शादी हमें एक जोड़े में बांधती है – पति पत्नी की जोड़ी में. लेकिन एक और जोड़ी है जिसमें शादी के कारण हम बंधते हैं और वह है सास बहू की जोड़ी! एक समय था जब पर्दे पर भी सास का किरदार निभाने के लिए किसी निर्दई इमेज वाली एक्ट्रेस जैसे ललिता पवार या शशि कला को चुना जाता था. जिंदगी हो या पर्दा – सास बहू का रिश्ता कड़वाहट भरा होता था. लेकिन यह बीते जमाने की बात होने लगी है. आज के दौर में जहां बहुएं पढ़ी लिखी, नौकरी पेशा, फैशन परस्त और हर लिहाज से स्मार्ट होने लगी हैं वही सासें भी पीछे नहीं रही. आज की सास ने अपनी पुरानी छवि उतार फेंकी है क्योंकि वह अच्छे से जानती है कि बेटे के साथ आजीवन मधुर संबंध बनाए रखने के लिए बहू से अच्छे संबंध रखना बेहद जरूरी है.
स्मार्ट सास और बहू वही है जो एक दूसरे की अहमियत समझती है. बहू जानती है कि सास से अनबन के कारण उसकी गृहस्थी में कलेश घुलेगा और रोजमर्रा का जीवन चलाना कठिन होगा, वहीं सास समझती है कि बहू से बना कर रखा तो पूरे परिवार का सुख मिलता रहेगा और बुढ़ापा भी चैन से गुजरेगा. और फिर जब संबंध इतने निकट का हो तो क्यों ना आपसी मेलजोल और माधुर्य से अपने साथ सामने वाले के जीवन को भी सुखमय बना लिया जाए. कितना अच्छा हो कि बहू जब सास को ‘मम्मी ‘ पुकारे तो वह उसके हृदय से निकले; कि जब सास ‘बेटा ‘ कहे तो उसका तात्पर्य अपने बेटे से नहीं वरन बहू से हो! ऐसा जरूर हो सकता है पर अपने आप नहीं. इसके लिए चाहिए थोड़ी स्मार्टनेस जो दोनों पलड़ों में होनी आवश्यक है. समझदार हैं वे सास बहू जो इस अनमोल रिश्ते की कीमत और गरिमा को पहचानती हैं और देर होने से पहले सही कदम उठा लेते हैं.
एनी चेपमेन, अमेरिकी संगीतकार तथा लोकप्रिय वक्ता, जो स्वयं बहू रही और अब सास बन चुकी हैं, ने कई पुस्तके लिखी, जैसे – ‘ द मदर इन लॉ डांस ‘ , ‘ ओवरकमिंग नेगेटिव इमोशंस ‘ , ’10 वेज़ टू प्रिपेयर डॉटर फॉर लाइफ ‘ आदि. आज के समय में सास बहू के रिश्ते को सुनहरा बनाने के लिए कुछ नियम बताती हैं जो हैं कि न तो सास को बहू की तुलना अपनी बेटी से करनी चाहिए और ना ही बहू को सास की तुलना अपनी मां से करनी चाहिए. साथ ही एनी कहती हैं कि स्मार्ट वो सास और बहू हैं जो एक दूसरे के व्यक्तित्व को पहचान लें. यदि सास या बहु कुछ हठीले स्वभाव की है तो दोनों को चाहिए वे परस्पर नम्रता बनाए रखें लेकिन साथ ही थोड़ी दूरी भी रखें.
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जैसे बहू नई वैसे सास भी
जैसे बहु नई नवेली होती है ठीक वैसे ही सास के लिए भी यह पहला अनुभव होता है. उसे भी नए रिश्ते में ढलना वैसे ही सीखना होता है जैसे बहू सीखती है. इसलिए दोनों को पर्याप्त समयावधि मिलनी चाहिए. हथेली पर सरसों नहीं उगती. इस रिश्ते को सुदृढ़ बनाने के लिए समय और स्पेस की जरूरत होती है. स्मार्ट वो सास बहू हैं जो इस बात को समझते हुए एक दूसरे को पूरा समय और स्पेस दें.
जब वरिष्ठ लेखिका सुधा जुगरान की इकलौती बहू आई तब उन्होंने इस बात को सहर्ष स्वीकारा कि अब उनके बेटे के जीवन और उनके घर में एक अन्य स्त्री का प्रवेश हो रहा है. आम सासु मां की तरह इन्होंने कभी अपनी बहू चारू को खाने, पहनने व सोने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए क्योंकि इनका मानना है कि यह तीनों चीजें किसी भी इंसान की नैसर्गिक जरूरत है और इच्छाएं हैं. इन बातों पर बंधन किसी भी लड़की के जीवन का संतुलन तो डगमगाता ही है अपितु सास बहू के रिश्ते में भी कड़वाहट ला देता है. बेटे के विवाह के बाद सुधा जी ने समझ लिया कि अब उनके लिए केवल उनकी बहू ही हर तरह से महत्वपूर्ण है – उसी की तारीफ, उसी की पसंद, उसी के क्रियाकलाप. उन्होंने सास बहू के रिश्ते को मीठा बनाने का फार्मूला जान लिया था – बेटा तो अपना है ही, सींचना तो उस पौधे को पड़ता है जिसे नया-नया रोपा गया है. शुरू के सालों में इनकी इन्हीं कोशिशों का परिणाम है कि शादी के 6 साल बाद भी दोनों के बीच छोटी-मोटी गलतफहमियां तक सिर नहीं उठा पातीं. वहीं चारु ने भी खुद को बिल्कुल सहजता से नए वातावरण में ढाल लिया. आज वह अपनी सासू मां के साथ शॉपिंग जाती है, दोनों एक जैसी पोशाकें पहनती हैं, गप्पें लगाती हैं ताकि प्यार में यह रिश्ता मां बेटी जैसा, समझदारी में सहेलियों जैसा, और मान सम्मान में सास बहू जैसा बन पाए. सुधा जी के शब्दों में, ” मेरा मानना है विचार बदलो और नजर बदलो, नजारे अपने आप बदल जाएंगे.”
शब्दों का खेल
याद रखिए, सास और बहू अलग परिवेशों से आती हैं, दोनों वयस्क हैं, आज तक की अपनी जिंदगी निश्चित ढंग से जीती आई हैं. शब्दों रिश्तों को पत्थर सा मजबूत भी बना सकते हैं और कांच सा तोड़ भी सकते हैं. सोच समझकर शब्दों का प्रयोग करें. जो भी बोलें, नाप तोल कर बोलें.कोशिश करें कि पहले आप दूसरे की भावनाएं समझें और बाद में मुंह खोले. याद रखें शब्द बाण एक बार कमान से निकल गए तो उनकी वापसी असंभव है, साथ ही, उनके द्वारा दिए घाव भरना भी बहुत मुश्किल. यदि चुप्पी से काम चल सके तो चुप रहे.
बने स्मार्ट बहू
जब बहू अपना घर परिवार, माता पिता, भाई बहन सब कुछ छोड़कर ससुराल आती है तब सास ही उसे प्यार और अपनेपन से दुलार कर ससुराल में मां की कमी महसूस नहीं होने देती. साथ ही बहु को उसके पति (अपने बेटे) के स्वभाव, आदतों, अच्छाइयों, बुराइयों तथा पसंद-नापसंद से परिचित करवाती है. साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों की आवश्यकताओं के बारे में भी समझाती है. नए घर के रीति-रिवाज, परंपराएं एवं रस्में भी बहू सास से ही सीखती है. तो बहू को चाहिए कि अपनी स्मार्टनेस से इस महत्वपूर्ण रिश्ते को मधुर बनाए.
– बहुओं को चाहिए कि वह सास को बुजुर्ग होने के साथ अनुभवी भी माने. अपनी सास से उनके जमाने के मजेदार किस्से सुने – बचपन के, शादी के बाद के, बच्चों को पालते समय संबंधित अनुभव आदि. जब एक सास अपनी बीती हुई जिंदगी के अनुभव अपनी नई बहू से बांटेगी तो उसके मन में बहू के प्रति लगाव बढ़ना स्वाभाविक है जिससे उन दोनों का रिश्ता और सुदृढ़ हो जाएगा.
– बहू अपनी सास से सुझाव लेने में हिचकिचाए नहीं. हो सकता है कि आप अपनी सास के हर सुझाव से इत्तफाक ना रखती हो, फिर भी उनके अनुभव को देखते हुए उनसे सुझाव लेने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन कभी भी उनके दिए सुझावों को व्यक्तिगत लेते हुए उन पर बहस ना करें. सुझाव मानना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है, पसंद आए तो माने वरना सास को अपनी सोच से अवगत करा दें.
– रिश्तो में स्पेस देना भी बहुत जरूरी है. आपका पति जो अब तक केवल एक बेटा था और जो अभी तक मां के अनुसार ही चल रहा था, शादी के बाद उसके व्यवहार में परिवर्तन आना स्वाभाविक है. इससे कभी-कभी मां के मन में असुरक्षा की भावना आने लगती है और यह चिढ़ बात- बेबात टोकाटाकी या तानों के रूप में बाहर आती है. यहां एक स्मार्ट बहू का कर्तव्य है कि वह मां बेटे के बीच दरार की वजह ना बने और मां बेटे की आपसी बातचीत का बुरा ना माने, साथ ही हस्तक्षेप ना करे.
नए घर की जिम्मेदारियों को और परिवार के रखरखाव के विषय में जितना बेहतर सास समझा सकती है उतना कोई भी नहीं. नए परिवार में बैलेंस बनाने के लिए सास से अपना रिश्ता एक दूसरे को सुविधा देने की भावना का बनाने की कोशिश कीजिए.
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बने स्मार्ट सास
स्मार्ट सास वह है जो यह बात समझ जाए कि अब नई बहू भी उसके परिवार का हिस्सा बन चुकी है. घर का माहौल सरल रखें ताकि यदि बहू कुछ कहना चाहे तो बेझिझक अपनी बात रख सके. सभी की अपनी कुछ आदतें होती है जिसे हम हमेशा फॉलो करना चाहते हैं. आखिर बहू 25 – 26 वर्ष की आयु में घर में प्रवेश करती है. अगर उसकी कुछ ऐसी आदतें हैं जो सास को पसंद नहीं आ रही तब भी जबरन दबाव डालकर न रोकें. उसे अपनी खास इच्छा या शौक पूरे करने दें तभी वह सब को अपना समझ पाएगी.
– सास होशियारी से बहू की छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करके उसे बेटी की तरह प्यार दुलार दे ताकि उसे मां की कमी महसूस ना हो. तब आपका घर, घर नहीं स्वर्ग बन जाएगा.
– बहू को खुले दिल से अपने परिवार का हिस्सा बनाएं. सास बहू के संबंधों का प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है. यदि सास बहू के बीच संबंध मधुर होते हैं तो घर में व्यर्थ का तनाव नहीं पनपता तथा घर के सभी सदस्य प्रसन्नचित्त रहते हैं.
– सास को चाहिए कि जिस लाड प्यार पर अब तक केवल उसके बेटे का अधिकार था, अब वही प्यार वह बहू बेटे को साथ में बांटे.
टोने-टोटके की दुनिया
सास बहू की नोक झोंक एक ऐसा विषय है जो सदियों से चला आ रहा है. अमूमन हर घर में कभी ना कभी कोई समस्या उभर ही आती है. इसलिए इस विषय पर भी पंडित और धार्मिक दुकानदार अपनी रोटी खूब चालाकी से सेंकने के भरपूर प्रयास करते रहते हैं.
– राजस्थान के वैदिक अनुष्ठान संस्थान के आचार्य अजय द्विवेदी कहते हैं कि मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रों” का 108 बार जाप करें. सास अपने बेडरूम में मोर पंख रखें जो कि प्रेम और वात्सल्य का प्रतीक होता है. साथ ही बहू पूर्णिमा का व्रत करें. सास और बहू दिन के दोनों पहरों में अपने इष्टदेव का ध्यान करें, उन्हें नैवेद्य अर्पण करें ताकि सास बहू में नकारात्मकता समाप्त हो.
– वेबदुनिया नामक ऑनलाइन चैनल बताता है कि सास व बहू में आपसी संबंध कटु होने पर बहू चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें. साथ ही शुक्ल पक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से हल्दी या केसर की बिंदी माथे पर लगाना शुरू करें. गले में चांदी की चेन धारण करें. और सबसे महत्वपूर्ण बात – किसी से भी कोई सफेद वस्तु ना लें.
– इसी का ठीक उलटा उपाय एस्ट्रो मां त्रिशला बताती हैं कि हर सोमवार को बहू अपनी सास को कोई सफेद चीज खिलाए. साथ ही कुछ सरल उपाय जैसे सास बहू दोनों की फोटो फ्रेम करवाकर उत्तर में लगाएं. और सास हर महीने आने वाली दोनों चौथ पर बहू को सिंदूर का टीका करते हुए “ॐ गंग गणपतए नमः” का जाप करें. बहू को थोड़ा सा गुण और एक मुट्ठी गेहूं किसी चौराहे पर रखते हुए प्रार्थना करनी है कि हे प्रभु हमारे रिश्ते को मां बेटी सा बना दीजिए.
– डॉ आर बी धवन गुरु जी कहते हैं कि 5.5 रत्ती का चंद्रकांत मणि पत्थर लेकर चांदी में बनवाकर बहू को छोटी उंगली में और सास बीच वाली उंगली में सोमवार के दिन धारण करने से गृह क्लेश दूर होगा.
– यूट्यूब पर ‘आपके सितारे’ नाम से अपना चैनल चला रहे वैभव नाथ शर्मा के अनुसार सास बहू के क्लेश को दूर करने के लिए गाय के गोबर का दीपक बनाकर सुखा लें. फिर उसमें तिल का तेल और एक डली गुड़ डालकर दीपक जलाएं जो रात को घर के मुख्य द्वार के मध्य में रखें. मंगलवार की रात को यह करने से सास बहू की दुर्भावना दूर होगी.
ऊपर दिए टोटके तो सिर्फ ट्रेलर है; पिक्चर अभी बाकी है! टोने टोटकों की भरमार इसलिए है क्योंकि लोग अपनी समझदारी पर विश्वास करने की जगह इन अंधविश्वासों की दुनिया में डूबना पसंद करते हैं. पर आप ऐसा कतई न करें. बातों के चक्कर में ना आए, ना ही किसी ढोंगी बाबा – मां ही बातों में फंस कर अपना जीवन दूभर करें. समझदारी से काम लें. अपने आसपास की सास बहू की जोड़ियों को देखें और उनसे सीखने का प्रयास करें.
रीयल लाइफ उदाहरण
दिल्ली की मालती अरोड़ा के पति की मृत्यु बहुत कम उम्र में हो गई थी. उन्होंने नौकरी की, अपने बच्चे पाले. फिर उनकी बहू आ गई जोकि आज के जमाने की थी. उसने इच्छा जताई कि उसकी सास भी उसके साथ मॉल जाएं, शॉपिंग करें और आज के परिधान जैसे जींस और स्कर्ट पहने. मालती जी ने पहले कभी यह सब नहीं किया था. उनका जीवन तो बस जिम्मेदारियों की भेंट चढ़ा रहा था. लेकिन उन्होंने अपनी बहू का पूरा साथ दिया. उन्होंने अपने संकोच को दरकिनार कर जींस और लॉन्ग स्कर्ट पहनना शुरू कर दिया. बहू के दिल में जगह बनाने का यह स्वर्णिम अवसर उन्होंने दोनों हाथ से लपका. आज सब इस सास बहू की जोड़ी को देखकर हैरान हो जाते हैं. मालती जी की समझदारी ने उनके घर को एक मजबूत धागे से बांधे रखा है.
ग्वालियर की गौरी सक्सेना को हर दोपहर में थोड़ा सुस्ताने की आदत थी. जब उनकी बहू आई तो उसने दोपहर में दोनों के पतियों के ऑफिस चले जाने के बाद कभी शॉपिंग तो कभी मूवी का प्रोग्राम बनाना शुरू किया. गौरी ने अपनी आदत को टालते हुए उसका साथ दिया. जैसा प्रोग्राम बनता, वह वैसे ही चल पड़ते. एक बार जब गौरी की बहन मिलने आई और उन्होंने बताया कि तुम्हारी सास बिना दोपहर में सुस्ताए रह नहीं पातीं तब बहू के मन में सास के प्रति आदर भाव और बढ़ गया.
जयपुर की संध्या की जब शादी हुई तब वो एक संयुक्त परिवार का हिस्सा बनी. ऐसे में सबका दिल जीतने के लिए उसने अपनी सास का दामन थामा. जैसाजैसा सास बतातीं, वो वैसा ही करती. धीरे-धीरे पूरा परिवार संध्या का मुरीद हो गया. यहां तक कि शाकाहारी होते हुए भी संध्या ने अपने नए परिवार के स्वादानुसार चिकन भी पकाना सीखा. संसार त्यागने तक उसकी सास केवल उसी के पास रहना पसंद करती रहीं.
कुछ ऐसे टिप्स भी होते हैं जो सास बहू के रिश्ते को और भी मजबूत और प्यारा बना सकते हैं बशर्ते इन्हें सास और बहू साथ में फॉलो करें –
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– शेयर करें अपने दिल की बातें: शादी के बाद जहां बहू को नए घर में रहने के रीति रिवाज और रंग ढंग सीखने होते हैं वही सास के मन में भी यह दुविधा होती है कि क्या बहू उनके परिवार के अनुसार खुद को ढाल पाएगी. ऐसे में बेहतर ऑप्शन है कि आप एक दूसरे के साथ अपने मन की बात शेयर करें. इससे आप दोनों को एक दूसरे के विचारों का पता चलेगा और रिश्ता निभाने में आसानी होगी.
– अपने विचार एक दूसरे पर न थोपे : यह बात केवल न केवल सास बल्कि बहू को भी समझनी चाहिए कि हर किसी की सोच और विचार अलग होते हैं. अपने विचार दूसरों पर थोपने से उन्हें गुस्सा आना वाजिब है. अगर आप अपने सास बहू के रिश्ते में मिठास रखना चाहते हैं तो एक दूसरे के विचारों का आदर करें. इससे आप दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत होगा.
– एक दूसरे को दे भरपूर समय : अपनी नई शादी की खुमारी में बहू केवल अपने पति या फिर मायके वालों को ही टाइम दे, यह उचित नहीं. वहीं सास भी अपनी बहू के साथ बैठकर कुछ बातें शेयर करें. एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने से न केवल आपको एक दूसरे को समझने का मौका मिलेगा बल्कि प्यार भी बढ़ेगा.
व्यवसाय के क्षेत्र में भी साथ सास बहू
रुचि झा एक इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं. एक बार छुट्टियों के दौरान वह अपने गांव पहुंची. रुचि बताती है “उस समय मिथिला पेंटिंग से जुड़े कुछ राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों से मिलने का संयोग बना. उन पेंटिंग्स को देखकर मुझे महसूस हुआ कि मैं इस कला को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाना चाहती हूं.” रुचि ने कॉर्पोरेट दुनिया से विदा लेने की सोची तो खुद का काम शुरू करने के लिए उन्हें किसी साथी की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि इस काम के लिए उनकी सास रेणुका कुमारी आदर्श साझेदार थीं. दोनों ने मिलकर ‘आइमिथिला हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम प्राइवेट लिमिटेड’ की शुरुआत की तथा अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘आईमिथिला ‘ से उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई. साथ ही स्थानीय कलाकारों को भी अपना हुनर दिखाने के लिए एक प्लेटफार्म दिया.
रुचि नोएडा और दिल्ली से मार्केटिंग का काम संभालती हैं जबकि उनकी सास, जोकि वनस्पति विज्ञान प्रोफेसर के रूप में काम कर चुकी हैं, दरभंगा जो मधुबनी आर्ट के लिए मशहूर है, से प्रोडक्शन यूनिट में कलाकारों के साथ समन्वय स्थापित करती हैं. इस सास बहू की जोड़ी ने सुपर स्टार्टअप का अवार्ड भी जीता है.
सास बहू का रिश्ता जितना प्यारा होता है उतना ही नाजुक भी. पूरे परिवार के प्यार और सामंजस्य की धुरी इसी रिश्ते पर टिकी होती है. थोड़ी सी समझदारी से इस रिश्ते को मीठा और मजबूत बनाया जा सकता है. आवश्यकता है तो बस सास और बहू दोनों को इस रिश्ते को निभाने में स्मार्टनेस अपनाने की.