हिदायतें जो Diabities से रखें दूर

मधुमेह यानी डायबीटिज खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरेधीरे खोखला कर देता है. इस बीमारी में रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है. चूंकि हमारे शरीर के हर हिस्से में रक्तसंचार होता है, इसलिए मधुमेह होने पर शरीर का कोई भी हिस्सा खराब हो सकता है. मधुमेह होने पर हार्टअटैक, किडनियों के खराब होने और आंखों की रोशनी तक चले जाने की बहुत संभावना रहती है.

पहले यह बीमारी एक निश्चित वर्ग और उम्र के लोगों को ही होती थी, लेकिन वर्तमान में असंतुलित खानपान और अव्यवस्थित रहनसहन के कारण बच्चों, बूढ़ों और युवाओं सभी को यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है. इस बीमारी से बचने और नजात पाने के निम्न उपाय हैं. जिन पर अमल कर के मधुमेह से बचा जा सकता है:

क्या करें

वजन कम करें: अकसर लोग अपने खानपान पर नियंत्रण नहीं रख पाते. दिन में जितनी बार भी भूख लगती है कुछ भी खा कर पेट भर लेते हैं. ऐसा करने से वजन तो बढ़ता ही है साथ ही असंतुलित आहार शरीर को बीमारियों का घर भी बना देता है. इन बीमारियों में ओबेसिटी यानी मोटापा बेहिसाब और बेवक्त खाने का ही नतीजा होता है. ओबेसिटी के शिकार को डायबिटीज आसानी से अपना शिकार बना लेती है. लेकिन इस का शिकार होने से बचा जा सकता है और इस के लिए ज्यादा मशक्कत करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. बस, अपने आहार को छोटेछोटे मील्स में विभाजित कर दीजिए. हर मील का समय निर्धारित हो. इस से आप की भूख भी नियंत्रित हो जाएगी और वजन भी नहीं बढ़ेगा. इस के अलावा वजन कम करने के लिए दिन में 1 बार 30 से 45 मिनट तेज चलने की आदत डालें. इस से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहती है. हफ्ते में 4-5 दिन तेज चलें.

स्ट्रैस से रहें दूर: मधुमेह और तनाव का गहरा संबंध है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सिर्फ काम को ही समय दे पाते हैं. ऐसे में अपने बारे में सोचने और कुछ करने का समय ही नहीं मिल पाता. इस के चलते लोग स्ट्रैस से घिर जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार तनाव एक मानसिक बीमारी है, जो मनुष्य को मधुमेह जैसी बीमारी के मुंह में धकेल देती है. इसलिए कोशिश करें कि दिन में कुछ समय अपने लिए जरूर निकालें. तनाव से दूर रहने के लिए व्यायाम सब से अच्छा विकल्प है. दिन में 1 बार 15 से 20 मिनट व्यायाम जरूर करें.

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डैंटल हाइजीन: यदि आप को मधुमेह है, तो आप को अपने दांतों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि मधुमेह से पीडि़तों को बैक्टीरियल इन्फैक्शन और मसूड़ों से जुड़ी बीमारी होने की संभावनाएं रहती है. इस के लिए आप दिन में 2 बार दांतों में ब्रश करें. साथ ही समयसमय पर डैंटिस्ट से भी दांतों की जांच कराते रहना चाहिए.

शुगर लैवल की जांच: मधुमेह होने पर रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है. इस स्तर को कम करने से पहले उसे जानने के लिए शुगर लैवल टैस्ट करवाना पड़ता है, जिस से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा पता चलती है. यदि आप मधुमेह के मरीज हैं तो हर तीसरे महीने इस की जांच जरूर करवाएं.

आंखों की जांच: मधुमेह के मरीजों को कम दिखने की भी समस्या होती है. इसलिए हर 6 महीने में 1 बार आंखों का चैकअप जरूर करवाएं.

खाली पेट फल न खाएं: मधुमेह के मरीजों को कभी खाली पेट फल नहीं खाना चाहिए. खाना खाने के बाद फल खाएं.

क्या न करें

मीठा: यदि आप मधुमेह के शिकार हैं तो आप को सब से पहले मीठे को त्यागना होगा. खासतौर पर चौकलेट, मिठाई, कोल्डड्रिंक्स, आइसक्रीम. शहद और ग्लूकोज युक्त चीजें तो बिलकुल न खाएं.

फैटी फूड: फैटी फूड यानी डीप फ्राइड और जंक फूड भी मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है. पर जो मधुमेह के शिकार हैं उन्हें फ्रैंच फ्राइज, कौर्न चिप्स जैसी चीजों से परहेज करना चाहिए.

चावलों से बने खाद्यपदार्थ: मधुमेह के मरीजों के लिए चावल और चावलों से बनी चीजें भी बेहद हानिकारक हैं, क्योंकि चावल आसानी से शुगर में बदल जाता है. इसलिए इडली, पोहा, ढोकला, डोसा और चावल के आटे से बनी चीजों से मधुमेह के मरीजों को दूर रहना चाहिए.

मधुमेह के मरीजों को शराब या फिर हर उस पदार्थ से जिस में अलकोहल हो, बचना चाहिए, क्योंकि अलकोहल में शुगर कंटैंट होता है.

आम, केला, अंगूर, खरबूजा और चीकू जैसे फलों से भी मधुमेह के मरीजों को दूर रहना चाहिए. इसी तरह आलू, कद्दू, चुकंदर, गाजर, अरवी जैसी सब्जियों से भी परहेज करना चाहिए.

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क्या खाएं

फाइबर: ब्लड ग्लूकोज लैवल को नियंत्रित रखने के लिए अपने आहार मे ब्राउन राइस, पत्तागोभी, भिंडी, अमरूद, अनार और गेहूं शामिल करें, क्योंकि इन में फाइबर होता है जो डायबिटीज में फायदा करता है.

सलाद: मधुमेह के मरीजों को सलाद जरूर खाना चाहिए.

मेथी: मधुमेह के मरीजों के लिए मेथी बहुत अच्छी दवा है. इस के लिए रात भर मेथी को पानी मे भिगो कर रखें और सुबहउस के पानी को पी लें. इस से ब्लड में जाने वाले अनावश्यक ग्लूकोज को रोका जा सकता है.

दालचीनी: रोज 1/2 चम्मच दालचीनी खाने से ब्लडशुगर लैवल और कोलेस्ट्रौल लैवल नियंत्रित रहेगा. साथ ही दालचीनी मांसपेशियों और लिवर के लिए भी लाभदायक है.

इन 15 टिप्स से करें Diabetes को कंट्रोल

यूं तो डायबिटीज दुनिया भर में फैली है, मगर भारत आज उसका सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण 21वीं सदी की जीवनशैली है. लेकिन अगर समय रहते ही इस पर ध्‍यान दे दिया जाए और खान-पान में सुधार कर लिया जाए तो यह काफी हद तक कंट्रोल में रह सकती है.

करें यह उपाय

1. व्यायाम-स्‍टडी बताती है कि व्‍यायाम करने से शरीर में खून का दौरा सही रहता है और खून में शक्‍कर की मात्रा भी नियंत्रण में रहती है. रिजल्‍ट के तौर पर हाई मेटाबॉलिज्‍़म और मधुमेह का कम खतरा रहता है.

2. ना लें चीनी-आपको चीनी, गुड़, शहद, कोल्ड ड्रिंक्स आदि कम खानी चाहिये जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बिल्‍कुल नियंत्रण में रहे. ज्‍यादा मीठी चीजे और मीठे पेय पदार्थों का सेवन इंसुलिन के लेवल को बढा सकता है.

3. फाइबर-खून में से शुगर को सोखने में फाइबर का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है. इसलिये आपको गेहूं, ब्राउन राइस या वीट ब्रेड आदि खाना चाहिये जिससे शरीर में ब्‍लड शुगर का लेवल कंट्रोल रहेगा, जिससे मधुमेह का रिस्‍क कम होगा.

4. ताजे फल और सब्‍जियां-फलों में प्राकृतिक चीनी का मिश्रण होता है और यह शरीर को हर तरह का पोषण देते हैं. ताजे फलों में विटामिन ए और सी होता है जो कि खून और हड्डियों के स्‍वास्‍थ्‍य को मेंटेन करता है. इसके अलावा जिंक, पोटैशियम,आयरन का भी अच्‍छा मेल पाया जाता है. पालक, खोभी, करेला, अरबी, लौकी आदि मधुमेह में स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक होती हैं. यह कैलोरी में कम और विटामिन सी, बीटा कैरोटीन और मैगनीशियम में ज्‍यादा होती हैं, जिससे मधुमेह ठीक होता है.

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5. ग्रीन टी-रोजाना बिना चीनी की ग्रीन टी पीजिये क्‍योंकि इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जो कि शरीर में फ्रीरैडिकल्‍स से लड्राई करता है और ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन करता है.

6. कॉफी-ज्‍यादा कैफीन लेने से हृदय रोग की समस्‍या हो सकती है, लेकिन अगर यह हद में रह कर ली जाए तो काफी हद तक यह ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकती है.

7.खाने का खास ख्‍याल-थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना नहीं लेते रहने से हाइपोग्लाइसेमिया होने की आशंका काफी बढ़ जाती है जिसमें शुगर 70 से भी कम हो जाती है. खाना लगभग हर ढ़ाई घंटे बाद लेते रहें. दिन भर में तीन बार खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा छह-सात बार खाएं.

8. दालचीनी-रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है. इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्‍स कर पिएं.

9. तनाव कम करें-ऑक्‍सीटोसिन और सेरोटिन दोनों ही नसों की कार्यक्षता पर असर डालते हैं. तनाव के समय जब एड्रानलिन का रिसाव होता है तब यह डिस्‍टर्ब हो जाता है, जिससे डायबिटीज का हाई रिस्‍क पैदा होता है.

10. उच्‍च प्रोटीन डाइट-जो लोग नॉन वेज खाते हैं उन्‍हें अपनी डाइट में लील मीट शामिल करना चाहिये. उच्‍च प्रोटीन डाइट खाने से शरीर में ताकत बनी रहती है क्‍योंकि मधुमेह रोगियों को कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट से दूर रहने के लिये कहा गया है.

11. फास्‍ट फूड को कहें ना-शरीर की बुरी हालत केवल जंक फूड खाने से ही होती है. इसमें ना केवल खूब सारा नमक होता है बल्कि शक्‍कर और कार्बोहाइड्रेट्स तेल के रूप में होता है. यह सब आपके ब्‍लड शुगर लेवल को बढाते हैं.

12. नमक पर रोक-नमक की सही सीमा आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करेगा. ज्‍यादा नमक लेने से शरीर में हार्मोनल विसंगतियों का खतरा पैदा हो जाता है. इसके यह अलावा यह टाइप 2 डायबिटीज को बढा भी सकता है.

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13. खूब पानी पिएं-पानी खून में बढी शुगर को इकठ्ठा करता है जिस वजह से आपको 2.5 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिये. इससे ना ही आपको हृदय रोग होगा और ना ही डायबिटीज.

14. सिरका-खून मे एकाग्र शुगर को सिरका खुद के साथ घोल कर हल्‍का कर देता है. स्‍टडी में बताया गया है कि भोजन करने के पहले दो चम्‍मच सिरका लेने से ग्‍लूकूज का फ्लो कम हो जाएगा.

15. सोया-डायबिटीज को कम करने के लिये सोया जादुई असर दिखाता है. इसमें मौजूद इसोफ्लावोन्‍स शुगर लेवल को कम कर के शरीर को प्रोषण पहुंचाता है.

डायबिटीज के रोगी वैक्सीन लें, पर रहे सतर्क कुछ ऐसे

मुंबई की एक फ़्लैट में रहने वाली 55 वर्षीय मधु टाइप 2 डायबिटीज और ब्लडप्रेशर से पीड़ित है, उन्हें दवा लेनी पड़ती है. इसलिए वह वैक्सीन लेना नहीं चाहती, क्योंकि वह बाहर नहीं निकलती और उनके किसी रिश्तेदार ने वैक्सीन लेने के दो दिन बाद कोविड 19 से पीड़ित हुई और इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया. मधु को लगता है कि उनके रिश्तेदार की मत्यु वैक्सीन लगाने से हुई है. इसलिए वह वैक्सीन नहीं लगाएगी , जबकि वैक्सीन से किसी की मौत नहीं हो सकती, क्योंकि ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और 18 वर्ष से ऊपर सभी वयस्कों के लिए ये वैक्सीन सुरक्षित है.

इस बारें में शांति पवन मल्टीस्पेशलिटी केयर के एम डी डॉ. रितेश कुमार अगरवाला कहते है कि टाइप 1 और टाइप 2  वाले मधुमेह रोगियों के लिए टीका लगवाने के फायदे, टीका न लगवाने से उत्पन्न  रिस्क के मुकाबले कहीं अधिक होते है .मधुमेह रोगियों को कोविड-19 होने से कोविड के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारियाँ दिखने लग जाती हैं. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वैक्सीन की बारी आते ही जल्द से जल्द कोरोना वायरस का टीका लगवाए . असल में कोरोना वायरस का टीका आपको कोरोना वायरस से जुड़ी गंभीर बिमारियों से बचाने में सहायक होती है. कोरोना वायरस के टीके कोविड-19 की संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है, इसलिए टीका लगवाने के बाद होने वाली समस्या के बारें में न सोचे, क्योंकि जब तक सभी लोग वैक्सीन नहीं लगवाते, कोविड को म्यूटेंट होने से रोकना मुश्किल है, क्योंकि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाया है, कोविड के वायरस उनके शरीर में प्रवेश कर अपना रूप बदलती है. जबकि वैक्सीन हमेशा वायरस के खिलाफ इम्युनिटी  को बढ़ाने में सक्षम होती है.

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डॉ. रितेश कुमार अगरवाला का आगे कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान डॉक्टरों ने मधुमेह रोगियों को ब्लड शुगर का स्तर बरकरार रखने की सलाह दी थी. ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर मधुमेह रोगी कोरोना वायरस से जुड़ी गंभीर जटिलताओं के पैदा होने की रिस्क कम कर सकते है. डायबिटीज के मरीजों को पता होना चाहिए कि ब्लड शुगर का स्तर ठीक रखने के बावजूद उनके शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो सकती है, ऐसे व्यक्ति को संक्रमण से लड़ना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए उन्हें अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस का टीका अवश्य लगवाना चाहिए. डायबिटीज के रोगी को कोरोना वायरस का टीका लगवाने से पहले निम्न बातों का खास ध्यान रखना आवश्यक है,

  • ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखें,
  • अगर आपको कभी किसी टीके से गंभीर एलर्जी हो चुकी है, तो डॉक्टर से सलाह लें,
  • तनाव से बचें,
  • टीका लगवाने की निर्धारित तिथि से पहले रात को गहरी नींद लें,
  • प्रोटीनयुक्त भोजन करें आदि

कोरोना वायरस का टीका लगवाने के बाद भी मधुमेह के रोगी को कुछ बातों का ख्याल रखना जरुरी है,

  • टीका लगवाने के बाद तुरंत होने वाली किसी भी रिएक्शन पर नजर रखें,
  • कैफीनयुक्त पेय लेने से बचें,
  • इंजेक्शन लगने वाली जगह पर आइस पैक या गर्म सेंक न लगायें,
  • टीका लगवाने के तुरंत बाद बहुत अधिक शारीरिक श्रम न करें,
  • कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त खाना न खाएं आदि.

आम तौर पर टीका लगवाने के बाद लोगों को हल्का बुखार होने, दाने निकलने, इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत रहती है. ये लक्षण टीका लगवाने के कुछ दिनों बाद ही गायब हो जाती है, लेकिन किसी कारणवश ये लक्षण दूर नहीं होते है , तो किसी डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.

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इन सभी सावधानियों के अलावा मधुमेह रोगियों को ऐसे भोजन लेने चाहिए, जो एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-इनफ्लेमेटरी हों, क्योंकि टीका लगवाने के बाद ऐसे भोजन रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहयोग देती है. मछली, अंडा और चिकन जैसे खाद्य पदार्थ एंटी-इनफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो इंजेक्शन लगने वाली जगह की सूजन घटाते है. टीका लगवाने के बाद फल और सब्जियां खाने से भी इम्युनिटी  बढ़ सकती है.

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डायबिटीज पैरों का दुश्मन

आजकल जैसे जैसे डायबिटीज के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, वैसेवैसे ही उन के पैरों की दुर्दशा भी हो रही है. अपने देश में डायबिटीज के मरीजों के पैर कटने की प्रतिवर्ष की औसत दर अब 10% है यानी 100 डायबिटीज के मरीजों में से 10 मरीज हर साल अपने पैर खोते हैं. लोग यह नहीं जानते कि डायबिटीज के मरीजों को पैर कटने का खतरा बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा होता है. लंबे समय से चल रही डायबिटीज, खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा, पेशाब में ऐल्ब्यूमिन का होना, आंखों की रोशनी का कम होना, पैरों में झनझनाहट की शिकायत रहना व खून की सप्लाई का कम होना आदि बातें डायबिटीज के मरीजों में पैर खोने का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कारण बनती हैं.

डायबिटीज शरीर के सारे अंगों को देरसवेर दबोच लेती है. दिल और दिमाग पर तो इस का खास असर होता है, पर टांगें भी इस की शिकार होती हैं.

लापरवाही बरतें

डायबिटीज के मरीज यह नहीं समझते कि डायबिटीज पैरों का सब से बड़ा दुश्मन है. और तो और लोग भ्रमवश यह भी समझते हैं कि डायबिटीज के मरीज के घास पर नंगे पैर चलने से शरीर के सभी अंगों, विशेषकर पैरों को बड़ा लाभ मिलता है. चलने से पैरों में अगर दर्द व झनझनाहट होती है, तो उस को नजरअंदाज कर दिया जाता है. लोग नहीं समझते कि डायबिटीज के मरीज द्वारा बरती गई लापरवाही उस के विकलांग होने का सीधा कारण बन सकती है. पैर की तो छोड़ो, लोग अपने खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने को ले कर ही गंभीर नहीं होते. इस का परिणाम यह होता है कि खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा दिनोंदिन बढ़ती चली जाती है.

अगर चलने से पैरों में दर्द होता है और ज्यादा चलने से पीड़ा असहनीय हो जाती है तो डायबिटीज के मरीज को समझ लेना चाहिए कि उस के पैरों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. डायबिटीज में पैरों को सब से ज्यादा नुकसान 2 चीजें पहुंचाती हैं. एक तो न्यूरोपैथी और दूसरी टांगों की रक्त नली में जाने वाली शुद्ध खून की मात्रा में कमी होना.

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पैरों में शुद्ध खून की सप्लाई में कमी होने के 2 कारण होते हैं. एक तो टांगों की खून की नली के अंदर निरंतर चरबी व कैल्सियम जमा होना, जिस के कारण नली में सिकुड़न आ जाती है. इस का परिणाम यह होता है कि पैरों में जाने वाली शुद्ध खून की सप्लाई में बाधा पहुंचती है और अगर समय रहते रोकथाम न की गई तो खून की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है. यह एक गंभीर अवस्था है.

दूसरा कारण एक विशेष किस्म की न्यूरोपैथी का होना होता है, जिसे मैडिकल भाषा में ए.एस.एन. (औटोनौमिक सिंपैथेटिक न्यूरोपैथी) कहते हैं. इस विशेष न्यूरोपैथी के कारण शुद्ध खून त्वचा में स्थित अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाता है. इस की वजह शुद्ध खून की शौर्ट सर्किटिंग होना होता है. ठीक उसी तरह जैसे कोई रेल यात्री निर्धारित स्टेशन तक न पहुंच कर बीच रास्ते में ही वापसी की ट्रेन पकड़ने लगे.

टांगों में असहनीय पीड़ा

इस तरह से खून की सप्लाई में महत्त्वपूर्ण कमी आने पर टांगों में असहनीय दर्द होता है व त्वचा का रंग बदलने लगता है. डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह ऐसी दशा में तुरंत किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श ले.

डायबिटीज के मरीज के पैरों को एक दूसरी न्यूरोपैथी (सेंसरी व मोटर) भी अपनी चपेट में ले लेती है, जिस के कारण पैरों में विशेषकर पैर के तलुओं व एड़ी में दर्द व झनझनाहट की समस्या खड़ी हो जाती है. होता यह है कि पैर की मांसपेशियां, न्यूरोपैथी की वजह से हलके

फालिज का शिकार हो जाती हैं, जिस से पैर की हड्डियों को आवश्यक आधार न मिलने के कारण उन पर अनावश्यक दबाव पड़ने लगता है. इस के साथ ही जोड़ों की क्रियाशीलता में भी कमी आ जाती है. इन सब समस्याओं का असर यह होता है कि पैरों में दर्द व झनझनाहट की शिकायत हमेशा बनी रहती है और चलने से और बढ़ जाती है.

डायबिटीज में पैर की त्वचा में कभीकभी जरूरत से ज्यादा खुश्की पैदा हो जाती है. इस खुश्की की वजह से त्वचा में फटन व चटकन होने लगती है और गड्ढे बन जाते हैं, जो पैरों में इन्फैक्शन पैदा होने का सबब बन जाते हैं.

डायबिटीज में त्वचा के खुश्क होने का बहुत बड़ा कारण डायबेटिक ओटौनौमिक न्यूरोपैथी का होना है, जिस की वजह से पसीने को पैदा करने वाली और त्वचा को चिकना बनाने वाली ग्रंथियां सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती हैं. इसी खुश्की व फटन के कारण डायबिटीज के मरीजों के पैरों में जल्दी घाव बनते हैं और इन्फैक्शन अंदर तक पहुंच जाता है. इन्फैक्शन को नियंत्रण में लाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. कभीकभी तो इस में औपरेशन की जरूरत पड़ती है.

डायबिटीज में पैर की हड्डियों पर मांसपेशियों के कमजोर हो जाने से दबाव बढ़ जाता है. इस निरंतर पड़ने वाले दबाव के कारण त्वचा में दबाव वाले स्थानों पर गोखरू का निर्माण हो जाता है. इस गोखरू के कारण डायबिटीज के मरीज को ऐसा लगता है जैसे जूते के अंदर कोई कंकड़ रखा हुआ है. इस गोखरू की वजह से पैरों में दर्द और असहनीय हो जाता है और इन्फैक्शन होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

इलाज

अगर डायबिटीज के मरीज को चलने से पैरों में दर्द होता है या रात में बिस्तर पर लेटने पर झनझनाहट की शिकायत रहती है तो वह किसी वैस्क्युलर सर्जन की सलाह ले. दर्द का कारण जानना बहुत जरूरी है. अकसर लोग इस तरह के रोग को गठिया या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और हड्डी विशेषज्ञ से परामर्श लेने पहुंच जाते हैं. दर्द का कारण जानने के लिए कुछ विशेष जांचें. जैसे डाप्लर स्टडी व मल्टी स्लाइस सी.टी. ऐंजियोग्राफी का सहारा लेना पड़ता है. किसी ऐसे अस्पताल में जाएं जहां इन सब जांचों की सुविधा हो. इन विशेष जांचों के परिणाम के आधार पर ही आगे इलाज की दिशा का निर्धारण होता है.

डायबिटीज में पैरों को कटने से बचाने के लिए टांगों की बाईपास सर्जरी का सहारा लिया जाता है, जिस से पैरों को जाने वाली खून की सप्लाई को बढ़ाया जा सके. इस से घाव को भरने में मदद मिलती है. कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐंजियोप्लास्टी का भी सहारा लेना पड़ता है.

जांघ के नीचे की जाने वाली ऐंजियोप्लास्टी व इंस्टैंटिंग ज्यादा सफल नहीं रहती, क्योंकि इस के परिणाम शुरुआती दिनों में लुभावने लगते हैं पर ज्यादा दिनों तक इस से मिलने वाला लाभ टिकाऊ नहीं रहता. इसलिए इलाज की दिशा निर्धारण करने में बहुत सोचसमझ कर काम करना पड़ता है. हमेशा ऐसे अस्पताल में जाएं जहां किसी अनुभवी वैस्क्युलर सर्जन की उपलब्धता हो और पैरों की बाईपास सर्जरी नियमित रूप से होती हो. पैरों की रक्त सप्लाई को बढ़ाने के लिए कुछ विशेष जरूरी दवाओं का भी सहारा लेना पड़ता है.

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पैर को बचाने की दिशा में किए गए सारे प्रयास असफल हो जाते हैं, अगर डायबिटीज के मरीज ने धूम्रपान व तंबाकू का सेवन पूर्णतया बंद नहीं किया. यह बात अच्छी तरह समझ लें कि सिगरेट की संख्या व तंबाकू की मात्रा कम कर देने से पैरों के स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए सिगरेट या तंबाकू मैं ने कम कर दी हैं की दलील दे कर अपनेआप को झुठलाएं नहीं. इस बात को समझें कि अगर धूम्रपान व तंबाकू से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ा तो टांगों की बाईपास सर्जरी फेल हो जाएगी.

इलाज को असफल करने में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप ने 5-6 किलोमीटर चलने का नियम बरकरार नहीं रखा और कोलैस्ट्रौल, शुगर व वजन पर अंकुश नहीं लगाया तो देरसवेर पैर खोने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. चाहे कितनी भी अच्छी सर्जरी व इलाज हुआ हो.

डायबिटीज का मरीज कभी भी घर के अंदर व बाहर नंगे पांव न चले और जूते कभी भी बगैर मोजों के न पहने. डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष किस्म के जुराब व जूते आजकल उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव अपने वैस्क्युलर सर्जन की सलाह पर करना चाहिए. इस के अलावा डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह प्रतिदिन 5 से 6 किलोमीटर पैदल चले. नियमित चलना पैरों की शुद्ध खून की सप्लाई को बढ़ाने व न्यूरोपैथी का पैरों पर प्रभाव कम करने का सब से उत्तम उपाय है. पैरों को स्वच्छ व नमीरहित रखें और रक्त में हमेशा ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रण में रखें. रक्त में अनियंत्रित शुगर का होना भविष्य में पैर खोने का साफ संकेत है. इस के साथ ही टांगों की त्वचा को खुश्की व सूखेपन से बचाएं और गोखरू को पनपने न दें.

हर 3 महीने में अपने पैरों की जांच किसी वैस्क्युलर सर्जन से जरूर कराएं. अगर किसी भी अवस्था में पैरों में फफोले व लाल चकत्ते दिखें तो बगैर लापरवाही किए किसी वैस्क्युलर सर्जन से तुरंत परामर्श लें.

डा. के.के. पांडेय

सीनियर वैस्क्युलर एवं कार्डियो थोरेसिक सर्जन, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली.

डाईबेसिटी को नियंत्रित करने के लिए 7 डाइट टिप्स

एक रिसर्च के मुताबिक जवान बच्चों में डायबिटीज अधिक पाई जा रही है. इन बच्चों में डायबिटीज के साथ साथ मोटापे की समस्या भी देखने को मिलती है. अतः इन दोनों चीजों को साथ मिलाकर डाईबेसिटी नाम दिया गया है. यह ज्यादातर 20-79 साल के लोगों में अधिक देखी जाती है.

आपकी डाइट आपकी बीमारी को ठीक करने या उसे और बढ़ाने की जिम्मेदार होती है. अतः यदि आप डाईबेसिटी के मरीज हैं तो आपको अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होता है. तो आइए जानते हैं कुछ डाइट टिप्स के बारे में जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं.

1. स्वयं को हाइड्रेटेड रखें :

स्वयं को हाइड्रेटेड रखने के लिए सोड़ा या अन्य प्रकार की ड्रिंक्स को अवॉइड करें और सादे पानी का प्रयोग करें. आपको अपनी शुगर लेवल नियंत्रण में रखनी होती है इसलिए किसी भी शुगर ड्रिंक का प्रयोग न करें अन्यथा आपकी डायबिटीज और अधिक भयंकर रूप ले सकती है. अतः स्वयं को हाइड्रेटेड रखें और इसके लिए केवल पानी ही पिएं.

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2. हेल्दी कार्ब्स खाएं :

आपको अपनी डाइट में कम से कम कार्ब्स रखने चाहिए. और जितने कार्ब्स आप अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं उन्हें हेल्दी रखें. बहुत ज्यादा कार्ब्स से भी आपका डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ सकता है.

3. अपनी डाइट में होल ग्रेंस शामिल करें :

अपनी डाइट में होल ग्रेन जैसे ब्राउन चावल, होल ओट्स आदि चीजों को शामिल करें. आपको उन चीजों को अपनी डाइट से हटा देना चाहिए जिनमें कम फाइबर होता है जैसे सफेद ब्रेड, सफेद चावल व बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड.

4. फाइबर से युक्त डाइट रखें :

आपको हर चीज एक सीमित मात्रा में ही खानी चाहिए और केवल हेल्दी चीजें ही खानी चाहिए. आप अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर चीजें शामिल कर सकते हैं. इससे आपकी डायबिटीज़ नियंत्रित होने में मदद मिलेगी और आपकी ब्लड शुगर भी नियंत्रित होगी. इसके लिए आप ब्रोकली, स्प्राउट, गाजर, फूल गोभी व फलियां आदि चीजें शामिल कर सकते हैं.

5. रेड मीट खाएं :

यदि आप कुछ प्रकार का रेड मीट जैसे बेकन, बीफ आदि खाना पसंद करते हैं तो इनसे आपको हृदय से सम्बन्धित समस्याएं हो सकती हैं जिससे आपको कैंसर का भी खतरा हो सकता है. इसलिए इन रेड मीट की बजाए आप अंडे, मछली व पोल्ट्री के पदार्थ खा या पी सकते हैं. बीन्स, मटर व दाल आदि भी फाइबर से भरपूर होते हैं और अपने ग्लूकोज को भी ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं. अतः आप इनको भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

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6. हेल्दी फैट्स को शामिल करें :

यह तो आपको पता ही होगा कि यदि आप ज्यादा फैट खाते हैं तो आप ज्यादा मोटे होते हैं और जिन लोगों को डायबिटीज होती है उन्हें अपने मोटापे का भी खास ख्याल रखना पड़ता है. इसलिए मोटापे को कंट्रोल करने के लिए आपको केवल वहीं फैट्स खाने चाहिए जो आपकी सेहत को ज्यादा नुक़सान न पहुंचाएं और जो आपके शरीर के लिए हेल्दी हों. ऐसे फैट का उदाहरण अन सैचुरेटेड फैट होता है.

7. एडेड शुगर को खाएं :

यदि आप ज्यादा शुगर खाते हैं तो आप बहुत ही बड़ी गलती कर रहे हैं. अपनी डाइट से जितना हो सके उतना शुगर को कट कर दें. आप चाहें तो ऐसी चीजें खा सकते हैं जिनमें नेचुरल शुगर होती है जैसे कुछ फल. लेकिन आप इन चीजों को भी केवल सीमित मात्रा में ही खाए. अन्यथा आपकी शुगर बढ़ सकती है. यदि आप जूस, काफी आदि ड्रिंक्स के ज्यादा आदी हो गए हैं तो आप इन्हें बिना शुगर एड किए पी सकते हैं. इससे आपको ज्यादा नुक़सान नहीं होगा. इसके अलावा आप स्नैक्स भी वही खाएं जिनमे शुगर की मात्रा बहुत ही कम हो.

डॉ दीपक वर्मा, इंटरनल मेडिसिन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गाजियाबाद

क्या डायबिटीज से भविष्य में मुझे हड्डियों से जुड़ी तकलीफ होने की आशंका है?

सवाल

मैं 36 साल की हूं. मुझे मधुमेह (डायबिटीज) है. क्या इस वजह से भविष्य में मुझे हड्डियों से जुड़ी तकलीफ होने की आशंका है? अगर हां, तो उस का सामाधान बताएं?

जवाब

अगर आप डायबिटिक हैं, तो आप को डाक्टर से मिल कर सटीक डाइट चार्ट का अनुसरण करना चाहिए. आप को हड्डियों और जोड़ों से संबंधित कई तरह की तकलीफें होने की आशंका ज्यादा है. शोध बताते हैं कि ऐसे लोगों को आर्थ्राइटिस और जोड़ों का दर्द जैसी समस्या होने का खतरा दोगुना रहता है. आप को जब जोड़ों में दर्द का एहसास हो तो ‘हौट ऐंड कोल्ड अप्रोच’ आजमाएं. व्यायाम से भी प्रभावित मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी और दर्द के साथसाथ सूजन भी कम होगी.

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डायबिटीज मरीजों में बढ़ रहा है कैंसर का खतरा

अगर आप डायबिटीज मरीज हैं तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. हाल ही में हुए शोध में ये बात सामने आई कि डायबीटिज यानी मधुमेह के मरीजों में कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है. स्वीडिश नेशनल डायबिटीज रजिस्टर (SNDR) ने अपने शोध के बाद दुनिया भर के लोगों को सेहत के प्रति सजग रहने के लिए आगाह किया है.

SNDR के शोधकर्ताओं ने ये बताया है कि डायबिटीज मरीजों में कैंसर की संभावना बढ़ रही है. इसके साथ ही व्यक्ति की उम्र भी काफी कम हो जाती है. इन मरीजों में आम लोगों के मुकाबले कोरेलेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, वहीं महिला मरीजों में स्तन कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है.

इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले जोर्नस्डोटिर ने कहा कि उनका शोध इस बात की पुष्टि नहीं करता कि सभी डायबिटीज मरीजों को कैंसर का खतरा है. बल्कि उनके शोध में ये बात सामने आई कि पिछले 30 साल में ‘टाइप 2 डायबिटीज’ से पीड़ितों की संख्या बढ़ी है जो उनके अध्ययन में इसके देखभाल के महत्व पर जोर देता है. डायबीटिज केवल भारत ही नहीं दुनिया भर के लोगों के लिए चुनौती है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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डायबिटीज में रहें इन 6 सब्जियों से दूर

डायबिटीज आजकल लोगों में होने वाली आम समस्या है, लेकिन कईं बार केवल दवाई खाने के बावजूद आपका डायबिटीज कंट्रोल नही होता. डायबिटीज कंट्रोल न होने के कई कारण है, जिनमें रोजाना खाने वाला फूड भी है. अक्सर हम डायबिटीज होने के बावजूद कई ऐसी सब्जियां खा लेते हैं, जो आपकी हेल्थ को ज्यादा खराब कर देती है. इसीलिए आज हम आपको डायबिटीज की प्रौब्लम में दूर रहने वाली सब्जियों के बारे में बताएंगे…

डायबिटीज में रहें चुकंदर से दूर

चुकंदर भले ही सलाद के रूप में एक बेहतरीन चीज मानी जाती है लेकिन डायबिटीज रोगी के लिए यह सही नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मिठास ज्यादा होती है. ऐसा नहीं कि आप चुकंदर एकदम नहीं खा सकते लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम या वीक में एक बार हो सकती है.

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बींस को बिना उबाले न खाएं

बींस भले ही मीठा न होता हो लेकिन ये स्टार्च से भरा होता है. डायबिटीज में मीठा ही नहीं स्टार्च भी खाना मना होता है. ऐसे में ये हरी सब्जी भले ही हो लेकिन स्टार्च ज्यादा होने के कारण इसे भी खाने से बचना चाहिए। अगर बहुत पसंद हो बीन्स तो आप इसे उबाल कर खा सकते हैं.

टमाटर और कौर्न से भी रहें दूर

टमाटर सिट्रिक एसिड सेभरा होता है लेकिन मीठा भी. ऐसे में इसे भी खाने से बचना बहुत जरूरी है. स्वीट कौर्न भी मीठास से भरा होता है साथ ही इसमें स्टार्च भी भरपूर होता है. ऐसे में ये किसी भी रूप में ये हेल्थ के लिए सही नहीं होता. खास कर डायबिटीज मरीजों के लिए तो बिलकुल नहीं.

सूरन और अरबी

आलू की प्रजाति का होने के कारण अरबी और सूरन भी स्टार्च युक्त सब्जी होती है. मीठा भी ये काफी होता है, इसलिए डायबिटीज रोगी को इससे दूर रहना चाहिए.

आलू या शकरकंदी

आलू और शंकरकंदी स्टार्च और मीठास से भरा होता है. इसे भी खाने से डायबिटीज रोगियों को परहेज करना चाहिए। उबाला हुआ कभी कभार खाया जा सकता है.

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कद्दू से बचना है जरूरी

कद्दू भी बेहद मीठास से भरा होता है ऐसे में पका कद्दू मो बिलकुल भी डायबिटीज रोगियों को नहीं खाना चाहिए. हरा कद्दू कभी कभार खाया जा सकता है. इन सब्जियों से दूर रहकर आप अपने आप को डायबिटीज से होने वाली खतरनाक बीमारियों से दूर रह पाएंगे. साथ ही एक हेल्दी लाइफ बिना किसी टेंशन के जी पाएंगे.

6 मसाले जो कंट्रोल करेंगे आपकी डायबिटीज

डायबिटीज (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जो कि शायद ही ठीक की जा सकती है. इससे पहले कि यह आपके अंगों को खराब करें उससे पहले इसे कंट्रोल कर लेने में ही भलाई है.

कुछ ऐसे मसाले हैं जो कि मधुमेह को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं. यह मसाले उन रोगियों को एक आस देते हैं जो सोचते हैं कि डायबिटीज को केवल इंसुलिन इंजेक्‍शन और शुगर सप्‍पलीमेंट से ही कंट्रोल किया जा सकता है.

मसालों की यह लिस्‍ट बचाएगी आपको डायबिटीज से

1. दालचीनी

यह मसाला डायबिटीज को कंट्रोल करने में सबसे अधिक कारगर है क्‍योंकि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है. रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है. इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्‍स कर पिएं.

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2. लौंग

इस मसाले में दालचीनी के मुकाबले कई गुना अधिक पौलफिनौल होता है. लेकिन यह उतनी अधिक मात्रा में नहीं खाया जा सकता जितना आप दालचीनी को खा सकते हैं. इसलिये यह मसाला दूसरे स्‍थान पर आता है.

3. हरी मिर्च

प्रतिदिन भोजन के साथ दो तीन ताजी हरी मिर्च कच्ची सेवन करने से मधुमेह रोग में अच्छा लाभ होता है. हरी मिर्च विटामिन ‘सी’ का अच्छा स्रोत होने के साथ:साथ पाचक ग्रंथियों के लिए भी उत्तेजक है एवं कब्ज को दूर करती है. उल्लेखनीय है कि मधुमेह रोगी को कब्ज और अपच की शिकायत आम होती है.

4. हल्दी

मधुमेह रोगी यदि प्रतिदिन आधा चम्मच हल्दी का सेवन करे तो फायदा होगा. हल्दी एक उत्तम जैव प्रतिरोधी मसाले के रूप में विख्यात है. इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. घाव या चोट पकने नहीं पाता, किसी कारण से लगी अंदरूनी मार भी शीघ्र ठीक हो जाती है.

5. अजवायन की पत्‍ती

जिस तरह से हल्‍दी बैक्‍टीरिया और वाइरल इंफेक्‍शन से बचाती है उसी तरह से अजवायन भी मधुमेह रोगी को फंगल इंफेक्‍शन से बचाती है.

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6. लहसुन

इसे खाने से दिल की बीमारी दूर रहेगी और ब्‍लड प्रेशर हमेशा कंट्रोल में रहेगा. इसलिये लहसुन का सेवन मधुमेह रोगी के लिये आवश्‍यक बनाता है. यह हार्ट पंप को मजबूत बनाएगा और ब्‍लड सर्कुलेशन भी नार्मल करेगा.

10 टिप्स: डायबिटीज में ऐसे रखें पैरों का ख्याल

आजकल लोग अपने आपको फिट रखने की भरपूर कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी किसी न किसी बिमारी का शिकार हो जाते हैं. जिनमें डायबिटीज सबसे आम है. डायबिटीज आजकल आम बिमारी हो गयी हैं. भारत में डायबिटीज के मरीजों के पैर कटने की प्रतिवर्ष की औसत दर अब 10% है यानी 100 डायबिटीज के मरीजों में से 10 मरीज हर साल अपने पैर खोते हैं. लोग यह नहीं जानते कि डायबिटीज के मरीजों को पैर कटने का खतरा बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा होता है. लंबे समय से चल रही डायबिटीज, खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा, पेशाब में एल्ब्यूमिन का होना, आंखों की रोशनी का कम होना, पैरों में झनझनाहट की शिकायत रहना व खून की सप्लाई कम होना डायबिटीज का शिकार होने की निशानी है.

1. डायबिटीज में लापरवाही बरतने से बचें

डायबिटीज के मरीज यह नहीं समझते कि डायबिटीज पैरों का सब से बड़ा दुश्मन है. और तो और लोग भ्रमवश यह भी समझते हैं कि डायबिटीज के मरीज के घास पर नंगे पैर चलने से शरीर के सभी अंगों, विशेषकर पैरों को बड़ा लाभ मिलता है. चलने से पैरों में अगर दर्द व झनझनाहट होती है, तो उस को नजरअंदाज कर दिया जाता है. लोग नहीं समझते कि डायबिटीज के मरीज द्वारा बरती गई लापरवाही उस के विकलांग होने का सीधा कारण बन सकती है. पैर की तो छोड़ो, लोग अपने खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने को ले कर ही गंभीर नहीं होते. इस का परिणाम यह होता है कि खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा दिनोंदिन बढ़ती चली जाती है.

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2. पैरों पर होने वाले नुकसान के बारे में जानें

अगर चलने से पैरों में दर्द होता है और ज्यादा चलने से पीड़ा असहनीय हो जाती है तो डायबिटीज के मरीज को समझ लेना चाहिए कि उस के पैरों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. डायबिटीज में पैरों को सब से ज्यादा नुकसान 2 चीजें पहुंचाती हैं. एक तो न्यूरोपैथी और दूसरी टांगों की रक्त नली में जाने वाली शुद्ध खून की मात्रा में कमी होना. पैरों में शुद्ध खून की सप्लाई में कमी होने के 2 कारण होते हैं. एक तो टांगों की खून की नली के अंदर निरंतर चरबी व कैल्सियम जमा होना, जिस के कारण नली में सिकुड़न आ जाती है. इस का परिणाम यह होता है कि पैरों में जाने वाली शुद्ध खून की सप्लाई में बाधा पहुंचती है और अगर समय रहते रोकथाम न की गई तो खून की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है. यह एक गंभीर अवस्था है.

3. न्यूरोपैथी के बारे में जानें

दूसरा कारण एक विशेष किस्म की न्यूरोपैथी का होना होता है, जिसे मैडिकल भाषा में ए.एस.एन. (औटोनौमिक सिंपैथेटिक न्यूरोपैथी) कहते हैं. इस विशेष न्यूरोपैथी के कारण शुद्ध खून स्किन में स्थित अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाता है. इस की वजह शुद्ध खून की शौर्ट सर्किटिंग होना होता है. ठीक उसी तरह जैसे कोई रेल यात्री निर्धारित स्टेशन तक न पहुंच कर बीच रास्ते में ही वापसी की ट्रेन पकड़ने लगे.

4. टांगों में असहनीय पीड़ा

इस तरह से खून की सप्लाई में महत्त्वपूर्ण कमी आने पर टांगों में असहनीय दर्द होता है व स्किन का रंग बदलने लगता है. डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह ऐसी दशा में तुरंत किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श ले. डायबिटीज के मरीज के पैरों को एक दूसरी न्यूरोपैथी (सेंसरी व मोटर) भी अपनी चपेट में ले लेती है, जिस के कारण पैरों में विशेषकर पैर के तलुओं व एड़ी में दर्द व झनझनाहट की समस्या खड़ी हो जाती है. होता यह है कि पैर की मांसपेशियां, न्यूरोपैथी की वजह से हलके फालिज का शिकार हो जाती हैं, जिस से पैर की हड्डियों को आवश्यक आधार न मिलने के कारण उन पर अनावश्यक दबाव पड़ने लगता है. इस के साथ ही जोड़ों की क्रियाशीलता में भी कमी आ जाती है. इन सब समस्याओं का असर यह होता है कि पैरों में दर्द व झनझनाहट की शिकायत हमेशा बनी रहती है और चलने से और बढ़ जाती है.

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5. डायबिटीज से पैरों की स्किन पर होता है नुकसान

डायबिटीज में पैर की स्किन में कभी-कभी जरूरत से ज्यादा खुश्की पैदा हो जाती है. इस खुश्की की वजह से स्किन में फटन व चटकन होने लगती है और गड्ढे बन जाते हैं, जो पैरों में इन्फैक्शन पैदा होने का सबब बन जाते हैं.

डायबिटीज में स्किन के खुश्क होने का बहुत बड़ा कारण डायबेटिक ओटौनौमिक न्यूरोपैथी का होना है, जिस की वजह से पसीने को पैदा करने वाली और स्किन को चिकना बनाने वाली ग्रंथियां सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती हैं. इसी खुश्की व फटन के कारण डायबिटीज के मरीजों के पैरों में जल्दी घाव बनते हैं और इन्फैक्शन अंदर तक पहुंच जाता है. इन्फैक्शन को नियंत्रण में लाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. कभीकभी तो इस में औपरेशन की जरूरत पड़ती है.

6. हड्डियां भी होती हैं कमजोर

डायबिटीज में पैर की हड्डियों पर मांसपेशियों के कमजोर हो जाने से दबाव बढ़ जाता है. इस निरंतर पड़ने वाले दबाव के कारण स्किन में दबाव वाले स्थानों पर गोखरू का निर्माण हो जाता है. इस गोखरू के कारण डायबिटीज के मरीज को ऐसा लगता है जैसे जूते के अंदर कोई कंकड़ रखा हुआ है. इस गोखरू की वजह से पैरों में दर्द और असहनीय हो जाता है और इन्फैक्शन होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

7. वैस्क्युलर सर्जन की लें सलाह

अगर डायबिटीज के मरीज को चलने से पैरों में दर्द होता है या रात में बिस्तर पर लेटने पर झनझनाहट की शिकायत रहती है तो वह किसी वैस्क्युलर सर्जन की सलाह ले. दर्द का कारण जानना बहुत जरूरी है. अकसर लोग इस तरह के रोग को गठिया या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और हड्डी विशेषज्ञ से परामर्श लेने पहुंच जाते हैं. दर्द का कारण जानने के लिए कुछ विशेष जांचें. जैसे डाप्लर स्टडी व मल्टी स्लाइस सी.टी. ऐंजियोग्राफी का सहारा लेना पड़ता है. किसी ऐसे अस्पताल में जाएं जहां इन सब जांचों की सुविधा हो. इन विशेष जांचों के परिणाम के आधार पर ही आगे इलाज की दिशा का निर्धारण होता है.

8. बाईपास सर्जरी का लिया जा सकता है सहारा

डायबिटीज में पैरों को कटने से बचाने के लिए टांगों की बाईपास सर्जरी का सहारा लिया जाता है, जिस से पैरों को जाने वाली खून की सप्लाई को बढ़ाया जा सके. इस से घाव को भरने में मदद मिलती है. कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐंजियोप्लास्टी का भी सहारा लेना पड़ता है.

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जांघ के नीचे की जाने वाली ऐंजियोप्लास्टी व इंस्टैंटिंग ज्यादा सफल नहीं रहती, क्योंकि इस के परिणाम शुरुआती दिनों में लुभावने लगते हैं पर ज्यादा दिनों तक इस से मिलने वाला लाभ टिकाऊ नहीं रहता. इसलिए इलाज की दिशा निर्धारण करने में बहुत सोचसमझ कर काम करना पड़ता है. हमेशा ऐसे अस्पताल में जाएं जहां किसी अनुभवी वैस्क्युलर सर्जन की उपलब्धता हो और पैरों की बाईपास सर्जरी नियमित रूप से होती हो. पैरों की रक्त सप्लाई को बढ़ाने के लिए कुछ विशेष जरूरी दवाओं का भी सहारा लेना पड़ता है.

9. धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करें बंद

पैर को बचाने की दिशा में किए गए सारे प्रयास असफल हो जाते हैं, अगर डायबिटीज के मरीज ने धूम्रपान व तंबाकू का सेवन पूर्णतया बंद नहीं किया. यह बात अच्छी तरह समझ लें कि सिगरेट की संख्या व तंबाकू की मात्रा कम कर देने से पैरों के स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए सिगरेट या तंबाकू मैं ने कम कर दी हैं की दलील दे कर अपनेआप को झुठलाएं नहीं. इस बात को समझें कि अगर धूम्रपान व तंबाकू से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ा तो टांगों की बाईपास सर्जरी फेल हो जाएगी. इलाज को असफल करने में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप ने 5-6 किलोमीटर चलने का नियम बरकरार नहीं रखा और कोलैस्ट्रौल, शुगर व वजन पर अंकुश नहीं लगाया तो देरसवेर पैर खोने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. चाहे कितनी भी अच्छी सर्जरी व इलाज हुआ हो.

10. घर के अंदर व बाहर नंगे पांव चलने से बचें

डायबिटीज का मरीज कभी भी घर के अंदर व बाहर नंगे पांव न चले और जूते कभी भी बगैर मोजों के न पहने. डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष किस्म के जुराब व जूते आजकल उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव अपने वैस्क्युलर सर्जन की सलाह पर करना चाहिए. इस के अलावा डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह प्रतिदिन 5 से 6 किलोमीटर पैदल चले. नियमित चलना पैरों की शुद्ध खून की सप्लाई को बढ़ाने व न्यूरोपैथी का पैरों पर प्रभाव कम करने का सब से उत्तम उपाय है. पैरों को स्वच्छ व नमीरहित रखें और रक्त में हमेशा ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रण में रखें. रक्त में अनियंत्रित शुगर का होना भविष्य में पैर खोने का साफ संकेत है. इस के साथ ही टांगों की स्किन को खुश्की व सूखेपन से बचाएं और गोखरू को पनपने न दें. हर 3 महीने में अपने पैरों की जांच किसी वैस्क्युलर सर्जन से जरूर कराएं. अगर किसी भी अवस्था में पैरों में फफोले व लाल चकत्ते दिखें तो बगैर लापरवाही किए किसी वैस्क्युलर सर्जन से तुरंत परामर्श लें.

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त्वचा से लेकर वीर्य के लिए लाभकारी है प्याज, जानिए और भी गुण

हमारे रोज रोज के खानपान में प्याज एक अहम हिस्सा है. खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए प्याज जरूरी है, साथ में अपने सेहतमंद गुणों के कारण ये और अधिक खास हो जाता है. इस खबर में हम आपको प्याज से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे.

सर्दी जुकाम में है लाभकारी

सर्दी जुकाम और कफ की समस्या में भी प्याज काफी असरदार होता है. इस दौरान इसके सेवन से गले को काफी आराम मिलता है. कफ होने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से काफी फायदा मिलता है.

बालों का रखे ख्याल

बालों के झड़ने में भी ये काफी असरदार होता है. अगर आपके बाल झड़ रहे हो तो आपको प्याज का सेवन खाने में करना चाहिए. इससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं.

त्वचा के लिए है फायदेमंद

आपको बता दें कि प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जीक, एंटी-औक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं. अपने इन गुणों के कारण ये कई तरह के रोगों में बेहद लाभकारी हो जाता है. इससे बहुत सी बीमारियां दूर होती हैं, कई लोगों का ये भी मानना है कि प्याज के नियमित सेवन से लोगों की आयु भी अधिक होती है. इसके साथ साथ त्वचा की झुर्रियों में भी ये बेहद लाभकारी है   और इससे त्वचा में रौनक बरकरार रहती है.

वीर्य के लिए है फायदेमंद

अपनी इन खूबियों के अलावा वीर्यवृद्धि के लिए भी सफेद प्याज के रस को शहद के साथ इस्तेमाल किया जाता है. नपुंसकता को दूर करने में ये काफी असरदार होता है.

डायबीटिज में है असरदार

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कच्चा प्याज काफी लाभकारी होता है. इसे खाने से शरीर में इंसुलिन पैदा होती है. शरीर में शुगर के लेवल को बैलेंस करने में भी प्याज का अहम योगदान होता है.

 

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