Mother’s Day 2024: एक्सपायर हुए कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को करें रिजेक्ट

जैसे ही किसी प्रोडक्‍ट की एक्‍सपॉयरी डेट आती है, उसे तुंरत फेंक देना चाहिए. लेकिन कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो ढ़ेर सारे कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट को खरीद लाती हैं और फिर उन्‍हें नियमित रूप से इस्‍तेमाल नहीं करती हैं जिसके कारण वो रखे-रखे ही खराब हो जाते हैं. फाउंडेशन, मस्‍कारा, आईलाइनर आदि को कोई भी डेली नहीं लगाता है, अगर वो वर्किंग नहीं है. मेकअप प्रोडक्‍ट को रखने के लिए उनकी गाइडलाइन को अवश्‍य फॉलो करें और उनकी एक्‍सपायरी डेट भी जरूर देख लें. साथ ही आपको यह जानकारी भी रखनी चाहिए कि कौन से प्रोडक्‍ट को कितने समय तक अधिकतम, अपने मेकअप किट में रखा जा सकता है. सालों तक प्रोडक्‍ट को किट में रखने से वो सही नहीं बने रहते हैं और न ही उनके इस्‍तेमाल से त्‍वचा स्‍वस्‍थ रहेगी. बल्कि ऐसे उत्‍पाद, त्‍वचा पर बुरा असर छोड़ देते हैं.

1. मस्‍कारा : तीन महीने तक ही एक मस्‍कारा को इस्‍तेमाल करें. उसके बाद इसके इस्‍तेमाल करने से पलकें झड़ सकती हैं और आंखों में लालामी आ सकती है. साथ ही संक्रमण होने का डर भी बना रहता है.

2. फाउंडेशन: फाउंडेशन को एक साल से ज्‍यादा इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए. इसे हाथों से भी नहीं लगाना चाहिए वरना इंफेक्‍शन होने का डर बना रहता है. साथ ही इसे कूल और ड्राई स्‍थान पर रखना चाहिए.

3. आईलाइनर: लिक्विड आईलाइनर हो या पेंसिल आईलाइनर; दोनों को ही अधिकतम 8 महीने तक इस्‍तेमाल करना चाहिए. जब यह हल्‍का सा ड्राई हो जाता है तो इसका यूज करना बंद कर दें, वरना आंखों में भारीपन लगता है.

4. कंसीलर: कंसीलर को कोई भी नियमित इस्‍तेमाल करना नहीं चाहता है. इसे खरीदने के बाद अधिकतम 12 से 18 महीने तक ही मेकअप में रखें. बाद में इसे हटा दें, वरना आपकी त्‍वचा पर पैचेस भी पड़ सकते हैं.

5. ब्‍लश और ब्रोंजर: ब्‍लश और ब्रोंजर को आप 2 साल तक मेकअप किट में रख सकती हैं. लेकिन इसे ड्राई एंड कूल प्‍लेस पर रखना चाहिए. अगर यह सूख जाता है तो इसे तुरंत हटा दें. इसके ब्रशों को गंदा न होने दें, गंदे पर उन्‍हें तुरंत बदल दें.

6. लिपस्टिक: लिपस्टिक को एक साल तक रख सकते हैं लेकिन अगर आप इसे सीधे होंठो पर न लगाकर कॉटन बॉल से लगाती हैं तो इसे काफी लम्‍बे समय तक स्‍टोर किया जा सकता है.

7. आईशैडो: अगर पाउडर आईशैडो है तो दो साल तक स्‍टोर कर सकते हैं और क्रीम शैडो को एक साल तक स्‍टोर कर सकते हैं. इनके ब्रशों को बिल्‍कुल क्‍लीन रखें, ताकि आपको बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन न होने पाएं.

8. लिप ग्‍लॉस: लिप ग्‍लॉस को 6 महीने में ही बदल दें. वरना होंठ काले पड़ सकते हैं या उनमें कोई और समस्‍या आ सकती है.

 

Mother’s Day 2024- अधूरी मां: क्या खुश थी संविधा

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Mother’s Day 2024: बिट्टू: नौकरीपेशा मां का दर्द

‘‘आज बिट्टू ने बहुत परेशान किया,’’ शिशुसदन की आया ने कहा. ‘‘क्यों बिट्टू, क्या बात है? क्यों इन्हें परेशान किया?’’ अनिता ने बच्चे को गोद में उठा कर चूम लिया और गोद में लिएलिए ही आगे बढ़ गई.

बिट्टू खामोश और उदास था. चुपचाप मां की गोद में चढ़ा इधरउधर देखता रहा. अनिता ने बच्चे की खामोशी महसूस की. उस का बदन छू कर देखा. फिर स्नेहपूर्वक बोली, ‘‘बेटे, आज आप ने मां को प्यार नहीं किया?’’ ‘‘नहीं करूंगा,’’ बिट्टू ने गुस्से में गरदन हिला कर कहा.

‘‘क्यों बेटे, आप हम से नाराज हैं?’’ ‘‘हां.’’

‘‘लेकिन क्यों?’’ अनिता ने पूछा और फिर बिट्टू को नीचे उतार कर सब्जी वाले से आलू का भाव पूछा और 1 किलो आलू थैले में डलवाए. कुछ और सब्जी खरीद कर वह बिट्टू की उंगली थामे धीरेधीरे घर की ओर चल दी. ‘‘मां, मैं टाफी लूंगा,’’ बिट्टू ने मचल कर कहा.

‘‘नहीं बेटे, टाफी से दांत खराब हो जाते हैं और खांसी आने लगती है.’’ ‘‘फिर बिस्कुट दिला दो.’’

‘‘हां, बिस्कुट ले लो,’’ अनिता ने काजू वाले नमकीन बिस्कुट का पैकेट ले कर 2 बिट्टू को पकड़ा दिए और शेष थैले में डाल लिए. अनिता बेहद थकी हुई थी. उस की इच्छा हो रही थी कि वह जल्दी से जल्दी घर पहुंच कर बिस्तर पर ढेर हो जाए. पंखे की ठंडी हवा में आंखें मूंदे लेटी रहे और अपने दिलोदिमाग की थकान उतारती रहे. फिर कोई उसे एक प्याला चाय पकड़ा दे और चाय पी कर वह फिर लेट जाए.

लेकिन ऐसा संभव नहीं था. घर जाते ही उसे काम में जुट जाना था. महरी भी 2-3 दिन की छुट्टी पर थी. यही सब सोचते हुए अनिता घर पहुंची. साड़ी उतार कर एक ओर रख दी और पंखा पूरी गति पर कर के ठंडे फर्श पर लेट गई. बिट्टू ने अपने मोजे और जूते उतारे और उस के ऊपर आ कर बैठ गया.

‘‘मां…’’ ‘‘हूं.’’

‘‘कल से मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘कहां?’’

‘‘वहीं, जहां रोज तुम मुझे छोड़ देती हो. मैं सारा दिन तुम्हारे पास रहूंगा,’’ कहते हुए बिट्टू अपना चेहरा अनिता के गाल से सटा कर लेट गया. ‘‘फिर मैं दफ्तर कैसे जाऊंगी?’’ अनिता ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मत जाइए,’’ बिट्टू ने मुंह फुला लिया. ‘‘फिर मेरी नौकरी नहीं छूट जाएगी?’’

‘‘छूट जाने दीजिए…लेकिन कल मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘मत जाना,’’ अनिता ने झुंझलाते हुए कह दिया.

‘‘वादा,’’ बिट्टू ने बात की पुष्टि करनी चाही. ‘‘हां…देखूंगी,’’ कह कर अनिता अतीत में खो गई.

नौकरी करने की अनिता की बिलकुल इच्छा नहीं थी. वह तो घर में ही रहना चाहती थी. और घर में रह कर वह ऐसा काम जरूर करना चाहती थी, जिस से कुछ आर्थिक लाभ होता रहे. शुरू में उस ने अपनी यह इच्छा अजय पर जाहिर की थी. सुन कर वे बेहद खुश हुए थे और वादा कर लिया था कि वे कोशिश करेंगे कि उसे जल्दी ही कोई काम मिल जाए.

बिट्टू डेढ़ साल का ही था, जब एक दिन अजय खुशी से झूमते हुए आए और बोले, ‘आज मैं बहुत खुश हूं.’

‘क्या हुआ?’ अनिता ने आश्चर्य से पूछा. ‘तुम्हें नौकरी मिल गई है.’

‘क्या?’ उस का मुंह खुला रह गया, ‘लेकिन अभी इतनी जल्दी क्या थी.’ ‘क्या कहती हो. नौकरी कहीं पेड़ों पर लगती है कि जब चाहो, तोड़ लो. मिलती हुई नौकरी छोड़ना बेवकूफी है,’ अजय अपनी ही खुशी में डूबे, बोले जा रहे थे. उन्होंने अनिता के उतरे हुए चेहरे की तरफ नहीं देखा था.

‘लेकिन अजय, मैं अभी नौकरी नहीं करना चाहती. बिट्टू अभी बहुत छोटा है. जरा सोचो, भला मैं उसे घर में अकेले किस के पास छोड़ कर जाऊंगी.’ ‘तुम इस की चिंता मत करो,’ अजय ने अपनी ही रौ में कहा.

‘क्यों न करूं. जब तक बिट्टू बड़ा नहीं हो जाता, मैं घर से बाहर जा कर नौकरी करने के बारे में सोच भी नहीं सकती.’ ‘कैसी पागलों जैसी बातें करती हो.’

‘नहीं, अजय, तुम कुछ भी कहो, मैं बिट्टू को अकेले…’ ‘मेरी बात तो सुनो, आजकल कितने ही शिशुसदन खुल गए हैं. वहां नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह छोड़ जाती हैं और शाम को वापस ले जाती हैं,’ अजय ने मुसकराते हुए कहा.

‘नहीं, मैं अपने बच्चे को अजनबी हाथों में नहीं सौपूंगी,’ अनिता ने परेशान से स्वर में कहा. ‘बिट्टू वहां अकेला थोड़े ही होगा. सुनो, वहां तो 3-4 महीने तक के बच्चे महिलाएं छोड़ जाती हैं. क्या उन्हें अपने बच्चों से प्यार नहीं होता?’ अनिता के सामने कुरसी पर बैठा अजय उसे समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘लेकिन…’ ‘लेकिन क्या?’ अजय ने झुंझला कर कहा.

अनिता अभी भी असमंजस में पड़ी थी. भला डेढ़ साल का बिट्टू उस के बिना सारा दिन अकेला कैसे रहेगा. यही सोचसोच कर वह परेशान हुई जा रही थी. ‘तुम देखना, 4-5 दिन में ही बिट्टू वहां के बच्चों के साथ ऐसा हिलमिल जाएगा कि फिर घर आने को उस का मन ही नहीं करेगा,’ अजय ने कहा.

लेकिन अनिता का मन ऊहापोह में ही डूबा रहा. वह अपने मन को व्यवस्थित नहीं कर पा रही थी. बिट्टू को अपने से सारे दिन के लिए अलग कर देना उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था. जब पहले दिन अनिता बिट्टू को शिशुसदन छोड़ने गई थी तो वह इस तरह बिलखबिलख कर रोया था कि अनिता की आंखें भर आई थीं. अजय उस का हाथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से ले गए थे.

दफ्तर में भी सारा दिन उस का मन नहीं लगा था. उस की इच्छा हो रही थी कि वह सब काम छोड़ कर अपने बच्चे के पास दौड़ी जाए और उसे गोद में उठा कर सीने से लगा ले. कितना वक्त लगा था अनिता को अपनेआप को समझाने में. शुरूशुरू में वह यह देख कर संतुष्ट थी कि बिट्टू जल्दी ही और बच्चों के साथ हिलमिल गया था. लेकिन इधर कई दिनों से वह देख रही थी कि बिट्टू जैसेजैसे बड़ा होता जा रहा था, कुछ गंभीर दिखने लगा था.

वह जब भी दफ्तर से लौटती तो देखती कि बिट्टू सड़क की ओर निगाहें बिछाए उस का इंतजार कर रहा होता. अपने बेटे की आंखों में उदासी और सूनापन देख कर कभीकभी वह सहम सी जाती.

दरवाजे की घंटी बजी तो अनिता की तंद्रा टूटी. बिट्टू उस के चेहरे पर ही अपना चेहरा टिकाए सो गया था. उसे धीरे से उस ने बिस्तर पर लिटाया और जल्दी से गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो अजय ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी थकीथकी सी लग रही हो?’’ ‘‘नहीं, ऐसे ही कुछ…तुम बैठो मैं चाय लाती हूं,’’ अनिता ने कहा और रसोई में आ गई. लेकिन रसोई में घुसते ही वह सिर पकड़ कर बैठ गई. वह भूल ही गई थी कि महरी छुट्टी पर है. सारे बरतन जूठे पड़े थे. उस ने जल्दी से कुछ बरतन धोए और चाय का पानी चढ़ा दिया.

‘‘बिट्टू क्या कर रहा है?’’ चाय का घूंट भरते हुए अजय ने पूछा. ‘‘सो रहा है.’’

‘‘इस समय सो रहा है?’’ सुन कर अजय को आश्चर्य हुआ. ‘‘हां, शायद दोपहर में सोया नहीं होगा,’’ अनिता ने कहा और फिर दो क्षण रुक कर बोली, ‘‘सुनो, आज बिट्टू बहुत परेशान था. उस ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. बहुत गुमसुम और गंभीर दिखाई दे रहा था.’’

‘‘क्यों?’’ अजय ने हैरानी से पूछा. ‘‘कह रहा था कि मुझे वहां अच्छा नहीं लगता. मैं घर पर ही रहूंगा. दरअसल, वह चाहता है कि मैं सारा दिन उस के पास रहूं,’’ अनिता ने झिझकते हुए कहा.

अजय थोड़ी देर सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘तुम खुद ही उस से चिपकी रहना चाहती हो.’’ ‘‘क्या कहा तुम ने?’’ अनिता के अंदर जैसे भक्क से आग जल उठी, ‘‘मैं उस की मां हूं, दुश्मन नहीं. फिर तुम्हारी तरह निर्दयी भी नहीं हूं, समझे.’’

‘‘शांत…शांत…गुस्सा मत करो. जरा ठंडे दिमाग से सोचो. इस के अलावा और कोई हल है इस समस्या का?’’ ‘‘खैर, छोड़ो इस बात को. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. साहब के लड़के के जन्मदिन पर देने के लिए कोई तोहफा खरीदना है.’’

‘‘तुम चले जाओ, आज मैं नहीं जा पाऊंगी,’’ अनिता उठते हुए बोली. ‘‘तुम्हारी बस यही आदत मुझे अच्छी नहीं लगती. जराजरा सी बात पर मुंह फुला लेती हो. उठो, जल्दी से तैयार हो जाओ.’’

‘‘नहीं, अजय, मुंह फुलाने की बात नहीं है. काम बहुत है. महरी भी छुट्टी पर है. अभी कपड़े भी धोने हैं.’’ ‘‘अच्छा फिर रहने दो. मैं ही चला जाता हूं.’’

अनिता चाय के बरतन समेट कर जाने लगी तो अजय ने फिर पुकारा, ‘‘अरे, सुनो.’’ ‘‘अब क्या है?’’ उस ने मुड़ कर पूछा.

‘‘जरा देखना, कोई ढंग की कमीज है, पहनने के लिए.’’ ‘‘तुम उस की चिंता मत करो,’’ अनिता ने कहा और अंदर चली गई. अजय ने चप्पलें पैरों में डालीं और फिर बिना हाथमुंह धोए ही बाहर निकल गया. अनिता ने बिट्टू को उठा कर नाश्ता कराया और फिर उसे खिलौनों के बीच में बैठा दिया.

घर भर के काम से निबट कर अनिता खड़ी हुई तो देखा, घड़ी 12 बजा रही थी. कमरे में आई तो देखा कि अजय और बिट्टू दोनों फर्श पर गहरी नींद में डूबे हुए हैं. वह भी बत्ती बुझा कर बिट्टू के बगल में लेट गई. शीघ्र ही गहरी नींद ने उसे आ घेरा. सुबह शिशुसदन जाने के लिए तैयार होते वक्त बिट्टू फिर बिगड़ने लगा, ‘‘मैं वहां नहीं जाऊंगा. मैं घर में ही रहूंगा. बगल वाली चाची को देखो, सारा दिन घर में रहती हैं बबली को वह हमेशा अपने पास रखती हैं. और तुम मुझे हमेशा दूसरों के पास छोड़ देती हो. तुम गंदी मां हो, अच्छी नहीं हो. मैं वहां नहीं जाऊंगा.’’

‘‘हम आप के लिए बहुत सारी चीजें लाएंगे. जिद नहीं करते बिट्टू. फिर तुम अकेले तो वहां नहीं होते. वहां कितने सारे तुम्हारे दोस्त होते हैं. सब के साथ खेलते हो. कितना अच्छा लगता होगा,’’ अनिता ने समझाने के लहजे में कहा. ‘‘नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगता. मैं वहां नहीं जाऊंगा. आया डांटती रहती है. कल मेरी निकर खराब हो गई थी. मैं ने जानबूझ कर थोड़े ही खराब की थी.’’

‘‘हम आया को डांट देंगे. चलो, जल्दी उठो. देर हो रही है. जूतेमोजे पहनो.’’ ‘‘मैं यहीं लेटा रहूंगा?’’ बिट्टू जमीन पर फैल गया.

अनिता को अब खीझ सी होती जा रही थी, ‘‘बिट्टू, जल्दी से उठ जा, वरना पिताजी बहुत गुस्सा होंगे. दफ्तर को भी देर हो रही है.’’ ‘‘होने दो,’’ बिट्टू ने चीख कर कहा और दूसरी तरफ पलट गया. अनिता बारबार घड़ी देख रही थी. उसे गुस्सा आ रहा था, पर वह गुस्से को दबा कर बिट्टू को समझाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘अरे भई, क्या बात है, कितनी देर लगाओगी?’’ बाहर से अजय ने पुकारा. ‘‘बस, 2 मिनट में आ रही हूं,’’ अनिता ने चीख कर अंदर से जवाब दिया और बिट्टू से बोली, ‘‘देख, अब जल्दी से उठ जा, नहीं तो मैं तुझे थप्पड़ मार दूंगी.’’

‘‘नहीं उठूंगा,’’ बिट्टू चिल्लाया. ‘‘नहीं उठेगा?’’

‘‘नहीं…नहीं…नहीं जाऊंगा…तुम जाओ…मैं यहीं रहूंगा.’’ ‘तड़ाक.’ अनिता ने गुस्से से एक जोरदार तमाचा उस के गाल पर दे मारा, ‘‘अब उठता है कि नहीं, या लगाऊं दोचार और…’’

अनिता का गुस्से से भरा चेहरा देख कर और थप्पड़ खा कर बिट्टू सहम गया. वह धीरे से उठ कर बैठ गया और डबडबाई आंखों से अनिता की ओर देखने लगा. फिर चुपचाप उठ कर जूतेमोजे पहनने लगा. अनिता उस का हाथ पकड़ कर करीबकरीब घसीटते हुए बाहर आई. दरवाजे पर ताला लगाया और स्कूटर पर पीछे बैठ गई. हमेशा की तरह बिट्टू आगे खड़ा हो गया.

शिशुसदन में छोड़ते वक्त अनिता ने बिट्टू को प्यार किया और अपना गाल उस की तरफ बढ़ा दिया पर बिट्टू ने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया और आगे बढ़ गया. ‘‘अच्छा बिट्टू,’’ अनिता ने हाथ हिलाया पर बिट्टू ने मुड़ कर भी नहीं देखा.

अनिता को आघात लगा, ‘‘बिट्टू,’’ उस ने फिर पुकारा.

‘‘अब चलो भी. पहले ही इतनी देर हो गई है,’’ अजय ने अनिता का हाथ पकड़ कर लगभग घसीटते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा कोई भी काम समय से नहीं होता,’’ स्कूटर स्टार्ट करते हुए उस ने अनिता की ओर देखा. वह अभी भी बिट्टू को जाते हुए देख रही थी.

‘‘अब बैठो न, खड़ीखड़ी क्या देख रही हो. तुम औरतों में तो बस यही खराबी होती है. जराजरा सी बात पर परेशान हो जाती हो,’’ अजय ने झल्लाते हुए कहा. पर अनिता अब भी वैसे ही खड़ी थी, मानो उस ने अजय की आवाज को सुना ही न हो.

‘‘तुम चलती हो या मैं अकेला चला जाऊं?’’ अजय दांत पीसते हुए बोला. लेकिन अनिता जैसे वहां हो कर भी नहीं थी. उस की आंखों में बिट्टू का सहमा हुआ चेहरा और उस की निरीह खामोशी तैर रही थी. वह सोच रही थी, बिट्टू छोटा है, हमारे वश में है. क्या इसी लिए हमें यह अधिकार मिल जाता है कि हम उस के जायज हक को भी इस तरह ठुकरा दें.

‘‘सुना नहीं…मैं ने क्या कहा?’’ अजय ने चिल्लाते हुए कहा तो अनिता चौंक गई. ‘‘नहीं…मैं कहीं नहीं जाऊंगी,’’ अनिता ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए कहा.

‘‘क्या? तुम्हारा दिमाग तो सही है.’’ ‘‘हां, बिलकुल सही है,’’ अनिता ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘सुनो, हम ने उसे पैदा कर के उस पर कोई एहसान नहीं किया है. अपने सुख और अपनी खुशियों के लिए उसे जन्म दिया है. क्या हमारा यह फर्ज नहीं बनता कि हम भी उस की खुशियों और उस के सुख का ध्यान रखें?

‘‘अजय, मैं घर पर ही रहूंगी. मैं नहीं चाहती कि अभी से उस के दिल में मांबाप के प्रति नफरत की चिंगारी पैदा हो जाए और फिर मांबाप का प्यार पाना उस का हक है. मैं नहीं चाहती कि उस के कोमल मनमस्तिष्क पर कोई गांठ पड़े. मैं उतने पैसे में ही काम चला लूंगी जितना तुम्हें मिलता है पर बिट्टू को उस के अधिकार मिलने ही चाहिए.’’ ‘‘तो तुम्हें नहीं जाना?’’

‘‘नहीं,’’ अनिता ने दृढ़ स्वर में कहा. अजय ने स्कूटर स्टार्ट किया और तेजी के साथ दूर निकल गया. अनिता धीमे कदमों से वापस लौट गई. उस का मन अब बेहद शांत था. उसे अपने निर्णय पर कोई दुख नहीं था.

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाएं स्वादिष्ट पनीर और आम के रोल्स

अगर आप भी बच्चों के लिए कोई नई हेल्दी और टेस्टी रेसिपी की तलाश कर रही हैं तो पनीर आम रोल्स की रेसिपी आप के लिए परफेक्ट है. पनीर आम रोल्स आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जो आपको प्रोटीन का अच्छा सोर्स साबित होगा.

हमें चाहिए

– 1 दशहरी आम पका

– 50 ग्राम पनीर

– 1 बड़ा चम्मच बादाम फ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर

– 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– थोड़ी सी स्ट्राबेरी लंबे पतले कटे टुकड़े

– थोड़ा सा बारीक कटा पिस्ता.

बनाने का तरीका

आम को छील कर लंबाई में स्लाइस कर लें. 7 स्लाइस बनेंगे. पनीर को हाथ से मसल कर इस में चीनी पाउडर, इलायची चूर्ण व बादाम के फ्लैक्स मिला दें. प्रत्येक स्लाइस पर थोड़ा सा पनीर वाला मिश्रण रख कर रोल कर दें. पिस्ता व स्ट्राबेरी से सजा कर सर्व करें.

Mother’s Day 2024: स्किन टोन के अनुसार करें मेकअप

चेहरा हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है और इस आईने को बेदाग व खूबसूरत बनाने के लिए फेस मेकअप की सही जानकारी जरूरी है. किसी भी मेकअप की शुरुआत बेस से होती है. इसीलिए उसे स्किन का बैकड्रौप माना जाता है, जो मेकअप के लिए परफैक्ट स्किन देता है. आमतौर पर हम सभी अपने चेहरे के लिए बेस का चयन अपनी स्किनटोन के मुताबिक करते हैं. लेकिन परफैक्ट स्किन के लिए यह जरूरी है कि आप का बेस आप की स्किन के भी अनुसार हो.

आइए, जानें कि बेस का चयन कैसे करें:

बेस फौर ड्राई स्किन

यदि आप की स्किन ड्राई है तो आप टिंटिड मौइश्चराइजर, क्रीम बेस्ड फाउंडेशन या सूफले का इस्तेमाल कर सकती हैं.

टिंटिड मौइश्चराइजर

यदि आप की त्वचा साफ, बेदाग व निखरी हुई है, तो आप बेस बनाने के लिए केवल टिंटिड मौइश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे लगाना बेहद आसान है. अपने हाथ में मौइश्चराइजर की कुछ बूंदें लें और अपनी उंगली से चेहरे पर जगहजगह डौट्स लगा कर एकसार फैला लें. यह एसपीएफ यानी सनप्रोटैक्शन फैक्टर के साथ भी आता है, जिस के कारण यह हमारी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है. इस के अलावा यह हमारी स्किन को तेज हवाओं व अन्य वजह से होने वाली ड्राईनैस से बचा कर मौइश्चराइज भी करता है.

क्रीम बेस्ड फाउंडेशन

यह स्किन के रूखेपन को कम कर के उसे मौइश्चराइज करता है, इसलिए यह ड्राई स्किन वालों के लिए काफी अच्छा होता है. इसे लगाने से स्किन को प्रौपर मौइश्चर मिलता है. इसे यूज करना भी आसान है. स्पैचुला से थोड़ा सा बेस हथेली पर लें और स्पंज या ब्रश की मदद से एकसार पूरे फेस पर लगा लें. इसे सैट करने के लिए पाउडर की एक परत लगाना जरूरी है. इस से बेस ज्यादा देर तक टिका रहता है.

सूफले

यह बेहद हलका होता है और फेस पर लाइट कवरेज देता है. सूफले को स्पैचुला की मदद से थोड़ा सा हथेली पर लें. फिर ब्रश या स्पंज की मदद से पूरे फेस पर एकसार फैला लें.

बेस फौर औयली स्किन

यदि आप की स्किन औयली है और पसीना बहुत आता है, तो टू वे केक का इस्तेमाल आप के लिए बेहतर है, क्योंकि यह एक वाटरपू्रफ बेस है. इस के अलावा आप अपनी स्किन के लिए पैन स्टिक और मूज का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

पैन स्टिक

यह क्रीमी फौर्म में होती है, जिस कारण स्किन को मौइश्चराइज करती है और साथ ही वाटरपू्रफ होने के कारण औयली स्किन के लिए अच्छी होती है.

टू वे केक

यह एक क्विक वाटरपू्रफ बेस है. इसे आप अपने पर्स में कैरी कर सकती हैं और कहीं भी टचअप दे सकती हैं. टू वे केक के साथ स्पंज मिलता है. इसे बेस की तरह इस्तेमाल करने के लिए स्पंज को गीला कर लें और पूरे चेहरे पर फैलाएं. टचअप देने के लिए आप सूखे स्पंज का इस्तेमाल कर सकती हैं. बस ध्यान रखें कि टू वे केक आप की स्किन से मैच करता ही हो.

मूज

मूज का इस्तेमाल औयली स्किन वालों के लिए काफी उपयुक्त रहता है. मूज चेहरे पर लगाते ही पाउडर फौर्म में तबदील हो जाता है, जिस कारण पसीना नहीं आता. यह अतिरिक्त औयल रिमूव कर के फेस को मैट फिनिश और लाइट लुक देता है. इसे हथेली में लें और स्पंज या ब्रश की मदद से चेहरे पर एकसार फैला लें.

बेस फौर नौर्मल स्किन

अगर आप की स्किन नौर्मल है, तो फाउंडेशन और कौंपैक्ट आप के लिए अच्छे औप्शन हैं.

फाउंडेशन

यह लिक्विड फौर्म में होता है. आजकल मार्केट में हर स्किन के हिसाब से ढेरों शेड्स में मिलते हैं. इसे लगाते ही स्किन एकसार दिखती है. फाउंडेशन अपनी स्किन से मैच करता या एक शेड फेयर लगाएं. इसे हथेली में लें और फिर इंडैक्स फिंगर से माथे, नाक, गालों और ठोढ़ी पर डौट्स लगाएं. स्पंज या ब्रश की सहायता से ब्लैंड कर लें. चाहें तो हाथ का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे सैट करने के लिए पाउडर की एक परत लगाना जरूरी है. इस से बेस ज्यादा समय तक टिका रहता है.

कौंपैक्ट

यह पाउडर और फाउंडेशन दोनों का मिक्स फौर्म होता है. अगर आप को कहीं जल्दी में जाना है और आप के पास समय नहीं है, तो आप सिर्फ कौंपैक्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे केवल पफ की मदद से ही लगाएं. आजकल हर स्किन से मैच करते कौंपैक्ट पाउडर बाजार में उपलब्ध हैं. अपनी स्किनटोन से मैच करता कौंपैक्ट लगाएं. कौंपैक्ट का इस्तेमाल टचअप देने के लिए भी कर सकती हैं.

न्यू फाउंडेशन इन मार्केट

स्टूडियो फिक्स, डर्मा फाउंडेशन, मूज व सूफले इन दिनों मार्केट में काफी इन हैं.

स्टूडियो फिक्स

यह पाउडर और फाउंडेशन का कंबाइंड सल्यूशन है, जो लगाते वक्त क्रीमी होता है और लगाने के बाद पाउडर फार्म में तबदील हो जाता है. यह स्किन पर लाइट होते हुए भी फुल कवरेज देता है और चेहरे पर लंबे समय तक टिका रहता है.

डर्मा फाउंडेशन

यह स्टिक फार्म में होता है. यह कंसीलर व बेस दोनों का काम करता है. यह चेहरे के सभी स्कार्स व अंडरआईज डार्क सर्कल्स को छिपा के चेहरे को फुल कवरेज देता है.   

Mother’s Day 2024: मां को दें कौनसा स्पेशल गिफ्ट

हर साल आप मदर्स डे पर सोचते होंगे कि अपनी मां को ऐसा क्या गिफ्ट दें जो उनके काम भी आए और उनके लिए लाइफ में एक यादगार मोमेंट बन कर रह जाए. हम जानते हैं कि आप अपनी मां को एक सुंदर गिफ्ट देना चाहते हैं, लेकिन एक अच्छा गिफ्ट ढूंढना आपके लिए भारी काम हो सकता है. इसीलिए, आपकी मदद करने के लिए, हम लेकर आए हैं कुछ गिफ्ट् टिप्स, जिसे आप अपनी मां को देकर अपने इमोशन को जाहिर कर सकते हैं…

1 साड़ी है बेस्ट औप्शन

अगर आपकी मम्मी को भी साड़ियों से प्यार है और आप उन्हें अच्छी और क्लासी साड़ी गिफ्ट देना चाहते हैं तो इन दिनों कई साड़िया ट्रैंड में है जैसे रफ्फल साड़ी, सिल्क साड़ी, प्लाजो साड़ी, धोती साड़ी, स्कर्ट साड़ी आदि. इनमें से कोई भी आप अपनी मां को दे सकती हैं.

2 मां को दे सकते है मेकअप का तोहफा

हर कोई चाहता है कि जिस तरफ हर लड़की या औरत अपनी स्किन का ख्याल रखती है. उसी तरह आपकी मां जो दिन भर आपके लिए काम करती है वह भी किसी खास ओकेशन पर आपके साथ सज कर या मेकअप करके जाए. तो इस बार अपनी मम्मी को गिफ्ट करें मेकअप किट.

3 हर लेडीज को होता है ज्वैलरी का क्रेज

शादी हो या फंक्शन, आपकी मम्मी ज्वैलरी पहने बिना नहीं निकलती. इसीलिए आप चाहें तो अपनी मां को ट्रैंडी ज्वैलरी गिफ्ट कर सकती हैं, जिसे वह शादी या फंक्शन में फ्लौंट कर सकती हैं.

4 मां को परफ्यूम देकर बनाएं नया ट्रैंड

कौन कहता है कि मां परफ्यूम नही लगातीं या परफ्यूम लगाना पसंद नही करती. इस मदर्स दे आप अपनी मां को परफ्यूम देकर एक नया ट्रैंड शुरू कर सकतें हैं.

5 हेयर और बौडी स्पा का वाउचर

आपकी मां हर दिन आपके दिए भागदौड़ करती हैं, चाहे वह खाना हो या आपके कपड़ों को संभालना. हर चीज में आप मां को याद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी अपनी मां को आराम करते देखा. नहीं न, तो इस बार आप अपनी मां को हेयर और बौडी स्पा का तोहफा दे सकते हैं. मदर्स डे पर काफी सारे औफर चलते हैं, जिसमें आप चाहे तो हेयर और बौडी स्पा का तोहफा देकर अपनी मां को खुश कर सकते हैं.

 

Mother’s Day 2024: मां को दें ये 5 ट्रैंडी गिफ्ट्स

Mother’s Day 2024: घर पर ही आटे और सूजी से बनाए रिबन पास्ता

पास्ता इटैलियन व्यंजन है जो आजकल भारत में भी काफी लोकप्रिय है. खासकर बच्चे और युवाओं को यह बहुत पसंद आता है. स्पेगेटी, मेकरोनी, लजानिया, रेवयोली, रिबन और वेरमिसेली आदि पास्ता के भारत में लोकप्रिय वेराइटीज हैं. आज हम आपको घर पर ही आटे और सूजी से रिबन पास्ता बना रहे हैं जो बाजार की अपेक्षा बहुत हैल्दी और हाइजीनिक है. आकार में रिबन जैसे लंबे होने के कारण इन्हें रिबन पास्ता कहा जाता है, तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं.

कितने लोंगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री(बेसिक पास्ता के लिए)

गेहूं का आटा                     1 कप

सूजी                                1 कप

पिघला मक्खन                 2 टीस्पून

नमक                              1/2 टीस्पून

गुनगुना पानी                     1/2 कप

सामग्री (व्हाइट सॉस पास्ता के लिए)

मक्खन                             1 टेबलस्पून

कुटा लहसुन                       1 टीस्पून

मैदा                                   2 टीस्पून

दूध                                     2 कप

नमक                               स्वादानुसार

काली मिर्च पाउडर              1/4 टीस्पून

ग्रेटेड चीज                          1 कप

तेल                                    1 टीस्पून

मिक्स हर्ब्स                          1/2 टीस्पून

विधि

मैदा और सूजी को एक बाउल में डालकर पिघला मक्खन और नमक मिलाएं, अब गुनगुने पानी की सहायता से इसे कड़ा गूंथ लें. 5 मिनट तक चॉपिंग बोर्ड पर मसलकर सिल्वर फॉयल में लपेटकर आधे घण्टे के लिए रख दें. आधे घण्टे बाद पुनः अच्छी तरह मसलकर दो भागों में बांट लें और चकले पर लम्बाई में पतला रोटी जैसा बेल लें. अब इससे तेज धार वाले चाकू से पतली पतली लम्बी स्ट्रिप जैसी काट लें.

अब एक पैन में डेढ़ लीटर पानी गर्म करें, इसमें 1 टीस्पून तेल डाल दें. जब पानी उबलने लगे तो तैयार कटे पास्ता डाल दें. जब पास्ता थोड़े नरम हो जाएं तो छलनी में छान लें. अब एक पैन में मक्खन पिघलाकर लहसुन को भूरा होने तक भूनें. मैदा को भी हल्का सा भूनें ताकि रंग न बदले. दूध,नमक और काली मिर्च  डालकर अच्छी तरह मिलाएं. किसा चीज डालकर पास्ता अच्छी तरह मिलाएं. धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाएं. ऊपर से मिक्स हर्ब या चिली फ्लैक्स डालकर सर्व करें.

Mother’s Day 2024: जमाना है सुपर मौम्स का

महिरमा एक ऐसी वर्किंग वूमन है जो हमेशा औनटाइम रहती है. अपने काम के अलावा वह न सिर्फ परिवार का बेहद संतुलित ढंग से खयाल रखती है, बल्कि बच्चों की बहुत अच्छे ढंग से परवरिश भी करती है. यह बात अब हैरानी पैदा नहीं करती. दरअसल, आज की सुपरफास्ट, मल्टी टैलेंटेड, सुपर ऐक्टिव मम्मियां ऐसी ही हैं. घर और औफिस दोनों ही मोरचों पर मुस्तैदी से जुटी ये महिलाएं अपने अच्छे परफौर्मैंस, परफैक्ट टाइम मैनेजमैंट और मल्टीटैलेंटेड कौशल से न केवल औफिस के मोरचे पर बल्कि घरपरिवार के अच्छे प्रबंधन से भी पीढि़यों पुरानी एक घरेलू और आम मां की छवि को तोड़ रही हैं.

काम में हिट और सेहत में फिट इन मम्मियों के औफिस से ले कर घरपरिवार तथा लेडीज कम्यूनिटीज और सोशल गैदरिंग तक में जलवे हैं. आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में दोहरी भूमिका निभाना कठिन काम है. आज के आधुनिक जमाने में जन्मे सुपर किड्स को संभालना, उन्हें क्वालिटी ऐजुकेशन देना और बेहतर परवरिश एक बड़ी चुनौती से कम नहीं. बावजूद इस के हजारों युवतियां अपने बुलंद इरादों और कभी न हार मानने वाले जज्बे से न केवल परिवार बल्कि समाज और सोशल कम्यूनिटी में बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं. वह वक्त गया जब बच्चों का टिफिन पैक कर या एकाध संगीत या नृत्य कक्षा में भेज कर मांएं छुट्टी कर लेती थीं. आज वक्त बदल चुका है. बदलते जमाने के साथ मांओं ने भी अपनी सुघड़, सुशील व विनम्र मां वाली छवि को छोड़ मौडर्न मौम का रूप धारण कर लिया है. वे न केवल बच्चों की क्वालिटी ऐजुकेशन पर ध्यान दे रही हैं, बल्कि उन की ऐक्स्ट्रा कैरिकुलम ऐक्टिविटीज से ले कर हौबी क्लासेज और स्किल डैवलपमैंट कोर्सेज तक में एक सक्रिय मार्गदर्शक और ट्यूटर की भूमिका निभा रही हैं. तभी तो काम के सभी मोरचों पर हिट ऐसी युवतियों को ‘अल्ट्राऐक्टिव’, ‘होममेकर’, ‘मल्टी टैलेंटेड’, ‘वर्किंग वूमन’ और ‘परफैक्ट हाउसवाइफ’ जैसे टाइटिल दिए जाने लगे हैं.

ये बदलाव तो पिछले 1 दशक में हुए हैं. इस दौरान संचार के साधनों ने अपनी सशक्त दस्तक दी है और लोगों के सामने एक आइडियल वूमन की तसवीर पेश की है. आज की सुपर मम्मियों को स्रोत व संसाधनों की जो सुगमता उपलब्ध है, उस ने उन के लिए संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं. सेहत, कैरियर और किड्स अपब्रिंगिंग तक में सुपरहिट इन आधुनिक मांओं ने सीमाओं से परे मां की एक अलग परिभाषा गढ़ी है.

मौडर्न लेडीज ऐरौबिक्स क्लासेज चलाने वाली ज्योति ने यह बताया कि आज गलाकाट प्रतियोगिता के युग में पहले पायदान पर खड़े होने की चाहत और किसी अन्य से पिछड़ जाने का डर ही महिलाओं को हार्डकोर वर्क यानी कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित और उत्साहित करता है. इस के अलावा उन के पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं. अनु ने घर के पास के स्टेडियम में अपने बेटे तुषार के साथ खड़ी सागरिका से जब यह पूछा कि सुबह से शाम तक घरऔफिस के व्यस्त शैड्यूल के बीच वह अपने बच्चे के ऐक्स्ट्रा क्लासेज के लिए समय कैसे निकाल पाती है? तब उस का जवाब था कि परफैक्ट टाइम मैनेजमैंट और ऐक्स्ट्रा ऐफर्ट के बूते ही वह सबकुछ आसानी और सुगमता से मैनेज कर पाती है. हां थोड़ीबहुत मुश्किल तो आती है पर सजगता और प्रबंधन कौशल सारी राह आसान बना देता है. सागरिका के जवाब से स्पष्ट है कि आज की मांएं अपने पेरैंटल रोल को कहीं अधिक बेहतर तरीके से समझ व निभा पा रही हैं. वे अपनी सूझबूझ, कौशल, तार्किक क्षमता और काम में दिलचस्पी व मेहनत से न केवल खुद का बल्कि होनहारों के भविष्य को भी सही दिशा दे रही हैं. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्य करने वाली 27 वर्षीय अमिता ने कहा कि आज मांओं की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं. वे हर कीमत पर अपने बच्चों को कामयाब व सफल देखना चाहती हैं. इस के लिए चाहे उन्हें ऐक्स्ट्रा ऐफर्ट व ऐक्स्ट्रा संसाधन ही क्यों न लगाना पड़े. हकीकत तो यही है कि ऐसी महिलाएं अब ऐक्टिव से ज्यादा सुपर ऐक्टिव हो गई हैं क्योंकि उन्हें अब एक नहीं 2-2 मोरचों पर झंडे गाड़ने हैं. समय का यही तकाजा है और फिर घर और बाहर इन दोनों मोरचों पर मुस्तैदी से डटे रहने के लिए जरूरी है खुद को अपडेट व प्रोऐक्टिव रखना, तभी आप बदलते वक्त के साथ कदमताल कर पाएंगी.        

Mother’s Day 2024: स्नैक्स में बनाए क्रिस्पी वेज लॉलीपॉप

वेज लॉलीपॉप एक इंडो चायनीज डिश है जिसे सब्जियों और सॉसेज के साथ बनाया जाता है. आमतौर पर बच्चे सब्जियां खाने में बहुत नानुकुर करते हैं. आजकल तो यूं भी बच्चे पौष्टिक चीजों के स्थान पर पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स और पास्ता खाने में ज्यादा रुचि रखते हैं. तो क्यों न कुछ ऐसा उपाय किया जाए कि बच्चों को पौष्टिकता भी भरपूर मिल जाये और वे खाएं भी बड़े स्वाद से. वेज लॉलीपॉप एक ऐसी ही डिश है जिसमें पोषण प्रदान करने वाली ढेरों सब्जियों का प्रयोग किया जाता है. इस रेसिपी की खासियत यह है कि इसमें आप अपनी मनपसंद किसी भी सब्जी का प्रयोग कर सकतीं हैं  तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते है-

कितने लोंगों के लिए               4

बनाने में लगने वाला समय        30 मिनट

मील टाइप                               वेज

सामग्री

मैश किये उबले आलू             2

बारीक कटा प्याज                 2

मटर के दाने                         2 टेबलस्पून

बारीक कटी शिमला मिर्च      1

किसी गाजर                         1

फ्रोज़न या ताजे कॉर्न           2 टेबल स्पून

कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर    1 टीस्पून

गर्म मसाला पाउडर              1/4टीस्पून

नमक                                   स्वादानुसार

अमचूर पाउडर                     1/2 टीस्पून

चाट मसाला                         1/2 टीस्पून

बारीक कटी धनिया.              1 टेबलस्पून

अदरक लहसुन पेस्ट               1/2 टीस्पून

ब्रेड क्रम्ब्स                           1/4 कप

मैदा                                  2 टेबलस्पून

कॉर्न फ्लोर                         1 टेबलस्पून

काली मिर्च पाउडर।             1/4 टीस्पून

पानी                                  1/2 कप

तलने के लिए तेल।             पर्याप्त मात्रा में

विधि

ब्रेड क्रम्ब्स, मैदा, तेल, पानी और कॉर्नफ्लोर को छोड़कर सभी सब्जियां और मसालों को एक बड़े बाउल में अच्छी तरह मिलाएं. अब इसमें कॉर्नफ्लोर, ब्रेड क्रम्ब्स, और पानी मिलाकर लॉलीपॉप का मिश्रण तैयार करें.  मैदा को 2 टेबलस्पून पानी में घोल लें. तैयार मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण हथेली पर रखकर चपटा करें. इसमें आइसक्रीम स्टिक लगाएं और मैदे के घोल में डिप करके गर्म तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें अथवा 180 डिग्री पर 12 से 15 मिनट तक माइक्रोवेव में बेक करें. तैयार लॉलीपॉप को टोमेटो सॉस या मेयोनीज के साथ सर्व करें.

 

 

Mothers’s Day 2024: पुनरागमन- क्या मां को समझ पाई वह

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