Women’s Day 2020: महिलाओं के लिए खुद का नाम बनाना हमेशा कठिन होता है- आशिमा शर्मा

संस्थापक, आशिमा एस कुटोर

‘आशिमा एस कुटोर’ की संस्थापिका और फैशन डिजाइनर आशिमा शर्मा 5 साल से अपना फैशन पोर्टल चला रही हैं. वे 7 साल की उम्र से ही पोर्ट्रेट बनाती और पेंटिंग करती आ रही हैं. कला में दिलचस्पी के चलते कुछ ही सालों में फैशन इंडस्ट्री में अपनी अलग जगह बना ली. आशिमा ने कई अंतर्राष्ट्रीय ब्रैंड व अंतर्राष्ट्रीय आर्ट गैलरीज के साथ भी काम किया है. उन्हें लिखने का भी शौक है. वे ‘एशी माइंड सोल’ नाम से वैबसाइट चलाती हैं. उन्हें 2018 में ‘वूमन ऐक्सीलैंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. 2015 में उन्होंने एलएसीएमए (लैक्मा) लौस एंजिल्स में विश्व में 19वां पद प्राप्त किया. उन्हें 2012 में पर्थ अंतर्राष्ट्रीय आर्ट फैस्टिवल में बैस्ट अंतर्राष्ट्रीय टेलैंट से सम्मानित किया गया. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के अंश:

आप की नजर में फैशन क्या है?

मेरे लिए फैशन न केवल ट्रैंड्स को फौलो करना है, बल्कि व्यक्ति द्वारा अपनी पसंद के अनुसार आरामदायक ट्रैंड अपनाना भी माने रखता है. फैशन से व्यक्ति को अलग पहचान मिलती है.

फैशन को आत्मविश्वास से कैसे जोड़ा जा सकता है?

फैशन सिर्फ और सिर्फ आत्मविश्वास के बारे में है. आत्मविश्वास के बिना कोई भी पोशाक अच्छी नहीं दिखेगी, क्योंकि अगर पहनने वाला आत्मविश्वास के साथ सामने नहीं आ सकता तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि कपड़े कितने अच्छे हों.

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भारत में महिलाओं की स्थिति पर क्या कहेंगी?

मुझे यह बात बहुत बुरी लगती है कि आज भी महिलाओं को वस्तु माना जाता है, जबकि लोगों को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए. उन का समाज में बहुत बड़ा योगदान रहा है. आज पुरुष और महिलाएं दोनों मिल कर काम कर रहे हैं. महिलाएं अपने काम और प्रोफैशनल जीवन के साथसाथ घर भी संभालती हैं. वे परिवार बनाती हैं और पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर बाहरी दुनिया में भी नाम कमाती हैं, पुरुषों को इस बात का एहसास होना चाहिए.

बतौर स्त्री आगे बढ़ने के क्रम में क्या कभी असुरक्षा का एहसास हुआ?

एक महिला होने के नाते मैं ने हमेशा महसूस किया कि मुझे काम में हमेशा पुरुषों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना पड़ता है, क्योंकि महिलाओं के लिए खुद का नाम बनाना हमेशा कठिन होता है. लेकिन सफलता की राह हमेशा उन महिलाओं के लिए आसान होती है, जो चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहती हैं और कड़ी मेहनत करती हैं. एक समय के बाद मेरे मन से भी असुरक्षा के भाव दूर हो गए, क्योंकि मुझे पता था कि मैं अपने प्रयासों को सही दिशा में लगा रही हूं.

क्या आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार और भेदभाव होता है?

बिलकुल. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है कि महिलाओं को अभी भी समान वेतन, सुरक्षित वातावरण, उचित स्वच्छता नहीं मिलती है. उन की अधिकांश बुनियादी जरूरतें बड़ी कठिनाई से पूरी होती हैं. यह एक सचाई है कि भारत की ग्रामीण महिलाएं अभी भी बहुत कुछ झेल रही हैं.

घर वालों की कितनी सपोर्ट मिलती है?

मेरे पिता डा. एम.सी. शर्मा, माता डा. शालिनी शर्मा और भाई मनीष शर्मा सभी मुझे हमेशा सपोर्ट देते हैं. उन्होंने हमेशा मेरी प्रतिभा और कड़ी मेहनत पर विश्वास किया है. उन के समर्थन और प्रोत्साहन के बिना मेरे लिए कैरियर में ऊंचाइयां छूना नामुमकिन था.

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ग्लास सीलिंग के बारे में आप की राय?

आज महिलाएं हर वह मुकाम हासिल कर रही हैं जहां वे जाना चाहती हैं. कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है. सफर मुश्किल जरूर होता है, लेकिन नामुमकिन बिलकुल नहीं खासकर उन के लिए जो मेहनत करने से बिलकुल नहीं कतराते हैं. ग्लास सीलिंग आज भी बड़ी समस्या है, पर जो हर मुश्किल को झेल आगे बढ़े उसे कामयाबी जरूर हासिल होती है.

Women’s Day 2020: ‘बुरे समय में दृढ़ होना सब से ज्यादा जरूरी है’- सायरी चहल

सायरी चहल फाउंडर, शीरोज

सायरी चहल ‘शीरोज’ (महिलाओं का सोशल नैटवर्क) की फाउंडर, सीईओ हैं. वे ‘देवी अवार्ड,’ ‘फेमिना अचीवर्स अवार्ड,’ ‘एडिटर्स चौइस फौर लौरिअल,’ ‘फेमिना वूमंस’ सहित और कई अवार्ड पा चुकी हैं. ‘शीरोज’ अपनेआप में एक अनोखा प्लेटफौर्म है. यह महिलाओं का एक सोशल नैटवर्क है जहां वे बहुत सारी मजेदार चीजें करती हैं. वे कुछ भी पोस्ट कर सकती हैं, फूड से ले कर आर्ट, फैशन आदि. वे प्रोडक्ट्स बेच और खरीद सकती हैं, कविताएं, कहानियां या अपनी और कोई कला शेयर कर सकती हैं. वे घर से काम कर सकती हैं.

इस प्लेटफौर्म पर कोई पुरुष नहीं है और इसलिए रिश्ते, सैक्स, पीरियड्स, बौडी इमेज, आर्थिक परेशानी जैसे निजी मुद्दों पर बात करने के लिए एक सुरक्षित स्पेस है. यह ऐसी जगह है, जहां आप अपनी छिपी आकांक्षाओं को भी शेयर कर सकती हैं.

पेश हैं, सायरी से हुई मुलाकात के कुछ अहम अंश:

सवाल. क्या आप बचपन से ही बिजनैस वुमन बनना चाहती थीं या कोई और सपना था?

मैं ने सोचा था कि बड़ी हो कर किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफैसर बनूंगी. लेकिन जिंदगी की योजना ही अलग थी. कालेज में ही मेरी ऐंटरप्रन्योरशिप यात्रा शुरू हो गई. 1999 में जब मैं इंटरनैट से जुड़ी तो मुझे इस की दुनिया को बदलने की क्षमता से प्यार हो गया. 2014 में मैं ने सोचा कि इंटरनैट का इस्तेमाल कर के खासतौर पर महिलाओं को सहयोग करने का सही समय आ गया है. यहीं से बिजनैस वूमन बनने का रास्ता शुरू हो गया.

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सवाल. महिलाओं के सपनों को पूरा करने में शिरोज किस तरह से उन की मदद करता है?

महिलाएं हर जगह पहचान, सम्मान, दोस्त, मौके, अभिव्यक्ति और सलाह चाहती हैं. उन की आकांक्षाओं को पूरा करने में ‘शीरोज’ ने एक बड़ा औनलाइन इकोसिस्टम बनाया है. हम ने स्॥श्वष्टहृ को लौंच किया है, जो घर में रहने वाली महिलाओं की एेंटरप्रन्योर बनने में मदद करता है. वे कभी भी शीरोज काउंसलिंग हैल्पलाइन का इस्तेमाल कर के काउंसलर के साथ अपने संघर्षों के बारे में बात कर के सलाह और सहयोग पा सकती हैं.

कुछ महिलाओं के सपने भी पूरे हुए हैं. नेपाल में रहने वाली होममेकर अलका ने ‘अलका की बगिया’ के नाम से बागबानी कम्युनिटी लौंच की है. 19 साल की हर्षिता की अपनी आर्ट कम्युनिटी है और अपनी कलाकारी को ‘शीरोज’ के जरीए बेचती भी है. स्कूल टीचर सीमा शर्मा ने अपनी फैशन कम्युनिटी लौंच की है और अब वह ‘शीरोज’ के जरीए पार्टटाइम एेंटरप्रन्योर भी है.

सवाल. अपनी यात्रा में किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा?

हम एक पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं और निवेशकों को यह कह कर तैयार करते हैं कि हम ऐसे प्रोडक्ट बना रहे हैं, जो ज्वैलरी, कपड़ा या जूतों के बारे में नहीं हैं, बल्कि महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए हैं. इस की अलग तरह की चुनौतियां थीं. लेकिन हमारे यूजर्स के प्यार ने इस संघर्ष के हर पल को कमाल का बना दिया.

सवाल. खुद को फिट कैसे रखती हैं?

मैं अपने दिन की शुरुआत व्यायाम से करती हूं और यात्रा के दौरान भी यह मेरी रोज की दिनचर्या का एक हिस्सा है. मुझे नेचर वाक लेना पसंद है. यही वजह है कि आप मुझे हमेशा स्नीकर्स पहने देखेंगी, फिर चाहे मैं ने साड़ी पहनी हो या जींस.

सवाल. आपके विचार में महिलाएं कब कमजोर हो जाती हैं?

महिलाएं हमेशा मजबूत रही हैं, लेकिन परिवार और अन्य महिलाओं के सहयोग से वे अधिक मजबूत हो सकती हैं. अपने विकास, खुशहाली, आर्थिक आजादी के लिए इंटरनैट का प्रयोग सीखना भी उन्हें मजबूत और स्वावलंबी बनाता है.

सवाल. आप को किस से डर लगता है?

सफलता के साथ हम कंफर्टेबल और संतुष्ट हो जाते हैं. बस जरूरत है आगे बढ़ते जाने की, काम करने की, कुछ अलग करने की और स्वयं को बनाने की. एकमात्र डर खराब स्वास्थ्य है, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करें.

सवाल. एक सफल ऐंटरप्रन्योर बनने के लिए क्या गुण होने जरूरी हैं?

कड़ी मेहनत, फोकस, त्याग, लीडरशिप, क्रिएटिविटी और रिसोर्सफुल होने से मदद मिलती है. लेकिन बुरे समय में दृढ़ होना सब से ज्यादा जरूरी है. यदि आप फेल होने से सीखते हैं तो यह आप के सफर को बेहतरीन बनाता है.

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सवाल. आप की सब से बड़ी उपलब्धि क्या है?

मेरी मां ही पहली लीडर थीं, जिन्हें मैं ने बड़ा होते देखा. वे एक हाउसवाइफ  हैं, जो घरपरिवार और अन्य चीजों को बेहतर ढंग से मैनेज करती हैं. अब वे ‘शीरोज’ पर सुपर यूजर हैं और इंटरनैट का बखूबी इस्तेमाल करती हैं. वे अपनी बागबानी के फोटोज, रैसिपीज, कहानियां और अन्य चीजें यहां शेयर करती हैं. उन्हें औनलाइन ये सब करते हुए देखने से मुझे प्रेरणा मिलती है. ‘शीरोज’ अब 16 मिलियन सदस्यों का प्लेटफौर्म है और रोजाना अपनी मां जैसी महिलाओं को इस तरह से जुड़ते देख मुझे गर्व महसूस होता है.

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