राहुल और रश्मि इधरउधर बाइक से घूमने लगे. आज रश्मि काफी खुश थी, हो भी क्यों न, आज उस के सपनों के पर निकल आए थे. काफी देर घूमने के बाद राहुल ने रश्मि से कहा, ‘‘ऐसा है, इधरउधर घूमने से बेहतर है कि तुम आज मेरे रूम चलो, वहीं बैठ कर ढेर सारी बातें करेंगे.’’
रश्मि ने मारे खुशी के इस बात की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दिया कि शहर में किसी लड़के के रूम में जाने के क्या माने होते हैं.
रश्मि पहली बार राहुल के रूम में आई थी. राहुल किराए के मकान में रहता था और भी कई लड़के उसी मकान में किराएदार थे. इन सब बातों से बेपरवा रश्मि वहां आ गई थी. राहुल रूम में अकेला रहता था, इसलिए उसे किसी के आने का कोई डर नहीं था. राहुल का कमरा देखने में अच्छा था, लेकिन सारा सामान इधर से उधर तक बिखरा था.
‘‘राहुल, तुम्हारा रूम कितना गंदा है, लगता है कभी इस की सफाई नहीं करते?’’
‘‘अब कौन रोजरोज सफाई अभियान चलाए,’’ राहुल एकदम पास आ कर बोला. थोड़ी देर बात करते हुए राहुल रश्मि से एकदम सट कर बैठ गया और उस के कंधे पर अपने हाथों को रख लिया.
रश्मि के कुछ न कहने पर उस का हौसला बढ़ गया और अचानक से रश्मि के नाजुक गालों को चूम लिया.
‘‘यह क्या कर रहे हो,’’ रश्मि उस के पास से हटते हुए बोली. लेकिन उसी पल राहुल ने पागल आशिकों की तरह उस का हाथ पकड़ कर खींच लिया, रश्मि उस के ऊपर आ गिरी. अब रश्मि उस की मजबूत बांहों में समा चुकी थी.
ऐसा नहीं है कि रश्मि ने राहुल से छूटने की कोशिश न की हो, लेकिन राहुल उसे अपने फौलादी हाथों से जकड़े हुए था. रश्मि उस की बांहों में शिकार बने परिंदे की तरह छटपटा रही थी, लेकिन उस की सारी कोशिशें नाकाम रहीं. इस का दूसरा पहलू यह भी था, रश्मि खुद ही राहुल की बांहों में प्यार के गोते लगाना चाहती थी. रश्मि अब राहुल के जिस्म में लता की तरह लिपटी हुई थी और रेगिस्तान में मछली की तरह प्यार में तड़प रही थी. राहुल भी सारी सरहदें पार कर के हद से गुजर जाना चाहता था. प्यार की तड़प, जज्बातों की प्यास और जिस्म की आग दोनों तरफ से इस कदर लगी थी कि उन्हें अच्छेबुरे की सुध ही न रही.
रफ्तारफ्ता यह सिलसिला चलता रहा और प्यार करने की चाहत दिनबदिन बढ़ती गई. लेकिन क्या यह प्यार था या सिर्फ चाहत या जो जिस्मों की प्यास बुझाने के लिए था? इस रिश्ते का नाम कुछ भी हो, एक बात तो तय थी कि इन में से कोई भी ईमानदार नहीं था. रश्मि को मौडल बनना था और राहुल को जिस्म की आग ठंडी करनी थी. रश्मि अपने ख्वाबों को हकीकत बनाने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा चुकी थी, उसे सिर्फ कामयाबी चाहिए थी, फिर चाहे जैसे मिले. इस से रश्मि को कोई फर्क नहीं पड़ता था.
अकसर सुनने में आता है कि झूठ को इतनी बार बोलो कि वह सच लगने लगे, लेकिन आखिर कब तक? कब तक आप किसी से इस तरह से फरेब करते रहेंगे. एक दिन तो सचाई दुनिया के सामने आनी ही है और यह सचाईर् रश्मि के सामने बहुत भयानक रूप में आई.
रश्मि मौडल बनने के लिए कुछ भी कर सकती थी, इसलिए राहुल ने उसे उंगलियों पर नचाना शुरू कर दिया था. वह उसे आजकल में टालता रहा, फिर एक दिन उसे स्टूडियो में ले जा कर उस का फोटोशूट करवाया. विकास सर बोले ‘‘रश्मि, आप को मौडल बनना है?’’
‘‘जी सर,’’ रश्मि बोली.
‘‘तो आप कल से इस तरह के गांव वाले कपड़े पहन कर मत आना.’’
‘‘जी सर,’’ रश्मि ने हामी भरी.
अगले दिन रश्मि काफी भड़कीला सूट पहन कर आई और फोटोशूट के लिए तैयार हो गई. कैमरामैन शौट लेने के लिए रेडी था. उस ने कई एंगल से शौट लिए. लेकिन विकास जिस तरह का शौट चाहते थे, उन्हें नहीं मिल पा रहा था. वे उठ खड़े हुए और रश्मि को डांटते हुए बोले कि तुम्हें इतना भी नहीं मालूम की कैसे कपड़े पहन कर आया जाता है.
फिर उन्होंने कैमरामैन से डिजाइन किए ड्रैसेज लाने को कहा. उस ने एक बौक्स से कुछ ड्रैसेस निकालीं और रश्मि को पहनने को दीं. रश्मि जब चेंजिंग रूम में गई और एक ड्रैस पहनी और वहीं लगे आईने में देखा तो शरमा गई. जो ड्रैस पहनी थी, उस से बमुश्किल ही जिस्म छिप पा रहा था. लेकिन यह सब तो करना ही था. इसी तरह कई ड्रैसेज में उस ने पोज दिए, रश्मि आज काफी नर्वस थी, उस की हालत देख कर राहुल उसे करीब कर के बोला, ‘‘रश्मि, यह सब तो करना ही पड़ेगा, अब मौडल जो बनना है.’’
‘‘हां राहुल, फिर भी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा,’’ रश्मि उदासी से बोली.
रात को रश्मि काफी देर तक छत से लटकते पंखे को निहारती रही, ‘क्या मैं जो कर रही हूं, वह ठीक है? या मौडल बनने के चक्कर में किसी दलदल में फंस गई हूं.’ काफी रात तक वह जागती रही, लेकिन उस के लिए किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल था. एक तरफ बचपन से पाला हुआ ख्वाब था, तो दूसरी तरफ ख्वाबों को हकीकत में बदलने का मौका और इस मौके में कई तरह के खौफनाक मोड़. आज रश्मि का फोटोशूट भोपाल से बाहर एक फार्महाउस में होना था. इसलिए थोड़ी देर बाद रश्मि तैयार हो कर राहुल की बाइक पर शहर से दूर किसी हाइवे पर फर्राटा भरते हुए चली जा रही थी. करीब 40 मिनट बाद उन की बाइक हाइवे से उतर कर एक ऊबड़खाबड़ सड़क पर हिचकोले खाते हुए मंजिल की तरफ बढ़ी.
बा?इक एक आलीशान फार्महाउस के सामने आ कर रुकी. राहुल ने हौर्न बजाया. गेट खुला. फिर दोनों अंदर साथ गए. वहां जा कर रश्मि ने देखा कि फार्महाउस काफी बड़ा है. सामने ही उसे विकास सर नजर आ गए. रश्मि ने नमस्ते कहा. इस के जवाब में विकास सर ने भी.
अंदर जा कर रश्मि ने देखा तो खानेपीने का इंतजाम पहले से ही था. वहीं टेबल पर कुछ बोतलें शराब की थीं. यह सब देख कर रश्मि को अजीब लगा, लेकिन फिर सोचा कि यह सब आज के दौर में चलता है. थोड़ी देर बाद सभी एक बड़े डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खानेपीने लगे.
‘‘रश्मि,’’ सक्सेना सर ने उसे शराब पीने का औफर दिया. लेकिन रश्मि ने साफ मना कर दिया. ‘‘यह सब चलता है,’’ राहुल पीते हुए बोला. इस बार रश्मि ने जाम को हाथों से थाम लिया. शराब पीते ही रश्मि को बड़ा अजीब लगा, जैसे कोई तीखी चीज गले को चीर कर अंदर उतर गई हो.
विकास सर और राहुल पर शराब का सुरूर चढ़ा तो उन्होंने इधरउधर की भद्दी बातें करनी शुरू कर दीं. थोड़ी ही देर में विकास सर ने रश्मि को अपने पास बुलाया और हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बैठा लिया और छेड़खानी करने लगे.
‘‘सर, आप क्या रहे रहे हैं, यह सब गलत है,’’ रश्मि ने कहा. लेकिन सही और गलत की किसे परवा थी.
‘‘तुम्हें मौडल नहीं बनना क्या, देखो रश्मि, जिंदगी में कुछ बड़ा करना है तो यह सब गलत नहीं है, और मेरे कुछ करने से तुम्हारी खूबसूरती में कोई कमी नहीं आ जाएगी,’’ यह कहते हुए सक्सेना के हाथ रश्मि के गालों से होते हुए उस के सीने पर आ कर थम गए.
‘‘सर, यह तो मेरे बचपन का शौक है,’’ रश्मि धीमी आवाज में बोली.
‘‘फिर क्यों मना कर रही हो, हम कोई गैर नहीं हैं, हमें अपना ही समझो,’’ विकास सर कहते हुए बदहवास उस पर टूट पड़े.
रश्मि मौडल बनने के लिए अपनी इज्जत दांव पर लगाने से गुरेज करने वालों में नहीं थी, वह जिस्म को मंजिल हासिल करने का सिर्फ जरिया मानती थी और आज उस ने वही किया. यह बात और है कि एक औरत होने के नाते उसे भी थोड़ीबहुत झिझक थी, जो अब टूट चुकी थी.
मन में बाराबर यही आ रहा था कि बचपन से संजोए ख्वाब शायद अब हकीकत बन जाएं. लेकिन यह ख्वाब महंगे साबित होंगे, उस ने सोचा न था. लेकिन महंगे ख्वाब आसानी से पूरे नहीं होते हैं, इस बात का एहसास उसे अब तक हो चुका था. तभी तो अब रश्मि इस खेल में मंझी हुई खिलाड़ी की तरह विकास का साथ दे रही थी. यह सब करते हुए अब उसे कोई पछतावा नहीं हो रहा था, बल्कि जिंदगी का अहम हिस्सा मान कर अपने सपनों के साथ सैक्स का भी मजा लेने लगी. उसे अपनी मंजिल मिल गई थी.