मेरे पिता जी की उम्र 62 वर्ष है, क्या उनके लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट, जरूरी है क्या?

सवाल

मेरे पिताजी की उम्र 62 वर्ष है. उन की एक किडनी 70% काम कर रही है. दूसरी लगभग 20% मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या इस के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपचार है?

जवाब

डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता तब होती है जब किडनी फेल्योर हो चुका हो. किडनी फेल्योर शब्दावली तब इस्तेमाल की जाती है जब दोनों किडनियां काम करना बंद कर देती हैं. अगर एक किडनी ठीक प्रकार से काम कर रही है तो सामान्य जीवन जीया जा सकता है. जिन्हें किडनी से संबंधित बीमारियां हैं वे ऐक्सरसाइज, डाइट और दवाइयों से इसे नियंत्रित कर किडनी फेल्योर के खतरे को कम कर सकती हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि आप के पिताजी की एक किडनी जो ठीक प्रकार से काम कर रही है उसे स्वस्थ रखने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं ताकि उन्हें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे स्थितियों का सामना न करना पड़े.

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मुझे पिछले 10 वर्षों से डायबिटीज है. कुछ दिनों से मुझे हाथों, टखनों और पैरों के पंजों में सूजन की समस्या हो रही है. इस का कारण क्या हो सकता है?

जवाब

दरअसल, डायबिटीज केवल एक रोग नहीं मैटाबौलिक सिंड्रोम है जिस का प्रभाव किडनियों सहित शरीर के प्रत्येक अंग और उस की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. हाथों, टखनों और पैरों के पंजों में सूजन की समस्या डायबिटिक नैफरोपैथी के कारण हो सकती है. डायबिटीज से पीडि़त 30-40त्न लोगों में डायबिटिक नैफरोपैथी के कारण किडनियां खराब हो जाती हैं. आप अपने यूरिन की जांच कराएं. यूरिन में एल्ब्यूमिन का आना और शरीर में क्रिएटिनिन बढ़ना डायबिटिक नैफरोपैथी के संकेत हैं. अगर यूरिन में माइक्रो एल्ब्यूमिन नहीं आ रहा है तो किडनियों पर असर नहीं हुआ है. डायबिटिक नैफरोपैथी को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उपचार के द्वारा इस के गंभीर होने की प्रक्रिया को बंद या धीमा किया जा सकता है. उपचार में रक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को जीवनशैली में परिवर्तन ला कर और दवाइयों से नियंत्रित रखा जा सकता है.

डा. जितेंद्र कुमार

चेयरमैन, रीनल साइंस ऐंड ट्रांसप्लांट मैडिसिन, एकार्ड सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, फरीदाबाद

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मेरे पति की किडनियां क्षतिग्रस्त हो गई है, मैं जानना चाहती हूं किडनी फेल्योर आखिर क्या है?

सवाल

डायग्नोसिस में पता चला है कि मेरे पति की किडनियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेल्योर क्या होता है?

जवाब

किडनी फेल्योर तब होता है जब किडनियां आप के रक्त से अचानक व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती हैं. जब किडनियां फिल्टर करने की क्षमता खो देती हैं तो शरीर में व्यर्थ पदार्थ खतरनाक स्तर तक इकट्ठा हो जाते हैं और रक्त में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है. ऐक्यूट किडनी फेल्योर को ऐक्यूट रीनल फेल्योर भी कहते हैं. यह स्थिति कुछ घंटों या कुछ महीनों में विकसित हो सकती है. अत्यधिक बीमार लोगों में किडनी फेल्योर कुछ ही घंटों में हो जाता है. किडनी फेल्योर उसे कहा जाता जब दोनों किडनियां अपनी सामान्य गतिविधियों का 15-20त्न से भी कम कर पाती हैं. इस समस्या से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा निबटा जा सकता है.

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मैं किडनियों से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए जानना चाहती हूं कि किडनियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

विश्व की लगभग 10त्न आबादी किडनी से संबंधित किसी न किसी समस्या से जूझ रही है. ऐसे में किडनियों को स्वस्थ्य रखना बहुत जरूरी है. जीवनशैली में कुछ जरूरी परिवर्तन ला कर किडनियों से संबंधित बीमारियों के खतरों को कम किया जा सकता है. इन में सम्मिलित हैं- संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना, नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, रक्त में शुगर के स्तर और रक्तदाब को नियंत्रित रखें, मोटापे से बचें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें.

-डा. जितेंद्र कुमार

चेयरमैन, रीनल साइंस ऐंड ट्रांसप्लांट मैडिसिन, एकार्ड सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, फरीदाबाद

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मुझे कैंसर से डर लगता है, कैंसर से बचने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?

सवाल

मुझे कैंसर से बहुत डर लगता है. लेकिन सब कहते हैं जिस को कैंसर होना है तो हो कर ही रहेगा. क्या इस से बचने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं?

जवाब

यह सही है कि कैंसर एक बहुत गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है. कैंसर किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है. लेकिन यह सही नहीं है कि इस से बचने के लिए आप कुछ नहीं कर सकते. कुछ उपाय हैं जिन के द्वारा आप कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकते हैं जैसे कैंसर से होने वाली कुल मौतों में से एकतिहाई धूम्रपान के कारण होती हैं. इस के अलावा खानपान की गलत आदतें, वजन अधिक होना और शारीरिक सक्रियता की कमी भी कैंसर के प्रमुख रिस्क फैक्टर है.

विश्वभर में हुए कई शोधों में यह बात सामने आई है कि कैंसर के कुल मामलों में से 25 से 30त्न स्वस्थ्य व पोषक भोजन का सेवन कर के, शारीरिक रूप से सक्रिय रह कर और मोटापे का शिकार न हो कर बचे रह सकते हैं.

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परिवार के 2 लोग और एक परिचित कैंसर से जूझ रहे हैं. पूरे विश्वभर में कैंसर के मामले भयावह तरीके से बढ़ रहे हैं. मैं जानना चाहती हूं कि इस के कारण क्या हैं?

जवाब

आधुनिक जीवनशैली और खानपान की बदली आदतों ने कैंसर का खतरा बढ़ दिया है. आज फास्ट और जंक, प्रोसैस्ड फूड का चलन बढ़ गया है जिस में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक और पोषकता कम होती है. गैजेट्स के बढ़ते चलन ने शारीरिक सक्रियता को काफी कम कर दिया है जिस के परिणामस्वरूप उर्जा का असंतुलन हो जाता है. विश्वभर में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है जो कैंसर का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है. अनिद्रा और तनाव का बढ़ता स्तर भी इस समस्या को और बढ़ा रहा है. –डा. देनी गुप्ता

सीनियर कंसल्टैंटमैडिकल औंकोलौजीधर्मशिला नारायणा सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटलदिल्ली   

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पैरों की खूबसूरती बढ़ाने के घरेलू टिप्स

पैरों को साफ और स्वस्थ रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के किसी दूसरे अंग को. पैरों की साफसफाई एक निश्चित अंतराल पर होती रहनी चाहिए. इस के लिए आप नियमित साफसफाई के अलावा पैडिक्योर का सहारा भी ले सकती हैं.

ऐसे करें पैडिक्योर

पैडिक्योर करने से पहले नाखूनों पर लगी नेल पौलिश को हटा दें. फिर टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपना पसंदीदा साल्ट या क्रीम सोप डालें. अगर आप के पैरों की त्वचा ज्यादा रूखी है, तो उस में औलिव आयल भी डाल लें. साल्ट आप के पैरों की त्वचा को नरम बनाएगा, तो औलिव आयल उस के लिए माश्चराइजर का काम करेगा. पैरों का कम से कम 15 मिनट तक इस पानी में रखने के बाद बाहर निकाल कर बौडी स्क्रबर से स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से पैरों को अच्छी तरह साफ कर लें. ध्यान रहे कि पैरों की उंगलियों के बीच में  कहीं सोप बचा न रहे. अब पैरों पर कोल्ड क्रीम से हलकी मालिश करें. रूई की सहायता से उंगलियों के बीच फंसी क्रीम को साफ करें. अब पैरों के नाखूनों पर नेल पौलिश का सिंगल कोट लगाएं और इसे सूखने दें. जब यह सूख जाए तो नेल पौलिश से फाइनल टच दें.

पैराफिन वैक्स के साथ पैडिक्योर

इस तरीके से पैडिक्योर करने के लिए सब से ज्यादा जरूरी चीज है वक्त. जब भी आप पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करें, इसे कम से कम सवा घंटे का समय दें. पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करते समय सब से पहले अपने पैरों को पैराफिन वैक्स से साफ कर लें. इस के लिए पैराफिन वैक्स को पिघला कर एक मिट्टी की बड़ी कटोरी या बरतन में डाल लें. अब अपने पैरों को इस बरतन में डाल दें. यह काम करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि वैक्स आप के पैरों के ऊपर बहे. इस के बाद पेडिक्योर की पहली प्रक्रिया की तरह पैरों को कुनकुने साफ पानी से धो कर क्रीम से इन की मसाज करें और नेल पौलिश लगा लें.

कुछ काम की बातें

सर्दियों में गरम जुराबें पहनें, जिस से आप के पैर गरम रहें. मगर इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जुराबें पैरों के लिए टाइट न हों.

अगर आप पैरों के नाखून बड़े रखना चाहती हैं, तो जुराबें पहनते समय इस बात का ध्यान रखें कि नाखूनों पर नेल पौलिश लगी हो. इस से उन के नरम हो कर टूटने का डर नहीं रहता, नेल पौलिश उन्हें सहारा दे कर मजबूत बनाए रखती है.

धोने या पैडिक्योर ट्रीटमेंट लेने के  बाद पैरों को बिना सुखाए जुराबें न पहनें. इस से इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ता है.

पैरों को गरमी देने के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह आप के पैरों के लिए जरूरत से ज्यादा गरम साबित होने के साथ उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

बाजार से पैरों के लिए जूते या चप्पल खरीदते समय खयाल रखें कि पंजों पर ज्यादा दबाव न पड़े. पंजों का रक्तप्रवाह किसी भी तरह से दुष्प्रभावित नहीं होना चाहिए.

पैरों को धोते समय कुनकुने पानी का इस्तेमाल करें. ज्यादा गरम पानी नुकसानदेह हो सकता है.

एडि़यों को फटने से बचाने के लिए माश्चराइजर का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है. मगर इसे उंगलियों के बीच में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इस स वहां फंगस लगने का डर रहता है.

अगर आप के पैरों में पसीना बहुत ज्यादा आता है, तो जूते पहनते समय एंटी फगस पाउडर का इस्तेमाल करना न भूलें.

मेरी शादी होने वाली है लेकिन मेरा वजन कम नहीं हो रहा, अब मैं क्या करूं

सवाल

6 महीनों में मेरी शादी होने वाली है. वजन थोड़ा ज्यादा है इसलिए मंगेतर और घर वाले बारबार वजन कम करने की बात करते हैं. हालांकि कुछ समय से वजन कम करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है. इन सब के कारण मन दुखी रहने लगा है. ऐसा लगता है कुछ सही नहीं होगा. कृपया कोई समाधान बताएं?

जवाब

आप को कितना वजन कम करना है यह आप ने नहीं बताया है. आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है. वजन कम करने के लिए आप डांस का सहारा ले सकती हैं. दिन में 2 घंटे का डांस न सिर्फ वजन कम करेगा बल्कि तनाव मुक्त भी करेगा. आप किस प्रकार की डाइट फौलो करती हैं उस पर भी यह निर्भर करता है कि वजन कितनी जल्दी कम होगा.

ऐक्सरसाइज के साथ सही डाइट जरूरी है. अपने खाने से तेलघी बिलकुल खत्म कर दें. केवल उबला हुआ पौष्टिक खाना ही खाएं. इस के लिए आप डाइटीशियन की मदद ले सकती हैं. याद रखिए एक सही डाइट आप को शारीरिक रूप के साथ मानसिक रूप से भी फिट रखती है. अच्छा आहार व्यक्ति को तनावमुक्त रहने में मदद करता है. रात को सूप या केवल सलाद खा कर सोएं. दिन की शुरुआत कुनकुने पानी के सेवन से करें.

दिनभर कुनकुना पानी ही पीएं क्योंकि यह वजन कम करता है और कई बीमारियों से भी बचाए रखता है. सुबह ऐक्सरसाइज जरूर करें. वजन बहुत ज्यादा है तो जिम जौइन कर सकती हैं.

-डाक्टर गौरव गुप्ता साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर, तुलसी  हैल्थकेयर 

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ऐसे पाएं बेदाग स्किन के साथ लंबे घने बाल

ऐसे पाएं बेदाग स्किन के साथ लंबे घने बाल अगर आप भी ग्लोइंग त्वचा के साथ खूबसूरत बालों की ख्वाहिश रखती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है… कई महिलाएं अपनी त्वचा और बालों की समस्याओं का संबंध जीवनशैली या जेनेटिक फैक्टर्स से जोड़ती हैं. आमतौर पर वे बालों के नुकसान को अनदेखा कर देती हैं. उन्हें लगता है कि तनाव और बालों की देखभाल के लिए समय न निकाल पाना इन समस्याओं के कारण हैं. लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं होता कि शरीर में न्यूट्रिशन लैवल पर त्वचा और बालों का स्वास्थ्य निर्भर होता है.

न्यूट्रिशन और आदर्श विटामिन लैवल दोनोें त्वचा को स्वस्थ, मुलायम और बालों को घना व मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. डाइट और पाचन खराब होने से पोषण में कमी पैदा होती है. इससे त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं और त्वचा के कुल स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. कई बार आहार में कोई कमी नहीं होती, लेकिन फूड सैंसिटिविटी या ऐलर्जी त्वचा रोग का कारण बनती है.

अध्ययनों ने साबित किया है कि ऐंटीऔक्सीडैंट की फोटो प्रोटैक्टिव क्षमता का त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली पर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की पूर्ति के प्रभावों के साथ सहसंबंध होता है. आइए जाने कि विटामिन की कमी त्वचा और बालों को कैसे प्रभावित कर सकती है. त्वचा की देखभाल में पोषण की भूमिका विटामिन ए, बी3 और बी12 की अहमियत: पूरे मानव शरीर खासकर त्वचा के पोषण में विटामिन ए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विटामिन ए की कमी से स्वैट डक्ट्स में रुकावट, औयल ग्लैंड्स में कमी और फ्राइनोडर्मा, जेरोसिस और त्वचा पर झुर्रियां आदि समस्याएं पैदा हो सकती हैं. आमतौर पर कुपोषित लोगों खासकर बच्चों में ये समस्याएं देखी जाती हैं. विटामिन ए की कमी के कारण कुहनियों, घुटनों, नितंबों पर खुरदरी काली त्वचा देखी जाती है.

विटामिन बी3 की कमी के कारण गरदन जैसे आमतौर पर खुले रहने वाले भागों पर फोटो सैंसिटिविटी और रैशेज जैसे सनबर्न हो जाते हैं. इसी तरह इस से हाथों और पैरों में दरारें भी पड़ सकती हैं जिसे पेलेग्रस ग्लव्स और बूट्स कहा जाता है. कई बार इस से त्वचा छिल सकती है. कई महिलाएं इस बात को अनदेखा कर देते हैं, लेकिन कई गंभीर मामलों में यह घातक साबित हो सकता है. विटामिन बी 12 की कमी आमतौर पर उन में देखी जाती है जिन के खाने में मक्का हर दिन होता है या जो शराब पीते हैं अथवा जो दवा ले रहे हैं. इस से त्वचा पर हाइपरपिग्मैंटेशन त्वचा में सूजन और इन्फैक्शन, डार्क सर्कल्स आदि समस्याएं हो सकती हैं. इन का इलाज न करना जानलेवा भी हो सकता है. दूध, पनीर, दही, अंडे, केला, स्ट्राबेरी, टूना मछली, चिकन आदि में विटामिन बी 12 भरपूर होता है.

इन पदार्थों का सेवन करना चाहिए. शरीर में बी 12 के स्तर को बढ़ाने के बारे में डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. विटामिन सी का महत्त्व कोलोजन बनने के लिए विटामिन सी आवश्यक है, त्वचा का टाइटनिंग और त्वचा में युवा दिखने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रोटीन है. अध्ययनों ने साबित किया है कि विटामिन सी के रोजाना सेवन से त्वचा की झोर्रियों में सुधार हो सकता है और त्वचा के कुल टैक्सचर में सुधार हो सकता है. विटामिन सी ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होता है जो अच्छी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है. विटामिन सी की कमी से त्वचा रूखी और बेजान हो सकती है और उस की घाव भरने की क्षमता कम हो सकती है. विटामिन सी की कमी से स्कर्वी भी हो सकता है.

स्कर्वी के लक्षणों में रक्तस्राव के कारण त्वचा पर दिखाई देने वाले गोल धब्बे रक्तस्राव के कारण त्वचा का रंग फीका पड़ना और स्वान नैक हेयर शामिल हैं. जिंक का महत्त्व जिंक की कमी से त्वचा में दरारें, सूखी त्वचा और रैशेज हो सकते हैं. जिंक की कमी से मुंहासे, त्वचा में संक्रमण भी हो सकता है और त्वचा की घाव भरने की क्षमता भी कम हो सकती है. कई केसेज में मुंह और नितंबों के आसपास लाल पपड़ीदार पैच दिखाई दे सकते हैं. लोकल ऐप्लिकेशन और क्रीम्स मौइस्चराइजर से इस की कमी का इलाज नहीं किया जा सकता है. इलाज में दवाइयों और अच्छे खाने के जरीए जिंक इनटेक शामिल है.

शरीर में जिंक लैवल क्या है उस के आधार पर डाक्टर जिंक सप्लिमैंट्स का सुझाव दे सकते हैं. आयरन का महत्त्व शरीर में लोहे की कमी के कारण बेजान, रूखी त्वचा, काले घेरे, नाखूनों का टूटना आदि समस्याएं हो सकती हैं. कुछ मामलों में इस से जीभ में सूजन, ऐंगुलर चेलाइटिस भी हो सकता है. इस के अलावा त्वचा में खुजली हो सकती है और खरोंचने पर त्वचा लाल, पपड़ीदार हो सकती है. आयरन की कमी से होने वाले रैशेज के कारण त्वचा के नीचे लाल या बैगनी रंग के धब्बे हो सकते हैं. बायोटिन एक पानी में घुलने वाला विटामिन बी है जो फैट और कार्बोहाइड्रेट चयापचय के लिए आवश्यक प्रतिक्रियाओं के लिए कोऐंजाइम के रूप में कार्य करता है.

बायोटिन की कमी बहुत आम समस्या नहीं है. बायोटिन की कमी से त्वचा में पैदा होने वाले लक्षणों में पैची रैड रैश आमतौर पर मुंह के पास, सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस और फंगल त्वचा व नाखूनों में इन्फैक्शन शामिल हैं. बालों की देखभाल में पोषण की भूमिका आयरन और विटामिन बी12 का महत्त्व: बालों का समय से पहले ग्रे होना या कैनिटी एक आनुवंशिक प्रवृत्ति है. आयरन, विटामिन डी, फोलेट, विटामिन बी 12 और सेलेनियम ऐसे विटामिन और खनिज हैं जिन की कमी की वजह से बचपन या शुरुआती वयस्कता के दौरान बालों के ग्रे, सफेद होने की समस्या हो सकती है. इन सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने से बालों के समय से पहले ग्रे होने की समस्या में सुधार हो सकता है.

विटामिन बी12 की कमी से बाल झड़ते हैं और रूखे और बेजान हो जाते हैं. विटामिन बी12 मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के बनने के लिए बहुत जरूरी है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में औक्सीजन ले जाती हैं. जब किसी व्यक्ति में विटामिन बी12 की कमी होती है, तो बालों के रोमों को नए बाल पैदा करने के लिए पर्याप्त औक्सीजन नहीं मिलती है. परिणामस्वरूप बालों के रोम कुशलतापूर्वक काम नहीं कर पाते हैं और बाल ?ाड़ने लगते हैं. आयरन की कमी का बालों पर असर विटामिन बी 12 की कमी की तरह ही स्वस्थ बालों के लिए आयरन का सेवन भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है.

आयरन एक महत्त्वपूर्ण खनिज है जो मानव शरीर और लाल रक्त कोशिकाओं के समुचित कार्य में मदद करता है. जब किसी व्यक्ति में आयरन की कमी होती है, तो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं बालों के रोम तक औक्सीजन नहीं पहुंचा पाती हैं. लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन होता है, जो रक्त को ऊतकों, कोशिकाओं और महत्त्वपूर्ण अंगों सहित शरीर के विभिन्न भागों में ले जाता है. हीमोग्लोबिन उन कोशिकाओं की मरम्मत करता है जो बालों के आदर्श विकास में योगदान देती हैं. आयरन की कमी से बालों का अत्यधिक ?ाड़ना, बालों की ठीक से न बढ़ पाना आदि समस्याएं पैदा होती हैं.

इस से महिलाओं और पुरुषों में गंजापन जल्दी हो सकता है. शरीर में आयरन को स्वस्थ लैवल को बनाए रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, मुनक्का, काजू और दालों का सेवन नियमित रूप से करें. अपना आयरन लैवल जानने और शरीर में आयरन लैवल को बढ़ाने के संभव विकल्पों के बारे में जानने के लिए डाक्टर से बात करें. जिंक की कमी का बालों पर असर अध्ययनों से यह भी साबित हुआ है कि जिंक की कमी से बालों के रोम की प्रोटीन संरचना प्रभावित हो सकती है जो बालों की मजबूती को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण होती है. जिंक हारमोनल संतुलन को बनाए रखता है और हारमोनल असंतुलन बालों के झड़ने का एक प्राथमिक कारण है.

विटामिन सी की कमी और बाल विटामिन सी की कमी से बाल दोमुंहे और सूखे हो सकते हैं. शरीर में जब विटामिन सी मौजूद होता है तभी आयरन को अब्सौर्ब किया जा सकता है. इसलिए अगर किसी के शरीर में विटामिन सी की कमी है तो उस से शरीर में आयरन का स्तर भी प्रभावित होता है जिस के परिणामस्वरूप बालों का ?ाड़ना शुरू हो जाता है. आहार में विटामिन, आयरन और जिंक की कमी से ऐक्यूट टेलोजेन एफ्लुवियम और बालों का समय से पहले सफेद होना हो सकता है. बालों को धोते, कंघी करते यहां तक कि उंगलियों को चलाते समय अत्यधिक बालों का ?ाड़ना टेलोजेन एफ्लुवियम के संकेत हैं. इसलिए चमकती त्वचा और घने बालों के लिए आहार में सही प्रोटीन और विटामिन शामिल करें. -डा. रैना नाहर कंसल्टैंट, डर्मैटोलौजी, पीडी हिंदुजा हौस्पिटल ऐंड मैडिकल रिसर्च सैंटर, खार. द्य

मेरे लिवर में 2 मिलिमीटर का ट्यूमर है, क्या सर्जरी से इसका पूरा तरह उपचार संभव है?

सवाल 

मैं पेशे से वकील 57 वर्षीय महिला हूं. डायग्नोसिस में मेरे लिवर में 2 मिलिमीटर का ट्यूमर होने का पता चला है. क्या सर्जरी से इस का पूरी तरह उपचार संभव है?

जवाब

बहुत कम मामलों में ही लिवर कैंसर का पता शुरूआती चरण में चल पाता है और इस स्तर पर सर्जरी के द्वारा इस का लगभग सफल उपचार संभव है. सर्जरी के द्वारा ट्यूमर और लिवर के कुछ स्वस्थ उतकों को निकाल दिया जाता है जो ट्युमर के आसपास होते हैं. मिनिमली इनवेसिव लैप्रोस्कोपिक या रोबोटिक सर्जरी ने सर्जरी को काफी आसान बना दिया है. यह एक अत्याधुनिक विकसित तकनीक है जिस में सर्जरी करने में कंप्यूटर और रोबोट की मदद ली जाती है. कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित इस सर्जरी में सर्जन रोबोट को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं. इस में पारंपरिक सर्जरी की तरह बड़े कट नहीं लगाए जाते हैंजिस से जटिलताएं कम होती हैं और मरीज को ठीक होने में कम समय लगता है अस्पताल में ज्यादा रुकने की जरूरत भी नहीं होती है

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कौन से घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?

सवाल 

मैं 32 वर्षीय शिक्षिका हूं. मुझे लिवर में सूजन की परेशानी है. मैं जानना चाहती हूं लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कौन से घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?

जवाब 

अपना भार औसत रखें विशेषकर शरीर के मध्य भाग में चरबी न बढ़ने दें. इस के लिए पोषक भोजन का सेवन करें जिस में फाइबरविटामिनऐंटीऔक्सीडैंट और मिनरल की मात्रा अधिक और वसा की मात्रा कम हो. नियमित रूप से ब्लड टैस्ट कराते रहें ताकि आप अपने रक्त में वसाकोलैस्ट्रौल और ग्लूटकोज के स्तर पर नजर रख सकें. नमकचाय और कौफी का सेवन कम करें.

दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीएं. तनाव को नियंत्रित रखें क्योंकि इस से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती हैजिस का सीधा असर लिवर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट ऐक्सरसाइज करें. अगर धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं तो इसे तुरंत बंद कर दें.

मैं ये जानना चाहती हूं कि लिवर फेल्योर क्या है और इसके उपचार क्या हैं?

सवाल 

मेरे पति की उम्र 56 वर्ष है. उन का लिवर फेल्योर हो चुका है. मैं जानना चाहती हूं कि लिवर फेल्योर क्या है और इस के लिए कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं?

जवाब

लिवर फेल्योर तब होता है जब लिवर का एक बड़ा भाग क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसे किसी उपचार से ठीक नहीं किया जा सकता है. लिवर फेल्योरजीवन के लिए एक घातक स्थिति हैजिस के लिए तुरंत उपचार की जरूरत होती है. लिवर फेल्योरलिवर की कई बीमारियों की आखिरी स्टेज है. शुरूआती चरण में लिवर फेल्योर का उपचार दवाईयों से किया जाता है

इस के उपचार का प्रारंभिक उद्देश्य यह होता है कि लिवर के उस हिस्से को बचा लिया जाए जो अभी भी कार्य कर रहा है. अगर यह संभव नहीं है तब लिवर प्रत्यारोपण जरूरी हो जाता है. इस में या तो पूरा लिवर बदला जाता है या फिर लिवर का कुछ भाग. अत्याधुनिक तकनीकों ने लिवर प्रत्यारोपण को काफी आसान और सफल बना दिया है.

प्रोग्राम डायरेक्टर ऐंड क्लीनिकल लीड – लिवर ट्रांसप्लांटएचपीबी सर्जरी ऐंड रोबोटिक लिवर सर्जरीनारायणा हौस्पिटलगुरुग्राम.

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मैं अपना लिवर दान करना चाहती हूं ऐसा करने से मेरे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

सवाल

मैं 46 वर्षीय घरेलू महिला हूं. मेरे भाई को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है. मैं उसे अपना लिवर दान करना चाहती हूं. ऐसा करने से मेरे स्वास्थ्य और जीवन पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?

जवाब

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए जीवितदाता से लिवर का केवल एक भाग ही लिया जाता है पूरा लिवर नहीं. किसी भी इंसान को जीवित रहने के लिए 25% लिवर ही काफी है. हम 75% प्रतिशत लिवर निकाल सकते हैं. लिवर का जितना भाग निकाला जाता है

वह छह सप्ताह में फिर से विकसित हो कर सामान्य आकार ले लेता है. लिवर दान करने के लिए दाता का शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है.

दाता से लिवर लेने के पहले सारे टैस्ट किए जाते हैं कि लिवर लेने के बाद वह फिर से विकसित होगा या नहीं. सारे टैस्ट पौजिटिव आने के बाद ही दाता से लिवर लिया जाता है.

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