लंचके समय समीर ने नेहा के पास आ कर उसे छेड़ा, ‘‘क्या मुझ जैसे स्मार्ट बंदे को आज डिनर अकेले खाना पड़ेगा?’’
‘‘मुझे क्या पता,’’ नेहा ने लापरवाही से जवाब दिया.
‘‘मैं ने एक बढि़या रेस्तरां का पता मालूम किया है.’’
‘‘यह मुझे क्यों बता रहे हो?’’
‘‘वहां का साउथ इंडियन खाना बहुत
मशहूर है.’’
‘‘तो?’’
‘‘तो आज रात मेरे साथ वहां चलने को ‘हां’ कह दो, यार.’’
‘‘सौरी, समीर मुझे कहीं…’’
‘‘आनाजाना पसंद नहीं है, यह डायलौग मैं तुम्हारे मुंह से रोज सुनता हूं. इस बार सुर बदल कर ‘हां’ कह दो.’’
‘‘नहीं, और अब मेरा सिर खाना बंद करो,’’ नेहा ने मुसकराते हुए उसे डपट दिया.
नेहा के सामने रखी कुरसी पर बैठते हुए समीर ने आहत स्वर में पूछा, ‘‘क्या हम अच्छे दोस्त नहीं हैं?’’
‘‘वे तो हैं.’’
‘‘तब तुम मेरे साथ डिनर पर क्यों नहीं चल सकती हो?’’
‘‘वह इसलिए क्योंकि तुम दोस्ती की सीमा लांघ कर मुझे फंसाने के चक्कर में हो.’’
‘‘अगर हमारी दोस्ती प्रेम में बदल जाती है तो तुम्हें क्या ऐतराज है? आखिर एक न एक दिन तो तुम्हें किसी को जीवनसाथी बनाने का फैसला करना ही पड़ेगा न… अब मुझ से बेहतर जीवनसाथी तुम्हें कहां मिलेगा?’’ कह समीर ने बड़े स्टाइल से अपना कौलर खड़ा किया तो नेहा हंसने को मजबूर हो गई.
‘‘तो कितने बजे और कहां मिलोगी?’’ उसे हंसता देख समीर ने खुश हो सवाल किया.
‘‘कहीं नहीं.’’
‘‘अब क्या हुआ?’’ समीर ने अपना चेहरा लटका दिया.
‘‘अब यह हुआ कि मुझे लड़कियों पर लाइन मारने वाले लड़के पसंद नहीं और न ही मैं उन लड़कियों में से हूं जिन की झूठीसच्ची तारीफ कर कोईर् उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसा ले. अब क्या तुम मेरी जान बख्शोगे?’’ नेहा ने नाटकीय अंदाज में उस के सामने हाथ जोड़ दिए.
‘‘अभी नहीं. देखो, पहली बात तो यह कि मैं लड़कियों पर नहीं, बल्कि सिर्फ 1 लड़की पर अपने प्यार का जादू चलाना चाहता हूं और दूसरी बात यह कि मैं ने कभी तुम्हारी झूठी तारीफ नहीं करी है. मेरी नजरों में तुम संसार की सब से खूबसूरत और आकर्षक लड़की हो.’’ समीर की आंखों में अपने लिए गहरी चाहत के भावों को पहचान कर नेहा कोई चटपटा या तीखा जवाब नहीं दे पाई.
गहरी सांस लेने के बाद उस ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘समीर, तुम मेरे बारे में ज्यादा नहीं जानते हो. प्रेम और शादी दोनों के बारे में मेरे विचार अच्छे नहीं हैं. तुम दिल के अच्छे इंसान हो. जाओ किसी और लड़की का दिल जीतने की कोशिश करो. मैं तुम्हारे लिए सही जीवनसंगिनी साबित नहीं हूंगी.’’
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‘‘क्या हम इस बारे में डिनर करते हुए बातें नहीं कर सकते हैं?’’
‘‘आज मुझे अपने पापा के साथ डिनर करना है. सौरी, फिर किसी दिन…’’
‘‘तो आज अपने पापा से ही मिलवा दो, तुम्हारा हाथ मांगने के लिए. एक दिन मुझे तुम्हारे मम्मीपापा से मिलना तो पड़ेगा ही न?’’
समीर ने अपनी यह इच्छा मजाक में बताई थी पर नेहा ने अचानक निर्णय लेते हुए उस से कहा, ‘‘ओके, आज तुम मिल ही लो मेरे मम्मीपापा से. रात को 9 बजे इस पते पर पहुंच जाना,’’ कह नेहा ने एक कागज पर अपने घर का पता लिखा और हैरान नजर आ रहे समीर के हाथ में पकड़ा दिया.
‘‘थैंक यू… थैंक यू… मैं आज तुम्हारे मम्मीपापा का दिल जरूर जीत लूंगा,’’ बहुत खुश नजर आ रहे समीर ने नेहा से जोशीले अंदाज में हाथ मिलाया तो वह गहरी सांस छोड़ कर जबरदस्ती मुसकराने लगी.
रात को समीर वक्त से नेहा के घर पहुंच गया. उसे बनठन कर आया देख नेहा हंस पड़ी.
‘‘स्मार्ट लग रहा हूं न?’’ समीर ने बड़ी अदा से कहा.
‘‘बहुत,’’ नेहा फिर हंसी और उस का हाथ पकड़ कर ड्राइंगरूम की तरफ चल दी.
‘‘अब इस हाथ को कभी मत छोड़ना,’’ समीर धीमी व रोमांटिक आवाज में बोला.
‘‘शटअप,’’ नेहा ने उसे हंसते हुए डपटा और फिर वहां उपस्थित 3 व्यक्तियों से परिचय कराने को तैयार हो गई.
‘‘समीर, अपनी उम्र से 10 साल छोटी दिखने वाली ये खूबसूरत लेडी मेरी मम्मी हैं… और ये मेरे पापा हैं. आजकल इन के सिर पर चुनाव लड़ने का भूत सवार है और इसीलिए खादी का कुरतापाजामा पहने हैं… और ये मेरे स्टैप फादर अरुणजी हैं. जब मैं 12 साल की थी तब मम्मीपापा का तलाक हुआ और मेरे 13 साल की होने से पहले मम्मी ने अरुण अंकल से शादी कर ली थी. यह कोठी इन्हीं की है.
‘‘और यह समीर है…मेरे साथ काम
करता है और औफिस खत्म होने के बाद का समय भी मेरी कंपनी में बिताने की इच्छा मन में रखता है. मेरे काफी हतोत्साहित करने के बावजूद यह मुझ से शादी करने का इच्छुक है. अब आप सब एकदूसरे को समझो और परखो. तब तक मैं मेज पर खाना लगवाती हूं,’’ अपने होंठों पर व्यंग्यभरी मुसकान सजाए नेहा रसोई की तरफ चल दी.
समीर को नेहा के मातापिता के तलाक के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस वक्त उसे यह एहसास हुआ कि नेहा की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में वह सचमुच बहुत कम जानता था.
अपने मन को हैरान होने का वक्त दिए बिना वह उन तीनों के सवालों के जवाब देने को तैयार हो गया.
नेहा की मम्मी सीमा ने उस के घर वालों के बारे में कई सवाल पूछे. वे उस के
शौक और मनोरंजन करने के तरीकों के बारे में जानकारी चाहती थीं. उन के सवाल पूछने के ढंग से समीर को जल्दी एहसास हो गया कि वह उन्हें प्रभावित करने में खास सफल नहीं हो रहा है.
नेहा के असली पिता नीरजजी ने उस के काम से जुड़े कई सवाल पूछे. वे उस की अपने भविष्य को संवारने की योजनाओं के बारे में जानने को बहुत उत्सुक थे. समीर को लगा कि वह उन का दिल जीतने में सफल रहा.
अरुण कम ही बोल रहे थे, लेकिन वहां चल रहे वार्त्तालाप में उन की पूरी दिलचस्पी है, यह तथ्य उन की चौकन्नी आंखों से साफ जाहिर हो रहा था. समीर जब भी उन की तरफ देखता
तो वे उस का हौसला बढ़ाने वाले अंदाज में मुसकरा पड़ते.
समीर ने उन सभी से भावुक लहजे में एक ही बात कई तरह से घुमाफिरा कर कही, ‘‘मैं नेहा को दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. आप सब उसे मेरे साथ शादी करने के लिए राजी करने में मेरी सहायता करें. मैं उसे बहुत खुश और सुखी रखने का वचन देता हूं.’’
नेहा उन सब के बीच आ कर एक बार भी नहीं बैठी. उस ने ऊंची आवाज में खाना लग जाने की सूचना दी तो सब उठ कर डाइनिंगटेबल की तरफ चल पड़े.
खाना खा कर समीर ने सब से विदा ली. नेहा के कान में उस ने फुसफसा कर इतना ही कहा, ‘‘अपनी मम्मी को तुम्हें मनाना पड़ेगा. तुम्हारे डैडी और अरुण अंकल को मैं पसंद आ गया हूं.’’
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‘‘अरुण अंकल अभी तुम्हारे साथ जाएंगे. वे जैसा कहें, तुम वैसा ही करना,’’ नेहा ने भी बहुत धीमी आवाज में जब उस से ऐसा कहा तो समीर जबरदस्त उलझन का शिकार बन गया.
‘‘मैं जरा बाजार तक जा रहा हूं,’’ ऐसा कह कर अरुण समीर की मोटरसाइकिल पर बैठ उस के साथ चले गए.
अंदर आने के बाद नेहा ने पहले डाइनिंग टेबल की सफाई करी और फिर
ड्राइंगरूम में वापस आ कर बिना कोई भूमिका बांधे अपने मातापिता से कहा, ‘‘मैं समीर से शादी करने को खास उत्सुक नहीं हूं पर वह ऐसा करने के लिए मेरी जान महीनों से खा रहा है. अब आप दोनों समीर और हमारी भावी शादी के बारे में अपनी सीधीसच्ची राय इसी समय मुझे बता दें.’’
‘‘मुझे समीर समझदार और गुणी लड़का लगा है. मेरी राय में वह अच्छा पति साबित होगा,’’ नीरज ने फौरन समीर को अपने भावी दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया.
‘‘मेरी समझ से तुम्हें जल्दबाजी में काम नहीं लेना चाहिए. जब तक तुम्हारा दिल इस
शादी के लिए पूरे जोश से हां न कहे, तब तक इंतजार करना बेहतर होगा,’’ सीमा की गंभीर आवाज में समीर के प्रति उन की नापसंदगी साफ झलक रही थी.
‘‘मम्मी, यों घुमाफिरा कर बात मत करो. साफसाफ बताओ कि समीर तुम्हें क्यों पसंद नहीं आया है?’’ नेहा ने आवाज में तीखापन पैदा कर मां को सच बोलने के लिए उकसाया.
‘‘समीर का स्वभाव ठीक ही है, पर मुझे तुम दोनों की जोड़ी नहीं जंच रही है. यह दुबला बहुत है और चश्मा भी लगाता है… पर्सनैलिटी में जान नहीं है,’’ सीमा ने अपनी आपत्तियां जाहिर कर दीं.
‘‘नेहा, तुम इस कमअक्ल की बात पर ध्यान मत देना,’’ नीरज एकदम गुस्सा हो उठे, ‘‘यह किसी इंसान की काबिलीयत उस की शारीरिक सुंदरता से ही नाप सकती है और ज्यादा गहरा देखने की समझ इस के पास नहीं है. समीर तुम्हें प्यार करता है, इस बात का इस की नजरों में कोई महत्त्व नहीं है.’’
‘‘अकेले उस के प्यार करने से क्या होगा? अरे, उस का व्यक्तित्व आकर्षक होता तो क्या हमारी नेहा उस की दीवानी न होती?’’ सीमा अपने भूतपूर्व पति से भिड़ने को फौरन तैयार ?हो गईं.
‘‘दोनों अच्छा कमा रहे हैं. मुझे विश्वास है कि नेहा को वह सुखी रखेगा.’’
‘‘पत्नी को सुखी रखने के लिए दौलत से ज्यादा आपसी समझ जरूरी है. एकदूसरे को पसंद करना महत्त्वपूर्ण है.’’
‘‘विवाहित जिंदगी में सुरक्षा और स्थिरता के लिए बैंक में मोटी रकम का होना ज्यादा जरूरी है. घर में सुखशांति हो तो प्यार और आपसी समझ अपनेआप पैदा हो जाती है.’’
‘‘तब हमारा तलाक क्यों हुआ?’’ सीमा ने चिड़ कर पूछा.
‘‘तुम्हारी एहसानफरामोशी और चरित्रहीनता के कारण,’’ नीरज ने चुभते स्वर में कहा तो सीमा की आंखों से चिनगारियां फूटने लगीं.
‘‘तुम्हारे हाथों दिनरात की बेइज्जती से
बचने के लिए मैं ने तुम से तलाक लिया था.
तुम पैसा कमाने की मशीन थे. मेरे लिए तुम्हारे पास वक्त ही कहां था? जब भी मैं ने तुम से अपने मन की बात कहनी चाही, तुम मारपीट
कर मेरा मुंह बंद कर देते थे. हमारी शादी न
टूटती तो या तो मैं पागल हो जाती या फिर आत्महत्या कर लेती.’’
‘‘तुम्हारी ऐसी बातों पर नेहा विश्वास नहीं करती है तो क्यों अब भी झूठ बोल रही हो? सब को मालूम है कि मुझे धोखा देने के लिए तुम्हें अरुण की फिल्म स्टार जैसी शक्लसूरत ने उकसाया था. तुम्हें शरीर की सुंदरता के अलावा न पहले कुछ भाता था, न अब भाता है और इसीलिए नेहा को गलत सलाह दे रही हो? ’’
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‘‘अपने को ज्यादा होशियार मत दिखाओ…’’
करीब 15 मिनट तक नेहा ने एक शब्द नहीं बोला और वे दोनों एकदूसरे
को नीचा दिखाने की कोशिश करते खूब झगड़े.
नेहा अचानक उठी और मुख्यद्वार की तरफ बढ़ी तो दोनों झटके से खामोश हो गए.
‘‘तुम कहां जा रही हो?’’ सीमा के इस सवाल का नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया और दरवाजा खोल कर बाहर चली गई.
वह तुरंत जब अंदर आई तो उस के साथ अरुण और समीर भी थे. वह बोली, ‘‘इन दोनों ने खिड़की के बाहर खड़े हो कर आप दोनों को झगड़ते सुना है. अब मैं समीर से बात करूंगी और आप दोनों में से कोई बीच में बोला तो मैं यह घर छोड़ कर अलग रहने चली जाऊंगी,’’ मातापिता को गुस्से से घूरते हुए जब नेहा ने ऐसी चेतावनी दी तो उन दोनों की आगे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हुई.
नेहा ने फिर समीर की तरफ घूम कर चिड़े से लहजे में कहा, ‘‘अब तो तुम समझ ही गए होंगे कि मुझे शादी करने के नाम से इतनी नफरत…इतनी ऐलर्जी क्यों है. मैं ने 12 साल की उम्र तक शायद ही कभी इन दोनों के आपसी व्यवहार में प्यार की मिठास देखी हो. जब पापा मां पर हाथ उठाते थे तो उन्हें बचाने के चक्कर मेें मैं ने अपनी बहुत पिटाई कराई थी. तलाक के बाद मम्मी सारी दुनिया के सामने यह साबित करना चाहती थीं कि मुझे अकेली भी बहुत अच्छी तरह पाल सकती हैं. मेरा कैरियर अच्छा बनाने के नाम पर इन्होंने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सताया था.
‘‘ये न अच्छे पतिपत्नी थे न अच्छे मातापिता हैं. इन के कारण मैं ने कभी शादी न करने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि अब तुम
मेरे जीवनसाथी बनने का सपना देखना हमेशा के लिए छोड़ दोगे.’’
समीर की समझ में नहीं आया कि वह नेहा को क्या जवाब दे. सीमा और नीरज की लड़ाई ने उसे काफी ज्यादा परेशान और तनावग्रस्त कर दिया था.
उसे कुछ न कहते देख अरुण संजीदा लहजे में बोलने लगे, ‘‘तुम दोनों के साथ इस वक्त मैं अपने दिल में उठ रही कुछ बातों को बांटना चाहता हूं. शायद वे बातें तुम्हें सही फैसला लेने में सहायता करें. तलाक होने से पहले सीमा और मैं अच्छे दोस्त थे. यह अपने दुख, तनाव और परेशानियों को मेरे साथ बांटती थी. अच्छा दोस्त होने के नाते मैं इसे खुश देखना चाहता था और इसीलिए इस का मनोबल ऊंचा रखने के लिए जो संभव होता, वह खुशी से करता. सीमा को खुश रखना, उसे हंसतेमुसकुराते देखना मुझे तब भी बहुत खुशी देता था और आज भी. वह काफी मूडी इंसान है, पर इस बात से मुझे कोई फर्क
नहीं पड़ता. मैं तो उसे हर हाल में प्रसन्न देखना चाहता हूं.
‘‘मैं चाहता हूं कि तुम दोनों मेरे कुछ सवालों के जवाब ईमानदारी से दो. समीर, क्या नेहा को खुश कर के तुम्हें खुशी मिलती है?’’
‘‘बहुत ज्यादा, अंकल यह मेरी किसी बात पर हंस पड़े…मैं इस का कैसा भी काम कर पाऊं…यह मुझ से अपनेपन की मिठास के साथ बोल लेती है तो मेरा मन खुशी से नाच उठता है,’’ समीर भावुक हो उठा.
‘‘नेहा, तुम्हें समीर का कौन सा गुण सब से ज्यादा प्रभावित करता है?’’ अरुण ने कोमल स्वर में नेहा से पूछा.
कुछ देर सोचने के बाद नेहा ने छोटी सी मुसकान होंठों पर ला कर समीर की
तरफ देखते हुए जवाब दिया, ‘‘यह सिरफिरा इंसान मुझे हर हाल में हंसा सकता है. यह पूरा जोकर है.’’
‘‘मेरी तारीफ करने के लिए धन्यवाद,’’ समीर ने झुक कर नाटकीय अंदाज में नेहा को सलाम किया तो वह खुल कर हंस पड़ी.
‘‘देखा आप ने अंकल?’’
‘‘यह तुम्हें हंसा सकता है, इस बात की अहमियत को कम कर के मत आंको. नेहा तुम दोनों अच्छे दोस्त तो हो ही. इस दोस्ती की नींव को कभी कमजोर न पड़ने देने का पक्का संकल्प कर विवाहबंधन में बंध जाओ.
‘‘तुम अपने मम्मीपापा की कार्बन कौपी
नहीं हो जो अपने विवाह को सफल नहीं बना पाओगी. समीर तुम्हारा जीवनसाथी बनना चाहता है तो उसे ऐसा करने का मौका जरूर दो. शादी टूटने के कारणों की अच्छीखासी समझ तुम्हारे पास है. उस समझ के कारण शादी न करने का फैसला करने के बजाय अपनी शादी को सफल बनाना. तुम्हारी मम्मी को मैं समझाऊंगा. हम
सब का आशीर्वाद तुम दोनों को जरूर मिलेगा,’’ अरुण ने प्यार से नेहा के सिर पर हाथ रखा
और फिर समीर को खींच कर अपने सीने से
लगा लिया.
‘‘समीर के साथ शादी कर ले, मेरी
बच्ची. अकेले जिंदगी काटना बहुत कठिन है. अपने अकेलेपन से मैं इतना तंग आ चुका हूं
कि तुम्हारी मां अगर अरुण को छोड़ कर मेरे पास लौटना चाहे तो मैं इस बददिमाग औरत को फिर से अपना लूंगा,’’ नीरज के इस मजाक पर सभी हंस पड़े तो माहौल में व्याप्त तनाव छंट गया.
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‘‘यार, जल्दी से हां कहो, प्लीज. फिर हमें कल की पार्टी के बारे में चर्चा भी करनी है,’’ समीर ने अपने हाथों में नेहा के हाथ ले कर जबरदस्त आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया.
‘‘तुम किस पार्टी की बात कर रहे हो?’’ नेहा ने उलझनभरे स्वर में पूछा.
‘‘अपनी मंगेतर का औफिस वालों से परिचय कराऊंगा तो क्या वे बिना पार्टी लिए हमारी जान बख्श देंगे?’’
नेहा ने उस की आंखों की गहराई में झांका तो उसे वहां अपने लिए प्यार, सम्मान और अपनेपन के भाव साफ नजर आए. उस ने
अपने दिल की बात सुनी और फिर समीर के
गले लग कर अपनी हां कही तो उस ने भावविभोर हो कर उसे गोद में उठा लिया.