‘‘अरे देखदेख लंगूर को कैसी हूर की परी मिली है.’’
‘‘सच यार, गोरी मेम को बगल में लिए कैसे शान से घूम रहा है. काश…’’
इस से पहले कि बोलने वाले की बात पूरी होती, अखिलेश ने पलट कर उन्हें घूरा तो यह सोच कर कि कहीं पिटाई न हो जाए, वे दोनों वहां से तुरंत खिसक लिए.
‘‘अकी, आई बिलीव दीज पीपल वेयर कमैंटिंग औन अस,’’ कैथरीन के कहने पर अखिलेश बोला, ‘‘नहींनहीं ऐसा कुछ नहीं है. डोंट थिंक अबाउट इट.’’
इस समय दोनों कनाट प्लेस घूम रहे थे. डेढ़ महीने पहले ही उन की शादी हुई थी. इंडिया आए 1 महीना ही हुआ था. शुरूशुरू में तो अखिलेश को बहुत गुस्सा आता था कि आखिर क्यों लोग कैथरीन को उस के साथ देख कमैंट करते हैं. लेकिन अब यह सुनने की आदत सी हो गई थी. उन दोनों को साथ देख कर देखने वाला कैथरीन को आश्चर्य से जरूर देखता था.
अखिलेश को लोगों का इस तरह रिएक्ट करना अजीब नहीं लगता था, क्योंकि उस ने अंतर्जातीय नहीं, बल्कि दूसरे देश की संस्कृति में पलीबढ़ी कैथरीन से विवाह किया था. वह अमेरिका से थी और एकदम दूध जैसी सफेद जबकि अखिलेश सांवला था. संस्कृति, भाषा और रंगरूप में इतना अंतर होने के कारण ऐसे कमैंट्स मिलने स्वाभाविक थे. ऐसे रिश्तों को आसानी से नहीं स्वीकारा जाता है. ऐसे विवाह पर लोगों के मन में अनेक सवाल उठते हैं कि आखिर क्यों इस अंगरेज लड़की ने एक भारतीय से शादी की? देखने में उस के सामने एकदम मामूली लगता है. शायद उस के पैसे के लिए की होगी या फिर उसी में कोई खामी होगी? हो सकता है तलाकशुदा हो या लड़के ने उसे फंसा लिया हो? भारत में कहां ऐडजस्ट कर पाएगी… देखना थोड़े ही दिनों में भाग जाएगी. वहां की लड़कियां बेहद तेज होती हैं. इंडिया में उस का मन लगने से रहा.
अपरिचितों की बात छोड़ दो, घर वालों ने भी उसे अभी तक कहां स्वीकारा है. कैथरीन जितनी देर तक घर में होती है, एक मातम सा छाया रहता है. जबकि वह अपनी तरफ से सब के हिसाब से पूरी तरह से ढलने की कोशिश कर रही है. पर अम्मां, बाबूजी और दोनों भाभियां उस से सीधे मुंह बात तक नहीं करती हैं. कैथरीन के टूटीफूटी हिंदी बोलने का मजाक उड़ाती हैं. हालांकि दोनों भाइयों ने कभी उस से गलत तरीके से बात नहीं की, पर वे भी अकसर कैथरीन को अवाइड ही करने की कोशिश करते हैं.
कैथरीन हालांकि साड़ी भी पहनने लगी है और शाकाहारी खाना ही खाती है, फिर भी अम्मां जबतब कहती रहती हैं कि अंगरेज का क्या भरोसा… कहीं तु झे धोखा न दे दे.
यह सुन कर अखिलेश खून का घूंट पी कर रह जाता. उस में मां से कुछ कहने की हिम्मत नहीं. कैथरीन को ठीक से उन की बातें सम झ नहीं आतीं तो वह उस से पूछती. तब वह हंस कर टाल जाता कि सब कुछ ठीक चल रहा है. घबराओ नहीं… थोड़ा संयम रखो. मु झे यकीन है एक दिन तुम सब का दिल जीत लोगी.
अखिलेश कैथरीन से इतना प्यार करता कि उसे उदास होते नहीं देख सकता था. वह भी तो उस पर जान देती थी. उस की हर बात को ध्यान से सुन कर उस पर अमल करती थी. वह चाहती थी कि घर के सभी लोग उस से बात करें, उसे घर के काम में शामिल करें, लेकिन वे लोग उस से दूरी ही बनाए रखते.
कई बार अखिलेश ने कैथरीन से कहा भी कि वे अलग हो जाते हैं. तब वह कहती, ‘‘मैं नहीं चाहती कि तुम अपने परिवार से दूर रहो… मैं जानती हूं कि तुम अपने परिवार से बहुत घुलेमिले हो.’’
तब अखिलेश का मन होता कि वह अम्मां को बताए कि सुन लो. तुम जिस गोरी बहू से चिढ़ती हो, वह क्या सोचती है. दूसरी ओर भाभियां हैं, जो दिनरात भाइयों को अलग हो जाने के लिए उकसाती रहती हैं. जबतब बीमारी का बहाना कर अपने कमरों में चली जाती हैं. उधर कैथरीन हर काम खुशीखुशी करने की कोशिश करती है. वह रैसिपी बुक ला कर नईनई डिशेज बनाती पर उसे कोई सराहना नहीं मिलती. अम्मां ने तो एक बार भी उस के सिर पर ममता का हाथ नहीं फेरा. हां, बाबूजी बेशक थोड़े नरम पड़े हैं और कैथरीन को हिंदी सिखाने की कोशिश करते हैं.
‘‘उधर देखो वह क्या कर रही है,’’ कह कैथरीन ने उस का ध्यान भंग किया.
अब तक वे जनपथ पर आ गए थे. फुटपाथों पर अनेक चीजें बिक रही थीं.
‘‘मैं इन्हें खरीदना चाहती हूं,’’ कह कैथरीन ने 4-5 पोटलीनुमा पर्स उठा लिए और फिर बोली, ‘‘घर में सब को दूंगी.’’
वे वापस जाने के लिए जैसे ही कार में बैठने लगे कि तभी एक पुलिस वाले ने उन्हें रोक लिया कि गाड़ी गलत जगह पार्क की है. कैथरीन उस से बात करने लगी. अंगरेज महिला से बात करते हुए पुलिस वाले की बोलती बंद हो गई. बोला, ‘‘मैडम कोई बात नहीं… इस बार जाओ, अगली बार ध्यान रखना.’’
‘‘कई बार तुम्हारा गोरे होने का मु झे बहुत फायदा मिल जाता है. उस दिन तुम फिल्म के टिकट खरीदने गईं तो विंडो बंद होने पर भी मैनेजर ने तुम्हें टिकट दे दिए. तुम्हारी वजह से भारत में मु झे भी हाई स्टेटस मिलने लगा है. आई एम ऐंजौइंग दिस स्टेटस,’’ अखिलेश हंसते हुए बोला.
मुझे भरोसा है कि तुम दूसरों की तरह बुरा फील नहीं करते वरना कुछ हसबैंड्स को कौंप्लैक्स हो जाता है,’’ कैथरीन ने रात को सोते समय अपना डर प्रकट किया तो अखिलेश ने उसे बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘तुम्हें मु झ से ज्यादा रिस्पैक्ट मिल रही है तो अच्छी बात है… आज ही देखो फाइन लगतेलगते बच गया. चाहे रैस्टोरैंट हो या कोई मौल, तुम्हारी वजह से हमें स्पैशल अटैंशन मिलती है. गोरे लोगों को आज भी हिंदुस्तान में मान दिया जाता है. देखा नहीं उस दिन कितने अदब से होटल का मैनेजर तुम्हें ग्रीट कर रहा था मानों तुम्हारे आने से उस के होटल की रौनक बढ़ गई हो.’’
‘‘तुम्हारा मतलब कि मेरी वजह से तुम्हारे कई काम बन जाते हैं… स्पैशल अटैंशन मिलती है?’’ कैथरीन ने हैरानी से पूछा. उसे इस बात की खुशी थी कि उस की वजह से उस के पति को देश में ज्यादा सम्मान मिल रहा है.
उस दिन भी तो ऐसा ही हुआ था. बड़ी भाभी के बेटे को स्कूल में परीक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा था, क्येंकि वह बहुत दिन गैरहाजिर रहा था. तब कैथरीन ही जा कर उन से मिली थी और बात बन गई थी. यहां तक कि कई बार बाबूजी उसे बैंक ले जाते तो काम चुटकियों में हो जाता था.
अखिलेश ने एक गोरी मेम से शादी की है, इसलिए औफिस में भी उस का ओहदा ऊंचा हो गया था. कोई उस से कहता कि उस की भी अंगरेज लड़की से शादी करा दे, तो कोई कहता कि विदेश भेजने का जुगाड़ करा दे. अकसर उन्हें कोई न कोई घर पर खाने के लिए आमंत्रित करता रहता. सब कैथरीन से बातें करने को इच्छुक रहते और सब से ज्यादा आश्चर्य तो उन्हें कैथरीन के व्यवहार पर होता, जो बहुत ही सहज होता. वह सब से घुलनेमिलने की कोशिश करती, जिस से सब को लगता कि वह उन्हीं में से एक है.
धीरेधीरे घर के लोगों का रवैया उस के प्रति कुछ नरम होने लगा था.
अम्मां उस से बात करने लगी थीं. वह भी दिनरात उन की सेवा में लगी रहती. एक बार अखिलेश की चाची आईं तो उन्होंने बहुत कुहराम मचाया कि गोरी बहू घर आ गई है, सब अपवित्र हो गया है, घर में हवन करा कर बहू का धर्म बदलो तभी शुद्धि होगी वरना सब तहसनहस हो जाएगा.
‘‘बेटा अखिलेश यह तूने क्या कर डाला? क्या हमारे देश में लड़कियों की कमी थी? तू विदेश क्या गया… विदेशी मेम के चक्कर में फंस गया,’’ वे अखिलेश से बोलीं.
‘‘चाची, बहुत हुआ,’’ पहली बार अखिलेश ने इस तरह आवाज उठाई थी. कैथरीन को ही नहीं, घर के बाकी सभी लोगों को भी उस के इस तरह रिएक्ट करने पर आश्चर्य हुआ.
‘‘मु झे कैथरीन ने फंसाया नहीं है… हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं… इतना तो मु झ पर विश्वास किया होता आप लोगों ने कि कैथरीन में कोई तो खूबी होगी, जिस की वजह से मैं ने उस से विवाह किया है… सिर्फ उस के गोरे रंग के कारण क्यों इतना बवाल मचाया हुआ है आप ने?’’
अखिलेश की बात सुन कर कैथरीन भी
अड़ गई कि वह इन अंधविश्वासों पर यकीन नहीं करती है.
‘‘धर्म के नाम पर आप यह पाखंड नहीं कर सकती हैं. शादी के बाद हम ने यह तय किया था कि न तो अखिलेश हिंदू है और न मैं कैथोलिक… हम बस इंसान हैं. हम ने तय किया है कि हमारे बच्चे भी किसी धर्म के नाम पर झगड़ा नहीं करेंगे. हवन कराने से मैं और यह घर पवित्र कैसे हो जाएंगे, क्या मैं गंदी रहती हूं?’’ कैथरीन की आवाज में मासूमियत के साथसाथ विरोध भी था.
तभी पैसा कमाने के लालच में वहां पहुंचे पंडित राम शंकर यह सुन भड़क उठे, ‘‘रामराम, इस कलयुग में धर्म कैसे बचेगा? मांसमछली खाने वाले लोगों को घर में रखा जा रहा है और उस पर हवनपूजा करवाने से भी इनकार किया जा रहा है. अम्मांजी, अब मैं इस घर में पैर नहीं रखूंगा,’’ पंडित ने अपना झोला संभालते हुए कहा तो अखिलेश तुरंत बोला, ‘‘पंडितजी अगर आप ऐसा करेंगे तो बहुत मेहरबानी होगी… आप जैसे लोगों से जितना दूर रहा जाए उतना ही अच्छा. धर्म के नाम पर लोगों के घरों में दरारें डालने में आप जैसे पंडित ही अहम भूमिका निभाते हैं.’’
पंडित के जाते ही चाची को लगा कि अब यहां उन की दाल नहीं गलने वाली है. उन्होंने एक बार अपनी जेठानी की ओर देखा, पर वहां से कोई जवाब न आने पर वह बोलीं, ‘‘मेरा क्या जाता है, जो होगा खुद भुगत लेना. मैं तो अच्छा ही करने आई थी. अब मैं यहां एक पल भी नहीं ठहरने वाली.’’
‘‘चाचीजी, हम आप का निरादर नहीं करना चाहते… हम तो केवल यही कह रहे हैं कि हम धर्म से जुड़े किसी भी तरह के पागलपन में साथ नहीं देंगे. हम लोग इस समाज में ऐसे नागरिक बनना चाहते हैं, जो पूरे सोचविचार के साथ निर्णय लेते हैं और जाति या धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहते,’’ कैथरीन ने उन्हें सम झाना चाहा, पर वे बिना कुछ और कहे चली गईं.
परिवार में तनाव न हो, इस वजह से कैथरीन विवाद से दूर ही रहना चाहती थी, पर धर्म के नाम पर होने वाले पाखंडों का विरोध किए बिना न रह सकी. अम्मां ने कुछ कहा तो नहीं, पर वे वहां से अपने कमरे में चली गईं. बाबूजी ने अवश्य उस की ओर प्रशंसा से देखा था.
भाभियों ने मुंह बनाया, ‘‘अब तो इसी की चलेगी घर में… हमें नए तौरतरीके सीखने पड़ेंगे.’’ मगर भाइयों ने उन्हें डांट दिया, ‘‘क्या गलत किया कैथरीन ने?’’
बड़े भैया तो तभी कैथरीन के कायल हो गए थे जब उस ने उन के बिजनैस में उन्हें सही राय दी थी और अमेरिका में भी उन के बिजनैस का रास्ता खोल दिया था.
उस दिन कैथरीन सुबह से देख रही थी कि अम्मां कुछ कमजोरी महसूस कर रही हैं. पिछले दिनों में उन्होंने मठरियां, पापड़ और न जाने क्याक्या चीजें बना डाली थीं, जिस से वे थक गई थीं. जोड़ों का दर्द सर्दियों में वैसे भी ज्यादा परेशान करता है. ऊपर से डायबिटीज की मरीज भी थीं. कैथरीन ने उन्हें बिस्तर पर जा कर लिटा दिया. फिर खुद उन के लिए सूप बनाया. फिर डाक्टर को दिखाने ले गई तो पता चला कि कोलैस्ट्रौल बढ़ गया है. उस के बाद तो मां का पूरापूरा खयाल रखने लगी. भाभियां कहतीं कि चमचागीरी कर रही है. पर वह कहां परवाह करने वाली थी.
एक दिन बीपी बढ़ जाने से अम्मां चक्कर खा कर गिर गईं तो बड़ी भाभी देवरानी से बोलीं, ‘‘लो, बढ़ गया काम. मैं तो सोच रही थी कि कुछ दिनों के लिए मायके हो आऊं पर अब सब चौपट हो गया. अम्मां को भी अभी बीमार पड़ना था. अब करो इन की सेवाटहल.’’
छोटी भाभी भी मुंह बनाते हुए बोली, ‘‘सच, इतने दिनों से ये बाहर घूमने जाने का
प्रोग्राम बना रहे थे… अब तो लगता है टिकट वापस करने पड़ेंगे.’’
मगर उन्हें क्या पता था कि कैथरीन ही नहीं, अम्मां ने भी उन की बातें सुन ली हैं. अम्मां को डाक्टर ने पूरा आराम करने की हिदायत दी थी, क्योंकि उन्हें हलका सा हार्टअटैक भी आ चुका था. भाभियों ने घर में अम्मां के लिए नर्स रखने की सलाह दी तो कैथरीन अड़ गई.
‘‘नर्स रखने की क्या जरूरत है…मैं हूं न… और इतना परेशान होने की जरूरत नहीं… वे जल्दी ठीक हो जाएंगी.’’
उस के बाद कैथरीन ने अम्मां की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. डाक्टर से खुद बात करती, चैकअप कराने उन्हें खुद अस्पताल ले जाती. उन की बीमारी से संबंधित जानकारी इंटरनैट से हासिल कर उस पर अमल करती. उन की डाइट से ले कर उन के नहाने और दवा समय पर देने का खयाल रखती. दोनों भाभियों ने तो जैसे राहत की सांस ली थी. बड़ी भाभी तो इस बीच मायके भी रह आई थीं. अम्मां सब देखतीं, पर कहतीं कुछ नहीं. इसी कैथरीन का कितना अपमान किया था उन्होंने… मन ही मन वे उसे ढेरों आशीष दे डालतीं.
अम्मां कैथरीन की सेवा से ठीक होने लगी थीं, पर अचानक एक रात उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और उन की मृत्यु हो गई. कैथरीन अवाक रह गई. उसे लगा कि उसी की सेवा में कुछ कमी रह गई होगी, पर अखिलेश और बाबूजी ने उसे संभाला. खबर सुनते ही चाची दौड़ी आईं और सलाह दी कि गोदान कराया जाए और पूरे कर्मकांड के साथ दाहसंस्कार किया जाए. फिर धीमे स्वर में बड़ी बहू से बोलीं, ‘‘यह सब इस गोरी बहू के घर में पैर पड़ने का नतीजा है वरना क्या अभी दीदी की जाने की उम्र थी? अभी भी झाड़फूंक करा लो… और घर में गंगाजल छिड़को.’’
कैथरीन यह कतई नहीं चाहती थी, लेकिन चाचा पंडित को घर ले आए थे. गोदान कराने पर भी वे जोर दे रहे थे ताकि अम्मां की आत्मा को शांति मिल सके. इस बात पर अखिलेश और कैथरीन के साथ उन का बहुत झगड़ा हुआ. बाबूजी एकदम शांत थे. कैथरीन ने किस तरह अखिलेश की मां की सेवा की थी, उन्होंने खुद अपनी आंखों से देखा था. जमा भीड़ अपनीअपनी राय दे रही थी और कैथरीन अम्मां के शव के सामने बैठी रो रही थी. इस समय भी ऐसा झगड़ा उसे दुखी कर रहा था.
तभी अम्मां की बहन हाथ में एक कागज लिए दौड़ीदौड़ी आई, बोली, ‘‘देखो, मु झे दीदी की अलमारी से क्या मिला है. दीदी को शायद अपनी मौत का अहसास हो गया था. करीब
10 दिन पहले लिखा था उन्होंने शायद यह कागज… लिखा है कि मेरे मरने के बाद कैथरीन जैसा कहे, वैसा ही करना. मैं ने उसे गलत सम झा, यह मेरी भूल थी… सच में वह मेरी बाकी दोनों बहुओं से अधिक सम झदार है. जितना प्यार और सम्मान उस ने मु झे इन कुछ महीनों में दिया, वह मेरी दोनों बहुओं ने 10 सालों में भी नहीं दिया. उन्होंने हमेशा एक बो झ सम झ मेरा काम किया, पर कैथरीन ने दिल से मेरी सेवा की. उस की तर्कसंगत बातें कड़वी बेशक लगें, पर वह जो भी कहती है, वह सही होता है. इसलिए वह जिस तरह से मेरा दाहसंस्कार करना चाहे, उसे करने दिया जाए. मेरी गोरी बहू को मेरा ढेरों आशीर्वाद.’’
कैथरीन ने आगे बढ़ कर वह कागज अपने हाथों में ले लिया और बेतहाशा उसे चूमने लगी मानों अम्मां के हाथों को चूम रही हो. उस के आंसू लगातार अम्मां के शव को भिगो रहे थे.