जिद्दी पत्नी से कैसे निभाएं

पत्नियों की जिद का खमियाजा पतियों को कैसेकैसे भुगतना पड़ता है इस का सटीक उदाहरण सीता की वह जिद है जिस के चलते वह खुद तो रावण की कैद में रही ही, साथ ही पति राम और देवर लक्ष्मण को भी जोखिम में डाल दिया. किस्सा बहुत प्रचलित है कि वनवास के दौरान सीता ने जंगल में सोने का हिरण देखा और जिद पकड़ बैठी कि मु  झे वह चाहिए.

मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम ने लाख सम  झाया, लेकिन उन की एक नहीं चली. लिहाजा वे दौड़ पड़े मारीच नाम के हिरण के पीछे. फिर इस के बाद जो हुआ उसे रामायण न पढ़ने वाले भी जानते हैं कि रामरावण युद्ध में लाखों लोग मारे गए.

सीता की इस जिद को समीक्षक और टीकाकार भले ही भगवान की लीला बताते भक्तों को ठगते रहें, लेकिन इस सवाल का जवाब वे भी नहीं ढूंढ़ पाए कि आखिर निर्जन वन में एक स्त्री का स्वर्णप्रेम क्यों इतना परवान चढ़ा कि उस ने पुत्र समान अपने देवर पर भी चारित्रिक लांछन तक लगा दिया.

त्रेता युग से ले कर आज तक पत्नियों की जिद में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. उन्हें इस बात से आज भी कोई सरोकार नहीं कि उन की बेजा जिद पति और परिवार पर कितनी भारी पड़ती है. उन्हें तो बस जो चाहिए उसे पाने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहती हैं. कभीकभी तो लगता है कि पतियों को मुश्किल में डालना ही उन की प्राथमिकता रहती है.

आज की सीता

भोपाल के आनंद नगर इलाके में रहने वाली 22 वर्षीय पूजा आर्य की जिद किसी सीता से कम नहीं कही जा सकती. फर्क बस इतना था कि उसे अकल्पनीय सोने का हिरण नहीं बल्कि क्व15 हजार वाला खास ब्रैंड का एक मोबाइल फोन चाहिए था. पूजा का पति विशाल रेलिंग लगाने का कारोबार करता है. उस की आमदनी या हैसियत कुछ भी कह लें इतनी नहीं थी कि वह पूजा की पंसद का महंगा मोबाइल फोन खरीद पाता.

लिहाजा उस ने पूजा को सम  झाया. कम आमदनी और बढ़े खर्चों के साथसाथ महंगाई और मोबाइल की उपयोगिता का हवाला भी दिया लेकिन पूजा के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. वह भी सीता की तरह जिद पर अड़ गईर् कि लूंगी तो क्व15 हजार वाला मोबाइल ही नहीं तो…

जिद ने उजाड़ दी दुनिया

बीती 11 जुलाई को विशाल ने मोबाइल फोन की जरूरत सम  झते हुए बाजार से क्व7 हजार की कीमत वाला फोन खरीद कर पूजा की दे दिया. बात पूजा को नागवार गुजरी तो वह पति से कलह करने लगी. इस पर विशाल को गुस्सा आना स्वाभाविक बात थी जो दिनरात मेहनत कर जैसेतैसे घर चलाता था. उस ने गुस्से में आ कर पूजा को पीट दिया. इस पर और ज्यादा गुस्साई पूजा ने डेढ़ साल की बेटी के बारे में भी नहीं सोचा और फांसी लगा कर जान दे दी.

अब विशाल सकते में है और थाने के चक्कर लगाते सफाई देता फिर रहा है कि उस ने कोई हिंसा नहीं की थी. मुमकिन है 2-4 साल में कानून के फंदे से वह छूट जाए, लेकिन तय है उसे जिंदगीभर इस बात का मलाल तो रहेगा ही कि अगर क्व8 हजार और मिला कर क्व15 हजार वाला मोबाइल ला ही देता तो पूजा बच तो जाती.

मगर इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पूजा उस के बाद कभी महंगी चीजों की जिद नहीं करती बल्कि आशंका है कि उस की जिद और बढ़ती जाती क्योंकि उसे पति और नन्ही बेटी से ज्यादा महंगे मोबाइल से लगाव था.

कहने का मतलब यह नहीं कि जो हुआ सो ठीक हुआ बल्कि यह है कि जिद्दी पत्नियां भलाबुरा कुछ नहीं सोचतीं. पूजा को यह सम  झना चाहिए था कि मोबाइल के उपयोग का उस की कीमत से कोई खास संबंध नहीं होता और पति ने उस की मांग या इच्छा का अनादर नहीं किया बल्कि अपनी हैसियत के मुताबिक मोबाइल ला कर दिया. मगर पूजा की इस जिद के चलते बेवजह एक हंसताखेलता परिवार उजड़ गया तो इस की जिम्मेदार भी पूजा ही कही जाएगी.

ये भी पढ़ें- पति के बिहेवियर में आए बदलाव तो आजमाएं ये 8 Tips

ऐसे करती हैं परेशान

जैसे राम सीता की जिद के आगे बेबस और लाचार हो गए थे वैसा ही विशाल के साथ हुआ और वैसा ही लगभग हर उस पति के साथ होता है जिसे जिद्दी पत्नी मिलती है. उन की जिद पति पूरी न करें तो वे उन का उठनाबैठना, खानापीना और सोना तक हराम कर देती हैं. और तो और उन्हें शारीरिक सुख के अपने हक से वंचित करने से भी बाज नहीं आतीं.

भोपाल के ही एक व्यापारी रिव अरोरा का रोना यह है कि उन की पत्नी जब किसी चीज की जिद पकड़ लेती है जिसे वे पूरा नहीं कर पाते तो वह हाथ नहीं लगाने देती. सब्जी में नमक ज्यादा डाल देती है और हर बात का उलटा जवाब देती है.

दिनभर अपनी दुकान में तरहतरह के ग्राहकों के सामने सिर खपा कर रोजाना क्व2-3 हजार कमाने वाले रवि की जिंदगी का दर्द हरकोई आसानी से नहीं सम  झ सकता. वह अपनी पत्नी को बेइंतहा प्यार करता है लेकिन पत्नी की जिद जब जोर पकड़ती है तो वह सिर पकड़ कर बैठ जाता है कि अब क्या करे. आखिर में मन मार कर करता यही है कि पत्नी की हर जायजनाजायज जिद पूरी कर देता है ताकि घर में सुखशांति बनी रहे.

डरते हैं पति

इसी तरह का एक और दिलचस्प मामला भोपाल में ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आया. इस मामले में पत्नी की जिद यह थी कि पति उस के कमरे में अलग टीवी लगवाए क्योंकि वह अपना पसंदीदा धारावाहिक ‘बिग बौस’ नहीं देख पाती. पत्नी की शिकायत थी कि घर में एक ही टीवी है जिस में ससुरजी अपनी पसंद का सीरियल ‘क्राइम पैट्रोल’ देखते रहते हैं.

पति ने जब नया टीवी खरीदने में असमर्थता जताई तो पत्नी ने मायके जाने की जिद पकड़ ली. पत्नियों के ‘मैं मायके चली जाऊंगी…’ वाले सनातनी हथियार से अच्छेअच्छे पति डरते हैं.

समस्या का हल नहीं

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्रा ने पूरा मामला सुनने के बाद पति को आदेश दिया कि वह पत्नी के लिए 1 महीने में टीवी की व्यवस्था करे. आशुतोष मिश्रा के मुताबिक ऐसा हाल ही में एक नहीं बल्कि 3 मामलों में हुआ कि पतियों को इस बात का आदेश दिया गया कि वे पत्नियों को अलग मोबाइल व टीवी का इंतजाम करें. हालांकि पत्नियों को भी सम  झाया गया कि वे परिवार के साथ तालमेल बैठा कर चलें.

मगर यह समस्या का हल नहीं है उलटा पत्नियों की बेजा जिद को शह देने जैसी बात है. यह ठीक है कि उन की अपनी भी इच्छाएं और जरूरतें होती हैं, लेकिन देखा यह जाना चाहिए कि वे कैसी हैं और पति इन्हें पूरा करने में समर्थ हैं या नहीं.

टीवी या मोबाइल ऐसे गैजेट्स नहीं हैं जिन के बिना पत्नी का गुजारा न होता हो. हर पति की मुमकिन कोशिश रहती है कि वह पत्नी को ये चीजें ला कर दे. लेकिन बजट और आर्थिक स्थिति अच्छी न रहे तो वह कैसे इस जिद को पूरा करे? इस सवाल का जवाब यह निकलता है कि कलह और दुर्घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि पति पत्नियों की जिद को ठुकराएं नहीं बल्कि मैनेज करना सीखें.

कलह नहीं कोशिश करें

पत्नी को रास्ते पर लाने के लिए अपने खर्चों और जरूरतों में कटौती करे और उसे बताए कि ऐसा वह उस की जिद या इच्छा पूरी करने के लिए कर रहा है तो भी वास्तविकता उसे सम  झ आ सकती है.

इस के बाद भी वह न माने तो उस की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. वह किसी तरह का असहयोग खासतौर से सैक्स में करे तो उसे चुनौती की शक्ल में न ले बल्कि कोशिश करे कि सामान्य जीवन में खलल पैदा न हो.

पत्नी अगर गुस्से में आ कर धमकियां देने लगे तो उन्हें हलके में न ले. यही वह जिद है जहां आ कर पत्नी मन ही मन अपनी बात मनवाने का फैसला ले चुकी होती है और जिद पूरी न हो तो धमकी पर अमल भी कर डालती है. नतीजा पति बेचारा फंस जाता है. पत्नी आत्महत्या भी कर सकती है, मायके भी जा सकती है और घरेलू हिंसा की रिपोर्ट लिखाने थाने भी जा सकती है, इसलिए पति सोच ले कि मुनाफे का सौदा क्या है.

आखिर में यह सोच कर तसल्ली कर ले कि जब राम की भी अपनी पत्नी के आगे नहीं चली तो उस की बिसात क्या है.

ऐसे करें मैनेज

हालांकि यह बात सोलह आने सच है कि पत्नी एक बार अगर किसी जिद पर अड़ कर उसे अहम का सवाल बना ले तो पति के पास उसे मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. लेकिन अगर पति खुद भी पत्नी की जिद पूरी न कर उसे अहम और प्रतिष्ठा का सवाल बना ले तो फसाद खड़ा होना तय है, इसलिए बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए यानी तब पति इन बातों पर गौर करे:

– पत्नी की जिद पर एकदम भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुनें.

– शुरू में उस से सहमति भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुने.

– जब पत्नी बात पूरी कर ले तो कुछ देर बाद अपनी बात कहें.

– पत्नी को सम  झाए कि वह उस की भावनाओं (दरअसल में जिद) का सम्मान करता है, लेकिन हालफिलहाल पैसों की तंगी या किसी दूसरी वाजिब वजह के चलते ऐसा होना संभव नहीं.

– पत्नी को चुनौती या धमकी न दे कि वह ऐसा नहीं कर सकता. फिर भले ही वह जो चाहे सो कर ले. बात यही से बिगड़ती है.

– मिसाल अगर मोबाइल फोन की ही लें तो पत्नी को सम  झाए कि वह क्व7 हजार का हो या क्व15 हजार का उस का उपयोग या फीचर्स तो करीबकरीब समान ही रहेंगे फर्क ब्रैंड का है, जिस से सम  झौता किया जा सकता है.

– अपने और पत्नी के बीच परिवारजनों को न घसीटे न ही उन के सामने पत्नी को उस की जिद की बाबत बेइज्जत करे.

– घर से बाहर ले जा कर पत्नी को घुमाएफिराए, होटल में खाना खिलाए और तब एकांत में अपनी बात कहे कि उस की जिद पूरी करने से उसे क्या परेशानियां पेश आ रही हैं.

– पत्नी को एहसास कराए कि वह उस से बहुत प्यार करता है और खुद चाहता है कि उस की हर इच्छा पूरी करे, लेकिन वह भी सोचे कि घर की खासतौर से आर्थिक स्थिति कैसी है. एक ही बात पर बारबार कलह न करें.

ये भी पढ़ें- रूठों को मनाए Sorry

मेरे न्यू बौर्न बेबी की हार्ट प्रौब्लम के कारण मौत हो गई, कृपया इसका कारण बताएं?

सवाल-

मैं 20 वर्षीय विवाहिता हूं. 4 महीने पहले मैं ने एक बेटे को जन्म दिया था. बच्चे को कोई हार्ट प्रौब्लम थी और उस का पेट भी सामान्य से बड़ा था. शायद इसीलिए औपरेशन से प्रसव होने के 13 घंटों के बाद ही मेरे बेटे की मृत्यु हो गई. प्रसव से पूर्व सब कुछ ठीक था अर्थात प्रसवावस्था में मुझे कोई समस्या नहीं थी. फिर मेरे बच्चे के साथ ऐसा क्यों हुआ? मैं बहुत दुखी रहती हूं.

जवाब-

एक मां 9 महीने तक जिस शिशु को अपने गर्भ में रखती है, जिस के लिए कष्ट सहती है, उसे अपनी गोद में लेने और उस पर अपनी ममता लुटाने के सपने देखती है. पर जब उस सपने को यों ठेस पहुंचती है तो मायूस होना लाजिम है. आप को स्वयं को इस दुख से उबारना होगा. साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा. अभी आप की उम्र बहुत कम है. आप थोड़े अंतराल के बाद किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा की देखरेख में दोबारा गर्भधारण कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- कैंसर से जुड़ी गलत धारणा और फैक्ट के बारे में बताएं?

ये भी पढ़ें- 

अबौर्शन कराने का निर्णय कठोर और साहसिक निर्णय होता है. कुछ महिलाएं विवाह से पहले अनचाहे गर्भ से, तो कुछ विवाह बाद के अनप्लान्ड गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अबौर्शन कराती हैं. कई महिलाओं को बच्चे की चाह रखने के बावजूद चिकित्सकीय या सामाजिक दबाव के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है. अबौर्शन में कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. अबौर्शन सर्जरी या दवाईयों के द्वारा किया जाता है.

ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण

वैसे तो अधिकतर अबौर्शन सुरक्षित होते हैं, लेकिन फिर भी दूसरे सर्जिकल प्रोसैस की तरह इस में कई जटिलताएं और जोखिम होते हैं. अबौर्शन के बाद ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण हो सकते हैं:

– 48 घंटे से अधिक समय तक 100 डिग्री से अधिक बुखार रहना.

– अत्यधिक ब्लीडिंग.

– वैजाइना से रक्त के बड़ेबड़े थक्के निकलना.

– अबौर्शन के 4-5 दिन बाद तक ब्लीडिंगजारी रहना.

– पेट में मरोड़ और अत्यधिक दर्द होना.

– वैजाइना से ऊतकों का डिसचार्ज होना.

– वैजाइना से निकलने वाले डिसचार्ज सेदुर्गंध आना.

– मूत्र और मल त्याग की आदत में बदलाव आना.

– पेशाब और मल में रक्त आना.

– चक्कर आना, बेहोशी छाना.

– कमजोरी महसूस होना.

– अवसादग्रस्त अनुभव करना.

– भूख न लगना.

– सोने में समस्या आना.

अबौर्शन कराने के बाद प्रैगनैंसी हारमोन भी शरीर में रहते हैं यानी अबौर्शन के बाद शरीर और हारमोन सिस्टम को सामान्य अवस्था में आने में 1 से 6 हफ्ते लग सकते हैं. आमतौर पर अबौर्शन सुरक्षित होता है. 100 में से 1 महिला मेंही गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. अबौर्शन के बाद के ये समस्याएं हो सकती हैं:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- अबौर्शन: क्या करें क्या नहीं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पति के बिहेवियर में आए बदलाव तो आजमाएं ये 8 Tips

जिंदगी का सफर उन पतिपत्नी के लिए और भी आसान बन जाता है, जो एकदूसरे को समझ कर चलते हैं. कई बार दिनबदिन बढ़ती जिम्मेदारियों व जीवन की आपाधापी की वजह से पति पारिवारिक जीवन में सही तालमेल नहीं रख पाते. जिस के कारण उन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन व बदलाव आना स्वाभाविक होता है. ऐसी स्थिति में पत्नी ही पति के साथ सामंजस्य बैठा कर दांपत्य की गाड़ी को पटरी पर ला सकती है.

1. पति का सहयोग लें

पति की अहमियत को कम न आंकें. वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं में उन की सलाह जरूर लें. परिवार की समस्याओं का समाधान अकेले न कर के उन का भी सहयोग लें. यकीनन उन के व्यवहार में बदलाव आएगा.

2. जब उम्मीदें पूरी नहीं होतीं

कई बार पति चाहते हैं कि घरेलू कामों में उन की साझेदारी कम से कम हो. लेकिन पत्नियां अगर कामकाजी हैं तो वे पति से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा करती हैं. इस स्थिति से उपजा विवाद भी पति के स्वभाव में बदलाव का कारण बनता है. ऐसे में कार्यों का बंटवारा आपसी सूझबूझ व प्यार से करें. फिर देखिएगा, पति खुशीखुशी आप का हाथ बंटाएंगे.

3. छोटी पोस्ट को कम न आंकें

एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत आराधना को यह शिकायत रहती थी कि उन के पति एक फैक्टरी में सुपरवाइजर की छोटी पोस्ट पर हैं. इसे ले कर दोनों में गाहेबगाहे तकरार भी होती थी, जिस से पति चिड़चिड़े हो उठे. घर में अशांति रहने लगी. हार कर आराधना को साइकोलौजिस्ट के पास जाना पड़ा. उन्होंने समझाया कि पत्नी को पति के सुपरवाइजर पद को ले कर हीनभावना का शिकार नहीं बनना चाहिए और न ही पति की पोस्ट को कम आंकना चाहिए.

4. नजरिया बदलें

परिवार से जुड़ी छोटीछोटी समस्याओं का निबटारा स्वयं करें. रोज शाम को पति के सामने अपने दुख का पिटारा न खोलें. इस का सीधा असर पति के स्वभाव पर पड़ता है. वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगते हैं या स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं.

संयुक्त परिवारों में रह रहे कपल्स में यह समस्या आम है. छोटीछोटी घरेलू समस्याओं का हल स्वयं निकालने से आप का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, पति भी आप जैसी समझदार पत्नी पर नाज करेंगे.

5. ज्यादा पजेसिव न हों

पति के पत्नी के लिए और पत्नी के पति के लिए जरूरत से ज्यादा पजेसिव होने पर दोनों में एकदूसरे के प्रति चिड़चिड़ाहट पैदा हो जाती है. अत: रिश्ते में स्पेस देना भी जरूरी है. पति की महिला मित्रों या पत्नी के पुरुष मित्रों को ले कर अकसर विवाद पनपता है, जिस का बुरा असर आपसी रिश्तों पर व पतिपत्नी के व्यवहार पर पड़ता है. जीवनसाथी को हमेशा शक की निगाहों से देखने के बजाय उन पर विश्वास करना आवश्यक है.

6. ईर्ष्यालु न बनने दें

कभीकभी ऐसा भी होता है कि कैरियर के क्षेत्र में पत्नी पति से आगे निकल जाती है. इस स्थिति में पति के स्वभाव मेंबदलाव आना तब शुरू होता है, जब पत्नी अपने अधिकतर फैसलों में पति से सलाहमशवरा करना आवश्यक नहीं समझतीं. ऐसे हालात अलगाव का कारण भी बन जाते हैं. अपनी तरक्की के साथसाथ पति की सलाह का भी सम्मान करें. इस से पति को अपनी उपेक्षा का एहसास भी नहीं होगा और रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा.

7. खुल कर दें साथ

खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए सैक्स संबंध में खुलापन भी बेहद जरूरी है. रोजरोज बहाने बना कर पति के आग्रह को ठुकराते रहने से एक समय ऐसा आता है कि पति आप से दूरी बनाने लगते हैं या कटेकटे से रहने लगते हैं, जिस से दांपत्य में नीरसता आने लगती है.

कभीकभी ऐसा हो सकता है कि आप पति का सहयोग करने में असक्षम हों. ऐसे में पति को प्यार से समझाएं. सैक्स में पति का खुल कर साथ दें, क्योंकि यह खुशहाल दांपत्य की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की भी कुंजी है.

ये भी पढे़ं- रूठों को मनाए Sorry

8. घर का बजट

घर का बजट संतुलित रखने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर होती है. अनापशनाप खर्चों का बोझ जब पति पर पड़ने लगे तो वे चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस समस्या से निबटने का सब से सरल उपाय है महीने भर के बजट की प्लानिंग करना व खर्चों को निर्धारित करना. समझदार गृहिणी की तरह जब आप अपने बजट के अलावा बचत भी करेंगी, तो आप के पति की नजरों में आप के लिए प्यार दोगुना हो जाएगा.

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ी टॉप 10 खबरें हिंदी में

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. जिसके कारण जहां कई रिश्ते मजबूत होते हैं तो वहीं कईं टूट जाते हैं. क्योंकि हरेक की सोच और बिहेवियर एक दूसरे से अलग होता है. हालांकि अगर इन रिश्तों को समझदारी और प्यार से सुलझाया जाए तो वह सालों तक मजबूत बने रहते हैं. तो अगर आप भी अपनी मैरिड लाइफ को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi. आप इन खास टिप्स को अपनाकर अपने पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं.

1. गंदी बात नहीं औरत का और्गेज्म

relationship-1

हाल ही में दूसरे देशों में नैशनल और्गेज्म डे मनाया गया और वहां इस से जुड़ी बातें लोग खुले तौर पर करते भी रहते हैं. वहीं भारत में सैक्स और और्गेज्म पर बात करने से लोग मुंह छिपाने लगते हैं. यहां तक कि ज्यादातर लोग अपने ही साथी या पार्टनर से भी इस पर बात नहीं कर पाते. एक बेहद दिलचस्प बात यह भी है कि हिंदी में और्गेज्म का मतलब तृप्ति है जो इस शब्द का सही अर्थ नहीं है.

महिला और पुरुष दोनों एकदूसरे से शारीरिक तौर पर बेहद अलग हैं और दोनों पर धर्म से नियंत्रित समाज का नजरिया और भी अलग है. जहां पुरुषों को सभी प्रकार की छूट बचपन से ही भेंट में मिल जाती है, वहीं महिलाओं को बचपन से ही अलग तरीकों से पाला जाता है. उन के लिए तमाम तरह के नियमबंधन बनाए जाते हैं. उन के बचपन से वयस्क होने की दहलीज तक आते आते उन्हें इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि वे अपने शरीर से जुड़ी बातें चाह कर भी नहीं कर पाती हैं.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

2. आर्थिक तनाव सैक्स पर हावी तो नहीं

relationship-2

सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

3. आपकी पत्नी को ये बातें लग सकती हैं बुरी, इसलिये रखें खास ख्याल

relationship-3

पति –पत्नी का रिश्ता बहुत अहम होता है खासतौर पर उस वक्त जब आपकी नई-नई शादी हुई हो और आपको एक-दूसरे को वक्त देना ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि अगर आपने अपना रिश्ता उस वक्त नहीं संभाला तो आने वाने समय में आपको बहुत सारी समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है इसलिए कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका खास खयाल आपको रखना चाहिए.

जब आपकी शादी होती है तो सब कुछ नया होता है ऐसे में एक पति को पत्नी को ज्यादा वक्त देना चाहिए ये नहीं की आप बस अपने में मस्त हैं. दिन-भर बस फोन पर लगे हुए हैं.क्योंकि पत्नी जो की आपकी जीवन संगिनी है उसको सिर्फ आपका प्यार औऱ वक्त के अलावा कुछ भी नहीं चाहिए होता है.यदि आप वक्त नहीं देंगे तो ये आपके रिश्ते के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

4. 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

relationship-4

जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

5. सैक्स संबंधों में उदासीनता क्यों?

relationship-5

बिना सैक्स के आदमी और औरत का संबंध अधूरा है.कुछ लोग चाहे जितना गुणगान कर लें कि सैक्स गंदा है, असल में आदमीऔरत में पूरा प्यार या लगाव सैक्स से ही होता है. यह बात दूसरी है कि कुछ मामलों में यह प्यार व लगाव कुछ मिनटों तक सिमट कर रह जाता है और शारीरिक प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों अपनेअपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. सैक्स के बराबर ही पेट भरना जरूरी है. शायद सैक्स से ज्यादा दूसरे मनोरंजन भी भारी पड़ते हैं.

एक संस्थान जो लगातार अमेरिकी लोगों पर शोध कर रही है ने पता किया है कि अमेरिकियों में भी सैक्स की चाहत कम हो रही है और वे सैक्स की जगह वीडियो गेम्स या अपने कैरियरों पर समय और शक्ति अधिक लगाने लगे हैं. युवा लड़कियों में 18% और युवा लड़कों में 23% ने कहा कि उन्हें पिछले 1 साल में एक बार भी सैक्स सुख नहीं मिला. 60 वर्ष की आयु से अधिक के 50% लोग सैक्स से दूर रहते हैं.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

6. किसी और की जरूरत कब

relationship tips in hindi

वैवाहिक जीवन में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

7. पति जब मां मां करे, तो क्या करें पत्निया

relationship tips in hindi

नेहा की नई-नई शादी हुई है. वह विवाह के बाद जब कुछ दिन अपने मायके रहने के लिए आई तो उसे अपने पति से एक ही शिकायत थी कि वह उस का पति कम और ‘मदर्स बौय’ ज्यादा है. यह पूछने पर कि उसे ऐसा क्यों लगता है? उस का जवाब था कि वह अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए मां पर निर्भर है. वह उस का कोई काम करने की कोशिश करती तो वह यह कह कर टाल देता कि तुम से नहीं होगा, मां को ही करने दो.

नेहा पति के ये सब काम खुद करना चाहती है, लेकिन उस की सास उसे कोई मौका नहीं देतीं. नेहा की मां माला ने बेटी को समझाया कि चिढ़ने और किलसने से कोई लाभ नहीं है. बेकार में अपना खून जलाओगी. मांबेटे की इस दोस्ती का खुलेदिल से स्वागत करो और फिर बड़ी होशियारी से उन के बीच अपनी जगह बनाओ. नेहा की बातें सुन कर माला को अपने पुराने दिन याद आ गए. जब वे इस घर में ब्याह कर आई थीं, इस समस्या को उन्होंने भी लंबे समय तक झेला था.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

8. कहीं बोझ न बन जाए प्यार

relationship tips in hindi

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जिंदगी तब बेहद हसीन लगने लगती है जब हम किसी के ख्यालों में खोए होते हैं. इस के विपरीत वही प्यार जब जी का जंजाल बन जाता है तो एकएक पल गुजारना कठिन लगने लगता है. कई दफा प्यार को भार बनाने में हमारी कुछ छोटीछोटी भूल जिम्मेदार होती हैं.

ओवर पजेसिव नेचर

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रेंड / बौयफ्रेंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं. जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रेंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रेंड से नाराज हो जाती है ऐसे में बौयफ्रेंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना. वह छुप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा. यही नहीं बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रेंड को बुरी लगती है उन सब को छुपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलते बोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आज़ादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढने लगेगा.

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

9. जब डेटिंग किसी से और शादी किसी और से

relationship tips in hindi

क्या हो अगर डेटिंग वाला शादी के समय आ धमके? पता चला कि इधर दुलहन शादी की तैयारियों में मगन, सजधज कर शादी के लिए तैयार है और उधर पुराने मजनूजी दिल हथेली पर लिए लैला की शादी में खलल डालने पधार गए. ऐसी स्थिति लड़कों के साथ भी हो सकती है कि दूल्हे मियां साफा बांध कर शादी करने चले और पुरानी गर्लफ्रैंड आ धमके रंग में भंग डालने.

ऐसे माहौल में रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया अलग होगी. कुछ को शायद मजा आए, कुछ तरस खाएं, लेकिन खुद शादी वाले लड़के/लड़की का क्या हाल होगा, कैसे निबटेंगे वे इस परिस्थिति से, आइए जानते हैं:

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

10. पति ही क्यों जताए प्यार

relationship tips in hindi

अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें…

ये भी पढ़ें- Top 10 Best Crime Story In Hindi: धोखे और जुर्म की टॉप 10 बेस्ट क्राइम की कहानियां हिन्दी में

ये भी पढ़ें- Top 10 Best Social Story in Hindi : टॉप 10 सोशल कहानियां हिंदी में

ये भी पढ़ें- Top 10 Best Romantic Stories in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रोमांटिक कहानियां हिंदी में

रूठों को मनाए Sorry

सीमा उदास बैठी थी. तभी उस के पति का फोन आया और उन्होंने उसे ‘सौरी’ कहा. सीमा का गुस्सा एक मिनट में शांत हो गया. दरअसल, सुबह सीमा का अपने पति से किसी बात पर झगड़ा हो गया था. गलती सीमा की नहीं थी, इसलिए वह उदास थी. लड़ाईझगड़े हर रिश्ते में होते हैं पर सौरी बोल कर उस झगड़े को खत्म कर के रिश्तों में आई कड़वाहट दूर की जा सकती है. यह इतनी छोटी सी बात है. लेकिन बच्चे तो क्या, बड़ों की समझ में भी यह बात न जाने क्यों नहीं आती.

हर रिश्ते में कभी न कभी मतभेद होता है. अच्छा और बुरा दोनों तरह का समय देखना पड़ता है. कभीकभी रिश्तों में अहंकार हावी हो जाता है और दिन में हुआ विवाद रात में खामोशी की चादर बन कर पसर जाता है. अपने साथी की पीड़ा और उस से नाराजगी के बाद जीवन नरक लगने लगता है. फिर हालात ऐसे हो जाते हैं कि आप समझ नहीं पाते कि सौरी बोलें तो किस मुंह से. पर सौरी बोलने का सही तरीका आप के जीवन में आई कठिनाई और मुसीबत को काफी हद तक दूर कर रिश्तों में आई कड़वाहट को कम कर सकता है. यह तरीका हर किसी को नहीं आता. यह भी एक हुनर है. जब आप अपने रिश्तों के प्रति सतर्क नहीं होते और हमेशा अपनी गलतियों को नजरअंदाज करते रहते हैं, तभी हालात बिगड़ते हैं. आप इस बात से डरे रहते हैं कि आप का सौरी बोलना इस बात को साबित कर देगा कि आप ने गलतियां की हैं. यही बात कई लोग पसंद नहीं करते. अगर आप सौरी नहीं कहना चाहते तो आप के पास और भी तरीके हैं यह जताने कि आप अपने बरताव और अपने कहे शब्दों के लिए कितने दुखी हैं.

कैसे कहें सौरी

शुरुआत ऐसे शब्दों से करें जिन से आप के जीवनसाथी, दोस्त या रिश्तेदार को यह लगे कि आप उस से अपने बरताव के लिए वाकई बहुत शर्मिंदा हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि लोग आपस में हो रहे विवाद या बहस को खत्म करने के लिए वैसे ही सौरी बोल देते हैं. लेकिन उन्हें अपने किए पर कोई भी पश्चात्ताप नहीं होता. अगर आप सच में अपने बरताव के लिए माफी मांग रहे हैं तो यह जरूर तय कर लें कि आप में अपनेआप को बदलने की इच्छा है. दूसरी बात यह है कि आप सौरी बोल कर अपनी सारी गलतियों को स्वीकार रहे हैं न कि सफाई दे कर अपने बरताव के लिए बहस कर रहे हैं. ये सारी बातें आप के साथी को यह एहसास कराएंगी कि आप सच में अपनी गलतियों के लिए शर्मिंदा हैं और उन सब को छोड़ कर आगे बढ़ना चाहते हैं. बीती बातों को भूल कर एक नई शुरुआत करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- जब Tour पर हों पति

कई लोगों को सौरी बोलने में काफी असहजता महसूस होती है तो कई लोग सौरी बोलने से कतराते हैं. लेकिन सौरी कह कर आप न केवल मन का बोझ हलका करते हैं, बल्कि सामने वाले व्यक्ति के मन की पीड़ा को भी दूर कर देते हैं. इस के दूरगामी नतीजे सामने आते हैं. आप किसी भी गलती के लिए सौरी बोल कर उसे बड़ी बात बनने से रोक सकते हैं. सौरी एक ऐसा शब्द है, जिसे बोलने से टूट रहे रिश्ते को आप न केवल बचाते हैं, बल्कि उस से और भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. फिर धीरेधीरे पुरानी बातें खत्म हो जाती हैं.

भेंट भी दें

सौरी बोलने के साथ आप अपने साथी को फूल या जो भी उन्हें पसंद हो, वह भेंट कीजिए. अगर डांस करना पसंद है तो उन्हें बाहर डांस के लिए ले जाइए और डांस करतेकरते उन्हें सौरी बोल दीजिए. कौफी हाउस या रेस्तरां में बैठ कर एक नई पहल करते हुए भी अपने किए पर खेद जता सकते हैं. जिस ने भी झगड़ा शुरू किया है या झगड़े की कोई भी वजह रही हो, उस पर कभी तर्कवितर्क नहीं करना चाहिए. पीछे मुड़ कर देखने का कोई फायदा भी नहीं है. आप यह तय कर लें कि आप सच में खेद महसूस कर रहे हैं. तय कर लीजिए कि आप केवल सामने वाले को खुश करने के लिए उसे सौरी नहीं बोल रहे. अपने पार्टनर की भावनाओं की कद्र करें और उन्हें तकलीफ देने की कोशिश न करें. अगर झगड़ा बहुत बढ़ गया है तो थोड़ी देर के लिए उन्हें अकेला छोड़ दें. उन्हें काल कर के या एसएमएस कर के परेशान न करें. 1-2 दिन इंतजार करें, फिर सारी बातें भुला कर अपना और अपने साथी का झगड़ा वहीं खत्म करें. अपनी गलती मान लेना सब से बड़ी बात है. इस से आप का और दुखी साथी का मन निर्मल हो जाता है. इसलिए जहां कहीं भी यह लगे कि आप गलत हैं, अपना जीवनसाथी हो या दफ्तर का साथी या फिर कोई भी रिश्तेदार, उसे सौरी बोल कर गिलेशिकवे दूर कर लीजिए. देर मत कीजिए वरना गांठें बढ़ती जाएंगी. सच मानिए यह सौरी बोलना अपनेआप में जादू से कम नहीं.

ये भी पढ़ें- रिश्ते में है समर्पण जरूरी

शादी से जुड़े कुछ डर के बारे में जानकारी दें?

सवाल

मैं ने सुना है कि यदि शादी से पहले लड़की किसी लड़के से शारीरिक संबंध स्थापित कर ले तो विवाह के बाद उस के पति को पता चल जाता है कि लड़की कुंआरी नहीं है, अर्थात उस का किसी से शारीरिक संबंध रहा है. मैं जानना चाहती हूं कि पति को यह कैसे पता चल जाता है? कृपया मुझे जवाब मेरे मोबाइल पर मैसेज कर दें.

जवाब-

लड़कियों की योनि में एक झिल्ली होती है, जो प्रथम समागम के दौरान फट जाती है. इस से थोड़ा रक्तस्राव होता है और हलकी सी पीड़ा भी होती है. पहले प्रथम सहवास के समय रक्तस्राव न होने को इस बात का प्रमाण माना जाता था कि युवती का कौमार्य भंग हो चुका है. लेकिन आजकल लड़कियों के साइकिल चलाने, गिरने या और किसी वजह से भी कौमार्य झिल्ली फट सकती है.

इस के अलावा कुंआरी युवतियों के यौनांगों में कसावट होती है पर यदि युवती विवाहपूर्व किसी से अवैध संबंध बना चुकी हो तो यौनांग की कसावट खत्म हो जाती है, जिस से पता चल जाता है कि युवती शारीरिक संबंधों की अभ्यस्त है.अगर पति को ऐसा अंदेशा हो जाए तो उन का वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है.

अत: विवाहपूर्व ऐसे अनैतिक संबंध बनाने से यथासंभव बचने की सलाह दी जाती है.जहां तक मोबाइल फोन पर आप के प्रश्न का उत्तर देने की बात है तो हम पहले भी कई बार अपने पाठकों को बता चुके हैं कि उन के प्रश्नों के उत्तर सिर्फ गृहशोभा में ही प्रकाशित किए जाते हैं. मैसेज द्वारा संभव नहीं.

ये भी पढ़ें- 

अनिल और सुधा की शादी की पहली रात थी. शादी में आए लोगों के जातेजाते रात का 1 बज गया. तब अनिल की बहन को ध्यान आया कि इस नवविवाहित जोड़े को तो अपने कक्ष में भेजो. चूंकि रात काफी बीत चुकी थी, इसलिए अपने कक्ष में पहुंचते ही अनिल आननफानन सहवास करने लगा तो एक हलकी सी चीख के साथ सुधा उस के बाहुपाश से अलग हो गई. बोली कि नहीं, मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकूंगी. मुझे दर्द होता है. बेचारा अनिल मन मसोस कर रह गया. सुधा की दिन पर दिन बीतते चले गए और फिर दर्द की तीव्रता भी बढ़ती चली गई. पहली रात की मिठास कड़वाहट में बदल गई थी. फिर एक दिन जब अनिल ने यह बात अपने दोस्त को बताई तो उस की सलाह पर वह पत्नी के साथ चिकित्सक के पास पहुंचा. तब जा कर दोनों सहवास का आनंद उठाने में कामयाब हो पाए.

वास्तव में सहवास परम आनंद देता है. मगर इस में इस तरह की कोई परेशानी हो जाए तो नौबत तलाक तक की भी आ जाती है.

आइए, जानें कि ऐसी स्थिति आने पर क्या करें:

पतिपत्नी को चाहिए कि भले प्रथम 1-2 मिलन में दर्द हो, तो भी वे संपर्क बनाना न छोड़ें. कामक्रीड़ा करते रहें ताकि एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहे और दर्द की बात मन में न बैठे.

चूंकि यह शारीरिक से ज्यादा मनोवैज्ञानिक समस्या है, अत: मानसिक स्तर पर भी मजबूत बने रहें.

ऐसे पतिपत्नी को चाहिए कि वे यह सोच कर कि सहवास नहीं करेंगे, प्रतिदिन यौनक्रीड़ा यानी आलिंगन, चुंबन, बाहुपाश में बांधना, सहलाना आदि करते रहें. यौनक्रीड़ा में बहतेबहते उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि वे कब सहवास में सफल हो गए. तब सारा डर जाता रहेगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मिलन की रात बन जाए बात

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब Tour पर हों पति

बड़े चाव से मेरे मातापिता ने मेरी शादी सुधीर से की. हमारी अरेंज मैरिज थी. घरबार और लड़का मेरे मातापिता को पसंद थे, बस सुधीर के घर वालों ने पहले ही बोल दिया था कि लड़के ने इंजीनियरिंग अभीअभी पूरी की है. जल्द ही उसे नौकरी के लिए दूसरे शहर जाना पड़ेगा. वहां सैटल होते ही आप की बेटी को भी वहां ले जाएगा. मेरे मातापिता भी राजी हो गए और मैं भी, क्योंकि मातापिता अपने बच्चे के लिए अच्छा ही सोचते हैं. लेकिन शादी होते ही सुधीर का बाहर रहना मेरी बरदाश्त के बाहर हो गया. हम दोनों में खटपट शुरू हो गई. लेकिन इस में सुधीर की कोई गलती नहीं थी. वे भी तो अपने कैरियर पर ही फोकस कर रहे थे. इसी बीच मेरी स्कूल की

एक दोस्त मिली, जिस ने मुझे कुछ ऐसी बातें समझाईं कि उन से मेरी शादीशुदा जिंदगी में बदलाव आ गया.

यदि आप के पति भी ज्यादातर टूअर पर रहते हैं या फिर कुछ समय के लिए बाहर रहने गए हैं तो कैसे आप दोनों अपनी रिलेशनशिप को मजबूत बना कर रख सकते हैं, आइए जानें:

भावनात्मक रूप से जुड़ें

जरूरी नहीं है कि जब हम आमनेसामने बैठे हों तभी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. जब हम एकदूसरे से दूर होते हैं तो पूरे दिन में हलकीफुलकी बात फोन पर कर के भी अपने भाव प्रकट कर सकते हैं. इस तरह की हलकीफुलकी बातचीत यह दर्शाती है कि आप एकदूसरे की बहुत परवाह करते हैं. रिश्ते को बड़ी समझदारी से निभाते हैं. पूरा दिन व्यस्त रहने के बाद यदि आप रात को थोड़ी देर एकदूसरे से फोन पर बात कर लेते हैं तो भी मन हलका हो जाता है, साथ ही आप को अकेलापन भी महसूस नहीं होता.

न हो बातचीत में लंबा गैप

यदि आपस में बातचीत किए लंबा समय हो जाता है, तो आप दोनों के बीच एक लंबा फासला आ जाता है, जिस से मनमुटाव आना स्वाभाविक है. आप रोज बात करते हैं, तो आप को एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. इसलिए जरूरी है कि आपसी बातचीत में लंबा गैप न आने दें.

एकदूसरे को समझें

किसी भी रिश्ते में फूट जरूरी नहीं कि दूर रहने से ही पड़े. यदि आप उस रिश्ते को समझेंगे नहीं तो तनाव आना ही है. ऐसे में जरूरी है कि एकदूसरे को समझने के लिए एकसाथ समय बिताएं, फिर चाहे वह फोन पर बात करने में बिताएं या ईमेल अथवा मैसेज करें. बात करते समय ध्यान दें कि साथी को किन बातों को करने से खुशी मिलती है. उन पर रिसर्च करें. अगली बार फोन पर बात करने पर उन से जुड़े टौपिक पर बात करें.

हमेशा साथ दें

ध्यान रखें कि आप का पार्टनर किसी समस्या में फंसा है, तो उसे मानसिक तौर से धैर्य बंधाएं. जितना हो सके अपना सहयोग दें, क्योंकि यदि उसे समस्याओं को अकेले झेलने की आदत हो जाएगी तो उसे आप की भी परवाह नहीं होगी. उसे ऐसे समय में खुश रहने की सलाह देते रहें. साथ ही कुछ ऐसी बातें भी करें, जिन से साथी का मूड फ्रैश हो जाए.

ये भी पढ़ें- रिश्ते में है समर्पण जरूरी

विश्वास बनाए रखें

किसी भी रिश्ते में बेहद जरूरी है कि एकदूसरे पर विश्वास रखें. लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में यह थोड़ा कठिन कार्य हो जाता है, लेकिन आपसी मतभेद न हों इस का पूरा प्रयास करें. एकदूसरे पर विश्वास बनाए रखें. झूठ बोलने से कभी न कभी झूठ सामने आ ही जाता है, जो बाद में आप के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है, इसलिए बेहतर है अपने पार्टनर को पहले ही सच बता कर चलें.

रिश्तों में बनी रहती है गरमाहट

दूर रहने पर रिश्तों में और भी अधिक मजबूती आ जाती है, क्योंकि आप को दूर रहने पर ही पता चलता है कि आप एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. इस के अलावा आप को मिलने का एक अलग सा उत्साह बना रहता है. घंटों साथ बैठ कर बात करने की चाहत के लिए आप तरहतरह की प्लानिंग करते रहते हैं.

कैसे रखें खुद को व्यस्त

यदि आप के हसबैंड टूअर पर या बाहर रहते हैं, तो इस तरह खुद को व्यस्त रखें:

– अपनेआप को किसी भी कार्य में व्यस्त रखें. यदि वर्किंग हैं तो बेहद अच्छी बात है और अगर नहीं हैं तो अपनी पसंद के किसी कार्य को अपना टाइमपास बना लें.

– फिट रहने की कोशिश करें. यदि आप फिट रहेंगी तो नकारात्मक विचार भी मन में नहीं आएंगे. इस के लिए शाम या सुबह थोड़ा समय अपनेआप को दें.

– क्रिएटिव बनें. कुछ अलग हट कर करें. हसबैंड के टूअर से आने से पहले घर की अच्छी तरह साफसफाई कर के रखें. इस से

उन को और आप को दोनों को अच्छा महसूस होगा.

– कुकिंग में नया ऐक्सपैरिमैंट करें जो आप के हसबैंड को पसंद हो. उन के आने पर कुछ नया बनाएंगी तो उन्हें अच्छा लगेगा.

– घिसीपिटी बातों में अपना वक्त बेकार न करें. कई लोग मनोबल को गिराने की कोशिश करते हैं. आप उन की बातों को एक कान से सुनें दूसरे से निकाल दें, जो आप को सही लगता हो, वही करें.

– यदि आप के बच्चे हैं तो उन की पढ़ाई पर ध्यान दें. बच्चों के साथ तो वैसे भी वक्त का पता  नहीं चलता है.

ये भी पढ़ें- तन से पहले मन के तार जोड़ें

लाएं कुछ नयापन

रिश्तों में मिठास और नयापन बनाए रखने के लिए पेश हैं कुछ टिप्स:

– हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप के हसबैंड टूअर या जौब के सिलसिले में बाहर रहते हैं, तो आप उन से हमेशा सकारात्मक तरीके से ही बात करें.

– आप दोनों एकदूसरे को दिन की शुरुआत गुड मौर्निंग के मैसेज से कर सकते हैं.

– कुछ ऐसे मैसेज या टैक्स्ड एकदूसरे को भेज सकते हैं, जिन से मन खुश हो जाए.

– किसी दिन सरप्राइज दें. साथ ही बताए बिना उन के पास पहुंच जाएं. फिर देखिएगा उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा.

– विडियो चैट करें. इस से आप को लगेगा आप आमनेसामने ही बैठे हैं.

– जब आप के पति छुट्टी पर घर आ रहे हों, तो कुछ नया प्लान करें जहां आप फुरसत से एकदूसरे के लिए समय निकाल सकें.

– हमेशा शिकायतों को ही एकदूसरे के सामने न रखें. अगर शिकायत रखनी भी है, तो कुछ इस तरह कि कल तुम मुझ से बिना बात किए ही सो गए.

– एकदूसरों के परिवार की चिंता जाहिर करें. इस से महसूस होता है कि आप को एकदूसरे के पविर की भी चिंता है.

रिश्ते में है समर्पण जरूरी

समर्पण शब्द सुनते ही नजरों के सामने फैल जाता है एक बड़ा सा कैनवस, जिस पर कोई एक विचार या भावना नहीं, बल्कि अनेक चित्र एकसाथ उभरते हैं. जैसे मातापिता और संतानें, व्यक्ति और उस का लक्ष्य, व्यवसाय तथा व्यवसायी और इन सब से अलग और महत्त्वपूर्ण चेहरा होता है पतिपत्नी का. इन सभी चित्रों में एक बात जो मुखर है, वह यह कि किसी संबंध के प्रति स्वयं को पूरी तरह से सौंप देने का ही नाम समर्पण है.

समर्पण का विस्तृत आकाश

मेरी बचपन की सहेली मोहिनी के पिता मुख्य चिकित्साधिकारी थे. मोहिनी की मां उस के जन्म के पूर्व ही अपनी दोनों आंखें गंवा चुकी थीं पर क्या मजाल कि अंकल ने आंटी को एक पल के लिए भी आंखों की कमी खलने दी हो. पार्टी हो या सिनेमाहाल, उत्सव हो या समारोह, वे हर स्थान पर आंटी का हाथ अपने हाथों में लिए रहते तथा सतत कमेंट्री करते रहते. यही नहीं, उन के घर में कोई नई खरीदारी की जाए तो तुरंत बच्चों को आदेश देते कि जाओ, मम्मी को दिखा लाओ. आंटी सामान को छू कर अपनी सहमतिअसहमति जतातीं परंतु अंकल उन के ‘छूने’ को भी देखने का नाम ही देते. यह उन के प्रति एक विलक्षण समर्पण था. दांपत्य जीवन की शुरुआत करते समय पतिपत्नी आजीवन एकदूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहने तथा एकदूसरे से सुखदुख में साथ निभाने के वादे करते हैं. यही समर्पण की पहली सीढ़ी है. पतिपत्नी दोनों ही अलगअलग वातावरण में पलेबढ़े होते हैं. दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि, जीवनशैली, शिक्षादीक्षा तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं में भिन्नता होना स्वाभाविक है.

ऐसी स्थिति में एक सफल और सुखी गृहस्थ जीवन की कल्पना तभी की जा सकती है, जब पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे के गुणदोषों, पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक दायित्वों को सहज रूप से स्वीकारें. आवश्यकतानुसार स्वयं को बदलने और तालमेल बैठाने की कोशिश करें. यह प्रयास ‘मैं’ और ‘तुम’ से अलग ‘हम’ का एक संसार बसाने का होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- तन से पहले मन के तार जोड़ें

पति की पत्नी से अपेक्षाएं

दिल्ली के वरिष्ठ मैरिज काउंसलर अमृत कपूर का मानना है कि अधिकांश मामलों में आपसी मनमुटाव की शुरुआत सैक्स संबंधों से ही होती है. पतियों की यह शिकायत होती है कि उन की पत्नी सैक्स के मामले में असक्रिय है तथा थके होने और मूड न होने का बहाना बना कर उन्हें टालतीटरकाती रहती है, जिस के कारण वे तनावग्रस्त हो जाते हैं. शारीरिक समर्पण वैवाहिक जीवन की एक अनिवार्य अभिव्यक्ति अवश्य है पर इकलौता मानदंड नहीं. सैक्स को विषय बना कर पत्नी को दुख देना पतियों के एकतरफा स्वार्थीपन को उजागर करता है न कि पत्नी के प्रति प्रेम को. पति भूल जाता है कि पत्नी भी एक व्यक्तित्व है. पत्नी रातोरात पति तथा उस के परिवार को अपना सर्वस्व मान कर उन के अनुरूप ढल जाए, ऐसा सोचना गलत होगा. अत: पतियों को चाहिए कि वे धैर्य तथा समझदारी से काम लें. वे जीवनसाथी के निजी सुखदुख का भागीदार बनने का कार्य भी उतने ही प्यार, सहानुभूति, अपनत्व तथा उत्साह से करें जैसा कि वे पत्नी से चाहते हैं.

पारिवारिक शांति का आधार

स्त्री को पिता का घर छोड़ कर पति के नए तथा अजनबी परिवार में स्वयं को बसाने से ले कर पति, परिवार तथा संतान के प्रति कर्तव्यों को निभाने के अनेक कठिन पड़ावों पर अपने समर्पण की परीक्षा देनी पड़ती है. पत्नी का यह समर्पण कहनेसुनने में तो बड़ा सरल प्रतीत होता है मगर इसे करना आसान नहीं होता. यदि स्त्री अपने उत्तरदायित्वों को भलीभांति समझ कर एकएक कदम बढ़े तो यह कार्य सुगम हो जाएगा. स्त्री में वह शक्ति और समायोजन क्षमता होती है, जिस के सहारे वह सरलता से स्वयं को किसी भी परिस्थिति में ढाल लेती है. बंगाल की वयोवृद्ध समाजसेविका सुनंदा बनर्जी अपने युवावस्था के दिनों को याद करते हुए बताती हैं, ‘‘उन दिनों समर्पण प्राय: एकतरफा ही होता था. पुरुषों तथा परिवार की आशाओं पर खरा उतरने की जंग में स्त्री का सारा जीवन होम हो जाता था. परंतु आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं. आज यदि घर की सुखशांति के लिए पत्नी एक कदम आगे बढ़ाती है, तो पति एवं परिवार की ओर से उसे दोगुना प्रेम, सम्मान तथा उत्साह मिलता है.’’

बलिदान नहीं सामंजस्य

वैवाहिक जीवन के तनावों तथा अवसादों से ग्रस्त, जो विवाहित जोड़े मनोरोगचिकित्सकों का द्वार खटखटाने पहुंच जाते हैं, उन में एक साझा पहलू यह पाया जाता है कि वे अहं के टकराव का शिकार होते हैं. उन में एकदूसरे के ऊपर प्रभुत्व जमाने की तीव्र इच्छा होती है. उन की शिकायत अकसर यही होती है कि उन का जीवनसाथी उन्हें उंगलियों पर नचाना चाहता है, बलि का बकरा बना रखा है, मेरा तो सब कुछ होम हो गया आदि. ऐसी स्थिति में मनोरोगचिकित्सक उन्हें यही समझाते हैं कि वैवाहिक जीवन कोई बलिवेदी नहीं है जिस पर एक के लिए दूसरा कुरबान हो जाता है. गृहस्थ जीवन एक ऐसा कर्मक्षेत्र है जिस में सुखदुख, उतारचढ़ाव तथा ऊंचनीच आते ही रहते हैं. पतिपत्नी दोनों को इन्हें सहज रूप से स्वीकार कर आपसी प्रेम, तालमेल तथा सूझबूझ के साथ जीवन चलाना चाहिए. आपस में सुंदर सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास दोनों ओर से हो, एकतरफा नहीं. एकदूसरे पर रोब जमा कर समर्पण की मांग करना सरासर अशिष्टाचार तथा असभ्यता ही है.

ये भी पढ़ें- Holi Special: रिश्तों में उल्लास भरें त्योहार

समर्पण के मार्ग की रुकावट

दिल्ली के वरिष्ठ ऐडवोकेट राकेश दीवान के अनुसार, वर्तमान समय में अधिकतर नवविवाहित जोड़े अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं. विवाह के पूर्व जिन सपनों की दुनिया में ये जीते हैं, उस से बाहर आ कर व्यावहारिक जगत के रिश्ते निभाना उन के लिए कठिन हो जाता है और विवाह के कुछ ही समय उपरांत इन में तूतू, मैंमैं शुरू हो जाती है. ये जोड़े एकदूसरे के अधिकार और कर्तव्यों को मुद्दा बना कर परस्पर आरोपप्रत्यारोप करते हैं, जिस से इन का दांपत्य बिखर जाता है. विवाह चाहे अरेंज्ड मैरिज हो या लव मैरिज, दोनों ही स्थितियों में 2 भिन्नभिन्न व्यक्तियों को एकसाथ रहने का अभ्यास करना पड़ता है. पतिपत्नी के रिश्ते में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. दोनों ही का योगदान बराबर का होता है, अलबत्ता दोनों की क्रियाप्रतिक्रिया का रूप और तरीका अलगअलग हो सकता है. गृहस्थ जीवन कोई कोर्टकचहरी नहीं, जहां समयअसमय अधिकार बनाम कर्तव्य का मुकदमा चलाया जाए. इस जंग में हासिल कुछ भी नहीं होता है. हाथ आती है तो  केवल जगहंसाई, दांपत्य में दरार और पारिवारिक विघटन.    

 सफल दांपत्य के 10 गुर

विवाह के पूर्व होने वाले जीवनसाथी की पसंदनापसंद तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि की विशेष जानकारी कर लें.

विवाह के पश्चात आजीवन एकदूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहें.

पतिपत्नी एकदूसरे के परिवार, रिश्तेदारों तथा रीतिरिवाजों का सम्मान करें.

पतिपत्नी एकदूसरे के गुणदोषों को स्वीकारने तथा संपूर्ण सामंजस्य का नियमित अभ्यास करें.

एकदूसरे से अनावश्यक तथा सीमा के बाहर की अपेक्षाएं न रखें.

परस्पर स्नेह और सम्मान का प्रदर्शन करें. भूल कर भी ‘अहंकार’ को बीच में न आने दें.

पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे के क्रोध, चिड़चिड़ाहट और झल्लाहट आदि को सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया समझ कर स्वीकार करें.

घर, बाहर, परिवार एवं बच्चों की जिम्मेदारियों को यथासंभव मिलबांट कर निभाएं. जो कर सकें उसे अवश्य करें और जो न कर पाएं उस के लिए विनम्रतापूर्वक ‘न’ कह दें.

जीवनसाथी के प्रति समर्पण का प्रदर्शन करने के लिए समयसमय पर उस की प्रशंसा अवश्य करें तथा उसे खुश करने के छोटेछोटे उपाय भी करें.

अपने गृहस्थ जीवन को सुखी रखने के लिए मार्गदर्शन अवश्य लें, मगर हस्तक्षेप कदापि स्वीकार नहीं करें.

ये भी पढ़ें- जब शौहर का मिजाज हो आशिकाना

तन से पहले मन के तार जोड़ें

4 सहेलियां कुछ अरसे बाद मिली थीं. 2 की जल्दी शादी हुई थी तो 2 कुछ बरसों का वैवाहिक जीवन बिता चुकी थीं. ऐसा नहीं कि उन में और किसी विषय पर बात नहीं हुई. बात हुई, लेकिन बहुत जल्द ही वह पहली बार के अनुभव पर आ टिकी.

पहली सहेली ने पूछा, ‘‘तुम फोन पर ट्रेन वाली क्या बात बता रही थी? मेरी समझ में नहीं आई.’’

दूसरी बोली, ‘‘चलो हटो, दोबारा सुनना चाह रही हो.’’

तीसरी ने कहा, ‘‘क्या? कौन सी बात? हमें तो पता ही नहीं है. बता न.’’

दूसरी बोली, ‘‘अरे यार, कुछ नहीं. पहली रात की बात बता रही थी. हनीमून के लिए गोआ जाते वक्त हमारी सुहागरात तो ट्रेन में ही मन गई थी.’’

तीसरी यह सुन कर चौंकी, ‘‘हाउ, रोमांटिक यार. पहली बार दर्द नहीं हुआ?’’

दूसरी ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ खास तो नहीं.’’

तीसरी बोली, ‘‘चल झूठी, मेरी तो पहली बार जान ही निकल गई थी. सच में बड़ा दर्द होता है. क्यों, है न? तू क्यों चुप बैठी है? बता न?’’

चौथी सहेली ने कहा, ‘‘हां, वह तो है. दर्द तो सह लो पर आदमी भी तो मनमानी करते हैं. इन्होंने तो पहली रात को चांटा ही मार दिया था.’’

बाकी सभी बोलीं, ‘‘अरेअरे, क्यों?’’

चौथी ने बताया, ‘‘वे अपने मन की नहीं कर पा रहे थे और मुझे बहुत दर्द हो रहा था.’’

पहली बोली, ‘‘ओह नो. सच में दर्द का होना न होना, आदमी पर बहुत डिपैंड करता है. तुम विश्वास नहीं करोगी, हम ने तो शादी के डेढ़ महीने बाद यह सबकुछ किया था.’’

दूसरी और तीसरी बोलीं, ‘‘क्यों झूठ बोल रही हो?’’

पहली सहेली बोली, ‘‘मायके में बड़ी बहनों ने भी सुन कर यही कहा था, उन्होंने यह भी कहा कि लगता है मुझे कोई धैर्यवान मिल गया है, लेकिन मेरे पति ने बताया कि उन्होंने शादी से पहले ही तय कर लिया था कि पहले मन के तार जोडूंगा, फिर तन के.

‘‘मुझे भी आश्चर्य होता था कि ये चुंबन, आलिंगन और प्यार भरी बातें तो करते थे, पर उस से आगे नहीं बढ़ते थे. बीच में एक महीने के लिए मैं मायके आ गई. ससुराल लौटी तो हम मन से काफी करीब आ चुके थे. वैसे भी मैं स्कूली दिनों में खूब खेलतीकूदती थी और साइकिल भी चलाती थी. पति भी धैर्य वाला मिल गया. इसलिए दर्द नहीं हुआ. हुआ भी तो जोश और आनंद में पता ही नहीं चला.’’

पतिपत्नी के पहले मिलन को ले कर अनेक तरह के किस्से, आशंकाएं और भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं. पुरुषों को अपने सफल होने की आशंका के बीच यह उत्सुकता भी रहती है कि पत्नी वर्जिन है या नहीं. उधर, स्त्री के मन में पहली बार के दर्द को ले कर डर बना रहता है.

आजकल युवतियां घर में ही नहीं बैठी रहतीं. वे साइकिल चलाती हैं, खेलकूद में भाग लेती हैं, घरबाहर के बहुत सारे काम करती हैं. ऐक्सरसाइज करती हैं, नृत्य करती हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि तथाकथित कुंआरेपन की निशानी यानी उन के यौनांग के शुरू में पाई जाने वाली त्वचा की झिल्ली शादी होने तक कायम ही रहे. कई तरह के शारीरिक कार्यों के दौरान पैरों के खुलने और जननांगों पर जोर पड़ने से यह झिल्ली फट जाती है, इसलिए जरूरी नहीं कि पहले मिलन के दौरान खून का रिसाव हो ही. रक्त न निकले तो पुरुष को पत्नी पर शक नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- Holi Special: रिश्तों में उल्लास भरें त्योहार

अब सवाल यह उठता है कि जिन युवतियों के यौनांग में यह झिल्ली विवाह के समय तक कायम रहती है, उन्हें दर्द होता है या नहीं. दर्द का कम या ज्यादा होना झिल्ली के होने न होने और पुरुष के व्यवहार पर निर्भर करता है. कई युवतियों में शारीरिक कार्यों के दौरान झिल्ली पूरी तरह हटी हो सकती है तो कई में यह थोड़ी हटी और थोड़ी उसी जगह पर उलझी हो सकती है. कई में यह त्वचा की पतली परत वाली होती है तो कई में मोटी होती है.

स्थिति कैसी भी हो, पुरुष का व्यवहार महत्त्वपूर्ण होता है. जो पुरुष लड़ाई के मैदान में जंग जीतने जैसा व्यवहार करते हैं, वे जोर से प्रहार करते हैं, जो स्त्री के लिए तीखे दर्द का कारण बन जाता है. ऐसे पुरुष यह भी नहीं देखते कि संसर्ग के लिए राह पर्याप्त रूप से नम और स्निग्ध भी हुई है या नहीं. उन के कानों को तो बस स्त्री की चीख सुनाई देनी चाहिए और आंखों को स्त्री के यौनांग से रक्त का रिसाव दिखना चाहिए. ऐसे पुरुष, स्त्री का मन नहीं जीत पाते. मन वही जीतते हैं जो धैर्यवान होते हैं और तन के जुड़ने से पहले मन के तार जोड़ते हैं व स्त्री के संसर्ग हेतु तैयार होने का इंतजार करते हैं.

भले ही आप पहली सहेली के पति की तरह महीना, डेढ़ महीना इंतजार न करें पर एकदम से संसर्ग की शुरुआत भी न करें. पत्नी से खूब बातें करें. उस के मन को जानने और अपने दिल को खोलने की कोशिश करें. पर्याप्त चुंबन, आलिंगन करें. यह भी देखें कि पत्नी के जननांग में पर्याप्त गीलापन है या नहीं. दर्द के डर से भी अकसर गीलापन गायब हो जाता है. ऐेसे में किसी अच्छे लुब्रीकैंट, तेल या घी का इस्तेमाल करना सही रहता है. शुरुआत में धीरेधीरे कदम आगे बढ़ाएं. इस से आप को भी आनंद आएगा और पत्नी को दर्द भी कम होगा.

कई युवतियों के लिए सहवास आनंद के बजाय दर्द का सबब बन जाता है. ऐसा कई कारणों से होता है, जैसे :

कुछ युवतियों में वल्वा यानी जांघों के बीच का वह स्थान जो हमें बाहर से दिखाई देता है और जिस में वेजाइनल ओपनिंग, यूरिथ्रा और क्लीटोरिस आदि दिखाई देते हैं, की त्वचा अलग प्रकार की होती है, जो उन्हें इस क्रिया के दौरान पीड़ा पहुंचाती है. त्वचा में गड़बड़ी से इस स्थान पर सूजन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ जाना और दर्द होने जैसे लक्षण उभरते हैं. त्वचा में यह समस्या एलर्जी की तरह होती है और यह किसी साबुन, मूत्र, पसीना, मल या पुरुष के वीर्य के संपर्क में आने से हो सकती है.

सहवास के दौरान दर्द होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए. सहवास से पहले पर्याप्त लुब्रीकेशन करना चाहिए. पुरुष को यौनांग आघात में बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वही काम मुद्राएं अपनानी चाहिए जिन में स्त्री को कम दर्द होता हो. इस से भी जरूरी बात यह है कि पहले मन के तार जोडि़ए. ये तार जुड़ गए तो तन के तार बहुत अच्छे और स्थायी रूप से जुड़ जाएंगे.    – सहवास के दौरान पर्याप्त लुब्रीकेशन न होने से भी महिला को दर्द का एहसास हो सकता है.

– महिला यौनांग में यीस्ट या बैक्टीरिया का इन्फैक्शन भी सहवास में दर्द का कारण बनता है.

– एक बीमारी एंडोमेट्रिआसिस होती है, जिस में गर्भाशय की लाइनिंग शरीर के दूसरे हिस्सों में बनने लगती है. ऐसा होने पर भी सहवास दर्दनाक हो जाता है.

– महिला के यौनांग की दीवारों के बहुत पतला होने से भी दर्द होता है.

– यूरिथ्रा में सूजन आ जाने से भी सहवास के दौरान दर्द होता है.

ये भी पढ़ें- जब शौहर का मिजाज हो आशिकाना

जब शौहर का मिजाज हो आशिकाना

रंगीन, आशिकमिजाज पति पाना भला किस औरत की दिली तमन्ना न होगी? अपने ‘वे’ इश्क और मुहब्बत के रीतिरिवाजों से वाकिफ हों, दिल में चाहत की धड़कन हो, होंठों पर धड़कन का मचलता इजहार रहे, तो इस से ज्यादा एक औरत को और क्या चाहिए? शादी के बाद तो इन्हें अपनी बीवी लैला लगती है, उस का चेहरा चौदहवीं का चांद, जुल्फें सावन की घटाएं और आंखें मयखाने के प्याले लगते हैं. लेकिन कुछ साल बाद ही ऐसी बीवियां कुछ घबराईघबराई सी, अपने उन से कुछ रूठीरूठी सी रहने लगती हैं. वजह पति की रंगीनमिजाजी का रंग बाहर वाली पर बरसने लगता है.

यही करना था तो मुझ से शादी क्यों की

शादी से पहले विनय और रमा की जोड़ी को लोग मेड फौर ईचअदर कहते थे. शादी के बाद भी दोनों आदर्श पतिपत्नी लगते थे. लेकिन वक्त गुजरने के साथसाथ विनय की आंखों में पहले वाला मुग्ध भाव गायब होने लगा. राह चलते कोई सुंदरी दिख जाती, तो विनय की आंखें उधर घूम जातीं. रमा जलभुन कर खाक हो जाती. जब उस से सहा न जाता, तो फफक पड़ती कि यही सब करना था, तो मुझ से शादी ही क्यों की? क्यों मुझे ठगते रहते हो?

तब विनय जवाब देता कि अरे भई, मैं तुम से प्यार नहीं करता हूं. यह तुम ने कैसे मान लिया? तुम्हीं तो मेरे दिल की रानी हो.

सच यही था कि विनय को औफिस की एक लड़की आकर्षित कर रही थी. खुशमिजाज, खिलखिलाती, बेबाक मंजू का साथ उसे बहुत भाने लगा था. उस के साथ उसे अपने कालेज के दिन याद आ जाते. मंजू की शरारती आंखों के लुकतेछिपते निमंत्रण उस की मर्दानगी को चुनौती सी देते लगते और उस के सामने रमा की संजीदा, भावुक सूरत दिल पर बोझ लगती. रमा को वह प्यार करता था, अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जरूर मानता था, लेकिन रोमांस के इस दूसरे चांस को दरकिनार कर देना उस के बस की बात न थी.

ये मेरे पति हैं

इसी तरह इंदिरा भी पति की आशिकाना हरकतों से परेशान रहती थी. उस का बस चलता तो देबू को 7 तालों में बंद कर के रखती. वह अपनी सहेलियों के बीच भी पति को ले जाते डरती थी. हर वक्त उस पर कड़ी निगाह रखती. किसी पार्टी में उस का मन न लगता. देबू का व्यक्तित्व और बातचीत का अंदाज कुछ ऐसा था कि जहां भी खड़ा होता कहकहों का घेरा बन जाता. महिलाओं में तो वह खास लोकप्रिय था. किसी के कान में एक शेर फुसफुसा देता, तो किसी के सामने एक गीत की पंक्ति ऐसे गुनगुनाता जैसे वहां उन दोनों के सिवा कोई है ही नहीं. उस की गुस्ताख अदाओं, गुस्ताख नजरों पर लड़कियों का भोला मन कुरबान हो जाने को तैयार हो जाता. उधर इंदिरा का मन करता कि देबू के गले में एक तख्ती लटका दे, जिस पर लिख दे कि ये मेरे पति हैं, ये शादीशुदा हैं, इन से दूर रहो.

ये भी पढ़ें- मजा न बन जाए सजा

बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है

घर में अच्छीखासी पत्नी होते हुए भी आखिर कुछ पति क्यों इस तरह भटकते हैं? यह सवाल मनोवैज्ञानिक एवं मैरिज काउंसलर से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिसे सुन कर आप को गुस्सा तो आएगा, लेकिन साथसाथ मर्दों के बारे में एक जरूरी व रोचक जानकारी भी प्राप्त होगी. उन का कहना था कि मर्दों के दिलोदिमाग व खून में ही कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो उन के व्यवहार के लिए बुनियादी तौर पर काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं यानी कुदरत की तरफ से ही उन्हें यह बेवफाई करने की शह मिलती है.

इस का मतलब यह भी निकलता है कि बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है, पर किसी की हिम्मत पड़ती है किसी की नहीं. किसी को मौका मिल जाता है, किसी को नहीं. किसी की पत्नी ही उसे इतना लुभा लेती है कि उसे उसी में नित नई प्रेमिका दिखती है, तो कुछ में आरामतलबी का मद्दा इतना ज्यादा होता है कि वे यही सोच कर तोबा कर लेते हैं कि कौन इश्कविश्क का लफड़ा मोल ले.

अब सवाल उठता है कि सामाजिक सभ्यता के इस दौर में आखिर कुछ पति ही इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं? लीजिए, इस प्रश्न का उत्तर भी मनोवैज्ञानिकों के पास हाजिर है. जरा गौर करें:

पत्नी से आपेक्षित संतोष न मिलना

अकसर इन पतियों के अंदर एक अव्यक्त अतृप्ति छिपी रहती है. सामाजिक रीतिरिवाजों का अनुसरण कर के वे शादी तो कर लेते हैं, गृहस्थ जीवन के दौरान पत्नी से प्रेम करते हैं, फिर भी कहीं कोई हूक मन में रह जाती है. या तो पत्नी से वे तनमन की पूर्ण संतुष्टि नहीं पा पाते या फिर रोमांस की रंगीनी की हूक मन को कचोटती रहती है. जहां पत्नी से अपेक्षित संतोष नहीं मिलता, वहां बेवफाई का कुछ गहरा रंग इख्तियार करने का खतरा रहता है. कभीकभी इस में पत्नी का दोष होता है, तो कभी नहीं.

माफ भी नहीं किया जा सकता

रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी का यहां उदाहरण दिया जा सकता है. हालांकि पत्नी नीरू के अंधे होने का कारण पति ही होता है, फिर भी पति एक अन्य स्त्री से चुपचाप विवाह करने की योजना बना डालता है. वह पत्नी नीरू से प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी है. जब पति की बेवफाई का पता नीरू को चलता है, तो वह तड़प कर पूछती है, ‘‘क्यों तुम ने ऐसा सोचा?’’

तब वह सरलता से मन की बात कह देता है, ‘‘नीरू, मैं तुम से डरता हूं. तुम एक आदर्श नारी हो. मुझे चाहिए एक साधारण औरत, जिस से मैं झगड़ सकूं, बिगड़ सकूं, जिस से एक साधारण पुरुष की तरह प्यार कर सकूं.’’

नीरू का इस में कोई दोष न था, लेकिन पति के व्यवहार को माफ भी नहीं किया जा सकता. हां, मजबूरी जरूर समझी जा सकती है. मगर सब पत्नियां नीरू जैसी तो नहीं होतीं.

ये भी पढ़ें- पुरुष मित्र दगाबाज तो नहीं

औरतें इतनी खूबसूरत क्यों होती हैं

‘‘पत्नी तो हमारी ही हस्ती का हिस्सा हो जाती है भई,’’ कहते हैं एक युवा शायर, ‘‘अब अपने को कोई कितना चाहे? कुदरत ने दुनिया में इतनी खूबसूरत औरतें बनाई ही क्यों हैं? किसी की सुंदरता को सराहना, उस से मिलना चाहना, उस के करीब आने की हसरत में बुराई क्या है?’’

इन शायर साहब की बात आप मानें या न मानें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि रोमांस और रोमानी धड़कनें जिंदगी को रंगीन जरूर बनाती हैं. कुछ पति ऐसे ही होते हैं यानी उन्हें एकतरफा प्यार भी रास आता है.

सुबह का वक्त है. निखिलजी दफ्तर जाने की तैयारी में लगे हैं. सामने सड़क पर सुबह की ताजा किरण सी खूबसूरत एक लड़की गुजरती है. मुड़ कर इत्तफाकन वह निखिलजी के कमरे की ओर देखती है और निखिलजी चेहरे पर साबुन मलतेमलते खयालों में खो जाते हैं.

पत्नी चाय ले कर आती है, तो देखती है कि निखिलजी बाहर ग्रिल से चिपके गुनगुना रहे हैं, ‘जाइए आप कहां जाएंगे…’

‘‘अरे कौन चला गया?’’ पत्नी पूछती है.

तब बड़ी धृष्टता से बता भी देते हैं, ‘‘अरे कितनी सुंदर परी अभी इधर से गई.’’

‘‘अच्छाअच्छा अब जल्दी करो, कल पहले से तैयार हो कर बैठना,’’ और हंसती हुई अंदर चली जाती है.

यही बात निखिलजी को अपनी पत्नी की पसंद आती है. ‘‘लाखों में एक है,’’  कहते हैं वे उस के बारे में, ‘‘खूब जानती है कहां ढील देनी है और कहां डोर कस कर पकड़नी है.’’

लेकिन वे नहीं जानते कि इस हंसी को हासिल करने के लिए पत्नी को किस दौर से गुजरना पड़ा है. शादी के लगभग 2 साल बाद ही जब निखिलजी अन्य लड़कियों की प्रशंसा करने लगे थे, तो मन ही मन कुढ़ गई थी वह. जब वे पत्रिकाओं में लड़कियों की तसवीरें मजे लेले कर दिखाते तो घृणा हो जाती थी उसे. कैसा आदमी है यह? प्रेम को आखिर क्या समझता है यह? लेकिन फिर धीरेधीरे दोस्तों से, छोटे देवरों से निखिलजी की इस आदत का पता चला था उसे.

‘‘अरे, ये तो ऐसे ही हैं भाभी.’’

दोस्त कहते, ‘‘इसे हर लड़की खूबसूरत लगती है. हर लड़की को ले कर स्वप्न देखता है, पर करता कुछ नहीं.’’

और धीरेधीरे वह भी हंसना सीख गई थी, क्योंकि जान गई थी कि प्रेम निखिल उसी  से करते हैं बाकी सब कुछ बस रंगीनमिजाजी  की गुदगुदी है.

ये भी पढ़ें- हैप्पी रिलेशनशिप के लिए अपनाएं ये 8 मूलमंत्र

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें