मैं पड़ोस में रहने वाली लड़की को पसंद करता हूं, उसे आई लव यू कैसे कहूं?

सवाल

मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूं और एक लड़की से बहुत प्यार करता हूं, वह मेरे पड़ोस में ही रहती है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उसे आई लव यू कैसे कहूं? मेरी सहायता करें?

जवाब

वाह भई, आप ने तो पड़ोसिन पर ही नजर गढ़ा ली. खैर, वैसे तो अभी आप को नयनमटक्का की सलाह नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह उम्र आप की कैरियर बनाने की है. पर अब आप ने पड़ोसिन पर नजर गढ़ा ही ली है तो आप को बता दें कि उस से अकसर आप की बातचीत भी होती ही होगी और उस के घर आनाजाना भी होता होगा. आप उस के मम्मीपापा से हायहैलो भी करते होंगे. ऐसे में प्रेम की बात आप की परेशानी बढ़ा सकती है.

फिर भी मिलते रहिए, बातचीत में हंसतेहंसाते, आपसी लेनदेन बढ़ाते हुए नजदीकियां बढ़ाइए और उचित समय आने पर आई लव यू भी कह डालिए. हां, यह जरूर जान लीजिएगा कि उधर भी प्रेम की आग है या नहीं. कहीं वह आप को सिर्फ एक पड़ोसी के तौर पर जानती हो, तो पेरैंट्स में मनमुटाव पैदा करने वाली बात भी बन सकती है.

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प्यार में इजहार जरूरी

वैशाली ने एमबीए में ऐडमिशन लिया. पहले दिन जब वह कालेज गई तो अपनी ही क्लास के एक लड़के पर उस की नजर टिक गई. लड़के का नाम रोहित था, जो दिखने में काफी हैंडसम था. वैशाली ने जब से रोहित को देखा तो वह उस की दीवानी हो गई. उस ने रोहित को मन में बसा लिया, लेकिन किसी को मन की बात नहीं बताई. कालेज में कई बार उस का रोहित से आमनासामना होता पर वह प्यार का इजहार न कर पाती. एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में दोनों को एकसाथ काम करने का मौका मिला. वैशाली ने सोचा कि इस दौरान वह अपने मन की बात उस से कह देगी, लेकिन प्रोजैक्ट पूरा होने पर भी वह अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाई. कुछ महीने बाद जब वैशाली को पता चला कि रोहित की सगाई हो रही है, तो उस के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसे लगा वह रोहित के बगैर जी नहीं पाएगी. उसे अपनेआप से कोफ्त होने लगी कि समय रहते उस ने अपने दिल की बात रोहित के सामने बयां क्यों नहीं की?

समय के साथ वैशाली के लिए भी एक रिश्ता आया. परिजनों ने जब इस रिश्ते के लिए उस की प्रतिक्रिया पूछी, तो उस ने शादी से ही इनकार कर दिया. वैशाली की भांति अनेक युवतियां हैं जो किसी से प्यार तो कर बैठती हैं, लेकिन उस के समक्ष प्यार का इजहार नहीं कर पातीं, जिस से उन का प्यार एकतरफा हो जाता है व कभी परवान नहीं चढ़ता. एकतरफा प्यार में मिली असफलता युवतियों को निराश और कुंठाग्रस्त कर देती है. युवतियां अपने पहले प्यार को, भले ही वह एकतरफा ही क्यों न हो, ताउम्र नहीं भूल पातीं. यदि आप भी किसी को अपना दिल दे बैठी हैं और अपने प्यार के प्रति गंभीर हैं तो जल्दी से जल्दी उसे अपने दिल की बात बता दें. हो सकता है सामने वाला इस बारे में सोचेविचारे या उस नजरिए से आप को देखे. यदि उस के दिल में पहले से ही कोई लड़की होगी तो वह स्पष्ट इनकार कर देगा. इस से आप समय रहते अपने कदम पीछे खींच सकती हैं. यदि उस का अफेयर किसी से नहीं हुआ तो वह आप के बारे में गौर कर सकता है. हो सकता है वह भी आप को चाहने लगे. जब आग दोनों ओर बराबर लगी हो, तभी प्यार परवान चढ़ सकता है अन्यथा एकतरफा प्यार चाहे वह किसी भी तरफ से हो, उस का हश्र अच्छा नहीं होता.

याद रखें, आप के किसी को चाहने मात्र से बात नहीं बनती. बात तभी बनती है जब सामने वाला भी आप को उसी शिद्दत से चाहे, लेकिन यह तभी संभव है जब सामने वाले को आप के मन की बात पता हो. फिर देखिए उस का चमत्कार.

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यदि आप आमनेसामने हो कर अपने प्यार का इजहार करने में संकोच करती हैं तो इस के लिए अन्य तरीके भी अपना सकती हैं, जैसे उस से मोबाइल पर बात कर सकती हैं या उसे एसएमएस भेज सकती हैं. चाहें तो किसी मध्यस्थ का सहयोग ले सकती हैं जो उस से आप को मिलवा सके. वैसे भी कालेज में बहुत से स्थान और मौके मिलते हैं जहां आप उस से अपने दिल की बात कर सकती हैं. उसे लाइब्रेरी में, कैंटीन में या किसी कौफीशौप में बुला सकती हैं. प्यार हो जाना जितना आसान है, उस का इजहार उतना ही मुश्किल. ऐसा प्राय: एकतरफा प्यार करने वालों के साथ होता है. अपने प्यार का इजहार आप कई अवसरों पर कर सकती हैं जैसे यदि गु्रप में कहीं बाहर घूमने गई हों तो कोशिश करें कि आप उस युवक के आसपास ही रहें और उसे इस बात का एहसास कराएं कि आप के लिए वह खास है

वैलेंटाइन डे : प्यार के इजहार का खास दिन

वैलेंटाइन डे प्यार के इजहार के लिए खास दिन है. आप अपने प्रिय को पीला गुलाब दे सकती हैं. इस का आशय है कि मैं तो तुम्हें चाहती हूं परंतु मुझे तुम्हारे दिल की बात पता नहीं है. जब आप का दिल किसी पर आ जाए और उसी के नाम से धड़कने लगे तो आप गुलाबी गुलाब भेंट कर अपनी भावना का इजहार कर सकती हैं. लाल गुलाब आप के मनोभावों को प्रदर्शित करता है. यदि वह इसे स्वीकार कर लेता है तो इस का मतलब यह हुआ कि वह भी आप से प्यार करता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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लव मैरिज टूटने के ये हैं 10 कारण

विवाह से पहले एकदूसरे को पाने की चाह में जो युगल समाज तथा परिवार के विरुद्ध जाने से भी संकोच नहीं करते, अचानक विवाह होते ही या उम्र के किसी भी पड़ाव में एकदूसरे से आखिर अलग होने का निश्चय क्यों कर लेते हैं. यह बहुत चिंतनीय विषय है, क्योंकि पहले के जमाने के विपरीत आधुनिक समय में अधिकतर विवाह युवाओं द्वारा स्वेच्छा से किए जा रहे हैं. मातापिता द्वारा पारंपरिक सुनियोजित विवाह को उन के द्वारा नकारा जा रहा है. इन के असफल होने के कई ठोस कारण हैं:

– प्रेम विवाह बौलीवुड की ही देन है, जहां जीवनसाथी ढूंढ़ते समय न उम्र की परवाह होती है न जाति के बंधन की. जिस रफ्तार से प्रेम विवाह का फैसला यहां लिया जाता है उसी रफ्तार से तलाक भी हो जाता है. ‘तू नहीं और सही’ यह सोच पूरे बौलीवुड को अपनी गिरफ्त में लिए हुए है, जिस के प्रभाव से साधारण जनता भी अछूती नहीं है. यह तो सर्वविदित है ही कि फिल्मों के नायकनायिका की जीवनशैली आम जनता को बहुत जल्दी प्रभावित करती है, क्योंकि वे उन के आदर्श होते हैं.

– बौंबे हाई कोर्ट ने एक केस के संदर्भ में 2012 में बताया था कि अरेंज्ड मैरिज के बजाय प्रेम विवाहों में तलाकों की संख्या कहीं ज्यादा है. 1980 से प्रेम विवाह के चलन ने जोर पकड़ा. उस से पहले प्रेम की अभिव्यक्ति ही इतनी कठिन थी कि परिवार वालों के सामने जाहिर होने से पहले ही वह कहीं और रिश्ता जुड़ने के कारण दम तोड़ देती थी. यह चलन अभी महानगरों तक ही सीमित है. अभी छोटे शहरों और गांवों में इसे समाज द्वारा मान्यता नहीं मिली है. यह स्थिति भी देखने को मिल सकती है कि यदि परिवार वालों को पता लग जाता है, तो समाज में अपने मानसम्मान को ठेस न पहुंचे, इस से बचने के लिए वे अपने बच्चों की हत्या तक करने से भी गुरेज नहीं करते.

– प्रेम जिस की परिणति विवाह में होती है वह वास्तव में प्रेम नहीं होता, महज शारीरिक आकर्षण होता है. प्रेम और विवाह सिक्के के दो पहलू होते हैं. कोई जरूरी नहीं कि एक प्रेमी अच्छा पति भी साबित हो या एक प्रेमिका अच्छी पत्नी साबित हो. विवाह के पहले एक ही व्यक्ति के गुणों पर रीझ कर उस के साथ जीवनयापन का निर्णय करते हैं, लेकिन भारत में विवाह के बाद पत्नी को पति के सारे परिवार से तालमेल बना कर चलना पड़ता है, पति को भी पत्नी के साथ अपने परिवार की जिम्मेदारी निभानी होती है.

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प्रेम विवाह तभी सफल होता है जब इस का आधार त्याग, प्रतिबद्धता, समर्पण, समझौता हो जोकि प्राय: आधुनिक युवावर्ग में देखने को नहीं मिलता है, इसलिए विवाह के पहले देखे गए दिवास्वप्न विवाह के बाद धराशायी होते देख कर पत्नी विद्रोह करने लगती है, जिस का परिणाम तलाक होता है.

– आधुनिक लड़कियां पढ़लिख कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गई हैं. इस का सकारात्मक प्रभाव के साथ नकारात्मक प्रभाव यह पड़ रहा है कि वे असहनशील होने के साथसाथ अभिमानी भी हो रही हैं, जोकि सफल वैवाहिक जीवन के लिए घातक है.

– आधुनिक युवावर्ग अपनी वैयक्तिकता को प्राथमिकता देता है और किसी भी प्रकार का समझौता करने से कतराता है, जोकि वैवाहिक जीवन का आधार है. इसी कारण केरल राज्य में तलाकों की संख्या सब से अधिक है. वहां के लोगों की सोच है कि हर व्यक्ति को विवाह करना ही क्यों चाहिए?

– अमेरिका और कनाडा के साथसाथ कई पश्चिमी देशों के लोग भी अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देते हैं. आजकल हमारे युवा भी या तो उन देशों में नौकरी के कारण वहां जा कर बस गए हैं या फिर भारत में रह कर विदेशी कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं, इसलिए वहां के लोगों के वैवाहिक जीवन का हमारी युवा पीढ़ी पर भी बहुत प्रभाव पड़ रहा है. मगर वे भूल जाते हैं

कि भारत के विपरीत वहां के युवा न तो परिवार और न ही समाज के प्रति उत्तरदायी होते हैं.

15-16 साल की उम्र के बाद ही न वे मातापिता के प्रति कर्तव्यों के लिए बाध्य होते हैं और न ही मातापिता का उन के प्रति कोई कर्तव्य शेष रह जाता है. उन्हें समाज क्या कहेगा, इस का उन्हें कतई भय नहीं होता है.

– फिर अब तलाक लेना भी बहुत आसान हो गया है खासकर महिलाओं के लिए संविधान की धारा 498 के अंतर्गत वे ससुराल पक्ष पर शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगा कर बहुत आसानी से उन से छुटकारा पा सकती हैं. इस के लिए उन्हें कोई प्रमाण दिखाने की भी आवश्यकता नहीं होती है. हां, इस का महिलाओं द्वारा दुरुपयोग करने के कारण लोगों के दबाव डालने पर संविधान के इस कानून में अब संशोधन किया गया है.

– समाज में दिनप्रतिदिन तलाकों की संख्या में बढ़ोतरी भी युवावर्ग को तलाक लेने के लिए प्रेरित कर रही है. ‘दोस्त तलाक ले सकता है तो मैं क्यों नहीं? शायद दूसरा पार्टनर इस से बेहतर मिल जाए’, यह सोच युवावर्ग पर हावी है.

– प्रेम विवाह अधिकतर बिना सोचेसमझे, अपनी मरजी से होता है, इसलिए उसे अपनी मरजी से तोड़ना भी बहुत आसान लगता है, क्योंकि समाज या परिवार का उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता.

– लिव इन रिलेशनशिप भी प्रेम विवाह का ही एक रूप है. महानगरों में इस का चलन खूब जोर पकड़ रहा है. इस में लड़केलड़कियां अपने परिवार को सूचित किए बिना ही स्वेच्छा से एकदूसरे के साथ रहते हैं और आवश्यक नहीं कि साथ रहते हुए वे विवाह के बंधन में बंध ही जाएं. उन्हें रिश्ता टूटने पर तलाक लेने के लिए किसी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की आवश्यकता नहीं होती है यानी बंधनरहित विवाह में यह बहुत सुखदायी रिश्ता लगता है. लेकिन यह तभी तक ठीक है, जब तक दोनों में तालमेल है, क्योंकि समाज और परिवार की मानसिकता इस रिश्ते की स्वीकृति नहीं देती और उन का सहयोग न मिलने के कारण एक के भी द्वारा रिश्ता तोड़ने पर दूसरा भावनात्मक रूप से आहत हो कर अवसाद में चला जाता है. आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाता है. अभिनेत्री प्रत्यूषा इस का ताजा उदाहरण हैं. उन से पहले जिया खान ने भी यह कदम उठाया था.

2005 में साउथ की प्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू के लिव इन रिलेशनशिप और विवाह से पहले शारीरिक रिश्ता रखने के समर्थन में साक्षात्कार में खुलेआम बोलने पर विरोधियों का कहना था कि इस से हमारे समाज की लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा. अत: उन के विरोध में 22 एफआईआर दर्ज होने के बाद खुशबू द्वारा केस दर्ज करने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई स्त्री और पुरुष साथ रहना चाहते हैं तो उस का विरोध क्यों हो? ऐसा कर के वे क्या अपराध कर रहे हैं? यह लोगों की मानसिकता के अनुसार गलत हो सकता है, लेकिन गैरकानूनी नहीं. संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए मौलिक अधिकार ‘स्वतंत्रता से जीने का अधिकार’ के अंतर्गत यह आता है. यह उन का व्यक्तिगत मामला है.

प्रेम विवाह की तरह 22 मई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को भी विवाहित रिश्ते के समान वैधानिक घोषित कर दिया था.

तलाक लेने के लिए कानून हमारे हित को ध्यान में रख कर ही बनाया गया है, लेकिन उपयोग के स्थान पर उस का दुरुपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है. मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताडि़त होने पर ही तलाक लेना उचित है. छोटीछोटी बातों को तूल दे कर या कोई दूसरा पसंद आ जाए तो तलाक लेने का परिणाम कभी सुखद नहीं हो सकता. विवाह चाहे किसी भी प्रकार का हो उस की नींव आपसी समझदारी और समझौते पर ही टिकी होती है.

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पश्चिमी देशों के विपरीत हमारे देश में वैवाहिक जीवन में परिवार का जो सहयोग मिलता है वह उसे सफल बनाने के लिए बहुत आवश्यक है.

विवाह सामाजिक बंधन के रूप में ही ठीक है, बिना बंधन के वह बिना पतवार की नौका के समान है, जिस की कोई मंजिल नहीं होती. यहां प्रेम विवाह का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने अति आवश्यक हैं.

मातापिता को अपने बच्चों की भावनाओं को समझ कर उन की पसंद को स्वीकार करते हुए सहयोगात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए. उन के मार्गदर्शन से ही बच्चों के वैवाहिक जीवन में ठहराव और अनुशासन की कल्पना की जा सकती है.

मेरे पति दूसरी औरतों की तरफ आकर्षित होते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं, पर उन की गंदी आदत से परेशान हूं. वे मेरे साथ हमबिस्तरी के बाद ब्लू फिल्म देख कर हस्तमैथुन करते हैं. वे दूसरी औरतों की तरफ भी आकर्षित होते हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप की परेशानी बड़ी नहीं है. जब तक आप को ज्यादा दिक्कत न हो, तब तक चुप रहिए. वैसे आप अपने पति को हस्तमैथुन करने के नुकसान के बारे में बता सकती हैं. हस्तमैथुन पर हुए कई सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि अक्सर किशोरावस्था या युवावस्‍था में हस्तमैथुन के शुरुआत की सबसे ज्‍यादा संभावना होती है और जब व्यक्ति को एक बार हस्तमैथुन कि लत लग जाती है तो वह हस्तमैथुन करने की बार-बार कोशिश करता है.

कई बार व्यक्ति जल्दीबाजी के चक्कर में बहुत तेजी से हस्तमैथुन करने लगता है. जिस कारण वीर्य से पहले निकलने वाला तरल पानी उसके लिंग की मांसपेशियों में चला जाता है. इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति के लिंग में सूजन आने लगती है और तब तक रहती है जब तक वह वापस खून में न मिल जाये.

कई लोग हस्तमैथुन करते समय अपने लिंग को बहुत ही मजबूती से जकड़ लेते है और उसे दबाने या मोड़ने लगते है. ऐसा करने से आपको गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा करने से आपके लिंग की मांसपेशियां टूट सकती हैं और पायरोनी नाम की बीमारी भी हो सकती है. इस बीमारी से व्यक्ति का लिंग टेढ़ा हो जाता है.

किसी व्यक्ति द्वारा रोजाना हस्तमैथुन करने से उसके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है. इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है जब व्यक्ति की शादी हो जाती है तब उसके बाद उसके वीर्य में शुक्राणुओं की कमी के कारण वह पिता बनने से भी वंचित रह सकता है.

व्यक्ति हस्‍तमैथुन करते समय हमेशा ही कल्पनाओ में खोया रहता है. इससे उस व्यक्ति कि सेक्स के प्रति चाह में निरंतर बढ़ोतरी होती रहती है. अपनी सेक्स की भूख को शांत करने के लिए वह अवैध संपर्कों की ओर चले जाता है. इससे जाने अनजाने वह कई ऐसी भूल कर देता है जो उसे ज़िन्दगी भर पछतावा देते रहता है. कई बार तो व्यक्ति इससे यौन अपराधो में भी शामिल हो जाता है.

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अपनी सैक्स लाइफ बनाएं पहले जैसी खुशहाल

विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है. इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर करने चाहिए. अपनी सैक्स अपेक्षाओं पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस के अलावा उन कारणों को भी ढूंढ़ें जिन की वजह से साथी सैक्स में रुचि नहीं लेता, फिर उन्हें दूर करने की कोशिश करें. ये कारण हर कपल के अलगअलग होंगे. आप को बस उन्हें दूर करना है, तब आप की सैक्स लाइफ फिर से पहले जैसी खुशहाल हो जाएगी.

यह भी एक कारण

उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी क्यों नहीं लेती है? अमेरिका में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की पूरी टीम इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में जुट गई. इस में एक अहम जानकारी सामने आई, जो निश्चित तौर पर एक स्त्री की सैक्स संबंधी दिलचस्पी की पड़ताल करती है. दरअसल, यह सवाल स्त्री की उम्र और सैक्स के रिश्ते से जुड़ा है. कई लोग मानते हैं कि स्त्री की उम्र उस की सैक्स संबंधी दिलचस्पी पर काफी असर डालती है. यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेती.

हालांकि शोध से यह बात साफ हो गई कि मध्य आयुवर्ग की महिलाओं में संभोग के प्रति दिलचस्पी होना अथवा न होना सिर्फ बढ़ती उम्र पर निर्भर नहीं करता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन के लाइफपार्टनर का स्वास्थ्य कैसा है? और सैक्स संबंधी गतिविधियों में वे कितनी रुचि लेते हैं.

भावनात्मक कारण

आम धारणा के विपरीत शोध में यह पाया गया कि मध्य आयु में भी महिलाएं न सिर्फ सैक्सुअली सक्रिय होती हैं, बल्कि कई मामलों में उन की दिलचस्पी बढ़ती हुई नजर आई. शोध के दौरान जब यह जानने की कोशिश की गई कि जो महिलाएं सैक्स में सक्रिय नहीं हैं उस के पीछे क्या वजह है तो पता चला कि कई भावनात्मक कारणों से उन की सैक्स और अपने पार्टनर में दिलचस्पी खत्म हो चुकी होती है. पार्टनर में दिलचस्पी घटना या किसी प्रकार की अक्षमता का सीधा असर महिलाओं की यौन सक्रियता पर पड़ता है. ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन की सैक्स में दिलचस्पी खत्म होने की और भी वजहें हैं. मगर उन की संख्या कम है.

उम्र से नहीं है कोई संबंध

इस शोध में मध्य आयुवर्ग की सैक्स संबंधी हर दिलचस्पी को शामिल किया गया था, जिस में हस्तमैथुन भी शामिल था. शोध के दौरान महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सैक्सुअल ऐक्टिविटीज में उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा सक्रिय होता पाया गया. शोध से यह स्पष्ट सामने आया कि किसी भी स्त्री की सैक्स संबंधी सक्रियता का उस की उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. इस आधार पर मनोवैज्ञानिकों और सैक्स सलाहकारों ने कुछ कारण और सुझाव भी रखे:

– ध्यान दें कि आप का पार्टनर किसी दवा के साइड इफैक्ट की वजह से भी सैक्स में दिलचस्पी खो सकता है. यदि ऐसा है तो डाक्टर से सलाह लें.

– कई महिलाएं मानसिक दबाव के चलते भी सैक्स में रुचि नहीं लेतीं.

– बच्चों में ज्यादा व्यस्त हो जाने और सामाजिक मान्यताओं के चलते महिलाओं को लगता है कि सैक्स में बहुत दिलचस्पी लेना उचित नहीं है.

– कई बार बच्चों के हो जाने के बाद महिलाएं अपने शरीर को ले कर असहज हो जाती हैं और हीनभावना का शिकार हो जाती हैं. इस के चलते भी वे सैक्स से जी चुराने लगती हैं.

– बढ़ती उम्र में घरपरिवार और कामकाज की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वे थकने लगती हैं और सैक्स के लिए उन में पर्याप्त ऐनर्जी नहीं बचती.

– कई महिलाएं अपने पति के साथ एकांत चाहती हैं और ऐसा न होने पर सैक्स के प्रति उन की रुचि घटने लगती है.

– अगर पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और रिश्ता आपस में सही नहीं है तो इस से भी सैक्स लाइफ पर विपरीत असर पड़ता है.

गाइनोकोलौजिस्ट, डाक्टर अंजली वैश के अनुसार कुछ बीमारियां भी होती हैं, जिन की वजह से सैक्स में रुचि कम हो जाती है. ड्रग्स, शराब, धूम्रपान का सेवन करने से भी सैक्स में रुचि कम हो जाती है, डाइबिटीज की बीमारी भी महिलाओं में सैक्स ड्राइव को घटाती है, गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद हारमोन चेंज के कारण सैक्स में महिला कम रुचि लेती है, अगर डिप्रैशन की समस्या हो तो हर समय अवसाद में डूबी रहती हैं. वे ऊटपटांग बातें सोचने में ही अपनी सारी ऐनर्जी लगा देती हैं. सैक्स के बारे में सोचने का टाइम ही नहीं मिलता है.

कई महिलाएं बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे के कारण सैक्स करने में उन्हें काफी दिक्कत होती है. अत: वे सैक्स से बचने लगती हैं.

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दवा भी कम जिम्मेदार नहीं

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई ऐसी दवाएं हैं जिन से सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है. सैक्स के लिए जरूरी हारमोंस शरीर की जरूरत व संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तत्त्व डोपामाइन व सैरोटोनिन और सैक्स अंगों के बीच तालमेल बहुत जरूरी होता है. डोपामाइन सैक्स क्रिया को बढ़ाता है और सैरोटोनिन उसे कम करता है. जब दवाएं इन हारमोंस के स्तर में बदलाव लाती हैं तो कामेच्छा में कमी आती है. पेनकिलर, अस्थमा, अल्सर की दवा, हाई ब्लडप्रैशर और हारमोन संबंधी दवा से कामेच्छा में कमी हो सकती है.

मगर यह जरूरी नहीं कि आप की सैक्स लाइफ में अरुचि सिर्फ दवा की वजह से ही हो. इसलिए अगर आप को अपनी सैक्स लाइफ में बदलाव महसूस हो रहा है, तो दवा बंद करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

सैक्स में रुचि कैसे पैदा करें

सैक्स में जरूरी है मसाज: जब आप पार्टनर के नाजुक अंगों पर हाथों से हौलेहौले तेल लगा कर मसाज करेंगे तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होगा. तेल आप के और पार्टनर के बीच जो घर्षण पैदा करता है उस से प्यार में बढ़ोतरी होती है और सैक्स की इच्छा जाग उठती है. मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस से न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है, बल्कि अपनी बोरिंग सैक्स लाइफ को भी फिर से पहले जैसी बना सकती हैं.

ऐक्सपैरिमैंट कर सकते हैं: अगर आप का पार्टनर सैक्सुअल ऐक्सपैरिमैंट नहीं करता है या ऐक्सपैरिमैंट करने से बचता है तो फेंटैसी की दुनिया में आप का स्वागत है. अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी फेंटैसी कर सकती हैं तो अपने बैडरूम से बाहर निकले बिना आप अपने पार्टनर के साथ जंगल में मंगल कर सकती हैं. आप अपने पार्टनर के साथ जो चाहती हैं उसे फेंटैसी के जरीए महसूस करिए. आप की अपने पार्टनर से सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, क्योंकि आप का पार्टनर आप को खयालों में जो मिल गया है.

बारबार हनीमून मनाएं: सैक्स संबंधों में बोरियत न हो, इस के लिए पतिपत्नी को चाहिए कि हर साल वे हनीमून पर जाएं और इसे वे आपस में घूमने जाना न कह कर हनीमून पर जाना कहें. इस से उन के बीच ऐक्साइटमैंट बना रहता है. जब हनीमून पर जाएं तो एकदूसरे को वहां पहली बार बिताए लमहे याद दिलाएं. इस तरह घूमने और हनीमून के बारे में बात करने पर सैक्स संबंधों की याददाश्त ताजा हो जाएगी.

सैक्स में नयापन लाएं: कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के सैक्स करने का एक ही तरीका हो और उस तरीके से आप की पत्नी बोर हो गई हो? अत: उस से इस विषय पर बात करें और सैक्स करने के परंपरागत तरीके छोड़ कर नएनए तरीके अपनाएं. इस से सैक्स संबंधों में एक नयापन आ जाएगा.

अपने साथी को समय दें: शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़ों को लगता है कि सहवास में उन की रुचि कम होती जा रही है. सहवास उन्हें एक डेली रूटीन जैसा उबाऊ कार्य लगता है. इसलिए सहवास को डेली रूटीन की तरह न लें, बल्कि उसे पूरी तरह ऐंजौय करें. रोज करने के बजाय हफ्ते में भले ही 1 बार करें लेकिन उसे खुल कर जीएं और अपने पार्टनर को एहसास दिलाएं कि ऐसा करना और उस के साथ होना आप के लिए कितना खास है.

सैक्स ऐसा जिसे दोनों ऐंजौय करें: सिर्फ आप अपने मन की बात ही पार्टनर पर न थोपते रहें, बल्कि सैक्स में उस की इच्छा भी जानें और उस का सम्मान करें. जिन तरीकों में आप दोनों कंफर्टेबल हों और ऐंजौय कर सकें, उन्हें अपनाएं.

नियमित करें सैक्स: यह सच है कि तनाव और थकान का पतिपत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है. मगर वहीं यह भी सच है कि सैक्स ही आप के जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टौनिक बनता है. इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम 3 बार संबंध जरूर बनाएं. इस से सैक्स लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.

एकदूसरे के प्रति प्यार को बढ़ावा दें : अधिकतर जोड़ों के शादी के बाद कुछ सालों तक संबंध अच्छे रहते हैं, लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसे काम व अन्य कारणों से उन के बीच दूरी बढ़ती जाती है, जिस से उन्हें आपस में प्यार करने का मौका नहीं मिलता. इस से उन के बीच सैक्स संबंधों में खटास आने लगती है. वैवाहिक जीवन में उत्पन्न हुई इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में बातचीत करने के लिए कुछ समय निकालें. एकदूसरे से अच्छी बातें करें और एकदूसरे की बातों को सुनें, शिकायतों को दूर करने की कोशिश करें. एकदूसरे का सम्मान करें, इस से सैक्स लाइफ भी काफी बेहतर होगी.

पहल करें: अकसर महिलाएं सैक्स के लिए पहल करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए आप द्वारा पहल करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आप का पहल करना महिला को सुखद एहसास में डुबो देता है. यदि बच्चे छोटे हैं तो सैक्स लाइफ में मुश्किलें तो आती ही हैं और महिलाएं इतनी खुली व रिलैक्स भी नहीं रह पातीं. ऐसे में बच्चों के सोने का इंतजार करने से अच्छा है कि जब मौका मिले प्यार में खो जाएं.

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फिटनैस का भी खयाल रखें: अच्छी सैक्स लाइफ के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना भी जरूरी है. इस के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. थोड़ीबहुत ऐक्सरसाइज करें. भरपूर नींद लें. सिगरेट, शराब का सेवन न करें.

कल्पना करें: अगर आप को सैक्स करते समय किसी और पुरुष की या फिर किसी बौलीवुड ऐक्टर आदि की कल्पना उत्तेजित करती है और सैक्स का आनंद बढ़ाती है तो ऐसा करें. इस के लिए मन में किसी तरह का अपराधबोध न आने दें. ऐसा करना गलत नहीं है क्योंकि सब का सैक्स करने और उस के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है.

फ्रैश मूड में आनंद उठाएं: अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, व्यस्त हैं, रात को देर से आते हैं, तो उन की सैक्स लाइफ न के बराबर होती है और महिला ऐसे में इसे बोझ की तरह लेती है. इसलिए अगर वह थकी हुई है तो जबरदस्ती न करें. सुबह उठ कर फ्रैश मूड में सैक्स का आनंद उठाएं.

गंदी बातें अच्छी हैं: सैक्स के लिए मूड बनाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है. आप को लगता है कि कहीं आप की डर्टी टौक्स और डार्क फेंटैसी सुन कर पार्टनर का मूड न बिगड़ जाए, इसलिए आप चाहते हुए भी उन से यह सब शेयर नहीं करते हैं तो जान लें कि ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि हर लड़की अपने पार्टनर से ऐसी बातें सुनने के लिए बेकरार रहती है. इसलिए बेझिझक उन से ऐसी बातें करें. जैसे ही आप की बातें शुरू होंगी उन की बेचैनी भी बढ़ती जाएगी.

सैक्स लाइफ का अंत नहीं है बच्चे का आना

अगर आप का मानना है कि बच्चे के आने के बाद सैक्स लाइफ खत्म हो जाती है तो जरा रुकिए. दुनिया भर में हो रही स्टडी के मुताबिक मां बनने के कुछ समय बाद कामेच्छा स्वाभाविक रूप से लौट आती है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते बाद डाक्टर महिलाओं को सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं. लेकिन इतने समय में भी सब महिलाएं सहज नहीं हो पातीं. कई महिलाओं की सैक्स संबंध इच्छा को लौटने में साल भर तक का समय लग जाता है. शुरू में अंतरंग पलों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है. लेकिन धीरेधीरे गाड़ी ट्रैक पर लौटने लगती है, इसलिए बच्चे का होना सैक्स पर पूर्णविराम नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है.

रिसर्च बताती है कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमैक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. इस का कारण है नर्व एंडिंग का ज्यादा सैंसिटिव होना.

बनाएं पत्नी का मूड ऐसे

– महिलाओं की पीठ काफी सेंसिटिव होती है. थोड़ा सा अंधेरा कीजिए, म्यूजिक प्ले कीजिए और पत्नी की पीठ पर हौलेहौले हाथ फिराते हुए मसाज कीजिए. फिर आगे का जादू खुद ही चल जाएगा.

– पार्टनर के कानों से खेलिए और हौले से कुछ कहिए. एकदम से यह न कहें कि आप का करने का मन है.

– गले में गुदगुदी कीजिए. देखिएगा कुछ ही देर में पत्नी आंहें भर रही होगी.

– फुट मसाज दीजिए. पत्नी के पैरों को सहलाते हुए बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. बस वह एकदम से आप को बांहों में भर लेगी और उस के लिए पत्नी का तुरंत मूड बन जाएगा.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

वर्जिनिटी : भ्रम न पालें

किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी  द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.

पहली बार सैक्स के दौरान युवक अपने साथी से उस के कुंआरी होने का सुबूत भी मांगते हैं, जबकि वह खुद के कुंआरे होने का सुबूत देना उचित नहीं समझते. इस वजह से पहला सैक्स जिसे हम वर्जिनिटी का नाम देते हैं, आगे चल कर सैक्स संबंधों में बाधा बन जाता है. युवती की वर्जिनिटी पर शक की वजह से कई तरह की गलतफहमियां जन्म लेती हैं. इस का प्रमुख कारण कुंआरेपन को ले कर लोगों से सुनीसुनाई बातें हैं.

किसी भी युवक या युवती के लिए पहली बार किए जाने वाले सैक्स का जो रोमांच होता है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक ऐसी स्टेज है जहां युवकयुवती एकदूसरे के सामने अपने सारे कपड़े उतारने और सैक्स को ले कर होने वाली झिझक को दूर करने की शुरुआत करते हैं. यहीं से युवकयुवती के कुंआरेपन की समाप्ति होती है और यही वह स्टेज है जहां दोनों अपनी वर्जिनिटी खोते हैं.

युवती को अपने कुंआरेपन का सुबूत देने के लिए कई तरह की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जोकि सरासर गलत है. अगर युवती पुरुष से कुंआरे होने का सुबूत नहीं मांगती तो उसे भी चाहिए कि अपने साथी पर विश्वास करते हुए उस के कुंआरेपन पर सवाल खड़ा न करे. अकसर युवती के कुंआरेपन को ले कर घरेलू ंिहंसा व तलाक जैसी नौबत भी आ जाती है. अपने चरित्र का प्रमाण देने के लिए युवती को तमाम तरह के सुबूत पेश करने के लिए कहा जाता है.

सैक्स के दौरान वर्जिनिटी को ले कर आने वाले खून की कुछ बूंदों के प्रति पुरुषवर्ग इतना गंभीर होता है कि वह वर्षों से चले आ रहे इस दकियानूसी खयाल से बाहर आने की सोच भी नहीं सकता, जबकि अपने कुंआरेपन को गृहस्थी के बीच का मुद्दा बनाना गलत है. इसलिए युवकयुवतियों को चाहिए कि वे पहले सैक्स को यादगार बनाएं न कि वर्जिनिटी के चक्कर में पड़ कर संबंधों में दरार पैदा करें.

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प्यार और भरोसे से करें शुरुआत

नीरज की अरेंज्ड मैरिज थी, अत: वह अपनी होने वाली पत्नी से कभी मिला नहीं था. ऐसे में नीरज के दोस्त शादी की पहली रात को ले कर नीरज को तमाम तरह की सलाह देने में लगे हुए थे. उस के एक दोस्त ने कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ पहली रात के सैक्स यानी सुहागरात में पत्नी के वर्जिन होने का पता लगाने के लिए योनि से रक्तस्राव होने पर जरूर ध्यान दे. अगर रक्तस्राव हुआ तो समझ ले कि पत्नी ने किसी के साथ सैक्स नहीं किया है, अगर नहीं हुआ तो वह पहले सैक्स कर चुकी है.

लेकिन नीरज ने दोस्त की इस बात पर ध्यान न दिया, क्योंकि वह जानता था कि पहले सैक्स में रक्तस्राव होना जरूरी नहीं. इस से यह पता चलता है कि वर्जिन होने के लिए सुबूत देने की जरूरत नहीं होती बल्कि पहली बार किए जाने वाले सैक्स की शुरुआत प्यार और भरोसे के साथ की जाए तो यह न केवल ज्यादा मजा देने वाला होता है, बल्कि इस से रिश्ता और भी गहरा व विश्वसनीय बन जाता है.

बातचीत है जरूरी

सैक्स व मनोरोग विशेषज्ञ डा. मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि कौमार्य खोने के पहले एकदूसरे के बारे में अच्छी तरह से जान लें, क्योंकि सैक्स आनंद के लिए किया जाता है न कि भूख मिटाने के लिए. इसलिए सैक्स को मजेदार बनाने की कोशिश करें, आपस में कामुक बातचीत की शुरुआत हो और धीरेधीरे यह बातचीत शर्म से ऊपर उठ कर सैक्स संबंध के रूप में आगे बढे़. इस तरह सैक्स का मजा दोगुना हो जाता है और पतिपत्नी के बीच शर्म का परदा भी उठ जाता है.

पहले सैक्स को ज्यादा मजेदार व यादगार बनाने के लिए वर्जिनिटी जैसे दकियानूसी खयाल से ऊपर उठ कर शारीरिक व मानसिक संतुष्टि को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए. इस के अलावा किसी तरह की अजीबोगरीब उम्मीदें नहीं पालनी चाहिए जिन से जीवन साथी को किसी तरह की ठेस पहुंचे.

कैसी प्रेमिका की चाहत

एक सर्वे के अनुसार 51% युवा प्रेमियों को प्रेमिका की ब्यूटी, 36% को ब्रेन और 15% को प्रेमिका की ब्यूटी विद ब्रेन दोनों का कौंबिनेशन प्रभावित करता है.

प्रेमी प्रेमिका की तरह अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर प्रेमिका को चुनते हैं.

आइए जानें वे क्या पसंद करते हैं अपनी प्रेमिका में :

–       युवा प्रेमी को साफसफाई का खयाल रखने वाली प्रेमिका अधिक पसंद आती है.

–       युवा प्रेमी को प्रेमिका की बौडी लैंग्वेज, बाल, आंखें, मुसकराहट भी अपनी ओर आकर्षित करती है.

–       युवा प्रेमी बहुत होनहार प्रेमिका की चाहत नहीं रखते बल्कि उन्हें हर सामान्य कार्य में रुचि रखने वाली प्रेमिका ज्यादा पसंद आती है.

–       51% युवाओं का मानना है कि उन्हें प्रेमिका की खूबसूरती के अलावा उस का केयरिंग नेचर बहुत प्रभावित करता है.

–       आत्मविश्वासी प्रेमिका युवा प्रेमी को ज्यादा पसंद आती है.

–       अकसर युवक ऐसी प्रेमिका को पसंद करते हैं जो अपना अधिकांश समय उन्हें ही दे.

–       बातबात पर इमोशनल होने वाली पे्रमिका से वे दूरी बनाने में ही भलाई समझते हैं.

–       युवा प्रेमी अकसर ऐसी प्रेमिका चाहते हैं, जो सैक्सी और कौपरेट करती हो.

– रुचि सिंह

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मार से नहीं सुधरते बच्चे

कभी खिलौने तोड़ने, कभी होमवर्क न करने, कभी टीवी ज्यादा देर तक देखने, कभी सुबह जल्दी न उठने को ले कर हर बच्चे को कभी न कभी बचपन में अभिभावकों से अवश्य मार पड़ी होगी. जब बच्चे पेरैंट्स के अनुसार काम नहीं करते तो पेरैंट्स को गुस्सा आता है और गुस्से में वे पहले बच्चों को डरातेधमकाते हैं और जब ऐसा करने से बात बनती नहीं दिखती, तो वे बच्चों पर हाथ उठा देते हैं. पेरैंट्स ऐसा करते समय सोचते हैं कि वे ऐसा बच्चों की भलाई के लिए कर रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए कर रहे हैं. पर क्या बच्चों पर हाथ उठाना सच में बच्चों की भलाई के लिए होता, आइए जानते हैं :

हाथ उठाने के पीछे कारण :

साइकोलौजिस्ट प्रांजलि मल्होत्रा के अनुसार, ‘‘पेरैंट्स को लगता है कि बच्चों को मारना उन को सिखानेसमझाने का तरीका है, मारने से वे समझ जाएंगे और दोबारा वही गलती नहीं करेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं है.

‘‘कई बार तो बच्चे यह भी नहीं समझ पाते कि उन्हें मार किस बात पर पड़ी है. कई बार बच्चे अकारण भी मार खा जाते हैं. बच्चों पर हाथ उठाने से न सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से चोट पहुंचती है बल्कि वे मानसिक रूप से भी कमजोर पड़ जाते हैं.

‘‘कई मामलों में बच्चों पर हाथ न उठा कर यदि प्यार से समझाया जाए तो उन पर सकारात्मक प्रभाव होता है. शारीरिक हिंसा बच्चों को गलत रास्ता दिखाती है. साथ ही, बच्चे यह समझ बैठते हैं कि सभी समस्याओं का हल केवल एक हाथ उठाने से हो सकता है. ऐसे में वे अपने आसपास दोस्तों के साथ भी मारपीट का रवैया अपनाने लगते हैं.’’

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हाउसवाइफ ज्यादा उठाती हैं हाथ :

मुंबई के एक एजुकेशनल गु्रप पोद्दार इंस्टिट्यूट औफ एजुकेशन द्वारा देश के 10 शहरों में किए गए सर्वे के अनुसार, घर में रहने वाली मांएं बच्चों पर पुरुषों की तुलना में अधिक हाथ उठाती

हैं. हैरानी की बात यह है कि 77 प्रतिशत मामलों में मां ही बच्चों को पीटती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के पास बच्चों के लिए बहुत कम समय होता है, इसलिए वे कम हाथ उठाती हैं जबकि हाउसवाइफ बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं, इसलिए उन की गलतियों को ले कर वे ज्यादा सख्त होती हैं.

रिश्ते में आ सकती हैं दूरियां :

बच्चों को मार खाना न केवल अपमानित लगता है बल्कि मार उन्हें अशांत या डरपोक बना सकती है. बातबात पर हाथ उठाने से जहां कुछ बच्चे उग्र हो जाते हैं वहीं कुछ बच्चे हर समय डरेसहमे रहने लगते हैं, वे किसी से बात करने से भी कतराने लगते हैं. बड़े होने पर ये सारी समस्याएं उन के विकास में बाधक बन सकती हैं. बारबार मारने से बच्चों में पेरैंट्स का डर खत्म हो जाता है और हो सकता है आप का यह व्यवहार आप के और बच्चों के रिश्ते में दूरियां भी ला दे.

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बेटी नहीं बेटे की परवरिश पर भी दें ध्यान

“मां, मुझे अपनी सहेली निशा के घर जाना है आज. उस ने क्लास में बहुत अच्छा नोट बनाया है. कल टैस्ट है. एक बार उस के घर जा कर पढ़ आती हूं. पास ही तो रहती है. स्कूटी से तुरंत जा कर आ जाऊंगी,’’ राशि ने अपनी मां सुधा से कहा.

‘‘यह कोई वक्त है लड़कियों का घर से बाहर निकलने का? देख रही हूं सुधा तूने इसे कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है. कुछ ऊंच-नीच हो जाएगी, तो सिर धुनती रहना जीवन भर,’’ मां के कोई जवाब देने से पहले ही राशि की दादी बोल उठीं.

‘‘तुम्हें क्लास में ही उस से नोट ले लेना चाहिए था. आखिर रात होने का तुम ने इंतजार ही क्यों किया?’’ पापा ने घर में घुसते ही कहा.

‘‘बेटा, उस नोट को छोड़, खुद नोट बना ले. अब रात के 9 बजे तुम्हारा बाहर जाना उचित नहीं,’’ मां ने भी समझाया.

मन मसोस कर राशि अपने कमरे में जा कर पढ़ने बैठ गई.

करीब 1 घंटे के बाद राशि का भाई अपने कमरे से निकला और मां से बोला, ‘‘मां, शाम से बाहर नहीं निकला हूं, एक चक्कर लगा कर आता हूं,’’ और फिर बाइक ले बाहर चला गया. कहीं से कोई आवाज नहीं आई. किसी ने उस से कुछ नहीं पूछा या कहा.

दोहरी सोच

आम भारतीय घरों में कमोबेश यही स्थिति होती है. बेटी को तो हर समय आचारव्यवहार सिखाते रहेंगे. कभी दूसरे के घर जाने के नाम पर तो कभी जमाना बहुत खराब है के नाम पर. ऐसे न बोलो, ऐसे न चलो, ऐसे न करो आदि की लंबी सूची होती है बेटियों को सिखाने के लिए. कभी सीधेसीधे तो कभी घुमाफिरा कर बेटियों को बताया जाता है कि रास्ते में शोहदों को कैसे नजरअंदाज करना है. कोई फबती कसे तो कैसे चुपचाप कोई बखेड़ा खड़ा किए निकल लेना चाहिए. अगर कोई ऊंचनीच हो भी जाए तो गलतियां खोज कर लड़की को ही कुसूरवार ठहराया जाता है कि उस ने कपड़े ही ऐसे पहन रखे थे या रात के वक्त भला कहीं अच्छे घर की लड़कियां बाहर घूमती हैं? अखबार में छपी बलात्कार क ी खबरों को सुना कर उन्हें और भीरु बनाया जाता है. मगर बेटों के लिए यही सोच है कि अरे लड़का है इस के लिए क्या सोचना. कोई लड़की है क्या जो फिक्र की जाए कि कहां जा रही है? क्या कर रही है? दरअसल, परेशानी इसी सोच से है.

क्या ऐसा नहीं लगता कि परेशानी दरअसल लड़कों से ही है? क्या आप ने कभी सुना है कि कुछ लड़कियों ने मिल कर एक लड़के के साथ छेड़खानी की, बलात्कार किया या कुछ ऐसा ही और? नहीं न? सड़कों पर तेजी से दोपहिया वाहन चलाते हुए कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो दुर्घटनाग्रस्त या मरने वाले भी ज्यादातर लड़के ही होते हैं जबकि दोपहिया अब तो लड़कियां भी चलाती हैं.

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बचपन से ही सिखाएं

लड़कियां शुरू से ही बहुत समझदार और संवेदनशील होती हैं. अब कुछ ज्ञान लड़कों को भी दिया जाना चाहिए. बेटों से बचपन से ही कहा जाता है, ‘अरे लड़की हो क्या जो रो रहे हो?’ ‘डरपोक, तुम लड़की हो क्या?’ ‘चूडि़यां पहन रखी हैं क्या?’ ‘अरे, तुम किचन में क्या कर रहे हो?’ वगैरहवगैरह. ऐसा बोल कर उन्हें शुरू से ही संवेदनहीन बना दिया जाता है.

बेटों को भी बचपन से ही सिखाना चाहिए कि लड़कियों की इज्जत करें. मां का यह कर्तव्य है कि अपने जिगर के टुकड़े को सिखाए कि राह चलती लड़कियों को घूरा न जाए. उन्हें कैसे इज्जत दी जाए.

दोष किस का

घर में बेटियों को नालायक लड़कों से बचने के गुण सिखाने के साथसाथ बेटों को लायक बनने के गुण भी बताए जाएं. बच्चे तो बच्चे होते हैं, कच्ची मिट्टी की तरह. जैसा चाहें हम उन्हें गढ़ सकते हैं, जैसा चाहें हम उन में सोच रोपित कर दें. फिर क्या लड़का और क्या लड़की.

आज जब हम किसी सड़क छाप मजनू या किसी बलात्कारी अथवा हिटलरशाही पति को देखते हैं, जो मनमानी करने को अपना हक समझता है, तो यह समझ लेना चाहिए कि दोष उस की परवरिश का भी है. सुधा ने तो बेटी को बाहर नहीं जाने दिया कि कुछ अनर्थ न हो जाए पर हो सकता है उस का भोला सा दिखने वाला लाल ही बाहर कोई अनर्थ कर आया हो.

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मैने परिवार से छिप कर शादी की है, हमें क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. अपनी मौसी के जेठ के बेटे से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. हम ने सब से छिप कर शादी की है. उस ने मेरी मांग में सिंदूर भरा था और मुझे मंगलसूत्र भी पहनाया था. इस बात के सिर्फ हम दोनों ही साक्षी हैं और कोई इस का गवाह नहीं है. घर में जब हम दोनों की शादी की बात चली तो हम ने उन्हें अपनी इस गुपचुप शादी के बारे में बताया पर इसे किसी ने स्वीकार नहीं किया. लड़के की सगाई कर दी गई है और मेरे घर वाले भी मेरे लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं. हम दोनों के शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. क्या हमें अन्यत्र शादी करनी चाहिए?

जवाब

यदि आप दोनों वास्तव में एकदूसरे से प्रेम करते तो आप अपने घर वालों को विवाह के लिए राजी कर सकते थे. पर आप ने ऐसा नहीं किया. शायद आप दोनों ही इस रिश्ते को ले कर गंभीर नहीं थे. इसीलिए लड़के (आप के बौयफ्रैंड) ने कहीं और सगाई कर ली और आप के घर वाले भी आप के लिए वर तलाश रहे हैं. इसलिए अपने प्रेम संबंध को समाप्त कर दें और भविष्य के बारे में सोचें. रही आप की चोरीछिपे शादी की बात तो इस तरह की शादी की कोई अहमियत नहीं होती. रही बात आप दोनों के अवैध संबंध की तो उसे अपने भावी जीवनसाथी से कतई जाहिर न करें.

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शादी और सेक्स से जुड़ी जिज्ञासाएं शांत करें ऐसे

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी अथवा बहन से.

सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए? तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे? हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो, आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है. अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

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ध्यान देने योग्य बातें

– सैक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

– फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

– यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

– मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कालम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

– यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कालम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कालमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

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क्यों होते हैं एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स

रूटीन जहां हमें व्यवस्थित रखता है वहीं कई बार बोर भी कर देता है. वर्षों तक साथ रहने के बाद जीवनसाथी के प्रति हम लापरवाह से हो जाते हैं. ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ होते ही हर अच्छाई कर्तव्य और हर बुराई अवगुण हो जाती है. आज के जमाने की तकनीक भी हमारी निजता को बनाए रखने में कारगर है. फलतया ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स आज आम हो गए हैं. क्यों हो जाते हैं पार्टनर बेवफा? क्या दैहिक विविधता की तलाश होती है या जीवन में नएपन की, रोमांस की जरूरत महसूस करते हैं या भावनात्मक साथ की? छिपाने और झूठ बोलने का रोमांच उन्हें अच्छा लगता है या वाकई वे आसक्त रहते हैं? आइए जानते हैं:

महिलाएं ध्यान चाहती हैं: विवाह काउंसलर और विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं अकेलेपन को कम करना चाहती हैं. वे इसीलिए मित्रता करती हैं कि कोईर् उन्हें ध्यान से सुने. विवाहित जीवन में अकसर पति या बच्चे महिला को समझ नहीं पाते और यही उन के जीवन की सब से बड़ी विडंबना बन जाती है.

बीइंग ऐप्रिशिएटेड: ऐप्रिशिएट होने की इच्छा हम सब को होती है. हम में से प्रत्येक दूसरे से प्रशंसा सुन कर संतुष्टि पाता है. पर विवाह के गुजरते वर्षों में एकदूसरे को ऐप्रिशिएट करना हम कम कर देते हैं.

पुरुष अपनी पावर और इंटेलैक्ट के लिए पहचाने जाना चाहते हैं: पुरुषों को अपनी व्यवस्था संबंधी योग्यताओं पर बहुत नाज होता है. वे स्ट्रौंग ह्यूमंस के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं.

स्त्रियों को डिजायरेबल लगना पसंद है: स्त्रियों को सैल्फ ऐस्टीम और सैक्सी फील करने के लिए पुरुषों के ध्यान की आवश्यकता महसूस होती है.

ईगो बूस्ट होता है: विपरीत लिंगी के साथ बिताए थोड़े समय में ईगो को बूस्ट मिलता है और मन को तसल्ली. स्वयं के प्रति आप पुन: आश्वस्त से हो जाते हैं. कौन्फिडैंस वापस लौट आता है.

स्पाउस एकदूसरे का भावनात्मक सहारा नहीं बनना चाहते: शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे की भावनात्मक जरूरतें पूरी करने से बचते हैं. उन्हें डर होता है कि दूसरा कहीं उन्हें अपना गुलाम न बना ले. वे सच सुनना पसंद नहीं करते. अपनी भावनाएं भी कई बार एकदूसरे से छिपा लेते हैं. शादी, शादी नहीं युद्ध का मैदान बन जाती है.

असंतोष पनपता है: विवाह में जब मन नहीं मिलते, अंडरस्टैंडिंग गड़बड़ा जाती है तो असंतोष सा पनपने लगता है. यही असंतोष किसी दूसरे की तरफ आकर्षित करता है और ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर पनपते हैं.

साइकिएट्रिस्ट के अनुसार, इनसान हमेशा किसी ऐसे साथ की तलाश में रहता है जो उसे उस की कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार सके. जब आप किसी के साथ कंफर्टेबल होते हैं तो आप ज्यादा संयम नहीं रख पाते, बस यहीं से शुरुआत होती है अफेयर की.

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आप को अपना तथाकथित पार्टनर (अफेयर वाला) जन्मोंजन्मों का साथी लगने लगता है. उस का साथ आप में एक नशा सा भरने लगता है और फिर आप नैतिकताअनैतिकता की सारी सीमाएं लांघ जाते हैं. सामने आया अवसर और अफेयर थ्रिल आप से कई ऐसे काम करवाता है जिस पर खुद आप को भी यकीन नहीं आता.

आप अपनी प्रत्येक हरकत को सही ठहराते हैं, आप को लगने लगता है कि आप को नए संबंध बनाने का पूरा हक है. शारीरिक भूख अफेयर को एक मदमस्त कर देने वाले रोमांच से भर देती है. नएपन की चाह, उस से उपजा एहसास बहुत हद तक इन रिश्तों को टिकाए रखता है.

यदि आप के साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो, आप के पार्टनर का यह सच आप को पता चले कि वह आप को बिना बताए किसी और से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, तो यकीनन आप टूट जाएंगे.

आप अलग तरीके से रीऐक्ट करेंगे: गुस्से, दुख, उत्तेजना से भरे आप उस के हर काम को, हर क्रिया को शक की निगाहों से देखेंगे. आप सोचने लगेंगे कि क्या वह हमेशा से आप से झूठ बोलता रहा? दूसरे के प्रति आकर्षित होने का उस का कारण क्या था? क्या वह आप से बेहतर था?

शारीरिक भावनात्मक स्तर पर बेवफाई से दिल टूटता है: रिश्ते छिन्नभिन्न हो जाते हैं. जिस का दिल टूटता है कई बार तो वह अपनेआप में सिमट सा जाता है पर कई लोग पार्टनर को उसी अफेयर के बारे में बारबार जाहिर कर के बेइज्जत करते हैं.

हर अफेयर का मतलब पुराने रिश्तों का हमेशा के लिए टूट जाना नहीं होता: हो सकता है आप के बच्चों की खातिर आप को साथ रहना पड़े या बूढ़े मांबाप को आप दुख न पहुंचाना चाहते हों. तलाक से जुड़े हर पहलू पर सोचसमझ कर निर्णय लेने के बाद आप यदि हर तरह के परिणाम के लिए तैयार हों तो संबंध खत्म कर दीजिए.

क्या रिश्ता तोड़ने योग्य मुद्दा है: अपने जीवन पर नजर डालिए. क्या आप दोनों साथ में खुश और संतुष्ट रहे हैं? क्या आप एकदूसरे के पूरक हैं? यदि उत्तर हां में है तो फिर सिर्फ एक अफेयर के कारण अपना रिश्ता खत्म न कीजिए.

धमकाइए मत और भीख भी मत मांगिए: अफेयर का पता चलने के बाद साथी को ब्लैकमेल करना, धमकाना या उस से दया की भीख मांगना गलत है. अपनी गरिमा बनाए रखें. अपने पार्टनर के साथ कनैक्टेड रहने के लिए आप को स्वयं का व्यक्तित्व लुभावना और बोल्ड बनाए रखना पड़ेगा.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रिश्ते का अंत नहीं: रिसर्च बताते हैं कि शुरुआत में भले ही लगे पर ऐसे अफेयर 3-4% ही विवाह में तबदील होते हैं. बाकी भी ज्यादा समय नहीं चलते.

समय निकालिए: ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर का पता चलते ही निष्कर्ष पर मत पहुंचिए. समय निकाल धैर्य से सोचिए. कह देने के बाद आप वापस नहीं आ सकते या तो रिश्ता निभाना पड़ेगा या तुरंत छोड़ना पड़ेगा.

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सोचसमझ कर निर्णय लें:  सचाई उगलवाने से पहले आप को मालूम होना चाहिए कि आप कितना सह पाएंगे. क्या आप उस के शारीरिक संबंधों की बात सुन कर उद्वेलित हो उठेंगे या उस के भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव से परेशान होंगे.

सचाई जानें: क्या आप तलाक ले कर अकेले गुजारा कर लेंगे? क्या आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं? पतिपत्नी पर घर के कामों के लिए और पत्नी पति पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर होती है. अत: सोचसमझ कर निर्णय लेना सही रहता है.

माफ करना सीखें: यदि पार्टनर गलती मान रहा है और ‘आगे से कभी ऐसा नहीं होगा’ कह रहा है तो आप भी उस के आचरण को परखने के बाद उसे माफ कर दीजिए. गलती सभी से होती है.

प्रोफैशनल की मदद लें: विवाह काउंसलर इस काम में अपने प्रोफैशनल स्किल्स से आप की मदद कर सकता है. उस से मदद लेना रिश्ता जोड़ने के लिए अच्छा है.

हम सभी इनसान हैं. मानव स्वभाव के कारण हम से कईर् गलतियां हो जाती हैं. शादी जैसे बंधन जिसे निभाने में सालों लग जाते हैं, उसे ऐसे ही तोड़ देना सही नहीं.

विवाह के टूटने का दंश समाज को, बच्चों को, बुजुर्ग मातापिता को भुगतना पड़ता है. इसीलिए ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स पर भी कड़ा मन रख कर माफ कर के नए अटूट रिश्ते की शुरुआत की जा सकती है.

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जब वर्जिन हो गर्लफ्रैंड

नेहा और सोहन की दोस्ती को अभी 2 महीने ही हुए थे कि सोहन उसे बातबात में टच करने की कोशिश करता. जब उसे यह बात पता चली कि नेहा वर्जिन है, तो वह उसे बहाने से एकांत में, होटल वगैरा में ले जा कर सैक्स करने को उत्तेजित करता.

सोहन की यह बात नेहा को पसंद न आई औैर उस ने साफ कह दिया कि मेरे लिए सैक्स शादी के बाद ही उचित है. यह बात सुन सोहन भड़क उठा, क्योंकि उस के दोस्त भी उस का मजाक बनाते थे कि यार तू कैसा लड़का है जो अपनी गर्लफ्रैंड को इतने समय में भी सैक्स के लिए राजी नहीं कर पाया. ऐसे में उस ने बिना सोचेसमझे नेहा से ब्रेकअप कर लिया.

ऐसा सिर्फ नेहा औैर सोहन के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश युवकों के साथ होता है, क्योंकि उन के लिए प्यार के माने गर्लफ्रैंड से सैक्स है. ऐसे में जब आप को पता चले कि आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन है तो उस पर जबरदस्ती वर्जिनिटी तोड़ने का दबाव न डालें औैर न ही खुद किसी दबाव में आएं बल्कि संयम बरतते हुए उसे वक्त दें ताकि वह तैयार हो जाए, आपसी सहमति से रिलेशन बनाने के लिए.

जब गर्लफ्रैंड हो वर्जिन

रखें खुद पर संयम

गर्लफ्रैंड वर्जिन हो और आप का खुद पर कंट्रोल मुश्किल हो रहा हो तो भी आप को संयम बरतना होगा. ऐसा न हो कि मौका मिलते ही चालू हो जाएं. भले ही आप के लिए यह पहला मौका नहीं है लेकिन आप की गर्लफ्रैंड का यह पहला चांस है. ऐसे में उसे चीजों को समझने में वक्त लगेगा और आप को भी उस की फीलिंग्स की कद्र करनी पडे़गी, तभी यह रिश्ता लंबे समय तक चल पाएगा.

बातोंबातों में प्यार दें

अपनी गर्लफ्रैंड को कभी प्यार से हग करें तो कभी उस के गालों पर किस करें, जब वह आप के प्रति करीबी महसूस करने लगे तो उसे समझाएं कि यह भी खूबसूरत एहसास है.

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वर्जिन गर्लफ्रैंड से न करें सैक्स

वर्जिन गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने में उसे हर्ट हो सकता है, जिस कारण वह दोबारा कभी सैक्स करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी. अत: गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने की जिद न करें.

वर्जिन गर्लफ्रैंड को न समझें दब्बू

बातबात पर उसे यह कह कर नीचा दिखाने की कोशिश न करें कि यार तेरे तो कुछ बस का ही नहीं है, तभी तो तू आज तक वर्जिन है. हर समय डरती रहती है. तू तो मुझे खुश करने के लिए कुछ भी नहीं करती जबकि रेखा को देख वह अपने बौयफ्रैंड के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है. तू तो हमेशा ऐसे ही ढीलीढाली बनी रहेगी.

आप की ऐसी बातें सुन कर जहां वह दुखी होगी वहीं आप से दूरी भी बना लेगी.

ड्रिंक पिला कर न करें जबरदस्ती

आप की गर्लफ्रैंड अभी रिलेशन बनाने के मूड में नहीं है, लेकिन आप उस पर बारबार दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में अपने ऐंजौयमैंट के लिए आप नशीला ड्रिंक पिला कर उस के साथ जबरदस्ती करने लगेंगे तो इस से भले ही आप को कुछ पल का मजा मिल जाए, लेकिन यह मजा आप के लिए हमेशा की सजा भी बन जाएगा. इसलिए भूल कर भी यह गलती न करें.

वर्जिनिटी को न बनाएं इश्यू

आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन नहीं है तो इस का अर्थ यह नहीं कि सैक्स के दौरान ब्रेकअप कर बैठें, जो ठीक नहीं है.

वर्जिनिटी की तय दकियानूसी बातें जैसे झिल्ली फटना आज के संदर्भ में महत्त्व नहीं रखतीं. आज युवतियां हर तरह के इवैंट्स में भाग लेती हैं. उन्हें स्वयं ही पता नहीं चलता कि कब उन की झिल्ली फट गई. इसलिए इन बातों को आधार बना कर अपनी प्रेम लाइफ को कष्टकारी न बनाएं.

वर्जिनिटी न पड़ जाए भारी

आप किसी पार्टी में गए हुए हैं और वहां आप की मुलाकात किसी ऐसी युवती से हो जाए जो वर्जिन हो. यह बात आप को उस से बात करने के दौरान पता चले औैर यह सुन कर ही आप उस से इंप्रैस हो कर उसे अपनी गर्लफ्रैंड बनाने का औफर दे डालें तो यह आप की सब से बड़ी भूल होगी.

हो सकता है कि वह अपने वर्जिन होने के ढोंग से आप को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही हो, जबकि इस के पीछे मकसद आप को फंसाना हो.

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पोर्न वीडियोज देख कर न हों उत्तेजित

भले ही आप को सैक्स के बारे में नौलेज नहीं है, लेकिन बौयफ्रैंड को इंप्रैस करने के चक्कर में यदि आप पोर्न वीडियोज देखने लगें, तो इस का आप पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इस में पार्टनर के साथ दिखाए गए अधिकांश ऐक्शंस वास्तविक नहीं होते, लेकिन अगर आप इन्हें अपनी वास्तविक सैक्स लाइफ में अप्लाई करेंगे तो इन से आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

युवतियां वर्जिनिटी को न बनाएं पार्टनर की कमजोरी

बातबात पर पार्टनर को यह कहना कि तुम्हें मुझ जैसी वर्जिन गर्लफ्रैंड कभी नहीं मिलेगी औैर यह कह कर हर बार फरमाइशों की लिस्ट उस के सामने न रख दें. ऐसे में आप का बौयफ्रैंड भले ही थोड़े समय के लिए आप की मांगों को पूरा कर दे लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा जब वह आप से दूर जाने में ही भलाई समझेगा. इसलिए अगर आप का पार्टनर आप से सच्चे दिल से प्यार करता है तो उस की कद्र करें न कि उसे अपनी वर्जिनिटी से ब्लैकमेल करने की कोशिश करें.

पिता के अमीर दोस्त, मां के गरीब रिश्तेदार

रिश्तों की अपनी अहमियत होती है. बिना रिश्तेदारों के जिंदगी नीरस हो जाती है व अकेलापन कचोटने लगता है. जिंदगी में अनेक अवसर ऐसे आते हैं जब रिश्तों के महत्त्व का एहसास होता है.

अकसर देखने में आता है कि किशोरकिशोरियां उन रिश्तेदारों को ज्यादा अहमियत देते हैं जो आर्थिक रूप से ज्यादा संपन्न होते हैं और गरीब रिश्तेदारों की उपेक्षा करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते, गरीब रिश्तेदारों को अपने घर बुलाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. वे खुद भी उन के घर जाने से कतराते हैं. भले ही बर्थडे पार्टी या शादी हो, अगर जाते भी हैं तो बेमन से.

आज के किशोरकिशोरियों में एक बात और देखने को मिलती है. वे अपने पिता के अमीर दोस्तों का दिल से स्वागत करते हैं. अपने मातापिता की बर्थडे पार्टी या मैरिज ऐनिवर्सरी में वे उन्हें खासतौर से इन्वाइट करते हैं. उन की पसंद की चीजें बनवाते हैं, लेकिन मां के गरीब रिश्तेदारों को बुलाना जरूरी नहीं समझते. यदि मां के कहने पर उन्हें बुला भी लिया, तो उन के साथ उन का बिहेवियर गैरों जैसा रहता है.

सुरेश के मम्मीपापा की मैरिज ऐनिवर्सरी थी. सुरेश और उस की बहन सुषमा एक महीना पहले ही तैयारियों में जुट गए थे. दोनों ने मिल कर मेहमानों की लिस्ट तैयार की और अपनी मम्मी को दिखाई.

लिस्ट में पिता के सभी अमीर दोस्तों का नाम शामिल था. मां को लिस्ट देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ. वे बोलीं, ‘‘अरे, तुम दोनों ने अपने मामामामी, मौसामौसियों के नाम तो लिखे ही नहीं. केवल मुंबई वाले मौसामौसी का ही नाम तुम्हारी लिस्ट में है.’’

यह सुनते ही सुरेश का चेहरा तमतमा उठा. वह बोला, ‘‘मैं आप के गरीब रिश्तेदारों को बुला कर अपनी व पापा की नाक नहीं कटवाना चाहता. न उन के पास ढंग के कपड़े हैं न ही उन्हें पार्टी में मूव करना आता है. क्या सोचेंगे पापा के दोस्त?’’

यह सुन कर मम्मी का चेहरा उतर गया. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन का बेटा ऐसा सोचता होगा. उन की मैरिज ऐनिवर्सरी मनाने की सारी खुशी काफूर हो चुकी थी.

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सुरेश के पिता ने भी सुरेश और सुषमा को बहुत समझाया कि बेटे रिश्तेदार अमीर हों या गरीब, अपने होते हैं. हमें अपने हर रिश्तेदार का सम्मान करना चाहिए.

सुरेश ने मातापिता के कहने पर मम्मी के रिश्तेदारों को इन्वाइट तो कर लिया पर मैरिज ऐनिवर्सरी वाले दिन जब वे आए तो उन से सीधे मुंह बात तक नहीं की. वह पापा के अमीर दोस्तों की आवभगत में ही लगा रहा.

सुरेश की मम्मी को उस पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, पर रंग में भंग न पड़ जाए, इसलिए वे शांत रहीं और स्वयं अपने भाई, भाभी और अन्य रिश्तेदारों की खातिरदारी करने लगीं.

मेहमानों के जाने के बाद सुरेश और सुषमा मम्मीपापा को मिले गिफ्ट के पैकेट खोलने लगे. उन्होंने मामामामी के गिफ्ट पैकेट खोले तो उन्हें यह देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ. उन के दिए गिफ्ट सब से अच्छे व महंगे थे. रोहिणी वाले मामामामी ने तो महंगी घड़ी का एक सैट उपहार में दिया था और पंजाबी बाग वाली मौसीमौसा ने मम्मीपापा दोनों को एकएक सोने की अंगूठी गिफ्ट की थी, जबकि पापा के ज्यादातर अमीर दोस्तों ने सिर्फ बुके भेंट कर खानापूर्ति कर दी थी.

सुरेश व सुषमा ने अपने मम्मीपापा से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘हमें माफ कर दीजिए. हम गलत थे. जिन्हें हम गरीब समझ कर उन का अपमान करते थे, उन का दिल कितना बड़ा है, यह आज हमें पता चला. आज हमें रिश्तों का महत्त्व समझ आ गया है.’’

ऐसी ही एक घटना मोहित के साथ घटी जब उसे गरीब रिश्तेदारों का महत्त्व समझ में आया. मोहित के पापा बिजनैस के सिलसिले में मुंबई गए हुए थे. एक दिन अचानक उस की मम्मी को सीने में दर्द उठा. मम्मी को दर्द से तड़पता देख मोहित ने पापा के दोस्त हरीश अंकल को फोन मिलाया और अस्पताल चलने को कहा तो उन्होंने साफ कह दिया, ‘‘बेटा, रात को मैं कार ड्राइव नहीं कर सकता, तुम किसी और को बुला लो.’’

मोहित ने पापा के कई दोस्तों को फोन किया, पर सभी ने कोई न कोई बहाना बना दिया. मोहित की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे. अचानक उसे मम्मी के चचेरे भाई का खयाल आया जो पास में ही रहते थे. उस ने उन्हें फोन पर मम्मी का हाल बताया तो वे बोले, ‘‘बेटा, तुम परेशान मत हो, मैं तुरंत आ रहा हूं.’’

चाचाजी तुरंत मोहित के घर पहुंच गए. वे अपने पड़ोसी की कार से आए थे. वे मोहित की मम्मी को फौरन अस्पताल ले गए. डाक्टर ने कहा कि उन्हें हार्टअटैक पड़ा है. अगर अस्पताल लाने में थोड़ी और देर हो जाती तो उन्हें बचाना मुश्किल था.

यह सुनते ही मोहित की आंखों में आंसू आ गए. उसे आज रिश्तों का महत्त्व समझ में आ गया था. पिछले दिनों इन्हीं चाचाजी की बेइज्जती करने से वह नहीं चूका था.

किशोरकिशोरियों को रिश्तों के महत्त्व को समझना चाहिए. अमीरगरीब का भेदभाव भूल कर सभी रिश्तेदारों से अच्छी तरह मिलना चाहिए. उन्हें पूरा सम्मान देना चाहिए.

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रिश्तों में मिठास घोलें

रिश्ते अनमोल होते हैं. किशोरकिशोरियों को मां के गरीब रिश्तेदारों को भी इज्जत देनी चाहिए. उन के यहां अगर कोई शादी या अन्य कोई फंक्शन हो तो जरूर जाना चाहिए. ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए कि उन्हें अपनी बेइज्जती महसूस हो. चाचाचाची, मामामामी, मौसामौसी से समयसमय पर फोन पर या उन के घर जा कर हालचाल लेते रहना चाहिए, इस से रिश्तों में मिठास घुलती है और रिश्तेदार हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं.

रिश्तेदारों के बच्चों से भी बनाएं संपर्क

किशोरकिशोरियों को चाहिए कि वे अपने गरीब रिश्तेदारों से न केवल संपर्क बनाए रखें बल्कि उन के बच्चों से भी दोस्त जैसा व्यवहार रखें. उन से फेसबुक, व्हाट्सऐप द्वारा जुड़े रहें. परिवार के फोटो आदि शेयर करते रहें. उन्हें कभी इस बात का एहसास न कराएं कि वे गरीब हैं. चचेरे व ममेरे भाईबहनों से भी अपने सगे भाईबहन जैसा ही व्यवहार करें. इस से उन्हें भी अच्छा लगेगा. आजकल वैसे भी एकदो भाईबहन ही होते हैं. कहींकहीं तो एक भी भाई या बहन नहीं होता. ऐसे में कजिंस को अपना सगा समझें और उन के साथ लगातार संपर्क में रहें.

छुट्टियों में रिश्तेदारों के घर जाएं

स्कूल की छुट्टियों में अपने मम्मीपापा के साथ रिश्तेदारों के घर जरूर जाएं. खासतौर से मम्मी के गरीब रिश्तेदारों के घर. जब आप उन के घर जाएंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा. उन के बच्चों यानी अपने कजिंस के लिए कोई न कोई गिफ्ट जरूर ले जाएं. इस से आपस में प्यार बढ़ता है.

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