अकसर देखा गया है कि बौलीवुड में गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्देशक वगैरह बन कर विश्व में छा जाने के बड़ेबड़े सपने ले कर ज्यादातर लोग अपने परिवार या समाज के बीच बड़ेबड़े दावे कर के या परिवार के विरोध के बावजूद मायानगरी मुंबई पहुंचते हैं. उन के स्वभाव में हार मानना नहीं होता. ऐसे में ये लोग अपनी मेहनत, परिश्रम, लगन के बल पर संघर्ष करना शुरू करते हैं. उन के अंदर की प्रतिभा और मेहनत करने का जज्बा उन्हें सफलता भी दिलाता है. लंबे संघर्ष के बाद जब सफलता मिलती है, तो उस का नशा भी उतना ही बड़ा होता है.
बौलीवुड में सफलता के इस नशे को पचा कर अपनी जड़ों यानी जमीनी हकीकत से जुड़ा रहना असंभव होता है. वास्तव में बौलीवुड में इंसान को जिस स्तर की शोहरत आदि मिलती है, उस के चलते उस की जिंदगी संग काफीकुछ ऐसा होता है जिस की उस ने कल्पना नहीं की होती है. और फिर, वह डिप्रैशन की तरफ बढ़ता जाता है. ऐसा ही कुछ दीपिका पादुकोण के साथ हुआ. एक तरफ उन्हें सफलता मिलती रही, तो दूसरी तरफ वे विवादों की रानी बनती चली गईं. फिर डिप्रैशन में चली गईं और अब तो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में ड्रग्स के मामले में उन पर शिकंजा भी कसता जा रहा है.
बैंडमिंटन कोर्ट से बौलीवुड स्टार
मशहूर अंतर्राष्ट्रीय शोहरत बटोर चुके बैंडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की डेनमार्क में जन्मी बेटी दीपिका पादुकोण शुरुआती दिनों में बैंडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहती थीं. 17 वर्ष की किशोरावस्था में उन का बैडमिंटन कोर्ट से मोह भंग हो गया और मातापिता से झगड़ कर ग्लैमर की दुनिया से जुड़ने के लिए बेंगलुरु से मुंबई पहुंच गईं. वहां पहुंचते ही उन्हें कुछ विज्ञापन फिल्में मिल गईं.
2005 में हिमेश रेशमिया ने उन्हें म्यूजिक वीडियो ‘नाम है तेरा’ का हिस्सा बना दिया. यह म्यूजिक वीडियो इस कदर लोकप्रिय हुआ कि 2006 में इंद्रजीत लंकेश ने दीपिका को कन्नड़ भाषा की फिल्म ‘ऐश्वर्या’ में अभिनय करने का मौका दे दिया. उस के बाद 2007 में शाहरुख खान ने अपनी प्रोडक्शन की फरहा खान निर्देशित फिल्म ‘ओम शांति ओम’ में दीपिका पादुकोण को अभिनय करने का अवसर दिया. इस फिल्म में शाहरुख खान ने स्वयं दीपिका पादुकोण के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी.
उसी वर्ष संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘सांवरिया’ भी आई थी, जिस में पहली बार सोनम कपूर और रणबीर कपूर ने अभिनय किया था. दोनों फिल्में एक ही दिन प्रदर्शित हुई थीं. पर समय की बलवान दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ ने बौक्सऔफिस पर जबरदस्त सफलता दर्ज कराई और दीपिका बौलीवुड की स्टार कलाकार बन गईं. उस के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
ये भी पढ़ें- 3000 एपिसोड पूरे होने के बाद ‘तारक मेहता’ के फैंस के लिए बुरी खबर, ये एक्ट्रेस हुई कोरोना की शिकार
लगभग 15 वर्षों के कैरियर में एक तमिल, एक कन्नड़, एक अमेरिकी फिल्म सहित 32 फिल्मों में वे अभिनय कर चुकी हैं. हर फिल्म में उन्होंने अलगअलग किरदारों को निभाया है. फिर चाहे वह रोमांटिक किरदार हो, डबल रोल, ऐक्शन हो या स्पैशल अपीयरेंस वाला. पर उन्हें प्रेमकहानी वाली फिल्मों में सर्वाधिक पसंद किया गया. वैसे, उन्होंने 2 पीरियड फिल्में भी कीं.
विवादों की रानी
शुरुआती सफलता के बाद उन की महत्त्वाकांक्षाएं कुछ ज्यादा ही बढ़ गईं. वे धीरेधीरे बौलीवुड के रंग में रंगती चली गईं जहां इंसानी मूल्यों, पारिवारिक मूल्यों, सामाजिक मूल्यों के कोई माने नहीं हैं. नतीजतन, धीरेधीरे उन के क्रियाकलापों ने उन्हें ‘विवादों का दूसरा नाम’ की संज्ञा दे डाली. दीपिका भी अपनी हर फिल्म के साथ या उस के प्रदर्शन के दौरान विवादों को जन्म देने लगीं. कभी वे रणबीर कपूर के टैटू को गुदवाने को ले कर विवादों में रहीं, तो कभी सिद्धार्थ माल्या संग लिपलौक करने के कारण. कभी क्लीवेज वाली फोटो के चलते विवादो में रहीं, तो कभी ‘दम मारो दम…’ गाने को ले कर. इतना ही नहीं, धीरेधीरे उन्होंने अपनी छवि हिंदूविरोधी बना डाली.
उन की 2 सर्वाधिक सफल फिल्मों, जिन के निर्देशक संजय लीला भंसाली रहे, पर उठे विवादों से उन की छवि हिंदूविरोधी बन गई. सब से पहले फिल्म ‘रामलीला’ को ले कर विवाद उठा कि इस में हिंदू धर्म व संस्कृति के खिलाफ बात की गई है. फिल्म के नाम पर भी एतराज जताया गया. आखिरकार, मजबूरन फिल्म का नाम बदल कर ‘गोलियों की रासलीला: राम लीला’ करना पड़ा. इस के बाद फिल्म ‘पद्मावत’ को ले कर हिंदू संगठनों व करणी सेना ने विरोध किया. इस फिल्म पर भी इतिहास से छेड़छाड़ करने व हिंदूविरोधी होने के आरोप लगे थे. बड़ी मुश्किल से ये फिल्में प्रदर्शित हो पाई थीं.
यों तो ‘पद्मावत’ के विरोध पर फिल्म के प्रदर्शन से पहले ही दीपिका ने कहा था- ‘मुझे बहुत दुख होता है क्योंकि इस फिल्म के लिए सब ने काफी मेहनत की है. फिल्म से जुड़े सभी लोग पिछले 2 वर्षों से काम कर रहे थे. दूसरी बात जो वे चाहते हैं, वही हम चाहते हैं. हम भी भारतीय सभ्यता, संस्कृति, इतिहास व पद्मावती की जो कहानी है, उस को सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं. हमारे इरादे एकदम नेक हैं. हमें दुख इस बात का है कि जब हमारे इरादे नेक हैं तो फिल्म के प्रदर्शन से पहले ही उस का विरोध क्यों किया जा रहा है.
“‘फिल्म देखने के बाद यदि किसी को कुछ गलत लगे, तो वह हम से कहे, हम अपनी गलती मान लेंगे. मगर फिल्म के प्रदर्शन से पहले, जबकि किसी ने न फिल्म देखी है न तो किसी ने फिल्म की पटकथा पढ़ी है, तो फिर वे किस बात को ले कर विरोध कर रहे हैं. मैं यह बात नहीं समझ पा रही हूं. मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रही हूं कि फिल्म के प्रदर्शन के बाद हर राजपूत, हर भारतीय इस फिल्म को देख कर गौरवान्वित महसूस करेगा. क्योंकि हम ने फिल्म में पद्मावती को वह पूरी इज्जत दी है, जिस की वह हकदार है.’
हिंदू व राष्ट्रविरोधी छवि का ठप्पा
जब दीपिका पादुकोण ने मेघना गुलजार संग फिल्म ‘छपाक’ का सहनिर्माण करने के साथ ही उस में एसिड हमले की पीड़िता का किरदार निभाया, तो इस के प्रदर्शन से पहले वे दिल्ली स्थित जेएनयू पहुंच गईं. और उन्होंने न सिर्फ अपनी हिंदूविरोधी छवि को पुख्ता कर डाला, बल्कि वे तथाकथित राष्ट्रवादियों के निशाने पर आ गईं. जिस का खमियाजा उन की फिल्म ‘छपाक’ को भुगतना पड़ा. उन पर हिंदूविरोधी ही नहीं, राष्ट्रविरोधी होने के आरोप लगे. और राष्ट्रवादियों द्वारा ‘छपाक’ का बहिष्कार करने के ऐलान के बाद फिल्म को दर्शक नहीं मिल पाए.
बौलीवुड की राजनीतिक आवाज
‘छपाक’ के प्रदर्शन से ठीक पहले दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने ने उन के समय पर ग्रहण लगा दिया. यों तो उन के जेएनयू जाने पर जब देश के एक तबके ने उन के खिलाफ आवाज बुलंद की, तो दीपिका को बौलीवुड के अंदर के एक खेमे से जबरदस्त समर्थन मिला. इस से उन का मनोबल बढ़ा. ऊपर से उसी वक्त बीबीसी सहित कई समाचार चैनलों ने दीपिका पादुकोण को बौलीवुड की राजनीतिक आवाज का तमगा दे दिया. बीबीसी ने तो साफसाफ कह दिया कि बौलीवुड को राजनीतिक आवाज के रूप में दीपिका पादुकोण मिल गई.
ड्रग्स को ले कर फंसीं
अब जबकि ड्रग्स के संबंध में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो दीपिका पादुकोण से पूछताछ कर चुका है, तो सिर्फ उन के समर्थक ही नहीं, बौलीवुड का एक खेमा लगातार कह रहा है, ‘यह बौलीवुड की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.’ कुछ वकील समाचार चैनलों पर आ कर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्यवाही को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं. उन की राय में महज व्हाट्सऐप चैट से कोई भी इंसान ड्रग्स के सेवन या व्यापार का दोषी नहीं हो जाता है. वहीं, कुछ लोग दीपिका पादकोण को नशेड़ी गैंग की मुखिया बता रहे हैं.
ये भी पढे़ं- बॉडी कलर का मजाक उड़ाने वालों पर भड़की शाहरूख की बेटी सुहाना तो लोगों ने पूछा ये सवाल
मैनेजर द्वारा व्हाट्सऐप चैट संभाल कर रखने के लिए भी दीपिका ही दोषी:
ड्रग्स मामले में दीपिका से पूछताछ के बाद कुछ लोग खुलेआम टीवी चैनलों पर आ कर इन कलाकारों के साथ ही पूरे बौलीवुड को अपराधी करार देने पर तुले हैं. यह सभी दावा कर रहे हैं कि बौलीवुड के 90 प्रतिशत लोग ड्रग्स से जुड़े हुए हैं. जब उन्हें यह बात पता थी, तो अब तक वे सभी चुप क्यों थे. वैसे, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बौलीवुड में हर खुशी के मौके पर जश्न की पार्टी में शराब जम कर परोसी जाती है. और यह आज से नहीं, बल्कि कई दशकों से होता आया है. ऐसे में जांच एजेंसी की तरफ से किसी निर्णय पर पहुंचने तक हर किसी को जांच एजेंसी के साथ सहयोग का रवैया अपनाना चाहिए.
जहां तक दीपिका पादुकोण का सवाल है कि वे ड्रग्स लेती हैं या लेती थीं, इस सच को तो उन से बेहतर कौन जान सकता है. अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के समक्ष सारा सच दीपिका ने उजागर किया या नहीं, पता नहीं, पर ऐसे मन जा रहा है कि दीपिका पादुकोण का दावा है कि उन्हें उन की मैनेजर करिश्मा प्रकाश, जया साहा व ‘क्वान’ कंपनी ने फंसाया है. अब दीपिका को एहसास हो रहा है कि करिश्मा प्रकाश के साथ उन के मोबाइल चैट जानबूझ कर संग्रहीत किए गए थे. बाद में करिश्मा ने अपनी सहकर्मी जया साहा के साथ यह चैट शेयर की जिन को ले कर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जांच कर रहा है. दीपिका यह भी दावा कर रही हैं कि उन्हें पता नहीं है कि उन के मोबाइल स्क्रीनशौट क्यों रखे गए थे.
अगर उन की मैनेजर ने व्हाट्सऐप चैट संभाल कर रखी, तो भी इस में दीपिका पादुकोण की ही गलती है. दीपिका पादुकोण की गलती यह है कि वे अपने बिजनैस मैनेजर व पीआर कंपनी पर आंख मूंद कर यकीन कर उन के इशारों पर नाचती क्यों रहीं? फ़िल्मी कलाकार अकसर अपने मोबाइल फोन अपने पीआर अथवा बिजनैस मैनेजर को पकड़ा देते हैं.
यही नहीं, कलाकारों को अपने पीआर और बिजनैस मैनेजर के सामने नतमस्तक होते हुए भी देखा है. कई बार पत्रकारों से दूरी बनाने के लिए भी कलाकारों को अपने पीआर या बिजनैस मैनेजर के कंधे पर बंदूक रख कर चलाते देखा गया है. जबकि हर कलाकार चाहे तो हर पत्रकार के बारे में जानकारी रखते हुए उन के संपर्क में रह कर ज्यादा अच्छे ढंग से अपना प्रचार कर सकता है. पर वे ऐसा नहीं करते. जबकि, 20 साल पहले ऐसा नही था. तब कलाकार के पास बिजनैस मैनेजर व पीआर की लंबीचौड़ी फौज नहीं हुआ करती थी.
आज कई पत्रकार दोस्त बताते हैं कि उस ने ‘फलां’ कलाकार को एसएमएस या व्हाट्सऐप संदेश भेजा था इंटरव्यू के लिए, तो उस ने जवाब भेज दिया कि उन के पीआर से बात की जाए. आखिर, एक कलाकार अपने पीआर या बिजनैस मैनेजर पर इतना निर्भर कैसे हो सकता है? उस का अपना विवेक कहां रहता है? बहरहाल, अब जो कुछ सामने आ रहा है, शायद उस से हर कलाकार कुछ सबक सीखेगा.
मैनेजर पर निर्भरता बड़ी गलती
इंसान के अंदर अगर जबरदस्त प्रतिभा है, समय का धनी है, और उसे बौलीवुड में बिना संघर्ष किए पहली ही फिल्म से जबरदस्त शोहरत मिल जाए, तब तो वह अपनेआप को खुदा ही समझने लगता है. उस वक्त सफलता का नशा उस के सिर पर चढ़ कर जिस तरह से बोलता है, उस के चलते वह अपने विवेक का उपयोग करना भूल जाता है. फिर धीरेधीरे वह अपने परिवार, समाज, दोस्तों से भी दूर चला जाता है. मजेदार बात यह है कि उसे इस बात का एहसास तक नहीं होता. पहली सफलता मिलते ही उस के इर्दगिर्द बौलीवुड की कार्यशैली के अनुरूप अलग तरह के चापलूसों व चने के झाड़ पर चढ़ाने वालों की टोली जमा हो जाती है. देखते ही देखते वह पीआर मैनेजर, बिजनैस मैनेजर जैसे इंसानों की लंबीचौड़ी फौज खड़ी कर, उसी के इशारों पर सारे निर्णय लेने लगता है.
ऐसा करते समय वह भूल जाता है कि उस के अंदर की कार्यक्षमता, प्रतिभा, पसंदनापंसद, रिश्ते, मानवीय स्वभाव आदि को वे लोग बेहतर ढंग से कैसे समझ सकते हैं जिन्हें उस ने खुद ही अपने इर्दगिर्द सफलता के नशे में चूर हो कर नियुक्त किया है. हकीकत में होता यह है कि बौलीवुड में सफलता मिलते ही जिन लोगों को वह अपने आसपास जमा करता है, वे लोग उस की सोच व विचारों को आगे बढ़ाने की अपेक्षा अपनी सोच व विचारों के अनुरूप उसे ढालना शुरू कर देते हैं. और इंसान कब अपनी जड़ों को भुला बैठता है, इस का एहसास उसे नहीं होता. वह सफलता की ओर बढ़ता जाता है और दूसरों, खासकर बिजनैस मैनेजर व पीआर, पर उस की निर्भरता बढ़ती जाती है.
हजार करोड़ रुपए दांव पर
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जांच के बाद दीपिका पादुकोण को आरोपी ठहराता है या उन्हें बरी करता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. मगर इस से उन के कैरियर पर गहरा असर हुआ है. उन से जुड़े कई निर्माता परेशान हैं क्योंकि बौलीवुड से गंदगी की सफाई अभियान से जुड़े लोग और राष्ट्रवादी नशेड़ी गैंग के सभी कलाकारों, जिन में दीपिका पादुकोण प्रमुख हैं, की फिल्मों का बहिष्कार करने की बातें कर रहे हैं. इस से फिल्म निर्माताओं के 1,500 करोड़ रुपए दांव पर लग गए हैं. ड्रग्स मामले में दीपिका पादुकोण फंस गईं, तो बौलीवुड को 1,500 करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
सब से पहले क्रिकेटर कपिल देव की बायोपिक फिल्म ‘83’ पर असर पड़ेगा. इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने कपिल देव की पत्नी रोमी भाटिया का किरदार निभाया है, जबकि कपिल देव के किरदार में दीपिका पादुकोण के पति रणवीर सिंह हैं. इस फिल्म का दीपिका पादुकोण ने साजिद नाडि़यादवाला, फैंटम और रिलायंस के साथ मिल कर सहनिर्माण भी किया है. लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए के बजट में बनी यह फिल्म 10 अप्रैल को प्रदर्शित होनी थी, मगर कोरोना महामारी व लौकडाउन के चलते प्रदर्शित नहीं हो पाई, अब इसे दिसंबर में प्रदर्शित करने की योजना है.
इस के अलावा, ‘महाभारत’ (600 करोड़), शकुन बत्रा की अनाम डार्क रोमांटिक फिल्म (100 करोड़), लव रंजन की अनाम फिल्म (80 करोड़), प्रभास जिस का नामकरण ‘महानटी’ अथवा ‘सिनेमा एक्सप्रेस’ करने की बात चल रही है (400 करोड़), अमेरिकन कौमेडी फिल्म ‘द इंटर्न’ का हिंदी रीमेक (50 करोड़), ‘पठान’, ‘राना’ (150 करोड़), सपना दीदी की बायोपिक फिल्म ‘रानी’, अमेरिकन फिल्म ‘एक्स एक्स एक्स 4’ (लगभग 900 करोड़ रुपए) अब अधर में लटक गई हैं. इन में से कुछ फिल्मों का दीपिका सहनिर्माण भी कर रही हैं.
डिप्रैशन की वजह?
दीपिका पादुकोण की मैनेजर करिश्मा प्रकाश के साथ ड्रग्स को ले कर व्हाट्सऐप चैट सामने आने के बाद कंगना रानौत ने दीपिका पादुकोण पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ड्रग्स लेने से इंसान डिप्रैशन में जाता है.’ मगर मनोचिकित्सक पूर्णरूपेण इस से सहमत नहीं हैं. उन की राय में इंसान जब भावनात्मक रूप से कमजोर हो और भावनात्मक रूप से परेशान हो, उस वक्त लोगों का साथ न मिलने पर डिप्रैशन में जाता है. तो दीपिका पादुकोण के डिप्रैशन में जाने की सब से बड़ी वजह रणबीर कपूर के संग अलगाव को माना गया.
ये भी पढ़ें- बिना सच जाने किसी को दोषी मानना ठीक नहीं – शमीन मन्नान
वास्तव में फिल्म ‘ओम शांति ओम’ से स्टार बनने के बाद 2008 में दीपिका पादुकोण ने रणबीर कपूर के साथ रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘बचना ऐ हसीनो’ की. उस की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच रिश्ता स्थापित हो गया. दीपिका ने रणबीर कपूर संग अपने रिश्ते को छिपाने के बजाय खुल कर बात की थी. उन्होंने अपने गले पर रणबीर कपूर के नाम का टैटू भी गुदवाया था. उस रिश्ते से उन के अंदर काफी बदलाव आ गया था और वे खुद को सामाजिक रूप से भी जिम्मेदार होने का एहसास कराने लगी थीं. लेकिन फिर रिश्ता टूट गया. इस से उन के दिल को गहरी चोट लगी थी.
वर्ष 2010 के अंत में दीपिका ने रणबीर कपूर पर बेवफाई करने का आरोप लगाया था, जिसे बाद में रणबीर कपूर ने स्वीकार भी कर लिया था. उस बातचीत में दीपिका ने कहा था, ‘मेरे लिए सैक्स केवल शारीरिक सुख का मसला नहीं है, बल्कि इस में भावनाएं शामिल हैं. जब मैं किसी रिश्ते से जुड़ी, तो मैं भटकी नहीं, धोखा नहीं दिया. अगर मुझे बेवकूफ बनाया जा जा रहा हो, तो मैं ऐसे रिश्ते में क्यों रहूंगी? बेहतर होगा कि आप सिंगल रहें और मस्ती करें. लेकिन हर कोई ऐसा नहीं सोचता.”
वक्त बदला और 2013 में दीपिका पादुकोण व रणबीर कपूर के बीच गिलेशिकवे मिट गए. दोनों ने एकसाथ अयान मुखर्जी निर्देशित फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ में अभिनय किया. इस के बाद 2015 में ‘तमाशा’ फिल्म भी की. पर इस से पहले 2012 से दीपिका पादुकोण ने रणवीर सिंह के साथ रिश्ता जोड़ लिया था, जिन के साथ उन्होंने 14 नवंबर, 2018 को विवाह रचाया. मगर रणबीर कपूर से संबंधविच्छेद के चलते 2011 में दीपिका पादुकोण डिप्रैशन का शिकार हो चुकी थीं.
2016 में एक मुलाकात में दीपिका पादुकोण ने हमें बताया था कि जब वह डिप्रैशन का शिकार हुई, तब उन की मां बैंगलौर से मुंबई उन के साथ रहने आ गई थी. परिवार व मां के साथ ने उन्हे डिप्रैशन से उबरने में मदद की थी.
‘लिव लव लाफ’ एनजीओ
ऐसा समय भी आया जब दीपिका ने दूसरों को भी डिप्रैशन से उबारने व डिप्रैशन को ले कर जागरूकता फैलाने के मकसद से अपना एनजीओ ‘लिव लव लाफ’ शुरू किया. फिल्म ‘पद्मावत’ के प्रदर्शन से पहले ‘लिव लव लाफ’ संस्था के संदर्भ में दीपिका पादुकोण ने कहा था, ‘हम अपनी संस्था द्वारा डिप्रैशन को ले कर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना चाहते हैं, क्योंकि इस के प्रति लोगों को बहुत कम जानकारी है. इस बारे में लोग ज्यादा खुल कर बात नहीं करते हैं. किसी डाक्टर के पास जाना हो या किसी को बताना हो कि मेरे साथ ऐसा हो रहा है तो बहुत घबराहट के साथ, बड़ी हिचक के साथ बात करते हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि मानसिक बीमारी यानी मैंटल हैल्थ को हम सभी स्वीकार करें. इसीलिए हम अवेयरनैस पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं.’
बहरहाल, दीपिका पादुकोण के रूप में बौलीवुड की एक सुपरस्टार, खूबसूरत व सम्मानित अभिनेत्री अजीबोगरीब जाल में फंस गई हैं, जिस का उन के कैरियर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री के भीतर व बाहर उन के शुभचिंतकों की कमी नहीं है.
ये भी पढ़ें- सुशांत से ब्रेकअप पर बोलीं सारा अली खान, करते थे ये डिमांड