समय पर होना है प्रेग्नेंट तो इस बात का ख्याल रखें

खराब खानपान का सेहत पर तुरंत असर नहीं होता, बल्कि एक लंबे समय के बाद इनका असर समझ आता है. हाल ही में हुए एक स्टडी में ये बात सामने आई कि जंकफूड का अधिक प्रयोग करने वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत परेशानी होती है. शोध में पाया गया कि हफ्ते में तीन चार बार से अधिक जंकफूड का सेवन करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में ज्यादा वक्त लगता है. वहीं जो महिलाएं जंकफूड का सेवन कम करती है वो ज्यादा सहूलियत और आसानी से प्रेग्नेंट होती हैं.

औस्ट्रेलिया में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि जो महिलाएं हेल्दी फूड खाती हैं वो ज्यादा फिट रहती हैं और सही वक्त पर गर्भवती भी होती हैं. फर्टिलिटी में भी हेल्दी फूड बेहद लाभकारी होते हैं. इसके अलावा ये बात भी सामने आई कि जिन खाद्य पदार्थों में जिंक और फोलिक एसिड की मात्रा प्रचुर होती है उनके सेवन से गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. हरे पत्तेदार सब्जियों, मछली, बीन्स और नट्स में ये तत्व पाए जाते हैं.

पिल्स को छोड़िए, इन प्राकृतिक गर्भनिरोधक को अपनाएं

शादीशुदा महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां बेहद परेशान करती हैं. इनके सेवन से महिलाओं की शरीर का काफी नुकसान होता है. आज लड़कियां औरते पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही हैं. ऐसे में कई बार वो मां बनने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं रहती. इस सूरत में शादीशुदा महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेना पड़ता है जिससे उनके सेहत का काफी नुकसान होता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कुछ प्रकाकृतिक उपायों के बारे में जिसे अपना कर आप प्रेग्नेंसी की संभावना को कम कर सकेंगी. ये गर्भनिरोधक गोलियों का प्राकृतिक स्वरूप है. पर इनके प्रयोग से पहले आप डाक्टर से सलाह जरूर लें.

मछली

प्रेग्नेंसी में उन मछलियों के प्रयोग को साफ तौर पर मना किया जाता है जिसमं मरकरी पाई जाती है. इसमें स्वार्डफिश प्रमुख है. जानकारों की माने तो इन मछलियों में पाए जाने वाला मरकरी गर्भनिरोधक गोली का काम करती है.

पपीता

अक्सर लोग प्रेग्नेंसी के दौरान पपीता खाने से मना करते हैं. गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में तो खासकर के पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इसे खाने से गर्भ रुकता नहीं है. अगर आप पिल्स नहीं खाना चाहती तो पपीता आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है.

चीज

कई जानकार ऐसा कहते हैं कि अनपाश्चूराइज्ड मिल्क से बना हुआ चीज भी प्राकृतिक गर्भनिरोधक का काम करता है.

अनानस

अनानस में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो गर्भ के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं. यही कारण है कि प्रेग्नेंसी में इसे खाने की मनाही होती है. ये एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक की तरह काम करता है.

कच्चा दूध

कच्चा दूध गर्भनिरोधक का काम करता है. सोने से पहले या सुबह सुबह इसका सेवन गर्भनिरोधक के तौर पर कर सकती हैं.

नैचुरल तरीके से बढ़ाएं ब्रैस्ट मिल्क की मात्रा

हर युवती शादी के बाद मां बनने का सपना देखती है और जब वह मां बन जाती है तो वह चाहती है कि वह अपने बच्चे को हर खुशी दे पाए और उस का बच्चा हमेशा हैल्दी रहे. इस के लिए वह अपने बच्चे को कष्ट सह कर भी खुद का दूध पिलाती है, क्योंकि डाक्टर्स मानते हैं कि बच्चे के लिए शुरुआती 6 महीने मां का दूध सब से महत्त्वपूर्ण होता है. क्योंकि इस में सभी जरूरी पौष्टिक तत्त्व जो होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होते हैं. साथ ही उन के इम्यून सिस्टम को स्ट्रौंग बनाने का भी काम करते हैं.

लेकिन आज खानपान व अन्य हैल्थ कारणों से लेक्टेशन प्रौब्लम आ रही है जिस के कारण पर्याप्त मात्रा में मां के स्तनों में दूध नहीं आने के कारण बच्चे की जरूरत पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में झंडु सतावरी काफी फायदेमंद है. क्योंकि ये लेक्टेशन का नैचुरल उपाय है जो मां के दूध की मात्रा को नैचुरल ढंग से बढ़ाने का काम जो करता है.

गलैक्टेगोज बढ़ाए ब्रैस्ट मिल्क

फीड कराने वाली मां को जरूरत होती है कि वो पौष्टिक डाइट खाए जिस से उस के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध आ पाए. लेकिन कई बार अच्छा खाने के बावजूद भी दूध की मात्रा घट जाती है. ऐसे में गलैक्टेगोज के माध्यम से ब्रैस्ट मिल्क को बढ़ाने की सलाह दी जाती है. आप को बता दें कि सतावरी में ग्लैक्टेगोज गुण होते हैं.

क्या है सतावरी

सतावरी जो अधिकांशत: हिमालय में पाई जाती है और इसे सदियों से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है. इस में हीलिंग गुण हाने के साथ ब्रैस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने की क्षमता भी होती है.

कैसे है मददगार

सतावरी जिसे गलेक्टेगोज के रूप में जानते हैं. ये कोर्टिकोइड और प्रोलेक्टिन के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है. जिस से मां के दूध की क्वालिटी व मात्रा दोनों बढ़ती है. साथ ही ये स्टीरोइड हारमोन को सीक्रेशन के लिए प्रेरित करता है जिस से दूध की क्वालिटी सुधरने के साथसाथ ब्रैस्ट साइज में भी बढ़ोतरी होती है. साथ ही ये नैचुरल होने के कारण सैफ है. इसे आप दूध के साथ ले कर खुद व आपने बच्चे को हैल्दी रख सकते हैं.

हैल्थ को दें प्राथमिकता

आज हमारा लाइफ स्टाइल ऐसा हो गया है जिस के कारण हम अपनी हैल्थ पर जरा भी ध्यान नहीं देते हैं जिस से ढेरों कमियां हम में रह जाती हैं और इस का असर प्रैग्नैंसी के समय व उम्र बढ़ने पर साफ दिखता है. इसलिए जरूरी है कि पौष्टिक डाइट लें ताकि आप हमेशा सेहतमंद रहें.

गर्भ में पल रहे बच्चे हो रहे हैं जहरीले पदार्थों से प्रभावित

गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो अपने और गर्भ में पल रहे बच्चे का खासा ख्याल रखें. पर लाख कोशिशों के बाद भी ऐसे बहुत से कारक हैं जिनसे गर्भ में पल रहा बच्चा नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट की माने तो गर्भवती महिला जब किसी खतरनाक रसायन के संपर्क में आती है तो इसका असर पेट में पल रहे बच्चे के फेफड़ों पर होता है. इस बात का खुलासा हाल ही में प्रकाशित एक जर्नल में हुआ है.

स्पेन में हुई इस शोध में 1033 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था. इनकी जांच के बाद प्राप्त तथ्यों से ये स्पष्ट हुआ कि बच्चों के जन्म से पहले पैराबेंस फ्थेलेट्स और परफ्लुओरोअल्काइल सब्सटैंस (PFAS) के संपर्क और बच्चों के फेफड़े के ठीक से काम न करने के बीच गहरा संबंध है.

आपको बता दें कि घरेलू उत्पादों और खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में पीएफएएस पाए जाते हैं. भोजन और पानी के द्वारा पीएफएएस तत्व हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं. इसके बाद नाभि के माध्यम से इसका असर अजन्में बच्चे तक भी पहुंचता है.

इस शोध से जुड़े शोधकर्ताओं की माने तो “रोकथाम के उपायों से रासायनिक पदार्थो के संपर्क से बचा जा सकता है. इसके अलावा सख्त विनियमन और जन-जागरूकता के लिए उपभोक्ता वस्तुओं पर लेबल लगाने से बचपन में फेफेड़े खराब होने से रोकने में मदद मिल सकती है और लंबे समय में स्वास्थ्य में इसका लाभ मिल सकता है.”

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