आज कालेज में पाली का आखिरी दिन था. उस के साथ के सभी स्टूडैंट्स बहुत खुश दिखाई दे रहे थे. एक वही थी जो आज भी चुपचाप खिड़की के पास बैठ कर बाहर ?ांक रही थी.
रितु ने पूछा, ‘‘तुम ने घर जाने की तैयारी कर ली पाली?’’
‘‘कर लूंगी इतनी भी क्या जल्दी है.’’
‘‘क्या बात है पाली तुम घर जाने के नाम से सीरियस क्यों हो जाती हो? घर जाना सब को अच्छा लगता है. मेरी मम्मी के रोज फोन आ रहे हैं कि कब आ रही हो. वे मु?ो लेने आने वाले थे पर मैं ने ही मना कर दिया.’’
रितु की बात का पाली ने कोई उत्तर नहीं दिया और वैसे ही चुपचाप बाहर देखती रही.
4 साल से वे दोनों बीटैक करने के दौरान एकसाथ एक ही कमरे में रहती आ रही थी. इतना तो वह सम?ा गई थी कि पाली यहां से जाने के लिए तैयार नहीं. मजबूरी है कि डिगरी पूरी होते ही 2-4 दिन से ज्यादा वह यहां नहीं रह सकती.
‘‘तुम चाहो तो कुछ दिनों के लिए मेरे साथ आ सकती हो पाली. मम्मी को खुशी होगी.’’
‘‘फिर कभी आऊंगी,’’ छोटा सा उत्तर दे कर उस ने बात खत्म कर दी.
रितु अपना सामान पैक करने में व्यस्त थी. पाली के पास वैसे भी बहुत ज्यादा सामान नहीं था. वह चाहती तो कब का उसे समेट सकती थी लेकिन उस ने अपनी ओर से अभी तक कोई तैयारी नहीं की थी. शाम के समय वह रोज की तरह थोड़ी देर के लिए होस्टल के सामने वाले पार्क में चली आई. वहां पर उस का सहपाठी पार्थ उस का इंतजार कर रहा था. उस ने भी वही प्रश्न दोहरा दिया.
‘‘मु?ो घर जाने की जल्दी नहीं है. जब मन करेगा चली जाऊंगी. तुम कब जा रहे हो?’’
‘‘कल शाम की ट्रेन से निकल जाऊंगा. तुम चाहो तो 1-2 दिन रुक सकता हूं.’’
‘‘इस की जरूरत नहीं है. मु?ो अकेले रहना ज्यादा अच्छा लगता है,’’ कह कर पाली ने बात खत्म कर दी.
पिछले कई सालों से वे दोनों एकसाथ पढ़ रहे थे. पार्थ को वह बहुत अच्छी लगती थी. वह खुद भी बहुत हैंडसम और स्मार्ट था. उस के लिए लड़कियों की कमी नहीं थी
फिर भी उसे गुमसुम अपने में ही मस्त रहने वाली पाली अच्छी लगती. वह उस से बात करने के अवसर ढूंढ़ता रहता पर पाली उसे नजरअंदाज करती रहती.
‘‘आगे क्या करने का इरादा है?’’
‘‘अभी कुछ सोचा नहीं है. घर जा कर सोचूंगी.’’
‘‘मेरे लिए जौब का औफर आ गया है. कुछ दिन घर में बिता कर जौइन कर लूंगा. तुम चाहो तो तुम्हारे लिए भी कोशिश कर सकता हूं.’’
‘‘अभी रहने दो. जरूरत होगी तो बता दूंगी,’’ वह बोली.
पार्थ ने उस की बात का जरा भी बुरा नहीं माना. जानता था वह ऐसी ही है. थोड़ी देर बाद वह बोला, ‘‘कहीं घूम आते हैं फिर पता नहीं साथ बैठ कर कब कौफी पीने का मौका मिले.’’
पार्थ के कहने पर पाली उस के साथ सड़क पार एक छोटे से कैफे में आ गई. पार्थ को अच्छा लगा. उस ने इस समय उस की बात काटी नहीं.
‘‘मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगा पाली,’’ पार्थ बोला तो उस ने नजरें उठा कर देखा और बोली कुछ नहीं.
कौफी खत्म करते ही पाली बोली, ‘‘चलते हैं. तुम्हें घर जाने की तैयारी करनी होगी.’’
4 साल का साथ इस तरह छूटने का पार्थ को बुरा लग रहा था. उसे कम से कम आज पाली से ऐसे ठंडे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी. अगले दिन पार्थ अपने घर चला गया और पाली भी सामान समेट कर जाने की तैयारी करने लगी.
रितु बोली, ‘‘मैं मदद कर दूं?’’
‘‘नहीं मैं कर लूंगी.’’
‘‘फोन करती रहना. मु?ो तुम्हारी बहुत याद आएगी. भूलना मत.’’
‘‘कर दूंगी पर कभी मिस हो जाए तो बुरा मत मानना,’’ पाली बोली.
रितु की नजर बारबार घड़ी पर लगी हुई थी. उस ने कैब बुला ली. जाते समय पाली उसे छोड़ने बाहर तक आई. उस के गले लगा कर बैस्ट औफ जर्नी कह कर हाथ हिला उसे विदा किया. आज रात उसे कमरे में अकेले ही रहना था.
शाम को थोड़ी देर अकेले पार्क में बिता कर पाली कमरे में चली आई. उस के साथ पढ़ने वाले सभी साथी 1-1 कर के जा रहे थे. उस ने भी अगले दिन घर जाने का प्रोग्राम बना लिया और इस की सूचना अपनी छोटी बहन मौली को दे दी. उसे पापामम्मी को खबर करने के बजाय मौली से बात करना अच्छा लगता .वह जानती थी मौली यह बात सब को बता देगी.
पापा ने मौली से पूछा, ‘‘वह कैसे आ रही है ट्रेन से या टैक्सी से?’’
‘‘मैं ने पूछा नहीं पापा. जब चलोगी तो बता देगी. आप तो जानते हैं ज्यादा पूछने पर वह बात का जवाब नहीं देती,’’ मौली बोली तो रूपेश चुप हो गए. उन्हें बेटी की आदतें पता थीं.
घर पर पाली किसी से ज्यादा बात न करती. बस थोड़ीबहुत बातें उस की मौली से हो जातीं. मम्मी से तो जैसे उस का कोई नाता ही न था. अपनी जरूरत की बातें भी वह मौली के माध्यम से उन तक पहुंचा देती.
कई बार रूपेश ने उसे सम?ाया, ‘‘पाली, अब तुम छोटी नहीं रह गई हो. मम्मी से खुल कर बात किया करो कम से कम अपनी जरूरत की बातें उन्हें बता दिया करो .वह कितनी परेशान हो जाती है.’’
‘‘आई एम सौरी पापा,’’ कह कर वह बात खत्म कर देती.
रितु ने रात को फोन पर बात कर उस का हालचाल पूछा, ‘‘मेरे बगैर तुम्हें कमरे में अच्छा नहीं लग रहा होगा?’’
‘‘हां खालीपन लग रहा है. एक रात की बात है कल मैं भी चली जाऊंगी.’’
‘‘पाली जिंदगी खुल कर जीना सीखो यार. क्यों इस तरह से बु?ाबु?ा रहती हो. पार्थ तुम्हें बहुत पसंद करता है. हर समय तुम्हारे आगेपीछे घूमता रहता है फिर भी तुम उस से बात करने में कतराती हो.’’
‘‘जिस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है तुम बारबार वही क्यों पूछती हो मैं जैसी हूं ठीक हूं. मु?ो अपने से कोई शिकायत नहीं.’’
‘‘लेकिन मु?ो है. इतने सालों में तुम जरा भी नहीं बदली. जिस तरह पहले दिन हम मिले थे आखिर तक भी तुम्हारा बरताव वैसा ही ठंडा बना रहा. रिश्तों में थोड़ी गरमाहट हो तो वे बड़ा सुकून देते हैं.’’ रितु बोली.
पाली चुप हो गई. वह कुछ कह कर अपने जज्बात किसी से सा?ा नहीं करना चाहती थी.
‘‘मेरी बात बुरी लगी हो तो हवा में उड़ा देना. तुम तो जानती हो मैं ऐसी ही हूं,’’ कह कर रितु ने फोन रख दिया.
थोड़ी देर बाद मौली का फोन आ गया, ‘‘दी, आज तुम कमरे में अकेली हो. दोस्तों से बात करने का अच्छा मौका मिल रहा होगा.’’
‘‘मु?ो रितु के साथ भी कोई परेशानी नहीं थी मौली. वह बहुत अच्छी लड़की है. मेरा बहुत खयाल रखती थी.’’
‘‘मैं तुम्हारा बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही हूं दी. कल कब तक पहुंचोगी?’’
‘‘शाम तक आ जाऊंगी. तब तक तुम भी कालेज से घर पहुंच जाओगी.’’
‘‘ठीक है कल मिलते हैं बाय,’’ कह कर मौली ने फोन रख दिया.
आज पाली को रितु की कमी खल रही थी लेकिन दूसरे ही क्षण उस ने इस विचार को ?ाटक दिया और सोने की कोशिश करने लगी. सुबह आराम से नाश्ता करने के बाद वह कैब से स्टेशन चली आई. इस शहर के छूटने का उसे जरा भी दुख नहीं हो रहा था. इतने साल पढ़ाई के दौरान भी उसे यहां से कोई खास लगाव नहीं रहा. वह पता नहीं किस मिट्टी की बनी थी. न उसे दोस्तों से लगाव था और न ही उस जगह से जहां वह रह रही थी. पार्थ ने फोन कर के उस का हालचाल पूछ लिया था. उसे अच्छा लगा जब उस ने सुना वह आज घर जा रही है.
‘‘मैं तुम्हें याद कर रहा हूं पाली. यह बात तुम जानती हो फिर भी कभी अपने मुंह से कुछ नहीं कहती. कभी तो 2 शब्द प्यार के बोल कर मेरा भी हौसला बढ़ा दिया करो. मैं ही अपनी
ओर से बगैर पूछे तुम पर अपने जज्बात लादता रहता हूं.’’
‘‘तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे हिसाब से और मेरी मेरे हिसाब से चलेगी पार्थ. हमें दोनों को एकसाथ मिलाना नहीं चाहिए.’’
‘‘मैं चाहता हूं हम दोनों मिल कर एकसाथ जिंदगी शुरू करें लेकिन तुम्हारे मन की बात न जान कर अकसर हिचक जाता हूं. सम?ा नहीं आता तुम क्यों इस तरह से व्यवहार करती हो.’’
‘‘तुम अपने व्यवहार के लिए स्वतंत्र हो. मैं ने तुम्हें कभी फोर्स नहीं किया कि तुम मु?ा से आ कर मिला करो. यह तुम्हारी इच्छा है कि तुम मु?ा से आ कर बात करते हो.’’
‘‘तुम्हें मु?ा से मिलना अच्छा नहीं लगता?’’ पार्थ ने पूछा.
पाली ने कोई जवाब नहीं दिया.
‘‘ठीक है घर जा कर इस बारे में सोचना,’’ कह कर पार्थ ने बात खत्म कर दी.
पाली असमंजस में थी उसे क्या जवाब दे. पार्थ से बात करना उसे अच्छा लगता था लेकिन एक सीमा तक. उस से आगे न वह कभी खुद बढ़ी और न उस ने कभी उसे बढ़ने का मौका दिया. वह भी एक सुल?ा हुआ लड़का था. उसने उस की इच्छा के खिलाफ कभी कुछ करने
की नहीं सोची. यह बात पाली भी भलीभांति जानती थी. कालेज में उस के लिए लड़कियों की कमी न थी. समय काटने के लिए वह किसी को भी अपना दोस्त बन सकता था फिर भी वह अपना अधिकांश समय पाली के साथ बिताना पसंद करता.
घर पर सब पाली का इंतजार कर रहे थे. रूपेश ने पूछा, ‘‘आने में दिक्कत तो नहीं हुई पाली?’’
‘‘नहीं पापा. सफर ठीक रहा.’’
जिया चाह कर भी उस से बात न कर सकी. वह जानती थी पाली उस की बात का कोई जवाब नहीं देगी. वह बोली, ‘‘तुम फ्रैश हो जाओ पाली. मैं खाना लगा देती हूं.’’
मां के कहने पर वह कमरे में आ गई. मौली अभी कालेज से नहीं आई थी इसीलिए घर
बहुत शांत लग रहा था वरना उस की बातों से घर गूंजता रहता. कुछ देर में मौली आ गई और पाली के गले लगते हुए बोली, ‘‘दी, अब तुम यहीं रहोगी कहीं नहीं जाओगी. मु?ो तुम्हारे बगैर अच्छा नहीं लगता.’’
‘‘तुम आते ही जाने की बात करने लगी.’’
‘‘जानती हूं तुम ने जो सोचा होगा वह
कर के रहोगी इसीलिए मैं ने तुम्हें अपनी इच्छा बता दी.’’
‘‘ठीक है बाबा नहीं जाऊंगी,’’ पाली बोली और फिर दोनों खाने की टेबल पर आ गईं.
पाली को सम?ा नहीं आ रहा था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वह आगे क्या करेगी? रिजल्ट आने में अभी 1 महीने का समय बाकी था. वह पढ़ाईलिखाई में बहुत अच्छी थी. पापा की इच्छा थी वह इंजीनियर बने इसीलिए उस ने बीटैक की पढ़ाई की.
रूपेश आते ही उस से यह प्रश्न नहीं करना चाहते थे. अगले दिन मौली उसे ले कर बाजार
आ गई.
‘‘दी, मु?ो कुछ ड्रैस खरीदनी है. दोनों साथ मिल कर खरीदेंगी.’’
‘‘मेरे पास बहुत ड्रैसेज हैं. मु?ो कुछ नहीं लेना.’’
‘‘जानती थी तुम्हारा यही जवाब होगा. आज तुम्हें एक ड्रैस मेरे हिसाब से भी लेनी होगी. तुम इतनी सुंदर हो तो फिर भी तुम अपना खयाल नहीं रखती हो. मेरे फीचर तुम्हारे जैसे होते तो मैं अपनेआप को किसी हीरोइन से कम नहीं सम?ाती.’’
उस की बात सुन कर पाली मुसकरा दी.
उस ने ?ाठ नहीं कहा था. मौली के मुकाबले वह देखने में बहुत सुंदर थी फिर भी उसे सजनेसंवरने का कोई शौक नहीं था. सच पूछा जाए तो उसे जीवन में कोई शौक था ही नहीं. उसे खुद पता नहीं था उसे क्या करना है?
पाली के साथ के स्टूडैंट्स ने मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का मन बना लिया था और वे उस के लिए प्रयास भी करने लगे थे. पाली का इस में भी कोई रु?ान नहीं था. इतना वह भी जानती थी कि पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना आज के समय में बहुत जरूरी है.
पाली इस के लिए अपने को मानसिक रूप से तैयार भी कर रही थी लेकिन कहां जौब करेगी यह उस ने अभी सोचा नहीं था. पार्थ ने उस से कहा था साथ मिल कर जौब कर लेंगे लेकिन उस ने उस की बात को भी अनसुना कर दिया था.
1 हफ्ता गुजर जाने के बाद रूपेश ने पूछा, ‘‘पाली, तुम्हारा भविष्य के बारे में क्या इरादा है?’’
‘‘रिजल्ट आने के बाद ही कुछ निर्णय लूंगी. अभी से कुछ नहीं कह सकती.’’
‘‘तुम्हारे सामने 2 विकल्प हैं नौकरी और पढ़ाई. उन में से तुम्हें जो ठीक लगे वह कर लेना. दोनों के लिए ही तुम्हें घर से बाहर जाना होगा.’’
‘‘जानती हूं पापा और इस के लिए मानसिक रूप से तैयार भी हूं,’’ संक्षिप्त सा उत्तर दे कर उस ने बात खत्म कर दी.
जिया कभी भी पाली पर अपनी इच्छा नहीं थोपती और अपनी ओर से उसे खुश रखने की कोशिश करती. फिर भी वह जिया से पर्याप्त दूरी बना कर रखती. पता नहीं उस के मन में क्या था जिसे वह कभी खुल कर किसी से कह नहीं पाई. यह सच था जिया उस की सौतेली मां थी.
पाली की मम्मी की बर्षों पहले कैंसर के कारण मौत हो गई थी. पाली उस समय मात्र 6 साल की थी. बेटी की परवरिश के लिए रूपेश ने जिया से दूसरी शादी कर ली थी. जिया स्वभाव से सरल थी. उस ने पाली को पूरे दिल से अपनाने की कोशिश की थी लेकिन इतने छोटे बच्चों के मन में कब कैसे सौतेली मां की गांठ लग गई वह सम?ा नहीं पाई.
मौली जिया की अपनी बेटी थी. वह कभी दोनों में कोई अंतर न करती. मौली पाली से बहुत प्यार करती थी. जैसेजैसे पाली बड़ी हो रही थी उस ने पापा से भी बात करना बहुत कम कर दिया था. अब उन के बीच में बात का माध्यम मौली थी जो अपनी चटपटी बातों से सब का दिल बहलाए रहती और साथ ही पाली की जरूरतें मम्मीपापा तक पहुंचाती रहती.
पाली के बगैर पार्थ का दिल नहीं लग रहा था. वह उसे अपने दिल की हर बात बताना चाहता था लेकिन वह इस का मौका ही नहीं देती. आपसी बातचीत में भी पार्थ ही बातें करता रहता. वह केवल उस की बातें सुनती और बहुत जरूरी हो तब छोटा सा उत्तर दे कर बात खत्म कर देती. उस ने अपने जज्बात रितु के हाथों उस तक पहुंचाने की कोशिश की थी. बदले में उस ने उसे पाली की मनोदशा बता दी.
‘‘तुम जानते हो हम दोनों रूम पार्टनर है लेकिन वह अपनी कोई बात मु?ा से भी नहीं कहती. मु?ो भी उस के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है. वह फोन पर भी किसी से ज्यादा बात
नहीं करती. छोटी बहन से उस की बौंडिंग अच्छी है. वही अकसर इस से बातें करती रहती है.
तभी उस के चेहरे पर जरा सी मुसकान दिखाई देती है अन्यथा वह गुमसुम सी किताबों में ही खोई रहती है.’’
‘‘उस ने कभी मेरे बारे में तुम से बात नहीं की?’’
‘‘वह किसी के बारे में कोई बात नहीं करती यह तुम अच्छी तरह जानते हो. मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ती कि उस से ज्यादा कुछ पूछ सकूं.’’
पार्थ को सम?ा नहीं आ रहा था पाली के बारे में कैसे जानकारी जुटाए. जब तक दोनों
साथ पढ़ रहे थे कम से कम उस का चेहरा तो दिखाई दे जाता था. अब वह यहां से दूर चली गई थी तो वह बेचैन हो गया. उस ने मन बना लिया कि वह लखनऊ जा कर उस के बारे में सबकुछ पता करेगा.
1 हफ्ता घर में बिता कर पार्थ लखनऊ के लिए निकल गया. रितु ने उस के घर का पता दे दिया था और मौली के बारे में भी जितनी जानकारी वह फोन पर सुनती थी वह उसे दे दी.
पार्थ पाली के घर से कुछ दूरी पर खड़ा हो कर मौली का इंतजार कर रहा था. कालेज
से आते हुए वह घर के मोड़ पर दिखाई दे गई. पार्थ तेज कदमों से उस के पास पहुंच गया. बोला, ‘‘सुनिए.’’
एक अनजान लड़के को सामने देख कर मौली ने बुरा सा मुंह बनाया.
‘‘प्लीज, मेरी मदद कीजिए. मैं पाली का क्लासफैलो हूं. मेरा नाम पार्थ है. हम दोनों अच्छे दोस्त हैं.’’
‘‘दी ने कभी आप के बारे में कोई जिक्र नहीं किया.’’
‘‘वह किसी का भी जिक्र कहां करती है. तभी तो मु?ो यहां आना पड़ा,’’ कह कर उस से फोन पर रितु और पाली के साथ अपने बहुत सारे फोटो दिखा दिए. मौली को यकीन हो गया कि वह सही कह रहा है.
‘‘पाली के बारे में कुछ जानना चाहता हूं. क्या आप मु?ो कुछ समय दे सकेंगी?’’
‘‘मैं 1 घंटे बाद आप से मिलती हूं. आप मेरा पार्क में इंतजार कीजिए.’’
‘‘प्लीज, इस बारे में पाली को कुछ मत बताइगा.’’
‘‘मैं आप की स्थिति सम?ा सकती हूं,’’ मौली बोली.
पार्थ वहां से जा कर कुछ दूरी पर स्थित पार्क में मौली का इंतजार करने लगा.
1 घंटे बाद मौली आ गई, ‘‘कहिए आप क्या पूछना चाहते हैं?’’