निवेश से पहले बरतें सावधानी

लोग अक्सर दूसरों की सफलता की कहानियां सुनकर पैसा कमाने के लिए तत्पर हो जाते हैं और इसी चक्कर में गलत जगह निवेश कर देते हैं. गलत निवेश आपके लिए फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा साबित हो सकता है. लोगों को पता नहीं होता है कि उनके निवेश का लक्ष्य क्या है और पैसा लगा देते हैं. आमतौर पर निवेशक ऐसी ही पांच गलतियां करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही गलतियों से बचने के टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप नुकसान से तो बचेंगे ही साथ ही आपको निवेश का सही तरीका भी पता चल जाएगा.

लक्ष्य पता हो तभी करें निवेश

निवेश का पहला कदम है लक्ष्य को निर्धारित करना. लक्ष्य का मतलब है कि आप किस उद्देश्य से निवेश करना चाहते हैं? जैसे घर खरीदना या बच्चों की पढ़ाई का खर्च इत्यादि. लक्ष्य पता होने पर ही आप तय कर सकते हैं कि भविष्य में आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी. लक्ष्य पता होगा तभी आप सही विकल्प चुन पाएंगे और आपकी जरूरतें पूरी हो पाएंगी.

एक तरह के विकल्प में ना लगाएं पैसा

निवेशक आमतौर पर एक तरह के विकल्प में पैसे लगाने की गलती करते हैं. जैसे कई लोग सारा पैसा बैंक में रखना पसंद करते हैं या फिर प्रॉपर्टी में लगा देते हैं. अगर आपने पैसा एक विकल्प में लगा रखा है तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा है. निवेश के जोखिम को कम करने के लिए हमेशा अलग-अलग तरह के एसेट में पैसा लगाना चाहिए. अच्छा पोर्टफोलियो वह होता है, जिसमें सभी तरह के निवेश विकल्पों में पैसा डाइवर्सिफाइ हो.

निवेश से पहले नुकसान का गणित जरूर समक्ष लें

लोग अधिक और जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में जोखिम को भूल जाते हैं और दूसरों की सलाह पर अपना पूरा पैसा लगा देते हैं. निवेश का नियम है कि पहले जोखिम को अच्छे से समझ लें. शेयर बाजार, प्रॉपर्टी, सोना, कमोडिटी सभी के साथ जोखिम जुड़ा है. इसलिए सबसे पहले ये समझ लें कि नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. अगर आप में जोखिम उठाने की क्षमता है तो ही निवेश करें.

घाटे के समय तुरंत बदलें अपना निवेश

लोग अपने निवेश को लेकर भावनात्मक हो जाते हैं, जबकि निवेश से जुड़े फैसले दिमाग से लेने पड़ते हैं, न कि दिल से. अगर आपके निवेश पर घाटा हो रहा है तो आपको जल्द से जल्द अपना पैसा निकाल लेना चाहिए. किसी शेयर में पैसे लगाकर फंस गए हैं तो उछाल लौटने की उम्मीद में शेयर में इतने वक्त के लिए न बने रहें कि आपका सारा पैसा ही डूब जाए. समय रहते बाहर निकलकर आप अपना पूरा पैसा खोने के बजाये कुछ पैसा बचा सकते हैं.

एसआईपी निवेश का सही तरीका

निवेशकों के लिए शेयर बाजार की चाल समझना काफी मुश्किल भरा काम है. तेजी को देखते हुए जबतक निवेशक शेयरों में निवेश करना शुरू करते हैं, तब तक बाजार की चाल बदल जाती है. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए सिस्टेमेटिक इन्‍वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का तरीका सबसे अच्छा रहता है.

मेडिक्लेम खरीद रहे हैं तो इन 9 बातों पर दें ध्यान

हम सभी अपनी हेल्थ को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं. चाहे बूढ़े मां बाप हो या छोटे बच्चें सबकी बीमारी में अस्पताल में होने वाला खर्च आपकी सेविंग पर बड़ा असर डालते है. उम्र से संबंधित रोग ऐसे हैं जिन्हें आप रोक नहीं सकते. दूसरी और युवा अपनी लाइफ स्टाइल के कारण अलग तरह के रोगों का शिकार हो रहे हैं. अगर आपने पूरी तैयारी नहीं की है तो मेडिकल का खर्च आपकी बचत साफ कर देगा.

मेडिकल के इस तरह के खर्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी है. इसमें दो तरह की पॉलिसी होती है. एक अकेले व्यक्ति के लिए और दूसरी पूरे परिवार के लिए. परिवार के लिए किए गए मेडिक्लेम की पॉलिसी का कोई भी सदस्य उपयोग कर सकता है.

अगर आप मेडिक्लेम पॉलिसी खरीद रहें हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें

1. पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्च की सुविधा हो

2. कैशलेस सेवा के लिए हॉस्पिटल की लंबी सूची हो, आपके शहर के नामी हॉस्पिटल उस सूची में हों

3. इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से 24*7 सहयोग की सेवा हो

4. क्लेम निपटाने की प्रक्रिया आसान हो

5. इनकम टैक्स छूट का लाभ हो, सेक्शन 80 (डी) के तहत इनकम टैक्स में छूट

6. कमरों के किराए पर किसी तरह की लिमिट न हो

7. क्रिटिकल इलनेस प्लान की सुविधा. इसमें कैंसर, टूटी जांघों, जलने और ह्दय से संबंधित रोगों को कवर किया जाता है

8. जीवन भर रिन्यूवल की सुविधा, हर साल रिन्यूवल छूट पर भी ध्यान दें

9. क्लेम जल्दी निपटाने की सुविधा

आजकल अधिकतर कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस ऑनलाइन खरीदने का विकल्प दे रही हैं. कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर आप आसानी से प्रीमियम कैल्कुलेट कर सकते हैं. इसके लिए आपको उम्र और परिवार के सदस्यों की जानकारी देनी होगी. आप ऑनलाइन प्रीमियम का पेमेंट भी कर सकते हैं. इसके बाद पॉलिसी की आपको ईमेल और आपके पते पर भेज दी जाती है. पॉलिसी पसंद नहीं आने पर आप 15 दिन के भीतर उसे लौटा भी सकते हैं.

कैसे करें स्मार्ट निवेश

भारतीय मध्यमवर्ग को अच्छे बचतकर्ता के रूप में जाना जाता है. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार वह अपनी आय का लगभग 25% बचाता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वर्ग अपनी बचत को स्मार्ट तरीके से निवेश कर रहा हैं? अधिकतर भारतीय लौकर या बैंकों में नकदी रखना पसंद करते हैं. तो सवाल यह उठता है कि उस नकदी को अपने लौकर में रखने से ज्यादा अच्छा विकल्प क्या है?

समय के साथ नकद कम मूल्यवान हो जाता है. उदाहरण के लिए 10 साल पहले के 100 रुपए का मूल्य आज के 100 रुपए से अधिक था. इसलिए नकदी अपने पास रखने के बजाय हमें नकदी का निवेश करना चाहिए ताकि हम मुद्रास्फीति को मात दे सकें. इस के बावजूद अधिकांश निवेशक मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखते हैं. मनोवैज्ञानिक इसे धन का मोह बताते हैं.

अगर मुद्रास्फीति में 7% की वृद्धि हुई है तो वेतन में 5% की वृद्धि प्रभावी रूप से हमारे पास उपलब्ध धन में एक ‘कटौती’ है. इस के बावजूद आम तौर पर लोग इस परिदृश्य में 1 वर्ष के दौरान 1% वेतन कटौती करना पसंद करते हैं जब मुद्रास्फीति शून्य होती है. इसलिए अपनी निवेश की सफलता को इस बात से मापें कि मुद्रास्फीति के बाद आप कितना अपने पास रख रहे हैं बजाय इस के कि आप अपने निवेश से कितना कमा रहे हैं.

निवेश करना कैसे शुरू करें

शेयर बाजार में कदम रखने से पहले बुनियादी बातों को जानना जरूरी है. इसलिए यूट्यूब वीडियो देख कर या किताबें पढ़ कर खुद को शिक्षित करें. शेयर बाजारों को सम झने से आप को बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलेगी. नए वित्तीय उत्पादों की जानकारी रखें और उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा निवेश पर लिखी पुस्तकें पढ़ें. वित्तीय समाचारों के बारे में सामान्य जागरूकता भी स्मार्ट तरीके से निवेश करने का एक अच्छा तरीका है.

अगला कदम यह है कि जल्दी निवेश शुरू करना, जो निश्चित रूप से बचत देता है और भले ही आप ने अपने जीवन के उस बिंदु को पार कर लिया हो परंतु कभी न करने से अच्छा देरी से निवेश करना भी है. शुरुआती निवेश यह सुनिश्चित कर सकता है कि आप के पैसे को पर्याप्त कौर्पस फंड में विकसित होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है जो आप को जरूरत के समय या जब आप रिटायर होने का फैसला करते हैं तो आप की अच्छी हैल्थ करेगा.

जीवन में किसी भी अन्य चीज की तरह निरंतरता माने रखती है और इसलिए स्मार्ट निवेश के लिए भी निरंतरता बनाए रखें. साल में सिर्फ एक बार या छिटपुट रूप से निवेश न करें क्योंकि यह काफी नहीं है. पैसे को अच्छी तरह से बढ़ाने और अनुशासित तरीके से निवेश करने के लिए हर महीने एक निर्धारित राशि को अलग रखें. इस अनुशासन का पालन करने के लिए व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) और औटोभुगतान विकल्प कुछ बेहतरीन विकल्प हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि बिना किसी असफलता के हर महीने एक निश्चित राशि निवेश के लिए रख ली जाए.

आगे क्या करना है

आप को एसआईपी के जरीए कहां निवेश करना चाहिए? इस का सामान्य नियम एक विविध पोर्टफोलियो बनाना है. एक कहावत है कि अपने सभी अंडे कभी भी एक टोकरी में न रखें. बस यही विविधता है. यह जोखिम के प्रबंधन में मदद करता है. केवल एक स्टौक में निवेश पर ध्यान केंद्रित नहीं करने और विविध पोर्टफोलियो रखने वाले निवेशकों के लिए कोविड एक आंख खोलने वाली स्थिति है.

इसलिए हमेशा सलाह दी जाती है कि आप अपने निवेश को अलगअलग एसेट क्लास में डायवर्सिफाई करें. एसआईपी के माध्यम से निवेश करना आप के निवेश दृष्टिकोण में अनुशासन लाता है. अच्छे निवेशक अकसर सलाह देते हैं कि आप की दिनप्रतिदिन की वित्तीय गतिविधियों को एक सरल फौर्मूले (कमाई+बचत=व्यय) के इर्दगिर्द तैयार किया जाना चाहिए.

मान लीजिए कि आप हर महीने क्व30 हजार कमाते हैं और यदि आप एक निश्चित बजट के भीतर अपने खर्च को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं, तो ऐसा हो सकता है कि महीने के अंत में आप के पास बचाने के लिए कुछ भी न बचे. लेकिन अगर आप एसआईपी में निवेश करते हैं, तो आप एक अनुशासित निवेश व्यवस्था का पालन करने के लिए मजबूर होंगे. अगर आप को पता है कि आप के खर्चे क्या हैं तो आप तय बजट के भीतर खर्च करने की आदत डाल लेंगे. उस में पहले आप बचत करेंगे और फिर खर्च करेंगे.

यदि आप अपनी वित्तीय गतिविधियों को इस के इर्दगिर्द बनाते हैं यानी पहले बचत करें और फिर खर्च करें, तो आप को कभी भी किसी भी वित्तीय कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि आप एक अनुशासित निवेश दृष्टिकोण का पालन कर रहे हैं. अपने निवेश दृष्टिकोण में नियमितता बनाए रखने से आप को अपने वित्तीय लक्ष्य या वित्तीय उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिलती है.

एसआईपी क्यों

यह सब गणित में है. चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति गणित द्वारा हमें दिए गए सर्वोत्तम उपकरणों में से एक है. समय एक निवेशक के पास उपलब्ध सब से बड़ी संपत्ति में से एक है और इसे वित्तीय लाभ के लिए उपयोग करना बुद्धिमानी है. एक उदाहरण के तौर पर, क्व5 हजार का निवेश प्रतिमाह लगातार 10 वर्षों तक 12% के निवेश रिटर्न पर करने से 11.50 लाख रुपए की राशि एकत्रित हो सकती है.

अनुरूपता और धैर्य कुंजी है. कम से कम समय में अधिकतम संभावित रिटर्न के पीछे न भागें. स्मार्ट निवेश कम जोखिम और स्थिर निवेश के बारे में है जो लंबी अवधि के लिए किए जाते हैं. ये सब से अच्छे होते हैं.

शेयर बाजार में निवेश करते समय जोखिम उठाने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता होती है: सभी निवेशों में जोखिम शामिल होता है. यह निवेश का एक अनिवार्य पहलू है, हालांकि कोई कितना जोखिम लेने को तैयार है, इसे मापा जा सकता है. अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करते समय जोखिम सहनशीलता को ध्यान में रखें. वित्तीय नुकसान की उस सीमा को जानना, जो आप सहन कर सकते हैं और अशांत बाजारों के लिए आप की सहनशीलता महत्त्वपूर्ण है, जो आप के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी. यदि जोखिम उठाने की क्षमता कम है, तो डिबैंचर और बौंड में निवेश करें.

 झुंड की मानसिकता से बचें

‘‘क्रिप्टोकरंसी अच्छी है. मेरे किसी परिचित ने बहुत पैसा कमाया है,’’ इस तरह की सलाह का पालन न करें. बैंजामिन ग्राहम ने अपनी पुस्तक ‘द इंटैलिजैंट इन्वैस्टर’ में कहा है, ‘‘यहां तक कि बुद्धिमान निवेशक को भी भीड़ का अनुशरण करने से बचने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है.’’

वित्तीय निवेश करते समय बाकी जो कर रहे हैं उस का पालन करना आसान है, लेकिन यह हमेशा आप के लिए सही रास्ता नहीं हो सकता है. वित्तीय लक्ष्य बेहद व्यक्तिपरक होते हैं. वे आप की जोखिम सहनशीलता, धन के प्रति आप के विचार और आप के परिवार की जरूरतों पर निर्भर करते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अलग है और सभी दृष्टिकोण के लिए कोई एक आ कर फिट नहीं होता है. इसलिए उस हौट टिप का अनुसरण करना जिस के पीछे बाकी सभी लोग जा रहे हैं, शायद सब से बुद्धिमान विकल्प न साबित हो.

‘सब्र का फल मीठा होता है’ इस कहावत को वित्तीय दुनिया पर भी लागू किया जा सकता है. अधिकांश निवेशक तत्काल लाभ की तलाश में रहते हैं. हालांकि इस तरह की जल्दबाजी से महत्त्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हो सकता है. इस के बजाय निवेश को लंबी अवधि की कवायद के रूप में देखना ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि अच्छा मुनाफा बनने में समय लगता है. धैर्य एक गुण है.

निवेश को नियमित रूप से ट्रैक करें

निवेश में बहुत अधिक पोषण शामिल होता है. यही कारण है कि अपने पैसे की निगरानी रखना महत्त्वपूर्ण है. उपलब्धि को ट्रैक करने और उस का विश्लेषण करने के लिए आप के पास स्प्रैडशीट्स बनाने के लिए नि:शुल्क टूल उपलब्ध हैं जिन में आप के सभी निवेश सूचीबद्ध हो जाते हैं. मासिक व्यय रिपोर्ट बनाने से बचत रणनीतियों को बढ़ाने और यह सम झने में मदद मिल सकती है कि कितनी तरलता की आवश्यकता है. इन सभी छोटे विषयों को जब एकसाथ मिलाया जाता है तो ये आप के एक अच्छे वित्तीय भविष्य के लिए एक मजबूत स्मार्ट निवेश और वित्तीय प्रणाली बना सकते हैं.

 -डाक्टर समीर कपूर

फाइनैंस ट्रेनर और कंसल्टैंट –

स्मार्ट निवेश क्या है

यह सही निवेश विकल्प है जो आप के भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आप की मदद करने के लिए आप की जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करता है. एक भीड़भाड़ वाले बाजार और आसपास निवेश के अवसरों के बहुत अधिक शोर के बीच अपने समय और धन की अच्छी तरह से योजना बनाने के लिए एक स्मार्ट निवेशक होना जरूरी है.

स्मार्ट निवेश निम्न में मदद करता है:

–  आय का एक अतिरिक्त स्रोत बनाने में.

–  वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में.

–  धन का निर्माण करने में.

आप कैसे निवेश करते हैं, यह चुनने से पहले आप को निम्नलिखित कारकों पर विचार करना चाहिए:

–  क्या आप अविवाहित हैं या विवाहित हैं? क्या आप का साथी काम करता है और वह कितना पैसा कमाती है?

–  क्या आप के बच्चे हैं? यदि नहीं तो क्या आप बच्चे चाहते हैं? उच्च लागत जैसेकि कालेज शिक्षा, कब शुरू होगी?

–  क्या आप को कभी  विरासत में धन मिलेगा या क्या आप को मातापिता को केयर होम में रखने के लिए पैसे खर्च करने होंगे?

–  क्या आप की नौकरी सुरक्षित है या यदि आप स्वनियोजित हैं तो समान कंपनियां आमतौर पर कितने समय तक चलती हैं?

–  क्या आप को अपने जीवनयापन के लिए अपनी नकद आय की पूर्ति करने के लिए अपने निवेश की आवश्यकता है? यदि हां तो आप के पास स्टौक के बजाय बौंड में अधिक पैसा होना चाहिए

–  आप निवेश में कितना पैसा गंवा सकते हैं?

रिटायरमैंट से पहले वित्तीय प्लानिंग

बचत का हर व्यक्ति के जीवन में होना बहुत जरूरी है. जितना भी आप कमाएं उस का कुछ भाग बचत के रूप में जरूर रखें. अगर ऐसा आप कमाते वक्त नहीं सोचते तो आगे चल कर दिनोंदिन बढ़ती महंगाई की मार आप को अवश्य झेलनी पड़ेगी. एक उम्र के बाद काम करना वश में नहीं होता, जबकि बढ़ती उम्र की वजह से बीमारी और अच्छे खानपान वगैरह के खर्च बढ़ते जाते हैं. ऐसे में जितनी जल्दी आप रिटायरमैंट से पहले सेविंग के बारे में सोचेंगे, उतनी ही बड़ी आप की बचत होगी. जब आप रिटायरमैंट के कगार पर होंगे तो भले ही बाजार की कीमतों की अपेक्षा आप की बचत कम दिखे, पर अपनी जरूरतों को सीमित दायरे में रख कर और अच्छी प्लानिंग कर के आप एक अच्छी जिंदगी गुजार सकेंगे. आज के दौर में यह बहुत जरूरी है कि अपनी रिटायरमैंट से पहले सेविंग में विविधता लाई जाए. लेकिन यह कैसे करें, इस के बारे में मुंबई के फाइनैंशियल प्लानर धवल कक्कड़ से बातचीत हुई.

उन्होंने बताया कि सब से पहले आप अपनी उम्र, जरूरतों, आय और बैकग्राउंड पर ध्यान दें. ये 4 कारक प्रमुख हैं. अगर आप के पास घर है तो ‘हाई रिस्क हाई रिटर्न’ पर आप जा सकते हैं. अगर घर लेना है, शादी करनी है तो मार्केट रिस्क हमेशा कम लें, क्योंकि बाजार भाव हमेशा चढ़ता और उतरता रहता है, जिस में पैसा खोने का डर लगा रहता है.

7 साल की सेविंग सब से आदर्श मानी जाती है. लेकिन अगर आप के रिटायरमैंट में देर है तो जल्दी पैसा बनाने की बात सोचनी चाहिए. प्रौपर्टी और सोने में इन्वैस्टमैंट अच्छा होता है, क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के चढ़नेउतरने पर निर्भर रहने वाली स्कीम की अपेक्षा अधिक लाभ देता है. किसी भी इन्वैस्टमैंट को करते समय उस की अवधि अवश्य देख लें. अगर मंदी का समय हो तो ‘बायर’ बनें और तेजी हो तो ‘सैलर’. इस से आप को एक अच्छी रकम हाथ लगेगी, जो भविष्य में काम आएगी. स्टाक और बांड्स मेें रिटायरमैंट

सेविंग करना भी अच्छा होता है. उस में पैसे खोने का डर रहता है, पर अगर आप का ध्यान रोज मार्केट की तरफ रहे तो ऐसा नहीं होता. म्यूचुअल फंड में ‘सिप’ यानी ‘सिस्टेमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान’ लें. इस के लिए अच्छे फाइनैंशियल एडवाइजर की सलाह लें. भारत में करीब 100 म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं जिन में से केवल 10 ही ऐसी हैं जहां आप का पैसा सुरक्षित रह सकता है.

हमेशा ‘टर्म प्लान’ में इन्वैस्ट करें ताकि अगर आप पर कोई आपदा आए तो परिवारजनों को आप की बचत का लाभ मिल सके. लेकिन आप कितना व्यय करेंगे और कितना बचाएंगे इस की योजना इस प्रकार बनाएं- अगर आप की उम्र 20 से 30 वर्ष हो तो अपनी आय का 20% सालाना आप बचत कर सकते हैं.

35 साल की उम्र होने पर 15 से 20%, 45 से 50 वर्ष की उम्र होने पर 10 से 15% और 50 वर्ष के ऊपर होने पर 10% अपनी आय की सालाना बचत कर सकते हैं. गोल्ड फंड या गोल्ड ऐक्सचेंज क्रैडिट फंड में पैसा डालें. अपनी बचत का 99% भी आप सोने की खरीद में डाल सकते हैं. इस में रिस्क नहीं होता, इस का लाभ अधिक मिलता है.

सरकार की ऋण पालिसी में पैसा डालें. ‘गवर्नमेंट सिक्यूरिटीज’ में पैसा डालना हमेशा लाभदायक रहता है, क्योंकि यह रिस्क फ्री रहता है और बाजार भाव के उतारचढ़ाव का असर इस पर नहीं पड़ता. प्लान अवश्य करना चाहिए. ऐसी पालिसी के धारक बनें जिस का भविष्य में आप को पूरा लाभ मिले. अपनी आमदनी को हमेशा ‘व्हाइटमनी’ में रखें. ‘ब्लैकमनी’ कभी न रखें.

वित्तीय प्लानिंग में अपनी आय और संपत्ति का वसीयतनामा पहले तैयार करें, जिस में पावर औफ एटार्नी जरूर बनाएं. नहीं तो संपत्ति और पैसे को ले कर परिवार में झगड़े होने लगते हैं. हर 5 साल बाद अपने इन्वैस्टमैंट की जांचपरख अवश्य करें, इस से बाजार भाव के अनुसार आप अपने फाइनैंस की प्लानिंग फिर से कर पाएंगे.

इस के आगे धवल कक्कड़ कहते हैं कि आज के युवाओं को इस बारे में अधिक ध्यान देना चाहिए, क्योंकि आज के युवा 30 से 40 हजार रुपए प्रतिमाह कमाते हैं पर उन्हें शौक पूरे करने की अधिक धुन रहती है. वे पैसे खर्च अधिक करते हैं. जबकि आज से 20-30 वर्षों बाद जब हमारे देश का और अधिक विकास हो चुका होगा तब महंगाई और अधिक होगी. खर्चा 5 गुना अधिक बढ़ेगा. ऐसे में शुरू से बचत न करने पर और अधिक परेशानी आएगी.

पैसे बचत करने के आसान तरीके, आप भी अपनाइए

बचत करना कौन नहीं चाहता है, हर कोई चाहता है की वो अपने रोज के खर्चो में से कुछ बचत करे जो बाद में अपने परिवार के काम में आये, ज्यादातर इस बात की चिंता महिलाओं को होती है,

क्योंकि घर का खर्चा उन्ही को चलाना होता है. पर क्या आप सही तरीके से बचत कर पाती हैं, शायद हो सकता हैं कुछ लोग अच्छी बचत कर लेते होंगे पर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो बचत के मामले में थोड़ा कमजोर हैं, पैसे घर पे आते ही ना जाने कहा खर्च हो जाते हैं. यह महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या है अगर आप बचत करना चाहती हैं तो यहां पर आपको कुछ आसान तरीके बताये जा रहे हैं जो आपको बचत करने में बहुत ज्यादा मदद करते हैं. अब आप भी अच्छी बचत कर पाएंगे पर उसके लिए आपको अपनी कुछ आदतों को बदलना होगा. तभी आप एक अच्छी बचत कर पाएंगे.

कहां खर्च करती हैं आप अपने पैसे

जब आपकी मासिक आय घर पर आती है तो आप सबसे पहले सभी जगह देने वाले पैसे अलग कर देती होंगी और कुछ पैसो को संभाल कर रख देती होंगी, और फिर वो भी कभी ना कभी खर्च हो ही जाते हैं. इसलिए इस खर्चे से बचने के लिए सबसे आसान तरीका यह है कि, जब आपकी मासिक आय आती है तो सबसे पहले उसमें से पैसो का कुछ भाग सेविंग करना शुरू करदें अर्थात या तो आप कोई गुल्लक बना लें या फिर अपने बैंक अकाउंट में जमा करले और उन पैसो को कभी ना निकाले. जब तक आपको ज्यादा जरुरत ना पड़ जाये, ऐसे आप हर माह अच्छी सेविंग कर सकती हैं.

कर्जे से हमेशा बचें

कई बार ऐसा होता है कि आपको पैसो की जरुरत पड़ती है और आप अपने दोस्तों या अपने रिश्तेदारों से मदद लें लेते हैं. कर्जे से हमेशा बचने कि कोशिश करें क्योंकि एक बार अगर आप किसी से पैसो कि मदद लें लेते हैं तो फिर आपको धीरे धीरे उस चीज की आदत हो जाती है, फिर आपको थोड़ा बहुत भी परेशानी हो तो आप फिर वही बात दोहराती हैं.

इसलिए कर्जे से जितना हो सके उतना बचने की कोशिश करें. क्योंकि जहां आपने एक बार कर्जा लेना शुरू कर दिया तो फिर आप सेविंग कभी नहीं कर सकती. ज्यादा सुविधा की जगह कम सुविधा से काम चला लें पर कर्जे से बचकर रहें.

फालतू के खर्चो से बचें

फालतू के खर्चों से मतलब इस प्रकार है कि, आज के समय में हम हो या आप छोटी छोटी जगह बहुत फालतू खर्चा करते हैं, जैसे रोज बहार खाना, रोज कही ना कही घूमने जाना, रोज कुछ ना कुछ खरीदना आदि ऐसे बहुत से फालतू खर्चे हैं जो आमतौर पर आप प्रतिदिन करती रहतीं हैं.

इन सभी फालतू खर्चो से बचें रोज बाहर खाने की जगह अपने घर पर खाना खाये और अगर आपका बाहर खाना खाने का मन हैं ही तो हफ्ते में एक बार बाहर चले जाये पर इसे अपनी रोज की आदत ना बनाये, ये सब आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है.

रोज घूमने की जगह हफ्ते में एक दिन घूमने जाएं, ऐसे आप अपने बहुत से खर्चो को कम कर सकते हैं, इन छोटी छोटी सेविंग से ही तो आप बड़ी सेविंग कर पाएंगी. इसलिए ध्यान दें फालतू के खर्चो को कम करदे.

महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें

  • अगर आपके परिवार में दो व्यक्ति जौब करने वाले हैं तो आप अच्छी बचत कर सकते हैं, सिर्फ एक ही व्यक्ति की आय का यूज करें और एक व्यक्ति की आय को सीधा बचत खाते में डाल दें.
  • हर महीने अपना बजट बनाये और उसका पालन भी करें.
  • आपके द्वारा की जाने वाली हर खरीददारी पर नजर रखें और ध्यान पूर्वक खरीदी करें.
  • आजकल सभी बैंको में अलग अलग प्रकार की सेविंग की सुविधाएं शुरू हो गयी हैं, उन सभी सुविधाओं का लाभ उठाये.
  • सर्वप्रथम अगर आपने किसी से कर्जा लिया है तो उसका भुगतान करें और उसके बाद ही अपनी सेविंग करना शुरू करें.
  • अपनी एक बजट डायरी बना लें और उसमे अपने हर महीने के खर्चो का लेखा जोखा करें इससे आपको ध्यान रहेगा कि आप कहां पर कितना पैसा खर्च कर रहीं हैं.
  • अगर आपके परिवार में छोटे बच्चे हैं तो उन्हें सिखाएं कि फालतू टीवी ना खोले, फालतू लाइट ना जलाये और फालतू में पानी ना बहायें इससे आपका बिल और ज्यादा बड़ जायेगा और इस बात का आप भी ध्यान रखें, क्योंकि बहुत सारी बचत तो आप घर बैठे ही कर सकती हैं.
  • जब आप कभी बाजार जाते हैं तो अपने पास ज्यादा पैसे ना रखें, क्योंकि आप जितने पैसे लें कर जाते हैं वो कही ना कही पर खर्च हो जाते हैं, इसलिए जितने पैसों की जरुरत हो उतने ही पैसे अपने साथ ले जाये.
  • अगर आप किसी भी बड़ी चीज को खरीदने कि सोचते हैं, तो सबसे पहले उसके बारे में सभी जगह से पता करें और सोच समझ कर अच्छी दुकान से खरीदे.
  • अगर आपका औफिस या मार्किट पास ही है तो कोशिश करें कि आप पैदल ही जाएं ना कि गाड़ी या रिक्शा से जाएं.
  • आप अपने पैसों की सेविंग के लिए एफडी, म्युचुअल फण्ड और सेविंग अकाउंट आदि का प्रयोग भी कर सकती हैं.

महिलाएं और धन प्रबंधन

आज महिलाएं हर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण तथा प्रभावशाली पदों पर विद्यमान हैं. हर दिन ऐसी स्त्रियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिन के पास अपने स्वयं के पैसे हैं और जिन्हें आधुनिक संसार में महत्त्वपूर्ण वित्तीय प्रदाताओं के रूप में जाना जाता है. इस के बावजूद ऐसी भी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें वित्तीय जगत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. निवेश के मामले में महिलाएं हिचक महसूस करती हैं और उन के द्वारा अपने पैसों का निवेश न करने के पीछे का प्रमुख कारण व्यक्तिगत वित्त के बारे में ज्ञान का अभाव है. बहुत से निवेशक मानते हैं कि निवेश की शुरुआत बहुत जटिल नहीं है. निवेश के लिए कुछ ऐसे अवसर भी हैं, जो पहली बार निवेश करने वालों के लिए आदर्श हैं. आप के द्वारा एक बार थोड़ा निवेश करने के बाद इस का ज्ञान तेजी से बढ़ने लगता है.

निवेश जगत में प्रवेश के अनेक मार्ग हैं, जिन में शामिल हैं बचत प्रमाणपत्र स्टौक्स, बौंड्स और म्यूचुअल फंड्स. बचत की शुरुआत करने के लिए बचत प्रमाणपत्र एक अच्छी किस्म का निवेश है और सीडी का एक फायदा यह है कि आप निवेश की अवधि चुन सकती हैं और फिर सीडी के परिपक्व होने तक ब्याज प्राप्त कर सकती हैं. महिलाओं के लिए एक दूसरा अच्छा विकल्प है मनी मार्केट फंड. बचत खातों की तरह ये छोटी अवधि के होते हैं. उन के लिए ये अच्छे विकल्प होते हैं, जो अपने पैसों को बचत प्रमाणपत्रों में बांध कर नहीं रखना चाहतीं.

निवेश योजना का मार्गदर्शन

पहली बार निवेश करने वालों के लिए जरूरी है कि वे सही निवेश योजना का चुनाव करें. एक भारतीय स्त्री के लिए बहुत कुछ उस के वित्तीय लक्ष्यों, रोजगार के स्तर, उम्र, अवधि तथा सब से महत्त्वपूर्ण जोखिम उठाने की उस की सामर्थ्य पर निर्भर होता है. एक निवेश योजना वह मार्गदर्शन भी प्रदान करती है, जिस से आप को अपनी ऊर्जा संगठित और निर्देशित करने में मदद मिल सकती है.

समयबद्ध सेवानिवृत्ति योजना के साथ इक्विटी में निवेश एक युवा सेवारत महिला के लिए उपयुक्त है, जबकि एक गृहिणी के लिए बीमा और आवर्ती आय पर ज्यादा जोर देते हुए परंपरागत होना चाहिए.

निवेश के मामले में छोटी या लंबी अवधि के जोखिम को टाला नहीं जा सकता. बौंड्स, मनी मार्केट और ट्रैजरी बिल्स जैसे कुछ निवेश सुरक्षित हैं, परंतु इन से मिलने वाला लाभ बहुत थोड़ा है, जबकि स्टौक्स जैसे दूसरे निवेशों में बड़ा जोखिम होता है, मगर वे बड़ा फायदा देते हैं.

आदर्श स्थिति

एक पेशेवर निवेश सलाहकार के परामर्श से आप अपना निवेश पोर्टफोलियो बनाने में प्रवीण हो सकती हैं तथा इस से आप को निवेश के जटिल मुद्दों को समझने में भी मदद मिलेगी. जानकार महिलाओं का निवेश क्लब में शामिल होना, एक आदर्श स्थिति बन सकती है. हालांकि एक समूह के रूप में विधिवत निवेश किस तरह किया जाए, यह जानने के लिए किसी वित्तीय परामर्शदाता से सलाह लेना उचित होगा. महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं और जब धन प्रबंधन की बात आती है, तो वे कम जोखिम लेना पसंद करती हैं. अत: जरूरी है कि वे नियमित आधार पर अपने निवेशों का अवलोकन करती रहें और यह जानकारी रखें कि निवेश के विभिन्न वित्तीय बाजारों में क्या चल रहा है.

सूझबूझ भरा कदम

महिलाओं को हमेशा एक नियमित, अनुशासनात्मक प्रयास के साथ एक अच्छी बचत करने वाला समझा जाता है. परंतु एक बचत करने वाले से निवेशक के रूप में अगला कदम उठाने के प्रति वे अनिच्छुक होती हैं. फिर भी यदि महिलाएं बुनियादी बातों को समझने के लिए थोड़ा सा समय निकालें तो निवेश करना बिलकुल भी जटिल नहीं रहेगा.

बच्चों को वित्तीय जानकारी कैसे दें?

तकनीकी में हो रहे बदलाव और जीवन यापन की लागत में हो रही वृद्धि के मद्देनजर हमें खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या आज के बच्चों को हम वित्तीय उत्पादों व सेवाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी दे रहे हैं. बच्चों को अब पैसे के लेनदेन व निवेश प्रबंधन की शिक्षा देना काफी अहम हो गया है.

कुछ वर्ष पहले उद्योग चैंबर एसोचैम ने एक सर्वेक्षण के आधार पर कहा था कि अब बच्चों को 3,000 रुपये से लेकर 12 हजार रुपये मासिक तक की राशि बतौर पॉकेट मनी मिलने लगी है.इस पैसे को वे मॉल में खरीददारी करने में या फोन रिचार्ज करने जैसे चीजों पर खर्च कर रहे हैं. एक दशक पहले बच्चों को 400 से 500 रुपये जेब खर्च के तौर पर मिलते थे. इस बदलाव से पता चलता है कि पैसे का हिसाब-किताब रखने की मानसिकता को विकसित करना कितना जरूरी है.

1. नकद खरीदारी की आदत डालें

वैसे तो अब क्रेडिट व डेबिट कार्ड सामान्य सी बात है. इसके जरिये खरीदारी करना कई मामले में आसान भी होता है, लेकिन शुरुआत में बेहतर होगा कि आप बच्चों को नकदी में खरीदारी करने की आदत डालें. मसलन चाय-काफी का भुगतान और किराना दुकानों पर छोटी खरीदारी करना वगैरह. इससे उन्हें पैसे का हिसाब-किताब रखने की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी.

2. एटीएम के जरिये पैसे के स्नोत की जानकारी दें

तीन-चार साल के बच्चों को पैसे के स्नोत की जानकारी देने के लिए एटीएम एक बेहतर जगह है. बच्चे दरअसल यह समझते हैं कि पैसे के स्नोत की कोई सीमा नहीं होती. एटीएम ले जाकर उन्हें बताया जा सकता है कि पैसा कहां से आता है और यह असीमित आपूर्ति का केंद्र नहीं है, बल्कि जितने रुपये निकालेंगे आपके बैंक खाते में उतनी ही कम राशि बचेगी.

3. सुपरमार्केट में भी पाठशाला

अक्सर हम बच्चों को सुपरमार्केट ले जाते हैं. वहां भी कई तरह की शिक्षा दी जा सकती है मसलन कैसे किफायती सामान खरीदें, कैसे महंगे-सस्ते पर फैसला करें. इससे उनमें ब्रांड व उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर भी जागरूकता बढ़ेगी.

4. छोटी उम्र से बचत की आदत

अगर आप बच्चों को छोटी उम्र से ही इच्छा, चाह और जरूरत के बीच अंतर समझाने की कोशिश करें तो यह अच्छी शुरुआत होगी. अगर संबंधियों की तरफ से कोई मौद्रिक उपहार मिलता है तो उसका प्रबंध कैसे करें, कैसे उसे बचत में शामिल करें, कैसे उसे सोच समझ कर खर्च करें. इन छोटी-छोटी बातों की जानकारी देकर आप उनमें बचत की आदत डाल सकते हैं.

5. वित्तीय तौर पर आजादी दें

बच्चों को जितनी जल्दी वित्तीय आजादी की समझ आ जाए, उतना ही बेहतर होगा. इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा. वे यह समझेंगे कि हर चीज के लिए माता-पिता पर आश्रित नहीं रहा जा सकता. अगर आपका बच्चा दस वर्ष का हो गया है तो उसका अपना बैंक खाता खोल दीजिए. बैंक खाते के साथ उसका अपना डेबिट कार्ड आ जाएगा. उसे यह देखने दीजिए कि किस तरह से राशि ब्याज के साथ बढ़ती है?

6. खुद बनिए आदर्श

सबसे अहम सीख आप बच्चों को उनका आदर्श बनकर दे सकते हैं. आपातकालीन स्थिति के लिए बचत कीजिए और बच्चों के सामने एक उदाहरण पेश कीजिए. वैसे इस तरह के उदाहरण हमारे देश में हमेशा से रहे हैं. अगर आप पैसे को लेकर एक जिम्मेदारी का अनुभव करते हैं तो यह सीख जरूर बच्चों तक पहुंचेगी.

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महिलाओं के लिए जरूरी है जीवन बीमा

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भावनात्मक एवं शारीरिक सुरक्षा के साथ ही आर्थिक सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. खासतौर पर महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है. इस की बड़ी वजह है, आजकल की महिलाओं का पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलना. जी हां, आज की सशक्त महिलाएं न केवल घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर अपना अस्तित्व निखार रही हैं, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियों को भी पूरा कर रही हैं. ऐसे में उन की अनुपस्थिति में परिवार को होने वाले आर्थिक नुकसान को पूरा करने के लिए उन का बीमित होना अनिवार्य है.

बचत से ज्यादा जरूरत

वैसे जीवन बीमा को अधिकतर महिलाएं बचत समझती हैं लेकिन जीवन बीमा बचत से ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस से बड़े होते बच्चों की शिक्षा, रोजगार व शादी सहित जीवन की कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस के और भी कई लाभ हैं, जो महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का समावेश करते हैं.

आइए, कुछ लाभों के बारे में हम बताते हैं:

‘मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों का क्या होगा?’, ‘क्या पति अकेले सभी बड़ी जिम्मेदारियां उठा लेंगे?’ यह सवाल अकसर आप को परेशान करते होंगे. जायज भी है, बढ़ती हुई महंगाई में घर एक कमाने वाले की कमाई से नहीं चल सकता, बल्कि जरूरी है कि घर की कुछ आर्थिक जिम्मेदारियां आप भी उठाएं. हो सकता है कि आप की सैलरी घर की बड़ी जिम्मेदारियां उठाने में मददगार न हो लेकिन आप की छोटीछोटी बचत इस में आप की मदद कर सकती है. इस में जीवन बीमा की अहम भूमिका है क्योंकि यह आप को एकमुश्त बड़ी रकम देता है, जिस से आप अपने दायित्वों को पूरा कर सकती हैं.

1. आजकल ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी भी आ गई है जिस में जीवन बीमा के साथ ही सेविंग और क्रिटिकल इलनैस (बीमारियां एवं प्रैगनैंसी) को भी कवर किया जाता है. यह पौलिसी खासतौर पर उन महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है जो घर और बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, क्योंकि ऐसे में सेहत पर विपरीत असर तो पड़ता ही है, तब इस तरह की पौलिसियां आर्थिक रूप से मददगार बनती हैं.

2. यदि आप का परिवार पूरी तरह आप की आय पर निर्भर है तो आप को टर्म इंश्योरैंस पौलिसी लेनी चाहिए. इस में परिपक्वता पर तो कोई राशि प्राप्त नहीं होती लेकिन बहुत कम प्रीमियम पर बड़ा सुरक्षा कवर मिल जाता है.

3. कुछ जीवन बीमा योजनाओं में विशेष बीमारी होने पर कुछ बीमा कंपनियों द्वारा इलाज हेतु अग्रिम राशि दे दी जाती है.

4. यदि आप की आय, आयकर में महिलाओं को दी गई छूट से अधिक है, तो बीमा पौलिसी पर आप को आयकर की छूट भी प्राप्त होगी.

कैसे चुनें बीमा पौलिसी

बीमा पौलिसी कराने से पहले यह देखना जरूरी है कि बीमाधारक अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक कितनी रकम का प्रीमियम भर सकता है. दरअसल, अधिक प्रीमियम वाली बीमा पौलिसी लेने के बाद, जब प्रीमियम भरने में कठिनाई महसूस होती है, तब कई बीमाधारक तय समय से पहले ही बीमा अनुबंध तोड़ देते हैं. इस से बीमाधारक को फायदे की जगह नुकसान ही उठाना पड़ता है. पौलिसी चलती रहे, यही कोशिश करनी चाहिए.

इन टिप्स पर गौर करें, बीमा पौलिसी चुनते समय मदद मिल सकती है:

1. बीमाधारक पर कितने लोग आश्रित हैं और वह उन्हें कैसी जीवनशैली देना चाहता है.

2. बीमाधारक को अपने रोजमर्रा के खर्चे और अपने दायित्वों को भी समझना चाहिए.

3. किस तरह की इंश्योरैंस पौलिसी आप के लिए मददगार है, इस बात का भी खयाल रखें.

4. आप अपना प्रीमियम समय पर भर सकते हैं या नहीं इस बात का भी ध्यान रखें.

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Health Policy खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

हम सभी जानते हैं कि बीमारियां कोई सूचना देकर नहीं आती हैं, इसलिए समझदार लोग समय पर ही अपने लिए एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीद लेते हैं. वहीं अगर आप किसी खास बीमारी से ग्रसित हैं तो भी बाजार में आपके लिए तरह तरह की पौलिसियां मौजूद हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि हमें अपने लिए हेल्थ पौलिसी का चुनाव काफी सोच समझकर करना चाहिए. हम अपनी इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि हेल्थ पौलिसी की खरीद के दौरान आपको किन सावधानियों को बरतना चाहिए.

एक्सपर्ट की राय

जानकारो का मानना है कि एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीदने से पहले सबसे पहले इसकी कवरेज जान लें. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इसके दायरे में कौन-कौन सी बीमारियां और बेनिफिट्स नहीं आते हैं. इसके पैनल में जो भी अस्पताल हैं उनकी टौप लिमिट क्या है, उसमें डौक्टर के विजिट के चार्जेस, आईसीयू में भर्ती होने के घंटों पर कोई लिमिट तो नहीं है. यह भी जांच कर लें कि किन-किन स्थितियों में पौलिसी धारक क्लेम का हकदार नहीं होता है.

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पहले से चल रही बीमारियां

इंश्योरर ऐसा मानकर चलते हैं कि अगर कोई बड़ी उम्र में हेल्थ पौलिसी खरीद रहा है तो जरूर कोई बीमारी होगी. अपने जोखिम को कम करने के लिए वे प्री एग्जिंस्टिंग क्लौज में पौलिसी को डाल देते हैं. इसमें आमतौर पर तीन से चार साल तक का वेटिंग पीरियड होता है. इसलिए हमेशा कोशिश करें कि ऐसी पौलिसी का चयन करें जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो, फिर चाहे उसके लिए आपको ज्यादा प्रीमियम ही क्यों न देना पड़ें.

आंशिक भुगतान

इसे को-पेमेंट भी कहा जाता है. यह वो राशि होती है जो पौलिसी धारक हौस्पिटालाइजेशन के दौरान अदा करता है, शेष क्लेम की गई राशि इंश्योरर भुगतान करता है. आपको बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में को-पेमेंट अनिवार्य होती है. हालांकि, कुछ इंश्योरर को-पेमेंट की राशि फिक्स्ड रखते हैं. जबकि कुछ एक रेंज निर्धारित कर देते हैं. यह 10 से 20 फीसद के बीच होती है. ऐसे प्लान को खरीदें जिसमें को-पेमेंट का क्लौज न हो.

अस्पताल के किराये की सीमा

कुछ हेल्थ प्लान में सीमित किराये की कैप लगाई होती है. पौलिसी के तहत अस्पताल के कमरे की निश्चित राशि तय होती है. अगर मरीज इससे ज्यादा का कमरा लेता है तो इंश्योरर मरीज से अस्पताल के कुल बिल इस अतिरिक्त राशि को चार्ज करता है. उदाहरण के तौर पर अगर कमरे का किराया 4000 रुपये प्रतिदिन है और मरीज 5000 रुपये प्रतिदिन का कमरा लेता है. तो रुम के किराये में 20 फीसद का इजाफा हो गया. अब अगर अस्पताल का कुल बिल 50,000 रुपये है तो इंश्योरर यह 20 फीसद का अतिरिक्त चार्ज कुल बिल में लगा देगा. इससे मरीज को 2000 रुपये की जगह 10,000 रुपये देने पड़े जाते हैं. इसलिए ऐसा प्लान खरीदें जिसमें अस्पताल के कमरे के किराये पर कोई सीमा नहीं है.

रेस्टोरेशन बेनिफिट

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हर एक हेल्थ प्लान में एक सम एश्योर्ड लिमिट होती है जो कि पौलिसी धारक के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. इस सम एश्योर्ड की एक साल में क्लेम करने की सीमा होती है. यदि सम एश्योर्ड से ज्यादा का खर्चा आता है तो पौलिसी धारक को खुद देना पड़ता है. लेकिन अगर आपने हेल्थ प्लान रेटोरेशन बेनिफिट के साथ लिया हुआ है तो इंश्योरर सम एश्योर्ड को रीस्टोर करके रख देगा ताकि अगर उसी साल में फिर से पौलिसी धारक बीमार होता है तो सम एश्योर्ड मिल जाए.

जानकारी के लिए बता दें कि रेटोरेशन बेनिफिट केवल उस स्थिति में मिलेगा जब एक ही साल में अलग अलग बीमारी का ट्रीटमेंट हुआ हो. एक साल के भीतर एक ही बीमारी के लिए सम एश्योर्ड नहीं मिलता. उदाहरण के तौर पर आपकी पांच लाख की पौलिसी है. आप बीमार होते हो और दो लाख रुपये का इस्तेमाल कर लेते हो. अब अगर आप उसी साल में फिर से बीमार पड़ते हो तो इंश्योरर वापस सम एश्योर्ड को बढ़ाकर पांच लाख कर देगा.

अस्पतालों का नेटवर्क

हेल्थ पौलिसी डौक्यूमेंट में अस्पतालों के पास उनके कोऔडिनेटर्स की एक लिस्ट होती है. पौलिसीधारक को इस लिस्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए. साथ ही यह देखना चाहिए कि आपके घर के आसपास कौन कौन से अस्पताल हैं. अगर आप ऐसे किसी अस्पताल में भर्ती होते हों जो कि लिस्ट में नहीं है तो मरीज को कैशलैस ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा. अस्पताल का कुल बिल मरीज को अपनी जेब से भरना होगा. उसके बाद उसे यह राशि रींबर्स की जाएगी.

Mutual Fund में कब और कैसे करें निवेश

अपने रोजमर्रा के खर्चों के बीच छोटीमोटी बचत तो हम सब कर ही लेते हैं, मगर फायदा तो तब है जब बचत के साथसाथ निवेश की भी आदत डाली जाए. जब निवेश की बात आती है तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में शेयर मार्केट में पैसे लगाने का खयाल आता है. जबकि असलियत तो यह है कि यदि आप को शेयर बाजार में पैसे लगाने का अनुभव नहीं है तो यह आप के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है. फाइनैंशियल प्लानर, अनुभव शाह के मुताबिक नए निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक बेहतरीन विकल्प है. ऐसा नहीं है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने में कोई जोखिम नहीं, पर शेयर बाजार में निवेश की तुलना में यह फिर भी कम जोखिम भरा है.

आइए, जानते हैं कि इक्विटी में निवेश की तुलना में म्यूचुअल फंड क्यों है बेहतर:

क्या है

आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें इस से पहले आप को शेयर और म्यूचुअल फंड के बीच का फर्क पता होना चाहिए. जब आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो इस का मतलब है कि आप एक सार्वजनिक कंपनी के शेयर तब खरीद रहे हैं जब उन की कीमत कम है और कीमत बढ़ने पर इन्हें बेच देंगे. हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मतलब यह है कि आप का फंड मैनेजर आप के द्वारा निवेश की गई रकम को बौंड, शेयर, डिबैंचर जैसे निवेश के अलगअलग विकल्पों में लगाता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड का रिटर्न अलगअलग प्रतिभूतियों पर हो रहे मुनाफे पर निर्भर करेगा.

जोखिम

म्यूचुअल फंड और शेयर इक्विटी में निवेश दोनों में ही जोखिम है. हालांकि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह जोखिम थोड़ा कम हो जाता है. जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप के पास का निवेश विभिन्न प्रकार के निवेश उपकरणों में किया जाता है. यदि एक उपकरण का प्रदर्शन खराब है तो दूसरे का अच्छा हो सकता है. ऐसे में जोखिम कम हो जाता है. इक्विटी में निवेश का सब से बड़ा नुकसान यह है कि यदि शेयर बाजार नीचे जा रहा है तो आप को उसी अनुपात में नुकसान भी होता है. कुल मिला कर आप के निवेश का प्रदर्शन किसी एक कंपनी के शेयरों के प्रदर्शन तक ही सीमित रह जाता है.

नए निवेशकों के लिए बेहतर

जो लोग पहली बार निवेश कर रहे हैं और उन्हें शेयर बाजार का अनुभव नहीं, ऐसे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड बेहतर है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद इस के प्रबंधन की सारी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है. इस के लिए निवेशक को परेशान नहीं होना पड़ता. हालांकि इस के लिए निवेशक को समयसमय पर इस के प्रबंधन के लिए फीस चुकानी पड़ती है. जहां तक इक्विटी शेयर में निवेश की बात है तो इस के लिए पर्याप्त रिसर्च की जरूरत पड़ती है और यदि घाटा होता है तो सारी जिम्मेदारी आप की होती है.

जटिल

म्यूचुअल फंड की तुलना में इक्विटी शेयर में निवेश करना काफी जटिल है. साथ ही इस में समय भी काफी लगता है. शेयर में निवेश करने की स्थिति में हर पल बाजार की स्थिति और शेयर के भाव पर नजर रखनी पड़ती है. जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने की स्थिति में यह काम फंड मैनेजर का होता है.

डाइवर्सिफिकेशन

एक अच्छा निवेशक वही होता है, जो मुनाफा कमाने के लिए केवल एक तरह के निवेश विकल्प और सैक्टर पर निर्भर न रहे. विभिन्न सैक्टरों और निवेश के विकल्पों में पैसा लगाना ही डाइवर्सिफिकेशन कहलाता है. म्यूचुअल फंड में निवेशक को डाइवर्सिफिकेशन का विकल्प मिलता है, जबकि ऐसा इक्विटी शेयर के साथ नहीं है.

सावधानी

अकसर देखा गया है कि म्यूचुअल फंड या फिर अन्य किसी विकल्प में निवेश के दौरान लोग लापरवाही से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर देते हैं. ऐसा करने से आप मुसीबत में पड़ सकते हैं. लिहाजा, हस्ताक्षर करने से पहले पौलिसी से संबंधित दस्तावेज ध्यान से पढ़ें.

दस्तावेज जमा करते वक्त एड्रेस पू्रफ देते समय अपना स्थाई पता दें. सभी प्रकार के पत्राचार में यह काम आएगा.

आप के निवेश से संबंधित सारी स्टेटमैंट आप को बड़ी आसानी से ईमेल पर मिल सकती है. लिहाजा ईमेल एड्रेस का कौलम भरते वक्त सतर्क रहें.

म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान फंडों का प्रबंधन करना फंड मैनेजर की जिम्मेदारी होती है. इस का मतलब यह नहीं कि आप अपने निवेश की सुध ही न लें. समयसमय पर अपने निवेश की समीक्षा करते रहें. यदि आप इस के प्रदर्शन से संतुष्ट न हों तो फंड मैनेजर बदलने पर विचार करें.

म्यूचुअल फंड भी कई प्रकार के होते हैं. उदाहरण के तौर पर डेट, इक्विटी, लिक्विड म्यूचुअल फंड आदि. लिहाजा, इस में निवेश से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आप ने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश किया है वह कौन सा है और विभिन्न परिस्थितियों में इस का प्रदर्शन कैसा होगा.

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