DIWALI 2019: बिंदी लगाते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

बढ़ते फैशन के दौर में बिंदी का चलन फिर से देखने को मिल रहा है. फैशन के अनुसार छोटी बिंदी को आजकल ज्यादा पसंद किया जा रहा है. महिलाएं हों या लड़कियां छोटी बिंदी लगाना ज्यादा पसंद कर रही हैं. आइए, जानते हैं बिंदी लगते वक्त किन किन बातों का ध्यान रखें-

अगर आप रंग-बिरंगी छोटी बिंदी लगा रही हैं तो अपने कपड़ों से मैच करता हुआ ही लगाएं. अगर आपने शौर्ट कुर्ती पहनी है, तो इस पर छोटी बिंदी बहुत खूबसूरत लगेगी.

छोटी बिंदी साड़ियों के साथ भी बहुत फबती है. खास कर प्रिंट और कॉटन की साड़ियों के साथ. अगर आपका सिंपल के साथ खूबसूरत दिखने का मन है तो आप लाइट मेकअप के साथ छोटी बिंदी जरूर लगाएं.

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छोटी बिंदियों में काली और लाल बिंदी सभी परिधानों के साथ खूब जचती है. अगर आपको लाल बिंदी ज्यादा पसंद है तो आप इसे कई कपड़ों के साथ मैच कर सकती हैं. काला, पीला, लाल, नीला, सफ़ेद,रानीपिंक, डार्कग्रीन, आसमानी, क्रीम आदि. इन रंगों के कपड़ों पर लाल बिंदी बहुत सुंदर लगती है.

काली बिंदी ज़्यादातर लड़कियां इस्तेमाल करती हैं. काली बिंदी के लिए कपड़ों के रंगों से मैच करना जरूरी नहीं है. इसे आप किसी भी रंग के परिधान के साथ लगा सकती हैं.

ऐसे चमकेगी बिंदिया

अगर आपकी हाइट ज्यादा है तो आप लंबी बिंदी के जगह गोल बिंदी का इस्तेमाल न करें.

छोटी हाइट वाली महिलाओं को लंबी बिंदी लगानी चाहिए.

अगर आपका रंग गोरा है तो डार्क रंग की बिंदी का इस्तेमाल करें. और यदि गेंहुआ है तो हल्के रंग की बिंदी लगाएं.

ट्रैडीशनल लुक के लिए लाल और मैरुन रंग की बिंदी का इस्तेमाल करें

शादी-पार्टी के लिए खास है यह बिंदियां

घर में किसी की शादी हो तो कई सारे फंक्शन अटेंड करने होते है. ऐसे में महिलाएं हर फंक्शन में सबसे अलग और सुंदर दिखना चाहती हैं. पर्फेक्ट हेयरस्टाइल, पर्फेक्ट मेकअप के साथ अगर बिंदी भी पर्फेक्ट हो तो चेहरे की खूबसूरती निखर जाती है.

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जब हो सगाई
अगर आप सगाई का फंक्शन अटेंड कर रही है तो बिंदी भी उसी के अनुसार होनी चाहिए.
सगाई में अगर आप कुछ सिंपल वियर कर रही हैं तो हैवी बिंदी लगाएं. इससे आपकी सिंपल ड्रेस की खूबसूरती बढ़ जाएगी. कई महिलाएं ड्रेस बहुत हैवी पहन लेती है और मेकअप भी उसी के अनुसार करती है और बिंदी भी चमक वाली लगा लेती है. इससे आपका पूरा लुक बहुत चमक वाला और फ्यूसिंग सा लगने लगता है. इसलिए जब भी कुछ हैवी पहने तो मेकअप भी हल्के करे और बिंदी भी सिंपल चुने.

हल्दी और मेहंदी की रस्म

हल्दी में पूरा घर ही हल्दी के रंग में रंग जाता है. पीले वस्त्र में सभी बहुत अच्छे दिखते है. और मेहंदी वाले दिन भी कुछ ऐसा ही हाल रहता है. ग्रीन ड्रेस में सभी बहुत खूबसूरत लगता है. अगर आप अपनी पीली और ग्रीन साड़ी के साथ बिंदी मैच करने में कनफ्यूज है तो आप कोई भी सिंपल बिंदी लेकर लगा सकती है. सिंपल बिंदी आपको एक एलीगेंट लुक देती है. पीले के साथ मारून और ग्रीन रंग में सिंपल बिंदी बहुत फबेगी.

शादी वाले दिन

शादी वाले दिन आप गोल नग वाली बिंदी लगा सकती हैं. लंबी डिजाइनर बिंदियां ऐसे फंक्शन में बहुत अलग लुक देती है. वेल्वेट बिंदी में भी अलग अलग रंग और डिजाइन मार्केट में आने लगे है.

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FESTIVAL 2019: इस दीवाली फैमिली में कड़वाहट को ऐसे करें दूर

रिश्तों की डोर बहुत नाजुक होती है. कभी-कभी न चाहते हुए भी इन में दूरियां आ जाती हैं. ऐसे में त्यौहार रिश्तों में आई दूरियों को मिटाने के लिए बेहतरीन मौका साबित हो सकते हैं और वैसे भी त्यौहारों और संबंधियों का रिश्ता गहरा होता है. त्यौहारों में संबंधी साथ न हों तो वे बेहद फीके लगते हैं, उनका मजा अधूरा ही रहता है.

1. रिश्तों में ताजगी लाते त्यौहार

त्यौहार हमें खुशी मनाने का मौका देते हैं, रूटीन लाइफ से अलग करते हैं. खुशी के ये ऐसे मौके होते हैं जिन्हें सगेसंबंधियों के साथ ऐंजौय करने से रिश्तों की खोई ताजगी को भी वापस लाया जा सकता है. परी अपना अनुभव बताती हैं, ‘‘मेरे पति और मेरे बीच अकसर इस बात को ले कर झगड़ा होता था कि वे अपने परिवार को समय नहीं देते. मैं जब भी उन से यह शिकायत करती कि वे मेरे साथ ऐंजौय क्यों नहीं करते तो हमारी बहस शुरू हो जाती, जिस की वजह से हमारा वैवाहिक जीवन बहुत ही नीरस होता जा रहा था. ‘‘लेकिन दीवाली के दिन तब हमारे सारे गिलेशिकवे दूर हो गए जब उन्होंने मुझे बिना बताए मेरी बहन और भाई को हमारे घर बुलाया और जब मैं सुबह सो रही थी तो उन सभी ने मुसकरा कर मुझे दीवाली की मुबारकबाद दी. मैं ने अपने पति, बहन और भाई के साथ बहुत ऐंजौय किया. उन के इस सरप्राइज ने तो मेरे सारे मूड को ही बदल दिया.’’

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2. करीब लाते हैं त्यौहार

समय के अभाव में एकदूसरे के साथ वक्त बिताना आज एक मुश्किल काम है. ऐसे में त्यौहार इस का अच्छा उपाय हैं. त्योहारों पर सभी की छुट्टी रहती है, इसलिए इन्हें सगेसंबंधियों के साथ मिलजुल कर मनाना चाहिए. इस से रिश्ते मजबूत होते हैं.

3. अपनों को न भूलें

अरुण एम.बी.ए. करने के लिए अमेरिका गया था. लेकिन हर त्यौहार पर अपने सभी रिश्तेदारों व दोस्तों को बधाई जरूर देता. उन्हें मैसेज और ईमेल भेजता. यानी वह दूर होते हुए भी सभी रिश्तेदारों, मित्रों से जुड़ा रहता. एकदूसरे से मेलमिलाप बढ़ाने का त्योहारों से अच्छा माध्यम और कोई नहीं हो सकता. बस जरूरत है, इन्हें याद रखने की चाहे आप अपनी जिंदगी में कितने भी व्यस्त क्यों न रहते हों अथवा दूर. त्यौहारों पर अपनों को याद करने पर आप यकीनन उन के दिलों में एक खास जगह बना लेंगे.

4. उपहार भेजें

त्योहारों के खास मौकों पर मार्केट में बहुत सुंदरसुंदर उपहार उपलब्ध होते हैं. उपहार छोटा हो या बड़ा, यह माने नहीं रखता. आप को दिखावा नहीं करना है, बल्कि उपहारों के जरिए करीबियों के प्रति अपनी भावनाएं दर्शानी हैं.

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5. बधाई अवश्य दें

अगर आप मिल कर मिठाई या गिफ्ट नहीं दे पाए तो कम से कम बधाई तो अवश्य दें. त्यौहार पर किया गया एक मैसेज या फोन भी आप के भावों को दर्शाने का अच्छा तरीका होता है. बधाई भरे मैसेज हर किसी के चेहरे पर मुसकान बिखेर जाते हैं.

6. सरप्राइज दें

त्यौहार के दिन बिना बताए ही संबंधियों व दोस्तों के घर उन की मनपसंद मिठाई ले कर पहुंच जाएं और उन्हें चौंका दें. यह निमंत्रण दे कर बुलाने से कहीं ज्यादा ऐक्साइटिंग तरीका बन जाता है. प्लानिंग से ऐंजौयमैंट करने से ज्यादा मजा चौंकाने में है.

FESTIVAL 2019: इस दीवाली ट्राय करें आलिया का नो मेकअप लुक

फेस्टिव सीजन में हम अपनी स्किन पर कई तरह के एक्सपेरिमेंट करते हैं, लेकिन कई बार ये हमारी स्किन को मैच नही करते. वहीं मेकअप की बात करें तो इन दिनों न्यूड मेकअप काफी ट्रेंड में हैं. न्यूड मेकअप यानी कम मेकअप. बौलीवुड की बात करें तो एक्ट्रेस आलिया भट्ट अक्सर न्यूड मेकअप में नजर आती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत नजर आती हैं. न्यूड मेकअप आप की स्किन को इवनटोन रखता है, जिस से चेहरा निखर कर सामने आता है. मेकअप बेस जितना न्यूट्रल होगा आप उतनी ही खूबसूरत लगेंगी. इसलिए आज हम आपको न्यूड मेकअप कैसे करें इसकी कुछ टिप्स बताएंगे.

1. चीक्स मेकअप पर ऐसे करें न्यूड मेकअप

टोनर है जरूरी: अपने चेहरे को फेस वाश से धो कर कौटन बौल को टोनर में भिगो कर उस से चेहरे को पोंछें. मेकअप से पहले जितना जरूरी फेस वाश करना होता है उतना ही जरूरी उस पर टोनर लगाना भी होता है. टोनर लगाने से चेहरे का मेकअप बरकरार रहता है और वह फैलता भी नहीं है.

 

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फाउंडेशन का चयन: फाउंडेशन का चयन अपनी स्किन टोन के हिसाब से करना चाहिए. हमेशा अपनी स्किन से मैच करता फाउंडेशन ही चुनें. हर 5 साल में स्किन टोन बदलती है. यानी आपको हर 5 साल में अपनी स्किन टोन के अनुसार अलग फाउंडेशन की जरूरत होती है. इसी तरह फाउंडेशन लगाने के बाद इसे ब्रश से एकसमान करना चाहिए. ताकि स्किन पर एकसमान रंगत दे. फाउंडेशन अपने चेहरे के रंग से एक शेड हलका यूज करें. इस से चेहरा नैचुरल लगेगा. इस के साथ ही कौंपैक्ट भी फाउंडेशन के रंग का ही यूज करें.

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कंसीलर पर हमेशा ध्यान दें: कंसीलर से चेहरे के दागधब्बों और मुंहासों को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही यह चेहरे पर दिखने वाली उम्र की रेखाओं को भी छिपाता है. इस का इस्तेमाल सिर्फ इन चीजों को छिपाने के लिए ही करें और स्किन कौंप्लैक्शन से मैच करता टू वे केक लगाएं. टू वे केक को शरीर के अन्य खुले भागों जैसे कि गरदन, पीठ, कानों एवं कानों के पीछे भी लगाएं.

ब्लशर: चीक्स पर दिन के समय रोजी ब्लशर यूज न करें. इसे रात में लगाएं और वह भी नाक से डेढ़ से 2 इंच की दूरी से लगाना शुरू करें. दिन में गुलाबी गालों पर खूबसूरती की छटा बिखेरने के लिए अपनी स्किन टोन से मैच करता बहुत ही लाइट ब्लश औन लगाना चाहिए. इस से मेकअप नैचुरल दिखता है.

2. फेस्टिवल में ऐसे करें न्यूड आई मेकअप

 

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आईशैडो: दिन में डार्क कलर का आईशैडो मेकअप को बहुत हैवी बना देता है, इसलिए हमेशा न्यूड या न्यूट्रल कलर का आईशैडो लगाएं. यह नैचुरल भी लगता है और क्लासी भी. मेकअप को नैचुरल दिखाने के लिए लाइट ब्राउन कलर से आंखों को डीप सैट कर के नैचुरल ब्राउन कलर का आईशैडो लगाएं. अगर आप को झुर्रियों की भी शिकायत है तो क्रीम आईशैडो इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उस की जगह पाउडर आईशैडो का इस्तेमाल करें. यह आप के लिए काफी अच्छा रहेगा. शिमर आईशैडो का प्रयोग न करें. यदि आईब्रोज के नीचे हाईलाइट करना चाहती हैं, तो क्रीम कलर से हाईलाइट कर सकती हैं.

आईलाइनर या मस्कारा: सुबह के समय कोशिश करें आईलाइनर या मसकारा आंखों के ऊपर और नीचे एकसाथ न लगाएं. एक पतली सी आईलाइनर या काजल की रेखा खींच सकती हैं. डार्क कलर के आईलाइनर को आंखों की लोअरलिड में लगाने से बचें. इस से आंखें थकीथकी सी लगने लगती हैं. इन की जगह व्हाइट या न्यूड कलर के शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं.

 

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शेप डिफाइन करने के लिए आईलाइनर की जगह आईलैश ज्वौइनर का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह दिखाई भी नहीं देता है और आंखों की शेप भी हाईलाइट करता है. आंखों में काजल जरूर लगाएं. इस से आंखें प्यारी और कजरारी दिखती हैं. लेकिन यदि पलकें हलकी हैं और आप उन्हें घना दिखाना चाहती हैं, तो लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर लें. उस के बाद उन पर ट्रांसपैरेंट मसकारा का सिंगल कोट लगाएं.

आईब्रो पैंसिल: आईब्रो पैंसिल या आईब्रो कलर से आईब्रोज को शेप दे सकती हैं. आईब्रो पैंसिल हमेशा लाइट कलर की लें जो आप की आईब्रोज के कलर से हलकी हो. अगर आप बहुत गोरी हैं, तो शेड एक रंग गहरा होना चाहिए. आईब्रो पैंसिल्स कई रंगों में उपलब्ध हैं. वैक्स टच वाली पैंसिल लगाने में बहुत आसान होती है और नैचुरल लुक भी देती है.

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3. लिप मेकअप करें ऐसे

 

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Got that sushine in my pocket ??

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अगर आप चाहती हैं कि आप की लिपस्टिक भी लंबे समय तक टिकी रहे तो इस के लिए लिपस्टिक लगाने से पहले कंसीलर का इस्तेमाल करना चाहिए. उस के बाद जिस रंग की लिपस्टिक लगाना चाहती हैं लगाएं, लेकिन उस से पहले लिप लाइनर से लिप्स पर आउटलाइन कर लें. ऐसा करने पर लिप्स काफी आकर्षक लगेंगे और लिपस्टिक भी लंबे समय तक टिकी रहेगी.

लिप्स नैचुरली पिंक हैं, तो उन पर केवल ट्रांसपैरेंट लिप ग्लौस लगाएं. अगर ऐसा नहीं है तो होंठों पर बहुत ही लाइट कलर जैसे कि बबलगम पिंक, पीच पिंक, लेस पिंक या कैमियो पिंक कलर की लिपस्टिक लगाएं. टिशू पेपर से ब्लौट कर लें और फिर ऊपर से हलका सा ट्रांसपैरेंट लिप ग्लौस लगा लें. इस से लिप्स नैचुरल पिंक एवं ग्लौसी नजर आएंगे.

FESTIVAL 2019: खास दिन के लिए ट्राय करें 7 ये मेहंदी डिजाइन्स

मेहंदी लगाना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन बात अगर फेस्टिवल पर मेहंदी लगाने की करें तो कोई पीछे नही रहता. आजकल मार्केट में कई तरह के डिजाइन पौपुलर हैं, जिसे आप इस दिवाली फेस्टिवल में ट्राय कर सकती हैं. आजकल के ट्रेंडी मेहंदी के डिजाइन आपके लुक पर चार चांद लगा देंगे. साथ ही आपके हाथों को और भी खूबसूरत बना देंगे. आइए आपको बताते हैं मेंहदी डिजाइन्स के कुछ खास औप्शन्स…

1. लंबे हाथों के लिए परफेक्ट है ये डिजाइन्स

अगर आपके हाथ लंबे हैं और उंगलियां बड़ी हैं तो ये डिजाइन आपके लिए परफेरक्ट औप्शन है. चेन पैटर्न के साथ मिक्स ये मिक्स मेहंदी डिजाइन आपकी लंबी उंगलियों को सिंपल, लेकिन खूबसूरत बनाएगा.

 

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2. छोटे हाथों के लिए परफेक्ट है ये डिजाइन

 

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अक्सर छोटे हाथों पर कुछ मेहंदी के डिजाइन ऐसे होते हैं जो हमारे हाथों को खूबसूरत दिखाने की बजाय बेकार बना देता है. अगर आफके पास भी ऐसा होता है तो ये मेहंदी का डिजाइन आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

3. हाथों को इस डिजाइन से दें अलग लुक

 

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अगर आप फेस्टिवल में अपने हाथों को सिंपल, लेकिन ट्रेंडी दिखाना चाहते हैं तो ये डिजाइन आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपके लुक को कम्पलीट करेगा.

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4. बेल है बेस्ट औप्शन

 

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हाथों में मेहंदी लगाने की बात की जाए तो बेल बेस्ट औप्शन होता है. अगर आपको मेहंदी के कोई डिजाइन पसंद न आए तो बेल लगाना आपके लिए बेस्ट औप्शन साबित होगा. ये आपके लुक को बेस्ट सुक देगा.

5. फुल कवर मेहंदी डिजाइन है परफेक्ट

 

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आजकल ऐसे डिजाइन मार्केट में काफी पौपुलर है. अगर आप भी कुछ ऐसे ही डिजाइन ट्राय करना चाहते हैं तो ये डिजाइन आपके लिए परफेक्ट रहेगा. इस डिजाइन से आपका हाथ सिंपल दिखेगा उतना ही आपका लुक ट्रेंडी दिखेगा.

6. चेन डिजाइन है पौपुलर 

 

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अगर आप वेडिंग के लिए नए-नए डिजाइन्स ढूंढ रही हैं तो ये औप्शन आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल लेकिन ट्रेंडी डिजाइन वाला ये औप्शन आपके लिए परफेक्ट है.

7. हाथों को खूबसूरत दिखाए ये डिजाइन

 

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अगर आप अपने हाथों को खूबसूरत दिखाना चाहती हैं तो ये मेहंदी का डिजाइन आपके लिए बेस्ट औप्शन है. हाथों को भरने के लिए ये डिजाइन आपके लिए बेस्ट औप्शन साबित होगा.

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बीमारियों से घिरते बच्चे

महानगरों में वक्त की कमी के कारण मांबाप अपने बच्चों को हरी सब्जियों, फल, दूध, अनाज का भोजन देने के बजाय फास्टफूड की ओर धकेल रहे हैं, जिस के चलते उन के शरीर में न सिर्फ अतिरिक्त चरबी जमा हो रही है, बल्कि वे कई तरह की बीमारियों की चपेट में भी हैं. अपौष्टिक खाना उन के अंदर जहां आलस्य को बढ़ा रहा है, वहीं वे उम्र से पहले ही परिपक्व भी हो रहे हैं. मोटापे या स्थूलता से ग्रस्त बच्चों में पहली समस्या यही है कि वे भावुक और मनोवैज्ञानिक रूप से समस्याग्रस्त हो जाते हैं. उन की सोचनेसमझने की शक्ति क्षीण होती है. वे बहुत ज्यादा कन्फ्यूज्ड रहते हैं.

बच्चों में मोटापा है खतरनाक

बच्चों में मोटापा जीवनभर के लिए खतरनाक विकार भी उत्पन्न कर सकता है, जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अनिद्रा रोग, कैंसर और अन्य समस्याएं. कुछ अन्य विकारों में यकृत रोग, यौवन आरंभ का जल्दी होना, या लड़कियों में मासिकधर्म का जल्दी शुरू होना, आहार विकार जैसे एनोरेक्सिया और बुलिमिया, त्वचा में संक्रमण और अस्थमा व श्वसन से संबंधित अन्य समस्याएं शामिल हो सकती हैं.

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मौत का रहता है खतरा

अध्ययनों से पता चला है कि अधिक वजन वाले बच्चों में वयस्क होने पर भी अधिक वजन बने रहने की संभावना अधिक होती है. ऐसा भी पाया गया है कि किशोरावस्था के दौरान स्थूलता वयस्क अवस्था में मृत्युदर को बढ़ाती है. मोटे बच्चों को अकसर उन के साथी चिढ़ाते हैं. ऐसे कुछ बच्चों के साथ तो खुद उन के परिवार के लोगों द्वारा भेदभाव किया जाता है. इस से उन के आत्मविश्वास में कमी आती है. सो, वे अपने आत्मसम्मान को कम महसूस करते हैं और अवसाद से ग्रस्त भी हो जाते हैं.

वर्ष 2008 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि स्थूलता से पीडि़त बच्चों में कैरोटिड धमनियां समय से पहले इतनी विकसित हो जाती हैं जितनी कि 30 वर्ष की उम्र में विकसित होनी चाहिए. साथ ही, उन में कोलैस्ट्रौल का स्तर भी असामान्य होता है. ये हृदय संबंधी रोगों के कारक हैं. कैलोरीयुक्त पेय और खाद्य पदार्थ बच्चों को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. चीनी से भरी हुई सौफ्टड्रिंक्स का उपभोग बच्चों में मोटापे में बहुत अधिक योगदान देता है. 19 महीने तक 548 बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रतिदिन 600 मिलीग्राम सौफ्टड्रिंक पीने से स्थूलता की संभावना 1.6 गुना तक बढ़ जाती है.

फास्टफूड मार्केट का पहला लक्ष्य ही बच्चे हैं

बाजार के लिए बच्चे सब से बड़े उपभोक्ता हैं. फास्टफूड मार्केट का पहला लक्ष्य ही बच्चे हैं. इस बाजार को बच्चों की सेहत से कोई लेनादेना नहीं है. उसे सिर्फ अपने उत्पाद की बिक्री से मतलब है. अत्यधिक कैलोरीयुक्त स्नैक्स आज बच्चों को हर जगह आसानी से उपलब्ध हैं. युवा फास्टफूड रैस्तरां में भोजन करना बहुत पसंद करते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि 7वीं से 12वीं कक्षा के 75 प्रतिशत स्टूडैंट्स फास्टफूड खाते हैं.

फास्टफूड बढ़ाता है मोटापा

फास्टफूड उद्योग बच्चों में मोटापे को बढ़ाने में सब से ज्यादा योगदान दे रहा है. अकेले मैकडोनल्ड्स की 13 वैबसाइटें हैं जिन्हें हर महीने 3,65,000 बच्चे और 2,94,000 किशोर देखते हैं. यह उद्योग लगभग 42 बिलियन डौलर विज्ञापन पर खर्च करता है, जिस में छोटे बच्चों को मुख्यरूप से लक्ष्य बनाया जाता है. इस के अतिरिक्त, फास्टफूड रैस्तरां बच्चों को भोजन के साथ खिलौने देते हैं, जो बच्चों को लुभाने में मदद करता है. 40 प्रतिशत बच्चे लगभग रोज अपने मातापिता से फास्टफूड रैस्तरां ले जाने के लिए कहते हैं. फास्टफूड रैस्तरां में मिलने वाले 3,000 लोकप्रिय व्यंजनों में से केवल 13 व्यंजन ऐसे हैं जो छोटे बच्चों के लिए पोषण संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हैं, यह स्थिति को बदतर बनाने के लिए काफी है. फास्टफूड के उपभोग और मोटापे के बीच सीधा संबंध है.

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घातक स्थिति की ओर

एक अध्ययन में पाया गया कि स्कूल के पास फास्टफूड रैस्तरां का होना बच्चों में स्थूलता के जोखिम को बढ़ाता है. बाल्यकाल स्थूलता एक ऐसी स्थिति है जिस में शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. बच्चों में मोटापा एक महामारी की तरह आज दुनिया के कई देशों में फैलता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 2 करोड़ 20 लाख बच्चों का वजन बहुत ज्यादा है, जिन की उम्र 5 साल से भी कम है. अमेरिका में पिछले 3 दशकों में 6 से 11 साल के मोटे बच्चों की गिनती तीनगुना बढ़ी है. विकासशील देशों में भी यह समस्या जोर पकड़ रही है.

कुपोषण से ज्यादा मोटापे के शिकार बच्चे

अंतर्राट्रीय मोटापा कार्य समिति (इंटरनैशनल ओबेसिटी टास्क फोर्स) के मुताबिक, अफ्रीका के कुछ इलाकों में बच्चे कुपोषण से ज्यादा मोटापे का शिकार हैं. वर्ष 2007 के बाद से मैक्सिको में मोटे बच्चों की गिनती इतनी बढ़ गई है कि इस मामले में यह देश अमेरिका के बाद विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. मैक्सिको शहर में 70 प्रतिशत बच्चों और जवानों का या तो वजन ज्यादा है या वे मोटापे से जूझ रहे हैं. बाल शल्यचिकित्सक फ्रांसिस्को गान्सालेस खबरदार करते हैं, ‘‘यह ऐसी पहली पीढ़ी होगी, जो मोटापे से होने वाली बीमारियों की वजह से अपने मांबाप से पहले मौत के मुंह में जा सकती है.’’

मोटापे के कारण होती हैं ये बीमारियां

मोटापे के कारण बच्चों में हाई ब्लडप्रैशर जोर पकड़ रहा है. अगर इसे काबू नहीं किया जा सका तो दिल की खतरनाक बीमारियां उन को जकड़ लेंगी. बचपन में मोटापे के शिकार लोगों के लिए युवावस्था में डायबिटीज होने का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है. इस के अलावा इन बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है यानी उन में मानसिक बीमारियों का जोखिम कहीं अधिक होता है.

लापरवाही है जिम्मेदार

इंडियन जर्नल औफ एंडोक्राइनोलौजी ऐंड मेटाबोलिज्म के मुताबिक, भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. भारत में 20 प्रतिशत स्कूली बच्चे मोटापाग्रस्त हैं. मोटापा बढ़ने के पीछे जानेअनजाने में हमारी ही लापरवाहियां और सुस्ती जिम्मेदार हैं. हम चाहें तो ऐक्सरसाइज और पौष्टिक खाने को तवज्जुह दे कर अपनी और अपने बच्चों की फूड हैबिट्स को सुधार सकते हैं.

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फेस्टिवल स्पेशल: ऐसे चमकाएं घर के पुराने फर्नीचर

फेस्टिवल में घर की सफाई जरूरी होती है, जिसमें किचन, कपड़े और कईं चीजों की सफाई करनी पड़ती हैं. वहीं अगर फर्नीचर की बात करें तो ये घर की सफाई के लिए सबसे जरूरी काम होता है. फर्नीचर अगर साफ हो तो घर को एक नया लुक मिलता है. इसीलिए आज हम आपको कैसे फेस्टिवल में घर के फर्नीचर की क्लीनिंग करें और साथ ही कैसे घर को नया लुक दें…

1. लैदर फर्नीचर को इस तरह चमकाएं

लैदर फर्नीचर दिखने में जितना अच्छा लगता है, उस की देखभाल करना उतना ही कठिन होता है. खास बात यह है कि लैदर फर्नीचर की उचित देखभाल न करने से वह जगहजगह से क्रैक हो जाता है.

फर्नीचर पर किसी तरह का तरल पदार्थ गिर जाए तो उसे तुरंत साफ कर दें क्योंकि लैदर पर किसी भी चीज का दाग चढ़ते देर नहीं लगती. यहां तक कि पानी की 2 बूंद से भी लैदर पर सफेद निशान बन जाते हैं. फर्नीचर को किसी भी तरह के तेल के संपर्क में न आने दें, क्योंकि इस से फर्नीचर की चमक तो खत्म होती ही है, साथ ही उस में दरारें भी पड़ने लगती हैं.

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फर्नीचर की रोज डस्टिंग करें जिस से वह लंबे समय तक सहीसलामत रहे. फर्नीचर को सूर्य की रोशनी और एअरकंडीशनर से दूर रखें. इस से फर्नीचर फेडिंग और क्रैकिंग से बचा रहेगा. फर्नीचर को कभी भी बेबी वाइप्स से साफ न करें, इस से उस की चमक चली जाती है.

2. वुडन फर्नीचर की सफाई में न करें लापरवाही

वुडन फर्नीचर की साफ-सफाई में अकसर लोग लापरवाही बरतते हैं जिस से वह खराब हो जाता है. ध्यान से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई सी चमक आ जाती है. महीने में एक बार अगर नीबू के रस से फर्नीचर की सफाई की जाए तो उस में नई चमक आ जाती है. पुराने फर्नीचर को आप मिनरल औयल से पेंट कर के भी नया बना सकते हैं और अगर चाहें तो पानी में हलका सा बरतन धोने वाला साबुन मिला कर उस से फर्नीचर को साफ कर सकते हैं.

लकड़ी के फर्नीचर में अकसर वैक्स जम जाता है जिसे साफ करने के लिए सब से अच्छा विकल्प है कि उसे स्टील के स्क्रबर से रगड़ें और मुलायम कपड़े से पोंछ दें. कई बार बच्चे लकड़ी पर के्रयोन कलर्स लगा देते हैं. इन रंगों का वैक्स तो स्टील के स्क्रबर से रगड़ने से मिट जाता है लेकिन रंग नहीं जाता. ऐसे में बाजार में उपलब्ध ड्राई लौंडरी स्टार्च को पानी में मिला कर पेंटब्रश से दाग लगे हुए स्थान पर लगाएं और सूखने के बाद गीले कपड़े से पोंछ दें.

3. माइक्रोफाइबर फर्नीचर की सफाई से पहले पढ़ें नियम

माइक्रोफाइबर फर्नीचर को साफ करने से पहले उस पर लगे देखभाल के नियमों के टैग को देखना बेहद जरूरी है. क्योंकि कुछ टैग्स पर डब्लू लिखा होता है. अगर टैग पर डब्लू लिखा है तो इस का मतलब है कि उसे पानी से साफ किया जा सकता है और जिस पर नहीं लिखा है उस का मतलब है कि अगर फर्नीचर को पानी से धोया गया तो उस पर पानी का दाग पड़ सकता है. सब से सौफ्ट ब्रश से माइक्रोफाइबर फर्नीचर की पहले डस्टिंग करें.

इस के बाद ठंडे पानी में साबुन घोलें और तौलिए से फर्नीचर की सफाई करें. ध्यान रखें कि तौलिए को अच्छे से निचोड़ कर ही फर्नीचर की सफाई करें ताकि ज्यादा पानी से फर्नीचर गीला न हो. तौलिए से पोंछने के बाद तुरंत साफ किए गए स्थान को हेयरड्रायर से सुखा दें.सुखाने के बाद उस स्थान पर हलका ब्रश चलाएं ताकि वह पहली जैसी स्थिति में आ सके.बेकिंग सोडा में पानी मिला कर गाढ़ा सा घोल बना लें. अब इस घोल को दाग लगे हुए स्थान पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर उसे हलके से पोंछ दें.फर्नीचर पर लगे दाग को पानी से साफ करने के स्थान पर बेबी वाइप्स से साफ करें. ध्यान रखें कि दाग लगे स्थान को ज्यादा रगड़ें नहीं.

अगर फर्नीचर पर ग्रीस जैसा जिद्दी दाग लग जाए तो उसे हटाने के लिए बरतन धोने वाला साबुन और पानी का घोल बनाएं और दाग वाले स्थान पर स्प्रे करें. कुछ देर बाद गीले कपडे़ से उस स्थान को पोंछ दें.

4. प्लास्टिक फर्नीचर भी सजा सकता है आपका घर

अक्सर देखा गया है कि जब बात प्लास्टिक के फर्नीचर को साफ करने की आती है तो उसे या तो स्टोररूम का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर कबाड़ में बेच दिया जाता है. लेकिन वास्तव में अगर प्लास्टिक के फर्नीचर की सही तरह से सफाई की जाए तो उसे भी चमकाया जा सकता है. ब्लीच और पानी बराबरबराबर मिला कर एक बोतल में भर लें और फर्नीचर पर लगे दागों पर स्प्रे करें. स्प्रे करने के बाद फर्नीचर को 5 से 10 मिनट के लिए धूप में रख दें.

ट्यूब और टाइल क्लीनर से भी प्लास्टिक का फर्नीचर चमकाया जा सकता है. इस के लिए ज्यादा कुछ नहीं, बस दाग लगी जगह पर स्प्रे कर के 5 मिनट बाद पानी से धो दें. दाग साफ हो जाएंगे.

बरतन धोने वाला डिटरजैंट भी प्लास्टिक के फर्नीचर में लगे दाग को छुड़ाने में सहायक होता है. इस के लिए 1:4 के अनुपात में डिटरजैंट और पानी का घोल बना लें. इस घोल को फर्नीचर पर स्प्रे कर के 5 से 10 मिनट के लिए छोड़ दें. इस के बाद कपड़े से फर्नीचर को पोंछें. नई चमक आ जाएगी.

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प्लास्टिक पर लगे हलके दागों को बेकिंग सोडा से भी धोया जा सकता है. इस के लिए स्पंज को बेकिंग सोडा में डिप कर के दाग वाली जगह पर गोलाई में रगड़ें. दाग हलका हो जाएगा.

नौन जैल टूथपेस्ट से प्लास्टिक फर्नीचर पर पड़े स्क्रैच मार्क्स हटाए जा सकते हैं.

यह सच है कि घर की रंगाई-पुताई तब तक अधूरी ही लगती है जब तक घर के फर्नीचर साफसुथरे न दिखें. उपरोक्त तरीकों से घर के सभी प्रकार के फर्नीचर को चमका लिया जाए तो दीवाली की खुशियों का मजा कहीं ज्यादा हो जाएगा.

गिफ्ट: प्यार या दिखावा

गिफ्ट ऐसा शब्द है जिसे सुन हम आज भी उत्साहित हो जाते हैं. बचपन में जब हमारे सगेसंबंधी दीवाली में हमारे लिए पटाखे, खिलौने व कपड़े लाया करते थे तो हम खुशी से झूम उठते थे. आज फर्क मात्र बच्चों की तरह खुशी जाहिर न करने का है.

वहीं, जब हम किसी दोस्त व सगेसंबंधियों के लिए तोहफे खरीदते हैं तो यही उम्मीद करते हैं कि वे बहुत खुश होंगे. पर कभीकभी यही तोहफे रिश्तों में खटास भी ले आते हैं. आखिर जब गिफ्ट रिश्तों में स्नेह के प्रतीक हैं तो यह कड़वाहट कैसे और क्यों घोल जाते हैं? स्नेह आजकल दिखावे की जगह लेता जा रहा है जिस से न सिर्फ पैसों की बरबादी होती है बल्कि यह दिखावा रिश्तों की मिठास को भी खत्म करता जा रहा है.

1. बोझ न बनने दें

गिफ्ट देना व लेना हर स्थान का चलन है परंतु कभीकभी यह प्रथा रिश्तों पर बोझ भी बन जाती है. ऋचा की सहेली सलोनी तो बहुत ही स्नेही लड़की है परंतु जब भी वह ऋचा के घर आती है, ऋचा व बच्चों के लिए खूब महंगेमहंगे तोहफे ले आती है. शुरूशुरू में ऋचा ने उसे समझाया कि हर बार तोहफा ले कर आने की जरूरत नहीं है और विशेषकर इतने महंगे तोहफे तो वह कतई न लाए. लेकिन सलोनी उस की एक न सुनती.

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सलोनी सदैव यही दलील देती कि वह बच्चों की मौसी है और बच्चों को गिफ्ट देने का उस का पूरा हक है. ऋचा जानती थी कि सलोनी और उस की आर्थिक स्थिति में जमीनआसमान का फर्क था परंतु फिर भी उस ने हमेशा यही सोचा कि दोस्ती में इन सब बातों के लिए कोई जगह नहीं होती है परंतु अब उसे सलोनी का इतने महंगे तोहफे लाना बोझ लगने लगा.वह जानती थी कि चाह कर भी वह इतना सबकुछ सलोनी के बच्चों को कभी नहीं दे सकती थी. हालांकि सलोनी को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि ऋचा उस के बच्चों के लिए गिफ्ट लाए या नहीं, उसे किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. ऋचा के पति मोहित भी अब ऋचा से यही कहते कि हम उन की बराबरी के नहीं हैं, इसलिए अच्छा यही होगा कि तुम सलोनी से थोड़ी दूरी बना कर ही रहो.

कई बार बचपन में हम लोगों ने यह देखा होगा कि जब घर में हमारे कोई रिश्तेदार आते थे तो चाहे घर की स्थिति कैसी भी हो, उन के लिए नए कपड़े जरूर खरीदे जाते थे. फिर चाहे उन्हें इस की जरूरत हो या न हो. गिफ्ट देना या लेना कतई गलत नहीं है. गिफ्ट देना तो स्नेह प्रकट करने का एक रूप है.

याद कीजिए जब हम बच्चे थे तब हमें भी गिफ्ट कितना पसंद आता था और बचपन में ही क्यों, गिफ्ट तो आज भी हम सब को पसंद आता है. परंतु जब तक ये गिफ्ट दिल व स्नेह से दिए जाएं तब तक ही इन की सार्थकता सही अर्थों में होती है.बहुत महंगे गिफ्ट दे कर आप किसी पर बोझ ही डाल रही हैं. महंगे गिफ्ट दे कर अथवा कोई ऐसा गिफ्ट दे कर जिस की सामने वाले को कोई जरूरत न हो, हम दिखावा ही करते हैं. गिफ्ट स्नेह से दें, न कि दिखावे के लिए.

2. अवसर व उपयोगिता का रखें ध्यान

हम अब भी किसी दोस्त या रिश्तेदार के लिए गिफ्ट खरीदें तो यह जरूर जान लें कि उसे किस तरह की चीजों से लगाव है. मान लीजिए किसी व्यक्ति को किताबों में रुचि है तो आप गिफ्टस्वरूप उसे उस की पसंद की किताबें दे सकती हैं. यह जरूरी नहीं कि गिफ्ट महंगे ही खरीदें जाएं. अगर आप का रिश्तेदार या मित्र सिर्फ महंगे तोहफों की ही कद्र करता है तो बेहतर यही होगा कि आप ऐसे लोगों से थोड़ी दूरी बना कर ही रखें क्योंकि आप का सच्चा मित्र आप की व आप की सोच की कद्र करेगा, आप के महंगे दिखावे में दिए गए उपहारों की नहीं.

अगर आप पैसा खर्च कर अपने बच्चे के जन्मदिन के अवसर पर कुछ खास करना ही चाहती हैं तो आप गरीब व जरूरतमंद बच्चों को छोटेछोटे गिफ्ट दे कर या उन की जरूरत के हिसाब से चीजें खरीद कर दे सकती हैं. ऐसा करने से आप के बच्चे जिंदगी की वास्तविकता से अवगत होंगे व उन के मन में सहानुभूति की भावना जागेगी व आगे चल कर वे भी आप की ही तरह गरीब व जरूरतमंद इंसान की अवश्य मदद करना चाहेंगे. गिफ्ट देते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप का दिया हुआ गिफ्ट अवसर के अनुकूल हो. जैसे, बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर बच्चों की उम्र और उन की रुचि को ध्यान में रखते हुए ही तोहफे खरीदें. गिफ्ट देते वक्त अवसर और उपयोगिता का सदैव ध्यान रखना चाहिए.

आप ने यह कई बार देखा होगा कि जब कुछ लोग किसी अमीर रिश्तेदार व दोस्त से मिलने जाते हैं तो उन की कोशिश यही रहती है कि हम उन की हैसियत के हिसाब से उन के लिए महंगे गिफ्ट ले जाएं. जबकि जब वे किसी गरीब रिश्तेदार व दोस्त के घर जाते हैं तब उन के लिए कुछ भी छोटा सा गिफ्ट ले जाते हैं. उन के लिए गिफ्ट खरीदने में वे पैसा और समय बरबाद नहीं करना चाहते. यह गलत है. ऐसा न करें. याद कीजिए जब आप की नानी व दादी आप के लिए घर से आप की पसंद की मिठाइयां व नमकीन तथा अचार अपने हाथों से बना कर भेजती थीं तब आप को कितनी खुशी होती थी. यह उन के स्नेह का ही प्रतीक था. घर की बनी शुद्घ साफसुथरी चीजों में स्वाद के साथ सेहत का भी भरपूर ध्यान रखा जाता था परंतु आजकल बच्चे सिर्फ बाहरी जंक फूड्स ही खाना पसंद करते हैं. कोई अगर घर की चीजें बना कर भेजता है तो वे उस की कोई कद्र नहीं करते.

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आप ने घरपरिवार में अकसर किसी न किसी से यह बात सुनी होगी कि फलां इंसान ने उन्हें कितना सस्ता व घटिया गिफ्ट दिया है, या साड़ी का रंग अच्छा नहीं था, कुरती का डिजाइन पहनने लायक ही नहीं है. खासकर शादीब्याह में कपड़ों का लेनदेन इतना ज्यादा होता है कि अकसर इस तरह की शिकायतें कही व सुनी जाती हैं. जब हम किसी से तोहफे लेते हैं तो हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हमारे कारण उन्हें कोई तकलीफ न हो. न तो किसी से तोहफों की जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखें और न ही किसी को जरूरत से अधिक महंगे तोहफे दें. तोहफे स्नेह को दर्शाते हैं. तोहफों की वजह से रिश्तों में अगर कोई खटास आ जाए तो ऐसे तोहफे भला किस काम के?

3. रिश्तों की मजबूत डोर स्नेह से पिरोएं तोहफों की कीमत से नहीं

अगर कोई आप को स्नेह से कोई तोहफा देता है तो हमेशा उस की कद्र करें. फिर चाहे वह तोहफा कम कीमत का ही क्यों न हो. अनेक लोग अपने प्रियजनों को अपने हाथ से बनाए खिलौने, पर्स, स्वेटर, मूर्तियां, दीये, सजावट वाली मोमबत्तियां, मिठाइयां आदि देना पसंद करते हैं. और यकीनन ये तोहफे अनमोल होते हैं. इन तोहफों में देने वालों का स्नेह व परिश्रम छिपा होता है. इन की हमेशा कद्र करनी चाहिए परंतु विडंबना यह है कि कुछ लोग दिल से दिए गए तोहफों कि कोई कद्र नहीं करते. समय के साथसाथ परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है. समय बदला है, नजरिया बदला है, परंतु स्नेह तो स्नेह ही है. जब आप अपने घर से दूर जाते हैं तब आप की मां कितने स्नेह से आप के लिए घर की बनाई हुई खानेपीने की चीजें देती हैं. ऐसा नहीं है कि वे चीजें आप के शहर में नहीं मिलतीं परंतु यह मां का स्नेह ही तो होता है. इन छोटीमोटी चीजों में जो स्नेह छिपा है वह शायद दिखावे के महंगे तोहफों से कई गुना बड़ा है.

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फेस्टिव सीजन में पहने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की एक्ट्रेस के ये 5 एथनिक ड्रेस

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘गायु’ के रोल में नजर आने वाली कांची सिंह को हर कोई जानता है. कांची भले ही अभी टीवी इंडस्ट्री से दूर हैं, लेकिन वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में ‘ये रिश्ता’ की सेलिब्रेशन पार्टी में जहां शो के सारे पुराने सितारे नजर आए तो वहीं कांची इस पार्टी से नदारद नजर आईं. खैर अगर बात करें कांची के फैशन की तो हाल ही में कांची ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट से एक फोटो शेयर की हैं, जिसमें उनकी लुक बेहद खूबसूरत है. इसीलिए आज हम कांची के कुछ फेस्टिवल लुक के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिवल्स में आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

1. नियोन कलर है पार्टी परफेक्ट

अगर आप फेस्टिव सीजन में दूसरों से अलग दिखना चाहती हैं तो नियोन कलर कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल नियोन कलर के फ्रौक सूट के साथ नियोन कलर का प्लाजो कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप इस ड्रेस को फेस्टिव लुक देने के लिए इसके साथ गोल्डन कलर के झुमके आपको लुक को बेहतरीन बना देंगे.

 

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Ishqe di चाशनी……..?☘️ . . Wearing @threadnbutton Footwear @shopakira

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2. यैलो कलर के लहंगा है फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट

अगर आप फेस्टिव सीजन में ब्राइट कलर पहनने का सोच रहे हैं तो कांची का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल येलो कलर के लहंगे के साथ एम्ब्रायडरी वाला ब्लाउज और श्रग आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. आप इसे फेस्टिवल हो या वेडिंग किसी भी चीज के लिए ट्राय कर सकती हैं.

3. peach और ग्रीन का कौम्बिनेशन है परफेक्ट 

 

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Elegance is not about being noticed, It’s about being remembered ? . . Outfit @kalkifashion Assisted by @instagladucame

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अगर आप peach और ग्रीन कलर के शौकीन हैं तो कांची का ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. सिंपल peach कलर के शरारा के साथ peach और ग्रीन के कौम्बिनेशन वाला कुर्ता, साथ में ग्रीन कलर की चुन्नी आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा.

4. वौयलेट कलर करें ट्राय 

 

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Choose to shine ♾ . . Styled by @anshudixit_ Outfit @labelshalinikhanija Earings @hemakhasturilabel

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वौयलेट कलर के शरारा के साथ शाइनिंग ब्लाउज और शाइनी दुपट्टा आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है. आप इसके साथ सिल्वर पैटर्न वाले इयरिंग्स ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक को कम्पलीट करने में मदद करेगा.

5. फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट है कांची का स्काई ब्लू लुक

अगर आप फेस्टिव सीजन में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो स्काई ब्लू कलर के सिंपल शरारा के साथ एम्ब्रायडरी वाला कुर्ता और दुपट्टा आपके लुक को सिंपल और परफेक्ट रखेगा.

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फेस्टिवल स्पेशल: दिवाली से पहले ऐसे करें किचन की सफाई

दिवाली से पहले किचन और बाथरूम की सफाई करना जरूरी होता है. अगर आप भी दिवाली से पहले सफाई करने का सोच रहे हैं तो पढ़िए ये टिप्स…

बाथरूम

बाथरूम एरिया में टौयलेट सीट, वाशबेसिन, शावर, कर्टेन, शावर हैड, बालटी, मग, डोर हैंडल, फ्लश हैंडल, शीशा, स्विचबोर्ड आदि पर बैक्टीरिया बहुत ज्यादा पाए जाते हैं और सही वातावरण मिलने पर कुछ ही समय में दोगुने हो जाते हैं.

उपचार

नहाने की प्लास्टिक की बालटी, मग को प्रतिदिन थोड़े से साबुन से अवश्य साफ करें, बाद में 2 बूंदें ऐंटीसेप्टिक लोशन डाल कर रिंस करें.

नहाने के बाद बाथरूम को वाइपर से साफ करें और ऐक्जौस्ट व पंखा चला दें ताकि बाथरूम गीला न रहे.

नहाने के लिए बाथटब है तो सप्ताह में 3 बार उस का पानी हटा कर ऐंटीसेप्टिक लोशन डाल कर साफ करें.

तौलिए को प्रतिदिन गरम पानी से धोएं.

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प्रतिदिन थोड़ी देर बाथरूम की खिड़कियां खुली रखें ताकि ताजा हवा व धूप की किरणें अंदर आ सकें.

जूते, चप्पलों को शू रैक में रखें, बैडरूम में न रखें.

बैडरूम में रखी अलमारियों को सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.

बच्चों के सौफ्ट टौयज को 10-15 दिन में साफ करें. उन्हें तकिए के कवर में बंद कर वाशिंग मशीन में धो लें.

सप्ताह में 3 बार फ्लश हैंडल, टौयलेट सीट, डोर हैंडल लाइट स्विच आदि को ऐंटीसैप्टिक वाइप्स से अवश्य पोंछें.

शावर हैड्स पर कीटाणु बहुत जल्दी पनपते हैं. अत: यदि कम प्रयोग में आता हो तो 2 मिनट हौट सैटिंग पर पानी के साथ चलाएं ताकि कीटाणु मर जाएं.

बाथरूम की नाली में कूड़ा पड़ा न रहने दें. नाली को साफ कर 2 कप सिरका डालें. सिरका लगभग 99% बैक्टीरिया को समाप्त कर देता है.

किचन

एरिजोना विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने किचन में बरतन साफ करने वाले स्पंज, बरतनों को पोंछने वाले कपड़े और सिंक में सब से ज्यादा कीटाणु पाए. इस के अलावा कूड़ेदान, रैफ्रीजरेटर, डिश रैक आदि पर भी. हम सोचते हैं कि हमारे बरतन साफ हैं, पोंछने वाला कपड़ा साफ है पर यह सही नहीं है. रोगाणुरहित बनना है तो किचन की भी सफाई ठीक प्रकार से होनी चाहिए.

उपचार

किचन स्लैब व गैस चूल्हे को पहले साबुन वाले स्पंज से साफ करें फिर 2 बार दूसरे कपड़े से ताकि वर्किंग स्पेस साफसुथरी रहे.

किचन सिंक को हमेशा साफ रखें. बरतन धोने से पहले व उस के बाद उसे विम पाउडर से साफ करें और काम के बाद पोंछ दें.

किचन सिंक को जर्म फ्री बनाने के लिए एकचौथाई कप सिरके में समभाग पानी मिलाएं और सिंक में फैला दें. थोड़ी देर बाद साफ करें.

बरतन पोंछने के लिए डस्टर, हाथ पोंछने के लिए तौलिए और स्लैब पोंछने के लिए नेपकिंस अलग रखें. प्रतिदिन सुबहशाम अलग धुला नैपकिन प्रयोग में लाएं.

बरतन धोने वाले स्क्रब को काम करने के बाद ऐंटीसैप्टिक लोशन से रिंस कर के सुखा लें. विप को भी ढक कर रखें.

किचन ऐक्जौस्ट फैन, कैबिनेट हैंडल, चिमनी आदि को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.

फ्रिज को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें. इस के लिए मैडिकेटेड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें.

किचन की खिड़कियां व जालियों को साफ करने के लिए एकतिहाई कप सिरके में एकचौथाई कप अल्कोहल मिलाएं और मिश्रण से खिड़कियां व जालियां साफ करें.

माइक्रोवेव ओवन, आदि को भी सप्ताह में 1 बार अवश्य साफ करें.

किचन के डस्टबिन में सूखा विम पाउडर और सिरका डाल कर सप्ताह में 1 बार रगड़ें और धो कर सुखाएं. कचरा डालने से पहले उस में डस्टबिन वाला थैला अवश्य लगाएं.

किचन की नालियों को साफ रखें. उन में कूड़ाकचरा न रहने दें ताकि बैक्टीरिया न पनपें.

सब्जी काटने वाले बोर्ड की भी सफाई करें, क्योंकि सब से अधिक बैक्टीरिया यहीं पनपते हैं. वैज और नौनवैज काटने के लिए अलगअलग चौपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें.

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अन्य सावधानियां

वाशिंग मशीन में भी बैक्टीरिया बहुत जल्दी पनपते हैं. अत: कपड़े धोने के बाद वाशर ड्रम को डिसइन्फैक्टैंट से पोंछें.

ऐसे आइटम्स जो ज्यादा प्रयोग में आते हैं जैसे रिमोट कंट्रोल, टैलीफोन रिसीवर, फ्रिज का हैंडल, मोबाइल, डोर की बैल आदि को प्रतिदिन ऐंटीबैक्टीरियल वाइप्स से पोंछें.

मोबाइल, कंप्यूटर की बोर्ड को तो दिन में 4-5 बार साफ करें.

बौडी हाइजीन

सिर्फ घर को साफसुथरा रखने से ही काम नहीं चलता स्वयं की सफाई भी आवश्यक है. शारीरिक हाइजीन में हाथों की अहम भूमिका है. यह बात कम लोग ही जानते हैं कि घरों में संक्रमण फैलाने में हाथ सब से अधिक जिम्मेदार होते हैं. उस के बाद नाखूनों की, बालों की व शरीर के अन्य अंगों की सफाई.

उपचार

बाहर से आने के तुरंत बाद, खांसनेछींकने के बाद, टौयलेट से आने के बाद, पालतू जानवर को छूने के बाद, बच्चों को खिलाने और खुद खाना खाने से पहले हाथ अवश्य धो लें.

हाथ धोने के लिए मैडिकेटेड लिक्विड सोप सब से अधिक उपयुक्त रहता है.

नहाने के पानी में कुछ बूंदें ऐंटीबैक्टीरियल लोशन अवश्य डालें.

पसीना ज्यादा आता हो तो अंडरआर्म्स की सफाई पर पूरा ध्यान दें. प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई भी समयसमय पर करें.

नहाने के लिए अपना सोप अलग रखें. नाखूनों को समयसमय पर जरूर काटें. गंदे नाखूनों से भी अस्वस्थ होने की संभावना ज्यादा रहती है.

पर्सनल हाइजीन

हमेशा साफ कपड़े पहनें, जो सिर्फ धुले ही नहीं वरन संक्रमण रहित भी हों.

दूसरे का तौलिया, कपड़े, चश्मा, कंघा, लिपस्टिक आदि प्रयोग न करें.

मेकअप किट में भी जर्म्स पाए जाते हैं. अत: मेकअप ब्रश, पफ, आईब्रो पैंसिल आदि को भी प्रयोग में लाने से पहले ऐंटीसैप्टिक वाइप्स से पोंछ लें.

महिलाओं के पर्स के हैंडल में उतने ही जर्म्स पाए जाते हैं जितने एक टौयलेट सीट पर. यह बात हाल ही में हुए सर्वे में पता चली. अत: अपने पर्स की भी नियमित सफाई करती रहें.

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फेस्टिवल स्पेशल: दीवाली से पहले घर को ऐसे करें जर्म फ्री

क्या आप प्रतिदिन खुद के नहाने, घर में झाड़ूपोंछा करने और बरतनों व कपड़ों की सफाई को ही घर का रोगाणुरहित होना मानती हैं? अगर हां तो आप गलत हैं. कभी आप ने सोचा है कि ऐसा करने के बावजूद आप या घर के दूसरे सदस्य बारबार बीमार क्यों पड़ते हैं? उदाहरण के लिए आप नहाने की ही बात करें तो क्या जिस बालटी व मग का प्रयोग आप नहाने के लिए करती हैं या शावर से नहाती हैं उसे प्रतिदिन ऐंटीसेप्टिक लोशन से साफ किया जाता है? यहां भी बैक्टीरिया पनपते हैं.

यद्यपि बढ़ते प्रदूषण और बदलते लाइफस्टाइल के चलते घर को जर्म फ्री रखना किसी चुनौती से कम नहीं है और फिर वातावरण को पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता पर फिर भी घर व घर के सदस्यों का थोड़ीबहुत सूझबूझ व थोड़ा सा ज्यादा समय लगा कर बचाव तो किया ही जा सकता है. रोगाणुरहित बनना है तो शारीरिक हाइजीन, पर्सनल हाइजीन व घर के हाइजीन के बारे में जानना ही होगा.

1. घर को बनाएं जर्म फ्री

घर की बात करें तो लिविंगरूम या ड्राइंगरूम, बैडरूम, किचन और बाथरूम का जिक्र अनिवार्य है. यहां पर ही पनपते हैं जर्म्स और इन के संपर्क में आने से हम हो जाते हैं बीमार.

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2. लिविंगरूम/ड्राइंगरूम

इस जगह का प्रयोग घर के सदस्यों के द्वारा सर्वाधिक किया जाता है. यहां की खिड़कियां, दरवाजे अकसर लोग बंद रखते हैं ताकि धूल अंदर न आए. पर ऐसा होता नहीं है. कुशन कवर, सोफे की गद्दियों, सैंटर टेबल, डाइनिंग टेबल कवर पर धूल जम ही जाती है, जो हमें दिखाई नहीं देती. कालीन तो सब से अधिक धूल अब्जौर्ब करता है. इसी तरह परदों पर भी धूल इकट्ठा होती रहती है. आप भले ही कितनी डस्टिंग करें धूल पुन: उड़ कर आ जाएगी और इसी से उपजते हैं बैक्टीरिया. पंखे, स्विचबोर्ड आदि पर भी धूल की परत साफ देखी जा सकती है.

रोकथाम

सब से अधिक जरूरी यह है कि ड्राइंगरूम की खिड़कियों को कुछ देर खुला रखें ताकि ताजा हवा का सर्कुलेशन अच्छी तरह हो.

वैज्ञानिकों का कहना है कि कमरे में इनडोर प्लांट्स रखें, जो वायु क्वालिटी को बढ़ाते हैं और टौक्सिन को अब्जार्ब कर लेते हैं. इनडोर प्लांट्स में मनी प्लांट सब से अधिक उपयुक्त हैं.

कारपेट बिछाया है तो उसे सप्ताह में एक बार अवश्य वैक्यूम क्लीनर से साफ करें व 1 या 2 महीने बाद ड्राईक्लीन करवाएं. या फिर 1 महीने बाद धूप अवश्य दिखाएं.

कुशन कवर, टेबल कवर आदि को 10 दिनों बाद अवश्य धोएं.

परदों को हर महीने धोएं और अच्छा हो यदि सूती परदों का इस्तेमाल करें.

लकड़ी के फर्नीचर को प्रतिदिन पहले गीले कपड़े से और फिर सूखे से पोछें. हर चौथे महीने वार्निश करवाएं.

सजावटी सामान को भी प्रतिदिन ऐंटीसैप्टिक लोशन लगा कर कपड़े से पोंछें.

एअरकंडीशन की जाली को सप्ताह में 1 बार अवश्य धोएं. पंखों की सफाई सप्ताह में 1 बार जरूर करें.

फर्श की रोज सफाई करें. इस के लिए पानी में थोड़ा सा डिसइन्फैक्टैंट क्लीनर अवश्य डालें.

मेनडोर पर धूलमिट्टी सोखने वाला डोरमैट लगाएं. इस से घर में बाहर से आने वाली डस्ट से बचा जा सकता है.

सप्ताह में कम से कम 2 बार घर की खिड़कियों को अच्छी तरह साफ करें. अंदर वाले हिस्सों को लंबाई में व बाहर वालों को चौड़ाई में साफ करें. ऐसा करने पर अगर दागधब्बा न छूटा हो तो यह पता चल जाता है.

स्विचबोर्ड, खिड़कियों के हैंडल आदि को डिसइन्फैक्टैंट कपड़े से प्रतिदिन साफ करें, क्योंकि दिन में कितनी ही बार हमारे हाथ इन चीजों के संपर्क में आते हैं. अत: इन का साफसुथरा रहना बहुत जरूरी है.

3. बैडरूम

बैडरूम में धूल के कणों से उपजे कीटाणु गद्दों और तकियों में अपनी जगह बनाते हैं. इन्हीं में ये अपना भोजन लेते हैं. डा. फिलिप टियरनो ने अपनी पुस्तक ‘द सीक्रेट लाइफ औफ जर्म्स’ में लिखा है कि बिस्तर पर पसीना और वीर्य के अलावा कुछ और पदार्थ भी गिरते रहते हैं, जिन से बैक्टीरिया पनपते हैं.

दिल्ली के अपोलो अस्पताल ईएनटी स्पैशलिस्ट डा. कविता नागपाल का भी यह मानना है कि त्वचा संबंधी रोगों व ऐलर्जी होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया ही है.

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रोकथाम

तकियों और गद्दों पर कवर चढ़ाएं. हर महीने गद्दों को पलट दें. महीने में 1 बार धूप दिखाएं.

तकियों व गद्दों के कवरों को सप्ताह में 1 बार गरम पानी से धोएं ताकि कीटाणु नष्ट हो सकें.

ध्यान रहे, एक तकिए की उम्र 3 से 5 साल होती है. इंटरनैशनल कंज्यूमर हाइजीन सर्वे के अनुसार 5 साल में 1 तकिए में 10% धूल जमा हो जाती है. अत: 5 साल बाद उसे जरूर बदल देना चाहिए.

पिलो कवर, चादर व बैड कवर को हर हफ्ते बदलें.

ओढ़ने वाली चादरों को भी सप्ताह में 1 बार धोएं. कंबल को भी सप्ताह में 1 बार वैक्यूम क्लीनर से साफ करें और 1 महीने बाद ड्राइक्लीन करवाएं अथवा उस पर भी कवर चढ़ा कर रखें और उसे नियमित धोएं.

इसी कड़ी में आगे पढ़िए- कैसे करें बाथरूम और किचन की सफाई

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