Raksha Bandhan: भाई-बहन आपकी सबसे बड़ी संपत्ति 

टीनएज जीवन का ऐसा पड़ाव होता है, जहां अपने पराए लगने लगते हैं और पराए अपने. इस उम्र में हमारी आंखों पर ऐसी पट्टी पड़ जाती है कि हमें अपने भाईबहन भी अपने जानी दुश्मन लगने लगते हैं. हम उनसे भी अपनी बातें शेयर करना पसंद नहीं करते हैं. यहां तक कि मुसीबत में पड़ने पर भी उन्हें बताने से डरते हैं कि इन्हें बताने से पापामम्मी को पता चल जाएगा और जिससे उन्हें डांट पड़ेगी , जिसका नतीजा यह होता है कि हम गलतियां करते जाते हैं और उनका खामियाजा अकेले ही भुगातना पड़ता है और कई बार तो हमें इसकी वजह से कई मुसीबतों का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए ये समझना बहुत जरूरी है कि भाईबहन हमारे दुश्मन नहीं बल्कि हमारी असली संपत्ति होते हैं. जी हां , आइए जानते हैं कैसे.

1. मुसीबत में हमें बचाते

नेहा जो बहुत ही स्मार्ट और पैसे वाली थी, जिसके कारण हर लड़का उससे फ्रेंडशिप करने को उत्सुक रहता था. और जिसके कारण नेहा भी किसी को खुद के सामने कुछ नहीं समझती थी. और उसकी इसी बेवकूफी का फायदा उसके बोयफ्रेंड साहिल ने उठाया. उसने नेहा से पैसे ऐंठने के चक्कर में उससे कुछ न्यूड फोटोज क्लिक करने को कहा. कहते हैं न कि प्यार में सब जायज होता है. उसने बिना सोचेसमझे साहिल को फोटोज भेज दी. अब तो वह उसे इन फोटोज से ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठने लगा. जिसके कारण वह परेशान रहने लगी. लेकिन उसके भाई से ये सब देखा न गया और उसने बहन को कसमें देकर उससे परेशानी की वजह को जान ही लिया. और फिर भाई का फर्ज निभाते हुए उसने मम्मीपापा को बताए बिना साहिल को ऐसा सबक सिखाया कि आगे वह कभी नेहा जैसी लड़कियों को धोखा देने के बारे में सोचेगा भी नहीं. इस घटना के बाद नेहा को समझ आ गया कि भाई से प्यारा कोई नहीं. इससे धीरेधीरे दोनों के बीच बोंडिंग स्ट्रोंग बनती चली गई.

2. चीजें शेयर करने में हिचकिचाते नहीं 

भाईबहन का रिश्ता ऐसावैसा नहीं होता है. चाहे आपस में कितनी भी लड़ाई क्यों न हो जाए , लेकिन मुसीबत या फिर एकदूसरे के चेहरे पर खुशी लाने के लिए दोनों एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. यहां तक कि अपनी सबसे प्यारी चीज भी शेयर करने से नहीं  हिचकिचाते हैं. शोभा जो पढ़ाई के साथसाथ पार्टटाइम जोब करती थी, क्योंकि एक तो वह खुद कुछ करना चाहती थी और दूसरा पिता के बीमार होने के बाद से उसके घर की हालत भी ठीक नहीं थी. उसने मेहनत करके पैसा कमाया. और फिर घर की जरूरतों को पूरा करते हुए फिर अपने लिए एक लैपटोप भी खरीदा. जिसे खरीदने का वह काफी समय से सपना देख रही थी. इसे पाकर वह बहुत खुश भी थी. लेकिन इस बीच उसके भाई की भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो गई और उसे भी लैपटोप की जरूरत पड़ी. तो शोभा ने बिना कुछ सोचे अपनी सबसे प्यारी चीज को अपने भाई को दे दिया. ताकि उसे किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो. जो इस बात की और इशारा करता है कि चाहे चीज कितनी भी कीमती व जरूरी  क्यों न हो, लेकिन इस रिश्ते से बड़ी व कीमती नहीं हो सकती.

3. करते हैं  मोटिवेट 

कई बार जीवन में ऐसे पड़ाव भी आते हैं , जिसमें हम हिम्मत छोड़ने लगते हैं. जीवन जीने की इच्छा ही खत्म होने लगती है. हमें ऐसा लगने लगता है कि हम कुछ नहीं कर सकते, बस सामने हार ही हार नजर आती है. ऐसे में भाई हो या बहन एकदूसरे का हौसला बढ़ाकर उसे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं. राहुल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसके नौंवी में बहुत कम मार्क्स आए , जिससे उसके मन में ये बात बैठ गई कि उसका कैरियर चौपट सा हो गया है, अब इसकी वजह से न ही घर में उसे प्यार सम्मान मिलेगा और न ही स्कूल में. सब उसका मजाक बनाएंगे. जिसकी वजह से उसके चेहरे की हंसी भी गायब होने लगी थी. ऐसे में उसकी बहन ने उसे समझाया कि जरूरी नहीं कि जो जीवन में एक बार हार जाए या फिर असफल हो जाए , उसे बारबार हार का ही सामना करना पड़ेगा. हमारे सामने है अल्बर्ट अ ाइंटरिन का उदाहरण. जो दुनिया में जीनियस के तौर पर जाने जाते हैं. वे चार साल तक बोल और सात साल तक की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे. जिससे उनके शिक्षक और पेरेंट्स उन्हें सुस्त  छात्र के रूप में देखते थे. जिसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया. इन सबके बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए. तुम्हें  भी इससे सीख लेकर आगे कुछ कर दिखाने के लिए जीतोड़ मेहनत करने की जरूरत है न की आज की परिस्तितियों से हार मानकर बैठ जाने की. और इसमें मैं तुम्हें जितना सपोर्ट कर सकूंगी करूंगी , लेकिन तुम्हें  इस तरह हार नहीं मानने दूंगी. यही होती है भाईबहन के रिश्ते की असली सच्चाई.

4. इमोशनली स्ट्रौंग बनाते

हम जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं , कई बार हम उनसे दूर हो जाते हैं. जैसे अचानक से परिवार के किसी प्रिय सदस्य का निर्धन हो जाना , या फिर पढ़ाई या जॉब के कारण अपनों से दूर हो जाना या फिर बेस्ट फ्रेंड का दूर हो जाना, जो हमें अंदर ही अंदर परेशान करके रख देता है. ऐसे में भाईबहन ही वो टूल होते हैं , जो हमें इन परिस्तितियों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं. हमें प्यार से समझाते हैं कि भले ही आज ये वक्त थम सा गया है, लेकिन हमें खुद को अंदर से इतना ज्यादा कमजोर नहीं बनाना है कि हम भी बस इस वक्त के साथ थम कर रह जाएं. बल्कि स्ट्रौंग बनकर आगे बढ़ना सीखना होगा. परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा, एकदूसरे को समझना होगा. अगर खुद को  इमोशनली स्ट्रौंग बनाओगे तो ये वक्त भी गुजर जाएगा. ऐसे समय में भले ही भाईबहन खुद टूट जाए , लेकिन चेहरे पर नहीं दिखाते हैं और अपने भाईबहन को फुल सपोर्ट करके इस परिस्तिथि से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं.

5. हमारे लिए लड़ जाते हैं लोगों से 

ये तो दुनिया की रीत है कि आप चाहे लोगों के लिए कितना भी अच्छा कर लो, लेकिन जरूरी नहीं कि वह आपकी तारीफ करे ही. किसी बात पर कोई आपकी तारीफ भी कर सकता है तो कोई आपकी बुराई भी . लेकिन हम किसी का मुंह नहीं रोक सकते. तनवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसने एक बार अपने फ्रेंड के साथ असाइनमेंट क्या शेयर नहीं किया, कि उसके फ्रेंड्स ने उससे बात करनी ही छोड़ दी. और वे  सब यूनिटी बनाकर उसका मजाक बनाने लगे. जिससे परेशान होकर तनवी ने कॉलेज जाना ही छोड़ दिया. ऐसे में उसके भाई ने उसे लोगों का मुकाबला करना सिखाया और यहां तक कि उसके लिए उसके दोस्तों तक से भी लड़ गया. वे ये हरगिज नहीं देख पाया कि किसी और की वजह से उसकी बहन की आंखों में आंसू आए. यही वो रिश्ता है , जिसमें चाहे भाईबहन आपस में कितना भी लड़ लें , लेकिन कोई और उनके अपने को परेशान करे, ये उन्हें गवारा नहीं होता.

6. लाइफ को मेमोरेबल बनाते 

कभी बहन के कपड़े छुपा देना तो कभी भाई का फोन छुपा देना, खाना खाते हुए कोई ऐसी बात कर देना, जिससे भाई या बहन गुदगुदा कर हंस दे. बचपन में तू कैसे कपड़े पहनती थी, कैसी सी लगती थी, बालों में तेल और दो चोटी करके स्कूल जाना, जिसके कारण तेरे फ्रेंड्स तुझे चिपकूचिपकू कहते थे. भाई तू भी कुछ कम नहीं था. याद है मुझे वो श्रुति का किस्सा , जिसके पीछे तूने मम्मीपापा से भी झूठ बोला था. तू कितना उसके पीछे पड़ा था और वो तुझे पतलू कहकर तुझे घास तक नहीं डालती थी. यही सब बातें भाईबहन के रिश्ते को यादगार बनाती है और ताउम्र हसने का मौका देती है.

7. उदासी को पल में दूर भगाते 

तुम मेरे लिए कितने कीमती हो, इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. बस इतना कह सकता हूं कि तुझे उदास देख मैं भी हो उठता हूं उदास. ऐसे में भाईबहन एकदूसरे की उदासी को दूर करने के लिए कभी उनकी पसंद की डिश बनाते हैं , तो कभी उन्हें घुमाने के बहाने उनका दिल बहलाने की कोशिश करते हैं. उनके चेहरे की उदासी को दूर करने के लिए उनके लिए गुनगुनाते हैं , क्योंकि संगीत से मन को खुशी जो मिलती है. उनके साथ खेलते हैं , साथ वक्त बिताते हैं , उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करते हैं. उन्हें कोई कुछ न कहे , और परेशान न करें इसके लिए उनके बॉडीगार्ड बनकर आगे पीछे घूमते रहते हैं. बस इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि भाई या बहन के चेहरे की उदासी दूर हो जाए और वह फिर से मुस्कुराने लगे.  इस तरह भाईबहन का रिश्ता बहुत अनमोल होता है, जिसकी हमेशा कद्र करनी चाहिए.

बिग बॉस OTT फेम जिया शंकर के ये लुक्स रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट

टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस ओटीटी 2 की फेम जिया शंकर किसी पहचान की मौहताज नहीं है. जिया मराठी फिल्म वेद में रितेश देशमुख के साथ नजर आई थीं. जिया शंकर अपने फैशन और ड्रेसिंग सेंस के लिए जानी जाती हैं। जिया सिंपल आउटफिट में ग्लैमर से चार चांद लगा देती हैं.

रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं बिग बॉस OTT फेम जिया शंकर के ये लुक्स रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट है.

  1. मस्टर्ड बनारसी प्रिंट लहंगा

रक्षाबंधन पर महिलाएं हॉट ट्रेडिशनल आउटफिट को लेकर काफी कन्फ्यूज रहती है. रक्षाबंधन पर क्या पहने यहीं चिंता बनी रहती है, लेकिन अब कंफ्यूज नहीं होना. बिग बॉस ओटीटी 2 फेम जिया शंकर का ये लुक आप भी ट्राई करें। ‌ मस्टर्ड बनारसी लहंगे में महिलाएं काफी सुंदर लगेंगी.

 

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2. व्हाइट फ्लोरल लहंगा

रक्षाबंधन पर सबसे हटके दिखने के लिए आप जिया शंकर का व्हाइट ब्लॉक फ्लोरल प्रिंट लहंगा ट्राई कर सकते हैं. इस लुक में लड़कियां बेहद खूबसूरत दिखेंगी. इस लुक में आप‌ न्यूड मेकअप के साथ बोल्ड लिपस्टिक ट्राई करें जिसमें आप बेहद ग्लैमरस नजर आएंगी.

 

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3. Beige कलर साड़ी

ट्रेडिशनल लुक में साड़ी साड़ी बहुत ही खूबसूरत लगती है. साड़ी लुक में लड़कियां एकदम हॉट और ग्लैमरस दिखती है। इस रक्षाबंधन पर जिया का यह साड़ी वाला लुक आप जरूर ट्राई करें. ‌ बेज (Beige) कलर बहुत ही प्यार और लाइट होता है. गर्ल्स के लिए Beige कलर की साड़ी रक्षाबंधन पर सबसे बेस्ट ऑप्शन है.

 

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4. चिकनकारी सी ग्रीन लहंगा

चिकनकारी लहंगा और सूट काफी ट्रेडिंग में है. आमतौर पर महिलाओं में चिकनकारी लहंगा या सूट का इस समय काफी क्रेज है. जिया शंकर का यह है चिकनकारी सी ग्रीन लहंगा इस रक्षाबंधन पर आप भी जरूर ट्राई करें.

 

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5. ऑरेंज लहंगा

इस फेस्टिवल पर जिया शंकर का यह ऑरेंज लहंगा एकदम परफेक्ट है. राखी पर इंडियन ट्रेडिशनल लुक के लिए यह लहंगा बहुत ही प्यारा है. जिया का ये लुक रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट है. ऑरेंज लहंगा में आप बेहद ब्यूटीफुल नजर आएंगे.

 

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रक्षाबंधन पर ड्रेस के साथ ज्वेलरी कैरी करें कुछ ऐसे

भाई-बहनों का त्यौहार रक्षाबंधन देशभर में बड़े धूमधाम से हर साल मनाया जाता है. इस त्यौहार पर बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. ये त्यौहार भाई – बहन के बीच के रिश्ते को अधिक मजबूत और प्यारा बनाती है. जहां एक तरफ बेस्ट राखी खरीदने को लेकर बहनें पहले से ही मार्केट में खोजना शुरू कर देती हैं, वहीं अपने आउटफिट और लुक को लेकर भी बहुत कन्फ्यूज रहती हैं. इस बारें में महालक्ष्मी ज्वेलर्स के स्टाइलिश विवेक अग्रवाल कहते है कि इस बार इस त्यौहार को कुछ अलग और यादगार बनाने के लिए ऐसे स्टाइलिंग आइडियाज शेयर कर रहे हैं, जिससे उस दिन आपकी लुक होगी एकदम अलग और खूबसूरत.

वे आगे कहते है कि रक्षाबंधन पर ड्रेस और ज्वेलरी को लेकर कन्फ्यूज होने की जरुरत नहीं है, इन टिप्स को आप आसानी से फोलो कर सकती है.

  1. बनारसी साड़ी के साथ गोल्ड ज्वेलरी  

रक्षाबंधन पर मैरिड विमन्स अधिकतर साड़ी पहनना पसंद करती हैं, जिसके साथ ज्वेलरी पर खास ध्यान देना चाहिए, जो आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. अगर आप अपने लिए बनारसी साड़ी चुन रही हैं, तो इसके साथ प्योर गोल्ड चोकर नेकलेस सबसे बढ़िया लगते हैं. कान में झुमकी और मांगटीका लुक को कम्पलीट कर देगा.

2. नेट की साड़ी के साथ डायमंड ज्वेलरी

रक्षाबंधन पर नेट की साड़ी पहनना एक बढ़िया ऑप्शन है. इस फैब्रिक की साड़ी के साथ आप डायमंड नेकलेस आराम से मैच कर सकती हैं. लाइट वेट हीरे के हार के साथ आप मैचिंग अमेरिकन डायमंड ईयररिंग्स, मांगटीका और ब्रेसलेट पेअर कर सकती हैं. इसका खास ध्यान रखें कि हर एक ज्वेलरी पीस का स्टाइल एक जैसा हो.

3. गोल्ड ज्वेलरी के ट्रेंडी डिजाइन्स भी करें ट्राई

आज के दौर की लड़कियों को अक्सर पीले रंग की गोल्ड जवेलरी पहनना आउट ऑफ फैशन लगता है. ऐसे में कुंदन डिजाइन वाले नेकलेस भी खरीद सकती हैं. इसे सिर्फ रक्षाबंधन पर ही नहीं, बल्कि दूसरे फेस्टिवल पर भी एथनिक आउटफिट के साथ आराम से मैच कर सकती हैं.

4. शॉर्ट कुर्ती और पैंट्स के साथ कलरफुल आर्टिफिशियल जवेलरी

गर्मी का मौसम है और ऐसे में अगर आप एकदम कम्फर्टेबल क्लोद्स कैरी करना चाहती हैं, तो शॉर्ट कुर्ती से बढ़िया ऑप्शन नहीं हो सकता. रक्षाबंधन पर पहनने के लिए हल्के फ्लोरल प्रिंट वाले कॉटन कुर्ते के साथ आर्टिफिशियल स्टोनवर्क ज्वेलरी कैरी किया जा सकता है. स्टोन्स वाले नेकलेस और ईयररिंग्स के कई बढ़िया कलर कॉम्बिनेशन मार्केट में भी मिल जाते हैं.

5. चिकनकारी सूट और पेंडेंट नेकलेस

अगर आपका बजट हेवी ज्वेलरी खरीदने का नहीं है, तो आप पेंडेंट नेकलेस भी ले सकती हैं. जिसके साथ आपको ज्यादातर लटकन ईयररिंग्स मिलते हैं, जिन्हें आप चिकनकारी सूट या इंडो-वेस्टर्न के साथ भी कैरी कर सकती हैं. मिड लेंथ के ये नेकलेस काफी सुंदर और अलग लुक देते हैं.

6. इंडो-वेस्टर्न के साथ ज्वेलरी

इस रक्षाबंधन पर अगर आप इंडो-वेस्टर्न आउटफिट पहन रही हैं, तो इसके साथ  लॉन्ग गोल्ड चेन नेकलेस कैरी कर सकती हैं. ये आपके लुक को परफेक्ट बना देगा. अगर आप लुक को थोड़ा हैवी रखना चाहती हैं, तो लेयर्ड सेट ले सकती हैं.

7. आउटफिट के अनुसार रखें सिंपल ज्वेलरी

गोल्ड ज्वेलरी हो या आर्टिफिशियल, इसे पहनते वक्त इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आप जितना अपने लुक को सिंपल रखेंगी, उतना लोगों का ध्यान आपकी तरफ रहेगा. साड़ी, सूट या इंडो-वेस्टर्न कुछ भी हो, लेकिन त्यौहार पर हल्की ज्वेलरी ही आपके लुक को एन्हान्स करती है.

Raksha Bandhan: इस राखी पर बच्चों की भावनाओं को दे प्राथमिकता कुछ ऐसे

मुझे अभी भी याद आता है, जब मैं अपने घर पर तैयार हो रही थी, क्योंकि मुझे माँ के पास भाई को राखी बाँधने जाना था. मैंने बेटे रोहन को जल्दी तैयार किया और जाने की तैयारी करने लगी, तभी माँ का फ़ोन आता है कि आते हुए रास्ते से मिठाई लेते आना, क्योंकि रिया आज आ रही है. उसके पास समय नहीं होगा. माँ की ये बात सुनकर सीमा को पहले गुस्सा आया,  उसके नजदीक रहने की वजह से माँ हर काम उसे ही सौंप देती है. जबकि वह भी मुंबई में पली-बड़ी है, उसे भी सब मालूम होगा.दो बहनों के भाई राजीव को रक्षाबन्धन पर  दोनों बहने राखी बांधती है, बचपन में सभी साथ थे, लेकिन बड़े होने पर सभी अलग हो गए, लेकिन राजीव से बड़ी बहन सीमा और उससे छोटी बहन रिया की शादी होने पर वे अपने ससुराल चले गए. सीमा मुंबई में रहती है, इसलिए भाई को राखी बाँधने हर साल आती है, जबकि रिया दुबई में रहती है,पर राखी पर आने की हमेशा कोशिश करती है.

भावनाओं को महत्व देती त्यौहार

हमारे देश में वैसे तो कई खुशियों के त्यौहार होते है, लेकिन राखी उनमे सबसे अधिक खुशियाँ देता है. इस त्यौहार में भाई-बहन के रिश्ते को एक रेशम की डोरी के द्वारा भावनाओं को गहराई में उतरने का मौका मिलता है. सावन का महीना वैसे भी साज-श्रृंगार और प्यार-अनुराग का प्रतीक होता है, ऐसे में यह त्यौहार सभी भाई-बहनों के दिल में उमंग भर देता है. इस त्यौहार पर बहने भाई को ऐसी राखियाँ बांधे, जो उनके जीवन को प्रेरित करें, क्योंकि इस बार राखीप्यार, विश्वास, मुस्कान, स्वतंत्रता और क्षमा की. इसमें एकाकी होते परिवार में भूमिका होती है, पेरेंट्स की, जो इस रिश्ते को सालों साल मजबूत बनाए रखने की दिशा में अहम भूमिका निभाते है.

समझे बच्चों को

इस बारें मेंसाइकोलोजिस्ट राशिदा कपाडिया कहती है कि बच्चे के जन्म के बाद से माता-पिता की जरुरत होती है. माता-पिता का प्यार बच्चे को मिलते रहते है, उस प्यार की जरुरत उसे हमेशा रहती है, लेकिन एक बच्चे के बाद जब उन्हें दूसरा बच्चा होता है, तो उनके अंदर हमेशा यही डर रहता है कि अब मेरा प्यार बट जाएगा. जाने अनजाने में पेरेंट्स भी छोटे बच्चे पर अधिक ध्यान रखते है. माता-पिता को बच्चे की भावना को समझना जरुरी है. भाई और बहन के बीच में प्यार का बंटवारा होने पर, या दोनों में से किसी एक के दूर चले जाने पर, जो बच्चा दूर होता है, उसके आने पर पेरेंट्स का ध्यान उस बच्चे पर अधिक जाता है. हालाँकि ये स्वाभाविक है, क्योंकि हमेशा वे उससे मिल नहीं पाते. इसलिए वे उस बच्चे की पैम्परिंग अधिक करते है, उनकी पसंद, नापसंद का ख्याल रखते है, ये नैचुरल होने पर भी दूसरी बहन या भाई जो पेरेंट्स के पास रहते है, जो पेरेंट्स का अधिक ध्यान नजदीक रहने की वजह से रखते है, उनके मन में थोड़ी खटास आ जाती है. वे सोचते है कि मेरे पेरेंट्स मुझसे अधिक दूसरे भाई या बहन को प्यार दे रहे है, उनकी किसी गलतियों को नजरंदाज कर रहे है, जबकि नजदीक रहने वाले बच्चे की थोड़ी गलती को वे नजरंदाज नहीं कर पाते, लेकिन जरुरत के समय दूर रहने वाले बच्चे किसी काम के नहीं होते.

आर्थिक रूप से संपन्न बच्चे

इसके आगे राशिदा कहती है कि ऐसा अधिक पैसे वाले बच्चे के साथ भी होता है. तीनों बच्चों में जो बेटी धनी है, उसका ध्यान भी पेरेंट्स अधिक रखते है, क्योंकि जरुरत की महंगी चीजे वही दे सकते है, भले ही वे देर से क्यों न दे. इससे बच्चे के अंदर इर्ष्या की भावना पैदा होती है. दोनों बच्चों को समान रूप से ध्यान देना जरुरी है. वह नहीं मिलने पर भाई या बहन हर्ट फील करते है.

तुलना न करें

साइकोलोजिस्ट राशिदा आगे कहती है कियहाँ यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि बड़े बच्चों के शादी हो जाने पर उनके बच्चे भी होते है, जो अपने माता-पिता के प्रति उनके पेरेंट्स का व्यवहार नजदीक से देखते है. अब वे ग्रैंड पेरेंट्स बन चुके होते है, ऐसे में बच्चों को अपने दादा-दादी या नाना-नानी के व्यवहार पसंद नहीं आते. एक दूसरे के बीच तुलना उनके बच्चों को पसंद नहीं होता.इसपर ध्यान न देने पर परिवार की एक ट्रेडिशन बन जाती है, जो ठीक नहीं. जबकि आज बच्चे बहुत अकेले और सोशल मीडिया की दुनिया में व्यस्त होते है, जहाँ उन्हें परिवार, रिश्ते आदि का महत्व कम होता है.

Rakhsa Bandhan:एक विश्वास था- अमर ने क्यों निभाया बड़े भाई का फर्ज

मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा था. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई.

‘अमर विश्वास’ एक ऐसा नाम जिसे मिले मुझे वर्षों बीत गए थे. मैं ने लिफाफा खोला तो उस में 1 लाख डालर का चेक और एक चिट्ठी थी. इतनी बड़ी राशि वह भी मेरे नाम पर. मैं ने जल्दी से चिट्ठी खोली और एक सांस में ही सारा पत्र पढ़ डाला. पत्र किसी परी कथा की तरह मुझे अचंभित कर गया. लिखा था :

आदरणीय सर, मैं एक छोटी सी भेंट आप को दे रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि आप के एहसानों का कर्ज मैं कभी उतार पाऊंगा. ये उपहार मेरी अनदेखी बहन के लिए है. घर पर सभी को मेरा प्रणाम.

आप का, अमर.

मेरी आंखों में वर्षों पुराने दिन सहसा किसी चलचित्र की तरह तैर गए.

एक दिन मैं चंडीगढ़ में टहलते हुए एक किताबों की दुकान पर अपनी मनपसंद पत्रिकाएं उलटपलट रहा था कि मेरी नजर बाहर पुस्तकों के एक छोटे से ढेर के पास खड़े एक लड़के पर पड़ी. वह पुस्तक की दुकान में घुसते हर संभ्रांत व्यक्ति से कुछ अनुनयविनय करता और कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर वापस अपनी जगह पर जा कर खड़ा हो जाता. मैं काफी देर तक मूकदर्शक की तरह यह नजारा देखता रहा. पहली नजर में यह फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों द्वारा की जाने वाली सामान्य सी व्यवस्था लगी, लेकिन उस लड़के के चेहरे की निराशा सामान्य नहीं थी. वह हर बार नई आशा के साथ अपनी कोशिश करता, फिर वही निराशा.

मैं काफी देर तक उसे देखने के बाद अपनी उत्सुकता दबा नहीं पाया और उस लड़के के पास जा कर खड़ा हो गया. वह लड़का कुछ सामान्य सी विज्ञान की पुस्तकें बेच रहा था. मुझे देख कर उस में फिर उम्मीद का संचार हुआ और बड़ी ऊर्जा के साथ उस ने मुझे पुस्तकें दिखानी शुरू कीं. मैं ने उस लड़के को ध्यान से देखा. साफसुथरा, चेहरे पर आत्मविश्वास लेकिन पहनावा बहुत ही साधारण. ठंड का मौसम था और वह केवल एक हलका सा स्वेटर पहने हुए था. पुस्तकें मेरे किसी काम की नहीं थीं फिर भी मैं ने जैसे किसी सम्मोहन से बंध कर उस से पूछा, ‘बच्चे, ये सारी पुस्तकें कितने की हैं?’

‘आप कितना दे सकते हैं, सर?’

‘अरे, कुछ तुम ने सोचा तो होगा.’

‘आप जो दे देंगे,’ लड़का थोड़ा निराश हो कर बोला.

‘तुम्हें कितना चाहिए?’ उस लड़के ने अब यह समझना शुरू कर दिया कि मैं अपना समय उस के साथ गुजार रहा हूं.

‘5 हजार रुपए,’ वह लड़का कुछ कड़वाहट में बोला.

‘इन पुस्तकों का कोई 500 भी दे दे तो बहुत है,’ मैं उसे दुखी नहीं करना चाहता था फिर भी अनायास मुंह से निकल गया.

अब उस लड़के का चेहरा देखने लायक था. जैसे ढेर सारी निराशा किसी ने उस के चेहरे पर उड़ेल दी हो. मुझे अब अपने कहे पर पछतावा हुआ. मैं ने अपना एक हाथ उस के कंधे पर रखा और उस से सांत्वना भरे शब्दों में फिर पूछा, ‘देखो बेटे, मुझे तुम पुस्तक बेचने वाले तो नहीं लगते, क्या बात है. साफसाफ बताओ कि क्या जरूरत है?’

वह लड़का तब जैसे फूट पड़ा. शायद काफी समय निराशा का उतारचढ़ाव अब उस के बरदाश्त के बाहर था.

‘सर, मैं 10+2 कर चुका हूं. मेरे पिता एक छोटे से रेस्तरां में काम करते हैं. मेरा मेडिकल में चयन हो चुका है. अब उस में प्रवेश के लिए मुझे पैसे की जरूरत है. कुछ तो मेरे पिताजी देने के लिए तैयार हैं, कुछ का इंतजाम वह अभी नहीं कर सकते,’ लड़के ने एक ही सांस में बड़ी अच्छी अंगरेजी में कहा.

‘तुम्हारा नाम क्या है?’ मैं ने मंत्रमुग्ध हो कर पूछा.

‘अमर विश्वास.’

‘तुम विश्वास हो और दिल छोटा करते हो. कितना पैसा चाहिए?’

‘5 हजार,’ अब की बार उस के स्वर में दीनता थी.

‘अगर मैं तुम्हें यह रकम दे दूं तो क्या मुझे वापस कर पाओगे? इन पुस्तकों की इतनी कीमत तो है नहीं,’ इस बार मैं ने थोड़ा हंस कर पूछा.

‘सर, आप ने ही तो कहा कि मैं विश्वास हूं. आप मुझ पर विश्वास कर सकते हैं. मैं पिछले 4 दिन से यहां आता हूं, आप पहले आदमी हैं जिस ने इतना पूछा. अगर पैसे का इंतजाम नहीं हो पाया तो मैं भी आप को किसी होटल में कपप्लेटें धोता हुआ मिलूंगा,’ उस के स्वर में अपने भविष्य के डूबने की आशंका थी.

उस के स्वर में जाने क्या बात थी जो मेरे जेहन में उस के लिए सहयोग की भावना तैरने लगी. मस्तिष्क उसे एक जालसाज से ज्यादा कुछ मानने को तैयार नहीं था, जबकि दिल में उस की बात को स्वीकार करने का स्वर उठने लगा था. आखिर में दिल जीत गया. मैं ने अपने पर्स से 5 हजार रुपए निकाले, जिन को मैं शेयर मार्किट में निवेश करने की सोच रहा था, उसे पकड़ा दिए. वैसे इतने रुपए तो मेरे लिए भी माने रखते थे, लेकिन न जाने किस मोह ने मुझ से वह पैसे निकलवा लिए.

‘देखो बेटे, मैं नहीं जानता कि तुम्हारी बातों में, तुम्हारी इच्छाशक्ति में कितना दम है, लेकिन मेरा दिल कहता है कि तुम्हारी मदद करनी चाहिए, इसीलिए कर रहा हूं. तुम से 4-5 साल छोटी मेरी बेटी भी है मिनी. सोचूंगा उस के लिए ही कोई खिलौना खरीद लिया,’ मैं ने पैसे अमर की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

अमर हतप्रभ था. शायद उसे यकीन नहीं आ रहा था. उस की आंखों में आंसू तैर आए. उस ने मेरे पैर छुए तो आंखों से निकली दो बूंदें मेरे पैरों को चूम गईं.

‘ये पुस्तकें मैं आप की गाड़ी में रख दूं?’

‘कोई जरूरत नहीं. इन्हें तुम अपने पास रखो. यह मेरा कार्ड है, जब भी कोई जरूरत हो तो मुझे बताना.’

वह मूर्ति बन कर खड़ा रहा और मैं ने उस का कंधा थपथपाया, कार स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी.

कार को चलाते हुए वह घटना मेरे दिमाग में घूम रही थी और मैं अपने खेले जुए के बारे में सोच रहा था, जिस में अनिश्चितता ही ज्यादा थी. कोई दूसरा सुनेगा तो मुझे एक भावुक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं समझेगा. अत: मैं ने यह घटना किसी को न बताने का फैसला किया.

दिन गुजरते गए. अमर ने अपने मेडिकल में दाखिले की सूचना मुझे एक पत्र के माध्यम से दी. मुझे अपनी मूर्खता में कुछ मानवता नजर आई. एक अनजान सी शक्ति में या कहें दिल में अंदर बैठे मानव ने मुझे प्रेरित किया कि मैं हजार 2 हजार रुपए उस के पते पर फिर भेज दूं. भावनाएं जीतीं और मैं ने अपनी मूर्खता फिर दोहराई. दिन हवा होते गए. उस का संक्षिप्त सा पत्र आता जिस में 4 लाइनें होतीं. 2 मेरे लिए, एक अपनी पढ़ाई पर और एक मिनी के लिए, जिसे वह अपनी बहन बोलता था. मैं अपनी मूर्खता दोहराता और उसे भूल जाता. मैं ने कभी चेष्टा भी नहीं की कि उस के पास जा कर अपने पैसे का उपयोग देखूं, न कभी वह मेरे घर आया. कुछ साल तक यही क्रम चलता रहा. एक दिन उस का पत्र आया कि वह उच्च शिक्षा के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा है. छात्रवृत्तियों के बारे में भी बताया था और एक लाइन मिनी के लिए लिखना वह अब भी नहीं भूला.

मुझे अपनी उस मूर्खता पर दूसरी बार फख्र हुआ, बिना उस पत्र की सचाई जाने. समय पंख लगा कर उड़ता रहा. अमर ने अपनी शादी का कार्ड भेजा. वह शायद आस्ट्रेलिया में ही बसने के विचार में था. मिनी भी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी. एक बड़े परिवार में उस का रिश्ता तय हुआ था. अब मुझे मिनी की शादी लड़के वालों की हैसियत के हिसाब से करनी थी. एक सरकारी उपक्रम का बड़ा अफसर कागजी शेर ही होता है. शादी के प्रबंध के लिए ढेर सारे पैसे का इंतजाम…उधेड़बुन…और अब वह चेक?

मैं वापस अपनी दुनिया में लौट आया. मैं ने अमर को एक बार फिर याद किया और मिनी की शादी का एक कार्ड अमर को भी भेज दिया.

शादी की गहमागहमी चल रही थी. मैं और मेरी पत्नी व्यवस्थाओं में व्यस्त थे और मिनी अपनी सहेलियों में. एक बड़ी सी गाड़ी पोर्च में आ कर रुकी. एक संभ्रांत से शख्स के लिए ड्राइवर ने गाड़ी का गेट खोला तो उस शख्स के साथ उस की पत्नी जिस की गोद में एक बच्चा था, भी गाड़ी से बाहर निकले.

मैं अपने दरवाजे पर जा कर खड़ा हुआ तो लगा कि इस व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है. उस ने आ कर मेरी पत्नी और मेरे पैर छुए.

‘‘सर, मैं अमर…’’ वह बड़ी श्रद्धा से बोला.

मेरी पत्नी अचंभित सी खड़ी थी. मैं ने बड़े गर्व से उसे सीने से लगा लिया. उस का बेटा मेरी पत्नी की गोद में घर सा अनुभव कर रहा था. मिनी अब भी संशय में थी. अमर अपने साथ ढेर सारे उपहार ले कर आया था. मिनी को उस ने बड़ी आत्मीयता से गले लगाया. मिनी भाई पा कर बड़ी खुश थी.

अमर शादी में एक बड़े भाई की रस्म हर तरह से निभाने में लगा रहा. उस ने न तो कोई बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर डाली और न ही मेरे चाहते हुए मुझे एक भी पैसा खर्च करने दिया. उस के भारत प्रवास के दिन जैसे पंख लगा कर उड़ गए.

इस बार अमर जब आस्ट्रेलिया वापस लौटा तो हवाई अड्डे पर उस को विदा करते हुए न केवल मेरी बल्कि मेरी पत्नी, मिनी सभी की आंखें नम थीं. हवाई जहाज ऊंचा और ऊंचा आकाश को छूने चल दिया और उसी के साथसाथ मेरा विश्वास भी आसमान छू रहा था.

मैं अपनी मूर्खता पर एक बार फिर गर्वित था और सोच रहा था कि इस नश्वर संसार को चलाने वाला कोई भगवान नहीं हमारा विश्वास ही है.

Raksha Bandhan: इस रक्षा बंधन पर अपनी बहन को दें ये खास गिफ्ट

अक्सर ये देखा जाता है कि रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों को गिफ्ट्स दे कर खुश करने की कोशिश करते हैं और जब भाईयों को कुछ समझ नही आता कि उन्हे क्या देना चाहिए तो वे उन्हे कैश दे देते हैं ताकि उन्हे जो पसंद हो वे खुद लें. हर भाई चाहता है कि वे अपनी बहन को हमेशा खुश रख सके और बहनों की खुशी के लिए वे हर वो चीज़ सोचते है जो कोई और नही सोच सकता.

ज्यादातर लोग रक्षा बंधन के दिन अपनी बहनों के लिए या तो चौक्लेट्स खरीदते हैं या फिर कुछ मिठाइयां. आज हम आपको बताएंगे कि अपनी बहनों को क्या गिफ्ट देना चाहिए जिससे कि उनके चहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ सके.

1. इयरिंग्स करें गिफ्ट

एसा देखा जाता है कि लड़कियां छोटी-छोटी चीजों से काफी खुश हो जाती हैं और ज्यादा तब जब वो चीज़ उनका खुद का भाई ले कर आए. लड़कियों को ज्वैलरी पहनने का बहुत शौक होता है और खासकर इयरिंग्स पहनना. इस रक्षा बंधन आप भी अपनी बहनों को इयरिंग्स गिफ्ट कर खुश कर सकते हैं.

 

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2. कस्टमाइज्ड टी-शर्ट है ट्रेंड

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आजकल लड़कियों को टी-शर्ट पहनना बेहद अच्छा लगता है और खासकर तब तब टी-शर्ट पर उनके मन पसंद का कुछ लिखा हो. जी हां अब एसी बहुत सी वेब-साइट्स और दुकानों पर इस तरह की सुविधा उप्लब्ध है जहां आप अपनी मर्ज़ी का डिज़ाईन या टैक्सट टी-शर्ट पर लिखवा सकते हैं. तो आप इस रक्षा बंधन अपनी बहन के पसंदीदा डिज़ाईन और टैक्सट के अनुसार उन्हे टी-शर्ट गिफ्ट कर सकते हैं.

3. कौस्मेटिक आइटम्स रहेगा बेस्ट औप्शन

 

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हर उम्र की महिला को मेक-अप करने का शौक जरूर होता है फिर चाहे वे आपकी बहन हो या पत्नी. महिलाओं के अनुसार मेक-अस उनकी सुंदरता को और निखार देता है तभी उन्हे मेक-अप करना बहुत अच्छा लगता है. इस रक्षाबंधन अपनी बहन को उनकी पसंदीदा मेक-अप किट या कौस्मेटिक आइटम्स गिफ्ट कर सकते हैं.

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4. फिटनेस बैंड से रहेगी हेल्थ फिट

आजकल हर कोई अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखता है फिर चाहे वे पुरूष हो या महिलाएं. स्मार्ट वौच और फिटनेस बैंड के जरिए हम कहीं भी अपनी हेल्थ की जानकारी रख सकते है. इस बैंड के जरिए हम अपनी ‘हार्ट-बीट’, ‘कैलरीज’ ‘कार्डियो स्टैप्स’ जैसी बहुत सी चीज़े देख सकते हैं. तो अगर आपकी बहन भी है फिटनेस फ्रीक और अपनी हेल्थ का काफी ध्यान रखती हैं तो उन्हे फिटनेस बैंड जैसा गिफ्ट जरूर दें.

Raksha Bandhan: राखी का उपहार

इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

‘‘आप को सभी की फिक्र है पर अपने घर को आप ने कभी देखा है?’’ अचानक ही नेहा मुखर हो उठी थी, ‘‘भैया, कभी फुरसत के 2 पल निकाल कर भाभी की तरफ तो देखो. क्या उन की सूनी आंखें आप से कुछ पूछती नहीं हैं?’’

‘‘ओह, तो यह बात है. उस ने जरूर तुम से मेरी चुगली की है. जो कुछ कहना था मुझ से कहती, तुम्हें क्यों मोहरा बनाया?’’

‘‘न भैया न, ऐसा न कहो,’’ नेहा का दर्द भरा स्वर उभरा, ‘‘बस, उन का निस्तेज चेहरा और सूनी आंखें देख कर ही मुझे उन के दर्द का एहसास हुआ. उन्होंने मुझ से कुछ नहीं कहा.’’ फिर वह मुझ से पूछने लगी, ‘‘बड़े मनोयोग से तिनकातिनका जोड़ कर अपनी गृहस्थी को सजाती और संवारती भाभी के प्रति क्या आप ने कभी कोई उत्साह दिखाया है? आप को याद होगा, जब भाभी शादी कर के इस परिवार में आई थीं, तो हंसना, खिलखिलाना, हाजिरजवाबी सभी कुछ उन के स्वभाव में कूटकूट कर भरा था. लेकिन आप के शुष्क स्वभाव से सब कुछ दबता चला गया.

‘‘भैया आप अपनी भावनाओं के प्रदर्शन में इतने अनुदार क्यों हो जबकि यह तो भाभी का हक है?’’

‘‘हक… उसे हक देने में मैं ने कभी कोई कोताही नहीं बरती,’’ मैं उस समय अपना आपा खो बैठा था, ‘‘क्या कमी है स्वाति को? नौकरचाकर, बड़ा घर, ऐशोआराम के सभी सामान क्या कुछ नहीं है उस के पास. फिर भी वह…’’

‘‘अपने मन की भावनाओं का प्रदर्शन शायद आप को सतही लगता हो, लेकिन भैया प्रेम की अभिव्यक्ति भी एक औरत के लिए जरूरी है.’’

‘‘पर नेहा, क्या तुम यह चाहती हो कि मैं अपना सारा काम छोड़ कर स्वाति के पल्लू से जा बंधूं? अब मैं कोई दिलफेंक आशिक नहीं हूं, बल्कि ऐसा प्रौढ हूं जिस से अब सिर्फ समझदारी की ही अपेक्षा की जा सकती है.’’ ‘‘पर भैया मैं यह थोड़े ही न कह रही हूं कि आप अपना सारा कामधाम छोड़ कर बैठ जाओ. बल्कि मेरा तो सिर्फ यह कहना है कि आप अपने बिजी शैड्यूल में से थोड़ा सा वक्त भाभी के लिए भी निकाल लो. भाभी को आप का पूरा नहीं बल्कि थोड़ा सा समय चाहिए, जब आप उन की सुनें और कुछ अपनी कहें. ‘‘सराहना, प्रशंसा तो ऐसे टौनिक हैं जिन से शादीशुदा जीवन फलताफूलता है. आप सिर्फ उन छोटीछोटी खुशियों को समेट लो, जो अनायास ही आप की मुट्ठी से फिसलती जा रही हैं. कभी शांत मन से उन का दिल पढ़ कर तो देखो, आप को वहां झील सी गहराई तो मिलेगी, लेकिन चंचल नदी सा अल्हड़पन नदारद मिलेगा.’’

अचानक ही वह मेरे नजदीक आ गई और उस ने चुपके से कल की पिक्चर के 2 टिकट मुझे पकड़ा दिए. फिर भरे मन से बोली, ‘‘भैया, इस से पहले कि भाभी डिप्रेशन में चली जाएं संभाल लो उन को.’’ ‘‘पर नेहा, मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा कि वह इतनी खिन्न, इतनी परेशान है,’’ मैं अभी भी नेहा की बात मानने को तैयार नहीं था.

‘‘भैया, ऊपरी तौर पर तो भाभी सामान्य ही लगती हैं, लेकिन आप को उन का सूना मन पढ़ना होगा. आप जिस सुख और वैभव की बात कर रहे हो, उस का लेशमात्र भी लोभ नहीं है भाभी को. एक बार उन की अलमारी खोल कर देखो, तो आप को पता चलेगा कि आप के दिए हुए सारे महंगे उपहार ज्यों के त्यों पड़े हैं और कुछ उपहारों की तो पैकिंग भी नहीं खुली है. उन्होंने आप के लिए क्या नहीं किया. आप को और आप के बेटों अंशु व नमन को शिखर तक पहुंचाने में उन का योगदान कम नहीं रहा. मांबाबूजी और मेरे प्रति अपने कर्तव्यों को उन्होंने बिना शिकायत पूरा किया, तो आप अपने कर्तव्य से विमुख क्यों हो रहे हैं?’’

‘‘पर पगली, पहले तू यह तो बता कि इतने ज्ञान की बातें कहां से सीख गई? तू तो अब तक एक अल्हड़ और बेपरवाह सी लड़की थी,’’ मैं नेहा की बातों से अचंभे में था.

‘‘क्यों भैया, क्या मैं शादीशुदा नहीं हूं. मेरा भी एक सफल गृहस्थ जीवन है. समर का स्नेहिल साथ मुझे एक ऊर्जा से भर देता है. सच भैया, उन की एक प्यार भरी मुसकान ही मेरी सारी थकान दूर कर देती है,’’ इतना कहतेकहते नेहा के गाल शर्म से लाल हो गए थे. ‘‘अच्छा, ये सब छोड़ो भैया और जरा मेरी बातों पर गौर करो. अगर आप 1 कदम भी उन की तरफ बढ़ाओगे तो वे 10 कदम बढ़ा कर आप के पास आ जाएंगी.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, अब बस भी कर. मुझे औफिस जाने दे, लेट हो रहा हूं मैं,’’ इतना कह कर मैं तेजी से बाहर निकल गया था. वैसे तो मैं सारा दिन औफिस में काम करता रहा पर मेरा मन नेहा की बातों में ही उलझा रहा. फिर घर लौटा तो यही सब सोचतेसोचते कब मेरी आंख लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मैं उसी आरामकुरसी पर सिर टिकाएटिकाए सो गया.

‘‘भैया ये लो चाय की ट्रे और अंदर जा कर भाभी के साथ चाय पीओ,’’ नेहा की इस आवाज से मेरी आंख खुलीं.

‘‘तू भी अपना कप ले आ, तीनों एकसाथ ही चाय पिएंगे,’’ मैं आंखें मलता हुआ बोला.

‘‘न बाबा न, मुझे कबाब में हड्डी बनने का कोई शौक नहीं है,’’ इतना कह कर वह मुझे चाय की ट्रे थमा कर अंदर चली गई. जब मैं ट्रे ले कर स्वाति के पास पहुंचा तो मुझे अचानक देख कर वह हड़बड़ा गई, ‘‘आप चाय ले कर आए, मुझे जगा दिया होता. और नेहा को भी चाय देनी है, मैं दे कर आती हूं,’’ कह कर वह बैड से उठने लगी तो मैं उस से बोला, ‘‘मैडम, इतनी परेशान न हो, नेहा भी चाय पी रही है.’’ फिर मैं ने चाय का कप उस की तरफ बढ़ा दिया. चाय पीते वक्त जब मैं ने स्वाति की तरफ देखा तो पाया कि नेहा सही कह रही है. हर समय हंसती रहने वाली स्वाति के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी, जिसे मैं आज तक या तो देख नहीं पाया था या उस की अनदेखी करता आया था. जितनी देर में हम ने चाय खत्म की, उतनी देर तक स्वाति चुप ही रही.

‘‘अच्छा भाई. अब आप दोनों जल्दीजल्दी नहाधो कर तैयार हो जाओ, नहीं तो आप लोगों की मूवी मिस हो जाएगी,’’ नेहा आ कर हमारे खाली कप उठाते हुए बोली.

‘‘लेकिन नेहा, तुम तो बिलकुल अकेली रह जाओगी. तुम भी चलो न हमारे साथ,’’ मैं उस से बोला.

‘‘न बाबा न, मैं तो आप लोगों के साथ बिलकुल भी नहीं चल सकती क्योंकि मेरा तो अपने कालेज की सहेलियों के साथ सारा दिन मौजमस्ती करने का प्रोग्राम है. और हां, शायद डिनर भी बाहर ही हो जाए.’’ फिर नेहा और हम दोनों तैयार हो गए. नेहा को हम ने उस की सहेली के यहां ड्रौप कर दिया फिर हम लोग पिक्चर हौल की तरफ बढ़ गए.

‘‘कुछ तो बोलो. क्यों इतनी चुप हो?’’ मैं ने कार ड्राइव करते समय स्वाति से कहा पर वह फिर भी चुप ही रही. मैं ने सड़क के किनारे अपनी कार रोक दी और उस का सिर अपने कंधे पर टिका दिया. मेरे प्यार की ऊष्मा पाते ही स्वाति फूटफूट कर रो पड़ी और थोड़ी देर रो लेने के बाद जब उस के मन का आवेग शांत हुआ, तब मैं ने अपनी कार पिक्चर हौल की तरफ बढ़ा दी. मूवी वाकई बढि़या थी, उस के बाद हम ने डिनर भी बाहर ही किया. घर पहुंचने पर हम दोनों के बीच वह सब हुआ, जिसे हम लगभग भूल चुके थे. बैड के 2 सिरों पर सोने वाले हम पतिपत्नी के बीच पसरी हुई दूरी आज अचानक ही गायब हो गई थी और तब हम दोनों दो जिस्म और एक जान हो गए थे. मेरा साथ, मेरा प्यार पा कर स्वाति तो एक नवयौवना सी खिल उठी थी. फिर तो उस ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया था. हम दोनों थोड़ी देर सो कर सुबह जब उठे, तब हम दोनों ने ही एक ऐसी ताजगी को महसूस किया जिसे शायद हम दोनों ही भूल चुके थे. बारिश के गहन उमस के बाद आई बारिश के मौसम की पहली बारिश से जैसे सारी प्रकृति नवजीवन पा जाती है, वैसे ही हमारे मृतप्राय संबंध मेरी इस पहल से मानो जीवंत हो उठे थे.

रक्षाबंधन वाले दिन जब मैं ने नेहा को उपहारस्वरूप हीरे की अंगूठी दी तो वह भावविभोर सी हो उठी और बोली, ‘‘खाली इस अंगूठी से काम नहीं चलेगा, मुझे तो कुछ और भी चाहिए.’’

‘‘तो बता न और क्या चाहिए तुझे?’’ मैं मिठाई खाते हुए बोला. ‘‘इस अंगूठी के साथसाथ एक वादा भी चाहिए और वह यह कि आज के बाद आप दोनों ऐसे ही खिलखिलाते रहेंगे. मैं जब भी इंडिया आऊंगी मुझे यह घर एक घर लगना चाहिए, कोई मकान नहीं.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, आज के बाद ऐसा ही होगा,’’ इतना कह कर मैं ने उसे अपने गले से लगा लिया. मेरा मन अचानक ही भर आया और मैं भावुक होते हुए बोला, ‘‘वैसे तो रक्षाबंधन पर भाई ही बहन की रक्षा का जिम्मा लेते हैं पर यहां तो मेरी बहन मेरा उद्धार कर गई.’’ ‘‘यह जरूरी नहीं है भैया कि कर्तव्यों का जिम्मा सिर्फ भाइयों के ही हिस्से में आए. क्या बहनों का कोई कर्तव्य नहीं बनता? और वैसे भी अगर बात मायके की हो तो मैं तो क्या हर लड़की इस बात की पुरजोर कोशिश करेगी कि उस के मायके की खुशियां ताउम्र बनी रहें.’’ इतना कह कर वह रो पड़ी. तब स्वाति ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया

Raksha Bandhan: बनाएं स्वादिष्ट गुलाब जामुन

अगर आप अपनी फैमिली के लिए घर पर कोई आसान और हेल्दी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो आज हम आपको टेस्टी गुलाब जामुन की आसान रेसिपी बताएंगे.

सामग्री

काजू  (01 बडा चम्मच, बारीक कतरा हुआ)

– पिस्ता (01 बड़ा चम्मच बारीक कटा हुआ)

– खाने वाला सोडा  (1/4 छोटा चम्मच)

– इलाइची पाउडर (1/4 छोटा चम्मच

– मावा/खोया ( 300 ग्राम)

– शक्कर ( 600 ग्राम)

– मैदा (02 बड़े चम्मच)

– घी (तलने के लिये)

बनाने की विधि

– सबसे पहले एक बड़े बर्तन में मावा (खोया), खाने वाला सोडा,  इलाइची पाउडर और मैदा को मिला लें और उसे आटे की तरह गूंथ कर नरम और चिकना बना लें.

– इसके बाद इस मिश्रण को गीली कपड़े से ढक कर रख दें और चाशनी तैयार कर लें.

– चाशनी बनाने के लिए एक भगोने में शक्कर और दो बड़े कप पानी मिलाकर गैस पर चढ़ाएं.

– पानी में शक्कर घुलने के बाद उसे लगभग 10 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं.

– थोड़ी देर बाद शक्कर के घोल की दो-चार बूंदें चम्मच में निकाल कर ठण्डा करें और उंगलियों पर चिपका    कर देखें.

– अगर उंगलियों के बीच एक तार जैसा बनने लगे, तो इसका मतलब चाशनी तैयार है, अब इसे गैस से   उतार लें.

– अब गुलाब जामुन बनाने की बारी है, इसके लिए मावा (खोया) मिश्रण से थोड़ा सा मिश्रण लें और उसे     चपटा करके उसके बीच में काजू और पिस्ते के पांच-छ: टुकडें रख लें और उसे चारों ओर से बंद करके   गोल  बना लें.

– इसके बाद एक कढ़ाई में तेज आंच पर घी गर्म करें और जब घी गर्म हो जाए, तो आंच को धीमा कर दें     और उसमें गुलाब जामुन के गोले डाल कर तलें.

– इन्हें तलते समय गोलों के ऊपर कलछुल से गरम-गरम घी डालें पर ध्यान रहे कि गोलों में कलछुल न      लगे, नहीं तो उनका आकार खराब हो जाएगा.

– जब ये गोले ब्राउन कलर के हो जाएं, इन्हें घी से निकाल लें और शक्कर की चाशनी में डाल दें.

– अब आपकी गुलाब जामुन बनाने की विधि कम्प्लीट हुई.

Raksha Bandhan: डस्की स्किन के लिए ट्राय करें मेकअप टिप्स

खूबसूरत दिखने के लिए सब से जरूरी है स्वस्थ, चमकती स्किन न कि गोरा रंग. चमकती स्किन के लिए स्वस्थ जीवनशैली और खानपान, अच्छा स्वास्थ्य, गहरी नींद और मन की शांति जरूरी है.

आइए, जानें आश्मीन मुंजाल से सावंली सूरत के लिए मेकअप टिप्स:

– सब से पहले यह देखें कि आप के चेहरे पर अनचाहे बाल न रह जाएं. आइब्रोज, अपर लिप्स, लोअर लिप्स, फोरहैड, चीकबोन जैसी जगहों पर आने वाले अनचाहे बालों को साफ रखें. जरूरी लगे तो उन्हें कंसील कर लें ताकि आप का लुक उभर कर सामने आए.

– अब मेकअप शुरू करें. स्किन टोन के साथ स्किन टैक्सचर का भी ध्यान रखें. सब से पहले एक अच्छे प्राइमर के साथ शुरुआत करें. यदि स्किन में ड्राइनैस, पैचीनैस या अनइवननैस है तो ब्यूटी बाम का प्रयोग कर सकती हैं.

– प्राइमर के बाद फाउंडेशन लगाएं. (स्किन टाइप और जरूरत के हिसाब से फाउंडेशन ग्लौसी, जैल बेस्ड, एचडी या सिलीकौन लें) ध्यान रखें कि फाउंडेशन सेम स्किन टोन का ही लें. डस्की स्किन पर थोड़े भी फेयर टोन के फाउंडेशन का प्रयोग किया जाए तो स्किन चोक्ड और व्हाइट लगने लगती है.

– कंटूरिंग भी डस्की स्किन मेकअप में सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अपने चेहरे के उभारों को हाईलाइट करें और गड्ढों को भरें. इस से स्किन इवन और अट्रैक्टिव नजर आती है.

– बेस, फाउंडेशन, कंटूरिंग और ब्लशऔन के बाद लिप मेकअप करें. डस्की स्किन में लिप मेकअप के लिए ब्राउन, मरून, रैड और चैरी रैड जैसे अर्थी कलर्स या फिर कोरल कलर्स का प्रयोग करें.

– आई मेकअप पर खास ध्यान दें. स्मोकी  आईज के लिए ब्लैक ट्राई न करें, बल्कि वाइन स्मोक, ब्राउन स्मोक, गे्र स्मोक जैसे औप्शन और कोरल कलर्स ट्राई करें. फेक आईलैशेज भी ब्यूटीफुल इंडियन लुक के लिए ट्राई कर सकती हैं.

– चमकदार रंगों का प्रयोग न करें. यलो, औरेंज, नियोन जैसे कलर्स अवौइड करें. ये चटकदार रंग हैं जो सांवली सूरत पर अच्छे नहीं लगते. हलके और स्किन टोन से मैच करते रंग आप के ऊपर ज्यादा खूबसूरत लगेंगे. आप प्लम, ब्राउन, लाइट पिंक, रैड जैसे कलर्स ट्राई कर सकती हैं.

– जब बात फौर्मल लुक की हो तो बेज कलर की सिंपल शौर्ट ड्रैस पहन सकती हैं जिस में प्रिंट का काम किया गया हो. ऐसी शौर्ट ड्रैस के साथ हाई हील्स, स्मार्ट वाच और कोट पहन कर औफिस लुक कैरी किया जा सकता है. सैल्मन पिंक कलर का प्रौपर फौर्मल आउटफिट बहुत शानदार लगेगा.

डस्की ब्यूटी ड्रैसिंग स्टाइल्स

मेकअप डिजाइनर आशिमा शर्मा कहती हैं कि यदि आप का स्किन टोन डस्की है तो आप कुछ बातों का खास ध्यान रखें:

– डैनिम कलर के कपड़े पहनें, जैसे डैनिम जींस, प्लाजो, डैनिम शर्ट आदि.

– आप अपने कपड़ों फैब्रिक के साथ खेल कर भी फैबुलस लुक पा सकती हैं. अगर आप ब्लैक कलर की शौर्ट ड्रैस पहन रही हैं और उस में नैट, शिफौन जैसे फैब्रिक मौजूद हों, तो ये आप के लुक को निखारने में सहायता करेंगे.

– ब्लिंगी गोल्ड आप के  लिए बेहद शानदार साबित हो सकता है. यदि आप को गाउन पहनना पसंद है तो आप रैड कलर का फ्लोरलैंथ गाउन पहन सकती हैं. औफशोल्डर्ड, शोल्डरलैस, सिंगलशोल्डर्ड गाउन आप पर अच्छे लगेंगे. इन के साथ अपने बालों को स्ट्रेट रखें.

– अगर बात फौर्मल्स की हो तो आप के लिए काफी कुछ है. हाईवैस्ट जींस को आप सौलिड ट्विस्ट टौप के साथ पहन सकती हैं. इस तरह के लुक के लिए आप अपने बाल बांध कर रख सकती हैं.

– पैंसिल स्कर्ट के साथ लाइट मिंट कलर में रूफल स्ट्रिपड टौप पहनें, बालों को खोल कर रखें. सिंपल ईयरिंग के साथ लुक कैरी करें.

Raksha Bandhan: कितना प्यारा भाई-बहन का रिश्ता

रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था. घर में सब बहुत खुश थे मगर नेहा के मन में एक कसक उठ रही थी. दरअसल उस के अपने भाई ने पिछले 7 साल से उस से कोई संबंध नहीं रखा था. उस का हर रक्षाबंधन और भाईदूज वीराना जाता था और ऐसा पिछले 7 साल से हो रहा था.

नेहा को याद है 7 साल पहले रक्षाबंधन के दिन जब वह अपने भाई के घर गई थी तो उपहार को ले कर एक छोटी सी बात पर दोनों भाईबहन के बीच झगड़ा हुआ जो बढ़ता ही गया. मांबाप ने रोकना चाहा पर यह झगड़ा रुका नहीं और उस दिन से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. हर रक्षाबंधन को नेहा अपने भाई को याद करती है लेकिन उस के घर कभी नहीं जाती. इस तरह उस का रक्षाबंधन अधूरा ही रह जाता है और इस दिन जो ख़ुशी वह पहले अनुभव करती थी उस से वंचित रह जाती है. देखा जाए तो आज के समय में हमारे पास बहुत सारे भाईबहन नहीं होते.

सामान्यतः एक या दो भाईबहन ही होते हैं. अगर वे ही आपस में लड़ लें या बातचीत बंद कर दें तो त्यौहार का मजा ही जाता रहता है. खासकर रक्षाबंधन तो भाईबहन का ही त्यौहार है. होलीदिवाली भी ऐसे त्यौहार हैं जब इंसान अपनों का साथ पाकर खिल उठता है. एकदूसरे के घर जाता है. महिला अपने मायके में ढेर सारा प्यार बटोर कर घर लौटती है. मगर यदि आप ने अपनों के घर आनेजाने या मिलने का रास्ता ही बंद कर रखा है तो आप के लिए त्यौहार की खुशियां ही बेमानी हो जाती हैं.

इसलिए जरूरी है कि आप अपने इकलौते भाई या बहन को संजो कर रखें. उन का प्यार एक ऐसा खजाना है जिस से महरूम रह कर आप खुश नहीं रह सकते. याद रखें आप को आप के भाई या बहन से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता. आप ने उन के साथ अपना बचपन बिताया है. साथ बड़े हुए हैं. मांबाप का प्यार साझा किया है. 20 – 22 साल का यह खूबसूरत साथ कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन के साथ मिलने वाली ख़ुशी, पुराने बचपन के दिनों को याद करने का सुख और कोई नहीं दे सकता.

रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उन की लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं.

भारत के सभी राज्यों में यह त्यौहार अलगअलग नाम से मनाया जाता है. उत्तरांचल में रक्षा बंधन को श्रावणी के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा तो राजस्थान में राम राखी कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे अवनि अवित्तम कहते हैं. रक्षाबंधन का सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है.

वैसे आधुनिकता की बयार में बहुत कुछ बदल गया है. आज के ग्लोबल माहौल में रक्षाबंधन भी हाईटेक हो गया है. वक्त के साथसाथ भाई बहन के पवित्र बंधन के इस पावन पर्व को मनाने के तौरतरीकों में विविधता आई है. व्यस्तता के इस दौर में काफी हद तक त्यौहार महज रस्म अदायगी तक ही सीमित हो कर रह गए हैं.

अब बहुत सी महिलाएं बाबुल या प्यारे भईया के घर जाने की जहमत भी नहीं उठातीं. कुछ मजबूरीवश ऐसा नहीं कर पाती. रक्षाबंधन से पहले की तैयारियां और मायके जा कर अपने अजीजों से मिलने के इंतजार में बीते लम्हों का मीठा अहसास ज्यादातर महिलाएं नहीं ले पातीं. कभी भाई दूर देश चला जाता है तो कभी दिल से दूर हो जाता है और कभी व्यस्तता का आलम. मगर मत भूलिए कि ऑनलाइन राखी की रस्म अदायगी में अहसासों का वह मंजर नहीं खिल पाता जो भाईबहन के रिश्तों में मजबूती लाता है.

आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों या भाई से कितनी भी नाराज ही क्यों न हों इस दिन भाई से जरूर मिलें. अपनों के साथ समय बिताने और मीठी नोकझोंक के साथ रिश्ते में प्यार की मिठास घोलने का मौका मत गंवाइए.

क्या कहता है विज्ञान

भाईबहन पर दुनियाभर की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में हुईं रिसर्च ये साबित करती हैं कि इन का रिश्ता एकदूसरे को काफी कुछ सिखाता है और ये दोनों परिवार के लिए कितने जरूरी हैं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक भाईबहन एकदूसरे की संगत से जीवन के उतारचढ़ाव सीखते हैं और समाज में कैसे आगे बढ़ना है इस की समझ बढ़ती है क्योंकि सब से लम्बे समय तक यही एकदूसरे के साथ रहते हैं.

भाईबहन एकदूसरे का अकेलापन कितना दूर कर पाते हैं इसे जानने के लिए तुर्की में एक रिसर्च हुई. रिसर्च के मुताबिक बहनें अपने भाइयों के लिए ज्यादा केयरिंग होती हैं. वह इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से निभाती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों पर कई बार गुस्सा दिखाते हैं या नाराज हो जाते हैं. ऐसा बहनों की तरफ से बहुत कम होता है.

सिबलिंग इफेक्ट

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सायकोलॉजिस्ट लौरी क्रेमर के मुताबिक भाईबहन के सम्बंधों से बढ़ने वाली समझ को सिबलिंग इफेक्ट कहते है. यह सिबलिंग इफेक्ट दोनों पर कई तरह से असर डालता है. भाईबहन एकदूसरे की दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं. इन में गंभीरता बढ़ने के साथ ये एकदूसरे को समाज में अपनी जगह बनाना सिखाते हैं.

अमेरिका की पार्क यूनिवर्सिटी ने भाईबहन के रिश्तों को समझने के लिए सिबलिंग प्रोग्राम शुरू किया और पेन्सेल्वेनिया राज्य के 12 स्कूलों को शामिल किया गया. इस प्रोग्राम का लक्ष्य था कि भाईबहन की जोड़ी मिल कर कैसे निर्णय लेते हैं और जिम्मेदारी किस तरह निभाते हैं. रिसर्च में सामने आया कि कम उम्र से एकदूसरे का साथ मिलने की वजह से इन में समझदारी जल्दी विकसित होती है. इस की वजह से इन में डिप्रेशन, शर्म और अधिक हड़बड़ी जैसा स्वभाव नहीं विकसित होता.

जब कोई व्यक्ति सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़ा होता है तो उस में सहानुभूति, साझा करने और करुणा के भाव भी विकसित होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार इस से बच्चे विशेष रूप से लड़के दूसरों के प्रति अधिक दयालु और निस्वार्थ बन सकते हैं.

स्वीडन के एक अध्ययन से पता चला है कि सिबलिंग रिलेशनशिप आप को खुश रहना वाला व्यक्ति बनाती है. जीवन के बाद के वर्षों में भी यह असर कायम रहता है.  बहन के साथ सपोर्टिव रिलेशनशिप आप की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. बड़ी ब हन आप को आइसोलेशन, गिल्टी आदि से बचाती है.

सिबलिंग होने से बच्चों में सोशल और इंटरपर्सनल स्किल्स को बढ़ावा मिलता है. जो बच्चे सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं. सिबलिंग होने से आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य हासिल करते हैं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने 395 परिवारों पर स्टडी की जिन के एक से ज्या दा बच्चेप थे और उन के कम से कम एक बच्चे की उम्र 10 साल या इस से कम थी. डाटा इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर गौर किया कि छोटी या बड़ी बहन होने से सिबलिंग कोई बुरी आदत या व्यवहार से दूर रहते हैं जैसे हिचकिचाना या डरना.

अन्यो स्टेडी में खुलासा हुआ कि जब भाई या बहन लड़ते हैं तो इस से दोनों को बहस करना और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर सीखने का मौका मिलता है. अगर किसी की बहन है तो वे नकारात्मक चीजों से ज्यादा दूर रहते हैं. इन में अकेलापन, डर और शर्मीलापन कम देखा जाता है. ये चीजें मिल कर किसी इंसान के रवैये में नकारात्मकता ला सकती हैं और उसे डिप्रेशन या किसी खाने या किसी चीज से नफरत हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में इंसान खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है.

बहन होने से इन सब चीजों को सकारात्मक तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है. जिन लोगों की बहन होती है वो आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं और अपने मतभेदों को सुलझा पाते हैं. अगर भाई बहन के बीच प्यार हो तो दोनों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है जो कि केवल पेरेंट्स के प्यार से नहीं मिल सकती है.

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