कोरोना के लंबे कहर से उत्पन्न बेरोजगारी के साथसाथ बीमारी के खौफ ने लोगों को अवसादग्रस्त और उदासीन भी बना दिया है. लोगों के दिलों में कुछ नया सोचने या करने का हौसला नहीं रहा. ऐसे में त्योहारों का मौसम उम्मीद और रोशनी की नई किरण ले कर आया है.
वैसे लोग इस बार फैस्टिवल्स मनाने से भी डर रहे है. दरअसल, फैस्टिवल्स का मतलब ही है लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना, रिश्तेदारों से मिलनामिलाना और शौपिंग के लिए बाजार जाना. लेकिन स्वाभाविक है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ये सब करने से बीमारी फैलने का डर और बढ़ जाता है. लेकिन डर कर हम अपने पुराने उत्सवों को मनाने का मौका नहीं छोड़ सकते. ये जहां एक तरफ हमें एकसूत्र में बांधते हैं, अपनों के बीच प्यार बढ़ाते हैं, वहीं जीवन में उत्साह और उमंग भी ले कर आते हैं.
ऐसे में जीवन में फिर से सकारात्मकता और खुशियां लाने के लिए त्योहार मनाने से डरें नहीं, बल्कि इन्हें एक नए अंदाज में मनाएं.
दूर रह कर भी अपनों के करीब आएं
समयसमय पर आने वाले फैस्टिवल्स ऐसे मौके होते हैं जब आप रिश्तों में गरमाहट वापस लाते. मगर इस बार बीमारी के डर से लोगों के
मन में आशंका है कि वे इन का मजा ले पाएंगे भी या नहीं. वैसे भी आनेजाने और मिलनेमिलाने से जुड़े कई तरह के प्रतिबंध लागू हैं. ऐसे में अपनों को करीब लाने का सब से सहज माध्यम है वर्चुअल मीटिंग. आप लैपटौप या मोबाइल पर अपनों के साथ वर्चुअल मीटिंग करें, गु्रप चैट करें, जूम मीटिंग और व्हाट्सऐप वीडियो कौल करें. फैस्टिवल्स का मजा लेते हुए रिश्तेदारों और दोस्तों से अपने वीडियो और फोटो शेयर करें. बच्चों की आपस में बातें कराएं. इस तरह आप अपनों के करीब हो सकेंगे और दूरी का एहसास नहीं होगा.
घर की कलात्मक सजावट
इस वक्त बाजार से सजावट का सामान लाने के बजाय अपने हाथों से बनी चीजों से घर की सजावट करें. लैंप्स, रंगोली, बंदनवार, रंगबिरंगी मोमबत्तियां, पेंट किए खूबसूरत दीए और भी बहुत कुछ बना सकते हैं. बच्चों को भी इस काम में शामिल कर सकते हैं. आजकल पत्रिकाओं में या फिर यूट्यूब और दूसरे चैनल्स में इस तरह की बहुत सामग्री या वीडियो मिल जाएंगे, जिन के जरीए आप कलात्मक चीजें बनाना सीख सकते हैं.
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साफसफाई और रंगरोगन
फैस्टिवल्स के पहले घर की साफसफाई और रंगरोगन कराने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है. इस से घर भी साफ हो जाता है और हर साल घर को एक नया लुक भी मिलता है. कोरोना की वजह से यदि आप मजदूरों को घर पर बुलना नहीं चाहते तो कोई बात नहीं. आप के पास मौका है कि घर के सभी सदस्य मिल कर यह काम खुद करें. घर की व्हाइट वाशिंग हो या दीवारों व दरवाजों को पेंट करना सब आप खुद बहुत अच्छे तरीके से और कम कीमत कर सकते हैं. इस के जरीए आप अपनी कला दिखा सकती हैं. एक तरफ जहां सब के साथ मिल कर ये सब करना ऐंजौय करेंगी वहीं जब आप की कला की तारीफ होगी तो आप का मन भी खिल उठेगा.
औनलाइन शौपिंग का मजा लें
कोरोना के कहर को देखते हुए भीड़भाड़ वाले बाजारों में जा कर शौपिंग करना उचित नहीं. ज्यादातर लोगों ने फिलहाल शौपिंग पर बंदिश लगा रखी है. मगर जब बात फैस्टिवल्स की हो तो भला शौपिंग से दूर कैसे रह सकते हैं. वैसे भी नएनए कपड़े, दूसरों के लिए गिफ्ट और घर के लिए नया सामान खरीद कर मन में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है. नए कपड़े आप की ख्वाहिशों में नयापन लाते हैं. आप नए जोश से भर जाते हैं. ऐसे में शौपिंग करने का सब से सरल तरीका है औनलाइन शौपिंग. आप घर बैठे अपनी पसंद की चीजें सही कीमत पर खरीद सकते हैं. विकल्प भी बहुत से होते हैं और कुछ सेविंग भी हो जाती है.
दोस्तों के साथ मस्ती
कोरोना की वजह से आप दोस्तों के घर नहीं जा सकते तो क्या हुआ, दोस्तों के साथ मस्ती करने के दूसरे तरीके आजमाएं. फैस्टिवल का मजा तब तक अधूरा है जब तक कि आप उन के साथ बैठ कर हंसीठिठोली न कर लें. आप अपनी गाड़ी लें और यदि घर में गाड़ी न हो तो एक कैब हायर करें और अपने दोस्तों या सहेलियों के घर जा कर बाहर गाड़ी में ही बैठ कर गप्पें मारें. आसपास किसी दोस्त का घर है तो उसे भी बुला लें. पुरानी यादें ताजा करें. साथ मिल कर मनपसंद चीजें खाएं. ध्यान रखें कि खाना बांटें नहीं. इस मामले में अभी सावधानी जरूरी है. इसलिए आप अपना खाना खाएं और उन्हें अपना खाने दें.
बच्चों की पिकनिक
अपने घर के छोटे बच्चों को किसी बाग या खुले मैदान में ले जाएं और वहां दीए बगैरा जलाएं. रंगबिरंगी झालरें और कैंडल्स लगाएं. आतिशबाजी के मजे लें. आसपास के मित्रों व रिश्तेदारों और उन के बच्चों को भी बुला सकते हैं. इस तरह एक छोटीमोटी पिकनिक पार्टी हो जाएगी, जिसे बच्चे बहुत ऐंजौय करेंगे. आप को भी अलग तरह का ऐंजौयमैंट मिल जाएगा. सब मिल कर त्योहार मना भी लेंगे और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन भी हो सकेगा.
दोस्तों को किसी फूड जौइंट का खाना भेजें
वैसे तो आप अपने दोस्तों को कई तरह से सरप्राइज दे सकते हैं, पर फैस्टिवल के समय सब से प्यारा सरप्राइज होगा कि आप उन्हें किसी फूड जौइंट का उन की पसंद का खाना भिजवाएं. ऐसा करने से न केवल आप दोनों की दोस्ती गहरी होगी, बल्कि फैस्टिवल्स का फील भी आएगा.
जूम मीटिंग में सजधज कर बैठें
कोरोना में आप किसी के घर आजा नहीं सकते. इस का मतलब यह नहीं है कि आप लोग फैस्टिवल की रौनक का मजा न लें. फैस्टिवल्स का इंतजार महिलाओं को सब से अधिक इस बात के लिए रहता है कि उन्हें सजनेधजने का मौका मिलेगा. नएनए आभूषण और स्टाइलिश कपड़े पहनने और खूबसूरत दिखने का मौका मिलेगा. इस से मन में उमंगें पैदा होंगी कि दूसरे जब आप की तारीफ करते हैं तो मन खिल उठता है. जीवन में रौनक आती है. मगर आप जरूर सोच रही होंगी कि इस कोरोनाकाल में नए कपड़े और मेकअप करने का क्या मतलब जब घर में ही बैठे रहना है, दूसरों को दिखा कर ललचाना नहीं है तो फिर ये सब करने का फायदा ही क्या? पर रुकिए. इस का भी उपाय है. आप अच्छी तरह सजधज कर तैयार होएं और फिर रिश्तेदारों या सहेलियों के साथ जूम मीटिंग करें. एकदूसरे की फैस्टिवल की तैयारियां देखने के साथसाथ अपने नए लुक पर लोगों के कमैंट सुनने का मजा भी मिलेगा. तो फिर देर कैसी? पूरे उत्साह के साथ तैयार होइए और फैस्टिवल का आनंद उठाएं.
गरीबों की मदद
कोरोना का सब से अधिक कहर गरीबों पर टूटा है. उन के रोजगार छूट गए, नौकरियां मिल नहीं रहीं, व्यवसाय ठीक से चल नहीं रहे, उस पर उन के पास सेविंग भी नहीं होती कि गुजारा चल जाए. इसलिए ऐसे समय में यदि अपना कुछ समय और थोड़े पैसे इन पर खर्च करें, इन के लिए कुछ मिठाई, कपड़े, पटाखे आदि खरीद कर ले जाएं तो इन के चेहरे पर आने वाली मुसकान आप के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के रूप में रोशनी ले आएगी. इन के बच्चों के लिए हंसी खरीद कर आप अपने जीवन की खुशियां ढूंढ़ सकेंगी.
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बुजुर्गों का साथ
27 साल की नीना प्रसाद बताती हैं, ‘‘हमारी बगल में महिलाओं का एक वृद्धाश्रम है. उस में 200 से ज्यादा महिलाएं रहती हैं. हम अकसर शाम के समय उन के पास जाते थे. सारी बुजुर्ग महिलाएं अलगअलग अंदाज में हमारे साथ मस्ती करतीं. कोई बातें करती, कोई गाना सुनाती तो कोई किताबों की अच्छी बातें और अपनी पुरानी यादें ताजा करती. मु झ से सब की दोस्ती हो गई है. मैं दीवाली के दिन खासतौर पर बहुत सारे गिफ्ट्स, पटाखे, कैंडल्स और मिठाई ले कर उन से मिलने जाती. होस्टल के बीचोंबीच बहुत बड़ा आंगन था. सब वहां बैठ कर मस्ती करतीं, दीप जलातीं.
इस बार कोरोना की वजह से मैं अपने घर में हूं. मैं उन से मिलने नहीं जाऊंगी, मगर मैं ने इस का भी इंतजाम कर लिया है कि उन के लिए कुछ खास करूं. मैं ने उन के लिए बहुत सी चीजें कूरियर की हैं, साथ ही होस्टल के पास रहने वाली सहेली से कहा है कि वह मेरी तरफ से कैंडल्स और पटाखे ले कर दीवाली के दिन उन्हें दे आए. मैं ने यह भी सोचा है कि उस रात मैं वीडियो कौल कर के उन की खुशियों में शरीक होऊंगी. उन्हें हंसतामुसकराता देख कर मु झे बहुत सुकून और खुशी मिलती है.’’
इस तरह अनजान बुजुर्गों के साथ खुशियां बांट कर आप अपने जीवन में एक अलग तरह की सकारात्मकता महसूस कर सकते हैं. यही वह समय है जब आप उन को अपनेपन का एहसास दिला सकते हैं.
रिश्तों का मर्म समझें
लौकडाउन के दौरान हम ने अच्छी तरह सम झ लिया है कि जिंदगी केवल भौतिक चीजों से ही नहीं चलती, बल्कि जिंदगी में सहनशीलता, प्यार सद्भावना, भाईचारा, एकदूसरे को सम झना और सब का खयाल रखना भी जरूरी है. जब सब साथ मिल कर फैस्टिवल मनाते हैं तो अलग ही खुशी मिलती है.
हमें यह सोचना चाहिए कि हमें इतनी अच्छी जिंदगी मिली है. हम जिंदा हैं, हमें अपने परिवार के साथ मिल कर रहने का मौका मिला है और इस के लिए हमें इस समय को सैलिब्रेट करना चाहिए. आज हमारी सारी भौतिक चीजें अलमारियों में बंद हैं. जिंदगी में इतनी भागदौड़ कर के हम ने जो चीजें बड़े अरमानों से जुटाई थीं वे हमारे लिए बेकार हैं मगर परिस्थितिवश आज वे लोग हमारे साथ हैं, हमारे आसपास हैं, जिन्हें हम ने फोन में बंद कर रखा था और गाहेबगाहे हमें जिन की याद आती थी, जिन्हें देखने या जिन से मिलने की हमारे पास फुरसत नहीं थी आज वे और उन का प्यार सब से महत्त्वपूर्ण है. इस संकट के समय पूरा परिवार सही अर्थों में साथ है तो फिर क्यों न इस अपनेपन को खुशियों की डोर से बांध लें. क्यों न फैस्टिवल्स के इन लमहों को प्यार से सैलिब्रेट करें.
पौजिटिविटी का गहरा रिश्ता है मैंटल हैल्थ से
अच्छी हैल्थ का मतलब है कि हम बिना किसी शारीरिक तकलीफ के अपनी जिंदगी खुशी से बिता रहे हों. व्यवस्थित जीवनशैली अपना कर अपने शरीर को आने वाली तकलीफों से बचाते हैं. कोई परेशानी आने पर हम डाक्टर से मिलते हैं ताकि उन की दी गई दवा खा कर बीमारी दूर हो जाए. लेकिन जब दिमाग बीमार होता है तो हम डाक्टर के पास नहीं जाते, क्योंकि हमें डर लगता है कि लोग हमें पागल न सम झ लें. आजकल हम हमेशा स्ट्रेस में रहते हैं. वजह है दिनरात काम कर अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहते हैं ताकि सारी जरूरतें पूरी कर सकें, पर हम यह भूल जाते हैं कि शारीरिक जरूरतें पूरी करने के क्रम में हम मानसिक जरूरतों को भूल जाते हैं. काम का स्ट्रैस तो पूरा लेते हैं, मगर जीवन में सकारात्मकता लाना भूल जाते हैं. इस से डिप्रैशन तक हो जाता है. कई बार हमें लगता है कि जैसे हमें कोई प्यार नहीं करता. हम लो फील करने लगते हैं. दिल दुखी रहने लगता है.
फैस्टिवल का मतलब है रोशनी, संगीत, गानाबजाना, मिठाई खाना, हंसनागुनगुनाना, अपनों के साथ मगन हो जाना. यह एक ऐसा मौका है जब आप अपनी रंजिशें मिटा सकते हैं. एकदूसरे को प्यार से गले लगा सकते हैं. ये सब स्ट्रैस से नजात दिलाता है. अपनों के साथ मिल कर हम खुश होते हैं, बातें करते हैं, हंसीमजाक करते हैं. इस से हमारे अंदर डोपामाइन नाम के गुड हारमोन का स्राव होता है और हमारे अंदर सकारात्मक सोच पैदा होती है. स्ट्रैस लैवल घटता है तो हम मानसिक रूप से मजबूत होते हैं. मैंटल हैल्थ पौजिटिविटी से डाइरैक्टली कनैक्टेड है जब हम अच्छा सोचेंगे, अच्छा महसूस करेंगे तो हमारी मानसिक सेहत बेहतर होती जाती है.
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याद रखें सकारात्मकता दिमाग को फिट रखने के लिए सब से जरूरी टौनिक है. दिमाग फिट रहेगा तभी शरीर फिट रह सकता है वरना स्ट्रैस से हजारों रोग होते हैं. फैस्टिवल्स के इस समय को ऐंजौय कर दिमाग में सकारात्मकता की तरंगें पैदा कीजिए, जो दिमाग को लंबे समय तक फिट रखेंगी.