‘कोविड 19 की वजह से समय कुछ ऐसा आया है कि जो कुछ प्लानिंग किसी ने भी भविष्य के लिए आज से डेढ़ साल पहले किया है, वह अब प्लान नहीं रहा, सबकी शिड्यूल और टाइमिंग अलग हो चुकी है. मैं जिस कहानी का निर्देशन करना चाहता हूं या जिस लोकेशन पर उसे करना चाहता हूं, उसे कर पाऊंगा या नहीं, इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता. जब काम करने की क्लियरिटी मिलेगी, तब मैं आगे किसी फिल्म का निर्देशन करूँगा’… ये कहना है अभिनेता फरहान अख्तर का. उनकी फिल्म ‘तूफान’ अमेजन प्राइम विडियो पर रिलीज होने वाली है.
फ़िल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद फरहान अख्तर ने परिवार के किसी का सहारा नहीं लिया और अपने बलबूते पर इंडस्ट्री मेंपहचान बनायी. वे आज एक निर्माता,निर्देशक के अलावा अभिनेता, पटकथा लेखक और सिंगर भी है. इस दौरान फिल्मों की सफलता और असफलता का दौर भीआया, पर उन्होंने इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया. उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.
सवाल-ये फिल्म थिएटर में नहीं, ओटीटी पर रिलीज हो रही है, क्या आपको कोई रिग्रेट है?
फिल्म को थिएटर में रिलीज होगी, ऐसा सोचकर बनाई गई थी, लेकिन पिछले डेढ़ सालों में जो हालत कोरोना की वजह से पूरे विश्व में हुई है, ऐसे में मेरी फिल्म अगर ओटीटी पर रिलीज हो रही है, तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं, क्योंकि इस समय किसी को भी थिएटर में जाना ठीक नहीं और थिएटर खुले भी नहीं है. निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने एक दिन मुझसे कहा था कि पेंडेमिक की वजह से घरों में रहने वाली छोटी स्क्रीन आज बड़ी हो चुकी है. यही एक डिवाइस मनोरंजन का साधन है और इसके द्वारा मेरी फिल्म पूरे विश्व में करोड़ो लोगों को दिखाई जायेगी. 7करोड़ जनसँख्या पूरे विश्व में देख सकते है और यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मुझे कोई रिग्रेट नहीं है, क्योंकि कोविड की वजह से दुनिया में फिल्मों की मार्केटिंग बहुत बदली है और हमें भी एक कदम आगे बढ़कर इसे अपनाने की जरुरत है.
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सवाल-क्या ओटीटी पर फिल्म रिलीज होने पर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का प्रेशर कम रहता है?
फिल्म देखने पर सभी फिल्म में परफोर्मेंस की तारीफ करते है. फिर चाहे वह थिएटर हॉल में हो या घर में छोटी स्क्रीन पर, इसलिए मैंने कभी भी किसी फिल्म को लेकर प्रेशर महसूस नहीं किया. यह एक जिम्मेदारी होती है, जिसमें मैं अपने परफोर्मेंस पर अधिक ध्यान देता हूं. अगर दर्शकों को परफोर्मेंस सही दिखा, तो एक अभिनेता के नाते मेरा काम हो गया.
सवाल-आप एक बार फिर से स्पोर्ट्स फिल्म कर रहे है, क्या आपको स्पोर्ट्स फिल्में करना अधिक पसंद है?
मुझे फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ और तूफान’ फिल्म में भी काम करने का मौका मिला. दोनों फिल्मों की कहानियों, परफोर्मेंस और खुद से बहुत कुछ सीखा है.
सवाल-फरहान, आपने इस फिल्म में अपनी बॉडी पर बहुत काम किया है और एक मसल्स वाले बॉक्सर की भूमिका निभाई है, क्या फिल्मों के लिए इस तरह के एक्सपेरिमेंट करना शरीर के लिए सही होता है?
फिल्म में दिखाए बॉडी को देखकर खुद उसे करने की कोशिश कभी न करें. फिटनेस हमेशा सही होता है, लेकिन इस क्षेत्र के किसी एक्सपर्ट के साथ बॉडी बनाने की कोशिश करनी चाहिए. बहुत सारे यूथ फिल्मों को देखकर खुद वैसी बॉडी बना लेने की कोशिश करते है, जो गलत है. बॉडी बिल्डिंग एक विज्ञान है और उसके अनुसार कितना वर्कआउट,कितना सोना, पानी पीना, डाइट, व्यायाम आदि को व्यक्ति की शारीरिक बनावट के आधार पर करना सही होता है. एक्सपर्ट के बताये रास्ते पर चलना जरुरी है. ट्रेनर और न्यूट्रीशियन ही सही तरीका बता सकते है. इस फिल्म में मैंने जो भी किया है, उसमें बॉक्सिंग की टीम, मेरे ट्रेनर समीर जारा, डॉ. आनंद फिजियोथेरेपिस्ट आदि के अनुसार मैंने 8 महीने की ट्रेनिंग शूटिंग से पहले लिया है. हर हफ्ते 6 दिन और 5 घंटा हर दिन सब वे मोनिटर करते थे. मुझे मोटा दिखना है, लेकिन मेरा वजन बढ़ नहीं रहा था. मेरी लाइफ में कभी भी मैं 74 किलो से अधिक वजन का नहीं रहा, लेकिन इस फिल्म में मैं 86 किलो तक का वजन बढाया था. मैं उस समय 3 हज़ार कैलरी से अधिक खा रहा था. मेरा माइंड मेरे इस काम को रिफ्यूज कर रहा था. 78से 79 के बीच सूई अटक गयी. उस समय कड़े कदम उठाने पड़े, वह मेरे लिए बहुत कठिन काम था. ऐसी फिटनेस के लिए एक एक्सपर्ट का साथ होना बहुत जरुरी है.
सवाल-आज के यूथ कई बार जिम के बाद प्रोटीन शेक ले लेते है, क्या इसे लेना सही होता है? आपकी राय क्या है?
प्रोटीन शेक लेना गलत नहीं, इससे मसल्स को ताकत मिलती है और ये जरुरी भी है. अगर आप बहुत अधिक वर्कआउट करते है, तो भोजन के द्वारा उसे पूरा करना संभव नहीं होता, इसलिए प्रोटीन शेक लेना पड़ता है. बॉडी बनाने के लिए कुछ चीजों से हमेशा दूर रहना चाहिए, मसलन स्टेरॉयड लेना, किसी तरह का इंजेक्शन लगाना और गोलियां खा लेना, ये सब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि इसके साइड इफ़ेक्ट बहुत ख़राब होते है. बॉडी बनाने के लिए बॉडी को समय दीजिये, इससे थोड़े दिनों बाद ही आपको इसका रिजल्ट मिल जायेगा.
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सवाल-कोरोना काल और लॉकडाउन में आपका समय कैसे बीता ?
इस समय में कभी अच्छा तो कभी ख़राब रहा, लेकिन मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ कभी-कभी मिला करता था, किताबे पढना, फिल्मों को देखना आदि करने का समय मिला है, लेकिन इस दौरान बहुत सारें ऐसे दृश्य भी देखने को मिले, जिससे मन बहुत दुखी होता था. ऐसे कई लोग थे, जो अपने प्रिय व्यक्ति को अपने आँखों के सामने कोविड की वजह से खो रहे थे और उन्हें अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे. मैंने इस दौरान सोशल मीडिया के ज़रिये जरुरत मंदों की सेवा की है. पिछले कुछ महीने कुछ भी सही नहीं था.