए बेताब था. उस ने अपने रिश्तेदार से उस लड़की के बारे में जानने व उस से मिलने की इच्छा व्यक्त की.

उस के रिश्तेदार ने कहा, ‘‘कहीं तुम्हें शिखा से प्यार तो नहीं हो गया? मैं पहले बता दूं कि इस बारे में सोचना भी मत क्योंकि उस की सगाई हो चुकी है और 2 महीने बाद उस की शादी है.’’

सौरभ के तो पैरोंतले जमीन खिसक गई. उस के सारे सपने टूट गए. वह इतना डिप्रैस्ड हो गया कि खुदकुशी कर मौत को गले लगा लिया.

मीना बीए फाइनल ईयर में थी. उसे अपनी ही क्लास के लड़के रोहित से प्यार हो गया. लड़के के पिता केंद्र सरकार में सेवारत हैं. इसलिए उन का ट्रांसफर होता रहता है. रोहित काफी हैंडसम और होशियार था. कुछ ही समय में वह प्रोफैसरों का भी चहेता बन गया. मीना मन ही मन उसे चाहने लगी. उस ने अपने दिल की बात न तो अपनी सहेलियों को बताई और न ही घर पर. इस बारे में रोहित से बात करने का वह साहस नहीं जुटा सकी.

खैर, उस का बीए पूर्ण हो गया और रोहित के पिता का ट्रांसफर चेन्नई हो गया. उस के चले जाने पर वह उस के खयालों में खोई रहती. वह उस के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि खानापीना तक  छोड़ दिया. मां ने उस से उस के उखड़े मूड के बारे में पूछा तो उस ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. मां ने अपनी बहू से कहा कि वह मीना से बात कर पता लगाए कि वह इतनी खोईखोई क्यों रहती है.

भाभी के समक्ष मीना खुल गई और उस ने अपने एकतरफा प्यार के बारे में बताया. भाभी ने इस संबंध में उस की मदद करने को कहा और उस लड़के से संपर्क कर बताया कि उन की ननद किस तरह उस के प्यार में पागल है.

यह सुन कर रोहित भौचक्का रह  गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उसे इस तरह प्यार कर सकती है. उस ने भाभी की बात को सिरे से नकार दिया, बोला, ‘‘अब तक तो मैं आप की ननद को पहचान ही नहीं पा रहा हूं. क्योंकि क्लास में कम से कम 50 लड़कियां थीं. वैसे भी, मैं तो उर्वशी से प्यार करता हूं और वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों ने एकसाथ जीनेमरने की कसमें खाई हैं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता.’’

भाभी ने अपनी ननद को इस बारे में बताया और कहा कि तुम किसी अन्य लड़के से शादी कर लो. तुम सुंदर हो, पढ़ीलिखी भी हो. तुम्हारे लिए रिश्ते की कोई कमी नहीं है.

लेकिन मीना के सिर पर तो एकतरफा प्यार का भूत सवार था. उस ने कहा, ‘‘अगर वह लड़का मेरी जिंदगी में नहीं आ सकता तो मैं किसी अन्य लड़के को अपना जीवनसाथी नहीं बनाऊंगी. मैं जीवनभर कुंआरी रह लूंगी पर किसी दूसरे लड़के से शादी नहीं करूंगी.’’

रवि अपने महल्ले की एक लड़की को चाहने लगा. दिन में कई बार उस के घर के सामने से निकलता ताकि उस की एक झलक दिख जाए. यह सिलसिला 3 महीनों तक चलता रहा. हालांकि, वह लड़की रवि को जानती तक न थी.

एक दिन वह बाजार से अकेली आ रही थी. रवि की नजर उस पर पड़ी. उस ने रास्ते में उसे रोक कर बात करनी चाही. सरेराह कोई लड़का उसे छेड़े, यह उसे नागवार लगा. रवि अपने दिल की बात उस से कहता, इस के पूर्व ही लड़की ने उस के गाल पर तमाचा दे मारा. इस अप्रत्याशित घटना से रवि हक्काबक्का रह गया. वह वहां से भाग खड़ा हुआ.

एकतरफा प्यार में पागल हुए इस प्रेमी को अपने को ठुकराए जाने पर इस कदर गुस्सा आया कि उस ने उस से बदला लेने की सोची और एक दिन उसे अकेली आते देख उस के चेहरे पर तेजाब डाल दिया. लड़की का चेहरा बुरी तरह झुलस गया, हालांकि लड़की की चीखपुकार सुन कर लोगों ने रवि को उसी समय धरदबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया.

न्यायालय में जब जज ने उस से तेजाब फेंकने का कारण पूछा तो उस ने कहा, ‘‘यह लड़की अपनेआप को समझती क्या है? मेरे प्यार को ठुकरा कर इस ने अच्छा नहीं किया. यदि यह मेरी नहीं हो सकती तो किसी दूसरे की भी नहीं हो सकती. इसीलिए मैं ने तेजाब डाल कर बदला लिया.’’

कोर्ट ने रवि को 3 साल की सजा सुनाई.

एकतरफा प्यार करने वाले लड़के या लड़की यह क्यों नहीं समझते कि वही प्यार परवान चढ़ता है जो दोनों तरफ से हो. जब सामने वाले या सामने वाली को पता ही नहीं हो कि कोई उस के प्यार में पागल है, तो उस के स्वीकार करने या न करने का प्रश्न ही कहां उठता है.

यदि आप किसी से प्यार करते हैं या करती हैं तो उसे अपने दिल की बात बताने में संकोच या विलंब न करें. समय रहते उसे इस बारे में बताएं और यदि वह सिरे से खारिज कर दे तो अपने कदम पीछे खींच लेने में ही भलाई है. यदि वह जवाब के लिए कुछ समय चाहे तो उसे देना चाहिए.

प्यार में जबरदस्ती नहीं होती.

यदि आप का प्रस्ताव अस्वीकार हो जाता है तो इस का मतलब यह नहीं कि दुनिया खत्म हो गई. ऐसे में न तो सामने वाले से बदला लेने या सबक सिखाने के बारे में सोचना चाहिए और न ही अपनी जिंदगी की रफ्तार को रोकना चाहिए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो जाएगा.

अपने एकतरफा प्यार का इजहार करने में जहां लड़के उतावले रहते हैं वहीं लड़कियों में शर्मझिझक होने से वे इस का इजहार नहीं कर पातीं. आमतौर पर लड़कियां इस की पहल नहीं करतीं या करती भी हैं तो किसी को माध्यम बना कर.

कई बार जब आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो उस आकर्षण को ही प्यार समझने लगते हैं. लेकिन ये दोनों अलगअलग बातें हैं. आकर्षण छलावा होता है जबकि प्यार गहराई लिए होता है. प्यार भावनाओं पर आधारित होता है जबकि आकर्षण वासना पर. वासना को प्यार का नाम देना बुद्घिमानी नहीं है.

एकतरफा प्यार में मिली असफलता को धोखे का नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह तो इस बात से अनजान है. जब आप उसे इस बारे में बताते हैं तो उस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह नहीं कह सकते. हो सकता है कि उस का जवाब सकारात्मक हो. यदि आप का प्यार स्वीकार हो जाता है तो आप के मन की इच्छा पूरी हो सकती है वरना सामने वाले को दोष देना ठीक नहीं. इसलिए, प्यार में इतने पागल न बनें कि अपना आपा खो दें.

आप प्यार के बदले प्यार चाहते हैं लेकिन जब प्यार एकतरफा हो तो जरूरी नहीं कि हम जो चाहें वह हमें मिले ही. यदि आप किसी फिल्म अभिनेत्री या अभिनेता को चाहने लगें या उस से एकतरफा प्यार करने लगें तो क्या यह पागलपन नहीं है? किसी का फैन या प्रशंसक होना एक बात है और उस से प्यार करना दूसरी बात. आप अपने पसंदीदा हीरो या हीराइन को सपनों में देखते रहिए, लेकिन क्या आप उन के सपनों में आते हैं?

बात अभिनेता या अभिनेत्रियों की ही नहीं है, कोई अच्छी सुंदर लड़की दिखी नहीं कि मनचले उसे अपना दिल दे बैठते हैं. उस के आगेपीछे दौड़ते हैं, उस पर फिकरे कसते हैं या छेड़छाड़ करते हैं ताकि उस का ध्यान उन की तरफ जाए और वह उन से प्यार करने लगे. लेकिन, बदले में क्या मिलता है-थप्पड़.

यदि आप ने किसी से एकतरफा प्यार किया है लेकिन वह आप का नहीं हो सका या नहीं हो सकी, तो उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने का आप को कोई अधिकार नहीं है. उसे अपने हिसाब से जीने दो. माना कि एकतरफा प्यार की पीड़ा आप झेल रहे हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि किसी की सुखी जिंदगी में जहर घोल दें.

यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही लड़केलड़कियों में विपरीतलिंगी को सामने देख कुछकुछ होने लगता है. उन की धड़कनें बढ़ जाती हैं. कई बार उन्हें पहली नजर में ही किसी से प्यार हो जाता है. शुरुआत एकतरफा प्यार से ही होती है. यदि सामने वाला या सामने वाली भी इस पर अपनी मुहर लगा दे तब तो ठीक, वरना एकतरफा प्यार का दर्द और जख्म इतना गहरा होता है कि वह जिंदगी तबाह भी कर सकता है.

Valentine’s Day 2024: प्यार के इन खास दिनों में दिखें खिली-खिली

वैलेंटाइन डे पर आप सुंदर, आकर्षक या रोमांटिक दिखने की चाहत रखती हैं तो हमारी आज की ये खबर आपके लिए ही है. आपको अगर इस दिन अपनी स्किन में चमक-दमक लाना है तो इसकी तैयारी आपको अभी से करनी पड़ेगी. चलिए बताते हैं वो टिप्स जिसे अपनाकर आप इस दिन खूबसूरत व आकर्षक दिख सकती हैं-

1. कौटन वूल पैड का करें इस्तेमाल

इस खास दिन के लिए कौटन वूल पैड का उपयोग करते हुए स्किन को प्रतिदिन ठंडे गुलाब जल की रंगत प्रदान करें. कौटन वूल पैड को इस्तेमाल करने से पहले फ्रिज में 15 मिनट के लिए गुलाब जल में कौटन वूल पैड को डुबोकर रखें. पहले इससे स्किन को धोएं फिर उसे धीरे-धीरे सहलाएं. इसे गालों पर ऊपरी तथा निचली ओर हल्के-हल्के सहलाते हुए लगाएं. दिन में दो बार ऐसा करें आपकी स्किन खिल उठेगी.

2. फेशियल स्क्रब करना ना भूलें

सप्ताह में एक बार अवश्य ही फेशियल स्क्रब का उपयोग करें. इससे स्किन से मृत कोशिकाएं हट जाती हैं, जिससे स्किन दमक उठती है. अखरोट के पाउडर तथा एक चम्मच शहद तथा एक चम्मच दही को मिलाकर फेशियल स्क्रब बना लें. इस मिश्रण को कुछ समय तक चेहरे पर लगाएं और हल्के से मसाज करें. कुछ देर बाद में स्वच्छ पानी से धो डालें.

3. फेस पैक का करें इस्तेमाल

सूखे तथा पिसे हुए करी पत्ता को फेस पैक में शामिल कर सकते हैं. इससे चेहरे की चमक बढ़ जाती है. करी पत्ता को दो चम्मच जई या चोकर, दो चम्मच गुलाब जल व एक चम्मच दही में मिलाकर इसका पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को आंखों तथा होठों को छोड़कर बाकी चेहरे पर लगा लें तथा आधा घंटा बाद चेहरे को धो डालें.

4. औयली स्किन के लिए अपनाएं ये टिप्स

तैलीय स्किन के लिए मुलतानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे होठों चेहरे पर लगा लें तथा जब यह सूख जाए तो पानी से धो डालें. सामान्य स्किन के लिए मुलतानी मिट्टी में शहद और दही मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को चेहरे पर 30 मिनट तक लगाने के बाद ताजे पानी से धो डालें.

5. फ्रूट पैक का करें इस्तेमाल

चेहरे की आभा बढ़ाने के लिए फ्रूट पैक काफी सहायक होते है. सेब को पीसकर इसे पके पपीते की लुगदी तथा मसले हुए केले में मिलाकर मिश्रण बना लें तथा इस मिश्रण में दही या नीबू का रस भी मिलाया जा सकता है. इस मिश्रण को चेहरे पर आधे घंटे तक लगा रहने दीजिए तथा बाद में चेहरे को साफ पानी से धो डालिए. इससे चेहरे की लालिमा बढ़ती है.

Valentine’s Day 2024: इस तरह से बनाएं Dry वैजिटेबल मंचूरियन

सर्दियों में अगर कुछ टेस्टी और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो आपके लिए ये रेसिपी काम की है. वैज मंचूरियन आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप कभी भी बनाकर अपने हस्बैंड और फैमिली को खिला सकते हैं. आइए आपको बताते हैं वैज मंचूरियन की टेस्टी रेसिपी…

ड्राई वैजिटेबल मंचूरियन

सामग्री

– 1 कप कद्दूकस की पत्तागोभी

– 1 गाजर कद्दूकस की

– 1/4 कप हरा प्याज कटा

– 1/4 कप शिमलामिर्च बारीक कटी

– 1/4 कप फ्रैंचबींस बारीक कटी

– 1 हरीमिर्च बारीक कटी

– 1 छोटा चम्मच अदरक कद्दूकस किया

– 3 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर

– 2 बड़े चम्मच मैदा

– 1 बड़ा चम्मच सोया सौस

– 2 छोटे चम्मच रैड चिली सौस

– 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

– 2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

– 2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

– 2 छोटे चम्मच सिरका

– 1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक कटा

– थोड़ा सा हरा प्याज बारीक कटा

– वैजिटेबल बौल्स फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

पत्तागोभी में सभी सब्जियां हरीमिर्च, अदरक, 2 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर, 2 बड़े चम्मच मैदा व थोड़ा सा नमक मिलाएं. इस में 1 छोटा चम्मच सोया सौस, कालीमिर्च चूर्ण मिला कर छोटीछोटी बौल्स बना कर डीप फ्राई कर लें. पुन: एक नौनस्टिक कड़ाही में 1 बड़ा चम्मच तेल गरम कर के प्याज, अदरक, लहसुन पेस्ट सौते करें. टोमैटो सौस, चिली सौस, सोया सौस व सिरका डालें.

1 कप पानी में बचा मैदा व कौर्नफ्लोर घोल कर मिश्रण में डालें. उबाल आने पर वैजिटेबल बौल्स डालें और मिश्रण के सूखने तक धीमी आंच पर पकाएं. हरे प्याज से सजा कर सर्व करें.

Rose Day 2024: रोज डे पर अपने पार्टनर को फील कराएं सबसे खास, गुलाब के साथ दें ये गिफ्ट्स

Rose Day 2024: आज से वैलेंटाइन वीक की शुरुआत हो चुकी है. यह वीक प्यार करने वालों के लिए बहुत ही स्पेशल होता है. 7 फरवरी यानी आज रोज डे मनाया जा रहा है. इस दिन कपल एक-दूसरे को गुलाब देकर अपने दिल का हल बयां करते हैं. अगर आप भी अपने पार्टनर को गुलाब देने जा रहे हैं, तो इसके साथ कुछ गिफ्ट्स भी देकर आप उन्हें स्पेशल फील करवा सकते हैं. तो आज हम आपको इस आर्टिकल में कुछ गिफ्ट आइडियाज बताएंगे, जो कपल के लिए बहुत ही शानदार साबित हो सकते हैं.

गुलदस्ता

रोज डे के दिन अपने पार्टनर को गुलाब देना काफी रोमांटिक होता है, लेकिन इसके अलावा आप अपने पार्टनर को आर्टिफिशियल गुलदस्ता भी दे सकते हैं और इसमें हर गुलाब में एक छोटा सा नोट या संदेश अपने पार्टनर के लिए रख सकते हैं. बेशक यह गिफ्ट आपके प्यार को काफी पसंद आएगा.

बौटल मैसेज

दिल का हाल बयां करने के लिए रेड रोज किसी को देना प्यार जाहिर करने का काफी अच्छा तरीका है. आप इस खास दिन पर हाल-ए-दिल बयां करने के लिए अपने पार्टनर को बॉटल मैसेज भी गिफ्ट कर सकते हैं. आपको मार्केट में एक से बढ़कर एक बौटल मैसेज मिल जाएंगे.

गुलाब के आकार की ज्वेलरी

इस दिन आप पार्टनर को स्पेशल फील करवाने के लिए गुलाब की आकृति वाला ज्वेलरी दें. यह ब्रासलेट, लौकेट या कोई अन्य ज्वेलरी भी गिफ्ट कर सकते हैं.

फोटो फ्रेम

रोज डे पर आप अपने पार्टनर को फोटो फ्रेम भी दे सकते हैं. इस फ्रेम में आप अपनी और पार्टनर की फोटोज लगा सकते हैं. यह गिफ्ट आप दोनों के लिए यादगार साबित होगा.

घर को गुलाबों से सजाएं

आप बाहर जाने के बजाय घर पर ही रोमांटिक डिनर कर सकते हैं. इसके लिए आप अपने घर को गुलाबों से सजाएं, इसके अलावा डिनर टेबल को भी गुलाब की पंखुड़ियों से सजाएं. आप अपने पार्टनर की मनपसंद खाना बनाएं और दोनों रोमांटिक डिनर करें. इसके अलावा आप अपने पार्टनर रेजिन की-चेन गिफ्ट कर सकते हैं. यह गुलाब की पंखुड़ियों से तैयार किया जाता है.

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