जब शौहर का मिजाज हो आशिकाना

रंगीन, आशिकमिजाज पति पाना भला किस औरत की दिली तमन्ना न होगी? अपने ‘वे’ इश्क और मुहब्बत के रीतिरिवाजों से वाकिफ हों, दिल में चाहत की धड़कन हो, होंठों पर धड़कन का मचलता इजहार रहे, तो इस से ज्यादा एक औरत को और क्या चाहिए? शादी के बाद तो इन्हें अपनी बीवी लैला लगती है, उस का चेहरा चौदहवीं का चांद, जुल्फें सावन की घटाएं और आंखें मयखाने के प्याले लगते हैं. लेकिन कुछ साल बाद ही ऐसी बीवियां कुछ घबराईघबराई सी, अपने उन से कुछ रूठीरूठी सी रहने लगती हैं. वजह पति की रंगीनमिजाजी का रंग बाहर वाली पर बरसने लगता है.

यही करना था तो मुझ से शादी क्यों की

शादी से पहले विनय और रमा की जोड़ी को लोग मेड फौर ईचअदर कहते थे. शादी के बाद भी दोनों आदर्श पतिपत्नी लगते थे. लेकिन वक्त गुजरने के साथसाथ विनय की आंखों में पहले वाला मुग्ध भाव गायब होने लगा. राह चलते कोई सुंदरी दिख जाती, तो विनय की आंखें उधर घूम जातीं. रमा जलभुन कर खाक हो जाती. जब उस से सहा न जाता, तो फफक पड़ती कि यही सब करना था, तो मुझ से शादी ही क्यों की? क्यों मुझे ठगते रहते हो?

तब विनय जवाब देता कि अरे भई, मैं तुम से प्यार नहीं करता हूं. यह तुम ने कैसे मान लिया? तुम्हीं तो मेरे दिल की रानी हो.

सच यही था कि विनय को औफिस की एक लड़की आकर्षित कर रही थी. खुशमिजाज, खिलखिलाती, बेबाक मंजू का साथ उसे बहुत भाने लगा था. उस के साथ उसे अपने कालेज के दिन याद आ जाते. मंजू की शरारती आंखों के लुकतेछिपते निमंत्रण उस की मर्दानगी को चुनौती सी देते लगते और उस के सामने रमा की संजीदा, भावुक सूरत दिल पर बोझ लगती. रमा को वह प्यार करता था, अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जरूर मानता था, लेकिन रोमांस के इस दूसरे चांस को दरकिनार कर देना उस के बस की बात न थी.

ये मेरे पति हैं

इसी तरह इंदिरा भी पति की आशिकाना हरकतों से परेशान रहती थी. उस का बस चलता तो देबू को 7 तालों में बंद कर के रखती. वह अपनी सहेलियों के बीच भी पति को ले जाते डरती थी. हर वक्त उस पर कड़ी निगाह रखती. किसी पार्टी में उस का मन न लगता. देबू का व्यक्तित्व और बातचीत का अंदाज कुछ ऐसा था कि जहां भी खड़ा होता कहकहों का घेरा बन जाता. महिलाओं में तो वह खास लोकप्रिय था. किसी के कान में एक शेर फुसफुसा देता, तो किसी के सामने एक गीत की पंक्ति ऐसे गुनगुनाता जैसे वहां उन दोनों के सिवा कोई है ही नहीं. उस की गुस्ताख अदाओं, गुस्ताख नजरों पर लड़कियों का भोला मन कुरबान हो जाने को तैयार हो जाता. उधर इंदिरा का मन करता कि देबू के गले में एक तख्ती लटका दे, जिस पर लिख दे कि ये मेरे पति हैं, ये शादीशुदा हैं, इन से दूर रहो.

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बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है

घर में अच्छीखासी पत्नी होते हुए भी आखिर कुछ पति क्यों इस तरह भटकते हैं? यह सवाल मनोवैज्ञानिक एवं मैरिज काउंसलर से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिसे सुन कर आप को गुस्सा तो आएगा, लेकिन साथसाथ मर्दों के बारे में एक जरूरी व रोचक जानकारी भी प्राप्त होगी. उन का कहना था कि मर्दों के दिलोदिमाग व खून में ही कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो उन के व्यवहार के लिए बुनियादी तौर पर काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं यानी कुदरत की तरफ से ही उन्हें यह बेवफाई करने की शह मिलती है.

इस का मतलब यह भी निकलता है कि बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है, पर किसी की हिम्मत पड़ती है किसी की नहीं. किसी को मौका मिल जाता है, किसी को नहीं. किसी की पत्नी ही उसे इतना लुभा लेती है कि उसे उसी में नित नई प्रेमिका दिखती है, तो कुछ में आरामतलबी का मद्दा इतना ज्यादा होता है कि वे यही सोच कर तोबा कर लेते हैं कि कौन इश्कविश्क का लफड़ा मोल ले.

अब सवाल उठता है कि सामाजिक सभ्यता के इस दौर में आखिर कुछ पति ही इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं? लीजिए, इस प्रश्न का उत्तर भी मनोवैज्ञानिकों के पास हाजिर है. जरा गौर करें:

पत्नी से आपेक्षित संतोष न मिलना

अकसर इन पतियों के अंदर एक अव्यक्त अतृप्ति छिपी रहती है. सामाजिक रीतिरिवाजों का अनुसरण कर के वे शादी तो कर लेते हैं, गृहस्थ जीवन के दौरान पत्नी से प्रेम करते हैं, फिर भी कहीं कोई हूक मन में रह जाती है. या तो पत्नी से वे तनमन की पूर्ण संतुष्टि नहीं पा पाते या फिर रोमांस की रंगीनी की हूक मन को कचोटती रहती है. जहां पत्नी से अपेक्षित संतोष नहीं मिलता, वहां बेवफाई का कुछ गहरा रंग इख्तियार करने का खतरा रहता है. कभीकभी इस में पत्नी का दोष होता है, तो कभी नहीं.

माफ भी नहीं किया जा सकता

रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी का यहां उदाहरण दिया जा सकता है. हालांकि पत्नी नीरू के अंधे होने का कारण पति ही होता है, फिर भी पति एक अन्य स्त्री से चुपचाप विवाह करने की योजना बना डालता है. वह पत्नी नीरू से प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी है. जब पति की बेवफाई का पता नीरू को चलता है, तो वह तड़प कर पूछती है, ‘‘क्यों तुम ने ऐसा सोचा?’’

तब वह सरलता से मन की बात कह देता है, ‘‘नीरू, मैं तुम से डरता हूं. तुम एक आदर्श नारी हो. मुझे चाहिए एक साधारण औरत, जिस से मैं झगड़ सकूं, बिगड़ सकूं, जिस से एक साधारण पुरुष की तरह प्यार कर सकूं.’’

नीरू का इस में कोई दोष न था, लेकिन पति के व्यवहार को माफ भी नहीं किया जा सकता. हां, मजबूरी जरूर समझी जा सकती है. मगर सब पत्नियां नीरू जैसी तो नहीं होतीं.

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औरतें इतनी खूबसूरत क्यों होती हैं

‘‘पत्नी तो हमारी ही हस्ती का हिस्सा हो जाती है भई,’’ कहते हैं एक युवा शायर, ‘‘अब अपने को कोई कितना चाहे? कुदरत ने दुनिया में इतनी खूबसूरत औरतें बनाई ही क्यों हैं? किसी की सुंदरता को सराहना, उस से मिलना चाहना, उस के करीब आने की हसरत में बुराई क्या है?’’

इन शायर साहब की बात आप मानें या न मानें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि रोमांस और रोमानी धड़कनें जिंदगी को रंगीन जरूर बनाती हैं. कुछ पति ऐसे ही होते हैं यानी उन्हें एकतरफा प्यार भी रास आता है.

सुबह का वक्त है. निखिलजी दफ्तर जाने की तैयारी में लगे हैं. सामने सड़क पर सुबह की ताजा किरण सी खूबसूरत एक लड़की गुजरती है. मुड़ कर इत्तफाकन वह निखिलजी के कमरे की ओर देखती है और निखिलजी चेहरे पर साबुन मलतेमलते खयालों में खो जाते हैं.

पत्नी चाय ले कर आती है, तो देखती है कि निखिलजी बाहर ग्रिल से चिपके गुनगुना रहे हैं, ‘जाइए आप कहां जाएंगे…’

‘‘अरे कौन चला गया?’’ पत्नी पूछती है.

तब बड़ी धृष्टता से बता भी देते हैं, ‘‘अरे कितनी सुंदर परी अभी इधर से गई.’’

‘‘अच्छाअच्छा अब जल्दी करो, कल पहले से तैयार हो कर बैठना,’’ और हंसती हुई अंदर चली जाती है.

यही बात निखिलजी को अपनी पत्नी की पसंद आती है. ‘‘लाखों में एक है,’’  कहते हैं वे उस के बारे में, ‘‘खूब जानती है कहां ढील देनी है और कहां डोर कस कर पकड़नी है.’’

लेकिन वे नहीं जानते कि इस हंसी को हासिल करने के लिए पत्नी को किस दौर से गुजरना पड़ा है. शादी के लगभग 2 साल बाद ही जब निखिलजी अन्य लड़कियों की प्रशंसा करने लगे थे, तो मन ही मन कुढ़ गई थी वह. जब वे पत्रिकाओं में लड़कियों की तसवीरें मजे लेले कर दिखाते तो घृणा हो जाती थी उसे. कैसा आदमी है यह? प्रेम को आखिर क्या समझता है यह? लेकिन फिर धीरेधीरे दोस्तों से, छोटे देवरों से निखिलजी की इस आदत का पता चला था उसे.

‘‘अरे, ये तो ऐसे ही हैं भाभी.’’

दोस्त कहते, ‘‘इसे हर लड़की खूबसूरत लगती है. हर लड़की को ले कर स्वप्न देखता है, पर करता कुछ नहीं.’’

और धीरेधीरे वह भी हंसना सीख गई थी, क्योंकि जान गई थी कि प्रेम निखिल उसी  से करते हैं बाकी सब कुछ बस रंगीनमिजाजी  की गुदगुदी है.

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मजा न बन जाए सजा

हिमाचल प्रदेश की एक महिला नेता का बाथरूम का बना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उसे इस का खमियाजा भुगतना पड़ा. पार्टी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस के अलावा समाज में बदनामी अलग हुई. पूरे वीडियो को देखने के बाद साफ लगता है कि यह वीडियो दोनों की मरजी से बना था और उन का इस में कोई गलत उद्देश्य भी नहीं था. दोनों ने इसे एकदूसरे को ब्लैकमेल करने के इरादे से नहीं बनाया था. इस के अचानक सोशल मीडिया पर आने से यह उन के लिए हर तरह से नुकसानदायक साबित हुआ.

यह कोई पहला मामला नहीं है, जिस में अंतरंग पलों का बना वीडियो गले की हड्डी बन गया. कुछ समय पहले ऐसा ही मामला मथुरा के एक पंडे का भी सामने आया था. पंडा के अपनी विदेशी शिष्या के साथ सैक्सी पोजों के कई वीडियो थे, जो उन के अपने लैपटौप पर थे. एक दिन लैपटौप खराब हो गया.

पंडा ने जब लैपटौप बनने के लिए दिया तो वहां से वे वीडियो बन गए और सीडी के जरीए बाजार में पहुंच गए. उस समय व्हाट्सऐप प्रयोग में नहीं था. इस वजह से मथुरा की वह घटना सीडी के जरीए ही चर्चा में आई थी.

सोशल मीडिया के चलते ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिन में नेताओं सहित कई बड़े लोगों के सैक्सी पलों के बने वीडियो वायरल हो कर चर्चा में आ चुके हैं. उन का असर उन की जिंदगी पर पड़ चुका है. कई लोगों ने ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद खुद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी किया है.

प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी के बीच बनने वाले ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद वे उन की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऐसे वीडियो या फोटो न ही बनाए जाएं.

ब्लैकमेलिंग का साधन:

20 साल की रेखा यादव ने अपने बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर के साथ ‘किस’ करते हुए एक वीडियो बना लिया था. खेलखेल में बना यह वीडियो दोनों ने केवल आपसी रिश्ते की गहराई को दिखाने के लिए बनाया था. कुछ समय के बाद वह वीडियो डिलीट भी कर दिया. मगर रेखा की एक सहेली पूनम ने रेखा का मैमोरी कार्ड ले लिया. उस में से पूनम का अपना कोई डेटा डिलीट हो गया, जो बहुत जरूरी था. उस ने अपने एक साथी दीपक से पूछा तो उस ने बताया कि एक ऐसा सौफ्टवेयर है, जिस से डिलीट डेटा भी रिकवर किया जा सकता है.

दीपक ने पूनम से मैमोरी कार्ड ले कर उस का डेटा रिकवर किया. उस में रेखा यादव और उस के बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर का ‘किस’ वाला वीडियो भी रिकवर हो गया. अब दीपक ने रेखा यादव को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

तकनीक का गलत इस्तेमाल

सौफ्टवेयर इंजीनियर दीपक जाटव बताते हैं कि अब ऐसेऐसे सौफ्टवेयर हैं जो मैमोरी कार्ड या कंप्यूटर लैपटौप से वे फोटो या वीडियो भी रिकवर कर सकते हैं, जो काफी समय पहले डिलीट किए जा चुके हों. ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि ऐसे सैक्सी पलों के फोटो या वीडियो बनाने से बचें भले ही आप का आपस में कितना भी गहरा रिश्ता क्यों न हो.

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कई बार यह भी देखा गया है कि जब आपसी रिश्ते टूटते हैं तो लोग ऐसे फोटो या वीडियो वायरल कर देते हैं. सोशल मीडिया अब ऐसा माध्यम बन गया है कि देशदुनिया के एक कोने से ऐसी चीजों का दूसरे कोने तक पहुंचने में समय नहीं लगता है. ऐसी घटनाएं जीवन के बहुत महत्त्वपूर्ण समय पर सामने आती हैं. उस समय लोग यही सोचते हैं कि ऐसा काम किया ही क्यों था?

आमतौर पर प्रेमिका को भरोसा होने लगता हैकि शादी तो होनी ही है तो क्या फर्क पड़ता है अगर सैक्स करते हुए वीडियो बना लिया जाए.

कैरियर की तबाही

अंतरंग पलों के ये फोटो और वीडियो कईर् बार ऐसे समय पर सामने आते हैं जब कैरियर में कुछ बेहतर हासिल करना होता हो. कई नेताओं के हाल ही में ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं. अब तो सौफ्टवेयर के जरीए वीडियो में भी चेहरे को बदला जा सकता है.

पिछले दिनों गुजरात के नेता हार्दिक पटेल का ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ जब वे वहां की सरकार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे. ऐसे नेताओं, अफसरों, फिल्मी क्षेत्र के लोगों और समाजसेवियों की संख्या कम नहीं होती है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल होना कोई बड़े अचंभे वाली बात नहीं रह गई है.

ऐसी घटनाएं भले ही कानूनी रूप से गलत मानी जाती हों, वायरल करने वालों के खिलाफ आईटी ऐक्ट में मुकदमा भी हो सकता है पर यह काफी कठिन काम होता है. सजा के पहले ही जिस का वीडियो या फोटो वायरल होता है वह टूट कर तबाह हो जाता है.

समाज पर प्रभाव

सोशल मीडिया के माध्यम होने के बाद ऐसे वीडियो और फोटो बहुत तेजी से वायरल होने लगे हैं, जिन का समाज पर खराब प्रभाव पड़ने लगा है. हाल के दिनों में लोगों का हौसला इतना बढ़ गया है कि बलात्कार जैसी घटनाओं के वीडियो उन के खुद के गले की फांस बन गए. पुलिस ने उन्हीं वीडियोज को आधार बना कर पहले उन की पहचान की बाद में उन्हें जेल भेज दिया. ऐसे में ये वीडियो अपराधी को जेल भेजने के साधन भी बन गए.

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अपराध प्रवृत्ति के लोग ऐसे वीडियो बना कर पोर्न साइटों को बेचने का धंधा भी करते हैं. ये लोग लड़कियों को प्रेम के झांसे में फंसा कर पहले उन के साथ पोर्न वीडियो शूट करते हैं और फिर बाद में पोर्न साइट पर इन्हें बेच देते हैं.

ऐसे में अंतरंग पलों के बने ये वीडियो कितने घातक हो सकते हैं, इस का अंदाजा लगाना भी आसान नहीं होता है. इन से बचने का एक ही तरीका है कि अंतरंग पलों के ऐसे वीडियो बनाने से बचें. कई बार भावुकता और प्रेम की गहराई को जताने के लिए बने ये वीडियो कब वायरल हो कर गले की हड्डी बन जाएंगे, पता ही नहीं चलेगा. अत: ऐसी शर्मनाक हालत से बचने के लिए जरूरी है कि अंतरंग पलों के वीडियो और फोटो लेने से बचें. अंतरंग पल आप के अपने होते हैं.

हैप्पी रिलेशनशिप के लिए अपनाएं ये 8 मूलमंत्र

रिश्तों की नाजुक डोर को थामना मुश्किल होता है. इस डोर को न तो ढील दें और न ही जरूरत से ज्यादा खींचें. कुछ लोग आसानी से रिश्ते बना लेते हैं, किंतु अत्यधिक मानसिक उत्तेजना और हड़बड़ाहट के कारण रिश्तों को तबाह कर लेते हैं. यहां आदमी और जानवर के अंतर को समझना बेहद जरूरी है. मनोवैज्ञानिक ए. मैस्लो के अनुसार, मानवीय जरूरतें 5 प्रकार की होती हैं. पहली है- मूलभूत शारीरिक जरूरत. इसे सरल भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत कह सकते हैं. दूसरी जरूरत है- सुरक्षा की. तीसरी प्यार की, हर कोई एकदूसरे से प्यार और सम्मान की अपेक्षा रखता है. चौथी जरूरत है सैल्फ रेस्पैक्ट की और 5वीं सैल्फ ऐक्चुलाइजेशन की यानी हम जो बनना चाहते हैं वैसा बनने का जनून होना है.

रिश्ते और संवाद

रिश्तों और संवाद का बहुत गहरा संबंध है. जितना मधुर और उपयुक्त संवाद होता है वैसा ही रिश्ता बनता चला जाता है. दिमाग के स्तर पर 2 व्यक्तियों के मन में क्या और कैसी प्रतिक्रिया होती है, इस का अनुमान लगा पाना कठिन होता है. एक बार हम किसी को अपने संवाद द्वारा हर्ट कर देते हैं या अपमानजनक संवाद कर बैठते हैं तो संबंध बिगड़ जाता है. संबंध बिगड़ने के साथ ही संवाद बिगड़ने लगता है. संवाद के बिगड़ते ही रिश्ते को उसी मानसिक और नैगेटिव परिपेक्ष्य में लेना शुरू हो जाता है. अत: जरूरी है कि हम कम्यूनिकेशन की प्रक्रिया पर ध्यान दें. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में सब्र से काम लें. लेखिका नीतू गुप्ता का कथन है कि गलती होने पर माफी मागने में शरमाएं नहीं. यदि आप का दोस्त या लाइफपार्टनर स्वयं गलती करने पर क्षमा मांगे तो उसे झट से माफ कर दें यानी क्षमाशील बनें. संबंध चाहे मम्मीपापा, भाईबहन, दोस्तों के बीच हो या फिर पतिपत्नी के बीच, हर संबंध की अपनी अहमियत होती है. किसी रिश्ते को कमजोर न समझें. हर रिश्ते की कद्र करनी चाहिए ताकि रिश्ते का भरपूर आनंद लिया जा सके. जब संबंधों में कटुता होती है, नफरत होती है तो यह दोनों पक्षों के लिए और समान रूप से दुखदाई होती है. हर हाल में नैगेटिव सोचने से बचें.

लोगों के दिल तक पहुंचें

एक देवर थकाहारा घर लौटा तो भाभी से 1 गिलास  पानी इस प्रकार मांगा, ‘‘ए कानी भाभी एक गिलास पानी ले आओ.’’ भाभी को यह सुन कर गुस्सा आ गया. बोलीं, ‘‘तुम्हें पानी मांगने की तमीज नहीं है. तुम्हें पानी पिलाए मेरी जूती. खुद ले कर पी लो.’’ 1 घंटे बाद दूसरा देवर घर आया तो आदर के साथ बोला, ‘‘भाभी मैं थका आया हूं. बहुत प्यास लगी है. प्लीज, 1 गिलास पानी दो.’’ भाभी को बहुत अच्छा लगा. बोलीं, ‘‘पानी भी पिलाऊंगी और फिर 1 गिलास शरबत बना कर भी दूंगी, क्योंकि तुम ने कितने आदर से पानी मांगा है. मुझे यह बहुत अच्छा लगा है.’’ रिश्तों को मजबूत बनाता है आप का व्यवहार. आप के दिल में क्या है, यह आप के व्यवहार में परिलक्षित होता है. आगे रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के कुछ पौइंट्स दिए जा रहे हैं. अपनी जिंदगी में इन पौइंट्स को अपनाएं. फिर देखें कि लोग किस कदर आप को प्यार करते हैं:

1. रिश्तों में इमोशनल मैच्युरिटी होनी चाहिए. सब के लिए इमोशंस बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं. लेकिन इमोशनल होते ही मानसिकता को झटका लगता है. ऐसे में रिश्तों को बहुत सूझबूझ के साथ संभालना ही रिश्तों को बनाए रखता है. इमोशनल मैच्युरिटी इस बात से प्रमाणित होती है कि किसी छोटी और नजरअंदाज किए जाने लायक बात को मुद्दा न बनाया जाए. तुनकमिजाजी काम बिगाड़ती है.

2. खासतौर पर यदि पतिपत्नी दोनों या दोनों में से एक संदेह का शिकार हो तो रिश्ता बिगड़ने में देर नहीं लगती है. संदेह रिश्तों को बिगाड़ने के लिए दीमक की तरह काम करता है. रिश्तों का आधार विश्वास हो तो जीने का आनंद ही अद्भुत और स्थाई होता है. अत: शक को रिश्तों के बीच न आने दें. शक की संभावना तब बहुत बढ़ जाती है जब पतिपत्नी अपने दोस्तों का सर्कल बहुत विस्तृत बना लेते हैं. और मेलजोल जरूरत से ज्यादा बढ़ा लेते हैं.

3. जिन घरों में बच्चों के सामने मातापिता लड़तेझगड़ते रहते हैं या पति पत्नी को घर आए मेहमानों के सामने बेइज्जत और हर्ट कर देता है वहां रिश्तों को अच्छा बनाए रखना कितना मुश्किल होता है, इस बात का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं. घर का माहौल अच्छा बनाए रखना घर के लिए जरूरी है. रिश्तों में जान भरने की कोशिश तो कर के देखें, फिर जीना बहुत आसान हो जाएगा.

4. रिश्तों की मजबूती के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम पूर्वधारणा से बचें. ये हैं पूर्वधारणाएं:

दोस्त धोखेबाज हो सकते हैं़  उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. उन्हें अपनी विश्वसनीयता प्रूव करने का मौका दिया जाना चाहिए. अगर वे ठीक प्रमाणित होते हैं तभी भरोसा किया जा सकता है.

सासबहू के संबध अच्छे नहीं होते हैं, यह पूर्वधारणा सासबहू दोनों के लिए रचनात्मक सोच अपनाने में बाधक बनती है.

प्रेम का मूलमंत्र है प्यार पाने के लिए प्यार देना. अधिकतर देखा जाता है कि हम प्यार पाना चाहते हैं बगैर प्यार अपनी तरफ से दिए और बिना अपनी ओर से प्रयत्न किए.

5. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक डा. एरिक बर्न की सलाह है कि हमें अपने मन की 3 स्थितियों का खास खयाल रखना चाहिए. ये मैंटल ईगो स्टेट हैं- चाइल्ड, पेरैंट और अडल्ट़ रिलेशन के लिए इन ईगो स्टेट को समझना जरूरी है. चाइल्ड ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो विद्रोह या क्रोधित करता है. पेरैंट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है जो मार्गदर्शन और निर्देश करता है. अडल्ट ईगो स्टेट हम से वह व्यवहार कराता है, जो तर्कबुद्धि के मानदंड पर खरा उतरता है. व्यवहार करते समय अगर हम इन 3 ईगो स्टेट को संतुलित कर लेते हैं, तो हम रिश्तों को बखूबी निभाने में सफल हो जाते हैं.

6. यह मान कर चलें कि 2 लोगों के विचारों का मेल न खाना स्वाभाविक है. जीवन को सुखी और आनंदमय बनाना हमारा संयुक्त प्रयास है. बुरे वक्त में एकदूसरे का साथ देना अच्छा गुण है. रिश्तों के एहसास को जिंदा रखें.

7. मुसकराहट ऐसी चीज है जो स्वयं को सकारात्मक सोच देती है. इसलिए मुसकराएं और दूसरों को खुश रखें. रिश्तों में उतनी ही उम्मीदें रखें जितनी आसानी से पूरी हो सकें. खुश और संतुष्ट रहने के लिए अच्छे लोगों के सर्कल में रहें. अच्छा माहौल बनाना सब के हित में है.

8. आज से ही रिश्तों से संबंधित जो फैसले आप ले रहे हैं उन का अध्ययन करें कि क्या वे फैसले ठीक हैं या गलत. गलत फैसलों से खुद को बचाएं. अपने रिश्तों में विश्वसनीयता और पारस्परिक सौहार्द की भावना को प्रबल बनाएं. आखिर यह आप की जिंदगी है. इसे आप जिम्मेदारी के साथ नहीं संभालेंगे तो कैसे अपने संपर्क में आने वाले लोगों को सुख, संतुष्टि और आनंद का साधन बना पाएंगे? जिंदगी एक लंबा सफर है. इस की बारीकियों को समझने की कोशिश करें.

जानें क्या होता है मिड एज सिंड्रोम

अकसर हम 40-45 साल के कुछ ऐसे लोगों को देखते हैं, जो युवाओं की तरह भड़कीले कपड़े पहने उन के जैसा ही व्यवहार करते नजर आते हैं. कुछ इस से भी आगे बढ़ कर अपने से काफी छोटी उम्र के लोगों की ओर आकर्षित होते हैं और उन्हें भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरहतरह के नुसखे तथा पैतरे आजमाते दिखते हैं. इस तरह की स्थितियां जब सहजता की सीमा को पार करने लगती हैं, तो वे मिड लाइफ क्राइसिस, मिड लाइफ सिंड्रोम अथवा मिड एज सिंड्रोम कही जाती हैं. इस पर काफी अध्ययन और शोध भी हुए हैं.

होता क्या है

40-45 की उम्र तक पहुंचतेपहुंचते व्यक्ति कैरियर, गृहस्थी आदि में काफी हद तक सैटल हो जाता है. तब उस के पास अपने बारे में सोचनेविचारने का समय रहता है. ऐसे में अकसर उसे यह महसूस होता है कि युवावस्था उस के हाथ से निकलती जा रही है. वह जीवन की रोजमर्रा की जुगत में ठीक से उस का उपयोग नहीं कर पाया. अत: वह तरहतरह से उसे ठहराना, पकड़ना तथा भरपूर जीना चाहता है. ऐसे में समाज की मान्यताएं, सोच, हदें और सीमाएं उस की इस मनमरजी में बाधक लगती और बनती हैं. तब उस के भीतरबाहर द्वंद्व की स्थिति होती है, जो मिड लाइफ क्राइसिस कही जाती है.

पुरुषों में ज्यादा

वैसे यह क्राइसिस स्त्रीपुरुष दोनों में होती है, परंतु पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में कम व देर से होती है और कम समय रहती है. पुरुषों में स्त्रियों की अपेक्षा नेचर और स्थितियों के साथ समायोजन की क्षमता कम होती है तथा वे अपनी मरजी से जीवन जीने के अधिक अभ्यस्त होते हैं, इसलिए भी उम्र की फिसलन उन की इच्छाओं में ज्यादा बढ़ोतरी करने लगती है. मनोचिकित्सक डा. संजय चुघ के अनुसार, इस क्राइसिस में व्यक्ति को लगता है कि उस की आधी जिंदगी बीत चुकी है. बची हुई जिंदगी वह अपनी मरजी से जीए. वह पहनावे, फिटनैस वगैरह का खास ध्यान रखने लगता है और युवा दिखने की भी काफी कोशिश करता है. अपनी जिंदगी में आई रिक्तता को भरने के लिए वह उस में ऐक्साइटमैंट लाना चाहता है. इस फेर में वह रोमांस तथा फ्लर्टिंग खोजने लगता है. उस का व्यवहार किशोरावस्था के व्यवहार जैसा होने लगता है. सिर्फ मनोवैज्ञानिक कारण ही नहीं हारमोनल बदलाव को भी इस के लिए जिम्मेदार माना गया है.

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स्त्रियों में कम क्यों

मनोचिकित्सकों के अनुसार स्त्रियां जीवन के तनावों, दबावों तथा हारमोनल बदलावों को सहज एवं प्राकृतिक रूप से टैकल कर लेती हैं. कई कार्यों, गतिविधियों में जीवन को व्यस्त कर लेती हैं. आमतौर पर खालीपन उन्हें खलता नहीं. वे उसे किसी न किसी तरह भर लेती हैं. इस मुद्दे पर कई स्त्रियों से बातचीत की तो उन्होंने इस के बारे में बताया. डा. पूनम आनंद लाजपत नगर, दिल्ली के विद्यालय में साइंस की शिक्षिका हैं. वे कहती हैं, ‘‘हम ने ये उम्र पार कर ली पर हमें इस की क्राइसिस का आभास इसलिए नहीं हुआ कि हमारे लिए बच्चों का कैरियर सैटलमैंट और जीवन के अन्य लक्ष्य भी महत्त्वपूर्ण हैं.’’ गुड़गांव केंद्रीय विहार में कार्यरत एक सौंदर्य विशेषज्ञा कहती हैं, ‘‘मेरे पास हर उम्र की महिलाएं आती हैं और वे सभी हर उम्र में सुंदर दिखना चाहती हैं. 44-45 की उम्र में भी एज क्राइसिस मैं ने उन में नहीं देखी. वे तो हमेशा ही जवान व सुंदर दिखना चाहती हैं.’’

डा. वीरेंद्र सक्सेना कहते हैं, ‘‘मैं फिल्मी पत्रिका ‘माधुरी’ का संपादक रहा. उस के लिए काम संबंधों पर शोध के दौरान किए गए इंटरव्यूज में मैं ने पाया कि स्त्रियां जीवन में मिले खाली समय को निरर्थक नहीं समझतीं, वे चीजों को बहुत सकारात्मकता से देखती हैं तथा खाली समय का भी सार्थक निवेश करती हैं.’’

क्या हो सकते हैं लक्षण

पदप्रतिष्ठा को भूल कर प्यार, रोमांस का तलबगार हो जाना.

कभीकभी पदप्रतिष्ठा को दांव पर भी लगा देना.

विवाहेतर संबंधों में दिलचस्पी.

दांपत्य में एकरसता, ऊब या बासीपन अनुभव करना.

सोशल साइट्स, इंटरनैट, अश्लीलता आदि की ओर रुझान बढ़ना.

हास्यास्पद हरकतें.

ब्रिटेन में मिड एज क्राइसिस पर हुए शोध में कई लक्षण प्रकाश में आए जैसे:

अपने से 20-25 वर्ष कम उम्र की लड़कियों से फ्लर्टिंग.

पुराने साथियों और लोगों को खोजना.

मित्र या अपनों की खुशी में खुश न होना.

उम्र छिपाना.

बाल झड़ने, तोंद बढ़ने अथवा बाल सफेद होने आदि की चिंता.

क्या इस क्राइसिस का है समाधान

जीवन की स्थितियों को सहजता से ले कर समायोजन कर लेते हैं, उन्हें इस क्राइसिस का अनुभव तो दूर, उन का तो इस का नाम तक लिए बिना जीवन गुजर जाता है. जीवन को लक्ष्य से जोड़े रखना बेहतर है. प्रोफैशनल जीवन के अलावा छोटेछोटे अन्य लक्ष्य भी बनाए जा सकते हैं. रुचियों और अधूरी इच्छाओं को समय दिया जा सकता है.

उम्र के हर पड़ाव का है चार्म

हर उम्र का अपना मजा है, अपना चार्म है. जिस बचपन या यौवन को इस उम्र की क्राइसिस में याद किया जा रहा है, उम्र के उस दौर में भी क्राइसिस कम न थी. अपनेआप को साबित करने, पढ़नेलिखने तथा अन्य हारमोनल तनावदबाव तथा आकर्षण भी बाधक थे. उम्र के अनुरूप व्यवहार, रहनसहन तथा हावभाव अच्छे लगते हैं. अगर बच्चे कहने लगें कि पापा को क्या हो गया? या डैडी तो बड़ी छिछोरी हरकतें करते हैं…, तो इस तरह की बातें कहीं का नहीं रहने देतीं. सर्दीगरमी, बरसात की तरह ही हर उम्र का मौसमी फ्लेवर है.

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लाइफ बिगिन्स आफ्टर फोर्टी

40 के बाद सही आनंदमय जीवन के चार्म को इस कहावत के जरीए दर्शाया गया है. यही तो समय है जब पैसे से ले कर कैरियर तक की सही कमान हाथ में आती है. इस का आनंद लेना आसपास के लोगों से सीखा जा सकता है. दुनिया भर की कई मशहूर हस्तियां 40 के बाद ही मुकाम पर पहुंचीं.

काबू न किए जाने पर किरकिरी

इस उम्र की क्राइसिस को मैनेज न कर पाने पर बहुत किरकिरी होती है. पुरुषों में तो 60-70 साल की उम्र तक यह सिंड्रोम रह सकता है, जिस की वजह से बिल क्लिंटन, बलुस्की और दुनिया की कई और भी जानीमानी हस्तियों की बहुत किरकिरी हुई है. मैनेज न किए जाने पर यह तनाव दबाव का रूप ले कर सफलता को असफलता, चरित्र को चरित्रहीनता और गुण को अवगुण में तबदील कर सकता है.

आ रही है अवेयरनैस

इस क्राइसिस के प्रति दुनिया भर में जागरूकता लाई जा रही है. पुराने समय में भी इस तरह की मनोवृत्तियों को कहावतों, मुहावरों के जरीए दर्शाने का प्रयास रहा है. जैसे सींग कटा कर बछड़ों में शामिल होना, बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम और पचपन में दिन बचपन के वगैरह.

बौलीवुड में भी ‘बीवी नं. 1’, ‘गैंड मस्ती’, ‘नो ऐंट्री’ जैसी फिल्में बनी हैं, जो इस एज क्राइसिस की ओर ध्यान दिला कर बचाव का संदेश देती हैं.

बच कर रहना ठीक

दांपत्य में एकरसता, उपेक्षा न आने दी जाए. जीवनसाथी के जीवन की रिक्तता को पूरा किया जाए. नवीनता और बदलाव की इच्छा को साथी द्वारा सैक्स, रहनसहन और लाइफस्टाइल की नईनई तकनीकें अपना कर टैकल किया जा सकता है. जब भी ऐसा एज सिंड्रोम सिर उठाए, तो उसे सकारात्मक व सही दिशा दे कर जीवन का और लुत्फ लिया जा सकता है. कुछ लोग जीवन में नए लक्ष्य और कार्यों के लिए उत्सुक, सीखने के लिए आतुर और घूमने के लिए व्याकुल नजर आते हैं वे काफी हद तक इसे सही दिशा में स्वयं ही मोड़ लेते हैं.

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जानें शादी से जुड़ी जिज्ञासाओं का जवाब

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी अथवा बहन से.

सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए? तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे? हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो, आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

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ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है. अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

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ध्यान देने योग्य बातें

सैक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कालम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कालम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कालमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

मैं टूरिंग जौब के लिए परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 25 साल का हूं. शादी को 3 साल हो चुके हैं. मेरा रोजाना हमबिस्तरी करने का मन करता है, लेकिन काम की वजह से मुझे बाहर जाना पड़ता है. ऐसे में मुझे नींद नहीं आती और लगता है कि किसी भी लड़की के साथ सोऊं. मेरा काम ऐसा है कि बीवी को अपने साथ नहीं रख सकता. कभी मुझे कहीं जाना पड़ता है, तो कभी कहीं. मेरी दिक्कत दूर करें?

जवाब

आप को टूरिंग जौब छोड़ कर ऐसी नौकरी खोजनी चाहिए, जिस में हर रात आप घर पर रह सकें. आप पूरी मेहनत से ऐसी नौकरी की तलाश करेंगे, तो जरूर कामयाब होंगे. तब बीवी का साथ आप को रोजाना मिलेगा.

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सैक्स में युवती भी बन जाए कभी युवक

सैक्स की इच्छा युवक व युवती दोनों की होती है. पर देखा यह गया है कि युवक ही इस की शुरूआत करते हैं पर यदि युवती सैक्स की शुरुआत करे तो युवक को भरपूर आनंद मिलता है लेकिन समस्या यह है कि सैक्स की पहल करे कौन? इस बारे में किए गए एक शोध में पता चला है कि तकरीबन 80 प्रतिशत युवक सैक्स की शुरुआत और इच्छा जाहिर करते हैं. 10 प्रतिशत ऐसे युवक भी हैं जो सैक्स की इच्छा होने पर भी बिस्तर पर पहुंच कर युवती की इच्छाअनिच्छा जाने उस पर टूट पड़ते हैं. कई इस दुविधा में रहते हैं कि पहल करें या न करें.

सैक्स की इच्छा

सैक्स युवकयुवती का सब से निजी मामला है. दोनों आपसी सहमति से इस का मजा लेते हैं. इस मामले में देखा गया है कि सैक्स की पहल युवक ही करते हैं. इस का मतलब यह नहीं कि युवतियों में सैक्स की इच्छा नहीं होती या वे सैक्स संबंध के लिए उत्सुक नहीं रहतीं.

सच तो यह है कि हमारे देश (मुसलिम देशों में भी) में युवतियों के दिमाग में बचपन से ही यह बात भर दी जाती है कि सैक्स अच्छी बात नहीं होती. इस से बचना चाहिए. अपने प्रेमी के सामने भी कभी सैक्स की इच्छा जाहिर नहीं करनी चाहिए. न ही खुद इस की पहल करनी चाहिए. यह बात उन के दिमाग में इस कदर बैठ जाती है कि प्रेम के बाद वे अपने प्रेमी से इस बारे में बात नहीं कर पाती और न ही खुल कर इच्छा जाहिर कर पाती हैं.

एक महत्त्वपूर्ण बात और है, सबकुछ भूल कर साहस के साथ यदि कोई युवती अपने प्रेमी से सैक्स की पहल कर दे तो उस के लिए आफत आ सकती है, क्योंकि उस का प्रेमी उसे खाईखेली समझ सकता है. इसी भय से सैक्स की इच्छा होते हुए भी युवती इस की पहल नहीं करती. यह बात सच है कि युवकों में युवतियों के सैक्स की पहल को ले कर गलत धारणा है कि जो युवती सैक्स की पहल करती है वह खेलीखाई होती है. देश में आज भी सैक्स को बुराई ही समझा जाता है इसलिए भी युवतियां अपनी ओर से पहल करने से कतराती हैं जबकि विदेशों की युवतियां बराबर शरीक होती हैं.

कनाडा के एक मनोचिकित्सक डा. भोजान ने हाल ही में सैक्स की पहल को ले कर औनलाइन सर्वे करवाया, जिस में यह पता करना था कि सैक्स को ले कर युवक और युवतियों का नजरिया क्या है. अधिकतर युवतियां सैक्स को भरपूर ऐंजौय करना तो चाहती हैं, पर सैक्स की पहल उन के ऐंजौय में आड़े आती है. इच्छा होने पर भी वे पहल नहीं कर पातीं और अनिच्छा होने पर मना भी नहीं कर पाती हैं. डा. भोजान का कहना है, युवतियों को सैक्सुअली ऐक्टिव बनाने के लिए उन में इमोशंस की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. सैक्स का आनंद वे तभी उठा पाती हैं.

मजेदार बात यह है कि सैक्स की पहल को ले कर युवकों का नजरिया काफी बदला है. अब युवक भी चाहता है कि उस की पार्टनर सैक्स के बारे में उस से खुल कर बात करे. उस से सैक्स की इच्छा जाहिर करे.

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यह जान कर अधिकतर युवतियों को विश्वास नहीं होगा कि औनलाइन सर्वे में पता चला है कि युवक अपने मन में युवती की तरफ से पहल की चाह संजोए रहते हैं, लेकिन उन की चाह बहुत कम ही पूरी हो पाती है. युवतियों द्वारा पहल न करने की वजह से मजबूरन युवकों को अपनी तरफ से पहल करनी पड़ती है.

युवती करे पहल

जब सैक्स की चाह युवती और युवक दोनों में समान होती है तो ऐसे में सिर्फ युवक ही सैक्स की पहल क्यों करें? युवतियों को भी कभीकभी सैक्स की पहल करनी चाहिए ताकि वे सैक्स को अपनी तरह से ऐंजौय कर सकें.

सर्वे में यह भी पता चला है कि युवतियों को ले कर उन की सोच बदल रही है. युवक भी यह बात समझने लगे हैं कि सैक्स की इच्छा सिर्फ उन में ही नहीं युवतियों में भी होती है. ऐसे में युवती अपने पति से सैक्स की पहल करती है तो इस में बुराई क्या है? सर्वे में अनेक युवकों का कहना था कि अपनी पार्टनर की ओर से की गई पहल उन की रगरग में जबरदस्त जोश भर देती है.

डा. भोजान कहते हैं कि युवक के जोश का युवती के सैक्सुअल सैटिस्फैक्शन से सीधा संबंध होता है. मतलब अपनी ओर से की गई पहल का फायदा उन्हें सीधे तौर पर मिलता है.

युवतियों को अब जान लेना चाहिए कि जमाना बदल गया है. दुनिया भर के युवकों की सोच भी बदल रही है. अपनी झिझक और डर को दूर कर बेझिझक हो कर आप भी कभीकभी युवक बन जाएं और सैक्स ऐंजौय करें.

यहां कुछ तरीके बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपना कर आप पार्टनर को सैक्स के लिए उत्साहित कर सकती हैं.

आत्मविश्वास लाएं : सब से पहले अपने अंदर आत्मविश्वास लाएं, ताकि बेझिझक सैक्स की पहल कर सकें.

मूड बनाएं : अपने पार्टनर के मूड को देखें और उस के साथ प्यार भरी बातें करें. आप की बातें ऐसी होनी चाहिए कि इस में तैरते हुए सैक्स में डूब जाएं. लव मेकिंग के दौरान खुल कर सैक्स की बातें करें. यदि आप शर्मीली हैं तो डबल मीनिंग वाले नौटी जोक्स उन पलों का मजा बढ़ा देंगे.

तारीफ करें : आज की रात आप खुद ही लगाम थामिए. सब से पहले उन की तारीफ की झड़ी लगा दें. फिर कान में फुसफुसा कर  अचानक किस कर उन्हें हैरान करें. कान में की गई फुसफुसाहट उन की रगों में खून का लावा भर देगी. जब हर कहीं ऐक्सपैरिमैंट की बहार चल रही है तब सैक्स लाइफ में इसे क्यों न आजमाएं.

छेड़छाड़ करें : लव मेकिंग के लिए छेड़छाड़ को मामूली क्रिया न समझें. अपनी ओर से पहल करते हुए पार्टनर के साथ छेड़छाड़ करें. इस दौरान कमरे की लाइट धीमी कर दें. साथ में हलका रोमांटिक हौट म्यूजिक बजा दें. कमरे की धीमी लाइट में आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं, जिस से रोमांस हार्मोंस शरीर में तेजी से बढ़ने लगता है. साथ में हौट म्यूजिक. इस पल के लिए पूरी रात भी आप के लिए कम पड़ेगी.

आकर्षक लगें : सैक्स की इच्छा अपने पार्टनर से जाहिर करनी है तो अट्रैक्टिव व सैक्सी मेकअप करें. फिर देखें बैडरूम में अपनी बोल्ड ब्यूटी को देख कर उन्हें आज की रात का प्लान समझते देर नहीं लगेगी.

माहौल बनाएं : अपने आसपास का माहौल खुशबूदार व रोमांटिक बनाएं. इस के लिए बेहद हौट म्यूजिक बजाएं. रोमांटिक सौंग गुनगुनाएं. तेज परफ्यूम का छिड़काव करें. ऐेसे माहौल में उन के अंदर आग भड़काने में देर नहीं लगेगी. आप के शरीर की भीनीभीनी खुशबू और गरम सांसें उन को बेचैन करने के लिए काफी हैं. क्यों न उन की पसंद की खुशबू का इस्तेमाल कर उन्हें कहर ढाने के लिए मजबूर कर दें.

खुलापन लाएं : अपने पार्टनर पर खुल कर प्यार लुटाएं. किस करें, गले लगें, बांहों में जकड़ लें. आहें या सिसकियां भरें, ब्लाउज या ब्रा के बटन लगाने या खोलने के बहाने उन्हें अपने पास बुलाएं, टौवेल में उन के सामने हाजिर हो जाएं. आप के खुलेपन को देख कर आप की भावनाओं को वे बड़ी आसानी से समझ जाएंगे. मूड न होने पर भी उन का मूड बन जाएगा.

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सैक्सी लौंजरी : लौंजरी, नाइटी या अंडरगारमैंट की खूबी को ऐसे मौके पर इस्तेमाल करें. इन्हें खरीदते वक्त खासकर इस के फैब्रिक पर ध्यान दें. महीन, मुलायम और फिसलन वाले फैब्रिक हो, जिन पर हाथ फेरते ही उन के हाथ खुदबखुद फिसलने लगेंगे. इस के आकार और रंग का भी ध्यान रखें. यह आप की नहीं उन की पसंद की हो.

हौलेहौले : यदि आप रात को कुछ खास बनाना चाहती हैं तो देर न करें. उन के बैडरूम में आते ही उन के नजदीक जा कर प्यार जताएं. एकएक कर उन के कपड़े उतारना शुरू करें. आप का बदला रूप देख कर वे ऐक्साइट हो जाएंगे. उन्हें हौट होने में देर नहीं लगेगी. यह उन्हें शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी उत्तेजित करता है.

पोर्न ट्रंप : अगर आप सचमुच में सैक्स के क्लाइमैक्स को ऐंजौय करना चाहती हैं तो पोर्न को ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल करें. उन के सामने पोर्न फिल्म, साइट, मैगजीन या अन्य सामग्री ले कर बैठ जाएं. फिर देखें उन में कैसे जोश भरता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरा बौयफ्रेंड किसी और को चाहने लगा है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से 3 वर्षों से प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता है. बीच में हम दोनों में कुछ मनमुटाव हो गया था. अब वह कहता है कि वह मुझे नहीं किसी और को चाहता है. मैं उसे भुला नहीं सकती. दिनरात रोती हूं. कभी वह कहता है कि लौट आओ. मुझे उस के व्यवहार को ले कर बहुत गुस्सा आता है, यह सोच कर कि उस ने मेरा मजाक बना रखा है. क्या मैं उस पर भरोसा करूं या नहीं?

जवाब

एकदूसरे को समझने के लिए 3 साल का समय बहुत होता है. यदि आप का प्रेमी आप से साफसाफ कह चुका है कि वह आप को नहीं किसी और लड़की को चाहता है तो आप को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए और उस से किनारा कर लेना चाहिए. अपने पहले प्यार को भुलाना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है पर नामुमकिन नहीं. समय बीतने के साथ आप के दिलोदिमाग से उस की यादें मिट जाएंगी.

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लगभग एक साल पहले भंवरताल गार्डन जबलपुर में रहने वाली आयशा ने स्वास्थ्य महकमे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात अपने पति डा. शफातउल्लाह खान की हत्या इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उस का पति अपने विभाग की कई महिला कर्मचारियों से अवैध संबंध रखता था. अपनी अय्याशी की वजह से पत्नी के साथ संबंध भी नहीं बनाता था और पत्नी को प्रताडि़त करता था. हद तो तब हो गई जब पति ने पत्नी की नाबालिग भतीजी को अपनी हवस का शिकार बना लिया और इस से नाबालिग को गर्भ ठहर गया. तंग आ कर पत्नी ने सुपारी दे कर उस की हत्या करवा दी. इसी तरह दिसंबर 2019 में नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक युवक आशीष की हत्या उस के दोस्त पंकज ने इसलिए कर दी थी, क्योंकि आशीष ने पंकज की पत्नी से सैक्स संबंध बना रखे थे.

ये घटनाएं साबित करती हैं कि समाज में बढ़ते व्यभिचार और विवाहेत्तर संबंधों के कारण अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आमतौर पर विवाह होने के बाद पति और पत्नी के बीच के सैक्स संबंध प्रारंभ के कुछ वर्षों में तो ठीक रहते हैं, परंतु बच्चों के जन्म के बाद पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न देना और सैक्स संबंधों के प्रति लापरवाही कलह का कारण बन जाते हैं.

सैक्स स्पैशलिस्ट बताते हैं कि सुखद सैक्स उसी को माना जाता है जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सैक्स संबंधों में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

Valentine’s Special: प्यार जताना भी है जरूरी

पतिपत्नी के नाजुक रिश्ते की डोर प्यार से बंधी होती है. वैवाहिक जीवन खुशीखुशी बीते, इस के लिए प्यार का इजहार बेहद जरूरी है. आपसी रिश्ते में गरमाहट बनी रहे, इस के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे के सामने प्यार को जताते रहना चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार विवेक सक्सैना ने लव मैरिज की है. वे अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हैं. अकसर वे शाम को अपनी पत्नी को लेने औफिस जाते हैं. महीने में 2-3 बार उन्हें शौपिंग के अलावा रेस्तरां में खाना खिलाने भी ले जाते हैं. नेपाल के पूर्व गृहमंत्री एवं सांसद खड़का ने दूसरी जाति में 26 साल पहले लव मैरिज की. जब भी उन्हें लगता है कि बहुत दिन हो गए हैं अपनी पत्नी से प्यार जताए, तो वे उन्हें न सिर्फ बेशकीमती तोहफा देते हैं, बल्कि दोनों नेपाल से 10-15 दिनों के लिए बाहर चले जाते हैं. उन का रोमांटिक पल दोनों को बेहद करीब लाता है.

यौवन को रखें जीवंत

प्यार जताने में उम्र कभी भी बाधक नहीं होती. अगर आप की उम्र ज्यादा लग रही हो, तो ब्यूटी पार्लर, योगाभ्यास को अपनाएं. थोड़े से प्रयास से आप युवा दिख सकती हैं. आत्मविश्वास से भरे कदम, पहननेओढ़ने का सलीका, बातव्यवहार का कशिश भरा अंदाज आप दोनों के आकर्षण को ही नहीं दर्शाता, बल्कि एकदूसरे के प्रति प्यार को भी जताता है. बस, दिनचर्या के रूटीन को झटकें और प्रेम में सराबोर हो जाएं. नए लुक को देख कर पति महोदय आप की मुसकराहट से आप के नैनों की शरारती भाषा को समझ कर प्यार जताना नहीं भूलेंगे.

प्यार भरा स्पर्श

जब भी आप के साथी को लगे कि आपस में प्यार के मिठास की चाशनी कम हो रही है, नीरसता आहिस्ताआहिस्ता कदम बढ़ा रही है, तो बहुत जरूरी होता है प्यार को सलीके से जताना. एकदूसरे को प्यार भरा स्पर्श करें, बांहों में भर कर आहिस्ताआहिस्ता सहलाएं, आलिंगन में कस लें, केशों को उंगलियों से सहलाएं, प्यार भरे चुंबन लें. आप का यह सौफ्ट प्यार जताना उन के दिल को छू लेगा. प्यार को महसूस कराने का एक तरीका यह भी है कि आप का चेहरा हमेशा खिलाखिला रहे. होंठों पर मुसकराहट हो. आप चाहे हाउसवाइफ हों या कामकाजी महिला, आप के कपड़ों, हाथों से प्याजलहसुन, मसाले की गंध न आए. औफिस से पति के आने पर सजसंवर कर प्यार भरे अंदाज में उन्हें मिलें.

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भेजें संदेश भी

ईमेल पर अपना प्यार भरा संदेश कभीकभी जरूर भेजें. एस.एम.एस. में ‘आई लव यू’, ‘विदाउट यू आई एम नथिंग’, ‘यू आर माई हार्ट बीट’ आदि रोमांटिक शब्दों से उन्हें प्यार का एहसास कराएं. उन्हें फोन कर के रेस्तरां, तो कभी पार्क, तो कभी पिक्चर हाल पर बुलाएं. ग्रीटिंग कार्ड में ‘मिसिंग यू’, ‘कम सून’, ‘लव यू’ लिख कर कार्ड पति महोदय के औफिस के बैग में रख दें. बैडरूम, ड्राइंगरूम, ड्रैसिंग टेबल पर ग्रीटिंग कार्ड ऐसे रखें कि उन की निगाह जरूर पड़े. आप का प्यार जताना उन्हें जरूर भाएगा.

पति की पसंद का ध्यान रखें

कहावत है कि पुरुषों के दिल तक पहुंचने का रास्ता पेट से हो कर ही जाता है. उन की मनपसंद डिश बनाएं, उन्हें प्यार से खिलाएं. कई बार फोन पर ही पूछ लें कि खाने में क्या बनाना है. उन्हें अच्छा लगेगा कि आप उन्हें कितना चाहती हैं और उन की पसंदनापसंद का ध्यान रखती हैं. हाईकोर्ट के सीनियर ऐडवोकेट आर.एम. तुफैल का मानना है कि पतिपत्नी को आपसी संबंधों में मजबूती के लिए एकदूसरे से प्यार का इजहार बारबार करते रहना चाहिए. वरना कभीकभी जीवन ऐसे मोड़ पर आ जाता है जहां दोनों एकदूसरे के प्रति निराश ही नहीं हो जाते, बल्कि प्यार के अभाव में लड़ाईझगड़े भी होने लगते हैं. डिप्रैशन के चलते तलाक तक की भी नौबत आ जाती है.

आलिंगन एवं चुंबन

प्यार जताने का यह सशक्त माध्यम है. भागमभाग भरी जिंदगी में कुछ पल अपने लिए निकालने चाहिए. औफिस जाते वक्त, बैडरूम या स्टडीरूम में जैसे ही वे आएं उन के होंठों पर चुंबन कर प्यार से सराबोर कर दें. उन्हें अपने नजदीक होने का एहसास कराएं. आप का यह रूप उन के अंदर नई ऊर्जा भर देगा.

खास होने का एहसास कराएं

एकदूसरे के चेहरे को पतिपत्नी बखूबी पढ़ लेते हैं. औफिस से आने पर पति को परेशान देख कर उन के साथ प्यार जताएं. उन के हाथों को अपने हाथों में ले कर उन की काबिलीयत की तारीफ करें. उन की बातें प्यार से सुनें. उन के आराम पर ध्यान दें. परेशानी को दूर करने व उन का मूड बदलने के लिए उन्हें रोमांटिक एहसास कराएं. अंतरंग पलों में ले जाएं. उन की परेशानी भी दूर होगी, साथ ही उन्हें प्यार का वह क्षण नया भी लगेगा.

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फूलों से करें स्वागत

प्यार का प्रतीक फूल भी हैं, जो आप के अंदर मस्ती और जोश को भर देते हैं. नईनई शादी के बाद औफिस से फोन करना, फूलों का गजरा लाना, जैसी छोटीछोटी चीजों को कतई नजरअंदाज न करें. कभीकभी पत्नी को चाय की प्याली के साथ लाल गुलाब दे कर ‘आई लव यू’ कहें. तकिए के पास फूलों की पंखुडि़यां बिखेर दें. बैडरूम में फूलों का गुलदस्ता रख कर कमरे में रोमैंटिक एहसास लाएं. अपने प्यार का इजहार कुछ अलग अंदाज में करें.

यौन इच्छाएं जाग्रत रखें

पतिपत्नी एकदूसरे की यौन इच्छाओं के प्रति स्नेहपूर्ण बर्ताव रखें. एकदूसरे को संतुष्ट रखें. आंखों से, मुसकरा कर अपनी भावनाओं को व्यक्त करें. बौद्धिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक संतुष्टि के लिए प्यार को बरकरार रखें. इसे कह कर जताएं.

उन्हें महक से करें मदहोश

अच्छी खुशबू वाला परफ्यूम लगाएं. खुशबू से वे आप तक खिंचे चले आएंगे. उन्हें भी अच्छी क्वालिटी का डियो या परफ्यूम दें.

एकदूसरे को उपहार दें

साथ रहते हुए एकदूसरे की पसंदनापसंद का पता लग ही जाता है. उन का मनपसंद गिफ्ट दे कर प्यार को जताएं.  

करें कुछ नया

आप दोनों एकदूसरे को चाहे बेहद प्यार क्यों न करते हों फिर भी कभीकभी ‘आई एम योर्स’, ‘प्लीज लव मी’, ‘हग मी’, ‘किस मी’ जैसे प्यार भरे शब्दों को कह कर अपने प्यार की गहराई को महसूस कराएं.

यदि पति कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं, तो उन्हें प्यारा सा कार्ड अवश्य दें.

घर में आतेजाते एकदूसरे को हलका स्पर्श करें, अपने चुलबुलेपन और शरारती प्यार को उन्हें दिखलाएं.

उन के बालों में कलर करें. उन का फेशियल करें, उन्हें खुद कभीकभी नहलाएं.

छुट्टी के दिन दोनों ही एकदूसरे की पसंदनापसंद हर इच्छा को पूरा करने को तैयार रहें.

मनपसंद ड्रैस पहनें और छुट्टी के दिन का प्लान उन के मुताबिक करें.

पत्नी के लिए समय पर पहुंचें, चाहे वह घर पर हो या बाहर.

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मेरी मंगेत्तर ने किसी और से शादी कर ली, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 28 साल का हूं. जिस लड़की से मेरी शादी तय हुई थी, वह 6 महीने तक मेरे संपर्क में रही और मेरे साथ सोई भी. मुझ से पहले उस की शादी कहीं और तय हुई थी, पर दहेज के चलते टूट गई थी. लड़की चोरीछिपे उस लड़के के संपर्क में भी रही और उसे चचेरी बहन का मंगेतर बताती रही. वह यह भी कहती थी कि उस का अंग खराब है. मगर आखिरकार उस ने उसी लड़के से शादी कर ली. मैं उसे बहुत प्यार करता हूं. अब मैं क्या करूं?

जवाब

वह लड़की हमबिस्तरी की काफी शौकीन है. अच्छा हुआ, जो आप बच गए. उस ने आप को चखा और शायद उस लड़के को भी. आखिर में उसे बेहतर पा कर उस से शादी कर ली. आप झूठी और कामुक लड़की के जाल से बच गए, लिहाजा, उस का फरेब वाला प्यार भी भूल जाएं.

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अगर पत्नी पसंद न हो तो आज के जमाने में उस से छुटकारा पाना आसान नहीं है. क्योंकि दुनिया इतनी तरक्की कर चुकी है कि आज पत्नी को आसानी से तलाक भी नहीं दिया जा सकता. अगर आप सोच रहे हैं कि हत्या कर के छुटाकारा पाया जा सकता है तो हत्या करना तो आसान है, लेकिन लाश को ठिकाने लगाना आसान नहीं है. इस के बावजूद दुनिया में ऐसे मर्दों की कमी नहीं है, जो पत्नी को मार कर उस की लाश को आसानी से ठिकाने लगा देते हैं. ऐसे भी लोग हैं जो जरूरत पड़ने पर तलाक दे कर भी पत्नी से छुटकारा पा लेते हैं. लेकिन यह सब वही लोग करते हैं, जो हिम्मत वाले होते हैं. हिम्मत वाला तो पुष्पक भी था, लेकिन उस के लिए समस्या यह थी कि पारिवारिक और भावनात्मक लगाव की वजह से वह पत्नी को तलाक नहीं देना चाहता था. पुष्पक सरकारी बैंक में कैशियर था. उस ने स्वाति के साथ वैवाहिक जीवन के 10 साल गुजारे थे. अगर मालिनी उस की धड़कनों में न समा गई होती तो शायद बाकी का जीवन भी वह स्वाति के ही साथ बिता देता.

उसे स्वाति से कोई शिकायत भी नहीं थी. उस ने उस के साथ दांपत्य के जो 10 साल बिताए थे, उन्हें भुलाना भी उस के लिए आसान नहीं था. लेकिन इधर स्वाति में कई ऐसी खामियां नजर आने लगी थीं, जिन से पुष्पक बेचैन रहने लगा था. जब किसी मर्द को पत्नी में खामियां नजर आने लगती हैं तो वह उस से छुटकारा पाने की तरकीबें सोचने लगता है. इस के बाद उसे दूसरी औरतों में खूबियां ही खूबियां नजर आने लगती हैं. पुष्पक भी अब इस स्थिति में पहुंच गया था. उसे जो वेतन मिलता था, उस में वह स्वाति के साथ आराम से जीवन बिता रहा था, लेकिन जब से मालिनी उस के जीवन में आई, तब से उस के खर्च अनायास बढ़ गए थे. इसी वजह से वह पैसों के लिए परेशान रहने लगा था. उसे मिलने वाले वेतन से 2 औरतों के खर्च पूरे नहीं हो सकते थे. यही वजह थी कि वह दोनों में से किसी एक से छुटकारा पाना चाहता था. जब उस ने मालिनी से छुटकारा पाने के बारे में सोचा तो उसे लगा कि वह उसे जीवन के एक नए आनंद से परिचय करा कर यह सिद्ध कर रही है. जबकि स्वाति में वह बात नहीं है, वह हमेशा ऐसा बर्ताव करती है जैसे वह बहुत बड़े अभाव में जी रही है. लेकिन उसे वह वादा याद आ गया, जो उस ने उस के बाप से किया था कि वह जीवन की अंतिम सांसों तक उसे जान से भी ज्यादा प्यार करता रहेगा.

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Pregnancy रोकने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?

सवाल

मैं 24 साल की हूं. मेरे विवाह को 2 महीने हुए हैं. प्रैगनैंसी से बचे रहने के लिए कौपर टी, कंडोम और डायाफ्राम में से कौन सा गर्भनिरोधक मेरे लिए सब से अच्छा रहेगा और ये गर्भनिरोधक कितनेकितने साल तक प्रैगनैंसी रोकने के लिए अपनाए जा सकते हैं, कृपया विस्तार से जानकारी दें?

जवाब-

प्रत्येक गर्भनिरोधक विधि के अपने लाभ और अपनी सीमाएं हैं, जिन के बारे में पूरी जानकारी पा कर आप सही फैसला ले सकती हैं. कौपर टी उन स्त्रियों के लिए उपयुक्त गर्भनिरोधक है, जो कम से कम 1 बार संतान धारण कर चुकी होती हैं. नवविवाहिताओं के लिए कौपर टी ठीक नहीं, क्योंकि इसे लगाने पर पैल्विस में सूजन होने का डर रहता है और आगे चल कर प्रैगनैंट होने में भी परेशानी हो सकती है. इस का इस्तेमाल 2 बच्चों के बीच फासला रखने के लिए ही किया जाना चाहिए.

नवविवाहिताओं के अलावा ऐसी स्त्रियां, जिन्हें पहले से पैल्विस का इन्फैक्शन हो, मासिकस्राव ज्यादा या अनियमित हो, पेड़ू में दर्द रहता हो, गर्भाशय की रसौली हो, गर्भाशयग्रीवा की सूजन हो, ऐनीमिया हो या पहले कभी ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी हुई हो, उन के लिए भी कौपर टी का इस्तेमाल ठीक नहीं. कंडोम गर्भनिरोध का आसान और सुलभ तरीका है. इस के इस्तेमाल से पहले डाक्टर की सलाह लेना भी जरूरी नहीं. इस के कामयाब बने रहने के लिए सिर्फ इस का सही इस्तेमाल आना जरूरी है. असावधानी बरतने पर सैक्स के दौरान कंडोम के फिसल जाने या फट जाने पर परेशानी खड़ी हो सकती है. डायाफ्राम के साथ भी कंडोम जैसी ही समस्याएं हैं और इस का फेल्यर रेट भी काफी है.

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नवविवाहिताओं के लिए सुरक्षा का एक और अच्छा उपाय ओरल कौंट्रासैप्टिक पिल्स हैं. इन्हें लेने से कामसुख में किसी तरह का विघ्न नहीं पड़ता और पूरीपूरी सुरक्षा भी मिलती है. लेकिन इन्हें शुरू करने से पहले डाक्टर से सलाह लेना जरूरी है. यदि डाक्टर इजाजत दे, तो इन्हें लगातार 3 साल तक ले सकती हैं. रोज 1 गोली लेनी होती है. प्रैगनैंसी का मन बने तो गोली लेना बंद करने के 1 से 3 महीनों के बाद दोबारा प्रजनन क्षमता पहले जैसी हो जाती है और प्रैगनैंसी में कोई दिक्कत नहीं आती.

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