मैं जानना चाहती हूं कि क्या मैं अपने Future पति के साथ खुश रह पाउंगी या नहीं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. एक युवक से प्रेम करती थी. 6 वर्ष तक हमारा प्रेम संबंध चला. हम ने कई बार शारीरिक संबंध भी बनाए पर मैं कभी गर्भवती नहीं हुई जबकि हम कोई एहतिय तक नहीं बरतते थे. मेरे बौयफ्रैंड से मेरा ब्रेकअप हो चुका है. अब मेरे घर वाले मेरी शादी के लिए प्रयास कर रहे हैं. मैं जानना चाहती हूं कि क्या मैं अपने भावी पति को यौन सुख दे पाऊंगी या नहीं और क्या मैं भविष्य में मां बन पाऊंगी या नहीं?

जवाब

यदि आप अपने बौयफ्रैंड से संबंध बनाने के दौरान कभी गर्भवती नहीं हुईं तो इस का अभिप्राय यह नहीं कि आप में कोई कमी है. इसलिए अपने मन में किसी तरह का पूर्वाग्रह न पालें और विवाह कर लें.

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कामुकता का राज

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

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सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

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महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बौयफ्रैंड का भाई मुझसे प्यार करने लगा है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं और अपने बौयफ्रैंड से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. हम ने एक मुंहबोला भाई बना रखा है जिस से बौयफ्रैंड को लगा कि हम उसे धोखा दे रहे हैं अत: हमारा ब्रेकअप हो गया. भाई मेरी हैल्प भी करता है, लेकिन अब यह बात हो रही है कि बौयफ्रैंड का भाई भी मुझ से प्यार करने लगा है. मैं क्या करूं?

जवाब

भई, आप अपने बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद उस के भाई के प्यार में पड़ी हैं या अपने खोए प्यार को वापस पाना चाहती हैं. खैर, अगर आप का बौयफ्रैंड से मुंहबोले भाई के कारण रिश्ता टूटा तो गलती आप की भी है. आप को अपने मुंहबोले भाई और बौयफ्रैंड को आपस में मिलाना चाहिए था ताकि ऐसी गलतफहमी पैदा ही न हो. उधर आप के बौयफ्रैंड को भी शक नहीं करना चाहिए. जब आप एकदूसरे से प्रेम करते हैं तो दुनिया थोड़ा छोड़ देते हैं, सब से मिलतेजुलते भी हैं.

खैर, अभी भी देर नहीं हुई. अपने बौयफ्रैंड से मिल कर सब सचसच बताइए और अपने मुंहबोले भाई से भी मिलवाइए. आप का भाई भी उसे बताए कि मैं भाई हूं इस का, गलत मतलब न समझें. इस से आप के बौयफ्रैंड का शक दूर हो जाएगा.

हां, इस के चलते कहीं बौयफ्रैंड के भाई से भी नयनमटक्का न शुरू कर दीजिएगा, कहीं प्रेम का एक नया त्रिकोण ही न खड़ा हो जाए.

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सच्चा प्यार : दो चाहने वाले दिल, न चाहते हुए भी, एकदूसरे से जुदा हो गए

अनुपम और शिखा दोनों इंगलिश मीडियम के सैंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ते थे. दोनों ही उच्चमध्यवर्गीय परिवार से थे. शिखा मातापिता की इकलौती संतान थी जबकि अनुपम की एक छोटी बहन थी. धनसंपत्ति के मामले में शिखा का परिवार अनुपम के परिवार की तुलना में काफी बेहतर था. शिखा के पिता पुलिस इंस्पैक्टर थे. उन की ऊपरी आमदनी काफी थी. शहर में उन का रुतबा था. अनुपम और शिखा दोनों पहली कक्षा से ही साथ पढ़ते आए थे, इसलिए वे अच्छे दोस्त बन गए थे. दोनों के परिवारों में भी अच्छी दोस्ती थी. शिखा सुंदर थी अनुपम देखने में काफी स्मार्ट था.

उस दिन उन का 10वीं के बोर्ड का रिजल्ट आने वाला था. शिखा भी अनुपम के घर अपना रिजल्ट देखने आई. अनुपम ने अपना लैपटौप खोला और बोर्ड की वैबसाइट पर गया. कुछ ही पलों में दोनों का रिजल्ट भी पता चल गया. अनुपम को 95 प्रतिशत अंक मिले थे और शिखा को 85 प्रतिशत. दोनों अपनेअपने रिजल्ट से संतुष्ट थे. और एकदूसरे को बधाई दे रहे थे. अनुपम की मां ने दोनों का मुंह मीठा कराया.

शिखा बोली, ‘‘अब आगे क्या पढ़ना है, मैथ्स या बायोलौजी? तुम्हारे तो दोनों ही सब्जैक्ट्स में अच्छे मार्क्स हैं?’’

‘‘मैं तो पीसीएम ही लूंगा. और तुम?’’

‘‘मैं तो आर्ट्स लूंगी, मेरा प्रशासनिक सेवा में जाने का मन है.’’

‘‘मेरी प्रशासनिक सेवा में रुचि नहीं है. जिंदगीभर नेताओं और मंत्रियों की जीहुजूरी करनी होगी.’’

‘‘मैं तुम्हें एक सलाह दूं?’’

‘‘हां, बोलो.’’

‘‘तुम पायलट बनो. तुम पर पायलट वाली ड्रैस बहुत सूट करेगी और तुम दोगुना स्मार्ट लगोगे. मैं भी तुम्हारे साथसाथ हवा में उड़ने लगूंगी.’’

‘‘मेरे साथ?’’

‘‘हां, क्यों नहीं, पायलट अपनी बीवी को साथ नहीं ले जा सकते, क्या.’’

तब शिखा को ध्यान आया कि वह क्या बोल गई और शर्म के मारे वहां से भाग गई. अनुपम पुकारता रहा पर उस ने मुड़ कर पीछे नहीं देखा. थोड़ी देर में अनुपम की मां भी वहां आ गईं. वे उन दोनों की बातें सुन चुकी थीं. उन्होंने कहा, ‘‘शिखा ने अनजाने में अपने मन की बात कह डाली है. शिखा तो अच्छी लड़की है. मुझे तो पसंद है. तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लो. अगर तुम्हें पसंद है तो मैं उस की मां से बात करती हूं.’’

अनुपम बोला, ‘‘यह तो बाद की बात है मां, अभी तक हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. पहले मुझे अपना कैरियर देखना है.’’

मां बोलीं, ‘‘शिखा ने अच्छी सलाह दी है तुम्हें. मेरा बेटा पायलट बन कर बहुत अच्छा लगेगा.’’

‘‘मम्मी, उस में बहुत ज्यादा खर्च आएगा.’’

‘‘खर्च की चिंता मत करो, अगर तुम्हारा मन करता है तब तुम जरूर पायलट बनो अन्यथा अगर कोई और पढ़ाई करनी है तो ठीक से सोच लो. तुम्हारी रुचि जिस में हो, वही पढ़ो,’’ अनुपम के पापा ने उन की बात सुन कर कहा.

उन दिनों 21वीं सदी का प्रारंभ था. भारत के आकाशमार्ग में नईनई एयरलाइंस कंपनियां उभर कर आ रही थीं. अनुपम ने मन में सोचा कि पायलट का कैरियर भी अच्छा रहेगा. उधर अनुपम की मां ने भी शिखा की मां से बात कर शिखा के मन की बात बता दी थी. दोनों परिवार भविष्य में इस रिश्ते को अंजाम देने पर सहमत थे.

एक दिन स्कूल में अनुपम ने शिखा से कहा, ‘‘मैं ने सोच लिया है कि मैं पायलट ही बनूंगा. तुम मेरे साथ उड़ने को तैयार रहना.’’

‘‘मैं तो न जाने कब से तैयार बैठी हूं,’’ शरारती अंदाज में शिखा ने कहा.

‘‘ठीक है, मेरा इंतजार करना, पर कमर्शियल पायलट बनने के बाद ही शादी करूंगा.’’

‘‘नो प्रौब्लम.’’

अब अनुपम और शिखा दोनों काफी नजदीक आ चुके थे. दोनों अपने भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगे थे. देखतेदेखते दोनों 12वीं पास कर चुके थे. अनुपम को अच्छे कमर्शियल पायलट बनने के लिए अमेरिका के एक फ्लाइंग स्कूल जाना था.

भारत में मल्टीइंजन वायुयान और एयरबस ए-320 जैसे विमानों पर सिमुलेशन की सुविधा नहीं थी जोकि अच्छे कमर्शियल पायलट के लिए जरूरी था. इसलिए अनुपम के पापा ने गांव की जमीन बेच कर और कुछ प्रोविडैंट फंड से लोन ले कर अमेरिकन फ्लाइंग स्कूल की फीस का प्रबंध कर लिया था. अनुपम ने अमेरिका जा कर एक मान्यताप्राप्त फ्लाइंग स्कूल में ऐडमिशन लिया. शिखा ने स्थानीय कालेज में बीए में ऐडमिशन ले लिया.

अमेरिका जाने के बाद फोन और वीडियो चैट पर दोनों बातें करते. समय का पहिया अपनी गति से घूम रहा था. देखतेदेखते 3 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका था. अनुपम को कमर्शियल पायलट लाइसैंस मिल गया. शिखा को प्रशासनिक सेवा में सफलता नहीं मिली. उस ने अनुपम से कहा कि प्रशासनिक सेवा के लिए वह एक बार और कंपीट करने का प्रयास करेगी.

अनुपम ने प्राइवेट एयरलाइंस में पायलट की नौकरी जौइन की. लगभग 2 साल वह घरेलू उड़ान पर था. एकदो बार उस ने शिखा को भी अपनी फ्लाइट से सैर कराई. शिखा को कौकपिट दिखाया और कुछ विमान संचालन के बारे में बताया. शिखा को लगा कि उस का सपना पूरा होने जा रहा है. एक साल बाद अनुपम को अंतर्राष्ट्रीय वायुमार्ग पर उड़ान भरने का मौका मिला. कभी सिंगापुर, कभी हौंगकौंग तो कभी लंदन.

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शिखा को दूसरे वर्ष भी प्रशासनिक सेवा में सफलता नहीं मिली. इधर शिखा के परिवार वाले उस की शादी जल्दी करना चाहते थे. अनुपम ने उन से 1-2 साल का और समय मांगा. दरअसल, अनुपम के पिता उस की पढ़ाई के लिए काफी कर्ज ले चुके थे. अनुपम चाहता था कि अपनी कमाई से कुछ कर्ज उतार दे और छोटी बहन की शादी हो जाए.

वैसे तो वह प्राइवेट एयरलाइंस घरेलू वायुसेवा में देश में दूसरे स्थान पर थी पर इस कंपनी की आंतरिक स्थिति ठीक नहीं थी. 2007 में कंपनी ने दूसरी घरेलू एयरलाइंस कंपनी को खरीदा था जिस के बाद इस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी. 2010 तक हालत बदतर होने लगे थे. बीचबीच में कर्मचारियों को बिना वेतन 2-2 महीने काम करना पड़ा था.

उधर शिखा के पिता शादी के लिए अनुपम पर दबाव डाल रहे थे. पर बारबार अनुपम कुछ और समय मांगता ताकि पिता का बोझ कुछ हलका हो. जो कुछ अनुपम की कमाई होती, उसे वह पिता को दे देता. इसी वजह से अनुपम की बहन की शादी भी अच्छे से हो गई. उस के पिता रिटायर भी हो गए थे.

रिटायरमैंट के समय जो कुछ रकम मिली और अनुपम की ओर से मिले पैसों को मिला कर उन्होंने शहर में एक फ्लैट ले लिया. पर अभी भी फ्लैट के मालिकाना हक के लिए और रुपयों की जरूरत थी. अनुपम को कभी 2 महीने तो कभी 3 महीने पर वेतन मिलता जो फ्लैट में खर्च हो जाता. अब भी एक बड़ी रकम फ्लैट के लिए देनी थी.

एक दिन शिखा के पापा ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘आज अनुपम से फाइनल बात कर लेता हूं, आखिर कब तक इंतजार करूंगा और दूसरी बात, मुझे पायलट की नौकरी उतनी पसंद भी नहीं. ये लोग देशविदेश घूमते रहते हैं. इस का क्या भरोसा, कहीं किसी के साथ चक्कर न चल रहा हो.’’

अनुपम के मातापिता तो चाहते थे कि अनुपम शादी के लिए तैयार हो जाए, पर वह तैयार नहीं हुआ. उस का कहना था कि कम से कम यह घर तो अपना हो जाए, उस के बाद ही शादी होगी. इधर एयरलाइंस की हालत बद से बदतर होती गई. वर्ष 2012 में जब अनुपम घरेलू उड़ान पर था तो उस ने दर्दभरी आवाज में यात्रियों को संबोधित किया, ‘‘आज की आखिरी उड़ान में आप लोगों की सेवा करने का अवसर मिला. हम ने 2 महीने तक बिना वेतन के अपनी समझ और सामर्थ्य के अनुसार आप की सेवा की है.’’

इस के चंद दिनों बाद इस एयरलाइंस की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों का लाइसैंस रद्द कर दिया गया. पायलट हो कर भी अनुपम बेकार हो गया.

शिखा के पिता ने बेटी से कहा, ‘‘बेटे, हम ने तुम्हारे लिए एक आईएएस लड़का देखा है. वे लोग तुम्हें देख चुके हैं और तुम से शादी के लिए तैयार हैं. वे कोई खास दहेज भी नहीं मांग रहे हैं वरना आजकल तो आईएएस को करोड़ डेढ़करोड़ रुपए आसानी से मिल जाता है.’’

‘‘पापा, मैं और अनुपम तो वर्षों से एकदूसरे को जानते हैं और चाहते भी हैं. यह तो उस के साथ विश्वासघात होगा. हम कुछ और इंतजार कर सकते हैं. हर किसी का समय एकसा नहीं होता. कुछ दिनों में उस की स्थिति भी अच्छी हो जाएगी, मुझे पूरा विश्वास है.’’

‘‘हम लोग लगभग 2 साल से उसी के इंतजार में बैठे हैं, अब और समय गंवाना व्यर्थ है.’’

‘‘नहीं, एक बार मुझे अनुपम से बात करने दें.’’

शिखा ने अनुपम से मिल कर यह बात बताई. शिखा तो कोर्ट मैरिज करने को भी तैयार थी पर अनुपम को यह ठीक नहीं लगा. वह तो अनुपम का इंतजार भी करने को तैयार थी.

शिखा ने पिता से कहा, ‘‘मैं अनुपम के लिए इंतजार कर सकती हूं.’’

‘‘मगर, मैं नहीं कर सकता और न ही लड़के वाले. इतना अच्छा लड़का मैं हाथ से नहीं निकलने दूंगा. तुम्हें इस लड़के से शादी करनी होगी.’’

उस के पिता ने शिखा की मां को बुला कर कहा, ‘‘अपनी बेटी को समझाओ वरना मैं अभी के तुम को गोली मार कर खुद को भी गोली मार दूंगा.’’ यह बोल कर उन्होंने पौकेट से पिस्तौल निकाल कर पत्नी पर तान दी.

मां ने कहा, ‘‘बेटे, पापा का कहना मान ले. तुम तो इन का स्वभाव जानती हो. ये कुछ भी कर बैठेंगे.’’

शिखा को आखिरकार पिता का कहना मानना पड़ा ही शिखा अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की पत्नी थी. उस के पास सबकुछ था, घर, बंगला, नौकरचाकर. कुछ दिनों तक तो वह थोड़ी उदास रही पर जब वह प्रैग्नैंट हुई तो उस का मन अब अपने गर्भ में पलने वाले जीव की ओर आकृष्ट हुआ.

उधर, अनुपम के लिए लगभग 1 साल का समय ठीक नहीं रहा. एक कंपनी से उसे पायलट का औफर भी मिला तो वह कंपनी उस की लाचारी का फायदा उठा कर इतना कम वेतन दे रही थी कि वह तैयार नहीं हुआ. इस के कुछ ही महीने बाद उसे सिंगापुर के एक मशहूर फ्लाइंग एकेडमी में फ्लाइट इंस्ट्रक्टर की नौकरी मिल गई. वेतन, पायलट की तुलना में कम था पर आराम की नौकरी थी. ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी थी  इस नौकरी में. अनुपम सिंगापुर चला गया.

इधर शिखा ने एक बेटे को जन्म दिया. देखतेदेखते एक साल और गुजर गया. अनुपम के मातापिता अब उस की शादी के लिए दबाव बना रहे थे. अनुपम ने सबकुछ अपने मातापिता पर छोड़ दिया था. उस ने बस इतना कहा कि जिस लड़की को वे पसंद करें उस से फाइनल करने से पहले वह एक बार बात करना चाहेगा.

कुछ दिनों बाद अनुपम अपने एक दोस्त की शादी में भारत आया. वह दोस्त का बराती बन कर गया. जयमाला के दौरान स्टेज पर ही लड़की लड़खड़ा कर गिर पड़ी. उस का बाएं पैर का निचला हिस्सा कृत्रिम था, जो निकल पड़ा था. पूरी बरात और लड़की के यहां के मेहमान यह देख कर आश्चर्यचकित थे.

दूल्हे के पिता ने कहा, ‘‘यह शादी नहीं हो सकती. आप लोगों ने धोखा दिया है.’’

लड़की के पिता बोले, ‘‘आप को तो मैं ने बता दिया था कि लड़की का एक पैर खराब है.’’

‘‘आप ने सिर्फ खराब कहा था. नकली पैर की बात नहीं बताई थी. यह शादी नहीं होगी और बरात वापस जाएगी.’’

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तब तक लड़की का भाई भी आ कर बोला, ‘‘आप को इसीलिए डेढ़ करोड़ रुपए का दहेज दिया गया है. शादी तो आप को करनी ही होगी वरना…’’

अनुपम का दोस्त, जो दूल्हा था, ने कहा, ‘‘वरना क्या कर लेंगे. मैं जानता हूं आप मजिस्ट्रेट हैं. देखता हूं आप क्या कर लेंगे. अपनी दो नंबर की कमाई के बल पर आप जो चाहें नहीं कर सकते. आप ने नकली पैर की बात क्यों छिपाई थी. लड़की दिखाने के समय तो हम ने इस की चाल देख कर समझा कि शायद पैर में किसी खोट के चलते लंगड़ा कर चल रही है, पर इस का तो पैर ही नहीं है, अब यह शादी नहीं होगी. बरात वापस जाएगी.’’

तब तक अनुपम भी दोस्त के पास पहुंचा. उस के पीछे एक महिला गोद में बच्चे को ले कर आई. वह शिखा थी. उस ने दुलहन बनी लड़की का पैर फिक्स किया. वह शिखा से रोते हुए बोली, ‘‘भाभी, मैं कहती थी न कि मेरी शादी न करें आप लोग. मुझे बोझ समझ कर घर से दूर करना चाहा था न?’’

‘‘नहीं मुन्नी, ऐसी बात नहीं है. हम तो तुम्हारा भला सोच रहे थे.’’ शिखा इतना ही बोल पाई थी और उस की आंखों से आंसू निकलने लगे. इतने में उस की नजर अनुपम पर पड़ी तो बोली, ‘‘अनुपम, तुम यहां?’’

अनुपम ने शिखा की ओर देखा. मुन्नी और विशेष कर शिखा को रोते देख कर वह भी दुखी था. बरात वापस जाने की तैयारी में थी. दूल्हेदोस्त ने शिखा को देख कर कहा, ‘‘अरे शिखा, तुम यहां?’’

‘‘हां, यह मेरी ननद मुन्नी है.’’

‘‘अच्छा, तो यह तुम लोगों का फैमिली बिजनैस है. तुम ने अनुपम को ठगा और अब तुम लोग मुझे उल्लू बना रहे थे. चल, अनुपम चल, अब यहां नहीं रुकना है.’’

अनुपम बोला, ‘‘तुम चलो, मैं शिखा से बात कर के आता हूं.’’

बरात लौट गई. शिखा अनुपम से बोली, ‘‘मुझे उम्मीद है, तुम मुझे गलत नहीं समझोगे और माफ कर दोगे. मैं अपने प्यार की कुर्बानी देने के लिए मजबूर थी. अगर ऐसा नहीं करती तो मैं

अपनी मम्मी और पापा की मौत की जिम्मेदार होती.’’

‘‘मैं ने न तुम्हें गलत समझा है और न ही तुम्हें माफी मांगने की जरूरत है.’’

लड़की के पिता ने बरातियों से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘आप लोग क्षमा करें, मैं बेटी के हाथ तो पीले नहीं कर सका लेकिन आप लोग कृपया भोजन कर के जाएं वरना सारा खाना व्यर्थ बरबाद जाएगा.’’

मेहमानों ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हमारे गले के अंदर निवाला नहीं उतरेगा. बिटिया की डोली न उठ सकी इस का हमें भी काफी दुख है. हमें माफ करें.’’

तब अनुपम ने कहा, ‘‘आप की बिटिया की डोली उठेगी और मेरे घर तक जाएगी. अगर आप लोगों को ऐतराज न हो.’’

वहां मौजूद सभी लोगों की निगाहें अनुपम पर गड़ी थीं. लड़की के पिता ने  झुक कर अनुपम के पैर छूने चाहे तो उस ने तुरंत उन्हें मना किया.

शिखा के पति ने कहा, ‘‘मुझे शिखा ने तुम्हारे बारे में बताया था कि तुम दोनों स्कूल में अच्छे दोस्त थे. पर मैं तुम से अभी तक मिल नहीं सका था. तुम ने मेरे लिए ऐसे हीरे को छोड़ दिया.’’

मुन्नी की शादी उसी मंडप में हुई. विदा होते समय वह अपनी भाभी शिखा से बोली, ‘‘प्यार इस को कहते हैं, भाभी. आप के या आप के परिवार को अनुपम अभी भी दुखी नहीं देखना चाहते हैं.’’

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‘मैं’ फ्रैंड से कैसे निबटें

हम सब के फ्रैंडसर्कल में ऐसे फ्रैंड्स जरूर होते हैं जो हमेशा अपनी तारीफ करते रहते हैं जैसे ‘मेरा फोन सब से अच्छा है, इस में सैल्फी बहुत अच्छी आती है. मेरे पास भी एकदम ऐसी ही ड्रैस है, तुम्हारी थोड़ी सस्ती क्वालिटी की है, लेकिन मैं ने तो काफी महंगी खरीदी थी.

कोई उन की बात सुने चाहे न सुने, लेकिन वे अपनी बात जरूर कहते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि उन्हें आते देख सब इधरउधर हो जाते हैं कि कौन इस की बात सुन कर बोर हो?

क्या करते हैं ऐसे फ्रैंड्स

दरअसल, हम ऐसे फ्रैंड्स को ‘मैं’ फ्रैंड कह सकते हैं. सामने वाले की चीज कितनी भी अच्छी क्यों न हो ये उस की तारीफ करने के बजाय अपनी ही तारीफ करते हैं. इन्हें लगता है कि इन के पास जो है वही अच्छा है.

‘मैं’ फ्रैंड बनना नुकसानदायक

भले ही आप अपने फ्रैंडसर्कल में अपनी बात मनवा कर खुद को श्रेष्ठ साबित करते होंगे, लेकिन ‘मैं’ फ्रैंड बनने के नुकसान भी हैं. आप के फ्रैंड्स आप से बातें शेयर नहीं करते. उन्हें लगता है कि आप से शेयर कर के क्या फायदा. अगर इस से कुछ कहेंगे तो भी यह सौल्यूशन देने के बजाय अपनी ही तारीफ करेगा.

अगर आप के सर्कल में भी कोई ‘मैं’ फ्रैंड है तो क्या करें

कटें नहीं फेस करें : अकसर ‘मैं’ फ्रैंड को जानने के बाद हम उस से कटने लगते हैं, उस से अलग रहने की कोशिश करने लगते हैं, सोचते हैं क्यों अपना मूड खराब करें. ऐसा करना गलत है. ऐसा कर के आप अपने लिए एक सुरक्षित दायरा बनाने लगते हैं और आप को इस तरह की पर्सनैलिटी के साथ ऐडजस्ट करने में प्रौब्लम होने लगती है इसलिए कटने के बजाय सामना करना सीखें. अपने ‘मैं’ फ्रैंड के सामने अपनी बात रखिए. भले ही वे आप की बात को बारबार काट, लेकिन अपनी बात पूरी करें.

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पहली ‘मैं’ में सहमति जताएं लेकिन दूसरी में नहीं : अगर आप कहीं बाहर घूमने गए हैं और आप के साथ ‘मैं’ फ्रैंड भी है तो मुंह न बनाते रहें कि इसे क्यों साथ ले कर आए हो बल्कि धैर्य से काम लें. किसी बात पर रिऐक्ट न करें. अगर वह कहे कि मुझे यह नहीं खाना, मैं यह नहीं खाता तो उस से कहें कि पिछली बार हम ने तुम्हारी पसंद की डिश खाई थी, इस बार तुम हमारी पसंद की डिश खाओ.

कभी-कभी नजरअंदाज करना भी सही है : कभी-कभी आप अपने ‘मैं’ फ्रैंड की बातों को अनसुना भी करें. वह कुछ कहे तो ऐसे बिहेव करें जैसे कि आप ने कुछ सुना ही नहीं ताकि धीरेधीरे उसे समझ आए कि आप उस की बातों में रुचि नहीं दिखा रहे और वह खुद को बदलने का प्रयास करे.

ग्रुप में न समझाएं : आप अपने ‘मैं’ फ्रैंड से परेशान हैं इस का मतलब यह नहीं है कि आप ग्रुप बना कर समझाएं या ग्रुप में सब के सामने कहें, बल्कि अकेले में मौका देख कर कहें क्योंकि किसी को भी यह अच्छा नहीं लगेगा कि सब के सामने आप उस की कमियां गिनवाएं.

खुद से पहल कर के बताएं : हम अपने फ्रैंड को उस की कमियों व खराब आदतों के बारे में नहीं बताते, क्योंकि हमें लगता है कि अगर हम बताएंगे तो उसे बुरा लगेगा और हमारी दोस्ती में दरार आ जाएगी. लेकिन इन बातों को सोचने के बजाय पहल कर के अपने फ्रैंड की कमियों को बताएं ताकि वह इन आदतों को सुधार सके.

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जाति-बिरादरी के कारण हमारी शादी नही हो पा रही, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मेरी कहानी कुछ ऐसी है जिस की कोई मंजिल न हो. मैं बचपन से ही एक युवक से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है परंतु मेरी कहानी जातिबिरादरी पर आ कर अटकी हुई है. आप बताएं हमारी शादी कैसे होगी?

जवाब

यह अच्छी बात है कि आप अपने बचपन के प्रेम को ताउम्र जीना चाहती हैं तभी तो आप ने उस युवक के साथ शादी के बारे में सोचा. लेकिन हमारे देश में जातिबिरादरी, धर्म आदि को कुछ ज्यादा ही अहमियत दी जाती है बनिस्पत प्यार के. आप के मामले में स्पष्ट नहीं है कि अटकाव किस पक्ष की ओर से है.

बहरहाल, आप खुद अपनी शादी की बात न कर के अपने किसी हितैषी द्वारा अपनी बात आगे पहुंचाएं, जिस की बात आप के पेरैंट्स भी मानते हों. उन्हें समझाएं कि जातिबिरादरी सब मनुष्य के बनाए हुए हैं. असली रिश्ता तो प्रेम का है, मानवता का है, जिस से सब बंधे हैं. जब दोनों ओर से पेरैंट्स यह समझ जाएंगे तो आप की शादी का अटकाव खुदबखुद दूर हो जाएगा.

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सैक्स फैंटेसीज : बदल रही है लोगों की सोच

कौमेडी सीरियल ‘भाभीजी घर पर हैं’ की कहानी कई बार सैक्स फैंटेसीज दिखाने की कोशिश करती है. इस सीरियल में अनिता और विभू मिश्रा नामक पतिपत्नी एक रोमांटिक कपल है. अनीता के करैक्टर में वह कई बार समाज की सैक्स फैंटेसीज को दिखाने की कोशिश भी करती है. अनीता जब बहुत रोमांटिक मूड में होती है, तो पति विभू से कहती है कि वह किसी दूसरे रूप में प्यार करना चाहती है. कभी वह उसे प्लंबर बनने को कहती है, कभी इलैक्ट्रीशियन तो कभीकभी गुंडामवाली तक बनने को कहती है. पति विभू उसी गैटअप में आता है. वह पत्नी से उसी अंदाज में बात करता है. इस से पत्नी अनीता को बहुत खुशी महसूस होती है. वह दोगुनी ऐनर्जी से प्यार करती है. यह कौमेडी सीरियल भले ही हो, पर इस में पतिपत्नी संबंधों को बहुत ही नाटकीय ढंग से दिखाया जा रहा है.

सैक्स को ले कर महिलाओं पर रूढिवादी सोच हमेशा हावी रही है. लेकिन अब समय के साथ यह टूटने लगी है. अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय करना चाहती हैं. इसे ले कर उन के मन में कई तरह के सपने भी होते हैं. अब ये बातें भी पुरानी हो गई हैं कि कौमार्य पति की धरोहर है. अब शादी के पहले ही नहीं शादी के बाद भी सैक्स की वर्जनाएं टूटने लगी हैं. शादी के बाद पतिपत्नी खुद भी ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जहां वे खुल कर अपनी हसरतें पूरी कर सकें.

परेशानियों से बचाव

सैक्स के बाद आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए भी महिलाएं तैयार रहती हैं. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर रिचा सिंह बताती हैं, ‘‘शादी से कुछ समय पहले लड़कियां हमारे पास आती हैं, तो उन का एक ही सवाल होता है कि उन्होंने शादी के पहले सैक्स किया है. इस बात का पता उन के होने वाले पति को न चले, इस के लिए वे क्या करें? लड़कियों को जब इस बारे में सही राय दी जाती है तो भी वे मौका लगते ही सैक्स को ऐंजौय करने से नहीं चूकतीं. शादी के कई साल बाद महिलाएं हमारे पास इस इच्छा से आती हैं कि वे शारीरिक रूप से कुंआरी सी हो जाएं.’’

विदेशों में तो सैक्स को ले कर तमाम तरह के सर्वे होते रहते हैं पर अपने देश में ऐसे सर्वे कम ही होते हैं. कई बार ऐसे सैंपल सर्वों में महिलाएं अपने मन की पूरी बात सामने रखती हैं. इस से पता चलता है कि सैक्स को ले कर उन में नई सोच जन्म ले रही है. डाक्टर रिचा कहती हैं कि शादी से पहले आई एक लड़की की समस्या को एक बार सुलझाया गया तो कुछ दिनों बाद वह दोबारा आ गई और बोली कि मैडम एक बार फिर गलती हो गई.

सैक्स रोगों की डाक्टर प्रभा राय बताती हैं कि हमारे पास ऐसी कई महिलाएं आती हैं, जो जानना चाहती हैं कि इमरजैंसी पिल्स को कितनी बार खाया जा सकता है. कई महिलाएं तो बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की गोलियों का प्रयोग करती हैं. कुछ महिलाएं तो गर्भ ठहर जाने के बाद खुद ही मैडिकल स्टोर से गर्भपात की दवा ले कर खा लेती हैं. मैडिकल स्टोर वालों से बात करने पर पता चलता है कि बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की दवा का प्रयोग करने वाले पतिपत्नी नहीं होते हैं.

बदल रही सोच

सैक्स अब ऐंजौय का तरीका बन गया है. शादीशुदा जोड़े भी खुद को अलगअलग तरह की सैक्स क्रियाओं के साथ जोड़ना चाहते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की फैंटेसीज अब चुपचाप बैडरूम तक पहुंच गई है, जहां केवल दूसरे मर्दों के साथ ही नहीं पतिपत्नी भी आपस में तमाम तरह की सैक्स फैंटेसीज करने का प्रयास करते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की हसरतें चुपचाप पूरी होती रहती हैं. सोशल मीडिया ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सऐप इस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. फेसबुक पर महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने निक नेम से फेसबुक अकाउंट खोलते हैं और मनचाही चैटिंग करते हैं. इस में कई बार महिलाएं अपना नाम पुरुषों का रखती हैं ताकि उन की पहचान न हो सके. वे चैटिंग करते समय इस बात का खास खयाल रखती हैं कि उन की सचाई किसी को पता न चल सके. यह बातचीत चैटिंग तक ही सीमित रहती है. बोर होने पर फ्रैंड को अनफ्रैंड कर नए फ्रैंड को जोड़ने का विकल्प हमेशा खुला रहता है.

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इस तरह की सैक्स चैटिंग बिना किसी दबाव के होती है. ऐसी ही एक सैक्स चैटिंग से जुड़ी महिला ने बातचीत में बताया कि वह दिन में खाली रहती है. पहले बोर होती रहती थी. जब से फेसबुक के जरीए सैक्स की बातचीत शुरू की है तब से वह बहुत अच्छा महसूस करने लगी है. वह इस बातचीत के बाद खुद को सैक्स के लिए बहुत सहज अनुभव करती है. पत्रिकाओं में आने वाली सैक्स समस्याओं में इस तरह के बहुत सारे सवाल आते हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि सैक्स की फैंटेसी अब फैंटेसी भी नहीं रह गई है. इसे लोग अपने जीवन का अंग बनाने लगे हैं.

समाजशास्त्री डाक्टर मधु राय कहती हैं, ‘‘पहले ऐसी बातचीत को मानसिक रोग माना जाता था. समाज भी इसे सही नहीं मानता था. अब इस तरह की घटनाओं को बदलती सोच के रूप में देखा जा रहा है. हमारे पास सैक्स समस्याओं पर चर्चा करने आए व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने में असमर्थ था. उस ने कई डाक्टरों से अपना इलाज भी करवाया, लेकिन कोई लाभ न हुआ. ऐसे में उस की पत्नी ने घर के नौकर के साथ संबंध बना लिए. एक दिन पति ने पत्नी को नौकर के साथ संबंध बनाते देख लिया. मगर उसे गुस्सा आने के बजाय अपने में बदलाव महसूस हुआ. उस दिन उस ने अपनी पत्नी के साथ खुद भी सैक्स संबंध बनाने में सफलता पाई. अब वह खुद को सहज महसूस करने लगा था.’’

तरहतरह के लोग

फेसबुक को देखने, पसंद करने और चैटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग हैं. ज्यादातर लोग गलत जानकारी देते हैं. व्यक्तिगत जानकारी देना पसंद नहीं करते. छिबरामऊ की नेहा पाल की उम्र 20 साल है. वह पढ़ती है. वह लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है. 32 साल की गीता दिल्ली में रहती है. वह नौकरी करती है. उस की किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप है. वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है. उस की सब से अच्छी दोस्त रीथा रमेश है, जो केरल की रहने वाली है. वह दुबई में अपने पति के साथ रहती है. अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है. ऐसे ही तमाम नामों की लंबी लिस्ट है. इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुल कर लैस्बियन मानती हैं और लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं. कुछ गृहिणियां भी इस में शामिल हैं, जो अपने खाली समय में चैटिंग कर के मन को बहलाती हैं. कुछ लड़केलड़कियां और मर्द व औरतें भी आपस में सैक्सी बातें और चैटिंग करते हैं.

कई लड़केलड़कियां तो अपने मनपसंद फोटो भी एकदूसरे को भेजते हैं. फेसबुक एकजैसी रुचियां रखने वाले लोगों को आपस में दोस्त बनाने का काम भी करता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट भेजता है. इस के बाद दूसरी ओर से फ्रैंडशिप कन्फर्म होते ही चैटिंग का यह खेल शुरू हो जाता है. हर कोई अपनीअपनी पसंद के अनुसार चैटिंग करता है. कुछ लड़कियां तो ऐसी चैटिंग करने के लिए पैसे तक वसूलने लगी हैं. वाराणसी के रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं, ‘‘मुझ से चैटिंग करते समय एक लड़की ने अपना फोन नंबर दिया और कहा इस में क्व500 का रिचार्ज करा दो. मैं ने नहीं किया तो उस ने सैक्सी चैटिंग करना बंद कर दिया.’’

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इसी तरह से लखनऊ के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, ‘‘मेरी फ्रैंडलिस्ट में 4-5 लड़कियों का एक ग्रुप है, जो मुझे अपने सैक्सी फोटो भेजती हैं. मेरे फोटो देखना भी वे पसंद करती हैं. कभीकभी मैं उन का नैटपैक रिचार्ज करा देता हूं. इन से बात कर मैं बहुत राहत महसूस करता हूं. मुझे यह अच्छा लगता है, इसलिए मैं कुछ रुपए खर्च करने को भी तैयार रहता हूं.’’ फेसबुक के अलावा अब व्हाट्सऐप पर भी इस तरह की चैटिंग होने लगी है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दोस्ती की आड़ में फायदा नहीं

लेखक- श्रीप्रकाश शर्मा

अंतरा ने जब अपने पिता के ट्रांसफर के कारण नए शहर के एक नए स्कूल में दाखिला लिया तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि उस की खूबसूरती के कारण स्कूल के अधिकांश युवक उस से दोस्ती करना चाहते थे. जिस की वजह से कभी कोई उसे गिफ्ट देता तो कोई चौकलेट. किंतु शहरी लाइफस्टाइल और विपरीतलिंगी दोस्ती के गहरे अर्थों से अनजान अंतरा को यह रहस्य बिलकुल भी पता नहीं था कि इस के पीछे हकीकत क्या है.

शुरू-शुरू में तो अंतरा को यह सब अच्छा लगता था, क्योंकि उस से दोस्ती करने वालों और उसे चाहने वालों की लाइन जो लगी रहती थी, लेकिन अंतरा वह सब नहीं देख पा रही थी जो असल में इस दोस्ती के पीछे छिपा हुआ था. उस के लिए ऐसी दोस्ती का मतलब केवल बाहर होटल या रेस्तरां में लंच तथा डिनर करना, स्कूल कैंटीन और कौफी हाउस में कोल्डड्रिंक ऐंजौय करना और चौकलेट्स शेयर करना तथा दोस्तों की बर्थडे पार्टियों में केक खाना और मस्ती के साथ नाचगाना करने के रूप में सीमित था.

इन सब पार्टियों के कारण अंतरा अकसर स्कूल से अपने घर बड़ी देर से लौटती थी. उस के मम्मीपापा भी ज्यादा टोकाटाकी नहीं करते थे. इसलिए अंतरा खुल कर इन पलों को जी रही थी, लेकिन अंतरा के साथ एक दिन जो घटा उस की उस ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी

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संयोग से एक दिन गौरव का बर्थडे था, जिसे अंतरा अपना सब से अच्छा दोस्त समझती थी, उस दिन अंतरा स्कूल के बाद अन्य दोस्तों के साथ गौरव का बर्थडे सैलिब्रेट करने के लिए शहर से कुछ दूर स्थित गौरव के फार्म हाउस गई. वहां केक, मिठाइयों और चौकलेट्स के साथसाथ शराब और बियर की बोतलें भी खुलीं. अंतरा इस से बच न सकी. नशे में बेखबर अंतरा वह सबकुछ कर रही थी, जिस का उसे जरा भी अंदाजा नहीं था.

नशे की हालत में धीरेधीरे उस के दोस्तों ने अंतरा के साथ छेड़खानी शुरू कर दी. पार्र्टी में अंतरा 10-12 दोस्तों के बीच अकेली लड़की थी. अपने बदन पर अपने दोस्तों की छुअन की सिहरन को अंतरा खूब महसूस कर रही थी, लेकिन जब अंतरा को लगा कि उस के साथ जबरदस्ती की जा रही है तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. ऐसे में अपने दोस्तों से उस ने छोड़ने की मिन्नतें कीं, लेकिन वे सभी अंतरा की खूबसूरती के नशे में अंधे हो चुके थे.

अंतरा को जब लगा कि वे ऐसे नहीं मानेंगे तो वह जोरजोर से चिल्लाने लगी और पास में रखी खाली बोतलें खिड़कियों के शीशे पर मारने लगी. कहीं लोग इकट्ठे न हो जाएं इस भय से अंतरा के दोस्तों ने उसे छोड़ दिया. इस जाल से निकलने के बाद अंतरा को नए अनुभव के साथ नई जिंदगी मिली थी, जो उस के लिए बड़ी सीख थी.

सच पूछिए तो अंतरा जैसी निर्दोष और मासूम युवती के जीवन की व्यथा की यह कहानी एक लेखक की कोरी कल्पना हो सकती है, लेकिन वास्तविक दुनिया में इस तरह की सच्ची और कड़वी कहानियों से प्रिंट मीडिया के पेज और टैलीविजन के चैनल्स भरे रहते हैं. यह भी सच है कि इस तरह की घटना का शिकार होने वाली अंतरा वास्तविक जीवन और मौडर्न दुनिया में अकेली नहीं है. अंतरा जैसी कुछ युवतियां परिवार और समाज के भय से या तो आत्महत्या कर लेती हैं या फिर अपने पर किए गए जुल्मों को चुपचाप सह लेती हैं.

अहम प्रश्न यह उठता है कि जिस दोस्ती को मानव जीवन का अनमोल उपहार माना जाता है, आखिर उसी पवित्र रिश्ते को कलंकित करने की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए कौन जिम्मेदार होता है? साइकोलौजी के जनक कहे जाने वाले सिगमंड फ्रायड का यह मानना था कि मानो जीवन की हरेक ऐक्टिविटी केवल 2 उद्देश्यों से प्रभावित होती है, प्रसिद्धि पाने की लालसा और सैक्स. इस तरह सैक्स को मानव जीवन में एक कुदरती आवश्यकता के रूप में शुमार किया जाता है.

सच पूछिए तो किसी युवक और युवती के बीच दोस्ती संबंधों की मर्यादा और उस की पवित्रता का वहन करना कोईर् आसान काम नहीं होता. दोस्ती का यह रिश्ता जिस नाजुक डोर से बंधा होता है वह तनमन की हलकी सी गरमी से भी दरक उठता है. लिहाजा, यदि आप भी तथाकथित दोस्ती के किसी ऐसे बंधन से बंधे हुए हैं तो आप को इस पवित्र रिश्ते को स्वच्छ रखने के लिए अपने मन पर बड़ी कठोरता से नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, क्योंकि युवक और युवतियों की दोस्ती के बंधन की उम्र बहुत छोटी होती है. ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की दोस्ती की आड़ में केवल युवक ही सैक्सुअल रिलेशन बनाने की ताक में रहते हैं बल्कि युवतियां भी इस में पीछे नहीं रहतीं.

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संस्कार जब एक छोटे से गांव से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर कालेज की पढ़ाई के लिए शहर आया तो उसे शुरू में सबकुछ अजीब सा लगता था. वह बहुत शर्मीले स्वभाव का था और वह युवतियां तो दूर युवकों से भी बड़ी मुश्किल से बात करता था. लेकिन वह बहुत होशियार था और पेरैंट्स उसे एक आईएएस औफिसर के रूप में देखना चाहते थे. वर्षा भी उसी की क्लास में पढ़ती थी और संस्कार के रिजर्व नेचर और होशियार होने के कारण उसे मन ही मन काफी चाहती भी थी, लेकिन वह संस्कार को इस बारे में बता पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी.

संयोग से एक दिन उस के कालेज का एक हिल स्टेशन पर जाने का प्रोग्राम बना और इस दौरान दोनों को बस में एकसाथ बैठने का मौका मिल गया. मौका पा कर वर्षा ने संस्कार के हाथों में हाथ डाल कर अपने मन की बात कह डाली. यह सुन संस्कार के होश उड़ गए और उस ने बिना सोचेसमझे ही उसे मना कर दिया, क्योंकि वह जिस बैकग्राउंड से आया था उस में उस के लिए इन सब चीजों को ऐक्सैप्ट करना संभव नहीं था.

ठीक है, तुम मुझे प्यार नहीं कर सकते तो हम दोनों दोस्त बन कर तो रह ही सकते हैं. क्या तुम मेरी फ्रैंडशिप भी ऐक्सैप्ट नहीं करोगे? वर्षा ने प्यार के अंतिम तीर के रूप में जब यह प्रश्न संस्कार के सामने रखा तो संस्कार भावनाओं के सागर में गोते लगाने लगा और इस के लिए उस ने हामी भर दी.

दोस्ती के नाम पर अब वे दोनों साथ घूमतेफिरते, मस्ती करते. वक्त के साथ उन दोनों के बीच दोस्ती और भी गहरी होती गई और धीरेधीरे साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खाई जाने लगीं. वैलेंटाइन डे के दिन जब पूरा कालेज डांस और म्यूजिक में बिजी था तो संस्कार और वर्षा फरवरी की उस कुनकुनी ठंड में शहर के एक खूबसूरत पार्क में साथसाथ जीवन जीने के सपने बुन रहे थे.

सूरज डूब चुका था और शाम के साए में रोशनी धीरेधीरे खत्म हो रही थी. वहां से लौटते हुए वर्षा और संस्कार की करीबी में जीवन की सारी मर्यादाओं की रेखा मिट चुकी थी. दोस्ती के बंधन में प्यार और वासना की भूख ने कब सेंध लगा दी, इस का एहसास भी प्रेमी युगल को नहीं हो पाया.

जब इस प्रकार दोस्ती निभाने का प्रश्न उठता है तो ऐसा करना किसी तलवार की धार पर चलने से कम खतरनाक नहीं होता. पहले तो आप इस प्रकार के रिश्ते को अपने परिवार वालों से छिपा कर न रखें. महंगे गिफ्ट्स के ऐक्सचेंज से दूर रहने की कोशिश करें, क्योंकि जब इस प्रकार के महंगे गिफ्ट्स के ऐक्सचेंज की शुरुआत होती है तो एकदूसरे से अपेक्षाओं का दायरा काफी बढ़ जाता है और इस के साथ सब से बड़ी बात यह होती है कि इस प्रकार की अपेक्षाओं की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं होती.

दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी पार्टी और फंक्शन में अपने फ्रैंड्स के साथ अकेले जाने से परहेज करें, क्योंकि मन के आवेग का कोई भरोसा नहीं होता. यदि ऐसी पार्टियों में जाना निहायत जरूरी हो तो अपने परिवार के किसी सदस्य या फिर कौमन फ्रैंड्स के साथ जाएं. ऐसा करने से आप सेफ रहेंगी.

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ट्रौफी पत्नी: कैसे निभाएं रिश्ता

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी सुंदरता और बुद्धिमानी का अद्भुत संगम होती है. ऐसी पत्नी समाज में किसी सैलिब्रिटी से कम नहीं होती है. इस के साथ रिश्ता निभाने के लिए जरूरी है कि रिश्ता खुले दिल से निभाएं. दिल में कहीं कोई मैल रखा तो परेशानी खड़ी हो सकती है. शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर इस बात का सब से बड़ा उदाहरण हैं. आज समाज में ऐसी पत्नियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. कई बार दूसरी पत्नी के रूप में भी ऐसी सुंदर, चतुर और स्मार्ट ट्रौफी पत्नी मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि उस के साथ रिश्ता खुले दिल से निभाएं. आज आपसी सहमति से तलाक जल्दी मिलने लगे हैं. ऐसे में दूसरी शादी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इन रिश्तों में अगर किसी तरह का कोई छिपाव होता है, तो पतिपत्नी में से किसी के लिए ठीक नहीं होता. कई बार इस तरह के छिपाव अपराध का कारण भी बनते हैं, जो आप की खुशहाल जिंदगी को बरबाद कर सकते हैं.

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी का अपना एक सामाजिक दायरा होता है. वह हर तरह के सामाजिक दायरे में अपने को फिट रखती है. ऐसे में कई बार पति को हीनभावना का शिकार होना पड़ता है. पति अगर हीनभावना का शिकार हो कर सुंदर, चतुर और समार्ट पत्नी पर किसी तरह की पाबंदी लगाता है, तो वह उसे बरदाश्त नहीं करती और रिश्ते बिगड़ जाते हैं. ऐसे में पति के पास समझौता कर के आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है.

पहले संबंध को न छिपाएं

अगर ट्रौफी पत्नी दूसरी वाली है, तो पहली पत्नी के साथ बीते संबंधों की उसे थोड़ीबहुत जानकारी जरूर दें. कई बार दूसरी पत्नी से संबंधों के समय में पहली पत्नी से जुड़ी तमाम बातों को छिपाने की कोशिश होती है. इस तरह की बातें कभी न कभी खुलती हैं, जिस की वजह से संबंध खराब होते हैं. ये संबंध केवल शारीरिक और मानसिक ही नहीं होते, कई बार संपत्ति और बच्चों से जुड़े विवाद भी होते हैं. ऐसे में दूसरी शादी करने से पहले पहली शादी से जुड़े विवाद को सुलझा लें. यह पतिपत्नी दोनों के लिए लाभकारी होता है.

खुल कर करें बातें

ट्रौफी पत्नी के साथ जरूरी है कि खुल कर बातें हों. जिन बातों को गैरजरूरी समझा जाता हो उन्हें भी साझा करें. मसलन, सैक्स और दूसरे दोस्तों के संबंध को ले कर भी परहेज न करें. कई बार पतिपत्नी दोनों के ही अपने निजी दोस्त होते हैं, जो बहुत करीबी होते हैं. इन के रिश्तों को देख कर सहज भरोसा करना संभव नहीं होता कि ये कितने करीबी हैं. जब इन्हें ले कर आपस में बात नहीं होती तो मन में शंका पनपने लगती है और फिर शंका एक ऐसे मुकाम तक पहुंच जाती है जहां संबंध का निर्वहन मुश्किल हो जाता है.

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इस का एक ही इलाज है कि आपस में खुल कर बातें करें. सैक्स को ले कर ऐसी पत्नी कुछ और की चाहत रखती है. इस में पोर्न सैक्स से ले कर पार्टी और मौजमस्ती सब कुछ होता है. कई बार ट्रौफी पत्नी अपने दोस्तों के साथ इतना घुलमिल जाती है कि पति को शक होने लगता है. यहां पति को समझदारी दिखाने की जरूरत है. ऐसे संबंधों में टोकाटाकी पत्नी को पसंद नहीं आती है.

रूढिवादी विचारों को छोड़ें

समाज में रूढिवादी विचार बहुत गहरे तक फैले हुए हैं कि पत्नी को पति से काबिल नहीं होना चाहिए. ऐसे विचार सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी के सामने कोई माने नहीं रखते हैं. अगर पत्नी बेहतर है, तो उसे काबिल मान लेने में कोई बुराई नहीं है. कई सफल जोड़े इस बात की मिसाल हैं, जिन की बीवी उन से अधिक सुंदर, बुद्धिमान और व्यवहारकुशल है. आज समाज में पति से उम्र में बड़ी, पति से ज्यादा कमाने वाली और पति से अधिक मानसम्मान वाली पत्नियां मौजूद हैं. अपने आसपास देखें तो कई ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं जहां हम पत्नी को जानते हैं पर उस के पति का नाम नहीं सुना है. राजनीति से ले कर समाजसेवा तक के क्षेत्र में तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. पतियों को अपने रूढिवादी विचारों को छोड़ कर पत्नी के गुण को सम्मान देते हुए उसे पूरा मौका देना चाहिए.

सुंदरता की परेशानी

जब पत्नी सुंदर हो तो उस की तारीफ करने वालों की कमी नहीं होती है. इसे पति जलन के रूप में लेने लगता है. सुंदर पत्नी जब अल्ट्रामौडर्न ड्रैस पहन कर बाहर निकलती है, तो उस की तारीफ में कई तरह के ऐसे शब्दों का भी प्रयोग होता है जो सैक्स की भावना से ग्रस्त होते हैं. किसी भी पति के लिए इसे स्वीकार करना संभव नहीं होता. ऐसे में वह पत्नी पर तमाम तरह के आरोप लगाने लगता है. पार्टी में जाने पर लोग पति से अधिक पत्नी की तारीफ करते हैं. ऐसे में पति कुंठित होता है. जब तारीफ होती है तो पत्नी अपनी सुंदरता पर कुछ ज्यादा ही घमंड करती है. कई बार पति को लगता है कि यह उस की उपेक्षा कर रही है जबकि यह उपेक्षा नहीं होती है.

कई बार एक ओर पत्नी सुंदर और स्मार्ट दिखने की कोशिश करती है और पति पुराने तौरतरीकों से रहता है. ऐसे में पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट सी दिखती है. पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट न दिखे, यह प्रयास करें. पति को खुद को इस तरह से रखना चाहिए कि उन की जोड़ी सुंदर दिखे.

सोच में खुलापन जरूरी

आज के समय में तारीफ करने के ऐसे तमाम मौके भी मिल जाते हैं. फेसबुक इन में सब से प्रमुख है. सुंदर इनसान के फोटो पर तमाम तरह के कमैंट और बहुत सारे लाइक मिलते हैं. ट्विटर पर उस के कमैंट की तारीफ करने वालों की लाइन लगी रहती है. फ्रैंडलिस्ट में उस के दोस्तों की संख्या अधिक होती है.

ऐसे में कई बार समयबेसमय मैसेज भी आते हैं. पत्नी भी ऐसे मैसेज को खुले दिल से लेती है. इस पर जब पति की नजर पड़ती है तो उसे बुरा लगता है.

यहां यह सोचने वाली बात है कि जब 2 दोस्तों में किसी भी तरह की बातचीत होती है तो पत्नी भी अपने दोस्तों के साथ कुछ भी बात कर सकती है. समाज में अभी भी औरत और मर्द की दोस्ती को सही नजरिए से नहीं देखा जाता है. उसे चरित्रहीनता से जोड़ कर देखा जाता है. अब इस तरह की सोच बदलनी चाहिए.

सोच बदल कर आगे बढ़ रही औरतें

लड़कियों की पढ़ाई के आंकड़ों के बाद भी देखा जाता है कि पढा़ई के बाद नौकरियों में उन का स्थान काफी पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि केवल 29% लड़कियां नौकरी में आती हैं. सिविल सेवा में लड़कियों का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले काफी पीछे है. आईएएस में 13%, आईपीएस में 5%, आईएफएस में 13% और आईआरएस में 7% महिलाओं की संख्या है. हर 20 में से केवल 3 महिला अफसर हैं. 1991 में नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या 33.7% थी.

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2012 में यह घट कर 29 फीसदी ही रह गई. भारत में स्नातक करने वाली केवल

22 फीसदी लड़कियां ही नौकरी करती हैं. इस की मुख्य वजह यह है कि लड़कियों को आज भी पीछे रखने का काम किया जाता है. सामाजिक सोच है कि लड़कियों को केवल शादी तक की शिक्षा दी जाए. इस के बाद जैसा उस की ससुराल वाले चाहे करें. लड़की ससुराल और मायके के 2 पाटे में जिंदगी भर पिसती रहती है. जो लड़कियां अपनी सोच बदल रही हैं वे आगे बढ़ रही हैं. ऐसे में चतुर, स्मार्ट और सुंदर पत्नियों के पतियों को भी अपने विचार बदलने पड़ते हैं.

आईआईएम जैसी जगहों में भी लड़कियां काफी पीछे हैं. 2015-17 के बैच में ऐडमिशन लेने वाली लड़कियों की संख्या 31 फीसदी घट गई है. आईआईएम अहमदाबाद में इस साल केवल 14 फीसदी लड़कियों ने ही प्रवेश लिया जबकि पिछले साल लड़कियों की संख्या 29 फीसदी थी. स्नातक करने वाली लड़कियों में इंजीनियरिंग में 29 फीसदी, कंप्यूटर साइंस में 37 फीसदी, मैनेजमैंट में 32 फीसदी और कानून में 32 फीसदी लड़कियां होती हैं. इस के उलट सीबीएससी बोर्ड की परीक्षा के आंकड़े देखें तो लड़कियों का दबदबा साफ दिखता है. 2012 से ले कर 2015 तक की बोर्ड परीक्षाओं को देखें तो लगेगा कि लड़कियों ने हर साल लड़कों को पीछे छोड़ा है. इन परीक्षाओं में पास होने वाले लड़कों का प्रतिशत 77.77 रहा तो लड़कियों का 87.57.

जब कोई दिल का राज जानना चाहे

किसी से कोई बात उगलवाने के लिए प्राय: हम अपनी कोशिश तब तक जारी रखते हैं, जब तक कि पूरी बात अपने मन की तसल्ली लायक न उगलवा लें.

रीना और सविता ननदभाभी हैं. सविता की रीना के अलावा 2 ननदें और हैं. किसी अवसर पर सविता की अपनी बीच वाली ननद से कुछ कहासुनी हो गई, जिस से संबंधों में कड़वाहट आ गई. छुट्टियों में जब रीना भाभी के घर रहने आई, तो उस ने बातोंबातों में चर्चा की कि बीच वाली जीजी आई थीं. कुछ खरीदारी करनी थी.

चूंकि सविता के मन में चोर था, इसलिए वह यह मान ही नहीं सकती थी कि बीच वाली ननद ने कोई बुराई न की हो. अत: उस ने तत्काल पूछा, ‘‘क्या कह रही थीं?’’

जवाब मिला, ‘‘कुछ खास नहीं. वही राजीखुशी की बातें कर रही थीं.’’

अनावश्यक कान भरना

पर चूंकि सविता का तनाव बीच वाली ननद से चल रहा था. अत: वह मान ही नहीं सकती थी कि वे अपनी बहन के घर जाएं और दोनों बहनों में उस की बाबत कोई चर्चा ही न हो. अत: उस के मन के चोर ने उसे उकसाया तो उस ने फिर कहा, ‘‘कुछ तो चर्चा हुई ही होगी. आखिर रही तो घर पर ही थीं. क्या कह रही थीं, बताती क्यों नहीं? मैं तो बस यों ही यह जानना चाह रही हूं कि आखिर वे क्या कह रही थीं?’’

रीना चूंकि पूरी बात जानती थी अत: समझदारी से काम लेते हुए बोली, ‘‘सच भाभी, जीजी ने तो कुछ भी नहीं कहा. कुछ कहा होता तभी तो बताती.’’

सविता अब भी भरोसा नहीं कर पाई. उसे लगा दोनों बहनें एक हो गई हैं. मिल कर उस की खूब बुराई की होगी, नमकमिर्च लगा कर. अब देखो कैसे भोली बन रही है. जैसे कुछ कहासुना ही न हो.

फिर तुनक कर बोली, ‘‘नहीं बताना है, तो मत बताओ. मैं क्या जानती नहीं.’’

पूरी बातचीत में सविता वह जानने की कोशिश करती रही, जो उस ने मन में सोच रखा था. पर जब वैसा कुछ भी सुनने को नहीं मिला, तब उसे भरोसा नहीं हुआ और परिणाम यह हुआ कि वह बीच वाली ननद से तो तनाव ले ही चुकी थी, इस ननद से भी उलझ पड़ी और मन का चैन पूरी तरह गंवा बैठी.

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बेवजह तनाव

ऐसा प्राय: होता है. लोग अपने बारे में दूसरों की राय जानना चाहते हैं. कोई न बताए तो भी कुरेदकुरेद कर जानना चाहते हैं मानो जिन की राय, विचार उन्हें जानने हैं, वे कोई जज हों जो कह देंगे अच्छा तो अच्छा ही माना जाएगा.

हमारे एक परिचित हैं. वे जब आएंगे तो कहेंगे, ‘‘भाभीजी अभी कुछ दिन पहले आप के जेठजी मिले थे. आप लोगों की चर्चा होती रही. बहुत शिकायतें हैं उन्हें आप से और भैया से.’’

संभवतया वे यह बात इसलिए कहते हैं कि हम लोग चिढ़ कर उन से कुछ कहें और वे तमाशे का आनंद उठाएं. वास्तव में यह कह कर कि फलां कह रहा था, जो उत्सुकता जगाई जाती है, वह बिना पैसे का तमाशा बन उन का बखूबी मनोरंजन करती है. मैं अकसर ऐसी किसी आधीअधूरी बात पर कान देने के बजाय कहने वाले को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से कहती हूं, ‘‘कहने दो, क्या फर्क पड़ता है? जब कभी आमनेसामने पड़ेंगे और वे मुझ से कुछ कहेंगे तब जो उचित होगा जवाब दे दूंगी. अभी क्या बेवजह तनाव मोल लें?’’

एक दिन इन्हीं सज्जन ने मिलने पर कहा, ‘‘भाभीजी, आप के जेठजी तमाम किस्म की बातें आप लोगों के बारे में कहते रहते हैं. हमारा तो सुन कर खून खौल जाता है. आप को तनाव नहीं होता?’’ मैं ने मुसकरा कर यह कहते हुए बात टाल दी, ‘‘जब कभी मुझ से कहेंगे तब देख लूंगी. हर किसी के कहने पर क्या जानूं कि क्या सच है और क्या झूठ?’’

वास्तव में भीतर की बात उगलवाना व बेवजह किसी को भी तनाव देना और खुद आनंद लेना आज आम बात हो गई है. 2 की लड़ाई में तीसरा हाथ सेंकता ही है यानी मजे लेले कर तमाशा देखता है और अपरिपक्व लोग समझदारी का दामन छोड़ तमाशा दिखाते भी हैं.

झूठी तसल्ली

बताने वाला सच बताए या झूठ सुनने वाले को कभी तसल्ली नहीं होती. उसे सदैव लगता है, कुछ छिपा रहा है. फिर जब सुनने वाला कुरेद कर पूछता है कि और क्याक्या बातें हुईं, तो बताने वाला उस की झूठी तसल्ली के लिए सच के अलावा भी मन से जोड़ कर बहुत कुछ बता देता है. इधर पूछने वाले को चैन तो मिलता नहीं, हां तनाव जरूर बढ़ने लगता है. वह आक्रामक रुख इख्तियार कर बुराभला बोल मन की भड़ास निकालता जरूर है, पर यह भूल जाता है कि जिसे बता रहा है, वह यदि यही बातें उस संबंधित व्यक्ति को बता देगा तब क्या होगा?

ऐसे में यह याद रखना जरूरी है कि पूछने वाला न तो हमारा हितैषी है और न ही उस का जिस की बात कह रहा है. वह तो मात्र मजे लेने को ऐसा कर रहा है. ऐसे लोगों से सावधान रहना जरूरी है ताकि अपने जी का चैन बना रहे व संबंधों में खटास न बढ़े.

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चाइल्ड फ्री ट्रिप

मुंबई निवासी सुनीता के बच्चे 9वीं क्लास में थे, तो वे और उस के पति निलिन पुणे एक शादी में गए थे. शादी में जाना जरूरी था और बच्चों की परीक्षाएं थीं. बहुत सोचविचार के बाद पतिपत्नी बच्चों को खूब सम झाबु झा कर मेड को निर्देश दे कर 2 रातों के लिए पुणे चले गए थे.

वे बताती हैं, ‘‘पहले तो मेरा मन ही उदास रहा कि बच्चों को कोई परेशानी न हो जाए, हम सोसाइटी में भी नएनए थे. मैं भी कई दिन से घर में बोर हो रही थी. इस से पहले बच्चों को कभी अकेला नहीं छोड़ा था. पर जब चले गए तो हैरान रह गई. बेकार की जिस चिंता में मैं डरतेडरते गई थी, पहली रात में ही बच्चों से बात कर के इतनी खुशी हुई जब देखा दोनों मस्त हैं, अपनाअपना काम कर रहे हैं, हमारे बिना सब मैनेज कर लिया है, उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई है. तब जा कर मैं ने अपनी पहली चाइल्ड फ्री ट्रिप जी भर कर ऐंजौय किया. उस के बाद तो हम अकसर 1-2 रात के लिए दोनों घूम

आते, बच्चों ने भी यही कहा कि हम तो स्कूलकालेज में उल झे रहते हैं, आप लोग आराम से जाया करें.

‘‘बच्चे जब फ्री हुए तो उन के साथ कभी चले गए वरना फिर तो हम 2-3 रातों से 1 हफ्ते के ट्रिप पर भी आ गए और अब अकसर जाते रहते हैं. कुछ दिन वी टाइम बिता कर फ्रैश हो कर वापस लौटते हैं. मन खुश रहता है.’’

अब तो कोरोनाकाल के चलते लौकडाउन में फैमिली टाइम कुछ ज्यादा ही हो गया. बहुत से लोगों पर वर्क फ्रौम होम का काफी प्रैशर रहा, घर के अन्य सदस्यों की जरूरतें और बच्चों की औनलाइन क्लासेज के चलते पतिपत्नी को एकदूसरे के साथ बिताने के लिए फुरसत के पल बहुत ही मुश्किल से मिल रहे थे. दोनों पर काम का काफी प्रैशर रहा. शायद यही कारण है कि कुछ नौर्मल होने पर पतिपत्नी एकदूसरे के साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए बच्चों के बिना ट्रिप प्लान करते दिखाई दिए जो शायद जरूरी भी हो गया था.

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एक मजेदार किस्सा

नीता तो अपना एक मजेदार किस्सा बताते हुए कहती हैं, ‘‘एक बार पति अपने औफिस की किसी मीटिंग में दूसरे शहर जा रहे थे. वहां मेरी एक अच्छी फ्रैंड रहती थी, मेरा मन हुआ कि मैं भी चली जाऊं और उस से मिल आऊं. एक ही बेटा है जो उस टाइम 8वीं क्लास में था. उस के दोस्त की मम्मी ने कहा कि बेटे को उन के पास छोड़ कर जा सकती हूं.

‘‘मैं एक रात के लिए चली गई. बेटे ने टाइम अपने फ्रैंड के घर इतना ऐंजौय किया कि उस के बाद कई दिन तक कहता रहा कि मम्मी, वापस किसी फ्रैंड के यहां मिलने जाओगी तो मैं रह लूंगा. उस के बाद हम पतिपत्नी जब भी बाहर गए, वह अकेला होने पर कभी अपने दोस्तों को बुला लेता, कभी उन के घर चला जाता. हम भी एक छोटा हनीमून टाइप चीज मना आते और बेटा भी अपना टाइम बढि़या ऐंजौय करता.’’

बहुत सारी हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री एडल्ट्स को इस तरह का टाइम बिताने के लिए कई तरह के औप्शंस और औफर देती रहती हैं. लग्जरी रिजौर्ट्स बढ़ते जा रहे हैं. कुछ एअरलाइंस तो छोटे बच्चों से दूर बैठने के लिए सीट्स चुनने का भी औप्शंस देती हैं. आइए अब इसी ट्रैंड पर बात करते हैं:

प्राइवेसी भी मस्ती भी

बच्चों के बिना पतिपत्नी का अकेले ट्रिप पर जाना नई बात नहीं है. 90 के दशक में कैरेबियन सिंगल्स रिजोर्ट ने इस आइडिया को सामने रखा था. यह ट्रैंड किसी को भी एक रूटीन से हट कर अपनी पर्सनल स्पेस देने की बात करता है. चाहे सनसैट क्रूसेस पर जाना हो, शानदार स्पा ट्रीटमैंट हो, किसी भी तरह की रोचक ऐक्टिविटी प्लान की जा सकती है.

आजकल इंडिया में यह ट्रैंड काफी कारणों से चलन में है. व्यस्त रूटीन, बच्चों की देखभाल और उन के कभी न खत्म होने वाले काम और अन्य जिम्मेदारियां निभातेनिभाते आजकल एडल्ट्स एकदूसरे के साथ टाइम बिताना भूल ही जाते हैं या चाह कर भी बिता नहीं पाते हैं. आजकल दोनों जब इस तरह का प्लान बनाते हैं, अच्छी जगह पर प्राइवेसी की आशा रखते हैं.

वी टाइम ऐंजौय

इंडिया में अकसर पार्टनर्स गोवा, जयपुर, कूर्ग और नौर्थ के हिल स्टेशंस पर जाना पसंद करते हैं. आजकल कई लोग थाईलैंड, मैक्सिको और सैशल्स जाना पसंद कर रहे हैं. एडल्ट्स औनली हौलिडेज में कैंडल लाइट डिनर्स,

स्कूबा डाइविंग, जंगल सफारीज और रेन फौरेस्ट का मजा लिया जा सकता है. पार्टनर्स अब वी टाइम को ऐंजौय करना चाहते हैं और कर भी रहे हैं.

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एडल्ट औनली हौलिडेज प्लान

– जहां भी जाना हो, ऐंडवांस में प्लान कर लें. ऐन मौके पर बुकिंग की परेशानी हो सकती है.

– दोनों मिल कर ऐसी चीजों को ऐक्स्प्लोर करें जिन में दोनों की ही सामान रुचि हो.

– यदि पहली बार बच्चों के बिना जा रहे हैं तो शुरू में 2 या 3 दिनों के लिए ही जाएं.

– अगर आप बच्चों को अकेले छोड़ कर जा रहे हैं तो धीरेधीरे इस आइडिया पर उन से बाते करते हुए कई बातों का ध्यान रखने के लिए सम झाते रहें जिस से वे मैंटली तैयार हो जाएं.

– हर तरह की इमरजैंसी में आप बच्चों से बात करने की पहुंच में हों, इस बात का ध्यान रखें.

– जब बच्चे साथ नहीं हैं, तो कुछ रोमांटिक नए अनुभव ले कर रोमांस रिचार्ज करें.

– कपल स्पा थेरैपी से अपनी इस छुट्टी को यादगार बना सकते हैं.

– अपनी अनुपस्थिति में किसी भरोसे के व्यक्ति को उन्हें बीचबीच में देखने के लिए कह कर जाएं.

– बच्चों को वीडियोकौल कर के उन्हें जुड़े रहने का एहसास दिलाते रहें.

– जिसे बच्चों की केयर करने के लिए कह कर जा रहे हैं, उन्हें बच्चों की मैडिकल केयर के बारे में भी जरूर बता दें.

पति की चाह पर आप की न क्यों?

हिंदी फिल्म ‘की एंड का’ में गृहिणी की भूमिका निभा रहा नायक पति की भूमिका निभा रही नायिका से रात में बिस्तर पर कहता है कि आज नहीं डार्लिंग, आज मेरे सिर में दर्द है. तात्पर्य यह कि यदि लड़का पत्नी की भूमिका निभाएगा, तो सैक्स के नाम पर उस के भी सिर में दर्द उठेगा. ऐसा क्यों होता है कि पति की तुलना में पत्नी को संभोग के प्रति थोड़ा ठंडा माना जाता है? सिरदर्द की बात चाहे बहाने के रूप में हो या सचाई, निकलती पत्नी के मुख से ही है. क्या वाकई सहवास का जिक्र पत्नियों के सिर में दर्द कर देता है? यदि पत्नी के मन में अपने पति के प्रति आकर्षण या प्रेम में कुछ कमी है, तो रोमांटिक होना कष्टदाई हो सकता है. लेकिन जब नानुकुर बिना किसी ठोस कारण हो तब?

मर्द और औरत की सोच का फर्क

सैक्स के मामले में मर्द और औरत भिन्न हैं. एक ओर जहां मर्द का मन स्त्री की शारीरिक संरचना के ध्यान मात्र से उत्तेजित हो उठता है, वहीं एक स्त्री को भावनात्मक जुड़ाव तथा अपने पार्टनर पर विश्वास सहवास की ओर ले जाता है. एक स्त्री के लिए संभोग केवल शारीरिक नहीं अपितु मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होता है. पुरानी हिंदी फिल्म ‘अनामिका’ का गाना ‘बांहों में चले आओ…’ हो या नई फिल्म ‘रामलीला’ का गाना ‘अंग लगा दे…’ ऐसे कितने ही गाने इस विषय को उजागर करते हैं. जो पत्नियां अपने पति से प्यार करती हैं और उन पर विश्वास रखती हैं, उन के लिए संभोग तीव्र अंतरंगता और खुशी को अनुभव करने का जरीया बन जाता है. किंतु जिन पतिपत्नी का रिश्ता द्वेष, ईर्ष्या और अनबन का शिकार होता है वहां सहवास को अनैच्छिक रूप में या बदले के तौर पर महसूस किया जाता है. लेकिन कई बार हमारी अपनी मानसिकता, हमारे संस्कार, हमारी धारणाएं सैक्स को गलत रूप दे डालती हैं और हम अनजाने ही उसे नकारने लगते हैं. इस का इलाज संभव है और आसान भी.

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क्या कहता है शोध

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के यौन चिकित्सा कार्यक्रम की निर्देशिका डा. रोसमैरी बेसन कहती हैं कि स्त्रियों में यौनसंतुष्टि से जुड़ी सब से बड़ी शिकायत उन में इच्छा, उत्तेजना और यौन संतुष्टि की कमी होती है.

एक और खास मुद्दा लैंगिक विभिन्नता का है. जहां एक ओर एकतिहाई औरतों में मर्दों से अधिक कामुकता होती है, वहीं दूसरी ओर दोतिहाई जोड़ों में मर्दों की कामप्रवृत्ति औरतों से ज्यादा होती है. इसी कारण ऐसे जोड़े में एक स्त्री को कामोत्तेजित पुरुष की वजह से अपनी कामेच्छा को अनुभव करने का मौका नहीं मिल पाता है.

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की डा. लौरी मिंज अपनी पुस्तक ‘अ टायर्ड विमंस गाइड टु पैशिनेट सैक्स,’ में बताती हैं कि जहां औरतों की कामप्रवृत्ति अधिक होती है, वहां भी रोजमर्रा की गृहस्थी संबंधी जिम्मेदारियों के कारण वे कामोत्तेजना तथा यौनसंतुष्टि नहीं भोग पाती हैं.

भारतीय कानून का नजरिया

जो पत्नी बिना कारण अपने पति को लगातार सैक्स से वंचित रखती है या सिर्फ अपनी मरजी से ही संबंध स्थापित करना चाहती है, उसे खुदगर्ज कहना अनुचित न होगा. भारतीय कोर्ट पति या पत्नी द्वारा बिना कारण लंबे समय तक अपने पार्टनर को सैक्स से वंचित रखने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कोर्ट ने सुनवाई में इस दलील पर तलाक तक की मंजूरी दे दी. अप्रैल, 2005 में पति केशव ने मद्रास हाई कोर्ट में पत्नी सविता के खिलाफ लंबे समय तक अंतरंग संबंध स्थापित न करने देने पर तलाक की मांग की, जिस की उसे मंजूरी मिल गई. मद्रास हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ पत्नी सविता सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां न्यायाधीश ज्योति मुखोपाध्याय एवं न्यायाधीश प्रफुल पंत ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को सही बताते हुए कहा कि बिना किसी ठोस कारण तथा बिना किसी शारीरिक दुर्बलता के यदि कोई अपने पति या पत्नी को लंबे समय तक संबंध स्थापित नहीं करने देता है तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में गिना जाता है. उन के शब्दों में, मानसिक क्रूरता शरीरिक चोट से अधिक आघात पहुंचा सकती है.

अतीत में झांक लें

मालिनी के एक रिश्तेदार ने उस के साथ दुष्कर्म करते समय उस का बाल उम्र का लिहाज नहीं किया. नतीजा यह रहा कि आज भी अपने पति के निकट जाते हुए उसे लगता है जैसे उस के शरीर पर वही लिजलिजे हाथ जबरदस्ती कर रहे हों. सैक्स को वह अपने पत्नी फर्ज की तरह निभाती है न कि अपने पति के साथ बिताए उन प्रेमालाप पलों को पूर्णरूप से जीती है. क्या आप के अतीत में ऐसा कुछ हुआ था, जिस की छाया आप के वर्तमान पर गहरी छाई है? हो सकता है पुराने किसी बुरे अनुभव के कारण आप आज संभोग से घबराती हों. यदि आप के अतीत में हनन या दुर्व्यवहार का ऐसा कोई अनुभव है, जिस से संबंध बनाते समय आप खुश नहीं रह पाती हैं तो आप को जल्द से जल्द प्रोफैशनल मदद लेनी चाहिए और स्वयं को अपने उस बुरे अतीत से मुक्त करना चाहिए.

शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाएं

कभीकभी शारीरिक समस्या जैसे हारमोनल इंबैलैंस के कारण भी स्त्री का मन सैक्स से उचट सकता है. यदि आप को स्वयं में सैक्स के प्रति अरुचि का कारण भावना से अधिक शारीरिक जवाबदेही की कमी लगती है तो आप को यौनरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए. वे और भी परेशानियों से मुक्ति दिला सकते हैं जैसे चरमोत्कर्ष पर न पहुंच पाना, स्नेह की कमी, पीडा़दायक सहवास, आप के द्वारा खाई गई कुछ ऐसी दवाएं, जिन के कारण आप में यौन ड्राइव की कमी आई हो इत्यादि.

हमसफर के साथ को करें ऐंजौय

‘‘तुम्हारे साथ होते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं एक लाश के साथ हूं,’’ अंतरंग क्षणों में कभी पत्नी की तरह से कोई रिस्पौंस न मिलने पर अमित के मुंह से निकल गया. यदि पत्नी कभी प्यार में पहल नहीं करेगी तो पति को ही पहल करनी पड़ेगी. इस का परिणाम यह होगा कि पति असुरक्षित भावना का शिकार हो जरूरत से अधिक पहल करने लगेगा और इस का नतीजा यह हो सकता है कि पत्नी, पति की आवश्यकता से अधिक पहल पर उस से और दूर होती जाए. यदि पति को आश्वासन हो कि पत्नी भी पहल करेगी या उस की पहल पर पौजिटिव रिस्पौंस देगी तो वह धैर्य के साथ पत्नी के तैयार होने का इंतजार कर सकता है.

जब एक पत्नी सिर्फ ग्रहण नहीं करती, बल्कि शुरुआत भी करती है तो वह सैक्स को एक जबरदस्ती, जिम्मेदारी या दबाव के रूप में न देख कर आपसी मेल के रूप में देख पाती है.

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किताबें काफी मददगार

अधिकतर परिवारों से मिले संस्कार ऐसे होते हैं, जिन के कारण लड़कियां संभोग को गलत या वर्जित मानती हैं और इसी कारण विवाहोपरांत भी वे इस विषय पर खुल नहीं पातीं. अपनी इस हिचक को दूर करने के लिए ‘गाइड टु गैटिंग इट औन, ‘द गुड गर्ल्स गाइड टू ग्रेट सैक्स’ आदि किताबें पढ़ सकती हैं.

सैक्सुअल थेरैपी भी लाभकारी

कई बार केवल स्वयं कदम उठाना काफी नहीं होता. यदि आप को स्वस्थ  वैवाहिक जीवन जीने में असुविधा हो रही है तो आप प्रोफैशनल मदद के बारे में सोच सकती हैं. सैक्सुअल थेरैपी में एकदम शुरू से आरंभ किया जाता है. जैसे आप दोनों पहली बार मिल रहे हैं. जोड़ों में धीरधीरे रिश्ता कायम कराया जाता है. स्टैप बाई स्टैप सैक्स की ओर ले जाते हैं. हो सकता है कि आप के पति ऐसे प्रोग्राम में जाने को तैयार न हों. ऐसे में आप अकेले भी ऐसे प्रोग्राम का लाभ उठा सकती हैं. आप देखेंगी कि काउंसलर की मदद से आप न केवल सैक्स से संबंधित कितनी ही समस्याओं

का समाधान खोज पाएंगी, बल्कि अपने पति से इस विषय में बात करना भी आप के लिए आसान हो जाएगा.

समाज में आ रहे लगातार बदलाव से लिंग भूमिका व कामुकता में भी बदलाव आ रहे हैं. संभोग कोई ऐसा कार्य नहीं जो मर्द औरत के लिए करेगा या औरत मर्द के लिए. संभोग में समान रूप से भागीदारी करें.

वैवाहिक सुख की ओर मिल कर बढ़ाएं कदम

यदि हर बार आप को अपने पति का अंतरंग साथ बेचैनी की भावना की ओर धकेलता है, तो आप को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिन से आप दोनों को वैवाहिक सुख की प्राप्ति हो सके. यह समस्या संवेदनशील अवश्य है, किंतु इसे सुलझाना कठिन नहीं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे स्टैप्स जिन्हें आप आसानी से फौलो कर सकती हैं और इस में आप के पति भी यकीनन आप का साथ देंगे:

– हो सकता है कि रिश्ते की शुरुआत में कुछ समय के लिए आप वैवाहिक सुख के लिए तैयार न हों, लेकिन यदि आप के पति यह जानते हैं कि आप का उद्देश्य कम सैक्स नहीं, अपितु पूरे जीवन के लिए ज्यादा व बेहतर सैक्स है, तो वे आप की बात से सहमत होंगे. उन्हें आप के साथ इस विषय पर बातचीत करने, किताबें पढ़ने या किसी काउंसलर से मिलने में भी आपत्ति नहीं होगी. लेकिन यदि उन्हें आपत्ति हो तो आप अकेली ही काउंसलर से मिल कर इस समस्या का हल खोजने का प्रयास करें.

– कोई ऐसी बात या कोई ऐसी चीज जिस के कारण आप का अपने पति के निकट आना मुश्किल हो जाता हो जैसे उन के शरीर से आ रही पसीने की बू, उन के मुंह से आ रही गंध आदि के बारे में उन्हें अवश्य अवगत कराएं, क्योंकि ये छोटीछोटी बातें भी अंतरंग क्षणों पर असर डालती हैं.

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मुझे पत्नी पर अफेयर होने का संदेह है, बताएं क्या करूं?

सवाल

मैं 30 वर्षीय विवाहित युवक हूं. हमारा दांपत्य सुखद है. हम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं. पर कुछ समय से पत्नी की हरकतों से संदेह होने लगा है कि शायद उस का मेरे अलावा भी किसी से चक्कर चल रहा है.

मैं ने उस से साफसाफ पूछा नहीं है. डरता हूं कि यदि मैं ने उस से इस विषय में बात की तो वह इस बात से आहत न हो जाए कि मैं उस पर भरोसा नहीं करता. बताएं क्या करूं?

जवाब

आप मानते हैं कि आप की पत्नी आप से प्रेम करती है, बावजूद इस के आप शंकित हैं कि उसका किसी से चक्कर चल रहा है. आप को बेवजह शक नहीं करना चाहिए जब तक कि कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिलता.

यदि आप का शक बेबुनियाद हुआ तो इस से आप की पत्नी का आहत होना स्वाभाविक है. इस से आप का दांपत्य जीवन भी प्रभावित होगा. इसलिए सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाएं.

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पति पत्नी के रिश्ते में हैवान बनता शक

शक एक ऐसी लाइलाज बीमारी होती है जिसका कोई इलाज नहीं, अगर एक बार यह किसी को खास कर पतिपत्नी में से किसी को अपनी चपेट में ले ले तो  वह इंसान को हैवान बना सकती है. हाल ही में कुछ ऐसी ही घटना हैदराबाद में देखने को मिली जहां अवैध संबंधों के शक पर एक महिला ने अपने पति को ऐसी सजा दी जिसका दर्द शायद वह अपनी जिन्दगी में कभी नही भुला पाएगा. आप यह जानकर दंग रह जाएंगे की ३० साल की इस आरोपी महिला ने पति से विवाद होने पर चाकू से उसका प्राइवेट पार्ट काटने की कोशिश की जिसके चलते उसके पति को काफी गंभीर चोटें आर्इं.

ऐसा ही एक अन्य मामला दिल्ली के निहाल विहार इलाके में भी सामने आया जहाँ  पति ने ही अपनी पत्नी का मर्डर कर दिया. पकड़े जाने पर पति ने सारी बातें पुलिस के सामने खोल दीं. उसने साफ किया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर उसे शक था.आपको जानकार हैरानी होगी कि दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन पति को लगता था कि उसकी पत्नी की दोस्ती कई लड़कों से है. इस बात को लेकर अक्सर दोनों में झगड़ा होता था.

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टूटते परिवार बिखरते रिश्ते

शक न जाने कितने हँसते खेलते परिवारों को तबाह कर देता है. दांपत्य जीवन जो विश्वास की बुनियाद पर टिका होता है. उसमे शक की आहट जहर घोल देती है हाल के दिनों में अवैध संबंधों के शक में लाइफ पार्टनर पर हमले और हत्या करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. मनोवैज्ञानिक इसके पीछे संयुक्त परिवारों के बिखरने को एक बड़ा कारण मानते हैं.

दरअसल, संयुक्त परिवारों में जब पति पत्नी के बीच कोई भी मन मुटाव होता था तो घर के बड़े उसे आपसी बातचीत से सुलझा देते थे, या बड़ों की उपस्थिति में पतिपत्नी का झगडा बड़ा रूप नहीं ले पाता था जबकि आज की स्थिति में जहाँ पति पत्नी अकेले रहते है आपसी झगड़ों में वे एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं वहां उनके आपसी सम्बन्धों  में शक की दीवार को हटाने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में शक गहराने के कारण पति-पत्नी के रिश्ते दम तोड़ने लगते हैं वर्तमान लाइफस्टाइल जहाँ जहाँ पति पत्नी दोनों कामकाजी हैं और दिन के आधे  से ज्यादा समय वे घर से बाहर रहते हैं घर से बाहर  उनका विपरीत  सेक्स के साथ उठाना बैठना होता है. ज्यादा समय साथ रहने से उनके बीच आकर्षण जन्म लेता है और ऐसे में वे बाहरी सम्बन्ध दोनों के बीच शक का आधार बनते हैं. ऐसे में पति पत्नी दोनों को एक दूसरे पर विश्वास रखना  होगा और सामने वाले को उस विश्वास को कायम रखना होगा.

बिजी लाइफ स्टाइल

शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है वहीं  इसके खत्म करने में भी दोनों का हाथ होता है. शादी के कुछ वर्षों बाद जब दोनों अपनी रूटीन लाइफ से बोर होकर और जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं, यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रखते हैं, तो वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो कर एक दूसरे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने और हत्या तक पहुंच जाता है.

कई बार परिवार की जिम्मेदारियों के बीच फंसे होने के कारण  जब पति पत्नी  जिंदगी की उलझनों को  सुलझा नहीं पाते तो उनके बीच अनबन होने लगती है और उस के लिए वे बाहरी संबंधों को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. उनके दिमाग में  शक  घर करने लगता है. धीरे-धीरे शक गहराता है और झगड़े बढ़ जाते हैं. यदि कोई उन्हें समझाए तो शक और सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं, लेकिन, एकल परिवार में उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. इस कारण हालात मारपीट, हमले और हत्या तक पहुंच जाते हैं.

तुम सिर्फ मेरे हो वाली सोच

लाइफ पार्टनर के प्रति अधिक  पजेसिव होना भी शक का बडा कारण  बनता है. आज के माहौल में जहां महिलाएं और पुरुष ऑफिस में साथ में बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां संभालते हैं ऐसे में उनका आपसी मेलजोल होना स्वाभाविक है . ऐसे में पति या पत्नी में से जब भी कोई एक दुसरे को किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल बढ़ाते देखता है तो उस पर शक करने लगता है और उसे  यह बर्दाश्त नहीं होता कि उसका लाइफ पार्टनर जिसे वह प्यार करता है वह किसी और के साथ मिले जुले या बात भी करे क्योंकि वह उस पर सिर्फ अपना अधिकार समझता है. इस  तरह की मानसिकता संबंधों में कडवाहट भर देती है. पति या पत्नी जब फ़ोन पर किसी अन्य महिला  या पुरुष का मेसेज या कॉल देखते हैं तो एक दुसरे पर शक करने लगते हैं. भले ही वास्तविकता कुछ और ही हो लेकिन शक का बीज दोनों के सम्बन्ध में दरार डाल देता है जिसका अंत मारपीट और हत्या जैसी घटनाओं से होता है.

जासूसी का जरिया बनते एप्स

पति पत्नी के रिश्ते में दूरियां लाने में स्मार्टफ़ोन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. जहां सोशल मीडिया ने वैवाहिक जोड़ों को शादी के बंधन से अलग किसी और के  साथ प्यार की पींगें बढ़ने का मौका दिया है, वहीं स्मार्ट फ़ोन में ऐसे एप्स आ गए हैं, जो पति पत्नी को एक दूसरे की जासूसी करने  का पूरा अवसर देते हैं. इन एप्स द्वारा पति या पत्नी जान सकते हैं कि उनका लाइफ पार्टनर उनके अतिरिक्त किस से फोन पर सबसे ज्यादा बातें करता है यानी किस से आजकल उसकी नजदीकियां बढ़ रही  हैं , उनके बीच क्या बातें होती है , वे कौन सी इमेजेज या वीडियोज शेयर करते हैं, यानी लाइफ पार्टनर के फ़ोन पर कंट्रोल करने का पूरा इन्तजाम है. ये एप्स लाइफ पार्टनर की हर एक्टिविटी पर नजर रखने का पूरा मौका देते हैं. इन एप्स की मदद से आपके लाइफ पार्टनर का फोन पूरी तरह आपका हो सकता है.

अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नज़दीकी लाने में करें या इन्हें रिश्तों में दूरियां बनाने का कारण बनायें? फैसला आपका है.

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