Holi 2024: होली की मस्ती में चलाए फैशनेबल टी-शर्ट का जादू

भारतीय फैशन इंडस्ट्री में नित नए बदलाव देखने को मिल रहे है. अब लोग होली के मौके पर रंग खेलने के लिए पुराने कपड़े जैसे कुर्ता, टी-शर्ट और साड़ी नही पहनते बल्कि अब लोग ज्यादा फैशनेबल हो गए है, उन्हें हर मौके पर कुछ खास पहनना है. ऐसे में लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए मार्केट में कस्टमाइज्ड होली मैजिक टी-शर्ट का है चलन खूब है. इस टी-शर्ट को पहन कर आप अपनी होली को खास बना सकते है.

कस्टमाइज्ड टी-शर्ट

इस बार होली के मौके पर दिखना चाहते हैं कुछ खास तो आप कस्टमाइज्ड टी-शर्ट पहन कर अलग लुक अपना सकते है. व्हाइट कलर की टी-शर्ट पर अपने नाम के साथ ‘हैप्पी होली’ लिखवा कर पहन सकते हैं इसके अलावा इस व्हाइट  टी-शर्ट पर आप कलरफुल रंग छोड़ती पिचकारी भी बनवा सकते हैं.

 

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होली मैजिक टी-शर्ट

अगर आप  इस बार होली के मौके पर और खास दिखना है तो आप होली मैजिक टी-शर्ट ट्राय  कर सकते है. इस टी-शर्ट की खास बात यह है कि इस  पर पानी पड़ते ही रंग निकलने लगेंगे. ये बात सामने वाले के लिए किसी जादू से कम नही होगी लेकिन थोड़ी सरप्राइजिंग जरूर होगी. इस टी-शर्ट को पहन कर अब आप होली सादे पानी से खेल सकते हैं. आपको और रंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और आप केमिकल वाले रंगों से भी बच सकते हैं.

 

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बजट के अनुसार कीमत

होली टी-शर्ट की कीमत आपके बजट से ज्यादा नहीं है. एक टी-शर्ट आपको 300 रुपये में मिल जाएगी. अगर आप एक साथ कई टी-शर्ट लेंगे तो इसके लिए एडिशनल डिस्काउंट मिल सकता है.आप ग्रुप टी-शर्ट भी बनवा सकते है. इसे आप अपने मन मुताबिक बनवा कर पहन सकते है और कलर के पैसे भी बचा सकते है और केवल पानी के साथ होली का मजा ले सकते हैं.

रेगुलर यूज के लिए है खास

होली टी-शर्ट  सिर्फ होली खेलने के लिए ही नही है इसे आप साफ कर रेगुलर यूज में भी पहन सकते हैं क्योंकि इसका फ्रैब्रिक भी सही है. इस लिए इस बार होली को बनाएं फैशनेबल और बजट फ्रेंडली.

 

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होली का खास तोहफा

इसके अलावा अगर आप घर के लोगों या अपने दोस्तों को इस होली पर कोई तोहफा देना चाहते तो आप भी ऑर्डर कर सकते हैं. ये टी- शर्ट उन सब के बहुत खास होगी इसे पहन कर होली की मस्ती में अलग ही  रंग जमा सकते हैं और इस होली को यादगार बना सकते हैं.

Holi 2024: फेस्टिवल पर रखें अपनी सेहत का ख्याल, इन टिप्स को करें फॉलो

होली मौज-मस्ती, हर्ष-उल्लास, उधम-कूद, भागा-दौड़ी का त्योहार है. वसंत ऋतु में आने वाले इस पर्व की अलग की रौनक होती है. इस दौरान बनने वाले खास खाने, मिठाइयां, ठंडई, पकवान इसे और अधिक खास बनाते हैं.

अक्सर इस मौज मस्ती में लोग अपने और अपनो का ख्याल रखने से चूक जाते हैं. रंगों की मौज मस्ती में, खाने पीने में बहुत सी ऐसी लापरवाहियां हो जाती हैं जो होली के उमंग को फीका कर देती हैं. ऐसे में हम होली खेलने के दौरान और खानपान के बारे में कुछ खास टिप्स बताएंगे जिनको ध्यान में रख कर आप इस होली को यादगार और मजेदार बना सकती हैं. तो आइए शुरू करें

1. बचें सिंथेटिक रंगों से

होली में सिंथेटिक रंगों से बच कर रहें. इनमें लेड आक्साइड, मरकरी सल्फाइड ब्रोमाइड, कापर सल्फेट आदि भयानक केमिकल मिले होते हैं जो कि आंखों की एलर्जी, त्वचा में खुजली और अंधा तक बना देते हैं. इन रंगों के दूरी बनाने की कोशिश करें.

2. एलर्जी के मरीज रहें सतर्क

बहुत से लोगों को रंगों से एलर्जी होती है. उन्हें खास कर के इन रंगों से दूर रहना चाहिए. इसके अलावा जिन लोगों को त्वचा संबंधित परेशानियां हैं उन्हें भी इससे दूर रहना चाहिए. एक और जरूरी बात, रंग खेलने से पहले शरीर पर नारियल या सरसो का तेल लगा लें. इससे त्वचा पर रंग नहीं चिपकेगा और आप सुरक्षित रहेंगी.

3. अपने चोट-घाव को बचाएं

जिन लोगों को पहले से चोट या घाव लगी हो उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. लंबे समय तक पानी के संपर्क में रहने से चोट के बढ़ने का खतरा होता है. ऐसे में अपने चोट पर एंटीसेप्टिक लगा कर रहें.

4. तेल लगाना ना भूलें

रंग खेलते वक्त बालों में खूब तेल लगा लें और सिर को रुमाल या स्कार्फ से ढंक लें. सिंथेटिक रंग आपकी बालों के लिए हानिकारक होते हैं.

5. भांग पीने से बचें

इस मौके पर कोशिश करें कि आप ज्यादा पानी में भींगे नहीं. इससे आपको बुखार, जुकाम जैसी परेशानियां हो सकती हैं.

6. गुब्बारे वाली होली ना खेलें

गुब्बारे वाली होली ना खेलें. इससे आपकी आंखे चोटिल हो सकती हैं.

Holi 2024: रंगों से अपने बालों को रखना चाहते हैं सुरक्षित, तो इन टिप्स को करें फॉलो

रंगों का त्योहार होली बिल्कुल करीब है. इस बसंती त्योहार में आप सभी लोग अपने कपड़ों, बालों, त्वचा और रंगरूप की परवाह किए बिना ही रंगों से रंग जाना पसंद करते हैं. आप भी कहीं न कहीं ये बात जानते हैं कि रंगों से आपके बालों को काफी नुकसान होता है और ऐसे में आपको काफी सावधान रहने की जरूरत भी होती है.

इस समस्या से निपटने के लिए आज हम आपके लिए कुछ सुझाव लेकर आए हैं. तो इस होली बिना किसी चीज की परवाह किए खेलें अपने मनपसंद रंगों से.

1. होली खेलने के 15 मिनट पहले आप अपने बालों पर तेल से मालिश कर लें. इसके लिए आप नारियल का तेल, जैतून, सरसों या किसी भी अन्य तेल का चयन कर सकते हैं. तेल लगाते वक्त ये बात ध्यान रखना चाहिए कि तेल गर्म न हो क्योंकि इससे बाद में आपके बालों को नुकसान हो सकता है.

2. एक बहुत महत्वपूर्ण बात को हमेशा ध्यान में रखें कि होली खेलने के दौरान बालों को कभी खुला न छोड़ें. आप शायद ये बात नहीं जानते होंगे कि आपके खुले बाल ज्यादा रंग सोखते हैं, जिससे सिर पर रंगों का बहुत अधिक मात्रा में जमाव हो जाता है. आप ये कर सकते हैं कि होली खेलने के दौरान बालों को टोपी या स्कार्फ से पूरी तरह अच्छे से ढंक लें.

3. होली खेलते समय टोपी के नीचे प्लास्टिक शॉवर कैप पहनने से बालों की सुरक्षा दोगुनी हो जाती है.

4. अगर आपने सूखे रंगों से होली खेली हो तब होली खेलने के बाद बालों को अच्छी तरह से ब्रश कर लें. केवल ब्रश करने से ही सिर पर जमे रंगों को हटाने में काफी मदद मिलती है.

5. अगर आपने गीले रंगों का प्रयोग कर होली का लुफ्त उठाया है तो सबसे पहले सादे पानी से अपने बालों को अच्छी तरह धो लीजिए, इसके बाद शैम्पू लगा के फिर बाद में बालों को में एक बार फिर साफ पानी से धोएं.

6. होली के कारण आपके बालों पर जमे रंगों को आप जल्दी निकालने की चाहत में शैम्पू को अपने बालों पर बार-बार रगड़ते हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए. बालों पर जमा रंग साफ होने में कुछ समय तो लगता ही है.

7. आप होली के रंगों को अपने बालों से हटाने के लिए बेबी शैम्पू या प्राकृतिक शैम्पू का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

8. होली के रंगों से सने बालों को गर्म पानी से धोने की गलती न करें, इससे आपके बाल बहुत खराब हो सकते हैं. गर्म पानी बालों को रूखा बना देता है.

9. होली में रंग खेलने के बाद, जब आप अपने बाल धों ले तो उसके बाद अपने बालों को ब्लो-ड्राई अर्थात हवा से बाल न सुखाएं. इसकी जगह साधारण तरीके से उन्हें सूखने दें.

10. आआप होली के बाद अपने बालों को स्पा ट्रीटमेंट भी दे सकते हैं और ये बात भी याद रखें कि होली में रंगों से खेलने के दो सप्ताह बाद तक बालों को कलर न करें.

Holi 2024: होली में मेहमानों को परोसें दही भल्ले, ये रही आसान रेसिपी

अक्सर आपने शादियों और पार्टियों में दही भल्ला खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी घर पर टेस्टी और हेल्दी दही भल्ला बनाकर फैमिली को परोसा है. नहीं तो आज हम आपको घर पर दही भल्ले की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली को खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

पनीर – 200 ग्राम,

दही– 04 कप,

आलू – 02 (उबले हुए),

अरारोट – 02 बड़े चम्मच चम्मच,

हरी मिर्च – 01 (बारीक कटी हुई),

अदरक – 1/2 इंच का टुकडा़ (कद्दूकस किया हुआ),

हरी चटनी – 01 कप,

मीठी चटनी – 01 कप,

भुना जीरा – 02 बड़े चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर– 1/2 छोटा चम्मच,

काली मिर्च पाउडर– 1/2 छोटा चम्मच,

तेल – तलने के लिये,

काला नमक – 02 बड़ा चम्मच,

सेंधा नमक (व्रत के लिए)/नमक (अन्य दिनों के लिए)-स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

सबसे पहले पनीर को कद्दूकस कर लें. उसके बाद उबले हुए और आलुओं को छील कर कद्दूकस कर लें.

इसके बाद इन दोनों चीजों को एक प्याले में लेकर अच्छी तरह से मिला लें. इस मिश्रण में मिश्रण में अरारोट, अदरक, हरी मिर्च और नमक भी डालें और अच्छी तरह से गूंथ लें.

गुंथी हुई सामग्री में से थोडा सा मिश्रण लें और उसे हथेली से गोल करे वड़े के आकार कर बना लें. अब वड़ा तलने के लिए एक कढ़ाई में तेल डालें और गरम करें.

तेल गरम होने पर तीन-चार वड़े कढ़ाई में डालें और उन्हें उपलट-पलट कर सुनहरा होने तक तल लें. ऊपर से दही, सेंधा नमक/नमक, काला नमक, भुना हुआ जीरा, काली मिर्च पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, मीठी चटनी और हरी चटनी डालकर ठंडा-ठंडा अपनी फैमिली परोसें.

Holi 2024: धुंध- घर में मीनाक्षी को अपना अस्तित्व क्यों खत्म होने का एहसास हुआ?

‘‘अरे, अब बस भी करो रघु की मां, क्या बहू को पूरी दुकान ही भेज देने का इरादा है?’’

‘‘मेरा बस चले तो भेज ही दूं, पर अब अपने हाथों में इतना दम तो है नहीं. अरे, कमिश्नर की बेटी है कितना तो दिया है शादी में बेटी को. थोड़ा सा शगुन भेज कर हमें अपनी जगहंसाई करानी है क्या? मीनाक्षी, जरा गुझिया में खोया ज्यादा भरना वरना रघु की ससुराल वाले कहेंगे कि हमें गुझिया बनानी ही नहीं आती.’’

मीनाक्षी का मन कसैला हो उठा. इतनी आवभगत से कभी उस के मायके तो गया नहीं कुछ. मानते हैं, उस की शादी 10 वर्ष पूर्व हुई थी, उस समय के हिसाब से उस के बाबूजी ने खर्च भी किया था. पर उस की पहली होली जब मायके में पड़ी थी तब तो अम्माजी ने इतने मनुहार से कुछ नहीं भेजा था. पर यहां तो समधिन से ले कर छोटी बहन तक के कपड़े भेजे जा रहे हैं. ऊपर से बातबात में नसीहत दी जा रही है, ‘यह ठीक से रखो’, ‘यह सस्ता लग रहा है’, ‘इस में मेवा कम है’ आदि.

मखमल की चादर में टाट का पैबंद लगा हो तो दूर से झलकता है, पर रेशमी चादर में मखमल का पैबंद लग जाए तो उसे अच्छा समझा जाता है. मीनाक्षी की ससुराल भी ऐसी ही थी. मध्यम वर्ग के प्राणी थे. मीनाक्षी आई तो घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न थी. पति बाट व माप निरीक्षक थे. दोनों छोटे देवर पढ़ रहे थे, ननद विवाह के योग्य थी.

कितना कुछ तो सहा और किया था उस ने. यदि उंगलियों पर गिनना चाहे तो गिनती भूल जाए. उस ने गिनने का प्रयास भी कभी न किया. पर आज ही नहीं, देवर की शादी के बाद मधु के आगमन के साथ ही अम्माजी का सारा स्नेह मधु पर ही बरसते देख उस का मन खिन्न हो उठा था.

12 टोकरों के साथ बड़ी सी अटैची ले कर जब मीनाक्षी के पति गिरीश चलने लगे तो उस ने धीमे से पति से कहा, ‘‘मधु से मिल लीजिएगा. उस के बगैर होली फीकी लगेगी.’’

गिरीश ने कुछ कहा नहीं, पर मीनाक्षी के नेत्रों से झांकती उदासी उन से छिपी न रही.

होली के दिन सुबह हुल्लड़बाजी शुरू हो गई थी. महल्ले के लड़केलड़कियां आते गए और पुरानी भाभी से अपना रिश्ता निभाते हुए हंसीमजाक के बीच रंग भी खेलते गए.

मीनाक्षी मृदु स्वभाव की सीधीसादी महिला थी. महल्ले के सारे लड़के उस के देवर थे, लड़कियां ननदें एवं वृद्ध लोग चाचाचाची आदि.

शाम को मधु के मायके से उस के भाई मिठाई ले कर आए. जितना कुछ मीनाक्षी की सास ने भेजा था उस से कहीं ज्यादा ही वे लोग लाए थे. मीनाक्षी दौड़दौड़ कर सब की खातिर कर रही थी. बड़ी दीदी के नाते सब ने उस के पांव छुए तो मीनाक्षी को आंतरिक खुशी मिली.

अम्माजी भी बड़े ही प्यार एवं अपनत्व से सब की खातिर कर रही थीं. देखते ही देखते मात्र दिखावे के नाम पर काफी रुपए खर्च हो गए. मीनाक्षी जानती थी कि इतने पैसे खर्च होने से घर का मासिक बजट गड़बड़ा जाएगा, पर वह खामोश ही रही.

मीनाक्षी का देवर रघु प्रशासनिक अभियंता था. कमिश्नर की बेटी का रिश्ता स्वीकार करने के पीछे मधु की सुंदरता एवं उच्च शिक्षित होना भी उस के महत्त्वपूर्ण गुण थे. ढेर सारे दहेज के साथ मधु उस मध्यम वर्ग के घर में जब दुलहन बन कर आई तो पहली बार मीनाक्षी को अपनी वास्तविक स्थिति का भान हुआ.

सिर्फ 2 दिन ही तो मधु रह पाई थी. फिर होली का पर्व आ गया और उस के भाई आ कर उसे ले गए. होली के दूसरे ही दिन मधु को लेने रघु मीनाक्षी के

8 वर्षीय पुत्र के साथ जाने लगा तो अम्माजी ने फिर मधु के लिए साड़ी व मिठाई देनी चाही तो गिरीश ने कह दिया, ‘‘अम्मा, इतना सारा लेनदेन करना अच्छा नहीं है. उन्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर हमारी तो आर्थिक स्थिति चरमरा जाएगी. मानते हैं कि रघु की नौकरी अच्छी है पर यदि उसे भी अपने पैसे से यह सब करना पड़े तो शायद वह भी न करे.’’

‘‘तो क्या कुछ न भेज कर अपनी नाक नीची करवाएं? सुना तुम ने?’’ वह पति से बोली, ‘‘क्या हमें अपनी बहू को कुछ उपहार नहीं भेजना चाहिए? आखिर इतना कुछ दिया है उन्होंने.’’

‘‘पर रघु की मां, दिया उन्होंने अपनी बेटी को है. और जो नकद दिया है उस पर हमारा कोई हक नहीं बनता. वह हम ने मधु और रघु के संयुक्त खाते में जमा करवा दिया है. इतना कुछ खर्च करना तो मुझे भी ठीक नहीं लग रहा है.’’

पति का समर्थन न मिलते देख कर अम्माजी चुप हो गईं. हालांकि उन के चेहरे से यह प्रतीत हो रहा था कि वह इस से संतुष्ट नहीं हैं.

दोपहर का सारा काम निबटा कर मीनाक्षी अपने कमरे में चली आई थी. मधु भी सुबह आ गई थी. मीनाक्षी सोचने लगी, यदि मधु के पति की नौकरी कहीं अन्यत्र होती तो कोई परेशानी वाली बात नहीं थी पर चूंकि दोनों बहुओं को सासससुर के साथ एक ही घर में रहना था, चिंता का विषय यही था.

इन 10 दिनों के दौरान मीनाक्षी ने महसूस कर लिया था कि अम्माजी का सारा लाड़ अब मधु पर ही उतरेगा जोकि उचित न था. ऐसा नहीं कि उसे मधु से स्नेह न था पर यदि अम्मा अपना सारा स्नेह भंडार मधु पर ही न्योछावर करेंगी तो संभव है कि कल को वे मीनाक्षी की भी अवहेलना शुरू कर दें. संयुक्त परिवार में हर एक को त्याग कर के चलना पड़ता है. स्वार्थ की परिधि में रहने वाला प्राणी ऐसे परिवार में ज्यादा दिन नहीं रह सकता.

‘‘दीदी,’’ सहसा मधु के स्वर पर उस ने चौंक कर देखा, ‘‘अरे मधु, आओ, बैठो न,’’ मीनाक्षी उठ कर खड़ी हो गई.

‘‘यह आप के लिए है,’’ मधु ने एक पैकेट उस की तरफ बढ़ा दिया.

‘‘क्या है यह?’’

‘‘साड़ी. देखिए, रंग आप को पसंद है?’’

जाने कहां का आक्रोश एकदम से मीनाक्षी के मन में भर आया, वह खुद भी न समझ सकी. मधु के घर वालों के सामने होली के दिन उस ने सूती साड़ी पहनी थी. क्या इसीलिए मधु उस के लिए साउथ सिल्क की महंगी साड़ी ले कर चली आई?

‘‘मधु, मैं यह साड़ी नहीं ले सकती,’’ बड़ी मुश्किल से अपने भावों को बाहर आने से मीनाक्षी ने रोका.

‘‘क्यों, दीदी? पर मैं तो आप के लिए ले कर आई हूं.’’

‘‘क्योंकि मैं इस के बदले में तुम्हें इस से अच्छी साड़ी नहीं दे सकती. मेरे पति इतना नहीं कमाते कि हम अंधाधुंध खर्च कर सकें. अच्छा होगा, तुम भी यह सब समझ लो क्योंकि हमें साथ ही रहना है.’’

मधु सिर झुकाए चुपचाप सुनती रही. मीनाक्षी का क्रोध जब शांत हुआ तो उस ने देखा कि साड़ी का पैकेट यों ही पड़ा है और मधु वहां से जा चुकी है.

मधु के जाने के बाद मीनाक्षी को महसूस हुआ कि उस से कुछ गलत हो गया है. उसे इतना कठोर नहीं होना चाहिए था. आखिर वह कितने प्यार से उस के लिए उपहार लाई थी. उस समय रख लेती, नसीहत बाद में भी दे सकती थी. पर इतने दिनों का आक्रोश फटा भी तो नईनवेली मधु के ही ऊपर.

सुबह मीनाक्षी की आंख खुली तो धूप थोड़ी चढ़ आई थी. सोचने लगी कि इतनी देर कैसे हो गई? कमरे से निकल कर उस ने देखा, हर कोई अपने काम में लगा है. मधु ने उसे देखते ही कहा, ‘‘आप सो रही थीं, दीदी, इस कारण मैं ने चाय नहीं दी, आप ब्रश करें, तब तक मैं चाय बनाती हूं.’’

मीनाक्षी के लिए सब कुछ अप्रत्याशित था. सुबह घर का प्रत्येक सदस्य उस के हाथ की चाय पीने का अभ्यस्त था. आज मधु के हाथ की चाय पी कर भी किसी के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं झलक रहा था. बाबूजी वैसे ही लौन में अखबार पढ़ रहे थे. अम्माजी नहा कर भीगे बालों से धूप में कुरसी डाले माला फेर रही थीं. रघु दाढ़ी बना रहा था और गिरीश दोनों बच्चों के साथ लौन में खेल रहा था.

दोपहर के भोजन के लिए मीनाक्षी रसोई में पहुंची तो देखा, मधु डलिया में सब्जी निकाल रही थी, ‘‘सब्जी क्या बनेगी, दीदी?’’

‘‘देखो मधु, अभी तुम नईनवेली हो. नई बहू का यों काम करना अच्छा नहीं लगता. कुछ दिन आराम करो फिर काम करना.’’

‘‘यह कैसे हो सकता है कि आप काम करें और मैं आराम करूं. आप बताती जाएं, मैं सब करती जाऊंगी.’’

बात सीधी थी, पर जाने क्यों मीनाक्षी को लग रहा था कि उस का स्थान मधु हथियाती जा रही है. पर घर की पूरी जिम्मेदारी ओढ़ कर पहले जहां वह कभीकभी झुंझला जाती थी, आज उसी को हस्तांतरित होता देख वह बेचैन हो उठी.

वह गरमी की उमस भरी दोपहर थी. अम्मा व बाबूजी किसी शादी में दूसरे शहर गए थे. घर पर मधु एवं मीनाक्षी ही थीं. मीनाक्षी ज्यादा न बोलती, पर मधु सदा उस के साथसाथ लगी रहती. मीनाक्षी को हमेशा लगता कि मधु अपनी अमीरी का रौब मारेगी. अपनी आर्थिक संपन्नता का एहसास जताएगी, पर मधु के व्यवहार में ऐसा कुछ भी न था.

उसी दिन दोपहर को मीनाक्षी को आंगन में नीचे कुछ हलचल सुनाई दी. उस ने झांक कर देखा. मधु की मां एवं भाई आए हुए थे. साथ में छोटी बहन भी थी. वह झट से नीचे उतर आई.

‘‘आइए, मांजी, बड़ा अच्छा हुआ, आप आ गईं. अरे, मधुप और सुधा भी आए हैं. अरे मधु, देखो तो कौन आया है,’’ मीनाक्षी ने उन्हें आदर के साथ बैठाया और खुद चाय आदि का प्रबंध करने के लिए रसोई में घुस गई.

पूरे 4 दिन मधु की मां वहां रहीं. इन दिनों पूरे घर पर उन्हीं का साम्राज्य छाया रहा. सास घर पर नहीं थीं. इस कारण पूरा आदरसम्मान मीनाक्षी उन्हें देती रही. इस का परिणाम यह रहा कि वे हर घड़ी हर चीज के बारे में अपनी राय जताती रहीं.

गिरीश वैसे ही शांत स्वभाव का था. मधु की मां की बात को वह खामोशी से सुनता रहता. रघु का भी स्वभाव सीधासादा था. इस कारण पूरे घर में मालिकाना अंदाज में मधु की मां घूमती रहीं.

एक दिन मीनाक्षी ने सुना, वे मधु से कह रही थीं, ‘‘मेरी मान, रघु से कह कर तबादला कहीं और करवा ले. मुझे तो तुम्हारे जेठ व जेठानी का स्तर अच्छा नहीं  लगता. देख, रघु का वेतन ज्यादा है, पर एकसाथ रहने से उस का सारा वेतन इसी घर में खर्च हो जाता है.’’

‘‘कैसी बातें करती हो मां. एक तो इन की नौकरी ऐसी है कि कभी भी तबादला हो सकता है. जितने दिन हमें साथ रहना है, हम कलह कर के क्यों रहें? फिर नौकरी से अवकाश के बाद हमें साथ ही रहना है. क्या हमारी इन हरकतों से भैया व भाभी को तकलीफ नहीं होगी?’’

‘‘तुम मकान क्या यहीं बनवाओगी? मैं ने तो तेरे बाबूजी से जमीन की बात भी कर ली है.’’

‘‘नहीं मां, मकान तो यही रहेगा. हां, दोनों भाई मिल कर इस की मरम्मत करवा लेंगे. सब एक ही परिवार के तो हैं.’’

मधु की मां एवं भाईबहन की विदाई मीनाक्षी ने अपनी समझ व हैसियत से अच्छी तरह की थी. सुधा को उस ने फिल्म दिखाई थी. मधुप को एक बैगी शर्ट दी थी. दोनों का स्वभाव उसे बहुत अच्छा लगा था. सुधा से उस के पलंग का नाइट लैंप टूट गया था, पर मीनाक्षी ने बजाय डांटने के उसे तसल्ली ही दी थी और मधु को भी सुधा को डांटने से रोक दिया था.

तब मधु की मां बोली थीं, ‘‘क्या हो गया, शीशा ही तो टूटा है.’’

‘‘सुधा को क्या पता है कि यहां की हर चीज अनमोल है. दूसरी आने में सालों लग जाते हैं.’’

‘‘मां,’’ मधु की क्रोध भरी आवाज पर मीनाक्षी ने झट से उस का हाथ थाम लिया, ‘‘नहीं, मधु.’’

मीनाक्षी की सास जब लौट कर आईं और उन्हें पता चला कि मधु की मां आई थीं तो उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया, ‘‘अरे, कुछ खातिर भी की या यों ही टरका दिया. अरे मधु बेटी, मां का ध्यान ठीक से रखा न?’’

तभी बाबूजी ने गुस्से से पत्नी से कहा, ‘‘तुम तो ऐसे चिल्ला रही हो मानो रघु की सास नहीं, तुम्हारी बेटी की सास आई हों.’’

‘‘यह देखो,’’ हीरे की अंगूठी पति को दिखाते हुए वे बोलीं, ‘‘दी है किसी ने मुझे ऐसी अंगूठी? रघु की ससुराल की बदौलत हीरा तो पहन लिया. कैसे प्यार से समधिन के लिए भेजी थी उन्होंने.’’

‘‘तुम तो,’’ बाबूजी इतना कह कर चुप हो गए. वे समझ गए कि उन के सिर पर झूठे वैभव का भूत सवार है.

धीरेधीरे दिन बीतने लगे. मधु का पांव भारी हुआ. अम्माजी की खुशी की सीमा न रही. काफी दिनों बाद घर में किसी बच्चे की किलकारी गूंजने वाली थी. मीनाक्षी ने इतने दिनों में यह महसूस किया कि मधु काफी सुलझे विचारों की लड़की है. अपने मायके की अमीरी का जरा भी दंभ उस में नहीं है. एक दिन उस ने देखा, उस का बेटा पंकज अपनी पुस्तक लिए मधु के पास बैठा है.

‘‘क्या पढ़ रहा है, बेटा?’’

‘‘चाचीजी से गणित. तुम्हें पता है मां, चाचीजी गणित बहुत अच्छा पढ़ाती हैं.’’

मीनाक्षी ने हंस कर ‘हां’ में सिर हिला दिया. मधु ने उसे देख कर उठते हुए कहा, ‘‘आइए न, दीदी.’’

‘‘ठीक है मधु, तुम पढ़ाओ, मैं रसोई देखती हूं.’’

‘‘अच्छा दीदी,’’ कह कर मधु फिर से पंकज को पढ़ाने लगी.

मौसम बदलते हैं, ऋतुओं के साथ फूलों के रंग भी बदलते हैं. एक नहीं बदलता है तो इंसान का मन, लेकिन कभी ऐसा भी होता है कि किसी घटना ने मानव का हृदय परिवर्तन कर दिया हो. मीनाक्षी ने 10 वर्ष जिस परिवेश में बिताए थे, अमीरी का उस में कोई स्थान न था. उस ने सास के व्यंग्यबाणों को झेला था तो ससुर का स्नेह भी पाया था. पति का प्यार मिला था, देवर से इज्जत और बच्चों से वात्सल्य.

इस भरेपूरे परिवार में व्यवधान पड़ा था मधु के आगमन से. इस को भी वह सुगमता से व्यवस्थित कर लेती, यदि अम्मा हर बात में यह एहसास न जताती रहतीं कि मधु बड़े घर की बेटी है.

दीवाली आई और बीत गई. होली का त्योहार पास आता गया और इस के साथ मधु का प्रसव दिन भी करीब आ गया.

एक दिन शाम को घर के सदस्य बैठे चाय पी रहे थे. तभी रघु आया तो मधु उसे कपड़े देने के लिए उठने लगी.

सहसा बाबूजी ने कहा, ‘‘पहले चाय पी लो, कपड़े बाद में बदलना.’’

मीनाक्षी ने रघु के लिए भी चाय बना दी. अम्माजी ने गिरीश की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘सोचती हूं, मधु को मायके भिजवा दूं. प्रसव का दिन पास आ रहा है.’’

तभी मधु ने पूछा, ‘‘मायके क्यों, मांजी?’’

‘‘रस्म के मुताबिक पहला जापा मायके में ही होता है.’’

तभी मधु उठ कर अंदर चली गई. शाम को मीनाक्षी सब्जी बना रही थी तो मधु ने आ कर कहा, ‘‘दीदी, मैं मायके नहीं जाऊंगी.’’

‘‘क्यों, मधु? पहले प्रसव में मैं भी तो मायके गई थी. यह तो घर की पुरानी रीति है.’’

‘‘दीदी, मायके जा कर कौन लड़की खुश नहीं होती, पर मैं नहीं चाहती कि फिर वही तमाशा हो जो मेरे होली के अवसर पर जाने पर हुआ था.’’

‘‘क्या?’’

‘‘दीदी, मैं इस घर की मेहमान नहीं, एक सदस्य हूं. मुझे इस घर की आर्थिक स्थिति का अनुमान है. मेरा प्रसव मायके में होगा तो अम्माजी उपहार भेजने से न चूकेंगी. बाबूजी शादी का पैसा लगाएंगे नहीं. फिर कहां से आएगा पैसा? घर की आर्थिक स्थिति जो सुधरी है, वह फिर से चरमरा न जाएगी. दीदी, तुम मांजी को समझा दो, मैं मायके नहीं जाऊंगी.’’

‘‘मधु, बावली मत बनो. कहीं कुछ उलटासीधा हो गया तो?’’

‘‘उलटासीधा होना होगा तो वहां भी हो सकता है. फिर जिस डाक्टर को मैं यहां दिखा रही हूं वह मेरे केस से पूरी तरह से परिचित है. वहां नई डाक्टर देखेगी न दीदी, मैं नहीं जाऊंगी.’’

मधु के मायके न जाने में रघु ने भी पूरा सहयोग दिया. मां से उस ने स्पष्ट कह दिया कि मधु मायके नहीं जाएगी.

होली के 1 दिन पूर्व मधु ने बेटे को जन्म दिया. प्रसव नर्सिंगहोम में हुआ था. होली के दिन लोग आते रहे और मधु व बच्चे की कुशलता पूछते रहे. चंचल लड़कों ने तो इनकार करने के बावजूद मधु के गाल पर हलका सा गुलाल लगा ही दिया.

चारों तरफ होली का शोर था. मीनाक्षी खुद बचने की कोशिश के बावजूद रंग से भीग गई थी. फिर भी वह दौड़दौड़ कर मधु के सब काम करती रही.

‘‘दीदी,’’ मधु के स्वर पर मीनाक्षी ने चौंक कर देखा. वह कुहनियों के सहारे बिस्तर पर बैठी थी.

‘‘क्या है, मधु, कोई तकलीफ है?’’

‘‘हां.’’

‘‘डाक्टर को बुलाऊं?’’

‘‘नहीं दीदी, तकलीफ इस बात की है कि मैं होली का आनंद नहीं उठा पा रही. पिछली होली मायके में पड़ी, इस बार अस्पताल में. सोचा था, इस बार यहां की रंगीनी देखूंगी. कितना अच्छा लग रहा है, आप का यह रंगों वाला रूप.’’

‘‘घबराओ मत, देवरजी खड़े हैं बाहर. जरा खापी कर तंदुरुस्त हो जाओ, फिर जी भर कर रंग खेल लेना.’’

मधु शरमा गई और मीनाक्षी मुद्दत के बाद खिलखिला कर हंस पड़ी. उस के मन पर छाई धुंध छंट गई थी. बाहर शोर मचा था, ‘बुरा न मानो होली है.’

Holi 2024: इन 5 जगहों पर अलग अंदाज में होता है होली सेलिब्रेशन

हर कोई चाहता है कि होली हो या दीवाली, हर त्यौहार खुशियों से भरा हुआ बीते. जहां अपनों का साथ और दिलों में त्यौहारों की उमंग हो. कई लोगों के लिए तो होली का त्यौहार इतना पसंद होता है, कि इसे मनाने के लिए वो किसी खास जगह या लोगों के साथ चले जाते हैं.

वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जहां पर होली का ज्यादा चलन नहीं है. ऐसे में वो होली के दिन बहुत नीरसता का अनुभव करते हैं. अगर आपको भी अपनी होली खास मनानी है, तो हम आपको बताने जा रहे हैं, ऐसी जगहों के बारे में. जहां जाकर आपकी होली खास बन जाएगी. इन जगहों पर होली को अलग अंदाज में मनाया जाता है.

  1. बरसाना

बरसाना की होली लट्ठमार होली नाम से दुनियाभर में मशहूर है. इसे देखने के लिए देश से ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. तीन दिन तक चलने वाली इस होली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

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कैसे पहुंचे : आप दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई मुख्य लाइन पर मथुरा है. कई एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, कोलकाता, ग्वालियर, देहरादून, इंदौर से मथुरा जुड़ा हुआ है. आप मथुरा पहुंचकर आसानी से बरसाना पहुंच सकती हैं.

2. आनंदपुर साहिब

पंजाब के आनंदपुर साहिब की होली का अंदाज बिल्कुल अलग होता है. यहां आपको सिख अंदाज में होली के रंग की जगह करतब और कलाबाजी देखने को मिलेगी, जिसे ‘होला मोहल्ला’ कहा जाता है.

कैसे पहुंचे : आप ट्रेन या बस से पंजाब के आनंदपुर साहिब जा सकती हैं. आपको यहां के तीन दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, उत्तरप्रदेश के लिए आसानी से बस मिल जाएगी.

3. उदयपुर

अगर आप शाही अंदाज को पसंद करती हैं, तो इस बार की होली उदयपुर में मनाएं. राजस्थानी गीत-संगीत के साथ यहां होली काफी भव्यता से मनाई जाती है.

कैसे पहुंचे : आप बस या ट्रेन से आराम से उदयपुर पहुंच सकती हैं.

4. मथुरा-वृंदावन

कृष्ण और राधा की नगरी में मनाई जाने वाली फूलों की होली दुनियाभर में मशहूर है. एक हफ्ते तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान आप यहां के खाने पीने का लुत्फ भी उठा सकती हैं.

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कैसे पहुंचे : आप बस या ट्रेन से मथुरा वृंदावन पहुंच सकती हैं. आप चाहे तो निजी वाहन से भी 4-5 घंटे में मथुरा-वृंदावन पहुंच सकती हैं.

5. शांतिनिकेतन

अगर आपको अबीर और गुलाल की होली पसंद है, तो शांतिनिकेतन की होली आपको बहुत रास आएगी. शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध विद्यालय है जहां सांस्कृतिक व पारंपरिक अंदाज में गुलाल और अबीर की होली खेली जाती है.

कैसे पहुंचे : आप बस या ट्रेन से कोलकाता पहुंचकर 180 किलोमीटर दूर बस या टैक्सी से शांतिनिकेतन पहुंच सकती हैं.

Holi 2024: होली पर बनाएं राजस्थानी मालपुआ

आज इस भागती दौड़ती जिंदगी में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि कभी हर घर बनने वाला मालपुआ को भी अब खरीदकर खाने लगे हैं. लेकिन मालपुआ का असल स्वाद चखना है तो घर के बने मालपुए खाएं. क्या आप जानती हैं कि होली के प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है मालपुआ. और होली भी आने वाला ही है तो इस होली आप बनाएं राजस्थानी मालपुआ.

सामग्री

मैदा – 1 कप

मावा या खोया – 1/2 कप

बेकिंग सोडा – 1

चीनी – 1/2 कप

सौंफ पाउडर – 1/2 चम्मच

इलायची पाउडर – 1/2

घी – आवश्यकता अनुसार

विधि

एक बर्तन में मैदा, इलायची पाउडर, सौंफ पाउडर डाल कर मिलायें. उसके बाद इस मिश्रण में खोया डालें और मिलायें. अब थोड़ा थोड़ा पानी डाल कर गुठ्लिया खत्म होने तक अच्छे तरह फेट लें और गाढा और चिकना घोल तैयार कर लें.

चीनी में 1/4 कप पानी डाल कर उबालने रखें. अब एक तार की चाशनी बनने के बाद 1/4 टी स्पून इलायची डाल कर मिलायें. अब गैस बंद कर दें.

अब कढाई में घी डालें और गर्म होने तक इंतजार करें. मैदा मिश्रण में बेकिंग सोडा डाल कर मिलायें. अब चमचे में घोल भर कर कढाई में गोल गोल फैलाएं. धीमी आंच पर दोनों तरफ हल्का ब्राउन होने तक तल कर निकाल कर चाशनी में डाल दें. इसी तरह सारे मालपुआ बना लें. मालपुआ बन कर तैयार है.

Holi 2024: रंगों से अपनी स्किन को बचाएं ऐसे

गुझिया , पिचकारियाँ, गुलाल, ठण्डाई और हँसी यही होली का प्रतीक है और  मार्च का महीना अपने साथ लेकर आता है होली के रंगों की धूम. यह वर्ष का वह समय होता है जिसका शायद हम सभी को बेशब्री से  इंतज़ार होता है और  जब हम रंगों से सराबोर हो जाते हैं.जबकि कुछ लोग ऐसे भी है जो इन रंगों से दूर भागते है कारण है स्किन खराब होने का डर .लेकिन इस दिन इन रंगों से कोई बच नहीं पाता .

अफसोस की बात है कि अब गुलाल का उपयोग होली खेलने के दौरान बहुत कम हो गया है. बाजारों में केमिकल रंग,हर्बल रंगों से कीमतों में ज्यादा सस्ते  होते है और अधिकतर लोग इसी कारण हर्बल रंगों का चयन न करके केमिकल रंगों का चयन करते हैं जो वाकई में बहुत ज्यादा हानिकारक साबित हो सकते हैं.

अब अक्सर लोग ब्राइट और केमिकल रंगों का प्रयोग करते हैं और विशेषज्ञों के अनुसार ये रंग अक्सर  गंभीर स्किन संक्रमण, आंखों में problem  और यहां तक कि बालों के झड़ने का कारण बन सकते हैं.

जाने-माने स्किन विशेषज्ञ और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ शेफाली तृसी नेरुरकर कहती हैं, ” होली के दौरान सिंथेटिक रंगों के इस्तेमाल से अक्सर स्किन में जलन, डर्माटाइटिस और स्किन rashes जैसी बहुत सी परेशानी हो  सकती है. कुछ मामलों में जलन इतनी गंभीर होती है कि यह बहुत ज्यादा परेशानी का सबब बन जाती है. “

अगर आप डरते हैं कि ये रंग आपकी स्किन और बालों को नुकसान पहुंचाएंगे तो इस होली अपनी स्किन और बालों की चिंता करना भूल जाएं और रंगों के त्योहार का आनंद लें क्योंकि हम आपके लिए लाए हैं बेहतरीन ब्यूटी टिप्स.चलिए जानते है की इस होली हम अपने स्किन और बालों की देखभाल कैसे करें-

1. sunscreens का use करें

होली हमेशा खुले में खेली जाती है . सूरज की रोशनी शरीर पर लगे रंगों को पक्का कर देती है, जिसकी वजह से उन्हें निकालना मुश्किल हो जाता है.इसलिए  होली खेलने से पहले 20 से 25 spf वाला सनस्क्रीन जरूर लगाएं. यह आपकी स्किन को टैनिंग से बचाएगा  और इसके अलावा धूप में होली खेलने से आप की रंगत बेकार भी नहीं होगी. बाद में जब आप अपनी स्किन  से होली का रंग छुड़ाएंगे तब  वह बड़ी आसानी से आपकी स्किन से निकल जाएंगे.

2. अपनी स्किन और बालों पर तेल लगाएं

ओइलिंग  केवल आपके बालों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. आपको अपनी स्किन को भी केमिकल रंगों  से बचाना होगा. इसके लिए ये सुनिश्चित करें की आप अपने बालों में अच्छे से जैतून का तेल लगायें. आप चाहे तो अपना कोई भी पसंदीदा तेल लगा सकते है. अपने बालों के साथ साथ अपने शरीर पर भी नारियल या जैतून के तेल की अच्छे से मालिश कर लें . ये तेल आपकी स्किन और रंगों के बीच एक सुरक्षात्मक परत के रूप में काम करेगा और आपकी स्किन को रंगों से प्रभावित होने से बचाएगा. इसके अलावा होली के बाद रंगों से छुटकारा पाना आपके लिए आसान होगा.

3. अपने नाखूनों को नेल पेंट से कोट करें

इस सीजन  आपका  अपने हाथों को मॉइस्चराइज़ करना पर्याप्त नहीं है,यह  बहुत संभव है कि रंगों से खेलते समय होली के रंग आपके नाखूनों को नुकसान पहुंचा सकते है और उन्हें रूखा और बेजान बना सकते हैं. अक्सर हम देखते हैं कि होली के चार-पांच दिनों बाद तक हमारे नाखूनों पर होली का रंग  चढ़ा रहता है, जो देखने में काफी भद्दा नजर आता है. अगर आप नहीं चाहते कि आपके नाखूनों की रंगत जाए और उस पर होली का रंग चढ़े तो अपने नाखूनों पर नेल पॉलिश का एक मोटा कोट लगाएं. डार्क शेड का विकल्प आपके नाखूनों को दागदार होने से बचाएगा. इससे आपके नाखूनों की रंगत ऐसी ही बनी रहेगी जैसे पहले थी. होली खेलने के बाद में  नेल पॉलिश को नेल रिमूवर से निकाल दें. आप देखेंगे कि आपके नाखूनों पर होली का रंग नहीं चढ़ा है.

एक बात और किसी भी रंग को उंगलियों के बीच फंसने से रोकने के लिए उंगलियों पर पेट्रोलियम जेली जरूर लगायें.

4. waterproof मेकअप करें

अपने चेहरे और गर्दन को रंगों से सुरक्षित रखने के लिए आप अपनी स्किन के हिसाब से कोई भी waterproof फाउंडेशन use कर सकते है. आप अपनी आँखों के लिए कोई भी ब्राइट कलर का waterproof eyeshadow use कर सकते है. आप चाहे तो अपने होठो  पर कोई भी ब्राइट कलर की longlasting लिपस्टिक लगा सकते हैं.  इससे रंग आपकी स्किन के डायरेक्ट कांटेक्ट में नहीं आ पाएंगे और आपकी स्किन रंगों से सुरक्षित भी रहेगी.

5. अपने बालों की देखभाल करें

होली में अपने बालों को पानी के रंगों से दूर रखना लगभग नामुमकिन है.इसलिए होली खेलने से पहले अपने बालों में या तो कंडीशनर लगा ले या तो कोई सिरम . यदि आपके बाल छोटे हैं, तो हेयर जेल लगाएं. इस कोशिश से आप अपने बालों को खतरनाक केमिकल से बचा सकते हैं .

अपने बालों को बचाने का सबसे अच्छा तरीका यह भी  है कि आप इसे स्कार्फ से  पूरी तरह से कवर करें. इन तरीकों को अपनाने से रंग खेलने के बाद बाल धोते वक्त बालों पर लगा रंग आसानी से बाहर निकल जाता है.

6. हमेशा हाइड्रेटेड रहें

यह होली खेलने और इसके रंगों के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए यह एक बहुत प्रभावी तरीका है. हम होली खेलते समय पूरा वक़्त घर से बाहर रहते है और इस कारण अक्सर हम पानी पीना भूल जाते हैं और परिणामस्वरूप हमारे   शरीर में  पानी की कमी हो जाती  है .इससे खराब टैन होने की अधिक संभावनाएं होती हैं और आपका ऊर्जा स्तर भी नीचे गिर सकता है. चलिए हम-सब मिलकर इस होली को सही मायने में ‘Happy Holi ‘ बनाये.

Holi Special: जरूरी सबक- हवस में अंधे हो कर जब लांघी रिश्तों की मर्यादा

हा को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. दरवाजे की झिर्री से आंख सटा कर उस ने ध्यान से देखा तो जेठजी को अपनी ओर देखते उस के होश फाख्ता हो गए. अगले ही पल उस ने थोड़ी सी ओट ले कर दरवाजे को झटके से बंद किया, मगर थोड़ी देर बाद ही चर्ररर…की आवाज के साथ चरमराते दरवाजे की झिर्री फिर जस की तस हो गई. तनिक ओट में जल्दी से कपड़े पहन नेहा बाथरूम से बाहर निकली. सामने वाले कमरे में जेठजी जा चुके थे. नेहा का पूरा शरीर थर्रा रहा था. क्या उस ने जो देखा वह सच है. क्या जेठजी इतने निर्लज्ज भी हो सकते हैं. अपने छोटे भाई की पत्नी को नहाते हुए देखना, छि, उन्होंने तो मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ लीं…नेहा सोचती जा रही थी.

कितनी बार उस ने मयंक से इस दरवाजे को ठीक करवाने के लिए कहा था, लेकिन हर बार बात आई गई हो गई थी. एक तो पुराना दरवाजा, उस पर टूटी हुई कुंडी, बारबार कस कर लगाने के बाद भी अपनेआप खुल जाया करती थी. उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि उस झिर्री से उसे कोई इस तरह देखने का यत्न कर सकता है. पहले भी जेठजी की कुछ हरकतें उसे नागवार लगती थीं, जैसे पैर छूने पर आशीर्वाद देने के बहाने अजीब तरह से उस की पीठ पर हाथ फिराना, बेशर्मों की तरह कई बार उस के सामने पैंट पहनते हुए उस की जिप लगाना, डेढ़ साल के नन्हें भतीजे को उस की गोद से लेते समय उस के हाथों को जबरन छूना और उसे अजीब सी निगाहों से देखना आदि.

नईनई शादी की सकुचाइट में वह मयंक को भी कुछ नहीं बता पाती. कई बार उसे खुद पर संशय होता कि क्या उस का शक सही है या फिर यह सब सिर्फ वहम है. जल्दबाजी में कोई निर्णय कर वह किसी गलत नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहती थी, क्योंकि यह एक बहुत ही करीबी रिश्ते पर प्रश्नचिह्न खड़ा करने जैसा था. लेकिन आज की घटना ने उसे फिर से सोचने पर विवश कर दिया.

घर के आंगन से सटा एक कोने में बना यह कमरा यों तो अनाज की कोठी, भारी संदूक व पुराने कूलर आदि रखने के काम आता था, परंतु रेलवे में पदस्थ सरकारी कर्मचारी उस के जेठ अपनी नाइट ड्यूटी के बाद शांति से सोने के लिए अकसर उक्त कमरे का इस्तेमाल किया करते थे. हालांकि घर में 4-5 कमरे और थे, लेकिन जेठजी इसी कमरे में पड़े एक पुराने दीवान पर बिस्तर लगा कर जबतब सो जाया करते थे. इस कमरे से आंगन में बने बाथरूम का दरवाजा स्पष्ट दिखाई देता था. आज सुबह भी ड्यूटी से आए जेठजी इसी कमरे में सो गए थे. उन की बदनीयती से अनभिज्ञ नेहा सुबह के सभी कामों को निबटा कर बाथरूम में नहाने चली आई थी. नेहा के मन में भारी उथलपुथल मची थी, क्या इस बात की जानकारी उसे मयंक को देना चाहिए या अपनी जेठानी माला से इस बाबत चर्चा कर देखना चाहिए. लेकिन अगर किसी ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया तो…मयंक तो अपने बड़े भाई को आदर्श मानता है और भाभी…वे कितनी भली महिला हैं. अगर उन्होंने उस की बात पर विश्वास कर भी लिया तो बेचारी यह जान कर कितनी दुखी हो जाएंगी. दोनों बच्चे तो अभी कितने छोटे हैं. नहींनहीं, यह बात वह घर में किसी को नहीं बता सकती. अच्छाभला घर का माहौल खराब हो जाएगा. वैसे भी, सालछह महीने में मयंक की नौकरी पक्की होते ही वह यहां से दिल्ली उस के पास चली जाएगी. हां, इस बीच अगर जेठजी ने दोबारा कोई ऐसी हरकत दोहराई तो वह उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी, यह सोचते हुए नेहा अपने काम पर लग गई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 2 वर्षों पहले ब्याह कर आई एमए पास नेहा बहुत समझदार व परिपक्व विचारों की लड़की थी. उस के पति मयंक दिल्ली में एक कंपनी में बतौर अकाउंट्स ट्रेनी काम करते थे. अभी फिलहाल कम सैलरी व नौकरी पक्की न होने के कारण नेहा ससुराल में ही रह रही थी. कुछ पुराना पर खुलाखुला बड़ा सा घर, किसी पुरानी हवेली की याद दिलाता सा लगता था. उस में जेठजेठानी और उन के 2 छोटे बच्चे, यही नेहा की ससुराल थी.

यहां उसे वैसे कोई तकलीफ नहीं थी. बस, अपने जेठ का दोगलापन नेहा को जरा खलता था. सब के सामने प्यार से बेटाबेटा कहने वाले जेठजी जरा सी ओट मिलते ही उस के सामने कुछ अधिक ही खुलने का प्रयास करने लगते, जिस से वह बड़ी ही असहज महसूस करती. स्त्रीसुलभ गुण होने के नाते अपनी देह पर पड़ती जेठजी की नजरों में छिपी कामुकता को उस की अंतर्दृष्टि जल्द ही भांप गई थी. एहतियातन जेठजी से सदा ही वह एक आवश्यक दूरी बनाए रखती थी.

होली आने को थी. माला और बच्चों के साथ मस्ती और खुशियां बिखेरती नेहा जेठजी के सामने आते ही एकदम सावधान हो जाती. उसे होली पर मयंक के घर आने का बेसब्री से इंतजार था. पिछले साल होली के वक्त वह भोपाल अपने मायके में थी. सो, मयंक के साथ उस की यह पहली होली थी. होली के 2 दिनों पहले मयंक के आ जाने से नेहा की खुशी दोगुनी हो गई. पति को रंगने के लिए उस ने बच्चों के साथ मिल कर बड़े जतन से एक योजना बनाई, जिस की भनक भी मयंक को नहीं पड़ने पाई.

होली वाले दिन महल्ले में सुबह से ही बच्चों की धमाचौकड़ी शुरू हो गई थी. नेहा भी सुबह जल्दी उठ कर भाभी के साथ घर के कामों में हाथ बंटाने लगी. ‘‘जल्दीजल्दी हाथ चला नेहा, 10-11 बजे से महल्ले की औरतें धावा बोल देंगी. कम से कम खाना बन जाएगा तो खानेपीने की चिंता नहीं रहेगी,’’ जेठानी की बात सुन नेहा दोगुनी फुरती से काम में लग गई. थोड़ी ही देर में पूड़ी, कचौड़ी, दही वाले आलू, मीठी सेवइयां और अरवी की सूखी सब्जी बना कर दोनों देवरानीजेठानी फारिग हो गईं. ‘‘भाभी, मैं जरा इन को देख कर आती हूं, उठे या नहीं.’’

‘‘हां, जा, पर जरा जल्दी करना,’’ माला मुसकराते हुए बोली. कमरे में घुस कर नेहा ने सो रहे मयंक के चेहरे की खूब गत बनाई और मजे से चौके में आ कर अपना बचा हुआ काम निबटाने लगी.

इधर, मयंक की नींद खुलने पर सभी उस का चेहरा देख कर हंसतेहंसते लोटपोट हो गए. हैरान मयंक ने बरामदे में लगे कांच में अपनी लिपीपुती शक्ल देखी तो नेहा की शरारत समझ गया. ‘‘भाभी, नेहा कहां है?’’ ‘‘भई, तुम्हारी बीवी है, तुम जानो. मुझे तो सुबह से नजर नहीं आई,’’ भाभी ने हंसते हुए जवाब दिया.

‘‘बताता हूं उसे, जरा मिलने दो. अभी तो मुझे अंदर जाना है.’’ हाथ से फ्रैश होने का इशारा करते हुए वह टौयलेट में जा घुसा. इधर, नेहा भाभी के कमरे में जा छिपी थी.

फ्रैश हो कर मयंक ने ब्रश किया और होली खेलने के लिए बढि़या सफेद कुरतापजामा पहना. ‘‘भाभी, नाश्ते में क्या बनाया है, बहुत जोरों की भूख लगी है. फिर दोस्तों के यहां होली खेलने भी निकलना है,’’ मयंक ने भाभी से कहा, इस बीच उस की निगाहें नेहा को लगातार ढूंढ़ रही थीं. मयंक ने नाश्ता खत्म ही किया था कि भतीजी खुशी ने उस के कान में कुछ फुसफुसाया. ‘‘अच्छा…’’ मयंक उस की उंगली थामे उस की बताई जगह पर आंगन में आ खड़ा हुआ. ‘‘बताओ, कहां है चाची?’’ पूछने पर ‘‘एक मिनट चाचा,’’ कहती हुई खुशी उस का हाथ छोड़ कर फुरती से दूर भाग गई. इतने में पहले से ही छत पर खड़ी नेहा ने रंग से भरी पूरी की पूरी बालटी मयंक पर उड़ेल दी. ऊपर से अचानक होती रंगों की बरसात में बेचारा मयंक पूरी तरह नहा गया. उस की हालत देख कर एक बार फिर पूरा घर ठहाकों से गूंज उठा. थोड़ी ही देर पहले पहना गया सफेद कुरतापजामा अब गाढ़े गुलाबी रंग में तबदील हो चुका था.

‘‘ठहरो, अभी बताता हूं तुम्हें,’’ कहते हुए मयंक जब तक छत पर पहुंचा, नेहा गायब हो चुकी थी. इतने में बाहर से मयंक के दोस्तों का बुलावा आ गया. ‘‘ठीक है, मैं आ कर तुम्हें देखता हूं,’’ भनभनाता हुआ मयंक बाहर निकल गया. उधर, भाभी के कमरे में अलमारी के एक साइड में छिपी नेहा जैसे ही पलटने को हुई, किसी की बांहों ने उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया. उस ने तुरंत ही अपने को उन बांहों से मुक्त करते हुए जेठजी पर तीखी निगाह डाली.

‘‘आप,’’ उस के चहेरे पर आश्चर्य और घृणा के मिलेजुले भाव थे. ‘‘अरे तुम, मैं समझा माला है,’’ जेठजी ने चौंकने का अभिनय करते हुए कहा. बस, अब और नहीं, मन में यह विचार आते ही नेहा ने भरपूर ताकत से जेठजी के गाल पर तड़ाक से एक तमाचा जड़ दिया.

‘‘अरे, पागल हुई है क्या, मुझ पर हाथ उठाती है?’’ जेठजी का गुस्सा सातवें आसमान पर था. ‘‘पागल नहीं हूं, बल्कि आप के पागलपन का इलाज कर रही हूं, क्योंकि सम्मान की भाषा आप को समझ नहीं आ रही. गलत थी मैं जो सोचती थी कि मेरे बदले हुए व्यवहार से आप को अपनी भूल का एहसास हो जाएगा. पर आप तो निर्लज्जता की सभी सीमाएं लांघ बैठे. अपने छोटे भाई की पत्नी पर बुरी नजर डालते हुए आप को शर्म नहीं आई, कैसे इंसान हैं आप? इस बार आप को इतने में ही छोड़ रही हूं. लेकिन आइंदा से अगर मुझ से जरा सी भी छेड़खानी करने की कोशिश की तो मैं आप का वह हाल करूंगी कि किसी को मुंह दिखाने लायक न रहेंगे. आज आप अपने छोटे भाई, पत्नी और बच्चों की वजह से बचे हो. मेरी नजरों में तो गिर ही चुके हो. आशा करती हूं सब की नजरों में गिरने से पहले संभल जाओगे,’’ कह कर तमतमाती हुई नेहा कमरे के बाहर चली गई.

कमरे के बाहर चुपचाप खड़ी माला नेहा को आते देख तुरंत दरवाजे की ओट में हो गई. वह अपने पति की दिलफेंक आदत और रंगीन तबीयत से अच्छी तरह वाकिफ थी. पर रूढि़वादी बेडि़यों में जकड़ी माला ने हमेशा ही पतिपरमेश्वर वाली परंपरा को शिरोधार्य किया था. वह कभीकभी अपने पति की गलत आदतों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत न कर पाई थी. लेकिन आज नेहा ने जो बहादुरी और हिम्मत दिखाई, उस के लिए माला ने मन ही मन उस की बहुत सराहना की. नेहा ने उस के पति को जरूरी सबक सिखाने के साथसाथ उस घर की इज्जत पर भी आंच न आने दी. माला नेहा की शुक्रगुजार थी.

उधर, कुछ देर बाद नहा कर निकली नेहा अपने गीले बालों को आंगन में सुखा रही थी. तभी पीछे से मयंक ने उसे अपने बाजुओं में भर कर दोनों मुट्ठियों में भरा रंग उस के गालों पर मल दिया. पति के हाथों प्रेम का रंग चढ़ते ही नेहा के गुलाबी गालों की रंगत और सुर्ख हो चली और वह शरमा कर अपने प्रियतम के गले लग गई. यह देख कर सामने से आ रही माला ने मुसकराते हुए अपनी निगाहें फेर लीं.

Holi Special: स्किन और बालों पर रंगों का न हो असर

आजकल रंग प्राकृतिक स्रोतों से नहीं बनाए जाते हैं. उन में रसायन, अभ्रक यहां तक कि सीसा भी मिला होता है, जो न केवल त्वचा में जलन पैदा करता है, बल्कि सिर की त्वचा में जम भी जाता है. चूंकि होली बाहर खेली जाती है, ऐसे में धूप का भी त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है. धूप के कारण त्वचा की नमी खत्म हो जाती है, त्वचा शुष्क हो जाती है. उस में टैनिंग भी हो जाती है. इसीलिए होली के बाद त्वचा की खूबसूरती कम हो जाती है. धूप में जाने से 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं. सनस्क्रीन एसपीएफ 20 या इस से अधिक होना चाहिए. अगर आप की त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं, तो ज्यादा एसपीएफ चुनें. ज्यादातर सनस्क्रीन में मौइश्चराइजर भी होता है. अगर आप की त्वचा बहुत सूखी है, तो पहले सनस्क्रीन लगाएं, फिर कुछ मिनट बाद मौइश्चराइजर लगाएं. दिन में हलका मेकअप करें. आंखों के लिए आईपैंसिल या काजल और होंठों के लिए लिपग्लौस का इस्तेमाल करें.

होली खेलने के बाद त्वचा से रंग निकालना सब से मुश्किल होता है. अपने चेहरे को तुरंत साबुन से न धोएं, क्योंकि साबुन क्षारीय होता है, जो त्वचा के सूखेपन को और बढ़ाता है. इस के बजाय किसी क्लींजिंग क्रीम या लोशन का इस्तेमाल करें. चेहरे पर इस की मसाज करें और फिर गीली रुई से पोंछ लें. आंखों के आसपास के हिस्सों को भी हलके हाथों से साफ करें. क्लींजिंग लोशन रंगों को घोल कर उन्हें आसानी से निकाल देता है.

घर पर क्लींजर बनाने के लिए 1/2 कप ठंडे दूध में 1 चम्मच तिल, जैतून या सूरजमुखी का तेल मिला कर उस में रुई भिगो कर त्वचा को साफ करें.

तिल के तेल का भी शरीर से रंग निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से न केवल त्वचा में लगा रंग निकल जाएगा, बल्कि त्वचा भी सुरक्षित रहेगी. तिल का तेल धूप से होने वाले नुकसान को भी ठीक करने में मददगार होता है. नहाते समय लूफा की मदद से शरीर को हलके से स्क्रब करें. नहाने के तुरंत बाद जब त्वचा थोड़ी गीली हो, चेहरे और शरीर पर मौइश्चराइजर लगाएं. इस से त्वचा में नमी समा जाती है.

होली के अगले दिन आप को धूप के कारण त्वचा सूखी या टैनिंग युक्त लग सकती है. अत: 2 बड़े चम्मच शहद 1/2 कप दही में मिलाएं. इस में 1 चुटकी हलदी डालें. इसे चेहरे, गरदन और बाजुओं पर लगाएं. 20 मिनट बाद पानी से धो दें. शहद त्वचा को मुलायम बनाता है. दही त्वचा को पोषण प्रदान कर के अम्लक्षार का संतुलन बनाए रखता है. यह टैनिंग को भी निकालता है. रंगों के कारण सिर की त्वचा पर जलन होती है और बाल रूखे हो जाते हैं. होली खेलने से पहले बालों पर लीवऔन कंडीशनर या हेयरसीरम लगाएं. इस से बालों पर एक परत बन जाएगी जो इसे रंगों, धूप और प्रदूषण से बचाएगी. इस से बालों की चमक बनी रहेगी.

बाल धोते समय पहले बहुत सारे पानी से धो कर सूखे रंगों और अभ्रक के कणों को निकालें. इस के बाद माइल्ड हर्बल शैंपू लगा कर उंगलियों से सिर की त्वचा पर मसाज करें. फिर पानी से अच्छी तरह धोएं. एक मग पानी में एक नीबू का रस मिला कर बालों को धोएं. इस से सिर की त्वचा के अम्लक्षार का संतुलन बना रहता है.

अगर खुजली हो तो 2 चम्मच सिरका 1 मग पानी में डाल कर आखिरी रिंस के लिए इस्तेमाल करें. इस से खुजली समाप्त हो जाएगी. अगर खुजली फिर भी न जाए तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं. अगले कुछ दिनों के भीतर बालों को पोषक उपचार दें. अंडे की जर्दी को बादाम या जैतून के तेल में मिला कर बालों और सिर की त्वचा पर लगाएं. तौलिया गरम पानी में भिगो कर निचोड़ें. फिर उसे सिर पर लपेट कर 5 मिनट तक रखें. इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराएं. इस से बाल और सिर की त्वचा तेल को अच्छी तरह से सोख लेगी. 1 घंटे बाद बालों को धो लें. मेहंदी बालों के नुकसान को ठीक करने में मदद करती है और उन्हें नई चमक देती है. मेहंदी पाउडर में 4 चम्मच नीबू का रस, कौफी, 2 अंडे, 2 चम्मच तेल और दही मिला कर पेस्ट बनाएं. इसे बालों में लगा कर 1 घंटे बाद धो लें.         

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