Interesting Hindi Stories : ‘‘पर, क्या तुम्हें अब भी लगता है कि मैं ने तुम को धोखा दिया है और प्यार का नाटक कर के तुम्हारा बलात्कार किया है,‘‘ वीरेन की इस बात पर नमिता सिर्फ सिर झुकाए बैठी रही. उस की आंखों में बहुतकुछ उमड़ आया था, जिसे रोकने की कोशिश नाकाम हो रही थी.
नमिता के मौन की चुभन को अब वीरेन महसूस कर सकता था. उन दोनों के बीच अब दो कौफी के मग आ चुके थे, जिन्हें होठों से लगाना या न लगाना महज एक बहाना सा लग रहा था, एकदूसरे के साथ कुछ समय और गुजारने का.
‘‘तो इस का मतलब यह है कि तुम सिर्फ मुझे ही दोषी मानती हो… पर, मैं ने तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की… हमारे बीच जो भी हुआ, वो दो दिलों का प्यार था और जवान होते शरीरों की जरूरत… और फिर संबंध बनाने से कभी तुम ने भी तो मना नहीं किया.‘‘
वीरेन की इस बात से नमिता को चोट पहुंची थी, तिलमिलाहट की रेखा नमिता के चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी.
पर, अचानक से एक अर्थपूर्ण मुसकराहट नमिता के होठों पर फैल गई.
‘‘उस समय तुम 20 साल के रहे होगे और मैं 16 साल की थी… उम्र के प्रेम में जोश तो बहुत होता है, पर परिपक्वता कम होती है और किए प्रेम की परिणिति क्या होगी, यह अकसर पता नहीं होता…
‘‘वैसे, सभी मर्द कितने स्वार्थी होते हैं… दुनिया को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं और कुछ इस तरह से कि कहीं उन का दामन दागदार न हो जाए.‘‘
‘‘मतलब क्या है तुम्हारा?‘‘ वीरेन ने पूछा.‘‘आज से 16 साल पहले तुम ने प्रेम की आड़ ले कर मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाए, उस का परिणाम मैं आज तक भुगत ही तो रही हूं.‘‘‘थोड़ा साफसाफ कहो,‘‘ वीरेन भी चिहुंकने लगा था.
‘‘बस यही कि मेरे बच्चा ठहर जाने की बात मां को जल्द ही पता चल गई थी. वे तुरंत ही मेरा बच्चा गिराने अस्पताल ले कर गईं…”पर… पर, डाक्टर ने कहा कि समय अधिक हो गया है, इसलिए बच्चा गिरवाने में मेरी जान को भी खतरा हो सकता है,‘‘ दो आंसू नमिता की आंखों से टपक गए थे.
‘‘हालांकि पापा तो यही चाहते थे कि मुझे मर ही जाने दिया जाए, कम से कम मेरा चरित्र और उन की इज्जत दोनों नीलाम होने से बच जाएंगे… लेकिन, मां मुझे ले कर मेरठ से दिल्ली चली आईं और बाकी का समय हम ने उस अनजाने शहर में एक फ्लैट में बिताया, जब तक कि मैं ने एक लड़की को जन्म नहीं दे दिया,‘‘ कह कर नमिता चुप हो गई थी.
उस ने बोलना बंद किया.‘‘कोई बात नहीं नमिता, जो हुआ उसे भूल जाओ… अब मैं अपनी बेटी को अपनाने को तैयार हूं… कहां है मेरी बेटी?‘‘‘‘मुझे नहीं पता… पैदा होते ही उसे मेरा भाई किसी अनाथालय में छोड़ आया था,‘‘ नमिता ने बताया.
‘‘पर क्यों…? मेरी बेटी को एक अनाथालय में छोड़ आने का क्या मतलब था?‘‘‘‘तो फिर एक नाजायज औलाद को कौन पालता…? और फिर, हम लोगों से क्या कहते कि हमारे किराएदार ने ही हमारे साथ धोखा किया.‘‘‘‘पर, मैं ने कोई धोखा नहीं किया नमिता.‘‘
‘‘एक लड़की के शरीर से खिलवाड़ करना और फिर जब वह पेट से हो जाए तो उस को बिना सहारा दिए छोड़ कर भाग जाना धोखा नहीं तो और क्या कहलाता है वीरेन?‘‘
‘‘देखो, जहां से तुम देख रही हो, वह तसवीर का सिर्फ एक पक्ष है, बल्कि दूसरा पक्ष यह भी है कि तुम्हारे भाई और पापा मेरे कमरे में आए और मुझे बहुत मारा, मेरा सब सामान बिखेर दिया और मुझे लगा कि मेरी जान को भी खतरा हो सकता है, तब मैं तुम्हारा मकान छोड़ कर भाग गया…
“यकीन मानो, उस के बाद मैं ने अपने दोस्तों के द्वारा हर तरीके से तुम्हारा पता लगाने की कोशिश की, पर तुम्हारा कुछ पता नहीं चल सका.‘‘
‘‘हां वीरेन… पता चलता भी कैसे, पापा ने मुझे घर में घुसने ही नहीं दिया… मैं तो आत्महत्या ही कर लेती, पर मां के सहयोग से ही मैं दूसरी जगह रह कर पढ़ाई कर पाई और आज अपनी मेहनत से तुम्हारी बौस बन कर तुम्हारे सामने बैठी हूं.‘‘
नमिता के शब्द वीरेन को चुभ तो गए थे, पर मैं ने प्रतिउत्तर देना सही नहीं समझा.‘‘खैर, तुम बताओ, तुम्हारी शादी…? बीवीबच्चे…? सब ठीक तो होंगे न,‘‘ नमिता के स्वर में कुछ व्यंग्य सा था, इसलिए अब वीरेन को जवाब देना जरूरी लगा.
‘‘नहीं नमिता… तुम स्त्रियों के मन के अलावा हम पुरुषों के मन में भी भाव रहते हैं… हम लोगों को भी सहीगलत, ग्लानि और प्रायश्चित्त जैसे शब्दों का मतलब पता होता है…
“तुम्हारे घर से निकाले जाने के बाद मैं पढ़ाई पूरी कर के राजस्थान चला गया. वहां मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा… मेरे मन में भी अपराधबोध था, जिस के कारण मैं ने आजीवन कुंवारा रहने का प्रण लिया… ‘‘
मेरे ‘कुंवारे‘ शब्द के प्रयोग पर नमिता की पलकें उठीं और मेरे चेहरे पर जम गईं.‘‘मेरा मतलब है… अविवाहित… मैं अब भी अविवाहित हूं.‘‘‘‘और मैं भी…‘‘ नमिता ने कहा.
उन दोनों की बातों का सफर लंबा होता देख वीरेन ने और दो कौफी का और्डर दे दिया.
‘‘पर, मेरी बेटी अनाथालय में है, यह बात मेरे पूरे व्यक्तित्व को ही कचोटे डाल रही है… मैं अपनी बेटी से मिलने के बाद उसे अपने साथ रखूंगा… मैं उसे अपना नाम दूंगा.‘‘‘पर, कहां ढूंढ़ोगे उसे?‘‘
‘‘अपने भाई का मोबाइल नंबर दो मुझे… मैं उस से पूछूंगा कि उस ने मेरी बेटी को किस अनाथालय में दिया है?‘‘ वीरेन ने कहा.‘‘वैसे, इस सवाल का जवाब तुम्हें कभी नहीं मिल पाएगा… क्योंकि इस बात का जवाब देने के लिए मेरा भाई अब इस दुनिया में नहीं है. एक सड़क हादसे में उस की मौत हो गई थी.‘‘
‘‘ओह्ह, आई एम सौरी,‘‘ मेरे चेहरे पर दुख और हताशा के भाव उभर आए.‘‘हम शायद अपनी बेटी से कभी नहीं मिल पाएंगे?‘‘‘‘नहीं नमिता… भला जो भूल हम ने की है, उस का खमियाजा हमारी बेटी क्यों भुगते… मैं अपनी बेटी को कैसे भी खोज निकालूंगा.’’
‘‘मैं भी इस खोज में तुम्हारा पूरा साथ दूंगी.‘‘नमिता का साथ मिल जाने से वीरेन का मन खुशी से झूम उठा था. शायद ये उन दोनों की गलती का प्रायश्चित्त करने का एक तरीका था.
अपनी नाजायज बेटी को ढूंढ़ने के लिए वीरेन ने जो प्लान बनाया, उस के अनुसार उन्हें दिल्ली जाना था और उस अस्पताल में पहुंचना था, जहां नमिता ने बेटी को जन्म दिया था.
वीरेन के हिसाब से उस अस्पताल के सब से निकट वाले अनाथालय में ही नमिता के भाई ने बेटी को दिया होगावीरेन की छुट्टी को पास कराने के लिए एप्लीकेशन पर नमिता के ही हस्ताक्षर होने थे, इसलिए छुट्टी मिलने या न मिलने का कोई अंदेशा नहीं था… नमिता को अपने अधिकारी से जरूर परमिशन लेनी थी.
वीरेन और नमिता उस की पर्सनल गाड़ी से ही दिल्ली के लिए रवाना हो लिए थे.वीरेन के नथुनों में नमिता के ‘डियोड्रेंट‘ की खुशबू समा गई. नमिता के बाल उस के कंधों पर झूल रहे थे, निश्चित रूप से समय बीतने के साथ नमिता के रूप में और भी निखार आ गया था.
‘‘नमिता कितनी सुंदर है… कोई भी पुरुष नमिता को बिना देर किए पसंद कर लेगा, पर… ‘‘ वीरेन सोच रहा था.‘‘अगर जिंदगी में ‘इफ‘, ‘बट‘, ‘लेकिन’, ‘किंतु’, ‘परंतु’ नहीं होता, तो कितनी सुहानी होती जिंदगी… है न,‘‘ नमिता ने कहा, पर मुझे उस की इस बात का मतलब समझ नहीं आया.
नमिता की कार सड़क पर दौड़ रही थी. नमिता अपने साथ एक छोटा सा बैग लाई थी, जिसे उस ने अपने साथ ही रखा हुआ था.नमिता ‘व्हाट्सएप मैसेज‘ चेक कर रही थी.
वीरेन को याद आया कि पहले नमिता अकसर हरिवंशराय बच्चन की एक कविता अकसर गुनगुनाया करती थी, ‘जो बीत गई सो बात गई‘.
वीरेन ने तुरंत ही गूगल के द्वारा उस कविता को सर्च किया और नमिता के व्हाट्सएप पर भेज दिया.नमिता मैसेज देख कर मुसकराई और उसे पूरे ध्यान से पढ़ने लगी. कुछ देर बाद मैं ने अपने मोबाइल पर भी नमिता का एक मैसेज देखा, जो कि एक पुरानी फिल्म का गीत था, ‘दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा… जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा’.‘‘
उस के द्वारा इस तरह से एक गंभीर मैसेज भेजने के बाद और कोई मैसेज भेजने की वीरेन की हिम्मत नहीं हुई.नमिता खिड़की से बाहर देख रही थी. बाहर अंधेरे के अलावा सिर्फ बहुमंजिला इमारतों की जगमगाहट ही दिखती थी. हालांकि एसी औन था, फिर भी पसीने की चमक मैं नमिता के माथे पर देख सकता था.
‘‘तुम्हारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है क्या?‘‘ वीरेन ने पूछ ही लिया.‘‘नहीं. दरअसल, इस से पहले जब तुम साथ में थे, तो उस के बाद मेरे जीवन में एक भूचाल आया था और अब फिर से मैं तुम से मिल रही हूं… ऊपर वाला ही जाने कि अब क्या होगा,‘‘ नमिता के चेहरे पर फीकी मुसकराहट थी.
नमिता को अच्छी तरह पता था कि पीला कलर वीरेन को बहुत पसंद है… और आज उस ने पीली कलर की साड़ी पहनी थी.बीचबीच में वीरेन की नजर अपनेआप नमिता के चेहरे पर चली जाती थी.
‘‘मेरी वजह से नमिता कितना परेशान रही होगी. और न जाने कैसे उस ने अपने मांबाप के अत्याचारों और तानों को सहा होगा,‘‘ यह सोच कर वीरेन को गहरा अफसोस हो रहा था.गाड़ी हाईवे पर दौड़ रही थी. बाहर ढाबों और रैस्टोरैंट की कतार देख कर वीरेन ने कहा, ‘‘चलो, खाना खा लेते हैं.‘‘
वीरेन ने अपने लिए दाल फ्राई और चपाती मंगाई, जबकि नमिता ने सिर्फ सलाद और्डर किया… और धीरेधीरे खाने लगी.
वापस कार में बैठते ही नमिता ने कानों में हैडफोन लगा लिया था और कोई संगीत सुनने लगी. वीरेन समझ गया कि नमिता अब और ज्यादा बातें नहीं करना चाहती है. लिहाजा, वीरेन भी अपने मोबाइल पर उंगलियों को सरकाने लगा.
कार सड़क पर मानो फिसल रही थी. बाहर रात गहरा रही थी. शहर पीछे छूटते जा रहे थे और नमिता का सिर वीरेन के कंधे पर आ गया था. उसे नींद आ गई थी. उस का मासूम सा चेहरा नींद में कितना खूबसूरत लग रहा था.
नमिता का वीरेन के कंधे पर सिर रख लेना उस के लिए सुखद अहसास से कम नहीं था.कुछ देर बाद ही नमिता जाग गई थी. वीरेन ने भी अपने उड़ते विचारों को थाम लिया था.वे दिल्ली पहुंच गए थे, और वे वहां से कैब ले कर नमिता के फ्लैट की तरफ चल दिए.
‘अमनचैन अपार्टमैंट्स‘ में ही नमिता आ कर रुकी थी और वहीं से कुछ ही दूरी पर एक नर्सिंगहोम था, जहां पर नमिता ने बेटी को जन्म दिया था. यहां पहुंच कर उन्हें सब से पास का अनाथालय ढूंढ़ना था, जिस के लिए वीरेन ने तकनीक की मदद ली और गूगल मैप की सहायता से उसे अनाथालय ढूंढ़ने में कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने अनाथालय में जा कर वहां के मैनेजर से मुलाकात की.
‘‘जी कहिए… आप कितना डोनेशन देने आए हैं सर,‘‘ गंजे सिर वाले मैनेजर ने पूछा.‘‘डोनेशन…? हम तो एक बच्चे को ढूंढ़ने आए हैं, जिसे आज से 15 साल पहले आप के ही अनाथालय में कोई आ कर दे गया था.‘‘
मैनेजर ने आंखें सिकोड़ीं, मानो वो बिना बताए ही सबकुछ समझने की कोशिश कर रहा था.‘‘अरे साहब, कोई जरूरी नहीं कि वह बच्चा अब भी यहां हो या उसे कोई आ कर गोद ले गया हो… इतने साल पुरानी बात आप आज क्यों पूछ रहे हैं… हालांकि मुझे इस बात से कोई लेनादेना नहीं है… पर, अब पुराने रिकौर्ड भी इधरउधर हो गए हैं… और फिर हम किसी अजनबी को अपनी कोई जानकारी भला दे भी क्यों?‘‘ मैनेजर ने अपनी हथेली खुजाते हुए कहा.
नमिता अपने बच्चे को देखने के लिए अधीर हो रही थी. उस ने अपने पर्स से सौ के नोट की एक गड्डी निकाली और मैनेजर की ओर बढ़ाई.
‘‘जी, ये लीजिए डोनेशन… और इस की रसीद भी हमें आप मत दीजिए. उसे आप ही रख लीजिएगा… बस आज से 15 साल पहले 10 अगस्त को एक लड़की को कोई आप के यहां दे गया था. आप हमें उस बच्ची से मिलवा दीजिए… हम उसे गोद लेना चाहते हैं.‘‘
नोटों की गड्डी को जेब के हवाले करते हुए मैनेजर ने अपना सिर रजिस्टर में झुका लिया और कुछ ढूंढ़ने का उपक्रम करने लगा.‘‘जी, आप जिस बच्ची की बात कर रही हैं… वह कहां है… देखता हूं…‘‘
कुछ देर बाद मैनेजर ने उन लोगों को बताया कि 10 अगस्त के दिन एक लड़की को कोई छोड़ तो गया था, पर अब वह लड़की उन के अनाथालय में नहीं है.‘‘तो कहां है मेरी बेटी?‘‘ किसी अनिष्ट की आशंका से डर गई थी नमिता.
‘‘जी, घबराइए नहीं. आप की बेटी जहां भी है, सुरक्षित है. आप की बेटी को कोई निःसंतान दंपती आ कर गोद ले गए थे.‘‘‘‘कौन दंपती? कहां हैं वो? आप हमें उन का पता दीजिए… हम अपनी बेटी उन से जा कर मांग लेंगे,‘‘ वीरेन ने कहा.
‘‘जी नहीं सर… उस दंपती ने पूरी कानूनी कार्यवाही कर के उस बच्ची को गोद लिया है… अब कोई भी उन से बच्ची को छीन नहीं सकता है,‘‘ मैनेजर ने कहा.
‘‘पर, आप हमें बता तो सकते हैं न कि किस ने उसे गोद लिया है… हम एक बार अपनी बेटी से मिल तो लें,‘‘ नमिता परेशान हो उठी थी.
‘‘मैं चाह कर भी उन लोगों की पहचान आप को नहीं बता सकता हूं… ये हमारे नियमों के खिलाफ है,‘‘ मैनेजर ने कहा.
अब बारी वीरेन की थी. उस ने भी मैनेजर को पैसे पकड़ाए, तो कुछ ही देर में उस ने उस दंपती का पूरा पता एक कागज पर लिख कर मेरी ओर बढ़ा दिया.
ये बरेली के सिविल लाइंस में रहने वाले मिस्टर राजीव माथुर का पता था.‘‘अब हमें वापस चलना चाहिए,‘‘ वीरेन ने नमिता से कहा.‘‘नहीं, मैं अपनी बेटी से जरूर मिलूंगी और अपने साथ ले कर आऊंगी,‘‘ नमिता ने कहा, तो वह उस के चेहरे पर कठोरता का भाव साफ देख सकता था.
वीरेन के समझाने पर भी नमिता नहीं मानी, तो वे बरेली की तरफ चल दिए और वहां पहुंच कर दिए गए पते को खोजते हुए राजीव माथुर के घर के सामने खड़े हुए थे. वह एक सामान्य परिवार था. उन का घर देख कर तो ऐसा ही लग रहा था.
राजीव माथुर के घर की घंटी बजाई, तो उन के नौकर ने दरवाजा खोला. सामने ही मिस्टर माथुर थे. मिस्टर माथुर की उम्र कोई 70 साल के आसपास होगी, पर उन्हें व्हीलचेयर पर बैठा देख वीरेन को एक झटका सा जरूर लगा, मिस्टर माथुर के साथ ही उन की पत्नी भी खड़ी थीं. उन दोनों को देख कर नमिता और वीरेन के चेहरे पर कई प्रश्नचिह्न आए.
पर, फिर भी उन्होंने एक महिला को देख कर उन्हें ड्राइंगरूम में बिठाया और अपने नौकर को 2 कप चाय बनाने को कहा.
‘‘जी, दरअसल, हम लोग दिल्ली से आए हैं और आप लोग जिस अनाथालय से एक लड़की को गोद ले कर आए थे… वो दरअसल में हमारी बेटी है,‘‘ नमिता ने एक ही सांस में मानो सबकुछ कह डाला था और बाकी का अनकहा मिस्टर माथुर बखूबी समझ गए थे.
‘तो आज इतने सालों के बाद मांबाप का प्यार जाग उठा है… अब आप लोग मुझ से क्या चाहते हैं?‘‘‘देखिए, मैं जानता हूं कि आप ने कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद ही हमारी बेटी को गोद लिया है… पर, फिर भी…‘‘ वह आगे कुछ कह न पाया, तो मिस्टर माथुर ने वीरेन की मदद की.
‘‘पर, फिर भी… क्या… बेहिचक कहिए…‘‘‘‘दरअसल, हम हमारी बेटी को वापस चाहते हैं.‘‘वीरेन भी हिम्मत कर के अपनी बात कह गया था.
कुछ देर चुप रहने के बाद मिस्टर माथुर ने बोलना शुरू किया, ‘‘देखिए, यह तो संभव नहीं है. आज का युवा मजे करता है, जब फिर बच्चे पैदा होते हैं, फिर अनाथालय में छोड़ देता है और फिर एक दिन अचानक उन का प्यार जाग पड़ता है और वे औलाद को ढूंढ़ने चल पड़ते हैं.
‘‘आप जैसे लोगों की वजह से ही अनाथालयों में बच्चों की भीड़ लगी रहती है और कई नवजात बच्चे कूड़े के ढेर में पड़े हुए मिलते हैं… और मुझे लग रहा है कि आप दोनों अब भी अविविवाहित हैं?‘‘ मिस्टर माथुर का पारा बढ़ने लगा था. उन की अनुभवशाली आंखें काफीकुछ समझ गई थीं.
कुछ देर खामोशी छाई रही, फिर मिस्टर माथुर ने अपनेआप को संयत करते हुए कहा, ‘‘खैर जो भी हो, अब वह हमारी बेटी है और वह हमारे ही पास रहेगी… अगर आप चाय पीने में दिलचस्पी रखते हों तो पी सकतें हैं, नहीं तो आप लोग जा सकते हैं.‘‘
कुछ कहते न बना वीरेन और नमिता से, वे दोनों अपना सा मुंह ले कर मिस्टर माथुर के घर से निकल आए.माथुर दंपती ने जब अनाथालय से बच्ची को गोद लिया था, तब उन की उम्र 55 साल के आसपास थी, एक बच्ची को गोद लेने की सब से बड़ी वजह थी कि मिस्टर माथुर के भतीजों की नजर उन की संपत्ति पर थी और माथुर दंपती के निःसंतान होने के नाते उन के भतीजे उन की दौलत को जल्दी से जल्दी हासिल कर लेना चाहते थे.
मिस्टर माथुर ने बच्ची को गोद लेने के बाद उस का नाम ‘सिया‘ रखा और उसे खूब प्यारदुलार दिया. उन्होंने सिया के थोड़ा समझदार होते ही उसे ये बात बता दी थी कि सिया के असली मांबाप वे नहीं हैं, बल्कि कोई और हैं और वे लोग उसे अनाथालय से लाए हैं.
इस बात को सिया ने बहुत ही सहजता से लिया और वह माथुर दंपती से ही अपने असली मांबाप की तरह प्यार करती रही.आज माथुर दंपती के इस प्रकार के रूखे व्यवहार से नमिता बुरी तरह टूट गई थी. वह होटल में आ कर फूटफूट कर रोने लगी. वीरेन ने उसे हिम्मत दी, “तुम परेशान मत हो नमिता… मैं माथुर साहब से एक बार और मिल कर उन से प्रार्थना करूंगा, उन के सामने अपनी झोली फैलाऊंगा. हो सकता है कि उन्हें दया आ जाए और वे हमारी बेटी से हमें मिलने दें,” वीरेन ने कहा.
अगले दिन वीरेन एक बार फिर मिस्टर माथुर के सामने खड़ा था. उसे देखते ही मिस्टर माथुर अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए बोले, “अरे भाई, क्यों बारबार चले आते हो हमें डिस्टर्ब करने…? क्या कोई और काम नहीं है तुम्हारे पास? हम तुम्हें अपनी बेटी से नहीं मिलवाना चाहते… अब जाओ यहां से?”
एक बार फिर वीरेन अपना सा मुंह ले कर वापस आ गया था.वीरेन को बारबार सिया से मिलने के लिए परेशान और मिस्टर माथुर के रूखे व्यवहार को देख कर मिस्टर माथुर की पत्नी ने उन से कहा, “आप उन लोगों को सिया से मिला क्यों नहीं देते?”
“आज को तुम बेटी को मिलाने को कह रही हो, कल को उसे उन लोगों के साथ जाने को कहोगी… और क्या पता कि ये लोग भला उस के असली मांबाप हैं भी या नहीं,” मिस्टर माथुर ने अपनी पत्नी से कहा.
“वैसे, अपनी सिया की शक्ल उस युवक से काफी हद तक मिलती तो है,” मिसेज माथुर ने कहा, तो मिस्टर माथुर ने भी अपनी आंखें कुछ इस अंदाज में सिकोड़ीं, जैसे वे वीरेन और सिया की शक्लें मिलाने का प्रयास कर रहे हों और कुछ देर बाद वे भी मिसेज माथुर की बात से संतुष्ट ही दिखे.
“अब यहां रुके रहने से क्या फायदा वीरेन? हम ने जो गलत काम किया है, उस की सजा हमें इस रूप में मिल रही है कि हम अपनी बेटी के इतने करीब आ कर भी उस से नहीं मिल पाएंगे,” नमिता ने दुखी स्वर में कहा.
“हां नमिता… पर, एक बार मुझे और कोशिश करने दो. हो सकता है कि उन का मन पसीज जाए… और फिर तुम ने ही तो एक बार किसी कवि की चंद पंक्तियां सुनाई थीं न… ‘फैसला होने से पहले मैं भला क्यों हार मानूं… जग अभी जीता नहीं है… मैं अभी हारा नहीं हूं’,” वीरेन ने कहा.
“तो फिर मैं भी तुम्हारे साथ हूं,” नमिता ने भी दृढ़ता से कहा.एक बार फिर से वीरेन और नमिता माथुर दंपती के सामने बैठे हुए थे. मिस्टर माथुर का लहजा भी थोड़ा नरम लग रहा था.
“तो वीरेनजी, हम आप को आप की बेटी से मिलने तो देंगे, पर हम ये कैसे मान लें कि आप ही सिया के असली मांबाप हैं?”“जी, मैं किसी भी तरह के टैस्ट के लिए तैयार हूं,” वीरेन का स्वर अचानक से चहक उठा था.
“तो फिर ठीक है, आप लोग अपना डीएनए टेस्ट करवा लाइए और आज मैं आप लोगों को सिया से मिलवा देता हूं.”मिसेज माथुर अपने साथ सिया को ले कर आईं, 15 साल की सिया कितनी भोली लग रही थी, उस के चेहरे पर वीरेन की झलक साफ नजर आ रही थी.नमिता ने दौड़ कर सिया को अपनी बांहों में भर लिया और उसे चूमने लगी. वीरेन तो सिर्फ सिया को निहारे जा रहा था. उन का इस तरह से अपनी बेटी से मिलना देख कर माथुर दंपती की आंखें भी भर आई थीं.
कुछ दिनों बाद डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट से यह साफ हो गया था कि सिया ही नमिता और वीरेन की बेटी है.
“देखो गलती हर एक से होती है, पर अपनी गलती का अहसास हो जाए तो वह गलती नहीं कहलाती… सिया तुम्हारी ही बेटी है, ये तो टैस्ट से साबित हो गया है, पर अब कानूनन हम ही उस के उस के मांबाप हैं और हम अपनी बेटी को अब किसी को गोद नहीं देंगे… तुम लोगों को भी नहीं…
“पर, मैं तुम दोनों से सब से पहले तो ये गुजारिश करूंगा कि तुम दोनों शादी कर लो और आगे का जीवन प्यार से बिताओ.‘‘
मिस्टर माथुर की ये बात सुन कर नमिता के गालों पर अचानक शर्म की लाली घूम गई थी. साथ ही साथ ये भी कहूंगा कि तुम दोनों अपनी सारी संपत्ति सिया के नाम करो, तभी मुझे ये लगेगा कि तुम लोगों का अपनी बेटी के प्रति यह प्रेम कहीं क्षणभंगुर तो नहीं…, कहीं यह कोई दिखावा तो नहीं है, जैसे वक्तीतौर का प्यार होता है…” मिस्टर माथुर ने मुसकराते हुए कहा.
मिस्टर माथुर की किसी भी बात से वीरेन और नमिता को कोई गुरेज नहीं था. वीरेन ने नमिता की तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा, नमिता खामोश थी, पर उस की मुसकराती हुई खामोशी ने वीरेन को जवाब दे दिया था.
“माथुर साहब, आप ने हमें हमारी बेटी से मिलने की अनुमति दे कर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है, भले ही हम सिया को दुनिया में लाने का माध्यम बने हैं, पर उस को मांबाप का प्यार तो आप लोगों ने ही दिया है… सिया आप की बेटी बन कर ही रहेगी… इसी में हम लोगों की खुशी है,” वीरेन ने कहा.
“और हम लोगों की खुशी तुम दोनों को दूल्हादुलहन के रूप में देखने की है… अब जल्दी करो शादी तुम लोग…” मिसेज माथुर ने मुसकराते हुए कहा. कमरे में सभी के चेहरे पर मुसकराहट दौड़ गई थी.
नमिता और वीरेन दोनों ने एक मंदिर में एकदूसरे को जयमाल पहना कर शादी कर ली. दोनों बहुत सुंदर लग रहे थे. सिया अपने वीडियो कैमरे से वीरेन और नमिता को शूट कर रही थी, जो उस के जैविक मातापिता थे.
वीरेन और नमिता ने आगे बढ़ कर माथुर दंपती के पैर छू कर आशीर्वाद लिया.“माथुर साहब, आप ने मेरी इतनी बातें मानीं, इस के लिए आप का शुक्रिया, पर, मैं अब एक निवेदन और करना चाहता हूं कि आप दोनों और सिया हमारे साथ शिमला चलें, जहां हम सब मानसिक रूप से रिलेक्स कर सकें,” वीरेन ने कहा.
“अरे भाई, शिमला तो लोग हनीमून मनाने जाते हैं… हम लोग तो बूढ़े हो चुके हैं.” हंसते हुए मिस्टर माथुर ने कहा.
‘‘माथुर साहब, उम्र तो सिर्फ एक नंबर है… और फिर हम भी हनीमून ही तो मनाने जा रहें हैं, जिस में आप लोग हमारे साथ होंगे और हमारी बेटी सिया भी हमारे साथ होगी… होगा न यह एक एक अनोखा हनीमून.”माथुर दंपती ने मुसकरा कर हामी भर ली.
कुछ दिनों बाद माथुर दंपती, सिया और नमिता और वीरेन शिमला में अपना अनोखा हनीमून मना रहे थे और सिया अपने वीडियो कैमरे में नजारे कैद कर रही थी.