अच्छी बचत करने के लिए जरूरी हैं ये तीन बातें, आज ही गांठ बांध लें

जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य होता है बचत. किसी तरह से लोग अधिक से अधिक बचत के तरीकों की खोजबीन में लगे रहते हैं. पर जिस तरह से लोगों की जरूरतें और महंगाई में तेजी आई है, बचत किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. यही कारण है कि तरह तरह की टिप्स के लिए लोग फाइनेंशियल प्लैनर्स की मदद लेते हैं. पर इस खबर में हम आपके लिए लाएं है कुछ खास टिप्स जिसको अपना कर आप अच्छे रकम की बचत कर सकेंगी. तो आइए जाने बचत से जुड़ी तीन बातें.

टारगेट बनाएं

किसी भी चीज की सफलता के लिए जरूरी है कि आप उसके लिए फोकस हों. बचत आसान नहीं होता. इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी बचत के बारे में बेहतर जाने, समझें. आप अपने गोल के बारे में अच्छे से समझे, जाने. इससे आपके सेविंग्स में खासा मदद मिलेगी.

समय का महत्व समझें

सेविंग्स के लिए समय के महत्व को समझना जरूरी होता है. अगर आप इसके महत्व को समझें तो अपने गोल को हासिल करने में परेशानी नहीं होगी.

बेहतर कमाई के लिए जरूरी है बेहतर निवेश

अधिक कमाई के विकल्पों को तलाशें. बस ध्यान रखें कि इसमें आप किसी गलत रास्ते पर ना चले जाएं. कमाई के जो भी सही रास्ते हैं उनका चुनाव करें. कमाई के साथ साथ निवेश बहुत जरूरी है. निवेश ना सिर्फ बचत का एक सुरक्षित माध्यम माना जाता है बल्कि इससे हमारे रकम में बढ़ोत्तरी भी होती है. इस लिए बेहतर कमाई के लिए जरूरी है कि आप निवेश पर खासा जोर दें.

टैक्स जमा करती हैं तो ये खबर है आपके लिए जरूरी

अगर आप करदाता हैं और आपका आधार कार्ड पैन कार्ड से लिंक नहीं है तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जानकारी दी है कि इनकम टैक्स दाखिल करने वालों के लिए जरूरी है कि वो अपने आधार कार्ड को पैन से लिंक करा लें. इस प्रक्रिया की अंतिम तिथि 31 मार्च रखी गई है.  सीबीडीटी ने जारी अपने निर्देश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिकता पर पहले ही मुहर लगा दी है. इसके बाद इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 139 एए के तहत सीबीडीटी के 30 जून के आदेश के मुताबिक अब आधार-पैन लिंक कराना अनिवार्य है. आरटीआर दाखिल करने वाले लोगों को इस प्रक्रिया को 31 मार्च 2019 तक पूरी करनी है.

आपको बता दें कि 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की पुष्टि की थी कि आईटीआर दाखिल करने वाले लोगों को पैन को आधार से लिंक करना जरूरी है. इस मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय को दूसरी बार सुनवाई करनी पड़ी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दो करदाताओं को आधार को पैन से लिंक किए बिना आईटीआर फाइल करने की अनुमती दे दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट को इस पर दोबारा सुनवाई करनी पड़ी. जस्टिस एके सीकरी और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही मामले में फैसला दे दिया है और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139एए को बरकरार रखा है.

सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल ही 26 सितंबर को आधार योजना को संवैधानिक करार दिया था. हालांकि कई जरूरी हिस्सों से आधार की अनिवार्यता को रद्द भी किया गया था, इनमें स्कूल एडमिशन, मोबाइल फोन और बैंक अकाउंट जैसी चीजें शामिल हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139एए (दो) में कहा गया है कि जिस भी व्यक्ति के पास एक जुलाई 2017 तक पैन है और आधार हासिल करने की योग्यता रखता है, उसे आयकर विभाग को आधार नंबर देना होगा.

घर बैठे ऐसे सुधारें पैन कार्ड की गलतियां

वित्तीय लेनदेन के लिहाज से पैन कार्ड आज बेहद जरूरी दस्तावेज बन चुका है. बिना पैन के बड़े आर्थिक लेनदेन संभव नहीं है. यहां तक अब बैंक खातों को खोलने के लिए भी पैन एक बेहद जरूरी है. इस तरह के सरकारी दस्तावेजों में किसी भी तरह की गड़बड़ी को ठीक कराना अपने आप में एक चुनौती भरा काम होता है. ऐसे में  हम आपको पैन कार्ड की गलतियों को सुधारने के कुछ  औनलाइन तरीकों के बारे में बताने वाले हैं. जिसकी सहायता से आप पैन की गलतियों को आसानी से घर बैठे ठीक करा सकती हैं.

  • सबसे पहले एनएसडीएल की वेबसाइट पर जाएं.
  • नए टैब के एप्लिकेशन बौक्स में Changes or corrections in existing PAN Data/ Reprint of PAN card विकल्प पर क्लिक करें.
  • इसके बाद जो बौक्स स्क्रिन पर आएगा उसमें पूछी गईं सारी जानकारी भर कर सब्मिट कर दें. ये प्रौसेस पूरा होने के बाद एक टोकन नंबर जनरेट होगा. उसे कहीं नोट कर के रख लें.
  • टोकन जब जनरेट होने के बाद आधार नंबर, पैन जैसी मांगी गई निजी जानकारियां दर्ज करें.
  • इसके बाद आपके सामने एक नया पेज खुलेगा. यहा उम्र का प्रमाण, पते का प्रमाण, पहचान संबंधी दस्तावेजों को अपलोड करें. इसके बाद डिक्लेरेशन भर दें. अपनी फोटो को सेल्फ अटेस्ट कर के अपलोड करें. सारी मांगी गई चीजों को अपलोड करने के बाद एक बार रिव्यू कर लें. इसके बाद आपको पेमेंट करना होगा.
  • अगर आपका पता भारत का है को आपको बतौर प्रोसेसिंग फी 100 रुपये पे करना होगा. वहीं गैर भारतीय पते के लिए आपको 1020 रुपये की रकम अदा करनी होगी.
  • सफल पेमेंट होने के बाद आपकी स्क्रिन पर एक इनक्लोजर आएगा. इसे डाउनलोड कर लें. इसको प्रींट कर के इसका हार्ड कौपी रखें.
  • आपको बता दें कि इंडिविजुअल आवेदकों को दो फोटो लगानी होगी और सेल्फ अटेस्ट करना होगा.
  • इसपर साइन करते वक्त ध्यान देने की जरूरत है कि आपका साइन आधा फोटो पर हो और आधा एक्वौलेजमेंट पर हो. इसे एनएसडीएल ई-गो पर भेज दें.
  • एक्नौलेजमेंट और अन्य जरूरी दस्तावेजों को एनएसडीएल पर सब्मिट करने के 15 दिनों के अंदर पहुंच जाना चाहिए. ध्यान रखें कि आप अपने पैन के करेक्शन फॉर्म को सावधानी से भरें.

छोटा गुल्लक बड़ी बचत

सीख देने वाला यह मामला मध्य प्रदेश के जिले छिंदवाड़ा का है, जिस में स्कूली बच्चों ने खेलखेल में करीब 1 करोड़ रुपए जमा कर सभी को हैरत में डाल दिया. बच्चों में बचत की आदत डालने की गरज से राज्य सरकार द्वारा 2007 में शुरू की गई ‘अरुणोदय गुल्लक’ योजना के तहत यह राशि बच्चों ने जमा की थी.

अगर इस तरीके को सभी जिंदगी में उतार लें तो जाहिर है वे मनमाफिक बचत कर पाएं, जिस के लिए जरूरत सिर्फ एक गुल्लक की है, जो अब घरों से गायब हो चला है. कभी गुल्लक भारतीय घरों की अहम जरूरत थी, लेकिन बचत के बढ़ते विकल्पों और आसान होती बैंकिंग प्रक्रिया ने यह जरूरत खत्म कर दी है.

गुल्लक की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि अगर यह सामने हो तो बचत खुदबखुद हो जाती है. रोज पैसा जमा करने की आदत सिखाने वाला गुल्लक चूंकि सहज उपलब्ध होता है, इसलिए इसे भरने के लिए हरकिसी का मन करने लगता है.

बूंदबूंद से घड़ा भरता है, यह बात गुल्लक पर खरी उतरती है, जिस में रोज 10-20 रुपए भी डाले जाएं तो जेब या बजट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता और बैंक जाने की भागादौड़ी की भी जहमत नहीं उठानी पड़ती. बच्चों को शौक से पिगी बैंक दिलाने वाले अभिभावक अगर खुद के लिए भी गुल्लक ले लें तो वे सालभर में आकर्षक राशि जमा कर सकते हैं.

गुल्लक की खासीयतें

मिट्टी की बनी और 10-20 रुपए में मिलने वाले गुल्लक में आसानी से 40-50 हजार रुपए इकट्ठे किए जा सकते हैं, जिस की तैयारी इस तरह की जा सकती है:

सब से पहले तो एक गुल्लक खरीदें. फिर उसे ऐसी जगह रखें जहां आप को रोज दिखे. अब नियमित न्यूनतम राशि उस में डालने का नियम बना लें जो 10 से ले कर 100 रुपए प्रतिदिन तक हो. इस नियम का यथासंभव पालन करें. बचत के लिए अपनी फुजूलखर्ची को छोड़ें. जब नियमित पैसे गुल्लक में डालने लगें तो कभीकभार एकमुश्त पैसा भी उस में डालें. गुल्लक को बेवजह न फोड़ें तो यह भरता चला जाएगा और जमा राशि बढ़ती जाएगी.

बनाएं मकसद

भोपाल की सविता शुक्ला रोज 100 रुपए गुल्लक में डालती हैं और उसे साल के आखिरी दिन फोड़ती हैं, तो उस में करीब 50 हजार रुपए निकलते हैं.

सविता बताती हैं कि पहले साल उन्होंने 35 हजार रुपए जमा किए थे, जिन्हें नए साल में फिक्स डिपौजिट करा दिया था. उत्साह और रोमांच बढ़ा तो दूसरे साल उन्होंने केरल घूमने का प्लान बना डाला. जैसे ही यह पता उन के पति संजय को चला तो वे भी कुछ पैसे गुल्लक में डालने लगे.

2016 के आखिरी दिन जब दोनों ने गुल्लक फोड़ा तो उस में 50 हजार रुपए निकले. सविता कहती हैं, ‘‘अगर घूमने जाने के लिए बैंक से पैसे निकालते तो वह मजा नहीं आता जो गुल्लक फोड़ने पर उस के पैसों से आया, क्योंकि हम पर इस का कोई अतिरिक्त भार नहीं आया. अगर गुल्लक में पैसे जमा नहीं करते तो केरल के सैरसपाटे का सपना शायद ही हकीकत में बदल पाता.’’

आइडिया अच्छा है कि कोई महंगा सामान खरीदने या दूसरे किसी मकसद के लिए गुल्लक में पैसे इकट्ठे किए जाएं तो इस का पता नहीं चलता. कोई इलैक्ट्रौनिक आइटम या फिर हर साल 2 तोले सोने का लक्ष्य सामने रख गुल्लक में रोज पैसे डाले जाएं तो कोई भी चीज पहुंच से दूर नहीं रह जाती.

गुल्लक में पैसे डालना अखरता भी नहीं है, क्योंकि इस के लिए कुछ ज्यादा नहीं सोचना पड़ता. उलटे फायदा यह होता है कि फुजूल की खरीदारी की लत छूट जाती है, जिस से दोहरी बचत होती है.

गुल्लक में जब भी अनुमानित 20 से 50 हजार रुपए जमा हो जाएं तो उन्हें कहीं इकट्ठा भी निवेश किया जा सकता है. गुल्लक एक ऐसा अकाउंट है जिसे खोलने के लिए किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं पड़ती है और उस का संचालन भी आप के हाथ में रहता है.

भोपाल की ही एक गृहिणी सरिता सक्सेना बताती हैं कि उन्होंने 10 साल पहले गुल्लक फोड़ी थी तो उस में 58 हजार रुपए निकले थे. ये वे पैसे थे जो उन की बेटी सुरभि को रिश्तेदार और परिचित दे जाते थे. सुरभि जब 6 साल की हुई तो उन्होंने यह राशि फिक्स डिपौजिट करा दी थी जो अब 1 लाख रुपए से ज्यादा हो गई है.

अगर सरिता 100-200 और 500 सौ रुपए तुरंत खर्च कर देतीं तो एक बड़ी रकम से वंचित हो जातीं. यह मुमकिन हुआ गुल्लक की वजह से जो उन्होंने सुरभि के लिए खरीदा था.

इमरजैंसी में भी गुल्लक बडे़ काम की चीज साबित होता है. अगर वक्तबेवक्त नक्दी की जरूरत पड़ जाती है, तो गुल्लक मदद से इनकार नहीं करता. हालांकि अब हर जगह एटीएम हैं, लेकिन गुल्लक फोड़ने से आप के सेविंग अकाउंट पर फर्क नहीं पड़ता.

पहली कोशिश यह होनी चाहिए कि गुल्लक तब तक न फोड़ा जाए जब तक मकसद पूरा करने लायक पैसे उस में जमा न हो जाएं.

1 साल में एक मकसद पूरा कर फिर मकसद बड़ा किया जाए ताकि ज्यादा बचत हो सके.

कोशिश यह भी होनी चाहिए कि घर के सभी सदस्य गुल्लक में पैसा डालें. इस से भी बेहतर रास्ता यह है कि घर के सभी सदस्यों के पास अपना अलग गुल्लक होना चाहिए जिस से बचत में प्रतिस्पर्धा पैदा हो.

फिर देरी क्यों, आज ही एक गुल्लक खरीद लाएं और उस पर 1 साल बाद की तारीख डाल दें. फिर देखें छोटी बचत का कमाल, जो बैठेबैठाए आप को हैंडसम अमाउंट देगा.

बच्चे के लिए कैसे बनाएं निवेश की योजना

जिस पल कोई महिला मां बनती है, तो उस का बच्चा उसी पल से उस के संसार की धुरी बन जाता है. रोजाना अपने बच्चे की छोटीछोटी जरूरतों से ले कर उस के सुरक्षित भविष्य तक के लिए वह उसे सबकुछ बेहतरीन देना चाहती है. वैसे भी अब बच्चे को अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य देने की जिम्मेदारी केवल पिता की ही नहीं रही है, मां भी इस में अपना पूरा सहयोग दे रही है.

इस संदर्भ में अनिता सहगल नामक महिला का उदाहरण लेते हैं. उन की उम्र 35 साल है और वे अपने पति तथा 2 बच्चों के साथ पुणे में रहती हैं. उन का बड़ा बेटा 12 और छोटा 6 साल का है. वर्तमान समय में एक ही बच्चे के पालनपोषण में होने वाले खर्च की सूची भयभीत कर देती है, तो ऐसे में अनिता को अभी से अपने बच्चों की शिक्षा को ले कर योजना बनाने की जरूरत है.

भारत में शिक्षा पर खर्च बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है. उच्च शिक्षा के खर्च में महंगाई दर काफी अधिक है. यह वित्तीय वर्ष 2012 से 2018 के दौरान औसतन 6.42% रही पर अब सालाना 10% है. हम अगले 20 वर्षों में 7% की अपरिवर्तित दर को ले कर भी विचार करें तो 4 वर्षीय बीटैक इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम जिस का वर्तमान खर्च लगभग क्व8 लाख आता है, वह भी क्व30 लाख में बदल सकता है. इसी तरह वर्तमान में एमबीए कोर्स पर कुल मिला कर करीब क्व12 लाख खर्च होते हैं, लेकिन आने वाले 20 वर्षों में यह खर्च अंदाजन क्व46 लाख हो जाएगा. इसे ध्यान में रखते हुए अनिता जैसी हर महिला के लिए जल्द से जल्द अपने बच्चे की शिक्षा की योजना बनाना अनिवार्र्य हो गया है.

निवेश की योजना बनाएं

सब से जरूरी यह है कि अनिता अपने लक्ष्यों को लिख लें ताकि इस बात का एहसास हो जाए कि कब, किन मदों पर और कितना खर्च करना होगा. उदाहरण के लिए प्री प्राइमरी ऐजुकेशन के खर्च के लिए उच्च शिक्षा की तुलना में कम निवेश की दरकार होगी. इसी तरह स्नातक स्तर के मुकाबले स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए ज्यादा पैसे लगेंगे. ट्यूशन फीस को ही ध्यान में रखने के बजाय एक मां को होस्टल फीस, स्टेशनरी व प्रिंटिंग आदि से जुड़े खर्चों पर भी विचार करने की जरूरत है. उसे यह भी तय करने की जरूरत है कि बच्चे की शिक्षा भारत में होगी या विदेश में.

इन तमाम बातों को चार्ट में लिख लेने से आवश्यक लक्षित धनराशि की पहचान करने और उस के मुताबिक निवेश करने में मदद मिलेगी. उसे बजट की एक ऐसी बुनियादी योजना तैयार करने की भी जरूरत है जो अवांछित खर्चों को कम करने और अतिरिक्त पैसे बचाने में सहायक हो. ये अतिरिक्त पैसे बच्चे के लक्ष्य के लिए निवेश किए जा सकते हैं.

बच्चे के जन्मदिन और त्योहारों पर रिश्तेदारों से उपहार में मिलने वाले पैसों का एकमुश्त निवेश किया जाना चाहिए. जब भी बच्चे को पैसे मिलें, उन के उपयोग पर विचार करते हुए निवेश को सब से ऊपर रखें.

निवेश का असरदार रास्ता

बच्चे से जुड़े लक्ष्य के लिए निवेश करने की कई राहें हैं. 8.5% की ब्याज दर (वित्तीय वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही) देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना या एक समय में 9-10% रिटर्न पैदा कर सकने वाला यूनिट लिंक्ड इन्वैस्टमैंट प्लान (यूलिप) आदर्श निवेश हो सकता है. बहरहाल, एक डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड निवेश का सब से असरदार रास्ता होगा. एक समय अवधि में यह छोटी बचत योजनाओं की अपेक्षा ज्यादा बड़ी राशि बनाने में सहायक होती है.

किसी बच्चे की उच्च शिक्षा एक दीर्घकालिक लक्ष्य है, इसलिए रिश्तेदारों से 20 साल तक सालाना क्व10 हजार भी मिलें तो वे लगभग क्व17 लाख की धनराशि बन सकते हैं. म्यूचुअल फंड में लगाया गया पैसा 18% दे तो यह संभव है. इसलिए अनिता जैसी ज्यादा से ज्यादा महिलाएं दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रख कर अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर सकती हैं और काफी रुपए जमा कर सकती हैं.

लंबे समय तक किया जाने वाला निवेश

परिवार से कभीकभार जो पैसा मिलता है, उस के अलावा भी उन्हें एसआईपी जैसी इक्विटी योजनाओं में अपनी बचत का निवेश करते रहना चाहिए. नियमित रूप से लंबे समय तक किया जाने वाला यह निवेश भी अच्छीखासी धनराशि दे सकता है.

उदाहरण के लिए

15 साल तक एसआईपी में हर माह क्व15 हजार लगाए जाने पर सालाना रिटर्न 18% मानें, तो अंत में करीब क्व40 लाख इकट्ठा हो सकते हैं.

आखिरी बात, नियमकायदों और संचालन से जुड़ी अनावश्यक परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि हर महिला अपने नाम निवेश करे. बच्चे को नौमिनी बनाया जा सकता है.

एक अच्छी मां बनने के लिए अपने बच्चे को उज्जवल भविष्य देने वाली हर जिम्मेदारी को पूरा करना शामिल है. आप को यह जिम्मा लेना ही होगा कि आप की जिंदगी जैसी है अपने बच्चे को उस से बेहतर जिंदगी देंगी.

FD जमा करना है? जानिए कौन सा बैंक दे रहा है सबसे अधिक ब्याज

कमाई के साथ बचत करने का एक बेहतर विकल्प है एफडी. इससे ना सिर्फ लोगों को बचत की सुविधा मिलती है बल्कि एक अच्छे निवेश के विकल्प के तौर पर भी इसे देखा जा सकता है. बैंकों की ओर से पेश की जाने वाली खास निवेश विकल्पों में से एक है फिक्स्ड डिपौडिट. आपको बता दें कि अधिकतर बैंक्स जमा योजना सावधि जमा (एफडी) पर अच्छा रिटर्न देते हैं. इसमें निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा है कि जरूरत के वक्त इसमें से पैसा विड्राल किया जा सकता है.

एफडी आपको लौंग टर्म और शौर्ट टर्म निवेश की सुविधा देती है. शौर्ट टर्म में निवेश की अवधि 1 से 2 सालों की होती है. अभी हम आपको शौर्ट टर्म निवेश के बारे में बात करेंगे. इस खबर में हम एफडी पर ज्यादा रिटर्न देने वाले बैंकों के बारे में बताएंगे.

RBL Bank

ये बैंक एक साल की अवधि पर 8 फीसदी का ब्याज दर देती है. वहीं सिनियर सिटिजन के लिए ये दर 8.50 फीसदी का है.

YES Bank

यस बैंक एक करोड़ से कम की रकम पर  7.25 फीसदी का सलाना ब्याज दर देती है. वहीं इस मियाद पर सिनियर सिटिजन्स के लिए 7.75 फीसदी का ब्याज दर है.

इंडसइंड बैंक

इस बैंक में भी एक साल की मियाद पर एक करोड से कम की राशि पर 8 फीसदी का ब्याज दर है. सिनियर सिटिजन के लिए ये दर बढ़ कर  8.50 फीसदी हो जाता है. HDFC Bank

ये बैंक एक करोड़ से कम के रकम पर एक साल के निवेश पर सालाना 7.30 फीसदी का ब्याज दर देता है. जबकि सीनियर सिटिजन्स के लिए ये दर 7.80 हो जाती है. एक करोड़ से पांच करोड़ की रकम पर बैंक 7.50 की दर पर ब्याज देती है. इसी रकम पर सिनियर सिटिजन्स को 8 फीसदी के दर पर बैंक ब्याज देती है.

IDFC Bank

एक साल की मियाद पर एक करोड़ से कम की रकम पर ये बैंक 7 फीसदी ब्याज दर देती है. सिनियर सिटिजन के लिए ये दर बढ़ कर 7.50 फीसदी का हो जाता है.

 

टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन, टैक्‍स रिबेट में अंतर जानिए

टैक्स के पेंच सभी की समझ से परे  है. बहुत से लोग इन टर्मिनोलौजी में उलझ कर रह जाते हैं. उन्हें असल चीजों के बारे में नहीं पता चल पाता है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ खास शब्दों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो अक्सर टैक्स संबंधी बातचीत में आते रहते हैं.

जब भी टैक्स संबंधी बातें होती हैं, टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट जैसे टर्म सुनने को मिलते हैं. पर बहुत से लोगों को इन टर्म्स का मायने नहीं मालूम होता. इसलिए इस खबर में हम आपको इन शब्दों का अर्थ समझाएंगे.

टैक्स डिडक्शन (टैक्स की कटौती)

टेक्सपेयर की कुल आय से कुछ चीजें घटाकर टैक्स योग्य आय निकाली जाती है. इसका प्रमुख उद्देश्य है टैक्स योग्य आय को घटाना. इसमें मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, ट्यूशन आदि के खर्च को शामिल किया जाता है। करदाता को कितना कर देना है, इसका भुगतान व्यक्ति की बची हुई टैक्स योग्य आय के आधार पर किया जाता है.

टैक्स एग्जेंप्शन (टैक्स छूट)

टैक्स एग्जेंप्शन वो खर्च, आय या निवेश होते हैं जिनपर कोई टैक्स नहीं लगता है. इससे आपकी टैक्स योग्य आय कम हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप साल भर में 7 लाख कमाती हैं और इसी में 2 लाख का निवेश करती हैं तो आपके केवल 5 लाख पर ही टैक्स देना होगा.

छूट योग्य सारे आय और निवेश के बारे में कर्मचारी को अपनी कंपनी को बताना जरूरी है. जिसके बाद बचे रकम पर कंपनी टैक्स काटती है.

टैक्स रिबेट

टैक्स रिबेट वो राशि होती है जिसपर टैक्सपेयर को कोई कर नहीं देना होता है. जैसे 87A के तहत मिलने वाला रिबेट. इसके अनुसार अगर आपकी सालाना आय 3।5 लाख रुपये से कम है तो आप 2,500 रुपये तक के रिबेट का दावा कर सकते हैं. छूट और रिबेट के बाद जो राशि बचती है उसपर आपको टैक्स देना होता है. टैक्‍स की गणना करने के बाद रिबेट आपको इनकम टैक्‍स की राशि के भुगतान में राहत देता है.

इन बातों का रखें ध्यान, कभी नहीं होंगी औनलाइन फ्रौड का शिकार

तेजी से बढ़ते औनलाइन बाजार के हम सब ग्राहक हैं. फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी वेबसाइटों ने शौपिंग का पूरा स्वरूप बदल दिया है. अब आपको किसी भी तरह की खरीदारी के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है. घर बैठे बस फोन पर उंगलियां चला कर आप मन मुताबिक सामान खरीद सकती हैं. पर जब नई चीजें हमसे जुड़ती हैं तो अपने साथ नई चुनौतियां भी लाती हैं.

तेजी से बढ़ रहे औनलाइन शौपिंग कारोबार के ट्रेंड से नई चुनौतियां सामने आई हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप शौपिंग को लेकर अधिक सजग और सावधान रहें. औनलाइन शौपिंग करने से पहले ध्यान रखें कि आपके कंप्यूटर में एंटी वायरस हो.

इसके अलावा हम आपको कुछ जरूरी बातों के बारे में बताने वाले हैं जिनको ध्यान में रख कर आप इन प्लैटफार्मों पर होने वाली धोखाधड़ी से खुद को बचा सकेंगी.

तुरंत करें सामान चेक

जैसे ही आपके पास और्डर की डिलिवरी हो जाए आप तुरंत सामान चेक करें. कई बार हमें गलत प्रौडक्ट्स दे दिए जाते हैं. कोशिश करें कि अनबौक्सिंग करते वक्त आप वीडियो रिकौर्ड कर लें. ये आपका प्रूफ होता है कि आपके पास गलत प्रौडक्ट आया है.

जानिए http और https  में अंतर

http  और https  का खासा ध्यान देने की जरूरत है. ये दोनों शब्द आपके url टैब में होते हैं. अगर आपके टैब में http है तो उससे खरीदारी ना करें. https वाली वेबसाइटें सुरक्षित होती हैं. इसमें s का अर्थ ही सिक्यूरिटी होता है. टैब में s लेटर पेमेंट के वक्त जुड़ता है.

रखें वेबसाइट की पूरी जानकारी

किसी भी वेबसाइट से शौपिंग करत वक्त ध्यान रखें कि उसकी सारी जानकारी आपके पास हो. जिन वेबसाइटों पर धोखाधड़ी की गुंजाइश होती है वो अपनी जानकारी छिपाए रखती हैं.

अनजान साइटों से ना करें शौपिंग

औनलाइल शौपिंग में अपनी सुरक्षा को लेकर सबसे अधिक सजग रहने की जरूरत है. किसी भी अनजान वेबसाइटों से कभी भी शौपिंग ना करें. ऐसा करने से आप अपनी जानकारी और धन से हाथ धो सकती हैं. इसके बाद आप अपने रकम के लिए क्लेम भी नहीं कर सकती हैं.

कंपनी की शर्तों को समझें

अकसर कंपनी की शर्तों को समझे या जाने बिना हम शौपिंग करते हैं और इस चक्कर में हमारा नुकसान हो जाता है. आमतौर पर कस्टमर इन बातों का ध्यान नहीं देते और उनका नुकसान हो जाता है.

पेमेंट सिस्टम का रखें ध्यान

पेमेंट सिस्टम का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. आपको इस बात की जानकारी रखनी होगी कि वेबसाइट का पेमेंट सिस्टम वेरिफाइड बाय वीजा या मास्टरकार्ड है. अगर ऐसा है तो आपका पेमेंट सेफ है. नहीं तो आप ठगी जा सकती हैं.

बैंक जाए बिना ऐसे करें नकदी जमा, बेहद आसान है तरीका

कैश निकालने के लिए लोग अब बैंकों पर कम निर्भर हो रहे हैं. अब ज्यादातर ट्रांजैक्शन एटीएम से होने लगा है. पर अभी भी कैश जमा करने के लिए लोग बैंकों का रुख ही करते हैं. कई शाखाओं में तो अधिकतर भीड़ ही कैश जमा कराने के लिए होती है. पर क्या आपको पता है कि अब आप एटीएम की मदद से भी कैश जमा कर सकती हैं?

जी हां, हम बात कर रहे हैं कैश डिपौडिट मशीन की. जिसे सीडीएम भी कहते हैं. सीडीएम के जरिए हम अपने खाते में कैश जमा कर सकते हैं. आपको बता दें कि ये तरीका बेहद सरल और सुरक्षित होता है.

– इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आप सीडीएम का इस्तेमाल कैसे कर सकती हैं. तो आइए शुरू करते हैं.

– सबसे पहले अपने कार्ड को मशीन में डालें. ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप एटीएम के साथ करती हैं.

– फिर मशीन का डिपैजिट स्लौट खुल जाएगा. इसमें आपको अपनी नकदी को रखना होगा ताकि ये जमा   हो सके.

– इसके बाद स्क्रीन पर पिन एंटर करने का निर्देश आएगा. यहां आप अपना पिन डालें.

– नकद रख कर एंटर बटन दबाएं. जिसके बाद जमा की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

– इसके बाद स्क्रीन पर जमा राशि उभर कर आएगी. कई बार कुछ नोटों को मशीन एक्सेप्ट नहीं करती है.   कारण होता है नोटों में गड़बड़ी. ये गड़बड़ी फटे या पुराने नोटों के साथ अक्सर होती है. इसके अलावा   नकली नोटों को भी मशीन एक्सेप्ट नहीं करती.

– जिन नोटों को मशीन एक्सेप्ट नहीं करेगी वो उसी स्लौट में रह जाता है. बाकी राशि जमा हो जाती है.     इसके बाद मशीन  आपसे और नोटों को जमा करने के बारे में पूछेगी. अगर आप और राशि जमा करना  चाहती हैं तो उसी स्लौट में रकम रख दें नहीं तो नहीं का विकल्प चुन कर लेनटेन प्रक्रिया को समाप्त कर दें.

– इसके बाद मशीन एक स्लिप जेनरेट करेगी जिसमें ट्रांजेक्शन की सारी जानकारी अंकित होगी. और   आपके मोबाइल पर ट्रांजेक्शन की जानकारी आ जाएगी.

महिलाएं पैसा बचाना चाहती हैं तो इन बातों को जान लें

आज महिलाएं केवल घर गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि घर से बाहर निकल कर उन्होंने दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया है. आज वो अपना बिजनेस भी कर रही हैं तो मल्टीनेश्नल कंपनियों में नौकरी कर उनकी नेतृत्व भी कर रही हैं. आमतौर पर धारणा है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बचत की भावना अधिक होती है. ऐसे में सबसे अधिक जरूरी है कि उन्हें वित्तीय मामलों की समझ अच्छी हो. इस खबर में हम आपको टिप्स के बारे में बताएंगे जिनसे महिलाओं को बचत के साथ वित्त की अच्छी समझ विकसित होगी.

निवेश के बारे में ज्यादा सोचें

पैसों की बचत के लिए बेहद जरूरी है कि आप निवेश के बारे में भी सोचना शुरू कर दें. पैसा बचा कर घर में रखने का कोई फायदा नहीं होता. बेहतर है कि आप उसे बाजार में या पौलिसी में निवेश करें. निवेश किए हुए पैसों से आपका बचत अच्छा हो सकेगा.

समझे कहां और कितना करना है खर्च

जो भी आपके खर्चे हैं उनको बारिकी से समझे. जरूरी है कि खर्चों को आप कहीं नोट करें. रोजाना के खर्चे का हिसाब करें. और ध्यान रखें कि जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करें.

जरूरी चीजों की करें खरीदारी

जितना जरूरी हो उतना ही खरीदारी करें. फालतू के खर्चे से दूरी बनाएं. अगर आपके सामने कोई औफर हो तो पहले खुद से पूछें कि क्या आपको उस प्रोडक्ट की जरूरत है? अगर आपको जवाब हां मिलता है तो ही उसे खरीदें. अपनी जरूरत को ध्यान में रख कर ही खरीदारी करें.

वित्तीय मामलों की समझ

एक महिला के लिए ये बेहद जरूरी है कि वो वित्तीय मामलों के बारे में समझ अच्छी रखे. इसके लिए आप चाहें तो फाइनेंशियल प्लानर की मदद ले सकती है.

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