Raksha Bandhan: डस्की स्किन के लिए ट्राय करें मेकअप टिप्स

खूबसूरत दिखने के लिए सब से जरूरी है स्वस्थ, चमकती स्किन न कि गोरा रंग. चमकती स्किन के लिए स्वस्थ जीवनशैली और खानपान, अच्छा स्वास्थ्य, गहरी नींद और मन की शांति जरूरी है.

आइए, जानें आश्मीन मुंजाल से सावंली सूरत के लिए मेकअप टिप्स:

– सब से पहले यह देखें कि आप के चेहरे पर अनचाहे बाल न रह जाएं. आइब्रोज, अपर लिप्स, लोअर लिप्स, फोरहैड, चीकबोन जैसी जगहों पर आने वाले अनचाहे बालों को साफ रखें. जरूरी लगे तो उन्हें कंसील कर लें ताकि आप का लुक उभर कर सामने आए.

– अब मेकअप शुरू करें. स्किन टोन के साथ स्किन टैक्सचर का भी ध्यान रखें. सब से पहले एक अच्छे प्राइमर के साथ शुरुआत करें. यदि स्किन में ड्राइनैस, पैचीनैस या अनइवननैस है तो ब्यूटी बाम का प्रयोग कर सकती हैं.

– प्राइमर के बाद फाउंडेशन लगाएं. (स्किन टाइप और जरूरत के हिसाब से फाउंडेशन ग्लौसी, जैल बेस्ड, एचडी या सिलीकौन लें) ध्यान रखें कि फाउंडेशन सेम स्किन टोन का ही लें. डस्की स्किन पर थोड़े भी फेयर टोन के फाउंडेशन का प्रयोग किया जाए तो स्किन चोक्ड और व्हाइट लगने लगती है.

– कंटूरिंग भी डस्की स्किन मेकअप में सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अपने चेहरे के उभारों को हाईलाइट करें और गड्ढों को भरें. इस से स्किन इवन और अट्रैक्टिव नजर आती है.

– बेस, फाउंडेशन, कंटूरिंग और ब्लशऔन के बाद लिप मेकअप करें. डस्की स्किन में लिप मेकअप के लिए ब्राउन, मरून, रैड और चैरी रैड जैसे अर्थी कलर्स या फिर कोरल कलर्स का प्रयोग करें.

– आई मेकअप पर खास ध्यान दें. स्मोकी  आईज के लिए ब्लैक ट्राई न करें, बल्कि वाइन स्मोक, ब्राउन स्मोक, गे्र स्मोक जैसे औप्शन और कोरल कलर्स ट्राई करें. फेक आईलैशेज भी ब्यूटीफुल इंडियन लुक के लिए ट्राई कर सकती हैं.

– चमकदार रंगों का प्रयोग न करें. यलो, औरेंज, नियोन जैसे कलर्स अवौइड करें. ये चटकदार रंग हैं जो सांवली सूरत पर अच्छे नहीं लगते. हलके और स्किन टोन से मैच करते रंग आप के ऊपर ज्यादा खूबसूरत लगेंगे. आप प्लम, ब्राउन, लाइट पिंक, रैड जैसे कलर्स ट्राई कर सकती हैं.

– जब बात फौर्मल लुक की हो तो बेज कलर की सिंपल शौर्ट ड्रैस पहन सकती हैं जिस में प्रिंट का काम किया गया हो. ऐसी शौर्ट ड्रैस के साथ हाई हील्स, स्मार्ट वाच और कोट पहन कर औफिस लुक कैरी किया जा सकता है. सैल्मन पिंक कलर का प्रौपर फौर्मल आउटफिट बहुत शानदार लगेगा.

डस्की ब्यूटी ड्रैसिंग स्टाइल्स

मेकअप डिजाइनर आशिमा शर्मा कहती हैं कि यदि आप का स्किन टोन डस्की है तो आप कुछ बातों का खास ध्यान रखें:

– डैनिम कलर के कपड़े पहनें, जैसे डैनिम जींस, प्लाजो, डैनिम शर्ट आदि.

– आप अपने कपड़ों फैब्रिक के साथ खेल कर भी फैबुलस लुक पा सकती हैं. अगर आप ब्लैक कलर की शौर्ट ड्रैस पहन रही हैं और उस में नैट, शिफौन जैसे फैब्रिक मौजूद हों, तो ये आप के लुक को निखारने में सहायता करेंगे.

– ब्लिंगी गोल्ड आप के  लिए बेहद शानदार साबित हो सकता है. यदि आप को गाउन पहनना पसंद है तो आप रैड कलर का फ्लोरलैंथ गाउन पहन सकती हैं. औफशोल्डर्ड, शोल्डरलैस, सिंगलशोल्डर्ड गाउन आप पर अच्छे लगेंगे. इन के साथ अपने बालों को स्ट्रेट रखें.

– अगर बात फौर्मल्स की हो तो आप के लिए काफी कुछ है. हाईवैस्ट जींस को आप सौलिड ट्विस्ट टौप के साथ पहन सकती हैं. इस तरह के लुक के लिए आप अपने बाल बांध कर रख सकती हैं.

– पैंसिल स्कर्ट के साथ लाइट मिंट कलर में रूफल स्ट्रिपड टौप पहनें, बालों को खोल कर रखें. सिंपल ईयरिंग के साथ लुक कैरी करें.

Raksha Bandhan: कितना प्यारा भाई-बहन का रिश्ता

रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था. घर में सब बहुत खुश थे मगर नेहा के मन में एक कसक उठ रही थी. दरअसल उस के अपने भाई ने पिछले 7 साल से उस से कोई संबंध नहीं रखा था. उस का हर रक्षाबंधन और भाईदूज वीराना जाता था और ऐसा पिछले 7 साल से हो रहा था.

नेहा को याद है 7 साल पहले रक्षाबंधन के दिन जब वह अपने भाई के घर गई थी तो उपहार को ले कर एक छोटी सी बात पर दोनों भाईबहन के बीच झगड़ा हुआ जो बढ़ता ही गया. मांबाप ने रोकना चाहा पर यह झगड़ा रुका नहीं और उस दिन से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. हर रक्षाबंधन को नेहा अपने भाई को याद करती है लेकिन उस के घर कभी नहीं जाती. इस तरह उस का रक्षाबंधन अधूरा ही रह जाता है और इस दिन जो ख़ुशी वह पहले अनुभव करती थी उस से वंचित रह जाती है. देखा जाए तो आज के समय में हमारे पास बहुत सारे भाईबहन नहीं होते.

सामान्यतः एक या दो भाईबहन ही होते हैं. अगर वे ही आपस में लड़ लें या बातचीत बंद कर दें तो त्यौहार का मजा ही जाता रहता है. खासकर रक्षाबंधन तो भाईबहन का ही त्यौहार है. होलीदिवाली भी ऐसे त्यौहार हैं जब इंसान अपनों का साथ पाकर खिल उठता है. एकदूसरे के घर जाता है. महिला अपने मायके में ढेर सारा प्यार बटोर कर घर लौटती है. मगर यदि आप ने अपनों के घर आनेजाने या मिलने का रास्ता ही बंद कर रखा है तो आप के लिए त्यौहार की खुशियां ही बेमानी हो जाती हैं.

इसलिए जरूरी है कि आप अपने इकलौते भाई या बहन को संजो कर रखें. उन का प्यार एक ऐसा खजाना है जिस से महरूम रह कर आप खुश नहीं रह सकते. याद रखें आप को आप के भाई या बहन से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता. आप ने उन के साथ अपना बचपन बिताया है. साथ बड़े हुए हैं. मांबाप का प्यार साझा किया है. 20 – 22 साल का यह खूबसूरत साथ कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन के साथ मिलने वाली ख़ुशी, पुराने बचपन के दिनों को याद करने का सुख और कोई नहीं दे सकता.

रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उन की लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं.

भारत के सभी राज्यों में यह त्यौहार अलगअलग नाम से मनाया जाता है. उत्तरांचल में रक्षा बंधन को श्रावणी के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा तो राजस्थान में राम राखी कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे अवनि अवित्तम कहते हैं. रक्षाबंधन का सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है.

वैसे आधुनिकता की बयार में बहुत कुछ बदल गया है. आज के ग्लोबल माहौल में रक्षाबंधन भी हाईटेक हो गया है. वक्त के साथसाथ भाई बहन के पवित्र बंधन के इस पावन पर्व को मनाने के तौरतरीकों में विविधता आई है. व्यस्तता के इस दौर में काफी हद तक त्यौहार महज रस्म अदायगी तक ही सीमित हो कर रह गए हैं.

अब बहुत सी महिलाएं बाबुल या प्यारे भईया के घर जाने की जहमत भी नहीं उठातीं. कुछ मजबूरीवश ऐसा नहीं कर पाती. रक्षाबंधन से पहले की तैयारियां और मायके जा कर अपने अजीजों से मिलने के इंतजार में बीते लम्हों का मीठा अहसास ज्यादातर महिलाएं नहीं ले पातीं. कभी भाई दूर देश चला जाता है तो कभी दिल से दूर हो जाता है और कभी व्यस्तता का आलम. मगर मत भूलिए कि ऑनलाइन राखी की रस्म अदायगी में अहसासों का वह मंजर नहीं खिल पाता जो भाईबहन के रिश्तों में मजबूती लाता है.

आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों या भाई से कितनी भी नाराज ही क्यों न हों इस दिन भाई से जरूर मिलें. अपनों के साथ समय बिताने और मीठी नोकझोंक के साथ रिश्ते में प्यार की मिठास घोलने का मौका मत गंवाइए.

क्या कहता है विज्ञान

भाईबहन पर दुनियाभर की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में हुईं रिसर्च ये साबित करती हैं कि इन का रिश्ता एकदूसरे को काफी कुछ सिखाता है और ये दोनों परिवार के लिए कितने जरूरी हैं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक भाईबहन एकदूसरे की संगत से जीवन के उतारचढ़ाव सीखते हैं और समाज में कैसे आगे बढ़ना है इस की समझ बढ़ती है क्योंकि सब से लम्बे समय तक यही एकदूसरे के साथ रहते हैं.

भाईबहन एकदूसरे का अकेलापन कितना दूर कर पाते हैं इसे जानने के लिए तुर्की में एक रिसर्च हुई. रिसर्च के मुताबिक बहनें अपने भाइयों के लिए ज्यादा केयरिंग होती हैं. वह इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से निभाती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों पर कई बार गुस्सा दिखाते हैं या नाराज हो जाते हैं. ऐसा बहनों की तरफ से बहुत कम होता है.

सिबलिंग इफेक्ट

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सायकोलॉजिस्ट लौरी क्रेमर के मुताबिक भाईबहन के सम्बंधों से बढ़ने वाली समझ को सिबलिंग इफेक्ट कहते है. यह सिबलिंग इफेक्ट दोनों पर कई तरह से असर डालता है. भाईबहन एकदूसरे की दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं. इन में गंभीरता बढ़ने के साथ ये एकदूसरे को समाज में अपनी जगह बनाना सिखाते हैं.

अमेरिका की पार्क यूनिवर्सिटी ने भाईबहन के रिश्तों को समझने के लिए सिबलिंग प्रोग्राम शुरू किया और पेन्सेल्वेनिया राज्य के 12 स्कूलों को शामिल किया गया. इस प्रोग्राम का लक्ष्य था कि भाईबहन की जोड़ी मिल कर कैसे निर्णय लेते हैं और जिम्मेदारी किस तरह निभाते हैं. रिसर्च में सामने आया कि कम उम्र से एकदूसरे का साथ मिलने की वजह से इन में समझदारी जल्दी विकसित होती है. इस की वजह से इन में डिप्रेशन, शर्म और अधिक हड़बड़ी जैसा स्वभाव नहीं विकसित होता.

जब कोई व्यक्ति सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़ा होता है तो उस में सहानुभूति, साझा करने और करुणा के भाव भी विकसित होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार इस से बच्चे विशेष रूप से लड़के दूसरों के प्रति अधिक दयालु और निस्वार्थ बन सकते हैं.

स्वीडन के एक अध्ययन से पता चला है कि सिबलिंग रिलेशनशिप आप को खुश रहना वाला व्यक्ति बनाती है. जीवन के बाद के वर्षों में भी यह असर कायम रहता है.  बहन के साथ सपोर्टिव रिलेशनशिप आप की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. बड़ी ब हन आप को आइसोलेशन, गिल्टी आदि से बचाती है.

सिबलिंग होने से बच्चों में सोशल और इंटरपर्सनल स्किल्स को बढ़ावा मिलता है. जो बच्चे सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं. सिबलिंग होने से आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य हासिल करते हैं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने 395 परिवारों पर स्टडी की जिन के एक से ज्या दा बच्चेप थे और उन के कम से कम एक बच्चे की उम्र 10 साल या इस से कम थी. डाटा इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर गौर किया कि छोटी या बड़ी बहन होने से सिबलिंग कोई बुरी आदत या व्यवहार से दूर रहते हैं जैसे हिचकिचाना या डरना.

अन्यो स्टेडी में खुलासा हुआ कि जब भाई या बहन लड़ते हैं तो इस से दोनों को बहस करना और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर सीखने का मौका मिलता है. अगर किसी की बहन है तो वे नकारात्मक चीजों से ज्यादा दूर रहते हैं. इन में अकेलापन, डर और शर्मीलापन कम देखा जाता है. ये चीजें मिल कर किसी इंसान के रवैये में नकारात्मकता ला सकती हैं और उसे डिप्रेशन या किसी खाने या किसी चीज से नफरत हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में इंसान खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है.

बहन होने से इन सब चीजों को सकारात्मक तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है. जिन लोगों की बहन होती है वो आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं और अपने मतभेदों को सुलझा पाते हैं. अगर भाई बहन के बीच प्यार हो तो दोनों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है जो कि केवल पेरेंट्स के प्यार से नहीं मिल सकती है.

Raksha Bandhan: 5 टिप्स-ताकि घर रहे महकता

सुगंध या खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी आकर्षित करता है. महकता व सुगंधित घर न केवल किसी होममेकर की सुगढ़ता को दर्शाता है, बल्कि इस से उस की पसंद व स्टाइल की भी जानकारी मिलती है. कोई भी घर तभी संपूर्ण माना जाता है जब वह सही इंटीरियर के साथसाथ अच्छा महकता भी हो. क्या आप चाहेंगी कि जब कोई आप के घर में आए, तो उस का स्वागत घर की प्याजलहसुन की गंध से हो, जिस से वह आते ही नाकभौं सिकोड़े और उस का घर में बैठना दूभर हो जाए?

दरअसल, हर घर की एक अलग गंध होती है, जो अगर सुगंध है तो आने वाले को सम्मोहित कर देती है. इस से आने वाला तनावरहित व फ्रैश भी हो जाता है. लेकिन वही गंध अगर दुर्गंध हो यानी घर से प्याजलहसुन, सीलन, गीले कपड़ों वगैरह की गंध आती हो, तो आने वाला ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता. वह घर से जल्दी निकलने के लिए मजबूर हो जाता है. घर से सुगंध आए, इस के लिए घर को महकाने का चलन बहुत पहले से चला आ रहा है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घर से आने वाली अन्य तरह की गंध को कम किया जा सके. पुराने जमाने में लोग अपने घर के बाहर रात की रानी, चमेली या रजनीगंधा के पेड़पौधे लगा देते थे ताकि घर सदा महकता रहे. लेकिन बदलते समय के साथ समय व स्पेस की कमी ने इस तरीके को थोड़ा कम कर दिया है. इसलिए लोगों ने आर्टिफिशियल सुगंध पर निर्भर होना प्रारंभ कर दिया है.

होम फ्रैशनर मिलते कई

घर से आने वाली दुर्गंध को कम करने के लिए बाजार में अनेक तरह के होम फ्रैगरैंस उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव आप अपनी पसंद व सुविधा के अनुसार कर सकती हैं.

अगरबत्तियां: घर को महकाने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल पहले से होता रहा है. लेकिन आजकल बाजार में अगरबत्तियों की अनेक खुशबुएं मिलती हैं, जिन्हें बेहतरीन होम फ्रैगरैंस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. नैचुरल फ्रैगरैंस की बात की जाए तो जैसमीन, चंदन, गुलाब, देवदार आदि की प्राकृतिक खुशबुओं वाली अनेक अगरबत्तियां हैं.

बाजार में 2 प्रकार की अगरबत्तियां उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार चुन सकती हैं. पहली, डायरैक्ट बर्न जिस में अगरबत्ती स्टिक को सीधे जलाया जाता है और उस की सुगंध से वातावरण सुगंधित हो जाता है. दूसरी, इनडायरैक्ट बर्न जिस में फ्रैगरैंस मैटीरियल को मैटल की हौटप्लेट या आंच पर रखा जाता है, जिस से न केवल पूरा घर महक जाता है वरन घर से मच्छरमक्खियां भी दूर भागती हैं.

फ्रैगरैंस कैंडल्स: कैंडल्स का प्रयोग सिर्फ दीवाली पर जगमगाहट के लिए करने के अलावा घर को महकाने व रोमानी वातावरण बनाने के लिए भी किया जा सकता है. रंगबिरंगी सैंटेड कैंडल्स बाजार में इतने आकर्षक डिजाइनों, रंगों व फ्रैगरैंस में उपलब्ध हैं, जिन से आप घर को महका सकती हैं और घर से आ रही प्याजलहसुन व सीलन की बदबू को दूर भगा सकती हैं.

कैंडल्स में वारमर्स भी मौजूद हैं, जो मोम को गरम करते हैं और पिघलते मोम से सारा घर महकता रहता है. सैंटेड कैंडल को बिना जलाए घर को महकाने का यह बेहतरीन तरीका साबित होता है.

एअर फ्रैशनर्स: घर को महकाने में एअर फ्रैशनर्स स्प्रे का भी प्रयोग किया जा सकता है. इस से घर से आने वाली दुर्गंध हट जाती है. खूबसूरत कैन्स में उपलब्ध इन फ्रैशनर्स को आप दीवार पर भी टांग सकती हैं और उस में लगे बटन को औन कर के घर को महका सकती हैं.

फ्रैगरैंस पौटपोरी: आकर्षक पैकिंग में उपलब्ध सूखे फूल व खुशबूदार सामान को भी घर को महकाने में प्रयोग किया जा सकता है. इन पैकेट से निकलने वाली सुगंध घर के माहौल को महकदार व रोमांटिक बना देती है.

रीड डिफ्यूजर: अनेक खुशबुओं को बोतल व कंटेनर में सैंटेड औयल व रीड्स के रूप में घर को महकाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. इस रीड डिफ्यूजर को आप किचन, लिविंग रूम, बैडरूम, बाथरूम कहीं भी रख सकती हैं व घर के कोनेकोने को मस्ती भरी सुगंध से महका सकती हैं.

बाजार में मिलने वाले इन रैडीमेड होम फ्रैगरैंस के अलावा आप चाहें तो घर में भी होम फ्रैगरैंस बना सकती हैं यानी कुछ तरीके अपना कर घर को महका सकती हैं:

कमरे की खिड़कियां सुबहशाम अवश्य खोलें ताकि बाहर की फ्रैश हवा भीतर आ सके.

घर में प्राकृतिक खुशबू वाले फूलों के पौधे लगाएं, साथ ही किसी कांच के बाउल में पानी भर कर उन फूलों की पंखुडि़यों को उस में डाल कर सैंटर टेबल पर रखें. हवा के साथ आती फूलों की ताजा खुशबू पूरे घर को महकाएगी और प्राकृतिक होम फ्रैगरैंस का काम करेगी.

ऐसेंशियल औयल को 1 कप पानी में मिला कर किसी स्प्रे वाली बोतल में भर लें और एअर फ्रैशनर के तौर पर इस्तेमाल करें.

वाशबेसिन में रंगबिरंगी नैप्थेलीन बौल्स डालें.

कपड़े की अलमारियों में नैप्थेलीन बौल्स फ्रैगरैंस पौटपोरी रखें.

किचन में ऐग्जौस्ट फैन व चिमनी लगाएं.

घर के कालीन व परदों को समयसमय पर साफ कराती रहें.

महकते घर के फायदे

महकता घर उस घर में रहने वालों को तनावरहित रखने के साथसाथ उन्हें रिलैक्स भी करता है.

महकता घर, घर में आने वालों का मूड फ्रैश कर देता है और उन में पौजिटिव ऐनर्जी भर देता है.

दुर्गंधयुक्त वातावरण जहां रिश्तों में खटास लाता है, वहीं सुगंधित घर आपसी रिश्तों में भी मधुरता लाता है. उन्हें प्रकृति के करीब होने का एहसास कराता है. दिन भर की भागदौड़ व प्रदूषण से दूर जब आप महकते घर में प्रवेश करते हैं तब दिन भर की थकान दूर हो जाती है और घर में रोमांटिक वातावरण मिलता है. इस से पतिपत्नी के रिश्ते में भी नजदीकी आती है. तो फिर तैयार हैं न अपने महकते घर में रिश्तों को नई ताजगी देने के लिए और मेहमानों का स्वागत करने के लिए.

Raksha Bandhan: कच्ची धूप-कैसे हुआ सुधा को गलती का एहसास

family story in hindi

Raksha Bandhan: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.  शर्मिला की मां उस की डोलती नैया को संभालने का श्रेय उस के भाइयों को देते नहीं थकती हैं, ‘‘अगर मैं अकेली होती तो रोधो कर अपनी और शर्मिला की जिंदगी बिताने पर मजबूर होती, पर इस के भाइयों ने इस का जीवन संवार दिया.’’

सोचिए, यदि शर्मिला का कोई भाईबहन न होता सिर्फ मातापिता होते, फिर चाहे घर में सब सुखसुविधाएं होतीं, किंतु क्या वे हंसीसुखी अपना शेष जीवन व्यतीत कर पाते? नहीं. एक पीड़ा सालती रहती, एक कमी खलती रहती. केवल भौतिक सुविधाओं से ही जीवन संपूर्ण नहीं होता, उसे पूरा करते हैं रिश्ते.

सूनेसूने मायके का दर्द:

सावित्री जैन रोज की तरह शाम को पार्क में बैठी थीं कि रमा भी सैर करने आ गईं. अपने व्हाट्सऐप पर आए एक चुटकुले को सभी को सुनाते हुए वे मजाक करने लगीं, ‘‘कब जा रही हैं सब अपनेअपने मायके?’’  सभी खिलखिलाने लगीं पर सावित्री मायूसी भरे सुर में बोलीं, ‘‘काहे का मायका? जब तक मातापिता थे, तब तक मायका भी था. कोई भाई भाभी होते तो आज भी एक ठौरठिकाना रहता मायके का.’’  वाकई, एकलौती संतान का मायका भी तभी तक होता है जब तक मातापिता इस दुनिया में होते हैं. उन के बाद कोई दूसरा घर नहीं होता मायके के नाम पर.

भाईभाभी से झगड़ा:

‘‘सावित्रीजी, आप को इस बात का अफसोस है कि आप के पास भाईभाभी नहीं हैं और मुझे देखो मैं ने अनर्गल बातों में आ कर अपने भैयाभाभी से झगड़ा मोल ले लिया. मायका होते हुए भी मैं ने उस के दरवाजे अपने लिए स्वयं बंद कर लिए,’’ श्रेया ने भी अपना दुख बांटते हुए कहा.

ठीक ही तो है. यदि झगड़ा हो तो रिश्ते बोझ बन जाते हैं और हम उन्हें बस ढोते रह जाते हैं. उन की मिठास तो खत्म हो गई होती है. जहां दो बरतन होते हैं, वहां उन का टकराना स्वाभाविक है, परंतु इन बातों का कितना असर रिश्तों पर पड़ने देना चाहिए, इस बात का निर्णय आप स्वयं करें.

भाईबहन का साथ:

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है. दोनों एकदूसरे को भावनात्मक संबल देते हैं, दुनिया के सामने एकदूसरे का साथ देते हैं. खुद भले ही एकदूसरे की कमियां निकाल कर चिढ़ाते रहें लेकिन किसी और के बीच में बोलते ही फौरन तरफदारी पर उतर आते हैं. कभी एकदूसरे को मझधार में नहीं छोड़ते हैं. भाईबहन के झगड़े भी प्यार के झगड़े होते हैं, अधिकार की भावना के साथ होते हैं. जिस घरपरिवार में भाईबहन होते हैं, वहां त्योहार मनते रहते हैं, फिर चाहे होली हो, रक्षाबंधन या फिर ईद.

मां के बाद भाभी:

शादी के 25 वर्षों बाद भी जब मंजू अपने मायके से लौटती हैं तो एक नई स्फूर्ति के साथ. वे कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भैयाभाभी मुझे पलकों पर बैठाते हैं. उन्हें देख कर मैं अपने बेटे को भी यही संस्कार देती हूं कि सारी उम्र बहन का यों ही सत्कार करना. आखिर, बेटियों का मायका भैयाभाभी से ही होता है न कि लेनदेन, उपहारों से. पैसे की कमी किसे है, पर प्यार हर कोई चाहता है.’’

दूसरी तरफ मंजू की बड़ी भाभी कुसुम कहती हैं, ‘‘शादी के बाद जब मैं विदा हुई तो मेरी मां ने मुझे यह बहुत अच्छी सीख दी थी कि शादीशुदा ननदें अपने मायके के बचपन की यादों को समेटने आती हैं. जिस घरआंगन में पलीबढ़ीं, वहां से कुछ लेने नहीं आती हैं, अपितु अपना बचपन दोहराने आती हैं. कितना अच्छा लगता है जब भाईबहन संग बैठ कर बचपन की यादों पर खिलखिलाते हैं.’’

मातापिता के अकेलेपन की चिंता:

नौकरीपेशा सीमा की बेटी विश्वविद्यालय की पढ़ाई हेतु दूसरे शहर चली गई. सीमा कई दिनों तक अकेलेपन के कारण अवसाद में घिरी रहीं. वे कहती हैं, ‘‘काश, मेरे एक बच्चा और होता तो यों अचानक मैं अकेली न हो जाती. पहले एक संतान जाती, फिर मैं अपने को धीरेधीरे स्थिति अनुसार ढाल लेती. दूसरे के जाने पर मुझे इतनी पीड़ा नहीं होती. एकसाथ मेरा घर खाली नहीं हो जाता.’’

एकलौती बेटी को शादी के बाद अपने मातापिता की चिंता रहना स्वाभाविक है. जहां भाई मातापिता के साथ रहता हो, वहां इस चिंता का लेशमात्र भी बहन को नहीं छू सकता. वैसे आज के जमाने में नौकरी के कारण कम ही लड़के अपने मातापिता के साथ रह पाते हैं. किंतु अगर भाई दूर रहता है, तो भी जरूरत पर पहुंचेगा अवश्य. बहन भी पहुंचेगी परंतु मानसिक स्तर पर थोड़ी फ्री रहेगी और अपनी गृहस्थी देखते हुए आ पाएगी.

पति या ससुराल में विवाद:

सोनम की शादी के कुछ माह बाद ही पतिपत्नी में सासससुर को ले कर झगड़े शुरू हो गए. सोनम नौकरीपेशा थी और घर की पूरी जिम्मेदारी भी संभालना उसे कठिन लग रहा था. किंतु ससुराल का वातावरण ऐसा था कि गिरीश उस की जरा भी सहायता करता तो मातापिता के ताने सुनता. इसी डर से वह सोनम की कोई मदद नहीं करता.

मायके आते ही भाई ने सोनम की हंसी के पीछे छिपी परेशानी भांप ली. बहुत सोचविचार कर उस ने गिरीश से बात करने का निर्णय किया. दोनों घर से बाहर मिले, दिल की बातें कहीं और एक सार्थक निर्णय पर पहुंच गए. जरा सी हिम्मत दिखा कर गिरीश ने मातापिता को समझा दिया कि नौकरीपेशा बहू से पुरातन समय की अपेक्षाएं रखना अन्याय है. उस की मदद करने से घर का काम भी आसानी से होता रहेगा और माहौल भी सकारात्मक रहेगा.

पुणे विश्वविद्यालय के एक कालेज की निदेशक डा. सारिका शर्मा कहती हैं, ‘‘मुझे विश्वास है कि यदि जीवन में किसी उलझन का सामना करना पड़ा तो मेरा भाई वह पहला इंसान होगा जिसे मैं अपनी परेशानी बताऊंगी. वैसे तो मायके में मांबाप भी हैं, लेकिन उन की उम्र में उन्हें परेशान करना ठीक नहीं. फिर उन की पीढ़ी आज की समस्याएं नहीं समझ सकती. भाई या भाभी आसानी से मेरी बात समझते हैं.’’

भाईभाभी से कैसे निभा कर रखें:

भाईबहन का रिश्ता अनमोल होता है. उसे निभाने का प्रयास सारी उम्र किया जाना चाहिए. भाभी के आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल जाती है. मगर दोनों चाहें तो इस रिश्ते में कभी खटास न आए.

सारिका कितनी अच्छी सीख देती हैं, ‘‘भाईभाभी चाहे छोटे हों, उन्हें प्यार देने व इज्जत देने से ही रिश्ते की प्रगाढ़ता बनी रहती है नाकि पिछले जमाने की ननदों वाले नखरे दिखाने से. मैं साल भर अपनी भाभी की पसंद की छोटीबड़ी चीजें जमा करती हूं और मिलने पर उन्हें प्रेम से देती हूं. मायके में तनावमुक्त माहौल बनाए रखना एक बेटी की भी जिम्मेदारी है. मायके जाने पर मिलजुल कर घर के काम करने से मेहमानों का आना भाभी को अखरता नहीं और प्यार भी बना रहता है.’’

ये आसान सी बातें इस रिश्ते की प्रगाढ़ता बनाए रखेंगी:

– भैयाभाभी या अपनी मां और भाभी के बीच में न बोलिए. पतिपत्नी और सासबहू का रिश्ता घरेलू होता है और शादी के बाद बहन दूसरे घर की हो जाती है. उन्हें आपस में तालमेल बैठाने दें. हो सकता है जो बात आप को अखर रही हो, वह उन्हें इतनी न अखर रही हो.

– यदि मायके में कोई छोटामोटा झगड़ा या मनमुटाव हो गया है तब भी जब तक आप से बीचबचाव करने को न कहा जाए, आप बीच में न बोलें. आप का रिश्ता अपनी जगह है, आप उसे ही बनाए रखें.

– यदि आप को बीच में बोलना ही पड़े तो मधुरता से कहें. जब आप की राय मांगी जाए या फिर कोई रिश्ता टूटने के कगार पर हो, तो शांति व धैर्य के सथ जो गलत लगे उसे समझाएं.

– आप का अपने मायके की घरेलू बातों से बाहर रहना ही उचित है. किस ने चाय बनाई, किस ने गीले कपड़े सुखाए, ऐसी छोटीछोटी बातों में अपनी राय देने से ही अनर्गल खटपट होने की शुरुआत हो जाती है.

– जब तक आप से किसी सिलसिले में राय न मांगी जाए, न दें. उन्हें कहां खर्चना है, कहां घूमने जाना है, ऐसे निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें.

– न अपनी मां से भाभी की और न ही भाभी से मां की चुगली सुनें. साफ कह दें कि मेरे लिए दोनों रिश्ते अनमोल हैं. मैं बीच में नहीं बोल सकती. यह आप दोनों सासबहू आपस में निबटा लें.

– आप चाहे छोटी बहन हों या बड़ी, भतीजोंभतीजियों हेतु उपहार अवश्य ले जाएं. जरूरी नहीं कि महंगे उपहार ही ले जाएं. अपनी सामर्थ्यनुसार उन के लिए कुछ उपयोगी वस्तु या कुछ ऐसा जो उन की उम्र के बच्चों को भाए, ले जाएं.

Raksha Bandhan: टौप 8 लेटैस्ट ट्रैंडी इयररिंग्स

ज्वैलरी बौक्स में यों तो नैकपीस से ले कर फिंगर रिंग्स तक के लिए खास जगह होती है, लेकिन जो बात इयररिंग्स में होती है वह किसी और में नहीं. तभी तो कितनी भी ज्वैलरी पहन लें, लेकिन जब तक इयररिंग्स न पहने जाएं, शृंगार अधूरा नजर आता है.

इन दिनों कौन से इयररिंग्स फैशन में इन हैं, जानने के लिए बात की वौयला ज्वैलरीज के ज्वैलरी डिजाइनर मनोज भार्गव से.

1. स्टड इयररिंग्स

कुंदन, पोल्की, जैमस्टोन, पर्ल, डायमंड जैसे मैटीरियल से बने स्टड इयररिंग्स आप इंडियन वियर के साथसाथ वैस्टर्न वियर पर भी पहन सकती हैं. ये स्माल साइज से ले कर ह्यूज साइज और हैवी से ले कर लाइट वेट में भी उपलब्ध हैं. सिंपल और सौफिस्टिकेटेड लुक के लिए स्माल साइज के पर्ल, जैमस्टोन या डायमंड के स्टड इयररिंग्स खरीदें. बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल लुक के लिए ह्यूज साइज के गोल्डन, कौपर, कुंदन या पोल्की स्टड इयररिंग्स को अपनी पहली पसंद बनाएं.

2. अभिनेत्रियों में इयररिंग्स का क्रेज

बौलीवुड दीवा भी इन ट्रैंडी इयररिंग्स की दीवानी हैं. दीपिका पादुकोण, विद्या बालन, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर खान, सोनम कपूर, बिपाशा बसु जैसी कई ऐक्ट्रैसेज चांदबालियों के साथसाथ ओवरसाइज झुमके, शैंडिलियर, टैसल इयररिंग्स पहने कई फिल्म और इवैंट्स में नजर आ चुकी हैं. आप भी अपनी फैवरिट ऐक्ट्रैस के फैवरिट इयररिंग्स को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बना सकती हैं.

3. चांदबालियां

फिल्म ‘रामलीला’ के बाद पौपुलर हुई चांदबालियां आज भी फैशन में इन हैं. इन्हें आप इंडियन वियर जैसे साड़ी, सूट, लहंगाचोली के साथसाथ इंडोवैस्टर्न वियर जैसे साड़ी गाउन, स्कर्ट, प्लाजो आदि के साथ भी  पहन सकती हैं. हाफ के साथ ही फुल चांदबालियों में भी ढेरों वैराइटी मिल जाएगी. कलर्स के साथसाथ मैटीरियल में भी फर्क मिलेगा. अगर आप चांदबालियां पहन कर अपनी खूबसूरती में चार चांद लगाना चाहती हैं, तो बालों को खुला छोड़ने के बजाय अपर या लो बन बना लें.

4. शैंडिलियर इयररिंग्स

अगर आप ह्यूज इयररिंग्स पहनने की शौकीन हैं तो शैंडिलियर (झूमर) इयररिंग्स को अपने ज्वैलरी बौक्स में खास जगह दें. ये ऊपर से टौप्सनुमा और नीचे से झूमरनुमा होते हैं, इसलिए इन्हें शैंडिलियर इयररिंग्स कहते हैं. इन्हें आप इंडियन, वैस्टर्न और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ भी पहन सकती हैं. इंडियन और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए गोल्ड, सिल्वर या कौपर और वैस्टर्न वियर के साथ पहनने के लिए डायमंड या पर्ल से बने शैंडिलियर इयररिंग्स खरीदें.

5. टैसल इयररिंग्स

टैसल (गुच्छेदार) इयररिंग्स ऊपर से टौप्स या हुकनुमा होते हैं और इन के नीचे की ओर गुच्छे में एक ही तरह की कई लटकनें होती हैं, इसलिए इन्हें टैसल इयररिंग्स कहा जाता है. ये खासकर वैस्टर्न वियर के साथ पहने जाते हैं, लेकिन इंडियन वियर को ध्यान में रख कर बनाए गए गोल्ड प्लेटेड टैसल इयररिंग्स भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. झुमकों और शैंडिलियर इयररिंग्स के मुकाबले ये काफी हलके होते हैं. खास मौकों के साथ ही इन्हें रैग्युलर दिनों में भी पहन सकती हैं.

6. ड्रौप इयररिंग्स

बहुत ज्यादा हैवी या बहुत ज्यादा लाइट वेट इयररिंग्स के बीच का कुछ ट्राई करना चाहती हैं तो ड्रौप इयररिंग्स को अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. ड्रौप यानी बूंद के आकार (ऊपर से पतले और नीचे से हैवी लुक वाले) के ये इयररिंग्स इंडियन और वैस्टर्न दोनों आउटफिट के साथ पहन सकती हैं. ये टौप्स के साथ ही हुकनुमा भी मिलते हैं. मीडियम से ले कर ह्यूज साइज के और गोल्डन, सिल्वर से ले कर डायमंड, पर्ल के ड्रौप इयररिंग्स भी मार्केट में उपलब्ध हैं.

7. ओवरसाइज झुमके

झुमके कभी आउट औफ फैशन नहीं होते, कभी झुमकीझुमके (छोटे साइज के झुमके) के स्टाइल में तो कभी अलगअलग मैटीरियल और कलर के चलते ये हमेशा फैशन में रहते हैं. वैसे इन दिनों ओवरसाइज झुमके डिमांड में हैं. ट्रैडिशनल फंक्शन से ले कर शादी जैसे अवसर पर भी इन्हें काफी पहना जा रहा है. गोल्ड से ले कर औक्साइड, सिल्वर, पर्ल और मल्टी कलर्स में भी ये उपलब्ध हैं. इन्हें सलवारसूट, कुरती, साड़ी, लहंगाचोली जैसे इंडियन वियर के साथ पहन सकती हैं.

8. औक्सिडाइज इयररिंग्स

इन दिनों औक्सिडाइज इयररिंग्स भी काफी डिमांड में हैं. औक्साइड मैटीरियल होने की वजह से ये इंडियन, वैस्टर्न और इंडोवैस्टर्न वियर के साथ भी सूट करते हैं. पार्टी, फंक्शन जैसे मौकों के साथसाथ रोजाना भी इन्हें पहना जा सकता है, बशर्ते इन का चुनाव करते वक्त इन के आकार और वजन पर ध्यान दें. चांदबालियां, झुमके, शैंडिलियर, ड्रौप और स्टड इयररिंग्स भी औक्साइड मैटीरियल में उपलब्ध हैं.

Raksha bandhan : घर पर बनाएं ड्राईफ्रूट्स लड्डू

फेस्टिव सीजन में मार्केट से मिठाई खरीदने की बजाय अगर आप घर पर हेल्दी मिठाई बनाना चाहते हैं तो ड्राईफ्रूट लड्डू की ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

सामग्री

– 1/2 कप कसा नारियल 

– 1 कप तिल

– 1/2 कप बादाम

– 1/2 कप काजू

2 बड़े चम्मच सोंठ पाउडर

1 बड़ा चम्मच खसखस

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

6-7 बारीक कसे छुवारे

3 बड़े चम्मच घी

बूरा जरूरतानुसार.

विधि

पैन गरम करें. इस में नारियल और तिल को अलगअलग भूनें. अब नारियल और तिल को मिलाएं और मिक्सर में बारीक पीस लें. अब इस मिश्रण में बादाम, काजू और छुवारे मिलाएं और मिक्सर में पीस लें. अब इस पाउडर को नारियल मिश्रण में मिलाएं. फिर इस में घी और बूरा को छोड़ कर बाकी बची हुई सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं. अब घी और बूरा डालें और अच्छी तरह मिला कर छोटेछोटे आकार के लड्डू बनाएं और सर्व करें.

Raksha Bandhan: फैमिली के लिए बनाएं दाल कचौड़ी विद आलू भाजी

फेस्टिव सीजन में अगर आप अपनी फैमिली को टेस्टी रेसिपी ट्राय करवाना चाहती हैं तो दाल कचौड़ी विद आलू भाजी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये बनाने में आसान है, जिसके चलते आप फेस्टिव सीजन में मेहमानों की वाहवाही पा सकती हैं.

सामग्री कचौड़ी की

200 ग्राम मैदा

– 2 बड़े चम्मच घी मोयन के लिए

– आटा गूंधने के लिए पर्याप्त कुनकुना पानी

– कचौडि़यां तलने के लिए रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

50 ग्राम धुली मूंग दाल

– 2 बड़े चम्मच बेसन

– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

– 2 छोटे चम्मच बारीक कटी अदरक व हरीमिर्च

– चुटकीभर हींग पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

– 2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री आलूभाजी की

– 250 ग्राम उबले व हाथ से फोड़े आलू

– चुटकी भर हींग पाउडर

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 कप फ्रैश टमाटर पिसे हुए

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

विधि कचौड़ी बनाने की

मैदे में गरम घी का मोयन व नमक डाल कर गूंध लें. आधा घंटा ढक कर रख दें. धुली मूंग दाल धो कर 1 कप पानी में 5 मिनट उबालें. दाल गल जानी चाहिए पर फूटनी नहीं चाहिए. पानी निथार लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के हींग पाउडर, अदरक व हरीमिर्च पेस्ट भूनें. फिर बेसन डाल कर 1 मिनट सौते करें. दाल व सभी मसाले डाल कर 3-4 मिनट तक मिक्सचर भून लें. भरावन तैयार है. मैदे की नीबू के आकार की लोइयां लें. थोड़ा थपथपा कर बड़ा करें. बीच में एक बड़ा चम्मच मिक्सचर भरें और बंद कर के हलका सा बेल दें ताकि कचौड़ी थोड़ी बड़ी हो जाएं. गरम तेल में धीमी आंच पर कचौड़ी बना लें. इन्हें 1-2 दिन पहले भी बना कर रखा जा सकता है. ओवन या एअरफ्रायर में गरम कर आलू की भाजी के साथ ब्रेकफास्ट में सर्व करें.

विधि आलू की भाजी की

एक प्रैशरपैन में तेल गरम कर के हींग व जीरे का तड़का लगाएं फिर टमाटर पेस्ट व अन्य सूखे मसाले डाल कर भूनें. जब मसाले भुन जाएं तब हाथ से फोड़े आलू डालें, साथ ही तरी के लिए 2 कप कुनकुना पानी भी डालें. 1 सीटी लगाएं या 5 मिनट खुले में पकाएं. धनिया पत्ती डाल कर सर्व करें.

Raksha Bandhan: ज्योति- सुमित और उसके दोस्तों ने कैसे निभाया प्यारा रिश्ता

family story in hindi

Raksha bandhan: फैस्टिव मेकअप टिप्स

बात मेकअप की हो या फेशियल की, अगर सही स्टैप्स फौलो न किए जाएं तो वह निखार नहीं आ पाता, जो आना चाहिए था. कई बार महिलाएं बिजी शैड्यूल होने के कारण पार्लर नहीं जा पातीं और घर पर ही क्लींजिंग या फेशियल करना शुरू कर देती हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में गलत स्टैप्स अप्लाई कर के परिणाम अच्छा न आने पर सोचती हैं कि बैस्ट कंपनी का प्रोडक्ट यूज करा था फिर भी रिजल्ट अच्छा क्यों नहीं आया?

दरअसल, कमी प्रोडक्ट में नहीं, बल्कि आप द्वारा प्रोडक्ट पर लिखे इंस्ट्रक्शन को फौलो न करने और स्किन संबंधी कुछ चीजों को इग्नोर करने के कारण हुई है.

आप से इस तरह की मिस्टेक्स न हों, इस के लिए स्किन मिरैक्ल ला मैरिनियर (फ्रांस) के टैक्निकल स्किन ऐक्सपर्ट, गुलशन द्वारा बताई बातों को फौलो करना न भूलें.

स्किन पर कुछ भी अप्लाई करने से पहले अपनी स्किन का टाइप चैक कर लिया जाए जैसे:

– अगर आप की स्किन नौर्मल है, तो फेस सौफ्ट दिखने के साथसाथ उस पर औयल भी नजर नहीं आएगा.

– औयली स्किन की निशानी है कि आप की नाक, फोरहैड और चीक्स पर औयल साफ दिखेगा.

– ड्राई स्किन में स्किन को जितने औयल की जरूरत होती है वह नहीं मिल पाता, जिस से स्किन रूखीरूखी नजर आती है.

– कौंबिनेशन स्किन में औयल ‘टी जोन’ यानी नाक और फोरहैड पर जमा रहता है.

– सैंसिटिव स्किन यानी एकदम से स्किन का रैड हो जाना. ऐसी स्किन पर किसी भी प्रोडक्ट का इस्तेमाल बहुत सोचसमझ कर करना पड़ता है.

– जब आप को अपनी स्किन का टाइप पता चल जाए तो फिर उसी के हिसाब से क्लींजिंग या फेशियल करवाएं.

इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि फेशियल तभी अच्छा होगा जब क्लींजिंग सही होगी वरना रिजल्ट ठीक नहीं मिलेगा.

क्लींजिंग

क्लींजिंग हर फेस के लिए जरूरी है, क्योंकि चाहे घर हो या बाहर रोज हमारा संपर्क धूलमिट्टी से होता ही है. अत: क्लींजिंग द्वारा फेस पर न दिखने वाली गंदगी रिमूव होने से फेस शाइन करने लगता है. इस से स्किन के अंदर बाकी प्रोडक्ट्स को पहुंचाने में भी आसानी होती है.

क्लींजिंग क्रीम फेस के हिसाब से यूज करें. 10-15 मिनट तक फेस की क्लींजिंग कर के टिशू पेपर से फेस को साफ कर लें.

ऐक्सपर्ट के अनुसार, एएचए यानी अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड, जो डिफरैंट पील ऐसिड का कौंबिनेशन होता है, करने से पहले स्किन को तैयार किया जाता है और दूसरा उस का पीएच लैवल मैंटेन किया जाता है, जो क्लींजिंग के द्वारा ही संभव है.

एएचए का कार्य स्किन की ब्लौकेज को खत्म करना होता है. वैसे तो यह कई रूपों में मिल जाता है लेकिन सब से ज्यादा ग्लाइसोलिक ऐसिड में पाया जाता है. यह स्किन की ऊपरी परत पर काम कर के कोशिकाओं को हैल्दी बनाता है.

इसी तरह स्किन के पीएच लैवल का मतलब है पोटैंशियल औफ हाइड्रोजन. अगर आप की बौडी का पीएच लैवल 7 है, तो इस का मतलब है कि आप की स्किन बेसिक है. लेकिन अगर पीएच लैवल 5.5 से थोड़ा भी कम है, तो इस का मतलब है कि स्किन की स्थिति सही नहीं है.

स्किन के पीएच लैवल का सही होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह बौडी व स्किन में बैक्टीरिया को प्रवेश करने से रोकता है. आप को पीएच लैवल को नौर्मल लाने के लिए स्किन प्रौब्लम्स जैसे खुजली या ड्राई स्किन आदि समस्या को पहले कंट्रोल करना होगा. इस के लिए आप पीएच बैलेंस्ड स्किन केयर प्रोडक्ट्स का यूज करें और फेस को कुनकुने पानी से धोएं.

ऐंजाइम मास्क

क्लींजिंग के बाद दूसरा स्टैप है ऐंजाइम मास्क को फेस पर लगाना. इस का स्किन से डैड सैल्स को हटाने में अहम रोल होता है. इसे फेस पर 10 मिनट के लिए अप्लाई करें फिर हलकी मसाज कर के हटा लें.

ऐंजाइम मास्क लगाने की शुरुआत हमेशा फोरहैड से करनी चाहिए. फिर फेस पर लगाएं. लेकिन हटाते वक्त हमेशा उलटी प्रक्रिया यानी पहले फेस से और फिर फोरहैड से हटाएं. ऐंजाइम मास्क का इस्तेमाल सैंसिटिव स्किन पर भी किया जा सकता है.

अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड पीलिंग

मास्क हटाने के बाद अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड से फेस की पीलिंग करें. यह प्रक्रिया स्किन के टैक्स्चर को इंपू्रव करने के साथसाथ उसे कोमल भी बनाती है.

शुरुआत हलके से करें यानी पहले एएचए का अनुपात 10% फिर 20% फिर 30% फिर 40% करें. इस से आप को स्किन को समझने का मौका मिलेगा.

इसे बनाने की प्रक्रिया

10% के लिए 3 ड्रौप पानी में 1 ड्रौप एएचए. 20% के लिए 2 ड्रौप पानी में 2 ड्रौप एएचए. फिर 30% के लिए 3 ड्रौप पानी में 3 ड्रौप एएचए.

सब से पहले टी जोन से शुरू करें. एएचए लगाने के 10-15 सैकंड के बाद यह देखना है कि स्किन पर कुछ महसूस हो रहा है या नहीं. इसे 3 मिनट से ज्यादा फेस पर नहीं रखना है.

एएचए का इस्तेमाल करने के बाद चेहरे को कोल्ड कंप्रैशन देना न भूलें. इस से चेहरे पर आई रैडनैस, सूजन वगैरह खत्म होती है. कोल्ड कंप्रैशन के लिए बर्फ का इस्तेमाल, टौवेल को ठंडे पानी में डुबो कर कुछ देर के लिए फेस पर रख दें. इस से चेहरे को ठंडक मिलती है.

स्क्रब

एएचए के बाद 3 मिनट के लिए फेस पर स्क्रब करें. स्क्रब करतेकरते स्टीम भी दें. इस का फायदा यह है कि रोमछिद्र ओपन होते हैं और डैड स्किन रिमूव होती है. फिर ड्राई टिशू से फेस को क्लीन कर लें. ध्यान रहे कि आंखों के ऊपर स्क्रब का इस्तेमाल न करें.

बीटा हाइड्रौक्सी ऐसिड

बीएचए यानी बीटा हाइड्रौक्सी ऐसिड. इस के कण थोड़े बड़े होते हैं. यह भी एएचए की तरह स्किन की ऊपरी परत पर काम करता है. इस का मुख्य कार्य डैड स्किन को रिमूव कर के स्किन को हैल्दी बनाना है.

अगर आप को मुंहासे हैं या फिर ब्लैकहैड्स, व्हाइटहैड्स हैं, तो यह काफी फायदेमंद साबित होता है. इस प्रक्रिया को हमेशा लास्ट में करना चाहिए ताकि स्किन में जो भी इन्फैक्शन हो वह खत्म हो जाए. इस से आप के फेस पर काफी निखार आएगा और स्किन जवांजवां नजर आएगी.

इन बातों को न करें इग्नोर

– यदि स्किन सैंसिटिव है, तो एएचए पीलिंग यूज न करें.

– 21दिन से पहले न तो क्लींजिंग और न ही फेशियल दें.

– फेस पर ब्लीच का इस्तेमाल न करें.

– फेस को नमी देने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.

– पौष्टिक डाइट लें.

अगर फेस पर कोई ऐलर्जी हो रही है, तो ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की गलती न करें, क्योंकि इस से ऐलर्जी बढ़ने का खतरा रहता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें