पत्नियों की जिद का खमियाजा पतियों को कैसेकैसे भुगतना पड़ता है इस का सटीक उदाहरण सीता की वह जिद है जिस के चलते वह खुद तो रावण की कैद में रही ही, साथ ही पति राम और देवर लक्ष्मण को भी जोखिम में डाल दिया. किस्सा बहुत प्रचलित है कि वनवास के दौरान सीता ने जंगल में सोने का हिरण देखा और जिद पकड़ बैठी कि मु झे वह चाहिए.
मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम ने लाख सम झाया, लेकिन उन की एक नहीं चली. लिहाजा वे दौड़ पड़े मारीच नाम के हिरण के पीछे. फिर इस के बाद जो हुआ उसे रामायण न पढ़ने वाले भी जानते हैं कि रामरावण युद्ध में लाखों लोग मारे गए.
सीता की इस जिद को समीक्षक और टीकाकार भले ही भगवान की लीला बताते भक्तों को ठगते रहें, लेकिन इस सवाल का जवाब वे भी नहीं ढूंढ़ पाए कि आखिर निर्जन वन में एक स्त्री का स्वर्णप्रेम क्यों इतना परवान चढ़ा कि उस ने पुत्र समान अपने देवर पर भी चारित्रिक लांछन तक लगा दिया.
त्रेता युग से ले कर आज तक पत्नियों की जिद में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. उन्हें इस बात से आज भी कोई सरोकार नहीं कि उन की बेजा जिद पति और परिवार पर कितनी भारी पड़ती है. उन्हें तो बस जो चाहिए उसे पाने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहती हैं. कभीकभी तो लगता है कि पतियों को मुश्किल में डालना ही उन की प्राथमिकता रहती है.
आज की सीता
भोपाल के आनंद नगर इलाके में रहने वाली 22 वर्षीय पूजा आर्य की जिद किसी सीता से कम नहीं कही जा सकती. फर्क बस इतना था कि उसे अकल्पनीय सोने का हिरण नहीं बल्कि क्व15 हजार वाला खास ब्रैंड का एक मोबाइल फोन चाहिए था. पूजा का पति विशाल रेलिंग लगाने का कारोबार करता है. उस की आमदनी या हैसियत कुछ भी कह लें इतनी नहीं थी कि वह पूजा की पंसद का महंगा मोबाइल फोन खरीद पाता.
लिहाजा उस ने पूजा को सम झाया. कम आमदनी और बढ़े खर्चों के साथसाथ महंगाई और मोबाइल की उपयोगिता का हवाला भी दिया लेकिन पूजा के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. वह भी सीता की तरह जिद पर अड़ गईर् कि लूंगी तो क्व15 हजार वाला मोबाइल ही नहीं तो…
जिद ने उजाड़ दी दुनिया
बीती 11 जुलाई को विशाल ने मोबाइल फोन की जरूरत सम झते हुए बाजार से क्व7 हजार की कीमत वाला फोन खरीद कर पूजा की दे दिया. बात पूजा को नागवार गुजरी तो वह पति से कलह करने लगी. इस पर विशाल को गुस्सा आना स्वाभाविक बात थी जो दिनरात मेहनत कर जैसेतैसे घर चलाता था. उस ने गुस्से में आ कर पूजा को पीट दिया. इस पर और ज्यादा गुस्साई पूजा ने डेढ़ साल की बेटी के बारे में भी नहीं सोचा और फांसी लगा कर जान दे दी.
अब विशाल सकते में है और थाने के चक्कर लगाते सफाई देता फिर रहा है कि उस ने कोई हिंसा नहीं की थी. मुमकिन है 2-4 साल में कानून के फंदे से वह छूट जाए, लेकिन तय है उसे जिंदगीभर इस बात का मलाल तो रहेगा ही कि अगर क्व8 हजार और मिला कर क्व15 हजार वाला मोबाइल ला ही देता तो पूजा बच तो जाती.
मगर इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पूजा उस के बाद कभी महंगी चीजों की जिद नहीं करती बल्कि आशंका है कि उस की जिद और बढ़ती जाती क्योंकि उसे पति और नन्ही बेटी से ज्यादा महंगे मोबाइल से लगाव था.
कहने का मतलब यह नहीं कि जो हुआ सो ठीक हुआ बल्कि यह है कि जिद्दी पत्नियां भलाबुरा कुछ नहीं सोचतीं. पूजा को यह सम झना चाहिए था कि मोबाइल के उपयोग का उस की कीमत से कोई खास संबंध नहीं होता और पति ने उस की मांग या इच्छा का अनादर नहीं किया बल्कि अपनी हैसियत के मुताबिक मोबाइल ला कर दिया. मगर पूजा की इस जिद के चलते बेवजह एक हंसताखेलता परिवार उजड़ गया तो इस की जिम्मेदार भी पूजा ही कही जाएगी.
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ऐसे करती हैं परेशान
जैसे राम सीता की जिद के आगे बेबस और लाचार हो गए थे वैसा ही विशाल के साथ हुआ और वैसा ही लगभग हर उस पति के साथ होता है जिसे जिद्दी पत्नी मिलती है. उन की जिद पति पूरी न करें तो वे उन का उठनाबैठना, खानापीना और सोना तक हराम कर देती हैं. और तो और उन्हें शारीरिक सुख के अपने हक से वंचित करने से भी बाज नहीं आतीं.
भोपाल के ही एक व्यापारी रिव अरोरा का रोना यह है कि उन की पत्नी जब किसी चीज की जिद पकड़ लेती है जिसे वे पूरा नहीं कर पाते तो वह हाथ नहीं लगाने देती. सब्जी में नमक ज्यादा डाल देती है और हर बात का उलटा जवाब देती है.
दिनभर अपनी दुकान में तरहतरह के ग्राहकों के सामने सिर खपा कर रोजाना क्व2-3 हजार कमाने वाले रवि की जिंदगी का दर्द हरकोई आसानी से नहीं सम झ सकता. वह अपनी पत्नी को बेइंतहा प्यार करता है लेकिन पत्नी की जिद जब जोर पकड़ती है तो वह सिर पकड़ कर बैठ जाता है कि अब क्या करे. आखिर में मन मार कर करता यही है कि पत्नी की हर जायजनाजायज जिद पूरी कर देता है ताकि घर में सुखशांति बनी रहे.
डरते हैं पति
इसी तरह का एक और दिलचस्प मामला भोपाल में ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आया. इस मामले में पत्नी की जिद यह थी कि पति उस के कमरे में अलग टीवी लगवाए क्योंकि वह अपना पसंदीदा धारावाहिक ‘बिग बौस’ नहीं देख पाती. पत्नी की शिकायत थी कि घर में एक ही टीवी है जिस में ससुरजी अपनी पसंद का सीरियल ‘क्राइम पैट्रोल’ देखते रहते हैं.
पति ने जब नया टीवी खरीदने में असमर्थता जताई तो पत्नी ने मायके जाने की जिद पकड़ ली. पत्नियों के ‘मैं मायके चली जाऊंगी…’ वाले सनातनी हथियार से अच्छेअच्छे पति डरते हैं.
समस्या का हल नहीं
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्रा ने पूरा मामला सुनने के बाद पति को आदेश दिया कि वह पत्नी के लिए 1 महीने में टीवी की व्यवस्था करे. आशुतोष मिश्रा के मुताबिक ऐसा हाल ही में एक नहीं बल्कि 3 मामलों में हुआ कि पतियों को इस बात का आदेश दिया गया कि वे पत्नियों को अलग मोबाइल व टीवी का इंतजाम करें. हालांकि पत्नियों को भी सम झाया गया कि वे परिवार के साथ तालमेल बैठा कर चलें.
मगर यह समस्या का हल नहीं है उलटा पत्नियों की बेजा जिद को शह देने जैसी बात है. यह ठीक है कि उन की अपनी भी इच्छाएं और जरूरतें होती हैं, लेकिन देखा यह जाना चाहिए कि वे कैसी हैं और पति इन्हें पूरा करने में समर्थ हैं या नहीं.
टीवी या मोबाइल ऐसे गैजेट्स नहीं हैं जिन के बिना पत्नी का गुजारा न होता हो. हर पति की मुमकिन कोशिश रहती है कि वह पत्नी को ये चीजें ला कर दे. लेकिन बजट और आर्थिक स्थिति अच्छी न रहे तो वह कैसे इस जिद को पूरा करे? इस सवाल का जवाब यह निकलता है कि कलह और दुर्घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि पति पत्नियों की जिद को ठुकराएं नहीं बल्कि मैनेज करना सीखें.
कलह नहीं कोशिश करें
पत्नी को रास्ते पर लाने के लिए अपने खर्चों और जरूरतों में कटौती करे और उसे बताए कि ऐसा वह उस की जिद या इच्छा पूरी करने के लिए कर रहा है तो भी वास्तविकता उसे सम झ आ सकती है.
इस के बाद भी वह न माने तो उस की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. वह किसी तरह का असहयोग खासतौर से सैक्स में करे तो उसे चुनौती की शक्ल में न ले बल्कि कोशिश करे कि सामान्य जीवन में खलल पैदा न हो.
पत्नी अगर गुस्से में आ कर धमकियां देने लगे तो उन्हें हलके में न ले. यही वह जिद है जहां आ कर पत्नी मन ही मन अपनी बात मनवाने का फैसला ले चुकी होती है और जिद पूरी न हो तो धमकी पर अमल भी कर डालती है. नतीजा पति बेचारा फंस जाता है. पत्नी आत्महत्या भी कर सकती है, मायके भी जा सकती है और घरेलू हिंसा की रिपोर्ट लिखाने थाने भी जा सकती है, इसलिए पति सोच ले कि मुनाफे का सौदा क्या है.
आखिर में यह सोच कर तसल्ली कर ले कि जब राम की भी अपनी पत्नी के आगे नहीं चली तो उस की बिसात क्या है.
ऐसे करें मैनेज
हालांकि यह बात सोलह आने सच है कि पत्नी एक बार अगर किसी जिद पर अड़ कर उसे अहम का सवाल बना ले तो पति के पास उसे मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. लेकिन अगर पति खुद भी पत्नी की जिद पूरी न कर उसे अहम और प्रतिष्ठा का सवाल बना ले तो फसाद खड़ा होना तय है, इसलिए बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए यानी तब पति इन बातों पर गौर करे:
– पत्नी की जिद पर एकदम भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुनें.
– शुरू में उस से सहमति भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुने.
– जब पत्नी बात पूरी कर ले तो कुछ देर बाद अपनी बात कहें.
– पत्नी को सम झाए कि वह उस की भावनाओं (दरअसल में जिद) का सम्मान करता है, लेकिन हालफिलहाल पैसों की तंगी या किसी दूसरी वाजिब वजह के चलते ऐसा होना संभव नहीं.
– पत्नी को चुनौती या धमकी न दे कि वह ऐसा नहीं कर सकता. फिर भले ही वह जो चाहे सो कर ले. बात यही से बिगड़ती है.
– मिसाल अगर मोबाइल फोन की ही लें तो पत्नी को सम झाए कि वह क्व7 हजार का हो या क्व15 हजार का उस का उपयोग या फीचर्स तो करीबकरीब समान ही रहेंगे फर्क ब्रैंड का है, जिस से सम झौता किया जा सकता है.
– अपने और पत्नी के बीच परिवारजनों को न घसीटे न ही उन के सामने पत्नी को उस की जिद की बाबत बेइज्जत करे.
– घर से बाहर ले जा कर पत्नी को घुमाएफिराए, होटल में खाना खिलाए और तब एकांत में अपनी बात कहे कि उस की जिद पूरी करने से उसे क्या परेशानियां पेश आ रही हैं.
– पत्नी को एहसास कराए कि वह उस से बहुत प्यार करता है और खुद चाहता है कि उस की हर इच्छा पूरी करे, लेकिन वह भी सोचे कि घर की खासतौर से आर्थिक स्थिति कैसी है. एक ही बात पर बारबार कलह न करें.