रिश्तों में थोड़ी दूरी है जरूरी

24 वर्षीय राखी (बदला हुआ नाम) को अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हो गया. खूबसूरत राखी सदमे में है. उस के साथ जो हादसा हुआ वह वाकई अप्रत्याशित था. तेजाबी हमला केवल शरीर को ही नहीं झुलसाता, बल्कि मन पर भी फफोले छोड़ जाता है. इस के दर्द से छुटकारा पाने में कभीकभी जिंदगी गुजर जाती है.

ऐसा भी नहीं है कि राखी ने हिम्मत हार ली हो, बल्कि अच्छी बात यह है कि वह अपनी तरफ से इस हादसे से उबरने की पूरी कोशिश कर रही है. उसे जरूरत है, तो एक अच्छे माहौल, सहयोग और सहारे की, जो उस की हिम्मत बनाए रखे.

अल्हड़ और चंचल राखी भोपाल करीब 7 साल पहले पढ़ने के लिए सिवनी से आई थी, तो उस के मन में खुशी के साथसाथ उत्साह और रोमांच भी था. उस की बड़ी बहन भी भोपाल के एक नर्सिंग कालेज में पढ़ रही थी.

राखी के पिता उसे पढ़ालिखा कर काबिल बनाना चाहते थे, क्योंकि बदलते वक्त को उन्होंने सिवनी जैसे छोटे शहर में रहते भी भांप लिया था कि लड़कियों को अच्छा घरवर और नौकरी मिले, इस के लिए जरूरी है कि वे खूब पढ़ेंलिखें. इस बाबत कोई कमी उन्होंने अपनी तरफ से नहीं छोड़ी थी. लड़कियों को अकेले छोड़ने पर दूसरे अभिभावकों की तरह यह सोचते हुए उन्होंने खुद को तसल्ली दे दी थी कि अब जमाना लड़कियों का है और शहरों में उन्हें कोई खतरा नहीं है बशर्ते वे अपनी तरफ से कोई गलती न करें.

अपनी बेटियों पर उन्हें भरोसा था, तो इस की एक वजह उन की संस्कारित परवरिश भी थी. वैसे भी राखी समझदार थी. उसे नए जमाने के तौरतरीकों का अंदाजा था. उसे मालूम था कि अपना लक्ष्य सामने रख कर कदम बढ़ाने हैं. इसीलिए किसी तरह की परेशानी या भटकाव का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसा हुआ भी. देखते ही देखते राखी ने बीई की डिग्री ले ली. भोपाल का माहौल उसे समझ आने लगा था कि थोड़ा खुलापन व एक हद तक लड़केलड़कियों की दोस्ती बुरी नहीं, बल्कि बेहद आम और जरूरी हो चली है. दूसरी मध्यवर्गीय लड़कियों की तरह उस ने अपनी तरफ से पूरा एहतियात बरता था कि ऐसा कोई काम न करे जिस से मांबाप की मेहनत, उम्मीदें और प्रतिष्ठा पर आंच आए. इस में वह कामयाब भी रही थी.

डिग्री लेने के बाद नौकरी के लिए राखी को ज्यादा भटकना नहीं पड़ा. उसे जल्द ही भोपाल के एक पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर के पद पर नियुक्ति मिली, तो खुशी से झूम उठी. कोई सपना जब साकार हो जाता है, तो उस की खुशी क्या होती है, यह राखी से बेहतर शायद ही कोई बता पाए. हालांकि तनख्वाह ज्यादा नहीं थी, पर इतनी तो थी कि वह अब अपना खर्चा खुद उठा पाए और कुछ पैसा जमा भी कर सके.

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राखी बहुत खुश थी कि अब अपने पिता का हाथ बंटा पाएगी जो न केवल सिवनी, बल्कि पूरे समाज व रिश्तेदारी में बड़े गर्व से बताते रहते हैं कि एक बेटी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने वाली है, तो दूसरी पौलिटैक्निक कालेज में लैक्चरर बन गई है. उस के पिता का परंपरागत व्यवसाय टेलरिंग और सिलाई मशीनों का है, जिस से आमदनी तो ठीकठाक हो जाती है पर इस में खास इज्जत नहीं है. अब उस के पिता गर्व से सिर उठा कर कहते हैं कि बेटियां भी बेटों की तरह नाम ऊंचा करने लगी हैं. बस उन्हें मौका व सुविधाएं मिलनी चाहिए.

अब राखी ने भोपाल के पौश इलाके की अरेरा कालोनी में किराए का कमरा ले लिया. उस के मकानमालिक एसपी सिंह इलाहाबाद बैंक में मैनेजर हैं. उन की पत्नी दलबीर कौर देओल से राखी की अच्छी पटने लगी थी. अपने हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के चलते जल्द ही महल्ले वाले भी उस के कायल हो गए थे, क्योंकि राखी अपने काम से काम रखती थी.

फिर कहां चूक हुई

पर राखी की जिंदगी में सब कुछ ठीकठाक नहीं था. तमाम एहतियात बरततेबरतते भी एक चूक उस से हो गई थी, जिस का खमियाजा वह अभी तक भुगत रही है.

हुआ यों कि राखी 2 साल पहले अपनी चचेरी बहन की शादी में गई थी. वहां अपने हंसमुख स्वभाव के कारण घराती और बराती सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई. चूंकि वह अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझती थी, इसलिए शादी के कई काम उसे सौंप दिए गए. बाहर पढ़ रही लड़कियां ऐसे ही मौकों पर अपने तमाम रिश्तेदारों और समाज के दूसरे लोगों से मिल पाती हैं. ऐसे समारोहों में नए लोगों से भी परिचय होता है.

शादी के भागदौड़ भरे माहौल में किसी ने उसे अपनी कजिन के जेठ से मिलवाया तो राखी ने उन्हें सम्मान देते हुए बड़े जीजू संबोधन दिया और पूरे शिष्टाचार से उन से बातचीत की. पर राखी को उस वक्त कतई अंदाजा नहीं था कि बड़े जीजू, जिस का नाम त्रिलोकचंद है नौसिखिए और नएनए लड़कों की तरह उस पर पहली ही मुलाकात में लट्टू हो गया है. लव ऐट फर्स्ट साइट यह राखी ने सुना जरूर था पर ऐसा उस के साथ वह भी इस रिश्ते में और इन हालात में होगा, उसे यह एहसास कतई नहीं था.

हंसतेखेलते मस्ती भरे माहौल में शादी संपन्न हो गई. राखी वापस भोपाल आ गई. लेकिन पूरी शादी के दौरान त्रिलोकचंद उस के पीछे जीजासाली के रिश्ते की आड़ में पड़ा रहा, तो उस ने इसे अन्यथा नहीं लिया, क्योंकि शादियों में ऐसा होता रहता है और फिर अपनेअपने घर जा कर सब अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. दोबारा मुद्दत बाद ही ऐसे किसी फंक्शन में मिलते हैं.

लेकिन त्रिलोकचंद राखी को नहीं भूल पाया. वह रिश्ते की इस शोख चुलबुली साली को देख यह भूल गया कि वह 2 बच्चों का बाप और जिम्मेदार कारोबारी है. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ शहर में उस की मोबाइल की दुकान है.

भोपाल आए 3-4 दिन ही गुजरे थे कि राखी के मोबाइल पर त्रिलोकचंद का फोन आया, जिसे शिष्टाचार के नाते वह अनदेखा नहीं कर सकी. बातचीत हुई फिर हलका हंसीमजाक हुआ जीजासालियों जैसा. तब भी राखी ताड़ नहीं पाई कि त्रिलोकचंद की असल मंशा क्या है.

धीरेधीरे त्रिलोकचंद के रोज फोन आने लगे. वह बातें भी बड़ी मजेदार करता था, जो राखी को बुरी नहीं लगती थीं. इन्हीं बातों में कभीकभी वह राखी की खूबसूरती की भी तारीफ कर देता, तो उसे बड़ा सुखद एहसास होता था. लेकिन यह तारीफ एक खास मकसद से की जा रही है, यह वह नहीं समझ पाई.

धीरेधीरे राखी त्रिलोकचंद से काफी खुल गई. तब वह खुल कर बातें करने लगी. यही वह मुकाम था जहां वह अपने सोचनेसमझने की ताकत खो चुकी थी. अपने बहनोई से बौयफ्रैंड की तरह बातें करना कितना बड़ा खतरा साबित होने वाला है यह वह नहीं सोच पाई. उलटे उसे इन बातों में मजा आने लगा था.

यों ही बातचीत में एक दिन त्रिलोकचंद ने उसे बताया कि वह कारोबार के सिलसिले में भोपाल आ रहा है और उस से मिलना चाहता है तो राखी ने तुरंत हां कह दी, क्योंकि अब इतनी और ऐसी बातें जीजासाली के बीच हो चुकी थीं कि उस में न मिलने की कोई वजह नहीं रही थी.

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त्रिलोकचंद भोपाल आया तो राखी के लिए यह एक नए किस्म का अनुभव था. वह बड़े जीजू के साथ घूमीफिरी, होटलों में खायापीया और जो बातें कल तक फोन पर होती थीं वे आमनेसामने हुईं, तो उस की रहीसही झिझक भी जाती रही. अब वह पूरी तरह से त्रिलोकचंद को अपना दोस्त और हमदर्द मानने लगी थी.

जब बात समझ आई

अब त्रिलोकचंद हर महीने 700 किलोमीटर दूर डोंगरगढ़ से भोपाल राखी से मिलने आने लगा, तो राखी की यह समझ आने में कोई वजह नहीं रह गई थी कि कारोबार तो बहाना है. बड़े जीजू सिर्फ उस से मिलने आते हैं. इस से उस के दिल में गुदगुदी होने लगी कि कोई उस पर इस हद तक मरता है.

हर महीने त्रिलोकचंद भोपाल आता और राखी पर दिल खोल कर पैसे खर्च करता. शौपिंग कराता, घुमाताफिराता. 2-3 दिन रुक कर चला जाता. राखी उस से प्यार नहीं करने लगी थी पर यह तो समझने लगी थी कि त्रिलोकचंद सिर्फ उस के लिए भोपाल आता है. अब उसे उस के साथ स्वच्छंद घूमनेफिरने और बतियाने में कोई झिझक महसूस नहीं होती थी.

दुनिया देख चुके त्रिलोकचंद ने जब देखा कि राखी उस के जाल में फंस चुकी है, तो एक दिन उस ने बहुत स्पष्ट कहा कि राखी मैं तुम से प्यार करने लगा हूं और अपनी पत्नी को तलाक दे कर तुम से शादी करना चाहता हूं. अब मेरी ख्वाहिशों और जिंदगी का फैसला तुम्हारे हाथ में है.

इतना सुनना था कि राखी के पैरों तले की जमीन खिसक गई. जिस मौजमस्ती, दोस्ती और बातचीत को वह हलके में ले रही थी उस की वजह अब जब उस की समझ में आई तो घबरा उठी, क्योंकि त्रिलोकचंद के स्वभाव को वह काफी नजदीक से समझने लगी थी.

इस प्रस्ताव पर सकते में आ गई राखी तुरंत न नहीं कह पाई तो त्रिलोकचंद के हौसले बुलंद होने लगे. उसे अपनी मुराद पूरी होती नजर आने लगी. उसे उम्मीद थी कि देरसवेर राखी हां कह ही देगी, क्योंकि लड़कियां शुरू में इसी तरह चुप रहती हैं.

अब राखी नौकरी करते हुए एक नई जिम्मेदारी से रूबरू हो रही थी, जिस में सम्मान भी था और कालेज की प्रतिष्ठा भी उस से जुड़ गई थी. अब वह अल्हड़ लड़की से जिम्मेदार टीचर में तबदील हो रही थी. उस का उठनाबैठना समाज के प्रतिष्ठित लोगों से हो चला था.

अब उसे त्रिलोकचंद की पेशकश अपने रुतबे के मुकाबले छोटी लग रही थी, साथ ही रिश्तेदारी के लिहाज से भी यह बात रास नहीं आ रही थी. लेकिन दिक्कत यह थी कि अपने इस गले पड़े आशिक से एकदम वह खुद को अलग भी नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उसे जरूरत से ज्यादा मुंह भी उस ने ही लगाया था.

जून महीने के पहले हफ्ते से ही त्रिलोकचंद राखी के पीछे पड़ गया था कि इस बार दोनों जन्मदिन एकसाथ मनाएंगे. राखी का जन्मदिन 21 जून को था और उस का 22 जून को. कल तक जो बड़ा जीजू शुभचिंतक और प्रिय लगता था वह एकाएक गले की फांस बन गया तो राखी की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे. अब वह फोन पर पहले जैसी इधरउधर की ज्यादा बातें नहीं करती थी और कोशिश करती कि जल्द बात खत्म हो.

इस बदलाव को त्रिलोकचंद समझ रहा था. वह चिंतित रहने लगा था. लिहाजा वह 17 जून को मोटरसाइकिल से डोंगरगढ़ से भोपाल आया और कारोबारी इलाके एम.पी. नगर के एक होटल में ठहरा. उस के इरादे नेक नहीं थे. वह आर या पार का फैसला करने आया था. इस के लिए वह अपने एक दोस्त राहुल तिवारी को भी साथ लाया था.

तेजाबी हमला

18 जून की सुबह राखी रोज की तरह कालेज जाने को तैयार हो रही थी. तभी त्रिलोकचंद का फोन आया और उस ने बर्थडे साथ मनाने की बाबत पूछा तो राखी ने उसे टरका दिया. उसे अंदाजा ही नहीं था कि त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ नहीं, बल्कि भोपाल में ही है और रात को अपने साथी सहित उस के आनेजाने के रास्ते की रैकी कर चुका है.

राखी का जवाब सुन कर उसे समझ आ गया कि अब वह नहीं मानेगी. तब एक खतरनाक फैसला उस ने ले लिया. सुबह करीब 9 बजे जब राखी घर से कालेज जाने के लिए बसस्टौप पैदल जा रही थी. तभी एक मोटरसाइकिल उस के पास आ कर रुकी, जिसे राहुल चला रहा था. उस के पीछे बुरके में एक औरत बैठी थी. राहुल को राखी नहीं पहचानती थी. राहुल जैसे ही राखी से पता पूछने लगा पीछे बुरके में बैठे त्रिलोकचंद ने उस के ऊपर तेजाब फेंक दिया और फिर मोटरसाइकिल तेज गति से चली गई.

तेजाब की जलन से राखी चिल्लाते हुए घर की तरफ भागी. तेजाब की जलन से बचने के लिए उस ने दौड़तेदौड़ते अपने कपड़े उतार दिए. उस की चिल्लाहट सुन कर लोगों ने उसे देखा जरूर पर मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. आखिरकार एक परिचित महिला उषा मिश्रा ने उसे पहचाना और सहारा दिया. मकानमालकिन की मदद से वे उसे अस्पताल ले गईं. सारे शहर में खबर फैल गई कि एक लैक्चरर पर ऐसिड अटैक हुआ.

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नाटकीय तरीके से त्रिलोकचंद डोंगरगढ़ में गिरफ्तार हुआ और उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. फिर सारी कहानी सामने आई. त्रिलोकचंद ने कहा कि उस ने राखी पर लाखों रुपए खर्च किए हैं. पहले वह शादी के लिए राजी थी पर लैक्चरर बनने के बाद किसी और से प्यार करने लगी थी, इसलिए उस की अनदेखी करने लगी थी. यह बात उस से बरदाश्त नहीं हुई तो इस धोखेबाज साली को सबक सिखाने की गरज से उस ने उस पर तेजाब फेंक दिया.

एक सबक

राखी अब धीरेधीरे ठीक हो रही है पर इस घटना से यह सबक मिलता है कि नजदीकी रिश्तों में भी तयशुदा दूरी जरूरी है, क्योंकि जब रिश्तों की सीमाएं और मर्यादाएं टूटती हैं, तो ऐसे हादसों का होना तय है.

राखी की गलती यह भी थी कि उस ने जीजा को जरूरत से ज्यादा मुंह लगाया, शह दी और नजदीकियां बढ़ाईं, जो अकेली रह रही लड़की के लिए कतई ठीक नहीं. जब त्रिलोकचंद उस पर पैसे खर्च कर रहा था तभी उसे समझ जाना चाहिए था कि उस की नीयत में खोट है वरना कोई क्यों किसी पर लाखों रुपए लुटाएगा.

लड़कियां इस बात पर इतराती हैं कि कोई उन पर मरता है, रोमांटिक बातें करता है, उन के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहता है. उन्हें राखी की हालत से सीख लेनी चाहिए कि ऐसे रोमांस का अंजाम क्या होता है.

नजदीकी रिश्तों में हंसीमजाक में हरज की बात नहीं. हरज की बात है हदें पार कर जाना. मन में शरीर हासिल कर लेने की इच्छा इन्हीं बातों और शह से पैदा होती है. अकेली रह रही लड़कियां जल्दी त्रिलोकचंद जैसे मर्दों के जाल में फंसती हैं और जब वे सैक्स या शादी के लिए दबाव बनाने लगते हैं, तो उन से कन्नी काटने लगती हैं.

मर्दों को बेवकूफ समझना लड़कियों की दूसरी बड़ी गलती है, जो पुरुष लड़कियों पर पैसा और वक्त जाया कर रहा है, वह बेवजह नहीं है. उस की कीमत वह वसूलने पर उतारू होता है तो लड़कियों के सामने 2 ही रास्ते रह जाते हैं- या तो हथियार डाल दें या फिर किनारा कर लें. लेकिन दोनों हालात में नुकसान उन्हीं का होता है.

ऐसे में जरूरी यह है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए. जीजा, देवर, दूरदराज के कजिन, अंकल, मुंहबोले भाई और दूसरे नजदीकी रिश्तेदारों से एक दूरी बना कर रहा और चला जाए तो उन की हिम्मत इतनी नहीं बढ़ती. अगर अनजाने में ऐसा हो भी जाए तो जरूरी है कि शादी या सैक्स की पेशकश होने पर जो एक तरह की ब्लैकमेलिंग और खर्च किए गए पैसे की वसूली है पर तुरंत घर वालों को सारी बात सचसच बता दी जाए, क्योंकि ऐसे वक्त में वही आप की मदद कर सकते हैं.

वैसे भी घर से दूर शहर में रह रही युवतियों को ऐसे पुरुषों से सावधान रहना चाहिए. उन से मोबाइल पर ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए. एसएमएस नहीं करने चाहिए और सोशल मीडिया पर भी ज्यादा चैट नहीं करना चाहिए. तोहफे तो कतई नहीं लेने चाहिए और न ही अकेले में मिलना चाहिए. इस के बाद भी कोई गलत पेशकश करे तो तुरंत मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.

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मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं, हम बच्चे के लिए क्या करें?

सवाल

मेरी उम्र 28 वर्ष है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं. मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं. हम बच्चे के लिए क्या करें?

जवाब

आप के पति की शारीरिक रचना की जांच करनी होगी. स्पर्म बैंक से स्पर्म ले कर डोनर आईयूई का रास्ता प्रभावी साबित हो सकता है. हो सकता है कि आप के पति का स्पर्म कहीं रुक रहा हो. अगर ऐसा है तो उस का भी इलाज संभव है.

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बड़े काम की है शीघ्रपतन की जानकारी

आज के दौर में हर उम्र के मर्दों में शीघ्रपतन की समस्या देखने में आ रही है. आम भाषा में इसे जल्दी पस्त हो जाना और अंगरेजी में इसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या अर्ली इजैकुलेशन कहा जाता है. ऐसा अकसर अंग में प्रवेश से पहले या उस के तुरंत बाद हो सकता है. इस की वजह से दोनों पार्टनर सैक्स संबंधों के लिहाज से असंतुष्ट रहते हैं.

दरअसल, शीघ्रपतन आदमियों में सैक्स की आम समस्याओं में से एक है. शायद हर मर्द अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस परेशानी से घिरता है. अगर अंग में डालने से पहले ही मर्द का वीर्य गिर जाता है, तो ऐसे में उस जोड़े में बच्चे पैदा न होने की समस्या भी पेश आती है.

शीघ्रपतन की समस्या का असर आदमी की सैक्स लाइफ पर देखने को मिलता है. इस समस्या के चलते आदमी अपनी लाइफ पार्टनर या प्रेमिका को सैक्स सुख नहीं दे पाता. इस से नाजायज संबंध भी बन जाते हैं, जिस का नतीजा कई बार परिवार के टूटने के रूप में भी होता है.

इस समस्या के हल के लिए लोग नीमहकीमों के चंगुल में भी फंस जाते हैं, जो उन को लूटते हैं और समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ा देते हैं.

ज्यादा हस्तमैथुन करने से शरीर के बायोलौजिकल क्लौक का सैट हो जाना है. इस की वजह से आदमी को क्लाइमैक्स पर पहुंचने की जल्दी होती है और वह जल्दी से जल्दी मजा पाना चाहता है.

* सैक्स के बारे में ज्यादा सोचना भी शीघ्रपतन के लिए जिम्मेदार होता है. सैक्स फैंटेसी या पोर्न फिल्में देखने से भी आदमी ज्यादा जोश में आ जाता है और जल्दी ही पस्त हो जाता है.

* शराब के ज्यादा सेवन या डायबिटीज की वजह से भी शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो सकती है.

* सैक्स संबंध बनाने के शुरुआती दिनों में भी इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है.

* नया पार्टनर होने के चलते जोश में जल्दी वीर्य गिर सकता है.

* जल्दी पस्त होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि जोश देने का तरीका कैसा है.

* ओरल सैक्स से भी आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो सकता है.

क्या करें?

अगर शीघ्रपतन की समस्या आप की जिंदगी में भी तनाव की वजह बन चुकी है, तो इसे चुपचाप सहन न करते रहें, बल्कि अपने डाक्टर से मिलें. वह आप की शारीरिक जांच कर इस की वजह पता लगाने की कोशिश करेगा.

डाक्टर के साथ खुल कर अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बात करें और अगर कभी किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो उस के बारे में भी किसी तरह की जानकारी न छिपाएं.

ये उपाय भी आजमाएं

* जल्दी पस्त होना रोकने के लिए लंबी सांसें लें.

* जब भी वीर्य निकलने का समय हो, अपने साथी को लंबी सांसें लेने को कहें. इस से धड़कनों की रफ्तार कम होगी और वीर्य जल्दी नहीं निकलेगा.

* सैक्स के पहले इस प्रक्रिया के बारे में उसे अच्छे से समझाएं.

* ‘निचोड़ने की विधि’ के तहत अपने साथी के अंग को नीचे से जोर से दबाएं. ऐसा तब करें, जब आप के साथी का वीर्य निकलने वाला हो. इस से उस के अंग का इरैक्शन कम होगा और वीर्य नहीं निकलेगा.

* जल्द वीर्य को गिरने से रोकने के लिए स्टौप एंड स्टार्ट विधि अपनाएं. इस के तहत अपने साथी को 3 से 4 बार हस्तमैथुन करने के लिए कहें, जिस में वीर्य निकलने के समय पर उस का रुकना जरूरी है. इस से उसे पता चलेगा कि किस समय इजैकुलेशन होता है और वह इस पर अच्छे से काबू भी कर सकता है.

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शीघ्रपतन और दवाएं

ऐसा नहीं है कि शीघ्रपतन होने से हर किसी के मन में तनाव की भावना पैदा हो जाती है. कुछ लोग इसे ले कर ज्यादा नहीं सोचते और इस का हल अपने तरीके से निकालते हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि इस से आप के मजे में कमी आ रही है, तो आप जोलोफ्ट, प्रोजाक जैसी दवाओं का सेवन कर सकते हैं. ये दवाएं शीघ्रपतन रोकने में आप की मदद करती हैं व आप का साथी बिस्तर पर आने से कई घंटे पहले भी इन दवाओं का सेवन कर सकता है.

एक बार इस दवा का सेवन कर लेने पर जब आप दोनों अच्छा वक्त बिताना शुरू कर रहे हों, तो उस समय मर्द की कामुकता में इजाफा होगा. इस से न सिर्फ वीर्य निकलने से रुकेगा, बल्कि पहले के मुकाबले आप के सैक्स संबंध भी बेहतर होंगे.

इन दवाओं के सेवन के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी माहिर सैक्स डाक्टर से सलाह लें.

इस के अलावा जोश रोकने के लिए अंग पर लोकल एनैस्थैटिक क्रीम या स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग में जोश में कमी आने से वीर्य गिरने में देरी आएगी. कुछ मर्दों में कंडोम का इस्तेमाल भी इसी तरह जोश घटाने में मददगार होता है.

आमतौर पर आदमी वीर्य गिरने को कंट्रोल करना सीख लेते हैं. इस बारे में जानकारी हासिल करना और कुछ आसान उपायों को अपनाने से हालात पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक शीघ्रपतन की समस्या का जारी रखना आदमी में डिप्रैशन या एंग्जाइटी की वजह से हो सकता है. किसी मनोवैज्ञानिक से मिल कर इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

(लेखक दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टैंट हैं)

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताकि ताउम्र निभे रिश्ता

पतिपत्नी मिठास भरे पलों का तो सुख अनुभव करते ही हैं, खटास भी एक चुनौती की तरह उन्हें एकदूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण में रहने की प्रेरणा देती है. बिना विवाहप्रथा के दुनिया एक तमाशा बन कर रह जाती. विवाह ने स्त्रीपुरुष के संबंधों को समाज में एक स्थायी स्थान दिया है. पश्चिम में पहले पहचान और प्रेम फिर शादी, लेकिन हमारे यहां पहले शादी, फिर प्यारमोहब्बत होती थी. उत्तर में अधिकतर विवाह अभी तक अजनबी परिवारों के लड़केलड़कियों के बीच ही होते हैं. आजकल के विवाहों में अधिकतर लड़केलड़कियां एकदूसरे को पहले से ही जान जाते हैं. आपस में प्यार होता है या नहीं यह जरूरी नहीं, प्रेम विवाहों को प्राथमिकता भी दी जा रही है.

खुशी से निभे रिश्ता

विवाह चाहे किसी का भी हो, कहीं भी हो, एक बात तो तय है कि लड़के और लड़की का एकदूसरे को पहचानना निहायत जरूरी है, क्योंकि प्यारपूर्वक अपना जीवन साथसाथ, लंबे अरसे तक निभाना है. जीवन में खुशियां कहीं बाहर से नहीं टपकतीं, दोनों को मिल कर एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करते हुए सारे काम पूरे करने होते हैं. यह तभी मुमकिन है जब दोनों ऐसा चाहें. घर के किसी भी काम की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं होती. यह बात और है कि सहूलत के लिए हम कुछ काम बांट लें. समय के साथ बदलाव आ रहे हैं और खुशी है कि पति इस बात को समझने लगे हैं. मिसाल के तौर पर खाना बनाने में पत्नी की मदद करना, पत्नी की नौकरी पर एतराज न करना व घर के कामों में हाथ बंटाना इत्यादि.

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खटपट के कारण

मतभेद के कारणों पर नजर डालें तो पाएंगे कि ज्यादातर केसेज में या तो एकदूसरे के परिवारों को ले कर झगड़े होते हैं या पति/पत्नी के जीवन में कोई दूसरी/दूसरा आ जाती/जाता है. शादी के बाद पत्नी को सरनेम तो पति का ही लेना होता है, हालांकि कुछ पत्नियां मायके का सरनेम रिटेन करती हैं. परिवारों में अकसर यह देखा गया है कि लड़का अपने मांबाप से खुल कर अपनी पत्नी की पसंदनापसंद कह नहीं पाता. उलटे हर दफा पत्नी को ही चुप करा देता है. ऐसे में दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझेंगे तभी बात बनेगी. हर हालत में रिश्ता पहले पति और पत्नी का भरोसेमंद होना चाहिए, तभी वातावरण अच्छा बनता है और बच्चे अच्छे संस्कार पाते हैं.

अकसर यह देखा गया है कि मातापिता बच्चों की शादी की पहले जमाने के हिसाब से तुलना करते हैं, जो ठीक नहीं है. पहले झगड़े होने के मौके ही नहीं आते थे. पति परमेश्वर माना जाता था. जो फैसला उस ने कर दिया वही पत्नी को मान्य होता था. पर अब जमाना बदल चुका है. लड़कियां पढ़लिख कर अच्छी नौकरियां कर रही हैं और खूब पैसा कमा रही हैं. पतिपत्नी का रिश्ता ब्लड रिलेशन न होते हुए भी जीवन में सब से अधिक अहमियत रखता है. आखिर तक साथ निभाने का आश्वासन. जो लोग इस रिश्ते की अहमियत न समझ कर खिलवाड़ की तरह लेते हैं, एकदूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, उन से बड़ा बेवकूफ कोई नहीं. वहां परिवार के टूटने की नौबत आना स्वाभाविक है.

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न करें हनीमून पर ये मिस्टेक्स

शादी तय होते ही विवेक हनीमून की कल्पना की ऊंची उड़ान भरने लगा. मन ही मन कई तरह के प्लान बनाने लगा. वह दिन भी आ गया जब वह अपनी पत्नी को ले कर हनीमून के लिए चला गया. मगर दोनों जल्द ही घर लौट आए. ऐसी क्या बात हुई कि दोनों अपने बनाए प्रोग्राम के पहले ही घर लौट आए? असल में हनीमून के दौरान विवेक से कुछ मिसटेक हो गई, जिस की वजह से हनीमून का मजा ही खराब हो गया. शादी तय होते ही लोग हनीमून के सपने देखने लगते हैं, लेकिन हनीमून के दौरान वे कुछ मिसटेक्स कर देते हैं, जिन की वजह से हनीमून का भरपूर मजा नहीं ले पाते हैं. हनीमून के दौरान कुछ जरूरी बातों पर ध्यान रख कर गलतियों से बच सकते हैं. मसलन:

कहां जाना है मिल कर करें फैसला:

हनीमून पर दो जनों को जाना होता है. इसलिए इस का फैसला एक जना न करे, कहीं ऐसा न हो आप जिस जगह पर हनीमून के लिए गए हैं, वह जगह आप के पार्टनर को पसंद न हो. मौसम के अनुसार आरामदायक, खुशनुमा व सुकून वाली जगह चुनें. पहले बजट बनाएं: हनीमून पर जाने से पहले बजट बना लें ताकि बाद में आप को परेशानी का सामना न करना पड़े, दिखावे के चक्कर में विदेश जाने या हाईफाई जगह रुकने का प्लान न बनाएं. अपनी हैसियत से अधिक बजट आप के हनीमून में बाधा डाल सकता है. अपने बजट में बनाया गया हनीमून टूअर ही हनीमून का सही आनंद देगा.

ऐडवैंचर टूअर न बनाएं:

अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर न बनाएं. कई जोड़े अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर बना लेते हैं. वे स्वयं को इतना थका लेते हैं कि बिस्तर पर जाते ही नींद के आगोश में चले जाते हैं, जिस से हनीमून का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. फालतू बातें न करें: घूमते वक्त फालतू बातें न करें. कहीं किसी गार्डन या शांत जगह बैठ कर रोमांटिक बातें करें या आंखोंआंखों में बातें करें.

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दूसरे कपल्स को न घूरें:

देखा गया है कि अनेक लड़के हनीमून टूअर पर दूसरे कपल्स को खासकर लड़कियों कोे घूरते नजर आते हैं. असल में लड़कों की फितरत होती है लड़कियों पर नजर डालने की, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे बैचलर लाइफ से मैरिज लाइफ में ऐंट्री कर चुके हैं. ऐसे में जीवनसंगिनी को आप की यह आदत खटक सकती है.

मोबाइल रखें बंद:

आजकल अधिकतर लोग मोबाइल कौल, नैट या गेम पर बिजी रहते हैं. मोबाइल पर बिजी होने पर एकदूसरे पर से ध्यान हट जाता है. हनीमून के दौरान मोबाइल को पूरी तरह बंद रखें. जब घर वालों से बात करनी हो उस वक्त थोड़े समय के लिए चालू कर लें.

शूट न करें:

कुछ जोड़े इतने ऐक्साइट रहते हैं कि अपनी फर्स्ट नाइट के क्रियाकलापों को शूट कर लेते हैं. रोमांच के इन पलों को शूट करना अच्छी बात नहीं है. पिछले दिनों इंदौर का एक जोड़ा मुंबई हनीमून के लिए गया था. उन्होंने अपनी फर्स्ट नाइट की लाइव शूटिंग करनी शुरू की. उन का फोन औटो मोड पर था. ऐसे में उन की पूरी शूटिंग औनलाइन हो गई. उन के जितने फ्रैंड्स औनलाइन थे, उन्होंने इस का मजा लिया. किसी समझदार दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बारे में जानकारी दी तो दोनों शर्म से पानीपानी हो गए.

टीवी बंद रखें:

मोबाइल के बाद ज्यादातर लोगों को टीवी देखने का शौक होता है. हनीमून के दौरान टीवी देख कर अपने रोमांटिक पलों को कम न करें. कमरे में आने के बाद सब से पहले रिमोट कहीं छिपा दें ताकि दूसरे को टीवी चलाने का मौका न मिले.

लाइट म्यूजिक सुनें:

रोमांटिक होने के लिए गाना सुनना तो ठीक है पर उन हसीन पलों में गाना सुनना ठीक नहीं है. ऐसे मौके पर गाने सुनने से ध्यान बंट जाता है और सैक्स का मजा खराब हो जाता है. उस दौरान मदहोश कर देने वाला लाइट म्यूजिक ठीक रहेगा.

सैक्स में ही न डूबे रहें:

हनीमून की मस्ती में डूबे रहना तो अच्छी बात है पर हर वक्त सैक्स में डूबे रहना अच्छी बात नहीं है शादी के बाद सैक्स ऐंजौय का साधन जरूर है, पर इस के लिए सारी जिंदगी भी तो पड़ी है, मजा लें पर लिमिट में. तब इस का आनंद कुछ और ही होगा. पास्ट में न झांकें: विवेक और प्रतिमा हनीमून पर गए थे. रोमांच और मौजमस्ती के दौरान विवेक अपनी पत्नी के पास्ट में झांकने की कोशिश करने लगा. उस ने प्रतिमा से पूछा उस के कितने बौयफ्रैंड हैं? उन के साथ कभी बैड भी शेयर किया क्या? विवेक की बातें सुन कर उस के दिल को बड़ा धक्का लगा. उस का सारा उत्साह रफूचक्कर हो गया.

विवेक ने जब महसूस किया कि प्रतिभा उस की बात का बुरा मान गई है तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने प्रतिभा से माफी मांगते हुए कहा कि यह सब तो उस ने मजाक में कहा था. लेकिन प्रतिभा के दिल को गहरी चोट लगी थी. वर्षों गुजर जाने के बाद भी वह इस बात को भुला नहीं पाई. इसलिए ऐसी बातें जीवनसाथी से न करें, जिन से लाइफ टाइम आप को पछताना पड़े.

जल्दबाजी न करें:

बैड पर सैक्स ऐक्ट के समय जल्दबाजी में न रहें. आप ने सुना होगा, जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. फिर आप शैतान का काम क्यों करना चाहेंगे? बडे़ इत्मीनान से सैक्स का भरपूर आनंद लें.

सहज रहें:

इस बात से न डरें कि आगे कुछ गड़बड़ न हो जाए. डर और घबराहट की वजह से किसी प्रकार की प्रौब्लम हो सकती है. अत: बिलकुल सहज रहें. कई लड़कियां अपनेआप को शर्मीली या एकदम से बिंदास दिखाने की कोशिश करती हैं. ये दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. आप जीवनसाथी के सामने वैसे ही रहने की कोशिश करें जैसी आप हैं.

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नखरे न करें:

सैक्स के वक्त पति के सामने ज्यादा नखरे दिखाने की कोशिश करना ठीक नहीं है. इस से पति नाराज हो सकता है. शरमाना, इठलाना, नखरे दिखाना स्त्री के गुण हो सकते हैं, पर ऐन मौके पर नखरे दिखाने पर पति का मूड बिगड़ सकता है. अत: ऐसे मौके पर पति को भरपूर सहयोग दें.

ऐक्सपैरिमैंट न करें:

हनीमून के दौरान सैक्स संबंध को ले कर ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट न करें. कुछ लोग दोस्तों द्वारा बताए गए टिप्स, सस्ती किताबों या वैबसाइट पर दी गई ऊलजलूल टिप्स आजमाने लगते हैं. उन बेतुके टिप्स की वजह से जीवनसाथी को परेशानी हो सकती है.

जबलपुर के एक होटल में हनीमून के दौरान एक युवक अपनी नवविवाहिता को दोनों पैरों से बांध कर उलटा लटका कर सैक्स करने की कोशिश करने लगा. किसी दोस्त ने उसे बताया था कि इस तरह से पहली बार सैक्स करने पर मजा कुछ और ही आता है. इस लटकी नवविवाहिता की सांस ऊपरनीचे होने लगी. वह तो अच्छा हुआ, युवक ने नवविवाहिता की हालत देख कर जल्दी उतार दिया. इतने में नवविवाहिता बेहोश हो गई. उस ने जल्दी से डाक्टर बुला कर सारी बात सहीसही बता दी. डाक्टर ने चैक कर के बताया, दिमाग में रक्तसंचार बढ़ जाने से वह बेहोश हो गई है. थोड़ी देर और लटकी रहती तो उस की जान भी जा सकती थी.

अच्छी तरह देख लें:

होटल कितना ही महंगा क्यों न हो, पूरे कमरे को अच्छी तरह जरूर चैक कर लें. बाथरूम, बैडरूम, आलमारी, ट्यब लाइट, स्विचबोर्ड, पंखा आदि जगहों को चैक करें. चेक करने का आसान उपाय है कि इन के पास मोबाइल ले जाएं. यदि कहीं कैमरा लगा होगा तो मोबाइल का नैटवर्क गायब हो जाएगा.

कैमरा लगा होने का पता करने के लिए दूसरा उपाय है उस रूम की सारी लाइटें बंद कर दें. फिर अपने स्मार्ट फोन का कैमरा औन करें. लेकिन फ्लैश औफ कर दें. फिर कैमरे में देखें कि कोई लाल रंग के डौट्स तो नहीं दिख रहे हैं. दिखें तो समझ जाएं कि हिडन कैमरा लगा है. इस बात का ध्यान रखें, हनीमून के लिए किसी अच्छे होटल का ही चुनाव करें. कम रेट वाले होटलों में स्पाई कैमरे लगे रहने के चांस अधिक होते हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है. ऐसे में वे अलग से कुछ कमाने के चक्कर में ऐसी हरकतें कर सकते हैं.

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औफिस की चिंता:

हनीमून के दिनों में आप अपना औफिस साथ न ले जाएं. ऐसे में पूरा ध्यान नईनवेली दुलहन के बजाय औफिस या अपने बिजनैस पर रहता है. ऐसे में हनीमून का सारा मजा खराब हो जाता है. फोन अटैंड करना, मेल चैक करना, फोन कर के कर्मचारियों को निर्देश देना जैसी बातें आप की पार्टनर को डिस्टर्ब करती हैं. हनीमून के दौरान सारी बातें भूल कर अपना फोकस जीवनसाथी पर करें.

तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार.

जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती.

पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

– यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

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– यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और

सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

– आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

– यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

– यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

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पति की जबरदस्ती से कैसे बचें

श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.

श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.

पति से करें बात

काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.

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पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती

सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.

सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं  पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.

बहाने बनाने से बचें

आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.

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अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.

शादी के 10 साल बाद भी मां बनने के सुख से वंचित हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मेरी उम्र 38 साल है. शादी को 10 साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन मां बनने के सुख से वंचित हूं. डाक्टर ने बताया कि मेरे अंडे कमजोर हैं. इसी वजह से एक बार मेरा 3 माह का गर्भ भी गिर चुका है. बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
इस उम्र में गर्भधारण करना आमतौर पर थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आप का 3 माह का गर्भ गिरना भी यही साबित करता है कि आप के अंडे कमजोर हैं. लेकिन आप को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. अगर आप के पति में कोई कमी नहीं है तो आप एग डोनेशन तकनीक का सहारा ले सकती हैं. किसी अन्य महिला के अंडे आप के गर्भाशय में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं. इस के लिए आवश्यक है कि उक्त महिला शादीशुदा हो और बच्चे को जन्म दे चुकी हो.

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पीसीओडी की समस्या और निदान

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देती हैं, जिस का खमियाजा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है. लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है. महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है.

चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी के नाम से जाना जाता है. इस समस्या के होेने पर महिलाओं, खासकर कुंआरी लड़कियों को समय रहते चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर महिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

आज करीब 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं जबकि चिकित्सकों का मानना है कि इस बीमारी की शिकार महिलाओं की संख्या इस से कई गुना अधिक है. उचित ज्ञान न होने व पूर्ण चिकित्सकीय जांच न होने की वजह से महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं.

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पीसीओडी बीमारी के बारे में गाइनीकोलौजिस्ट डा. शिखा सिंह का कहना है कि यह एक हार्मोनल डिसऔर्डर है. पीरियड्स के पहले और बाद में महिलाओं के शरीर में बहुत तेजी से हार्मोन में बदलाव आते हैं जो कई बार इस बीमारी का रूप ले लेते हैं.

डा. शिखा की मानें तो हर महीने महिलाओं की दाईं और बाईं ओवरी में पीरियड्स के बाद दूसरे दिन से अंडे बनने शुरू हो जाते हैं. ये अंडे 14-15 दिनों में पूरी तरह से बन कर 18-19 मिलीमीटर साइज के हो जाते हैं. इस के बाद अंडे फूट कर खुद फेलोपियन ट्यूब्स में चले जाते हैं और अंडे फूटने के 14वें दिन महिला को पीरियड शुरू हो जाता है लेकिन कुछ महिलाओं, जिन्हें पीसीओडी की समस्या है, में अंडे तो बनते हैं पर फूट नहीं पाते जिस की वजह से उन्हें पीरियड नहीं आता.

आगे उन का कहना है कि ऐसी महिलाओं को 2 से 3 महीनों तक पीरियड नहीं आने की शिकायत रहती है, जिस की सब से बड़ी वजह है कि फूटे अंडे ओवरी में ही रहते हैं और एक के बाद एक उन से सिस्ट बनती चली जाती हैं. लगातार सिस्ट बनते रहने से ओवरी भारी लगनी शुरू हो जाती है. इसी ओवरी को पोलीसिस्टिक ओवरी कहते हैं.

इतना ही नहीं, इस के कारण ओवरी के बाहर की कवरिंग कुछ समय बाद सख्त होनी शुरू हो जाती है. सिस्ट के ओवरी के अंदर होने के कारण ओवरी का साइज धीरेधीरे बढ़ना शुरू हो जाता है. ये सिस्ट ट्यूमर तो नहीं होतीं पर इन से ओवरी सिस्टिक हो चुकी होती है, जिस से अल्ट्रासाउंड कराने पर कभी ये सिस्ट दिखाई देती हैं तो कभी नहीं. दरअसल, अंडों के ओवरी में लगातार फूटने के चलते ओवरी में जाल बनना शुरू हो जाता है. धीरेधीरे ओवरी के अंदर जालों का गुच्छा बन जाता है. इसलिए सिस्ट का पूरी तरह से पता नहीं चल पाता है.

डा. शिखा के मुताबिक पीसीओडी होने के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है लेकिन चिकित्सकों की राय में लाइफस्टाइल में बदलाव, आनुवंशिकी व जैनेटिक फैक्टर का होना मुख्य वजहें हैं.

क्या हैं सिस्ट के लक्षण

ओवरी में बिना अंडों के न फूटने की वजह से जो सिस्ट बनती हैं उन में एक तरल पदार्थ भरा होता है. यह तरल पदार्थ पुरुषों में पाया जाने वाला हार्मोन एंड्रोजन होता है, क्योंकि लगातार सिस्ट बनती रहती हैं तो महिलाओं में इस हार्मोन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जिस की वजह से युवतियों के शरीर पर पुरुषों की तरह बाल उगने लगते हैं. इसे हरस्यूटिज्म कहते हैं. इस तरह महिलाओं के चेहरे, पेट और जांघों पर बाल उगने लगते हैं.

एंड्रोजन की अधिकता के कारण शरीर की शुगर इस्तेमाल करने की क्षमता भी दिनप्रतिदिन कम होती जाती है, जिस की वजह से शुगर का स्तर भी बढ़ता चला जाता है, जिस से खून में वसा की मात्रा बढ़नी शुरू हो जाती है और यही वसा महिलाओं में मोटापे का कारण बनती है.

मोटापा अधिक होने के कारण महिलाओं में इस्ट्रोजन नामक हार्मोन ज्यादा बनने की संभावना बढ़ जाती है. इस स्थिति में लिपिड लेवल भी बढ़ा हुआ होता है जिस की वजह से ब्लड वैसल्स में फैट सैल्स बढ़ जाते हैं और ब्लड की नलियों में चिपक कर उन्हें संकीर्ण बना देते हैं. ये सैल्स ब्लड सप्लाई करने वाली नलियों को ब्लौक भी कर देते हैं.

महिलाओं में इस्ट्रोजन अधिक मात्रा में बनता है तो ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन भी ज्यादा बनता है, जिस की वजह से माहवारी में अनियमितता पाई जाती है. साथ ही, काफी दिनों तक इस्ट्रोजन ही बनता जाता है और उसे बैलेंस करने वाला प्रोजैस्ट्रोन बन नहीं पाता. यदि गर्भाशय में इस्ट्रोजन बहुत दिनों तक काम करता है, तो महिलाओं को यूटेराइन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

अगर किसी महिला में पीसीओडी के लक्षण हैं तो उसे इस बीमारी की जांच के लिए पैल्विक अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए. इस के अलावा हार्मोनल और लिपिड टैस्ट होते हैं. हार्मोन के सीरम स्तर पर ग्लूकोज टौलरैंस आदि की जांच की जाती है. इस से बौडी में ग्लूकोज की सही मात्रा की जानकारी मिल जाती है.

16 से 18 साल की लड़की के पीरियड अनियमित होने पर उस का इतना ही इलाज किया जाता है कि पीरियड्स नौर्मल हो जाएं. जिस तरह से हर महीने कौंट्रासैप्टिव दिए जाते हैं उसी तरह से उसे कौंबिनैशन हार्मोन की दवाएं दी जाती हैं. डा. शिखा ने बताया कि सामान्य रूप से एक लड़की को 11 साल की उम्र में पीरियड्स होने लगते हैं. पीरियड शुरू होने के 4-5 साल बाद यदि वह अनियमित होने लगे तो डाक्टरी सलाह और जांच करा लेनी चाहिए.

पीसीओडी से पीडि़त युवती की शादी हो जाने पर उसे पीरियड की अनियमितता और गर्भधारण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस स्थिति में उस की माहवारी को नियमित करने और अंडा समय पर पक सके, इस का इलाज किया जाता है.

इस के अलावा इन महिलाओं की गर्भधारण के दौरान अन्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि इन में गर्भपात की आशंका बहुत ज्यादा बनी रहती है. इसलिए गर्भधारण करने के 3 महीने तक यदि गर्भ ठहरा रहता है तो फिर वे एक सामान्य महिला की तरह रह सकती हैं. इस के बाद डिलीवरी में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आती है.

पीसीओडी की शिकार महिलाओं में बारबार गर्भपात के आसार ज्यादा होते हैं. इसलिए यदि कोई बड़ी उम्र की महिला गर्भवती होती है तो हो सकता है वह प्रीडायबिटिक हो. ऐसी स्थिति में महिलाओं को चाहिए कि समयसमय पर डायबिटीज की जांच कराती रहें और यदि किसी महिला का वजन अधिक है तो उसे व्यायाम और अन्य शारीरिक कसरत से अपना वजन घटाना चाहिए ताकि गर्भधारण के दौरान महिला और उस के गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्याओं से दोचार न होना पड़े.

इन महिलाओं को दिन में एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए. ज्यादा खाना खाने के बजाय उन्हें बारबार थोड़ीथोड़ी मात्रा में खाना खाना चाहिए. वे कम कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त भोजन लें, मीठी चीजों से परहेज करें ताकि शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक न हो. ऐसी तमाम बातों का ध्यान रख कर पीसीओडी से ग्रस्त महिला गर्भवती हो कर मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

शादी से पहले शारीरिक संबंध

आजकल लगभग सभी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों की समस्याओं वाले स्तंभ में युवकयुवतियों के पत्र छपते हैं, जिस में वे विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बना लेने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान पूछते हैं.

विवाहपूर्व प्रेम करना या स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है, मगर इस से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर विचार अवश्य करना चाहिए. इन बातों पर युवकों से ज्यादा युवतियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े :

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध भले ही कानूनन अपराध न हो, मगर आज भी ऐसे संबंधों को सामाजिक मान्यता नहीं है. विशेष कर यदि किसी लड़की के बारे में समाज को यह पता चल जाए कि उस के विवाहपूर्व शारीरिक संबंध हैं तो समाज उस के माथे पर बदचलन का टीका लगा देता है, साथ ही गलीमहल्ले के आवारा लड़के लड़की का न सिर्फ जीना दूभर कर देते हैं, बल्कि खुद भी उस से अवैध संबंध बनाने की कोशिश करते हैं.

युवती के मांबाप और भाइयों को इन संबंधों का पता चलने पर घोर मानसिक आघात लगता है. वृद्ध मातापिता कई बार इस की वजह से बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाता है. लड़की के भाइयों द्वारा प्रेमी के साथ मारपीट और यहां तक कि प्रेमी की जान लेने के समाचार लगभग रोज ही सुर्खियों में रहते हैं. युवकों को तो अकसर मांबाप समझा कर सुधरने की हिदायत देते हैं, मगर लड़की के प्रति घर वालों का व्यवहार कई बार बड़ा क्रूर हो जाता है. प्रेमी के साथ मारपीट के कारण लड़की के परिवार को पुलिस और कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ता है.

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अधिकतर युवतियों की समस्या रहती है कि उन्हें शादीशुदा व्यक्ति से प्यार हो गया है व उन्होंने उस से शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए हैं. शादीशुदा व्यक्ति आश्वासन देता है कि वह जल्दी ही अपनी पहली पत्नी से तलाक ले कर युवती से शादी कर लेगा, मगर वर्षों बीत जाने पर भी वह व्यक्ति युवती से या तो शादी नहीं करता या धीरेधीरे किनारा कर लेता है. ऐसे किस्से आजकल आम हो गए हैं.

इस तरह के हादसों के बाद युवतियां डिप्रेशन में आ जाती हैं व नौकरी छोड़ देती हैं. इस से उबरने में उन्हें वर्षों लग जाते हैं. कई बार युवक पहली पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेते हैं. मगर याद रखें, ऐसी शादी को कानूनी मान्यता नहीं है और बाद में बच्चों के अधिकार के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है जिस का फैसला युवती के पक्ष में आएगा, इस की संभावना बहुत कम रहती है.

शारीरिक संबंध होने पर गर्भधारण एक सामान्य बात है. विवाहित युवती द्वारा गर्भधारण करने पर दोनों परिवारों में खुशियां मनाई जाती हैं वहीं अविवाहित युवती द्वारा गर्भधारण उस की बदनामी के साथसाथ मौत का कारण भी बनता है.

अभी हाल ही में मेरी बेटी की एक परिचित के किराएदार के घर उन के भाई की लड़की गांव से 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए आई. अचानक एक शाम उस ने ट्रेन से कट कर अपनी जान दे दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसे एक अन्य धर्म के लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने शारीरिक संबंध कायम कर लिए, मगर जब लड़के को लड़की के गर्भवती होने का पता चला तो वह युवती को छोड़ कर भाग गया. अब युवती ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. ऐसे मामलों में अधिकतर युवतियां गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं, लेकिन कोई भी योग्य चिकित्सक पहली बार गर्भधारण को गर्भपात कराने की सलाह नहीं देगा.

अधिकतर अविवाहित युवतियां गर्भपात चोरीछिपे किसी घटिया अस्पताल या क्लिनिक में नौसिखिया चिकित्सकों से करवाती हैं, जिस में गर्भपात के बाद संक्रमण और कई अन्य समस्याओं की आशंका बनी रहती है. दोबारा गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है. अनाड़ी चिकित्सक द्वारा गर्भपात करने से जान तक जाने का खतरा रहता है.

युवती का विवाह यदि प्रेमी से हो जाता है तब तो विवाहोपरांत जीवन ठीकठाक चलता है, मगर किसी और से शादी होने पर यदि भविष्य में पति को किसी तरह से पत्नी के विवाहपूर्व संबंधों की जानकारी हो गई तो वैवाहिक जीवन न सिर्फ तबाह हो सकता है, बल्कि तलाक तक की नौबत आ सकती है.

विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों में मुख्य खतरा यौन रोगों का रहता है. कई बार एड्स जैसा जानलेवा रोग भी हो जाता है. खास बात यह है कि इस रोग के लक्षण काफी समय तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद में यह रोग उन के पति और होने वाले बच्चे को हो जाता है. प्रेमी और उस के दोस्तों द्वारा ब्लैकमेल की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. उन के द्वारा शारीरिक यौन शोषण व अन्य तरह के शोषण की आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं.

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युवती का विवाह यदि अन्यत्र हो जाता है और वैवाहिक जीवन ठीकठाक चलता रहता है, घर में बच्चे भी आ जाते हैं, लेकिन यदि भविष्य में बच्चों को अपनी मां के किसी दूसरे पुरुष से संबंधों के बारे में पता चले तो उन्हें गंभीर मानसिक आघात पहुंचेगा, खासकर तब जब बच्चे टीनएज में हों. मां के प्रति उन के मन में घृणा व उन के बौद्धिक विकास पर भी इस का असर पड़ता है.

इन संबंधों के कारण कई बार पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद व लड़ाईझगड़े भी हो जाते हैं, जिन में युवकयुवती के अलावा कई और लोगों की जानें जाती हैं. इस के बावजूद यदि युवकयुवती शारीरिक संबंध बना लेने का निर्णय कर ही लेते हैं, तो गर्भनिरोधक विशेषकर कंडोम का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि इस से गर्भधारण व यौन संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाता है.

बैडरूम की मस्ती भरी शारीरिक हरकतें 

लेखक- वीरेन्द्र बहादुर सिंह 

घर में बैडरूम ही एक ऐसी जगह है, जहां पति-पत्नी अपना कीमती समय व्यतीत कर सकते हैं. उनके यादगार और प्रेमिल क्षणों का संग्रह इसी जगह होता है. यहां होने वाली खटपट और प्रेम तो कभी होने वाली छेड़छाड़ और हरकतें दोनों को ही हमेशा याद रहती हैं. बेडरूम में होने वाली प्रत्येक क्रिया में मौजमस्ती और शारीरिक हरकतें कभी नहीं भूली जा सकतीं. जीवन हमेशा संघर्ष और तकलीफों से भरा रहता है. ऐसे में अगर पति-पत्नी दोनों अपने बेडरूम में थोड़ी मस्तीमजाक और तूफानी पलों का आनंद प्राप्त कर लें तो तन और मन दोनों थोड़ी देर के लिए हल्का और कूल हो जाता है. हर दंपत्ति के लिए ऐसे पलों का आनंद लेना जरूरी है.

इससे उनके बीच एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहता है, साथ ही दोनों को एकदूसरे के साथ थोड़ा अपना कह सकें, इस तरह का मस्तीभरा समय बिताने का मौका भी मिल जाता है. कभी दोनों में से एक भी अनुपस्थित रहता है तो इस समय की यादें प्रेम का अनुभव कराती रहती हैं.

जयदीप और बीना की शादी को 7 साल हो गए हैं. दोनों नौकरी करते हैं. रात को डिनर के समय दोनों साथ खाते हुए बातचीत करते हैं. इसके अलावा उनके पास समय निकालना बहुत मुश्किल था. धीरे-धीरे बीना पर काम का बोझ बढ़ता गया. अब वह घर देर से आने लगी. जयदीप उसकी स्थिति को समझता था. वह जानता था कि बीना खूब थक जाती है और तनाव महसूस करती है. रात को खाने के बाद बीना बेडरूम में आती तो भी भी लैपटाप ले कर काम करती रहती. कभी-कभी जयदीप को लगता कि उसकी पत्नी उसे समय नहीं दे रही है. दूसरी ओर वह यह भी देख रहा था कि वह सचमुच काम में व्यस्त रहती है. बीना पहले इतनी सीरियस नहीं थी. शादी के बाद वह आफिस के काम को ले कर बहुत ज्यादा व्यस्त हो गई थी. जयदीप जिसे कालेज के समय से प्यार करता था, वह मस्तीखोर बीना कहीं खो गई थी.

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रविवार को बीना सुबह देर तक सोती रही. जयदीप उसके लिए चायनाश्ता तैयार कर के कमरे में आया. बीना फिर सो गई तो जयदीप ने उसके गाल पर किस किया. बीना करवट बदल कर फिर सो गई. जयदीप ने दूसरे गाल पर किस किया तो बीना ने आंखें खोलीं. जयदीप ने हल्के से उसके सिर पर चुंबन किया और उसी तरह उसके होठों पर चुंबन करने जा रहा था कि बीना ने उसे हल्के हाथ से धक्का मार दिया तो वह बेड से नीचे गिर गया. उसे देख कर बीना हंसने लगी तो जयदीप तुरंत उठ कर उसकी ओर बढ़ा. बीना तकिया ले कर उसे मस्ती से मारने लगी. दूसरी ओर दूसरी तकिया ले कर जयदीप भी उसे मारने लगा. इस बीच दोनों एकदूसरे के साथ मस्ती के मूड में आ गए.

बीना उठ कर भागने लगी तो जयदीप ने लपक कर उसकी कमर पकड़ी और धीरे से बिस्तर पर धकेल दिया. दोनों ही एकदूसरे के साथ पूरी तरह मस्ती के मूड में थे. बीना इस तरह खिलखिला कर हंस रही थी जैसे खिल रही हो.

अंत में दोनों थक कर बिस्तर पर लेट गए. बीना ने जयदीप के गाल पर हल्के से चुंबन किया और अपना सिर उसके सीने पर रख दिया. बीना का यह प्रेमिल स्पर्श पा कर जयदीप उसकी ओर झुका. एक लंबे समय के बाद दोनों के बीच प्रेमक्रीडा हुई. इस शारीरक संबंध में दोनों को हो  संतोषजनक आनंद मिला. बीना के मन में काम का बोझ होने के बावजूद वह खुद को काफी फ्रेश महसूस कर रही थी. केवल शारीरिक सुख से नहीं, जयदीप और उसके बीच के संबंध और संबंध में घुले प्यार और मस्ती से उन्हें संपूर्ण संतोष का अनुभव हो रहा था. जीवन में केवल शारीरिक संबंध ही नहीं, शारीरिक मस्ती भी एकदूसरे को नजदीक होने का अनुभव कराती है.

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क्या पहली बार शारीरिक संबंध बनाते समय आने वाली परेशानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मैं ने सुना है कि जब भी कोई युवती किसी युवक से पहली बार शारीरिक संबंध स्थापित करती है, तो बहुत दर्द होता है. क्या यह सच है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब

कुंआरी युवतियों के यौनांग में एक पतली सी झिल्ली होती है, जिसे कौमार्य झिल्ली कहते हैं. जब कोई युवती पहली बार संबंध बनाती है तो वह झिल्ली फट जाती है, जिस से थोड़ा सा रक्तस्राव और हलका सा दर्द होता है.

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कामुकता का राज और स्त्री की संतुष्टि को कुछ इस तरह समझिए

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

 

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