जब कोर्ट मैरिज हो जरूरी

प्यार करने वालों को अक्सर घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ता है. यह ऐतराज कई बार औनर किलिंग जैसी हैवानियत की वजह भी बन जाता है जो प्यार करने वालों के सपनों को तहस नहस कर देता है. इस समस्या से निबटने का एक आसान रास्ता है , कोर्ट मैरिज.

इस संदर्भ में 2 अलग धर्म के बौलिवुड सितारे सैफ और करीना की शादी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन्होंने शादी के लिए कानूनी रास्ता अख्तियार किया. बांद्रा स्थित रजिस्ट्रार औफिस जा कर उन्होंने शादी से सम्बंधित जरूरी कागजात जमा किए और आवेदन के 30 दिनों के भीतर कोर्ट मैरिज कर ली.

स्पेशल मैरिज एक्ट 1945 के अंतर्गत होने वाले विवाह को कोर्ट मैरिज कहते हैं. कोर्ट मैरिज में 2 लोगों के धर्म ,जाति या उम्र को नहीं देखा जाता बल्कि उन की सहमति और पात्रता देखी जाती है .

पात्रता

युवक-युवती दिमागी तौर स्वस्थ हों. संतानोत्पति में समर्थ हों.

लड़के की उम्र काम से काम 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए. दोनों ने अपनी इच्छा से पूरे होशोहवाश में शादी की सहमति दी हो. विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन न हो.

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती को इस बाबत एक फौर्म भर कर लिखित सूचना अपने क्षेत्र के जिला विवाह अधिकारी को देनी होती है. फिर नोटिस जारी करने का शुल्क जमा करना होता है जो काफी कम होता है. इस आवेदन के साथ युवकयुवती को फोटो पहचान पत्र, और एड्रैस प्रूफ भी प्रस्तुत करना होता है. उस के बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है. इस नोटिस को कार्यालय के नोटिस बोर्ड और किसी सार्वजनिक जगह पर चिपकाया जाता है. ताकि किसी को आपत्ति हो तो वह अपना पक्ष रख सके.

यदि विवाह इच्छुक दोनों व्यक्ति या दोनों में से कोई एक किसी दूसरे जिले का निवासी है तो यह नोटिस उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहां सार्वजनिक स्थान पर इस से सम्बद्ध नोटिस चिपकायी जाती है. इस नोटिस का उद्देश्य यह जानना है कि युवक-युवती के विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन तो नहीं है. मसलन कहीं दोनों में से कोई एक पहले से विवाहित तो नहीं. यदि विवाहित हैं तो भी वे क़ानूनी रूप से अलग हो चुके हैं या नहीं.

यदि विवाह में कोई कानूनी बाधा न हो तो नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर या फिर आवेदन लगाने के 3 माह समाप्त होने से पहले कभी भी जिला विवाह अधिकारी के सामने विवाह किया जा सकता है . लड़का-लड़की और तीन गवाहों के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. लड़का- लड़की चाहे तो वरमाला ,सिंदूर,मंगलसूत्र, लहंगाचुनरी पंडित वगैरह का इंतजाम भी कर सकते हैं.

विवाह संपन्न होने के बाद जिला विवाह अधिकारी द्वारा विवाह प्रमाणपत्र भी जारी किया जाता है. कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान है. विवाह खर्च कम मगर धांधली यहां भी शादी में कोई अड़चन न आये , कोई किडनैपिंग चार्ज न लगे ,सब काम जल्दी निबट जाए ,नोटिस घर न भेजा जाए और उसे नोटिस बोर्ड से भी तुरंत उतार दिया.

कई बार ऐसा भी होता है कि कोर्ट में 30 दिन पहले नोटिस न लगाने की बात पर युवकयुवती से 10 -20 हजार या उस से भी ज्यादा की मांग की जाती है. यदि रुपए नहीं दिए जाते तो उन के घर वालों को शादी की जानकारी देने की धमकी दी जाती है. इस तरह से यह कोर्ट में काम कर रहे लोगों ने एक धंधा बना लिया है. मजबूर युवकयुवती को हर मांग स्वीकार करनी पड़ती है क्यों कि उन के लिए उस वक़्त सुरक्षित विवाह करने से महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता.

फायदे

कोर्ट मैरिज भारत सरकार और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाह है. यदि शादी के बाद किसी वजह से तलाक की नौबत आती है तो सेटेलमेंट आसान हो जाता है.

वैसे भी लाखों करोड़ों लगा कर की जाने वाली शादियों में रुपयों की जैसी बर्बादी होती है उसे रोकने के लिए भी कोर्ट मैरिज काफी अहम् है. आप की शादी कुछ हजार रुपयों में संपन्न हो जाती है. आप बाकी के रुपए अनाथ और गरीबों को खिलाने में खर्च कर सकते हैं. अपने लिए अच्छा हनीमून पैकेज  ले सकते हैं.

शादी का सर्टिफिकेट आप के हाथों में हो तो धोखाधड़ी की संभावना भी नहींरहती. दोनों पक्ष अपनी इच्छा से शादी करते हैं इसलिए शादी के बाद उलझनों की जिम्मेदारी भी वे स्वयं लेते हैं.

मुझे एक लड़की ने रिजेक्ट कर दिया, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 17 साल का लड़का हूं और एक लड़की से प्यार करता हूं. मैं ने उसे आई लव यू कहा तो उस ने ना कर दी, लेकिन वह अब भी मेरे साथ बातचीत करती है. मैं उसे एक बार फिर से आई लव यू कहना चाहता हूं, तो बताइए उसे किस प्रकार आई लव यू बोलूं?

जवाब

पहले तो यह समझ लीजिए कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है, जो आप को उस से हो गया है लेकिन उसे आप से नहीं. आप के पत्र से लगता है कि वह आप की फ्रैंडशिप में तो है, लेकिन आप से प्यार नहीं करती. इस तरह आप का प्यार एकतरफा है. ऐसे में आई लव यू कहने से बात बनने वाली नहीं. उस के दिल में उतरना होगा आप को. उस की पसंदीदा हर बात कीजिए, फिर शायद उधर से ही आई लव यू कह दिया जाए, लेकिन जल्दबाजी न कीजिए. उस की भावनाओं का सम्मान करते हुए उचित मौका देख कर प्यार से एक बार फिर इश्क का इजहार कर दीजिए. यदि वह आंखें नीची कर मुसकरा दे तो प्यार का इकरार समझ लीजिए. हां, जोरजबरदस्ती कभी न कीजिएगा वरना दोस्ती से भी हाथ धो बैठेंगे.

किशोरावस्था में स्कूल व ट्यूशन में कब कोईर् किशोरी अच्छी लगने लगती है, इस का पता ही नहीं चलता लेकिन उसे देख कर हमें कुछकुछ होने लगता है. हम उस से बात करने का बहाना ढूंढ़ते हैं, फ्रैंडशिप की कोशिश करते हैं. यहां तक कि फेसबुक पर सर्च कर उसे फैंरड रिक्वैस्ट तक भेज देते हैं.

कभीकभी हम जल्दबाजी में कई ऐसी गलतियां कर देते हैं जिन से सब के बीच हम मजाक के पात्र बन जाते हैं. कई बार तो किशोरी हमें ठीक से जानती भी नहीं है, लेकिन हम अपने दिल की बात उसे बता देते हैं और वह इसे डिफ्यूज कर देती है, इस से सबकुछ गड़बड़ हो जाता है.

अगर आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगी है तो उसे तुरंत प्रपोज करने के बजाय पहले उस से दोस्ती करें. यदि दोस्ती के बाद भी आप को समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरुआत करें तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

अच्छा व्यवहार करें

आप अपने क्रश से अच्छा व्यवहार करें. ऐसा न हो कि उस के आते ही आप की बौडी लैंग्वेज और आवाज बदल जाए. आप के लहजे से ऐसा लगे कि आप किसी राजकुमारी से बात कर रहे हैं. आप उस के साथ भी वैसे ही बरताव करें जैसा आप अपने बाकी दोस्तों के साथ करते हैं.

साफसुथरे नजर आएं

यदि आप किसी लड़की को पसंद कर रहे हैं तो आप का साफ और अच्छा दिखना बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारा ध्यान किसी भी आकर्षक पर्सनैलिटी पर जाने से पहले कई चीजों पर जाता है जैसे मुंह की बदबू, पसीने की बदबू, इसलिए अच्छी हाइजिन हैबिट बनाएं ताकि किशोरी आप से बात करने में हिचकिचाए नहीं बल्कि खुद भी दोस्ती की पहल करे.

पौजिटिव नजरिया रखें

हमेशा लोग उन के साथ रहना पसंद करते हैं जो खुश रहते हैं और पौजिटिव नजरिया रखते हैं, इसलिए आप भी अच्छा बनने की कोशिश करें. दूसरों की बुराई करने के बजाय उन की अच्छाइयों को देखें.

नर्वस न हों

अकसर हम जब किसी को पसंद करते हैं तो उस के सामने आते ही हमारी धड़कन तेज हो जाती है और हम नर्वस हो जाते हैं. समझ नहीं पाते कि क्या करें. इसी वजह से छोटीछोटी गलतियां कर बैठते हैं, इसलिए यदि आप चाहते हैं कि कोई गलती न हो तो बजाय नर्वस होने के कौन्फिडैंट हो कर दिल जीतने की कोशिश करें.

प्रपोज करने के बजाय दोस्ती करें

जब आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगे तो उसे एकदो मुलाकातों के बाद ही प्रपोज न करें बल्कि दोस्ती करें. उसे जानने की कोशिश करें तथा उस की पसंदनापसंद को जानें. एकदम से प्रपोजल मिलने से लड़कियां थोड़ी घबरा जाती हैं और दोस्ती करने से मना कर देती हैं.

दिल की बात जानने की कोशिश करें

आप के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सामने वाले के दिल की बात जानें. ऐसा भी हो सकता है कि आप जिसे लाइक कर रहे हैं वह किसी और को लाइक करती हो और आगे जा कर आप को तकलीफ हो इसलिए बातोंबातों में पहले ही दिल की बात जानने की कोशिश करें.

सरप्राइज दें

आप अपनी बौंडिग बढ़ाने के लिए सरप्राइज प्लान करें. उस के पसंदीदा काम करें जिसे देख वह खुश हो जाए, पर ध्यान रहे ऐसा सरप्राइज न प्लान करें कि वह सरप्राइज के बजाय शौक्ड हो जाए.

प्रोत्साहित करें

हर किसी को प्रोत्साहन अच्छा लगता है. ऐसा लगता है कि कोई है जिसे हमारा काम पसंद आता है. अगर वह किसी काम को नहीं कर पा रही है तो उस में विश्वास पैदा करें कि वह कर सकती है. यदि उसे किसी चीज से फोबिया है तो उस का फोबिया दूर करने की कोशिश करें. यकीन मानिए आप का केयरिंग नेचर देख कर किशोरी जरूर इंप्रैस होगी.

हौबी में दिखाएं रुचि

हर किसी की हौबी अलग होती है, लेकिन फिर भी आप किशोरी की हौबी में रुचि दिखाएं, इस से आप दोनों को बातचीत करने और एकदूसरे को जाननेसमझने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही आप कुछ नया भी सीख पाएंगे. लेकिन ऐसी बातें न करें जिन में आप को मजा न आता हो.

पढ़ाई को बनाएं प्यार का टूल

जब आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगने लगती है तो आप अपने प्यार का एहसास कराने के लिए पढ़ाई को टूल बनाएं. पढ़ाई के बहाने उस के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. एकदूसरे से नोट्स शेयर करें. इस से आप की पढ़ाई भी हो जाएगी और आप एकदूसरे के करीब भी आ जाएंगे.

तारीफ से मिटाएं दूरियां

अपनी तारीफ सुनना भला किसे अच्छा नहीं लगता. आप भी तारीफ से दिल में जगह बना सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे जब तारीफ करें तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप चापलूसी कर रहे हैं.

खास अवसरों को रखें याद

किशोरियों को बहुत अच्छा लगता है जब कोई उन्हें उन के स्पैशल डे पर सरप्राइज देता है, इसलिए अपने क्रश के खास दिन को याद रखें. आप चाहें तो फोन में रिमाइंडर लगा सकते हैं या डायरी में नोट कर के रख सकते हैं ताकि आप भूलें नहीं.

क्या न करें

चिपकू बनने की गलती न करें

जब कोई लड़की हमें अच्छी लगने लगती है तो हम उस के आसपास मंडराने का बहाना ढूंढ़ते हैं. वह जहां जाती है उस के पीछेपीछे चले जाते हैं. उस का बात करने का मन हो चाहे न हो, लेकिन फिर भी किसी न किसी बहाने उस से बात करते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो अब मत करिए, क्योंकि ऐसा कर के आप खुद को चिपकू साबित करते हैं. अत: ऐसा माहौल बनाएं कि वह खुद आप के पास आने की कोशिश करे.

क्लास में न पीटें ढिंढोरा

अगर आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगती है तो सब को इस बारे में न बताएं, क्योंकि जब किशोरी को क्लास के किसी स्टूडैंट से पता चलेगा तो वह सब के सामने आप को भलाबुरा कह देगी, इसलिए अपने दिल की बात अपने तक ही सीमित रखें. यदि आप किसी को बताना भी चाहते हैं तो अपने किसी ऐसे दोस्त को बताएं जिस पर आप को भरोसा हो कि वह यह बात किसी से नहीं कहेगा.

पढ़ाई के समय न करें चैटिंग से डिस्टर्ब

आप को कोई लड़की अच्छी लगती है तो इस का यह मतलब नहीं कि आप हर समय मैसेज करते रहें, खासकर पढ़ाई के समय. ऐसा कर के आप न केवल सामने वाले को डिस्टर्ब करते हैं बल्कि इस से आप की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है इसलिए हर वक्त मैसेज करने के बजाय एक समय तय करें.

महंगे गिफ्ट्स में न करें पैसे बरबाद

किशोर सोचते हैं कि गिफ्ट दे कर ही दिल जीता जा सकता है और इस के लिए वे अपने दोस्तों से पैसे उधार लेते हैं. आप ऐसा कुछ न करें, अगर गिफ्ट देना ही चाहते हैं तो हैंडमेड चीजें दें, ताकि सामने वाले को आप की मेहनत व प्यार दिखे.

रिजैक्शन खुद पर हावी न करें

अगर किसी लड़की ने आप के प्रपोजल को ठुकरा दिया है तो इस रिजैक्शन को खुद पर हावी न होने दें, न ही उलटीसीधी हरकतें करें. कईर् बार ऐसा होता है कि किशोर रिजैक्शन से डिप्रैशन में चले जाते हैं, दोस्तों से मिलना छोड़ देते हैं, ऐसा न करें बल्कि अपने दिल का दरवाजा खोल कर रखें, क्या पता कब कौन दस्तक दे दे.

कुछ जरूरी बातें

– करीब आने के लिए कभी भी बौडी टचिंग का सहारा न लें.

– ईमानदार बनें. इंप्रैस करने के लिए झूठ का सहारा न लें.

– अपने बारे में वास्तविक बातें बताएं. ऐसा न सोचें कि आप अगर अपनी या पेरैंट्स की सचाई बता देंगे तो वह आप से दोस्ती नहीं करेगी.

क्या है स्लीप डायवोर्स

आलोक के खर्राटे पूरे कमरे में गूंज रहे थे. सीमा कभी करवटें बदलती, कभी तकिया कानों पर रखती, तो कभी सिर आलोक के पैरों की तरफ करती. यही सब करतेकरते रोज रात को 3 बज जाते थे. सुबह उठती तो उस का सिर भारी रहता. बातबात पर चिढ़ती रहती, दिन भर औफिस में काम करना मुश्किल हो जाता. तबीयत हर समय बिगड़ी रहने लगी तो दोनों डाक्टर के पास गए. डाक्टर ने पूरी बात सुनने के बाद स्लीप डायवोर्स के बारे में बात करते हुए दोनों को अलगअलग सोने की सलाह दी, तो दोनों हैरानपरेशान घर लौट आए. 1 हफ्ते में ही भरपूर नींद के बाद सीमा प्रसन्नचित्त और चुस्तदुरुस्त दिखने लगी, तो दोनों इस से खुश हुए और फिर डाक्टर को जा कर धन्यवाद दिया.

आहत न हों भावनाएं

मनोचिकित्सकों के अनुसार, कई पतिपत्नी ऐसे होते हैं, जो अलगअलग सोना चाहते हैं. कारण कई हैं, साथी के बारबार करवट बदलने से, बिस्तर में खर्राटे भरने से नींद डिस्टर्ब होने के कारण वे अलग सोना तो चाहते हैं पर साथी की भावनाएं आहत न हों, इसलिए कह नहीं पाते. कई पतिपत्नी ऐसे भी होते हैं, जो एकदूसरे को प्यार तो बहुत करते हैं पर सोना अलगअलग चाहते हैं और चली आ रही परंपराओं के अनुसार पतिपत्नी को एक बैडरूम में ही सोना चाहिए पर अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए जब भी अकेले सोने का मन करे, तो स्लीप डायवोर्स की स्थिति को समझ लेना चाहिए.

स्लीप डायवोर्स है क्या

इसे नाइट डायवोर्स भी कहते हैं. इस का मतलब है पतिपत्नी का अलगअलग सोना. ठीक से न सोने से रिश्ते के साथसाथ हैल्थ भी प्रभावित होती है. कई पतिपत्नियों को जिन्हें नींद न आने की समस्या होती है. उन्हें अलगअलग सोने की सलाह दी जाती है ताकि उन की नींद का स्तर सुधर सके. कम सोने से रिश्ते पर, घर की अन्य समस्याओं पर इस का नकारात्मक असर पड़ सकता है. डाक्टरों के अनुसार, अलगअलग सोने में कुछ भी गलत नहीं है. वास्तव में इस से पतिपत्नी का रिश्ता और मजबूत होता देखा गया है. साथ ही सोना है, यह पुरानी सोच है. कई घरों में पति सुबह जल्दी उठता है, मौर्निंग वौक पर जाता है, जबकि पत्नी थोड़ी देर और सोना चाहती है. यदि वे साथ सोते हैं, तो पत्नी जरूर डिस्टर्ब होगी. तब पति अपनी पत्नी को डिस्टर्ब न करने के खयाल से अपनी सैर छोड़ देता है, जिस से भविष्य में किसी भी तरह की समस्या हो सकती है.

एक दूसरे का खयाल

पढ़नेलिखने की शौकीन कविता बंसल का कहना है, ‘‘मुझे सोने से पहले कुछ पढ़ना अच्छा लगता है. आजकल मैं कुछ कविताएं भी लिख रही हूं. दिन भर घर की व्यस्तता में समय नहीं मिल पाता है. रात में सब कामों से फ्री होने पर मुझे एकांत में अपना यह शौक पूरा करने का समय मिलता है. यदि मैं बैडरूम में रहूंगी तो दिन भर के थके पति को आराम नहीं मिल पाएगा, उन की नींद जरा सी आवाज से ही खुल जाती है, इसलिए मैं दूसरे रूम में ही सो जाती हूं. एकदूसरे के आराम का खयाल रखने से हमारे रिश्ते में प्यार बढ़ा ही है.’’

पतिपत्नी के रिश्ते में सब से महत्त्वपूर्ण चीज है प्यार और विश्वास. अगर साथ सोने से एकदूसरे के आराम और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा हो तो स्लीप डायवोर्स में कोई बुराई नहीं है. अगर एकदूसरे के आराम, नींद का खयाल रखते हुए अलग सो लिया जाए, तो इस से इस रिश्ते को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, बल्कि यह और मजबूत ही होगा, एकदूसरे के लिए प्यार और सम्मान बढ़ेगा. एकदूसरे का खयाल रख कर प्यार से रहें, खुश रहें, चैन से सोएं और सोने दें.

 

बच्चों में न हो एक दूसरे के प्रति जलन की भावना, दे अच्छे संस्कार

यों तो पैदा होते ही एक शिशु में कई सारी भावनाओं का समावेश हो जाता है, जो कुदरती तौर पर होना भी चाहिए, क्योंकि अगर ये भावनाएं उस में नजर न आएं तो बच्चा शक के दायरे में आने लगता है कि क्या वह नौर्मल है? ये भावनाएं होती हैं प्यार, नफरत, डर, जलन, घमंड, गुस्सा आदि.

अगर ये सब एक बच्चे या बड़े में उचित मात्रा में हों तो उसे नौर्मल समझा जाता है और ये नुकसानदेह भी नहीं होतीं. लेकिन इन में से एक भी भाव जरूरत से ज्यादा मात्रा में हो तो न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए समस्या का कारण बन जाता है, क्योंकि किसी भी भावना की अति इंसान को अपराध की तरफ ले जाती है. जैसे कुछ साल पहले भाजपा के प्रसिद्ध नेता प्रमोद महाजन के भाई ने अपनी नफरत के चलते उन्हें गोली मार दी.

कहने का तात्पर्य यह है कि जलन और द्वेष की भावना इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती. अगर द्वेष और जलन की यही भावना 2 बहनों के बीच होती है, तो उन से जुड़े और भी कई लोगों को इस की आग में जलना पड़ता है. ज्यादातर देखा गया है कि 2 बहनों के बीच अकसर जलन की भावना का समावेश होता है. अगर यह जलन की भावना प्यार की भावना से कम है, तो मामला रफादफा हो जाता है, लेकिन इस जलन की भावना में द्वेष और दुश्मनी का समावेश ज्यादा है, तो यह काफी नुकसानदेह भी साबित हो जाती है.

द्वेष व जलन नहीं

अगर 2 बहनों के बीच जलन का कारण ढूंढ़ने जाएं तो कई कारण मिलते हैं. जैसे 2 बहनों में एक का ज्यादा खूबसूरत होना, दोनों बहनों में एक को परिवार वालों का ज्यादा अटैंशन मिलना या दोनों में से किसी एक बहन को मां या पिता का जरूरत से ज्यादा प्यार और दूसरी को तिरस्कार मिलना, एक बहन का ज्यादा बुद्धिमान और दूसरी का बुद्धू होना या एक बहन के पास ज्यादा पैसा होना और दूसरी का गरीब होना. ऐसे कारण 2 बहनों के बीच जलन और द्वेष के बीज पैदा करते हैं.

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए 20 वर्षीय खुशबू बताती हैं कि उन के घर में उस की छोटी बहन मिताली को जो उस से सिर्फ 3 साल छोटी है, कुछ ज्यादा ही महत्ता दी जाती है. जैसे अगर दोनों बहनें किसी फैमिली फंक्शन में डांस करें, जिस में खुशबू चाहे कितना ही अच्छा डांस क्या करें, लेकिन उस की मां तारीफ उस की छोटी बहन की ही करती हैं.

खुशबू बताती है कि वह अपने घर में अपने सभी भाईबहनों में कहीं ज्यादा होशियार और बुद्धिमान है, बावजूद इस के उस को कभी प्रशंसा नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर उस की बहन में बहुत सारी कमियां हैं बावजूद इस के वह हमेशा सभी के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इस की वजह हैं खासतौर पर खुशबू की मां, जो सिर्फ और सिर्फ खुशबू की छोटी बहन की ही प्रशंसा करती हैं. इस बात से निराश हो कर कई बार खुशबू ने आत्महत्या तक करने की कोशिश की, लेकिन उस के पिता ने उसे बचा लिया.

वजह दौलत भी

खुशबू की तरह चेतना भी अपनी बहन की जलन का शिकार है, लेकिन यहां वजह दूसरी है. चेतना छोटी बहन है और उस की बड़ी बहन है आशा. जलन की वजह है चेतना की खूबसूरती. बचपन से ही चेतना की खूबसूरती के चर्चे होते रहते थे वहीं दूसरी ओर आशा को बदसूरत होने की वजह से नीचा देखना पड़ता था, जिस वजह से आशा चेतना को अपनी दुश्मन समझने लगी. चेतना की गलती न होते हुए भी उस को अपनी बहन के प्यार से न सिर्फ वंचित रहना पड़ा, बल्कि अपनी बड़ी बहन की नफरत का भी शिकार होना पड़ा.

कई बार 2 बहनों के बीच जलन, दुश्मनी, द्वेष का कारण जायदाद, पैसा व अमीरी भी बन जाती है. इस संबंध में नीलिमा बताती हैं, ‘‘हम 2 बहनों ने एक जैसी शिक्षा ली, लेकिन मैं ने मेहनत कर के ज्यादा पैसा कमा लिया. अपनी मां के कहे अनुसार बचत करकर के मैं ने अपनी कमाई से कार और फ्लैट भी खरीद लिया जबकि मेरी बहन ज्यादा पैसा नहीं कमा पाई और गरीबी में जीवन निर्वाह कर रही थी. इसी वजह से उस की मेरे प्रति जलन की भावना इतनी बढ़ गई कि वह दुश्मनी में बदल गई. आज हमारे बीच जलन का यह आलम है कि हम बहनें एकदूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करतीं. बहन होने के बावजूद वह हमेशा मेरे लिए गड्ढा खोदती रहती है. हमेशा इसी कोशिश में रहती है कि मेरे घरपरिवार वाले मेरे अगेंस्ट और उस की फेवर में हो जाएं.’’

कहीं आपका पार्टनर चीटिंग तो नहीं कर रहा ?

इस दुनिया में किसी के लिए भी सबसे मीठा एहसास होता है प्यार.  आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आपको उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इससे अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे, ये जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते के नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालो में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिनमें अक्सर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आपका पार्टनर वास्तव में आपके साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटा-कटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शता है. आपका पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वो अपकों धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आपका पार्टनर आपके साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

1. व्यवहार में बदलाव

सबसे बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूँ’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपने आप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती है, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उसके बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है ? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आपके पार्टनर आपकी तुलना किसी दूसरे-तीसरे से करने लगते हों, बेवजह आपकी गलती निकालने लगे हों, आपकी किसी एक छोटी सी गलती पर आपको गैरजिम्मेदार ठहराने लगें हों, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए, खासकर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा करके आपको शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

2. दिनचर्या में बदलाव

दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आपको धोखा देने के संकेत हो सकते हैं.  जैसे, अचानक अपने वोडरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना, आईने में खुद को निहारते रहना, आपके आने पर सतर्क हो जाना, मतलब कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आपमें रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आपका पार्टनर आपसे दूर जाने के बहाने ढूँढने लगें, कमीटमेंट से घबराने लगे तो समझिए वह आपको धोखा दे रहे हैं.  इसके अलावा आपसे बेवजह लड़ाइयाँ होने लगना, आपके हर काम में नुख्स निकालने लगना,, पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, करियर-संबन्धित बातें आदि आपसे समझा न करने लगें, तो समझ लीजिये कि वह आपसे दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

3. आपके प्रति प्यार कम होना

पहले जहां आपकी हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी, पर अब आपकी हर बात पर वह झल्लाने लगें, मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आना-कानी करने लगें, ज्यादा समय ऑफिस में बिताने लगें, जैसी बातों से साफ पता चलता है कि आपका पार्टनर आपको चीट कर रहा है. इसके अलावा अचानक अकेले ट्रिप पर जाना आदि कारण हो सकता है कि अब उनका ध्यान कहीं और लग गया है. जरूरी नहीं यह धोखे का ही संकेत हो. हो सकता है आपका पार्टनर किसी और बात को लेकर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन अगर इस सबके साथ आपका पार्टनर कोई फैसला लेने में आपसे आपकी राय नहीं पूछते या आपसे अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता हैं.

4. फोन से जुड़े बदलाव

यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आपका पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगें. ऑफिस में उनका फोन कई-कई घंटों तक एंगेज आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छुपाने लगे हों.  फोन का पसवोर्ड बदल दिये हों और आपको अपना पसवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इसके अलावा उनके सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बार-बार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बार-बार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटे-छोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकता हैं.

5. छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलने लगना

यदि आपका साथी आपसे हर छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलने लगें, बातें छुपाने लगें, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

6. आँखें चुराने लगे

यदि आपका साथी आपसे बात करने से बचने लगे या बात करते वक़्त अपनी आँखें न मिला पाए, इधर-उधर देखने लगे, आपकी बातों को अनसुना करने लगे, आपकी के किसी भी बात को गंभीरता से न लेने लगे, वही काम करे जो आपको पसंद नहीं है, अपनी गलती न मनाने के बजाय आपकी ही गलती निकालने लगे, आपका फोन न उठाए और न ही आपके किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए की आपका पार्टनर आपको नजरंदाज कराने की कोशिश कर रह है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आपका पार्टनर हो. फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए

7. पूरा समय लें

अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाज़ी करने से बचें. पूरा समय लें. आपको किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिल्कुल नहीं. आपको गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहें शब्द नुकसान अधिक पहुँचाते हैं.

8. न तो बहस करें, न लड़े

विरोध दर्ज़ करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिसकी वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

9. वोको दोष न दें

ज़्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाय उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिसकी वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आपके प्यार को झुठलाकर आगे निकल गया, तो गलती उसकी है.

 

10. अपने मामले में किसी और को बोलने न दें

अगर आप चाहते हैं कि आपके और आपके पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यही होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आपके लिए ही खतरनाक हो सकता है.

11. एक मौका और दें

अगर आपको लगे कि आपके पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सबकुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक़्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इसके लिए आपदोनों का साथ रहना और साथ वक़्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

शादी के बाद मुझे किसी और से प्यार हो गया है?

सवाल-

मैं कालेज टाइम में किसी लड़के से बहुत प्यार करती थी. मगर कभी उस से अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकी. बाद में मेरी अरेंज्ड मैरिज हो गई. पति काफी अंडरस्टैंडिंग और केयरिंग नेचर के हैं. मैं अपनी जिंदगी में काफी खुश थी, मगर एक दिन अचानक जिंदगी में तूफान आ गया. दरअसल, फेसबुक पर उसी लड़के का मैसेज आया कि वह मु  झ से बात करना चाहता है. मेरे मन में दबा प्यार फिर से जाग उठा. मैं ने तुरंत उस के मैसेज का जवाब दिया. फेसबुक पर हमारी दोस्ती फिर से परवान चढ़ने लगी. मैं अपना खाली समय उस से बातें करने में गुजारने लगी. धीरेधीरे शर्म और संकोच की दीवारें गिरने लगीं. फिर एक दिन उस ने मु  झे अकेले में मिलने बुलाया. मैं उस के इरादों से वाकिफ हूं, इसलिए हिम्मत नहीं हो रही कि इतना बड़ा कदम उठाऊं या नहीं. उधर मन में दबा प्यार मु  झे यह कदम उठाने की जिद कर रहा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह बात सच है कि पहले प्यार को इंसान कभी नहीं भूल पाता, मगर जब जिंदगी आगे बढ़ चुकी हो तो लौट कर उस राह जाना मूर्खता होगी. वैसे भी आप को कोई अपने पति से शिकायत नहीं है. ऐसे में प्रेमी से रिश्ता जोड़ कर नाहक अपनी परेशानियां न बढ़ाएं.

उस लड़के को स्पष्ट रूप से ताकीद कर दें कि आप उस से केवल हैल्दी फ्रैंडशिप की उम्मीद रखती हैं, जो आप के जीवन की एकरसता दूर कर मन को सुकून और प्रेरणा दे. मगर शारीरिक रूप से जुड़ कर आप इस रिश्ते के साथसाथ अपने वैवाहिक रिश्ते के साथ भी अन्याय करेंगी. इसलिए देर न करते हुए बिना किसी तरह की दुविधा मन में लिए अपने प्रेमी से इस बारे में बात कर उसे अपना फैसला सुनाएं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरे पति पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं, क्या ऐसा करना सही होगा?

सवाल

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

दरअसल, पुरुष नसबंदी अथवा वासेक्टोमी पुरुषों के लिए सर्जरी द्वारा परिवार नियोजन की एक प्रक्रिया है. इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध यानी बंद कर दी जाती है ताकि शुक्राणु वीर्य (स्पर्म) के साथ पुरुष अंग तक नहीं पहुंच सकें.

यह बेहद ही आसान व कम खर्च में संपन्न होने वाली सर्जरी है, जिस में सर्जरी के 2-3 दिनों बाद ही पुरुष सामान्य कामकाज कर सकता है. सरकारी अस्पतालों में तो यह सर्जरी मुफ्त की जाती है. अपने मन से किसी भी तरह का भय निकाल दें और पति के इस निर्णय का स्वागत करें.

Wedding Special: शादी का हर पल हो स्पैशल

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसी दुलहन का वीडियो वायरल हुआ जिस ने अपनी शादी में गजब का डांस कर के दूल्हे को भी शरमाने को मजबूर कर दिया. जनवरी, 2023 का यह वीडियो एक शादी समारोह से जुड़ा हुआ था. इस वीडियो में मंच पर मौजूद नवविवाहित दुलहन सब के सामने मस्ती में ऐसा बिंदास डांस करती है कि लोग उसे देखते रह जाते हैं.

दरअसल, वह दुलहन पूरी तरह अपनी शादी को ऐंजौय कर रही थी. इसी वजह से वह खुल कर डांस कर सकी और लोगों की नजरों में आ गई. कुछ ऐसा ही धमाल एक दूल्हे ने भी किया था. वायरल वीडियो में वह स्टेज पर अकेले ही धमाकेदार डांस करते हुए नजर आया था. दूल्हा अपनी ही शादी में इतना धांसू डांस कर रहा था कि सभी की नजरें दूल्हे पर ही टिकी रह गईं. फिर जब स्टेज पर दुलहन की ऐंट्री हुई तो वह भी दूल्हे के साथ ही डांस करना शुरू कर देती है. दूल्हादुलहन के डांस का यह वीडियो भी काफी वायरल हुआ था.

आप को डब्बू अंकल भी बखूबी याद होंगे जो अपने वायरल डांस वीडियो की वजह से रातोंरात देशभर में मशहूर हो गए थे. पेशे से प्रोफैसर डब्बू अंकल यानी संजीव श्रीवास्तव का अपने रिश्तेदार की शादी में डांस करने का वीडियो वायरल हो गया था. वीडियो में संजीव 1987 में आई फिल्म ‘खुदगर्ज’ के गाने ‘आप के आ जाने से…’ पर मस्त अंदाज में ऐंजौय करते हुए डांस करते दिखाई दिए थे. उन्हें इतनी शोहरत मिली कि विदिशा नगर पालिका ने संजीव श्रीवास्तव को अपना ब्रैंड ऐंबैसेडर नियुक्त कर लिया. यही नहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तक ने उन की तारीफ की थी. शादी के वीडियो वायरल होने के बाद उन को एक ऐड में काम करने का मौका भी मिला था.

दरअसल, जब हम शादी के लमहे सही माने में ऐंजौय करते हैं तो हम दिल से नाचते हैं. दिल से खुशियां मनाते हैं और एक खूबसूरत यादों का कारवां दिलोदिमाग में संजो लेते हैं. शादी कोई रोजरोज तो होती नहीं है. जब जिंदगी में शादी एक बार ही करनी है तो इस का लुत्फ भला भरपूर क्यों न उठाया जाए. यदि शादी किसी रिश्तेदार की है तो भी उसी अंदाज में खुशियां बांटनी चाहिए जैसेकि अपनी ही शादी हो.

अपनी शादी को करें दिल से ऐंजौय

अमूमन हर इंसान शादी जिंदगी में एक बार ही करता है. हर किसी की लाइफ में शादी जैसा पल काफी अहम होता है. हरकोई चाहता है कि उस की शादी सब से परफैक्ट हो लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. शादी जैसे अहम मौके हरकोई न कोई चीज अनपरफैक्ट रह ही जाती है. आप वैसी चीजों पर ध्यान न दें जहां कमी रह गई है, बल्कि उन चीजों को ऐंजौय करें जो आप के हिस्से में आई हैं. बेवजह का तनाव न लें और छोटीछोटी बातों को तूल न दें. यह आप के जीवन का बहुत बड़ा दिन है. इस दिन की खुशियों को अपनी नादानी की वजह से भूल कर भी स्पौइल न होने दें. इस खास मौके को भरपूर ऐंजौय करने के लिए हर पल को जीने की कोशिश करें. हर किसी का स्वागत करें और हर लमहे को यादगार बनाएं.

सोशल मीडिया पर फुल मस्ती

शादी एक बार होती है इसलिए इसे यादगार बनाने के लिए हर मौके की ढेरों तसवीरें और वीडिओग्राफी कराएं. यही नहीं कुछ लमहें जिन में केवल आप व पार्टनर हो ऐसे लमहों की पर्सनल तसवीरें अपने फोन से लें. खूब सारी सैल्फी भी लें. सैल्फी के जरीए अपने छोटेछोटे बैस्ट पलों को कैद कर लें. फिर अपनी इस खुशी को सोशल मीडिया के जरीए दूसरों के साथ शेयर करें और लोगों के कमैंट्स को ऐंजौय करें.

शादी को ले कर लड़का हो चाहे लड़की दोनों के ही कई सपने और शौक होते हैं. हालांकि इस की लिस्ट ज्यादा लंबी लड़कियों की होती है. अपनी शादी में हर लड़की को सबकुछ परफैक्ट चाहिए होता है. डैस, ज्वैलरी, मेकअप, डैकोरेशन से ले कर ब्राइडल ऐंट्री तक.

शादी के घर में हंसीखुशी और ऐंजौयमैंट का माहौल होता है. दूल्हा और दुलहन अपनी शादी को ले कर बहुत ऐक्साइटेड होते हैं और जिंदगी की नई शुरुआत के इस दिन को भरपूर जी लेना चाहते हैं. शादी का यह खूबसूरत माहौल ऐसा ही बना रहे इस के लिए इन बातों का खयाल जरूर रखें:

मीनमेख न निकालें

शादी अपनी हो या परिवार में किसी की हो, सब को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि वह शादी सफलता से हंसीखुशी के माहौल में संपन्न हो. शादी की व्यवस्था में मीनमेख निकालना उचित नहीं.

घरपरिवार में किसी की शादी ऐसा अवसर होता है जब घर के बड़ों का तनाव बढ़ जाता है. सबकुछ अच्छे से करने की कोशिश में वे दिन रात हलकान होते रहते हैं. वे खुद एक नए अनजान परिवार के सामने एक अच्छे आयोजन और अच्छे व्यवहार का उदाहरण पेश करने की कोशिश में जुटे होते हैं. ऐसे में अपनी मीनमेख से उन की परेशानी बढ़ाना उचित नहीं.

विवाह 2 जिंदगियों को जोड़ने वाला आयोजन होता है. यह आप की स्मृतियों की दीवार पर सदा के लिए चस्पा हो जाने वाला ऐसा जीवंत फ्रेम होता है जिस में प्यार, सम्मान और अपनेपन का एहसास तथा दिल खुश करने वाली बातें, खूबसूरत तसवीरों की तरह साथ रह जाते हैं. वहीं उलाहने और कमियां खोजने वाली नजरें और नुक्स निकालते बोल मन में कहीं गहरे धंस जाते हैं. जानबू?ा कर कहे गए तीखे शब्द, अनजाने ही दिए गए ताने, सोचसम?ा कर बनाए गए बहाने मन को बेध जाते हैं.

वैसे भी शादी एक बड़ा काम होता है. इसीलिए क्या वह ठीक नहीं है, ऐसा क्यों किया, वैसा क्यों नहीं किया जैसे सवालों और शिकायतों के बजाय सोचिए कि आप क्या कर सकते हैं. मामा, बूआ, चाचा, दोस्त पड़ोसी या आप खुद किसी न किसी रिश्ते की डोर में बंधे हैं और नए बंधन की खुशियों को सैलिब्रेट करने वाले हैं. ऐसे में शिकायतों की झड़ी नहीं बल्कि लगाव और प्यार का माहौल बनाए रखें. हर पल को ऐंजौय करें.

याद रखें यह वक्त लौट कर नहीं आएगा. खुशी के मौके पर आप के शिकायती लहजे का हर शब्द खुद आप की छवि उकेर रहा होता है. आप का व्यवहार पुराने रिश्तों और नए जुड़ रहे संबंधियों को बता रहा होता है कि आप खुशदिल हैं या कमी ढूंढ़ने वाले, असंतुष्ट सोच वाले हैं या सहजता से खुशियों में शामिल होने वाले.

बैचलर पार्टी में होश न खोएं

शादी से पहले होने वाली बैचलर पार्टी में दूल्हा और दुलहन कई बार काफी नशा कर लेते हैं. वहीं नशे में अपने होश खोने के बाद दोनों कुछ गलत या अजीब हरकतें कर सकते हैं, जिस से रिश्तेदारों के सामने आप की इमेज खराब हो सकती है और आप गिल्ट महसूस कर के अपने मूड का बैंड बजा सकते हैं. कई बार ऐसे में शादी भी खतरे में आ सकती है.

ऐक्स से न करें बात

शादी से पहले कुछ लोग ऐक्स से आखिरी बार बात करने या मिलने की कोशिश करते हैं. अंतिम बार गुडबाय करने के लिए मिलने भी जाते हैं. मगर आप की इस हरकत से पार्टनर हर्ट हो सकता है. इसलिए शादी का फैसला लेने से पहले ऐक्स से सारे संबंध तोड़ दें और दोबारा उसे कभी भूल कर भी अप्रोच करने की कोशिश न करें वरना ऐक्स सैंटीमैंटल हो गया तो आप टैंशन में आ जाएंगे और शादी ऐंजौय ही नहीं कर पाएंगे.

शादी के खर्चे डिस्कस करने से बचें

कुछ लोग शादी से पहले या बाद में पार्टनर से बजट डिस्कस करने लगते हैं. ऐसे में पार्टनर आप की बात का गलत मतलब भी निकाल सकता है. आप दोनों के बीच पैसों को ले कर जिरह भी हो सकती है. इसलिए शादी के दौरान पार्टनर से घर के खर्चे और बजट की बातें हरगिज न करें. यह जिम्मेदारी आप अपने बड़ों को दे कर निश्चिंत रहें.

पार्टनर से न करें शिकायत

शादी से पहले लोग अकसर पार्टनर से अलगअलग शिकायत करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में न सिर्फ पार्टनर का मूड अपसैट हो सकता है, बल्कि घर वालों की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. छोटीछोटी बातों पर कुढ़ना या रोनाधोना शादी की सारी खुशियों पर पानी फेर सकता है. इसलिए शादी में ज्यादा से ज्यादा खुश और पौजिटिव रहना बेहतर रहता है.

लोग क्या कहेंगे यह सोचना बंद करें

इस बात को सोचना बंद करें कि लोग क्या कहेंगे. इस की परवाह न करते हुए अपनी लाइफ में देखे सभी सपनों को पूरा करें. आप की शादी से जुड़ी जितनी भी छोटीबड़ी खाव्हिशें हैं उन सब को पूरा करने का समय आ चुका है. अब आप जमाने के बारे में सोचने के बजाय केवल अपने और पार्टनर के बारे में सोचें. आप जिस तरह इन पलों को ऐंजौय करने की तमन्ना रखती हैं वैसे ही इन पलों को जीएं.

उदाहरण के लिए वैडिंग ड्रैस ही लीजिए. शादी में दूल्हादुलहन की वैडिंग ड्रैस के लिए सभी अपनेअपने सु?ाव दे रहे होते हैं, जिस से हमें उन्हीं की पसंद की ड्रैस खरीदनी पड़ती है और अपने सपने धरे के धरे रह जाते हैं. यह आप की शादी है इसलिए अपनी शादी में आप जो कुछ भी पहनें वह आप का हक है. इसी तरह बाकी चीजें भी अपने हिसाब से करें न कि दूसरों के हिसाब से.

हनीमून का प्लान

शादी के दौरान अकसर लोग पूछते हैं कि हनीमून का क्या प्लान है? जरूरी नहीं है आप हर किसी के साथ अपने हनीमून का प्लान शेयर करें और दूसरों की मरजी से हनीमून डैस्टिनेशन चुनें. शादी आप की हुई है इसलिए हनीमून के लिए बैस्ट डैस्टिनेशन आप खुद ही चुनें. वहां क्या ले जाना है, किस तरह जाना है और कहा रहना है यह सब पहले से पार्टनर के साथ मिल कर प्लान बनाएं और साथ में आने वाले रोमानी पलों को महसूस कर इन लमहों को ऐंजौय करें.

फूलों की चादर

फूलों की चादर वाली ऐंट्री वैसे तो थोड़ी कौमन सी है लेकिन फिर भी यह बेहद खूबसूरत लगती है. इसे अलगअलग फूलों से काफी आकर्षक बना सकते हैं. अगर दुलहन ने रैड ड्रैस पहनी है तो सफेद फूलों की चादर जिस में कुछ लाल फूल भी लगा लिए जाएं या फिर अगर उस ने पेस्टल लहंगा पहना है तो रंगबिरंगे फूलों के साथ ऐंट्री परफैक्ट लगती है.

विंटेज कार में ऐंट्री

विंटेज कार में ऐंट्री का कौंसैप्ट काफी कूल कौंसैप्ट है. वैसे भी विंटेज कार को रौयल शादियों की निशानी माना जाता है. ऐसे में इस तरह की ऐंट्री दूल्हे की शान बढ़ाती है तो दुलहन भी कम ऐक्ससाइटेड नहीं होती.

बोट पर ऐंट्री

अगर आप की शादी का वेन्यू ऐसा है जहां पर स्विमिंग पूल भी है तो यह आप के लिए बैस्ट आइडिया है. एक बोट को बहुत सुंदर सा सजाया जाए और दुलहन की ऐंट्री उस बोट में हो तो यह बेहद खूबसूरत और यूनीक लगता है.

डांस ऐंट्री

डांसिंग ब्राइड्स भी इन दिनों काफी ट्रैंड में हैं. वैसे तो दूल्हा बरात के साथ अपनी दुलहन को डांस करते हुए लेने आता है. लेकिन दुलहन भी नाचते हुए ही दूल्हे का स्वागत करे तो यह देखने में मजेदार लगता है और दुलहन इन लमहों को भरपूर ऐंजौय करती है. इसे यादगार और खास बनाने के लिए ऐसे गानों को चुनें जो आप दोनों के दिल के करीब हों या ऐसा गाना जो आप दोनों का ही फैवरिट हो.

पालकी स्टाइल

खूबसूरत सी औटोमूविंग पालकी को सजा कर उस में दुलहन बैठ कर जब आएगी तो मानो चांद धरती पर उतर आया हो वाली फीलिंग आएगी.

भारतीय शादी की कुछ मजेदार रस्में

भारतीय शादियां रंगोंरिवाजों और उत्साह से भरी होती हैं. इन में खुशी होती है, परंपराएं होती हैं, 2 परिवारों का मिलन होता है, खानापीना होता है, उत्सव होता है, हंसी की फुहारें होती हैं. भारतीय शादियां एक दिन में खत्म हो जाने वाला प्रयोजन नहीं बल्कि यह तो 1 हफ्ते तक चलने वाला उत्सव है. कई रिचुअल्स शादी के बाद तक चलते रहते हैं.

मेहंदी की रस्म

मेहंदी की रस्म शादी से 1 दिन पहले होती है. पूरे दिन मेहंदी सैलिब्रेशन चलता है. इस दिन दुलहन के हाथ और पैरों पर तो प्यारी सी मेहंदी लगती ही है साथ ही बाकी घर वाले भी मेहंदी लगवाते हैं. शादी की मेहंदी के रंग के बारे में माना जाता है कि दुलहन के हाथों में मेहंदी का रंग जितना ज्यादा गहरा चढ़ता है उस का पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है. मेहंदी के रंग को प्यार के रंग से जोड़ा जाता है और दुलहन के हाथ में मेहंदी से दूल्हे का नाम लिखा जाता है. मेहंदी वाले दिन दुलहन के घर में जम कर डांस और धमाल होता है. इस दिन डीजे होता है, खानापीना होता है. दुलहन की सहेलियां माहौल में रंग भर देती हैं. कई वैडिंग्स में थीम मेहंदी भी प्लान की जाती है जिस में आउटफिट्स भी उसी हिसाब से होते हैं.

संगीत सेरेमनी

भारतीय शादियों में लेडीज संगीत सेरेमनी अकसर मेहंदी वाले दिन के साथ ही सैलिब्रेट की जाती है. इस सेरेमनी में दोनों परिवार अपनेअपने घर में दिल खोल कर नाचते हैं. कुछ समय पहले तक यह समारोह केवल घर की महिलाओं तक ही सीमित हुआ करता था जिस में ढोलक पर नाचगाना हुआ करता था. लेकिन अब इस दिन के लिए प्रौपर डीजे अरेंजमैंट्स होते हैं. संगीत सेरेमनी में काफी रौनक होती है. इस दिन तक शादी में शामिल होने वाले ज्यादातर रिश्तेदार आ चुके होते हैं इसलिए सब मिल कर ऐंजौय करते हैं.

हल्दी सेरेमनी

शादी से पहले मस्ती से भरपूर हलदी सेरेमनी में दूल्हादुलहन को तेल और हलदी लगाई जाती है. शादी की इस रस्म में भी सारे मेहमान और घर वाले मिल कर खूब मस्ती करते हैं. दोस्त वगैरह भी होते हैं जो दूल्हा और दुलहन को भरभर कर हलदी लगाते और मस्ती करते हैं. बाद में दोनों को नहलाया जाता है.

चूड़ा सेरेमनी

कोई भी पंजाबी दुलहन चूड़ा सेरेमनी के बिना अपनी शादी की कल्पना भी नहीं कर सकती. रैडव्हाइट आइवरी बैंगल सैट से जुड़ी होती है कलीरों की रस्म. दुलहन अपनी सभी अनमैरिड सहेलियों के सिर पर बारीबारी से अपने चूड़ों में बंधे कलीरों को घुमाती है. जिस पर भी कलीरा टूट कर गिरता है माना जाता है कि शादी के लिए अगला नंबर उसका होगा.

दूल्हे की ऐंट्री

अधिकांश भारतीय शादियों में जब दूल्हा शादी वाली जगह प्रवेश करता है तो वधू पक्ष की ओर से दुलहन की बहनों और दोस्तों द्वारा द्वार छिकाई की जाती है. इस रस्म में अंदर आने के ऐवज में दूल्हे को अपनी सालियों को शगुन के रूप में कुछ रुपए देने होते हैं तभी वह ऐंट्री के लिए दरवाजे से हटती हैं. इस दौरान सालियों के साथ दूल्हे की प्यारी सी नोक?ांक और मस्ती होती है. भारत के कई स्थानों पर द्वार प्रवेश में दूल्हे की सास उस की नाक पकड़ कर खींचती है और उस का स्वागत करती है. इस रस्म को सभी बहुत ज्यादा ऐंजौय करते हैं.

जूता छिपाई

‘हम आप के हैं कौन’ फिल्म की जूता छिपाई वाला सीन सब को याद होगा. यह रस्म रिऐलिटी में भी मस्ती से भरपूर होती है. जब दूल्हा शादी की रस्मों को निभाने के लिए मंडप में अपने जूते उतार कर बैठता है तो उस की सालियां, जूता छिपा लेती हैं और फिर मोटी रकम वसूलने के बाद ही जूते वापस करती हैं. इस दौरान सौदेबाजी और मौजमस्ती के बीच दोनों परिवारों के बीच रिश्ते गहरे होते हैं.

विदाई

पूरी शादी का सब से इमोशनल मोमैंट विदाई है. हालांकि आजकल की शादियों में अब उतना रोनाधोना नहीं होता. फिर भी यह क्षण होता आज भी उतना ही इमोशनल है.

विदाई के समय चावल उछालने की रस्म

चावल उछालने की रस्म में दुलहन जब घर से विदा होती है तो अपने परिजनों से विदा लेते समय वह घर की तरफ चावल उछालती जाती है.  ऐसा माना जाता है कि यह दुलहन का अपने परिवार द्वारा दिए गए प्यार के प्रति आभार दिखाने का एक संकेत होता है.

जब दुलहन अपने नए घर में प्रवेश करती है, तो उसे प्रवेश करने से पहले अपने पैरों से चावल से भरा कलश गिराना होता है. यह उस के नए घर और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.

पोस्ट वैडिंग गेम्स

लंबी और थका देने वाली शादी की रस्मों के बाद दुलहन की ससुराल में होने वाली रस्म स्ट्रैस बस्टर के जैसा काम करती है. दूल्हे के दोस्त, परिवार के सदस्य इस रस्म के लिए एक बड़े बरतन में दूध और पानी को मिला कर एक मिश्रण तैयार करते हैं, जिस में कुछ सिक्के, फूल आदि भी डले रहते हैं. इस में एक चांदी या सोने का गहना डाल कर दूल्हादुलहन को एकसाथ खोजने को कहा जाता है और माना जाता है कि जो पहले ढूंढ़ लेगा, घर में उस का ही हुक्म चलेगा.

डेटिंग से करना चाहते हैं इंकार, तो Disrespect बिना करें मना

अक्सर एक लड़की और लड़के के बीच में धोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, तो वो एक दूसरे को डेट करने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि बढ़ती हुई नजदीकियों का मतलब लव एंगल ही हो. हो सकता है कि यह एक तरफा प्रेम हो जिसके चलते आप सामने वाले को डेट करना ही नहीं चाहते हों.और आप सामने से उसे डेट के लिए मना कर दें. मुमकिन है कि आपका डेट परपोज़ल ठुकराना उसे अच्छा ना लगे.इसलिए अगर आप किसी के साथ डेटिंग के लिए नहीं जाना चाहते हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं. जिससे आप सामने वाले शख्स की भावनाओं को तकलीफ भी नहीं पहुंचाएंगे और अपनी बात भी कह देंगे.

आमने सामने करें बात

जब दो लोग आमने सामने बैठकर किसी विषय पर बात करते हैं तो उसका हल निकालना आसान भी होता है और एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमी कि कुंजाइस भी कम हो जाती है इसलिए फोन या मैसेज के द्वारा नहीं बल्कि आमने सामने बैठकर डेटिंग के परपोज़ल को मना करें और हो सकें तो उसे मना करने का रिज़न भी बताएं.जिससे वो आपकी परेशानी को समझ सकें.

निंदा ना करें

अगर आप रिश्ते में नहीं आना चाहते हैं तो आप सामने वाले में खामियां ना निकालें बल्कि आप उसे जताएं कि आप उसकी भावनाओं की कदर करते हैं लेकिन आप उसके साथ इस रिश्ते को नहीं निभा पाएंगे .

दोस्त बने रहने का रखें प्रस्ताव

यदि सामने वाले इंसान की आपको लेकर सोच अच्छी है व व्यवहार में भी वह अच्छा है तो उसे हमेशा अच्छा दोस्त बने रहने का प्रस्ताव अवश्य रखें.ऐसा करने से उसकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होगी और आपको एक अच्छा दोस्त भी मिलेगा.क्योंकि जरूरी नहीं की हर रिश्ता रोमांस से ही जुडा हो बल्कि कुछ रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.

तीसरे को ना जोड़े

जब कोई रिश्ता दो लोगो की सोच मिलने से बनता है उसमे किसी तीसरे का काम नहीं होता, उसी तरह यदि आप सामने वाले से रिश्ता ना रखने की बात करते हैं तो उसमे भी किसी तीसरे को ना जोड़े क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले को अधिक दुख पहुँचता है जिससे वह खुद को या आपको तकलीफ पहुंचाने तक की सोच सकता है.

टाले नहीं

अगर आप सामने वाले को लव पार्टनर नहीं बना सकते तो उसकी भावनाओं के साथ खेलें नहीं. कई लोग होते हैं जो डेट पर नहीं जाना चाहते और सामने वाले के प्रपोज़ल को टालते रहते हैं या इग्नोर करते हैं व उसे पैसे खर्च कराने का जरिया समझते हैं सच्चाई का पता चलने पर ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि प्यार में धोखा खाने पर सामने वाला आपके प्रति आक्रमक भी हो सकता है.इसलिए उसकी फीलिंग्स को हर्ट ना करें.

विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुरझने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तुझे यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तुझे वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

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