पूर्व कथा
एक रोज जौन सुबहसुबह जंगल में सैर के लिए गया, तो वहां नीले परदे में लिपटी सड़ीगली लाश देख कर घबरा गया. उस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. बिना सिर और हाथ की लाश की पहचान करना पुलिस के लिए नामुमकिन हो रहा था. इंस्पैक्टर क्रिस्टी ने टीवी पर वह नीला परदा बारबार दिखाया, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.
एक रोज क्रिस्टी के पास जैनेट नाम की लड़की का फोन आया. वह क्रिस्टी से मिल कर कुछ बताना चाहती थी.
जैनेट ने क्रिस्टी को जिस लड़की का फोटो दिखाया उस का नाम फैमी था. फोटो में वह अपने 3 साल के बेटे को गाल से सटाए बैठी थी. जैनेट ने बताया कि वह छुट्टियों में अपने वतन मोरक्को गई थी. क्रिस्टी ने मोरक्को से यहां आ कर बसी लड़कियों की खोजबीन शुरू की. आखिरकार क्रिस्टी को फहमीदा नाम की एक महिला की जानकारी मिली. क्रिस्टी फहमीदा के परिवार से
मिलने मोरक्को गया. वहां फहमीदा की मां ने लंदन में बसे अपने 2-3 जानकारों के पते दिए. क्रिस्टी को लारेन नाम की औरत ने बताया कि फहमीदा किसी मुहम्मद नाम के व्यक्ति से प्यार करती थी और वह उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.
फिर एक दिन लारेन ने क्रिस्टी को बताया कि उस ने मुहम्मद को देखा है. क्रिस्टी और लारेन जब उस जगह पहुंचे तो पता चला कि यह दुकान मुहम्मद की नहीं बल्कि साफिया की थी, जिस के दूसरे पति का नाम नासेर था.
क्रिस्टी एक कबाब की दुकान पर गया तो अचानक दुकान के मालिक नासेर को देख उस के दिमाग में लारेन का बताया हुलिया कुलबुलाने लगा.
कांस्टेबल एंडी ने नासेर का पीछा किया तो मालूम पड़ा कि उस की बीवी और 3 बच्चे वहीं रहते हैं. क्रिस्टी ने एंडी को उस की बीवी का पीछा करने की सलाह दी. एंडी ने उस की बीवी, दुकान व बच्चों का ब्योरा क्रिस्टी को दे दिया. क्रिस्टी ने स्कूल से बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट निकलवाया तो कई बातें उजागर हो गईं. क्रिस्टी ने नासेर से फहमीदा नाम की औरत का जिक्र किया, तो उस के चेहरे का रंग उड़ गया. क्रिस्टी के साथ काम कर रही मौयरा ने स्कूल के हैडमास्टर की मदद से बच्चे को फहमीदा का फोटो दिखाया तो बच्चे ने तुरंत उसे पहचान लिया.
मौयरा साफिया से अब्दुल नाम के बच्चे की हकीकत उगलवाना चाहती थी, मगर अब्दुल का नाम सुनते ही साफिया सकपका गई. फिर जो कुछ भी उस ने मौयरा को बताया, वे सारी बातें उस ने रिकौर्ड कर लीं. क्रिस्टी को यकीन हो चला कि नासेर भागने की कोशिश करेगा मगर क्रिस्टी के बिछाए जाल में वह खुदबखुद फंसता चला गया. क्रिस्टी ने कड़ाई से पूछताछ की, तो नासेर ने फहमीदा और अब्दुल के बारे में सारी जानकारी पुलिस को दे दी. मगर नीले परदे में लिपटी लाश का रहस्य अभी बरकरार था.
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थोड़ी नानुकर के बाद साफिया राजी हो गई, तो बच्चा नासेर ने हथिया लिया. इस के साथ ही उस ने 30-40 मील दूर सरे काउंटी में घर व बिजनैस भी शिफ्ट करने की योजना बना ली और एस्कौट में एक दुकान व उस के ऊपर एक फ्लैट ले कर उस में जा बसा. फैमी को पास ही के गांव बेसिंगस्टोक में बस जाने का सुझाव दिया. फैमी पढ़ाई के साथसाथ एक फैक्टरी में काम करने लगी. फैक्टरी बेसिंगस्टोक में ही थी. वह वहां से अपने बच्चे से आसानी से मिलने आ सकती थी.
बच्चा जब नासेर के घर चला गया तब वह बहुत रोईधोई मगर नासेर ने उसे बहलाफुसला लिया. अपनी बीवी से छिपा कर उसे खूब सैर कराई और वादे के मुताबिक मोरक्को, मां से मिलने भेज दिया.
वह जब वहां से लौटी तो सरे में शिफ्ट कर गई और जैनेट के घर में एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगी. जैनेट ज्यादातर नर्सिंग के काम से बाहर ही रहती थी. उस का कमरा नासेर और फैमी का हनीमून चैंबर था. यहीं वह घुमाने के बहाने बेटे को भी ले आता था, फैमी से मिलवाने. यह सब इतनी चतुराई से चलता रहा कि साफिया को कुछ खबर नहीं लगी.
इधर छोटे से फ्लैट में 5 बेटियों का निर्वाह मुश्किल से हो रहा था. उन में से 3 तो कालेज जाने लगी थीं, लेकिन बच्चे के आ जाने से साफिया का सारा ध्यान उसी में लगा रहता था. उधर नासेर की दुकान नई जगह होने से अच्छी नहीं चल रही थी. इतना बदलाव तीनों बड़ी बेटियां निगल नहीं पा रही थीं.
साफिया ने अपने मांबाप को सब व्यथा सुनाई. उन्होंने कुछ पैसा अपने पास से लगा कर एक और दुकान न्यूजएजेंट की खरीद ली और उसी के ऊपर तीनों बड़ी बेटियों के संग रहने लगे. यह जगह नासेर की दुकान से 4-5 मील दूर उसी शहर में थी.
इधर नासेर ने देखा कि एस्कौट शहर में बाहर के टूरिस्ट बहुत आते हैं, क्योंकि यहां बहुत बड़ा रेसकोर्स है. अत: उस ने ग्रोसरी की दुकान हटा कर वहां कबाब व सैंडविच की दुकान खोल ली. वह बातचीत में लोगों का मन मोहने में नंबर वन था ही. दुकान धड़ल्ले से चल निकली. इस में साफिया का कोई काम नहीं था, इसलिए वह सुबह से दोपहर तक अपनी बड़ी बेटी की दुकान में हाथ बंटाती ताकि वह कालेज की पढ़ाई ढंग से कर सके.
नासेर की दुकान अच्छी चल निकली तो उस ने एक अच्छा सा 4 बैडरूम वाला घर भी खरीद लिया. यह वही घर था, जिस में मौयरा मनोवैज्ञानिक बन कर साफिया से मिलने गई थी.
सारी कहानी सामने आ चुकी थी मगर फैमी का क्या हुआ, इस बात का कोई इशारा भी नासेर नहीं दे रहा था. इस के अलावा वह फैमी को दुश्चरित्र औरत के अलावा और कुछ भी नहीं बता रहा था.
उस ने अपने बेटे के फैमी का बेटा होने की बात भी पुलिस को नहीं बताई. यह तो लारेन ने बताया डेविड क्रिस्टी को. बच्चे के गोद लेने का कोई पेपर भी नहीं मिला था.
नासेर ने फहमीदा का नाम तक जानने से इनकार कर दिया. सैकड़ों सवालों का उत्तर वह गोल कर गया. फिर भी झूठ पकड़ने वाली ‘लाई डिटेक्टर’ पर उस का झूठ पकड़ा जा रहा था. अंत में क्रिस्टी ने उस से पूछा, ‘‘जब जैनेट अपने घर में होती थी, तब तुम क्या फैमी के पास नहीं जाते थे?’’
नासेर बोला, ‘‘तब वही मेरे पास आती थी.’’
क्रिस्टी ने पूछा, ‘‘कहां सोते थे तुम दोनों?’’
अचानक नासेर बोल पड़ा, ‘‘दुकान के ऊपर फ्लैट खाली पड़ा था, हम वहीं
मिलते थे.’’
मौयरा को भी उस ने ऊपर के फ्लैट में चलने की दावत दी थी.
क्रिस्टी ने कड़क कर कहा, ‘‘तुम तो वहां और लड़कियों को भी ‘गुड टाइम’ देते थे. क्या यह नहीं हो सकता कि एक दिन फैमी ने तुम्हारी बेवफाई पकड़ ली और तुम से झगड़ा किया, इसलिए तुम ने उसे रास्ते से हटा दिया?’’
नासेर ने मना करते हुए कहा, ‘‘नहीं, बात कुछ और थी.’’
क्रिस्टी ने पूछा, ‘‘क्या बात थी.’’
नासेर पलट गया, ‘‘कुछ नहीं, कोई झगड़ा नहीं हुआ.’’
‘‘झूठ, बिलकुल झूठ. हमें पूरा यकीन है कि तुम ने उसे जान से मार डाला.’’
नासेर शांत था मगर अंदर की घबराहट मशीन पर साफ नजर आ रही थी.
क्रिस्टी ने उस की चुप्पी को अपराध छिपाने की कोशिश बताया और ऊपर के फ्लैट की फोरेंसिक जांच करने का हुक्म दिया.
फ्लैट हालांकि नया पेंट किया गया था फिर भी फोरेंसिक जांच के लिए उस की हरेक चीज उधेड़ कर देखने का उस ने हुक्म दिया.
साफिया नासेर की अचानक गिरफ्तारी से बेहद घबरा गई लेकिन उसे कुछ भी नहीं बताया गया.
मौयरा ने उस की दोनों छोटी बेटियों से पूछ लिया, ‘‘जब तुम लोग डैडी की दुकान के ऊपर फ्लैट में रहती थीं, तब तुम्हारे घर में किस रंग का सोफा था?’’
‘‘काले रंग का. मगर वह बहुत पुराना था, इसलिए डैड ने उसे फेंक दिया.’’
‘‘तुम्हें याद है कि तुम्हारे परदे किस रंग के थे?’’
‘‘थोड़ेथोड़े नीले, थोड़ेथोड़े ग्रे रंग के.’’
अब तो कोई शक बचा ही नहीं था. सारे फ्लैट में कोई सुराग नहीं मिला, मगर बाथरूम के टब के सामने का पैनल जब खींच कर हटाया गया तब उस का ऊपरी किनारा, जो टब से एकदम जुड़ जाता है, काफी गंदा मिला. उस में चिपचिपाहट थी. उसे माइक्रोस्कोप से देखने पर जमा हुआ पुराना
खून साफसाफ नजर आ गया, जिस में कुछ बाल भी फंसे हुए थे.
अब तो बाथरूम का सारा पेंट खुरचा गया. दरवाजे के पीछे पेंट के नीचे खून के धब्बे काफी मात्रा में पाए गए.
जांच करने पर वह खून जंगल में मिली लाश के खून से एकदम मिलता हुआ पाया गया.
अपने खिलाफ निकल रहे सुबूतों से डर कर अंतत: नासेर ने कबूल कर ही लिया कि उस ने फैमी को मार डाला था.
‘‘क्यों?’’
‘‘क्योंकि वह मुझे मजबूर कर रही थी कि मैं मोरक्को जा कर उस से निकाह कर लूं ताकि वह मेरी बीवी कहला सके. मैं ऐसा नहीं कर सकता था. साफिया को नाराज कर के मैं शादी की मंजूरी नहीं ले सकता था. दूसरी वजह थी मेरा बेटा. साफिया ने उसे 6 महीने की उम्र से पालापोसा था. उस की जानकारी में बच्चे की मां कब की उसे छोड़ चुकी थी.’’
नासेर ने एक और चालाकी यह खेली थी कि फैमी को कभी साफिया से नहीं मिलाया ताकि वह उस की अज्ञात प्रेमिका बनी रहे. बच्चे को अगर कानूनी तौर पर गोद लेता, तो फैमी को सब के सामने लाना पड़ता. वह इस खतरे से खेलना नहीं चाहता था. आमनासामना होने पर फैमी कभी भी सारे भेद खोल सकती थी, इसलिए उस ने बच्चे का नाम बदल कर उस का जन्म मोरक्को में लिखवा दिया और गलत तारीख से जन्मपत्र बनवा लिया.
बड़ी चालाकी से वह फैमी से बच्चे को मिलवाने ले जाता था. वह कभी मिलने आता तो फिर खूब प्यार लुटाता था उस पर. यही समय नासेर और फैमी का ‘गुड टाइम’ भी होता था.
साफिया के नए घर में जाने के बाद से फैमी अकसर डोनर कबाब की दुकान के ऊपर वाले फ्लैट में नासेर से मिलने आती थी. वहीं उस ने वह तसवीर अपने बेटे के संग खिंचवाई थी.
अब वह चाहती थी कि नासेर उस से इसलामिक रीति से मोरक्को जा कर शादी कर ले ताकि वह अपने समाज में मुंह दिखा सके. उस की उम्र 35 की हो चली थी. इस उम्र में उसे कोई और मर्द नहीं मिलने वाला था. मगर नासेर न तो मान रहा था न ही उस पर से अपना कब्जा हटा रहा था. फैमी ने उस के राज का परदा हटाने की धमकी दी. बस, यही उस की मौत का कारण बनी. दोनों का झगड़ा हुआ. नासेर ने सोफे के कुशन से उस का मुंह दबा दिया और उस की छाती पर चढ़ बैठा. जब वह सांस घुटने से मर गई, तब उस को घसीट कर बाथरूम में ले गया. वहां बाथटब में डाल कर उस ने उस की गरदन डोनर कबाब काटने वाली तेज छुरी से काट कर अलग कर दी.
जिस प्लास्टिक की ढक्कनदार बालटी में डोनर कबाब का कीमा आता था, उसी में उस ने फैमी के सिर को रखा और उस के ऊपर रेत भर दी ताकि खून न टपके. फिर ढक्कन को बंद कर दिया. इसी तरह उस ने एक दूसरी बालटी में उस के दोनों हाथ काट कर डाले और रेत भर दी. फिर बचे हुए शरीर को परदों में लपेट कर बांध दिया. अपनी वैन में लाश डाल कर वह रौक्सवुड में फेंक आया. दोनों प्लास्टिक की बालटियां उस ने 2 अलगअलग पुलों पर से रात में टेम्स नदी में फेंक दीं.
वापस फ्लैट में आ कर उस ने सोफे को आग लगा दी. रैक्सीन का सोफा जलने से सारा फ्लैट धुएं से भर कर काला हो गया. गलीचा भी जल गया. इस आग को उस ने खुद ही पानी डाल कर बुझा दिया.
देर रात गए वह घर पहुंचा. साफिया के पूछने पर उस ने आग लगने का ब्योरा बता दिया. बताया कि फ्लैट में जहरीला धुआं भरा है, इसलिए कोई वहां न जाए. वह क्लेम कर के इंश्योरैंस से इस नुकसान का मुआवजा लेगा. अगले ही दिन उस ने बाथटब को साफ किया और जहांजहां खून के छींटे पड़े थे उन पर पेंट मार दिया.
फैमी का हैंडबैग उस के पास था, जिस में से चाबी ले कर वह मौका देख कर उस के घर में घुसा और शिनाख्त के सारे पेपर, जेवर, पैसे और अब्दुल का असली जन्मपत्र वगैरह सब अपने कब्जे में कर लिया जो सामान बेमतलब का था, उसे वहीं छोड़ दिया. और फैमी के कपड़े भी वह ले आया ताकि लगे कि वह कहीं विदेश चली गई है.
जैनेट उन दिनों घर पर नहीं थी. उसे क्रिसमस पर एक बूढ़े की तीमारदारी करने के लिए मोरक्को में काम मिला था. उस के जाने से पहले फैमी ने उसे बताया था कि वह भी मोरक्को जा रही है.
ठोस सुबूतों के आधार पर पुलिस ने नासेर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया. अदालती कार्यवाही के बाद नासेर को उम्रकैद की सजा हुई.
जौन और डोरा के ड्राइंगरूम में बैठ कर डेविड क्रिस्टी आराम से सारी कहानी सुना रहा था. मौयरा और उस की बीवी भी वहां थी.
‘‘जौन, तुम सचमुच मानते हो कि वह आत्मा तुम्हें ढूंढ़ती हुई आई थी?’’
‘‘अरे मैं कैसे विश्वास दिलाऊं तुम सब को. डेविड जितनी बार तुम ने कहा कि मैं यह केस बंद कर रहा हूं, उतनी बार उस के आने का एहसास मुझे हुआ. तुम मानो या न मानो पर मुझे अब और भी तसल्ली हो गई है कि यह सब मेरा भ्रम नहीं था. जरा सोचो, जब से उस के हत्यारे ने उसे जंगल में फेंका मैं पहला व्यक्ति था जिस ने उसे देखा और उस के बारे में बताया. शायद वह अपने शरीर में बैठी रही मदद मांगने के लिए और जैसे ही मैं उसे मिला वह मेरे पीछे हो ली. वह मुझ से बारबार विनती कर रही थी, इस पर मुझे पूरा विश्वास है. तुम लोग इसे पागलपन समझते हो तो समझो.’’
‘‘नहीं जौन, कम से कम मैं इसे तुम्हारा पागलपन नहीं मान रहा हूं.’’
‘‘कैसे बोल रहे हो अब,’’ डोरा उपहास से बोली, ‘‘तुम्हीं ने तो कहा था न अल्बर्ट म्यूजियम में कि यह सब जौन के उत्तेजित होने के कारण कल्पना का तानाबाना है. उसे मानसिक शांति चाहिए.’’
‘‘कहा था, जरूर कहा था मगर उस के बाद जो कुछ घटा वह कम विस्मयकारी नहीं है. बताता हूं.
‘‘एक दिन जब मैं पूरी तरह हार गया था और केस बंद करने वाला था, एक औरत मुझ से मिलने आई. वह ईरानी थी और सरे के इलाके बर्ग हीथ से आई थी. यह जगह एमएसएम मार्केट से कोई 5-6 मील दूर पड़ती है. यह ईरानी औरत एक जोड़ी पुराने नीले परदे लाई थी मुझे दिखाने जो उस ने बुढि़या मार्था से खरीदे थे. उसे पता चला कि ऐसे परदे की पुलिस को तलाश है. मगर तब वह अपने देश जाने वाली थी. वापस आने पर उस ने नए परदे खरीद लिए और ये नीले परदे वह मुझे देने के लिए ले आई.’’
‘‘मगर मार्था ने तो कहा था बेसिंगस्टोक से कोई आई थी,’’ मौयरा ने चौंक कर पूछा.
‘‘मौयरा, मार्था बूढ़ी है न इसलिए उस की याददाश्त में से बर्ग हीथ फिसल गया और ब शब्द से बेसिंगस्टोक उभर आया, तो वह वही बोल गई. न वह बेसिंगस्टोक का नाम लेती, न हम उसे टीवी पर घोषित करते. न वहां रहने वाली जैनेट आगे आती और हमें फैमी का फोटो दिखाती. हमारी तहकीकात तो बस वहीं से शुरू हुई. है न अजीब बात?’’
‘‘कमाल है,’’ सब के मुंह से एकसाथ निकला.
‘‘तुम अब आराम से बेफिक्र हो कर सो सकते हो जौन. मैं ने तुम्हारी जिम्मेदारी पूरी कर दी है. मैं ने फैमी को उस के देश मोरक्को भेज दिया है और एक सरकारी चैरिटी की तरफ से एक मोटी रकम भी, जो उस के भाईबहनों के भविष्य को संवारने के काम आएगी.’’