Monsoon Special: ताकि खुल कर लें रिमझिम का मजा

झुलसाती गरमी से राहत पाने के लिए बरसात के मौसम का हम सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस रोमांटिक मौसम का मजा वाकई अनोखा है, लेकिन इस मौसम में बारिश की वजह से आप को सेहत, फिटनैस, कपड़ों के स्टाइल, त्वचा और केशों की समस्याओं से भी दोचार होना पड़ता है. इन समस्याओं से बचने के लिए पेश हैं, विशेषज्ञों के बताए खास टिप्स:

बरसात और फिटनैस

बरसात का मौसम सुहावना और आनंदमयी होता है, मगर बारिश की वजह से फिटनैस के शौकीनों की जौगिंग, लौंग वाक और ऐक्सरसाइज वगैरह पर जैसे बंदिशें लग जाती हैं. लेकिन इस मौसम में व्यायाम को छुट्टी न दे कर और भी सख्ती से व्यायाम के टाइमटेबल को फौलो करने की जरूरत होता है.

बारिश की वजह से हम बाहर ऐक्सरसाइज करने या जिम जाने के लिए आनाकानी करते हैं. कभीकभी तो लोग घर में अपने मन से टीवी पर फिटनैस प्रोग्राम देख कर ऐक्सरसाइज करते हैं. लेकिन गलत ऐक्सराइज करने से मसल्स पेन हो सकता है. इसलिए जिम जाना ही सर्वोत्तम विकल्प है क्योंकि जिम में हम सही ढंग से ऐक्सरसाइज कर सकते हैं.

अगर प्रतिदिन जिम नहीं जा सकते तो भी हफ्ते में कम से कम 5 दिन तो नियमित रूप से जाना ही चाहिए. ऐक्सरसाइज के बाद समुचित मात्रा में प्रोटीन लेना भी जरूरी होता है. आज की दौड़धूप भरी जिंदगी में अगर फिट रहना है तो फिटनैस और डाइट का सही तालमेल बहुत जरूरी है.

अगर वेट बढ़ रहा है तो जिम में ऐक्सरसाइज के साथ योगा, पावर योगा या साल्सा डांस कर के बढ़ता वेट कंट्रोल में रख सकते हैं. आज केवल सैलिब्रिटी ही नहीं आम आदमी के लिए भी जिम जाना जैसे एक जरूरत बन गया है. ऐक्सरसाइज से बौडी टोनिंग होती है और वेट कंट्रोल में रहता है.

आज के युवकयुवतियों को लगता है कि जिम में कार्डिओ कर के हम अपनी बौडी शेप में ला सकते हैं, मगर बौडी शेप के लिए संतुलित डाइट, ऐक्सरसाइज और आराम की जरूरत होती है. आप बारिश की मौसम में इन सभी चीजों का ध्यान रखेंगे तो बरसात का मौसम और भी सुहावना हो जाएगा.

– लीना मोगरे, फिटनैस इंस्टिट्यूट की संचालक

कौटन एक सर्वोत्तम विकल्प

बरसात के मौसम में तरोताजा रहने के लिए कपड़ों का चयन सतर्कता से करना जरूरी होता है. इस वक्त तापमान में अधिक नमी रहती है और यह नमी कौटन के कपड़े ही सोखते हैं. इसलिए इस मौसम में कौटन के कपड़ों का चयन सर्वोत्तम है. आजकल मार्केट में बारिश के मौसम के लिए लाइट कौटन के विविध विकल्प मौजूद हैं. आप गरमी के मौसम में लाइट कलर के कपड़ों का चयन करती हैं, लेकिन बरसात के मौसम में डार्क कलर के कपड़ों का चयन कर सकती हैं.

बरसात के मौसम में चारों तरफ कीचड़, पानी और गंदगी होती है. फिर भी हमें बस या टे्रन में सफर तो करना पड़ता है. डार्क कलर के कपड़ों पर कीचड़ और मिट्टी के दाग दिखते नहीं हैं, जो इस मौसम में कपड़ों पर अकसर लग जाते हैं. कौटन के साथ आप सिंथैटिक कपड़ों का भी चयन कर सकती हैं क्योंकि सिंथैटिक कपड़े भीगने पर जल्दी सूखते हैं. बारिश में डैनिम और वूलन कपड़ों का इस्तेमाल बिलकुल न करें. उन्हें सुखाने में भी बहुत वक्त लगता है और नमी की बदबू उन से आती रहती है.

बरसात में अगर किसी प्रोग्राम या शादी के अवसर पर साड़ी पहननी हो तो फ्लोरल प्रिंट और डिजाइनर वर्क की सिंथैटिक साड़ी पहन सकती हैं. ज्वैलरी भी लाइट वेटेड और रंग न छोड़ने वाली पहनें. बरसात में कपड़ों के साथ मेकअप पर भी विशेष ध्यान दें. पाउडर, कुमकुम की जगह वाटरपू्रफ मेकअप प्रोडक्ट इस्तेमाल करें. अगर छोटे केश हों तो उन्हें खुला छोड़ सकती हैं. केश लंबे हों तो एक चोटी बांध कर ऊपर फोल्ड कर सकती हैं.

– अनिता डोंगरे, फैशन डिजाइनर

त्वचा व बालों की देखभाल जरूरी

पहली बारिश में हर कोई भीगते हुए रिमझिम बरसात का लुत्फ उठाना चाहता है. लेकिन इस से तो दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि शुरुआती बारिश में ऐसिड ड्रीन अधिक होने के कारण त्वचा की समस्याएं हो जाती हैं.

इस मौसम में लोग समझते हैं कि धूप नहीं है तो फिर सनस्क्रीन लगाने की क्या जरूरत? लेकिन यह सच नहीं है. इस मौसम में सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. इसलिए आप सुबह सनस्क्रीन लगाएं और उस के 3-4 घंटे के बाद फिर सनस्क्रीन लगाएं.

कुछ लोगों का मानना है कि इस मौसम में त्वचा व बालों की देखभाल की खास जरूरत नहीं होती. लेकिन बारिश में धूप नहीं होती और ड्राईनैस महसूस कराने वाली ठंड भी नहीं होती, इस लिए कारण उन की अपेक्षा बरसात के मौसम में त्वचा व बालों में काफी बदलाव होते रहते हैं.

कभी त्वचा औयली हो जाती है तो कभी ड्राई. इस के अलावा त्वचा निस्तेज भी होने लगती है. पसीना व औयल की वजह से और चेहरे पर धूलमिट्टी की वजह से पिंपल्स और ब्लैकहैड्स की समस्या बढ़ जाती है. इस मौसम में त्वचा में चिपचिपाहट रहने के कारण कुछ लोग मौइश्चराइजर लगाने की जरूरत नहीं समझते लेकिन नैचुरल कौंप्लैक्शन कायम रखने के लिए स्किन केयर बहुत जरूरी है.

बारिश में क्लींजिंग भी बहुत जरूरी है. क्लींजिंग के बाद अल्कोहल फ्री टोनर का इस्तेमाल कीजिए. इस मौसम में नमी के कारण स्किन पोर्स अपने आप खुल जाते हैं. इस कारण धूलमिट्टी जमने से पिंपल्स की समस्या बढ़ जाती है. इसीलिए क्लींजिंग के बाद टोनिंग जरूरी है. इस से खुले पोर्स बंद होते हैं.

भले ही इस मौसम में सूरज बादलों में छिप जाए, लेकिन अल्ट्रावायलेट रेज तो सक्रिय रहती हैं. इस के लिए लाइटनिंग एजेंट और लैक्टिक ऐसिडयुक्त मौइश्चराइजर का इस्तेमाल कीजिए और सैलेड, वैजिटेबल सूप का अपने डाइट में समावेश कीजिए. स्किन नरिशमैंट के लिए पानी की जरूरत होती है, इसलिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीजिए. बारिश में ज्यादा प्यास नहीं लगती है, लेकिन शरीर में पानी की कमी न हो इस के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, यह बात ध्यान में रखिए.

– अनुजा, त्वचा विशेषज्ञ

बरसात के इस रोमांटिक मौसम का मजा तो है पर इसे और भी आनंददायक बनाने के लिए उपरोक्त सुझावों पर अमल करना भी जरूरी होगा ताकि किसी समस्या से दोचार न होना पड़े.

Monsoon Special: रिमझिम फुहार जगाए प्यार

जेठ महीने की चिलचिलाती गरमी ने किरण के स्वभाव में इतना चिड़चिड़ापन भर दिया था कि उस का किसी से बात करने का मन नहीं करता था. लेकिन मौसम ने करवट क्या ली, सब कुछ बदलाबदला महसूस होने लगा. एक ओर जहां बादलों ने सूरज की तपिश को छिपा लिया, वहीं दूसरी ओर बारिश की बूंदों ने महीनों से प्यासी धरती को शीतलता प्रदान कर दी. बारिश की बूंदों ने किरण के तनमन को छुआ तो मानो उस के बेजान जिस्म में जान आ गई और स्वभाव का चिड़चिड़ापन भी जाता रहा. रात को औफिस से किरण के पति सुनील घर लौटे तो दरवाजे पर उसे सजधज कर इंतजार करते हुए खड़ा पाया. वे कमरे में दाखिल हुए, तो सब कुछ रोमांटिक अंदाज में सजा कर रखा हुआ पाया. फ्रैश हो कर डिनर पर बैठे तो देखा रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर का आयोजन था और किरण की आंखों में रोमांस और प्यार साफ नजर आ रहा था. खाना परोसा गया तो उन्हें प्लेट में सारी अपनी पसंद की डिशेज नजर आईं. सुनील को समझते देर नहीं लगी कि ये सब बारिश की बूंदों का असर है. उस ने भी पौकेट से खूबसूरत फूलों का गजरा निकाला और किरण के लंबे, घने और काले खुले केशों पर बड़े प्यार से सजा दिया. दरअसल, सुनील के औफिस से निकलते ही जब बारिश होने लगी, तो रिमझिम फुहारों ने उसे भी रोमांटिक बना दिया. तभी किरण के लिए उस ने गजरा खरीद लिया था.

जब रिमझिम बरसा पानी

कैंडल लाइट डिनर को अभी दोनों ऐंजौय कर ही रहे थे कि बादलों ने एक बार फिर से रिमझिम बरसना शुरू कर दिया. किरण तो मानो इस पल के इंतजार में थी. उस ने हौले से सुनील की कलाई थामी और आंखों में आंखें डाल कर सुनील को बगीचे तक ले गई. बारिश की रिमझिम फुहारें, हाथों में उन का हाथ और ‘रिमझिम से तराने ले के आई बरसात…’, ‘ये रात भीगीभीगी ये मस्त फिजाएं…’, ‘एक लड़की भीगीभागी सी…’, ‘आज रपट जाएं तो हमें न…’, ‘रिमझिम गिरे सावन उलझउलझ जाए मन…’ जैसे रोमांटिक गानों का साथ मिल जाने पर भला कौन ऐसा प्रेमी होगा, जो खुद को थिरकने से रोक सकेगा. दोनों खूब थिरके. कुछ ऐसा ही मौका एक प्रेमी युगल को भी मिला. लंबे समय बाद इस बार दोनों को एकांत में मिलने का मौका मिला था. उन की ग्रैजुएशन की पढ़ाई के दौरान किसी ने कभी भी उन्हें अलग नहीं देखा था. दोनों ने तभी तय कर लिया था कि जौब मिलते ही वे शादी कर लेंगे, लेकिन एक कांपिटीशन क्लीयर करने के बाद टे्रनिंग के लिए जब दोनों को अलग होना पड़ रहा था, तो उन के दोस्त उन का रोनाधोना देख कर बाहर निकल गए थे.

अब जब 2 साल बाद दोनों मिले हैं, तो बस एकदूसरे को देखे ही जा रहे हैं. न तो सचिन की आवाज निकल रही है और न ही स्मिता की. दोनों को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या पूछें, कैसे पूछें. तभी बाहर बिजली के कड़कने की आवाज हुई और पल भर में ही पड़ने लगीं फुहारें. बाहर धरती गीली हो रही होती है तो अंदर मन भी भीगता है, तभी तो स्मिता के जड़ पड़े होंठ कह उठे, ‘‘आज भी नहीं बदले, बिलकुल वैसे ही हो. सारा सामान बिखेर कर रखा हुआ है. हटो, मैं ठीक कर देती हूं.’’ सचिन भी कहां खामोश रहना चाहता था. बारिश की बूंदों ने उसे भी तो गीला कर दिया था. मन से भी और तन से भी. उसे याद आने लगा था वह मंजर, जब दोनों पहली बार बारिश में मतवाले हो कर भीगे थे और हाथों में हाथ थामे एकदूसरे पर रीझे थे. आज एक बार फिर उसी अंदाज में भीगने को आतुर हो रहे हैं दोनों. ऐसे में सचिन ने भूख का बहाना बना कर स्मिता से बाहर जाने के लिए पूछा. स्मिता कहां मना करने वाली थी. वह भी तो उन यादों का हिस्सा थी. बाहर निकलते ही पल भर में ही दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे, लेकिन खानेवाने की बात दोबारा किसी ने नहीं की.

दरअसल, भूख का तो महज बहाना था. असल में तो उन्हें एकदूसरे के करीब आना था. हुआ भी वही. बारिश की बूंदों में फूट पड़े दोनों के पुराने प्यार के अंकुर. अब तो एकदूसरे की बांहों में समाने की इच्छा भी जोर मारने लगी थी. लगातार तेज होती जा रही बारिश में दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था, तो दोनों लिपट पड़े एकदूसरे से.

जगाता तनमन में प्यार

सचमुच, सावन चीज ही ऐसी है. कमबख्त इश्क की तरह मन पर छा जाए तो तन भी अपने बस में नहीं रहता, मचलने लगता है. तभी तो रचनाकारों की रचनाओं और गीतकारों के गीतों में सावन और रिमझिम फुहारों को अलगअलग भाव, अंदाज और ढंग से पेश किया जाता रहा है. एक दार्शनिक की नजर से देखें तो धरती और आसमान के खूबसूरत समागम का प्रतीक है सावन का मौसम और अन्य प्राणियों के लिए यह संदेश कि सृजन का मौसम आ गया. धरती यानी स्त्री और आसमान यानी पुरुष, जब तक दोनों पास नहीं आते, सृजन का आधार अधूरा रहता है. तभी तो गरमी और लू के थपेड़ों से फटी धरती आसमान से बूंदों की बौछार पाते ही नवयौवना सी खिल उठती है. मानो कह रही हो कि सृजन के लिए अब वह पूरी तरह से तैयार है. ये रिमझिम फुहारें ही तो हैं, जो पुरुष और स्त्री के बीच भी ऐसे भाव जगाती हैं. समाजशास्त्री अमित कुमार कहते हैं, ‘‘हर मौसम का अपना महत्त्व और मिजाज है. जेठ की दोपहर न हो तो सावन की रिमझिम बेमानी है. आज हम कहते हैं कि ताउम्र प्यार बनाए रखना है, तो बीचबीच में एकदूसरे से दूर रहने की आदत डाल लो. न रिश्ते बासी होंगे, न प्यार फीका होगा, क्योंकि दूरियों के बाद ही एकदूसरे के प्रति मुहब्बत और उस की जरूरत का एहसास हो पाता है. कुछ ऐसी ही फिलौसफी प्रकृति की भी है. तभी तो लू के थपेड़ों के बाद होती है मीठी रिमझिम और यही कुदरती तालमेल प्रेमी युगलों को उन्मादी बनाता है.’’

दांपत्य और प्रेम के रिश्तों पर खास पकड़ रखने वाली मैरिज काउंसलर विनीता महापात्रा बताती हैं, ‘‘अजीब इत्तफाक है, मगर एक खूबसूरत सच लिए. मैरिज काउंसलिंग के दौरान हम ने अकसर पाया है कि उलझे हुए रिश्तों को सुलझाने या पार्टनर के दिल में प्यार जगाने में सावन का महीना या यों कहें कि रिमझिम फुहारें बेहद कारगर साबित होती हैं. मनोविज्ञान से जुड़ा है यह मौसम. ‘‘आप ही बताइए, प्यार और रोमानियत के लिए किन बुनियादी चीजों की जरूरत होती है. खूबसूरत माहौल, खुशगवार मौसम, आसपास खिले रंगबिरंगे फूल, भीनीभीनी खुशबू और तरंगित मन, है न. लेकिन रिमझिम फुहारों के बीच बिना कुछ किए ही स्वत: सब कुछ हो जाता है. कई बार हम ने पाया है कि जिन रिश्तों की आग आपसी तकरार से ठंडी पड़ने लगी थी, उन्हें जब हम ने सावन के मौसम में किसी खूबसूरत इलाके में चंद दिन एकांत में गुजारने की सलाह दी, तो उम्मीद से बढ़ कर परिणाम आए. उन जोड़ों ने माना कि मौसम में इतनी कशिश होती है, यह अब जाना.’’

क्या कहता है शोध

सावन के महीने को ले कर भले पहले जैसी कशिश न रह गई हो, लेकिन मौसम और मन का संबंध तो आज भी नहीं बदला. जरा सी बारिश होते ही हम आज भी खुशी से गुलफाम हो जाते हैं. यदि प्यार में गिरफ्तार हैं तो मन मचलने लगता है, क्योंकि प्यार करने वालों को प्यार के लिए ऐसे ही किसी मौके की तलाश रहती है. प्यार पर शोध करने वाले मानते हैं कि रिमझिम फुहारों और हारमोनल स्राव का गहरा रिश्ता है. प्यार का हारमोन फूलों की मादक खुशबू, खूबसूरत माहौल या किसी खास तरह का खाना खाने के बाद स्रावित होता है, जो प्यार करने को उकसाता है. ऐसे ही यह हारमोन सावन के मौसम में भी सक्रिय हो जाता है. गरमियों में यह जितना सुस्त होता है, बरसात में उतना ही चुस्त. इंसानों का ही नहीं, बाकी जीवों के लिए भी है यह ‘मेटिंग सीजन’ यानी सहवास का मौसम. अब तो आप मानेंगे न कि रिमझिम फुहारें जगाती हैं तनमन में प्यार.

पिंपल के दागों को दूर करने का तरीका बताएं?

सवाल-

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. अपने चेहरे पर होने वाले कीलमुंहासों और उन से होने वाले दागों से बहुत परेशान हूं. ऐसा कोई घरेलू उपाय बताएं जिस से मेरी समस्या दूर हो सके?

जवाब

अगर मुंहासे लाल रंग के हैं तो उन पर पूरी रात कौलगेट लगाए रखें. सुबह धो लें. इस के अलावा मुंहासों पर बेकिंग पाउडर में पानी मिला कर भी लगा सकती हैं. ये दोनों उपाए मुंहासों को हटाने में कारगर साबित होंगे. जहां तक मुंहासों के दागों का सवाल है तो आप पल्प में हलदी मिला कर उसे दागों पर लगाएं. इस के अलावा आप ऐलोवेरा जैल, नीम, तुलसी पाउडर का पेस्ट बना कर भी मुंहासों के दागों पर लगा सकती हैं. जरूर लाभ होगा.

ये भी पढ़ें- 

हमारे सारे प्रयास बेदाग त्वचा पाने की दिशा में होते हैं. एक ऐसी त्वचा जिस पर कोई दाग, धब्बा, झुर्रियां, झाइयां व मुंहासे ना हों. ऐसी त्वचा पाना आसान नहीं है लेकिन कुछ विटामिन फेस मास्क यह करिश्मा दिखा सकते हैं.

एक साफ और निखरी त्वचा पाने के लिए आपको विटामिन व मिनरल की सबसे अधिक जरूरत होती है. विटामिन ई आपको दागों से छुटकारा दिलाता है जबकि विटामिन सी आपकी त्वचा को जवां बनाए रखता है.

इन फेस मास्क को बनाने के लिए आप किसी भी कैप्सूल का इस्तेमाल नहीं कर सकती. इसके लिए आपको आपकी त्वचा व त्वचा से जुड़ी समस्याओं की समझ होनी चाहिए.

जैसे एस्पिरिन की गोलियों में मौजूद सलिसीक्लिक एसिड मुंहासों से छुटकारा दिलाता है जबकि विटामिन ई के कैप्सूल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपकी त्वचा को साफ व कोमल बनाते हैं.

लेकिन इन सब से भी अधिक जरूरी बात है कैप्सूल को इस्तेमाल करने की मात्रा. कौन सा कैप्सूल कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना है या बनाए गए लेप को हफ्ते में कितनी बार लगाना चाहिए जैसे सवालों के जवाब भी पता होने चाहिए.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इन 6 दवाईयों से बनाएं फेस पैक और पाएं बेदाग स्किन

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ड्राय स्किन की प्रौब्लम से कैसे छुटकारा पाएं?

सवाल-

मेरी स्किन बहुत जल्दी ड्राई हो जाती है और सौफ्ट भी नहीं रह पाती. क्या मुझे ज्यादा क्रीम अप्लाई करने की जरूरत है?

जवाब-

क्रीम के कम या ज्यादा इस्तेमाल से स्किन रूखी हो जाती है, यह बिलकुल गलत है. क्रीम की वजह से नहीं, बल्कि मौसम के अनुसार स्किन के भीतर खून का संचरण धीरे होने लगता है, जिस से शरीर का तापमान कम हो जाता है. शरीर का तापमान कम होने की वजह से शरीर से सीवम कम उत्पन्न होता है. यह सीवम तेलग्रंथियों से निकलता है, जो स्किन को मुलायम और चमकदार बनाने में सहायक होता है.

सर्दियों में सब से अधिक स्किन खराब होने लगती है. सर्दियों में हमारी स्किन की पहली परत पर असर पड़ता है. इस से हमारी स्किन की ऐपिडर्मिस में सिकुड़न आने लगती है, जिस के कारण स्किन में मौजूद कोशिकाएं टूटने लगती हैं. साथ ही सर्दियों में शरीर का तापमान कम होने लगता है, जिस के कारण सीवम गाढ़ा हो जाता है और वह स्किन की बाहरी परत पर नहीं आ पाता और स्किन सख्त हो जाती है. इसलिए आप को जरूरत है स्किन के अंदर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने की जो नियमित फेशियल और मालिश से बढ़ाया जा सकता है.

सवाल-

मैं ऐंटीएजिंग क्रीम यूज करती हूं, लेकिन उस के यूज करने के बाद स्किन अधिक ड्राई हो गई है. क्या स्किन ड्राई होने का कोईर् और भी कारण हो सकता है?

जवाब

स्किन ड्राई होने के कई कारण हैं, जिन में साबुन का अधिक इस्तेमाल करने, शरीर में पानी और फ्लूइड की कमी होने, स्किन को बहुत ज्यादा रगड़ने, बारबार धोने और स्क्रब करने से भी स्किन का मौइस्चर खत्म हो जाता है और स्किन रूखी हो जाती है. आप जिस ऐंटीएजिंग क्रीम को यूज कर रही हैं हो सकता है उस में रेटिनोल जैसे तत्त्व का उपयोग किया गया हो. क्रीम हमेशा बैंडेड ही यूज करें.

सवाल-

मेरे हाथों की स्किन बेजान और ड्राई दिखने लगी है. हमेशा हाथों को मुलायम बनाए रखने के खास टिप्स बताएं?

जवाब-

हाथों को सुंदर बनाए रखने के लिए स्क्रब करना बेहद जरूरी होता है. हाथों को स्क्रब करने से त्वचा से मृत कोशिकाएं हट जाती हैं और हाथ सुंदर दिखने लगते हैं. इस के बाद हाथों पर मौइश्चराइजर लगाना जरूरी होता है. इस से त्वचा पर मौइस्चर बना रहता है.

हाथों के लिए स्क्रब बनाने के लिए 1 मुट्ठी बादाम पीस कर पाउडर बना लें. उस में आधा छोटा चम्मच शहद डाल कर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट से हाथों को स्क्रब करें. चीनी, नमक और नारियल तेल से बना स्क्रब भी यूज कर सकती हैं.

इस स्क्रब को बनाने के लिए 1 चम्मच नारियल तेल और

1 चम्मच शहद को अच्छी तरह मिला लें. अब इस में एकचौथाई कप नमक और चीनी मिलाएं. अब इस में थोड़ा सा नीबू का रस मिला कर 30 सैकंड तक ब्लैंड करें. इस से हाथों पर स्क्रब करने से मृत कोशिकाएं हट जाती है.

मैं 5 फुट 3 इंच लंबी हूं और वजन 85 किलोग्राम है. मुझे किस तरह का डै्रसिंग स्टाइल अपनाना चाहिए ताकि मैं स्लिम दिखूं?

आप डार्क कलर के कपड़े पहनें. अगर आप को ब्लैक कलर पसंद है तो इस कलर की ड्रैस अपने वार्डरोब में जरूर रखें. पार्टी में जाना है और आप स्लिम दिखना चाहती हैं तो एक बार स्ट्राइप्स

ड्रैस जरूर ट्राई करें. यह हमेशा फैशन में रहती है और पतला दिखाती है. आप हाई वेस्ट जींस, पैंट, स्कर्ट कुछ भी ट्राई कर सकती हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Monsoon Special: बारिश में पैरों की देखभाल

पैर शरीर का अभिन्न अंग हैं. इन की देखभाल बेहद जरूरी है. मगर बारिश के मौसम में इन की देखभाल की अधिक जरूरत होती है, क्योंकि इस मौसम में पैर अधिक समय तक गीले रहते हैं, जिस से कई प्रकार की बीमारियों के होने का डर रहता है.

इस बारे में डर्मैटोलौजिस्ट डा. सोमा सरकार बताती हैं कि अधिक समय तक पैर गीले रहने और समय पर सफाई न करने से उन में फंगस लग जाता है, जिस के कारण इन्फैक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. फिर उचित देखभाल के न होने से पैर बदसूरत भी लग सकते हैं.

पेश हैं, पैरों की देखभाल से संबंधित

कुछ सुझाव:

– पैरों की नियमित सफाई जरूरी है. बाहर से जब घर लौटें तो मैडिकेटेड साबुन से पैरों को धो कर सुखा लें. ऐंटीफंगल पाउडर का प्रयोग रोज करें.

– मौनसून में पैरों में कैंडीडायोसिस नामक बीमारी का अधिक होना देखा गया है. इस की वजह नमीयुक्त वातावरण, बारबार पैरों का गीला होना, जूतों में पानी रुकना आदि है. ऐसा होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लेना आवश्यक है.

– नियमित पैडीक्योर करवाने से पैर मुलायम और नमीयुक्त रहते हैं. इस में पैरों की उंगलियों की सफाई के साथसाथ टूल्स के द्वारा पैरों का व्यायाम भी करवाया जाता है.

– पैरों के नाखूनों को समयसमय पर कर्व शेप में काटें ताकि उन में गंदगी न रहे. नाखून काटते समय क्यूटिकल न काटें, क्योंकि यह नाखून के कठोर भाग को मुलायम बनाता है, जिस से संक्रमण की आशंका कम रहती है.

– हमेशा अच्छा फुटवियर पहनें, जो हवादार हो ताकि पैर सूखे रहें.

– आजकल बंद फुटवियर भी बारिश को ध्यान में रख कर बनाया जाता है, जो थोड़ा स्टाइलिश भी होता है. इस में गम बूट, स्ट्रैपर, बैलेरिनास, रबड़ के जूते आदि लोकप्रिय हैं.

– जूते हमेशा छोटी हील वाले पहनें ताकि फिसलने का डर न रहे.

त्वचारोग विशेषज्ञा डा. सरोज सेलार बताती हैं कि अगर आप वर्किंग हैं, तो औफिस जा कर अपने गीले पैरों को कपड़े से सुखा लें. जूतों को भी सुखा कर फिर पहनें. घर पहुंच कर सब से पहले हलके गरम पानी में 1 चम्मच सिरका मिला कर आधे घंटे तक पैरों को उस में डुबोए रखें. उस के बाद पैरों को साफ तौलिए से पोंछ कर उन पर क्रीम लगा लें.

– फंगस से छुटकारा पाने के लिए बेकिंग सोडा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पीएच बैलेंस करने में मदद करता है. इस का पेस्ट बना कर लगाया जा सकता है या फिर जूतों में भी बुरका जा सकता है.

– किसी भी प्रकार के इन्फैक्शन से बचने के लिए एक टब में 2 बडे़ चम्मच नमक डाल कर करीब 15 मिनट तक पैरों को उस में डुबोए रखें. ऐसा रोज करने से संक्रमण नहीं होगा. यह सब से अच्छा ऐंटीसैप्टिक है.

– पानी में थोड़ी हलदी मिला कर इन्फैक्शन वाली जगह लगाने से राहत मिलती है.

– नारियल या नीम का तेल लगाने से भी फंगस कम होता है, साथ ही उस से होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है.

– अगर आप डायबिटीज की मरीज हैं, तो पैरों का और अधिक ध्यान रखना आवश्यक है. नायलौन के मौजों की जगह कौटन के मौजे पहनें. गीले मौजों को बदलने में देरी न करें. हमेशा 1 जोड़ी सूखे मौजे साथ रखें. इस मौसम में नंगे पांव बिलकुल न चलें.

पसीने की बदबू से मैं परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल- 

गरमी का मौसम है और मैं जैसे ही घर से बाहर निकलती हूं मुझे बहुत पसीना आ जाता है तथा शरीर से बहुत स्मैल आने लगती है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

आप रोज नहाने के पानी में नीबू या औरेंज के छिलके भिगो दें और सुबह उस पानी से नहा लें. इस से आप के शरीर से स्मैल नहीं आएगी. किसी अच्छे पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. दिन में कम से कम 2 बार नहाएं. अगर चाहें तो पानी में रोज पेटल्स या जैस्मिन के फूल भी डाल सकती हैं.

सवाल-

मेरी अंडरआर्म्स में बहुत पसीना आता है जिस से उन का रंग काला पड़ गया है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

आप सब से पहले अंडरआर्म्स में ब्लीच करवा लें ताकि कालापन कम हो जाए. इस के साथसाथ रोज अंडरआर्म्स को स्क्रब किया जाए तो भी रंग साफ होता रहता है. इस के लिए आप 2 बड़े चम्मच उबले चावल लें और मिक्सी में पीस लें. इस में 2 बड़े चम्मच फ्रैश ऐलोवेरा जैल, 1 छोटा चम्मच शहद का मिला लें व 1 बड़ा चम्मच खसखस के दाने मिला लें. एक बहुत अच्छा स्क्रब बन जाएगा. इस से अंडरआर्म्स को रोज स्क्रब करें. ऐसा करने से रंग निखर जाएगा.

ये भी पढे़ं- 

झुलसाती गरमी में स्किन और स्वास्थ्य संबंधी नईनई समस्याएं सिर उठाने लगती हैं. इन में बड़ी समस्या पसीना आने की होती है. सब से ज्यादा पसीना बांहों के नीचे यानी कांखों, तलवों और हथेलियों में आता है. हालांकि ज्यादातर लोगों को थोड़ा ही पसीना आता है, लेकिन कुछ को बहुत ज्यादा पसीना आता है. कुछ लोगों को गरमी के साथसाथ पसीने की ग्रंथियों के ओवर ऐक्टिव होने के चलते भी अधिक पसीना आता है जिसे हम हाइपरहाइड्रोसिस सिंड्रोम कहते हैं. बहुत ज्यादा पसीना आने की वजह से न सिर्फ शरीर में असहजता महसूस होती है, बल्कि पसीने की दुर्गंध भी बढ़ जाती है. इस से व्यक्ति का आत्मविश्वास डगमगा जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय हाइपरहाइड्रोसिस सोसाइटी के मुताबिक हमारे पूरे शरीर में 3 से 4 मिलियिन पसीने की ग्रंथियां होती हैं. इन में से अधिकतर एन्काइन ग्रंथियां होती हैं, जो सब से ज्यादा तलवों, हथेलियों, माथे, गालों और बांहों के निचले हिस्सों यानी कांखों में होती हैं. एन्काइन ग्रंथियां साफ और दुर्गंधरहित तरल छोड़ती हैं जिस से शरीर को वाष्पीकरण प्रक्रिया से ठंडक प्रदान करने में मदद मिलती है. अन्य प्रकार की पसीने की ग्रंथियों को ऐपोन्काइन कहते हैं. ये ग्रंथियां कांखों और जननांगों के आसपास होती हैं. ये गं्रथियां गाढ़ा तरल बनाती हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Summer Special: पसीने की बदबू को कहें बायबाय

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

चिपचिपे मौसम में भी रखें अपनी स्किन को तरोताज़ा और खूबसूरत

मानसून चिलचिलाती गर्मी से राहत के साथ आता है, लेकिन साथ ही मौसम स्किन की समस्याओं के साथ-साथ चिपचिपी स्किन की समस्या भी लाता है. और जब स्किन सीधे रूप से सूर्य के संपर्क में आती है और गंदगी के संपर्क में आती है तो इससे स्किन की कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि इससे पहले कि स्किन को कोई नुकसान हो, इसकी रोकथाम के लिए पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए. आपको मानसून के मौसम में नियमित रूप से स्किन की देखभाल करने का रूटीन बनाना चाहिए और अपनी स्किन को यथासंभव साफ और गंदगी से मुक्त रखने की कोशिश करनी चाहिए.

ब्यूटी और मेकओवर एक्सपर्ट , ऋचा अग्रवाल शेयर कर रही हैं ऐसे टिप्स जो चिपचिपे या फिर मानसून के मौसम में भी आपकी स्किन को तरोताज़ा रखते हुए आपकी स्किन को पोषण देगा और लम्बे समय तक स्किन को यूथफुल रखेगा.

सबसे पहले, आपको नियमित अंतराल पर अपने चेहरे को धोने की आदत डालनी चाहिए. माइल्ड जेल बेस्ड फेस वॉश का इस्तेमाल करें जो स्किन की प्राकृतिक नमी को नहीं चुराता और स्किन को डीपर लेयर तक अच्छी तरह से साफ करता है, दिन में एक बार फेस वॉश का इस्तेमाल ज़रूर करें. आप अपनी स्किन के अनुकूल फलों से क्लींजर भी बना सकते हैं, पपीते का गूदा या खीरे का गूदा किसी भी प्रकार की स्किन के लिए उपयोग करने के लिए बहुत सुरक्षित है, ये प्राकृतिक चीजे स्किन के लिए क्लींजर हैं.

आप महीने में एक बार फेशियल के लिए भी जा सकते हैं और या फिर घर पर ही अपनी स्किन को पोषण दे सकते हैं. इसके लिए आप लौंग के तेल की कुछ बूंदें गर्म पानी में डालें और 10 मिनट के लिए भाप लें, इस प्रक्रिया से आप अपनी स्किन से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हुए आपनी स्किन की सफाई कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- जब घर पर करना हो हेयर कलर

इसके बाद आपको अपनी स्किन को टोन करना चाहिए, इससे स्किन का पीएच संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी. घर पर ही टोनिंग के लिए आप खीरे के रस में गुलाब जल की बूंदों को मिलाकर एक प्रभावी टोनर बना सकते हैं. इस मौसम में स्किन को हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है, यह आपकी स्किन के लिए भोजन है इसलिए आपकी स्किन को मॉइस्चराइज़ करना एक दैनिक आदत होनी चाहिए. यदि आप प्राकृतिक मॉइस्चराइजर लगाना चाहते हैं तो एलोवेरा और गुलाब जल के साथ मॉइस्चराइजिंग करें या फिर
क्रूएलिटी फ्री ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें , यह पैक लगाने के बाद आप 15 मिनट बाद चेहरा ठन्डे पानी से धो लें.

हाईड्रेशन के अलावा स्किन को एक्सफोलिएट करना बहुत महत्वपूर्ण है जो हाइड्रेशन के लिए भी अच्छा है, आप गुलाब जल, ओट्स फ्लेक्स और नींबू के रस के साथ एक पैक बना सकते हैं, अपनी स्किन पर 15 मिनट तक रखें धीरे से स्क्रब करते करते हुए फेस वाश करे.

अगर आपकी स्किन संवेदनशील है तो आप एलोवेरा के गूदे और चिया सीड्स के पैक का भी उपयोग कर सकते हैं, चिया सीड्स को रात भर भिगो दें और अगले दिन सुबह ओट्स फ्लेक्स के साथ बीजों को मिलाएं, स्किन पर धीरे से रगड़ें और स्किन को धो लें, पैक को ज्यादा देर तक न रखें. यह नेचुरल पैक स्किन के हाइड्रेशन और मॉइस्चराइजिंग का ख्याल रखेगा, पीएच संतुलन बनाए रखेगा और स्किन से मृत कोशिकाओं को भी हटा देगा. पैक यह सुनिश्चित करेगा कि आपकी स्किन लंबे समय तक क्लीन और हाइड्रेट महसूस करे.

चिपचिपी स्किन से निपटने में मड पैक भी बहुत प्रभावी होते हैं, और चिपचिपे मौसम में में मिट्टी के फेस पैक का उपयोग करें, अगर आपकी स्किन रूखी है तो आप ठंडक के लिए दूध और चंदन पाउडर मिला सकते हैं. यह खुले रोमछिद्रों की देखभाल करते हुए स्किन को चिपचिपाहट से मुक्त रखेगा. 20 मिनट के लिए पैक को लगाएं और अगर आप अपनी स्किन को चमकाना चाहते हैं तो पैक में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाएं.

नमी वाले दिनों में आपकी स्किन के लिए टोनिंग बहुत महत्वपूर्ण रहती है, गुलाब जल के टुकड़े, खीरे के रस के क्यूब्स को फ्रिज में रख दें और सुबह और शाम लगाएं. मेकअप करने से पहले उन्हें अवश्य लगाएं और ठंडे पानी से धो लें, इससे खुले रोमछिद्रों का ध्यान रखा जाएगा और स्किन को अत्यधिक पसीना नहीं आने देगा जैसा कि इस दौरान होता है. यह आपकी स्किन को मेकअप मेल्टडाउन से भी बचाएगा.

इसके अतिरिक्त आप नीचे दिए हुए टिप्स भी लगातार इस्तेमाल कर सकते हैं, क्यूंकि ये किचन बेस्ड हैं और पूरी तरह से नेचुरल हैं तो आप इनका इस्तेमाल रेगुलर बेसिस पर कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- मेकअप फौर परफैक्ट Selfie

अपने चेहरे पर बर्फ के ठंडे पानी के छींटे मारें क्योंकि यह छिद्रों को कस देगा और तेल के स्राव को एक हद तक रोक देगा.

• तैलीय स्किन के लिए खीरे के रस और कच्चे दूध को प्राकृतिक टोनर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

अपनी स्किन और शरीर को लगातार हाइड्रेट रखने का ध्यान रखें. चिपचिपा मौसम बाहर रखने के लिए लोशन-आधारित एक के बजाय पानी आधारित मॉइस्चराइज़र के लिए जाएं.

• कम से कम 8-10 गिलास ताजा पानी पिएं. बीच-बीच में आप पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला सकते हैं. नींबू तेल के स्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है और यह एक बेहतरीन क्लींजर है.

• अपने चेहरे पर बर्फ के ठंडे पानी से छींटे मारें क्योंकि यह रोमछिद्रों को कस देगा और तेल के स्राव को कुछ हद तक रोक देगा. अपनी स्किन और शरीर को लगातार हाइड्रेट रखने के लिए ध्यान रखें.

चिपचिपा मौसम को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पिएं, भले ही इसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब आए. यह सिर्फ विषाक्त पदार्थ है जो शरीर से बाहर निकल रहा है.
अगर आपकी स्किन रूखी है तो अल्कोहल आधारित टोनर से दूर रहने का नियम बना लें, क्योंकि ये स्किन का रूखापन बढ़ाते हैं. पानी आधारित विकल्पों की तलाश करें और अपनी स्किन को बेहतर बनाएं.

Monsoon Special: बारिश के मौसम में कैसे रखें स्किन का खयाल

बरसात का मौसम बहुत ही खुशनुमा होता है. चारों तरफ़ हरियाली और फूल खिले होते हैं.गीली मिट्टी, हरे पेड़ों, रंग-बिरंगे फूलों, ठंडी हवा और गर्म भोजन की खुशबू का आनंद लेने के लिए हर कोई इस मौसम का बेसब्री से इंतजार करता है. मानसून शुरू होने पर हमें तेज गर्मी, पसीना और कड़ी धूप से भी राहत मिलती है.

पर  कई बार ये मौसम आफत का सबब बन जाता है क्योंकि बारिश की वजह से वातावरण में नमी अधिक हो जाती है और इस मौसम में ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है इसके कारण स्किन इंफेक्शन, एलर्जी, फंगस सहित कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं जो आपकी स्किन के लिए नुकसानदायक हो सकती है, यही कारण है कि इस मौसम में स्किन का सही  रखरखाव जरूरी होता है. खयाल न रखने से संक्रमण, स्किन रोग वगैरह हो सकते हैं. इस मौसम में जलन, खुजली और लाल दाग जैसी समस्याएं हो सकती हैं. बारिश के मौसम में आखों में भी संक्रमण हो सकता है क्योंकि इस मौसम में वायरस और एलर्जी बहुत तेजी से फैलती है. इन सब समस्याओं से बचने के लिए हम कुछ उपाय कर सकते हैं जो बहुत ही लाभदायक हैं.

बारिश के मौसम में कई बार हम भीग जाते हैं. अधिक देर तक गीले रहने के कारण संक्रमण का खतरा हो सकता है. बारिश के मौसम में प्रयास करना चाहिए कि ज्यादा देर तक गीला न रहा जाए.

इस मौसम में आंखों का भी बहुत ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. अगर इस मौसम में आंखों में संक्रमण हो जाए तो तुरंत दवाई लेनी चाहिए.

इस मौसम में नमी की अधिकता के कारण फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.इसमें स्किन पर रेश पड़ जाते हैं अगर फंगल इंफेक्शन हो गया है तो गलती से भी अस्ट्रॉयड क्रीम न लगाए. इन हालत में तुंरत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि अस्ट्रॉयड क्रीम के उपयोग से  फंगल ठीक होने की जगह और ज्यादा बढ़ सकता है .

ये भी पढ़ें- ग्लोइंग स्किन के लिए ट्राय करें कौफी के ये 4 फेस पैक

मानसून के मौसम में बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके लिए स्किन की साफ सफाई बेहद ज़रूरी होती है .इस संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि रोज़ स्नान किया जाए. स्नान करने से इसका खतरा कम किया जा सकता है.

बारिश के मौसम में कई स्थानों पर पानी भर जाता है, जिसके कारण कई तरह के रोग फैल जाते हैं. इसलिए अपने हाथ, पैर और चेहरे की समय-समय पर सफाई जरूरी होती है. चेहरे को धोने के लिए किसी अच्छे फेस वॉश का उपयोग  करना चाहिए जिस से स्किन को किसी प्रकार का नुकसान न हो.

बारिश के मौसम में ह्यूमिडिटी बढ़ने से स्किन की अंदरूनी परत रूखी हो जाती है. इससे स्किन डैमेज होने लगती है. इससे बचने के लिए हमेशा मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करें  .

हमेशा नॉन-एल्कोहलिक उत्पादों का उपयोग करे .मानसून में नमी के कारण स्किन तैलीय हो जाती है. इस मौसम में नॉन-एल्कोहलिक उत्पादों का उपयोग करने से स्किन टोन होती है और पीएच भी बैलेंस रहता है. और इस से चेहरे पर चमक भी आती है.

बारिश के मौसम में स्किन चिपचिपी हो जाती है. चेहरे पर स्क्रब लगाकर रोज अपनी स्किन को एक्सफोलिएट करें. इससे डेड स्किन सेल बाहर निकल आती है और आपके चेहरे की सुंदरता बनी रहती है.

पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से स्किन हाइड्रेट होती है और चेहरा खिला रहता है. मानसून में ह्यूमिडिटी के कारण अधिक पसीना होता है. इसके कारण स्किन सुस्त पड़ जाती है. पानी स्किन को तरोताजा रखने में मदद करता है.

ये भी पढ़ें- जब खरीदें औनलाइन ब्यूटी प्रोडक्ट्स

बारिश में स्किन से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसलिए इस मौसम में ऑर्गेनिक और नैचुरल उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए. ये उत्पाद स्किन के लिए लाभदायक होते हैं और चेहरे का सौंदर्य  बनाए रखते हैं.

बारिश के मौसम में घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन का उपयोग करने से बचें. इस मौसम में अक्सर बादल छाए रहते हैं इसलिए सनस्क्रीन हानिकारक पराबैंगनी किरणों से स्किन की सुरक्षा नहीं कर पाता है.

बारिश के मौसम में चमकदार व खूबसूरत स्किन के लिए ये सभी तरीके लाभदायक है. स्किन की देखभाल के लिए इन्हें आजमाने से चेहरे का सौंदर्य बना रहता है.

मेरे चेहरे पर 2 – 3 जगह मस्से हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरे चेहरे पर 2 – 3 जगह मस्से हो गए हैं ? जो धीरेधीरे अपने आकार में भी बढ़ने लगे हैं ? मुझे चिंता हो रही है कि कहीं ये बढ़कर पूरे चेहरे पर ही न फैल जाएं ? कृपया कोई उपाय बताएं जिससे ये मस्से हट भी जाएं और आगे भी न होएं?

जवाब

मस्सों को अंग्रेजी में वार्ट्स कहते हैं. ये अकसर ज्यादा धूप में रहने के कारण होते हैं या फिर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस नामक विषाणु के कारण होते हैं. भले ही ये मस्से दर्द नहीं करते हैं. लेकिन न तो ये दिखने में अच्छे लगते हैं और साथ ही हमारी सुंदरता को भी कम करने का काम करते हैं. ऐसे में अगर ये मस्से आपकी गर्दन , पीठ की जगह आपके चेहरे पर उग आए , तो ये आपके लिए चिंता की बात है. ऐसे में हम आपको कुछ एडवांस्ड ट्रीटमेंट्स से अवगत करवाते हैं , जिससे आपको मस्सों की समस्या से छुटकारा मिलने के साथसाथ आपके चेहरे की खूबसूरती भी बरकरार रह सके. तो आइए जानते हैं इस संबंध में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ओफ मेडिकल साइंसेज के डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर अमित बंगिया से.

क्या है ट्रीटमेंट 

बता दें कि काफी हद तक मस्से खुद से ठीक हो जाते हैं. इसका कारण यह है कि जब इम्यून सिस्टम , जिनके कारण मस्से होते हैं , उनसे फाइट करने में सक्षम हो जाता है. लेकिन इसमें कितना समय लगेगा , इस बारे में कहां नहीं जा सकता. ऐसे में बहुत से लोग इन मस्सों के बढ़ने की परेशानी को देखते हुए मेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं. तो आपको बताते हैं उन ट्रीटमेंट के बारे में-

ये भी पढ़ें- मैं अपनी सासूमां से परेशान हूं?

–  co2 लेज़र ट्रीटमेंट  जिस तरह से चेहरे व शरीर के अनचाहे बालों को हटाने के लिए लेज़र ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है. ठीक उसी तरह से मस्सों यानि वार्ट्स को हटाने के लिए लेज़र ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है. लेज़र एनर्जी के जरिए काम करता है. इस प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज का चेहरा क्लीन किया जाता है. उसके बाद मस्से के ऊपर एनेस्थेटिक क्रीम को अप्लाई किया जाता है, जिसे एक घंटे तक लगा छोड़ दिया जाता है, जिससे वो जगह सुन हो जाती है. इसके बाद आगे की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले एनेस्थेटिक क्रीम को हटाया जाता है , उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है. जिसमें मस्सों पर लेज़र ,ट्रीटमेंट दिया जाता है. आखिर में हीलिंग क्रीम लगाई जाती है.  अगर कम व छोटे मस्से होते हैं तो एक सिटिंग में काम हो जाता है. लेकिन अगर ज्यादा मस्से होते हैं तो 3 – 4 सिटिंग की जरूरत पड़ती है.

–  रेडियो फ्रीक्वेंसी कॉटरी इस प्रक्रिया में वार्ट को हीट वेव के जरिए हटाया जाता है. जिससे सोफ्ट टिश्यू को काट दिया जाता है. इसमें सबसे पहले लोकल एनेस्थीसिया देने के लिए क्रीम अप्लाई की जाती है. जिससे जरा भी दर्द की अनुभूति न हो. रेडियो फ्रीक्वेंसी कॉटरी प्रक्रिया के जरिए मस्से हटाने के बाद छोटे एरिया की स्किन में हल्का सा घाव रह जाता है. जो 4 -5 दिन में ठीक हो जाता है. जिसके लिए हीलिंग क्रीम दी जाती है.

केमिकल पील   अगर फ्लैट वार्ट होते हैं , तो डाक्टर केमिकल पील की ही सलाह देते हैं. जिसमें आपको हर दिन पीलिंग मेडिसिन लगवाने की जरूरत होती है. पीलिंग मेडिसिन में सैलिसिलिक एसिड, ग्ल्य्कोलिक एसिड इत्यादि होते हैं. ये स्किन सेल्स को तब तक एक्सफोलिएट करने का काम करते हैं , जब तक वार्ट हट नहीं जाते. यहां तक कि ये हैल्दी स्किन सेल्स को भी प्रमोट करने का काम करते हैं. इससे कुछ ही महीनों में आपको वार्ट की समस्या से छुटकारा मिल जाता है. इस तरह से आप वार्ट्स की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- मैं मैरिड लाइफ में फिजिकल रिलेशनशिप को लेकर परेशान हूं, क्या करु?

कुछ सावधानियां भी  इन ट्रीटमेंट्स के बाद आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, जिसमें शामिल है आपको कुछ दिनों तक प्रभावित जगह को धूप व पानी से बचा कर रखना चाहिए. साथ ही फेशियल , शेविंग, हार्श क्रीम से चेहरे को बचाना चाहिए.  डाक्टर के बताए सनस्क्रीन, फेस वाश लगाने के साथ ट्रोपिकल एंटीबायोटिक क्रीम जरूर लगानी चाहिए. इससे कुछ ही दिनों में घाव ठीक होने के साथ आपकी ब्यूटी में लगा दाग ठीक हो जाता है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे… 

गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ड्राय स्किन के लिए कौन सा स्क्रब अच्छा रहेगा?

सवाल-

मेरी स्किन ड्राई है. उस के लिए कौन सा स्क्रब अच्छा रहेगा?

जवाब-

रूखी स्किन को स्क्रब करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. यह भी संवेदनशील स्किन की ही तरह काफी नाजुक होती है. आप ओटमील का प्रयोग कर सकती हैं. ओटमील में यदि थोड़ा सा दूध मिला लिया जाए तो स्क्रब करने के बाद आप की स्किन छिलेगी नहीं और मुलायम हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- 

आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में हेल्थ के लिए लोग ओट्स खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ओट्स हेल्दी एक हेल्दी ब्रेकफास्ट है. साथ ही इसे बनाने में टाइम भी कम लगता है, लेकिन क्या आपको पता है ओट्स स्किन के लिए भी फायदेमंद है. ओट्स में एक्सफोलिएटिंग, मौश्चराइजिंग और क्लींजिंग के तत्व मौजूद होते हैं जो स्किन को यंग और ब्यूटी फुल बनाने में मदद करते हैं. आज हम आपको ओट्स के फेस पैक के बारे में बताएंगे, जिसे आप घर पर मौनसून में ट्राय कर सकते हैं.

1. एलोवेरा स्क्रब और ओट्स करें ट्राय

लंबे समय से एलोवेरा का इस्तेमाल मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है. एलोवेरा के इस्तेमाल से फेस पर हुए मुहांसे, संक्रमण और टैनिंग जैसी प्रौब्लम्स से छुटकारा पाया जाता है क्योंकि इसमें इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट होता है. ओटमील पाउडर को ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस पर तीन से पांच मिनट तक मसाज करें. जब फेस पर पेस्ट सूख जाए, तो साफ पानी से अपने फेस को आराम से धो लें.

ये भी पढ़ें- ड्राई बालों के लिए घर में ऐसे बनाएं कंडीशनर

2. ओट्स और गुलाब जल का पेस्ट करें इस्तेमाल

ओट्स और गुलाब जल का फेसपैक बनाने के लिए दो चम्मच ओट्स में एक चम्मच शहद और एक चम्मच गुलाब जल मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें. अब इस पेस्ट को दस मिनट के लिए फेस पर लगाकर रखें. इस पैक को लगाने से आपकी स्किन शाइनी नजर आने लगेगी.

3. दूध, नींबू और ओटमील से लाएं फेस पर ग्लो

दूध, नींबू और ओटमील के फेसपैक से आपका फेस ग्लो करने लगेगा. इस फेसपैक को बनाने के लिए दो चम्मच उबले ओट्स, चार चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच दूध मिला लें. इसके बाद इस पैक को चेहरे पर लगा लें. 20 से 25 मिनट बाद गुनगुने पानी से अपना चेहरा धो लें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ओट्स से पाएं ग्लोइंग स्किन, जानें कैसे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz  

सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें