नौकरी के साथ ऐसे करें घर की सुरक्षा

मुंबई के पौश एरिया में रहने वाली 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला की अचानक बाथरूम में मृत्यु से पूरा परिवार सदमे में आ गया. उस का ग्रैंड सन पास के औफिस में जौब पर गया था, जब वह घर आया तो दरवाजा न खुलने पर उस ने चाबी से दरवाजा खोला, लेकिन अपनी दादी को बाथरूम में अचेतन अवस्था में देख कर घबराया और पास के अस्पताल में ले गया, लेकिन डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और कहा कि उन की दादी की मौत 5 घंटे पहले हुई है.

पोते के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, लेकिन जब पोस्टमार्टम हुआ तो पता चला कि किसी ने उन का गला दबा कर पहले हत्या की और बाद में शव को बाथरूम में ऐसे लिटा दिया कि लगे गिरने से नैचुरल डैथ हुई है. पुलिस की छानबीन और सोसाइटी के सीसी टीवी से पता चला कि उन के घर में सालों से काम करने वाली नौकरानी और उस के अपंग बेटे ने मिल कर उन की जान ली क्योंकि घर से कुछ कीमती सामान, पैसे और मोबाइल गायब था.

वह बुजुर्ग महिला पति की मृत्यु के बाद अकेले अपनी पुरानी नौकरानी के साथ रहती थी. महिला का एक बेटा और बेटी विदेश में रहते हैं, जबकि पोता इंडिया पढ़ने आया और यहीं उसे नौकरी मिल जाने से वह अपनी दादी के साथ रहने लगा.

किस पर करें भरोसा

यह सही है कि मुंबई जैसे बड़े शहरों में जौब पर जाने से पहले खासकर महिलाओं को परिवार और घर की सुरक्षा को ले कर काफी मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि घर से निकल कर कहीं जाने के लिए यहां घंटों समय लगता है.

ऐसे में किसी अनहोनी में वे तुरंत घर नहीं पहुंच पाते. परिवार में रहने वाले बुजुर्ग और बच्चों की जिंदगी मेड सर्वेंट के हाथ में ही रहती है, जो एक चिंता का विषय होता है और यह आजकल कुछ अधिक देखा जा रहा है कि विश्वास के साथ घर की देखभाल के लिए रखी जाने वाली मेड सर्वैंट सुरक्षित नहीं होतीं.

इस बारे में मुंबई की दिंडोशी पुलिस स्टेशन की असिस्टैंट पुलिस इंस्पैक्टर सुविधा पुलेल्लू कहती है कि घर पर किसी भी प्रकार की हैल्पर चाहे वह घर काम करने वाली महिला हो या पुरुष या किसी व्यस्क या बच्चे की देखभाल करने वाली हो पुलिस वैरिफिकेशन करवा लेने से वे कुछ गलत करने से पहले डरते हैं. अगर करें भी तो पकड़ना आसान होता है. इसलिए इसे करवाना जरूरी होता है, लेकिन कुछ लोग इसे झंझट समझ नहीं करवाते और बाद में अपराध हो जाता है.

क्यों जरूरी है पुलिस वैरिफिकेशन

पुलिस वैरिफिकेशन का काम कठिन नहीं होता, इसे 2 तरीके से किया जा सकता है, पहला तो औनलाइन जो आप किसी के द्वारा फिर खुद से कर सकते हैं और दूसरा औफलाइन होता है, जिसे पुलिस स्टेशन में कर एक फार्म भर कर इस प्रकिया को पूरा किया जा सकता है. इस से पता चलता है कि व्यक्ति किसी भी गलत काम में संलग्न तो नहीं है. हैल्पर के रहते हुए घर में चोरी, कोई घटना आदि के होने की सिचुएशन में यह हैल्पफुल होता है.

अगर किसी वजह से वैरिफिकेशन नहीं कराया है, तो तब तक के लिए उस का फोटो खींच कर और आधार कार्ड की एक कौपी अपने पास जरूर रखें. किसी भी व्यक्ति को हैल्पर या मेड सर्वैंट रखने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

  •  किसी भी वैबसाइट से नौकर हायर करने से पहले वैबसाइट के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें, किसी भी अनरजिस्टर्ड संस्था या कंपनी से हैल्पर या हाउस मेड हायर न करें.
  •  नौकर या नौकरानी को घर में ऐंट्री देने से पहले ही उस का व उस के द्वारा जमा करवाए दस्तावेजों की पुलिस वैरिफिकेशन करवा लें.
  •  मेड, घर के नौकर या अपरिचितों के सामने कभी अपनी अलमारियां न खोलें. चाहे वह कितने ही वर्षों से आप के यहां काम कर रहा हो, अपनी ज्वैलरी, पैसे या अन्य कीमती वस्तुएं उन के सामने न निकालें और उस के सामने पैसों के लेनदेन के बारे में भी बात न करें.
  •  अगर मेड किसी को अपने साथ ले कर आए या अपना रिश्तेदार बता कर आप से मिलवाए तो उसे अंदर आने की इजाजत न दें. हो सकता है इस बहाने वह आप का घर और सामान उसे दिखा रही हो.द्य अगर आप शहर से बाहर जा रहे हैं तो मेड को यह न बताएं कि आप कितने दिनों में आएंगे.

इंडियन टैक्सटाइल को ग्राहकों की जरूरत

फैशन और उस की दुनिया हर साल बदलती रहती है और इसे आकार देते हैं डिजाइनर्स, जिस का लाभ विलुप्त होने वाली कला और छोटेछोटे कारीगरों को भी होता है. असम, गुजरात, बंगाल, राजस्थान आदि सभी राज्यों से अलगअलग कारीगरी की अद्भुत मिसाल देखने को मिल सकती है, जिस में खादी सिल्क, रा सिल्क, सूती आदि गरमी के हिसाब से पहने जाने वाली पोशाकें होती हैं. ऐथनिक पोशाकें जिन्हें डिजाइनर मोटिफ्स, कढ़ाई फ्लेयर्स के अलावा आधुनिक गहनों से गौर्जियस लुक दे रहे हैं अब भी लोकप्रिय हैं.

अधिकतर कपड़े स्थानीय पहनावे को देखते हुए पहने जाएं तो बदन को बहुत आराम मिलता है. आम महिलाएं इन्हें पहन कर सहज रहती हैं. आज की युवतियां पारंपरिक परिधान के साथ मौडर्न लुक को अधिक प्राथमिकता देती हैं. वे वस्त्रों की ऐस्थैटिक वैल्यू को देखते हुए कंफर्ट पर भी ध्यान देती हैं. गुजरात के कच्छ की शिल्पकारी भी बहुत उम्दा होती है, जिस में वहां का पारंपरिक क्राफ्ट आरी, मुक्को, नेरण, राबारी, सूफ आदि शामिल होता है.

लाजवाब खूबसूरती

असम की मेखला चादोर असम की खूबसूरती को दिखाते हुए असम सिल्क के बारे में लोग जानते हैं पर बहुत कम लोग ही असम सिल्क को अच्छी तरह पहचानते हैं. लोग एक तरह की डिजाइन को देख कर ऊब जाते हैं इसलिए हमेशा नया खोजते हैं. नई मोटिफ्स और डिजाइन से मेखला चादोर पर बहुत ऐक्सपैरीमैंट हो रहे हैं. कुछ पोशाक साड़ी की तरह दिखती हैं और उन्हें पहनना भी बहुत आसान है.

बड़ी चुनौती तो बुनकरों की होती है, जिन्हें बहुत कम पैसा मेखला बुनने के बाद मिलता है. इसलिए उन के परिवार के लोग इस काम से निकल कर नौकरी करने लगे हैं. मेखला हैंडलूम प्रोडक्ट है और 1 को बनाने में 35 से 40 दिन लगते हैं.

आकर्षक डिजाइन

बायोडीग्रेडेबल फाइबर और हैंडलूम के कपड़ों का प्रयोग पोशाकों में करना पर्यावरण के लिए अब जरूरी है. नैचुरल फाइबर और नैचुरल फैब्रिक से ही काम है. ये सिंथैटिक का मुकाबला न कर पाएं पर वक्त की जरूरत है. इस के लिए बुनकर, डाई करने वाले, कढ़ाई करने वाले सभी को उन का सही दाम मिलना जरूरी है. ये सारे बुनकर रिमोट एरिया में होते हैं, वहां तक ट्रैवल करना मुश्किल होता है. फिर उन्हें डिजाइन के बारे में समझना और उस क गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए ट्रेनिंग देना कठिन होता है. इसीलिए ऐथनिक ड्रैसें दिखने में फीकी लगती हैं और महंगी होती हैं पर समाज को इस की जरूरत है.

अब इंडियन रूट्स को ध्यान में रखते हुए साड़ी और आधुनिक स्टाइलिश कपड़े डिजाइन हो रहे हैं पर उतारे खादी के ऊपर गोल्डन जरी की कढ़ाई के साथ जा रहे हैं. कऊ, बर्ड और फ्लौवर्स के मोटिफ्स के साथ औरगैंजा के ब्लाउज काफी आकर्षक लगते हैं.

लहंगा चोली फैस्टिवल में फैशन का टशन

फैस्टिव सीजन शुरू हो चुका है. हम सभी फैस्टिवल्स पर पहनने के लिए अलगअलग ड्रैसेज खरीदते हैं, मगर आजकल लहंगा भी बहुत फैशन में है. लहंगा एक ऐसा परिधान है जो भले ही बहुत सिंपल सा हो पर आप के व्यक्तित्व में चार चांद जरूर लगा देता है. घाघरा, लहंगा, चनिया, लूगङा लहंगे के ही कुछ रूप हैं.

आजकल बाजार में कई तरह के लहंगे मौजूद हैं। आप इस फैस्टिव सीजन में अपनी आवश्यकतानुसार लहंगे को ट्राई कर सकती हैं.

एक नजर डालते हैं उन सभी विकल्पों  पर जो आजकल ट्रेंड में हैं :

  1. प्रिंटेड चनिया चोली

सामान्यतया कंटन या मिक्स फैब्रिक पर बनाया जाने वाला यह चनिया चोली हर जगह बड़ी सुगमता से उपलब्ध हो जाता है. यह पहनने में बहुत हलका और आरामदायक होता है. आजकल फ्लोरल, बूटा, अजरख, चुनरी और ब्लौक प्रिंटेड जैसे लहंगे बहुत डिमांड में हैं. इन की सब से बड़ी खासियत है कि बड़े प्रोग्राम्स में चुन्नी और हैवी ज्वैलरी के साथ कैरी कर के इन्हें हैवी लुक दे सकती हैं, तो बिना चुन्नी के आप इसे स्कर्टब्लाउज की तरह भी बड़े आराम से प्रयोग कर सकती हैं. कौटन के अतिरिक्त सिल्क, शिफौन, सैटिन, जौर्जेट, क्रैप और बेलवेट फैब्रिक के लहंगे भी आज खूब चलन में हैं.

2. लेयर्ड लहंगा चोली

लेयर्ड घाघरा कैरी करना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है पर यह दिखने में बहुत अच्छा और हैवी लगता है. लेयर्स होने के कारण इसे अकसर शिफौन, जौर्जेट जैसे हलके और हैवी फौल वाले फैब्रिक से बनाया जाता है। इस के साथ हैवी वर्क वाला ब्लाउज, कंट्रास दुपट्टा और हलकी ज्वैलरी बहुत फबती है.

 

3. कलीदार लंहगा चोली

मनचाहे फैब्रिक से कलियां काट कर बनाए जाने से यह खूब घेर वाला होता है. इस पर वाइब्रैंट रंगों में हाथ से कढ़ाई की जाती है. इस का बौर्डर बहुत हैवी कढ़ाई वाला होता है, जिस से इस का लुक बहुत हैवी हो जाता है. आजकल बाजार में कढ़ाई वाले भारी लहंगे के साथसाथ अजरख जैसे मिक्स फैब्रिक के हलके लहंगे भी उपलब्ध हैं. इन्हें आप कंट्रास या सेम कलर के दुपट्टे के साथ कैरी कर सकती हैं.

4. गुजराती डांडिया ड्रैस

मुख्यतया गुजरात में बनने वाली यह ड्रैस अब पूरे देश में लोकप्रिय है. इसे मिरर, कच्छ कढ़ाई के साथ बनाया जाता है. नवरात्रि के गरबा पर्व के दौरान भांतिभांति के रंगों और कढ़ाई से सजे लहंगे बाजार में बहुत आराम से मिल जाते हैं. इस पर सिल्वर और किसी भी प्रकार की आर्टिफिशियल  ज्वैलरी कैरी की जा सकती है.

5. गमथी ऐंब्रौयडरी घाघरा चोली

ऊन जैसे मोटे रंगबिरंगे धागों से लहंगा चोली पर की जाने वाली कढ़ाई को गमथी कहा जाता है. इस में रेखागणितीय पद्धति से लाइनों के माध्यम से फूलपत्ती आदि बनाए जाते हैं. इस के साथ हैवी वर्क का ब्लाउज और चुन्नी कैरी की जाती है.

रखें कुछ बातों का ध्यान

  • लाइट शेड पर हैवी ज्वैलरी और हैवी वर्क वाले लहंगा चोली के साथ लाइट ज्वैलरी ही पहनें.
  •  यदि आप का वजन अधिक है तो आप लहंगे के नीचे स्लिम फिट पेटीकोट पहनें, इस से आप की लोअर बौडी स्लिम दिखेगी और आप की पर्सनैलिटी निखर उठेगी.
  • पहनने से पहले अपने लहंगे की सिलाइयों को मजबूत कर लें क्योंकि बाजार की सिलाइयां बहुत कच्ची होती हैं, कभी भी खिंचाव होने पर सिलाई खुलने की संभावना हो जाती है.
  • फाइनल दिन पहनने से पूर्व लहंगे के साथ पहनी जाने वाली मैंचिंग ज्वैलरी और चूड़ियां आदि को एक बार पहन कर जरूर देख लें.
  • इन्हें कभी किसी अन्य कपड़े के साथ धोने की अपेक्षा अलग से ही धोएं, साथ ही बहुत अधिक देर तक भिगो कर रखने की अपेक्षा तुरंत ही धो कर सुखाएं अन्यथा इन का रंग एकदूसरे पर चढ़ जाने की संभावना हो जाती है पर महंगे घाघरे को ड्राईक्लीन कराना ही उचित रहता है.
  • छोटी बच्चियों को भूल कर भी लंबा लहंगा न पहनाएं वरना वे गिर सकती हैं। साथ ही उन की चुन्नी, ज्वैलरी आदि को भी सैफ्टी पिन से अच्छी तरह अटैच कर दें.
  • बाजार से नया लहंगा नहीं लेना चाहती हैं तो आप बौर्डर वाली अपनी साड़ियों में भी चुन्नट डाल कर बहुत अच्छा लहंगा तैयार कर सकती हैं। इस के साथ आप किसी भी क्रौप टौप और हैवी चुन्नी को कैरी कर सकती हैं.

गोल्ड लोन की बारीकियां

भारतीय परिवारों में सोने व इस के बने आभूषणों के प्रति दीवानगी शुरू से ही रही है. सोने के आभूषण जहां महिलाओं की पहली चाहत होती हैं, वहीं सोने में निवेश करना भी एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. सोना किसी विषम परिस्थिति में परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम है. शायद यही वजह है कि लोग ऐसी किसी स्थिति में किसी दोस्त, रिश्तेदार आदि से उधार मांगने से बेहतर गोल्ड लोन को तरजीह दे रहे हैं. दरअसल, गोल्ड के बदले लोन लेने की प्रक्रिया सरल है और इस में बैंकों के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ते.

गोल्ड लोन की जरूरत

घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने, व्यवसाय में पैसा लगाने, किसी दुर्घटना अथवा अन्य विषम परिस्थितियों में जब पैसे की सख्त जरूरत हो और कोई आसान रास्ता नहीं हो तो लोग उस वक्त गोल्ड लोन लेते हैं. मगर इस के लिए जरूरी है कि घर में पर्याप्त गोल्ड मौजूद हो.कर्ज चाहे जैसा भी हो, होता तो एक बोझ ही. लेकिन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े, इसलिए लोग गोल्ड लोन को तरजीह देते हैं.

लोन की प्री पेमैंट

लोन की प्री पेमैंट अधिकांश मामलों में यों तो अच्छी मानी जाती है, मगर जानकारों का मानना है कि अगर प्री पेमैंट की तुलना में उसी राशि से कुछ अधिक अर्जित किया जाए, तो प्री पेमैंट की तुलना में उस का निवेश बेहतर माना जाएगा.मासिक किस्तों (ईएमआई) के बो?ा तले न दबेंगोल्ड लोन हो अथवा अन्य कोई लोन, अपनी मासिक आमदनी को ध्यान में रखते हुए ही लोन लें ताकि आप को उस मासिक किस्त भरने में आसानी हो. कहीं ऐसा न हो कि आप की आमदनी का अधिकांश भाग मासिक किस्त चुकाने में ही चला जाए और आप और अधिक कर्ज में डूबते जाएं.

कहां से लें लोन

हाल के दिनों में गोल्ड लोन के कारोबार में उतरी कंपनियां खासी तरक्की कर रही हैं. अभी भारतीय बाजार में 3 तरह की मुख्य कंपनियां हैं, जो गोल्ड लोन दे रही हैं. पहली, बैंक जो 60 से 65% तक लोन देते हैं. दूसरी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो 70 से 75% तक लोन देती हैं और तीसरी कुछ ब्रोकर के द्वारा 100% तक लोन मिलता है.

सभी बड़े बैंक भी गोल्ड रख कर कर्ज देते हैं. इंडियन बैंक, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा, सैंट्रल बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक सभी गोल्ड लोन देते हैं और 7 से 9% के ब्याज पर कर्ज देते हैं. लेकिन गोल्ड लोन लेने से पहले जरूरी है कि उस की इन बारीकियों को अच्छी तरह समझ लें:

  •  गोल्ड लोन अन्य लोन की तरह नहीं होता. गोल्ड लोन चुकाने की अवधि कम होती है. आमतौर पर 1 महीने से 1 साल तक समय पर अदा नहीं करने पर जुरमाना भरना पड़ सकता है.द्य अकसर ऐसी कंपनियां, जो गोल्ड के बदले लोन की राशि अधिक देती हैं, वे भारी ब्याज वसूल करती हैं.
  •  1 दिन का विलंब भी ब्याज की दरों में बदलाव ला सकता है. मान लिया जाए कि 24% ब्याज दर पर लोन की किस्त यदि निर्धारित तिथि पर नहीं जमा की जाए तो ब्याज दर 25% हो सकती है.
  •  गोल्ड लोन समय पर अदा नहीं करने पर 5% से 30% तक ब्याज दर वसूला जा सकता है.
  •  उधार चुकाने का समय कब तक है, यह अवश्य जान लें.द्य समय की अवधि खत्म होने पर सोना वापस नहीं मिल पाता. इस के लिए सोने को फिर से गिरवी रखना होगा. इसलिए यह जरूरी है कि आप समय पर लोन चुका दें.
  •  गोल्ड लोन का उधार चुकाने के लिए बैंककर्मी कभीकभी याद दिलाते हैं अथवा पत्र के माध्यम से सूचित करते हैं. ऐसे में यह जरूरी होगा कि आप फौर्म भरते समय सहीसही पता व फोन नंबर लिखें.
  •  फौर्म भरते समय नियम व शर्तों को तसल्लीपूर्वक पढ़ लें. अन्य जानकारी के लिए लोन प्रदाता कंपनी के कर्मचारियों से खुल कर बात करें.

कैसे मिलता है लोन

आप के पास पर्याप्त गोल्ड हो क्योंकि इसी के मार्केट वैल्यू के आधार पर लोन मिलता है. सोने की शुद्धता (कैरेट) कितनी है, यह भी देखा जाता है. गोल्ड लोन प्रदाता कंपनी आप से गोल्ड के अलावा अन्य जरूरी कागजातों मसलन, पहचानपत्र और ऐड्रैस प्रूफ के साथसाथ आप के फोटो (पासपोर्ट) की भी डिमांड करेगी, इसलिए इन्हें साथ ले जाना न भूलें.सर्तकता है जरूरीबाजार में ऐसे कई नकली संस्थान, स्थानीय दुकानदार जो गोल्ड के बदले 100% लोन देने की पेशकश करते हैं, उन से सतर्क रहें.

बाजार में ये कुछ नकली संस्थान असंगठित तरीके से सोने के बदले कर्ज देते हैं, जिस में धोखाधड़ी की गुंजाइश रहती है. आप बैंक या अन्य बड़े वित्तीय संस्थानों से ही गोल्ड लोन लें ताकि आप का सोना सुरक्षित रहे.नकली या खोटा सोना रख कर कर्ज लेने वाले धोखेबाज भी मार्केट में सक्रिय हैं जिन की वजह से बैंकों को कर्ज देते समय काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है. अगर कर्ज समय पर न चुकाया जाए तो गोल्ड की नीलामी कर दी जाती है.

इस फेस्टिव सीजन दिखाएं अपनी क्रिएटिविटी

“आई  तीज बिखेर गई बीज, आई  होली भर लें गई झोली” आप सोच रहें होंगे की इस पंक्ति का क्या अर्थ है तो ठहरिये जरा यह एक कहावत है जो हमारे त्योहारों से जुडी हुई है जी हां जैसे  ही सावन में तीज आती है तो वह अपने साथ ढेर सारे त्योहारों को संग लाती है और होली के त्यौहार तक हिन्दू धर्म में त्योहारों कि जैसे धूम मची रहती है लेकिन होली आती है तब वह अपने साथ सभी त्योहारों को लें जाती है और त्योहारों का यही सिलसिला  चलता रहता है त्यौहार ना सिर्फ हमें ख़ुशी देते है बल्कि एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका भी देते हैं  त्योहारों के आते ही सभी में एक खास उत्साह उमड़ने लगता है ख़ासकर महिलाओं में.

किसी भी त्यौहार से पहले ही उनकी तैयारियां शुरू होने लगती हैं. अब जैसे कि नवरात्रि, करवाचौथ दिवाली जैसे  त्यौहार आने वाले है इन त्योहारों को लेकर जो महिलाओं के मन में उत्साह होता है वह देखते बनता है यानि कि कैसे वो इन त्योहारों पर तैयार होंगी ,क्या वो पहनेगी  ,कैसे वो अपने घर को सजाएंगी, कैसे वो अपना फेस्टिव सीजन सेलिब्रेट करेंगी. तो आज इस लेख में हम आपके लिए लाये है कुछ ऐसे टिप्स जिन से आपकी ड्रेसिंग कि समस्या आपकी पुरानी साड़ी से  ही कम हो सकती है  तो इस फास्टिव सीज़न में अपनाएं ये  ट्रिक्स और और अपनी पुरानी साड़ी  को हैवी या डिजाइनर गोटा वर्क के साथ  दें ये नए लुक.

  1. बनारसी या सिल्क साड़ी

पुरानी बनारसी या सिल्क की साड़ी से आप खूबसूरत लहंगा या फिर इंडो वेस्टर्न स्कर्ट सिलवा सकती है. इस तरह की साड़ी से कलीदार या ए लाइन कट का लहंगा बहुत ही खूबसूरत लगता है इसके साथ में सारी के पल्ले से आप ब्लाउज तैयार करा सकती है या कांट्रेस्ट ब्लाउज भी पहन सकती हैं बनारसी या सिल्क में अक्सर डीप नैक बहुत जचता है आप चाहें तो ट्राई  कर सकती हैं बेहतर होगा की साड़ी के बॉर्डर को पहले कट कर लें व ऊपर से स्टीच कर के लेस के तौर  पर इस्तेमाल करें ऐसा करने से साड़ी वाला लुक बिलकुल खत्म हो जाएगा. साथ  ही आप बनारसी, सिल्क और कांजीवरम जैसी भारी साड़ियों से ओवरकोट बनाएंगी, तो यह और सुंदर दिखेगा और आप इन्हें शादी या किसी इवेंट में भी पहन सकेंगी.

 2. बांधनी साड़ी

वैसे तो यह बहुत पुराने समय से महिलाओं की पसंद बनी रही हैं लेकिन यदि आप अपनी साड़ी से  बोर हो गई हैं तो आप उसमे घेरदार सलवार के साथ सूट या  लॉन्ग सूट तैयार  करा सकती हैं पारंपरिक और वेस्टर्न दोनों तरह के परिधान पर कैरी करने के लिए आप लॉन्ग या शार्ट  जैकेट स्टीच  करा सकती हैं आज कल बँधानी  शर्ट्स, स्कर्ट, सहारा पेंट या लेंहगा भी तैयार कर सकती हैं नवरात्री में डांडिया नाइट्स में यह प्रिंट काफ़ी  चलन में रहता हैं यह  प्रिंट आपको  एक नया लुक देने में मदद करेगा.

 3. प्लेन या शिरफोन साड़ी

आप प्लेन साड़ी  से खूबसूरत लहंगा तैयार करा सकती हैं जिसमे आप हैवी गोटा लेस लगवाएं व इसके साथ कांट्रेस्ट हैवी ब्लाउज बहुत फ़ब्ता हैं दुप्पटा आप चाहें  तो बची हुई साड़ी से ही निकाल  सकती हैं शिरफोन साड़ी के वन  पीस फ्रॉक या घेरदार सूट सिलवा  सकती हैं साथ ही इन दिनों शरारा फिर से ट्रेंड में है. आप साधारण प्लेन या प्रिंटेड किसी भी तरह की साड़ी का शरारा, प्लाजो हैवी या डिजाइनर गोटा वर्क के साथ बनवा सकती हैं. उसके साथ क्राॅप टाॅप, ब्रालेट या कुर्ता पेयर कर सकती हैं. जो आपको इंडो वेस्टर्न लुक देने में मदद करेगा.

 4. साटन की साड़ी

साटन की साडी में  आप मोटा गोटा लगा कर हैवी लेस के साथ स्टीच कराएं व ब्लाउज पर आप थोड़ा वर्क करा सकती हैं या  हैवी कांट्रेस्ट ब्लाउज भी बहुत जचेगा।  साटन साड़ी से आप  लॉन्ग श्रग  तैयार करा सकती हैं जिसे आप सूट,साड़ी,लहंगे, या पेंट के साथ भी डाल सकती हैं यह आपको परफेक्ट इंडो वेस्टर्न लुक देगा. तो आप हैं ना इस फेस्टिव सीजन में पुरानी साड़ीयों को नया लुक देने के लिए तैयार

सैलिब्रिटी आशियाना जो बना खास

आजकल होम इंटीरियर डैकोर यानी ऐथनिक लुक और कौंटैंपरेरी स्टाइल का ट्रैंड है. इस के लिए महंगे साजोसामान या फर्नीचर की आवश्यकता नहीं होती. अपनी रुचि, कलात्मकता, प्रबंधकीय दक्षता, नई सोच और जीवनशैली के आधार पर घर को मन मुताबिक बनाया जा सकता है. घर के इंटीरियर को देख कर व्यक्ति के व्यक्तित्व का कुछ हद तक अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि इंटीरियर व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना होता हैआज इंटीरियर डिजाइनिंग में मिनिमलिस्ट, पेस्टल क्लर्स का जमाना है. कियारा अडवानी ने अपने घर में आइवरी रंग चूज किया है. जौन अब्राहम और जैक्लीन फर्नांडीस ने भी अपने घर में सफेद रंग कराया है और कई मौडर्न डिजाइन के फ्लौवर पौट्स और ग्रीन प्लांट्स से रंग का टच दिया है.अब शीशे की बड़ी खिड़कियों में पतले शीयर परदों का जमाना है, हैवी रंगीन परदों का नहीं. स्क्रीन के कलाकार भी दिनभर ग्रीनरूम में समय बिताने के बाद जब घर आते हैं तो उन का सुंदर घर उन्हें सुकून देता है. ये पल उन के अपने होते हैं. जहां न तो संवाद और न ही किसी दृश्य की शूटिंग के चर्चे होते हैं.

  1. रंगों की भूमिका

बिना इंटीरियर के घर आश्रम जैसा प्रतीत होता है. इंटीरियर से पता चलता है कि आप की जीवनशैली किस प्रकार की है ऐसे में यह जरूरी है कि आप अपने घर के कमरों की सजावट पर खास ध्यान दें. रंगों की भूमिका इंटीरियर करते वक्त सब से खास होती है. रंग ऐसे हों कि आंखों को चुभें नहीं.आज हलके रंग जो आंखों को आराम दें खास पसंद हैं. इन में सफेद औफ व्हाइट प्रमुख है.

इन के अलावा फूल बहुत पसंद किए जा रहे हैं. घर में हर तरफ  लटकने वाले फूलों के गमलों से काफी सजावट की जाती है. फूल आदि के पौधे हमेशा तरोताजा रखते हैं इन्हें आगेपीछे कर आप सजावट में नवीनता ला सकती हैं.घर हर व्यक्ति का सपना होता है फिर घर चाहे छोटा हो या बड़ा, उस में व्यक्ति 2 घंटे रहे या 4 घंटे, उसे जो शांति वहां मिलती है.

उसे बयां करना मुश्किल है. सैलिब्रिटीज अपने घर को फैलाने के लिए रंग औफ व्हाइट रखते हैं जिस में हलके हरे रंग का टच होता है. बैडरूम को थोड़ा ब्राइट रंग देते हैं जिस में एक दीवार पर कोई रंग होता है, पेंट किया होता है. इस के अलावा बैडरूम के ऊपर छत में चांदतारे सजाते हैं ताकि अगर रात में लाइट बंद कर दी जाए तो ऐसा लगे कि खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं.

2. क्लासिक लुक

इस के अलावा युवा सैलिब्रिटीज हर जगह सौफ्ट टौएज बहुत रखते हैं चाहे टीवी के ऊपर हों या ड्राइंगरूम में. हर तरह के सौफ्ट टौएज से सजाए परदों का रंग दीवारों से मैच करता होता है, जो मस्टर्ड रंग के होते हैं.हलके रंग का प्रयोग करने से सैलिब्रिटीज घर को स्पेशियस बनाते हैं. रंग का टच देने के लिए गोल्डन और लाल रंगों का भी प्रयोग करा जा सकता है. घर का फर्नीचर ब्राउन और लाइट कलर का हो. घर के लैंप शेडों के क्लासिक लुक पर आधारित हो सकते हैं.रंगों के साथसाथ रोशनी की भी सही व्यवस्था हर कमरे में की जानी जरूरी है. घर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए क्रिस्टल कलैक्शन कर सकते हैं. इन की साफसफाई घर वालों को खुद ही करनी चाहिए. सजावट में बीचबीच में कुछ न कुछ बदलाव अवश्य करते रहें.

3. सपनों सा बनाएं

घरकलाकारों को सिर्फ अभिनय का शौक ही नहीं होता है बल्कि उन्हें घर को सजाने में भी आनंद आता है. उन्हें घर में हर चीज को देख कर खुशी मिलती है जिसे शब्दों में बताना मुश्किल है. हर सैलिब्रिटी अभिनेत्री हाउस मेकर भी होती है. घर में नौर्मल फील हो. पार्टी में चीजें टूटें नहीं, यह खयाल रखें.कई सैलिब्रिटीज को इंटीरियर करना सब से अधिक पसंद होता है. पूरे दिन की थकान के बाद जब वे घर आते हैं तो वे अपने घर का माहौल ऐसा चाहते हैं जहां उन्हें हर वस्तु को देख कर सुकून और खुशी मिले और अपना खुद का योगदान दिखे.

बोहेमियन होम डैकोर से सजाएं घर

जीवन में कुछ चीजें इतनी ज्यादा आकर्षक होती हैं कि देखते ही मुंह से ‘वाह’ निकल जाता है. ऐसा ही एक दिन मानवी और उस के पति रोनित के साथ हुआ. उन की शादी को अभी 3 महीने ही बीते थे. एक दिन मानवी की स्कूल फ्रैंड दीवांशी ने उसे अपने घर डिनर पर बुलाया.

चूंकि मानवी ने अभी तक दीवांशी का घर नहीं देखा था, तो वह वहां जाने के लिए रोमांचित थी.रोनित के साथ जब मानवी ग्रेटर नोएडा पहुंची तो शाम के 6 बज चुके थे. दीवांशी का फ्लैट एक आलीशान अपार्टमैंट्स की छठी मंजिल पर था.

मानवी ने डोरबैल बजाई तो दीवांशी ने अपने पति पृथ्वी के साथ उन दोनों का वैलकम किया और उन्हें अपने ड्राइंगरूम में ले गए. वहां जाते ही मानवी और रोनित के मुंह से एकसाथ ‘वाह’ निकला. निकले भी क्यों न, वह ड्राइंगरूम था ही इतना कलरफुल कि कोई जैसे अपनी फैंटेसी की दुनिया में चला आया हो.

मानवी ने दीवांशी को कनखियों से देखा और बोली, ‘‘यार, यह क्या बला है… इतना शानदार ड्राइंगरूम. पानी तो मैं बाद में पीऊंगी, तू जल्दी से यह बता कि तुझे इसे करने का आइडिया कैसे आया.’’दीवांशी ने मानवी को सब्र रखने को कहा और कौफी पीते समय बताया कि यह घर सजाने का बोहेमियन स्टाइल है. जिस तरह मानवी चौंकी हुई थी, उसी तरह आप भी सोच रहे होंगे कि दीवांशी किस बोहेमियन स्टाइल की बात कर रही है.एक खास पहचानइस बारे में ‘न्यू आर्क स्टूडियोज’ की आर्किटैक्ट नेहा चोपड़ा ने बताया, ‘‘बोहेमियन घर सजाने का एक ऐसा तरीका है, जो अलगअलग रंगों का खूबसूरत तालमेल है. पुराने समय में इसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान की हवेलियों और महलों में इस्तेमाल किया जाता था और अब अपार्टमैंट्स और घरों में लोग अपनाने लगे हैं.

इसे ‘बोहो’ भी कहते हैं. इसे पसंद करने वाले लोग थोड़ी घुमक्कड़ सोच के होते हैं और खुद को थोड़ा अलग दिखाने में यकीन रखते हैं. इसे आर्टिस्टिक रूम भी कहा जा सकता है.‘‘विदेशों में एक हिप्पी कल्चर विकसित हुआ था, उस की छाप भी इस स्टाइल पर देखी जा सकती है. हलके क्रीम कलर की दीवारें, एक रंगीन गलीचा, नर्म और गुदगुदे सोफे पर कई रंगों के छोटेबड़े कुशन, यहांवहां गमलों में सजे पौधे इस बोहेमियम स्टाइल की खास पहचान होते हैं.‘‘इस स्टाइल की खूबी यह है कि इस में पेंटिंग, फैब्रिक और ऐक्सैसरीज जैसी फिनिश और स्टैक्ड डैकोर आइटम्स को मिलाया जाता है.

इस से कमरे में एक बहुत अच्छी वाइब मिलती है.‘‘इस में रंगों का तालमेल बहुत खास रोल निभाता है. दीवार का रंग परदे से, सोफे का रंग उस पर रखे कुशन से और लकड़ी के फर्नीचर का दीवारों पर टंगी पेंटिंग से रंगों का कंट्रास्ट बोहेमियम स्टाइल को दिखाता है.

इसे लेयरिंग या मिक्सिंग भी कहा जाता है.अलग लुक‘‘बोहेमियम स्टाइल में हाथ से बने सामान और किताबों की बड़ी अहमियत होती है. बड़ी बुक अलमारी के बजाय छोटी बुक शैल्फ से ले कर कलाकृतियों आदि का चुनाव इस तरह से करें कि वे कमरे को बड़ा दिखाएं और अगर वे हाथ से बनी अनगढ़ ही लगें तो भी कोई बात नहीं क्योंकि यही स्टाइल उसे अलग लुक देता है.

आरामदायक कुरसी हो या साइड टेबल या फिर चमड़े का बीन बैग और कमरे के बीच में सजा कालीन, सब का संतुलन ही बोहेमियन स्टाइल को चार चांद लगा देता है. पौधों की सजावट भी इस स्टाइल को मजबूती देती है. पौधे कमरे को जीवंत कर देते हैं. वे कुदरत को घर के भीतर ले आते हैं और हरा रंग बाकी रंगों की छठा और ज्यादा खिला देता है. कमरा ही क्या वहां रहने वालों का भी मिजाज खिल उठता है.‘‘मान लीजिए आप की एक 10?10 फुट की दीवार है.

उस पर अपनी पसंद का ब्राइट या लाइट कलर इस्तेमाल कर के कुछ गमलों को रस्सी के सहारे टांग दिया जाता है. आप चाहें तो वहां लाइट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.‘‘दीवार पर कुछ शैल्फ लगा कर उन में अलगअलग जगह से खरीदी गई चीजें सजा सकते हैं, फिर वे सस्ती ही क्यों न हों, पर उन में आप की शख्सियत जरूर झलकती हो. इतना ही नहीं, अपनी बनाई कोई पेंटिंग, किसी स्क्रैप आदि को कलर कर के भी दीवार पर टांगा जा सकता है.‘‘स्नेक प्लांट और ड्रैकैना जैसे पौधे कम रखरखाव वाले हाउसप्लांट हैं जो हवा को साफ करने में मदद करते हैं.

इस के अलावा दूसरी डिजाइन आइटम्स जो कमरे में अच्छी लगती हैं, वे हैं बुने हुए टैराकोटा या पैटर्न वाले सिरैमिक प्लांटर्स.इमोशनल टच‘‘अपने रूम की थीम को और रिच करने के लिए अपनी शादी की पुरानी हैवी साड़ी के बैस्ट हिस्से जैसे किसी हाथीघोड़े या किसी और डिजाइन को फ्रेम करा कर कमरे में सजा सकते हैं. दीवारों पर हलके रंग के साथ कलरफुल रंगों की चीजें मैच कर सकते हैं. रंगबिरंगे मिरर की सजावट से भी रूम को वाइब्रैंट बनाया जा सकता है.

इस में आप का इमोशनल टच भी दिखता है.‘‘लोगों के मन में यह शंका रहती है कि यह स्टाइल बहुत ज्यादा अमीर लोग ही अफोर्ड कर सकते हैं, पर अगर आप की आंखें खुली हैं और आप को बाजार में घुम्मकड़ी का शौक है, तो सस्ते में बोहेमियन स्टाइल का सामान आप को जरूर दिख जाएगा. अपने कमरे के आकार को ध्यान में रख कर सजावट करें, फिर देखें रंगों का कमाल. फिर जो भी आप के घर में पहली बार आएगा, वह मानवी की तरह ‘वाह’ कह उठेगा.’’

एनकोर ट्रेनिंग प्रोग्राम

अग्रणी ग्लोबल गैस कंपनी लिंडे ने हाल ही में एक कार्यक्रम एनकोर लॉन्च किया है जो विशेष रूप से उन महिला प्रोफेशनल्स के लिए तैयार किया गया है जो लंबे अंतराल के बाद अपने करियर को फिर से शुरू करना चाहती हैं.

एनकोर कार्यक्रम का उद्देश्य उन महिला प्रोफेशनलों की प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करना है जो वर्तमान में करियर ब्रेक पर हैं और फिर से कौशल हासिल करने और प्रशिक्षित होने की तलाश में हैं. एनकोर प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्कफोर्स के भीतर लिंग समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

यह कार्यक्रम ऑपरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन, सेल्स और फाइनेंस जैसे विभिन्न डोमेन में एक व्यापक सीखने का अनुभव प्रदान करता है जो प्रतिभागियों को अनुभवी प्रोफेशनल्स के साथ काम करने की अनुमति देता है. एनकोर प्रशिक्षण कार्यक्रम उन महिला प्रोफेशनल्स की क्षमता और कौशल का लाभ उठाने का प्रयास करता है जिन्होंने विभिन्न कारणों से अस्थायी रूप से अपने काम से दूरी बनाई है. इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आवेदकों के पास अपने काम से ब्रेक से पहले का कम से कम 3 वर्ष का कार्य अनुभव होना चाहिए.पेश हैं लिंडे इंडिया की मानव संसाधन अधिकारी ( एचआर हेड) नीता चक्रवर्ती से की गई बातचीत के अंश:नौकरी से ब्रेक लेने के बाद दोबारा काम शुरू करने में महिलाओं को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

आज की तेज गति और टेक्नोलॉजी ओरिएंटेड, भागदौड़ भरी दुनिया में लगातार आगे बढ़ने का दबाव रहता है. परिणामस्वरूप अधिकांश महिलाओं के लिए यह महसूस करना सामान्य है कि वे अपने करियर के प्रति उदासीन हैं और उनके साथी उनसे बहुत आगे हैं. एक अन्य पहलू जो प्रबल हो सकता है वह है प्रौद्योगिकी से संबंधित विकास. निश्चित रूप से महिलाओं के इस डर को कम कर के नहीं आंका जा सकता है कि उन के करियर ब्रेक को भावी नियोक्ता सकारात्मक रूप से नहीं देखेंगे.

लिंडे लैंगिक समानता और महिलाओं की प्रगति के लिए कैसे काम कर रही है?लिंडे सक्रिय रूप से समावेशी और समकालीन कर्मचारी नीतियों, करियर विकास कार्यक्रमों, जेंडर सेंसिटिविटी ट्रेनिंग, एम्प्लोई रिसोर्स ग्रुप, निष्पक्ष रिक्रूटमेंट प्रक्रिया जैसे उपायों के माध्यम से लैंगिक समानता और महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा देती है. यह व्यापक दृष्टिकोण एक समावेशी वातावरण बनाने के लिए लिंडे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जहां महिलाएं उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं और योगदान दे सकती हैं.

लिंडे कंपनी के एनकोर प्रोग्राम के बारे में बताएं कि यह महिलाओं के लिए कैसे उपयोगी है?एनकोर लिंडे की उन महिला प्रोफेशनलों के लिए करियर के मामले में सक्षम बनाने की पहल है, जिन्होंने अपने करियर में तीन से पांच साल का ब्रेक लिया है. एनकोर उन महिलाओं की मदद करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिन्होंने अपने करियर में ब्रेक लिया है ताकि उन्हें करियर सक्षम प्रशिक्षण दिया जा सके, जिससे उन्हें अपनी दूसरी पारी में एक अच्छा करियर सुरक्षित करने में मदद मिलेगी.

एनकोर एक व्यापक 12-18 महीने का कार्यक्रम है जहां महिलाओं को विशिष्ट जिम्मेदारियों का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित और कुशल बनाया जाता है ताकि वे अपने संबंधित क्षेत्रों में नौकरी के लिए आवेदन करने और अपने करियर में अपनी दूसरी पारी को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकें.

एक महिला होने के नाते क्या आपको कार्यस्थल पर कभी किसी तरह की परेशानी महसूस हुई है? घर और ऑफिस को एक साथ संभालना कितना मुश्किल था?प्रत्येक कार्यस्थल का अनुभव भिन्न होता है और काफी हद तक उस आर्गेनाइजेशन के कल्चर पर निर्भर करता है. एक महिला के रूप में प्रोफेशनल जिम्मेदारियों के बीच अच्छा संतुलन बनाना अक्सर एक चुनौती बन जाती है. हालांकि मेरे लिए घर पर एक अच्छेसपोर्ट सिस्टम का होना, काम में लचीलापन और मेरे करियर में आगे बढ़ने की तीव्रइच्छा ने मुझे इससे आसानी से निबटने में मदद की है.

बहुत सी महिलाओं ने कार्यस्थल में चुनौतियों का सामना करने की बात स्वीकारी है जैसे असमान वेतन, लैंगिक पूर्वाग्रह, उन्नति के सीमित अवसर और काम व पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष आदि. घर और कार्यालय दोनों को मैनेज करना कठिन हो सकता है, जिसके लिए प्रभावी टाइम मैनेजमेंट, सपोर्ट सिस्टम और लचीली कार्य-व्यवस्था की आवश्यकता होती है.

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है किप्रत्येक महिला का अनुभव, उसके कल्चर, इंडस्ट्री और व्यक्तिगत परिस्थितियों आदि के आधार पर अलग होता है. कई महिलाएं मजबूत सपोर्ट नेटवर्क्स, सही संवाद, प्राथमिकता निर्धारण और कार्य जीवन संतुलन को बढ़ावा देने वाली कार्यस्थल नीतियों की तलाश के माध्यम से इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करती हैं.

मौनसून में ऐसे करें घर की देखभाल

चिलचिलाती गरमी के बाद अपने साथ राहत की बरसात ले कर आ गया है मौनसून का मौसम. यह बारिश में भीगी मिट्टी की सौंधी सुगंध के साथ चाय का लुत्फ लेने का दौर है. इस सीजन में वीकैंड के सैरसपाटे पर निकलते ही हर तरफ छाई हरियाली भी आप का मन मोह लेती है फिर चाहे आप पहाड़ों पर जाएं या मैदानों की सैर पर निकलें.दूसरी तरफ बरसात के मौसम की अपनी चुनौतियां भी हैं. कभीकभी बारिश इतनी मूसलाधार होती है कि सड़कें नदियां बन जाती हैं और आप घर से निकल ही नहीं पाते. ऐसे दिनों में वर्क फ्रौम होम से भी काम चलाना पड़ सकता है. बेहतर होगा कि मौनसून के मौसम में आप घर पर ही अपना वर्क स्टेशन तैयार कर लें ताकि जरूरत पड़ने पर काम चल सके.

इस मौसम में गरम सूप और और खुशबूदार कौफी से भरी थर्मस के साथ गरम और ऊर्जावान रहें. अपने पास अतिरिक्त कपड़े और जूते रखें ताकि भले ही बारिश आप का मूड खराब कर दे, लेकिन यह आप का दिन खराब न कर पाए. हर समय पास में एक फोल्डेबल छाता और मच्छर भगाने वाला स्प्रे रखना न भूलें.

  1. मौनसून में रहें खुश

मौनसून के मौसम के दौरान बादलों के घिर आने से मन कभीकभी दबादबा या उदास महसूस कर सकता है. इस स्थिति को दूर भगाने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने घर या वर्कस्पेस को उज्ज्वल और रोशनी से भरपूर रखें, रोशनी अपने मानस को खुशी महसूस करने के लिए प्रेरित करती है. फ्लोर लैंप एक शानदार तरीका है.वह न केवल पर्याप्त रोशनी प्रदान करता है बल्कि कमरे को बड़ा और अधिक बड़ा महसूस भी करवाता है. यदि आप का कमरा छोटा है तो आप वौल लैंप या टेबल लैंप लगा सकती हैं. मौसम खुलने पर घर की खिड़कियां खोलें और धूप अंदर आने दें.

2. छोटीछोटी बातों का रखें खयाल

बात जब रहने की जगह को तरोताजा रखने की हो रही है तो छोटीछोटी बातों पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है जैसे नमी सोखने वाली नेफ्थलीन बौल्स. इन बौल्स को प्लास्टिक या कांच के खुले कंटेनर में रखें. आरामदायक और आकर्षक माहौल बनाने के लिए गर्मजोशी भरी पीली रोशनी का विकल्प चुनें, जो कमरे को आरामदायक टच देती है. इस के अलावा नमी को अपनी अलमारी में जाने से रोकने के लिए शटर को फोम टेप या डस्ट सील से सील करें.

जहां तक इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स की बात है, तो उन्हें कभी भी खुली हवा में न छोड़ें. नमी निकालने के लिए उन्हें नियमित रूप से चलाती रहें ताकि वे गरम होते रहें. फफूंद से निबटने के लिए अपने सोफे की सतह को गरम करने के लिए वैक्यूम क्लीनर के गरम ब्लोअर का उपयोग करें और फिर इसे सूखे कपड़े से धीरे से पोंछ लें. ये छोटेछोटे लेकिन बहुत कारगर उपाय आप को मौनसून के मौसम में अपने रहने की जगह को स्वच्छ और आकर्षक बनाए रखने में मदद करेंगे.

मौनसून के मौसम में घर की देखभाल के लिए कुछ टिप्स:

  •  भारी परदों के स्थान पर    झीने परदे लगाएं ताकि रोशनी और हवा छनछन कर आती रहे. सूरज की रोशनी न केवल जगह को रोशन करती है, बल्कि कीटाणुओं के विकास को रोक कर इसे प्राकृतिक रूप से साफ भी रखती है. हर हफ्ते अपनी चादरें बदलना याद रखें और नियमित रूप से तौलिए और हाथ तौलिए को नए से बदलें. यह सरल दिनचर्या आप के घर में ताजा और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने में मदद करेगी.
  •  मनभावन सुगंध ला कर अपने घर में दुर्गंध से छुटकारा पाएं. गुलाब या लैवेंडर जैसी तरोताजा कर देने वाली सुगंधित मोमबत्तियां या आवश्यक औयल डिफ्यूजर का उपयोग करें. ताजा सुगंध के लिए सूखे फूलों या सुगंधित जड़ीबूटियों से भरे पाउच को अपनी अलमारी, रसोई और जूतों के रैक के पास लटकाएं.द्य बालकनियों के कोनों और किनारों पर सुगंधित कैंडल लगाने से बदबू को हटाने में मदद मिल सकती है. अपने पूरे घर में एक सुंदर खुशबू के लिए उन्हें लिविंगरूम और आसपास के कमरों के बीच में लटकाएं या रखें. यह सरल उपाय आप के घर को मनमोहक खुशबू से भर देंगे और तनाव से भी दूर रखेंगे.
  •  स्टोरेज स्पेस को भी कुछ सरल उपाय अपना कर नमी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. जंग से बचने के लिए दरवाजे के कब्जोंजोड़ों आदि पर अच्छी तरह से तेल लगा कर रखें. अपने वार्डरोब को सूखा और ताजा रखने के लिए नेफ्थलीन बौल्स और कपूर आदि  का उपयोग करें. नमी को रोकने के लिए पर्याप्त वैंटीलेशन होना जरूरी है.
  •  अपने वार्डरोब और अलमारियों के बीच स्पेस बनाएं. उन्हें दीवारों से कुछ इंच की दूरी पर रखें खासकर बरसात के मौसम में जब दीवारें नम हो जाती हैं. नमी सोखने के लिए अपनी अलमारी में नेफ्थलीन या कपूर की गोलियां रखें. सिल्वरफिश से बचने के लिए नीम की पत्तियों या लौंग का उपयोग करें.
  •  अपने घर में अच्छी रोशनी वाला और खुशनुमा माहौल बनाएं. फ्लोर लैंप न केवल रोशनी देते हैं बल्कि आप के स्थान को अधिक खुला भी महसूस कराते हैं. यदि पास जगह कम है, तो वौल लैंप और टेबल लैंप को सही जगह पर लगाएं. प्राकृतिक रोशनी आने और अपने घर को रोशन करने के लिए धूप वाले दिनों में अपनी खिड़कियां खोलना न भूलें.
  •  मौनसून के दौरान अपने लकड़ी के फर्नीचर का खयाल रखें. इसे साफ रखने के लिए नियमित रूप से धूल हटाएं और वैक्यूम करें. खासतौर पर नक्काशी वाली सतहों पर दाग बनने से रोकने के लिए धूल    झाड़ना बहुत जरूरी है. अपने लकड़ी के फर्नीचर की सुरक्षा के लिए मौसम रोधी पौलिश लगाएं. ऐसा आउटडोर फर्नीचर चुनें जो बरसात के मौसम का सामना कर सके.
  •  ऐसी तमाम जगहों पर नजर रखें, जहां नमी बन सकती है जैसे फर्श, दीवारों और छतों की दरारों में पौधे उग आने की जांच करें. ये नमी बना सकते हैं. किसी भी तरह की नमी को तुरंत हटाएं और आगे की समस्याओं को रोकने के लिए वाटरपू्रफिंग तकनीक लागू करें.
  •  सुरक्षित रहते हुए बारिश का आनंद लेने के लिए अपनी बालकनी में बैठने की जगह को कवर करें. बाहर पड़े फर्नीचर को बारिश से बचाने के लिए छतरियों या अच्छी क्वालिटी वाली कवरिंग का उपयोग करें. वाटरपू्रफ कुशन, आउटडोर गलीचे और सागौन या ऐल्यूमिनियम जैसी चीजों को अपनाने पर जोर दें.
  •  मौनसून के मौसम में अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा देने वाले रंगों का उपयोग करें. नीरस मौसम में खुश रहने के लिए घर में पीले, नारंगी और हरे जैसे वाइब्रैंट कलर चयन करें. आप फर्नीचर के कवर, परदे या सजावट में इन रंगों को शामिल कर सकती हैं.
  •  कम रखरखाव वाले हाउस प्लांट के साथ अपने घर में इनडोर हरियाली लाएं. ये न केवल हवा को शुद्ध करते हैं बल्कि ताजगी और शांति का एहसास भी दिलाते हैं. फर्न, स्नेक प्लांट या पीस लिली जैसी किस्मों को चुनें जिन्हें बरसात के मौसम में बहुत कम देखभाल की आवश्यकता होती है. प्राकृतिक वातावरण के लिए उन्हें खिड़कियों के पास या ऐसी जगह रखें जहां सूरज की रोशनी आती हो.

कुकिंग काम नहीं कौशल

अकसर हम सभी सुनते हैं कि खाना बनाना लड़कियों का काम है, लड़कों का नहीं, लेकिन खाना पकाना सिर्फ एक काम नहीं बल्कि एक कौशल है, जिसे कोई भी साख सकता है. लड़कों को इसे सीखना क्यों चाहिए और यह कितने काम आता है इस का अंदाजा भी उन्हें नहीं होता.

आइए, जानते हैं इस कौशल को सीख कर आप कितने फायदे में रह सकते हैं:

बराबरी का मामला है

अकसर घर वाले लड़कियों को खाना बनाने, किचन के काम सीखने की सलाह देते हैं, जबकि लड़के भी इस कार्य को बेहतर तरीके से कर सकते हैं. होटल, रेस्तरां में भी हमेशा लड़के ही शेफ की भूमिका में होते हैं. इसलिए यह टैग तो हट ही जाना चाहिए कि यह किस का काम है. इस के साथ ही जब हर बात में बराबरी होती है तो इस में भी बराबर का हक होना चाहिए.

बदलाव अच्छे हैं

घर में हमेशा मां, पत्नी या बहन ही खाना बनाती है. ऐसे में वे भी रोज खाना पका कर ऊब जाती हैं. अगर आप उन्हें अपने हाथ का खाना बना कर खिलाएंगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा. इसी के साथ अगर पूरा खाना नहीं बना रहे, तो उन के खाते समय रोटीपरांठे सेंक दें. आप को वे गरम खिलाती हैं तो आप का भी हक बनता है कि आप उन्हें भी गरम भोजन कराएं. इसलिए कुछ बदलाव लाएं और फिर घर के माहौल को महसूस करें. फर्क आप खुद पाएंगे.

निर्भरता होगी कम

लड़के खानेपीने को ले कर हमेशा निर्भर रहते हैं. फिर चाहे मां पड़ोस में गई हों या पत्नी मायके. ऐसे में खाना बनाना न आने पर दिक्कत आती है. इसलिए थोड़ाबहुत सीख कर दूसरों पर निर्भरता कम कर सकते हैं. इस के अलावा घर पर अकेले रहने पर दोस्तों को बुला कर पार्टी कर सकते हैं, जिस में आप अपने हाथ से बना खाना उन्हें परोस सकते हैं. इस से उन्हें भी साख मिलेगी और आप को खुशी.

वैरायटी मिलती है

सभी के हाथों का स्वाद और बनाने का तरीका अलग होता है. ऐसे में लड़कों को खाना बनाना आएगा तो घर वालों का भी नए स्वाद से परिचय होगा. इस के साथ ही खाने में वैरायटी

भी मिलेगी. इस के अलावा घर में मेहमान आने वाले हों तो पति अपनी पत्नी या मां की खाना बनाने में मदद कर सकते हैं. इस से उन का काम भी कम होगा और भोजन भी आसानी से बन जाएगा.

मिलेगा स्पैशल ट्रीटमैंट

लड़कियों को हमेशा ऐसे लड़के पसंद आते हैं जो उन का खयाल रखें. इसलिए शादी के बाद आप एक दिन रसोई की जिम्मेदारी खुद ले सकते हैं और पत्नी को इस जिम्मेदारी से मुक्त कर सकते हैं. इस से उन्हें भी अलग अनुभव होगा और आपसी तालमेल और प्रेम भी बढ़ेगा. इस के साथ ही दोनों मिल कर भी खाना बना सकते हैं और साथ समय भी बिता सकेंगे तथा काम भी बोझिल नहीं बनेगा.

सेहत के लिए फायदेमंद

आजकल नौकरी या पढ़ाई करने के लिए बाहर दूसरे शहर जाना ही पड़ता है. ऐसे में होस्टल और मैस का खाना खाना मजबूरी बन जाता है और रोज बाहर का खाना महंगा भी पड़ता है. अगर खाना बनाना आता होगा तो आप खुद ही अपने लिए भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं. इस से घर का बना सेहतमंद खाना भी खा सकेंगे और स्वस्थ भी रहेंगे.

शुरुआत कैसे करें

अब बात आती है कि लड़के खाना बनाने की शुरुआत कैसे करें? इस का बड़ा आसान सा तरीका है. शुरू में इस्टैट फूड बनाएं जैसे वैज सैंडविच, मैगी आदि, फिर धीरेधीरे पोहा, पुलाव, नूडल्स आदि बनाएं. धीरेधीरे आसान सब्जियां सीखें. फिर आटा बनाना, रोटियां बनाना भी सीख लें. एक बार शुरुआत करेंगे तो फिर मन भी लगेगा और मजा भी आएगा.

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