बच्चा सब सीख लेता है

बच्चा तो एक कोरी स्लेट की तरह होता है वो बहुत सारी चीजों के बारे में तब तक जागरूक नहीं हो सकता जब तक कि माता पिता उसको न समझायें. इसी लिए बच्चे की पहली पढाई तो उसके घर पर ही होती है. माता पिता को इसके लिए बहुत पहाड़ नहीं तोड़ना पड़ता है बस कोशिश करते रहना चाहिए कि

बच्चे को जब समय मिले अच्छी आदते सिखाई जाएं मिसाल के तौर पर हाथ साफ रखने की आदत सिखाना. बच्चों पर एक शोध किया गया तो देखा गया कि वो जीभ से हथेली को चाटना और उस पर दांत लगाने में बहुत आनंद महसूस कर रहे थे. यही बच्चे पेट मे कृमि की तथा पेचिश और अतिसार की समस्या से भी पीड़ित हो रहे थे. इन बच्चों को बार बार हाथ धोने के लिए प्रेरित किया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि पंद्रह दिन बाद वो पेट की बीमारी से मुक्त हो चुके थे.

इसके लिए उनको कुछ जानवरों की कहानियाँ सुनाई जो हाथ नहीं धोते थे और हमेशा डाक्टर के पास जाते थे. यह कहानी बहुत काम की साबित हुई.

ये भी पढे़ं- बच्चों को चुगलखोर न बनायें 

आजकल तो बच्चो को सड़क पर कचरा न फैलाने की , कूड़ा सदैव कूडे़दान मे डालने की , हमेशा किनारे चलने की आदतें कहानी बनाकर सिखाई जाती हैं जो उनको बहुत भाती हैं. यह बहुत जरूरी भी है कि जितना हो सके बच्चे को सफाई पसंद और जागरूक बनाना चाहिए इससे उसका अपना भविष्य बहुत उज्जवल होगा. किसी बाल मनोवैज्ञानिक ने यह बिलकुल सच ही कहा है कि बच्चों को अगर उनकी रुचि के हिसाब से कुछ भी समझाया जाता है तो उसे सारी जिंदगी यह चीजें नहीं भूलती. लेकिन यह बात भी सही है कि छोटे बच्चे को कुछ सिखाना आसान काम नही है. इसके लिए मां को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. हर समय बच्चे का ध्यान रखना पड़ता है, बच्चे ने खाना खाने से पहले हाथ धोए या नहीं,गंदे हाथ साफ किए या नहीं आदि क्योंकि छोटे से मासूम बच्चे यह समझ नहीं पाते कि क्या ठीक है और क्या गलत. इसके लिए उन्हें कुछ खास चीजों को सिखाना बहुत जरूरी है.

बच्चे का एक प्रमुख स्वभाव यह होता है कि वो हर अच्छी और बुरी चीज को बिलकुल पास जाकर अपने हाथों से छूते हैं वो जानना चाहते हैं कि यह क्या है. फिर चाहे वो कोई खाने की चीज हो, कोई भी सामान हो , मिट्टी हो, कोई पालतू जानवर या फिर कंकड पत्थर वो बहुत ही जिज्ञासु होते हैं उन पर पूरी नजर रखनी ही चाहिए . बच्चों को समय-समय पर उसकी गलती बताएं कि जो चीज वे छू रहे हैं, उसमें कीटाणु हो सकते हैं. इनके के बारे में बच्चे को सही जानकारी देना और गंदगी से कितनी खुजली हो सकती है बीमारी हो सकती है यह सब समझाना बहुत जरूरी है.

उठने-बैठने के कायदे क्या होते हैं और हमको अपनी गरदन झुकानी नहीं चाहिए और बहुत खुश होकर बातचीत करनी चाहिए बहुत सारे बच्चे किसी कारण से शर्मीले हो जाते हैं उनको यह सिखाना चाहिए कि किसी की बात का जवाब देते समय उनसे आंखें मिलाकर हंसकर बात कीजिये .

बच्चे को खांसते हुए रूमाल या टिशू रखने और किसी के सामने नहीं दूर हटकर छींकने,टेबल पर बगैर हिले डुले बैठने और चम्मच से खाने और बगैर सुडुक बुडुक की आवाज के पीने की चीजें कैसे उपयोग मे लेते है यह सब करके ही बताएं. बच्चे किसी को देखने के बाद आंख,नाक कान आदि में अंगुलिया डालते हैं तो उन्हें बताएं कि नाक साफ करना कोई गलत बात नहीं है लेकिन इसे किसी के सामने नहीं बल्कि बाथरूम में जाकर टीशू से साफ करें और नाक कान, आंख, दांत आदि को उंगली से छू लिया है तो साफ करने के बाद हाथ जरूर धो लें. यह भी एक प्रमाणित तथ्य है कि बच्चे बहुत ही जल्दी सीख लेते हैं जरा सा उनकी तारीफ कर दी जाती है तो वह आगे बढ़कर अपना काम खुद करेंगे. जैसे टॉयलेट जाने के बाद खुद को साफ करना. जब बच्चा ऐसा करने लगे तो समझ जाएं कि यही वह समय है जब आप उन्हें टॉयलेट जाने का सलीका सीखा सकते हैं. पहले-पहले अभिभावक और बच्चे को यह काम बहुत अटपटा और जटिल जरूर लगेगा लेकिन धीरे-धीरे बच्चा जल्दी सीख जाएगा.

ये भी पढ़ें- न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

बच्चे को कुछ गुनगुनाकर या फिर किसी कहानी से जोड़कर यह बता सकते हैं कि हर रोज दांतों को साफ करना बहुत जरूरी है. बच्चों के लिए शुरू में यह काम आलस वाला जरूर लगता है. मगर वो बस एक बार भी यह समझ जायें कि दांत न होने से कुछ भी नहीं खाया जा सकता तो दिन में दो बार दांत साफ करने की आदत वो अपने आप ही पक्की कर डालेंगे.

बच्चों को चुगलखोर न बनायें 

चुगली की शुरुआत ही किसी मसालेदार या चटपटी  ख़बर से होती है, इसलिए बाल मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चो को ऐसी कोई भी बात बहुत रोचक लगती है वो  इन्हें उच्च श्रेणी की कहानी  मान लेते हैं. आपको यदि आपके बच्चे भी  अपने आसपास की चटपटी ख़बरें, वो भी नमक-मिर्च लगाकर सुना रहे  हों, तो आप एकदम सजग हो जायें.  ये आदत आपके बच्चे के  पूरे व्यक्तित्व को  खराब कर सकती है और उनको कल्पना की ऐसी दुनिया में ले जाएगी जो बहुत ही अवसाद वाली होगी  जहां वास्तविकता तो मुश्किल से  एक प्रतिशत भी नहीं  होगी और मसाला तथा झूठ सौ प्रतिशत.

बच्चे का  नजरिया बिगड़ने लगेगा वो सच को अनदेखा करना सीख जायेगा चुगलखोरी उसको बेसिर पैर की  बातें बनाना सिखा देगी. यह बहुत ही  जोखिम भरा स्वभाव है जो बच्चे में तब ही विकसित होता है जब माता पिता उसमें रूचि लेते  हैं, क्योंकि इनके द्वारा बताई जानेवाली ख़बरों का अंदाज बहुत ही रोचक होता है भले ही आधार ख़ुद बच्चे को  भी मालूम नहीं होता. ऐसी बातों को अहमियत न दें वरना बच्चे का सोचने का  तरीका बेढंगा  होगा और भविष्य अंधकारमय .बालमन बहुत ही उत्सुक हुआ करता है.अक्सर बच्चों की आदत होती ही  है वे अपने तथा औरों के घर की बातें आते-जाते कान लगाकर  सुनने की कोशिश करते हैं. ऐसे में कोशिश कीजिए कि आप जब भी कोई ऐसी बात कर रहे हों तो सामान्य बनकर करें ताकि बच्चे में कान लगाने वाली आदत विकसित न हो एक घटना सबके लिए सबक है. मीता का अपनी भावनाओं पर कभी कोई काबू नहीं है इसलिए वो तैश  मे आकर बगैर कुछ सोचे समझे अडो़स -पड़ोस, नाते रि-श्तेदार सबकी बातें बच्चों के सामने बेहिचक कर देती थी.मीता की  बातें सुनकर उसके बच्चों के मन मे भी संबंधित व्यक्ति के लिए बहुत ही गलत भावना पैदा होने लगी. और एक दिन इसी बात पर किसी पारिवारिक उत्सव मे मीता के बच्चों ने उस रिश्तेदार की  बहुत सारी चुगली  खुलेआम कर दी.

ये भी पढ़ें- न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

मीता और वहां उपस्थित  बाकी सब भी  हक्के -बक्के से  रह गये कि बच्चों के  मुख से ऐसी बातें आखिर निकलीं भी तो कैसे ? और बाद मे हरेक ने  इसके लिए सिर्फ मीता को ही जिम्मेदार ठहराया.और वहां पर बहुत बड़ा हंगामा हुआ.

अच्छा माहौल था पर रंग मे भंग पड़ गया. मीता को बहुत शर्मिंदा होकर वापस लौटना पड़ा. आखिर गलती तो उसी की  थी. उसने बच्चों मे नफरत का  बीज बो दिया था.

मीता जैसी गलती  बहुत सारी मां कर देती हैं. किसी से नाराज होकर अपना मन हलका करना हो तो यह नहीं सोचती कि बच्चे तो बिलकुल अबोध है उन पर इसका गलत असर पडे़गा. मन मे जब गुस्से का  जहर भरा हुआ होता है तब कुछ भी समझ नहीं आता कि क्या बोलें और क्या नहीं. पर यह तो हमारे हाथ मे ही है कि किसी भी तरह की चुगली आदि से बच्चों को दूर ही रखें वो हमारा भविष्य हैं.किसी ने कहा  है कि “निंदा रस में बड़ा मजा आता है, परंतु यह निंदा रस आप के अंदर तो नकारात्मकता भरता ही है, कई बार दूसरों के सामने भी आप की स्थिति को खराब कर देता है. कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं, इसलिए आज आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही गई बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जाएगी. ऐसे में आप के संबंध बिगड़ते देर नहीं लगेगी.”

हमको अपना जीवन सहजता से जीना चाहिए हर इंसान मे कुछ न कुछ कमी तो होती ही है कमी की  तरफ ध्यान देते रहेंगे तो बार बार चुगली  करने का  ही मन होगा और कभी न कभी वो बात अपने बच्चों के  सामने भी कह देंगे बस वहीं से बच्चों की  आदत भी वैसे ही ढलने लगेगी.जब भी किसी से नाराजगी हो तो उसी समय अपनी दो चार खराब आदतें भी याद कर लेनी चाहिए ताकि हम संतुलित होकर रहे और  कम से कम हमारे मुंह से गलत बात निकलकर बच्चों के कान मे तो नहीं जायेगी.

बच्चे अपनी मां की  विचारधारा से बहुत प्रभावित रहते हैं. वो वैसे ही बनना चाहते हैं जैसी उनकी मां है . अगर वो बार- बार अपनी मां को चुगली करते हुए सुनेंगे तो खुद भी वैसे ही बनना चाहेंगे.अगर ऐसा हुआ तो बहुत मुश्किल होगी.चुगली, पर निंदा, दूसरों के चटपटे  किस्से, फालतू गपशप मे बहुत रस आता है और फोन वगैरह पर यह सब बार बार बच्चों के सामने दोहराया जाता है तो हौले हौले वो भी स्कूल कालोनी आदि मे हर किसी मे अनुकरणीय बातों की बजाय हमेशा कुछ  चटपटे से किस्से् खोजने लगते हैं यही उनका सबसे पसंदीदा काम बन जाता है.

अब दुष्परिणाम यह होता है कि बच्चों की सोच संकुचित होने लगती है. उनका विकास अवरूद्ध होता है जो बहुत ही घातक है.

केवल जीवन जी लेना ही सब कुछ नहीं होता है इससे भी महत्वपूर्ण होता है अच्छी विचारधारा का पालन करना इसको अपनी नियमित आदत बनाना. दिमाग को खूबसूरत सोचने के  लिए यथासंभव प्रेरित करना चाहिए यह बहुत आसान है और बडा ही लाभदायक भी. चुगली करने वाले व्यक्ति के मन में चुगली के साथ-साथ झूठ बोलना, बुराई करना, मतभेद करवाना, निंदा करना आदि अनेक बुरी आदतें भी जन्म ले लेती है.इससे वह इन सब से बच नहीं पाता और समय के साथ-साथ अपना अस्तित्व खो बैठता है. न तो वह भरोसे के  काबिल रहता है न किसी मान सम्मान के.

ये भी पढ़ें- Love Marriage: आसान है निभाना

हर किसी का जीवन एक ही तरह से नही गुजरता है, इसलिए कहीं किसी के  निजी जीवन मे  कुछ

अटपटा है तो  एक व्यक्ति की बात मसालेदार बनाकर उसको अन्य लोगों  तक फैलाना और  उनके मध्य मनमुटाव पैदा करने के उद्देश्य से कहना बहुत ही विस्फोटक काम है.

आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों  में अपने परिवार के  किसी सदस्य की  बोली के अंदाज़ मे ही चुगली करने की बुरी आदत हौले हौले बनती रहती है. यह आदत बालक को समाज और व्यक्तित्व से पूर्णतया अलग कर देती है.

किसी की  निजी बातें आखिर इस तरह मजे लेकर  करनी ही क्यों हैं यह मानवीयता  नहीं है और यह आदत बहुत ही  गंदी भी  है, इससे बचकर रहना ही आपके लिए श्रेष्ठ है.

मुंह से निकली हुई बात बहुत लंबा सफर तय करती है.दिमाग की  ऊर्जा को सही जगह पर लगाना चाहिए.

नकारात्मक बातों से इस पर बहुत दबाव पड़ता है.

बच्चों को प्रगति करते हुए देखना चाहते हैं तो घर पर किसी की  भी चुगली  मत कीजिये. मन मे शीतलता, स्फूर्ति, गतिशीलता वाली बातें ही साझा करें. सोचिये  क्या हमारे देश को शिवाजी, ध्रुव, आरूणि,

प्रहलाद जैसे बालक मिलते अगर वहां भी चुगलियों का  सिलसिला चल रहा होता.कुदरती तौर पर बच्चे सचमुच बहुत ही संवेदनशील होते है, कोमल हृदय के  होते हैं.आपके मुँह से बार बार  चुगली, निंदा आदि से उनको अनावश्यक तनाव हो सकता है और उनकी पढ़ाई मे बाधा आ सकती है. अपनी जुबान को बेवजह  खराब न करें. आत्मविश्वास ही दिमाग की  खुराक है और  चुगली नहीं बल्कि सहयोग, सामूहिकता, सबके साथ निरंतर प्रसन्नता  ही इसकी असली  सुगंध है.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स: जौइंट फैमिली में कैसे जोड़ें रिश्तों के तार

4 टिप्स: जब रिश्तों में सताए डर

किसी भी रिश्ते को लौंग टाइम तक चलाने के लिए सबसे पहले उसमें एक-दूसरे को लेकर डर दूर करना आवश्यक होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप अपने रिश्ते से डर दूर नहीं करेंगी तो आप अपने विचार खुलकर साझा नहीं कर पाएंगी और आपके रिश्ते पर इसका गलत असर पड़ेगा.

चलिए जानते हैं वो कौन से ऐसे तरीके  हैं जिनकी मदद से आप अपने डर को दूर कर सकती हैं.

1. जब आपको जरूरत हो मदद के लिए तो खुलकर बोलें

कभी भी अपने डर को अपने रिश्ते पर हावी नहीं होने देना चाहिए वरना इससे आपका रिश्ता टूट सकता है. अगर आपको किसी भी तरह की मदद की जरूरत पड़ें तो आपको बिना किसी झिझक के अपने पार्टनर से बात करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- शादी हो या नौकरी, महिलाओं की पीठ पर लदी है पुरुषों की पसंद

2. अपने सुझाव जरूर दें

हमेशा अपने पार्टनर को सुझाव दें. बिना इस डर के, कि वह आपके सुझाव को मानेगा या नहीं. इससे आपका पार्टनर आपकी बातों पर कैसी प्रतिक्रिया देता है आपको यह पता चलेगा. साथ ही झिझक खत्म होने से आप अपने रिश्ते को और मजबूत बना सकती हैं.

3. स्पष्ट रूप से बातचीत करें

अगर आप अपने साथी से किसी बात को लेकर डरती हैं, तो आपको खुलकर उनसे बात करनी चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह आपके रिश्ते को गलत दिशा में ले जा सकता है और शायद इससे आपका रिश्ता टूट भी सकता है. किसी भी रिश्ते में डर को दूर करने के लिए आपको हर एक बात को शेयर करना चाहिए.

4. पूरी वफादारी से जवाब

कभी भी अपने साथी से किसी भी बात को लेकर झूठ बोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यह आपके साथ-साथ आपके रिश्ते को भी कमजोर कर देता है. किसी भी बात का जवाब पूरी वफादारी से दें और अपने अंदर के डर को दूर करें. अगर आप गलत भी हो तो भी आपको बिना डरे अपने पार्टनर से उस बारे में बात करनी चाहिए. यह आपके डर को खत्म करने के साथ-साथ आपके रिश्ते को और भी गहरा कर देगा.

ये भी पढ़ें- बच्चों को बिगाड़ते हैं बड़े

क्या आपकी मां भी पूछती है आपसे ये 5 सवाल

व्यक्ति के जीवन की सबसे पहली गुरु एक मां ही होती है जो उसे चलना, हंसना, बोलना आदि सिखाती है. और बच्चा कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए एक मां के लिए तो वह बच्चा ही रहता हैं. मां का प्यार बच्चों के लिए हमेशा वैसा ही रहता है जैसा बचपन में रहता है.

बड़े हो जाने पर आप मां की बातों को भूल सकते हैं लेकिन एक मां आपकी छोटी से छोटी बात को भी याद रखती है. आज हम आपको मां के पूछे गए उन सवालों को बताने जा रहे हैं जो एक मां की ममता को दर्शाते हैं और ये सवाल सिर्फ एक मां ही पूछती हैं. तो आइये जानते हैं उन सवालों को.

1. खाया या नहीं?

भले ही बच्चा कितनी भी देर से घर क्यों न आए लेकिन आपकी मां आपसे यह जरूर पूछेगी कि खाना खाया या नहीं.

ये भी पढ़ें- परिवार में अब दामाद हुए बेदम

2. मेरा बच्चा सबसे सुंदर

हर मां के लिए उसका बच्चा दुनिया में सबसे खूबसूरत होता है. आपकी मां के लिए आप हमेशा राजा बेटा या रानी बिटियां ही रहेगें, जोकि उनके प्यार को दर्शाता है.

3. ये क्या पहना है?

जब भी आप कोई नया फैशन या कपड़े ट्राई करते हैं तो हर मां का सवाल होता है कि ये क्या पहना है. हर बच्चे की मां उनसे यह सवाल तो पूछती ही होगी.

4. आज क्या खाओगे?

बच्चे जब स्कूल या औफिस से वापिस आता है तो मां का सबसे पहला सवाल होता है आज क्या खाओगे. सिर्फ अभी ही नहीं अगर आप 50 साल के भी क्यों ना हो जाएं मां का ये सवाल हर बार यही रहेगा.

ये भी पढ़ें- अपने हस्बैंड से ये 5 बातें छिपाकर रखती है वाइफ

5. तबीयत ठीक है?

जितनी केयर मां कर सकती है उतना कोई भी नहीं कर सकता. ऐसे में आपके थोड़ा-सा बीमार पड़ने पर आपकी मां आपसे जरूर पूछेंगी कि तबीयत ठीक है. अगर आप थोड़ा-सा थक कर भी घर पहुंचेगे तो आपकी मां का यही सवाल होगा.

कहीं आप तो बेवजह नहीं सोचतीं

मृदु को अधिक सोचने की बीमारी थी. अगर वह घर में कभी अपने पति को सास या ससुर से बात करते देख लेती है तो उसे लगता है उस की बुराई कर रहे होंगे. अगर सास प्यार से कह देती हैं कि हमारी मृदु की शादी के बाद सेहत अच्छी हो गई है तो उसे लगता है कि वह उसे काम न करने का ताना मार रही हैं.

अगर मृदु की ननद उस के खाने की तारीफ करे तो उसे लगता है वह जानबूझ कर कर रही है ताकि वह हर समय रसोई में लगी रहे. मृदु हर छोटीबड़ी बात पर इतना अधिक सोचती है कि उस ने अपने इर्दगिर्द एक मकड़जाल बुन लिया है. उस जाल में फंस कर न केवल वह अपने रिश्ते खराब कर रही है, बल्कि अपनी मानसिक शांति भी भंग करने पर तुली है.

सरला के भांनजे की बेटी का जन्मदिन था. जब केक कटने लगा तो सरला को स्टेज पर नहीं बुलाया गया. उन 2 घंटों में ही सरला ने इस बात के बारे में इतना सोचा कि वह उस जन्मदिन पार्टी के बीच में ही उठ कर चली गई. सरला के अनुसार, ‘‘भानजे ने जानबूझ कर उसे नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया, क्योंकि वह बच्ची के लिए महंगा तोहफा नहीं ला पाई थी.’’

मगर अगर सरला के भानजे मनुज से पूछें तो उस के दिमाग में यह बात दूरदूर तक भी नहीं थी.

भीड़भाड़ में उसे मौसी दिखाई नहीं दी थी और उस ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह इस बात को इस दिशा में ले जाएगी.

ये भी पढ़ें- 2 बेटियां बोझ नहीं अभिमान

ऋतु के पति और बेटी जब तक दफ्तर से नहीं लौटते तब तक वह इतना अधिक सोचती है कि उस की हालत खराब हो जाती है. हर फोन कौल पर उसे लगता है कि उस के पति या बेटी का ऐक्सीडैंट न हो गया हो.

पति अगर मोबाइल पर कुछ देख कर मुसकराते हैं तो उसे लगता है उन का अफेयर चल रहा है. उस की बेटी अकसर कमरे को बंद कर के काम करती है पर ऋतु इस बारे में इतना अधिक सोचती है कि उसे लगता है बेटी जरूर न्यूड शेयर कर रही होगी. कहीं वह किसी गलत लड़के के साथ तो नहीं है.

इन सभी उदाहरणों से यह बात तो तय है कि अगर हम अधिक सोचते हैं तो अकसर वह गलत दिशा में ही होता है. ज्यादा सोचने वाले इंसान अपने ही सब से बड़े दुश्मन होते हैं और ब्लड प्रैशर, शुगर और न जाने कितने रोगों के शिकार हो जाते हैं.

अपनी जिंदगी को सही दिशा में ले जाने के लिए सोचना जरूरी है. मगर अधिक सोचने से कोई लाभ नहीं है.

आज में जीएं: यह हम सब की समस्या है. कोई भी बात आते ही हम बहुत दूर तक की सोचने लगते हैं, जो हमें बेवजह तनाव देता है. रागिनी अपनी बेटी के पैदा होने के बाद. उस के भविष्य को ले कर बेवजह तनाव में आ गई थी.

अपनी बेटी की बालसुलभ हरकतों को जीने के बजाय वह आने वाले खर्चे और जिम्मेदारियों को ले कर तनाव में रहने लगी थी. कोई भी नई जिम्मेदारी या नया रोल मिलते ही बहुत दूर की न सोचें. आज में जीएंगे तो कल अपनेआप सुनहरा हो जाएगा.

छोटेछोटे गोल बनाएं: अगर आप आसमान छूना चाहते हैं तो थोड़ा सब्र रखें. छोटेछोटे गोल बनाएं और धीरेधीरे अपने टारगेट के करीब पहुंचें. छोटेछोटे गोल आप को मन की शांति प्रदान करेंगे. ये छोटेछोटे गोल अधिक सोचने की आदत से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं.

डायरी को मैंटेन करें: एक सर्वे से यह बात सामने आई है कि जो लोग ढंग से प्लैनिंग नहीं करते हैं, उन का दिमाग हमेशा चिंतनमनन करता रहता है. अगर आप काम में बिजी रहेंगे तो अत्यधिक सोचने की आदत से छुटकारा मिल सकता है. अपनी प्लैनिंग के लिए डायरी मैंटेन करने की आदत डालिए.

1 साल या 1 माह के बजाय, रोज के काम डायरी में लिखें और जो कार्य हो जाए उस पर टिक कर लीजिए. ऐसा करना आप के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.

मन के घोड़े पर लगाम लगाएं: जैसे ही आप के मन के घोड़े इधरउधर भागने लगें तो आप 2 मिनट के लिए आंखें बंद कर ठंडी सांस लें. सांसों पर ध्यान लगाएंगी तो आप का मन आप के काबू में रहेगा.

हंसें और खिलखिलाएं: हर छोटीबड़ी बात पर हंसने और खिलखिलाने की आदत डालें. जिंदगी में हंसने और खिलखिलाने की कोई वजह नहीं होती है. ये मौके हमें खुद ढूंढ़ने पड़ते हैं और अधिकतर बनाने पड़ते हैं. जितना अधिक खुश रहेंगी, फालतू की चिंतामनन से ध्यान हट जाएगा.

शौक को जिंदा रखें: जब भी आप के दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगें, आप किसी भी ऐसे कार्य में लग जाएं जो आप को पसंद हो. इस से एक तो आप का दिमाग हलका रहेगा और दूसरे आप अंदर से ऊर्जावान भी महसूस करेंगी.

ये भी पढ़ें- जानें कैसे पहचानें मतलबी दोस्त

खुद पर रखें विश्वास: अगर आप के अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो हर नया काम या जिम्मेदारी आप को गहरी सोच में डाल देती है. आप को लगता है पता नहीं आप कर पाएंगे या नहीं. अगर नहीं कर पाए तो लोग क्या कहेंगे? अपने ऊपर विश्वास बना कर रखें, आप से बेहतर कोई नहीं है. किसी भी नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए रातभर सोचने की नहीं, बल्कि एक अच्छी प्लैनिंग की आवश्यकता है.

खुल कर बातचीत करें: अगर आप को किसी की बात या व्यवहार बुरा लगता है तो उस के बारे में सोचसोच कर गलत धारणा न बनाएं. खुल कर बातचीत करें, आप को बेवजह सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

घरेलू काम में क्या हो पति की भूमिका

मेरी दीदी को औफिस के लिए जीजाजी से पहले निकलना होता था. अत: सुबह के नाश्ते की जिम्मेदारी जीजू पर थी. एक दिन सुबहसुबह किसी कारणवश जीजाजी को नीचे जाना पड़ा. उस समय उन के हाथों में आटा लगा था. बस फिर क्या था. जैसे ही वे नीचे पहुंचे उन की पड़ोसिन ने उन के हाथों में आटा लगा देखा तो हैरान हो बोलीं, ‘‘भैया, क्या आप रोटियां बना रहे थे?’’

वे इस तरह से बोल रही थीं जैसे जीजू ने कोई बड़ा गलत काम कर दिया हो. आसपास कुछ और महिलाएं भी थीं. अत: सब को बातें बनाने का मौका मिल गया.

यह देख जीजाजी भी दुविधा में पड़ गए कि क्या सच में उन्होंने कुछ गलत कर दिया है. दरअसल, वे हैरान इसलिए भी थे, क्योंकि वे शादी से पहले भी अपना खाना खुद बनाते थे. आसपास के लोग यह जानते थे.

खैर, हद तो उस दिन हुई जब इसी बात पर सोसाइटी के पुरुषों ने उन्हें समझाया, ‘‘आप औरतों वाले काम न किया करें. घर की सफाई और रसोई का काम तो औरतों को ही करना चाहिए. आप ऐसा क्यों करते हैं? क्या आप दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है? क्या आप की पत्नी की कमाई आप से ज्यादा?’’

इतना ही नहीं. पासपड़ोस की औरतों ने दीदी को भी समझाया गया कि पति की इज्जत करनी चाहिए. औरतों के काम मर्दों से नहीं कराने चाहिए.

दीदी व जीजू दोनों ने आसपास के लोगों को समझाने की बहुत कोशिश कि पतिपत्नी दोनों को घर के काम मिल कर करने चाहिए, बावजूद इस के वे कई बार मजाक के पात्र बने. दीदी को खासतौर पर सुनने को मिला कि वह एक संवेदनहीन पत्नी हैं.

बदलनी होगी सोच

दरअसल, इस सोच के पीछे कई कारण हैं जैसे लिंग के आधार पर काम का विभाजन, महिलाओं से संबंधित हर काम, हर चीज को निचले दर्जे का मानना, बदलते परिवेश के साथ खुद की सोच को न बदलना आदि.

मगर जब पत्नी कामकाजी बन कर पति को आर्थिक सहयोग दे सकती है, तो पति से घरेलू कामों में मदद की उम्मीद भी कर सकती है. इस में कोई बुराई नहीं है. पतिपत्नी दोनों मिल कर अपना घर बसाते हैं. फिर घर की जिम्मेदारियां सिर्फ पत्नी के हिस्से ही क्यों रहें?

जमाना बदल रहा है. अब घर के कामकाज में पति की भागीदारी भी बढ़ रही है. आप भी इस के लिए अपने पति को प्रोत्साहित करें ताकि आप का वर्कप्रैशर थोड़ा कम हो.

पत्नियां पति से घर के काम कराने के लिए निम्न तरीके अपना सकती हैं:

विवाद का विषय न बनाएं: पति के काम करने का तरीका अजीब भी हो सकता है. अत: इस बात को विवाद का विषय न बनाएं. पहले काम कराने की आदत डालें. धीरेधीरे काम करने का सलीका भी आ जाएगा.

गलती न निकालें: काम गलत होने पर पति की गलती निकालने के बजाय दोनों मिल कर काम करें.

लंबी लिस्ट न हो: पति के औफिस से आते ही उन्हें कामों की लंबी लिस्ट न पकड़ाएं. पहले चायनाश्ता कराएं. फिर प्यार से कहें कि प्लीज फलां काम कर देना.

जिम्मेदारियां बांट लें: जिम्मेदारियों का बंटवारा कर लें ताकि पति समझ जाएं कि ये काम उन्हीं के हैं, क्योंकि अगर आप ने सभी कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली तो वे जिम्मेदारी लेने से बचेंगे. आप चाहे कामकाजी हों या फिर गृहिणी घर के कामों में पति की मदद जरूर लें.

किन कामों में लें मदद

सवाल यह उठता है कि ऐसे कौन से काम हैं जिन में पति की मदद ली जा सकती है? अगर आप उन पर काम का बोझ नहीं डालना चाहती हैं तो छोटेमोटे काम जैसे घर की डस्टिंग, बच्चों का होमवर्क, कपड़े ठीक करना, बाजार से सामान लाना आदि कामों में आप उन की मदद ले सकती हैं.

अगर आप किचन में खाना बना रही हैं तो पति से सब्जी कटवा सकती हैं या फिर फ्रिज से जरूरत का सामान निकलवा सकती हैं. किचन समेटने में उन की मदद ले सकती हैं. ये छोटेमोटे काम कराने से ही आप का वर्कलोड काफी कम हो जाएगा. इस का एक फायदा यह भी होगा कि आप पति की मदद से घर के कामों से जल्दी फ्री हो जाएंगी और फिर आप पति के साथ ज्यादा समय बिता सकेंगी. इस के अलावा आप के इस कदम से आप का रिश्ता मजबूत होगा. घर में शांति और खुशहाली रहेगी.

क्यों नहीं हो पा रहा आपका रिलेशनशिप मजबूत, जानें यहां

एक-दूसरे को खोने का डर और हद से ज्यादा इंटरफेयर और केयर कभी-कभी रिश्तों को बोझिल बना देता है. “वह मेरा है और सिर्फ मुझसे प्यार करता है” ऐसी धारणा चिंता का विषय बन जाता है और बात न होते हुए भी बात-बात पर झगड़ा करना तनाव का कारण बन जाता है. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि आपके साथ गलत हो रहा होता है लेकिन उसको खोने के डर से आप गलत चीजों को भी अवॉयड कर देते हैं जोकि कुशल रिश्ते के लिए ये सकारात्मक चीजें नहीं हैं. फिर भी आप अपनी चाहत देखते हो और उसको अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं.

कुछ इसी तरह के लक्षण रिलेशनशिप में ब्रेक ला सकती है. ऐसा क्यों होता है, किसी रिश्ते में विश्वासनीयता में कमी क्यों आती है और क्यों रिश्तों को संभालना इतना मुश्किल हो गया है. चलिए जानते हैं कुछ प्वांइट्स के बारे में जो आप कहीं न कहीं मिस कर जाते हो-

  • फियर ऑफ़ मिसिंग आउट
  • अकेलेपन का डर
  • आदत बन जाना
  • असुरक्षा की भावना

फियर ऑफ़ मिसिंग आउटहमेशा उस चीज के बारे में डरना, जिसका असल में कोई अस्तिव ही नहीं है. अपने पार्टनर को लेकर ये मिस अंडरस्टैंडिंग बना लेना कि आगे क्या होगा, भविष्य कैसा होगा? क्या हम दोनों हमेशा साथ रह सकेंगे? ऐसे ही कई सारे सवाल जो आपके अंदर बेचैनी ला देते हैं और इन्हीं बातों को लेकर आप परेशान रहते हैं. सबसे ज्यादा सवाल तो यह आता है कि “वह तो सुंदर है उसे तो और मिल जाएंगे पर मेरा क्या होगा, मुझे कौन पूछेगा? मैं कैसे रहूंगा…?” यही कारण है कि आप अपने आपमे संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा खोने का डर बना रहता है जिससे आप प्यार के लिए तरसते रहते हैं.

ये भी पढ़ें- बेटियों को ही नहीं, बेटों को भी संभालें

अकेलेपन का डर

फिर से अकेलेपन का डर आपको सुकून से वह पल भी नहीं बिताने देता जो आप उस समय अपने पार्टनर के साथ जी रहे होते हैं. जबिक यह बात आप अच्छी तरह से जानते हैं कि वह आपके साथ लंबे समय तक एक-साथ नहीं रह सकेगा, फिर भी आप यह सोचकर कम्प्रोमाइज करने के लिए तैयार रहते हैं कि वह जिसके साथ रहेगा आप मैनेज कर लोगे क्योंकि आप अपने को कभी उससे दूर रखना पसंद नहीं करते हो. अगर आपसे अलग हो जाएगा तो आप कैसे रहेंगे, इसी डर को लेकर आप अकेलेपन से डरते हैं.

आदत बन जाना

नेहू अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती है, उसने अपने पार्टनर को अपनीआदत बना ली है. यानि कि उसका पार्टनर उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा होता है फिर भी वह उसे सहन करती है और यह सोचती है कि थोड़े समय बाद सब ठीक हो जाएगा. लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है, नेहू का पार्टनर उससे बुरा बर्ताव करता है और वह उसे सुनती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेहू ने उसे अपनी आदत में शामिल कर लिया है और बिछड़ने का डर भी उससे यह सब सुनने को मजबूर कर देता है. ऐसा तभी हो रहा होता है क्योंकि कहीं न कहीं नेहू के पास्ट में ऐसी ही कोई घटना पहले हो चुकी होती है. शायद यही कारण है कि उसे अपने पार्टनर से जुदा होने का डर हमेशा सताता रहता है और उसकी आदत उसके पार्टनर को और भी ज्यादा उस पर हावी होने का मौका देती है.

असुरक्षा की भावना आना

असुरक्षा की भावना आना हर किसी के मन का शंका का विषय रहता है. अपने आपको किसी अन्य से तुलना करने पर कमतर समझना यही आत्मविश्वास को कमजोर करती है और आप अपने व्यक्तित्व के मूल्य को समझने में विफल रहते हैं. आप अपने पार्टनर को लेकर भी असुरक्षित फील करते हैं. कहीं आपका पार्टनर आपके अलावा किसी और से संबंध न बना ले, ऐसी भावना आना हर महिला या पुरुष का स्वाभाविक स्वभाव होता है.

ये भी पढ़ें- जब हो सनम बेवफा

ऐसे में आप अपने आपको अकदम फ्री कर दें और प्रकृति की गोद में अपना समय दें जिससे आप असुरक्षित न महसूस कर सकें. नेचर से आपको मन को शांति और शुकून दोनों ही मिलेगा. साथ ही आप अपने रिश्ते को कुछ पल के लिए ही सही खुलापन दीजिए जिससे आप एक-दूसरे को समझ सकें और एक मजबूत रिश्ता बना सकें.

जिंदगी की बाजी जीतने के 15 सबक

कोरोना ने हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली है. हमारी मस्ती, फुजूलखर्ची, आए दिन रैस्टोरैंट्स में पार्टी, खानापीना, बेमतलब भी घूमने निकल जाना, कभी शौपिंग, कभी मूवी तो कभी रिश्तेदारों का आनाजाना धूममस्ती इन सब पर विराम लग चुका है. ज्यादातर लोग वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. लोगों के बेमतलब आनेजाने पर ब्रेक लग गया है. मास्क और सैनिटाइजर जीवन के अहम हिस्से बन गए हैं.

ऐसे में यदि आप भी बीती जिंदगी से कुछ सबक ले कर आने वाली जिंदगी को बेहतर अंदाज में जीना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली, सोच और जीने के तरीके में कुछ इस तरह के बदलाव लाएं ताकि एक सुकून भरी जिंदगी की शुरुआत कर सकें.

रिश्तों को संजोना सीखें

रिश्ते आप की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं. परेशानी के समय इंसान अपने घर की तरफ ही भागता है. हम ने कोरोनाकाल में देखा कि किस तरह लोग शहर छोड़ कर अपनेअपने गांव की तरफ भाग रहे थे. दरअसल, हर इंसान को पता होता है कि अजनबी शहर में तकलीफ के समय आप अकेले होते हैं. इस से तकलीफ अधिक बड़ी महसूस होती है.

पर जब आप अपनों के बीच होते हैं तो मिलजुल कर हर तकलीफ से नजात पा जाते हैं. भले ही तकलीफ खत्म न हो पर दर्द बांट कर उसे सहना आसान हो जाता है. मांबाप, भाईबहन जिन्हें आप कितना भी बुरा क्यों न कहें पर जब बीमारी हारी या कोई परेशानी आती है तो वही हमारा संबल बनते हैं.

ये भी पढ़ें- इन 17 सूत्रों के साथ बनाएं लाइफ को खुशहाल

इसलिए हमेशा अपने रिश्तों को सहेज कर रखना चाहिए. उन्हें एहसास दिलाते रहना चाहिए कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं. जिस तरह बैंकों और दूसरी जगहों पर आप समयसमय पर रुपए जमा करते हैं वैसे ही रिश्तों में भी निवेश कीजिए. थोड़ाथोड़ा प्यार बांट कर रिश्तों की बगिया को गुलजार रखिए, एक समय आएगा जब यही बगिया आप की जिंदगी को सींच कर फिर से हरीभरी बना देगी.

मंदिरा की अनिल के साथ लव मैरिज हुई थी. अनिल हमेशा से मंदिरा की हर बात मानता था. शादी के बाद मंदिरा और अनिल मुश्किल से 2-4 महीने सब के साथ रहे. इस के बाद अनिल ने मंदिरा की सलाह पर अलग होने का फैसला ले लिया. मांबाप उन के इस फैसले से बहुत दुखी थे, मगर मंदिरा को ससुराल रास नहीं आ रही थी.

सास ने बहू का हाथ थाम कर कहा, ‘‘बेटा साथ रहने में क्या बुराई है? इतना बड़ा घर है. तुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’

मंदिरा ने साफ जवाब दिया, ‘‘मम्मीजी घर कितना भी बड़ा हो पर लोगों की भीड़ तो देखो ननद, देवर, जेठजी, जेठानीजी, आप, पापाजी और नंदू इतने लोगों के बीच मेरा दम घुटता है. उस पर यह रिश्तेदारों का आनाजाना. मुझे बचपन से मम्मीपापा के साथ अकेले रहने की आदत है. अब शादी के बाद पति के साथ अकेली घर ले कर रहूंगी. मैं ने अनिल से पहले ही कह दिया था.’’

मां ने बेटे की तरफ देखा फिर नजरें झका लीं. अनिल और मंदिरा ने दूसरी लोकैलिटी में एक अच्छा सा घर लिया और वहां रहने लगे. वक्त गुजरता रहा. मंदिरा आराम से अकेली पति के साथ रहती और खाली समय में टीवी देखती या मोबाइल पर सहेलियों के साथ लगी रहती.

वह अपने ससुराल वालों की कभी कोई खोजखबर भी नहीं लेती थी. न अनिल को उन के घर जाने देती. अनिल की अच्छीखासी कमाई होने लगी. उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी.

इस बीच कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ. अनिल की नौकरी छूट गई. मंदिरा इस समय प्रैगनैंट थी. आर्थिक समस्याएं सिर उठाने लगीं. मुसीबत तब और बढ़ गई जब अनिल कोरोना पौजिटिव निकला. मंदिरा के हाथपैर फूल गए. अब वह अपनी और गर्भ के बच्चे की चिंता करे या पति की. उस ने अपनी मां को फोन लगाया, मगर वे खुद बीमार थीं.

हार कर उस ने अपनी सास को सारी परिस्थितियों से अवगत कराया. सास ने सारी बात सुनते ही अपना सामान पैक किया और मंदिरा के पास रहने आ गईं.

उन्होंने आते ही अनिल को अलग कमरे में क्वारंटाइन कर दिया. मंदिरा की प्रैगनैंसी का आठवां महीना देखते हुए उसे भी दूसरे कमरे में बैड रैस्ट पर रहने को कहा और खुद काम में लग गईं. खानेपीने, दवा देने और बाकी देखभाल की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली. मंदिरा के देवर ने भी बाहरभीतर की सारी जिम्मेदारियां उठा लीं तो ससुर ने हर संभव आर्थिक सहायता पहुंचानी शुरू कर दी. मंदिरा का जीवन बिखरने से बच गया.

10-12 दिनों में अनिल की हालत सुधर गई. 1 सप्ताह के अंदर मंदिरा की डिलिवरी भी हो गई. उस ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था. पूरे परिवार ने बच्ची को हाथोंहाथ लिया. मंदिरा मन ही मन में बहुत शर्मिंदा थी.

उस ने अनिल से रिक्वैस्ट करते हुए कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि हमारी बच्ची अस्पताल से सीधी अपने घर जाए यानी अपनी दादी के घर.’’

मंदिरा की बात सुन कर सास की आंखों  से आंसू बह निकले. उन्होंने मंदिर को गले से लगा लिया.

सब से बड़ी पूंजी

असल में रिश्ते हमारी जिंदगी की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. हम धनदौलत कितनी भी कमा लें, मगर जब तक रिश्तों की दौलत नहीं कमाते जिंदगी में असली खुशी और सुकून हासिल नहीं हो पाता. जीवन में जो भी आप के अपने हैं उन के लिए हमेशा खड़े रहें.

किसी भी रिश्ते को ग्रांटेड न लें. हर रिश्ते को अपना सौ प्रतिशत दें तभी मौके पर वे आप के काम आएंगे.

आप मिलजुल कर जीवन का हर इम्तिहान पास कर लेंगे. अपनों को इतना करीब रखें कि उन का साथ आप की खुशियों को दोगुना और गमों को आधा कर दे.

आजकल हम एकल परिवारों में रहने के आदी होते जा रहे हैं और ऐसे में बहुत से  करीबी रिश्तों से भी दूर हो जाते हैं. जरूरत के वक्त हमें उन रिश्तों की अहमियत समझ में आती है. कोरोना ने काफी हद तक लोगों की आंखें खोली हैं. उन्हें अपनों के साथ के महत्त्व का पता चला है.

ये भी पढ़ें- पति-पत्नी के Bond को मजबूती करने के 26 सूत्र

निवेश पर दें विशेष ध्यान

संकट में जरूरत के वक्त 2 ही चीजें काम आती हैं- अपनों का साथ और जमा किए गए रुपए. रिश्ते बना कर रखने के साथ हमें इस नए साल में निवेश की अहमियत पर भी ध्यान देना होगा. जरूरी नहीं कि आप बहुत बड़ी रकम ही निवेश करें. आप की इनकम ज्यादा नहीं तो भी कोई हरज नहीं है. आप छोटेछोटे निवेश कर बड़े लक्ष्य पा सकते हैं.

वैसे भी एक जगह ज्यादा निवेश करने से बेहतर होता है कई जगह थोड़ीथोड़ी मात्रा में निवेश करना. इस से रुपए डूबने के चांस कम होते हैं और प्रौफिट अधिक होने की संभावना बढ़ जाती है.

सिप

जहां तक निवेश की बात है तो म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतरीन औप्शन है. म्यूचुअल फंड में सिप में आप पैसे लगा  सकते हैं. इस में शेयर का लाभ भी मिल जाता  है और यह सुरक्षित भी होता है. फिक्स्ड इंटरैस्ट रहता है जो  बहुत ज्यादा फ्लक्चुएशन  नहीं होता है.  इस में लंबे  समय तक छोटीछोटी  रकम निवेश की  जा सकती है. जो लोग रिस्क लेने को तैयार हैं  वे इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में रुपए लगा सकते हैं. जो सेफ निवेश चाहते हैं वे हाइब्रिड  या डेट म्यूचुअल फंड में रुपए लगा सकते हैं.  इस में आप को काफी हद तक फिक्स रिटर्न मिलता है.

लाइफ इंश्योरैंस

लाइफ इंश्योरैंस के तहत 15 साल में अधिकतर कंपनियां डबल इनकम देती हैं. आप अपनी सुविधानुसार मंथली, क्वार्टरली, हाफईयरली या ईयरली निवेश कर सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना

बेटी पैदा होने के 10 साल के अंदर इस योजना का लाभ ले सकते हैं. यह एक सरकारी योजना है, जिस में आप को सालाना 250 रुपए का निवेश करना होता है. इस में रिटर्न काफी अच्छा मिलता है. 7.5% तक का ब्याज मिल जाता है. लड़़की के 21 साल की होने पर रुपए मैच्योर हो कर मिल जाते हैं.

पब्लिक प्रोविडैंट फंड

आप पीपीएफ में थोड़ेथोड़े पैसे लगा कर अच्छाखासा कमा सकते हैं. यह भी एक सुरक्षित निवेश है.

शेयर

पहले एफडी में रिटर्न अच्छा था सो ज्यादातर लोग जो सुरक्षित निवेश चाहते थे वे फिक्स डिपौजिट या रेकरिंग डिपौजिट में निवेश करते थे. पर अब बैंकों द्वारा ब्याज काफी कम दिया जा रहा है, इसलिए लोग दूसरे औप्शंस की ओर देख रहे हैं.

फुजूलखर्ची पर रोक

आज तक हम जिंदगी को बहुत ही हलके में लेते आए हैं. जब मन किया बिना किसी जरूरत भी कपड़े खरीद लिए, शौपिंग कर ली, कोई गैजेट पसंद आया तो औनलाइन और्डर कर दिया, जब मन किया बाहर खाने चले गए, हर वीकैंड दोस्तों के साथ पार्टी की, छोटीबड़ी बात पर सैलिब्रेट करने पहुंच गए. यानी कुल मिला कर हम फुजूलखर्ची में सब से आगे रहते हैं. पर अब इस महामारी के बाद हमें यह सबक जरूर लेना चाहिए कि बेवजह रुपए उड़ाना उचित नहीं. कोरोनाकाल में कितनों की नौकरी चली गई और कितनों को कट कर सैलरी मिल रही है. आगे आने वाले कुछ समय में भी स्थिति ऐसे ही रहने वाली है. इसलिए खर्च पर लगाम जरूरी है.

वैसे भी जीवन में आने वाली तरहतरह की परेशानियों से लड़ने का पहला जरीया पैसा ही होता है. इसलिए सब से महत्त्वपूर्ण है कि कभी भी अपनी बचत से समझौता न करें.

सेहत है तो सब है

इस कोरोनाकाल ने हमें यह बात तो अच्छी तरह समझ दी है कि जिंदगी में सेहत से बढ़ कर कुछ नहीं. सेहत खराब हो तो दुनियाभर की सुखसुविधाएं और धनदौलत रखी रह जाती है और आप की जिंदगी 1-1 सांस को मुहताज हो जाती है. अपनी इम्यूनिटी मजबूत रख कर हम खुद को हर तरह के रोगों से बचा सकते हैं. इम्यूनिटी के लिए हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना और अच्छा खानपान बहुत जरूरी है.

रोजाना सुबह टहलना और व्यायाम करना, सेहतमंद भोजन लेना, सकारात्मक सोच और गहरे रिश्ते आप की सेहत बनाए रखते हैं. नए साल में आप सब से पहले अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें और शरीर की तंदुरुस्ती पर काम करें. अच्छा खाएं, अच्छा सोचें और अच्छा करें. इस से न सिर्फ मन को सुकून मिलेगा, बल्कि शरीर भी अंदर से मजबूत बनेगा.

बेकार के विवादों से बचें

अकसर हम अपनी जिंदगी का सुखचैन बेवजह के लड़ाईझगड़ों और तनावों में खो देते हैं पर हासिल कुछ नहीं होता. उलटा रिश्तों के साथसाथ सेहत भी जरूर बिगड़ जाती है. बीते साल ने हमें एहसास दिलाया है कि जिंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है. कल का कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में हमें अपने आज पर फोकस करना चाहिए. आज को खूबसूरत बनाने के लिए दिल और दिमाग में सुकून का होना बहुत जरूरी है. सुकून के लिए जरूरी है कि हम विवादों से दूरी बना कर रखें.

ये भी पढे़ं- जानें कैसे बदलें पति की दूरी को नजदीकी में

ऐसी जगह घूमने जाएं जहां कभी न गए हों

प्रकृति का आंचल बहुत बड़ा है. हम जितना ही प्रकृति के करीब रहेंगे उतना ही हमारा शरीर सेहतमंद रहेगा. वैसे भी नईनई जगह घूमने से हमारी जिंदगी में रोमांच बना रहता है. कोरोना ने जब हमें घरों में बंद कर दिया तो हमें एहसास हुआ कि बाहर घूमने का आनंद क्या है.

हालात धीरेधीरे ठीक होंगे और हमें मौका मिलेगा कि हम एक बार फिर प्रकृति के करीब जा सकें. उन जगहों पर घूमने निकल सकें, जहां सेहत के साथ आप को आंतरिक खुशी भी मिले. जितना हो सके अपने घर के आसपास भी हरियाली बनाए रखने का प्रयास करें.

होल्ड पर रखे काम पूरा करें

अकसर हम अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण कामों/लक्ष्यों को होल्ड पर रख कर चलते हैं. इस के पीछे हमारा एक ही बहाना होता है कि समय नहीं मिलता. कभी औफिस की आपाधापी तो कभी घर और बच्चों के काम, सुबह से उठ कर जो दौड़भाग शुरू होती है वह देर रात तक चलती है. फिर ऐक्स्ट्रा काम कैसे किया जाए. यह बहाना सुनने में उचित लगता है. पर इस की आड़ में आप कुछ बहुत कीमती चीज खो रहे हैं.

अनिमेष एक गवर्नमैंट औफिसर था, साथ ही लिखता भी था. लंबे समय से उस की इच्छा थी कि वह अपनी कहानियों का संग्रह छपवाए. मगर काम में व्यस्त होने की वजह से वह इस ओर ध्यान नहीं दे सका. फिर जब कोरोना के कारण वह 15 दिन अस्पताल के बैड पर रहा तब उस ने खुद से सवाल किया कि कोरोना के कारण उसे आज कुछ हो जाता तो सब से ज्यादा अफसोस किस बात का होगा. इस वक्त उस के दिमाग में एक ही बात आई और वह थी काश उस ने अपना कहनी संग्रह छपवा लिए होता.

समय का सदुपयोग

कोरोनाकाल में हम ने सीखा है कि कैसे भागदौड़ कम कर के भी हम अपने सारे दायित्व निभा सकते हैं. वर्क फ्रौम होम करते हुए आप के दिमाग में यह बात जरूर आई होगी कि कहीं न कहीं आप रैग्युलर दिनों में अपना समय फुजूल के कामों में भी बरबाद करते थे.

एक तरफ औफिस आनेजाने में कई घंटे लगना तो दूसरी तरफ दोस्तों के साथ कभी शौपिंग तो कभी डिनर, कभी महंगे रैस्टोरैंट के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहना तो कभी मूवी के बहाने घंटों बरबाद करना. इस के बजाय यदि आप उस समय का सदुपयोग करते हुए होल्ड पर रखे काम पूरे कर लें तो आप वह अचीव कर सकेंगे जो आप का सपना है.

याद रखिए कई बार जो काम आप भविष्य के लिए होल्ड करते जाते हैं क्या पता जिंदगी उन्हें बाद में पूरा करने का मौका ही न दे. इसलिए जो भी काम करना है वर्तमान में निबटाइए. आज का दिन आप के पास है. कल की खबर नहीं. तो क्यों न सारे जरूरी काम आज ही निबटा लिए जाएं.

बिना वजह भी खुश रहें

जिंदगी में यदि आप खुश होने के लिए किसी मौके की तलाश करते रहेंगे तो कभी खुश नहीं रह सकेंगे. इंसान खुश रहता है तो उस की इम्यूनिटी मजबूत होती है और वह चुस्तदुरुस्त बना रहता है. मन की खुशी का अच्छी सेहत से सीधा संबंध है. इसलिए खुद को हमेशा खुश रखें. इस से चेहरे पर भी चमक आती है. बिना वजह भी कुछ अच्छी बातें सोच कर मुसकराएं. आकर्षक और स्मार्ट कपड़े पहनें, अच्छी दिखें, मेकअप करें और अंदर से आत्मविश्वास बना कर रखें इस तरह आप सुंदर भी दिखेंगे और सेहतमंद भी रहेंगे.

विवाह लड़कियों की इच्छा से नहीं, सामाजिक दबाव से होते है 

एक अच्छे कंपनी में कार्यरत मिताली की शादी घरवालों ने अपनी मर्जी से करवाया. जबकि वह किसी दूसरे लड़के से करीब 10 साल से प्यार करती थी. जब उसने अपने माता-पिता से अफेयर की बात कही, तो उसके पेरेंट्स गुस्से में आ गए और मिताली को डांटने लगे. मिताली जिद पर आ गयी और उसने पेरेंट्स के आगे कह दिया कि वह उस लड़के के सिवा किसी दूसरे लड़के से विवाह नहीं कर सकती. भले ही उसे घर छोड़ना पड़े. उसकी माँ अंजलि ने उसे बहुत समझाया कि वह लड़का उनके बराबरी का नहीं है और परिवार वाले भी भला – बुरा कहेंगे. घर की बड़ी होने की वजह से उसका विवाह ऐसे परिवार में होने से उसकी छोटी बहन की शादी होने में समस्या आएगी. इतना ही नहीं उस लड़के का परिवार छोटे दो कमरे वाले घर में रहता है और लड़के की आमदनी भी अच्छी नहीं, उसका पिता घर-घर अखबार बांटता है, ऐसे परिवार और छोटे कमरे वाले घर में मिताली का रहना संभव नहीं, ऐसी कई बातें बार-बार माँ के समझाने पर मिताली ने उस लड़के से रिश्ता तोड़ दिया और 6 महीने बाद उसकी शादी उसके माता-पिता के अनुसार सम्भ्रांत परिवार में हो गई. माता-पिता और परिवार जन उसकी इस शादी से खुश थे, पर मिताली का मन उस परिवार में नहीं लगा. वह अपने पति और ससुराल वालों को अपना नहीं पायी. मिताली काम के बाद जब भी घर आती, हमेशा उदास रहने लगी, इसे देख उसका पति बार-बार कारण पूछता, पर वह कुछ नहीं बताती. एक दिन उसके पति ने मिताली को फ़ोन पर ये कहते सुन लिया कि मैं कैसी भी रहूं, आप और पापा खुश है न? 

अब मिताली के पति को भी लगने लगा कि मिताली उससे कुछ छुपा रही है और एक दिन उसने खुद ही मिताली की उदास रहने की वजह जान उससे अलग होने की बात सोच कुछ महीने बाद डिवोर्स दे दिया. अब मिताली पेरेंट्स से दूर अकेले अपने कर्मस्थल पर रह रही है और कभी भी किसी से शादी न करने की ठान ली है. 

ये भी पढ़ें- होम मेड और क्लीन फूड है फिटनेस का राज– डौ.रिया बैनर्जी अंकोला

सोशल मीडिया है हावी 

ये सही है कि आज के परिवेश में किसी भी लड़की को चाहे वह कमाऊ हो या नहीं, उसकी मर्जी के बिना सामाजिक दबाव में शादी के लिए राजी करना संभव नहीं होता, लेकिन कुछ परिवार इसे समझ नहीं पाते और अपनी इच्छा को बेटी पर थोपते है, जिससे वह रिश्ता टूटता है, इस बारें में मुंबई की मैरिज काउंसलर आरती गुप्ता कहती है कि आज की न्यू और मॉडर्न इंडिया में बदलाव काफी है. यहाँ तक कि छोटे कस्बों में भी ऐसा कम ही देखने को मिलता है. सोशल मीडिया आज पावरफुल हो चुका है, हर किसी के हाथ में एक मोबाइल है और हर लड़की इन्टरनेट चलाना भी जानती है. इससे सबको एक एक्सपोजर मिलता है. डेली लाइफ से लेकर पोर्नोग्राफी हर चीज को ऑनलाइन देखी जा सकती है. अभी लड़कियां भी बाहर निकल रही है. पिछले 10 सालों में ये बदलाव की लहर तेजी से आई है. पहले लड़की की शादी माता-पिता और सामाजिक दबाव में अवश्य होता था, पर अब नहीं, क्योंकि आज की लडकियां चाहे गांव, कस्बे या शहर की हो, हर कोई पढ़ लिखकर कुछ करने की इच्छा रखती है, जो अच्छी बात है. इसके अलावा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा भी कई जगहों पर होता है, इससे लड़कियों का स्कूल जाना संभव हुआ है, साथ ही मिडिया द्वारा समय-समय पर कामयाब लड़कियों को आगे लाना और उसके बारें में बताना भी जागरूकता को बढ़ाने की दिशा में अच्छा कदम है.

इसके आगे काउंसलर आरती का कहना है कि आज की लड़कियां वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है, क्योंकि उनकी शिक्षा, जॉब की संतुष्टि, बैंक बैलेंस आदि उसे मजबूती देती है. ऐसे में लड़कियां किसी के आधीन रहना पसंद नहीं करती, क्योंकि वे भी खुद को किसी से कम नहीं समझती. हालाँकि ये बदलाव लड़कियों के लिए चुनौती भी है और वे इसे लेने से घबराती नहीं. पहले लडकियां आत्मनिर्भर नहीं थी. इसलिए वे परिवार और समाज के आगे दबती थी. दिनभर चक्की चलाती थी और किसी से कुछ कहने में असमर्थ थी.  सबको सहन करने के अलावा कोई चॉइस नहीं था. अब जमाना काफी बदला है. चॉइस खूब है, इसलिए अगर पति या ससुराल पक्ष से नहीं जमता, तो छोड़ देने में लड़कियां नहीं हिचकिचाती. कई घरों में लड़की की माँ खुद आगे आकर बेटी को ससुराल छोड़ देने के लिए कहती है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसके जैसे टॉक्सिक वातावरण में उसकी बेटी जीवन गुजारे. 

भुगतता है पूरा परिवार 

आगे मैरिज काउंसलर आरती का कहना है कि अगर विवाह लड़की के न चाहने पर होता है, तो उसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है, क्योंकि ऐसे रिश्तों को कोई निभाना नहीं चाहता, जिसमें दोनों की मर्ज़ी न हो. इसलिये दोनों में से एक भी व्यक्ति अगर मैच्योर है, तो उस रिश्ते को ठीक से निभाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन यहाँ ये कहना भी गलत नहीं होगा कि भारतीय समाज में सोशल प्रेशर दोनों तरफ से होता है. कई बार बोलकर तो कभी साइलेंट होता है. इसे लड़की न सहन कर पाने की स्थिति में या तो भाग जाती है, आत्महत्या कर लेती है या फिर डिवोर्स लेती है. इसके बाद माता-पिता को लड़की की पूरी जिम्मेदारी मरते दम तक उठानी पड़ती है, जिसमें, शारीरिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक आदि कुछ भी हो सकता है. 

लड़कियों ने बदली है परिवेश 

आज लड़कियां इन्टरनेट के द्वारा हर चीज की जानकारी जुटाकर परिवेश को बदल देती है. मेरे यहाँ एक काम करने वाली लड़की अपने पैसे जमाकर पढाई करती थी और अच्छे नंबरों से पास भी हुई और आगे भी पढाई जारी रखी. मेरे हिसाब से एक व्यक्ति अपने रास्ते बनाने के लिए खुद हमेशा काबिल होता है, अगर उसकी इच्छा कुछ करने की हो.

सामाजिक दबाव से कैसे निकले माता-पिता

अपने अनुभव के बारें में आरती कहती है कि मुंबई की एक लड़की को उसकी पेरेंट्स ने सामाजिक दबाव में कोलकाता के लड़के से शादी करवा दी. लड़की वहां जाकर नाखुश थी और डिप्रेशन में चली गयी थी. उस लड़की के पेरेंट्स और भाई उसको साथ लेकर आये थे. मैंने बातचीत की और उसे ससुराल न रहकर अपने पति के साथ जॉब ट्रांसफर लेकर दूसरी जगह रहने की सलाह दी. इससे दोनों के रिश्ते बेहतर हो जाने पर वे फिर परिवार के साथ रह सकते है. इसके अलावा एक लड़की को माँ नहीं बनना था और वह अकेले आजाद रहना चाहती थी, जिसे मैंने अकेले रहने के लिए सलाह दी, कुछ दिनों बाद वे फिर साथ रहने लगे.  

असल में इन चीजो की कोई फार्मूला नहीं है. हर व्यक्ति की सोच, घर परिवार के तौर-तरीके, खुद की मान्यताओं, सामाजिक दबाव आदि को समझने की जरुरत है, कुछ बातें जो माता-पिता को लड़की की सुख के लिए देखना जरुरी है,

ये भी पढ़ें- प्यार की भी भाषा होती है

  • शादी करने वाले युवक की सोच, आगे बढ़ने की चाह, संस्कार को समझने की करें कोशिश,
  • लड़की से उसकी चॉइस को जानने के बाद उस परिवार से मिले, उनकी सोच, परिवेश, नीयत, आदि देंखे, 
  • खुद के आत्मविश्वास पर संदेह न करें और अपने दिल की सुने, आसपास और समाज की परवाह करना छोड़े, 
  • लड़की की ख़ुशी का ध्यान रखे,
  • लड़का किसी भी धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण या देश का हो, सबको प्यार ही चाहिए. सबमें खून लाल ही बहता है, इसलिए रिश्ते की मजबूती को देखे और आगे बढे. 

तो समझिये वही आप का सोलमेट है

सोलमेट आप का रोमांटिक पार्टनर, दोस्त, रिश्तेदार या टीचर कोई भी हो सकता है जिस के साथ आप गहरा और मजबूत कनेक्शन महसूस करते हैं. वह आप को चुनौतियां देता है, प्रेरणा देता है, सहारा देता है और हर समय आप के जेहन में  होता है. आप को महसूस कराता है कि वास्तव में आप को जीवन में क्या चाहिए. आप उस से शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक रूप  से कनेक्टेड होते हैं.

कैसे पहचानें कि वही है आप का सोलमेट

1. उस के संपर्क में आते ही मन को गहरा सुकून मिले

कोई शख्स जिस के साथ आप कंफर्टेबल, ओरिजिनल, पीसफुल और सिक्योर महसूस करते हैं. आप खुश रहते हैं. उस के आते ही आप के मन की बैचेनी दूर हो जाती है और हर तरह के काम में आप का मन लगने लगता है तो समझिये वही है आप का सोलमेट.

ये भी पढ़ें- क्या करें जब पति को हो नशे की लत

2. ऐसा लगे कि लंबे समय से आप एकदूसरे को जानते समझते हो

पहली दफा जब आप उस से मिलते हैं तो वह अजनबी नहीं लगता. उस से बातें करने में आप नर्वस नहीं होते. लगता है जैसे आप इस शख्स से हर तरह की बात शेयर  कर सकते हैं.  कोई राज रखने की जरुरत नहीं लगती. आप उस पर पूरा विश्वास कर पाते हैं. ऐसी फीलिंगस  तभी आती है जब आप सोलमेट से मिलते हैं.

3. ह्रदय से आवाज आती है कि यही है वहजिस की आज तक तलाश थी

भले ही आप की उम्र कितनी भी हो या कितनों  के प्रति आकर्षण महसूस कर चुके हो , आप शादीशुदा ही क्यों न हो , जिंदगी का एक मोड़ ऐसा जरूर आता है जब आप को किसी से मिल कर महसूस होता है कि बस यही है वह जिस की तलाश आप के हृदय को थी. उस के साथ आप जीवन में ठहराव और स्थिरता महसूस करते हैं और आप को मन की गहराइयों से महसूस होता है कि आप कभी उस से अलग ही नहीं थे.

4. उस से मिलने के बाद आप हर मुश्किल का सामना करने में खुद को समर्थ पाते हैं

कोई शख्स जिस के करीब होने से ही आप अपने अंदर उर्जा, सकारात्मकता और साहस महसूस करें, हर चुनौती का सामना करने और मुश्किलों को हराने के लिए खड़े हो जाएं और ऐसा लगे जैसे वह शख्स अंधेरों के बीच रोशनी  के रूप में आप के साथ है ,वही आप का सोलमेट है.

5. सुरक्षित महसूस करें

जब आप को लगे कि किसी शख्स के प्रति आप खुद खिंचे चले जा रहे हैं मानो कोई चुम्बकीय शक्ति आप दोनों के बीच है. आप उस के पास होते हैं तो हर तरह से सुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

6. जरूरी नहीं कि वह खूबसूरत ही हो

सच्चे प्यार का अर्थ केवल फिजिकली अट्रैक्ट होना नहीं वरन मेंटली और इमोशनली जुड़ना है. यदि आप उस की आंखों में खुद को और अपनी आंखों में उसे देख सकते हैं तो समझिए वह आप का प्यार है ,सोलमेट है.  आप दोनों एकदूसरे से अलग नहीं वरन एक महसूस करते हैं.  जहां तू और मैं  है वहां अटैचमेंट या रिलेशनशिप हो सकता है पर यह गहरा नहीं होता और जल्द टूट भी सकता है. पर सोलमेट के साथ आप का रिश्ता कभी नहीं टूटता.

ये भी पढ़ें- जब मिलना हो फ्यूचर वाइफ के पेरेंट्स से

7. कुछ पाने की चाह नहीं

जब किसी से मिल कर आप को और कुछ पाने की चाह न बचे. आप को उस से कुछ चाहिए नहीं फिर भी वह आप के जीवन में सब से महत्वपूर्ण होता है और ऐसा किसी कैमिकल लोचे की वजह से नहीं बल्कि ह्रदय से उठी आवाज की वजह से हो. आप चुपचापघंटों उस के साथ समय बिता सकते हैं, उसे देखते रह सकते हैं, करीब रह सकते हैं और दूर रह कर भी उसे महसूस कर सकते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें