क्यों नहीं हो पा रहा आपका रिलेशनशिप मजबूत, जानें यहां

एक-दूसरे को खोने का डर और हद से ज्यादा इंटरफेयर और केयर कभी-कभी रिश्तों को बोझिल बना देता है. “वह मेरा है और सिर्फ मुझसे प्यार करता है” ऐसी धारणा चिंता का विषय बन जाता है और बात न होते हुए भी बात-बात पर झगड़ा करना तनाव का कारण बन जाता है. कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि आपके साथ गलत हो रहा होता है लेकिन उसको खोने के डर से आप गलत चीजों को भी अवॉयड कर देते हैं जोकि कुशल रिश्ते के लिए ये सकारात्मक चीजें नहीं हैं. फिर भी आप अपनी चाहत देखते हो और उसको अपने से दूर नहीं करना चाहते हैं.

कुछ इसी तरह के लक्षण रिलेशनशिप में ब्रेक ला सकती है. ऐसा क्यों होता है, किसी रिश्ते में विश्वासनीयता में कमी क्यों आती है और क्यों रिश्तों को संभालना इतना मुश्किल हो गया है. चलिए जानते हैं कुछ प्वांइट्स के बारे में जो आप कहीं न कहीं मिस कर जाते हो-

  • फियर ऑफ़ मिसिंग आउट
  • अकेलेपन का डर
  • आदत बन जाना
  • असुरक्षा की भावना

फियर ऑफ़ मिसिंग आउटहमेशा उस चीज के बारे में डरना, जिसका असल में कोई अस्तिव ही नहीं है. अपने पार्टनर को लेकर ये मिस अंडरस्टैंडिंग बना लेना कि आगे क्या होगा, भविष्य कैसा होगा? क्या हम दोनों हमेशा साथ रह सकेंगे? ऐसे ही कई सारे सवाल जो आपके अंदर बेचैनी ला देते हैं और इन्हीं बातों को लेकर आप परेशान रहते हैं. सबसे ज्यादा सवाल तो यह आता है कि “वह तो सुंदर है उसे तो और मिल जाएंगे पर मेरा क्या होगा, मुझे कौन पूछेगा? मैं कैसे रहूंगा…?” यही कारण है कि आप अपने आपमे संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा खोने का डर बना रहता है जिससे आप प्यार के लिए तरसते रहते हैं.

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अकेलेपन का डर

फिर से अकेलेपन का डर आपको सुकून से वह पल भी नहीं बिताने देता जो आप उस समय अपने पार्टनर के साथ जी रहे होते हैं. जबिक यह बात आप अच्छी तरह से जानते हैं कि वह आपके साथ लंबे समय तक एक-साथ नहीं रह सकेगा, फिर भी आप यह सोचकर कम्प्रोमाइज करने के लिए तैयार रहते हैं कि वह जिसके साथ रहेगा आप मैनेज कर लोगे क्योंकि आप अपने को कभी उससे दूर रखना पसंद नहीं करते हो. अगर आपसे अलग हो जाएगा तो आप कैसे रहेंगे, इसी डर को लेकर आप अकेलेपन से डरते हैं.

आदत बन जाना

नेहू अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती है, उसने अपने पार्टनर को अपनीआदत बना ली है. यानि कि उसका पार्टनर उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा होता है फिर भी वह उसे सहन करती है और यह सोचती है कि थोड़े समय बाद सब ठीक हो जाएगा. लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है, नेहू का पार्टनर उससे बुरा बर्ताव करता है और वह उसे सुनती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि नेहू ने उसे अपनी आदत में शामिल कर लिया है और बिछड़ने का डर भी उससे यह सब सुनने को मजबूर कर देता है. ऐसा तभी हो रहा होता है क्योंकि कहीं न कहीं नेहू के पास्ट में ऐसी ही कोई घटना पहले हो चुकी होती है. शायद यही कारण है कि उसे अपने पार्टनर से जुदा होने का डर हमेशा सताता रहता है और उसकी आदत उसके पार्टनर को और भी ज्यादा उस पर हावी होने का मौका देती है.

असुरक्षा की भावना आना

असुरक्षा की भावना आना हर किसी के मन का शंका का विषय रहता है. अपने आपको किसी अन्य से तुलना करने पर कमतर समझना यही आत्मविश्वास को कमजोर करती है और आप अपने व्यक्तित्व के मूल्य को समझने में विफल रहते हैं. आप अपने पार्टनर को लेकर भी असुरक्षित फील करते हैं. कहीं आपका पार्टनर आपके अलावा किसी और से संबंध न बना ले, ऐसी भावना आना हर महिला या पुरुष का स्वाभाविक स्वभाव होता है.

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ऐसे में आप अपने आपको अकदम फ्री कर दें और प्रकृति की गोद में अपना समय दें जिससे आप असुरक्षित न महसूस कर सकें. नेचर से आपको मन को शांति और शुकून दोनों ही मिलेगा. साथ ही आप अपने रिश्ते को कुछ पल के लिए ही सही खुलापन दीजिए जिससे आप एक-दूसरे को समझ सकें और एक मजबूत रिश्ता बना सकें.

जिंदगी की बाजी जीतने के 15 सबक

कोरोना ने हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली है. हमारी मस्ती, फुजूलखर्ची, आए दिन रैस्टोरैंट्स में पार्टी, खानापीना, बेमतलब भी घूमने निकल जाना, कभी शौपिंग, कभी मूवी तो कभी रिश्तेदारों का आनाजाना धूममस्ती इन सब पर विराम लग चुका है. ज्यादातर लोग वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. लोगों के बेमतलब आनेजाने पर ब्रेक लग गया है. मास्क और सैनिटाइजर जीवन के अहम हिस्से बन गए हैं.

ऐसे में यदि आप भी बीती जिंदगी से कुछ सबक ले कर आने वाली जिंदगी को बेहतर अंदाज में जीना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली, सोच और जीने के तरीके में कुछ इस तरह के बदलाव लाएं ताकि एक सुकून भरी जिंदगी की शुरुआत कर सकें.

रिश्तों को संजोना सीखें

रिश्ते आप की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं. परेशानी के समय इंसान अपने घर की तरफ ही भागता है. हम ने कोरोनाकाल में देखा कि किस तरह लोग शहर छोड़ कर अपनेअपने गांव की तरफ भाग रहे थे. दरअसल, हर इंसान को पता होता है कि अजनबी शहर में तकलीफ के समय आप अकेले होते हैं. इस से तकलीफ अधिक बड़ी महसूस होती है.

पर जब आप अपनों के बीच होते हैं तो मिलजुल कर हर तकलीफ से नजात पा जाते हैं. भले ही तकलीफ खत्म न हो पर दर्द बांट कर उसे सहना आसान हो जाता है. मांबाप, भाईबहन जिन्हें आप कितना भी बुरा क्यों न कहें पर जब बीमारी हारी या कोई परेशानी आती है तो वही हमारा संबल बनते हैं.

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इसलिए हमेशा अपने रिश्तों को सहेज कर रखना चाहिए. उन्हें एहसास दिलाते रहना चाहिए कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं. जिस तरह बैंकों और दूसरी जगहों पर आप समयसमय पर रुपए जमा करते हैं वैसे ही रिश्तों में भी निवेश कीजिए. थोड़ाथोड़ा प्यार बांट कर रिश्तों की बगिया को गुलजार रखिए, एक समय आएगा जब यही बगिया आप की जिंदगी को सींच कर फिर से हरीभरी बना देगी.

मंदिरा की अनिल के साथ लव मैरिज हुई थी. अनिल हमेशा से मंदिरा की हर बात मानता था. शादी के बाद मंदिरा और अनिल मुश्किल से 2-4 महीने सब के साथ रहे. इस के बाद अनिल ने मंदिरा की सलाह पर अलग होने का फैसला ले लिया. मांबाप उन के इस फैसले से बहुत दुखी थे, मगर मंदिरा को ससुराल रास नहीं आ रही थी.

सास ने बहू का हाथ थाम कर कहा, ‘‘बेटा साथ रहने में क्या बुराई है? इतना बड़ा घर है. तुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’

मंदिरा ने साफ जवाब दिया, ‘‘मम्मीजी घर कितना भी बड़ा हो पर लोगों की भीड़ तो देखो ननद, देवर, जेठजी, जेठानीजी, आप, पापाजी और नंदू इतने लोगों के बीच मेरा दम घुटता है. उस पर यह रिश्तेदारों का आनाजाना. मुझे बचपन से मम्मीपापा के साथ अकेले रहने की आदत है. अब शादी के बाद पति के साथ अकेली घर ले कर रहूंगी. मैं ने अनिल से पहले ही कह दिया था.’’

मां ने बेटे की तरफ देखा फिर नजरें झका लीं. अनिल और मंदिरा ने दूसरी लोकैलिटी में एक अच्छा सा घर लिया और वहां रहने लगे. वक्त गुजरता रहा. मंदिरा आराम से अकेली पति के साथ रहती और खाली समय में टीवी देखती या मोबाइल पर सहेलियों के साथ लगी रहती.

वह अपने ससुराल वालों की कभी कोई खोजखबर भी नहीं लेती थी. न अनिल को उन के घर जाने देती. अनिल की अच्छीखासी कमाई होने लगी. उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी.

इस बीच कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ. अनिल की नौकरी छूट गई. मंदिरा इस समय प्रैगनैंट थी. आर्थिक समस्याएं सिर उठाने लगीं. मुसीबत तब और बढ़ गई जब अनिल कोरोना पौजिटिव निकला. मंदिरा के हाथपैर फूल गए. अब वह अपनी और गर्भ के बच्चे की चिंता करे या पति की. उस ने अपनी मां को फोन लगाया, मगर वे खुद बीमार थीं.

हार कर उस ने अपनी सास को सारी परिस्थितियों से अवगत कराया. सास ने सारी बात सुनते ही अपना सामान पैक किया और मंदिरा के पास रहने आ गईं.

उन्होंने आते ही अनिल को अलग कमरे में क्वारंटाइन कर दिया. मंदिरा की प्रैगनैंसी का आठवां महीना देखते हुए उसे भी दूसरे कमरे में बैड रैस्ट पर रहने को कहा और खुद काम में लग गईं. खानेपीने, दवा देने और बाकी देखभाल की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली. मंदिरा के देवर ने भी बाहरभीतर की सारी जिम्मेदारियां उठा लीं तो ससुर ने हर संभव आर्थिक सहायता पहुंचानी शुरू कर दी. मंदिरा का जीवन बिखरने से बच गया.

10-12 दिनों में अनिल की हालत सुधर गई. 1 सप्ताह के अंदर मंदिरा की डिलिवरी भी हो गई. उस ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था. पूरे परिवार ने बच्ची को हाथोंहाथ लिया. मंदिरा मन ही मन में बहुत शर्मिंदा थी.

उस ने अनिल से रिक्वैस्ट करते हुए कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि हमारी बच्ची अस्पताल से सीधी अपने घर जाए यानी अपनी दादी के घर.’’

मंदिरा की बात सुन कर सास की आंखों  से आंसू बह निकले. उन्होंने मंदिर को गले से लगा लिया.

सब से बड़ी पूंजी

असल में रिश्ते हमारी जिंदगी की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. हम धनदौलत कितनी भी कमा लें, मगर जब तक रिश्तों की दौलत नहीं कमाते जिंदगी में असली खुशी और सुकून हासिल नहीं हो पाता. जीवन में जो भी आप के अपने हैं उन के लिए हमेशा खड़े रहें.

किसी भी रिश्ते को ग्रांटेड न लें. हर रिश्ते को अपना सौ प्रतिशत दें तभी मौके पर वे आप के काम आएंगे.

आप मिलजुल कर जीवन का हर इम्तिहान पास कर लेंगे. अपनों को इतना करीब रखें कि उन का साथ आप की खुशियों को दोगुना और गमों को आधा कर दे.

आजकल हम एकल परिवारों में रहने के आदी होते जा रहे हैं और ऐसे में बहुत से  करीबी रिश्तों से भी दूर हो जाते हैं. जरूरत के वक्त हमें उन रिश्तों की अहमियत समझ में आती है. कोरोना ने काफी हद तक लोगों की आंखें खोली हैं. उन्हें अपनों के साथ के महत्त्व का पता चला है.

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निवेश पर दें विशेष ध्यान

संकट में जरूरत के वक्त 2 ही चीजें काम आती हैं- अपनों का साथ और जमा किए गए रुपए. रिश्ते बना कर रखने के साथ हमें इस नए साल में निवेश की अहमियत पर भी ध्यान देना होगा. जरूरी नहीं कि आप बहुत बड़ी रकम ही निवेश करें. आप की इनकम ज्यादा नहीं तो भी कोई हरज नहीं है. आप छोटेछोटे निवेश कर बड़े लक्ष्य पा सकते हैं.

वैसे भी एक जगह ज्यादा निवेश करने से बेहतर होता है कई जगह थोड़ीथोड़ी मात्रा में निवेश करना. इस से रुपए डूबने के चांस कम होते हैं और प्रौफिट अधिक होने की संभावना बढ़ जाती है.

सिप

जहां तक निवेश की बात है तो म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतरीन औप्शन है. म्यूचुअल फंड में सिप में आप पैसे लगा  सकते हैं. इस में शेयर का लाभ भी मिल जाता  है और यह सुरक्षित भी होता है. फिक्स्ड इंटरैस्ट रहता है जो  बहुत ज्यादा फ्लक्चुएशन  नहीं होता है.  इस में लंबे  समय तक छोटीछोटी  रकम निवेश की  जा सकती है. जो लोग रिस्क लेने को तैयार हैं  वे इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में रुपए लगा सकते हैं. जो सेफ निवेश चाहते हैं वे हाइब्रिड  या डेट म्यूचुअल फंड में रुपए लगा सकते हैं.  इस में आप को काफी हद तक फिक्स रिटर्न मिलता है.

लाइफ इंश्योरैंस

लाइफ इंश्योरैंस के तहत 15 साल में अधिकतर कंपनियां डबल इनकम देती हैं. आप अपनी सुविधानुसार मंथली, क्वार्टरली, हाफईयरली या ईयरली निवेश कर सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना

बेटी पैदा होने के 10 साल के अंदर इस योजना का लाभ ले सकते हैं. यह एक सरकारी योजना है, जिस में आप को सालाना 250 रुपए का निवेश करना होता है. इस में रिटर्न काफी अच्छा मिलता है. 7.5% तक का ब्याज मिल जाता है. लड़़की के 21 साल की होने पर रुपए मैच्योर हो कर मिल जाते हैं.

पब्लिक प्रोविडैंट फंड

आप पीपीएफ में थोड़ेथोड़े पैसे लगा कर अच्छाखासा कमा सकते हैं. यह भी एक सुरक्षित निवेश है.

शेयर

पहले एफडी में रिटर्न अच्छा था सो ज्यादातर लोग जो सुरक्षित निवेश चाहते थे वे फिक्स डिपौजिट या रेकरिंग डिपौजिट में निवेश करते थे. पर अब बैंकों द्वारा ब्याज काफी कम दिया जा रहा है, इसलिए लोग दूसरे औप्शंस की ओर देख रहे हैं.

फुजूलखर्ची पर रोक

आज तक हम जिंदगी को बहुत ही हलके में लेते आए हैं. जब मन किया बिना किसी जरूरत भी कपड़े खरीद लिए, शौपिंग कर ली, कोई गैजेट पसंद आया तो औनलाइन और्डर कर दिया, जब मन किया बाहर खाने चले गए, हर वीकैंड दोस्तों के साथ पार्टी की, छोटीबड़ी बात पर सैलिब्रेट करने पहुंच गए. यानी कुल मिला कर हम फुजूलखर्ची में सब से आगे रहते हैं. पर अब इस महामारी के बाद हमें यह सबक जरूर लेना चाहिए कि बेवजह रुपए उड़ाना उचित नहीं. कोरोनाकाल में कितनों की नौकरी चली गई और कितनों को कट कर सैलरी मिल रही है. आगे आने वाले कुछ समय में भी स्थिति ऐसे ही रहने वाली है. इसलिए खर्च पर लगाम जरूरी है.

वैसे भी जीवन में आने वाली तरहतरह की परेशानियों से लड़ने का पहला जरीया पैसा ही होता है. इसलिए सब से महत्त्वपूर्ण है कि कभी भी अपनी बचत से समझौता न करें.

सेहत है तो सब है

इस कोरोनाकाल ने हमें यह बात तो अच्छी तरह समझ दी है कि जिंदगी में सेहत से बढ़ कर कुछ नहीं. सेहत खराब हो तो दुनियाभर की सुखसुविधाएं और धनदौलत रखी रह जाती है और आप की जिंदगी 1-1 सांस को मुहताज हो जाती है. अपनी इम्यूनिटी मजबूत रख कर हम खुद को हर तरह के रोगों से बचा सकते हैं. इम्यूनिटी के लिए हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना और अच्छा खानपान बहुत जरूरी है.

रोजाना सुबह टहलना और व्यायाम करना, सेहतमंद भोजन लेना, सकारात्मक सोच और गहरे रिश्ते आप की सेहत बनाए रखते हैं. नए साल में आप सब से पहले अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें और शरीर की तंदुरुस्ती पर काम करें. अच्छा खाएं, अच्छा सोचें और अच्छा करें. इस से न सिर्फ मन को सुकून मिलेगा, बल्कि शरीर भी अंदर से मजबूत बनेगा.

बेकार के विवादों से बचें

अकसर हम अपनी जिंदगी का सुखचैन बेवजह के लड़ाईझगड़ों और तनावों में खो देते हैं पर हासिल कुछ नहीं होता. उलटा रिश्तों के साथसाथ सेहत भी जरूर बिगड़ जाती है. बीते साल ने हमें एहसास दिलाया है कि जिंदगी में कभी भी कुछ भी हो सकता है. कल का कोई भरोसा नहीं है. ऐसे में हमें अपने आज पर फोकस करना चाहिए. आज को खूबसूरत बनाने के लिए दिल और दिमाग में सुकून का होना बहुत जरूरी है. सुकून के लिए जरूरी है कि हम विवादों से दूरी बना कर रखें.

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ऐसी जगह घूमने जाएं जहां कभी न गए हों

प्रकृति का आंचल बहुत बड़ा है. हम जितना ही प्रकृति के करीब रहेंगे उतना ही हमारा शरीर सेहतमंद रहेगा. वैसे भी नईनई जगह घूमने से हमारी जिंदगी में रोमांच बना रहता है. कोरोना ने जब हमें घरों में बंद कर दिया तो हमें एहसास हुआ कि बाहर घूमने का आनंद क्या है.

हालात धीरेधीरे ठीक होंगे और हमें मौका मिलेगा कि हम एक बार फिर प्रकृति के करीब जा सकें. उन जगहों पर घूमने निकल सकें, जहां सेहत के साथ आप को आंतरिक खुशी भी मिले. जितना हो सके अपने घर के आसपास भी हरियाली बनाए रखने का प्रयास करें.

होल्ड पर रखे काम पूरा करें

अकसर हम अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण कामों/लक्ष्यों को होल्ड पर रख कर चलते हैं. इस के पीछे हमारा एक ही बहाना होता है कि समय नहीं मिलता. कभी औफिस की आपाधापी तो कभी घर और बच्चों के काम, सुबह से उठ कर जो दौड़भाग शुरू होती है वह देर रात तक चलती है. फिर ऐक्स्ट्रा काम कैसे किया जाए. यह बहाना सुनने में उचित लगता है. पर इस की आड़ में आप कुछ बहुत कीमती चीज खो रहे हैं.

अनिमेष एक गवर्नमैंट औफिसर था, साथ ही लिखता भी था. लंबे समय से उस की इच्छा थी कि वह अपनी कहानियों का संग्रह छपवाए. मगर काम में व्यस्त होने की वजह से वह इस ओर ध्यान नहीं दे सका. फिर जब कोरोना के कारण वह 15 दिन अस्पताल के बैड पर रहा तब उस ने खुद से सवाल किया कि कोरोना के कारण उसे आज कुछ हो जाता तो सब से ज्यादा अफसोस किस बात का होगा. इस वक्त उस के दिमाग में एक ही बात आई और वह थी काश उस ने अपना कहनी संग्रह छपवा लिए होता.

समय का सदुपयोग

कोरोनाकाल में हम ने सीखा है कि कैसे भागदौड़ कम कर के भी हम अपने सारे दायित्व निभा सकते हैं. वर्क फ्रौम होम करते हुए आप के दिमाग में यह बात जरूर आई होगी कि कहीं न कहीं आप रैग्युलर दिनों में अपना समय फुजूल के कामों में भी बरबाद करते थे.

एक तरफ औफिस आनेजाने में कई घंटे लगना तो दूसरी तरफ दोस्तों के साथ कभी शौपिंग तो कभी डिनर, कभी महंगे रैस्टोरैंट के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहना तो कभी मूवी के बहाने घंटों बरबाद करना. इस के बजाय यदि आप उस समय का सदुपयोग करते हुए होल्ड पर रखे काम पूरे कर लें तो आप वह अचीव कर सकेंगे जो आप का सपना है.

याद रखिए कई बार जो काम आप भविष्य के लिए होल्ड करते जाते हैं क्या पता जिंदगी उन्हें बाद में पूरा करने का मौका ही न दे. इसलिए जो भी काम करना है वर्तमान में निबटाइए. आज का दिन आप के पास है. कल की खबर नहीं. तो क्यों न सारे जरूरी काम आज ही निबटा लिए जाएं.

बिना वजह भी खुश रहें

जिंदगी में यदि आप खुश होने के लिए किसी मौके की तलाश करते रहेंगे तो कभी खुश नहीं रह सकेंगे. इंसान खुश रहता है तो उस की इम्यूनिटी मजबूत होती है और वह चुस्तदुरुस्त बना रहता है. मन की खुशी का अच्छी सेहत से सीधा संबंध है. इसलिए खुद को हमेशा खुश रखें. इस से चेहरे पर भी चमक आती है. बिना वजह भी कुछ अच्छी बातें सोच कर मुसकराएं. आकर्षक और स्मार्ट कपड़े पहनें, अच्छी दिखें, मेकअप करें और अंदर से आत्मविश्वास बना कर रखें इस तरह आप सुंदर भी दिखेंगे और सेहतमंद भी रहेंगे.

विवाह लड़कियों की इच्छा से नहीं, सामाजिक दबाव से होते है 

एक अच्छे कंपनी में कार्यरत मिताली की शादी घरवालों ने अपनी मर्जी से करवाया. जबकि वह किसी दूसरे लड़के से करीब 10 साल से प्यार करती थी. जब उसने अपने माता-पिता से अफेयर की बात कही, तो उसके पेरेंट्स गुस्से में आ गए और मिताली को डांटने लगे. मिताली जिद पर आ गयी और उसने पेरेंट्स के आगे कह दिया कि वह उस लड़के के सिवा किसी दूसरे लड़के से विवाह नहीं कर सकती. भले ही उसे घर छोड़ना पड़े. उसकी माँ अंजलि ने उसे बहुत समझाया कि वह लड़का उनके बराबरी का नहीं है और परिवार वाले भी भला – बुरा कहेंगे. घर की बड़ी होने की वजह से उसका विवाह ऐसे परिवार में होने से उसकी छोटी बहन की शादी होने में समस्या आएगी. इतना ही नहीं उस लड़के का परिवार छोटे दो कमरे वाले घर में रहता है और लड़के की आमदनी भी अच्छी नहीं, उसका पिता घर-घर अखबार बांटता है, ऐसे परिवार और छोटे कमरे वाले घर में मिताली का रहना संभव नहीं, ऐसी कई बातें बार-बार माँ के समझाने पर मिताली ने उस लड़के से रिश्ता तोड़ दिया और 6 महीने बाद उसकी शादी उसके माता-पिता के अनुसार सम्भ्रांत परिवार में हो गई. माता-पिता और परिवार जन उसकी इस शादी से खुश थे, पर मिताली का मन उस परिवार में नहीं लगा. वह अपने पति और ससुराल वालों को अपना नहीं पायी. मिताली काम के बाद जब भी घर आती, हमेशा उदास रहने लगी, इसे देख उसका पति बार-बार कारण पूछता, पर वह कुछ नहीं बताती. एक दिन उसके पति ने मिताली को फ़ोन पर ये कहते सुन लिया कि मैं कैसी भी रहूं, आप और पापा खुश है न? 

अब मिताली के पति को भी लगने लगा कि मिताली उससे कुछ छुपा रही है और एक दिन उसने खुद ही मिताली की उदास रहने की वजह जान उससे अलग होने की बात सोच कुछ महीने बाद डिवोर्स दे दिया. अब मिताली पेरेंट्स से दूर अकेले अपने कर्मस्थल पर रह रही है और कभी भी किसी से शादी न करने की ठान ली है. 

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सोशल मीडिया है हावी 

ये सही है कि आज के परिवेश में किसी भी लड़की को चाहे वह कमाऊ हो या नहीं, उसकी मर्जी के बिना सामाजिक दबाव में शादी के लिए राजी करना संभव नहीं होता, लेकिन कुछ परिवार इसे समझ नहीं पाते और अपनी इच्छा को बेटी पर थोपते है, जिससे वह रिश्ता टूटता है, इस बारें में मुंबई की मैरिज काउंसलर आरती गुप्ता कहती है कि आज की न्यू और मॉडर्न इंडिया में बदलाव काफी है. यहाँ तक कि छोटे कस्बों में भी ऐसा कम ही देखने को मिलता है. सोशल मीडिया आज पावरफुल हो चुका है, हर किसी के हाथ में एक मोबाइल है और हर लड़की इन्टरनेट चलाना भी जानती है. इससे सबको एक एक्सपोजर मिलता है. डेली लाइफ से लेकर पोर्नोग्राफी हर चीज को ऑनलाइन देखी जा सकती है. अभी लड़कियां भी बाहर निकल रही है. पिछले 10 सालों में ये बदलाव की लहर तेजी से आई है. पहले लड़की की शादी माता-पिता और सामाजिक दबाव में अवश्य होता था, पर अब नहीं, क्योंकि आज की लडकियां चाहे गांव, कस्बे या शहर की हो, हर कोई पढ़ लिखकर कुछ करने की इच्छा रखती है, जो अच्छी बात है. इसके अलावा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा भी कई जगहों पर होता है, इससे लड़कियों का स्कूल जाना संभव हुआ है, साथ ही मिडिया द्वारा समय-समय पर कामयाब लड़कियों को आगे लाना और उसके बारें में बताना भी जागरूकता को बढ़ाने की दिशा में अच्छा कदम है.

इसके आगे काउंसलर आरती का कहना है कि आज की लड़कियां वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है, क्योंकि उनकी शिक्षा, जॉब की संतुष्टि, बैंक बैलेंस आदि उसे मजबूती देती है. ऐसे में लड़कियां किसी के आधीन रहना पसंद नहीं करती, क्योंकि वे भी खुद को किसी से कम नहीं समझती. हालाँकि ये बदलाव लड़कियों के लिए चुनौती भी है और वे इसे लेने से घबराती नहीं. पहले लडकियां आत्मनिर्भर नहीं थी. इसलिए वे परिवार और समाज के आगे दबती थी. दिनभर चक्की चलाती थी और किसी से कुछ कहने में असमर्थ थी.  सबको सहन करने के अलावा कोई चॉइस नहीं था. अब जमाना काफी बदला है. चॉइस खूब है, इसलिए अगर पति या ससुराल पक्ष से नहीं जमता, तो छोड़ देने में लड़कियां नहीं हिचकिचाती. कई घरों में लड़की की माँ खुद आगे आकर बेटी को ससुराल छोड़ देने के लिए कहती है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसके जैसे टॉक्सिक वातावरण में उसकी बेटी जीवन गुजारे. 

भुगतता है पूरा परिवार 

आगे मैरिज काउंसलर आरती का कहना है कि अगर विवाह लड़की के न चाहने पर होता है, तो उसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है, क्योंकि ऐसे रिश्तों को कोई निभाना नहीं चाहता, जिसमें दोनों की मर्ज़ी न हो. इसलिये दोनों में से एक भी व्यक्ति अगर मैच्योर है, तो उस रिश्ते को ठीक से निभाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन यहाँ ये कहना भी गलत नहीं होगा कि भारतीय समाज में सोशल प्रेशर दोनों तरफ से होता है. कई बार बोलकर तो कभी साइलेंट होता है. इसे लड़की न सहन कर पाने की स्थिति में या तो भाग जाती है, आत्महत्या कर लेती है या फिर डिवोर्स लेती है. इसके बाद माता-पिता को लड़की की पूरी जिम्मेदारी मरते दम तक उठानी पड़ती है, जिसमें, शारीरिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक आदि कुछ भी हो सकता है. 

लड़कियों ने बदली है परिवेश 

आज लड़कियां इन्टरनेट के द्वारा हर चीज की जानकारी जुटाकर परिवेश को बदल देती है. मेरे यहाँ एक काम करने वाली लड़की अपने पैसे जमाकर पढाई करती थी और अच्छे नंबरों से पास भी हुई और आगे भी पढाई जारी रखी. मेरे हिसाब से एक व्यक्ति अपने रास्ते बनाने के लिए खुद हमेशा काबिल होता है, अगर उसकी इच्छा कुछ करने की हो.

सामाजिक दबाव से कैसे निकले माता-पिता

अपने अनुभव के बारें में आरती कहती है कि मुंबई की एक लड़की को उसकी पेरेंट्स ने सामाजिक दबाव में कोलकाता के लड़के से शादी करवा दी. लड़की वहां जाकर नाखुश थी और डिप्रेशन में चली गयी थी. उस लड़की के पेरेंट्स और भाई उसको साथ लेकर आये थे. मैंने बातचीत की और उसे ससुराल न रहकर अपने पति के साथ जॉब ट्रांसफर लेकर दूसरी जगह रहने की सलाह दी. इससे दोनों के रिश्ते बेहतर हो जाने पर वे फिर परिवार के साथ रह सकते है. इसके अलावा एक लड़की को माँ नहीं बनना था और वह अकेले आजाद रहना चाहती थी, जिसे मैंने अकेले रहने के लिए सलाह दी, कुछ दिनों बाद वे फिर साथ रहने लगे.  

असल में इन चीजो की कोई फार्मूला नहीं है. हर व्यक्ति की सोच, घर परिवार के तौर-तरीके, खुद की मान्यताओं, सामाजिक दबाव आदि को समझने की जरुरत है, कुछ बातें जो माता-पिता को लड़की की सुख के लिए देखना जरुरी है,

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  • शादी करने वाले युवक की सोच, आगे बढ़ने की चाह, संस्कार को समझने की करें कोशिश,
  • लड़की से उसकी चॉइस को जानने के बाद उस परिवार से मिले, उनकी सोच, परिवेश, नीयत, आदि देंखे, 
  • खुद के आत्मविश्वास पर संदेह न करें और अपने दिल की सुने, आसपास और समाज की परवाह करना छोड़े, 
  • लड़की की ख़ुशी का ध्यान रखे,
  • लड़का किसी भी धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण या देश का हो, सबको प्यार ही चाहिए. सबमें खून लाल ही बहता है, इसलिए रिश्ते की मजबूती को देखे और आगे बढे. 

तो समझिये वही आप का सोलमेट है

सोलमेट आप का रोमांटिक पार्टनर, दोस्त, रिश्तेदार या टीचर कोई भी हो सकता है जिस के साथ आप गहरा और मजबूत कनेक्शन महसूस करते हैं. वह आप को चुनौतियां देता है, प्रेरणा देता है, सहारा देता है और हर समय आप के जेहन में  होता है. आप को महसूस कराता है कि वास्तव में आप को जीवन में क्या चाहिए. आप उस से शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक रूप  से कनेक्टेड होते हैं.

कैसे पहचानें कि वही है आप का सोलमेट

1. उस के संपर्क में आते ही मन को गहरा सुकून मिले

कोई शख्स जिस के साथ आप कंफर्टेबल, ओरिजिनल, पीसफुल और सिक्योर महसूस करते हैं. आप खुश रहते हैं. उस के आते ही आप के मन की बैचेनी दूर हो जाती है और हर तरह के काम में आप का मन लगने लगता है तो समझिये वही है आप का सोलमेट.

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2. ऐसा लगे कि लंबे समय से आप एकदूसरे को जानते समझते हो

पहली दफा जब आप उस से मिलते हैं तो वह अजनबी नहीं लगता. उस से बातें करने में आप नर्वस नहीं होते. लगता है जैसे आप इस शख्स से हर तरह की बात शेयर  कर सकते हैं.  कोई राज रखने की जरुरत नहीं लगती. आप उस पर पूरा विश्वास कर पाते हैं. ऐसी फीलिंगस  तभी आती है जब आप सोलमेट से मिलते हैं.

3. ह्रदय से आवाज आती है कि यही है वहजिस की आज तक तलाश थी

भले ही आप की उम्र कितनी भी हो या कितनों  के प्रति आकर्षण महसूस कर चुके हो , आप शादीशुदा ही क्यों न हो , जिंदगी का एक मोड़ ऐसा जरूर आता है जब आप को किसी से मिल कर महसूस होता है कि बस यही है वह जिस की तलाश आप के हृदय को थी. उस के साथ आप जीवन में ठहराव और स्थिरता महसूस करते हैं और आप को मन की गहराइयों से महसूस होता है कि आप कभी उस से अलग ही नहीं थे.

4. उस से मिलने के बाद आप हर मुश्किल का सामना करने में खुद को समर्थ पाते हैं

कोई शख्स जिस के करीब होने से ही आप अपने अंदर उर्जा, सकारात्मकता और साहस महसूस करें, हर चुनौती का सामना करने और मुश्किलों को हराने के लिए खड़े हो जाएं और ऐसा लगे जैसे वह शख्स अंधेरों के बीच रोशनी  के रूप में आप के साथ है ,वही आप का सोलमेट है.

5. सुरक्षित महसूस करें

जब आप को लगे कि किसी शख्स के प्रति आप खुद खिंचे चले जा रहे हैं मानो कोई चुम्बकीय शक्ति आप दोनों के बीच है. आप उस के पास होते हैं तो हर तरह से सुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

6. जरूरी नहीं कि वह खूबसूरत ही हो

सच्चे प्यार का अर्थ केवल फिजिकली अट्रैक्ट होना नहीं वरन मेंटली और इमोशनली जुड़ना है. यदि आप उस की आंखों में खुद को और अपनी आंखों में उसे देख सकते हैं तो समझिए वह आप का प्यार है ,सोलमेट है.  आप दोनों एकदूसरे से अलग नहीं वरन एक महसूस करते हैं.  जहां तू और मैं  है वहां अटैचमेंट या रिलेशनशिप हो सकता है पर यह गहरा नहीं होता और जल्द टूट भी सकता है. पर सोलमेट के साथ आप का रिश्ता कभी नहीं टूटता.

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7. कुछ पाने की चाह नहीं

जब किसी से मिल कर आप को और कुछ पाने की चाह न बचे. आप को उस से कुछ चाहिए नहीं फिर भी वह आप के जीवन में सब से महत्वपूर्ण होता है और ऐसा किसी कैमिकल लोचे की वजह से नहीं बल्कि ह्रदय से उठी आवाज की वजह से हो. आप चुपचापघंटों उस के साथ समय बिता सकते हैं, उसे देखते रह सकते हैं, करीब रह सकते हैं और दूर रह कर भी उसे महसूस कर सकते हैं तो समझिये वही आप का सोलमेट है.

फ्लर्टनैस नहीं स्मार्टनैस

विद्या आजकल घर में बहुत बोर हो रही थी. दिन तो औफिस के काम में बीत जाता पर लौकडाउन में घर में बंद होने से उलझन होने लगी थी. ग्रौसरी लेने जाने में भी रिस्क लगता. वह अकेले ही इस फ्लैट में 4 महीने से किराए पर रह रही थी. किसी को जानती भी न थी. मुंबई में सुबह निकल कर जाना, फिर शाम को आ कर आसपड़ोस में झंकने की फुरसत भी कहां रहती है.

वह यों ही शाम को उठ कर बालकनी में आई, तो बराबर वाले फ्लैट का एक लड़का बालकनी में ऐक्सरसाइज कर रहा था. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिए. विद्या का कुछ टाइम पास हुआ. अब धीरेधीरे यह रूटीन ही हो गया. दोनों शाम को हायहैलो करते. फिर नाम पूछे गए.

बालकनी में कुछ दूरी थी, तो लड़के अवि ने फोन नंबर का इशारा किया. अब दोस्ती आगे बढ़ी. दोनों ही इस लौकडाउन में बोर हो रहे थे.

उसे अकेले देख अवि की हिम्मत बढ़़ी, कहा, ‘‘बाहर जाना तो सेफ है नहीं, मैं मम्मी की लिस्ट ले कर जाता हूं. आप को भी जो सामान मंगवाना हो, बता देना.’’

विद्या ने मजाक किया, ‘‘सोशल डिस्टैसिंग का टाइम है, आप से कैसे सामान मंगवाऊं?’’

‘‘अरे, कोई बात नहीं. अभी ला देता हूं सामान. शौप वाला अभी होम डिलीवरी नहीं कर रहा है.’’

‘‘नहींनहीं, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.’’

‘‘दोस्त समझ कर अपनी लिस्ट व्हाट्सऐप पर भेज दीजिए, मैं आप के डोर पर सामान रख दूंगा,’’ अवि नहीं माना. तो विद्या ने लिस्ट उसे दे दी.

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सामान ला कर अवि ने बैग उस के डोर पर रख कर घंटी बजाई. दोनों कुछ देर दूर से ही हंसीमजाक करते रहे. फिर तो यह नियम बन गया. अवि ही उस के सारे काम करने लगा. विद्या को तो कहीं निकलना ही नहीं पड़ा. विद्या अपनी दोस्त रुचि को फोन पर सब बता रही थी.

रुचि खूब हंसती, कहती, ‘‘ये लड़के भी न, लड़की देख कर सब डिस्टैसिंग भूल जाते हैं. ठीक है, तेरा क्या जा रहा है. फिलहाल काम करवा उस से, बाद में देखते हैं.’’

बहुत तेज बारिश हो रही थी. मुंबई की बारिश का वैसे भी कुछ पता नहीं होता कि कब रुकेगी. पोवई से अंधेरी जाने में अच्छेअच्छों की हालत खराब हो जाती. पर आरती आराम से तैयार हो रही थी. उस की रूममेट रूपा ने कहा भी, ‘‘यार, आज बहुत बारिश है, वर्क  फ्रौम होम ले ले.’’

आरती ने हंस कर कहा, ‘‘अनिल आता ही होगा कार से लेने. औफिस उसी के साथ जा रही हूं. आजकल लोकल ट्रेन के धक्कों से बच जाती हूं. आजकल टैक्सी में बैठने से तो डर ही लगता है, कोई वायरस न छोड़ गया हो. उस से अच्छा वायरस अनिल ही रहेगा, कोरोना से तो कम ही परेशान करेगा.’’

रूपा हंसी, ‘‘वाह, यह कब हुआ? वह तो सीनियर है न काफी तुम से?’’

‘‘हां, मैरिड है. उसे मेरी कंपनी चाहिए, मुझे आराम से आनाजाना. दोनों का काम हो जाता है. बदले में उसे झेलना पड़ता है, बस. वह फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहा है. जानती हूं ऐसे पुरुषों को. मैरिड है, पर एक लड़की की कंपनी के लिए मरे जाते हैं. हद है, यार. पर ठीक है, मैं कौन सी मूर्ख हूं. आराम से कार में आनाजाना हो रहा है. इन जैसों का फायदा क्यों न उठाया जाए. जैसे ही लिमिट क्रौस करने की कोशिश करेगा, एक डिस्टैंस मैंटेन करना शुरू कर दूंगी. बहानों की कमी तो होती नहीं है,’’ कह कर वह हंसते हुए निकल गई.

ट्विंकल राठी ने एक मल्टीनैशनल कंपनी जौइन की. 3 महीने में उसे समझ आ गया कि यहां उस के एक सीनियर अतुल का सिक्का चलता है.

कभी फ्लर्टिंग की है? यह पूछने पर वह अपने बारे में खुल कर बताती है, ‘‘हमारे बौस अतुल की सब बात सुनते हैं. उस की रिकमैंडेशन पर ही औफिस में प्रमोशन होते हैं. मैं नईनई थी. अतुल साहब मेरे आसपास मंडराने लगे. पुरानी लड़कियों ने भी उन की इस आदत के चर्चे मुझ से खूब किए थे. कभी मुझे कौफी के लिए कैंटीन ले जाते, कभी मुझे घर तक ड्रौप करने के लिए कहते. मुझे क्या परेशानी होती. मैं औटो के धक्कों से बच जाती.

‘‘वे मेरी बड़ी अच्छी रिपोर्ट्स आगे पहुंचाते. मेरे प्रोमोशंस धड़ाधड़ होते रहे. मुझ में काबिलीयत थी, पर अतुल के सपोर्ट से मैं खूब आगे बढ़ी. वे मैरिड थे. उन के बच्चे थे. मुझ से हंसबोल कर, मेरे आगेपीछे घूम कर वे एंजौय कर रहे थे. तो मेरा भी कुछ नुकसान तो हो नहीं रहा था. फिर मेरा दूसरे औफिस में ट्रांसफर हो गया. फिर यह भी सुना कि अब वे नई लड़की के आगेपीछे घूम रहे हैं. ऐसे पुरुष आप को हर जगह मिल जाएंगे. उन की ऐसी आदतों का फायदा उठाना गलत कहां से हो गया.’’

स्मार्ट बन कर काम निकलवाना

एक लेखिका हैं मंजू शर्मा. अपने वाक कौशल और अदाओं पर उन्हें पूरा भरोसा है. उन का मानना है कि वे जहां भी अपनी कोई रचना भेज कर संपादकों से बात कर लेती हैं. उन की रचना फिर अस्वीकृत होने का कोई चांस ही नहीं है. सारे पुरुष संपादक उन से बात करने के लिए लालायित रहते हैं. उन्हें व्हाट्सऐप में मैसेज भेजते रहते हैं. उन की सुंदरता के कसीदे पढ़ते रहते हैं. उन्हें अपना काम निकालना आता है. उन्हें अपनी रचनाएं छपवानी हैं, इसलिए वे थोड़ीबहुत लिफ्ट दे देती हैं. उन का काम हो जाता है. जहां कोई पुरुष संपादक उन की रचना को रचनात्मकता की कसौटी पर ही परख कर छापता है, वहां वे अपना समय खराब नहीं करतीं. उन का मानना है कि अगर किसी पुरुष संपादक को लिफ्ट दे कर बिना ज्यादा मेहनत किए मेरी रचनाएं छप जाती हैं, तो बुरा क्या है.

खुशबू सिन्हा जब औफिस में कहीं किसी प्रैजेंटेशन में अटक जाती है, तो कुछ देर पहले से ही किसी न किसी से मीठी बातें कर के उसे हैल्प के लिए तैयार कर ही लेती है. उस का कहना है, ‘‘यह जरा भी मुश्किल नहीं, किसी भी यंग लड़की की हैल्प करने के लिए पूरा औफिस लगभग तैयार रहता ही है. तो ठीक है, दो मीठीमीठी मासूम बातें कर के इन लड़कों से काम निकलवाना बुरा तो नहीं है.

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चतुर लड़कियां आजकल फ्लर्ट समझती हैं. वे जानती हैं कि लड़कों से काम कैसे निकलवाया जा सकता है. लड़के तो यही समझते हैं कि वे बहुत स्मार्ट हैं, सामने वाली लड़की तो बहुत सीधी है, उस के साथ फ्लर्ट किया जा सकता है. पर अपने को होशियार समझ रहे लड़के होशियार लड़कियों के हाथों बुद्धू बन रहे होते हैं. उन्हें पता भी नहीं चलता और वे मेल ईगो को सैटिस्फाई कर के खुश हो रहे होते हैं. लड़कियां कामकाजी हों, तो वे ऐसे पुरुषों की नसनस खूब पहचानने लगती हैं.

चालाक तो बनना ही पड़ेगा

एक औफिस में काम करने वाली नीरा बताती हैं, ‘‘मीटिंग में पहले औफिस से निकलने में देर होती थी. तो अकेले घर पहुंचने की बड़ी चिंता रहती थी. पर देखा कि औफिस के एक 40 वर्षीय मिस्टर गुप्ता को लड़कियों से पूछने का बड़ा शौक है कि लेट हो रहा है तो मैं छोड़ दूं? उन के इस शौक का लड़कियां खूब फायदा उठाती हैं. अब यह किसी लड़की को ही कहने वाली बात तो नहीं है. भाई, जब आप लड़की की कंपनी के लिए मरे जा रहे हैं तो हमें भी क्या परेशानी है. आराम से चिपकू गुप्ताजी की कार में जाती हैं लड़कियां. इतनी देर में, भीड़ में, ट्रैफिक में उन्हें इस शौक में क्या आनंद आता है, वही जानें.’’

तो आगे से किसी लड़की को फ्लर्ट करने से पहले एक बार जरूर सोच लें कि फ्लर्ट है कौन, लड़की फ्लर्ट नहीं होशियार है, जो लड़के के अहं और घमंड को धता बता रही है और लड़के को पता भी नहीं. लड़के अब तक लड़कियों को बहुत ठगते आए हैं. उन का हमेशा नाजायज फायदा उठाते आए हैं. अब हवा बदली है. लड़कियां किसी भी तरह लड़कों से कम नहीं रहीं. आप उन की अदाओं पर मरते रहिए, उन के काम आने के लिए अपनेआप को पेश करते रहिए. वे आप की सेवाएं खुशीखुशी लेती रहेंगी. उन्हें भी तो आप के बनाए समाज में रहना है, चतुर तो होना ही पड़ेगा.

सहेलियां जब बन जाएं बेड़ियां

रंजना की आदतों से उस की बेटी अंजलि ही नहीं उस के पति रौनक भी कई सालों से परेशान हैं. रौनक तो उस दिन को कोसते हैं जब शादी के बाद वे रंजना को ले कर दिल्ली आए और एक ऐसी कालोनी में फ्लैट ले लिया, जहां हाई सोसाइटी की अमीर औरतें रहती हैं, जिन के पतियों को खूब ऊपर की कमाई होती है.

पतियों के पैसे पर ऐश करने वाली एक मुहतरमा रमा रंजना की पड़ोसिन है. उस के यहां रंजना किट्टी पार्टी के लिए जाती है. उस के साथ मौर्निंग वाक करती है, उस के गु्रप के साथ पिकनिक मनाती है, व्हाट्सऐप चैट करती है, शौपिंग करती है, फिल्में देखती है.

रौनक एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं. वे किसी छोटे शहर में रहते तो जितनी सैलरी उन्हें कंपनी से मिलती है, उसे देखते हुए वे उस शहर के अमीरों में शुमार होते, लेकिन दिल्ली की पौश कालोनी में रह कर इस तनख्वाह में सबकुछ मैंटेन करना मुश्किल लगता है. उस पर रंजना की अपनी पड़ोसिन रमा से इस कदर दोस्ती ने उन की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं.

अगर रमा ने नई वाशिंग मशीन खरीदी है तो रंजना को भी उसी तरह की वाशिंग मशीन चाहिए. वह उस के लिए जिद्द पकड़ लेती है, भले ही घर में पहले से ही वाशिंग मशीन हो और अच्छी चल रही हो, लेकिन रमा ने नई खरीदी है तो उस में जरूर कुछ नए और बेहतर फीचर्स होंगे वरना वह क्यों पुरानी मशीन सिर्फ डेढ़ हजार में अपनी कामवाली को देती? उस की भी तो पुरानी मशीन काम कर ही रही थी.

रंजना के तर्क सुन कर रौनक अपना सिर थाम लेते हैं. कुछ दिन पहले ही रंजना ड्राइंगरूम के लिए नए परदे ले आई थी, जो काफी महंगे लग रहे थे. उन परदों से ड्राइंगरूम के लुक में खासा बदलाव आ गया, लेकिन नए और इतने महंगे परदों की क्या जरूरत थी, जब पुराने वाले अभी बिलकुल ठीक थे, खूबसूरत लगते थे और उन को लिए चंद महीने ही हुए थे? जब रौनक ने यह सवाल पूछा तो बेटी अंजलि तुनक कर बोली, ‘‘ऊपर रमा आंटी ने नए परदे लिए हैं, तो मम्मी कैसे पीछे रहतीं? जा कर उसी शोरूम से उसी तरह के परदे ले आईं.’’ रौनक ने यह सुना तो सिर धुन लिया.

सहेलियों की नकल

रंजना जैसी बहुत औरतें हैं, जो हर वक्त अपनी सहेलियों की नकल करती हैं. सहेली ने नई साड़ी ली है, तो मुझे भी वैसी ही साड़ी चाहिए. सहेली ने घर के लिए कोई लग्जरी आइटम ज्वैलरी, कौस्मैटिक्स की नई रेंज ली है, सैंडल लिए हैं, कोई पालतू जानवर लिया है, तो मुझे भी चाहिए. ऐसी औरतें उच्चवर्ग, मध्यवर्ग व निम्नवर्ग तीनों में ही मिल जाएंगी, जिन के लिए सहेलियां बेडि़यां बन चुकी होती हैं. वे इन बेडि़यों से खुद को मुक्त नहीं करना चाहती हैं. नकल और दिखावा उन की रगों में खून के साथ बहने लगा है. सहेलियां जब बेडि़यां बन जाएं तो उस से घर वालों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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हर वर्ग में यह दिक्कत

सहलियों की गिरफ्त में फंसी ये आरतें हर आयुवर्ग और आयवर्ग की होती हैं. अब निशा को ही देख लीजिए. इंटरमीडिएट में उस के सब से ज्यादा अंक बायलौजी में आए थे, लेकिन अपनी सहेली कोमल की देखादेखी उस ने बीएससी में एडमिशन न ले कर बीकौम करने की ठानी. उस के मातापिता समझाते रह गए कि जिस सब्जैक्ट में तुम सब से बेहतर हो, उसी में आगे की पढ़ाई करो, लेकिन सुननी तो सहेली की ही थी, लिहाजा कौमर्स की लाइन पकड़ ली और फर्स्ट ईयर में ही फेल हो कर बैठ गई. किसी तरह 4 साल में बीकौम पूरा किया और वह भी थर्ड डिविजन में. अब निशा का कौमर्स से मन हट चुका है और आगे क्या करना है, वह तय ही नहीं कर पा रही है.

शेफाली के लिए भी उस की 2 सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, पहली कक्षा से ग्रैजुऐशन तक तीनों साथ रहीं. साथ खातीपीती थीं, साथ शौपिंग करती थीं, साथ ही घूमने जाती थीं. शेफाली आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं थी, जितनी उस की दोनों सहेलियां थीं, लिहाजा शेफाली के हिस्से का खर्च भी कभीकभी वे दोनों ही उठा लेती थीं, लेकिन ग्रैजुएशन के बाद जब शेफाली की नौकरी लग गई, तो दोनों चाहने लगीं कि अब शेफाली भी उन्हें खिलाएपिलाए या फिल्म दिखाए. उन का मानना है कि स्कूल टाइम में या कालेज के दिनों में जब शेफाली के पास पैसे नहीं होते थे, तो वे दोनों उस के लिए खर्च करती थीं, अब शेफाली कमा रही है तो वह भी कभीकभी उन पर खर्च कर सकती है. दोनों आएदिन उस के सामने कोई न कोई फरमाइश रख देती हैं.

शेफाली के लिए अब यह दोस्ती महंगी पड़ रही है, क्योंकि उस के पिता रिटायर हो चुके हैं. उन की थोड़ी सी पैंशन घर खर्च में ही खत्म हो जाती है. ऐसे में शेफाली की कमाई का बड़ा हिस्सा उस के छोटे भाई की ट्रेनिंग के लिए जा रहा है. बचाखुचा ही वह अपने पर खर्च करती है. ऐसे में सहेलियों को घुमानेफिराने या पिक्चर दिखाने पर वह कहां से पैसे खर्च करे. शेफाली के लिए दोनों सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, जिन से वह मुक्त होना चाहती है. मगर कैसे, यह उसे समझ में नहीं आ रहा है.

दोस्ती का नाजायज फायदा

हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें हम अपना दोस्त बनाते हैं और जिन से हम अपने राज शेयर करते हैं, लेकिन जब ये लोग हमारा नाजायज फायदा उठाने लगें या जानेअनजाने में यूज करने लगें तो फिर यह रिश्ता बोझ बन जाता है. कई बार जब ऐसे रिश्ते मजबूरीवश टूटते हैं तो हमारा नुकसान भी करते हैं.

नेहा ने जब सुमन से दोस्ती तोड़ी तो नेहा के शादी से पहले के जीवन से जुड़े कुछ गहरे राज नेहा के पति को मालूम पड़ गए. किसी ने उन्हें फोन पर नेहा की तमाम बातें बता दीं. इन फोन कौल्स ने नेहा की जिंदगी बरबाद कर दी. आज वह तलाक के मुहाने पर खड़ी है. दोस्ती की बेड़ी तोड़ने की सजा भुगत रही है. उसे यकीन है कि उस की बीती जिंदगी से जुड़े प्रेमप्रसंग उस के पति को सुमन के द्वारा ही पता चले हैं, लेकिन अब वह क्या कर सकती है.

ध्यान रखें सहेलियां बनाएं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में इतनी ज्यादा घुसपैठ न करने दें कि वे आप के और आप के परिवार के लिए मुसीबत बन जाएं. दोस्ती में इन बातों का खयाल रखना बहुत जरूरी है:

– सहेली से जीवन के राज शेयर न करें. कभी न कभी, कहीं न कहीं आप की बात उजागर हो ही जाएगी. अगर आप चाहती हैं कि आप की गुप्त बातें आप के साथ ही खत्म हों तो भूल कर भी उन्हें अपने मुंह से बाहर न आने दें, फिर चाहे आप के सामने आप की बचपन की पक्की सहेली ही क्यों न हो.

– सहेली के जीवन जीने के ढंग की नकल न करें. आप अपनी चादर देख कर ही अपने पैर फैलाएं. हर परिवार की अपनी आर्थिक स्थिति और जरूरतें होती हैं. इसलिए दूसरे की चीजों को देख कर अपनी आर्थिक स्थिति को डांवांडोल करना कोई समझदारी नहीं है.

– सहेली के विचारों को खुद पर कभी हावी न होने दें. आप सहेलियों से खूब बतियाएं, उन की सुनें, लेकिन अपनी बातों पर दृढ़ रहें. उन का कोई विचार अच्छा लगे तो अवश्य अपनाएं, लेकिन वे हमेशा ठीक बोलती हैं या उन की सारी बातें सही होती हैं, ऐसा सोचना गलत होगा. ऐसा सोच कर आप अपनी अहमियत को कम कर रही हैं, अपने कद को घटा रही हैं.

– सहेलियां टाइम पास करने के लिए होती हैं. जगह बदलते ही सहेलियां बदल जाती हैं, लेकिन परिवार जीवनभर साथ चलता है, इसलिए सहेलियों की संगत में ऐसा कोई

कदम न उठाएं, जिस से परिवार के लोगों को आघात पहुंचे.

– यदि सहेलियां अंधविश्वासी, किसी बाबा की भक्त, धार्मिक आयोजन करने वाली हैं तो उन से दूरी बना कर रखें, क्योंकि ये सहेलियां सुनसुन कर बहुत वाकपटु हो जाती हैं और आसपास सब को अपने बाबा या मंदिर का ग्राहक बनाने में लग जाती हैं. ये घरों तक को तुड़वा डालती हैं और फिर दोष भाग्य या कर्मों को देने लगती हैं.

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ये 5 गलतियां करती हैं रिश्तों को कमजोर

रिश्ते बनाना तो बहुत आसान होता है लेकिन उन्हें संभालना मुश्किल होता है. एक अच्छे रिश्ते का मतलब केवल फूल देना और अच्छी जगह पर डिनर करना नहीं होता है. वैसे तो बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें करने से आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं लेकिन ऐसी कुछ गलतियां है जो आपको एक सीरियस रिलेशनशिप में भूल कर भी नहीं करनी चाहिए. अगर आप अपने रिश्ते के बौन्ड को और मजबूत बनाना चाहते हैं तो इन 5 गलतियों से जरूर बचे.

1. रोमांस में कमी

एक समय पर आप संतुष्ट हो जाते हैं और भूल जाते है कि रिश्ते में प्यार और रोमांस भी जरुरी है. ऐसा माना जाता है की प्यार दिखाया नहीं समझा जाता है. अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो वो इंसान खुद ही आपके प्यार को समझेगा मगर कभी-कभी अगर अपने प्यार को जाहिर कर देंगे तो इससे आपके साथी को एक अलग खुशी मिलेगी. आपके लिए जरुरी है कि रिश्ते में रोमांस को बनाएं रखें और इसे बरकरार रखने के लिये एफर्ट डालें. कभी-कभी प्यार जताकर अपने साथी को खास महसूस कराया जा सकता है.

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2. परफेक्ट पार्टनर की उम्मीद…

इस दुनिया में कोई इंसान बिल्कुल परफेक्ट नहीं होता है इसलिए इसकी उम्मीद करना बेवजह है. हर चीज में अपने साथी को टोकते रहना और उसकी गलतियां निकालना सही नहीं है. अगर उनसे कोई गलती हो जाए तो उन्हें डांटने के बजाय समझाये. बार-बार उनकी गलती को गिनवाने से उनका आत्म-विश्वास कम होगा. बेहतर होगा कि आप अपनी उम्मीदें जरुरत से ज्यादा ना रखें. अगर कोई गलती भी हो जाए तो उसे दूसरों के सामने ना गिनाएं बल्कि उन्हें आपस में निपटा लें, उन्हें सुधारने का तरीका बताएं ताकि दोबारा उनसे वही गलती न हो जाए.

3. आमना-सामना करने से बचना…

बहुत बार हम सोचते हैं कि किसी भी झगड़े को खत्म करने के लिए उसके बारे में बात ही ना की जाए. बिना बात किए आपके सारे झगड़े खत्म नहीं होंगे बल्कि और ज्यादा बढ़ जाएंगे. अगर आप-दोनों के बीच लड़ाई हो तो उसका सामना करें. आमना-सामना करने से आप अपने बीच की प्रॉब्लेम को दूर कर पाएंगे. इन झगड़ों को अपने साथी को बताने के बजाय दूसरों को बताने की गलती ना करें. ऐसा करने से लोगों के सामने आपका ही मजाक बनेगा. कोई आपके प्रोब्लेम का हल नहीं निकालेगा बल्कि आपको और निराश ही करेगा. कोशिश करें कि आप एक-दूसरे से आराम से बैठकर बात करें और अपने प्रोब्लम का हल खुद निकाले.

4. ज्यादा बांधकर न रखें…

अपने रिश्ते को थोड़ा स्पेस दें. ज्यादा दखल देना भी अच्छा नहीं होता है. जब आप प्यार में होते हैं तो आप चाहते हैं कि सभी चीजें साथ में करें लेकिन रिश्ते की शुरुआत में ही ऐसा ठीक लगता है. जैसे आप आगे बढ़ते हैं तो ज्यादा साथ रहना भी आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है. हर इंसान की अपनी एक लाइफ होती है और थोड़ा निजीं समय आपके रिश्ते को बेहतर बना सकता है.

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5. खुद को या साथी को बदलने की कोशिश…

कभी भी अपने पार्टनर को खुश करने के लिए खुद को नहीं बदले या फिर अपनी खुशी के लिये साथी को बदलने की कोशिश ना करें. अगर आप प्यार में हैं तो आप जैसे हैं उन्हें वैसे ही अच्छे लगेंगे और आपको भी उन्हें ऐसे ही पसंद करना चाहिए. अगर कोई आपको बदलना चाहता है तो उन्हें आपसे ज्यादा दिखावे से प्यार है. प्यार करने का मतलब एक-दूसरे की हर छोटी-बड़ी चीजों से प्यार करना होता है. हर तरह से एक-दूसरे को समझना होता है.

जब पति का प्यार हावी होने लगे

रोहिणी में रहने वाली संगीता ने अपनी सहेलियों को कौन्फ्रैंस कौल की, ‘‘क्या हाल हैं सब के? मैं बस अभीअभी फ्री हुई. आज मेरे पति को थोड़ी देर के लिए औफिस जाना पड़ा. कितना सुकून मिल रहा है, मैं बता नहीं सकती वरना अधिकतर वह वर्क फ्रौम होम करते हैं तो सारा दिन मेरे आसपास ही मंडराते रहते हैं.

किसी भी बहाने से उठूं, पीछेपीछे चले आते हैं. किचन में जाओ तो संग खाना बनवाने लगते हैं, सफाई करो तो डस्टिंग करने लगते हैं, कपड़े धोऊं तो निचोड़ने चले आते हैं…कम से कम तुम लोगों के पति औफिस तो जाते हैं, यहां तो सुख भी नहीं. ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, चाय सबकुछ साथ में.

कुछ कहो तो कहते हैं मैं तुम से एक पल की दूरी भी बरदाश्त नहीं कर सकता. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि तुम दूसरे कमरे में भी जाती हो तो तुम्हारी याद सताने लगती है.’’

संगीता की बातें सुन कर सभी सहेलियों के मुंह बनने लगे. एक ने तो कह भी दिया, ‘‘तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि इतना प्यार करने वाला पति मिला है. औरतें तरसती हैं इतने प्यार के लिए. तुम्हें मिल रहा है और तुम हो कि शिकायत कर रही हो.’’

दूसरी ने भी कहा, ‘‘बिलकुल सही बात है. क्या पता यह प्यार कब तक मिले. मैं ने तो सुना है कि जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है, प्यार कम होता है. तुम्हें तो अपने पति पर उन से भी ज्यादा प्यार लुटाना चाहिए. उन की सराहना करो, उन के लिए कुछ अच्छा पकाओ, उन के गुण गाओ.’’

‘‘तुम सब के लिए कहना आसान है, क्योंकि तुम मेरी स्थिति में नहीं हैं. विश्वास करो, ये सब बातें मैं अपना मन हलका करने के लिए कहती हूं, न कि कुछ जताने के लिए. माइ हसबैंड लव मी टू मच,’’ संगीता जब कभी अपने पति के प्यार के किस्से अपनी सहेलियों को सुनाती है तो वे सब रश्क करने लगती हैं. कुछ तो यह भी कहती हैं कि संगीता उन्हें जलाने के लिए ही ये मनगढ़ंत किस्से सुनाया करती है.

लेकिन संगीता जानती है कि उसे इन किस्सों को सुना कर खुशी नहीं होती है, उलटा उस के दिल का गुबार कुछ हलका हो जाता है.

क्या ‘टू मच लव’ होता है

प्यार की कोई सीमा नहीं होती, प्यार का कोई अंत नहीं होता जैसे जुमले हम सभी ने सुने हैं.

हम अकसर यह मानते हैं कि प्यार करो तो टूट कर करो, उस में डूब कर करो. लेकिन प्यार जरूरत से ज्यादा भी हो सकता है? शायद हां. हो सकता है कि जिसे हम प्यार समझते रहे हों, वह सामने वाले के लिए उस की निजता पर वार हो. प्यार करना और हावी हो जाने में अंतर होता है. हम प्यार के नाम पर सामने वाले की जिंदगी पर अपनी पकड़ को कसते चले जा सकते हैं और वह बेचारा शिकायत भी नहीं कर सकता, क्योंकि हम तो उस से प्यार करते हैं.

गायत्री का पति उस के हर निर्णय में अपनी मरजी चलाता है. चाहे उस के कपड़े हों, गहने हों, हेअर स्टाइल हो या फिर किस से दोस्ती करनी है, यह फैसला. कारण एक ही होता- मैं तुम से प्यार करता हूं, तुम्हारी चिंता करता हूं, तुम्हारी फिक्र रहती है मुझे, क्या तुम मेरी इतनी-सी बात भी नहीं मान सकतीं?

बेचारी गायत्री अपनी इच्छा से कुछ भी नहीं कर पाती, क्योंकि हर बात में उस के पति का ‘टू मच लव’ आढ़े आ जाता है.

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केस स्टडी

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के संबल जिले की शरिया अदालत में एक महिला ने अपनी 18 महीने की शादी रद्द करने की दरख्वास्त दी. कारण बताया गया-उस का पति उस से जरूरत से अधिक प्यार करता है. बिलकुल नहीं लड़ता है.

उस महिला का कहना था कि उसे अपने पति के बेइंतहा प्यार व लगाव से घुटन होती है. पति के अच्छे बरताव के कारण उस महिला की जिंदगी नर्क बन गई है, इसलिए उस ने इस शादी को तोड़ने का मन बनाया.

वह अपने पति से तंग आ चुकी है. उस का पति खाना पकाने में उस की मदद करता है, उस के साथ घर के काम करवाता है, कभी उस की किसी बात से नाराज नहीं होता है.

महिला ने तथाकथित रूप से कहा, ‘‘मैं झगड़े के एक दिन के लिए तरसती हूं, लेकिन मेरे रोमांटिक पति के साथ ऐसा होना नामुमकिन है जो हमेशा मुझे माफ कर देता है और आए दिन मुझ पर तोहफों की बारिश करता रहता है.

‘‘मुझे बहस करनी है, एक झगड़ा चाहिए, न कि बिना परेशानियों वाली जिंदगी.’’

जब उस के पति से पूछा गया तो उस का कहना था कि वह एक आदर्श और अच्छा पति बनना चाहता था, इसलिए अपनी पत्नी की हर बात मानता रहा.

हालांकि शरिया के मौलाना ने उस औरत की तलाक की दरख्वास्त को बेकार और बेहूदा बताते हुन्ए खारिज कर दिया. किंतु इस केस से यह बात सामने आई कि जिसे हम एक आदर्श स्थिति समझ लेते हैं, जरूरी नहीं कि हर पत्नी को वही चाहिए.

थोड़े शिकवे थोड़ी शिकायत

पूजा का पति भी इसी तरह उस की बात में हां में हां मिलाता है. वह कहती है, ‘‘मैं कहूं कि मुझे मायके जाना है तो कहते हैं ठीक है. जब कहोगी तब लेने आ जाऊंगा. मैं कहूं कि मुझे खाना नहीं बनाना तो कहते हैं कि ठीक है, बाहर से और्डर कर देते हैं. मैं कहूं कि मुझे तुम्हारे खर्राटे तंग करते हैं तो कहते हैं कि ठीक है, मैं दूसरे कमरे में सो जाऊंगा. लगता है जैसे इन का नाम ‘मिस्टर ठीक है’ होना चाहिए.

‘‘मैं कितनी भी बार एक ही बात कहूं, इन का जवाब एक ही होता है कि ठीक है, तंग आ गई हूं मैं. लगता है जैसे मैं बौस हूं और ये मेरे मुलजिम. बस हाथ जोड़े खड़े रहते हैं. पतिपत्नी को समतल प्लेटफौर्म पर होना चाहिए न. कभी झगड़ा हो तो जिंदगी में नमक का स्वाद भी आए. यह क्या हर समय बस मीठा ही मीठा.’’

इतनी समीपता किस काम की

जब से जयश्री के पति का वर्क फ्रौम होम शुरू हुआ तब से उस की मुसीबतें बढ़ गईं. पहले पति औफिस और बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद जयश्री अपना समय अपने हिसाब से गुजरती थी. कभी वौक पर जाती, कभी पुस्तक पढ़ती, कभी किसी सहेली के घर चली जाती, कभी कोई मूवी देखने बैठ जाती. लेकिन अब वर्क फ्रौम होम के चलते उस का पति हर समय उस के आसपास ही मंडराता रहता है. बच्चे तो औनलाइन क्लासेज में बिजी हो गए, पर पति वहीं बैठना चाहता है जहां जयश्री हो.

जयश्री कहती है, ‘‘जैसे ही मैं हिलती हूं, ये पूछने लगते हैं, कहां जा रही हो? उफ, अब क्या मैं टौयलेट भी पूछ कर जाऊं.’’

स्मिता के लिए भी उस के पति का हर समय पास होना कष्टदायक होता जा रहा है. उस के पति सैल्स डिपार्टमैंट में नौकरी करते हैं. वह कहती है, ‘‘औफिस में क्या हो रहा है, कौन क्या गेम खेल रहा है, कौन काम कर रहा है, कौन कामचोरी करता है… इन सब का कच्चाचिट्ठा मेरे पति मुझे सुनाते रहते हैं. मुझे इन सब में क्या इंटरैस्ट.

‘‘पर सबकुछ छोड़ कर मुझे उन की यह सारी बातों में अपना पूरा समय बेकार करना पड़ता है. जबकि मेरा मन करता है कि अपनी मनपसंद पत्रिका में छपी कहानियां व लेख पढ़ूं.’’

बीवी हूं बेटी नहीं

दिव्या का लिया हुआ कोई भी निर्णय उस के पति को गवारा नहीं होता. वह हर बात में यही कहता है कि तुम्हें नहीं पता आजकल दुनिया कितनी खराब है, सब लोग बेवकूफ बनाने के बहाने ढूंढ़ते रहते हैं, तुम ठहरीं घरेलू महिला. तुम्हें तो आसानी से उल्लू बना देंगे, आदि.

पति के अनुसार ऐसा वह दिव्या के प्यार में करता है. माना कि उस की चिंता प्यार का नतीजा है, परंतु ऐसे व्यवहार से दिव्या का आत्मविश्वास गिरता चला जा रहा है. क्या ऐसा प्यार पत्नी के लिए नुकसानदेह नहीं?

नीलिमा का पति उस के ऊपर तोहफों की बरसात करता रहता है. नीलिमा गलती से कह दे कि फलां की साड़ी कितनी सुंदर है या फिर मैं ने फलां जगह नहीं देखी, बस उस का पति आननफानन में उस की ख्वाहिश पूरी करने की जल्दबाजी में लग जाता है.

वह कहती है, ‘‘इस डर के मारे मैं किसी को कौंप्लिमैंट भी नहीं दे सकती कि मेरे पति फौरन वैसी ही वस्तु मेरे लिए ला देंगे. अरे यार, किसी चीज की प्रशंसा करने का अर्थ यह तो नहीं कि मुझे भी वह चीज चाहिए. पसंद आने का मतलब यह कैसे हो गया कि मुझे हर वह चीज चाहिए जो मुझे अच्छी लेगी.’’

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संभल कर रखें कदम

कोकिला की जब नईनई शादी हुई तब उस के पति उस से अच्छी कुकिंग किया करते थे. उन की ईगो बूस्ट करने के लिए कोकिला अकसर उन की प्रशंसा के पुल बांधती रहती, ‘‘इन के जैसे छोले तो मैं कभी बना ही नहीं सकती… इन के हाथ का हलवा खाने के बाद मुझे अपने हाथ का बिलकुल पसंद नहीं आता… इन से पावभाजी बनानी सीख तो लूं पर इन के हाथ जैसा स्वाद कहां से लाऊं.’’

ऐसी बातों से उस के पति फूले नहीं समाते थे, पर वहीं कुछ समय बाद ऐसा होने लगा कि वे कोकिला के हर पकवान में नुक्स निकालने लगे. उसे हर बार कोई न कोई टिप बताते, उसे बेहतर पकाने के नुसखे सिखाते. धीरेधीरे जब पूरा किचन कोकिला ने संभाल लिया तो वह भी उतना ही अच्छा खाना पकाने लगी. लेकिन शुरुआत में की गई गलती भारी पड़ने लगी. हर बार मेहमानों, ससुराल या मायके पक्ष या फिर दोस्तों के बीच पति द्वारा कोकिला के खाने में ‘ऐसे बनातीं तो और भी बढि़या बनता’ जैसे जुमलों से उसे कुढ़न होने लगी.

नहीं चाहिए इतना प्यार

प्यार से भी उकताहट हो सकती है. अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप,  कोई भी काम बहुत अधिक हो तो वह परेशान करने लगता है, फिर चाहे वह अच्छाई ही क्यों न हो. मैरिज काउंसलर प्रीति कहती हैं कि उन के पास एक केस आया था जहां पत्नी अपने पति के अत्यधिक प्यार से परेशान हो कर उन से सलाह लेने आई थी.

‘‘जब मैं सुबह औफिस के लिए जाने को तैयार हो रही होती हूं, तब मेरे पति मुझे पीछे से आ कर पकड़ लेते हैं और रोजाना लेट कर देते हैं. ऐसे ही जब मैं शाम को डिनर बना रही होती हूं तब भी मेरे पति का मुझे बांहों में भरना मुझे रास नहीं आता. हर चीज का अपना समय, अपनी जगह होती है.

रोज ये हरकतें मुझे इरिटेट करने लगी हैं. हालांकि शादी की शुरुआत में उन की बातें मुझे 7वें आसमान पर बैठा दिया करती थीं, पर अब उन की इन्हीं हरकतों पर मुझे कोफ्त होने लगी है. मेरी नजरों में प्यार वह है कि मेरे पति मेरा हाथ बंटाएं, मेरे कामों में मेरी मदद करें न कि केवल कोरा प्यार दर्शाते रहें. लेकिन वहीं मुझे ऐसा लगता है कि मैं स्वार्थी हो रही हूं. वह तो मुझ से प्यार करते हैं और मैं हूं कि शिकायत कर रही हूं.’’

मैरिज काउंसलर की सलाह

अकसर मैरिज काउंसलिंग में पतिपत्नी दोनों की एकसाथ काउंसलिंग की जाती है, किंतु इस मामले में प्रीति ने ऐसा नहीं किया. उन का सोचना था कि ज्यादा प्यार करने के लिए काउंसलर के पास जाना शायद पति को अखरेगा. दूसरी तरफ यह बात भी सच है कि जिन आदतों से हम अपने जीवनसाथी के प्रति आकर्षित होते हैं, अकसर उन्हीं के कारण हम बाद में खीजने लगते हैं.

प्रीति ने पत्नी को सलाह दी कि अपने मन से यह खयाल निकाल दें कि आप स्वार्थी हो रही हैं या फिर कृतघ्न बन रही हैं. जो प्यार आप के लिए पहले आकर्षण का केंद्र था, अब वही आप को घुटन देने लगा है, तो इस का इलाज यह हो सकता है कि आप इस विषय में अपने पति से खुल कर बात करें. आप क्या चाहती हैं, अपनी इच्छाएं, अपने सपने अपने पति से बांटिए ताकि उन्हें पता चल सके कि वाकई में उन की पत्नी क्या चाहती है.

मन के अंदर कुढ़ते रहने से रिश्ता खराब होता चला जाता है. बेहतरी इसी में है कि आप खुल कर संवाद करें और उन्हें अपने मुताबिक प्यार करने का मौका दें.

प्रीति कहती हैं कि ज्यादा प्यार करने में कोई नुकसान नहीं है. बस, दोनों पार्टनर्स को एकदूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए. कुछ लोगों को हर समय अपने पार्टनर की कंपनी चाहिए होती है तो कुछ एकांतप्रिय होते हैं. कुछ को बहुत सारी बातें करना भाता है तो कुछ शांति से कुछ पढ़ना या संगीत सुनना चाहते हैं.

शादीशुदा जीवन में भी हमें अपने पार्टनर द्वारा खींची रेखाओं का आदर करना आना चाहिए. वही असली प्यार है.

साफ बात करने में भलाई

निशा ने अपने पति से न सिर्फ इस विषय में बात की, बल्कि अपनी अलग हौबी भी शुरू कर दी. अब जब भी उस के पति का प्यार उस पर हावी होने लगता है, वह अपने पति से कहती है कि उसे अपनी हौबी करने की इच्छा है और वह चित्रकारी करने दूसरे कमरे में चली जाती है.

निशा की देखादेखी उस की सहेली टीना ने भी बागबानी की अपनी हौबी को अपने किचन गार्डन में विकसित कर लिया है. टीना खुश हो कर बताती है कि अपने पौधों के साथ समय व्यतीत कर के वो फ्रैश महसूस करती है और  पति की अत्यधिक निकटता से थोड़ी फ्रैश एअर भी ले लेती है.

निशा कहती है कि जब उस ने अपने पति से इस विषय में बात की तो वो आहत हो गए. उन का कहना था कि बीवियां तो प्यार के लिए तरसती हैं और तुम हो कि इस बात के लिए मुंह बना रही हो कि मैं तुम से बहुत ज्यादा प्यार  करता हूं.

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निशा को पति को समझने में 2 दिन का समय लगा. मैं ने उन्हें कई उदाहरण दे कर बताया कि उन का प्यार दरअसल में उन की असुरक्षा की भावना है, जो मुझ में नहीं है और इसलिए मैं उन्हें पूरी फ्रीडम और टाइम देती हूं. मेरे लिए उन के साथ चौबीसों घंटे चिपके रहना प्यार नहीं है, बल्कि मेरी सोच यह है कि थोड़ी देर की दूरी से प्यार और बढ़ता है.

हम दोनों यदि कुछ देर अलग रहें, अन्य लोगों से मिलें तो हमारे पास एकदूसरे से करने के लिए और भी कई बातें होंगी. मेरी यह बात उन्हें समझ आ गई और उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव लाना शुरू कर दिया.’’

यह बात सही है कि हर रिश्ते को थोड़ी ब्रीदिंग स्पेस चाहिए होती है. मनोचिकित्सक डा. शशांक का कहना है कि पतिपत्नी का एकदूसरे से कुछ दूरी बनाने से उन के रिश्ते में ताजगी आती है. तभी तो मायके से लौटी पत्नी और भी प्यारी लगती है. पति और पत्नी को अपने दोस्तों की अलगअलग मंडलियों से भी मेलजोल रखना चाहिए.जीवनसाथी के अलावा जिंदगी में दोस्तों की जगह बेहद जरूरी है.

दूसरे रिश्तों की कमी के कारण पतिपत्नी का रिश्ता बासा होने लगता है. एकदूसरे पर ज्यादा हावी होने से रिश्ते में खटास आने लगती है.

सब को अपनी स्पेस चाहिए, चाहे वह पति हो, पत्नी हो या फिर बच्चे. पतिपत्नी के रिश्ते में दोनों एक ही प्लेटफौर्म पर खड़े हैं. ऐसे में दोनों को चाहिए कि एकदूसरे की भावनाओं व इच्छाओं का सम्मान करें. एकदूसरे को अपनी मरजी के अनुसार जीने दें. कहीं प्यार के नाम पर आप अपने पार्टनर को कुचल तो नहीं रहे,

इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है. कई बार प्यार इतना हावी होने लगता है कि उस के नीचे दम घुटने लगता है. यह बात रिश्ते के लिए बिलकुल  अच्छी नहीं.

कैसे लें अपने प्रेमी की परीक्षा

विभा सूरज के प्यार में पागल थी. दोनों करीब 2 साल से रिलेशनशिप में थे जबकि विभा की मां को सूरज पसंद नहीं था. उन्होंने विभा को कई बार समझाया था कि सूरज का साथ छोड़ दे. मगर विभा हमेशा मां की बात इग्नोर कर देती. इधर सूरज विभा को अपने हिसाब से चलाता. विभा को क्या पहनना चाहिए, किस से दोस्ती करनी चाहिए, कैसे रहना चाहिए जैसी बातों का भी हिसाब वही रखता. विभा प्यार में थी इसलिए उस की हर बात विभा को अच्छी लगती. इतना ही नहीं बाहर जब भी खाने का प्रोग्राम बनता तो किसी न किसी बहाने से वह विभा के रुपए ही खर्च कराता. विभा जौब करती थी और उस के पास रुपयों की कमी नहीं थी. सो वह इन बातों की चिंता नहीं करती थी. उसे बस सूरज का साथ चाहिए होता था.

इस बीच एक दिन सूरज ने यह कह कर विभा से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए कि उसे यह रकम किसी जरूरी काम के लिए अर्जेंटली चाहिए. विभा ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और रुपए दे दिए. उस के दोचार दिन बाद से ही सूरज ने विभा से मिलना कम कर दिया और फिर बिल्कुल ही गायब हो गया. विभा उस का फोन ट्राई करती तो कभी नौट रीचेबल और कभी स्विच ऑफ बताता. विभा समझ ही नहीं पा रही थी कि सूरज के साथ क्या हो गया. उसे डर लग रहा था कि कहीं वह किसी अनहोनी का शिकार तो नहीं हो गया. सूरज ने उसे बता रखा था कि वह किस कंपनी में और किस पद पर काम करता है. विभा सूरज के बताए उस एड्रेस पर पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई भी शख्स वहां काम नहीं करता. विभा को समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. सूरज उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता था.

जैसा विभा के साथ हुआ वैसा किसी के भी साथ हो सकता है. ऐसे फ़्रौड लड़कों की कमी नहीं जो लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर रूपए ऐंठते हैं, शारीरिक शोषण करते हैं या फिर एक ही समय में कई लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में होते हैं.

वस्तुतः प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्रेमी का साथ पा कर इंसान अपनी हर तकलीफ़ भूल जाता है. मगर कई दफा आप सोच भी नहीं पाते कि कब आप का प्रेमी आप को धोखा दे जाए या अकेला छोड़ जाए. आप का प्रेमी किस तरह का इंसान है और कितना साथ दे पाएगा यह जानने के लिए कुछ इस तरह से उस की परीक्षा ले सकती हैं,

1. अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और देखें कि वह खंगालता तो नहीं

प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए सब से बेहतर उपाय यह है कि उस के पास अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और आसपास ही या दूसरे कमरे में जा कर काम में व्यस्त होने का अभिनय करें. फिर छिप कर उस पर नजर रखें और देखें कि क्या वह मौका पा कर जल्दीजल्दी आप का मोबाइल चेक करने लगता है? क्या वह आप के कांटेक्टस, कॉल हिस्ट्री, मैसेज या फेसबुक वगैरह चेक करने लगा है और आप के आते ही जल्दी से फोन नीचे रख देता है? यदि ऐसा है तो तय मानिए कि उसे आप पर तनिक भी भरोसा नहीं. वह आप पर शक करता है. याद रखें जहां शक है वहां प्यार नहीं होता. ऐसा व्यक्ति छोटी सी बात पर भी आप को बात सुनाने या लड़ाईझगड़े करने से बाज नहीं आएगा. ऐसे प्रेमी से दूरी रखने में ही भलाई है.

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2. अकेले में घर बुलाएं और देखें कि क्या वह सेक्स ही चाहता है कुछ और नहीं

आप से प्रेम करने वाले शख्स के लिए आप और आप की खुशी महत्वपूर्ण होगी न कि सेक्स. वह आप का प्यार जीतना चाहेगा. हर तरह से करीब आना और खुशी देना चाहेगा. मगर करीब आने का मतलब केवल सेक्स ही नहीं होता. एक बार अपने प्रेमी को अकेले घर में बुला कर देखें. अकेले में उस का व्यवहार देख कर आप समझ सकेंगी कि उस के दिमाग में क्या चलता है. वह सिर्फ शरीर की भूख शांत करने पर उतारू हो जाता है या फिर आप के पास बैठ कर सुखदुख की बातें करता है, नईनई चीजें बना कर खाता है, आप का साथ एंजॉय करता है, अपना फ्यूचर डिसकस करता है और कुछ खूबसूरत रोमांस भरे हल्केफुल्के पल जीता है? जिसे इंसान प्यार करता है उस के साथ सेक्स की रजामंदी भी देता है. मगर वह प्यार की अंतिम सीमा है. शुरुआत में ही उसी मकसद को पाने की चाहत यह दिखाती है कि वह वास्तव में आप से जुड़ नहीं सका है. वह सिर्फ शारीरिक सुख के लिए ही आप को प्यार के सपने दिखा रहा है. जो लड़के अकेला घर मिलते ही प्रेमिका पर शारीरिक संबंध का दबाव डालने लगते हैं अक्सर प्यार की असली परीक्षा में फेल हो जाते हैं.

3. उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे और बढ़िया बहाना बना कर देखें कि वह नाराज़ तो नहीं

आप अपने प्रेमी का प्यार परखने के लिए एक उपाय यह आजमा सकती हैं कि उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे. उस के द्वारा फोन करने पर कोई अच्छा सा बहाना बना दें मसलन मम्मी की तबीयत ठीक नहीं या फिर आप को कोई अर्जेंट काम से कहीं जाना पड़ा है. ऐसे में उस के रिएक्शन पर गौर करें. यदि वह गुस्सा हो जाता है और फोन पर ही आप को बातें सुनाने लगता है या फिर बाद में मिलने पर ताने देता है तो समझ जाइए कि वह आप के प्रति उदार नहीं है. उसे लगता है जैसे आप से प्यार कर वह कोई एहसान कर रहा है. आप के द्वारा थोड़ी सी भी लापरवाही से वह चिढ़ रहा है तो ऐसे में जाहिर है कि वह शख्स सही अर्थों में आप से प्यार नहीं करता. प्यार करने वाला बंदा अपनी सुविधा के बजाय आप की सुविधा का ख्याल पहले रखेगा. वह समझेगा कि यदि आप नहीं आ सकीं तो इस के पीछे आप की मजबूरी होगी न कि लापरवाही. यदि आप का प्रेमी शांति से आप की समस्या सुनता है. मदद करने और ध्यान रखने की बात कह कर बिना कोई नाराजगी जताए फोन काट देता है. बाद में भी इस घटना को ले कर कोई बात नहीं सुनाता है तो समझ जाइए कि आप का प्रेमी धैर्यवान और अंडरस्टैंडिंग नेचर का है जो दो लोगों के बीच मजबूत रिश्ते के लिए जरूरी क्वालिटीज हैं.

4. गंभीर बीमारी या गर्भ ठहरने जैसे बहाने बनाएं और देखें कि वह भागता है, टालता है या साथ चलता है.

मान लीजिए कि आप की अपने प्रेमी के साथ टयूनिंग काफी अच्छी है. मगर याद रखिए इतना ही काफी नहीं है. आप को उस की परीक्षा लेनी चाहिए कि वह मुसीबत के समय आप का साथ देता है या नहीं. आप उस से अपनी किसी गंभीर बीमारी का जिक्र करें और देखें कि उस का प्यार आप के लिए वैसा ही कायम है या नहीं? वह आप को हर संभव मदद का आश्वासन देता है या फिर इग्नोर कर देता है?

इसी तरह आप उसे झूठ कह सकती है कि आप प्रैग्नैंट हैं. यह सुन कर उस का रिएक्शन क्या होता है इस पर गौर करें. क्या वह यह बात सुनते ही भाग खड़ा होता है और आप को इग्नोर करने लगता है या फिर कुछ जरूरी काम के बहाने बना कर दूरी बना लेता है? आप साथ हॉस्पिटल चलने को कहती हैं तो क्या वह साथ चलता है या फिर टालता रहता है? उस की इन हरकतों के आधार पर आप आसानी से समझ सकती हैं कि उस का वास्तविक रूप क्या है और वह क्या इंटेंशन रखता है. वह एक जिम्मेदार प्रेमी है या फिर आप के पास केवल मजे लेने या टाइम पास करने के उद्देश्य से आता है

5. अपनी किसी खूबसूरत सहेली से उस की दोस्ती करा कर देखिए

आप अपनी किसी ऐसी सहेली से अपने प्रेमी की दोस्ती कराएं जो दिखने में खूबसूरत और स्मार्ट होने के साथ ही आप की विश्वासपात्र भी हो. सहेली से कहिए कि वह प्रेमी के करीब जाए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास करे. यदि आप के प्रेमी पर इस का कोई असर नहीं पड़ता और वह डबल गेम नहीं खेलता तो आप निश्चिंत हो सकती हैं. पर यदि उस की हरकतें कुछ और बयां करती हैं और वह चोरीछिपे उस लड़की पर भी लाइन मारने का प्रयास करता है तो समझ जाइए कि वह कभी भी आप को धोखा दे सकता है. इस परिस्थिति में यह भी संभव है कि आप की सहेली भी उस की तरफ आकर्षित हो जाए और दोनों मिल कर आप को धोखा दें. ऐसे में भी आप के लिए फैसला लेना आसान हो जाएगा कि उस प्रेमी पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं. साथ ही एक धोखेबाज सहेली का असली चेहरा भी सामने आ जाएगा.

6. यदि संबंध है तो तीनचार बार मना कर के देखें कि वह नाराज तो नहीं होता

मान लीजिए कि आप काफी समय से दूसरे को जानते हैं और थोड़े समय बाद आपसी सहमति से आप के बीच संबंध भी बन गए हैं और अब यह आप की दैनिक आदत बन चुकी है. आप दोनों ही प्यार के इस रूप को एंजॉय कर रहे हैं मगर ऐसे में एक बार यह जरूर परखने की कोशिश कीजिए कि शारीरिक रिश्ते के अलावा भी वह आप से प्यार करता है या नहीं? मन से कोई जुड़ाव है या नहीं? वह आप की खुशी या गम से सरोकार रखता है या नहीं? इस के लिए किसी बहाने से तीनचार बार सेक्स के लिए मना कर के उस का रिएक्शन देखें. क्या वह आप के इंकार करने पर नाराज हो जाता है और आप पर झल्लाने लगता है या छोड़ कर चला जाता है? यदि ऐसा है तो जाहिर है कि उसे आप से सच्चा प्यार नहीं. वह आप को यूज़ कर रहा है.

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7. उस की बहन या मां से अकेले में मिलें और पता करें कि वह आप के बारे में झूठ सच क्या कहता है

आप कभी कोशिश कर के उस की मां और बहन से अकेले में मिलें, उन से बातें करें और पता लगाने का प्रयास करें कि वह उन से आप के बारे में किस तरह की बातें करता है? उस ने आप की अच्छाइयां बढ़ाचढ़ा कर बताई हैं या झूठसच बातें सुनाई हैं? उन की बहन या मां की आप के बारे में क्या राय है उस पर भी ध्यान दें क्यों कि उन की राय बेटे द्वारा बताई गई बातों के आधार पर ही बनी होगी.

8. कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और रात में 12 बजे मांगें

आप अपने प्रेमी की ईमानदारी और लगाव की परीक्षा लेने का प्रयास करें. अक्सर पैसे रिश्तों के बीच में आ जाते हैं. कुछ लोग हमेशा पैसे को सब से ऊपर रखते हैं. ऐसे लोग विश्वास के योग्य नहीं होते, आप अपने प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और थोड़े अरसे बाद रात में 12 बजे वे रूपए माँगें. अब देखिए कि वह क्या करता है. क्या वह आप के लिए रात में भी रूपए ले कर आ जाता है या फिर उन रुपयों को हड़प जाता है, रुपयों के मामले में हेरफेर करता है और बहाने बनाता है? यदि वह आप से सही अर्थों में प्यार करता है तो एकएक पैसे को ले कर ईमानदारी बरतेगा. रकम कितनी भी हो वह किसी भी तरह का हेरफेर नहीं करेगा. आप जब कहेंगी तब रुपए ले कर पहुंच जाएगा. प्रेमी की ईमानदारी उस का आप के लिए एक बेहतरीन जीवनसाथी बनने का एक महत्वपूर्ण सबूत है.

9. प्रेमी के किसी गहरे दोस्त के साथ नाम बदल कर दोस्ती करें

आप अपने प्रेमी के किसी खास दोस्त के साथ नाम बदल कर फोन फ्रेंडशिप कर सकती हैं या फिर उसे अपने विश्वास में ले कर प्रेमी के राज जानने का का प्रयास कर सकती हैं. लड़के दोस्तों के आगे हर बात खुल कर बोलते हैं. समझदारी से काम लें तो प्रेमी के दोस्त के जरिए आप यह पता लगा सकेंगी कि वह वास्तव में आप के बारे में क्या सोचता है.

उम्मीदों के बोझ तले रिश्ते

रिश्ता कोई भी हो उसमें उम्मीदें अपने आप पनपने लगती हैं. उम्मीदों पर खरा उतर गए तो रिश्ता गहराने लगता है वरना दरारों में देर नहीं लगती. कुछ रिश्ते जन्म से जुड़े होते हैं जहां कई दफा लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता. लेकिन उनका क्या जो बीच सफर में जुड़े वो भी जीवन भर के लिए. जब बात हो पति पत्नि के रिश्ते की तो उम्मीदें कई बार सामान्य से ज्यादा हो जाती हैं. उम्मीदें स्वाभाविक हैं लेकिन यही दुख का बड़ा कारण भी. यानि जितनी ज्यादा उम्मीद उतना बड़ा दुख. रिश्तों की कामयाबी के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है. इनमें ये भी शामिल है कि आप अपने साथी के लिए क्या करते हैं और बदले में क्या उम्मीद रखते हैं. लेकिन ये किस हद तक ठीक है जिससे रिश्ता खूबसूरती से आगे बढ़ता चले ये बात भी मायने रखती है. इसका एक आसान फॉर्मुला है 80/20.

क्या है 80/20?

रिश्ते की डोर दोनों साथी थामें हैं. यानि उम्मीदें दोनो ओर से हैं. ऐसे में तकरार से बचने के लिए 80/20 का फॉर्मुला आपके काम आ सकता है. यहां आपको खुद की उम्मीदों से अपने साथी को 20 प्रतिशत की रिहायत देने की जरूरत है. बचा 80 प्रतिशत उनको आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का मौका देगा और आपको रिश्ते में संतुष्टी का अहसास होगा. एक बात आपको समझने की जरूरत है सौ प्रतिशत कुछ भी संभव नहीं, फिर इंसानी गलतियां कुछ हद्द तक नजरअंदाज किए बिना कैसे निभाया जा सकता है? इसलिए ये बीस प्रतिशत की रियायत आपके साथी को भी खुलेपन का अनुभव होने देगी और आपको शिकायत का कम मौका मिलेगा.

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जानकारों की मानें तो

80/20 का फॉर्मुला जानकारों का सुझाया हुआ है. शोध बताते हैं कि ज्यादा उम्मीद रखने वाले साथियों में तकरार की स्थिति अधिक बनी रहती है. इसलिए जानकारों का मानना है कि रिश्ते की मिठास को बनाए रखने के लिए उम्मीदों के बोझ को कम करना बेहद जरूरी है. जानकार ही नहीं बड़े बुजुर्गों से भी अक्सर यही नसीहत मिलती है कि जितनी उम्मीदें कम उतनी खुशियां ज्यादा. इसलिए इस फॉर्मुला को लागू करने के लिए जरूरी है कि आप खुद को और अपने साथी को स्पेस दें.

डॉ अमूल्य सेठ, साइकैटरिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

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