‘‘सरबिरयानी तो बहुत जबरदस्त है. भाभीजी के हाथों में तो जादू है. इतनी लजीज बिरयानी मैं ने आज तक नहीं खाई,’’ बिलाल ने बिरयानी खाते हुए फरहान से कहा.
‘‘यह तो सच है तुम्हारी भाभी के हाथों में जादू है, लेकिन आज यह जादू भाभी का नहीं तुम्हारे भाई के हाथों का है,’’ फरहान ने हंसते हुए कहा.
‘‘मैं कुछ सम?ा नहीं? क्या यह बिरयानी भाभीजी ने नहीं बनाई?’’ बिलाल ने हैरत से पूछा.
‘‘नहीं मैं ने बनाई है. क्या है कि कल तुम्हारी भाभी के औफिस में एक जरूरी मीटिंग थी और वे आतेआते लेट हो गई थीं तो मैं ने सोचा चलो आज मैं भी अपना जादू दिखाऊं,’’ फरहान ने खाना खत्म करते हुए कहा.
‘‘अरे वाह सर आप भी इतना अच्छा खाना बनाते हैं. वैसे भाभी जौब करती हैं तो घर के काम कौन करता है? आप लोगों को तो बड़ी दिक्कत होती होगी? यहां दुबई में कोई मेड मिलना भी तो आसान नहीं है,’’ बिलाल ने उत्सुकता से पूछा.
‘‘हां मेड मिलना तो बहुत मुश्किल है, लेकिन हम दोनों मिल कर मैनेज कर ही लेते हैं. थोड़ेबहुत काम मैं भी कर लेता हूं,’’ फरहान ने मुसकराते हुए कहा.
‘इतने बड़े मैनेजर हो कर घर के काम खुद करते हैं और बीवी औफिस जाती है,’ बिलाल मन ही मन हंसा, पर कुछ कह नहीं पाया, आखिर फरहान उस का सीनियर जो था.
8 महीने पहले ही बिलाल लखनऊ से दुबई आया था. एक बड़े बैंक में उसे अच्छी जौब मिल गई थी. उस का सीनियर फरहान दिल्ली से था और बहुत ही हंसमुख व मिलनसार. दोनों में खासी दोस्ती हो गई थी. अकसर लंच दोनों साथ करते थे. फरहान के लंच में हमेशा ही लजीज खाने होते थे तो बिलाल ने सोचा शायद उस की बीवी घर पर ही रहती होगी. उसे यह जान कर बड़ी हैरानी हुई कि वे भी कहीं जौब करती हैं. वैसे बिलाल की खुद की बीवी उज्मा भी खाना अच्छा ही बना लेती थी, लेकिन इतना अच्छा नहीं जितना फरहान के घर से आता था.
कुछ दिनों बाद बातों ही बातों में फरहान ने बताया कि उस की बीवी सुंबुल कुछ
दिनों के लिए भारत गई हुई हैं. ऐसे में बिलाल ने एक दिन फरहान को अपने घर खाने की दावत दे डाली. फरहान ने उज्मा के बनाए खाने की बहुत तारीफ की और सुंबुल के वापस आने पर दोनों को अपने घर बुलाने की दावत भी दे डाली.
कुछ दिनों बाद सुंबुल भारत से वापस आ गई तो एक दिन फरहान ने बिलाल को घर पर दावत दे दी. छुट्टी के दिन बिलाल और उज्मा फरहान के घर पहुंच गए.
‘‘आइएआइए भाभीजी,’’ फरहान ने दोनों का स्वागत करते हुए कहा.
‘‘सुनिए मेहमान लोग आ गए हैं,’’ फरहान ने दोनों को ड्राइंगरूम में बैठाया और किचन में काम कर रही अपनी बीवी को आवाज दी.
ड्राइंगरूम काफी करीने से सजा था. बिलाल और उज्मा दोनों ही प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके.
जैसे ही सुंबुल किचन से बाहर आई, बिलाल को एक जोर का ?ाटका लगा. उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उस के सामने सुंबुल खड़ी है, उस की पुरानी मंगेतर. बिलाल को देख कर सुंबुल भी एक पल के लिए ठिठक गई, लेकिन फिर जल्दी ही सामान्य हो गई.
सुंबुल और उज्मा जल्द ही घुलमिल गईं और उज्मा भी सुंबुल की मदद करने के लिए किचन में चली गई. टीवी पर आईपीएल का मैच चल रहा था और फरहान विराट कोहली की बैटिंग की तारीफ कर रहा था, लेकिन बिलाल का दिमाग तो जैसे एकदम ही शून्य हो गया था. उसे उम्मीद नहीं थी कि एक दिन सुंबुल इस तरह उस के सामने आ जाएगी.
खाने की टेबल पर उज्मा सुंबुल के बनाये खाने की खूब तारीफें कर रही थी.
‘‘अरे बिलाल तुम्हें पता है हमारी ससुराल भी तुम्हारे पड़ोस में ही है. तुम लखनऊ से हो और सुंबुल कानपुर से,’’ बातों ही बातों में लखनऊ का जिक्र आया तो फरहान ने बिलाल से कहा.
‘‘अच्छा. अगली बार कानपुर आएंगे तो लखनऊ भी तशरीफ लाइएगा,’’ बिलाल बस इतना ही कह पाया. सुंबुल के सामने ज्यादा बोलने में वह बहुत ?ि?ाक रहा था.
घर वापस पहुंच कर उज्मा तो जल्दी सो गई, लेकिन बिलाल की आंखों से नींद कोसों दूर थी. गुजरा हुआ कल एक फिल्म की तरह उस के जेहन में चलने लगा…
बिलाल के पिताजी और सुंबुल के पिताजी की आपस में जानपहचान थी. 1-2 बार बिलाल के पिताजी जब कानपुर गए तो उन्होंने वहां सुंबुल को देखा और उस को बिलाल के लिए पसंद कर लिया. लड़का पढ़ालिखा और अच्छा था और फिर घरबार भी देखाभाला हुआ तो सुंबुल के पिताजी को भी इस रिश्ते में कोई हरज नहीं दिखाई दिया. फिर कुछ दिनों बाद दोनों की मंगनी हो गई और शादी लगभग 1 साल बाद होनी तय की गई. फिर अकसर दोनों एकदूसरे से बातें करने लगे.
मगर शादी से कुछ ही दिन पहले एक दिन अचानक बिलाल के पिताजी ने सुंबुल के पिताजी को फोन कर के शादी के लिए मना कर दिया. वजह पूछने पर उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि उन्हें लगता है कि सुंबुल उन के घर में एडजस्ट नहीं हो पाएगी.
थोड़ी देर बाद ही सुंबुल ने बिलाल से मैसेज कर के इस फैसले की वजह जाननी चाही.
‘‘आई एम सौरी सुंबुल, लेकिन मु?ो और घर वालों को लगता है कि तुम हमारे घर के माहौल में एडजस्ट नहीं हो पाओगी. बाद में मुश्किलें हों इस से अच्छा है कि हम अभी अपने रास्ते अलग कर लें,’’ बिलाल ने जवाब दिया. वैसे दिल ही दिल में उसे भी अच्छा नहीं लग रहा था. इतने दिनों तक मंगनी होने और सुंबुल से बातें करने के बाद वह भी मन ही मन उसे चाहने लगा था.
‘‘मगर अचानक ऐसा क्या हो गया जिस से आप को लगा मैं वहां एडजस्ट नहीं हो पाऊंगी?’’ सुंबुल ने फिर सवाल किया. उस की सम?ा नहीं आ रहा था कि आखिर उस ने ऐसा क्या कर दिया जिस से बिलाल और उस के घर वाले उस से रिश्ता खत्म करने पर आमादा हो गए. अभी 2 दिन पहले ही तो बिलाल के पिताजी किसी काम से कानपुर आए थे और उन के घर भी आए. उसे याद नहीं आ रहा था कि उस ने ऐसा क्या किया जिस से बात यहां तक पहुंची.
‘‘अभी 2 दिन पहले अब्बू आप के घर गए थे. उन्होंने आ कर बताया कि जब तक वे आप के घर में रहे आप ने किसी काम को हाथ नहीं लगाया. खाना बनाना या घर के बाकी काम सिर्फ आप की अम्मी ही करती रहीं और आप बस अपने लैपटौप पर बैठी रहीं या नेलपौलिश लगाती रहीं. अब्बू का मानना है कि हमें अपने घर के लिए एक सजावटी गुडि़या नहीं चाहिए बल्कि ऐसी लड़की चाहिए जो घर संभाल सके और जो तेरी अम्मी को आराम दे सके,’’ बिलाल ने एक लंबाचौड़ा मैसेज भेजा.
‘‘आप को एक बार मु?ा से बात तो कर लेनी चाहिए थी. बिना पूरी बात जाने आप लोग इतना बड़ा फैसला कैसे कर सकते हैं?’’ काफी देर बाद सुंबुल ने जवाब दिया.
‘‘बात करने लायक कुछ है ही नहीं. वैसे भी अब हमें एहसास हो गया है कि जौब करने वाली लड़की घर नहीं चला सकती. अगर आप नौकरी छोड़ कर घर की सारी जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार हैं तो मैं अब्बू से एक बार बात कर सकता हूं. वैसे जहां तक मु?ो लगता है आप अपनी जौब छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं होंगी, इसलिए बेहतर यही रहेगा कि हम अपनी राहें अलग कर लें,’’ बिलाल ने बात खत्म करने की नीयत से लिखा.
और फिर सुंबुल का कोई जवाब नहीं आया. जल्द ही उस की शादी उज्मा से हो गई. कुछ दिनों बाद ही उज्मा पर घर की सारी
जिम्मेदारियां आ गईं. शुरूशुरू में तो सब ठीक रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही घर में कलह होने लगी. बिलाल के 3 और छोटे भाईबहन थे और सब के लिए खाना बनाना और दूसरे काम करना उज्मा को पसंद नहीं था. बिलाल की अम्मी भी बहू के आने के बाद घर के कामों से बिलकुल बेफिक्र हो गई थीं और घर के सारे काम उज्मा को अकेले ही करने पड़ते थे.
फिर तो रोजरोज घर में कलह होने लगी. बिलाल औफिस से आता तो अम्मी उस के सामने उज्मा की शिकायतें ले कर बैठ जातीं. उज्मा के पास जाता तो वह सब की शिकायतें ले कर बैठ जाती. तंग आ कर बिलाल ने दुबई के एक बैंक में नौकरी के लिए अर्जी दे दी और दुबई आ गया. रोजरोज की चिकचिक से तो उस को आजादी मिल गई लेकिन दुबई आ कर भी उज्मा खुश नहीं थी. उसे लगता था कि बिलाल घर के कामों में उस की जरा भी मदद नहीं करता. वहीं बिलाल घर के काम करने को अपनी शान के खिलाफ सम?ाता था. बचपन से ले कर आज तक उस ने घर के किसी काम को हाथ तक नहीं लगाया था. उस का मानना था कि घर के काम सिर्फ औरतों को ही करने चाहिए और मर्दों को सिर्फ कमाने के लिए काम करना चाहिए.
सुंबुल और उज्मा अकसर मिलने लगीं. दोनों परिवार छुट्टी के दिन एकदूसरे के घर चले जाते या दुबई के खूबसूरत समुद्र तट पर साथसाथ घूमते. हालांकि बिलाल हमेशा सुंबुल के सामने असहज सा रहता था.
उस दिन उज्मा कुछ उदास सी थी तो सुंबुल ने उस से उस की उदासी की वजह पूछी.
‘‘मेरी बहन की मंगनी टूट गई. लड़का किसी और से शादी करना चाहता है, जबकि घर वाले जबरदस्ती उस की शादी मेरी बहन से कर रहे थे. कल उन दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली,’’ उज्मा ने बड़ी उदासी के साथ कहा.
फरहान और सुंबुल को सुन कर बड़ा दुख हुआ.
‘‘जल्द ही शादी होने वाली थी. अब कितनी दिक्कत आएगी मेरी बहन की शादी में, कितनी बदनामी होगी उस की,’’ उज्मा ने ठंडी सांस लेते हुए कहा.
‘‘इस में उस का क्या कुसूर है, रिश्ता तो लड़के ने खत्म किया है, तो बदनामी आप की बहन की क्यों होगी?’’ फरहान ने उज्मा को दिलासा देते हुए कहा.
‘‘भाई साहब, लड़के का कुसूर कौन मानता है. सभी लड़की पर ही उंगली उठाते हैं,’’ उज्मा की आंखें नम हो उठी थीं.
‘‘जमाना बदल गया है. आप की बहन की कोई गलती नहीं है इसलिए आप फिक्र मत कीजिए. हो सकता है उस के लिए इस से कुछ अच्छा ही लिखा हो,’’ फरहान ने कहा.
‘‘वैसे आप को पता है, सुंबुल की भी मंगनी एक बार टूट चुकी थी. फिर देखिए न कितनी अच्छी लड़की मु?ो मिल गई,’’ कह कुछ देर की खामोशी के बाद फरहान ने प्यार भरी नजरों से सुंबुल को देखा.
‘‘भला इस जैसी इतनी प्यारी लड़की से कौन शादी नहीं करना चाहेगा,’’ उज्मा ने सुंबुल की तरफ देख कर कहा.
सुंबुल थोड़ी असहज हो गई थी खासतौर पर जब तब बिलाल भी वहां मौजूद था. उधर बिलाल भी एकदम चुप बैठा था.
‘‘क्या वह लड़का भी किसी और को चाहता था?’’ उज्मा सुंबुल की कहानी जानने के लिए उतावली हो उठी.
‘‘नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी. असल में उन के घर वालों को लगा कि मैं जौब करती हूं तो घर के काम नहीं करूंगी. उन को अपने घर के लिए कोई सजावटी गुडि़या नहीं चाहिए थी,’’ थोड़ी देर चुप रहने के बाद सुंबुल ने धीमी आवाज में कहा.
‘‘अरे आप तो जौब के साथसाथ अपने घर का भी कितना खयाल रखती हैं. इतना अच्छा खाना भी बनाती हैं, घर भी इतना अच्छा रखती हैं, क्या उन लोगों ने कभी आप का घर नहीं देखा था?’’ उज्मा को यकीन नहीं हो रहा था कि सुंबुल जैसी खूबसूरत और इतने सलीके वाली लड़की को कोई कैसे छोड़ सकता है.
‘‘असल में एक बार उन के अब्बू हमारे घर आए थे. उस दिन संडे था. आमतौर पर अपने घर पर सारा काम मैं और अम्मी मिल कर ही करते थे. शादी में कुछ ही दिन रह गए थे तो अम्मी ने मु?ो जबरदस्ती घर के काम करने से मना कर रखा था. फिर मैं भी जौब छोड़ने वाली थी तो अपना काम हैंडओवर कर रही थी और इसलिए लैपटौप पर काम कर रही थी. लेकिन उन के अब्बू को लगा कि शायद मैं कभी घर के काम नहीं करती और इसलिए उन लोगों ने यह रिश्ता तोड़ दिया,’’ सुंबुल ने पूरी बात बताई.
‘‘और उस लड़के ने भी कुछ नहीं कहा?’’ उज्मा ने हैरत से पूछा.
‘‘नहीं, उस ने भी बिना मेरी बात सुने अपने घर वालों की बात मान ली. मु?ो अपनी सफाई देने का मौका ही नहीं मिल,’’ सुंबुल ने एक उदास मुसकान के साथ कहा और फिर उस ने एक उचटती हुई नजर बिलाल पर डाली तो वह शर्म से पानीपानी हो गया.
‘‘वैसे देखा जाए तो अच्छा ही हुआ. ये सब नहीं होता तो मु?ो इतने अच्छे पति कहां मिलते,’’ सुंबुल ने मुहब्बत भरी नजरों से फरहान की तरफ देखते हुए कहा.
‘‘यह तो कुदरत का कमाल है,’’ फरहान ने अदब से सिर ?ाकाते हुए कहा तो सुंबुल और उज्मा दोनों ही हंस पड़ीं.
‘‘वैसे भी अब जमाना बदल गया है. आज लड़कियां जौब के साथसाथ घर भी अच्छी तरह संभाल रही हैं और अगर ऐसे में हम हस्बैंड लोग घर के कामों में थोड़ी मदद कर दें तो इस में बुराई ही क्या है? आखिर घर भी तो दोनों का ही होता है,’’ फरहान ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
‘‘भाभी आप बेफिक्र रहें. आप की बहन के लिए अच्छा लड़का हम भी ढूंढे़ंगे,’’ फरहान ने उज्मा को दिलासा दिया.
थोड़ी देर बाद फरहान सब के लिए आइसक्रीम लेने चला गया और उज्मा वाशरूम चली गई.
‘‘आई एम सौरी सुंबुलजी… आज मैं अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूं. मैं ने बिना सच जाने आप को इतनी तकलीफ पहुंचाई. मु?ो माफ कर दीजिएगा,’’ सुंबुल को अकेला देख कर बिलाल उस के पास आया सिर ?ाका सुंबुल से माफी मांगने लगा.
‘‘इस की कोई जरूरत नहीं है. मु?ो आप से कोई शिकायत नहीं है. शायद हमारे हिस्से में यही लिखा था,’’ सुंबुल को उस के चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव साफ नजर आ रहे थे. उस के दिल में बिलाल के लिए कोई मलाल नहीं था.
‘‘आप का बहुत बहुत शुक्रिया,’’ बिलाल के मन से बड़ा बो?ा उतर गया था.
शाम को बिलाल और उज्मा जब घर लौटे तो उज्मा के सिर में दर्द हो रहा था. वह आंखें बंद कर थोड़ी देर के लिए लेट गई.
‘‘तुम बहुत थक गई होंगी. तुम आराम करो आज कौफी मैं बनाता हूं,’’ घर पहुंच कर बिलाल ने उज्मा से कहा तो उज्मा की हैरत की इंतहा न रही, ‘‘अरे आज आप को यह क्या हो गया. आप तो घर के काम करने को बिलकुल अच्छा नहीं मानते,’’ उज्मा को बिलाल का यह रूप देख कर हैरानी भी हो रही थी और खुशी भी.
‘‘फरहान भाई सही कहते हैं. घर तो शौहर और बीवी दोनों का ही होता है तो क्यों न घर के काम भी दोनों मिलजुल कर करें?’’ बिलाल ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘अरे यह कैसी कौफी बनी है,’’ बिलाल ने कौफी का पहला घूंट लेते ही बुरा सा मुंह बनाया.
‘‘हां चीनी थोड़ी ज्यादा है, दूध थोड़ा कम है और कौफी भी थोड़ी ज्यादा है, लेकिन यह दुनिया की सब से अच्छी कौफी है,’’ उज्मा ने बिलाल की तरफ प्यारभरी नजरों से देखते हुए कहा तो बिलाल को भी चारों तरफ रंगबिरंगे फूल दिखाई देने लगे. दोनों के रिश्ते का एक नया अध्याय शुरू हो चुका था.