कोरोना ने हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली है. हमारी मस्ती, फुजूलखर्ची, आए दिन रैस्टोरैंट्स में पार्टी, खानापीना, बेमतलब भी घूमने निकल जाना, कभी शौपिंग, कभी मूवी तो कभी रिश्तेदारों का आनाजाना धूममस्ती इन सब पर विराम लग चुका है. ज्यादातर लोग वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. लोगों के बेमतलब आनेजाने पर ब्रेक लग गया है. मास्क और सैनिटाइजर जीवन के अहम हिस्से बन गए हैं.
ऐसे में यदि आप भी बीती जिंदगी से कुछ सबक ले कर आने वाली जिंदगी को बेहतर अंदाज में जीना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली, सोच और जीने के तरीके में कुछ इस तरह के बदलाव लाएं ताकि एक सुकून भरी जिंदगी की शुरुआत कर सकें.
रिश्तों को संजोना सीखें
रिश्ते आप की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं. परेशानी के समय इंसान अपने घर की तरफ ही भागता है. हम ने कोरोनाकाल में देखा कि किस तरह लोग शहर छोड़ कर अपनेअपने गांव की तरफ भाग रहे थे. दरअसल, हर इंसान को पता होता है कि अजनबी शहर में तकलीफ के समय आप अकेले होते हैं. इस से तकलीफ अधिक बड़ी महसूस होती है.
पर जब आप अपनों के बीच होते हैं तो मिलजुल कर हर तकलीफ से नजात पा जाते हैं. भले ही तकलीफ खत्म न हो पर दर्द बांट कर उसे सहना आसान हो जाता है. मांबाप, भाईबहन जिन्हें आप कितना भी बुरा क्यों न कहें पर जब बीमारी हारी या कोई परेशानी आती है तो वही हमारा संबल बनते हैं.
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इसलिए हमेशा अपने रिश्तों को सहेज कर रखना चाहिए. उन्हें एहसास दिलाते रहना चाहिए कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं. जिस तरह बैंकों और दूसरी जगहों पर आप समयसमय पर रुपए जमा करते हैं वैसे ही रिश्तों में भी निवेश कीजिए. थोड़ाथोड़ा प्यार बांट कर रिश्तों की बगिया को गुलजार रखिए, एक समय आएगा जब यही बगिया आप की जिंदगी को सींच कर फिर से हरीभरी बना देगी.
मंदिरा की अनिल के साथ लव मैरिज हुई थी. अनिल हमेशा से मंदिरा की हर बात मानता था. शादी के बाद मंदिरा और अनिल मुश्किल से 2-4 महीने सब के साथ रहे. इस के बाद अनिल ने मंदिरा की सलाह पर अलग होने का फैसला ले लिया. मांबाप उन के इस फैसले से बहुत दुखी थे, मगर मंदिरा को ससुराल रास नहीं आ रही थी.
सास ने बहू का हाथ थाम कर कहा, ‘‘बेटा साथ रहने में क्या बुराई है? इतना बड़ा घर है. तुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’
मंदिरा ने साफ जवाब दिया, ‘‘मम्मीजी घर कितना भी बड़ा हो पर लोगों की भीड़ तो देखो ननद, देवर, जेठजी, जेठानीजी, आप, पापाजी और नंदू इतने लोगों के बीच मेरा दम घुटता है. उस पर यह रिश्तेदारों का आनाजाना. मुझे बचपन से मम्मीपापा के साथ अकेले रहने की आदत है. अब शादी के बाद पति के साथ अकेली घर ले कर रहूंगी. मैं ने अनिल से पहले ही कह दिया था.’’
मां ने बेटे की तरफ देखा फिर नजरें झका लीं. अनिल और मंदिरा ने दूसरी लोकैलिटी में एक अच्छा सा घर लिया और वहां रहने लगे. वक्त गुजरता रहा. मंदिरा आराम से अकेली पति के साथ रहती और खाली समय में टीवी देखती या मोबाइल पर सहेलियों के साथ लगी रहती.
वह अपने ससुराल वालों की कभी कोई खोजखबर भी नहीं लेती थी. न अनिल को उन के घर जाने देती. अनिल की अच्छीखासी कमाई होने लगी. उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी.
इस बीच कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ. अनिल की नौकरी छूट गई. मंदिरा इस समय प्रैगनैंट थी. आर्थिक समस्याएं सिर उठाने लगीं. मुसीबत तब और बढ़ गई जब अनिल कोरोना पौजिटिव निकला. मंदिरा के हाथपैर फूल गए. अब वह अपनी और गर्भ के बच्चे की चिंता करे या पति की. उस ने अपनी मां को फोन लगाया, मगर वे खुद बीमार थीं.
हार कर उस ने अपनी सास को सारी परिस्थितियों से अवगत कराया. सास ने सारी बात सुनते ही अपना सामान पैक किया और मंदिरा के पास रहने आ गईं.
उन्होंने आते ही अनिल को अलग कमरे में क्वारंटाइन कर दिया. मंदिरा की प्रैगनैंसी का आठवां महीना देखते हुए उसे भी दूसरे कमरे में बैड रैस्ट पर रहने को कहा और खुद काम में लग गईं. खानेपीने, दवा देने और बाकी देखभाल की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली. मंदिरा के देवर ने भी बाहरभीतर की सारी जिम्मेदारियां उठा लीं तो ससुर ने हर संभव आर्थिक सहायता पहुंचानी शुरू कर दी. मंदिरा का जीवन बिखरने से बच गया.
10-12 दिनों में अनिल की हालत सुधर गई. 1 सप्ताह के अंदर मंदिरा की डिलिवरी भी हो गई. उस ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था. पूरे परिवार ने बच्ची को हाथोंहाथ लिया. मंदिरा मन ही मन में बहुत शर्मिंदा थी.
उस ने अनिल से रिक्वैस्ट करते हुए कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि हमारी बच्ची अस्पताल से सीधी अपने घर जाए यानी अपनी दादी के घर.’’
मंदिरा की बात सुन कर सास की आंखों से आंसू बह निकले. उन्होंने मंदिर को गले से लगा लिया.
सब से बड़ी पूंजी
असल में रिश्ते हमारी जिंदगी की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. हम धनदौलत कितनी भी कमा लें, मगर जब तक रिश्तों की दौलत नहीं कमाते जिंदगी में असली खुशी और सुकून हासिल नहीं हो पाता. जीवन में जो भी आप के अपने हैं उन के लिए हमेशा खड़े रहें.
किसी भी रिश्ते को ग्रांटेड न लें. हर रिश्ते को अपना सौ प्रतिशत दें तभी मौके पर वे आप के काम आएंगे.
आप मिलजुल कर जीवन का हर इम्तिहान पास कर लेंगे. अपनों को इतना करीब रखें कि उन का साथ आप की खुशियों को दोगुना और गमों को आधा कर दे.
आजकल हम एकल परिवारों में रहने के आदी होते जा रहे हैं और ऐसे में बहुत से करीबी रिश्तों से भी दूर हो जाते हैं. जरूरत के वक्त हमें उन रिश्तों की अहमियत समझ में आती है. कोरोना ने काफी हद तक लोगों की आंखें खोली हैं. उन्हें अपनों के साथ के महत्त्व का पता चला है.
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निवेश पर दें विशेष ध्यान
संकट में जरूरत के वक्त 2 ही चीजें काम आती हैं- अपनों का साथ और जमा किए गए रुपए. रिश्ते बना कर रखने के साथ हमें इस नए साल में निवेश की अहमियत पर भी ध्यान देना होगा. जरूरी नहीं कि आप बहुत बड़ी रकम ही निवेश करें. आप की इनकम ज्यादा नहीं तो भी कोई हरज नहीं है. आप छोटेछोटे निवेश कर बड़े लक्ष्य पा सकते हैं.
वैसे भी एक जगह ज्यादा निवेश करने से बेहतर होता है कई जगह थोड़ीथोड़ी मात्रा में निवेश करना. इस से रुपए डूबने के चांस कम होते हैं और प्रौफिट अधिक होने की संभावना बढ़ जाती है.
सिप
जहां तक निवेश की बात है तो म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतरीन औप्शन है. म्यूचुअल फंड में सिप में आप पैसे लगा सकते हैं. इस में शेयर का लाभ भी मिल जाता है और यह सुरक्षित भी होता है. फिक्स्ड इंटरैस्ट रहता है जो बहुत ज्यादा फ्लक्चुएशन नहीं होता है. इस में लंबे समय तक छोटीछोटी रकम निवेश की जा सकती है. जो लोग रिस्क लेने को तैयार हैं वे इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में रुपए लगा सकते हैं. जो सेफ निवेश चाहते हैं वे हाइब्रिड या डेट म्यूचुअल फंड में रुपए लगा सकते हैं. इस में आप को काफी हद तक फिक्स रिटर्न मिलता है.
लाइफ इंश्योरैंस
लाइफ इंश्योरैंस के तहत 15 साल में अधिकतर कंपनियां डबल इनकम देती हैं. आप अपनी सुविधानुसार मंथली, क्वार्टरली, हाफईयरली या ईयरली निवेश कर सकते हैं.
सुकन्या समृद्धि योजना
बेटी पैदा होने के 10 साल के अंदर इस योजना का लाभ ले सकते हैं. यह एक सरकारी योजना है, जिस में आप को सालाना 250 रुपए का निवेश करना होता है. इस में रिटर्न काफी अच्छा मिलता है. 7.5% तक का ब्याज मिल जाता है. लड़़की के 21 साल की होने पर रुपए मैच्योर हो कर मिल जाते हैं.
पब्लिक प्रोविडैंट फंड
आप पीपीएफ में थोड़ेथोड़े पैसे लगा कर अच्छाखासा कमा सकते हैं. यह भी एक सुरक्षित निवेश है.
शेयर
पहले एफडी में रिटर्न अच्छा था सो ज्यादातर लोग जो सुरक्षित निवेश चाहते थे वे फिक्स डिपौजिट या रेकरिंग डिपौजिट में निवेश करते थे. पर अब बैंकों द्वारा ब्याज काफी कम दिया जा रहा है, इसलिए लोग दूसरे औप्शंस की ओर देख रहे हैं.
फुजूलखर्ची पर रोक
आज तक हम जिंदगी को बहुत ही हलके में लेते आए हैं. जब मन किया बिना किसी जरूरत भी कपड़े खरीद लिए, शौपिंग कर ली, कोई गैजेट पसंद आया तो औनलाइन और्डर कर दिया, जब मन किया बाहर खाने चले गए, हर वीकैंड दोस्तों के साथ पार्टी की, छोटीबड़ी बात पर सैलिब्रेट करने पहुंच गए. यानी कुल मिला कर हम फुजूलखर्ची में सब से आगे रहते हैं. पर अब इस महामारी के बाद हमें यह सबक जरूर लेना चाहिए कि बेवजह रुपए उड़ाना उचित नहीं. कोरोनाकाल में कितनों की नौकरी चली गई और कितनों को कट कर सैलरी मिल रही है. आगे आने वाले कुछ समय में भी स्थिति ऐसे ही रहने वाली है. इसलिए खर्च पर लगाम जरूरी है.
वैसे भी जीवन में आने वाली तरहतरह की परेशानियों से लड़ने का पहला जरीया पैसा ही होता है. इसलिए सब से महत्त्वपूर्ण है कि कभी भी अपनी बचत से समझौता न करें.
सेहत है तो सब है
इस कोरोनाकाल ने हमें यह बात तो अच्छी तरह समझ दी है कि जिंदगी में सेहत से बढ़ कर कुछ नहीं. सेहत खराब हो तो दुनियाभर की सुखसुविधाएं और धनदौलत रखी रह जाती है और आप की जिंदगी 1-1 सांस को मुहताज हो जाती है. अपनी इम्यूनिटी मजबूत रख कर हम खुद को हर तरह के रोगों से बचा सकते हैं. इम्यूनिटी के लिए हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना और अच्छा खानपान बहुत जरूरी है.
रोजाना सुबह टहलना और व्यायाम करना, सेहतमंद भोजन लेना, सकारात्मक सोच और गहरे रिश्ते आप की सेहत बनाए रखते हैं. नए साल में आप सब से पहले अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें और शरीर की तंदुरुस्ती पर काम करें. अच्छा खाएं, अच्छा सोचें और अच्छा करें. इस से न सिर्फ मन को सुकून मिलेगा, बल्कि शरीर भी अंदर से मजबूत बनेगा.
बेकार के विवादों से बचें
अकसर हम अपनी जिंदगी का सुखचैन बेवजह के लड़ाईझगड़ों और तनावों में खो देते हैं पर हासिल कुछ नहीं होता. उलटा रिश्तों के साथसाथ सेहत भी जरूर बिगड़ जाती है. बीते साल ने हमें एहसास दिलाया है कि जिंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है. कल का कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में हमें अपने आज पर फोकस करना चाहिए. आज को खूबसूरत बनाने के लिए दिल और दिमाग में सुकून का होना बहुत जरूरी है. सुकून के लिए जरूरी है कि हम विवादों से दूरी बना कर रखें.
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ऐसी जगह घूमने जाएं जहां कभी न गए हों
प्रकृति का आंचल बहुत बड़ा है. हम जितना ही प्रकृति के करीब रहेंगे उतना ही हमारा शरीर सेहतमंद रहेगा. वैसे भी नईनई जगह घूमने से हमारी जिंदगी में रोमांच बना रहता है. कोरोना ने जब हमें घरों में बंद कर दिया तो हमें एहसास हुआ कि बाहर घूमने का आनंद क्या है.
हालात धीरेधीरे ठीक होंगे और हमें मौका मिलेगा कि हम एक बार फिर प्रकृति के करीब जा सकें. उन जगहों पर घूमने निकल सकें, जहां सेहत के साथ आप को आंतरिक खुशी भी मिले. जितना हो सके अपने घर के आसपास भी हरियाली बनाए रखने का प्रयास करें.
होल्ड पर रखे काम पूरा करें
अकसर हम अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण कामों/लक्ष्यों को होल्ड पर रख कर चलते हैं. इस के पीछे हमारा एक ही बहाना होता है कि समय नहीं मिलता. कभी औफिस की आपाधापी तो कभी घर और बच्चों के काम, सुबह से उठ कर जो दौड़भाग शुरू होती है वह देर रात तक चलती है. फिर ऐक्स्ट्रा काम कैसे किया जाए. यह बहाना सुनने में उचित लगता है. पर इस की आड़ में आप कुछ बहुत कीमती चीज खो रहे हैं.
अनिमेष एक गवर्नमैंट औफिसर था, साथ ही लिखता भी था. लंबे समय से उस की इच्छा थी कि वह अपनी कहानियों का संग्रह छपवाए. मगर काम में व्यस्त होने की वजह से वह इस ओर ध्यान नहीं दे सका. फिर जब कोरोना के कारण वह 15 दिन अस्पताल के बैड पर रहा तब उस ने खुद से सवाल किया कि कोरोना के कारण उसे आज कुछ हो जाता तो सब से ज्यादा अफसोस किस बात का होगा. इस वक्त उस के दिमाग में एक ही बात आई और वह थी काश उस ने अपना कहनी संग्रह छपवा लिए होता.
समय का सदुपयोग
कोरोनाकाल में हम ने सीखा है कि कैसे भागदौड़ कम कर के भी हम अपने सारे दायित्व निभा सकते हैं. वर्क फ्रौम होम करते हुए आप के दिमाग में यह बात जरूर आई होगी कि कहीं न कहीं आप रैग्युलर दिनों में अपना समय फुजूल के कामों में भी बरबाद करते थे.
एक तरफ औफिस आनेजाने में कई घंटे लगना तो दूसरी तरफ दोस्तों के साथ कभी शौपिंग तो कभी डिनर, कभी महंगे रैस्टोरैंट के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहना तो कभी मूवी के बहाने घंटों बरबाद करना. इस के बजाय यदि आप उस समय का सदुपयोग करते हुए होल्ड पर रखे काम पूरे कर लें तो आप वह अचीव कर सकेंगे जो आप का सपना है.
याद रखिए कई बार जो काम आप भविष्य के लिए होल्ड करते जाते हैं क्या पता जिंदगी उन्हें बाद में पूरा करने का मौका ही न दे. इसलिए जो भी काम करना है वर्तमान में निबटाइए. आज का दिन आप के पास है. कल की खबर नहीं. तो क्यों न सारे जरूरी काम आज ही निबटा लिए जाएं.
बिना वजह भी खुश रहें
जिंदगी में यदि आप खुश होने के लिए किसी मौके की तलाश करते रहेंगे तो कभी खुश नहीं रह सकेंगे. इंसान खुश रहता है तो उस की इम्यूनिटी मजबूत होती है और वह चुस्तदुरुस्त बना रहता है. मन की खुशी का अच्छी सेहत से सीधा संबंध है. इसलिए खुद को हमेशा खुश रखें. इस से चेहरे पर भी चमक आती है. बिना वजह भी कुछ अच्छी बातें सोच कर मुसकराएं. आकर्षक और स्मार्ट कपड़े पहनें, अच्छी दिखें, मेकअप करें और अंदर से आत्मविश्वास बना कर रखें इस तरह आप सुंदर भी दिखेंगे और सेहतमंद भी रहेंगे.