Winter Special: सर्दी-जुकाम में इन 4 टिप्स से जल्द मिलेगा आराम

सर्दी-जुकाम ऐसा संक्रामक रोग है जो जरा सी लापरवाही ही लोगों को अपने गिरफ्त में ले लेता है. यह इंसानों में सबसे ज्यादा होने वाला रोग है. सर्दी या फिर जुकाम कोई ऐसी गंभीर बीमारी नहीं है जिसकी वजह से परेशान हुआ जाए. साल भर में वयस्कों को दो से तीन बार और बच्चों को छः से बारह बार जुकाम की समस्या होना आम है.

सामान्य जुकाम के लिए कोई खास उपचार नहीं होता लेकिन इसके लक्षणों का इलाज किया जाता है. इसके आम लक्षणों में खांसी, नाक बहना, नाक में अवरोध, गले की खराश, मांसपेशियों में दर्द, सर में दर्द, थकान और भूख का कम लगना शामिल हैं. ये लक्षण 7 – 8 दिनों तक शरीर में दिखाई पड़ते हैं. ऐसे कई घरेलू उपचार हैं जो सर्दी-जुकाम से राहत दिलाने में आपकी मदद कर सकते हैं. तो चलिए आज  ऐसे ही कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में आपको बताते हैं.

1. अदरक और तुलसी का काढ़ा

अदरक के यूं तो स्वास्थ्य संबंधी अनेक फायदे होते हैं लेकिन सर्दी-जुकाम को दूर करने में इसका अहम रोल होता है. अदरक जुकाम के लिए सर्वोत्तम औषधि है. थोड़े से अदरक को एक कप पानी के साथ उबालें और इसमें तुलसी की 10-12 पत्तियां डाल दें. इस मिश्रण को तब तक उबाले, जब तक पानी आधा न रह जाए. अब इस काढ़े का सेवन करें. यह सर्दी को जड़ से ठीक करने में काफी फायदेमंद है.

2. शहद

शहद खांसी के बेहतरीन इलाज में से एक है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर होता है. गले की खराश और दर्द से राहत पाने के लिए नींबू की चाय मे शहद मिलाकर पीना चाहिए इसके अलावा दो चम्मच शहद में एक चम्मच नींबू का रस एक ग्लास गर्म पानी या गर्म दूध में मिलाकर पीने से काफी लाभ होता है, लेकिन एक साल से कम के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए.

3. भाप लें

गर्म पानी के बर्तन के ऊपर सिर रखकर नाक से सांस लें. आप चाहे तो इसमें जरूरत के हिसाब से मिंट मिला सकती हैं. अब सिर को किसी हल्के तौलिए से ढककर कटोरे से तकरीबन 30 सेंटीमीटर की दूरी से भाप लें. इससे बंद नाक से राहत मिलती है.

4. ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थो का सेवन

सर्दी और जुकाम की बीमारी में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन श्वांसनली को नम रखता है और आपको डिहाइड्रेट होने से भी बचाता है. ऐसे में गर्म पानी, हर्बल चाय, ताजा फलों के जूस और अदरक की चाय का सेवन सर्दी और खांसी दोनों से ही राहत दिलाते हैं.

Winter Special: सर्दियों में डैंड्रफ से हैं परेशान तो करें ये काम

बालों की समस्याएं खास सर्दी में कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती हैं. आइए जानें कैसे बालों से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाया जाए:

डैंड्रफ

डैंड्रफ यानी रूसी, बालों की एक ऐसी समस्या है जो सबसे आम है. दरअसल यह एक प्रकार की त्वचा से संबंधित बीमारी है. जो इंफेक्शन, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और हेल्दी खान-पान के अभाव से होती है.

ठंड के मौसम में डैंड्रफ की समस्या और बढ़ जाती है. अगर बालों में लगातार डैंड्रफ रहे, तो उसका असर बालों की खूबसूरती और सेहत पर भी पड़ता है.

डैंड्रफ से बचने के उपाय

डॉक्टर के बिना सलाह के कोई साबुन, शैंपू, तेल और दवा न लें.

हल्के हाथों से मालिश व शैंपू करें.

बाल छोटे रखें.

बालों में सफाई का ध्यान रखें.

बालों में कलर व रंगीन मेहंदी आदि लगाने से बचें.

किसी दूसरे का हेलमेट और टोपी इस्तेमाल न करें.

झड़ते बाल

गिरते बालों की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि हेयर लॉस प्रोडक्ट का मार्केट सबसे तेजी से बढ़ रहा है. गंदे बाल, तनाव, बदलता मौसम, ऑपरेशन, इंफेक्शन और लंबे समय तक बीमार होने पर भी बाल गिरने लगते हैं. प्रेग्नेंसी या फिर बच्चे के जन्म के बाद भी कुछ महिलाओं में कमजोरी आ जाती है और कमजोरी के कारण भी बाल गिरने लगते हैं.

उपाय

बाल का साफ रहना बहुत जरूरी है. अपने बालों की केयर करते रहनी चाहिए और बालों को सप्ताह में दो-तीन बार जरूर धोना चाहिए.

बालों के लिए कोई भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले अपने बालों के प्रकार को जानें और उससे मेल खाता प्रोडक्ट खरीदें.

जो शैंपू झाग देता है, उसमें डिटर्जेंट जरूर होता है. हर्बल शैंपू भी इसका अपवाद नहीं है. महज शिकाकाई या रीठा की कुछ बूंदें डालने से चीजें नहीं बदलतीं. डिटर्जेंट्स से बचना है तो रीठा, शिकाकाई और मेहंदी का मिक्सचर घर में बनाकर लगाएं.

बालों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने के लिए आपको सप्ताह में कम से कम दो बार बालों की जड़ों में आंवला, बादाम, ऑलिव ऑयल, नारियल का तेल, सरसों का तेल इत्यादि में से कोई एक लगाना चाहिए.

बालों को धूप से बचाएं. जब भी बाहर धूप में निकलें, साथ में छाता लेकर जाएं या फिर अपने बालों को कपड़े से पूरी तरह ढक लें.

प्रोटीन युक्त सीरम मार्केट में मिलते हैं. यह एक तरह से बालों के प्रोटीन खुराक की जरूरत को पूरी करता है.

बालों को दिन में कम से कम 2-3 बार कंघी करें, इससे आपके बाल कम से कम उलझेंगे और कम टूटेंगे.

शैम्पू के बाद कंडीशनर सिर की सतह यानी त्वचा में न लगाएं. इससे बालों को नुकसान पहुंचता है.

अपनी डाइट में प्रोटीन, आयरन, जिंक, सल्फर, विटामिन सी के अलावा विटामिन बी युक्त चीजों को भरपूर मात्रा में शामिल करें.

रूखे और बेजान बाल

बाल रूखे और बेजान हों, तो आकर्षक नहीं लगते. बेजान बालों में थोड़ी चमक और नजाकत भरें. हालांकि हेयर एक्सपर्ट्स को यह कहते कई बार सुना गया है कि बालों की क्वॉलिटी के लिए जीन और आनुवंशिक कारण जिम्मेदार होते हैं.

लेकिन धूप, धूल और प्रदूषण की वजह से भी बाल रूखे, बेजान और बीमार हो जाते हैं. कई बार बालों पर एक्सपेरिमेंट और ज्यादा केमिकल वाला शैम्पू लगाने से भी बाल खराब हो जाते हैं.

कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप अपने रूखे और बेजान बालों में फिर से जान भर सकती हैं.

उपाय

भीगे बालों से कभी कंघी ना करें. इससे बाल और भी रूखे हो जाएंगे, साथ ही टूटेंगे भी ज्यादा. बालों के सूखने तक इंतजार करें.

शैम्पू करने से पहले तेल लगाकर अपनी उंगलियों से कंघी करें. यकीन मानिये इससे आपके बाल लहराएंगे.

अपने खाने में दही भरपूर मात्रा में शामिल करें.

शैम्पू के बाद नियमित रूप से कंडीशनर लगाएं.

सप्ताह में एक बार बालों में अंडा लगाएं.

सप्ताह में कम से कम दो बार बालों की तेल से मालिश जरूर करें.

Winter Special: थोड़ी सी लापरवाही दे सकती है बीमारियों को न्यौता

बरसात जाने और फिर ठंड के आने के बीच मौसम में जिस तरह का बदलाव होता है, वह कई तरह की बीमारियों को न्यौता देने का सबसे बड़ा कारण होता है. इस बदलते मौसम में स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही हमें बीमार करने के लिए काफी है. इस मौसम में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है. ऐसे में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारियां आपके घर दस्तक देने को तैयार रहती हैं. इनसे बचाव के लिए आपको काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता होता है. आज हम ऐसी ही कुछ बीमारियों तथा उनसे बचाव के बारे में आपको बताने जा रहे हैं-

डायरिया

शरीर में पानी की कमी से डायरिया रोग होता है. इसमें दस्त, पेशाब न आना, पेट में ऐंठन या तेजदर्द, बुखार और उल्टी आना जैसे लक्षण प्रदर्शित होते हैं. इससे सर्वाधिक खतरा बच्चों को होता है. समय पर इलाज न करने पर यह बीमारी आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है. इससे राहत मिलने पर भी एक हफ्ते तक उपचार करते रहना बेहद जरूरी है.

इससे बचने के लिए जरूरी है कि शरीर में पानी की कमी न होने दें. इलेक्ट्राल व ओआरएस घोल डायरिया का सबसे सस्ता व कारगर उपचार है. इसके अलावा फलों का रस नियमित रूप से लेते रहे. यह घरेलू उपचार करने के बाद भी यदि समस्या बढ़ती दिखे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

वायरल फीवर

यह वायरस के इंफेक्शन से होता है इसलिए इसे इन्फ्लूएंजा वायरस भी कहते हैं. जब शरीर में 100 डिग्री से ज्यादा बुखार और सर्दी-जुकाम, गले में दर्द के साथ बदन दर्द के लक्षण महसूस हों तो यह वायरल फीवर का संकेत होता है.

बचाव के लिए हमेशा भोजन करने से पहले व बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं. घर में और आसपास साफ-सफाई रखें. बीमार व्यक्ति से ज्यादा संपर्क न बनाएं क्योंकि यह वायरस से फैलने वाला रोग है. इसके अलावा छींकते समय मुंह पर रुमाल जरूर रखें.

डेंगू

एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू रोग होता है. डेंगू होने पर ठंड के साथ तेज बुखार महसूस होता है. इसके अलावा सिर, हाथ, पैर व बदन में तेज दर्द, उल्टी, जोड़ों में दर्द, दस्त व प्लेटलेट्स का अनियंत्रित रूप से घटना आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं.

डेगू से बचाव के लिए मच्छरदानी में सोएं. अपने घर के आसपास पानी जमा न होनें दें. खाली गमले, कूलर आदि को साफ रखें. जहां भी पानी जमा है वहां किरोसिन डाल दें या फिर कीटनाशक छिड़काव करें.

Winter Special: होंठों को दें नाजुक सी देखभाल 

चेहरे के सौंदर्य में खूबसूरत होंठों की बड़ी भूमिका होती है, मगर इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं जहां शरीर के हर अंग की त्वचा को रूखा बना देती हैं, वहीं होंठों की नमी भी छीन लेती हैं. ऐसे में होंठों की त्वचा में दरारें पड़ने लगती हैं और कभी कभी खून भी निकलने लगता है, जिस से होंठों की कोमलता मुरझाने लगती है. यदि होंठों की सही देखभाल की जाए तो सर्दियों में भी इन्हें फटने से बचाया जा सकता है.

वैसे बाजार में बहुत से ब्रैंडेड लिप बाम प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, मगर विशेषज्ञों की मानें तो होंठों की मुलायम त्वचा के लिए स्ट्राबैरी ऐक्सट्रैक्ट बहुत ही लाभदायक है. अब तो बाजार में भी स्ट्राबैरी ऐक्सट्रैक्ट से बने प्रोडक्ट्स की बड़ी रेंज उपलब्ध है. इन्हें इस्तेमाल किया जाए तो होंठों को फटने से बचाया जा सकता है और साथ साथ इन की रंगत को भी बरकरार रखा जा सकता है. होंठों पर स्ट्राबैरी ऐक्सट्रैक्ट से बने प्रोडक्ट्स के फायदे यहीं खत्म नहीं होते, इन की एक लंबी लिस्ट है.

आइए इन में से कुछ फायदे हम आप से साझा करते हैं

– स्ट्राबैरी में विटामिन सी,  ऐंटीऔक्सीडैंट्स और ऐक्सफौलिएंट्स मौजूद होते हैं, जो होंठों की त्वचा के लिए काफी लाभदायक होते हैं. जहां सैलिसिलिक ऐसिड होंठों की डैड स्किन को हटा कर त्वचा में कसाव लाता है वहीं ऐंटीऔक्सीडैंट्स त्वचा में ताजगी बनाए रखते हैं. स्ट्राबैरी ऐक्सट्रैक्ट त्वचा को ऐक्सफौलिएट करने की भी क्षमता रखता है, जिस से त्वचा कोमल और चमकदार हो जाती है.

– महिलाएं यदि वर्किंग हैं और धूप में उन्हें निकलना पड़ता है, तो उन के होंठ फटने का एक कारण सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी होती हैं. मगर स्ट्राबैरी में मौजूद एलगिक ऐसिड होंठों पर सुरक्षा कवच का काम करता है और होंठों को सन डैमेज से बचाता है.

– स्ट्राबैरी में मौजूद विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होंठों की त्वचा में मौजूद फ्री रैडिकल्स को ब्लौक कर देती हैं और उन्हें ऐजिंग से बचाती हैं.

– स्ट्राबैरी में कई तरह के मिनरल्स और विटामिन होते हैं, जो होंठों के कालेपन को रोकते हैं और उन के गुलाबी रंग को बरकरार रखते हैं.

Winter Special: सर्दियां आते ही ड्राय स्किन और फटे होठ की प्रौब्लम को करें दूर

सर्दियां आते ही ज्यादातर लोगों की त्वचा रूखी होने लग जाती है. त्वचा की नमी कहीं खो सी जाती है और त्वचा रूखी-बेजान नजर आने लगती है. त्वचा के साथ ही हमारे होंठ भी फटने शुरू हो जाते हैं. कई बार ये समस्या इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि होंठों से खून भी आना शुरू हो जाता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम अपनी त्वचा को लेकर फिक्रमंद रहें ताकि वो हमेशा खूबसूरत और जवां बनी रहे.

कैसे करें ग्ल‍िसरीन का इस्तेमाल

आप चाहें तो ग्ल‍िसरीन को बाम की तरह लगा सकते हैं. इसके अलावा इसे दूध, शहद या गुलाब जल के साथ मिलाकर भी लगाया जाता है.

ग्ल‍िसरीन लगाने के फायदे

1. सर्दियों में शुष्‍क हवाओं के कारण होठ सूख जाते हैं और फटने लग जाते हैं. होठों पर ग्ल‍िसरीन के इस्तेमाल से होंठ मुलायम बनते हैं जिससे फटने की समस्या भी नहीं होने पाती है.

2. अगर आपके होंठों पर दाग-धब्बे हैं और ये काले पड़ चुके हैं तो भी ग्ल‍िसरीन का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है. कई बार धूम्रपान करने के कारण लोगों के होंठ काले पड़ जाते हैं. ऐसी स्थिति में भी ग्ल‍िसरीन का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है.

3. सर्दियों में हवाओं के प्रभाव से होंठो की ऊपरी परत सूख जाती है और पपड़ी बन जाती है. ऐसे में ग्लसिरीन का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है.

4. अगर आपके होंठ कहीं से कट गए हों या फिर अगर उनमें किसी तरह का घाव बन गया हो तो भी ग्ल‍िसरीन का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है.

5. होंठों के लिए ग्ल‍िसरीन एक पोषक तत्व की तरह काम करता है, जिससे होंठों को नमी मिलती है.

एक ओर जहां चीनी खाने-पीने की चीजों में मिठास लाने के लिए इस्तेमाल की जाती है, वहीं यह एक बेहतरीन ब्यूटी प्रॉडक्ट भी है. यह एक अच्छा और नेचुरल स्क्रब है. यह डेड स्किन को साफ करने, रक्त प्रवाह बढ़ाने, त्वचा के निर्माण में और पोर्स को खोलने में सहायक है.

ठंड में वैसे भी हमारी त्वचा पर डेड स्किन की लेयर बन जाती है, जिससे चेहरा बुझा-बुझा नजर आने लगता है. चीनी का इस्तेमाल हम शरीर के हर हिस्से के लिए कर सकते हैं लेकिन चेहरे और होंठ के लिए इसका इस्तेमाल करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा.

चेहरे के लिए कैसे तैयार करें यह स्क्रब?

– एक केला ले लीजिए और उसे अच्छी तरह मैश कर लें. इस पेस्ट में आधा कप ब्राउन शुगर मिला लें. साथ ही दो से तीन बूंद बादाम का तेल.

– इन तीनों को अच्छी तरह मिला लें. तब तक मिलाएं, जब तक ये तीनों चीजें एकसार न हो जाएं.

– इसके बाद चेहरे को धो लें और फिर स्क्रब लगाएं. गोलाई में पांच मिनट तक चेहरे की मसाज करें. बीच-बीच में हल्के गुनगुने पानी का छींटा मारते रहें.

– पांच मिनट बाद चेहरा धो लें और कोई अच्छा मॉइस्चराइजर लगा लें.

लिप्स के लिए कैसे तैयार करें यह स्क्रब?

– एक चम्मच ऑलिव ऑयल ले लें और इसमें आधा चम्मच चीनी मिलाएं.

– इन दोनों को तब तक मिलाएं जब तक ये आपस में घुल न जाएं.

– एक सॉफ्ट टूथब्रश में यह मिश्रण लगाकर होंठो पर हल्के हाथों से मलें.

– दो मिनट तक ऐसे ही मसाज करें और उसके बाद होठों को पानी से धो लें.

– पेट्रोलियम जेली लगा लें.

मसकारा की प्रौब्लम के लिए सुझाव दें?

सवाल-

मैं जब भी मसकारा लगाती हूं मेरी आंखों से पानी आने लगता है. मु झे क्या करना चाहिए?

जवाब-

मु झे लगता है कि इस के 2 कारण हो सकते हैं. एक तो हो सकता है जो मसकारा आप इस्तेमाल कर रही हों उस के अंदर कोई ऐसा कैमिकल हो जो आप को सूट नहीं कर रहा और दूसरा कारण हो सकता है कि आप को मसकारा लगाना सही से नहीं आता.

मसकारा का ब्रश आप को चुभने लगता है, इसलिए आप की आंखों से पानी आने लगता है. जब मसकारा लगाने लगें तो ऊपर देखें और ब्रश को आंखों के एकदम पास न लाएं. नीचे वाली पलकों पर मसकारा लगाते वक्त सामने की तरफ देखें और ब्रश को आंखों के साथ न लगने दें. वैसे आजकल मसकारा का एक बहुत अच्छा अल्टरनेटिव आ गया है आईलैश ऐक्सटैंशन.

आप एक बार आईलैश ऐक्सटैंशन करा लें तो वह 20 दिन तक बना रहता है. इस में 1-1 लेश को आप की लैशेज के साथ जोड़ा जाता है न कि स्किन पर. इसलिए इस से कोई परेशानी नहीं होती. फिर 20 दिन के बाद 1-1 कर के लैशेज गिरने लगती हैं. यह आप की लैशेज नहीं होतीं बल्कि लगाई हुई लैशेज होती हैं क्योंकि लगाते वक्त जो ग्लू इस्तेमाल होता है वह धीरेधीरे कर के ढीला पड़ने लगता है. इसलिए जब भी आईलैश ऐक्सटैंशन लगवाएं तो पैकेज ले लें ताकि इस दौरान जो लैशेज गिरें उन्हें बीचबीच में फिल करवाती रहें.

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आईलाइनर और आईशैडो ही नहीं, मार्केट में यलो से ले कर ब्लू, पिंक से ले कर ग्रीन शेड के मसकारों के कलैक्शन में कोई कमी नहीं है. ऐसे में अगर आप भी नियमित ब्लैक और ट्रांसपैरेंट शेड का मसकारा लगा कर ऊब चुकी हैं, तो एक बार कलरफुल मसकारा जरूर ट्राई करें. मसकारा के कलरफुल शेड्स आंखों को बिग और ब्राइट लुक देते हैं. ब्लैक मसकारे के मुकाबले ये काफी आकर्षक भी नजर आते हैं, बशर्ते इन का चुनाव करते वक्त अपनी स्किनटोन के साथसाथ आंखों के रंग का भी खास खयाल रखा जाए.

टौप 5 कलरफुल मसकारा

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Top 10 Winter Health Tips in Hindi: सर्दियों के लिए टॉप 10 बेस्ट हेल्थ टिप्स हिंदी में

Health Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Winter Health Tips in Hindi 2021. सर्दियों में हेल्थ से जुड़ी कई प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए डौक्टर के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं Winter Health Tips, जिससे आपकी हेल्थ और फिटनेस बनी रहेगी. तो आइए आपको बताते हैं घर बैठे अपना प्रौफेशनल और होममेड टिप्स से हेल्थ का ख्याल कैसे करें. अगर आपको भी है Winter में अपनी हेल्थ बनाए रखनी है तो पढ़ें गृहशोभा की ये Winter Health Tips in Hindi.

1. Winter Special: सर्दियों में फ्लू से जुड़ी ये बातें जानती हैं आप?

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जैसे ही हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वैसे ही हम पर वायरस का हमला हो जाता है, जिससे हमें सर्दी, जुकाम, खांसी और कभी-कभी बुखार की समस्‍या हो जाती है, जो कई दिनों तक आपको परेशान करती हैं.

फ्लू

सुबह की सर्द हवाएं, वातावरण में नमी और चारों तरफ छाई धुंध ये बताती है कि सर्दी ने दस्‍तक दे दी है. ये तो आप सभी जानते होंगे कि सर्दी आते ही हमारे रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता है. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी सेहत का किस तरह से ख्‍याल रख रहे हैं.

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2. Winter Special: सर्दियों में पानी पीना न करें कम

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हमारा शरीर जिन तत्वों से बना है, उसमें जल मुख्य घटक है. अगर शरीर में जल की मात्रा कम हो जाए, तो जीवन खतरे में पड़ जाता है. इससे यह बात बिल्‍कुल साफ है कि पानी पीना हमारे लिए कितना जरूरी है. गर्मियों में प्यास अधिक लगती है तो लोग पानी भी खूब पीते हैं मगर सर्दियों में यह मात्रा कम हो जाती है. इसकी एक वजह यह है कि हमें इन दिनों प्यास नहीं लगती, जिसके कारण लोग पर्याप्‍त पानी नही पीते हैं. इस वजह से कई गंभीर समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है.

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3. सर्दियों में ऐसे करें अपने दिल की देखभाल

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जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ने लगता है. ठंड का मौसम हृदय संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. यहाँ जानिए इससे संबंधित आवश्यक बातें.

ठंड का मौसम और हृदय स्वास्थ्य

ठंड का मौसम आपके हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है. यह आपके हृदय को अधिक काम करने के लिए मजबूर कर सकता है; नतीजतन आपका दिल अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त की मांग करता है. दिल में ऑक्सीजन की कम सप्लाई होना फिर दिल द्वारा ऑक्सीजन की अधिक मांग हार्ट अटैक का कारण बनता है. ठंड रक्त के थक्कों को विकसित करने के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जिससे फिर से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

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4. सर्दियों में होने वाली परेशानियों का ये है आसान इलाज

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सर्दी के मौसम में खांसी, जुकाम, गले की खराश, जैसी समस्याएं आम हैं. खराश की समस्या को जल्दी ठीक करना जरूरी है, नहीं तो ये खांसी का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि सर्दी, खांसी, खराश जैसी समस्याओं का दवाइयों के बिना, घरेलू नुस्खों की मदद से कैसे इलाज कर सकते हैं.

इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. गले के इंफेक्शन और दर्द में अदरक काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप एक कप में गर्म पानी उबाल लें. उसमें शहद डाल कर मिलाएं और दिन में दो बार पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर समझ आएगा.

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5.सर्दियों में सताता है जोड़ों का दर्द ऐसे पाएं राहत

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उत्तर भारत में ठंड की दस्तक हो चुकी है. ठंड का मौसम वैसे तो अधिकतर लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है लेकिन दूसरी ओर कइयों की परेशानी का कारण भी बनता है. क्या ठंड का नाम सुन कर आप को भी जकड़े हुए जोड़ याद आते हैं? क्या ठंड आप को बीमारियों की याद दिलाता है?

ऐसा नहीं है कि ये समस्या केवल एक निर्धारित उम्र के लोगों को ही परेशान करती है. वास्तव में गतिहीन जीवनशैली के कारण ये समस्या अब हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, गर्दन दर्द, तंत्रिका दर्द, फाइब्रोमायल्जिया आदि समस्याएं इस मौसम में बहुत ज्यादा परेशान करती हैं.

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6. सर्दियों में बड़े काम का है गाजर

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सर्दियों में गाजर सेहतमंद सब्जियों के श्रेणी में आता है , गाजर कंद प्रजाति की एक सब्जी है. गाजर विटामिन बी का अच्छा सोर्स है. इसके अलावा, इसमें ए, सी, डी, के, बी-1 और बी-6 काफी क्वॉन्टिटी में पाया जाता है. इसमें नैचरल शुगर पाया जाता है, जो सर्दी के मौसम में शरीर को ठंड से बचाता है. इस मौसम में होने वाले नाक, कान, गले के इन्फेक्शन और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गाजर या इससे बनी चीजों का सेवन फायदेमंद साबित होता है. यह सब्जी सलाद, अचार आदि बनाकर उपयोग की जाती है. आप इसे सलाद के तौर पर खाएं या गाजर का हलवा बनाकर, दोनों ही फायदेमंद है. आयुर्वेद के अनुसार गाजर स्वाद में मधुर, गुणों में तीक्ष्ण, कफ और रक्तपित्त को नष्ट करने वाली है. इसमें पीले रंग का कैरोटीन नामक तत्व विटामिन ए बनाता है.

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7. सर्दियों में फायदेमंद है ताजा मेथी का सेवन

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सदियों में ताजा मेथी बाजार में आराम से मिलती है. मेथी की सुगंध और स्वाद भारतीय भोजन का विशेष अंग है. मेथी के पत्तों को कच्चा खाने की परंपरा नहीं है. आलू के साथ महीन महीन काट कर सूखी सब्ज़ी या मेथी के पराठे आम तौर पर हर घर में खाए जाते हैं. लेकिन गाढ़े सागों के मिश्रण में इसका प्रयोग लाजवाब सुगंध देता है, उदाहरण के लिए सरसों के साग, मक्का मलाई या पालक पनीर के पालक में.

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8. जानें क्या है सर्दियों में धनिया के ये 14 फायदे

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सर्दियों में धनिया हर किसी का पसंदीदा हो जाता है, सर्दियों में बाजार में धनिया की ताजी पत्तियां मिलती हैं, जिसका उपयोग हर तरह की सूखी और रसेदार सब्ज़ी में परोसते समय मिलाने और सजावट करने के लिए किया जाता है , साथ ही  धनिये की चटनी पूरे भारत में प्रसिद्ध है. आलू की चाट और दूसरी चटपटी चीज़ों में इसको टमाटर या नीबू के साथ मिलाया जा सकता है. सूप और दाल में बहुत महीन काट कर मिलाने पर रंगत और स्वाद की ताज़गी़ अनुभव की जा सकती है. हर तरह के कोफ्ते और कवाब में भी यह खूब जमता है. इसकी पत्तियों को पका कर या सुखा कर नहीं खाया जाता क्यों कि ऐसा करने पर वे अपना स्वाद और सुगंध खो देती हैं.

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9. सर्दियों में हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है तेजपत्ता

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तेजपत्ता हल्का, तीखा व मीठा होता है. इसकी प्रकृति गर्म होती है. सर्दियों के समय यह मशाला आप के व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के साथ ही आपको सर्दी जुखाम से बचाता है. सर्दियों के समय तेजपात हम सभी के लिए उपयोगी होता है, सर्दियों में थोड़ी से लापरवाही हुई नही कि आप सर्दी जुखाम के शिकार हो गये. तेजपात  कफ रोगों के लिए उपयोगी मसाला है.  इसे पिप्पली चूर्ण की एक ग्राम मात्रा में शहद के साथ लेने पर खाँसी-जुकाम में फायदा होता है.  आप सर्दियों में चाय के साथ इसे उबाल कर सेवन कर सकते है.

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10. 6 टिप्स: ऐसे रहें सर्दियों में हेल्दी

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इस मौसम में व्‍यायाम पर थोड़ा ध्‍यान देकर आप स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामूली समस्‍याओं से भी बच सकते हैं. लेकिन अगर आपको हृदय संबंधी समस्‍या है, तो आपको अतिरिक्‍त सुरक्षा की आवश्‍यकता होती है. ऐसे में अगर आप अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य चाहते हैं, तो यह मौसम सबसे अच्‍छा है. सर्दियों में स्‍वस्‍थ रहने के टिप्‍स –

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Winter Special: इस सर्दी नहीं होगा आपके जोड़ों में दर्द

शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बात की आपको जानकारी होनी चाहिए. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान उपाय आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.

व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.

वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.

यदि व्यायाम को अच्छे से किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.

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मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.

बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.

स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.

अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं.

वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.

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विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.

जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

Winter Special: सर्दियों में कैसे करें स्किन की केयर

सर्दी का मौसम आते ही त्वचा संबंधी समस्याएं विकराल रूप ले लेती हैं. सर्दियों में नमी की कमी के कारण त्वचा में रूखापन बढ़ने लगता है, जिस के कारण त्वचा बेजान व रूखी नजर आती है. त्वचा में खिंचाव होने के कारण इचिंग होने लगती है और जब रूखापन अधिक होने लगता है तो त्वचा में स्क्रैच पड़ने लगते हैं. इस वक्त शरीर व त्वचा को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ती है. आइए जानते हैं कैसे करें सर्दियों में अपनी देखभाल…

• सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणों से झांइयां, टैनिंग जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. इसलिए जब भी धूप का आनंद लेना हो, तो एस.पी.एफ. 15 से 30 तक कोई भी लोशन बौडी पर लगा लें और सीधी पड़ने वाली सूर्य की किरणों से बचें. सर्दियों में सी.टी.एम. यानी क्लींजिंग, टोनिंग एवं मौइश्चराइजिंग को अपने दैनिक क्रियाकलाप में अवश्य शामिल करें. क्लींजिंग जहां डस्ट, पसीने और गंदगी को रिमूव करता है, वहीं टोनर आप की स्किन के पी.एच. को बैलैंस करता है. मौइश्चराइजर त्वचा के रूखेपन को खत्म करने में सहायक होता है.

• फिगारो या बादाम का तेल बौडी मसाज में इस्तेमाल करें. इस में लैवेंडर आयल, रोज आयल एवं वीटजर्म आयल की 4-4 बूंदें मिला कर रखें. नहाने के बाद पूरी बौडी में विंटर केयर या बौडी लोशन इस्तेमाल करें. कोल्ड क्रीम या आयल बेस्ड क्रीम का उपयोग चेहरे के लिए करें. अगर आप विटामिन ई युक्त क्रीम का उपयोग करती हैं, तो यह त्वचा को पोषण देने का कार्य करेगी. सर्दी में हाथों एवं पैरों की नियमित देखभाल करें.

• पैरों के लिए किसी अच्छी कंपनी की फुट क्रीम यूज करें. माह में 1 बार पार्लर जा कर पैडिक्योर अवश्य कराएं ताकि नेल्स की डैड स्किन रिमूव हो सके और फटी एडि़यों का भी ट्रीटमैंट किया जा सके. पैराफिन वैक्स से आप घर में ही अपनी फटी एडि़यों का इलाज स्वयं कर सकती हैं. गरम पैराफिन वैक्स फटी एडि़यों में भर कर क्ंिलग फिल्म से रैप कर 10-15 मिनट रखने से एडि़यां सौफ्ट हो जाती हैं. ग्लिसरीन में नीबू एवं रोज वाटर मिला कर शीशी में भर के रख लें. हफ्ते में 2 बार इसे चेहरे पर लगाएं. होंठों को फटने से बचाने के लिए लिपबाम का इस्तेमाल करें. गुलाब की पंखुडि़यों को भी पीस कर इन में मिला सकती हैं. यह होंठों को कालेपन से बचाता है.

• सर्दियों में मेहंदी का उपयोग कम करें, क्योंकि मेहंदी लगाने से बाल ड्राई होते हैं. अगर बहुत जरूरी हो तो मेहंदी में दही मिला कर लगाएं. बालों में कंडीशनर या हेयर स्पा जरूर लगाएं.

• सर्दियों में मेकअप करते वक्त खयाल रखें कि स्किन को फेसवाश कर मौइश्चराइजर लगा कर 15 मिनट तक छोड़ दें. फिर क्रीम बेस्ड फाउंडेशन यूज करें. लिक्विड आईलाइनर यूज न कर के केक आईलाइनर यूज करें. पेनकेक को वाटर के साथ मिक्स कर लगाने से मेकअप में क्रैक्स नहीं पड़ते.

• सर्दी के मौसम में त्वचा रूखी न हो, इस के लिए जैतून का तेल या बौडी लोशन और वाटर बेस्ड क्रीम इस्तेमाल करें. मौइश्चर कम होने से स्किन में पैच हो जाते हैं. जगहजगह सफेद रंग की स्किन निकलने लगती है. आयल ड्राई होने पर पिंपल्स और एक्नों वाली स्किन हो जाती है. अत: स्किन का ग्लो बना रहे, इस के लिए प्रतिदिन ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और फेस पर हाइड्रोमाइश, हाइडे्रटिंग एम्पयूल या मौइश्चराइजर इस्तेमाल करें. माह में 1 बार फेशियल अवश्य कराएं.

• सनबर्न और टैनिंग होने पर ऐंटीटैनिंग पैक लगाएं. सर्दियों में केले और पपीते का पैक लगाएं. मिल्क और हनी का पैक त्वचा में फेयरनैस तो देगा ही, त्वचा में कसाव भी लाएगा. चंदन का तेल ऐंटीसैप्टिक का काम करता है. इसलिए बौडी में इचिंग, स्क्रैचेस पड़ने पर जैतून के तेल में चंदन का तेल मिला कर उस जगह पर लगाने से फायदा होगा. पिंपल्स व एक्ने होने से रोकने के लिए कुकुंबर जैल में ट्रीट्री आयल की 2 बूंदें डाल कर रात में सोने के पहले पिंपल्स वाली जगह पर लगाएं. पपीता एंजाइम लोशन से डेली हलके हाथों से 5 मिनट तक मसाज करें. अरोमा का क्लौव पैक लगाएं.

• सर्दियां आते ही जहां चटपटे, मसालेदार खाने में रुचि उत्पन्न होती है, वहीं तीजत्योहारों से भरे मौसम में तलाभुना, मिठास से भरपूर स्वादिष्ठ व्यंजन भी हमारे आहार में शामिल होता है. यह खानपान न केवल हमारी पाचन प्रणाली को, हैल्थ को भी नुकसान पहुंचाता है. हमारी त्वचा में भी कई समस्याएं पैदा करता है. जहां सर्दियों में त्वचा में नमी की कमी के कारण रूखापन, क्रैक्स, इचिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वहीं गलत खानपान से पिंपल्स, ब्लैकहैड्स आदि समस्याओं से भी रूबरू होना पड़ता है.

• सर्दियों में आप तलाभुना स्वादिष्ठ भोजन संयमित मात्रा में लें, परंतु इस के साथ वाक, एक्सरसाइज एवं वर्कआउट अवश्य करें. सुबह की ताजा हवा आप को नमी व शुद्ध आक्सीजन भी देती है. इस मौसम में मौसंबी, अनार एवं पपीते का शेक अवश्य लें. पपीता पाचन में तो सहायक होगा ही, आप को पिंपल्स और एक्ने होने से भी बचाएगा. अंकुरित चने, मूंग, मटर, लोबिया को नीबू, नमक के साथ सलाद के रूप में अवश्य लें. रोजाना जूस, सूप या कोई भी लिक्विड अवश्य लें. बासी व ठंडे खाने से बचें.

सर्दियों में ऐसे करें अपने दिल की देखभाल

लेखक डॉ. ज़ाकिया खान, सीनियर कंसलटेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण 

जैसे-जैसे तापमान गिरने लगता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ने लगता है. ठंड का मौसम हृदय संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है. यहाँ जानिए इससे संबंधित आवश्यक बातें.

ठंड का मौसम और हृदय स्वास्थ्य

ठंड का मौसम आपके हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है. यह आपके हृदय को अधिक काम करने के लिए मजबूर कर सकता है; नतीजतन आपका दिल अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त की मांग करता है. दिल में ऑक्सीजन की कम सप्लाई होना फिर दिल द्वारा ऑक्सीजन की अधिक मांग हार्ट अटैक का कारण बनता है. ठंड रक्त के थक्कों को विकसित करने के जोखिम को भी बढ़ा सकती है, जिससे फिर से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

ठंड का मौसम थकान पैदा करता है और हार्ट फेलियर का कारण बनता है. ठंड का मौसम आपके शरीर को गर्म रखने के लिए आपके दिल को अधिक मेहनत कराता है. आपकी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं ताकि हृदय आपके मस्तिष्क और अन्य प्रमुख अंगों में रक्त पंप करने पर ध्यान केंद्रित कर सके. यदि आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से नीचे चला जाता है तो हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा सामान्य से अधिक तेजी से चलना तब आम है जब आपके चेहरे पर हवा लग रही हो. ठंड में बाहर रहना हमें अधिक काम करने के लिए उत्तेजित करता है.

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फ्लू का प्रभाव

पहले से ही हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों में मौसमी फ्लू का होना हार्ट अटैक को ट्रिगर कर सकता है. यह बुखार का कारण बनता है जिससे आपका दिल तेजी से धड़कता है (जिससे ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है). फ्लू डिहाइड्रेशन का कारण भी बन सकता है, जो आपके रक्तचाप को कम कर सकता है (हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम कर सकता है). फिर जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. यदि आपको हृदय की समस्या है तो यह सलाह दी जाती है कि आप फ्लू के टीके लगवाने के लिए अपने जीपी से बात करें.

सबसे अधिक जोखिम

बुजुर्ग लोगों और बहुत छोटे बच्चों के लिए अपने तापमान को विनियमित करना कठिन होता है. अत्यधिक तापमान उन्हें अधिक जोखिम में डालता है. अपने स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, ठंड के दिनों में बुजुर्ग और अस्वस्थ्य दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यह सुनिश्चित करें कि वे गर्म और आरामदायक माहौल में हों. सुनिश्चित करें कि आप हार्ट अटैक के लक्षणों और संकेतों को पहचान सकते हैं और तुरंत इसकी जानकारी किसी मेडिकल एक्सपर्ट को दे सकते हैं.

चेतावनी के संकेत

यदि आप सीने में दर्द महसूस कर रहे हैं जो असहनीय है और वह आपकी गर्दन, कंधे और हाथ तक रैडीऐट हो रहा है, तो यह हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण है. लक्षण पुरुषों और महिलाओं के लिए भिन्न हो सकते हैं. पुरुष कभी-कभी मतली और चक्कर आने की शिकायत करते हैं जबकि महिलाएं चक्कर आना और थकान जैसे असामान्य लक्षण की शिकायत करती हैं.

स्वस्थ रहें, अपने दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखें, एक सक्रिय जीवन जीएं और इस सर्दी के मौसम में अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए नीचे दिए गए सुझावों का पालन करें:

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● स्वस्थ आहार खाएं

• कम से कम 30 मिनट तक नियमित व्यायाम करें.

• अपने तनाव को कम करें.

• अपने रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखें.

• यदि आप अपने शरीर में कुछ अनियमित महसूस करते हैं, तो अपने चिकित्सक से मिलें.

• त्योहारों के दौरान असंतुलित खाने से बचें; हल्का और स्वस्थ भोजन ही खाएं.

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