पारिवारिक कलह का असर मासूमों पर

पटना के फतुहा हाई स्कूल की टीचर मनीषा गोस्वामी की मौत के बाद पुलिस ने उस के पति रवि गोस्वामी को तो गिरफ्तार कर लिया, पर ससुराल के बाकी आरोपी फरार हो गए और वे मनीषा की बेटियों 2 साल की अंतरा और 10 महीने की विशाखा को भी साथ ले गए. मनीषा के भाई मनीष ने बताया कि मनीषा नौकरी करना चाहती थी, पर रवि मना करता था. यहां तक कि मनीषा को मायके भी नहीं जाने देता था. इस बात को ले कर रवि और मनीषा के बीच आएदिन झगड़ा होता था. गत 13 सितंबर को जब मनीषा मायके जाने की जिद पर अड़ गई, तो रवि ने उसे तीसरे माले से धक्का दे दिया, जिस से उस की मौत हो गई. जबकि रवि ने पुलिस को बताया कि मनीषा मायके जाने की जिद कर रही थी. जब उस ने मना किया तो मनीषा ने खुद ही छत से छलांग लगा दी.

मनीषा की मौत हो गई. उस के पति रवि को पुलिस ने जेल भेज दिया. पुलिस और अदालत अपनीअपनी रफ्तार से काम करती रहेंगी. साल दर साल पुलिस जांच चलती रहेगी और अदालत में तारीख दर तारीख पड़ती रहेगी. इन सब के बीच उन दोनों बच्चों का क्या होगा? इस सवाल पर कानून हमेशा की तरह खामोश है. उन बच्चों की जिंदगी कैसे चलेगी, जिन्हें पता तक नहीं है कि उन के साथ कितना बड़ा हादसा हुआ है? उन के नानानानी, मामामामी आदि कब तक उन का खयाल रखें? उन का पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई का क्या होगा? ऐसे कई सवाल हैं, जिन के जवाब न समाज के पास हैं और न ही कानून की मोटीमोटी किताबों में.

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मनोविज्ञानी अजय मिश्रा कहते हैं कि परिवार और मातापिता के झगड़ों के बीच बच्चे पिसते ही नहीं, बल्कि घुटते भी रहते हैं. हजारों ऐसे मामले अदालतों में चल रहे हैं और बच्चे सहमे और घुटते रहते हैं. एक वाकेआ के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि रांची के एक पतिपत्नी की लड़ाई का मामला उन के पास आया था. घर वाले दोनों के झगड़े से तंग आ कर दोनों को काउंसलिंग के लिए मेरे पास लाए थे. उन के 2 बच्चे भी उन के साथ आए थे. सभी से बात करने के बाद जब बच्चों से पूछा गया कि घर में कौन ज्यादा झगड़ा करता है, तो इस सवाल को सुन कर दोनों बच्चे सहम गए और अपने मातापिता को देखने लगे. बच्चों को दूसरे कमरे में ले जा कर पूछा तो 8 साल के बच्चे ने बताया कि मम्मी और पापा हमेशा लड़ाई करते हैं. लड़ाई करने के बाद हम से पूछते हैं कि बताओ तो कौन पहले झगड़ा करता है? मम्मी पूछती हैं कि पापा ज्यादा झगड़ा करते हैं न? पापा पूछते हैं कि मम्मी पहले लड़ाई की शुरुआत करती हैं न? हम क्या बोलेंगे? हमेशा दोनों लड़ाई करते हैं. लड़ाई करने के बाद दोनों सो जाते हैं और उस के बाद मुझे और मेरी बहन को ब्रैड या बिस्कुट खा कर सोना पड़ता है. कई बार तो ऐसा होता है कि मम्मीपापा के बीच 6-7 दिनों तक बोलचाल बंद रहती है और हमें स्कूल नहीं भेजा जाता है. मम्मी खाना भी ठीक से नहीं बनाती हैं.

पुलिस औफिसर आर.के. दुबे कहते हैं कि मातापिता अपने बच्चों की नजरों में हीरो होते हैं. उन की नजरों में वे दुनिया के सब से बेहतरीन इनसान होते हैं. ऐसे में उन के आपस में लड़ने से बच्चों के मन में बनी अपने मातापिता की इमेज गिरती है, जिस से बच्चों को बहुत तकलीफ होती है. उस तकलीफ को बच्चे बयां नहीं कर पाते और मन ही मन घुटते रहते हैं. इस से उन का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है. जिस घर में लड़ाई ज्यादा होती है, उस घर के ज्यादातर बच्चे मानसिक बीमारी और डिप्रैशन के शिकार होते हैं. कई बच्चे तो गुस्सैल स्वभाव और अपराधी बन जाते हैं.

मातापिता की लड़ाई से भौचक बच्चे

मातापिता के झगड़े का सीधा असर बच्चों पर होता है. सब से ज्यादा नुकसान वही उठाते हैं. पटना हाई कोर्ट के वकील अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि पतिपत्नी झगड़ा करने के बाद बच्चों की नजरों में खुद को सही साबित करने के लिए एकदूसरे के खिलाफ उन में जहर भरते हैं. लड़ाई के बाद मां अपने बच्चों से कहती है कि उन के पापा ही गंदे हैं. हमेशा लड़ाई करते हैं. पापा से बात नहीं करना वरना तुम्हें भी पीटेंगे. वहीं पिता अपने बच्चों को समझाता है कि उन की मम्मी ही लड़ाई की शुरुआत करती है. उन की मम्मी गंदी है. इस तरह की बातें सुन कर बच्चे दुविधा में पड़ जाते हैं. वे समझ नहीं पाते हैं कि दुनिया के सब से अच्छे उन के मातापिता हैं और वही दोनों एकदूसरे को बुरा ठहरा रहे हैं.

तलाक के बाद सिसकते बच्चे

पटना सिविल कोर्ट के सीनियर वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि मातापिता के तलाक के बाद सब से ज्यादा चुनौती का सामना उन के बच्चों को ही करना पड़ता है. कई केसेज में देखा गया है कि तलाक के मुकदमे में पतिपत्नी दोनों बच्चों को अपने पास रखने की जिद करते हैं. दोनों पक्ष अदालत से बारबार गुहार लगाते हैं कि बच्चों को उन के पास रहने दिया जाए. मां कहती है कि बच्चे पिता के पास नहीं रह सकेंगे, जबकि पिता यह दावा करता है कि वही बच्चों की बेहतर परवरिश कर सकता है. कई बार अदालत दोनों के पास कुछकुछ समय तक बच्चों को रहने का फैसला सुनाती है. ऐसे में बच्चे मातापिता से मिलते तो रहते हैं, लेकिन उन्हें उन का सच्चा प्यार नहीं मिल पाता है. मां खुद को बेहतर साबित करने के चक्कर में बच्चों को नएनए खिलौने और कपड़े देती है, तो पिता उस से बेहतर और कीमती चीज दे कर बच्चों की नजरों में अच्छा पिता बनने की कोशिश करता है. अपनेअपने अहं में डूबे मातापिता यह नहीं समझ पाते हैं कि बच्चों को असली खुशी दोनों के साथ रहने से मिलती है. अलगअलग रह कर दोनों से मिलने और महंगे से महंगे गिफ्ट्स देने से भी उन के मासूम मन को खुशी नहीं मिल सकती.

परिवार के झगड़ों के बीच लाचार बच्चे

संयुक्त परिवार के झगड़ों में सब से ज्यादा बच्चे ही पीडि़त होते हैं. वे अपने मातापिता को अपनों से ही लड़तेझगड़ते और पुलिसकचहरी करते देखते हैं. उन्हें यह समझ नहीं आता है कि उन के पिता और चाचा जो कभी साथसाथ रहते थे, आज आपस में लड़ाई क्यों कर रहे हैं? किस बात को ले कर घर के लोग एकदूसरे के दुश्मन बन गए हैं? परिवार मामलों की वकील सुनीता वर्मा एक केस का जिक्र करते हुए बताती हैं कि पटना के एक परिवार के भाइयों के बीच शुरू हुआ घरेलू झगड़ा मारपीट और पुलिस तक जा पहुंचा. एक भाई ने एफआईआर में भाई और भाभी के साथसाथ उन के 10 साल के बेटे को भी मारपीट करने का आरोपी बना दिया. मामला 6 सालों से कोर्ट में चल रहा है और 10 साल का बच्चा 16 साल का युवा बन गया है. उस के मन में आज भी अपने चाचा के प्रति इतना गुस्सा है कि अकसर कहता है कि कभी न कभी चाचा की पिटाई जरूर करेगा.

इस मामले से साफ हो जाता है कि बड़े झगड़ों और केस कर के अपनेअपने काम में मसरूफ हो जाते हैं, लेकिन मासूमों के मन पर वे सदमे की छाप छोड़ देते हैं और उन्हें गुस्सैल बना देते हैं.

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पिता के जेल जाने पर घुटते

किसी भी अदालत के कैंपस में जाने पर पुलिस वालों, कैदियों, अपराधियों, वकीलों और जजों की भीड़ के बीच कई औरतें और उन के साथ कई बच्चे दिख जाएंगे. बच्चे कभी अपने पिता के हाथों में लगी हथकड़ी देखते हैं, कभी पुलिस वाले को तो कभी अपनी मां के चेहरे को देखते हैं. पटना सिविल कोर्ट के वकील सुबोध गोस्वामी बताते हैं कि पिता को हथकड़ी में जकड़े देख कर मासूम बच्चे के दिमाग पर क्या गुजरती होगी, इस का अंदाजा लगाना मुश्किल है. 10-12 साल तक के बच्चे को तो पता ही नहीं चल पाता है कि उस के पिता ने क्या गुनाह किया है और उन्हें हथकड़ी से बांध कर क्यों रखा गया है? वह बुत बना सभी चेहरों को निहारता रहता है. मां के रोने पर उस के साथ रोने लगता है. सब से ज्यादा तकलीफदेह हालत तो उस मां की होती है जब उस का मासूम बच्चा उस से पूछता है कि उस के पिता उन के साथ घर में क्यों नहीं रहते हैं? पिता को पुलिस वालों ने हथकड़ी से क्यों बांध रखा है? वे घर कब आएंगे? उन्हें जेल में क्यों रखा गया है?

वहम है अकेलापन

समय पर विवाह न हो पाने, जीवनरूपी सफर में हमसफर द्वारा बीच में ही साथ छोड़ देने या पतिपत्नी में आपसी तालमेल न हो पाने पर जब तलाक हो जाता है तो ऐसी स्थिति में एक महिला अकेले जीवन व्यतीत करती है. लगभग 1 दशक पूर्व तक इस प्रकार अकेले जीवन बिताने वाली महिला को समाज अच्छी नजर से नहीं देखता था और आमतौर पर वह पिता, भाई या ससुराल वालों पर निर्भर होती थी. मगर आज स्थितियां इस के उलट हैं. आज अकेली रहने वाली महिला आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और जीवन में आने वाली हर स्थिति का अपने दम पर सामना करने में सक्षम है.

‘‘यह सही है कि हर रिश्ते की भांति पतिपत्नी के रिश्ते का भी जीवन में अपना महत्त्व है, परंतु यदि यह रिश्ता नहीं है आप के साथ तो उस के लिए पूरी जिंदगी परेशान और तनावग्रस्त रहना कहां तक उचित है? यह अकेलापन सिर्फ मन का वहम है और कुछ नहीं. इंसान और महिला होने का गौरव जो सिर्फ एक बार ही मिला है उसे मैं अपने तरीके से जीने के लिए आजाद हूं,’’ यह कहती हैं एक कंपनी में मैनेजर 41 वर्षीय अविवाहिता नेहा गोयल. वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं आत्मनिर्भर हूं. अपनी मरजी का खाती हूं, पहनती हूं यानी जीती हूं.

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घर की स्थितियां कुछ ऐसी थीं कि मेरा विवाह नहीं हो पाया, परंतु मुझे कभी जीवनसाथी की कमी नहीं खली, बल्कि मुझे लगता है कि यदि मेरा विवाह होता तो शायद मैं इतनी आजाद और बिंदास नहीं होती. तब मेरी उन्नति में मेरी जिम्मेदारियां आड़े आ सकती थीं. मैं अभी तक 8 प्रमोशन ले चुकी हूं, जिन्हें यकीनन परिवार के चलते नहीं ले सकती थी.’’ केंद्रीय विद्यालय से प्रिसिंपल पद से रिटायर हुईं नीता श्रीवास्तव का अपने पति से उस समय तलाक हुआ जब वे 45 वर्ष की थीं और उन का बेटा 15 साल का. वे कहती हैं, ‘‘कैसा अकेलापन? मैं आत्मनिर्भर थी.

अच्छा कमा रही थी. बेटे को अच्छी परवरिश दे कर डाक्टर बनाया. अच्छा खाया, पहना और खूब घूमी. पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर बिताई. कभी मन में खयाल ही नहीं आया कि मैं अकेली हूं. जो नहीं है या छोड़ गया है, उस के लिए जो मेरे पास है उस की कद्र न करना कहां की बुद्धिमानी है?’’

रीमा तोमर के पति उन्हें उस समय छोड़ गए जब उन का बेटा 10 साल का और बेटी 8 साल की थी. उन की उम्र 48 वर्ष थी. पति डीएसपी थे. अचानक एक दिन उन्हें अटैक आया और वे चल बसे. अपने उन दिनों को याद करते हुए वे कहती है, ‘‘यकीनन मेरे लिए वे दिन कठिन थे. संभलने में थोड़ा वक्त तो लगा पर फिर मैं ने जीवन अपने तरीके से जीया.

आज मेरा बेटा एक स्कूल का मालिक है और बेटी अमेरिका में है. पति के साथ बिताए पल याद तो आते थे, परंतु कभी किसी पुरुष की कमी महसूस नहीं हुई. मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश थी और आज भी हूं.’’ मनोवैज्ञानिक काउंसलर निधि तिवारी कहतीं हैं, ‘‘अकेलापन मन के वहम के अलावा कुछ नहीं है. कितनी महिलाएं जीवनसाथी और भरेपूरे परिवार के होते हुए भी सदैव अकेली ही होती हैं. वंश को बढ़ाने और शारीरिक जरूरतों के लिए एक पति की आवश्यकता तो होती है, परंतु यदि मन, विचार नहीं मिलते तो वह अकेली ही है न? इसलिए अकेलेपन जैसी भावना मन में कभी नहीं आने देनी चाहिए.’’

अकेली औरतें ज्यादा सफल कुछ समय पूर्व एक दैनिक पेपर में एक सर्वे प्रकाशित हुआ था जो अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं पर कराया गया था. उस के अनुसार:

अकेली रहने वाली 93% महिलाएं मानती हैं कि उन का अकेलापन गृहस्थ महिलाओं की तुलना में जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल रहने में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है. इस से उन्हें आजादी से जीवन जीने का अधिकार मिला है.

65% महिलाएं जीवन में पति की आवश्यकता को व्यर्थ मानती हैं और वे विवाह के लिए बिलकुल भी इच्छुक नहीं हैं. द्य आवश्यकता पड़ने पर विवाह करने के बजाय इन्होंने किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना अधिक अच्छा समझा.

इन्हें कभी खालीपन नहीं अखरता. ये अपनी रुचि के अनुसार सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती है और आधुनिक मनोरंजन के साधनों का लाभ उठाती हैं. चिंतामुक्त हो कर जी भर कर सोती हैं.

इस सर्वेक्षण के अनुसार एकाकी जीवन जीने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या के अनुपात में बहुत कम है.

बढ़ रहा सिंगल वूमन ट्रैंड

पिछले दशक से यदि तुलना की जाए तो एकाकी जीवन जीने वाली महिलाओं की संख्या में 39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. विदेशों में अकेले जीवन जीने वाली महिलाओं की उपस्थिति समाज में बहुत पहले से ही है, साथ ही वहां वे उपेक्षा और उत्पीड़न की शिकार भी नहीं होतीं. भारतीय समाज में 1 दशक में महिलाओं की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है. हाल ही में आई पुस्तक ‘आल द सिंगल लेडीज अनमैरिड वूमन ऐंड द राइज औफ एन इंडिपैंडैंट नेशन’ की लेखिका रेबेका टेस्टर के अनुसार 2009 के अनुपात में इस दशक में सिंगल महिलाओं की बढ़ती संख्या समाज में उन के महत्त्व का दर्ज कराती है.

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यह सही है कि हर रिश्ते की अपनी गरिमा और महत्त्व होता है. अकेलापन सिर्फ मन का वहम तो है, परंतु इस के लिए सब से आवश्यक शर्त है महिला की आत्मनिर्भरता और आत्मशक्ति का मजबूत होना, क्योंकि यदि वह आत्मनिर्भर नहीं है तो उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पराधीन होना होगा. पराधीनता तो सदैव कष्टकारी ही होती है. आत्मनिर्भरता की स्थिति में उस पर किसी का दबाव नहीं होता और अपने ऊपर उंगली उठाने वालों को भी मुंहतोड़ जवाब दे पाने में सक्षम होती है. ‘‘अकेले रहने वाली महिलाओं को अपनी आत्मशक्ति को मजबूत रखना चाहिए. जो जिंदगी आप ने चुनी है उस में खुश रहना चाहिए. कभी किसी को अपने पति के साथ देख कर मन को कमजोर करने वाले विचार नहीं आने चाहिए,’’ यह कहती हैं नीता श्रीवास्तव.

जब भी कभी ऐसा अवसर जीवन में आता है तो इसे सिर्फ अपने मन का वहम मानें और सचाई को स्वीकार कर के जीवन को आगे बढ़ाएं. जिंदगी जिंदादिली का नाम है न कि किसी के सहारे का मुहताज होने का. स्वयं को अंदर से मजबूत कर के अपनी शक्ति को सामाजिक और रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए. साथ ही कुछ ऐसे संसाधनों को भी खोजना चाहिए जिन में आप व्यस्त रहें.

मेरा पुराना प्रेमी मेरी जिंदगी में वापस आ गया है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 24 वर्षीय युवती हूं. एक युवक से मैं पिछले 3 साल से प्रेम करती थी, लेकिन किसी कारण उस से ब्रेकअप हो गया. लेकिन मैं ने निराशा का दामन छोड़ आशा का मार्ग अपनाया और एक अन्य युवक से मेरा अफेयर हो गया अब हम शादी करने वाले हैं, लेकिन पिछले हफ्ते मेरा पुराना प्रेमी बाजार में मुझ से अचानक मिल गया और बोला कि मैं अब सुधर गया हूं तथा तुम्हारा साथ चाहता हूं. अब मैं क्या करूं?

जवाब

यह लड़का जो आप को छोड़ गया फिर आप ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और अब जब आप अपने जीवन को अपने दूसरे प्यार के साथ निभाने जा रही हैं तो वह सिर्फ आ कर माफी मांगता है और आप कन्फ्यूज हो जाती हैं कि क्या करूं?

अरे, उसे कहिए जा अब मेरी जिंदगी से. सोचिए, जब आप डिप्रैशन में थीं और ब्रेकअप के बाद बड़ी मुश्किल से खुद को संभाल रही थीं, वह कहां था. क्या वह तब आया आप से माफी मांगने? क्या उस के पास आप का कौन्टैक्ट नंबर, घर का पता, सहेली आदि के जरिए बातचीत करने का अवसर नहीं था. अगर वह चाहता तो तभी आप से माफी मांग एक नई शुरुआत कर सकता था, पर अब तो आप भी काफी आगे निकल चुकी हैं. उस के प्यार का कोई मतलब नहीं.

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गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से करें कंट्रोल

प्रेमी प्रेमिका में भले कितना प्रेम हो, फिर भी कई बार छोटीछोटी बातों पर तूतू मैंमैं हो ही जाती है. ऐसे में अगर प्रेमी गुस्सैल है तो गुस्से में कुछ भी कह देता है या मिलने आना तक छोड़ देता है. ऐसे में अगर प्रेमिका सोचती है कि मैं क्यों मनाऊं, मैं क्यों झुकूं इस के सामने, कुछ दिन दूरी बनाए रखूंगी तो खुद ही कौल करेगा और इसे सबक भी मिलेगा, तो रिलेशन में यह ईगो कभी काम नहीं करती और अगर प्रेमी गुस्सैल है तो उम्मीद के विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है.

ऐसे में अगर ब्रेकअप हो जाए तो प्रेमीप्रेमिका अपनेअपने स्तर पर यह कहते पाए जाते हैं कि पार्टनर ने हमें प्रेम में धोखा दे दिया जबकि यह धोखा नहीं बल्कि ईगो का सवाल होता है. ऐसे में जरूरत है उसे प्यार से समझने व समझाने की, इस से धीरेधीरे आप उस का बिहेव भी अपने प्रति पौजिटिव देखने लगेंगी.

कैसे करें कंट्रोल

ऐक्शन में रिऐक्शन नहीं

आप के प्रेमी ने आप को मिलने के लिए बुलाया था लेकिन आप ट्रैफिक जाम या फिर अन्य किसी कारण से टाइम पर नहीं पहुंच पाईं जिस कारण प्रेमी को काफी देर तक वेट करना पड़ा और आते ही वह आप पर बरस पड़ा, तो आप भी चिल्लाने न लग जाएं कि तुम्हारी तो आदत ही ऐसी है, मैं ने गलती की जो तुम से मिलने आई.

ऐसे में दोनों तरफ गरमागरमी का माहौल होने के कारण बात बिगड़ सकती है. इसलिए खुद को कंट्रोल करते हुए कहें कि बेबी मेरे स्वीटहार्ट, नैक्स्ट टाइम से ऐसा नहीं होगा प्लीज, कूल डाउन. आप की यह बात सुन कर वह खुद को कूल करने पर मजबूर हो जाएगा. आप की इस समझदारी के कारण आप का रिलेशन भी मजबूत होगा.

छोटीछोटी बात का इश्यू न बनाएं

आप का अपने प्रेमी के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम था, लेकिन ऐन वक्त पर उस ने यह कह कर मना कर दिया कि मुझे आज राहुल के साथ शौपिंग पर जाना ज्यादा जरूरी है, इसलिए आज का प्लान कैंसिल.

उस की ऐसी बात सुन कर आप की नाराजगी जायज है, लेकिन चाहे आप को कितना भी गुस्सा आए, क्योंकि आप जानती हैं कि ऐन वक्त पर ऐसे नाटक करने की उसे आदत है, तब भी आप दिल पर न लें और न ही इस बात को ले कर इश्यू बनाएं. जब आप की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं होगा तो उसे भी अपनी गलती का एहसास होगा. इस से बात बिगड़ेगी नहीं और उस के मन में आप के लिए प्रेम भी बढ़ेगा.

रोमांस से करें कंट्रोल

प्रेमी अकसर प्रेमिका का स्पर्श चाहता है और अगर उसे एक बार स्पर्श मिल जाए तो चाहे वह कितने भी गुस्से में हो, उस का गुस्सा पल में छूमंतर हो जाता है.

ऐसे में जब वह गुस्सा करे तो उसे कौंप्लिमैंट दें कि वाहवाह तुम गुस्से में कितने स्मार्ट लगते हो, उस के लिप्स पर किस करें, उसे अपनी बांहों में लेते हुए कहें कि तुम ही मेरी दुनिया हो, हाथों में हाथ डालें, बारबार उस के हाथों पर किस करें. इस से आप उसे कंट्रोल में करने में कामयाब हो जाएंगी और वह  आप के इस रोमांटिक अंदाज के सामने अपना गुस्सा भी भूल जाएगा.

अकेले छोड़ कर न भागें, बात सुनें

हो सकता है आप का बौयफ्रैंड ऐसी सिचुऐशन से गुजर रहा हो, जिस के कारण उसे छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आ जाता हो और वह आप को अपने मन की बात भी न बता पा रहा हो. ऐसे में यह सोच कर कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है उस की प्रौब्लम को समझें. उसे अकेला छोड़ने की भूल न करें, क्योंकि ऐसे वक्त पता होने के बावजूद मेरी गलती है वह फिर भी आप का साथ चाहेगा. इसलिए चाहे वह कितना भी रूठा हो उसे मनाएं जरूर और अकेला न छोड़ें वरना इस से आप के बीच दूरियां ही बढ़ेंगी. धीरेधीरे हो सकता है वह भी अपनी आदतों को छोड़ दे.

नापसंद चीजों को अवौइड करें

आप अपने प्रेमी के नेचर को अच्छी तरह जानती हैं और उस की पसंदनापसंद से भी वाकिफ हैं, तो ऐसे में जब आप को पता है कि उसे लेट आना या फिर जब आप उस के साथ हों, तब किसी का फोन अटैंड करना पसंद नहीं है तो इन सब चीजों को अवौइड करें. आप की तरफ से इस तरह का एफर्ट आप के गुस्सैल प्रेमी को कंट्रोल में रखने में मददगार साबित होगा, क्योंकि उसे तो यही लगेगा कि आप सिर्फ दुख की साथी हैं सुख की नहीं.

फेवरिट डिश से करें गुस्सा ठंडा

आप ने बिजी होने के कारण उस का फोन नहीं उठाया. इस कारण वह आप से रूठ गया है, तो ऐसे में आप की जिम्मेदारी है कि आप उस का रोमांटिक अंदाज में गुस्सा ठंडा करें. इस के लिए उस की फेवरिट डिश खुद अपने हाथों से बना कर उस पर प्यार की बौछार कर दें और साथ ही उस की डैकोरेशन भी काफी सैक्सी अंदाज में करें कि उसे देख कर उस का खुद पर कंट्रोल ही न रहे.

सरप्राइज दें

किसी बात को ले कर आप में और आप के प्रेमी के बीच काफी समय से अनबन चल रही है, तो ऐसे में फोन पर बात करने से मिसअंडरस्टैंडिंग और बढ़ेगी ही. इस से अच्छा है कि उस के औफिस जा कर उसे सरप्राइज दें. इस से उसे काफी खुशी मिलेगी. उसे लगेगा कि आप की लाइफ में उस की वैल्यू है तभी आप उस के लिए इतनी दूर तक आई हैं. इस से वह भी आप को गले लगाने में देर नहीं लगाएगा.

उस की पसंद की चीजों में हामी भरें

भले ही आप दोनों की पसंद न मिलती हो, लेकिन फिर भी आप को अपने प्रेमी की खुशी के लिए उस की पसंद को अपनी पसंद बनाने की कोशिश करनी होगी. ऐसा बिलकुल न करें कि वह कोई भी चीज दिखाए और आप बस हर बार यही कहें कि मुझे तो यह बिलकुल पसंद नहीं बल्कि कहें कि तुम्हारी पसंद कितनी अच्छी है, मुझे भी बिलकुल ऐसी चीज ही पसंद आती है. आप के ऐेसे पौजिटिव ऐटिट्यूड को देख कर वह भी खुद को आप के लिए इंप्रूव करेगा.

पुरानी यादों से बिखेरें स्माइल

प्रेमी के चेहरे पर मुसकान लाने के लिए या फिर उसे कूल करने के लिए उस के सामने पुरानी यादों का पिटारा खोल डालिए, जिस में आप एकदूसरे को हग कर रहे थे, एकदूसरे के साथ खूबसूरत लमहे बिता रहे थे, एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए थे. जब वह पुरानी यादों को इन फोटोज के जरिए याद करेगा तो निश्चित ही वह कितने भी गुस्से में हो उस के चेहरे पर मुसकान लौट आएगी.

रोमांटिक पलों के लिए टाइम निकालें

हर प्रेमी चाहता है कि उस की प्रेमिका उस के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथसाथ रोमांटिक टाइम भी बिताए और उस के कहे बिना जब आप उस के साथ खूबसूरत पलों को ऐंजौय करेंगी तो वह चाह कर भी आप से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाएगा.

इस तरह आप अपने गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से बड़ी आसानी से कंट्रोल कर पाएंगी.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरी बीवी का कोई प्रेमी है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 28 साल का हूं. मेरी शादी को 14 महीने हो चुके हैं. मुझे शक है कि मेरी बीवी का कोई प्रेमी है. बीवी कहती है कि वह उसे छोड़ चुकी है. मैं उस से बहुत प्यार करता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
शादी का रिश्ता प्यार व यकीन पर ही चल पाता है. जब बीवी कह रही है कि वह प्रेमी का साथ छोड़ चुकी है, तो आप को यकीन करना चाहिए. आप उसे प्यार करते ही हैं, तो अपने प्यार को इतना ज्यादा कर दें कि उस में दूसरे की गुंजाइश न रहे.

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यार के लिए पत्नी का वार

कृष्णा आगरा के थाना सदर के अंतर्गत आने वाले मधुनगर इलाके में अपने मांबाप और भाई अवनीत के साथ रहता था. इटौरा में उस की स्टील रेलिंग की दुकान थी जो काफी अच्छी चल रही थी. कृष्णा की अभी शादी नहीं हुई थी. उस की शादी के लिए जिला मैनपुरी के कस्बा बेवर की युवती प्रतिभा से बात चल रही थी. कृष्णा ने अपने परिवार के साथ जा कर लड़की देखी तो सब को लड़की पसंद आ गई. देखभाल के बाद शादी की तारीख भी नियत कर दी गई. फिर हंसीखुशी से शादी हो गई.

नई दुलहन को सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन कृष्णा की मां ने महसूस किया कि दुलहन के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं है. जबकि कृष्णा बहुत खुश था. मां ने सोचा कि प्रतिभा जब घर में सब से घुलमिल जाएगी तो ठीक हो जाएगी.

हफ्ते भर बाद जब सारे रिश्तेदार अपनेअपने घर चले गए तो प्रतिभा का भाई उसे लेने के लिए आ गया. किसी ने भी इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया कि प्रतिभा आम लड़कियों की तरह खुश क्यों नहीं है.

वह भाई के साथ पगफेरे के लिए चली गई और 4-6 दिन बाद कृष्णा उसे फिर ले आया. इस के बाद कृष्णा की पुरानी दिनचर्या शुरू हो गई. इसी बीच आगरा की आवासविकास कालोनी का रहने वाला ऋषि कठेरिया उस की दुकान पर आनेजाने लगा. ऋषि ठेके पर मकान बना कर देता था.

धीरेधीरे कृष्णा का ऋषि के साथ व्यापारिक संबंध जुड़ने लगा. ऋषि कृष्णा को स्टील रेलिंग के ठेके दिलवाने लगा.

दूसरी ओर प्रतिभा का व्यवहार परिवार वालों की समझ में नहीं आ रहा था. वह जबतब मायके जाने की जिद करने लगती तो सास उसे समझाती कि शादी के बाद बारबार मायके जाना ठीक नहीं है, ससुराल की जिम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं.

एक दिन प्रतिभा ने कृष्णा से कहा कि उसे अपने मांबाप की याद आ रही है, वह अपने मायके जाना चाहती है. इस पर कृष्णा ने कहा कि जब उसे फुरसत मिलेगी, वह उसे छोड़ आएगा.

ठीक उसी समय प्रतिभा के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो प्रतिभा ने फोन यह कह कर काट दिया कि वह फिर बात करेगी. लेकिन मायके जाने की बात पर वह अड़ी रही. आखिर कृष्णा ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी कर लो, मैं तुम्हें कल तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा.’’

अगले दिन घर वालों की इच्छा के खिलाफ कृष्णा उसे ससुराल ले गया. बस में बैठते ही प्रतिभा का मूड एकदम बदल गया. अब वह काफी खुश थी. शादी के 4 महीने बाद भी कृष्णा अपनी पत्नी के मूड को समझ नहीं पाया था. पर कृष्णा की मां की समझ में यह बात अच्छी तरह आ गई थी कि बहू कुछ तो उन से छिपा रही है.

प्रतिभा ने मायके जाने से पहले फोन द्वारा किसी को खबर तक नहीं दी थी. अत: जब वह मायके पहुंची तो उसे देख कर उस की मां हैरान हो कर बोली, ‘‘अरे दामादजी, आप अचानक ही… फोन कर के खबर तो कर दी होती.’’

इस से पहले कि कृष्णा कुछ कहता प्रतिभा बोली, ‘‘मम्मी, हमारा फोन खराब था, इसलिए खबर नहीं कर पाई.’’

कृष्णा पत्नी की इस बात पर हैरान था कि प्रतिभा मां से झूठ क्यों बोली. उस ने महसूस किया कि उस की सास लक्ष्मी के माथे पर बल पड़े हुए थे.

पत्नी को मायके छोड़ने के बाद कृष्णा जैसे ही आगरा वापस जाने के लिए घर से निकला तो उसे ऋषि दिख गया. उस ने पूछा, ‘‘अरे ऋषि, तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं गुप्ताजी से मिलने आया हूं.’’ उस ने एक घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह रहा गुप्ताजी का घर.’’

‘‘अरे वो तो प्रतिभा के चाचा का घर है.’’ कृष्णा बोला.

‘‘हां, वही गुप्ताजी. मेरे पुराने जानकार हैं.’’ ऋषि ने कहा.

कृष्णा हैरान था. तभी उस ने पूछा, ‘‘तब तो तुम यह भी जानते होगे कि गुप्ताजी के बड़े भाई मेरे ससुर हैं?’’

‘‘हांहां जानता हूं, प्रतिभा उन की ही तो बेटी है.’’ ऋषि ने लापरवाही से कहा.

‘‘लेकिन तुम ने यह बात मुझे पहले कभी नहीं बताई.’’ ऋषि ने पूछा.

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी.’’ ऋषि ने  कहा तो कृष्णा ने मुड़ कर प्रतिभा को देखा. शक का एक कीड़ा उस के दिमाग में घुस चुका था.

उस ने सामने से जाते हुए ईरिक्शा को रोका और बसअड्डे पहुंच गया. रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि यदि ऋषि का प्रतिभा के चाचा के घर आनाजाना था तो यह बात उस ने या प्रतिभा ने उसे क्यों नहीं बताई.

उस के जेहन में यह बात भी खटकने लगी कि मां ने उसे एकदो बार बताया था कि ऋषि उस की गैरमौजूदगी में भी कई बार उस के घर आया था. यह बातें सोच कर वह काफी तनाव में आ गया.

अभी तक तो वह यह समझ रहा था कि नईनई शादी होने की वजह से प्रतिभा को मायके वालों की याद आती होगी, इसलिए उस का मन नहीं लग रहा होगा, लेकिन अब उसे लगने लगा कि उस का जल्दीजल्दी मायके आने का कोई और ही मकसद है.

इसी तनाव में वह घर पहुंचा तो मां ने छूटते ही कहा, ‘‘बेटा, तेरी बीवी के रंगढंग हमें समझ नहीं आ रहे. उस का रोजरोज मायके जाना ठीक नहीं है.’’

उस समय कृष्णा ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अभी उसे केवल शक ही था, जब तक वह मामले की तह तक नहीं पहुंचता तब तक घर में बता कर बेकार का फसाद फैलाना ठीक नहीं था.

हफ्ते भर बाद वह पत्नी को मायके से लिवा लाया. कुछ दिन बाद पता चला कि प्रतिभा गर्भवती है. पिता बनने की चाह में कृष्णा के मन की कड़वाहट पिघलने लगी. लेकिन उस ने अब ऋषि से घुलमिल कर बातें करनी बंद कर दीं. इधर ऋषि भी समझ गया था कि कृष्णा के तेवर कुछ बदले हुए से हैं, इसलिए वह भी सतर्क हो गया.

शक का कीड़ा जो कृष्णा के दिमाग में रेंग रहा था, वह उसे चैन से नहीं रहने दे रहा था. वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकता था.

एक दिन कृष्णा के बहनबहनोई घर आए तो बहनोई ने बातों ही बातों में कृष्णा से पूछा, ‘‘आजकल लगता है दुकान पर तुम्हारा मन नहीं लगता. क्या कोई परेशानी है?’’

‘‘नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’’ कृष्णा ने जवाब दिया.

‘‘लगता है, प्रतिभा तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखती.’’ बहनोई ने पूछा तो कृष्णा की मां ने कह दिया, ‘‘अरे दामादजी, खयाल तो वो तब रखे जब उसे मायके आनेजाने से फुरसत मिले.’’

सास की बात प्रतिभा को अच्छी नहीं लगी. उस ने छूटते ही कहा, ‘‘इस घर में किसी को मेरी खुशी भी नहीं सुहाती.’’ कह कर वह दनदनाती हुई अपने कमरे में चली गई. इस से कृष्णा के बहनबइनोई समझ गए कि पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं हैं.

कृष्णा को पत्नी का यह व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. बहनबहनोई तो चले गए, लेकिन कमरे में आने के बाद उस ने प्रतिभा को दो  तमाचे जड़ते हुए कहा, ‘‘अपना व्यवहार सुधारो वरना अच्छा नहीं होगा.’’

‘‘अब इस से ज्यादा बुरा क्या होगा कि तुम्हारे जैसे आदमी के साथ मेरी शादी हो गई.’’ कह कर प्रतिभा बैड पर जा कर बैठ गई. उस दिन के बाद उन दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

दूसरी ओर प्रतिभा रात में देरदेर तक ऋषि के साथ मोबाइल पर बातें करती. एक दिन कृष्णा की नींद खुल गई तो उस ने देखा कि प्रतिभा किसी से बातें कर रही थी. वह समझ गया कि ऋषि से ही बातें कर रही होगी. कृष्णा समझ गया कि प्रतिभा अब आपे से बाहर होती जा रही है. पर करे तो क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था.

इसी बीच प्रतिभा ने एक बेटी को जन्म दिया. पूरे घर में जैसे खुशी छा गई. बच्ची का नाम राधिका रखा गया. कृष्णा को उम्मीद थी कि मां बन जाने के बाद शायद प्रतिभा के व्यवहार में कोई फर्क आ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं. कृष्णा को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि ऋषि के साथ प्रतिभा के नाजायज संबंध शादी से पहले से थे. चूंकि ऋषि शादीशुदा था, इसलिए उस के साथ शादी करना प्रतिभा की मजबूरी थी.

प्रतिभा के मांबाप को सब कुछ मालूम था, इसीलिए उन्होंने बेटी को कृष्णा के गले बांध दिया और सोचा कि शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन प्रतिभा का रवैया नहीं बदला.

कृष्णा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था. वह प्रतिभा को भी खुश रखने का भरसक प्रयास करता था लेकिन अपनी परेशानी घर में किसी को बता नहीं पा रहा था. जबकि प्रतिभा के व्यवहार से कोई भी खुश नहीं था.

धीरेधीरे समय गुजर रहा था. मौका मिलते ही प्रतिभा चोरीछिपे ऋषि से यहांवहां मिल लेती पर वह जानती थी कि कृष्णा जैसे व्यक्ति के साथ वह पूरा जीवन नहीं गुजार सकती. दूसरी ओर ऋषि भी शादीशुदा था, उसे लगता था कि उस का जीवन कटी पतंग की तरह है. प्रेमी ने कभी उसे इस बात के लिए आश्वस्त नहीं किया कि वह उसे अपने साथ रख सकता है.

संभवत: इसी कशमकश में प्रतिभा भी समझ नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे. कृष्णा से छुटकारा पाने के बारे में वह सोचने लगी पर वह जानती थी कि मायके वाले भी ऋषि के कारण उस के खिलाफ थे.

इसी बीच कृष्णा ने 25 लाख रुपए में अपनी एक जमीन बेच दी. वह रकम उस ने घर में ही रख दी थी. यह बात प्रतिभा को पता चल गई थी और अचानक उसे लगा कि पति के इस पैसे से वह प्रेमी को बाध्य कर देगी कि वह उस के साथ अपनी दुनिया बसा ले.

प्रेमी को पाने की धुन में वह गुनहगार बनने को भी तैयार हो गई. एक दिन उस ने ऋषि को फोन कर के कहा कि वह उसे बड़ा फायदा करा सकती है.

ऋषि हंसने लगा, ‘‘अरे तुम तो हमेशा ही मुझे खुशियां देती हो.’’

‘‘लेकिन तुम तो मुझे केवल सपने ही दिखाते हो जो आंखें खुलते ही टूट जाते हैं.’’ प्रतिभा ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘प्रतिभा, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरी मजबूरियां क्या हैं. मेरी पत्नी है, बच्चे हैं. मैं उन्हें किस के सहारे छोड़ सकता हूं.’’ ऋषि ने कहा.

प्रतिभा गुस्से में भर उठी, ‘‘तो मुझ से प्यार क्यों किया? क्यों मुझे झूठे सपने दिखाए? तुम ने तो सिर्फ अपना मतलब पूरा किया है. तुम्हें तो कभी मुझ से प्यार था ही नहीं.’’

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प्रतिभा ने उस दिन ऋषि को साफसाफ कह दिया, ‘‘या तो तुम मुझे अपने साथ रखो अन्यथा मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर चली जाऊंगी. समझ लो मैं आत्महत्या भी कर सकती हूं, जिस का दोष तुम्हारे ऊपर आएगा.’’

ऋषि ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. अत: उस ने उस दिन प्रतिभा को किसी तरह समझाबुझा दिया कि वह कुछ सोचेगा. तभी प्रतिभा ने धीरे से कहा, ‘‘कृष्णा ने अपनी जमीन बेची है. 25 लाख की बिकी है.’’

ऋषि के कान खड़े हो गए. प्रतिभा ने आगे कहा, ‘‘इन 25 लाख के सहारे हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा सकते हैं.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो क्या, चोरी के इलजाम में जेल भिजवाओगी हमें.’’ ऋषि ने कहा. लेकिन वह जानता था कि प्रतिभा उस के प्यार में अंधी है और थोड़ाबहुत लाभ उसे हो सकता है. ऋषि ने उसे 2 दिन बाद किसी होटल में मिलने को कहा.

इस के बाद ऋषि को भी लालच आ गया. उस ने प्रतिभा से फोन पर बात की. प्रतिभा ने उस से साफ कह दिया, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. लेकिन कृष्णा हमारी खुशियों की राह में रोड़ा बना हुआ है.’’

फिर एक दिन बेटी को डाक्टर को दिखाने का बहाना कर प्रतिभा घर से निकली और एक कौफीहाउस में ऋषि से मिली. दोनों ने मिल कर एक षडयंत्र रचा, जिस में कृष्णा को रास्ते से हटाने की बात तय कर ली गई.

नादान प्रतिभा प्रेमी की आशिकी में अंधी हो चुकी थी. उसे भलाबुरा नहीं सूझ रहा था. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस की 9 माह की बेटी का क्या होगा. इधर प्रतिभा के बदले हुए तेवर देख कर एक दिन सास ने कहा, ‘‘बहू, क्या बात है आजकल तू हर वक्त घर से निकलने के बहाने ढूंढती रहती है?’’

‘‘नहीं तो मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है. राधिका की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए परेशान रहती हूं.’’ प्रतिभा ने बहाना बनाया.

‘‘देख बहू, हमारे परिवार का समाज में सम्मान है. हमारे परिवार में बहुएं सिर्फ घर के बच्चों और पति के लिए ही जीतीमरती हैं.’’ कह कर सास अपने कमरे में चली गई.

कृष्णा को रास्ते से हटाने की योजना बन चुकी थी और 25 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए देने का वादा कर ऋषि ने इस साजिश में अपने दोस्त पवन निवासी रायमा, जिला मथुरा को भी शामिल कर लिया था.

13 फरवरी, 2018 को कृष्णा के पास ऋषि का फोन आया. उस ने बताया कि उसे एक बहुत बड़ा ठेका मिला है. उस बिल्डिंग में स्टील ग्रिल भी लगनी है. अगर तुम यह काम करना चाहते हो तो बात करने के लिए रायमा आ जाओ. कृष्णा ने पहले तो सोचा कि वह उस से कोई संबंध नहीं रखना चाहता, क्योंकि वह विश्वास के काबिल नहीं है. पर फिर उसे लगा कि पारिवारिक बातों को व्यापार से अलग ही रखना चाहिए. अत: उस ने कह दिया कि वह शाम तक रायमा पहुंच जाएगा.

कृष्णा ने घर से निकलते वक्त अपनी मां को बता दिया कि एक सौदा करने के लिए वह रायमा जा रहा है. पति के घर से निकलने के बाद प्रतिभा ने अपने प्रेमी ऋषि को फोन कर के बता दिया कि कृष्णा घर से चल दिया है.

घर में किसी को भी नहीं मालूम था कि कौन सा कहर टूटने वाला था. कृष्णा रायमा पहुंचा तो वहां ऋषि, पवन और रायमा निवासी टिल्लू बातों में उलझा कर कृष्णा को खेतों की ओर ले गए. लेकिन तभी वहां कुछ लोग आ गए और वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. जब रात में कृष्णा घर पहुंचा तो उसे देख कर प्रतिभा हैरान रह गई. देर रात को प्रतिभा ने ऋषि को फोन किया तो उस ने प्रेमिका को सारी बात बता दी.

अगले दिन ऋषि ने कृष्णा के फोन पर बता दिया कि उस की पवन से बात हो गई है. वह अब अपने घर में रेलिंग लगाने का ठेका देने को तैयार हो गया है, तुम आ जाओ.

सीधासादा कृष्णा बिना कुछ सोचेसमझे 14 फरवरी, 2018 को अपनी मां से रायमा जाने की बात कह कर घर से निकल गया, जहां स्टेशन पर ही उसे ऋषि मिल गया. ऋषि उसे बातों में लगा कर इधरउधर घुमाता रहा. तब तक शाम हो गई. तभी पवन का फोन आ गया. उस के कहे मुताबिक, ऋषि कृष्णा को खेतों की तरफ ले गया. तब तक अंधेरा होने लगा था.

तभी वहां उसे पवन दिखाई दिया, जिस ने इशारा कर के उन्हें सड़क पार कर खेत में आने को कहा. कृष्णा को जब तक कुछ समझ में आता तब तक काफी देर हो चुकी थी. वहीं टिल्लू भी आ गया तो कृष्णा ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें सौदा मंजूर है तो अब जल्दी से कुछ एडवांस दे दो. रात भी हो रही है, मुझे घर पहुंचना है. प्रतिभा इंतजार कर रही होगी.’’

यह सुनते ही पवन हंसने लगा, ‘‘ओह क्या सचमुच तेरी बीवी तेरा इंतजार करती है. हमें तो यह पता है कि वह ऋषि का इंतजार करती है.’’

कृष्णा की समझ में अब कुछकुछ आने लगा था. उस ने कहा, ‘‘यह क्या बदतमीजी है, जल्दी करो मुझे जाना है.’’ यह कहते हुए वह अपनी बाइक की तरफ बढ़ा लेकिन तीनों झपट कर उसे खेत के अंदर ले गए और डंडों से उस की पिटाई शुरू कर दी. डंडों से पीटपीट कर उन्होंने उस की हत्या कर लाश वहीं छोड़ दी और चले गए.

इधर कृष्णा घर नहीं पहुंचा था. घर से जाने के बाद उस ने कोई फोन भी नहीं किया था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. सभी रिश्तेदारों को फोन कर पूछ लिया गया, पर वह कहीं नहीं था. अंतत: आगरा के थाना सदर में उस की गुमशुदगी लिखवा दी गई.

प्रतिभा के मायके वालों को फोन किया गया तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि ऋषि से पूछताछ करें. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने सभी थानों को वायरलैस द्वारा कृष्णा की गुमशुदगी की सूचना दे दी.

16 फरवरी को पुलिस को रायमा के खेत में एक लाश मिलने की सूचना मिली, जिसे कृष्णा के भाई अवनीश ने पहचान कर शिनाख्त कर दी.

घर वालों से पूछताछ की गई तो कृष्णा की मां ने कहा कि कृष्णा ने उसे बताया था कि रेलिंग का ठेका लेने के लिए वह रायमा जा रहा है. पर वह कहां जा रहा था, उसे पता नहीं था. 13 और 14 फरवरी को भी वह रायमा गया था. 13 को वह देर रात घर लौटा था. वह नहीं बता पाई कि कृष्णा रायमा में किस के पास गया था.

पुलिस टीम हत्यारे की खोजबीन में लग गई. पुलिस की एक टीम बेवर भेजी गई तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन यदि कृष्णा के दोस्त ऋषि से पूछताछ की जाए तो कुछ पता चल सकता है. जांच अधिकारी ने महसूस किया कि प्रतिभा के मायके वाले कुछ छिपा रहे हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने कृष्णा के घर जा कर प्रतिभा से पूछताछ की तो महसूस किया कि उसे पति की मौत का जैसे कोई दुख नहीं था. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि ऋषि की दोस्ती रायमा निवासी पवन के साथ है. अगर उसे हिरासत में लिया जाए तो केस खुल सकता है.

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पुलिस ने रायमा में पवन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतक की पत्नी प्रतिभा के साथ ऋषि के नाजायज संबंध थे. मृतक की पत्नी प्रतिभा ने ऋषि को बता दिया था कि कृष्णा ने जो 25 लाख रुपए की जमीन बेची है, उन पैसों से वे एक अच्छी जिंदगी की बुनियाद रख सकते हैं. इस के बाद पवन ने कृष्णा की हत्या की सारी कहानी बता दी.

पुलिस ने 18 फरवरी को प्रतिभा को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस बीच पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि ऋषि ने बाह थाने में अपने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिस में उस ने बताया था कि वह किसी तरह अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूट कर भागा है. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने ऋषि और टिल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया.

प्रतिभा ने योजना बना कर अपने हाथों अपना सुहाग तो उजाड़ दिया, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिन 25 लाख रुपयों के लालच में उस ने यह सब किया, वह रकम कृष्णा ने अपने कमरे में न रख कर अपनी मां के पास रख दी थी.

पुलिस ने ऋषि, प्रतिभा, पवन और टिल्लू से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. 9 माह की राधिका अनाथ हो चुकी है. मां जेल में है और पिता की हत्या कर दी गई है. बूढ़ी दादी अब कैसे उसे पाल पाएगी, यह बड़ा सवाल है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को कहें हां या न

साल 2010 में अपर्णा सेन की एक इंडियन-जापानी रोमांटिक ड्रामा बेस्ड बंगालीहिंदी फिल्म आई थी जिस का नाम था ‘जैपनीज वाइफ.’ इस का मुख्य प्लौट लौंग डिस्टैंस लव पर था. इस में मुख्य पात्र स्नेह्मोय चटर्जी (राहुल बोस) को प्यार हो जाता है दूर स्थित जापानी मूल की लड़की मियागु (चिगुसा टकाकु) से. दोनों में लैटर्स से बातचीत होती है और इन्हीं लैटर्स के आदानप्रदान में वे एकदूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने का वचन भी ले लेते हैं. लंबी दूरी होने के कारण 17 साल बाद भी वे एकदूसरे से मिल नहीं पाते, लेकिन उन के बीच रिश्ता फिर भी मजबूत ही रहता है. फिल्म के अंत में स्नेह्मोय चटर्जी की मौत के बाद उस की जापानी मूल की पत्नी भारत लौट आती है और चटर्जी की विधवा बन कर जीने लगती है.

फिल्म चाहे कई लूपहोल्स के साथ रही हो लेकिन इस फिल्म की कहानी की खासीयत लौंग डिस्टैंस लव था जो काफी अच्छे से दिखाया गया. खैर, अब बात फिल्म के एक दशक बाद की है. 2010 की तुलना में आज काफी चीजें बदल गई हैं. आज एकदूसरे से चिट्ठियों के माध्यम से कम्युनिकेट करने का तरीका लगभग खत्म हो गया है.

आज जमाना डिजिटल युग का है जिस में दुनिया एक फोन के भीतर समा चुकी है. गांव में बैठा युवक मीलों दूर शहर या दूसरे देश में किसी से आसानी से कम्युनिकेट कर सकता है. फिर ऐसे में आशंका तो कई गुना बढ़ जाती है कि लंबी दूरी के रिश्ते अपने पंख डिजिटल के माध्यम से फैला रहे होंगे.

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आनंद पर्वत इलाके में रहने वाला सनी एक आम परिवार का लड़का है जिस के पिताजी कारपैंटर का काम करते हैं. सनी की कहानी भी कुछ ‘जैपनीज वाइफ’ फिल्म से मिलतीजुलती है. लेकिन यह आज की बात है तो मामला चिट्ठीपत्री से हट कर डिजिटल हो गया. अपना कैरियर बनाने के लिए इंग्लिश सीखने की चाहत में सनी ने पास के एक एनजीओ में फ्री कोर्स सीखने का मन बनाया. कोर्स इंस्ट्रक्टर ने उसे सुझव दिया कि अगर इंग्लिश सीखनी है तो विदेशी मूल के लोगों से कम्युनिकेट करना शुरू करो. बस, फिर क्या, सनी ने औनलाइन साइट विजिट की जहां उस की मुलाकात इंडोनेशिया की एक लड़की से हुई. दोनों एकदूसरे से लगातार बात करते रहे और धीरेधीरे एकदूसरे को पसंद भी करने लगे. लेकिन, उस के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि उस का यह लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप कितना सफल होगा. मुश्किल यह है कि इस रिश्ते में कितनी ‘हां’ और कितनी ‘न’ की गुंजाइश है.

जाहिर है आज डिजिटल टैक्नोलौजी के बढ़ते दायरे और पूरी दुनिया के फोन में सिकुड़ जाने से हमारे सामने लोगों से मेलजोल बढ़ाने व सीखने का अवसर बढ़ गया है. इन अवसरों के साथसाथ आज मौका अपने लिए प्यार चुनने का भी मिल गया है. फिर चाहे बात करने वाला या वाली कितनी ही दूर क्यों न हो. जहां पहले लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप के मौके किसी खास सिचुएशन में ही आ पाते थे, जैसे पढ़ाई या नौकरी के लिए सैकड़ों मील दूर जाना हो. आज ऐसी सिचुएशन घर बैठे सोशल मीडिया प्रोवाइड करवा देता है जिस में इंटरनैट ने चीजों को बहुत आसान कर दिया है. लेकिन लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप यानी एलडीआर सुनने में जितनी रूहानी लगती है उतना ही वह अपने साथ कुछ समस्याएं ले कर भी चलती है.

-सब से बड़ी समस्या फाइनैंशियल उभर कर आती है. इस समस्या को अगर आंका जाए तो भारत में आधे से ज्यादा एलडीआर वाले कपल एकदूसरे से मिलने की उम्मीद लगा ही नहीं पाते. यह सही है यंग एज में किसी से औनलाइन बात करना और बात का आगे बढ़ जाना सामान्य हो सकता है लेकिन उस रिश्ते को मुकाम तक पहुंचाने में सब से बड़ी अड़चन पैसों की आती है. यही बड़ा कारण इस समय सनी जैसे एलडीआर में है जिस में उन का एकदूसरे से मिलना फिलहाल असंभव दिखाई दे रहा है.

इस कारण वह चाह कर भी कोई कमिटमैंट करने की कंडीशन में नहीं है.

–  रिऐलिटी परियों की कहानियों से अलग है. हर किसी की अपनी जरूरतें होती हैं. खासकर तब जब आप रिलेशनशिप में होते हैं, तब आप की अपने पार्टनर के साथ फिजिकल होने की इच्छा प्रबल हो जाती है. लेकिन लौंग डिस्टैंस वाले रिश्तों में सिंपल टच तक के लिए तरसना पड़ता है तो सैक्स और किस करना तो दूर की बात है. शुरुआत में लगता है कि सब ठीक है लेकिन जैसे ही रिलेशन कुछ महीने आगे बढ़ता है तब इंटिमेसी लैवल भी हाई होने लगता है, जिस के पूरा न होने के कारण फ्रस्ट्रैशन लैवल भी बढ़ने लगता है.

-लौंग डिस्टैंस रिलेशन में हमेशा इनसिक्योरिटी बनी रहती है. ज्यादातर रिश्तों में यह तब होता है जब आप किसी को जानते तो हों लेकिन उस के तौरतरीकों को फेसटूफेस औब्जर्व नहीं कर पाते. लौंग डिस्टैंस रिलेशन की यही समस्या है कि सारा रिलेशन कम्युनिकेशन पर टिका रहता है. इस में ओब्जर्व करने के लिए सिर्फ बात ही एक रास्ता होता है, इसलिए डेटूडे लाइफ में आप के पार्टनर का किन से मिलना, कितने फ्रैंड, कहां विजिट किया जैसे सवाल कई शंकाओं को जन्म दे सकते हैं.

-इस तरह के रिश्तों में सब से बड़ी समस्या कम्युनिकेशन पर टिकी होती है. यानी आप किसी तकनीक की सहायता से ही एकदूसरे के रिश्ते में बंधे हैं. सोशल मीडिया या टैलीफोन से कम्युनिकेशन एक लिमिट तक ही अंडरस्टैंडिंग लैवल बढ़ा सकता है. आमतौर पर एलडीआर में डेटूडे बातचीत ही मुख्य होती है. इस का बड़ा कारण कपल के बीच फ्रैश मैमोरीज न के बराबर होती हैं. किसी मैमोरी के बनने का तरीका किसी घटना या इवैंट से जुड़ा होता है, और इवैंट ऐसा जो दोनों को रिलेट करे. किंतु ऐसी कंडीशन में इस तरह की मैमोरीज न के बराबर होती हैं, तो कम्युनिकेशन में एक समय के बाद ठहराव आ जाता है जो इरिटेट भी करने लगता है.

-ऐसे रिश्तों में ट्रस्ट लैवल कम रहता है. किसी लव रिलेशन में पार्टनर के प्रति ट्रस्ट या भरोसा होना बहुत बार सैक्सुअल रिलेशन से निर्धारित होता है, जिस में आमतौर पर यह समझ जाता है कि आप तन और मन से समर्पित हैं या नहीं. जाहिर सी बात है, पार्टनर का मन समर्पित है यह माना जा सकता है लेकिन तन समर्पित न होना, विश्वास की लकीर को कमजोर करता है. ऐसे में हमेशा अपने पार्टनर के क्लोज फ्रैंड्स को ले कर इनसिक्योरिटी रहती है, जिसे ले कर हमेशा संदेह लगा रहता है.

खैर, कुछ समस्याएं हैं जिन से एक लौंग डिस्टैंस कपल को दोचार होना पड़ता है. लेकिन, भारत में यह प्रौब्लम इस से कई गुना आगे बढ़ जाती है. भारत देश डाइवर्सिटी से घिरा हुआ है. कुछ लोग इस पर प्राउड करते हैं, वहीं कुछ डाइवर्सिटी के होने के अनेक एक्सपीरियंस तो मानते हैं लेकिन इस के साथ इसे सोशल बैरियर भी मानते हैं, जो आपस में आसानी से कनैक्ट करने से रोकते हैं. इन्हीं बैरियर्स में कास्ट, रिलीजन, एरिया, लैंग्वेज और कल्चर आता है. हमारे देश में किसी रिश्ते में बंधने का मतलब पारिवारिक मंजूरी का होना जरूरी हो जाता है. इतने सारे बैरियर्स पार करना अपनेआप में चुनौती होता है. फिर लौंग डिस्टैंस रिलेशन तो एक कदम और दूर की बात है.

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अगर आप भी लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में हैं या आना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप इन पौइंट्स को कंसीडर करें. जरूरी नहीं कि ये चीजें हर किसी के लिए समस्या हों, अगर आप इन्हें ध्यान में रखते हुए इन से टैकल कर सकते हैं तो चीजें बेहतर होंगी. लेकिन ध्यान रहे ऐसे रिश्ते ज्यादातर कंडीशन में असफल ही होते हैं. अगर लौंग डिस्टैंस में ही जाने का मन हो तो कोशिश करें कि आप का/की पार्टनर भले पास का न हो लेकिन उसी शहर से हो जहां से आप बिलोंग करते हैं. ऐसी स्थिति में इन बिंदुओं को आसानी से टैकल किया जा सकता है और संभव है कि भविष्य में आप के एकदूसरे को जीवनसाथी चुनने की संभावना भी बढ़ जाएगी.

फ़्लर्ट करिए जिंदगी में रंग भरिए

“हाय कैसी हो पूजा,” प्रभात पूजा के पास आ कर बैठता हुआ बोला.

“गुड. आप बताओ, ” पूजा ने भी पहचानी हुई नजरों से देखते हुए जवाब दिया.

“याद है न पिछली दफा हम रोहित की बर्थडे पार्टी में मिले थे, ” प्रभात ने याद दिलाने की कोशिश की.

“हां याद है मुझे. आप विहान के दोस्त हो न? ”

” हां. ”

“मेरा नाम याद रह गया आप को ?” पूजा ने शरारत से कहा.

“बिलकुल. दरअसल उस पार्टी में मिला तो बहुतों से से था मगर याद केवल आप रहीं,” प्रभात ने अपने दिल की बात कही
.
“अच्छा पर ऐसा क्यों ? “हंस कर पूजा ने पूछा.

“कुछ तो है आप में जो दूसरों में नहीं. शायद यह आप की बोलती हुई सी आँखें या फिर आप की यह मुसकान जो बस दिल पर असर करती है. ”

“रियली? यानी मेरी मुसकान ने पहली ही बार में इतना असर कर दिया,” पूजा प्रभात की आंखों में देखती हुई बोली.

“ऑफकोर्स, तभी तो महफ़िल में मेरी नजरें बस आप को ढूंढ रही थीं. ”

“बहुत दिलचस्प हैं आप. हमारी काफी जमेगी पर अभी निकलना होगा मुझे. दरअसल मेरा भाई नीचे वेट कर रहा है. फिर मिलेंगे, ” पूजा उठने लगी तो प्रभात ने अपना कार्ड देते हुए कहा, “श्योर. यह है मेरा नंबर कभी भी फ़ोन कर सकती हैं. ”

“जरूर. थैंक्स. बाय. ”

फ्लर्टिंग का यह एक छोटा सा उदाहरण है. प्रभात ने एक मामूली सी मुलाक़ात को दोस्ती में बदलने की पूरी कोशिश की थी और कामयाब भी हुआ.

जिंदगी बहुत खूबसूरत है मगर कई बार हम सही अर्थों में इस जिंदगी का आनंद नहीं ले पाते. कभी ऑफिस और घर की जिम्मेदारियां, कभी बीमारी हारी, कभी बोरियत भरी एकसार सी नीरस जिंदगी और कभी अकेलापन यानी किसी ऐसे साथी का अभाव जो बिल्कुल अपने जैसा हो और जो आप की रंगहीन जिंदगी में रंग भर जाए.

कई दफा आप जिंदगी में ऐसे लोगों से टकराए होंगे जिन के व्यक्तित्व ने आप को चुंबक की तरह आकर्षित किया होगा. आप के दिल ने कहा होगा कि काश यह मेरा होता. मगर आप जानते हैं कि वह आप का नहीं. आप या वो शादीशुदा है या फिर आप एकदूसरे से अनजान हैं. संकोचवश आप उस से बात तक नहीं कर पाए होंगे. मगर सोचिए क्या होता यदि आप ने उस से हल्के रोमांटिक मूड में बातें कर ली होतीं. उस की आंखों की शरारत भरी मुस्कान पर दोचार शायरियां सुना दी होतीं. जाहिर है आप दोनों के बीच एक प्यारा सा रिश्ता बन जाता. दोस्ती का रिश्ता कहिए या आकर्षण का रिश्ता. इस से किसी को परेशानी नहीं होती मगर आप का दिन बन जाता. आप घर आने के बाद भी बेवजह खुश रहते. कुछ सोचते, कुछ कल्पना करते और कुछ गीत गुनगुनाते. इसी को तो फ़्लर्ट करना कहते हैं.

चंद लम्हों की मुलाकात हो या लंबे समय तक एक साथ रहना हो, किसी भी हाल में अपने दिल की बात थोड़ी शराफत और थोड़ी शरारत के साथ जुबां पर लाने की कला ही फ्लर्टिंग है. कई बार फ्लर्टिंग की आदत के कारण आप को मनपसंद जीवनसाथी भी मिल जाता है.

कैसे करें शुरुआत फ्लर्टिंग की

आई कांटेक्ट बनाएं

जब आप किसी के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश करना शुरू करते हैं तो सब से पहले आई कांटेक्ट बनाएं. उस व्यक्ति की आँखों में गहराई से झांकें. ऐसा तब तक करते रहें जब तक वह आप को ऐसा करते पकड़ नहीं ले . इस के बाद भी कुछ पल के लिए उसे देखते रहें फिर मुस्कुराएं और नज़रें फेर लें. जब आप उस से बात कर रहे हों तब भी उस की आँखों में देखें.

मुस्कुराएं

जब आप किसी ऐसे शख्स से बात करते हैं जिसे आप पसंद करते हैं तो मुस्कान खुद ब खुद आप के चेहरे पर आ जाती है. आप तब भी मुस्कुरा सकते हैं जब आप हॉल में उस के पास से गुजरें या फिर कमरे के आर पार खड़े हों. अपने जज्बात जाहिर करने के लिए एक छोटी सी मुस्कराहट काफी होती है.
अपने मुंह के बजाय अपनी आँखों से मुस्कुराने की कोशिश करें. जब आप दिल से मुस्कुराते हैं तो आप का पूरा चेहरा चमक जाता है और इस बात का अहसास सामने वाले को भी होता है.

बात करें

आप जिस के साथ फ़्लर्ट करना चाह रहे हैं यदि उसे पहले से नहीं जानते तो एक सिंपल सा इंट्रोडक्शन फ्लर्टिंग शुरू करने का अच्छा तरीका है. आप ऐसे कह सकते हैं, “Hi, मैं मयंक गोस्वामी और आप…..? ”
जब वह अपना नाम बताये तो आप उस के नाम की तारीफ करते हुए बात आगे बढ़ा सकते हैं. बातचीत की शुरुआत आप मौसम, कोई करंट इशू या फिर अपनी हॉबी के बारे बताते हुए कर सकते हैं. बातचीत शुरू करने का सब से आसान तरीका है कि आप ऐसी कोई बात बोलें जिस का अंत सवाल से ही हो जैसे, ‘मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की इस हफ्ते इतनी बारिश हुई है’ या ‘इस जगह काफी भीड़ है, है न?’
आप क्या कह रहे हैं वह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि आप उस से बातें करना चाहते हैं और सामने वाले को इस के लिए न्यौता दे रहे हैं .

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अगर आप उस से पहले मिले हुए हैं तो आप दोनों के बीच किसी आम रूचि या अनुभव पर बात करें. जवाब देने के तरीके को को समझें. अगर दूसरा व्यक्ति इंट्रेस्ट ले कर बात का जवाब देता है तो ही बात को आगे बढ़ाएं. अगर वह जवाब नहीं देता या फिर उलझा हुआ सा लग रहा है तो शायद वह आप के साथ फ्लर्टिंग करने में इंटरेस्टेड नहीं है.

जब आप हलके विषयों पर बात करे रहे होते हैं जैसे, पेट्स, रियलिटी शोज या आप के पसंदीदा वेकेशन स्पॉट्स आदि तो फ़्लर्ट करना आसान होता है . इस का मतलब है की आप को शुरुआत में कभी भी गहराई वाली बातों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए. हंसीमज़ाक करना चाहिए क्यों कि आप का साथ एंजॉय करने पर ही वह आप में इंट्रेस्ट लेगा और आप से मिलने के बहाने ढूंढेगा.

कॉम्प्लीमेंट दें

फ्लर्टिँग का आनंद लेना है और रिश्ते में मजबूती लानी है तो इस की शुरुआत कॉम्प्लीमेंट देने से करें. कॉम्प्लीमेंट देते समय आई कांटेक्ट बनाएं रखें. यदि आप ने नजरें हटाईं तो आप की नीयत पर भरोसा करना कठिन होगा. जिस लड़की को आप पसंद करते हैं यदि वह किसी बात पर दुखी है तो आप कह सकते हैं, “ मुझे आप जैसी खूबसूरत लड़की को दुखी देखना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा. मैं इन आँखों में वही चमक देखना चाहता हूं जिसे देख मेरे जैसे लोग अपना दिल खो देते हैं. ”
इस तरह के प्यारे मगर हैल्दी कमैंट्स दूसरों की नजरों में आप के व्यक्तित्व को भी आकर्षक बनाते हैं. लुक्स पर कॉम्प्लीमेंट देने से पहले थोड़ा ध्यान रखें . अगर आप किसी लड़की की आँखों की तारीफ करेंगे तो उसे अच्छा लगेगा लेकिन अगर आप छूटते ही उस के फिगर की तारीफ करेंगे तो संभव है उसे यह बात पसंद न आए. इसलिए कोशिश करें कि आप उन की आंखों, मुस्कराहट, जुल्फों या फिर स्मार्ट लुक से जुड़े कमैंट्स करें.

अपने बारे में ज्यादा बात नहीं करें

अक्सर लोग अपने बारे में ज्यादा बात करना पसंद करते हैं मगर बेहतर होगा कि ऐसा करने के बजाय दूसरे व्यक्ति को अपने बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें . आप बीच में उस व्यक्ति को अपने बारे कुछ ऐसी बातें बता सकते हैं जिस से उस को आप के बारे में सवाल पूछने में आसानी हो. उस के बाद उन्हें यह मौका मिल जायेगा की वह ऐसी चीज़ों के बारे में बात करें जिन में आप दोनों की रूचि है इस से न सिर्फ आप की बातचीत आगे बढ़ेगी बल्कि आप को अपने क्रश के बारे में और बातें जानने को मिलेंगी.
अगर आप उस व्यक्ति को बिलकुल नहीं जानते तो उस की ऐसी किसी रूचि या शौक की बात करें जिस के बारे में आप को पता हो . मसलन वह बास्केटबाल खेलता है या किताबें पढ़ने का शौक़ीन है तो आप उस की पसंदीदा किताब या उस के द्वारा खेले गए बास्केटबॉल मैच के बारे में बात शुरू कर सकते हैं.

ज्यादा संजीदा नहीं हों

याद रहे की फ्लर्टिंग मस्ती का दूसरा नाम है और अगर आप की कोशिश सफल नहीं होती तो हिम्मत नहीं हारें. पॉजिटिव रहें. यह ज़रूरी नहीं की हर फ्लर्टिंग का अंत खूबसूरत ही हो. फ्लर्टिंग से आप नए लोगों से घुलनामिलना और खुश रहना सीख सकते हैं. इसे ले कर अपने आप पर प्रेशर डालने की ज़रुरत नहीं है.

फ्लर्टिंग हर जगह उचित नहीं. मसलन किसी के अंतिम संस्कार में आप फ्लर्ट नहीं कर सकते . वर्कप्लेस में भी आप फ्लर्टिंग नहीं कर सकते . स्थान के मुताबिक फ्लर्टिंग करें . किसी लाइब्रेरी या सेमिनार जैसी जगहों में मिलने से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाती. ऐसी स्थिति में मुस्कुराएं, रूचि दिखाएं और उस के बाद कहीं मिलने का कार्यक्रम तय कर लें लेकिन किसी भी सूरत में उन के पीछे इसलिए नहीं घूमें की आप उन से बात करने में सकुचाते हैं. जो पहला मौका मिले उन से बात कर लें.

फ़्लर्ट करने के फायदे

आप को जान कर हैरानी होगी कि फ्लर्ट करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. फ्लर्ट करना एक कला है और अगर आप इसे सही प्रकार से करें तो इस से आप को कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ मिल सकते हैं. आइये जानते हैं फ्लर्टिंग के फायदे;

शरीर की ऊर्जा बढ़ाए

खुद को ऊर्जा से भरपूर और चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए फ्लर्ट कीजिए. फ्लर्ट करने से जहां आप का एनर्जी लेवल बढ़ता है वहीँ मूड भी अच्छा होता है. अपने साथी के साथ फ्लर्ट करने से आप के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और रिश्ते में मिठास भी आती है.

अकेलापन दूर करे

अगर आप अपने अकेलेपन से छुटकारा पाना चाहते हैं तो फ्लर्ट करना आप के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इस से आप नए दोस्त बना सकेंगे. अपने मनपसंद लोगों का साथ पा सकेंगे. फ्लर्टिंग अंतर्मुखी व्यक्ति को भी बाहरी दुनिया से जोड़ने का काम करती है. वह एक्सट्रोवर्ट हो कर नयी खुशी से रूबरू होता है. इस से आप के भीतर नया आत्मविश्वास पैदा होता है.

ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाए

फ्लर्ट करने से शरीर में एंड्रनालाइन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है. इस हार्मोन के स्तर में बढोत्तरी होने से आप ज्यादा एकाग्र हो कर काम कर पाते हैं.

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बोरियत दूर भगाए

यदि आप अपनी जिंदगी की एकरसता से परेशान हैं और लाइफ में कुछ इंटरेस्टिंग चाहते हैं तो फ़्लर्ट कीजिए. इस से मानसिक तनाव में कमी आती है और आप फ्रेश महसूस करते हैं.

रिश्ता बनाए मजबूत

अक्सर देखा जाता है कि लड़के किसी खूबसूरत लड़की को देख कर फ्लर्ट करना शुरु कर देते हैं. आजकल लड़कियां भी लड़कों के साथ फ्लर्टिंग करने से गुरेज नहीं करतीं. अपने साथी के साथ भी लोग फ्लर्ट करने का मजा लेते हैं. दरअसल फ्लर्टिंग रिश्ते को मजबूत बनाने में भी मदद करती है. अपने पार्टनर के साथ फ़्लर्ट करने के अपने फायदे हैं. प्यार और रोमांस से भरी यह फ्लर्टिंग आप के रिश्ते को नया आयाम दे सकती है. लेकिन फ्लर्टिंग के दौरान ऐसी बात कहने से बचें जिस से झगड़े की नौबत आ जाए.यह रिश्ते में आई दूरियों को दूर करने में सहायक है. मगर ध्यान रखें, अगर फ्लर्ट‍िंग अच्छी तरह की जाए तो यह सभी को पसंद आती है मगर सीमा लांघते ही यह अश्लीलता में बदल सकती है. फ्लर्टिंग को हेल्दी तरीके से एन्जॉय करें और अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं.

कंफर्ट जोन

आप दोनों एक कंफर्ट जोन में आ जाते हैं. माना आप अपने बॉस/ कुलीग /पड़ोसी /रिश्तेदार /सहयात्री के साथ फ्लर्ट करते हैं. इस से आप के बीच फॉर्मल रिश्ते के बजाय फ्रेंडली रिलेशनशिप डिवेलप होने लगती है. आप दोनों के बीच एक कंफर्ट जोन आ जाता है और आप अपने काम ज्यादा बेहतर ढंग से कर पाते हैं. आप के अंदर पॉजिटिव उर्जा का संचार होता है.

एकदूसरे को जानने समझने का मौका मिलता है. फ़्लर्ट के बहाने सामने वाले से आप की बातचीत होती है. एकदूसरे का साथ पसंद आए तो दोनों काफी समय साथ बिताने लगते हैं. एकदूसरे को समझने और दुखसुख शेयर करने का मौका मिलता है. फ़्लर्ट करतेकरते आप उस के प्रति सीरियस भी हो सकते हैं. जिंदगी को नया तजुर्बा मिलता है.

तोहफा नयी खुशि‍यों का

जब भी कोई किसी से फ़्लर्ट करता है तो उन के चेहरे पर ख़ुशी की लकीरें खिंच जाती हैं. जब हम फ़्लर्ट करते हैं तो हमारे शरीर में सेरोटोनिन नाम के हारमोंस का श्राव होता है. इसे हैपी हारमोंस भी कहते हैं. इस के सक्रिय होने से हमारे मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम अंदर से खुश रहने लगते हैं. इस से हमारे स्वस्थ पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता हैं. चेहरे पर भी एक अलग सा निखार आ जाता है.

नया ट्रेंड ऑनलाइन डेटिंग

डेटिंग या फ्लर्टिंग के लिए इन दिनों सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है. इस के लिए यंगस्टर्स अपना काफी समय ऑनलाइन बिता रहे हैं.मार्केटिंग एजेंसी यूरो आरएससीजी के सर्वे के मुताबिक किसी से रिलेशनशिप शुरू करने आगे बढ़ाने और खत्म करने तक में भी सोशल साइट्स का यूज़ हो रहा है. इस सर्वे में 34 फीसदी लोगों ने माना कि ऑनलाइन फ्लर्टिंग में कोई बुराई नहीं जबकि बाकी लोगों ने इसे गलत बताया.

कॉन्फिडेंस बूस्टर

अगर आप किसी को इंप्रेस करने की कोशिश कर हैं तो इस के लिए कॉन्फिडेंस होना बहुत जरूरी है. अगर आप इंप्रेस करने में कामयाब हो जाते हैं तो यह आप के लिए कॉन्फिडेंस बूस्टर का काम करता है. इस से आप अपनी प्रोफेशनल लाइफ में भी अच्छा महसूस करते हैं. एक सर्वे के मुताबिक मात्र 5 मिनट की ऑनलाइन फ्लर्टिंग आप को अपने काम में संतुष्टि की भावना देती है.

तारीफ करना आ जाता है

फ़्लर्ट करते हुए आप सामने वाली की तारीफ करते हैं. धीरेधीरे तारीफ करना आप की आदत में शुमार हो जाता है. आदत बनने पर आप अपने दूसरे दोस्तों की भी तारीफ करने से नहीं चूकते. इस से आप की गिनती पॉजिटिव लोगों में होने लगती है और आप का साथ लोगों को पसंद आता है.

खुशनुमा सेक्स लाइफ

हॉलैंड में 76 कपल्स पर हुई एक स्टडी से यह बात सामने आई कि जो लोग रोजाना फ्लर्टिंग करते हैं वे अपनी सेक्स लाइफ को खूब इंजॉय करते हैं. उन की जिंदगी में सेक्स और रोमांस जैसी चीजें खासतौर पर जगह बना लेती हैं.

अक्सर लोग फ्लर्टिंग को गलत अर्थ में लेते हैं. फ़्लर्ट करने वाले भी कई बार अपनी सीमा भूल जाते हैं. यह गलत है. फ्लर्टिंग कीजिए मगर उतना ही जो आप को और उसे खुशी दे. आप एकदूसरे को जानसमझ सकें, दोनों के बीच एक प्यारा सा रिश्ता बन सके. मगर फ्लर्टिंग की आड़ में गलत हरकतें करना या समाज को रुसवा करना उचित नहीं. यदि आप की बातें उस की परेशानी का सबब बनने लगे तो उसी वक्त यह रोक दें.

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ऐसा नहीं है कि फ्लर्ट का मतलब हमेशा चंद पलों का रिश्ता ही होता है. कई बार फ़्लर्ट करतेकरते इंसान को सामने वाले से सच्चा प्यार भी हो जाता है. सामने वाला भी आप के बगैर खालीखाली सा महसूस करने लगे तो समझिए आप दोनों इस रिश्ते के प्रति सीरियस होने लगे हैं. ऐसे में रिश्ते को आगे बढ़ाना संभव है तो ठीक है वरना इस रिश्ते को दोस्ती का रिश्ता बना कर जिंदगी के खालीपन को दूर कीजिए. आप सिर्फ दूसरे लोगों से ही फ्लर्ट करें यह जरूरी नहीं. आप अपने जीवनसाथी या बॉयफ्रेंड /गर्लफ्रेंड के साथभी फ़्लर्ट कर सकते हैं. इस से आप के रिश्ते में रोचकता और नवीनता आएगी.

कई दफा ऐसा भी होता है कि जिसे आप बहुत पसंद करते हैं उसे ही अपने इंट्रोवर्ट नेचर के कारण कुछ कह नहीं पाते. ऐसे में अगर आप ने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और फ्लर्ट के बहाने उस के आगे अपने दिल की बात हल्केफुल्के ढंग से रखने की कोशिश की तो संभव है आप कामयाब हो जाएँ और आप को आप का प्यार मिल जाए.

पुराने प्रेम का न बजायें ढोल

भारतीय साहित्य से लेकर धार्मिक कथाओं में सेक्स न ही हीन माना गया है और न ही इसमें किसी तरह की पाबंदी का जिक्र है. लेकिन जहां तक बात समाज की आती है, इसका रूप बिलकुल विपरीत दिखता है. यहां सेक्स को लेकर बात करना अच्छा नहीं माना जाता लेकिन मजाक और गालियां आम बात हैं. किशोरों को इसकी जानकारी देने में शर्म आती है लेकिन पवित्र बंधन के नाम पर विवाह में बांधना और किसी अनजान के साथ सेक्स करने को मजबूर करना रिवाज है. ऐसा ही एक बड़ा अंतर मर्द और औरत के प्रति कामइच्छाओं को लेकर रहा. यहां कौमार्य सिर्फ लड़की के लिए मायने रखता है, पुरुष का इससे कोई लेना देना नहीं है.

यानि लड़की का विवाह पूर्व सेक्स करना पाप की श्रेणी में आता रहा, हालांकि पुरुष इससे अछूता ही रहा. लेकिन बदलाव श्रृष्टी का नियम है. और कुछ ऐसा ही बदलाव समाज मेें दस्तक दे रहा है, जहां कुछ प्रतिशत ही सही पर विवाह पूर्व सेक्स एक समझदार जोड़े की शादी को प्रभावित नहीं कर रहा. इसलिए पुराने प्रेम का ढोल बजाते रहने से कोई सुख नहीं, कोई समझदारी नहीं.

शहरीकरण का प्रभा

भारत में शहर तीन श्रेणी में हैं. एक सर्वेक्षण में श्रेणी के शहरों में हुई पूछताछ में सामने आया कि अब दोनो ही साथी एक दूसरे के अतीत को वर्तमान में नहीं लाते. साथ ही तलाक और अफेयर के बढ़ते चलन में ऐसा संभव नहीं है कि कोई विवाह पूर्व सेक्स से अछूता रहा हो. ये अब एक सामान्य बात रह गई है. मायने ये रखता है कि विवाह के बाद साथी एक दूसरे के साथ कितने ईमानदार हैं. वहीं बी और सी श्रेणी के शहरों में करीब 40 से 48 प्रतिशत लोग विवाह पूर्व सेक्स का समर्थन करते हैं लेकिन सिर्फ अपने मंगेतर के साथ. उनका मानना है कि मंगनी के बाद शादी उसी व्यक्ति से होनी है तो सेक्स शादी के पहले हो या बाद में, मायने नहीं रखता.

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सवाल वर्जिनिटी का

अब एक सवाल आता है, वर्जिनिटी का. हर समय यही क्यों उम्मीद की जाए कि लड़की वर्जिन हो? मेरे पास इस प्रश्न का सीधा उत्तर तो नहीं है लेकिन मुझे अभी हाल में ही आयी एक मूवी ‘विक्की डोनर’ के  वो डायलॉग याद आ रहे हैं जब रिश्ते की बात के समय आयुष्मान को पता चलता है कि लड़की (यामी गौतम) का कोई अतीत भी है. तब आयुष्मान सीधा सवाल करता है कि, “सेक्स हुआ था क्या”? वह ‘नहीं’ में उत्तर देती है.  इस पर अपनी बात को जस्टिफाई करते हुए आयुष्मान कहता है कि “सेक्स नहीं हुआ तो उसे शादी थोड़ी न बोल सकते है”!!

कितना अजीब है यह विचार आज के ज़माने में. पर यह हमारे भारतीय समाज की हकीकत बयां करता है. इशारा करता है उस भारतीय मानसिकता की तरफ! मैं इसे अच्छा या बुरा नहीं कहूंगी. किसी के लिए फीलिंग होना, प्यार होना तो स्वाभाविक है . १० में से ९ लोगों के पास कुछ न कुछ कहानी भी होगी. लेकिन वह रिलेशनशिप कितना आगे बढ़ा यह जानने की  इच्छा  सिर्फ पुरुषों में ही नहीं महिलाओं में भी रहती हैं. लेकिन जब पुरुष को पता चलता है कि उसकी पत्नी शादी से पहले किसी के साथ रिलेशनशिप में थी तो वह यह बात आसानी से स्वीकार नहीं कर पाता . कब शुरू होता है तानों और उल्हानों का सफर.

एक घटना –  सुनील अपनी पत्नी -संगीता से शादी के कुछ महीने बाद से ही  नाराज चल रहा था. सुनील को शक था कि उसकी पत्नी अब भी अपने पूर्व प्रेमी से मिलती है. लड़की के मायके वालों के हस्तक्षेप के बाद भी परिस्थितियां नहीं बदली और सुनील का दिन प्रतिदिन शक बढ़ता चला गया. जबकि विवाह से पहले सुनील खुद एक लड़की के साथ कुछ सालों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था. बे बुनियाद शक की वजह से वह अक्सर अपनी पत्नी के ऊपर हाथ भी उठाने लगा. 1 दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि सुनील क्रोध में आपे से बाहर हो गया और उसने गुस्से में संगीता का गला दबा कर उस की हत्या कर दी .

पत्नी सती सावित्री क्यों

ऐसे आदमी जिनका खुद का एक पास्ट होता है, लेकिन उनको पत्नी सती सावित्री चाहिए होती है क्यों? उनके हिसाब से हर औरत का भी पास्ट होता है. यही सोच के साथ वो अपनी पत्नी पर कभी विश्वास नहीं करते. जबकि ऐसे व्यक्तियों को तो और ज्यादा अंडरस्टैंडिंग होना चाहिए.

उदाहरण -१

रीना जो कि एक कंपनी की एच आर है, इसलिए परेशान है क्योंकि उसके पति को रीना के शादी से पहले के सम्बन्धो के बारे में पता है और अब वो उस पर शक करता है! रीना ने बहुत सी बार अपने पति को समझाना चाहा कि सेक्स नहीं हुआ था और मैं विवाह से पहले वर्जिन थी. लेकिन फिर भी उसका पति शक करता है! अब यह कितनी ही दुःख की बात है और सिर्फ इतनी सी बात के लिए एक अच्छे रिश्ते के बाकि सारे पहलू दब जाते है और मजा चला जाता है.

पहलू और मुद्दे और भी हैं

एक रिश्ते के बहुत सारे पहलू होते हैं और यह उस समय की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है. जबकि लम्बी अवधि में पुराने संबंध ज्यादा मैटर नहीं करते.  फिर भी राइ का पहाड़ बनाने की आदत से सब कुछ नष्ट हो जाता है. इसी कारण  हमारे देश में विर्जिनिटी रिकंस्ट्रक्शन की सर्जरी शुरू हो चुकी है! ये वो महिलायें/ लड़की करवातीं हैं जिनके शादी के पहले सेक्स संबंध थे और अब नहीं चाहतीं कि उनके पति को ये बात पता चले!

उदाहरण 2-

मैं यह सोचती हूं कि इस प्रकार के पुरुष माइनॉरिटी में है यानी ऐसी सोच वाले पुरुष आज के समय में कम होंगे. लेकिन हाल में हुआ किस्सा मुझे ऐसा न सोचने पर मजबूर कर रहा है! हुआ यूं कि मेरा एक मित्र (30साल)  जोकि आज की पीढ़ी का बहुत ही पढ़ा लिखा युवा है, वो इस बात पर अड़ा हुआ है की उसे ऐसी पत्नी चाहिए जो कि वर्जिन हो! हालांकि उसका तर्क ये है कि वो खुद वर्जिन है और चाहता है की उसका जीवन साथी भी वर्जिन हो! उसके नजरिए से देखें तो बात सही लगेगी लेकिन मेरा सवाल यह है कि  क्या पत्नी सिर्फ वर्जिन होने से रिश्ता अच्छा हो जायेगा?

योनी की झिल्ली सफल वैवाहिक जीवन की निशानी क्यों

आज भी हमारे समाज में लड़की के कुंवारेपन पर ज्यादा जोर दिया जाता है. शादी की पहली रात योनि की झिल्ली का फटना सफल वैवाहिक जीवन की निशानी मानी जाती है. कैसी है यह मानसिकता और यह समाज का दोहरा पन. सुहागरात के दौरान योनी की झिल्ली  के फटने को ही सफल वैवाहिक जीवन की निशानी मान लिया जाता है.  यह मानसिकता अधिकांश पुरुष वर्ग की है चाहे वह किसी भी धर्म या समाज का हिस्सा हो. तभी तो आज भी बलात्कार के बाद मानसिक प्रताड़ना एक महिला वर्ग के हिस्से ही रहती है और बलात्कारी या शोषण करने वाला आजाद घूमता है.

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ना बदलने वाला समाज और पुराना दृष्टिकोण

लड़कियों या महिलाओं के प्रति यह सोच यह मानसिकता कोई नई बात नहीं इसकी जड़े बहुत पुरानी और गहरी हैं आज भी उत्तर भारत के सभी क्षेत्रों या राज्यों में लड़की की पैदाइश के बाद खुशियां नहीं मनाते, बोझा ही मानते हैं. भले ही सरकार ने भ्रूण टेस्ट पर रोक लगा दी हो या उसे गिराने पर सजा या जुर्माना लगा दिया हो लेकिन आज भी बहुत से गांवों में , लड़की का पता चलने पर भ्रूण गिरा दिया जाता है या पैदा होते ही उसे किसी गटर में यह नाले में फेंक दिया जाता है वरना मार दिया जाता है. यानी समाज का दृष्टिकोण लही घिसा पिटा और पुराना.

शारीरिक संबंध के लिए कोई निश्चित पैमाना नहीं

मैं यहां कदापि नहीं कहूंगी कि शादी से पहले लड़के या लड़की को आपसी शारीरिक संबंध बनाने की छूट हो. पर यदि महिला के कुंवारेपन को पुरुष आंकता है तो पुरुष के कुंवारेपन को महिला को आंकने का अधिकार क्यों नहीं? यदि सेक्स की चाह पुरुष कर सकता है तो स्त्री क्यों नहीं? कितने ही ऐसे  पुरुष होंगे जिन्होंने शादी से पहले किसी न  से शारीरिक संबंध बनाये होंगे या हस्तमैथुन किया होगा. फिर एक औरत के लिए पाबंदी क्यों?

आंकड़ों के अनुसार

आज के समय में पश्चिमी देशों में वर्जिनिटी नाम की कोई चिड़िया नहीं. वहां बालिग पुरुष व महिला आपसी रजामंदी से संबंध बना सकते हैं. जबकि हमारे देश में आज भी 71-79.9 प्रतिशत महिलाएं/ लड़कियां मिल जाएंगी जिन्होंने शादी से पहले किसी से संबंध न बनाया हो पर यही प्रतिशत पुरुषों मामले में सिर्फ 31-35 प्रतिशत ही होगा. इन देशों में अधिकतर लड़की लड़कियां 13 -16 साल की उम्र में ही सेक्सुअल रिलेशन बना लेते हैं और इन रिलेशंस के लिए वहां कोई तूल नहीं. इन देशों की संस्कृति में इसे मान्यता प्राप्त है.

तोड़नी होंगी वर्जनाएं

आज सोशल मीडिया का समय है. हम सबको अपनी सोच को बदल इन वर्जनाओं को तोड़ना होगा. समझना होगा कि शादी की शर्तों में वर्जिनिटी  है. एक औरत का चरित्र योनि की झिल्ली नहीं. वह भी पूरे सम्मान की अधिकारी है. वैसे तो आज  वर्जिनिटी अपने आप में कोई बड़ा सवाल नहीं माना जा सकता. इस सोच को बदलने के लिए मां बाप को भी अपनी मानसिकता को बदलना होगा. अगर लड़कों के लिए अपनी वर्जिनिटी खोना कोई बड़ा मुद्दा नहीं , तो लड़कियों के लिए भी नहीं होना चाहिए.

उम्र को क्यों करें नजरअंदाज

तीन पीढ़ी में देखा जाए तो विवाह की उम्र तेजी से बढ़ती हुई नजर आएगी. महिला सशक्तिकरण और जागरुक्ता की लहर तेज होने वाली ये पहली पीढ़ी है. जाहिर है आगे की पीढ़ियों के लिए संघर्ष थोड़ा कम होगा. दादी का बाल विवाह हुआ था, मां का विवाह 20 वर्ष तक हो चुका था पर आज विवाह 25-27 वर्ष से ऊपर होना आम बात है, लेकिन हार्मोनल बदलाव अपनी गति से ही चलते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो दादी ने आज की उम्र में होने वाले सेक्स से पहले ही सेक्स कर लिया था. लेकिन उन्हें समाज की इजाजत थी. लड़कियां आज इस इजाजत का इंतजार नहीं करतीं , लेकिन उनके साथी के लिए ये बात ज्यादा मायने नहीं रखती क्योंकि वो भी इसी दौड़ में शामिल हैं. लेकिन फिलहाल ये समानता एक छोटे वर्ग तक ही सीमित है.

रिश्ते की नींव हो मजबूत

उसने तम्हें छुआ तो नहीं था, तुम उसके साथ कितनी बार सोर्इं? लड़की के शादी से पूर्व अफेयर की जानकारी अगर उसके पति को है तो ये सवाल लड़की के लिए आम बात रहे, भले वो उसे और उसके चरित्र को छलनी कर रहे हैं. हद्द तो यहां तक रही कि कुछ महिलओं को अपनी दूसरी शादी में भी ऐसे सवालों का सामना करना पड़ा. पर क्या ये वाकई मायने रखता है? आज कुछ पुरुषों के पास इसका जवाब है. जिन्हें लगता है कि ये मायने नहीं रखता, वो अपनी शादी को सफल बना रहे हैं. कुछ प्रतिशत ही सही, लेकिन साथी के इस खुले बर्ताव और अपनी पत्नी पर भरोसे के कारण ही आज महिलाएं अपने अतीत में हुए अत्याचार के बारे में खुलकर बोल पा रही हैं. कहते हैं कि सफल विवाह की नींव भरोसा और ईमानदारी होती है. इसलिए अगर लड़की अपने अतीत की कहानी साथी को सुनाती है तो इससे साफ जाहिर है कि वो अपने रिश्ते में ईमानदार रहना चाहती है. वहीं अगर वो छुपाती है और रिश्ते पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने देती तो ये बात मायने नहीं रखती कि विवाह पूर्व उसका किससे कैसा रिश्ता था.

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क्या कहता है धर्म

बहुत कम लोग होते हैं जो धर्म को बहुत नजदीक से समझते और जानते हैं. ज्यादातर लोग सुनी सुनाई बातों को भरोसे के साथ मानते चले आते हैं क्योंकि ये बात किसी पूजनीय ने बताई होती है. ऐसे में वो अपनी बुद्धी नहीं लगाना चाहते. ऐसे में ज्यादातर पुरुष प्रधान का प्रभाव रहा जो महिलाओं के लिए लक्ष्मण रेखा बनाता रहा. जरूरी नहीं उनकी बताई बात किसी वेद, धार्मिक कथा या पुराण में लिखी हो. अगर नजदीक से समझा जाए तो सेक्स के विषय में धार्मिक कथाओं में खासा खुलापन भी देखने को मिलेगा. हालांकि एक प्रकार का दोगलापन यहां भी है. कुंती को विवाहपूर्व जन्मा पुत्र त्यागना पड़ा था लेकिन उसी कुंती की वधु को पांच पतियों का साथ मिला. यहां अतंर सिर्फ विवाह का था. फिर भी कुछ कथाएं हैं जो इस खुलेपन की ओर इशारा करती हैं. कुरुवंश को आगे बढ़ाने में ऋषि पराशर और सत्यवति के विवाहपूर्व संतान व्यास का सहारा लिया गया था. महाभारत में इस बात का भी वर्णन है कि अगर कोई बिना ब्याही स्त्री अपने मन का सेक्स पार्टनर चुनती है और उससे सेक्स की इच्छा जताती है तो उस पुरुष को उसकी इच्छा का मान रखना होता है. ऐसा न करने पर वो दण्ड का अधिकारी होता है. अर्जुन का श्राप इसका एक उदाहरण है. इसके अलावा साहित्य के कुछ पन्नों में भी इस विषय में खासा खुलापन दिखाया गया है जहां खुले में संबन्ध बनाने, और नजदीकी रिश्तों में कामइच्छा प्रकट करने का जिक्र है.

पति से घर का काम कैसे कराएं

हाल ही में ब्रिटेन में हुए एक सर्वे से पता चला है कि पुरुष घर के छोटेमोटे काम करने में भी आनाकानी करते हैं, इसलिए पत्नियां अपने पति से घर के काम कराने के लिए घूस का सहारा लेती हैं. यह घूस पति को स्पोर्ट्स चैनल देखने का मौका देने जैसी होती है. वे उन्हें तब अपनी पसंद का चैनल देखने देती हैं, जब वे दीवार पर तसवीर टांगने, घर के फर्नीचर को सही तरह से जमाने, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने का जिम्मा लेते हैं. इस के अलावा अपनी पसंद का महंगा गैजेट खरीदने की इजाजत, अपने दोस्तों के साथ बौयज नाइट आउट यानी रात में घूमने की आजादी, इन तरीकोें से पत्नियां पतियों को घरेलू काम में मददगार बनाती हैं.

सुपर बनने की डिमांड

भारतीय महिलाओं की स्थिति भी इस मामले में कुछ अलग नहीं है. उन के पास भी घरपरिवार, पति, बच्चे, औफिस, कैरियर, रिश्तेदारों के साथ निभाने आदि जिम्मेदारियों की लंबी लिस्ट होती है. उस से हर समय सुपर मां, सुपर पत्नी, सुपर कैरियर वूमन बनने की मांग की जाती है. ऐसे में औफिस और घर के बीच तालमेल बैठाती महिला अनेक अनचाहे पहलुओं से जूझती है. उस पर पति द्वारा, ‘साक्षी, मेरे जूते कहां हैं?’, ‘मेरा टिफिन पैक हुआ या नहीं?’, ‘मेरी फलां शर्ट प्रैस क्यों नहीं है?’, ‘शर्ट का बटन टूटा हुआ है’, ‘बाथरूम में तौलिया नहीं है’, ‘मेरी फाइल नहीं मिल रही’, ‘मेरी गाड़ी की चाबियां पकड़ाना जरा’, ‘तुम कोई भी काम ढंग से नहीं करती हो, तुम्हें पता है, मैं ये सब नहीं कर सकता’ जैसी शिकायतों का पुलिंदा किसी भी पत्नी को अंदर तक परेशान कर देता है कि जिन कामों के न होने की शिकायत पति कर रहा है, उन कामों को वह स्वयं भी कर सकता है. लेकिन वह इन कामों को पत्नी का काम समझता है.

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एकदूसरे के पूरक

हमारे समाज में लड़कियों में बचपन से ही जिम्मेदार, कार्यकुशल बनने और घरपरिवार के काम करने के संस्कार डाले जाते हैं. चाहे वह पत्नी हो, बच्चों की मां हो या बहू हो. भोजन, कपड़े धोना, बच्चों की देखभाल, फलसब्जी की खरीदारी, औफिस व घर के बीच तालमेल बैठाना सभी कामों की उम्मीद उसी से की जाती है. अगर पत्नी 2 दिन के लिए घर से बाहर चली जाए तो पति बीसियों बार कौन सी चीज कहां रखी है, जानने के लिए फोन करते हैं. घर लौटने पर घर में जगहजगह फैले अखबार, गंदे कपड़े, खाने की जूठी प्लेटें, डाइनिंग टेबल पर जमी धूल, सूखे गमले नजर आते हैं. जब स्त्रीपुरुष एकदूसरे के पूरक हैं, तो वे घरेलू कामों में एकदूसरे के मददगार क्यों नहीं हो सकते हैं?

जिम्मेदारी बराबर की

एक बौलीवुड अभिनेत्री से जब पूछा गया कि वे अपने होने वाले पति में क्या खूबी चाहती हैं, तो उन का जवाब था, ‘‘मैं चाहती हूं, मेरा होने वाला पति सही माने में मेरा सहयोगी, मेरा लाइफपार्टनर हो. वह हर पल हर सुखदुख में मेरा सहयोगी हो. उस में यह अहं न हो कि यह काम मेरा नहीं है, मैं इसे नहीं कर सकता.’’ दरअसल, आज की हर पढ़ीलिखी कैरियर माइंडेड युवती ऐसा जीवनसाथी चाहती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उसे पूरा सहयोग दे. उस की भावनाओं को पूरा महत्त्व दे, उसे बराबरी का अधिकार दे, उस के घरेलू कामों में उस की पूरी मदद करे. आज की जागरूक पत्नी का मानना है कि जब वह घर से बाहर जा कर पति को आर्थिक सहयोग दे रही है, तो पति से घरेलू कामों की उम्मीद करना कहीं से भी गलत नहीं है.

पति का सहयोग जरूरी

स्वतंत्र पत्रकार दीक्षा गोयल का कहना है कि पति का सहयोग कितना जरूरी और हिम्मत देने वाला होता है, यह मैं ने तब जाना जब मेरे बेटे अंश का जन्म हुआ. अंश के दूध की बौटल बनाने से ले कर उस के डायपर बदलने तक में मेहुल ने मुझे पूरा सहयोग दिया. आज अंश 5 साल का है, उसे बड़ा करने में मेहुल का बराबर का योगदान है. इस के विपरीत कई आलसी और अहंकारी पति इन कामों के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं समझते. औफिस से आते ही सब से पहले उन्हें चाय चाहिए. फिर वे पसर कर या तो टीवी के आगे बैठ जाते हैं या फिर नैट पर सर्फिंग कर के पत्नी को चिढ़ाते रहते हैं और खाना टेबल पर लगने का इंतजार करते रहते हैं. ऐसे पति आलसी और गैरजिम्मेदार पतियों की श्रेणी में आते हैं, जो बैठेबैठे और्डर करते रहते हैं. जब तक उन से कहा नहीं जाए, वे उठ कर पानी का गिलास भी नहीं लेते. ऐसे में पत्नी बेचारी झुंझला उठती है. अगर पति केवल पत्नी से ही घरेलू कामों की उम्मीद करे और पत्नी सहयोग के समय अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़े तो इस रिश्ते में कड़वाहट पैदा होती है और माहौल तनावपूर्ण हो जाता है.

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जब दोस्ती में बढ़ जाए Jealousy

दोस्ती में प्यार है तो तकरार भी है. रूठना है तो मनाना भी है. यह सिलसिला तो दोस्तों के बीच चलता ही रहता है. लेकिन कई बार बेहद प्यार और परवा के बावजूद दोस्ती में जलन की भावना पैदा हो जाती है. क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? वैसे तो इस के कई कारण हैं, जैसे दोस्तों के बीच किसी तीसरे का आ जाना, पढ़ाई में किसी एक का तेज होना वगैरह. लेकिन इन सब के अलावा एक ऐसा कारण भी है जो दोस्ती में तकरार, ईर्ष्या और जलन जैसी भावनाओं को उत्पन्न कर देता है.

दरअसल, जब 2 दोस्तों के बीच पहनावे या खानेपीने जैसी चीजों में अंतर हो तो यह जलन जैसी भावनाओं को पैदा कर देता है. ऐसा ही कुछ हुआ सुहानी और अनन्या के साथ.

अनन्या और सुहानी 11वीं कक्षा से ही दोस्त हैं. वे एकदूसरे के काफी क्लोज हैं. वैसे तो सुहानी कानपुर से है लेकिन 16 वर्ष की उम्र में वह अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली आ गई थी. सुहानी ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई कानपुर से की थी और आगे की पढ़ाई उस ने दिल्ली आ कर पूरी की.

सुहानी और अनन्या की दोस्ती दिल्ली में हुई. दरअसल, जिस कंपनी में अनन्या के पापा काम करते थे उसी कंपनी में सुहानी के पापा की भी नौकरी लग गई थी. एक दिन सुहानी के पापा ने सुहानी के दाखिले के लिए अनन्या के पापा से किसी अच्छे स्कूल के बारे में पूछा, तो उन का कहना था, ‘‘अरे, मेरी बेटी जिस स्कूल में पढ़ती है वह स्कूल तो बहुत अच्छा है. तुम चाहो तो वहां दाखिला करवा सकते हो.’’

सुहानी के पापा और सुहानी जब स्कूल में दाखिले के लिए गए तो उन्हें स्कूल काफी पसंद आया. कुछ दिनों बाद सुहानी स्कूल जाने लगी. इधर सुहानी और अनन्या बहुत अच्छी दोस्त बन गई थीं और उधर दोनों

के पापा में भी अच्छी बौंडिंग हो गई थी. दोनों के परिवार में आनाजाना भी होने लगा था.

सोच में बदलाव रिश्तों में टकराव

सुहानी और अनन्या दोनों के ही परिवार बहुत अच्छे थे, बस अंतर था तो दोनों के परिवारों के रहनसहन में. अनन्या के परिवार वाले बहुत खुले विचारों के थे. वे कभी अनन्या पर किसी प्रकार की रोकटोक नहीं करते थे. अनन्या को अपनी तरह से जिंदगी जीने की आजादी थी. वहीं, दूसरी तरफ सुहानी का परिवार खुले विचारों वाला नहीं था. वे कुछ भी सुहानी के लिए करते तो पूरे परिवार का मशवरा ले कर. जहां एक तरफ अनन्या हर तरह के कपड़े पहना करती थी, वहीं सुहानी सिर्फ जींस, टौप और कुरती ही पहनती. उसे ज्यादा स्टाइलिश और छोटे कपड़े पहनने की आजादी नहीं थी.

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स्कूल में अनन्या और सुहानी साथ ही रहा करती थीं. दोनों की दोस्ती गहरी होती जा रही थी. परीक्षा में दोनों साथ में ही पढ़ाई करतीं. अनन्या पढ़ने में एवरेज थी, पर सुहानी क्लास में अव्वल आती थी. हम अकसर देखते हैं कि मांबाप पढ़ाई को ले कर अपने बच्चों की दूसरे बच्चे से तुलना करने लगते हैं लेकिन यहां कभी न अनन्या के मातापिता ने तुलना की न खुद अनन्या ने. बल्कि अनन्या को खुशी मिलती थी सुहानी के अव्वल आने पर. परंतु सुहानी के साथ ऐसा नहीं था. सुहानी के व्यवहार में धीरेधीरे बदलाव दिखने लगा था.

जब इच्छाएं दबा दी जाती हैं

दोनों की स्कूली पढ़ाई खत्म होने को थी. 12वीं की परीक्षा से पहले स्कूल में फेयरवैल पार्टी का आयोजन किया गया था, जिस के लिए सभी उत्सुक थे. अनन्या और सुहानी ने उस दिन साड़ी पहनी थी. वैसे तो दोनों ही अच्छी लग रही थीं लेकिन सब की नजर अनन्या पर ज्यादा थी. सुहानी के सामने सब अनन्या की ज्यादा तारीफ कर रहे थे.

अनन्या की साड़ी बेहद खूबसूरत थी और उस के ब्लाउज का डिजाइन सब से अलग और स्टाइलिश था. सुहानी की साड़ी बहुत सिंपल थी और उस के ब्लाउज का डिजाइन उस से भी ज्यादा सिंपल. वैसे सुहानी का बहुत मन था बैकलैस ब्लाउज पहनने का लेकिन घरवालों के कारण उस ने अपनी यह इच्छा भी दबा दी थी.

सुहानी उस दिन बहुत शांत हो गई थी. जब भी अन्नया उस के पास आती वह उसे नजरअंदाज करने लग जाती और उस से दूर जा कर खड़ी हो जाती. अनन्या भी समझ नहीं पा रही थी कि आखिर सुहानी को हुआ क्या है. फेयरवैल के बाद सभी घूमने जा रहे थे लेकिन सुहानी पहले ही घर निकल गई थी. सुहानी को न देख कर अनन्या भी घर चली गई.

अनन्या को सुहानी की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था, इसलिए उस ने सुहानी से पहले बात करने की कोशिश भी नहीं की. 2 दिन बाद सुहानी खुद अनन्या के पास आई. अनन्या ने जब गुस्से में पूछा, ‘‘तू उस दिन कहां चली गई थी?’’ तब सुहानी ने कहा, ‘‘उस दिन मेरी तबीयत खराब हो गई थी, इसलिए मैं तुझे बिना बताए चली गई. मैं नहीं चाहती थी कि तेरा फेयरवैल मेरी वजह से खराब हो.’’ यह सुन कर अनन्या ने उसे गले लगा लिया. लेकिन असलियत तो कुछ और ही थी. उस दिन सुहानी को अनन्या को देख कर जलन हो रही थी.

यह बात सुहानी ने उस वक्त अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दी. दोनों ने 12वीं की परीक्षा दी. जब रिजल्ट आया तो अनन्या अच्छे नंबरों से पास हो गई लेकिन सुहानी ने पूरे स्कूल में टौप किया था. यह सुन कर सभी खुश हुए. अनन्या भी बहुत खुश हुई.

जब तारीफें चुभने लगें

स्कूल के बाद दोनों ने एक ही कालेज में दाखिला ले लिया. दाखिला लेने के कुछ महीने बाद ही दोनों की दोस्ती में दरार आने लगी. कालेज में अनन्या सारी एक्टिविटीज में हिस्सा लेती थी. इस कारण कालेज में उसे सब जानने लगे थे. उस के कपड़े सब से अलग और स्टाइलिश होते थे. क्लास में सभी उस को बहुत पसंद करते थे. वह कालेज की फैशन सोसाइटी का हिस्सा भी बन गई थी.

सुहानी को सिर्फ पढ़ाई में ध्यान देने को कहा गया था. हालांकि उस का भी बहुत मन होता था पढ़ाई के अलावा भी बाकी एक्टिविटीज में भाग लेने का, लेकिन घर वालों के कारण वह हमेशा अपने कदम पीछे कर लिया करती थी. यही वजह थी जो सुहानी धीरेधीरे अनन्या से दूर होने लगी थी. उस के मन में अनन्या के प्रति ईर्ष्या की भावना आने लगी थी.

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स्कूल के फेयरवेल के समय सुहानी को इतना फर्क नहीं पड़ा था. लेकिन, अब उसे अनन्या की यह आजादी चुभने लगी थी. सुहानी अपनी पसंद से न कपड़े पहन सकती थी न कहीं अपनी मरजी से जा सकती थी. वहीं अनन्या के घर वाले उसे पूरा सपोर्ट करते थे. अपने मनपसंद के कपड़े पहनना, घूमनाफिरना, वह सब करती थी. ऐसा नहीं था कि अनन्या की फैमिली सभी चीजों के लिए हां कर देती थी, हां, उसे उस के फैसले, वह क्या पहनना चाहती है, क्या करना चाहती है, यह डिसाइड करने का पूरा हक था.

जलन जब नफरत बन जाए

सुहानी और अनन्या की दोस्ती में काफी बदलाव नजर आने लगा था. अनन्या हमेशा उस के साथ रहती, लेकिन सुहानी उस से दूरियां बनाने में लगी हुई थी. यह बात अन्नया समझ रही थी लेकिन उसे लगा शायद सुहानी पढ़ाई को ले कर परेशान है. मगर आगे कुछ ऐसा हुआ कि दोनों सहेलियां हमेशा के लिए अलग हो गईं. दरअसल, अनन्या को फोटोग्राफी का कोर्स करना था जिस की स्टडी के लिए वह विदेश जाना चाहती थी. जब यह बात उस ने सुहानी को बताई तो सुहानी का कहना था, ‘‘अरे, इतनी दूर क्यों जाना है? यहीं से कर ले. और वैसे भी इस कोर्स का क्या होगा जो तू अभी कर रही है?’’ इस बात पर अनन्या का कहना था, ‘‘यह कोर्स तो मैं ने ऐसे ही जौइन कर लिया था. अच्छा, एक काम कर दे, अपने लैपटौप से इस कालेज का फौर्म भर दे. कल इस की लास्ट डेट है.’’

दोनों फौर्म भरने बैठ गईं. सभी डिटेल्स तो दोनों ने भर दीं लेकिन नैटवर्क प्रौब्लम की वजह से आगे का प्रौसेस नहीं हो पाया. यह देख कर अनन्या ने कहा, ‘‘कोई नहीं, तू आज शाम को दोबारा ट्राई कर लेना, बाकी सब तो हो ही गया है.’’

सुहानी ने भी हां कह दिया. दोनों घर चली गईं. शाम को अन्नया ने फोन पर फौर्म के लिए पूछा तो सुहानी का कहना था, ‘‘मैं ने कोशिश की लेकिन बारबार प्रौसेस फेल हो रहा है. तू चिंता मत कर, मैं कर दूंगी.’’

अगला दिन फौर्म का आखिरी दिन था. जब दोनों अगले दिन कालेज में मिले तो सुहानी ने अनन्या को देखते ही कहा, ‘‘फौर्म का प्रौसेस पूरा हो गया है.’’ यह सुनते ही अनन्या बहुत खुश हुई.

जब अनन्या ने सुहानी से ऐंट्रैंस परीक्षा की डेट पूछी तो वह थोड़ी घबरा गई. उस ने कहा, ‘‘मैं देख कर बताती हूं, ‘‘ ‘‘तभी अनन्या को याद आया उस के मेल आईडी पर सारी डिटेल्स आ गई होंगी. जब उस ने मेल चैक किया तो कुछ नहीं था. उस ने दोबारा सुहानी से पूछा, ‘‘तूने फौर्म फिल कर दिया था?’’ यह सवाल सुनते ही सुहानी शांत हो गई. दरअसल, सुहानी ने घर जाने के बाद लैपटौप चैक भी नहीं किया था. जब अनन्या ने लैपटौप में चैक किया तो कोई फौर्म फिल करने का प्रौसेस ही नहीं हुआ था.

यह देख कर अनन्या को बहुत अजीब लगा. अनन्या ने जब सुहानी के झूठ बोलने पर सवाल किया तो वह गुस्से में बोलने लगी, ‘‘मेरे पास इतना टाइम नहीं था. तेरी तरह मेरी लाइफ नहीं है. मुझे घर जा कर भी बहुत काम होता है. और वैसे भी तू विदेश जा कर क्या करेगी? तू सारी मौजमस्ती यहां कर ही लेती है. मेरा देख, सिर्फ किताबों में या घर के काम में ही पूरा दिन बीतता है.’’

अनन्या समझ गई कि जिस दोस्त पर वह इतना भरोसा करती थी वह सिर्फ उस से जलती थी. उस ने जानबूझ कर उस का फौर्म फिल नहीं किया.

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वैसे आज के समय में जलन की भावना बहुत आम हो गई है. लोग एकदूसरे का काम बिगाड़ने में लगे रहते हैं, चाहे उस से उन को फायदा हो या न हो. लड़कियों में सब से ज्यादा जलन की भावना कपड़ों या फिर खुली छूट की वजह से होती है.

जो हमें नहीं मिलता वह हम किसी दूसरे के पास भी देखना पसंद नहीं करते, जोकि सरासर गलत है. अगर आप को आप की इच्छा के अनुसार जिंदगी में कुछ करना है तो उस के लिए परिवार से बात करें. दूसरों से लड़ने के बजाय परिवार से लड़ना जरूरी है. दूसरों से ईर्ष्या कर उन को तकलीफ पहुंचा कर आप उन सभी से दूर होते चले जाएंगे. यह सब एक दिन आप को सब से अकेला कर देगा और तब पछताने के अलावा आप के पास कुछ नहीं रहेगा.

पार्टनर सही या गलत: कैसे परखें अपने सही पार्टनर को

आप की सगाई पक्की हो चुकी है. शादी में अभी समय है. सपने हैं, इच्छाएं हैं, उमंगें हैं, ललक है… आजकल आप को कोई अच्छा लगने लगा है. वह भी आप को कनखियों से देखता है. मिल्स ऐंड बून का रोमांस किताबों में ही नहीं, असल जीवन में भी होता है, ऐसा आप को लगने लगा है. उस रात पार्टी में जब आप बेहद खूबसूरत लग रही थीं, उस ने प्रपोज कर दिया वह भी आकर्षक अंदाज में. आप हवा में उड़ रही हैं. जिंदगी में इतने अच्छे पल पहले कभी नहीं आए थे. चाहा जाना किसे अच्छा नहीं लगता. फिर चाहने वाला विपरीतलिंगी हो, तो कहना ही क्या.

प्यार करना अच्छा एहसास है पर आज के माहौल को देखते हुए जहां लवजिहाद, फेक मैरिज, एसिड अटैक जैसे केसेज हो रहे हों, वहां थोड़ा सावधान रहना अच्छा है.

आप कैसे जान सकती हैं कि आप का बौयफ्रैंड, मंगेतर या लवर आप को चीट तो नहीं कर रहा? मनोचिकित्सकों, परिवार के परामर्शदाताओं, समाजसेवकों और पुलिस अधिकारियों से बातचीत के आधार पर कुछ बिंदु उभरे हैं, जिन्हें यदि आप देखपरख लें तो धोखा खाने से बच सकती हैं :

दिखावा ज्यादा करता हो

आप का पार्टनर चाहे रईस न हो, पर महंगे शौक रखता हो. उन का हर जगह प्रदर्शन करता हो. खुद को हाइप्रोफाइल कहलाना उसे पसंद हो. उधार ले कर स्टैंडर्ड लाइफ जीने में उसे आनंद आता हो तो सावधान हो जाएं. ऐसा शख्स भविष्य में किसी को भी संकट में डाल सकता है.

पैसों की खातिर गलत काम करने में वह हिचकिचाएगा नहीं. हो सकता है आप को भी उस ने सब्जबाग दिखा रखे हों, जितना आप उसे जानती हो, वह वैसा भी न हो.

ऐसे व्यक्ति को ध्यानपूर्वक नोटिस कीजिए. उस के बाद अपनी धारणा बनाइए.

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फिजिकल क्लोजनैस चाहता हो

अकसर उस की तारीफ में आप के हुस्न की तारीफ छिपी रहती हो. साथ घूमने जाने या मिलने के लिए वह एकांत स्थल या ऐक्सक्लूसिव प्लेस चुनता हो. मौका पाते ही आप को हाथ लगाने, चूमने या स्पर्शसुख प्राप्त करने से न चूकता हो. रिवीलिंग ड्रैसेज आप को गिफ्ट करता हो और उन्हें पहनने की फरमाइश करता हो. फोन पर सैक्सी मैसेज भेजता हो तो सावधान हो जाइए. जो मजनूं सीमाएं लांघते हैं वे विश्वसनीय नहीं होते. कौन जाने आप से फिजिकल प्लेजर हासिल करने के बाद वह आप को छोड़ दे. बेहतर है लिमिट में रहिए और उस की ऐसी हरकतों पर पैनी नजर रखिए.

अकसर पैसे उधार लेता हो

जमाना कामकाजी महिलापुरुष का बेशक है, पर जो पुरुष अपनी गर्लफ्रैंड, प्रेमिका, मंगेतर से पैसे उधार मांगता रहता हो उस से सावधान रहिए. मैरिज के बाद  वह आप पर पूर्णतया आर्थिक रूप से आश्रित नहीं हो जाएगा, इस की क्या गारंटी है. स्वावलंबी व आत्मनिर्भर पुरुष, पति या बौयफ्रैंड हर महिला चाहती है. पत्नियों पर आश्रित पुरुषों के साथ रिश्ते स्थायी तौर पर नहीं टिक पाते.

बातें छिपाता हो

लंबे रिश्ते के बाद भी यदि वह आप से बातें छिपाए, टालमटोल करे, दोस्तों से न मिलवाए, मोबाइल को न छूने दे तो सावधान रहिए. दाल में कुछ काला है. यदि मंगेतर या बौयफ्रैंड विदेश में काम करता हो तो उस के स्थानीय मित्रों, घर वालों, रिश्तेदारों से उस की कारगुजारियों पर नजर रखिए.

विदेश में जहां वह काम करता है उस संस्थान और दोस्तों के बारे में खंगालिए. जानकारी जुटाइए. उस के पैतृक गांव या कसबे से भी आप जानकारी जुटा सकती हैं. फेसबुक अकाउंट, व्हाट्सऐप या ईमेल से भी आप पता लगा सकती हैं. बात उसे बुरा लगने की नहीं, बल्कि खुद का भविष्य सुरक्षित रखने की है.

अजीबोगरीब व्यवहार करता हो

अचानक यों ही किसी दिन उस ने अपनी सगाई की अंगूठी उतार दी. आप को टाइम दे कर वह निर्धारित स्थल पर पहुंचना भूल गया, सार्वजनिक स्थल पर आप को बेइज्जत कर दिया या आप से ज्यादा अपनी भावनाओं को तवज्जुह देता हो तो चिंता की बात है.

दोहरा चरित्र या व्यवहार खतरे की घंटी है. व्यक्ति का असम्मानजनक व्यवहार या तो आप को डीवैल्यू करने के लिए या स्वयं स्थिर न हो पाने का नतीजा हो सकता है.

सामने कुछ, पीठ पीछे कुछ

दोहरापन, चुगलखोरी, छल किसी भी रिश्ते में दरार डाल सकते हैं. आप के सामने अच्छा और पीठ पीछे बुरा कहने वाला आप का अपना कैसे बन सकता है. आप का पार्टनर भी यदि ऐसा करता है तो वह यकीनन इस रिश्ते को ले कर सीरियस नहीं है.

उस के मित्रों के टच में रहिए ताकि फीडबैक मिल सके. यदि वह सामने पौजिटिव और पीठ पीछे नैगेटिव हो तो उसे खतरे की घंटी समझिए.

अकाउंट्स के बारे में न बताता हो

पार्टनर यदि वित्तीय मामलों में आप को शामिल नहीं करना चाहता हो, आप से छिपाए या बहाने बनाए, तो पड़ताल कर लीजिए. कोई भी रिलेशन विश्वास के आधार पर ही टिकता है.

बातें शेयर न करता हो

यदि पार्टनर अपनी बातें छिपाए और पूछने पर भी न बताए, उलटे, आप ही को टौंट करे और ओवरक्यूरियस कहे तो जाग जाइए. स्पष्टवादिता और सचाई रिश्ते की आधारशिला होती हैं.

महिला मित्र बनाम पुरुष सहकर्मी

पार्टनर खुद तो मित्रों के साथ काफी फ्री हो, वैस्टर्न व मौडर्न तरीकों से पेश आता हो पर आप के मेल कलीग्स को शक की दृष्टि से देखता हो तो सावधान हो जाइए. ऐसे पुरुष शादी के बाद भी फ्लर्ट करने की आदत नहीं छोड़ते.

बातबात पर झूठ बोलता हो

वजहबेवजह जब आप का पार्टनर छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलता हो तो यह इस बात का संकेत है कि कुछ तो संदिग्ध है. उस के साथ रहने वाले, उस के मैसेज, उस के फोन कौल्स, उस के संपर्क…यदि इन बातों पर वह झूठ बोलता हो तो निसंदेह कहीं कुछ गड़बड़ है.

अचानक व्यवहार में बदलाव

पार्टनर अचानक सफाईपसंद हो जाए, गाड़ी अपेक्षाकृत साफ रखने लग जाए, अपने पुराने परफ्यूम को छोड़ कर दूसरा लगाने लग जाए, बेहद रूमानी हो जाए या बिलकुल रूखा हो जाए तो किसी महिला मित्र की उपस्थिति अवश्यंभावी है. सावधान हो जाइए. आप से ध्यान हटना, आप को इग्नोर करना, आप में रुचि न लेना किसी अन्य महिला की उपस्थिति का प्रभाव है.

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जनूनी हो

यदि पार्टनर आप को दिलोजान से चाहता हो. किसी और की आप कभी नहीं हो पाएंगी, यह जताता रहता हो. आप की जुदाई को जीवनमरण का प्रश्न बना लेता हो तो सावधान हो जाइए. किसी कारणवश यदि यह रिश्ता टूट गया तो वह किसी भी सीमा तक जा सकता है. ऐसे प्रेमी से सावधान रहें. ऐसे जनूनी पुरुष असफल होने पर कुछ भी कर सकते हैं.

पार्टनर की कई बातें आप को अजीब लग सकती हैं. दिल से काम मत लीजिए, दिमाग से काम करें. जहां थोड़ा भी संशय हो, तसल्ली कर लीजिए. पार्टनर को बुरा लगेगा यह मत सोचिए. अपना विवेक रखिए. आखिर, थोड़ी सी सावधानी आप को भावी जीवन के दुखों से बचा सकती है.

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