Valentine’s Day 2024: डेजर्ट में परोसें चौकलेट संदेश

बंगाली मिठाई संदेश कई तरह के होते हैं. तो क्यों ना इस बार चौकलेट संदेश ट्राय किया जाए. चौकलेट संदेश बनाना बेहद आसान है. आप चाहें तो इसे शुगरलेस भी बनाकर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

1 किलोग्राम ताजा छेना

250 ग्राम चीनी

100 ग्राम लिक्विड चौकलेट

30 ग्राम कोको पाउडर

30 ग्राम ड्रिंकिंग चौकलेट पाउडर

बनाने का तरीका

छेना और चीनी को एकसाथ मिला कर कड़ाही में चढ़ा कर लगातार चलाते हुए इस का पूरा पानी सुखा लें. इसे एक ट्रे या थाली में निकाल लें और ठंडा होने दें.

चौकलेट संदेश बनाने के लिए इस में लिक्विड चौकलेट और कोको पाउडर डाल कर अच्छी तरह गूंधते हुए मिला लें.

एक चौकोर ट्रे में घी लगा कर मिश्रण को जमा दें. अब ड्रिंकिंग चौकलेट पाउडर ऊपर से एकसमान डाल कर अच्छी तरह फैला दें. फिर चौकोर आकार में काट लें.

Valentine’s Day 2024: इस वैलेंटाइन दिखना चाहती हैं सबसे खास, तो फौलो करें ये टिप्स

वैलेंटाइन वीक आते ही पार्टियों का दौर शुरू हो गया है. आपने इस वीक में हर दिन कुछ अलग करने का सोचा होगा. लेकिन क्या खुद पर ध्यान दिया है? अगर आपने अभी तक अपने लुक और मेकअप को लेकर कोई तैयारी नहीं की है तो परेशान होने की जरूरत नहीं. ये टिप्स आपकी इस परेशानी को चुटकियों में दूर कर देंगे.

त्वचा को करें मॉयश्चराइज

मेकअप की शुरुआत सबसे पहले प्राइमर के साथ करें. इससे आपकी फाइन लाइन्स, ओपन पोर्स और पिट्स भर जाएंगे.

अपनी त्वचा को मॉयश्चराइज करने के लिए और फाउंडेशन के तौर पर टिंटिड मॉयश्चराइजर लगाएं. त्वचा पर यदि कोई स्कॉर्स हैं तो उसे कंसीलर की मदद से कंसील कर लें.

गोरे मुखड़े पर पिंक कलर का ब्लशऑन इस्तेमाल करें और यदि सांवली हैं तो आप पर पीच शेड का ब्लशर बहुत अच्छा लगेगा. नाक के दोनों साइड, चीक्स बोंस और डबल चिन को छुपाने के लिए डार्क ब्राउन शेड के ब्लशऑन से कॉन्टोरिंग कर लें. चीक्स बोन्स पर हाईलाइटर यूज करें.

आंखों का मेकअप हो ऐसा

आंखों को डीप सेक्सी स्मोकी लुक दें. वैसे तो अभी तक स्मोकी आई-मेकअप ब्लैक और ग्रे शेड से ही किया जाता रहा है, लेकिन आजकल इसमें बहुत सारे कलरफुल शेड्स का भी इस्तेमाल होने लगा है. ड्रेस से कॉन्ट्रास्ट ब्राइट शेड्स जैसे हॉट पिंक, सी-ग्रीन को आईज के ऊपर और इनर कॉर्नर पर लगाएं और फिर ब्लैक कलर से डीप सेट करके स्मज कर लें. इसके अलावा आंखों के ऊपर जेल लाइनर लगाकर ब्रश से स्मज कर लें.

पलकों पर आर्टीफिशियल आईलैश लगाना इस समय बेहद हिट है, जिन्हें लगाकर आप अपनी पलकों को ज्यादा घना व खूबसूरत दिखा सकती हैं. इन पलकों को कलर से कर्ल करके मसकारा की कोट लगाएं. ये आपकी आंखों को सेक्सी व सेंशुयल लुक देगा.

आंखों के अंदर काजल की बजाय व्हाइट पेंसिल लगाएं और ऑउटर लाइन पर जैल लाइनर लगाकर स्मज कर लें, इससे आंखें ज्यादा बड़ी दिखेंगी.

लिप्स को दें ग्लैमरस लुक

स्मोकी लुक के साथ लिप्स को न्यूड ही रखें और उन्हें बबल गम पिंक या पीच शेड से सजाएं. इसके साथ ही लिप शेड लगाने के बाद लिप प्लमर जरूर यूज करें, क्योंकि इससे लिप्स बड़े व पॉउटी नजर आएंगे.

हेयर स्टाइल

अगर आपके बाल छोटे हैं और आपको वेस्टर्न ड्रेस पहननी है, तो बॉब कट स्टाइल कैरी करें. यह परफेक्ट और एवरग्रीन हेयरकट है. इसमें आगे के लंबे बाल चिन लेंथ तक होते हैं और इसमें साइड पार्टिंग बहुत एट्रैक्टिव लगती है. कूल, बिंदास, स्लिम और टॉल लड़कियों के लिए यह एक परफेक्ट हेयर स्टाइल है.

माथे के पास और साइड के बालों को लंबा रखें और पीछे के बालों को छोटा. सेक्सी लुक के लिए बालों को मेसी लुक दें और साइड बन बनाएं.

Valentine’s Day 2024: वैलेंटाइन डे- अभिराम क्या कर पाया प्यार का इजहार

अपने देश में विदेशी उत्पाद, पहनावा, विचार, आचारसंहिता आदि का चलन जिस तरह से जोर पकड़ चुका है उस में वेलेंटाइन डे को तो अस्तित्व में आना ही था. वैसे अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि वेलेंटाइन डे के दिन होता क्या है. फिर भी बात चली है तो खुलासा कर देते हैं कि चाहने वाले जवान दिलों ने इस दिन को प्रेम जाहिर करने का कारगर माध्यम बना लिया है. इस अवसर पर बाजार सजते हैं, चहकते, इठलाते लड़केलड़कियों की सड़कों पर आवाजाही बढ़ जाती है, वातावरण में खुमार, खनक, खुशी भर जाती है.

सेंट जोंसेफ कानवेंट स्कूल के कक्षा 11 के छात्र अभिराम ने इसी दिन अपनी सहपाठिनी निष्ठा को ग्रीटिंग कार्ड के ऊपर चटक लाल गुलाब रख कर भेंट किया था. निष्ठा ने अंदरूनी खुशी और बाहरी झिझक के साथ भेंट स्वीकार की थी तो कक्षा के छात्रछात्राओं ने ध्वनि मत से उन का स्वागत कर कहा, ‘‘हैप्पी फोर्टीन्थ फैब.’’

विद्यालय का यह पहला इश्क कांड नहीं था. कई छात्रछात्राओं का इश्क चोरीछिपे पहले से ही परवान चढ़ रहा था. आप जानिए, वे पढ़ाई की उम्र में पढ़ाई कम दीगर हरकतें ज्यादा करते हैं. चूंकि यह विद्यालय अपवाद नहीं है इसलिए यहां भी तमाम घटनाएं हुआ करती हैं.

एक छात्रा स्कूल आने और उस के निर्धारित समय का लाभ ले कर किसी के साथ भाग चुकी है. एक छात्रा को रसायन शास्त्र के अध्यापक ने लैब में छेड़ा था. इस के विरोध में विद्यार्थी तब तक हड़ताल पर बैठे रहे जब तक उन को प्रयोगशाला से हटा नहीं दिया गया. इस के बावजूद स्कूल का जो अनुशासन, प्रशासन और नियमितता होती है वह आश्चर्यजनक रूप से यहां भी है.

हां, तो बात निष्ठा की चल रही थी. उस ने दिल की बढ़ी धड़कनों के साथ ग्रीटिंग की इबारत पढ़ी- ‘निष्ठा, सेंट वेलेंटाइन ने कहा था कि प्रेम करना मनुष्य का अधिकार है. मैं संत का बहुत आभारी हूं-अभिराम.’

प्रेम की घोषणा हो गई तो उन के बीच मिलनमुलाकातें भी होने लगीं. दोनों एकदूसरे को मुग्धभाव से देखने लगे. साथसाथ ट्यूशन जाने लगे, फिल्म देखने भी गए.

कक्षा की सहपाठिनें निष्ठा से पूछतीं, ‘‘प्रेम में कैसा महसूस करती हो?’’

‘‘सबकुछ अच्छा लगने लगा है. लगता है, जो चाहूंगी पा लूंगी.’’

‘‘ग्रेट यार.’’

अपने इस पहले प्रेम को ले कर उत्साहित अभिराम कहता, ‘‘निष्ठा, मेरे मम्मीपापा डाक्टर हैं और वे मुझे भी डाक्टर बनाना चाहते हैं. यही नहीं वे बहू भी डाक्टर ही चाहते हैं तो तुम्हें भी डाक्टर बनना होगा.’’

‘‘और न बन सकी तो? क्या यह तुम्हारी भी शर्त है?’’

‘‘शर्त तो नहीं पर मुझे ले कर मम्मीपापा ऐसा सोचते हैं,’’ अभिराम बोला, ‘‘तुम्हारे घरवालों ने भी तो तुम्हें ले कर कुछ सोचा होगा.’’

‘‘यही कि मेरी शादी कैसे होगी, दहेज कितना देना होगा? आदि…’’ सच कहूं अभिराम तो पापामम्मी विचित्र प्राणी होते हैं. एक तरफ तो वे दहेज का दुख मनाएंगे, किंतु लड़की को आजादी नहीं देंगे कि वह अपने लिए किसी को चुन कर उन का काम आसान करे.’’

‘‘यह अचड़न तो विजातीय के लिए है हम तो सजातीय हैं.’’

‘‘देखो अभिराम, धर्म और जाति की बात बाद में आती है, मांबाप को असली बैर प्रेम से होता है.’’

‘‘मैं अपनी मुहब्बत को कुरबान नहीं होने दूंगा,’’ अभिराम ने बहुत भावविह्वल हो कर कहा.

‘‘बहुत विश्वास है तुम्हें अपने पर.’’

‘‘हां, मेरे पापामम्मी ने तो 25 साल पहले प्रेमविवाह किया था तो मैं इस आधुनिक जमाने में तो प्रेमविवाह कर ही सकता हूं.’’

‘‘अभि, तुम्हारी बातें मुझे भरोसा देती हैं.’’

अभिराम और निष्ठा अब फोन पर लंबीलंबी बातें करने लगे. अभि के मातापिता दिनभर नर्सिंग होम में व्यस्त रहते थे अत: उस को फोन करने की पूरी आजादी थी. निष्ठा आजाद नहीं थी. मां घर में होती थीं. फोन मां न उठा लें इसलिए वह रिंग बजते ही रिसीवर उठा लेती थी.

मां एतराज करतीं कि देख निष्ठा तू घंटी बजते ही रिसीवर न उठाया कर. आजकल के लड़के किसी का भी नंबर डायल कर के शरारत करते हैं. अभी कुछ दिन पहले मैं ने एक फोन उठाया तो उधर से आवाज आई, ‘‘पहचाना? मैं ने कहा कौन? तो बोला, तुम्हारा होने वाला.’’

इस तरह अभिराम और निष्ठा का प्रेम अब एक साल पुराना हो गया.

अभिराम ने योजना बनाई कि निष्ठा, वेलेंटाइन डे पर कुछ किया जाए.

निष्ठा ने सवालिया नजरों से अभिराम को देखा, जैसे पूछ रही हो क्या करना है?

‘‘देखो निष्ठा, इस छोटे से शहर में कोई बीच या पहाड़ तो है नहीं,’’ अभिराम बोला. ‘‘अपना पुष्करणी पार्क अमर रहे.’’

‘‘पार्क में हम क्या करेंगे?’’

‘‘अरे यार, कुछ मौजमस्ती करेंगे. और कुछ नहीं तो पार्क में बैठ कर पापकार्न ही खा लेंगे.’’

‘‘नहीं बाबा, मैं वेलेंटाइन डे पर तुम्हारे साथ पार्क में नहीं जा सकती. जानते हो हिंदू संस्कृति के पैरोकार एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है, जो लोग वेलेंटाइन डे मनाते हुए मिलेंगे उन्हें परेशान किया जाएगा.’’

‘‘निष्ठा, यही उम्र है जब मजा मार लेना चाहिए. स्कूल में यह हमारा अंतिम साल है. इन दिनों की फिर वापसी नहीं होगी. हम कुछ तो ऐसा करें जिस की याद कर पूरी जिंदगी में रौनक बनी रहे. हम पार्क में मिलेंगे. मैं तुम्हें कुछ गिफ्ट दूंगा, इंतजार करो,’’ अभिराम ने साहबी अंदाज में कहा.

निष्ठा आखिर सहमत हो गई. मामला मुहब्बत का हो तो माशूक की हर अदा माकूल लगती है.

शाम को दोनों पार्क में मिले. निष्ठा खास सजसंवर कर आई थी. पार्क के कोने की एकांत जगह पर बैठ कर अभिराम निष्ठा को वाकमैन उपहार में देते हुए बोला, ‘‘इस में कैसेट भी है जिस पर तुम्हारे लिए कुछ रिकार्ड किया है.’’

‘‘वाह, मुझे इस की बहुत जरूरत थी. अब मैं अपने कमरे में आराम से सोते हुए संगीत सुन सकूंगी.’’

अभिराम ने निष्ठा के गले में बांहें डाल कर कहा, ‘‘भारतीय संस्कृति ही नहीं बल्कि विकसित और आधुनिक देशों की संस्कृति भी प्रेम को बुरा कहती रही है. कैथोलिक ईसाइयों में प्रेम और शादी की मनाही थी. तब वेलेंटाइन ने कहा था कि मनुष्य को प्रेम की अभिव्यक्ति का अधिकार है. तभी से 14 फरवरी के दिन प्रेमी अपने प्रेम का इजहार करते हैं.’’

संगठन के कुछ कार्यकर्ता प्रेमियों को खदेड़ने आ पहुंचे हैं, इस से बेखबर दोनों प्रेम के सागर में हिचकोले ले रहे थे कि अचानक संगठन के कार्यकर्ताओं को लाठी, हाकी, कालारंग आदि लिए देख अभिराम व निष्ठा हड़बड़ा कर खड़े हो गए. कुछ लोग पार्क छोड़ कर भाग रहे थे, तो कुछ तमाशा देख रहे थे.

उधर संगठन के ऐलान को ध्यान में रख स्थानीय मीडिया वाले रोमांचकारी दृश्य को कैमरे में उतारने के लिए शाम को वहां आ डटे थे. उन्होंने कैमरा आन कर लिया. अभिराम व निष्ठा स्थिति को भांपते इस के पहले कार्यकर्ताओं ने दोनों के चेहरे काले रंग से पोत दिए.

निष्ठा ने बचाव में हथेलियां आगे कर ली थीं. अत: चेहरे पर पूरी तरह से कालिख नहीं पुत पाई थी.

‘‘क्या बदतमीजी है,’’ अभिराम चीखा तो एक कार्यकर्ता ने हाकी से उस की पीठ पर वार कर दिया.

हाकी पीठ पर पड़ते ही अभिराम भाग खड़ा हुआ. उसे इस तरह भागते देख निष्ठा असहाय हो गई. वह किस तरह अपमानित हो कर घर पहुंची यह तो वही जानती है. डंडा पड़ते ही भगोड़े का इश्क ठंडा हो गया. वेलेंटाइन डे मना कर चला है क्रांतिकारी बनने. अरे अभिराम, अब तो मेरी जूती भी तुझ से इश्क न करेगी.

निष्ठा देर तक अपने कमरे में छिपी रही. वह जब भी पार्क की घटना के बारे में सोचती उस का मन अभिराम के प्रति गुस्से से भर जाता. बारबार मन में पछतावा आता कि उस ने प्रेम भी किया तो किस कायर पुरुष से. फिल्मों में देखो, हीरो अकेले ही कैसे 10 को पछाड़ देते हैं. वे तो कुल 4 ही थे.

तभी उस के कानों में बड़े भाई विट्ठल की आवाज सुनाई पड़ी जो मां से हंस कर कह रहा था, ‘‘मां, कुछ इश्कमिजाज लड़केलड़कियां पुष्करणी पार्क में वेलेंटाइन डे मना रहे थे. एक संगठन के लोगों ने उन के चेहरे काले किए हैं. रात को लोकल चैनल की खबर जरूर देखना.’’

खबर देख विट्ठल चकित रह गया, जिस का चेहरा पोता गया वह उस की बहन निष्ठा है?

‘‘मां, अपनी दुलारी बेटी की करतूत देखो,’’ विट्ठल गुस्से में भुनभुनाते हुए बोला, ‘‘यह स्कूल में पढ़ने नहीं इश्क लड़ाने जाती है. इस के यार को तो मैं देख लूंगा.’’

मां और बेटा दोनों ही निष्ठा के कमरे में घुस आए. मां गुस्से में निष्ठा को बहुत कुछ उलटासीधा कहती रहीं और वह ग्लानि से भरी चुपचाप सबकुछ सुनती व सहती रही. उस के लिए प्रेम दिवस काला दिवस बन गया था.

उधर अभिराम को पता ही नहीं चला कि वह पार्क से कैसे निकला, कैसे मोटरसाइकिल स्टार्ट की और कैसे भगा. उसे अब लग रहा था जैसे सबकुछ अपने आप हो गया. निष्ठा उस की कायरता पर क्या सोच रही होगी? बारबार यह प्रश्न उसे बेचैन किए जा रहा था.

पिताजी घर में थे, रात को टेलीविजन पर बेटे को देख कर वह चौंके और फौरन उन की आवाज गूंजी, ‘‘अभिराम, इधर तो आना.’’

‘‘जी पापा…’’

‘‘तो तुम पढ़ाई नहीं इश्क कर रहे हो. मैं तुम्हें डाक्टर बनाना चाहता हूं और तुम रोड रोमियो बन रहे हो.’’

‘‘पापा, वो… मैं वेलेंटाइन डे मना रहा था.’’

‘‘बता तो ऐसे गौरव से रहे हो जैसे एक तुम्हीं जवान हुए हो. मैं तो कभी जवान था ही नहीं. देखो, मैं इस शहर का मशहूर सर्जन हूं. क्या कभी तुम ने इस बारे में सोचा कि तुम्हें टेलीविजन पर देख कर लोग क्या कहेंगे कि इतने बड़े सर्जन का बेटा इश्क में मुंह काला करवा कर आ गया. जाओ पढ़ो, चार मार्च से सालाना परीक्षा है और तुम इश्क में निकम्मे बन रहे हो. आज से इश्कबाजी बंद.’’

अभिराम अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर पड़ गया. इन बाप लोगों की चरित्रलीला समझ में नहीं आती. खुद इश्क लड़ाते रहे तो कुछ नहीं अब बेटे की बारी आई तो बड़ा बुरा लग रहा है. फिल्मों में बचपन का इश्क भी शान से चलता है और यहां सिखाया जा रहा है, इश्क में निकम्मे मत बनो. निष्ठा तुम ठीक कहती हो कि इन बड़े लोगों को असली बैर प्रेम से है.

बेचैन अभिराम निष्ठा को फोन करना चाह रहा था पर न साहस था न स्फूर्ति, न स्थिति.

4 मार्च को पहले परचे के दिन दोनों ने एकदूसरे को पत्र थमाए. अभिराम ने लिखा था, ‘निष्ठा, मैं तुम से सच्चा प्रेम करता हूं, साबित कर के रहूंगा.’

निष्ठा ने लिखा था, ‘यह सब प्रेम नहीं छिछोरापन है, और छिछोरेपन में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं.’.

Valentine’s Day 2024: भला सा अंत- रानी के दिल को समझ पाया काली

मनमौजी काली जब मन आता रानी को अपने निश्छल प्रेम की बूंदों से भिगो देता और मन आता तो दुत्कार देता. बेचारी रानी काली के स्वभाव से दुखी तो थी ही, साथ ही उस का फक्कड़पन उसे भीतर तक तोड़ देता. फिर भी जीवन पथ पर अकेली कठिनाइयों से जूझती रानी हर बार अपने ही दिल के हाथों हार जाती.

रविवार की सुबह मरीजों की चिंता कम रहती है. अत: सुबह टहलते हुए मैं रानी के घर की ओर चल दिया. वह एक शिशु रोगी के उपचार के बारे में कल मुझ से बात कर रही थी इसलिए सोचा कि आज उस बारे में रानी के साथ तसल्ली से बात हो जाएगी और काली के साथ बैठ कर मैं एक प्याला चाय भी पी लूंगा.

मैं काली के घर के दरवाजे पर थपकी देने ही वाला था कि घर के भीतर से आ रही काली की आवाज को सुन कर मेरे हाथ रुक गए.

‘‘रानी प्लीज, इस गजरे को यों बेकार मत करो, कितनी मेहनत से फूलों को चुन कर मैं ने मालिन से कह कर तुम्हारे लिए यह गजरा बनवाया है. बस, एक बार इसे पहन कर दिखा दो. आज बरसों बाद मन में पुरानी हसरत जागी है कि एक बार फिर तुम्हें फूलों के गजरे से सजा देखूं.

‘‘मैं तुम्हारे इस रूप को सदासदा के लिए अपनी आंखों में कैद कर लूंगा और जब हम 80 साल के हो जाएंगे तब मन की आंखों से मैं तुम्हारे इस सजेधजे रूप को देख कर खुश हो लूंगा.’’

काली की बातें सुन कर मुझे हंसी आ रही थी. यह काली भी इतना उग्र हो गया कि 20 साल का बेटा होने को आया लेकिन इस का शौकीन मिजाज अभी तक बरकरार है.

‘‘आप यह क्या बचकानी बातें कर रहे हैं? अब क्या इन फूलों से बने गजरे पहनने व सजने की मेरी उम्र है? जब आशीष की बहू आएगी तब उसे रोज नए गहनों से सजानाधजाना,’’ रानी ने हंसते हुए काली से कहा था.

‘‘तो तुम ऐसे नहीं मानोगी. लाओ, मैं ही तुम्हें गजरों से सजा देता हूं,’’ कहते हुए शायद काली रानी को जबरन फूलों से सजा रहा था और वह उन्मुक्त हो कर जोरों से खिलखिला रही थी.

रानी का यह खिलखिला कर हंसना सुन मन भीतर तक सुकून से भर गया था.

उन दोनों को इस प्यार भरी तकरार के बीच छेड़ना अनुचित समझ मैं उन के घर के दरवाजे तक पहुंच कर भी वापस लौट गया था. मेरा मनमयूर कब अतीत में उड़ कर चला गया, मुझे एहसास तक नहीं हुआ था.

काली मेरा बचपन का अंतरंग मित्र था. रानी उस की पत्नी थी. काली, रानी और मैं, हम तीनों एक अनाम, अबूझ रिश्ते में जकड़े हुए थे. काली के घर छोड़ कर जाने के बाद मैं ने ही रानी को मानसिक संबल दिया था. वह किसी भी तरह मेरे लिए सगी छोटी बहन से कम नहीं थी.

16 साल की कच्ची उम्र में रानी मेरे पड़ोस वाले मकान में काली के साथ ब्याह कर आई थी. ब्याह कर आने के बाद रानी ने काली की गृहस्थी बहुत सुगढ़ता से संभाली लेकिन काली ने उसे पत्नी का वह मान- सम्मान नहीं दिया जिस की वह हकदार थी.

काली एक फक्कड़, मस्तमौला स्वभाव का इनसान था. मन होता तो महीनों रानी को सिरआंखों पर बिठा कर उस की छोटी से छोटी इच्छा पूरी करता. उसे दुनिया भर का हर सुख देता. सुंदर कपड़ों और गहनों में सजेसंवरे उस के अपूर्व रूपरंग को निहारता और फिर मेरे पास आ कर रानी की सुंदरता और मधुर स्वभाव की प्रशंसा करता.

मुझ से काली के जीवन का कोई पहलू अछूता नहीं था. यहां तक कि मूड में होने पर रानी के साथ बिताए हुए अंतरंग क्षणों की वह बखिया तक उधेड़ कर रख देता. काली खानेपीने का भी बहुत शौकीन था. वह जब भी घर पर होता, रसोई में स्वादिष्ठ पकवानों की महक उड़ती रहती. हम दोनों के घर के बीच बस, एक दीवार का फासला था इसलिए काली के साथ मुझे भी आएदिन रानी के हाथ के बने स्वादिष्ठ व्यंजनों का आनंद मिला करता.

अच्छे मूड में काली, रानी को जितना सुखसुकून देता, मूड बिगड़ने पर उस से दोगुना दुख भी देता. गुस्सा होने के लिए छोटे से छोटा बहाना उस के लिए काफी था. अत्यधिक क्रोध आने पर वह घर छोड़ कर चला जाता और हफ्तों घर वापस नहीं आता था. काली की मां अपने बेटे के इस व्यवहार से बेहद दुखी रहा करती और रानी उस के वियोग में रोरो कर आंखें सुजा लेती.

वैसे काली की कपड़ों की एक दुकान थी लेकिन उस के मनमौजी होने की वजह से दुकान आएदिन बंद रहा करती और आखिर वह हमेशा के लिए बंद हो गई.

काली ज्योतिषी का धंधा भी करता था और इस ठग विद्या का हुनर उस ने अपने पिता से सीखा था. उस का दावा था कि उसे ज्योतिष में महारत हासिल है. लोगों के हाथ, मस्तक की रेखाएं तथा जन्मकुंडली देख कर वह उन के भूत, भविष्य और वर्तमान का लेखाजोखा बता देता तो लोग खुश हो कर उसे दक्षिणा में मोटी रकम पकड़ा जाते. शायद यही वजह थी कि कपड़े की दुकान पर मेहनत करने के बजाय उस ने लोगों को ठगने के हुनर को अपने लिए बेहतर धंधा समझा.

काली जब तक घर में रहता पैसों की कोई कमी नहीं रहती लेकिन उस के घर से जाने के बाद घरखर्च बड़ी मुश्किल से चलता, क्योंकि तब आमदनी का एकमात्र जरिया पिता की पेंशन रह जाती थी जो बहुत थोड़ी सी उस को मिलती थी.

रानी की जिंदगी की गाड़ी हंसतेरोते आगे बढ़ती जा रही थी. बेटे के सनकी स्वभाव की वजह से बहू को रोते देख उस की सास का मन भीतर तक ममता से भीग जाया करता. वह अपनी तरफ से बहू को हर सुख देने की कोशिश करतीं लेकिन अपने बाद उस की स्थिति के बारे में सोचतीं तो भय से कांप उठती थीं.

रानी ने आगे पढ़ने का निश्चय किया तो उस की सास ने कहा, ‘अच्छा है, आगे पढ़ोगी तो व्यस्त रहोगी. इधरउधर की बातों में मन नहीं भटकेगा. पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करो.’

मैं ने भी रानी को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. सो, उस ने पढ़ना शुरू कर दिया और 12वीं कक्षा में वह प्रथम श्रेणी में पास हुई. बहू की इस सफलता पर सास ने सभी रिश्तेदारों में लड्डू बंटवाए.

रानी मुझ से तथा मेरे डाक्टरी के पेशे से बहुत प्रभावित थी. वह खाली समय में घंटों मेरे क्लीनिक में बैठ कर मुझे रोगियों के उपचार में व्यस्त देखा करती और चिकित्सा संबंधी ढेरों प्रश्न मुझ से पूछती.

काली के आएदिनों के झगड़े से वह बहुत उदास रहने लगी तो एक दिन मुझ से बोली, ‘भाई साहब, आजकल वह मुझे बहुत दुख देते हैं. मूड अच्छा होने पर तो उन से बढि़या कोई दूसरा इनसान नहीं मिलेगा लेकिन मूड खराब होने पर बहाने ढूंढ़ढूंढ़ कर मुझ से लड़ते हैं. मैं उन्हें बहुत चाहती हूं. मेरी जिंदगी में उन की बहुत अहमियत है. जब वह मुझ से गुस्सा हो जाते हैं तो मन होता है कि मैं आत्महत्या कर लूं.’

घोर निराशा के उन क्षणों में मैं ने रानी को समझाया था, ‘काली बहुत मनमौजी स्वभाव का फक्कड़ इनसान है लेकिन वह मन का बहुत साफ है. तुम काली को अपने जीवन में इतनी अहमियत मत दो कि उस के खराब मूड का असर तुम्हारे दिमाग और शिक्षा पर पड़े. निर्लिप्त रहो, व्यस्त रहो. 12वीं में तुम्हारे पास विज्ञान विषय था, क्यों न तुम एम.बी.बी.एस. की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करो. डाक्टर बन कर तुम आत्मनिर्भर बन जाओगी. पैसों की तंगी नहीं रहेगी. काली को अपनी जिंदगी की धुरी मानना बंद कर दो, अपनी जिंदगी अपने बल पर जीना सीखो.’

मेरी सलाह मान कर रानी ने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी जोरशोर से शुरू कर दी. उस की मेहनत रंग लाई और वह प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई. मैं ने और उस की सास ने उस के इस काम में भरपूर सहयोग दिया और वह अपने ही शहर के प्रतिष्ठित मेडिकल कालिज में जाने लगी.

उस बार जो काली घर छोड़ कर गया तो 1 साल तक लौट कर नहीं आया. सुनने में आया कि वह बनारस में अपनी ज्योतिष विद्या का प्रदर्शन कर अपने दिन मजे से गुजार रहा था. कतिपय कारणों से जिस का भला हो गया उस ने काली को ज्योतिष का बड़ा जानकार माना. अनगिनत लोग उस के शिष्य बन गए थे तथा समाज में उसे बहुत आदर की दृष्टि से देखा जाता था. वह जिस रास्ते से गुजर जाता, लोग उस के पैरों पर झुकते नजर आते.

एक साल बाद जब काली घर आया तो मां ने उसे सिरआंखों पर बिठाया लेकिन रानी अपनी मेडिकल की पढ़ाई की वजह से उसे अपना पूरा वक्त नहीं दे पाई. इस से नाराज हो कर काली ने रानी की पढ़ाई छुड़वाने के लिए बहुत शोर मचाया.

एक दिन काली के झगड़े से परेशान रानी रोते हुए मेरे पास आई और मुझे बताने लगी कि काली कह रहे हैं, मैं अगर मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दूं तो वह कभी घर छोड़ कर नहीं जाएंगे और न ही कभी मुझ से झगड़ा करेंगे.

तब मैं ने रानी को समझाया, ‘देखो, तुम काली की बातों में कतई न आना तथा अपनी पढ़ाई छोड़ने की गलती भी न करना. काली की घर छोड़ कर भागने की आदत कोई नई तो है नहीं, इसलिए वह इस आदत को आसानी से छोड़ने वाला नहीं है. डाक्टर बनते ही तुम्हारी अपनी जिंदगी बिना काली के सहारे आराम से कट पाएगी. मैं ने उसे यह भी समझाया कि आत्मनिर्भर बनने का सुख बहुत सुकून देता है. जिंदगी काटने के लिए इनसान को किसी न किसी सहारे की जरूरत पड़ती है और एक ईमानदार पेशे से अच्छा हमसफर कोई और नहीं हो सकता.’

मेरी उन बातों से रानी को बहुत संबल मिला और उस के बाद उस का डाक्टर बनने का हौसला कभी कमजोर नहीं पड़ा था.

डाक्टर बनने के बाद रानी ने एम.एस. किया और शिशुरोग विशेषज्ञ बन गई. मैं भी एक शिशुरोग विशेषज्ञ था अत: रानी ने मेरे निर्देशन में प्रैक्टिस शुरू की. धीरेधीरे रानी की प्रैक्टिस में निखार आता गया और वह शहर की नामी डाक्टरों में गिनी जाने लगी. जैसेजैसे डाक्टर के रूप में रानी की शोहरत बढ़ती गई वैसेवैसे काली और रानी के बीच का फासला बढ़ता गया.

रानी के रोगियों की लंबी कतारें देख काली के तनबदन में आग लग जाया करती. पत्नी के डाक्टर बनने के बाद शुरू के 2 सालों में तो काली 2-3 बार घर आया था लेकिन वह रानी के डाक्टर बनने के बाद की बदली हुई परिस्थितियों से तालमेल नहीं बिठा पाया तो एक बार 6 सालों तक गायब रहा.

रानी अकसर रोगियों के उपचार से संबंधित सलाहमशविरा करने मेरे पास आ जाया करती. बातों के दौरान कभीकभी काली की चर्चा भी छिड़ जाया करती थी जिसे ले कर रानी बहुत भावुक हो जाया करती. एक बार उस ने काली के बारे में मुझ से कहा था, ‘भाई साहब, मैं काली को आज भी बहुत चाहती हूं लेकिन मेरा अकेलापन मुझे खाए जाता है. जिंदगी के सफर में अकेले चलतेचलते अब मैं टूट गई हूं.’

मैं ने उसे दिलासा दिया था कि कैसी भी परिस्थितियां क्यों न हों, उसे किसी हालत में कमजोर नहीं पड़ना है. उसे सभी चुनौती भरे हालात का डट कर मुकाबला करना है. और उस दिन वह मेरे कंधों पर सिर रख कर रो पड़ी थी.

उस बार काली को घर छोड़े 6 वर्ष होने को आए थे. उस दौरान रानी की सास की मृत्यु हो गई और उन की मौत के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई. सास की मौत के बाद रानी एक दिन मेरे घर आई और उस ने मुझ से कहा, ‘भाई साहब, मैं सोच रही हूं कि दोबारा शादी कर डालूं. मेरे मातापिता दूसरी शादी करने के लिए मुझ पर बहुत दबाव डाल रहे हैं. इन 6 सालों में काली ने एक बार भी मेरी खोजखबर नहीं ली है. मेरे मातापिता ने एक डाक्टर वर मेरे लिए पसंद किया है. उस की पत्नी की मृत्यु अभी पिछले साल कैंसर से हुई है. मैं सोचती हूं कि मातापिता की बात मान ही लूं.

‘भाई साहब, ये 6 साल अकेले मैं ने किस तरह काली की प्रतीक्षा करते हुए बिताए हैं, यह मुझे ही पता है. बस, अब मैं काली का और इंतजार नहीं कर सकती. उन्होंने मेरे निश्छल प्यार की बहुत तौहीन की है. अब अपने किए की कीमत उन्हें चुकानी ही पड़ेगी. एक निष्ठुर की वजह से मैं क्यों अपने दिन रोरो कर बिताऊं? मैं डाक्टर शेखर से मिल चुकी हूं. वह बहुत अच्छे स्वभाव के सुलझे हुए इनसान हैं. मेरे लिए हर तरह से उपयुक्त हैं. बस, भाई साहब, आप अपना आशीर्वाद दीजिए मुझे.’

रानी की बातें सुन कर मैं बहुत खुश हुआ था. मुझे इस बात का संतोष भी हुआ कि अब शेखर से विवाह के बाद वह एक सुखी वैवाहिक जीवन बिता पाएगी. मैं ने उस से कहा था, ‘हांहां रानी, मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है. तुम्हारा यह फैसला बिलकुल सही है. डा. शेखर से विवाह करो और घर बसाओ.’

रानी का विवाह डा. शेखर से हो गया. डा. शेखर के साथ रानी बहुत खुश रहने लगी लेकिन शादी के डेढ़ साल बाद एक कार दुर्घटना में डा. शेखर की मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गई थी. सूनी मांग और सफेद लिबास में उसे देख मेरा कलेजा मुंह को आ गया था पर होनी को कौन टाल सकता है, यह सोच कर मैं ने अपनेआप को दिलासा दिया था.

डा. शेखर की मृत्यु के 1 साल बाद काली अचानक एक दिन घर वापस आ गया था. शेखर की मौत के बाद रानी काली के पैतृक घर में वापस आ गई थी क्योंकि काली की मां वह मकान रानी के नाम कर गई थी.

काली को घर वापस आया देख रानी ने उस से कहा था, ‘अब तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं. मैं डा. शेखर की विधवा हूं. मुझ से अब तुम कोई उम्मीद मत रखना.’

उत्तर में काली ने उस से कहा, ‘मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं. तुम ने

डा. शेखर से विवाह किया, अच्छा किया लेकिन अब तुम मेरी पत्नी हो. हमारा रिश्ता तो आज भी पतिपत्नी का ही है. अब मैं ने निश्चय कर लिया है कि मैं घर छोड़ कर ताउम्र कहीं नहीं जाऊंगा क्योंकि जगहजगह की धूल फांक कर मैं समझ गया हूं कि तुम जैसी पत्नी का मिलना बहुत सौभाग्य की बात है.’

‘नहीं, मैं तुम से किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती. मैं किसी दूसरे मकान में चली जाऊंगी, यह तुम्हारा घर है, इस पर तुम्हारा अधिकार है. तुम आराम से इस में रहो.’

काली ने इस के बावजूद रानी की खुशामद करनी नहीं छोड़ी थी. वह जितना रानी के पास आने की कोशिश करता, रानी उतना ही उस से दूर भागने की कोशिश करती. एक अच्छे डाक्टर के रूप में रानी एक व्यस्त जीवन बिता रही थी.

जब भी काली, रानी से कहता कि तुम्हारे हाथ की रेखाओं में लिखा है कि जीवन का एक बड़ा हिस्सा तुम मेरी पत्नी के रूप में बिताओगी तो वह गुस्से से भड़क पड़ती, ‘मैं एक डाक्टर हूं और तुम्हारी ज्योतिष विद्या को झूठा साबित कर के ही रहूंगी. मैं अब तुम्हें कभी पति के रूप में नहीं स्वीकार करूंगी.’

उन्हीं दिनों काली ने मुझ से कहा था, ‘यार, रानी को क्या हो गया है? पहले तो वह गाय जैसी सीधीसादी थी. अब डाक्टर बनने के बाद उस में बहुत गुरूर आ गया है. मेरी ज्योतिष विद्या को भी गलत साबित करने पर तुली हुई है. वैसे इतना तो मैं जानता हूं कि वह अब भी मुझे चाहती है. इस कमजोरी का फायदा मैं उस के साथ छल कर के उठाऊंगा और उस के सामने यह साबित कर दूंगा कि मेरा ज्योतिष ज्ञान कैसे शत प्रतिशत सही है.’

अपनी योजना के मुताबिक काली ने अपने कुछ विश्वासपात्र परिचितों से कहा कि एक दिन वे आधी रात को लाठियों से लैस हो कर उस पर आक्रमण करें और उसे रानी के सामने पीट कर जमीन में डाल दें.

योजना के अनुसार आधी रात में कुछ लोग काली पर जब लाठियां बरसा रहे थे, रानी घबरा कर उस से लिपट गई और उस ने उन लोगों से कहा कि उस के जीतेजी वे काली को हाथ तक नहीं लगा सकते. तब लठैतों ने धमकी दी कि डाक्टरनी आज घर में तो तू ने इसे बचा लिया लेकिन यह घर से बाहर निकल कर देखे, इस के तो हाथपैर हमें तोड़ने ही तोड़ने हैं.

लठैतों के जाने के बाद काली ने रानी को अपने से अलग नहीं होने दिया था और उस रात रानी को इतना प्यार किया था कि पिछली सारी कमी पूरी कर दी. इनसान हारता है तो अपनेआप से. आखिर रानी अपने ही दिल के हाथों हार गई थी और चुपचाप काली के आगोश में सिमट गई थी.

उस दिन के बाद रानी, काली के हृदय की रानी बन कर रह गई थी. काली फिर कभी घर छोड़ कर नहीं गया. रानी एक सुंदर, अति कुशाग्र बुद्धि के बेटे की मां बनी. बेटा आशीष बड़ा हो कर मां के नक्शेकदम पर चल कर अब डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा है, जिसे देख कर रानी और काली फूले न समाते. अब रानी को यों सुखी देख कर मन में यही विचार आता है कि वह हमेशा ही सुखी और आबाद रहे.

Valentine’s Day 2024: घर पर बनाएं हेल्दी मक्के के Muffin

किसी भी पार्टी में मेहमानों को सबसे ज्यादा पसंद आता है खाना. आपके मेहमान आपके डेकोरेशन, घर के इंटीरियर की सराहना करें या न करें. पर खाना पेट से होकर सीधे दिल तक जाता है. इस बार वेलेंटाइन डे की पार्टी को और खास बनाने के लिए घर पर बनाइए मक्के के मफीन.

कितने लोगों के लिए : 4

सामग्री

– मक्के का आटा – 1/2 कप (75 ग्राम)

– मैदा – 1/2 कप (60 ग्राम)

– चीनी पाउडर – 1/2 कप (75 ग्राम)

– बेकिंग पाउडर – 3/4 छोटा चम्मच

– बेकिंग सोडा – 1/4 छोटी चम्मच से आधा

– दही – 1/2 कप

– मक्खन – 1/4 कप (60 ग्राम)

– वैनीला एसेंस – 1/2 छोटा चम्मच

– टूटी-फ्रूटी – 1/2 कप.

विधि

– एक बडे़ प्याले में मक्के का आटा, मैदा, पाउडर चीनी, बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा मिलाकर मिक्स कर लीजिए.

– अब दूसरे प्याले में दही, मक्खन, वनीला एसेंस डालकर अच्छी तरह मिक्स करते हुये फेंट लें और इसमें पहले प्याले का मिश्रण डालकर टूटी-फ्रूटी डालकर मिक्स कर लीजिए.

– मफिन्स के लिए बैटर तैयार है. मफिन्स मेकर लीजिए इन्हें अंदर से बटर लगाकर चिकना कर लीजिए और सांचों में मिश्रण डालिये और बर्तन को खटखटा कर मिश्रण को प्लेन कर दीजिये.

– ओवन को 180 डिग्री से.ग्रे. पर प्रिहीट कर लीजिए और मफिन्स ट्रे को ओवन में रखिये और 180 डि.से. पर 10 मिनट के लिये सैट कर दीजिये. 10 मिनट बाद चैक कीजिये. अगर मफिन्स गोल्डन ब्राउन हो गए हैं तो मफिन्स बनकर तैयार हैं.

– मफिन्स के थोड़ा ठंडा होने के बाद इन्हें ट्रे से निकाल कर प्लेट में रख लीजिए. स्वादिष्ट मक्के के मफिन्स बनकर तैयार हैं. इन्हें आप फ्रिज में रखकर कुछ दिनों तक आराम से खा सकती हैं.

Valentine’s Day 2024: तो हो जाएगा उन से प्यार

आज हरीश बहुत अच्छे मूड में था. सोच रहा था कि आज नेहा को मूवी दिखाने ले जाएगा. बहुत दिन हो गए मूवी देखे. मूवी देखने के बाद डिनर कर के ही लौटेंगे. लेकिन जब उस ने नेहा को फोन कर यह सब बताया तो सुन कर नेहा के मुंह से निकला कि कमाल है, आज आप को मेरे लिए टाइम मिल गया? वैसे जब कभी मैं बोलती हूं तो आप के पास टाइम नहीं होता है मेरे लिए. नेहा की बात सुन कर हरीश का अच्छाखासा मूड खराब हो गया.

नेहा जैसी बहुत सी पत्नियां ऐसी होती हैं, जो पति अगर उन्हें समय न दे तो ताने देती हैं और समय मिल जाए तो भी अपनी जलीकटी बातों से उसे खराब करने से बाज नहीं आती हैं. सच तो यह है कि जब आप किसी से प्यार करते हैं तो यह माने नहीं रखता है कि आप ने अपने साथी के साथ कितना समय बिताया. उस समय तो यही माने रखता है कि आप दोनों ने जो भी समय बिताया वह कितना अच्छा बीता. अगर आप ने अपने समय को एकदूसरे से उलझने में ही बिता दिया तो फिर यह मान कर चलिए कि अगर आप का ऐटिट्यूड यही रहेगा तो आप दोनों कभी खुश नहीं रह पाएंगे, क्योंकि खुश रहने की पहली शर्त यही है कि आप अपने साथी की भावनाओं का ध्यान रखें. कोई ऐसा काम न करें, जिस से साथी हर्ट हो. खुशहाल जीवन के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करें और एकदूसरे की पसंदनापसंद का ध्यान रखें. यह सिर्फ पत्नी की ही जिम्मेदारी नहीं है, पति के लिए भी यह बात उतनी ही माने रखती है जितनी पत्नी के लिए. वैसे भी कहा जाता है कि पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. दोनों को एक गाड़ी के 2 पहियों की तरह माना गया है. जिस तरह अगर 1 पहिए में हवा कम हो जाए या वह पंक्चर हो जाए तो गाड़ी का संतुलन बिगड़ जाता है, ठीक उसी तरह पतिपत्नी में से अगर एक भी अपने साथी की भावनाओं का ध्यान नहीं रख पा रहा है, तो फिर इस प्यार भरे संबंध में दरार आते देर नहीं लगती है.

आजकल ज्यादातर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जिस तरह से दोनों मिलजुल कर आर्थिक जिम्मेदारियों को निभाते हैं, उसी तरह घरेलू काम में भी एकदूसरे का साथ दें. अगर पत्नी वर्किंग न भी हो तो भी घर में इतने काम होते हैं कि वह थक जाती है. ऐसे में अगर आप उस की थोड़ी सी मदद कर दें, तो उस के मन में आप के प्यार की डोर और ज्यादा मजबूत होगी. आमतौर पर पतियों की यह धारणा होती है कि घर का काम करने का जिम्मा सिर्फ पत्नी का है. जबकि अब तो यह कतई जरूरी नहीं है कि घर का सारा काम केवल पत्नी ही करे. अगर पत्नी खाना बना रही है, तो कम से कम आप अपने बच्चों का होमवर्क तो करवा ही सकते हैं. इसी तरह बाजार से सब्जी लाना या फिर कमरे में बिखरी चीजों को ठीक करना आदि छोटेमोटे काम कर के भी आप अपने संबंधों को प्रगाढ़ बना सकते हैं. आप की यह छोटी सी पहल आप की पत्नी के मन में प्यार के साथसाथ आप के प्रति सम्मान भी बढ़ाएगी. यकीन मानिए इस बात पर अमल कर के आप अपनी पत्नी के दिल के और ज्यादा करीब होते जाएंगे.

पसंदनापसंद का रखें ध्यान

प्यार भरे संबंधों के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने साथी की पसंदनापसंद का ध्यान रखें. अगर उसे आप की कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे बदलने की कोशिश करें. इसी तरह से इस बात का भी खयाल रखें कि ऐसी कौनकौन सी बातें हैं, जिन के जिक्र मात्र से आप के जीवनसाथी के चेहरे पर मुसकान छा जाती है और जिन का जिक्र ही उसे पसंद नहीं है. इन सारी बातों के अलावा आप के साथी को खाने में क्या पसंद है, उस का पसंदीदा रंग कौन सा है जैसी छोटीछोटी बातें भी आप दोनों के प्यार को और बढ़ाएंगी.

एकदूसरे के परिवार का सम्मान करें

अगर आप यह चाहते हैं कि आप का साथी आप को प्यार करे और आप की बात को मान दे, तो इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने जीवनसाथी से जुड़े सारे संबंधों को खुले दिल से स्वीकार करें. उस के परिवार के सदस्यों का सम्मान करें. जब आप अपने जीवनसाथी के मातापिता को अपने मातापिता की तरह मान देंगे और उस के भाईबहनों को भी अपने भाईबहनों की तरह प्यार करेंगे, तो यकीनन आप के संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी. यह सच है कि जहां प्यार होता है वहां टकराव भी होता है. फिर एक गाना भी है, ‘तुम रूठी रहो मैं मनाता रहूं…’ थोड़ीबहुत नोंकझोंक प्यार बढ़ाती है. लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो फिर संबंधों में खटास आते देर नहीं लगती. इसलिए अपने जीवनसाथी के साथ बातचीत करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी बात कहें उस से उस का ईगो हर्ट न हो. इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि अपनी बहस को झगड़े में न बदलें. अगर आप दोनों के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव हो भी गया हो, तो फिर उसे उसी दिन सुलझा लें. कहने का मतलब यह कि अपनी तकरार को लंबा न खींचें. जितनी जल्दी हो सुलझा लें.

किसी भी संबंध को तभी अच्छी तरह से चलाया जा सकता है जब उस में विश्वास हो. बिना भरोसे के यह संबंध दिखावा मात्र रह जाता है. आज जब पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, दोनों काम पर जाते हैं तो उन के बीच एकदूसरे के सहकर्मियों को ले कर अनायास ही शक पैदा होने लगता है. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आप का संबंध खुशियों से भरा रहे, तो इस के लिए यह जरूरी है कि आप अपने साथी पर विश्वास करें. सच यही है कि खुश रहने के लिए धनदौलत की उतनी ज्यादा जरूरत नहीं होती है जितनी अपने साथी के साथ म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग और प्यार की. अपने जीवनसाथी की छोटीछोटी जरूरतों और खुशियों का ध्यान रखें और अपनी जिंदगी से सारे तनाव निकाल कर जीवनसाथी का प्यार पाएं.

Valentine’s Day 2024: वैलेंटाइन डे से पहले न करें ये 7 गलतियां, नहीं तो हो सकते हैं मुंहासे

क्या आप को भी बारबार मुंहासे होते हैं? लाख जतन करने पर भी आप का इन से पीछा नहीं छूट रहा है? औयली फूड खाना भी बंद कर दिया, फेस वाश से ले कर ऐंटीएक्ने पैक भी ट्राय कर लिया पर यह परेशानी जस की तस है? तो यकीन मानिए अनजाने में ही सही पर कुछ तो आप ऐसा कर रही हैं जो आप को नहीं करना चाहिए. जैसे:

1. चेहरे से खेलें नहीं

कई महिलाओं की चेहरे को बारबार छूने की आदत होती है. बिना मतलब चेहरे पर हाथ फेरती रहती हैं. अगर आप भी ऐसा करती हैं तो चेहरे पर दाने निकलना स्वाभाविक है. जैसे अगर हम कंप्यूटर या लैपटौप पर काम करती हैं तो हमारी उंगलियां कीबोर्ड पर चलती रहती हैं, जिस से बहुत से बैक्टीरिया हमारे हाथों के संपर्क में आते हैं और जब हम उन्हीं हाथों को चेहरे पर लगाते हैं तो पिंपल्स होने लगते हैं.

कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोई मुंहासा निकलता है तो हम उसे दबा देते हैं. हमें लगता है कि ऐसा करने से वह जल्दी ठीक हो जाएगा. लेकिन होता उलटा है. जब हम मुंहासे को छेड़ते हैं तो उस के बैक्टीरिया फैल जाते हैं, जिस से समस्या और बढ़ जाती है. एक तो वहां नए मुंहासे निकलने लगते हैं दूसरा वहां दाग और गड्ढे भी हो जाते हैं, जो देखने में बहुत गंदे लगते हैं. ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि मुंहासे जल्दी खत्म हो जाएं तो चेहरे पर बारबार हाथ लगाना छोड़ दें.

2. तनाव से बचें

आप को सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन तनाव भी पिंपल्स होने का एक कारण हो सकता है. अगर आप भी हमेशा काम में व्यस्त रहती हैं और खुद को समय नहीं दे पाती हैं तो ऐसा आप के साथ भी हो सकता है. जी हां, तनाव हमारे अंदर कोर्टिसोल जैसे हारमोन पैदा करता है, जिस से तेलग्रंथियां उत्तेजित हो जाती हैं और फिर रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. रोमछिद्र बंद होने के बाद चेहरे पर दाने निकलने लगते हैं. अगर आप चाहती हैं कि आप के चेहरे से मुंहासों का नामोनिशान मिट जाए तो काम से ब्रेक ले कर थोड़ा रिलैक्स करें.

3. नो स्मोकिंग

जब हम धूम्रपान करते हैं तो हमारी त्वचा तक औक्सीजन सही तरह नहीं पहुंच पाती, जिस से चेहरे पर  झुर्रियां भी पड़नी शुरू हो जाती हैं. धुएं में कार्सिनोनन होता है, जो चेहरे के लिए हानिकारक होता है. अत: धूम्रपान छोड़ दें.

4. खानपान

मसालेदार और औयली खाना खाने में तो स्वादिष्ठ लगता है, लेकिन इस के साइड इफैक्ट्स से कई बीमारियां शरीर में घर कर जाती हैं. इन में से एक है मुंहासे. मसालेदार खाना मुंहासों का एक कारण है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ मसालेदार खाना ही पिंपल्स की वजह है. कई लोगों को डेयरी प्रोडक्ट्स सूट नहीं करते और इस वजह से भी पिंपल्स हो जाते हैं. इसलिए खाने में उन्हीं चीजों का सेवन करें जो आप को सूट करती हों. स्वाद के चक्कर में सेहत पर लापरवाही भारी पड़ सकती है.

5. साफसफाई पर ध्यान न देना

आप घंटों जिम में पसीना बहाती हैं ताकि फिट रहें. वर्कआउट करने से चेहरे पर भी निखार आता है, लेकन छोटी सी लापरवाही कहें या आलसीपन के कारण त्वचा पर पिंपल्स होने लगते हैं. कई महिलाएं वर्कआउट करने के बाद नहाती नहीं हैं, जिस से रोमछिद्रों में गंदगी, बैक्टीरिया, तेल और पसीना समा जाता है जो पिंपल्स होने की वजह बनता है. इसलिए वर्कआउट करने के कुछ समय बाद नहाना न भूलें.

6. कोई भी ब्यूटी प्रोडक्ट लगाना

अपनी त्वचा का ध्यान रखना बहुत अच्छी बात है, लेकिन बिना सोचे कोई भी प्रोडक्ट खरीद कर सीधे अप्लाई करना भी सम झदारी नहीं है. यह आप का चेहरा है कोई ऐक्सपैरीमैंट करने वाली जगह नहीं जो कुछ भी लगा लिया.  झेलना भी तो आप को ही पड़ता है. इसलिए ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने से पहले उस पर लगा लैवल जरूर पढ़ें कि किसी ऐसे इनग्रीडिऐंट का इस्तेमाल तो नहीं किया गया जो रोमछिद्रों को बंद कर दे, साथ ही किसी स्किन ऐक्सपर्ट की राय भी जरूर लें कि क्या लगाना चाहिए और क्या नहीं.

7. ज्यादा स्क्रबिंग

औयली स्किन पिंपल्स होने का कारण है, लेकिन ड्राई स्किन वालों को भी मुंहासे होते हैं. दरअसल, जब हम ज्यादा स्क्रब करते हैं तो हमारी स्किन ड्राई हो जाती है, जो पिंपल्स को दावत देती है. इसलिए महीने में 1 या 2 बार ही हल्के हाथों से स्क्रब करें. साथ ही चेहरा धोने के लिए माइल्ड फेस वाश का प्रयोग करें.

Valentine’s Day 2024: वैलेंटाइन डे को मनाना चाहते हैं यादगार, तो अपने पार्टनर के लिए करें ये प्लान

इस वैलेंटाइन डे पर आप छोटीछोटी खुशियों से अपने प्यार के पुराने पलों को याद कर सकती हैं. एकदूसरे को स्पैशल फील करा सकती हैं, कुछ इस तरह:

तुम हो खास

जब कोई हमारे लिए सरप्राइज प्लान करता है, तो हम स्पैशल फील करते हैं. इस वैलेंटाइन डे आप भी अपने पति के लिए कुछ स्पैशल प्लान करें, जो उन के चेहरे पर प्यारी सी मुसकान ला सके. आप उन की पसंदीदा चीज औनलाइन और्डर कर के उन्हें सरप्राइज दे सकती हैं या फिर मूवी के टिकट बुक करा कर उन के फोन पर मैसेज कर सरप्राइज दे सकती हैं.

तोहफा उन के लिए

इस दिन पति को गिफ्ट जरूर दें. जरूरी नहीं कि कोई महंगी चीज ही गिफ्ट करें. आप उन की जरूरत की छोटीछोटी चीज भी गिफ्ट कर सकती हैं.

बातोंबातों में हो जाए प्यार

पतिपत्नी साथ तो रहते हैं, लेकिन घरपरिवार की जिम्मेदारियों की वजह से उन्हें इतना समय नहीं मिलता कि एकदूसरे से प्यार भरी बातें कर सकें. अत: कोशिश करें कि इस वैलेंटाइन डे थोड़े रोमांटिक अंदाज में पेश आएं. पति से प्यार भरी बातें करें.

माहौल हो रोमानी

इस दिन अपने घर को अच्छी तरह सजाएं. घर को रोमांटिक माहौल दें. दीवारों पर अपनी कुछ तसवीरें लगा सकती हैं. घर को फूलों से सजा सकती हैं. इस दिन बैडरूम को स्पैशल तरीके से सजाएं ताकि वे आप से चाह कर भी दूर न रह पाएं.

बस हमतुम

आप इस दिन कहीं बाहर घूमने का भी कार्यक्रम बना सकती हैं. बाहर एकदूसरे के साथ को ऐंजौय करें. इस दिन पार्टनर को ‘आई लव यू’ जरूर कहें. ये 3 शब्द मैजिक भरे होते हैं, जो रिश्ते में मिठास लाते हैं.

क्या न करें

महिलाओं में अकसर देखा जाता है कि वे तुलना करती हैं कि मेरी सहेली के पति ने उस के लिए पार्टी रखी, इतना महंगा गिफ्ट दिया. आप ऐसा न करें. पैसे को महत्त्व न दें, बल्कि जो पति कर रहे हैं उसी में खुश हो ऐंजौय करें.

सैलिब्रेट करने के बजाय शिकायत ले कर न बैठ जाएं कि आप ने उन के लिए इतना अच्छा सरप्राइज प्लान किया है, लेकिन वे आप के लिए कुछ ले कर नहीं आए.

गिफ्ट पसंद न आने पर तीखी प्रतिक्रिया तो कतई न दें. कई बार कुछ महिलाएं गिफ्ट पसंद नहीं आने पर पति के सामने ही कह देती हैं कि यह क्या लाए हो? यह मेरे किसी काम का नहीं है.

समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो इस तरह के उत्सव या खास दिन को धर्म व संस्कृति से जोड़ कर देखते हैं. उन का मानना होता है कि इस तरह के उत्सवों को नहीं मनाना चाहिए. ये हमारी संस्कृति में नहीं हैं. लेकिन यह बेतुकी बात है. यह किसी धर्म या संस्कृति का दिन नहीं है, बल्कि प्यार का दिन है और इसे एकदूसरे के साथ प्यार से मनाना चाहिए.

Valentine’s Day 2024: तीन शब्द- क्या परम कह पाया वो तीन शब्द

परम आज फिर से कैंटीन की खिड़की के पास बैठा यूनिवर्सिटी कैंपस को निहार रहा था. कैंटीन की गहमागहमी के बीच वह बिलकुल अकेला था. यों तो वह निर्विकार नजर आ रहा था पर उस के मस्तिष्क में विगत घटनाक्रम चलचित्र की तरह आजा रहे थे.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के नौर्थ कैंपस की चहलपहल कैंपस वातावरण में नया उत्साह पैदा कर रही थी. हवा में हलकी ठंडक से शरीर में सिहरन सी दौड़ रही थी. दोस्तों के संग कैंटीन के बाहर खड़े हो कर आनेजाने वाले छात्रों को देख कर परम सोचने लगा कि टाइमपास का इस से अच्छा तरीका और क्या हो सकता है.

संकोची स्वभाव के परम ने जब पहली बार उसे देखा था तो एक अजीब सी झुरझुरी उस के शरीर में दौड़ गई थी. राखी, हां, यही नाम था उस का. वह भी तो उसी क्लास की छात्रा थी, जिस में परम पढ़ता था.

क्लास में कभी जब चाहेअनचाहे दोनों की निगाहें मिलतीं तो परम बेचैन हो उठता और चाहता कि वह उस के सामने खड़ा हो कर बस, उसे ही निहारता रहे.

कई बार परम ने राखी के समक्ष खुद की भावनाएं व्यक्त करने का प्रयास किया पर उस का संकोची स्वभाव आड़े आ जाता था. एक दिन संकोच को ताक पर रख कर उस ने उस का नाम मालूम होने पर भी अनजान बनते हुए पूछ लिया था, ‘‘क्या मैं आप का नाम जान सकता हूं?’’

हलकी मुसकराहट के साथ उस ने उत्तर दिया था, ‘‘राखी.’’

मात्र नाम जानने से ही परम को ऐसा लगा कि जैसे उस ने पूरा जीवन जी लिया. वह जड़वत उस एक शब्द को प्रतिध्वनित होते हुए महसूस कर रहा था.

कुछ समय बाद कालेज की ओर से छात्रों का समूह शैक्षणिक भ्रमण पर शिमला जा रहा था. परम के मित्र संदीप और चंदर ने कई बार परम को भी चलने के लिए कहा पर वह मना करता रहा, लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि राखी भी जा रही है, एकाएक उस ने भी हामी भर दी.

बस की यात्रा के दौरान हंसीमजाक के दौर के बीच उसे राखी से बात करने का मौका मिल ही गया. सादगी की प्रतिमूर्ति राखी भी उस की बातों में दिलचस्पी लेती नजर आई तो उस का हौसला और बढ़ गया. चीड़ और देवदार के पेड़ों से आती खुशबू ने मानो उस के मन को भांप लिया था और पूरे मंजर को खुशनुमा बना दिया था.

‘‘आप बहुत कम बोलती हैं?’’

‘‘जी, ऐसी तो कोई बात नहीं है,’’ और फिर बातों का सिलसिला आरंभ हो गया.

परम ने महसूस किया कि राखी भी उस के नजदीक आने का प्रयास कर रही थी. ज्यादातर दोस्त अपनेअपने चाहने वालों में मस्त थे. अनजाने में परम ने राखी के हाथ को हलके से क्या छू लिया उसे ऐसा लगा कि जैसे उस ने सारा जहां पा लिया हो.

लौटते समय दोनों एकसाथ बैठे. औपचारिक वार्त्तालाप खत्म होते ही दोनों एकदूसरे से बहुत कुछ कहना चाहते थे, पर जबान साथ नहीं दे रही थी. गंभीर खामोशी के बीच अनवरत एकदूसरे को निहारते हुए परम और राखी चुप रहने के बाद भी आंखों से मानो सबकुछ कह रहे थे. इस खामोशी की आवाज दोनों के दिलों में गहरे तक उतरती जा रही थी.

शिमला से वापस लौटने के बाद कैंपस में वे अब साथसाथ नजर आने लगे. कैंटीन, लाइबे्ररी व कैंपस के पार्क उन की उपस्थिति के गवाह थे. बिना आवाज का यह सफर एक निष्कर्षहीन सफर था. उन दोनों के मध्य खामोशी ही उन की आवाज बन गई थी. खामोश रह कर सबकुछ कह देने का उन का अंदाज निराला था.

वे शांत बहती नदी की तरह ही थे. उन के दिल के हाल से प्रकृति भी खासी परिचित होती जा रही थी. पेड़, पत्ते, नदी, फूलों पर मंडराती तितलियां, सब ने ही तो उन के बारे में बातें करना शुरू कर दिया था.

कालेज कैंपस में उन के भविष्य को ले कर चर्चाएं आम होती जा रही थीं और वे स्वयं खयालों में डूबे एकदूसरे के पूरक बनते जा रहे थे.

शब्दों के बिना की अभिव्यक्ति यों तो सशक्त होती है पर कुछ भाव तो शब्दों के बिना व्यक्त हो ही नहीं सकते. कितना कठिन होता है केवल ‘3 शब्द’, ‘आई लव यू’ कहना.

यों तो वे खामोश रह कर भी हर पल यही दोहराते थे, पर उन दोनों के मध्य ये 3 शब्द तो थे, पर उन में आवाज नहीं थी. शायद वे दोनों किसी खास पल, खास माहौल का इंतजार कर रहे थे, जब इन शब्दों को मूर्त रूप दिया जा सके.

छुट्टियों के एक लंबे अंतराल के बाद इन 3 शब्दों के अभाव ने 5 शब्दों का प्रादुर्भाव कर दिया, ये 5 शब्द थे, ‘राखी की शादी हो गई.’ और फिर राखी लौट कर नहीं आई.

कैंटीन में बैठे हुए विगत को निहारते हुए परम ने खुद के हाथ का दूसरे हाथ से स्पर्श किया, जिस ने पहली बार राखी के हाथों का स्पर्श किया था, गहरे विषाद ने उस के अंतर्मन को झकझोर दिया. आखिर एक लंबे अरसे के बाद वह इस स्थान पर अकेला बैठा था. आज उस के साथ राखी नहीं थी.

एकांत में बैठा परम बारबार उन 3 शब्दों का उच्चारण कर रहा था, पर उसे सुनने वाला कोई नहीं था. अगर उस ने समय पर हिम्मत दिखाई होती तो चाहे जो होता, आज उसे गिला तो नहीं होता. वह कोने में यों अकेला तो न बैठा होता.

Valentine’s Day 2024: कितना करूं इंतजार- क्या मनोज की शादी हो पाई?

मुझे गुमसुम और उदास देख कर मां  ने कहा, ‘‘क्या बात है, रति, तू

इस तरह मुंह लटकाए क्यों बैठी है? कई दिन से मनोज का भी कोई फोन नहीं आया. दोनों ने आपस में झगड़ा कर लिया क्या?’’

‘‘नहीं, मां, रोजरोज क्या बात करें.’’

‘‘कितने दिनों से शादी की तैयारी कर रहे थे, सब व्यर्थ हो गई. यदि मनोज के दादाजी की मौत न हुई होती तो आज तेरी शादी को 15 दिन हो चुके होते. वह काफी बूढ़े थे. तेरहवीं के बाद शादी हो सकती थी पर तेरे ससुराल वाले बड़े दकियानूसी विचारों के हैं. कहते हैं कि साए नहीं हैं. अब तो 5-6 महीने बाद ही शादी होगी.

‘‘हमारी तो सब तैयारी व्यर्थ हो गई. शादी के कार्ड बंट चुके थे. फंक्शन हाल को, कैटरर्स को, सजावट करने वालों को, और भी कई लोगों को एडवांस पेमेंट कर चुके थे. 6 महीने शादी सरकाने से अच्छाखासा नुकसान हो गया है.’’

‘‘इसी बात से तो मनोज बहुत डिस्टर्ब है, मां. पर कुछ कह नहीं पाता.’’

‘‘बेटा, हम भी कभी तुम्हारी उम्र के थे. तुम दोनों के एहसास को समझ सकते हैं, पर हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते. मैं ने तो तेरी सास से कहा भी था कि साए नहीं हैं तो क्या हुआ, अच्छे काम के लिए सब दिन शुभ होते हैं…अब हमें शादी कर देनी चाहिए.

‘‘मेरा इतना कहना था कि वह तो भड़क गईं और कहने लगीं, आप के लिए सब दिन शुभ होते होंगे पर हम तो सायों में भरोसा करते हैं. हमारा इकलौता बेटा है, हम अपनी तरफ से पुरानी मान्यताओं को अनदेखा कर मन में कोई वहम पैदा नहीं करना चाहते.’’

रति सोचने लगी कि मम्मी इस से ज्यादा क्या कर सकती हैं और मैं भी क्या करूं, मम्मी को कैसे बताऊं कि मनोज क्या चाहता है.

नर्सरी से इंटर तक हम दोनों साथसाथ पढ़े थे. किंतु दोस्ती इंटर में आने के बाद ही हुई थी. इंटर के बाद मनोज इंजीनियरिंग करने चला गया और मैं ने बी.एससी. में दाखिला ले लिया था. कालिज अलग होने पर भी हम दोनों छुट्टियों में कुछ समय साथ बिताते थे. बीच में फोन पर बातचीत भी कर लेते थे. कंप्यूटर पर चैट हो जाती थी.

एम.एससी. में आते ही मम्मीपापा ने शादी के लिए लड़का तलाशने की शुरुआत कर दी. मैं ने कहा भी कि मम्मी, एम.एससी. के बाद शादी करना पर उन का कहना था कि तुम अपनी पढ़ाई जारी रखो, शादी कौन सी अभी हुई जा रही है, अच्छा लड़का मिलने में भी समय लगता है.

शादी की चर्चा शुरू होते ही मनोज की छवि मेरी आंखों में तैर गई थी. यों हम दोनों एक अच्छे मित्र थे पर तब तक शादी करने के वादे हम दोनों ने एकदूसरे से नहीं किए थे. साथ मिल कर भविष्य के सपने भी नहीं देखे थे पर मम्मी द्वारा शादी की चर्चा करने पर मनोज का खयाल आना, क्या इसे प्यार समझूं. क्या मनोज भी यही चाहता है, कैसे जानूं उस के दिल की बात.

मुलाकात में मनोज से मम्मी द्वारा शादी की पेशकश के बारे में बताया तो वह बोला, ‘‘इतनी जल्दी शादी कर लोगी, अभी तो तुम्हें 2 वर्ष एम.एससी. करने में ही लगेंगे,’’ फिर कुछ सोचते हुए बोला था, ‘‘सीधेसीधे बताओ, क्या मुझ से शादी करोगी…पर अभी मुझे सैटिल होने में कम से कम 2-3 वर्ष लगेंगे.’’

प्रसन्नता की एक लहर तनमन को छू गई थी, ‘‘सच कहूं मनोज, जब मम्मी ने शादी की बात की तो एकदम से मुझे तुम याद आ गए थे…क्या यही प्यार है?’’

‘‘मैं समझता हूं यही प्यार है. देखो, जो बात अब तक नहीं कह सका था, तुम्हारी शादी की बात उठते ही मेरे मुंह पर आ गई और मैं ने तुम्हें प्रपोज कर डाला.’’

‘‘अब जब हम दोनों एकदूसरे से चाहत का इजहार कर ही चुके हैं तो फिर इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा.’’

‘‘सोचना ही नहीं होगा रति, तुम्हें अपने मम्मीपापा को इस शादी के लिए मनाना भी होगा.’’

‘‘क्या तुम्हारे घर वाले मान जाएंगे?’’

‘‘देखो, अभी तो मेरा इंजीनियरिंग का अंतिम साल है. मेरी कैट की कोचिंग भी चल रही है…उस की भी परीक्षा देनी है. वैसे हो सकता है इस साल किसी अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट मिल जाए क्योंकि कालिज में बहुत सी कंपनियां आती हैं और जौब आफर करती हैं. अच्छा आफर मिला तो मैं स्वीकार कर लूंगा और जैसे ही शादी की चर्चा शुरू होगी मैं तुम्हारे बारे में बता दूंगा.’’

प्यार का अंकुर तो हमारे बीच पनप ही चुका था और हमारा यह प्यार अब जीवनसाथी बनने के सपने भी देखने लगा था. अब इस का जिक्र अपनेअपने घर में करना जरूरी हो गया था.

मैं ने मम्मी को मनोज के बारे में बताया तो वह बोलीं, ‘‘वह अपनी जाति का नहीं है…यह कैसे हो सकता है, तेरे पापा तो बिलकुल नहीं मानेंगे. क्या मनोज के मातापिता तैयार हैं?’’

‘‘अभी तो इस बारे में उस के घर वाले कुछ नहीं जानते. फाइनल परीक्षा होने तक मनोज को किसी अच्छी कंपनी में जौब का आफर मिल जाएगा और रिजल्ट आते ही वह कंपनी ज्वाइन कर लेगा. उस के बाद ही वह अपने मम्मीपापा से बात करेगा.’’

‘‘क्या जरूरी है कि वह मान ही जाएंगे?’’

‘‘मम्मी, मुझे पहले आप की इजाजत चाहिए.’’

‘‘यह फैसला मैं अकेले कैसे ले सकती हूं…तुम्हारे पापा से बात करनी होगी…उन से बात करने के लिए मुझे हिम्मत जुटानी होगी. यदि पापा तैयार नहीं हुए तो तुम क्या करोगी?’’

‘‘करना क्या है मम्मी, शादी होगी तो आप के आशीर्वाद से ही होगी वरना नहीं होगी.’’

इधर मेरा एम.एससी. फाइनल शुरू हुआ उधर इंजीनियरिंग पूरी होते ही मनोज को एक बड़ी कंपनी में अच्छा स्टार्ट मिल गया था और यह भी करीबकरीब तय था कि भविष्य में कभी भी कंपनी उसे यू.एस. भेज सकती है. मनोज के घर में भी शादी की चर्चा शुरू हो गई थी.

मैं ने मम्मी को जैसेतैसे मना लिया था और मम्मी ने पापा को किंतु मनोज की मम्मी इस विवाह के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीं. इस फैसले से मनोज के घर में तूफान उठ खड़ा हुआ था. उस के घर में पापा से ज्यादा उस की मम्मी की चलती है. ऐसा एक बार मनोज ने ही बताया था…मनोज ने भी अपने घर में ऐलान कर दिया था कि शादी करूंगा तो रति से वरना किसी से नहीं.

आखिर मनोज के बहनबहनोई ने अपनी तरह से मम्मी को समझाया था, ‘‘मम्मी, आप की यह जिद मनोज को आप से दूर कर देगी, आजकल बच्चों की मानसिक स्थिति का कुछ पता नहीं चलता कि वह कब क्या कर बैठें. आज के ही अखबार में समाचार है कि मातापिता की स्वीकृति न मिलने पर प्रेमीप्रेमिका ने आत्महत्या कर ली…वह दोनों बालिग हैं. मनोज अच्छा कमा रहा है. वह चाहता तो अदालत में शादी कर सकता था पर उस ने ऐसा नहीं किया और आप की स्वीकृति का इंतजार कर रहा है. अब फैसला आप को करना है.’’

मनोज के पिता ने कहा था, ‘‘बेटा, मुझे तो मनोज की इस शादी से कोई एतराज नहीं है…लड़की पढ़ीलिखी है, सुंदर है, अच्छे परिवार की है… और सब से बड़ी बात मनोज को पसंद है. बस, हमारी जाति की नहीं है तो क्या हुआ पर तुम्हारी मम्मी को कौन समझाए.’’

‘‘जब सब तैयार हैं तो मैं ही उस की दुश्मन हूं क्या…मैं ही बुरी क्यों बनूं? मैं भी तैयार हूं.’’

मम्मी का इरादा फिर बदले इस से पहले ही मंगनी की रस्म पूरी कर दी गई थी. तय हुआ था कि मेरी एम.एससी. पूरी होते ही शादी हो जाएगी.

मंगनी हुए 1 साल हो चुका था. शादी की तारीख भी तय हो चुकी थी. मनोज के बाबा की मौत न हुई होती तो हम दोनों अब तक हनीमून मना कर कुल्लूमनाली, शिमला से लौट चुके होते और 3 महीने बाद मैं भी मनोज के साथ अमेरिका चली जाती.

पर अब 6-7 महीने तक साए नहीं हैं अत: शादी अब तभी होगी ऐसा मनोज की मम्मी ने कहा है. पर मनोज शादी के टलने से खुश नहीं है. इस के लिए अपने घर में उसे खुद ही बात करनी होगी. हां, यदि मेरे घर से कोई रुकावट होती तो मैं उसे दूर करने का प्रयास करती.

पर मैं क्या करूं. माना कि उस के भी कुछ जजबात हैं. 4-5 वर्षों से हम दोस्तों की तरह मिलते रहे हैं, प्रेमियों की तरह साथसाथ भविष्य के सपने भी बुनते रहे हैं किंतु मनोज को कभी इस तरह कमजोर होते नहीं देखा. यद्यपि उस का बस चलता तो मंगनी के दूसरे दिन ही वह शादी कर लेता पर मेरा फाइनल साल था इसलिए वह मन मसोस कर रह गया.

प्रतीक्षा की लंबी घडि़यां हम कभी मिल कर, कभी फोन पर बात कर के काटते रहे. हम दोनों बेताबी से शादी के दिन का इंतजार करते रहे. दूरी सहन नहीं होती थी. साथ रहने व एक हो जाने की इच्छा बलवती होती जाती थी. जैसेजैसे समय बीत रहा था, सपनों के रंगीन समुंदर में गोते लगाते दिन मंजिल की तरफ बढ़ते जा रहे थे. शादी के 10 दिन पहले हम ने मिलना भी बंद कर दिया था कि अब एकदूसरे को दूल्हादुलहन के रूप में ही देखेंगे पर विवाह के 7 दिन पहले बाबाजी की मौत हमारे सपनों के महल को धराशायी कर गई.

बाबाजी की मौत का समाचार मुझे मनोज ने ही दिया था और कहा था, ‘‘बाबाजी को भी अभी ही जाना था. हमारे बीच फिर अंतहीन मरुस्थल का विस्तार है. लगता है, अब अकेले ही अमेरिका जाना पडे़गा. तुम से मिलन तो मृगतृष्णा बन गया है.’’

तेरहवीं के बाद हम दोनों गार्डन में मिले थे. वह बहुत भावुक हो रहा था, ‘‘रति, तुम से दूरी अब सहन नहीं होती. मन करता है तुम्हें ले कर अनजान जगह पर उड़ जाऊं, जहां हमारे बीच न समाज हो, न परंपराएं हों, न ये रीतिरिवाज हों. 2 प्रेमियों के मिलन में समाज के कायदे- कानून की इतनी ऊंची बाड़ खड़ी कर रखी है कि उन की सब्र की सीमा ही समाप्त हो जाए. चलो, रति, हम कहीं भाग चलें…मैं तुम्हारा निकट सान्निध्य चाहता हूं. इतना बड़ा शहर है, चलो, किसी होटल में कुछ घंटे साथ बिताते हैं.’’

जो हाल मनोज का था वही मेरा भी था. एक मन कहता था कि अपनी खींची लक्ष्मण रेखा को अब मिटा दें किंतु दूसरा मन संस्कारों की पिन चुभो देता कि बिना विवाह यह सब ठीक नहीं. वैसे भी एक बार मनोज की इच्छा पूरी कर दी तो यह चाह फिर बारबार सिर उठाएगी, ‘‘नहीं, यह ठीक नहीं.’’

‘‘क्या ठीक नहीं, रति. क्या तुम को मुझ पर विश्वास नहीं? पतिपत्नी तो हमें बनना ही है. मेरा मन आज जिद पर आया है, मैं भटक सकता हूं, रति, मुझे संभाल लो,’’ गार्डन के एकांत झुटपुटे में उस ने बांहों में भर कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया था. मैं ने भी आज उसे यह छूट दे दी थी ताकि उस का आवेग कुछ शांत हो किंतु मनोज की गहरीगहरी सांसें और अधिक समा जाने की चाह मुझे भी बहकाए उस से पूर्व ही मैं उठ खड़ी हुई.

‘‘अपने को संभालो, मनोज. यह भी कोई जगह है बहकने की? मैं भी कोई पत्थर नहीं, इनसान हूं…कुछ दिन अपने को और संभालो.’’

‘‘इतने दिन से अपने को संभाल ही तो रहा हूं.’’

‘‘जो तुम चाह रहे हो वह हमारी समस्या का समाधान तो नहीं है. स्थायी समाधान के लिए अब हाथपैर मारने होंगे. चलो, बहुत जोर से भूख लगी है, एक गरमागरम कौफी के साथ कुछ खिला दो, फिर इस बारे में कुछ मिल कर सोचते हैं.’’

रेस्टोरेंट में बैरे को आर्डर देने के बाद मैं ने ही बात शुरू की, ‘‘मनोज, तुम्हें अब एक ही काम करना है… किसी तरह अपने मातापिता को जल्दी शादी के लिए तैयार करना है, जो बहुत मुश्किल नहीं. आखिर वे हमारे शुभचिंतक हैं, तुम ने उन से एक बार भी कहा कि शादी इतने दिन के लिए न टाल कर अभी कर दें.’’

‘‘नहीं, यह तो नहीं कहा.’’

‘‘तो अब कह दो. कुछ पुराना छोड़ने और नए को अपनाने में हरेक को कुछ हिचक होती है. अपनी इंटरकास्ट मैरिज के लिए आखिर वह तैयार हो गए न. तुम देखना बिना सायों के शादी करने को भी वह जरूर मान जाएंगे.’’

मनोज के चेहरे पर खुशी की एक लहर दौड़ गई थी, ‘‘तुम ठीक कह रही हो रति, यह बात मेरे ध्यान में क्यों नहीं आई? खाने के बाद तुम्हें घर पर छोड़ देता हूं. कोर्ट मैरिज की डेट भी तो पास आ गई है, उसे भी आगे नहीं बढ़ाने दूंगा.’’

‘‘ठीक है, अब मैरिज वाले दिन कोर्ट में ही मिलेंगे.’’

‘‘मेरे आज के व्यवहार से डर गईं क्या? इस बीच फोन करने की इजाजत तो है या वह भी नहीं है?’’

‘‘चलो, फोन करने की इजाजत दे देते हैं.’’

रजिस्ट्रार के आफिस में मैरिज की फार्र्मेलिटी पूरी होने के बाद हम दोनों अपने परिवार के साथ बाहर आए तो मनोज के जीजाजी ने कहा, ‘‘मनोज, अब तुम दोनों की शादी पर कानून की मुहर लग गई है. रति अब तुम्हारी हुई.’’

‘‘ऐ जमाई बाबू, ये इंडिया है, वह तो वीजा के लिए यह सब करना पड़ा है वरना इसे हम शादी नहीं मानते. हमारे घर की बहू तो रति विवाह संस्कार के बाद ही बनेगी,’’ मेरी मम्मी ने कहा.

‘‘वह तो मजाक की बात थी, मम्मी, अब आप लोग घर चलें. मैं तो इन दोनों से पार्टी ले कर ही आऊंगा.’’

होटल में खाने का आर्डर देने के बाद मनोज ने अपने जीजाजी से पूछा, ‘‘जीजाजी, मम्मी तक हमारी फरियाद अभी पहुंची या नहीं?’’

‘‘साले साहब, क्यों चिंता करते हो. हम दोनों हैं न तुम्हारे साथ. अमेरिका आप दोनों साथ ही जाओगे. मैं ने अभी बात नहीं की है, मैं आप की इस कोर्ट मैरिज हो जाने का इंतजार कर रहा था. आगे मम्मी को मनाने की जिम्मेदारी आप की बहन ने ली है. इस से भी बात नहीं बनी तो फिर मैं कमान संभालूंगा.’’

‘‘हां, भैया, मैं मम्मी को समझाने की पूरी कोशिश करूंगी.’’

‘‘हां, तू कोशिश कर ले, न माने तो मेरा नाम ले कर कह देना, ‘आप अब शादी करो या न करो भैया भाभी को साथ ले कर ही जाएंगे.’’’

‘‘वाह भैया, आज तुम सचमुच बड़े हो गए हो.’’

‘‘आफ्टर आल अब मैं एक पत्नी का पति हो गया हूं.’’

‘‘ओके, भैया, अब हम लोग चलेंगे, आप लोगों का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘कुछ देर घूमघाम कर पहले रति को उस के घर छोडं़ ूगा फिर अपने घर जाऊंगा.’’

मेरे गले में बांहें डालते हुए मनोज ने शरारत से देखा, ‘‘हां, रति, अब क्या कहती हो, तुम्हारे संस्कार मुझे पति मानने को तैयार हैं या नहीं?’’

आंखें नचाते हुए मैं चहकी, ‘‘अब तुम नाइंटी परसेंट मेरे पति हो.’’

‘‘यानी टैन परसेंट की अब भी कमी रह गई है…अभी और इंतजार करना पडे़गा?’’

‘‘उस दिन का मुझे अफसोस है मनोज…पर अब मैं तुम्हारी हूं.’’

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