मुझे एक युवती से प्यार हो गया है, लेकिन मेरी फैमिली पुराने खयालों की है?

सवाल-

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया यानी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोचसोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए? रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

– प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

– दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

– रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

– मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

– गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

फ्लर्ट से जिंदगी में नया मजा

‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’ वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सीयत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होेते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

जब पति को भाने लगे दूसरी औरत

भारतीय क्रिकेट जगत का जानामाना नाम मोहम्मद शमी पिछले दिनों सुर्खियों में रहे. उन की पत्नी हसेन जहान ने उन पर आरोप लगाया कि वे दूसरी औरत के चक्कर में घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं.

जहान ने शमी के व्हाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर के कई स्क्रीन शौर्ट दिखाए जिन में कितनी ही औरतों के साथ उनकी बातचीत के सुबूत थे. जब शमी दक्षिण अफ्रीका के दौर से लौटे और जहान ने इस सब के खिलाफ आपत्ति जताई तब उन्होंने जहान के साथ मारपीट शुरू कर दी. जहान कहती हैं कि उन्होंने शमी को काफी समय दिया खुद को सुधारने के लिए, लेकिन शमी ने अपना सारा गुस्सा जहान पर निकाला. हालांकि शमी इस सब से इनकार करते हैं.

साक्षी एक बैंक मैंनेजर हैं. अच्छा जौब, अच्छी शादीशुदा जिंदगी और ऊपर से देखने में सबकुछ बहुत बढि़या. लेकिन अंदर ?ांको तब पता चलता है कि जब साक्षी को अपने पति के दूसरी औरत के साथ संबंध के बारे में शक हुआ और उस ने अपने पति ने प्रश्न किया तो उस के पति ने आक्रामक रूप धारण कर लिया. चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत सच हो गई. जब कभी साक्षी कोई प्रश्न करती तभी उस का पति फौरन गुस्सा करने लगता. धीरेधीरे साक्षी का शक बढ़ता गया और उस के पति का उस के ऊपर गुस्सा.

मजबूरी में जिंदगी

बात घरेलू हिंसा तक पहुंची गई. हर बार ?ागड़े की स्थिति में साक्षी का पति उसे अपने जूते की हील से तो कभी लातघूंसों से पीटता, साक्षी फिर भी उस के साथ जीती जा रही थी, इस उम्मीद में कि उस के पति को गलती का एहसास होगा और वह उस के पास लौट कर आ जाएगा.

हिंसा के बाद जब अगली सुबह साक्षी अपने बैंक जाती तो मेकअप से अपनी चोटों के निशान छिपा कर, बढि़या लिपस्टिक, बिंदी लगा कर जाती. लेकिन उस की सहेली और सहकर्मी को फिर भी शक हो ही गया. उन के द्वारा किसी को न बताने का वादा करने पर साक्षी ने रोरो कर अपना हाल सुना दिया.

‘‘हमारे घर के पास एक बाबाजी रहते हैं जो सौतन से तुरंत छुटकारा दिलवा देते हैं. तू हिम्मत न हार. मैं तु?ो उन के पास लेकर चलूंगी.’’

सहेली की बातों में आ कर साक्षी बाबाजी की शरण में पहुंच गई. बाबाजी के आश्रम में जगहजगह संदिग्ध से पोस्टर लगे हुए थे, धूपदीप जल रहे थे, धुआं उठ रहा था. उन्होंने नाटकीय मुद्रा में आंखें बंद कीं और हाथ हवा में लहराते हुए कहने लगे, ‘‘अगर तेरा पति किसी और औरत के जाल में फंस गया है तो कमी जरूर तेरे ही प्यार में है तभी वो दूसरी की ओर आकर्षित हुआ है.

‘‘छुटकारा पाने के लिए तुम्हें अपनी यौवन की सुंदरता का मोहजाल बनाना होगा पर सब से असरदार टोटका है कि तुम भगवान कृष्ण की शरण में जाओ क्योंकि वे प्रेम के देवता हैं. उन की शरण में जाने से तुम्हारा प्रेम पुन: तुम्हें प्राप्त होगा. हर शुक्रवार को भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए मात्र 3 इलायची अपने शरीर पर स्पर्श कर के अपने पल्लू में बांध लेना और उन्हें बंधे रहने देना.

‘‘दूसरे दिन प्रात:काल उठ कर स्नान कर के भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए अपने पति को चाय में या भोजन में मिला कर इलायची खिला देना. यह टोटका तुम्हें 3 शुक्रवार करना होगा. देखना तुम्हारा पति तुम्हारी तरफ आकर्षित होने लगेगा और पहले से भी अधिक प्रेम करने लगेगा. जा अपनेआप सौतन से छुटकारा मिल जाएगा.’’

इतना सरल उपाय जान कर साक्षी खुश हुई और बाबाजी का जयकारा करती हुई आश्वस्त हो कर वापस लौट आई. लेकिन बाबाजी के टोटके से कोई लाभ न हुआ. पति की दूसरी औरत के प्रति आसक्ति भी वही रही और साक्षी के टोकने पर हिंसा भी जस की तस बनी रही. हां बाबा और उन के चेलों को सभी का रोजाना दर्शन लाभ अवश्य मिला.

आकर्षण की सीमा रेखा

किसी के प्रति आकर्षण होना एक अलग चीज है, लेकिन उस आकर्षण के चलते अपनी शादीशुदा जिंदगी को ताक पर रख देना बिलकुल गलत है. ऐसा नहीं कि शादी के बाद महिला या पुरुष इस बात के लिए प्रतिबंधित हो जाएंगे कि वे अपने साथी के अलावा न तो किसी को देखेंगे और न ही बात करेंगे.

शादी का अर्थ बंधन नहीं और न ही अपने साथी को किसी पिंजरे में रखना है. लेकिन अगर बात केवल देख कर तारीफ करने या बात करने से आगे बढ़ती है तो बेशक इसे गलत कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए.

हिंदू संस्कृति में सौतन से छुटकारा

मनुष्यों के रिश्तों में सब से महत्त्वपूर्ण है पतिपत्नी का रिश्ता जैसे इंसान स्वयं जोड़ता है. कभी अभिभावक जीवनसाथी चुनते हैं तो कभी हम खुद. दोनों ही स्थितियों में इस रिश्ते की गरिमा अनूठी और गरिमामई होती है. पुराने जमाने में पतियों को एक से अधिक पत्नी रखने की सामाजिक स्वीकृति प्राप्त थी. हिंदू समाज में पहली पत्नी का अपना स्थान होता था, लेकिन वहीं दूसरी औरत को हेय दृष्टि से न देख कर उसे भी पत्नी का स्थान प्राप्त हो जाता था.

किंतु हिंदू मैरिज ऐक्ट के आने से यह संभव नहीं है, इसलिए अब पहली पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह करना संभव नहीं परंतु पराई स्त्री की ओर आकर्षण कैसे रोक सकता है कोई. ये सौतनों पतियों की दृष्टि में हमेशा से खटकती आई हैं. हिंदू शास्त्रों के अनुसार कामदेव की उपासना करने और उन के मंत्र जाप से पतिपत्नी में प्रेम बढ़ता है और सौतन से छुटकारा मिलता है. यहां पति को सौतन की कुदृष्टि से बचाने के लिए मंत्र भी है-

ॐ कामदेवाय: विद्मह्य: रति प्रियायौ धीमाहिं तन्नोह् अनंग: प्रचोदयात्. ऐसे ही कहा गया कि शुक्र मंत्र का जाप करने से भी सौतन से छुटकारा मिलता है और पतिपत्नी में प्रेम बढ़ता है.

ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय: नम:

टोनेटोटकों की दुनिया

सौतन से छुटकारा पाने के लिए टोनेटोटकों की कोई कमी नहीं है. चाहे आप औफलाइन जाएं या औनलाइन, टोटकों की भरमार आप को चकित कर देगी. ज्योतिसकथन साइट के उपेंद्र अग्रवाल पति वशीकरण का टोटका बताते हुए कहते हैं, ‘‘अगर आप अपने पति को वश में रखना चाहती हैं और आप को शक है कि आप का पति किसी अन्य स्त्री से प्रेम करता है तो शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार को अपने शरीर के उस स्थान पर लौंग रखें जहां पसीना आता हो और फिर उस लौंग को सुखा कर रख लें और अपने पति को किसी तरह खिला दें. आप का पति आप के वश में आ जाएगा और आप के कहे अनुसार चलेगा.’’

पाखंडियों का पाखंड

अघोरी को इन वैबसाइट के अनुसार पति को अपने प्रति मोहित करने के लिए शुक्र मंत्र का जाप अचूक उपाय माना जाता है जिस के नियमित रूप से पाठ करने से पति सौतन को छोड़ कर अपनी पत्नी के प्रति कामासक्त हो उठेगा.

एक और वैबसाइट ‘पामशास्त्र’ कहती है कि सौतन से छुटकारा पाना हो तो साबूत पान के पत्ते पर चंदन तथा केसर का चूर्ण मिला कर अपने मस्तक पर तिलक लगाएं तथा पति या उन के चित्र के समक्ष जाएं. ये प्रयोग 43 दिनों तक करें तथा नित्य नयापत्ता लें जो कहीं से भी कटाफटा न हो. अंतिम दिन सभी पान के पत्तों को एकत्रित कर बहते पानी में बहा दें. आप में सम्मोहक शक्ति आ जाएगी.

बैंगलुरु की ऐस्ट्रोलौजर साइट के मोहम्मद अली खान का दूसरी औरत से छुटकारा पाने का टोटका मानें तो सिंदूर में डूबी हुई कलाई में पहने लायक काली डोरी अपने पति की जेब या पर्स में रखें. अगर आप के पति रखने से मना कर दे तो आप अपने शयनकक्ष के बैड के सिरहाने कहीं भी छिपा के रख दें. ऐसे ही पति को औफिस के लिए खाना जिस बरतन में देते है उस बरतन पर सिंदूर का छोटा सा निशान कर दें.

मगर इन टोनेटोटकों से कुछ नहीं होता. आप को ध्यान रखना होगा कि जिंदगी में इन नकारा, मन बहलाने के कामों से कुछ हासिल नहीं होता. जो कुछ होगा वह ठोस कदम उठाने से होगा, इसलिए इन बहकावों में आ कर अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण समय को व्यर्थ न गवाएं बल्कि सही समय पर उचित कदम उठा कर अपने जीवन को सही राह पर लाने का भरसक प्रयास करें.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के कारण

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, लेकिन अगर समय रहते उन कारणों को जान लिया जाए तो इस मुसीबत से पार पाया जा सकता है. ज्यादातर मामलों में ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शादीशुदा जिंदगी में कलह होने की वजह से होते हैं, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है. कई बार घर वालों और समाज की वजह से कुछ लोगों की शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है. ऐसे लोग जब जिंदगी के अगले पड़ाव पर पहुंचते हैं तो उन्हें यह लगने लगता है कि उन्होंने काफी कुछ मिस कर दिया है.

ऐसे में वे ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की ओर कदम बढ़ाने लगते हैं. सैक्सुअल सैटिस्फैशन न मिलना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है कि आप का साथी आप के अलावा किसी और के प्रति आकर्षित हो. कई मामलों में तो यह सब से बड़ी और एकमात्र वजह होती है. लेकिन कई बार कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन में अतिरिक्त संबंध बनाने की क्रेविंग होती है.

अपने साथी से संतुष्ट होने के बावजूद वे दूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर रहते हैं. एक और बड़ी वजह है बच्चों का जन्म. मातापिता बनाने के बाद जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. पत्नी अकसर मां की भूमिका को प्राथमिकता देने लगती है और पति इधरउधर भटक जाता है.

अफेयर होने के चांस

दांपत्य विश्वासघात के प्रसिद्ध थेरैपिस्ट डा. स्काट हाल्जमन कहते हैं कि सोशल मीडिया और ई कम्यूनिकेशन के आ जाने से विश्वासघात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. कारण है नए लोगों से मुलाकातों के बढ़े हुए आयाम. कई लोगों से आप पहली बार नैट के जरीए मिल सकते हैं. और तो और पुराने जानकारों से व मित्रों से भी सोशल नैटवर्किंग साइट की मदद से आसानी से मिल सकते हैं, जिस से कई बार अफेयर होने के चांस बढ़ जाते हैं.

योगेश निजी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत है. उस की सामाजिक छवि एक सफल गृहस्थ इंसान की है. किंतु उस की पत्नी पद्मा जानती है कि उस की भटकती हुई नजरें हर सामने आने वाली महिला पर बिखर जाती हैं. वो उस की इस आदत से काफी परेशान है. लेकिन हद तो तब हो गई जब योगेश का अफेयर उस के दफ्तर में कार्यरत एक महिला सहकर्मी से चल पड़ा.

धीरेधीरे वह उस महिला को घर लाने लगा. वह उसे घर लाता, अपने कमरे में ले जा कर दरवाजा अंदर से बंद कर लेता. पद्मा के पूछने पर कहता कि औफिस का कुछ खास काम है और उन दोनों को डिस्टर्ब न किया जाए.

जब यह सिलसिला बढ़ने लगा तो पद्मा ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू की. लेकिन उस के मना करने पर योगेश उस पर हाथ उठाने लगा. पद्मा को आभास हो गया कि पानी सिर से ऊपर जा रहा है. आखिर ऐसे कब तक सहती वह.

यदि पतिपत्नी का संबंध तालमेल से चले तो जिंदगी एक सुमधुर गीत बन जाती है, परंतु ताल टूटते ही मेल भी बिखर कर रह जाता है और ऐसा अकसर तीसरे के कारण होता है जो दोनों के बीच आकर पूरा रिश्ता खराब कर देता है. पद्मा को एक परित्यक्ता का जीवन जीना स्वीकार नहीं था. उस ने ठोस कदम उठाने के बारे में सोचा.

परिवार को सम्मिलित किया

पद्मा ने पहले योगेश के और फिर जब बात नहीं बनी तो अपने परिवार को अपनी समस्या में सम्मिलित लिया. उस ने पारिवारिक मीटिंग बुलवाई और उन में योगेश के अफेयर और उस पर हाथ उठाने की बात को उठाया. वह इस शर्म से बाहर निकली कि समाज क्या कहेगा. उस ने अपने कुछ निकटतम दोस्तों और यहां तक कि योगेश के औफिस के बौस को भी ये बातें बताईं. योगश को अपनी छवि का बेहद खयाल था. अपनी छवि खराब होती देख उसे संभलना ही पड़ा. लेकिन बात यहां खत्म नहीं हुई. पद्मा ने इस प्रकरण के पीछे के असली कारणों को जानने की पूरी कोशिश की ताकि भविष्य में दोबारा ऐसा कभी न हो.

पहचानें असली कारणों को

एक अफेयर यों ही नहीं हो जाता. क्यों होता है? क्या कारण रहते हैं कि एक गृहस्थ पुरुष भटक जाता है? इस के पीछे छिपे कारण और असलियत जानने की कोशिश करनी चाहिए. अफेयर को नजरअंदाज करना ठीक वैसा ही होगा जैसे किसी चोटिल व्यक्ति को अस्पताल न ले जाना. देरसबेर चोट भले ही ठीक हो जाए पर उस का दर्द और निशान छूट ही जाएगा. भावनात्मक चोट भी शारीरिक चोट की तरह ही होती है.

यदि आप अपनी गृहस्थी बचाना चाहती हैं तो अफेयर का सामना करना, डट कर खड़े रहना और उस के वार के सामने अडिग रहना जरूरी है वरना कहीं ऐसा न हो कि एक अफेयर खत्म होने पर भी इस के पुन: आप के जीवन में आ कर आप को डराने की आशंका बनी रहे.

द्य सब से पहले तो पत्नी को अफेयर करने, अपनी पत्नी को धोखा देने और घरेलू हिंसा करने की जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी. वह मासूम सा बन कर या सारा दोष अपनी पत्नी पर मढ़ कर नहीं छूट सकता. जब अपनी गलती स्वीकारेगा, तभी तो सुधार की दिशा में कदम उठाएगा.

द्य अफेयर के पीछे कई कारण होते हैं. केवल पति को दोष देना भी ठीक नहीं. पत्नी को भी अपने अंदर ?ांकना होगा. हो सकता है कुछ ऐसे कारण दिखाई दे जाएं जिन की वजह से पति को शादी के बाहर भटकना पड़ गया.

द्य खुल कर आपसी बातचीत से हल निकाला जा सकता है. पतिपत्नी को एकदूसरे के प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिए पर ध्यान रहे कि उत्तर ईमानदार हों.

द्य अपने अंदर के दर्द का सामना करें और जिस किसी चीज से आप को शांति मिले, वह करने का प्रयास करें.

काउंसलर की सहायता लें

डा. निशा खन्ना जोकि एक फैमिली काउंसलर हैं, कहती हैं कि जहां परिवार और दोस्त किसी एक पक्ष की तरफदारी कर सकते हैं, वहीं काउंसलर एक निष्पक्ष व्यक्ति होता है जो तटस्थ भाव से दोनों पक्षों की बात सुन कर बीच की राह ढूंढ़ने का प्रयास करता है. काउंसलर की कोशिश रहती है कि पतिपत्नी में आपसी कम्यूनिकेशन में सुधार हो और रिश्ते में जो दूरी आ गई है वह मिट सके.

सरलाजी के पति को उन के अफेयर के बारे में जब पता चला तो वे एकदम बिखर सी गईं. उन का विश्वास तारतार हो गया. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि महेंद्रजी उस के साथ विश्वासघात करेंगे. बात पुरानी हो चुकी थी. महेंद्रजी को अपनी गलती का एहसास हो गया था और प्रायश्चित्त के तौर पर उन्होंने स्वयं ही यह बात सरलाजी को बताई.

पहले तो सरलाजी इतना नाराज हुईं कि कई दिनों तक महेंद्रजी से कोई बातचीत नहीं की. लेकिन फिर उन के मन में यह विचार आया कि क्या 6 माह के अफेयर के लिए वे अपनी 30 साल की शादी तोड़ देंगी? क्या एक भूल सुधरी नहीं जा सकती? क्या वे इतने पुराने गृहस्थ जीवन को एक गलती की कसोटी पर तोल नहीं पाएंगी? उन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी को चुना और एक भूल को माफ  करने में ही सम?ादारी सम?ा.

ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर और घरेलू हिंसा

‘जर्नल औफ मैरिज ऐंड फैमिली’ के एक आलेख ‘वायलैंस पोटैंशियल इन ऐक्सट्रा मैरिटल रिस्पौंस’ के लेखक राबर्ट वाइटहर्स्ट की मानें तो ऐक्सट्रा मैरिटल सैक्स के कारण ही घरेलू हिंसा होती है. जब बात मारपीट पर उतर आए तो इसे हलके में नहीं लेना चाहिए. कोई भी पत्नी यह सह नहीं सकती कि उस का पति किसी और स्त्री के चक्कर में पड़ जाए. किंतु यदि विरोध करने से बात बिगड़ने लगे तो इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा. यदि पति मारपीट न छोड़े तो पुलिस में जाने से भी नहीं हिचकना चाहिए.

ऐसी कितनी ही महिलाएं होंगी जिन के पति उन के साथ विश्वासघात करते हैं. यह बात बेहद उदासीन है, लेकिन सच है. मगर एक बात यह भी सच है कि हर किसी के जीवन में कोई न कोई कमी, कोई न कोई दुख होता है. कोई बीमारी से ग्रस्त होता है तो कोई जीवनसाथी के अभाव से. इस संसार मेंकौन है जो किसी भी दुखदर्द से वंचित है.

यदि आप का पति पराई स्त्री के रूपयौवन के पीछे दीवाना हो जाए तो आप की खुशियों को ग्रहण लग जाना स्वाभाविक है. ऐसे में कोई भी चीज आप को सुख नहीं देती, किंतु फिर भी इस कठिन समय से बाहर निकलना जरूरी है.

इसलिए जो कुछ भी संभव हो वह प्रयास करें और स्वयं को तथा अपने साथी को इस समस्या से उबारने की भरसक कोशिश करें ताकि भविष्य में आने वाली खुशियां आप का द्वार खटखटाएं और तब आप सोचें कि हम दोनों ने कितना अच्छा किया जो समय से चेत गए और सही राह चुन ली.

दोस्ती लड़के और लड़की के बीच

साल 1989 की ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म ‘ मैं ने प्यार किया ‘ में लीड एक्टर सलमान खान और हीरोइन भाग्यश्री के रिश्ते की शुरुआत दोस्ती के जरिए हुई थी जो आगे चल कर प्यार में बदल गई. इस फिल्म का एक फेमस डायलॉग है जो विलेन मोहनीश बहल ने कहा था कि एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. भले ही उस दौर में यह बात काफी हद तक सही थी मगर अब तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है. लोगों की खासकर यंग जेनरेशन की सोच काफी हद तक बदल चुकी है. अब लड़केलड़कियां न केवल दोस्त होते हैं बल्कि बेस्ट फ्रेंड भी बनते हैं. बदलते दौर में हम ऐसी कई मिसालें देखते हैं कि मेल और फीमेल न सिर्फ अच्छे दोस्त रहे हैं बल्कि इस खूबसूरत रिश्ते को जिंदगी भर निभाया भी है. आयरलैंड के मशहूर कवि ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था, ‘दोस्ती प्यार के मुकाबले ज्यादा ट्रैजिक होती है. यह लंबे वक्त तक टिकती है’. जब मेल फीमेल के बीच दोस्ती का रिश्ता होता है तो यह और भी ज्यादा समय तक टिकता है. इस दोस्ती में कभीकभी रोमांस की भी एंट्री हो सकती है. हालांकि ज्यादातर मामले में

यह प्यार एकतरफा होता है.

याद कीजिए फिल्म ‘ ऐ दिल है मुश्किल’ के रणवीर कपूर को जो अनुष्का शर्मा को दोस्त से बढ़ कर मानते थे. मगर अनुष्का उन्हें केवल दोस्त बनाए रखना चाहती थी. वह दोस्ती के प्यार को महसूस करना चाहती थी. ऐसा ही कुछ फिल्म बेफिक्रे के रणबीर सिंह के साथ भी हुआ. बेफिक्रे फिल्म में रणवीर कहता है, ‘ वह डेट पर जाती तो मुझ से पूछती क्या पहनूं. हर एडवाइस मुझ से लेती और अब शादी किसी और से कर रही है.’

आज के युवाओं की भाषा में इसे फ्रेंडजॉन नाम दिया जाता है. कई बार एक लड़की और लड़के के केस में महज दोस्त भर रह जाना लड़के को कंफ्यूज कर जाती है. एक लड़के के तौर पर आप कन्फ्यूज हो जाते हैं कि आखिर यह लड़की चाहती क्या है. क्या बस एक कंधा जो उसे हर इमोशनल परिस्थिति में सहारा दे? कहीं वह सिर्फ अपनी इमोशनल जरूरतों के लिए ‘यूज’ तो नहीं कर रही?

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिस के बिना कोई भी व्यक्ति नहीं रह सकता पहले के समय में अधिकतर लड़कियों की दोस्ती लड़कियों से और लड़कों की समान उम्र के लड़कों से होती थीं लेकिन आज के समय में लड़कालड़की की दोस्ती होना सामान्य बात है और इस में कोई बुराई भी नहीं है स्कूल कॉलेज में लड़के लड़कियां मिल कर मस्ती करते हैं और दोस्तों की तरह पढ़ाई के साथ साथ जिंदगी के उतार चढ़ाव में एकदूसरे की मदद भी करते हैं. दुनिया के अधिकतर रिश्ते तो हमें जन्म के साथ ही मिलते हैं लेकिन दोस्ती के रिश्ते में सामने वाले व्यक्ति को हम स्वयं चुनते हैं किसी से दोस्ती करते समय नहीं देखा जाता कि वह लड़का है या लड़की या फिर उस का रंगरूप या धर्म क्या है दोस्ती के लिए सामने वाले व्यक्ति का अच्छा इंसान होना और आपस में विचार मिलना जरूरी है किसी भी दोस्ती की शुरुआत तब होती है जब हालात या फिर इंट्रेस्ट एक जैसे हों. इस दोस्ती में भी अपने फ्रेंड को वैसे ही ट्रीट किया जाता है जैसा कि आप सेम जेंडर के फ्रेंड्स को करते हैं. हालांकि ज्यादातर पुरुष दोस्त अपनी फीमेल फ्रेंड्स से ज्यादा रिस्पेक्टफुली बात करते हैं क्योंकि महिलाएं असल में मर्दों के मुकाबले ज्यादा सेंसिटिव होती है. किसी भी दोस्ती में सब से जरूरी है भरोसा इस के साथ ही ये रिश्ता तब तक चलेगा जब तक कि दोनों के बीच में किसी तरह का स्वार्थ न पैदा हुआ हो. लड़कियों को ये भरोसा होना चाहिए कि वे अपने पुरुष मित्र के साथ सेफ हैं. वहीं मेल फ्रेंड को भी इस बात का यकीन रहे कि वो दोस्ती के नाम पर इस्तेमाल तो नहीं किए जा रहे. यही विश्वास फ्रेंडशिप को पक्का करता है.

क्यों मजबूत होती है ये दोस्ती

विश्वास

लड़कियां अपनी सहेलियों की बजाय पुरुष मित्रों पर अधिक विश्वास करती हैं इस के पीछे एक वजह यह भी है कि लड़कियां अन्य लड़कियों पर ज्यादा विश्वास नहीं कर पाती हैं कई बार उन में आपस में जलन की भावना भी उत्पन्न हो जाती है लेकिन लड़के और लड़की की दोस्ती में ऐसा कभी नहीं होता है. जलन के बजाए आकर्षण सदैव बना रहता है. नकारात्मक भाव न होने के कारण विश्वसनीयता भी बनी रहती है

लगाव और आकर्षण

आकर्षण होने का मतलब जरूरी नहीं कि प्रेम ही हो. हमें किसी की कोई बात पसंद आती है उस की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं. विपरीत लिंग के लोगों में वैसे भी अधिक आकर्षण होता है. आकर्षण वाला यह लगाव एकदूसरे को एक मजबूत बंधन में बांधता है.

केयर करना

यदि आप का दोस्त कहता है कि घर पहुंच कर मैसेज करना, समय से घर पहुंचना, अपना ख्याल रखना तो बहुत अच्छी फीलिंग आती है. लगता है जैसे घरवालों के अलावा भी कोई है जिसे आप की इतनी फ़िक्र है. दो लड़कियां भी बातोंबातों में एक दूसरे की फिक्र जताती हैं लेकिन लड़के के फ़िक्र जताने का तरीका अलग होता है. वह अपनी दोस्त के प्रति बहुत केयरिंग होते हैं. इसी तरह लड़कियां भी लड़के दोस्त के लिए खास तौर पर केयरिंग होती हैं.

आखिर क्यों होनी चाहिए हर लड़के के पास एक अच्छी फीमेल दोस्त

अंडरस्टैंडिंग

आप की फीमेल दोस्त आप को बाकी दोस्तों से बेहतर तरीके से समझ पाती है अक्सर देखा जाता है कि लड़को को सिर्फ उतना ही समझ आता है जितना उन्हें कुछ बताया जाता है लेकिन अगर आप के पास कोई महिला मित्र है तो वह आप के मूड को देख कर ही भांप जाएगी कि आप के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है आपकी दोस्त न केवल आप को बेहतर समझती है बल्कि यह भी जानती है कि आप को कौन सी बात खुश करेगी और कौन सी बात से आप उदास हो सकते है इतना ही नहीं वह आप के साथ शॉपिंग पर जाने से कभी बोर भी नहीं होगी

रोने के लिए कन्धा

लोग कहते है कि पुरुष कभी नहीं रोते हालांकि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है अक्सर देखा गया है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा इमोशनल होते हैं कोई परेशानी आने पर अक्सर लड़के बहुत अकेला महसूस करते है ऐसे में अगर कोई फीमेल फ्रेंड होगी तो उस के सामने रोकर आप अपना दुख हलका कर सकते हैं ऐसा करने पर वह दूसरे लड़के की तरह आप का मजाक नहीं उड़ायेगी

शॉपिंग गाइड

बाज़ार जाने के नाम से ही लड़कों की शक्ल बन जाती है. ऐसे में ज़रा सोचिये कि आप को अपनी गर्लफ्रेंड या फिर बहन या माँ के लिए कुछ तोहफा लेना हो तो क्या करेंगे? ऐसे मौके पर काम आती है आप की लड़की दोस्त. लड़कियों को खरीददारी का बहुत शौक होता है और अक्सर वे जानती है कि कौन सी चीज़ किस मार्किट में अच्छी मिलती है. उन्हें नए नए फैशन का भी ध्यान होता है. कीमत का भी सही अंदाजा होता है. इसलिए तोहफे खरीदने के लिए ही नहीं आप उन की मदद अपने मेकओवर में भी ले सकते है. इस के विपरीत अगर आप अपने किसी लड़के दोस्त के साथ शॉपिंग करने जाते हैं तो आप को यकीनन काफी परेशानी होती है क्यों कि शॉपिंग के मामले में लड़के कच्चे होते हैं इसी तरह बीवी या गर्लफ्रेंड के साथ जाने का मतलब है उन के लिए ही शॉपिंग करते रहना और बैठेबिठाए जेब खाली हो जाना. लेकिन अगर एक लड़की आप की दोस्त है तो उस के साथ आप का शॉपिंग एक्सपीरियंस काफी अच्छा होता है आप उस के साथ कई दुकानों पर जा कर अपने लिए वह खरीद सकते हैं जो आप पर सब से ज्यादा सूट करता हो साथ ही वह आप को कुछ अच्छे आईडियाज भी देती रहेगी कि आप पर क्या अच्छा लगेगा

रिलेशनशिप गाइड

कई बार ऐसा होता है कि आप की लव लाइफ सही नहीं चल रही होती है. उस समय आप को समझ नहीं आता कि आप क्या करें और किस से मदद लें इस स्थिति में एक लड़की दोस्त से बेहतर दूसरा कोई सहारा नहीं हो सकता एक लड़की होने के नाते

आप की दोस्त आप की स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकती है अक्सर लड़के लड़कियों की बातें या इशारे नहीं समझ पाते. अगर आप को भी अपनी गर्लफ्रेंड को समझने में दिक्कत आती है तो इस मामले में भी लड़की दोस्त आप की मदद कर सकती है वह बता पायेगी कि आप की गर्लफ्रेंड की हर बात का सही मायनों में मतलब क्या है लड़की दोस्त के साथ समय बिताने पर आप समझने लगते है कि लड़कियों का व्यवहार कैसा होता है. उन्हें क्या पसंद आता है क्या नहीं, किस तरह उन्हें खुश किया जा सकता है. यही नहीं आप की दोस्त गर्लफ्रेंड से मिलाने में आप की मदद भी करती है.

हमराज

एक लड़की बेस्टी होने का मतलब है कि आप उसे बिना झिझक के कुछ भी आसानी से बता सकते हैं वैसे तो एक लड़के दोस्त से भी बातें शेयर की जा सकती हैं लेकिन वह आप की फीलिंग को उस तरह नहीं समझ सकता जिस तरह एक लड़की समझ सकती है लड़कों के साथ इमोशनल टॉक करना उतना अच्छा आईडिया नहीं है लेकिन जब एक लड़की दोस्त की बात आती है तो आप उस से अपने डीप सीक्रेट आसानी से बता सकते हैं कभीकभी लड़के दोस्त किसी संजीदा बात को भी मजाक में उड़ा देते है लेकिन अगर वही बात आप अपनी लड़की दोस्त को बताते है तो वह सुनती है. सुनने के साथसाथ अक्सर लड़कियां समस्या का हल भी बता देती है. आप बेहिचक उन से अपनी ख़ुशी, सपने, दुःख या डर के बारे में बात कर सकते है.

बुरे वक्त का सहारा

जिंदगी में बहुत बार ऐसे मौके आते है जब हम किसी बात से परेशान होते है. ऐसे वक्त में अगर कोई लड़की आप की दोस्त है तो उस से अच्छा सहारा कोई नहीं हो सकता. वो आप की बात को समझती है खासकर अगर मामला प्रेम प्रसंग का हो.

हर जगह साथ

एक लड़की दोस्त जीवन के हर पहलू में आप की ताकत बन कर खड़ी होती है आप उस के साथ मस्ती भी कर सकते हैं और गंभीर बातें भी. आप उस के साथ हंस भी लेते हैं और रो भी सकते हैं. उन के साथ बाहर घूमनेफिरने के लिए भी आप को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता इसी तरह मुश्किल वक्त में या दुखी होने पर एक लड़की अच्छी दोस्त के रूप में आप का साथ देती है और आप से इमोशनली कनेक्ट होती है.

एक लड़की से दोस्ती मतलब उस की सहेलियों से भी दोस्ती

अगर आप की कोई लड़की दोस्त नहीं है तो किसी लड़की से बात करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप की बेस्ट फ्रेंड कोई लड़की है तो किसी और लड़की से बात करना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि आप की एक पहचान होती है कि आप फलां लड़की के दोस्त है. इस से काम आसान हो जाता है.

एक लड़की को मिलते हैं लड़के दोस्त से ये फायदे

आप के लिए हमेशा तैयार

अगर आप के पास एक लड़का दोस्त है जो आप का बेस्ट फ्रेंड है तो फिर आप को यह चिंता करने की जरुरत नहीं होगी कि कहीं आप गलत समय पर तो फोन नहीं कर रहीं? दिन हो या आधी रात, आप उसे बेफिक्र हो कर कभी भी फ़ोन कर सकती हैं और अपना दुखड़ा सुना सकती हैं. आप किसी प्रॉब्लम में हाँ तो वह आप की सहायता के लिए पहुँच जाएगा कहीं ट्रैफिक, बारिश या किसी मुसीबत में फंस गई है तो वह बाइक लेकर हाजिर हो जाएगा. इस तरह किसी गंभीर रिलेशनशिप में न होते हुए भी वह गंभीरता से आप की केयर करेगा.

नखरे कम करते हैं लड़के

लड़कियां लड़को को फ्रेंड बनाना इसलिए पसंद करती हैं क्यों कि लड़के बहुत कम नखरे करते हैं उन के साथ कोई प्रोग्राम बनाना या कुछ काम करना बहुत आसान होता है और वे हेल्प करने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं. आधी रात में भी अपनी मदद करने के लिये बुलाएंगी तो भी वे हंसतेमुसकुराते आपकी मदद के लिए पहुंच जाएंगे न वे खाने में चूजी होते हैं और न कपड़ों में न मेकअप में समय लगाते हैं और न कहीं जाने में आनाकानी करते हैं. उन्हें जैसे चाहो वैसे घुमाया जा सकता है.

अपने बारे में कुछ नहीं छिपाते

एक लड़का आप का दोस्त बनने के बाद अपने बारे में आप से कभी कुछ नहीं छिपाता कोई राज नहीं रखता. वह आप से हर बात शेयर कर लेता है. इस से आप पुरुषों के व्यवहार के बारे में अच्छी तरह से जान सकती हैं और यही बात आगे चल कर पति के साथ आप के रिश्ते को रोमांटिक बनाने के काम आ सकती है

प्रॉब्लम सॉल्वर

एक लड़के दोस्त के पास आप की हर समस्या के लिए समाधान होता है और आप के गुस्से को शांत करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है लड़कों को टेक्निकल नॉलेज भी ज्यादा होता है और वे स्ट्रांग भी होते हैं. वे आप को कार या बाइक चलाना भी सिखा सकते हैं और तैराकी या सेल्फ डिफेन्स भी. आप की समस्याओं का हल वे चुटकियों में निकाल सकते हैं.

कहीं आप सेक्स एडिक्टेड तो नहीं?

सेक्स ऐडिक्शन  एक खतरनाक डिसऑर्डर है, जिसमें आदमी अपनी सेक्शुअल नीड्स पर कंट्रोल नहीं कर पाता. यह है कि यह बेहद खतरनाक डिसऑर्डर है और अडिक्टेड आदमी की जिंदगी बर्बाद भी कर सकता है.

क्या है सेक्स ऐडिक्शन ?  

सेक्स ऐडिक्शन  आउट ऑफ कंट्रोल हो जाने वाली सेक्शुअल ऐक्टिविटी है. इस स्थिति में सेक्स से जुड़ी हर बात आती है चाहे पॉर्न देखना हो, मास्टरबेशन हो या फिर प्रॉस्टिट्यूट्स के पास जाना, बस यह एक ऐसी ऐक्टिविटी होती है जिस पर इंसान का कंट्रोल नहीं रहता.

क्या हैं लक्षण?

सेक्स थेरेपिस्ट के साथ रेग्युलर मीटिंग्स के बिना यह बताना बहुत मुश्किल है कि किसे यह डिसऑर्डर है लेकिन कुछ लक्षण है जिनसे आप अंदाजा लगा सकती हैं और फिर डॉक्टर से कंसल्ट कर सकती हैं. जैसे, बहुत सारे लोगों के साथ अफेयर होना, मल्टिपल वन नाइट स्टैंड, मल्टिपल सेक्शुअल पार्टनर्स, हद से ज्यादा पॉर्न देखना, अनसेफ सेक्स करना, साइबर सेक्स, प्रॉस्टिट्यूट्स के पास जाना, शर्मिंदगी महसूस होना, सेक्शुअल नीड्स पर से नियंत्रण खो देना, ज्यादातर समय सेक्स के बारे में ही सोचना या सेक्स करना, सेक्स न कर पाने की स्थिति में तनाव में चले जाना.

ऐसे पायें छुटकारा

सेक्स ऐडिक्शन  के शिकार लोगों को फौरन साइकॉलजिस्ट या साइकायट्रिस्ट के पास जाना चाहिए. साइकॉलजिस्ट काउंसिलिंग और बिहेवियर मॉडिफिकेशन के आधार पर इस ऐडिक्शन का इलाज करते हैं और मरीज के विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों को दूसरे कामों में व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है. उन्हें समझाया जाता है कि वे संगीत, लॉन्ग वॉक आदि का सहारा लें और अपने परिवारवालों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं. साइकायट्रिस्ट दवाओं के माध्यम से इलाज करता है.

सेक्स ऐडिक्शन  एनोनिमस (एसएए) सेक्स ऐडिक्शन   के शिकार लोगों का संगठन हैं. यहां कोई फीस नहीं ली जाती और न ही दवा दी जाती है. मीटिंग में इसके सदस्य जीवन के कड़वे अनुभवों, इससे जीवन में होने वाले नुकसान और काबू पाने की कहानी शेयर करते हैं. मीटिंग में आने वाले नए सदस्यों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए मदद भी करते हैं. इससे पीड़ितों का आत्मबल बढ़ता है और उनमें इस बुरी आदत को छोड़ने की शक्ति विकसित होती है.

उन से करें मन की बात

शादी करने जा रही, जस्ट मैरिड लड़कियों के लिए खासतौर से और सभी पत्नियों के लिए आमतौर से ‘मन की बात’ इसीलिए करनी पड़ रही है क्योंकि पहले जो तूतू, मैंमैं, जूतमपैजार, सिर फुटव्वल एकडेढ़ साल बाद होते थे, अब 4-5 महीनों में हो रहे हैं. ऐडवांस्ड जमाना है भई सबकुछ फास्ट है.

पतियों से बहुत प्रौब्लम रहती है हमें. उन की बात तो होती रहती है. क्यों न एक बार अपनी बात कर लें हम?

– शादी हुई है, ठीक है, अकसर सब की होती है. तो खुद को पृथ्वी मान कर और पति को सूर्य मान कर उस की परिक्रमा मत करने लगो. न यह शकवहम पालो कि उस के सौरमंडल में अन्य ग्रह या चांद टाइप कोई उपग्रह होगा ही होगा. दिनरात उसी के आसपास मंडराना, अपनी लाइफ उसी के आसपास इतनी फोकस कर लेना कि उसे भी उलझन होने लगे, ऐसा मत करो, गिव हिम अ ब्रेक (यहां स्पेस पढि़ए). अपने लिए भी एक कोना रिजर्व रखना हमेशा.

– अपने अपनों को, दोस्त, सखीसहेलियों को छोड़ कर आने का दुख क्या होता है तुम से बेहतर कौन जानता है. तो उस से भी एकदम उस के पुराने दोस्तों और फैमिली मैंबर्स से कटने को मत कहो. बदला क्यों लेना है आखिर अपना घर छोड़ने का? ‘तुम तो मुझे टाइम ही नहीं देते.’ का मतलब ‘तुम बस मुझे टाइम दो’ नहीं होता समझो वरना हमेशा बेचारगी और उपेक्षा भाव में जीयोगी.

– जो काम हाउसहैल्प/घर के अन्य सदस्य कर रहे हों उन्हें जबरदस्ती हाथ में लेना यह सोच कर कि इन से परफैक्ट कर के दिखाओगी, कतई समझदारी नहीं है. अगर सास का दिल जीतने टाइप कोई मसला न हो तो इन से गुरेज करें, क्योंकि पुरुष

आमतौर पर इन मसलों में बौड़म होते हैं और आप को जब वे ताबड़तोड़ तारीफें न मिलें जो आप ने ऐक्सपैक्ट कर रखी हैं, तो डिप्रैशन होगा. बिना बात थकान और वर्कलोड अलग बढ़ेगा. तो जितने से काम चल रहा हो उतने से ही चलाओ.

– लीस्ट ऐक्सपैक्टेशंस पालो. जितनी कम अपेक्षाएं उतना सुखी जीवन. अगर ऐक्सपैक्टेशन या बियौंड ऐक्सपैक्टेशन कुछ मिल गया तो बोनस.

– न अपने खुश रहने का सारा ठेका पतिपरमेश्वर को दे दो न अपने दुखी होने का ठीकरा उस के सिर फोड़ो. अपनी खुशियां खुद ढूंढ़ो. अपनी हौबीज की बलि मत चढ़ाओ और न अपनी प्रतिभा को जंग लगाओ. बिजी रहोगी, खुश रहोगी तो वह भी खुश रहेगा. याद रखो तुम उस के साथ खुश हो, यह मैटर करेगा उसे. उसी की वजह से खुश हो नहीं. मैं कैसी दिख रही हूं, कैसा पका रही हूं, सब की अपेक्षाओं पर खरी उतर रही हूं, कहीं इन का इंट्रैस्ट मुझ में कम तो नहीं हो रहा ये ऐसी चीजें हैं, जिन में कई औरतें मरखप कर ही बाहर निकल पाती हैं, जबकि पतियों के पास और भी गम होते हैं जमाने के.

– शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था. उम्मीद है ऐसी सर्जरी जो ब्रेन के उस हिस्से को काट फेंके जो शक पैदा करता है, जल्दी फैशन में आ जाए. तब तक ओवर पजैसिव और इनसिक्योर होने से बचो. कहीं का टौम क्रूज नहीं है वह जो सब औरतें पगलाती फिरें उस के पीछे. हो भी तो तुम्हारे खर्चे पूरा कर ले वही बहुत है. फिर फैमिली का भी तो पालन करना है. औलरैडी टौम है, तो बेचारे की संभावनाओं के कीड़े औलमोस्ट मर ही चुके समझो.

– लड़ाईझगड़े, चिड़चिड़ाना कौमन और एसैंशियल पार्ट हैं मैरिड लाइफ के. फिर बाद में वापस सुलह हो जाना भी उतना ही कौमन और एसैंशियल है. बस करना यह है कि जब अगला युद्ध हो तो पिछले के भोथरे हथियारों को काम में नहीं लाना है. पिछली बार भी तुम ने यही किया/कहा था, तुम हमेशा यही करते हो, रिश्तों में कड़वाहट घोलने में टौप पर हैं. जो बीत गई सो बात गई.

– हम लोग परेशान होने पर एकदूसरे से शेयर कर के हलकी हो लेती हैं, जबकि पुरुषों को ज्यादा सवालजवाब नहीं पसंद. कभी वह परेशान दिखे और पूछने पर न बताना चाहे तो ओवर केयरिंग मम्मा बनने की कोशिश मत करो. बताओ मुझे, क्या हुआ, क्यों परेशान हो, क्या बात है, मैं कुछ हैल्प करूं, प्यार नहीं खीझ बढ़ाते हैं. बेहतर है उसे एक कप चाय थमा कर 1 घंटे को गायब हो जाओ. फोकस करेगा तो समाधान भी ढूंढ़ लेगा. लगेगा तो बता भी देगा परेशानी की वजह. दोनों का मूड सही रहेगा फिर.

– कितनी भी, कैसी भी लड़ाई हो, शारीरिक हिंसा का एकदम सख्ती और दृढ़ता से प्रतिरोध करो. याद रखो एक बार उठा हाथ फिर रुकेगा नहीं. पहली बार में ही मजबूती से रोक दो. साथ ही बेइज्जती सब के सामने, माफीतलाफी अकेले में, यह भी न हो. अपनी सैल्फ रिस्पैक्ट को बरकरार रखो, हमेशा हर हाल में ईगो और सैल्फ रिस्पैक्ट के फर्क को समझते हुए.

– आदमी चेहरा और ऐक्सप्रैशंस पढ़ने में औरतों की तरह माहिर नहीं होते. इसलिए मुंह सुजा कर घूमने, भूख हड़ताल आदि के बजाय साफ बताओ क्या दिक्कत है.

– किसी भी मतलब किसी भी पुरुष से स्पष्ट और सही उत्तर की अपेक्षा हो तो सवाल एकदम सीधा होना चाहिए, जिस का हां या न में जवाब दिया जा सके. 2 उदाहरण हैं-

पहला

‘‘क्या हम शाम को मूवी चल सकते हैं?’’

‘‘हम्म, ठीक है, कोशिश करूंगा, जल्दी आने की, काम ज्यादा है.’’

दूसरा

‘‘क्या हम शाम को मूवी चलें? आ जाओगे टाइम पर?’’

‘‘नहीं, मीटिंग है औफिस में, लेट हो जाऊंगा तो चिढ़ोगी स्टार्टिंग की निकल गई. कल चलते हैं.’’

जब पुरुष का मस्तिष्क ‘सकना’ टाइप के कन्फ्यूजिंग शब्द सुनता है तो उत्तर भी कन्फ्यूजिंग देता है. अब पहली स्थिति में उम्मीद तो दिला दी थी. तैयार हो कर बैठने की मेहनत अलग जाती, टाइम अलग वेस्ट होता और पति के आने पर घमासान अलग. कभी किसी पुरुष को कहते नहीं सुना होगा कि क्या तुम मुझ से प्यार कर सकती हो या मुझ से शादी कर सकती हो? वे हमेशा स्पष्ट होते हैं, डू यू लव मी, मुझ से शादी करोगी? तो स्पष्ट सवाल की ही अपेक्षा भी करते हैं.

लास्ट बट नौट लीस्ट, अगर वह आप के साथ खड़ा है जिंदगी के इस सफर में, आप का साथ दे रहा है, तो यह सब से जरूरी बात है. आप इसलिए साथ नहीं हैं कि बुढ़ापे में अकेले न पड़ जाओ, न इसलिए कि इन प्यारेप्यारे बच्चों के फ्यूचर का सवाल है, बस इसलिए साथ हैं कि दोनों ने एकदूसरे का साथ चुना है, आखिर तक निभाने को…

डा नाजिया नईम

ऐसे संभालें मैरिड लाइफ

आजकल पढ़ीलिखी लड़कियां शादी के 2-3 साल बाद ही तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. आखिर क्यों तलाक की नौबत आती है, आइए जानते हैं:

तलाक के कारण

  1. पतिपत्नी को एकदूसरे का व्यवहार पसंद न आना.
  2. दोनों में से किसी एक के घर वालों की दखलंदाजी तथा उन के ऊपर उन का अत्यधिक प्रभाव.
  3. दोनों या किसी एक को छोटीछोटी बातों पर भी गुस्सा आना.
  4. अहं का टकराव.
  5. अच्छे संस्कारों की कमी.
  6. रिश्तों को दिमाग से तोलना.
  7. लड़के का सपनों का सौदागर न निकलना.
  8. कई बार लड़की या लड़का एकदूसरे का चेहरा या बाहरी दिखावा देख कर आकर्षित हो जाते हैं, परंतु शादी होते ही एकदूसरे का वास्तविक व्यवहार सामने आने पर लड़ाईझगड़ा शुरू हो जाता है.
  9. कुछ लड़कियां शादी के बाद तलाक को कमाई का जरीया भी बना लेती हैं.
  10. आजकल के लड़केलड़कियां प्रेम किसी और से करते हैं पर घर वालों के डर से शादी किसी और से कर लेते हैं.

तलाक के नुकसान

  1. पहली शादी में जैसा पति या पत्नी मिलती है दूसरी शादी में वैसा ही पति या पत्नी मिले यह जरूरी नहीं. कोई न कोई समझौता करना ही पड़ता है.
  2. चूंकि पहला रिश्ता बहुत सोचसमझ कर किया जाता है, इसलिए समाज में थोड़ी मानप्रतिष्ठा बढ़ जाती है. लोग भी बधाई देते समय कहते हैं कि बहुत अच्छा रिश्ता मिला. ऐसा दूसरी बार नहीं मिल पाता.
  3. दूसरी बार जो साथी होगा, हो सकता है वह पहले जितना पढ़ालिखा या अमीर न हो. दूसरी शादी में जो लड़की या लड़का होता है वह ज्यादातर उम्मीद से कम ही होता है.
  4. रिश्ता टूटने पर बहुत दुख भी होता है और यह बात वही जानता है जिस का रिश्ता टूटता है.
  5. जब तक दूसरी शादी नहीं हो जाती तब तक लड़की तथा उस के अभिभावकों को असुरक्षा की भावना घेरे रहती है.

तलाक समाधान नहीं

  1. मांबाप समाज में लोगों से नजरें नहीं मिला पाते.
  2. फिर दूसरी शादी करने पर इस बात की क्या गारंटी है कि वह सही चलेगी. दूसरी शादी करने पर लड़का या लड़की न चाहते हुए भी हर बात सहते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कुछ कहा तो कहीं यह शादी भी न टूट जाए.
  3. पहले पति या पत्नी की याद हमेशा दुख देती है.
  4. किसी भी तलाकशुदा लड़की को मांबाप ज्यादा समय तक घर में नहीं रखते. उस की जल्दी से जल्दी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं. कई बार लड़की खुद भी मांबाप के घर में खुद को उन पर बोझ समझने लगती है.
  5. तलाकशुदा होने पर लड़की समाज में अकेला रहने पर असुरक्षित भी महसूस करती है.

समाधान

अगर तलाक के इतने नुकसान हैं तो फिर जहां तक हो सके रिश्ते को संभालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर कोई पति मारपीट करता है, शक करता है या फिर साइकिक है, तो उस का कोई हल नहीं. उस के लिए आप एनजीओ की मदद लें या पुलिस की. तलाक लेना जायज है, परंतु आजकल ज्यादातर तलाक अहं के टकराव की वजह से हो रहे हैं.

  1. शादी से पहले लड़कालड़की को एकदूसरे से अकेले में मिलने दें. उन्हें एकदूसरे को समझने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए.
  2. अभिभावकों को अपने बच्चे की कमजोरियां पता होती हैं जैसे गुस्सा आना या कोई और कमी होना आदि. ऐसे में उन्हें अपने बच्चों से पूछते रहना चाहिए कि तुम्हारी इस बात पर तुम्हारी होने वाली पत्नी या पति ने कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
  3. रिश्ते को दिमाग से नहीं दिल से जोड़ने की कोशिश करें. हर लड़कालड़की कहीं न कहीं एकदूसरे में अपना प्रेमी या प्रेमिका भी ढूंढ़ रहा होता हैं.
  4. अगर अपने मंगेतर को देख कर आप के दिल की धड़कनें नहीं बढ़तीं या आप को खुशी नहीं मिलती तो आप इस रिश्ते पर दोबारा विचार करें.

अच्छी सोच

अकसर देखा गया है कि लगभग सभी घरों में सासससुर आपस में बहुत अच्छी तरह से रिश्ते निभा रहे होते हैं और आप सोचती हो कि मेरा पति इन के जैसा क्यों नहीं? पहले वे भी आप की तरह लड़ते रहे होंगे, परंतु रिश्ता सींचने में उन्हें समय मिल गया. सोचो एक दिन आप का रिश्ता भी ऐसा ही हो जाएगा.

  1. रिश्ते को समय दें. कुछ सह लें तो कुछ मना लें.
  2. लड़केलड़की में परिपक्वता तथा तजरबे की कमी होती है, क्योंकि आजकल बच्चे ज्यादा समय पढ़ाई को देते हैं. फिर संयुक्त परिवार भी नहीं देखा होता, इसलिए किसी दूसरे के साथ घर में रहने के तौरतरीकों की समझ भी कम ही होती है. ऐसे में अभिभावकों को इन की मदद करनी चाहिए.
  3. समाज की एक दुविधा यह भी है कि लड़की को ही अपने मांबाप का घर छोड़ कर लड़के के घर जाना पड़ता है. इस बात से दुखी होने के बजाय आप इस के फायदे ढूंढें़.

दिल में जगह

  1. अपने रिश्ते तथा घर की हर बात अपने मांबाप या रिश्तेदारों को बताना सही नहीं. वे नहीं जानते कि आप जो बात कर रही हैं, उस में आप का क्या रोल था. उन की सलाह आप को महंगी भी पड़ सकती है.
  2. कुछ ही सालों में आप अपने पति का दिल जीत लेंगी और उसी घर में रानी के समान बन जाएंगी, क्योंकि समय रुकता नहीं है. एक समय ऐसा भी आता है जब सासससुर बुजुर्ग हो रहे होते हैं और आप के बच्चे जवान.
  3. शादी के बाद पति या पत्नी पर शक करना या उस की आजादी पर अंकुश लगाना रिश्ते को एक बंदिश बना देता है.
  4. आप रात को पति के साथ कमरे में अकेली होती ही होंगी. उस समय का सही उपयोग करें. पति के साथ बैठ कर भावनात्मक बातें करें. धीरेधीरे पति के दिल में जगह बनाएं, क्योंकि आप को यह जंग दिल तथा दिमाग से जीतनी है, तलवार से नहीं.

सब कुछ अनुरूप नहीं

  1. हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता. अत: जो अधूरा है उसे पूरा करने की कोशिश करें.
  2. अकेले में आप अपने पति या पत्नी की बुरी आदतों या फिर वे जो आप को पसंद नहीं हैं उन के बारे में उसे अवगत कराएं.
  3. अगर पति मौडर्न या पुराने विचारों का है तो थोड़ा आप भी बदलें, क्योंकि आप को उस घर में ऐडजस्ट होना है.
  4. अगर पति हर बात अपने मांबाप से करता है, तो आप वही बातें करें, जो मांबाप तक पहुंचें तो कोई गलत प्रतिक्रिया न हो.
  5. बातबात पर रिश्ते को तोड़ने की धमकी न दें. घर छोड़ कर न जाएं तथा जल्दी से नाराज न हों. अगर हों भी तो जल्दी मान जाएं.

घर की बात घर में

  1. ज्यादातर लड़की को ही ऐडजस्ट करना पड़ता है, क्योंकि लड़की को अपने घर में, चाहे हजार रुपए लेने में झिझक महसूस होती हो, परंतु शादी होते ही वह लड़के की आधी प्रौपर्टी की हकदार बन जाती है.
  2. अपने लड़ाईझगड़े की किसी तीसरे से शिकायत करने पर आप के रिश्ते की बागडोर अनजान हाथों में चली जाएगी, जैसे गांव की पंचायत, कोई एनजीओ ग्रुप इत्यादि. वे अपनी वाहवाही बटोरने के लिए आप की पत्नी या पति के स्वाभिमान को ठेस भी पहुंचा सकते हैं, जिस से आप के रिश्ते में गांठ पड़ जाएगी.
  3. अगर उसी घर में रहने की इच्छा हो तो किसी को बीच में न लें, क्योंकि डर से हो सकता है ससुराल वाले आप को तंग न करें, परंतु आप से कोई बात भी नहीं करेगा तो आप वहां पर अकेली पड़ जाएंगी.
  4. यह टीवी सीरियल नहीं है जहां कई शादियां होती हैं. यह आप का जीवन है और दूसरी शादी एक समझौता है.
  5. अगर आप अपनी अटैची पकड़ कर बसस्टैंड पर खड़ी हैं और पति का घर छोड़ आई हैं तो आप कोई भी बहाना बना कर वापस चली जाएं. क्या मालूम वे सब बहुत पछताए हों. औरत चूंकि हमेशा ही महानता की मूर्ति रही है, इसलिए इस रिश्ते को आप ज्यादा अच्छी तरह संभाल सकती हैं.

कुछ यों मनाएं मैरिड लाइफ का जश्न

पिछले एक विश्व पुस्तक मेले में पोलैंड गैस्ट औफ औनर देश रहा. पोलैंड पैवेलियन पर हिंदी बोलते लोग बहुत आकर्षित कर रहे थे. ऐसा नहीं था कि कुछ शब्द ही उन्होंने याद कर रखे थे, बल्कि वे दिल से धाराप्रवाह हिंदी बोल रहे थे. वहीं की एस कुमारी याहन्ना ने बताया कि भारत की परंपराओं और पारिवारिकता का पोलैंड में बहुत सम्मान है. भारत ने पोलैंड को द्वितीय विश्व युद्ध में इस का परिचय भी दिया. इस विश्व युद्ध में अनाथ हुए 500 बच्चों को भारत ने अपने यहां पाला. इस बात का बहुत सम्मान है. पोलैंडवासी जब भी कभी बलात्कार, भू्रण हत्या, दरकते दांपत्य या ऐसे ही पारिवारिक मूल्य विघटन की भारतीय खबर पढ़तेसुनते या देखते हैं तो उन्हें बहुत दुख होता है.

सुदीर्घ दांपत्य का जश्न

60 के दशक से पोलैंड में वैवाहिक जीवन की स्वर्ण जयंती मनाने वाले जोड़ों को राष्ट्रपति मैडल से सम्मानित किया जाता है. यह आयोजन पोलैंड की राजधानी में होता है परंतु पोलैंड के और भी कई शहरों में इस प्रकार के आयोजन की परंपरा है.

इस अवसर पर पोलैंड की राजधानी में काफी गहमागहमी रहती है. रुपहले रंग के मैडल पर, प्यार के प्रतीक गुलाब के परस्पर लिपटे और गुलाबी रिबन से बंधे फूल होते हैं, जो दंपती के प्यार के प्रतीक होते हैं. रैड कारपेट पर चलते दंपती इस सम्मान को ग्रहण कर के बहुत गौरवान्वित अनुभव करते हैं.

आसान नहीं इतना लंबा साथ

अर्द्ध शताब्दी का साथ कम नहीं होता. इस के लिए स्नेह, सम्मान, स्वस्थता, समर्पण आदि तमाम गुणों की आवश्यकता होती है.

रिलेशनशिप काउंसलर निशा खन्ना से जब हम ने पूछा कि जोड़ों में तालमेल कैसे आए कि हर जोड़ा इस तरह का सफल दांपत्य जीवन पा सके? तो इस पर उन का कहना था कि बच्चों का पालनपोषण अच्छी पेरैंटिंग से हो. वे बच्चों को होशियार, इंटैलिजैंट बनाने के साथ ही परिपक्व बनाएं. आजकल हर कोई अपने फायदे से रिश्ते बनाता है. पहले यह बात बाहर वालों के लिए थी, परंतु अब निजी, आपसी तथा घरेलू संबंधों में भी यह बहुत घर करती जा रही है. इस से रिश्तों में छोटीछोटी बातों को ले कर तनाव, क्रोध, खीज, टूटन, तलाक आदि बातें कौमन होती जा रही हैं. पहले औरतें दब जाती थीं. पति को परमेश्वर मान लेती थीं पर अब बदलते जीवनमूल्यों में उन्हें दबाना आसान नहीं रहा.

हमारे यहां भी है यह परंपरा

शादी की रजत जयंती एवं स्वर्ण जयंती मनाने का चलन पिछले कुछ वर्षों से काफी जोर पकड़ता जा रहा है. नडियाद, गुजरात के एक दंपती ने बताया कि 52 साल पहले गांव में हमारी शादी हुई. हमें पुराने रीतिरिवाजों का पालन करना पड़ा. परंतु शादी की स्वर्ण जयंती में हम ने अपनी नई हसरतें पूरी कीं. हम शादी के रिसैप्शन में नए जोड़ों की तरह बैठे और खूब फोटो खिंचवाए. एकदूसरे को वरमाला भी पहनाई. दूरदूर के रिश्तेदार तथा मित्रगण आए. हम उत्साह से भर गए. नईपुरानी पीढ़ी के अंतर मिट गए. पर हमारे यहां ऐसे आयोजनों में दिखावा बढ़ रहा है, इस पर लगाम कसनी जरूरी है.

कौरपोरेट हाउस का एक जोड़ा कहता है कि हम ने आपस में ही दोबारा विवाह किया. हम अपनी पहले की तलाक लेने की गलती पर शर्मिंदा हैं. हम ने आपसी सहमति से तलाक ले तो लिया, परंतु दोनों ही बिना शादी लंबे समय तक रहे. एक वक्त ऐसा आया कि एकदूसरे को मिस करना शुरू किया. न हमारे पास पैसे की कमी थी, न घर वालों का दखल और न ही निजी संबंधों की दूरी, फिर भी छोटीछोटी टसल, क्रोध प्रतिशोध जैसी भावनाएं हावी थीं. फिर दोनों सोचते थे जब कमाते हैं किसी पर निर्भर नहीं, तो क्यों झुकें और सहें? इसी में हम भूल गए कि सिर्फ कागजी रुपयों या सुख के साधनों से खुशी नहीं आती. तब हम औपचारिक तौर पर मिले फिर काउंसलिंग ली और दोबारा ब्याह किया. घर वालों ने खूब खरीखोटी सुनाई. हम ने शादी के 26वें साल का फंक्शन किया और उस में अपनेअपने अनुभव सुझाए. इतना ही नहीं हम ने अपनी गलतियां कबूलीं और एकदूसरे की खूबियां भी मन से बखानीं. जोड़ों से अनुभव सुने.

एक कर्नल कहते हैं कि हम ने जीवन में बहुत जोखिम व रिस्क देखे. 2 युद्धों में सीमा पर गया. अत: जीवन में परिवार और खुशियों का मोल बेहतर तरीके से जान सका. मेरी पत्नी ने शुरुआती दौर में मेरे बच्चे अकेले पाले. मैं ने हमेशा उन को सामाजिक फंक्शंस में थैंक्स कहा.

इन की पत्नी कहती हैं कि ये उत्सवप्रिय हैं. मांबाप की शादी की 50वीं सालगिरह में 50 जोड़ों को आमंत्रित किया था. मैं 40 की हुई तो ‘लाइफ बिगिंस आफ्टर पार्टी’ शीर्षक से पार्टी दी. हाल ही में अपने गांव व खेत में इन्होंने गंवई स्टाइल में अपना 60वां जन्मदिन ‘साठा सो पाठा’ शीर्षक से मनाया.

परिपक्वता का दौर

शादी के शुरुआती दिन व्यस्तता, अपरिपक्वता और अलगअलग स्वभाव से भरे होते हैं. पर बाद के दिन काफी सैटलमैंट वाले होते हैं. सिंघल दंपती कहते हैं कि एक समय हम मुंबई में स्टोव पर मां से रैसिपीज पूछपूछ कर खाना बनाते थे. 50वीं सालगिरह तक हमारे सब बच्चे सैटल हो गए तो हम ने पूरे यूरोप का ट्रिप किया. कहां तो कूलर तक के पैसे न थे. हम चादर गीला कर के गरमी की रातें काटते थे. अत: हम ने पुराने दिनों का जश्न जरूरत की चीजें डोनेट कर के भी मनाया. शादी की 50वीं सालगिरह के जश्न ने हमें यह बोध कराया कि असली जीवन क्या है. हम ने जीवन में क्या पाया, क्या खोया. अच्छी मेहनत, प्यार भरा साथ, दुख, संघर्ष, दूरी आदि जीवन को कितना कुछ देते हैं. सच पूछो तो हम ने अपने जीवन की खुशियों का इस फंक्शन के माध्यम से अभिनंदन किया.

तनमनधन का तालमेल जरूरी

दांपत्य जीवन में उम्र के साथ जरूरतें और भावनाएं भी अलग रुख लेती हैं. एक जोड़ा कहता है कि शुरूशुरू में बहुत झगड़ते थे. शायद ही कोई ऐसी बात हो जिस पर बिना लड़ाई हमारी सहमति बन जाती रही हो. एक बार पत्नी गुस्से में 5 दिन तक बच्चे को मेरे पास छोड़ कर चली गई. तब मैं ने बच्चे को पाला तो मेरी हेकड़ी ठिकाने आ गई. मैं ईगो भूल कर इन के घर चला गया तो मैं ने पाया ये भी सब भूल गई हैं. तब से हम ने सोचा हम लड़ेंगे नहीं. वह दिन है और आज का दिन है, मन के प्यार के बिना तन के प्यार का मजा नहीं और धन के बिना दोनों ही स्थितियां अधूरी हैं. अत: मैं ने घर की शांति से बिजनैस भी ढंग से किया. पैसा भी सुखशांति के लिए जरूरी है पर सुखशांति को दांव पर लगा कर कमाया पैसा निरर्थक लगता है. यही बात हम हर जोडे़ को समझाते हैं. छोटीछोटी खुशियां पाना सीखना चाहिए. बड़ी खुशियों का रास्ता बनाने में छोटीछोटी बातों का कारगर योगदान रहता है.

अन्य देशों में भी है ऐसी परंपरा

विवाह संस्था सभ्य समाज की सब से पुरानी संस्था है, जो सम्यक रूप से सृष्टि और दुनिया को चलाती है. आमतौर पर अच्छे दांपत्य संबंधों को हम अपने या एशियाई देशों की धरोहर मानते हैं परंतु अच्छी बात, परंपरा व संस्कारों का पूरी दुनिया खुले मन से स्वागत करती है.

हमारे यहां पाश्चात्य देशों के पारिवारिक मूल कमजोर माने जाते हैं. फ्री सैक्स के चलते समाज को मुक्त एवं उच्छृंखल समाज मान लेते हैं. परंतु वहां ऐसा नहीं है कि उन की पारिवारिक मूल्यों में आस्था न हो. हां, यह जरूर है कि वहां शादी को निभाने का आग्रह, दुराग्रह अथवा थोपन नहीं है, न ही अन्य रिश्तेदारों का इतना दखल कि उन की चाहत, अनचाहत का शादी के चलने, न चलने पर असर पड़े. वहां 7 पुश्तों के लिए धन जोड़ना और अपना पेट काट कर औलाद को मौज उड़ाने देने का रिवाज नहीं है, लेकिन वहां भी अच्छी शादी चलना प्रशंसनीय कार्य माना जाता है. चुनावी उम्मीदवार का पारिवारिक निभाव उस की इमेज बनाता है. जो घर न चला सका वह देश क्या चलाएगा की मान्यता पगपग पर देखी जाती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा अपनी पत्नी व बच्चों के साथ छुट्टियां बिताते देखे जाते हैं.

अमेरिका में शादी का गोल्डन जुबली मनाने पर जोड़ों को व्हाइट हाउस (राष्ट्रपति भवन) से बधाई संदेश भेजा जाता है. इंगलैंड में भी शादी के 60 वर्ष पूरे होने पर महारानी की ओर से बधाई भेजी जाती है.

यदि जरूरी हो

यकीनन विदेशों में राष्ट्र के प्रथम नागरिक और गणमान्यों द्वारा दांपत्य का यह अभिनंदन देखसुन कर हमारी भी इच्छा होती है. कि हमारे देश में भी ऐसा हो. लेकिन यह सब हमारे यहां राष्ट्रपति चाहें तब भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि विवाह का पंजीकरण पूरी तरह नहीं होता. कई जोड़े तो ऐसे हैं जिन्हें अपने विवाह तथा जन्म की सही तिथि तक पता नहीं है.

यदि विधिवत पंजीकरण किया जाए तो संबंध विभाग ऐसे जोड़ों का अपनेअपने शहर में अभिनंदन कर सकता है. इसी तरह मृत्यु पंजीकरण भी पुख्ता हो ताकि सही सूचना के अभाव में स्थिति गड्डमड्ड न हो जाए. इसी प्रकार स्वस्थ और चलताफिरता जीवन भी ऐसे मौकों को ज्यादा ऊर्जा व जोश से भरता है, जिस में जीवन बोझिल तथा पीड़ादायक न हो. अन्यथा मजबूरी या सिर्फ दिनों की संख्या उस का उतना तथा वैसा लुत्फ नहीं उठाने देती, जिस के लिए मन मचलता है या उत्साही रहता है.

मैं और तुम गर हम हो जाएं…

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जो पुरुष घर के कामों में सहयोग करते हैं, वे अन्य पुरुषों की तुलना में ज्यादा खुश रहते हैं. यह रिपोर्ट उन मर्दों के लिए खुशखबरी भरी है, जो घरेलू काम करने को अपनी तौहीन समझते हैं. ऐसे पुरुष यह मानते हैं कि घरेलू काम सिर्फ औरतों को ही करना चाहिए.

शुरू से ही एक औरत न सिर्फ घर का, बल्कि बाहर का कामकाज भी करती आ रही है. वह दोनों भूमिकाएं बखूबी निभाती है. एक समय था जब वह घर से निकल कर खेत भी जाती थी. पशुओं को चराना, नहलाना, बोझा ढोना, लकडि़यां इकट्ठा करना और फिर घर आ कर गृहस्थी के कामों में जुट जाना. बच्चों को दूध पिलाना, खाना बनाना व परोसना सहित घर के तमाम काम उस के ही सिर पर थे. पुरुष केवल तब तक ही हाथपैर चलाता था जब तक घर से बाहर होता था. घर की चौखट के भीतर आते ही वह पानी पी कर गिलास भी स्वयं नहीं रखता था. घर में उस का काम केवल आराम करना व पत्नी को गर्भवती बनाना मात्र ही था.

आज भी यों तो अधिकांश घरों में इसी परंपरा का पालन होता आ रहा है, मगर बदलते जमाने में जब नई जैनरेशन के पति यह देख रहे हैं कि पत्नियां घर से बाहर निकल कर घर की आर्थिक स्थिति में सहयोग दे रही है, तो वे घर के कामकाज में हाथ बटाने लगे हैं. यह एक अच्छी शुरुआत है.

औरत नहीं मशीन

ऐसा देखा गया है कि पतिपत्नी अथवा सासबहू के बीच होने वाले ज्यादातर कलह घरेलू कामों को ले कर ही होते हैं. यह तो अच्छा है कि किचन व अन्य इलैक्ट्रौनिक होम ऐप्लायंसेज की वजह से महिलाओं के लिए काम करना थोड़ा सुलभ हुआ है. इस से उन के काम कुछ जल्दी निबट जाते हैं.

मगर कपड़े धोने की मशीन, वैक्यूम क्लीनर, मिक्सर, ग्राइंडर आदि अपनेआप काम नहीं करते. इन्हें चलाने के लिए एक आदमी की जरूरत तो पड़ती ही है. क्या कोई ऐसी मशीन है, जो बच्चों के डायपर्स बदल सकती है? बच्चों को होमवर्क करा सकती है? क्या कोई ऐसी मशीन है, जो सुबह उठे और बच्चों को जगाए, उन्हें नहलाए, यूनिफौर्म, जूतेमोजे, टाईबैल्ट पहनाए और फिर नाश्ता करा कर उन का लंच बौक्स पैक कर के उन्हें स्कूल छोड़ आए? फिर दोपहर में बच्चों को ले कर आए. बरतन धोए और पोंछा लगाए, लंच व डिनर बनाए और फिर सब को परोसने का काम भी करे?

निश्चित तौर पर ऐसी मशीन सिर्फ एक औरत ही हो सकती है. अगर इन अनगिनत घरेलू कामों में से कुछ काम पति अपने कंधों पर ले ले तो औरत को थोड़ी राहत तो अवश्य मिलेगी.

ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि आजकल की व्यस्त लाइफ में घर का काम पतिपत्नी को मिल कर ही करना चाहिए. इस से न सिर्फ तनाव दूर रहता है, पार्टनर के सहयोग करने पर मन व शरीर में ऊर्जा भी बनी रहती है. एकदूसरे को लगता है कि कोई है, जो जरूरत के समय उस के साथ काम करने को तैयार रहता है. इस से घर में हर रोज होने वाली किचकिच भी नहीं होती.

इस पुरुष प्रधान समाज में लोगों की मानसिकता ऐसी बनी हुई है कि केवल औफिस जाते हुए व हाथ में सिगरेट थामे हुए लोग ही मर्द कहलाते हैं. किचन में ऐप्रिन पहने आटा गूंधता कोई व्यक्ति मर्द की श्रेणी में नहीं गिना जाता. यही वजह है कि जो पति घर के कामों में पत्नी का सहयोग करते हैं वे दोस्तों व रिश्तेदारों से इसे छिपा कर रखना चाहते हैं.

60-70 के दशक में आई एक फिल्म में नायक संजीव कुमार ने नायिका मौसमी चटर्जी के पति की भूमिका निभाई थी. दोनों ही एकदूसरे के कामों को बेहद महत्त्वहीन व आसान समझते थे. ऐसे में दोनों ने अपनी भूमिकाएं बदलने का फैसला किया. यानी जो भूमिका नायिका निभा रही थी उसे नायक को निभाना था और नायक वाली भूमिका नायिका को निभानी थी. फिल्म का संदेश यह था कि एक औरत घर संभालने के अलावा बाहर जा कर कमा भी सकती है, मगर घर में गृहस्थी व बच्चे संभालने की जिम्मेदारी जितनी आसान दिखती है, उतनी होती नहीं.

हाउस हसबैंड

आज ढेरों पति ऐसे हैं, जो हाउस हसबैंड हैं. बैंकर से लेखक बने चेतन भगत उस का उदाहरण हैं. उन की पत्नी भी बैंकर हैं. वे तो औफिस चली जाती हैं, चेतन अपना लेखन का सारा काम घर से ही करते हैं और अपने 2 जुड़वां बेटों की देखभाल भी. हां यह बात जरूर है कि वे घर बैठ कर अच्छी कमाई भी करते हैं.

वहीं कई टीवी कलाकार ऐसे हैं, जो पतिपत्नी हैं. दोनों ही ऐक्टिंग करते हैं, तो कई बार ऐसे मौके आते हैं जब कोई एक धारावाहिक अथवा किसी शो में काम कर रहा होता है और दूसरा घर बैठा होता है. ऐसे में क्या होता है? टीवी कलाकार वरुण वडोला साफसाफ कहते हैं, ‘‘जब मेरे पास काम नहीं होता और पत्नी राजेश्वरी के पास ढेर सारा काम होता है तो घर मैं संभाल रहा होता हूं और वह बाहर.’’

और भी कई कवि, लेखक और साहित्यकार हाउस हसबैंड हैं. हालांकि अभी यह बदलाव इतना कौमन नहीं हुआ है, पर इस की शुरुआत हो गई है. इस से दोनों एकदूसरे के कामों की कद्र करना सीख गए हैं, मगर यह बदलाव केवल शहरों अथवा शिक्षित तबके में ही देखा जा सकता है. अगर हम सिक्के के दूसरे पहलू को देखें तो भारतीय गांवों में जहां देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा बसता है, वहां मर्दों को शान से हुक्का गुड़गुड़ाते या फिर खेती करते ही देखा जा सकता है. फिलहाल वहां की परंपराएं बदलने में शायद थोड़ा वक्त लगेगा.

शादीशुदा डिप्रैशन फ्री

घर में हाथ बंटाने का यह अर्थ नहीं कि आप हाउस हसबैंड बन गए हैं. आखिर घरपरिवार, बच्चों की देखभाल आदि पतिपत्नी दोनों की साझा जिम्मेदारी है, तो इस में शर्म कैसी? अगर आप ऐसे हैं तो बच्चों की नैपी बदलने की बात को दोस्तों को बता कर उन्हें शर्मिंदा करें कि वे बैठेबिठाए खाने के आदी हो चुके हैं. उन्हें बताएं कि अब उन का वह दौर खत्म हो चुका है, जिस में औरत को भोग्या और पुरुष को भोगी कहा जाता था.

यदि आप संयुक्त परिवार में हैं तो आप की मां उस समय आपत्ति जता सकती हैं, जब आप पत्नी द्वारा धोए कपड़ों की बालटी ले कर छत पर कपड़े सुखाने जाएं अथवा फ्रिज में गिरे दूध अथवा जैम को साफ करें. दरअसल, सास अपनी बहू के साथ अपने बेटे को घरेलू काम करते नहीं देखना चाहती. पुरानी सोच के चलते उसे लगता है कि उस के बेटे की छवि खराब होगी या उस का पुरुषत्व कम होगा. ऐसा होने पर मां को यह समझाएं कि बदले जमाने में यह सब कितना जरूरी हो गया है.

वैसे शादी व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालती है. एक स्टडी के अनुसार, शादीशुदा लोग कुंआरों के मुकाबले टैंशन और डिप्रैशनफ्री रहते हैं. इस स्टडी में 15 देशों के 34,493 लोगों से बात की गई और पूछा गया कि शादी और मानसिक शांति का क्या संबंध है.

पहले की गई स्टडीज में यह माना गया था कि शादी से सिर्फ महिलाओं को ही मानसिक शांति मिलती है, लेकिन इस स्टडी ने इसे दोनों के लिए फायदेमंद बताया गया. शादी के बाद खुश रहने के लिए दोनों के बीच कम्युनिकेशन और समझदारी होना बेहद जरूरी है. इस के लिए सिर्फ शादी करना ही काफी नहीं, बल्कि मैं और तुम छोड़ कर हम बनना पड़ेगा और हर खुशी, गम व काम की जिम्मेदारी हम बन कर उठानी होगी.

सिंगल लाइफ बेहतर या मैरिड लाइफ

अकेलेपन और सिंगल लाइफ को अकसर लोग एकदूसरे से जोड़ कर देखते हैं. व्यक्ति सिंगल है, इस का मतलब उस की जिंदगी बेहद नीरस, एकाकी और बेचारगीपूर्ण होगी. लोग उसे दया की दृष्टि से देखने लगते हैं. शादी हो जाना यानी जिंदगी की एक बड़ी उपलब्धि या फिर यों कहें कि जिंदगी वास्तव में संपूर्ण होने की पहली शर्त.

सिंगल व्यक्तियों को लोग अधूरा मानते हैं, भले ही शादी किसी ऐसे शख्स से ही क्यों न हो जाए जो किसी भी तरह उस के लायक न हो. शादीशुदा हो जाना ही एक अचीवमैंट माना जाता है.

मगर आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्वयं अपनी इच्छा से कुंआरा रहना पसंद करते हैं. उन के लिए शादी से कहीं और बड़े मकसद जिंदगी में होते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो गलत व्यक्ति के साथ जीने के बजाय सिंगल लाइफ जीना ज्यादा पसंद करते हैं.

एक टीवी चैनल में ऐसोसिएट ऐडिटर, 35 वर्षीय निकिता राज कहती हैं, ‘‘मुझ से अकसर लोग पूछते हैं कि अब तक शादी क्यों नहीं हुई तुम्हारी? तो मैं जवाब देती हूं कि दरअसल अभी मैं ने शादी करने के बारे में सोचा ही नहीं.’’

सामान्य रूप से देखा जाए तो इन 2 वाक्यों में कोई खास अंतर नहीं दिखता. मगर जब आप इन में छिपे अर्थ पर गौर करेंगे तो काफी अंतर दिखेगा. शादी नहीं हुई यानी बेचारगी. कोशिश तो की पर कहीं बात बन नहीं पाई, किसी ने आप को पसंद नहीं किया. वहीं दूसरी तरफ शादी नहीं की यानी अभी वक्त ही नहीं मिला इस बारे में सोचने का.

इस संदर्भ में कोलंबिया एशिया हौस्पिटल और अपोलो क्लीनिक के कंसलटैंट व द रिट्रीट रिहैबिलिएशन सैंटर, मानेसर के निदेशक व मुख्य मनोरोग चिकित्सक, डा. आशीष कुमार मित्तल कहते हैं, ‘‘कई वजहों से आजकल लोग काफी समय तक अविवाहित रहते हैं, जिन में प्रमुख वजहें हैं, व्यक्तिगत मरजी, कैरियर को अधिक तरजीह देना, अतीत में प्रेम का कटु अनुभव, चिकित्सीय या मनोवैज्ञानिक समस्याएं वगैरह.’’

ऐसा जरूरी नहीं कि जो अविवाहित हैं, वे खुश नहीं रह सकते. डा. आशीष कहते हैं, ‘‘पश्चिमी देशों में करीब आधी शादियों का अंत तलाक में ही होता है. इसलिए शादी करना सामाजिक जीवन में सफल होने का एकमात्र तरीका नहीं. दोनों ही विकल्पों में जीवन के अन्य क्षेत्रों की तरह ही अलगअलग जोखिम हैं. बहुत से लोग हैं जो भावनात्मक रूप से शादीशुदा युवक या युवती की अपेक्षा कहीं ज्यादा मजबूत होते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि परिवार का वंश बढ़ाने के लिए हमें शादी करनी चाहिए, एक बच्चे को जन्म देना चाहिए. जबकि कुछ लोग बच्चे को गोद लेना पसंद करते हैं ताकि इस दुनिया में वे कम से कम एक अनाथ बच्चे का जीवन सुधार सकें.’’

सिंगल लाइफ की वकालत करने वाली और इसी विषय पर किताब लिख चुकीं सोशल साइकोलौजिस्ट बेला डी पाउलो के मुताबिक, ‘‘यदि इसी तरह का अध्ययन विवाहित जिंदगी की तारीफ में छपा होता तो इसे काफी लंबीचौड़ी मीडिया कवरेज मिलती. मगर चूंकि यह अध्ययन सिंगल लाइफ के समर्थन में छपा था, इसलिए इसे कोई मीडिया अटैंशन नहीं मिला.’’

विशेषज्ञों ने यह भी पाया कि विवाहित जिंदगी में कार्डियोवैस्क्युलर डिजीज का रिस्क स्त्रीपुरुष दोनों के लिए 2% तक बढ़ जाता है.

अधिक लंबी शादी के साथ कम हैल्दी बिहैवियर जुड़ा हुआ है, जो हाइपरटैंशन, डायबिटीज और हाई कोलैस्ट्रौल आदि के लिए जिम्मेदार है.

फायदे और भी

तनाव की कमी: एक विवाहित की जिंदगी में तनाव की कमी नहीं रहती. बच्चों के जन्म से ले कर लालनपालन, शिक्षा और फिर रिश्तों को निभाने की जंग उन्हें मुश्किल में डाले रखती है. जबकि सिंगल लाइफ इन समस्याओं से दूर होती है.

– अविवाहित ज्यादा स्वस्थ रहते हैं. अध्ययनों के मुताबिक, सिंगल व्यक्ति अधिक ऐक्सरसाइज करते हैं. वे स्वयं को ज्यादा फिट रख पाते हैं.

– अध्ययनों में यह पाया गया कि शादी के बाद महिलाएं मोटी हो जाती हैं. जबकि अविवाहित महिलाएं बेहतर ढंग से अपनी फिगर और हैल्थ मैंटेन कर पाती हैं.

– महिलाएं जो सदैव अविवाहित रही हैं उन की ओवरऔल हैल्थ ज्यादा बेहतर रहती है. नैशनल हैल्थ इंटरव्यू की स्टडी में पाए गए निष्कर्षों के मुताबिक, अविवाहित महिलाएं बुखार या दूसरी आम बीमारियों के कारण बैड पर कम समय रहती हैं.

ज्यादा सामाजिक: शादी के बाद इनसान अपने दोस्तों और अभिभावकों से कम कनैक्टेड रह जाता है. यह सिर्फ तुरंत शादी के बाद ही नहीं वरन इस के कई सालों बाद भी यह स्थिति बनी रहती है.

– वे लोग जो सदैव अविवाहित रहे हैं, वे अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों से ज्यादा विनीत और उदार पाए गए, उन के बजाय जो विवाहित हैं.

– सिंगल लोगों के सिविक और्गनाइजेशंस के लिए वौलंटियर करने की संभावना ज्यादा होती है.

– पुरुषों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक, विवाहित पुरुष वैसे काम कम करते हैं, जिन में मौद्रिक लाभ न छिपा हो.

– फ्रिन कौर्नवैल द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि सिंगल व्यक्ति विवाहितों की तुलना में अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ कम समय बिताते हैं. 2000 से 2008 के बीच 35 से ऊपर की आयु पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि पार्टनर के साथ रहने वाले लोग दोस्तों के साथ अपनी शामें नहीं बिता पाते.

– लोग सिंगल लोगों की कंपनी ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि वे ज्यादा इंट्रैस्टिंग और फन लविंग होते हैं जबकि विवाहित अपनी पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त नजर आते हैं. इसलिए उन की बातों में समस्याएं ज्यादा नजर आती हैं.

– सिंगल व्यक्ति अकेले ज्यादा वक्त बिता पाते हैं, इसलिए उन्हें अकेले में सोचने और खुद का साक्षात्कार करने का वक्त ज्यादा मिलता है. सिंगल लोगों को अकेलापन हासिल होता है, जो क्रिएटिविटी के लिए बहुत जरूरी है. हमारे बहुत से महान कलाकार और लेखकों ने इस एकाकीपन के फायदे पर काफी कुछ लिखा है.

– सिंगल व्यक्ति दुनिया को बदल रहे हैं. यूरोप, जापान, अमेरिका में अकेले रहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 50 सालों में यह बहुत बड़ा सामाजिक परिवर्तन है. यूएस सैंसस ब्यूरो के मुताबिक, 2012 में वहां की ऐडल्ट पौपुलेशन का करीब 47% अविवाहित था.

कुछ बातें, जिन्हें करने से सिंगल महिलाओं को बचना चाहिए :

टाइमटेबल फ्रेम कर के जीना

जिंदगी में कभी हम स्वयं तो कभी हमारे हितैषी हमारे लिए एक टाइमटेबल सैट कर देते हैं. इस उम्र में पढ़ाई, इस उम्र में शादी तो इस उम्र में बच्चे. वैसे तो जिंदगी में सब कुछ समय पर होना जरूरी है, मगर कई दफा इस तरह की अपेक्षाएं जिंदगी को बहुत ही रोबोटिक बना डालती हैं और यदि समय पर कुछ करने में सफल न हो पाएं तो मानसिक तनाव पैदा हो जाता है.

क्या करना चाहिए: स्वस्थ या पौजिटिव अपेक्षाएं तो स्वीकार कीजिए, मगर जिन पर हमारा वश नहीं उन की वजह से नैगेटिव सोच डैवलप करने से बचें. अपनी मैंटल अलार्म क्लौक को बंद कर दीजिए और वर्तमान में जीने का प्रयास कीजिए, जो हालात मिले हैं उन्हीं में बेहतरीन जिंदगी जीने का प्रयास करें. भविष्य की योजना तो बनाएं पर अपने आज को नजरअंदाज न करें. प्यार और शादी होनी है तो किसी भी उम्र में हो जाएगी, इन मामलों में स्वयं को स्वतंत्र छोड़ दें. फिर देखिए, जिंदगी खूबसूरत रूप में सामने आएगी.

साथ का इंतजार

कई महिलाएं जो स्काई डाइविंग, ट्रैवलिंग या दूसरे रोमांचक ट्रिप्स में रुचि रखती है, मगर सिर्फ इस वजह से निकलने में हिचकिचाती हैं, क्योंकि उन के साथ कोई नहीं. यह सच है कि प्रेमी या पति और बच्चों के साथ घूमने का मजा कुछ और होता है, मगर सिर्फ इस वजह से कि आप को अकेला घूमता देख कोई क्या सोचेगा, अपनी इच्छाओं को होल्ड पर रखना कतई समझदारी नहीं. जिंदगी बहुत छोटी है.

क्या करना चाहिए: आप सुरक्षाचक्र के बंधन से बाहर निकलें. कभीकभी सब से बेहतर अनुभव अपने हिसाब से कुछ करने से होता है. जब आप 10 लोगों के बीच होते हैं, तो आप एक घिसेपिटे अंदाज से व्यवहार करने को बाध्य होते हैं, मगर जब आप अपनी इच्छा से अकेले, अपने हिसाब से निकलती हैं तो आप वह सब कर पाती हैं, जो कभी न करतीं. ऐसा करना जरूरी भी है, क्योंकि इस से आप को अपनी क्षमताओं के बारे में पता चलता है.

स्वयं को पहचानें

प्रत्येक शख्स किसी खास मकसद के साथ इस दुनिया में आया है. यदि आप सिंगल हैं तो इस का तात्पर्य यह है कि संभवतया अकेले रह कर ही आप अपना मकसद पा सकती हैं. तभी आप की सोच और परिस्थितियां इस के अनुरूप हैं, यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में आप स्वयं शादी के बंधन में बंध जाएं, मगर जब तक सिंगल हैं, अपने इस स्टेटस का पौजिटिव यूज करें. नैगेटिव न सोचें. ऐसी स्थिति में आप के पास सलाहों का अंबार लग सकता है. यह आप को सोचना होगा कि आप को सलाहों के हिसाब से अपनी जिंदगी जीनी है या अपनी शर्तों पर.

सपोर्ट नैटवर्क मजबूत बनाएं

हम सब की जिंदगी में दोस्त बहुत बड़े सपोर्ट सिस्टम का काम करते हैं. अपने सामाजिक दायरे को बढ़ाएं. पासपड़ोस, रिश्तेदार, कुलीग्स और दोस्तों के साथ मजबूत नैटवर्क कायम करें. फिर देखिए, आप को कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होगा.

मस्ती भी करें

आप अकेली महिला हैं, तो इस का मतलब यह नहीं कि आप जिंदगी ऐंजौय न करें. उन कामों के लिए समय निकालें जो आप को खुशी देते हैं. रोमांटिक नौवल्स पढ़ें, मूवी देखें, लड़कियों के साथ मिल कर नाइट पार्टी करें, अपनी हौबी को समय दें, नियमित ऐक्सरसाइज करें, स्वयं को पैंपर करें, हर सप्ताह एक नए व्यक्ति से मिलने और परिचय बढ़ाने का नियम बनाएं. ग्रुप में ट्रैवलिंग के लिए निकलें, वूमंस कौन्फ्रैंस अटैंड करें. ग्रुप ट्रैवलिंग आप के लिए अच्छा जरीया हो सकता है, क्योंकि जब आप ग्रुप में ट्रैवल करती हैं तो नई जगहों के बारे में जानने के साथसाथ नए लोगों के बारे में भी जानती हैं.

हम ऐसा कतई नहीं कह रहे कि सिंगल लाइफ मैरिड लाइफ की तुलना में ज्यादा बेहतर है. वस्तुत: शादी करना गलत नहीं, मगर उस के साथ करना सही है, जिस के साथ आप कंफर्टेबल महसूस करती हों,  जो आप की भावनाओं को समझता हो, आप जैसी सोच रखता हो, जिस से आप प्यार करती हों.

जिंदगी ने हमें जो भी परिस्थिति दी है, उसे सकारात्मक रूप में देखें. क्योंकि जो वर्तमान में आप को मिला है, वह आप के लिए सब से अच्छा है. ये लमहे फिर लौट कर नहीं आएंगे. इन्हें लाइक कीजिए.

सास के साथ

आप जल्दीजल्दी नहाधो कर किचन में घुसती हैं और सब की पसंद की डिशेज बनाने लगती हैं, मगर पीछे से सास की चिकचिक भी आप लगातार सुन रही हैं. वे न तो आप के बनाने के सलीके से खुश हैं और न ही तैयार खाने से.

– सास का तीखा स्वर आप के कानों में पड़ता है कि कैसा जमाना आ गया है, अब तक बहू सो रही है और मुझे चाय बनानी पड़ रही है.

– आप औफिस जा कर भी अपनी सास की बातों को नहीं भूल पातीं. उन की बातें आप के कानों में गूंजती रहती हैं.

– घर जा कर आप को सास का भड़का चेहरा देखने को मिलता है. किचन जैसे की तैसी पड़ी है. आप सफाई और खाना बनाने में जुट जाती हैं. उधर बच्चा पूरा वक्त आप को डिस्टर्ब करता रहता है.

बिना सास के

आप आराम से उठ कर चाय बना कर पीती हैं. फिर अपना मनपसंद नाश्ता बनाती हैं. घर में मां हैं तो शानदार नाश्ता तैयार मिल जाता है.

– आप की अभी उठने की इच्छा नहीं है. अत: आप करवट बदल कर फिर से सो जाती हैं.

– औफिस जा कर आप सुकून के साथ अपना काम करती हैं.

– आप घर जाती हैं तो मम्मी ने खाना बना कर रखा है. होस्टल में हैं या फ्रैंड के साथ रूम ले कर रह रही हैं तो भी नजारा बहुत अलग होगा.

2010 में प्रकाशित, प्यू रिसर्च रिपोर्ट के निष्कर्ष काफी रोचक हैं. इस नैशनल सर्वे में सिंगल लोगों से की गई बातचीत के आधार पर पाया गया कि इन में से केवल 46% लोग ही शादी करने के इच्छुक थे. 25% लोगों ने कहा कि वे शादी करना ही नहीं चाहते, क्योंकि उन्होंने अपनी इच्छा से अकेले रहने का निर्णय लिया है. बाकी के 29% लोग इस बारे में दुविधा में थे कि वे मौका मिलने पर शादी करेंगे या नहीं.एक नजर विवाहित और अविवाहित महिला की जिंदगी पर

विवाहिता की दिनचर्या

सुबह 6.00 बजे

बच्चे को चुप कराने के चक्कर में आप सो नहीं पाईं. बच्चे ने बिस्तर गंदा कर रखा है. न चाहते हुए भी आप को उठना पड़ता है.

सुबह 6.30 बजे

– आप बच्चे को थोड़ी देर और सुलाना चाहती हैं, मगर वह सोने को तैयार नहीं. जाहिर है, आप भी बिस्तर छोड़ कर फ्रैश होने चली जाती हैं.

सुबह 7.00 बजे

– आप ने आज नाश्ते में आलू के परांठे बनाए हैं. मगर बड़ी बेटी परांठे खाने को तैयार नहीं. वह चाउमिन की रट लगाए बैठी थी.

सुबह 8.00 बजे

आप नहाने जा रही हैं और टब में पानी भर कर आती हैं. कपड़े ले कर अंदर घुसती हैं तब तक छोटू टब में साबुन डाल देता है.

सुबह 9.00 बजे

– आप तेजी से सीढि़यां चढ़ कर जा रही हैं. मगर आप ने यह नहीं देखा कि बच्चे ने वहां तेल गिरा रखा है. आप फिसल कर गिर पड़ती हैं.

सुबह 10.00 बजे

बच्चे को चुप करा कर आप मेकअपरूम में आती हैं. मगर वहां सारा मेकअप का सामान इधरउधर बिखरा पड़ा है.

पूरा दिन

– आप पूरा दिन बच्चे और घर के टैंशन में हैं कि कैसे जल्दी घर पहुंचें और बच्चे को संभालें.

शाम 6.30 बजे

– आप जल्दी से किचन में घुस जाती हैं. आप सब्जी काट रही हैं और बच्चा कटी सब्जी फेंक रहा है, बरतन इधरउधर फेंक रहा है. आधे घंटे के काम में 1 घंटा लग जाता है.

संडे

आप ने कहीं घूमने का प्रोग्राम तय किया, मगर बच्चा वहां जाने को तैयार नहीं. वह जू में जाने की जिद कर रहा है.

 

अविवाहिता की दिनचर्या

सुबह 6.00 बजे

सुबह उठ कर आप ने घड़ी देखी और करवट ले कर फिर सो गईं. उठने की कोई हड़बड़ी नहीं है.

सुबह 6.30 बजे

– अभी आप ने अपनी नींद तोड़ी है. उठ कर फिर सोने का जो मजा है, उसे कैसे छोड़ सकती हैं.

सुबह 7.00 बजे

– आप आराम से सो कर उठीं और तकिया दूर फेंका. फिर रात को देखा हुआ सपना याद कर मुसकराने लगीं.

सुबह 8.00 बजे

आप अपना बिस्तर और कमरा ठीक करने के बाद नहाने चली जाती हैं. इस बीच मां ने गीजर औन कर दिया है.

सुबह 9.00 बजे

– आप जब तक नहा कर निकलती हैं, तब तक मम्मी या रसोइए ने नाश्ता तैयार कर रखा होता है.

सुबह 10.00 बजे

आप अपनी स्कूटी निकालती हैं और अपनी सहेली को साथ ले कर औफिस के लिए निकल जाती हैं.

पूरा दिन

– पूरी तत्परता के साथ दिन भर औफिस का काम करती हैं और दोस्तों के साथ हंसीमजाक में भी शरीक होती रहती हैं.

शाम 6.30 बजे

– आप आराम से शाम को अपनी सहेली के घर से खा कर लौटती हैं या घर जा कर चायनाश्ते के बाद किचन में मां की सहायता करती हैं, फिर टीवी पर मनचाहा प्रोग्राम देखने लगती हैं.

संडे

आप अपनी इच्छानुसार दोस्तों के साथ मूवी और शौपिंग का प्रोग्राम बनाती हैं. फिर डिनर कर के घर लौटती हैं.

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